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\v 27 फासी यीशुये लोटो लेदो तियाबददल देवाय आभार मान्यो आने तो तिया शिष्या देदो यीशुय आख्यो तुमा आखा यामने पिया. \v 28 काहाका ई मा शरारा रक्त हाय इ पाप माफी केहता खूब लोकाखातर टाटाम टाकलो जाय. \v 29 माय तुमाल आखू माय देवा राज्याम तुमाआरी नवो द्राक्षरसा पिण ति दिहालुगे द्राक्षरस माय पिनारोज नाहा. |