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\v 11 प्रिय यै परमेश्‍वर हमरासबके यति जादाँ प।रेम कैलक कि हमसब एक दोसराके प्रेम करु । \v 12 परमेश्‍वरके कोइ नई कहियो देखनेछी, यदि हम सब एक दोसरा के प्रेम करैछी त परमेश्‍वर हमरासब मे रहत और उन्कर प्रेम हमरासब सिद्ध भजाउत । \v 13 एई स हमसब जनैछी कि हमसब हुन्कामे छी और परेमश्‍वर हमरा सब मे, किया त परमेश्‍वरके आत्मा हमरासबके देलगेल है । \v 14 यदि हमसब देखनेछी और गवाही दैछी कि पिता संसारके मुक्तिदाता होएवके लागि अपन पुत्र पठेनेहव ।

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\v 15 जे लोग येशू परमेश्‍वरके पुत्र है कैकह स्वीकार करैय त ऊ परमेश्‍वरमे रहैय, उ परमेश्‍वर \v 16 यैनाहेते हमरा प्रति परमेश्‍वरके प्रेम हम जनैछी और विश्‍वास करैछी । परेमश्‍वर प्रेम है और जे प्रेम करैय, उ परमेश्‍वरमे रहत और परमेश्‍वर उकरामे रहत ।

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\v 17 न्यायके दिनमे हमरा पुर्ण निर्भय साथ रहसकि प्रेममे सिद्ध भेलछी, किया त येशू जीका अई संसारमे छी । \v 18 प्रेम मे कोनो डर नइहोइहै । लेकिन सिद्ध प्रेम डरके हटबैय । किया त डर दण्ड स सरोकार राखैय । लेकिन जे डराय ऊ प्रेममे सिद्ध नइ बनलय ।

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\v 19 हम प्रेम करैछी, कैलाकी परमेश्‍वर पहिले हमरासबके प्रेम कैलक । \v 20 कोइ परमेश्‍वरके प्रेम करैछी, कहैय, लेकिन अपना भाई के घृणा करैय त ऊ झुट है । कैलाकी जे देखल अपना भाई नइकरैय त उ आदमी नइदेखल परमेश्‍वरके प्रेम नई कर सकैत । \v 21 यदि उन्का तर्फ ई आज्ञा हमसब पाइनेछी कि जे परमेश्‍वरके प्रेम करत, उ अपन भाई स सेहो प्रेम करत ।

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अध्याय ५

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"04-04",
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