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# नफ़रत, ला’नत, ला’नती
## ता’अर्रुफ़:
ला’नत “ लफ्ज़ का मतलब है बुराई और नफ़रत पैदा करने वाली बात
* मिस्री लोग ‘इब्रानियों को ला’नती मानते थे |। इसका मतलब है कि मिस्री लोग इब्रानियों को पसन्द नहीं करते थे और उनके साथ रिश्ता नहीं रखना चाहते थे यहाँ तक कि उनके क़रीब भी नहीं आना चाहते थे।
* कलाम में "ख़ुदावन्द के लिए ला’नती" बातें हैं। झूठ, ग़ुरूर, इंसानों की क़ुर्बानी, बुत की ‘इबादत, क़त्ल, हरामकारी का गुनाह, नाजायज़ रिश्ता
* अपने शागिर्दों को आख़िरी वक़्त की ता’लीम देते वक़्त ईसा ने दानिएल नबी की नबुव्वत के बारे में बताया था जिसमें उजाड़ने वाली ला’नती चीज़ों की बात की गई थी जिसे ख़ुदावन्द से बग़ावत की तरह पैदा करके उसकी ‘इबाताद की जगह को नापाक किया जाएगा ।
## तर्जुमा की सलाह:
* “ला’नती चीज़ , का तर्जुमा जिस चीज़ से ख़ुदा नफ़रत करता है , या ग़लत चीज़ , या ग़लत काम की महारत , या बहुत बुरे काम |”।
* अलामत के मुताबिक़ , नफ़रत , का तर्जुमा होगा , के लिए बहुत ही ग़लत , को नफ़रत , या को ना मंज़ूर , या नफरती चीज़ या नफ़रत पैदा करने वाली |
* “उजाड़ने वाली खतरनाक चीज़ , का तर्जुमा , नापाक करने वाली चीज़ जिसमें लोगों को बहुत तकलीफ़ होती हो , या ऐसी चीज़ जिसके ज़रिए बहुत दुःख होता हो | ”।
यह भी देखें: [हरामकारी](../kt/adultery.md), [नापाक करना](../other/desecrate.md), [उजाड़](../other/desolate.md) \[बुत](../kt/falsegod.md), [क़ुर्बानी](../other/sacrifice.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [एज्रा 09:1-2](rc://ur-deva/tn/help/ezr/09/01)
* [पैदाइश 46:33-34](rc://ur-deva/tn/help/gen/46/33)
* [यशायाह 01:12-13](rc://ur-deva/tn/help/isa/01/12)
* [मत्ती 24:15-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/24/15)
* [अम्साल 26:24-26](rc://ur-deva/tn/help/pro/26/24)
## शब्दकोश:
* Strong's: H887, H6292, H8251, H8262, H8263, H8441, G946

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# लेपालक, गोद लेना, अपनाना
## ता’अर्रुफ़:
“गोद लेना” और “लेपालक” या'नी माँ-बाप के 'अलावह किसी के ज़रिए' किसी को क़ानूनी तौर से गोद लेने का रद्द-ए-'अमल ।
* कलाम में “लेपालक”लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'अलामती शक्ल में किया गया है जो ज़ाहिर करता है कि ख़ुदा, लोगों को अपने ख़ानदान का मिम्बर बनाता है, उन्हें अपना रूहानी बेटा -बेटी बना लेता है।
* लेपालक औलाद होने की वजह ईमानदार मसीह ईसा के साथ वारिस हो गए हैं और उन्हें ख़ुदा के बेटा -बेटी की सब ज़रूरतें हासिल होती हैं।
## तर्जुमा की सलाह:
* इस लफ़्ज़ के तर्जुमा में ऐसा लफ़्ज़ काम में लिया जाए जो माँ-बाप और औलाद के ख़ास रिश्ते को दिखाए । वाजेह " करें कि इसका 'अलामती या रूहानी मतलब साबित हो।
* “लेपालक बेटों का तजुर्बा ” इसका तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा के ज़रिए' बेटा होने के लिए गोद ले लेना” या “ख़ुदा की (रूहानी )औलाद होना”।
* "बेटों को गोद लेने का इन्तिज़ार करें" इसका तर्जुमा हो सकता है, "ख़ुदा के बच्चे बनने के लिए तैयार हैं " या "उम्मीद में ख़ुदा के लिए इन्तिज़ार करे बच्चों की शक्ल में हासिल करने के लिए"
* जुमला "उन्हें अपनाने" के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है "उन्हें अपने बच्चों की शक्ल में हासिल करें" या "उन्हें ख़ुद (रूहानी ) बच्चों को बनाते हैं।"
(यह भी देखें: [वारिस](../other/heir.md), [हाकिम होना](../kt/inherit.md), [रूह ](../kt/spirit.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [इफिसियों 01:5-6](rc://ur-deva/tn/help/eph/01/05)
* [गलातियों 04:3-5](rc://ur-deva/tn/help/gal/04/03)
* [रोमियो 08:14-15](rc://ur-deva/tn/help/rom/08/14)
* [रोमियो 08:23-25](rc://ur-deva/tn/help/rom/08/23)
* [रोमियो 09:3-5](rc://ur-deva/tn/help/rom/09/03)
## शब्दकोश:
* Strong's: G5206

