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\v 11 अहां अपना उपदेशमे एही बातसबके शिक्षा दैत रहु आ आदेश दैत रहु । \v 12 जवान अवस्थामे कोइ अहांके तुच्छ नै बुझे; लेकिन बातचितमे, चाइल-चलनमे, प्रेममे, विश्‍वासमे आ पवित्रतामे विश्‍वासबके लेल अहां एक नमुना बनु । \v 13 जवतइक हम नै आयब; तबतैक मण्डलीके विश्‍चासी सबके धर्मशास्‍त्र पइढके सुनावमे विश्‍वासीसबके उसाहित कर मे आ सिखाबेमे लिन रहु ।

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\v 14 अहां मे भेल वरदानसबके अवहेलना नै करु जखनी मण्डलीके सेवक सब अहापर हाथ रखलक, जे अहांके ओइसमयमे भविष्यवाणी के द्धारा देल । \v 15 ई बात सबके मनमे राखु । वहीबातसबमे लिनगेल रहु, ताकी अहांके प्रगती सबलोकके नजरके सामन्ने आबे । \v 16 अहां अपना विषयमे आ अपना शिक्षाके विषयमे होसियारीसाथ ध्यान दे ने रहु । अई बात सबमे लागातार ध्यान दिअ , कैलाकी एना कयला स अहां अपने लेल आ अहांके वचन सुनेबालासबके बचाएब ।

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\c 5 \v 1 वृद्ध परुषसबके नै डाटीयौ बल्की ओकरा सबके अपन बाबु जेका माईनके आग्रहपुर्वक समझाउ-बुझाउ । जवान सबके अपना भाइ जेका समझाउ \v 2 वृद्ध स्‍त्रीसबके अपन माई जेका; जवान स्‍त्रीसबके बहिनमाइनके ओकरासबके साथ एकदम पवित्र भावनासे व्यवहार करु ।

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अध्याय ५

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