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।\v16 वहिकारण हमनी निराश नै होइछी । हमनी बाहरी रुपसे विनाश होते जायम फिरभी भित्रि रूपसे हमनी प्रतिदिन नयाँ भेरहल छी । \v17 कैलाकी यी क्षणीक है, हलका कष्‍टसे हमनीके सब नापके माथ करेबाला वजन्दार अन्नत महिमा के लागि तयार कर रहल छै । \v18 कैलाकी हमनी देखेबाला बातके नै लेकिन नदेखेबाला बातके प्रतिक्षा कर रहल छी । देखेबाला बातसब क्षणीक होइछै आ नदेखेबाला बातसबके अन्नत तक रहैछै ।
\v 16 वहिकारण हमनी निराश नै होइछी । हमनी बाहरी रुपसे विनाश होते जायम फिरभी भित्रि रूपसे हमनी प्रतिदिन नयाँ भेरहल छी । \v 17 कैलाकी यी क्षणीक है, हलका कष्‍टसे हमनीके सब नापके माथ करेबाला वजन्दार अन्नत महिमा के लागि तयार कर रहल छै । \v 18 कैलाकी हमनी देखेबाला बातके नै लेकिन नदेखेबाला बातके प्रतिक्षा कर रहल छी । देखेबाला बातसब क्षणीक होइछै आ नदेखेबाला बातसबके अन्नत तक रहैछै ।

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\c 5 \v 1 हमनी जानैछी, कि हमनीसब बास करैछी यी पार्थीव शरीर नष्‍ट होतै त भी हमनीसाथ परमेश्‍वरके देवल भवन है यी आदमीके हातसे बनाएले घर नै है लेकिन स्वर्गमे रहेबाला अन्नत तकके रहेबाला घर है । \v 2 . कैलाकी हमनीके स्वर्गी बास्यस्थानके पोशाक पहिनेबाला आशामे हमनी यी पालमे पीडासे आर्तनाद करैछी । \v 3 हमनी यकर इच्छा करैछी कैलाकी एकराके पहिनला पर हमनी लङगटे नै रहब ।

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\v 4 कैलाकी जबतक हमनी यी पालमे छी, भारीसे भरके हमनी आर्तनाद करै छी । हमनी निर्वस्र होएके नै चाहैछी लेकिन जे मरल शिल है, उ जीवनमे समावेश होए कहके हमनी बस्र पहिने चाहैछी । \v 5 हमनी यकरा लागि तयार करेबाला परमेश्‍वर हि है, जोन हमनी के लागि पछाडीसे होएबाला बातके बैनाके रूपमे पवित्र आत्मा देने है ।

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अध्याय ५

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