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# हरामकारी ,हरामकार बदकार, हराम्कारियाँ ,हराम्कारियों ,हरामकारनी
## ता'अर्रुफ़:
"हरामकार" ,यहाँ तक कि शादी शुदा आदमी के ज़रिये शादी की हदों से बाहर जिस्मानी रिश्ता बनाने का गुनाह दोनों ही हरामकारी के मुजरिम हैं हरामकारी ,ऐसा सुलूक या ऐसा गुनाह करने वाला आदमी
* "हरामकारी" क्या हैं, हाराम्कारी करने वाले आदमी के बारे में
* ज़ानी, हरामकारी करने वाली औरत के बारे में
* हरामकारी -शौहर-बीवी के ज़रिए शादी में किए गए वादों को तोड़ना है
* ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हरामकारी नहीं करने का हुक्म दिया
* "हरामकारों" ,नए तौर से इस्राईल के लिए काम में लिया गया है जब वह ख़ुदावन्द के ख़ुदा परस्त नहीं होते थे ख़ास करके जब वह झूठे ख़ुदा की इबादत करते थे
## तर्जुमा की सलाह:
* अगर मुश्किल ज़बान में "हरामकारी" का तर्जुमा है तो इसका तर्जुमा एक ही तरह से किया जा सकता है , किसी और की बीवी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना , या "किसी और के रफीक़-ए-हयात के साथ नाजायज़ रिश्ता बनाना"
* कुछ ज़बानों में "हरामकारी" को साफ़ तौरसे इबयान नहीं किया जाता है जैसे , किसी और के रफीक़-ए-हयात के साथ सोना , या [अपनी बीवी से दग़ाबाज़ी करना](rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-euphemism) (देखें)
* जब '' हरामकारी '' का इस्तेमाल किसी मुनासिब मतलब में किया जाता है, तो धोकेबाज़ शौहर /बीवी के साथ तुलना की जा रही उनके हुक्म न मानने वाले लोगों के बारे में ख़ुदावन्द के ख़्यालों के बारे में बयान करने के लिए, यह सबसे अच्छा तर्जुमा करना है अगर यह सही ज़बान में सही ढंग से नहीं बयान किया जाए, तो "हरामकारी" का मुनासिब इस्तेमाल "धोकेबाज़ी" या "बुराई" या "दगाबाज़ शौहर की तरह" के शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखे: \ [अहद](../other/commit.md), \[वादा](../kt/covenant.md), \[हरामकारी](../other/fornication.md), \ [के साथ सोना](../other/sex.md), \ [इमानदार](../kt/faithful.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [ज़बूर 20:12-14](rc://ur-deva/tn/help/exo/20/12)
* [होशे’अ 0 4:1-2](rc://ur-deva/tn/help/hos/04/01)
* [लूका 16:18](rc://ur-deva/tn/help/luk/16/18)
* [मत्ती 05:27-28](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/27)
* [मत्ती 12:38-40](rc://ur-deva/tn/help/mat/12/38)
* [मुक़ाश्फा 02:22-23](rc://ur-deva/tn/help/rev/02/22)
## कलाम की कहानियों से मिसाल:
* __[13:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/06)__ "तू हरामकारी न करना।
* __[28:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/28/02) ज़िनाकारी मत करना
* __[34;07](rc://ur-deva/tn/help/obs/34/07) मज़हबी रहनुमाओं ने अपने दिल में इस तरह दुआ की , ऐ खुदावन्द मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि मैं दूसरे आदमी की तरह अंधेर करने वाला ना इंसाफ़ी और __हरामकारी__ नहीं और न इस महसूल लेने वाले की तरह हूँ
## शब्दकोश:
* Strong's: H5003, H5004, G3428, G3429, G3430, G3431, G3432

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# बड़ी क़ुदरत
## सच्चाई:
बहुत बड़ी क़ुदरत वाला,का हक़ीक़ी मतलब है ,सबसे ज़्यादा ताक़त वाला , कलाम में यह लफ्ज़ ख़ुदावन्द के लिए काम में लिया जाता है ,
* बहुत बड़ी क़ुदरत वाला,या बड़ी ताक़त वाला ,लफ्ज़ ख़ुदावन्द के बारे में है और ज़ाहिर करते हैं कि उसे सब पर पूरा इख्तियार आय=और ताक़त हासिल है
* इस लफ्ज़ के ज़रिए ख़ुदावन्द को 'उहदे वाले नाम दिए गए हैं बहुत बड़ी क़ुदरत वालाख़ुदावन्द , या , बड़ी ताक़त वाला ख़ुदा , या बहुत बड़ी क़ुदरत वालाख़ुदा ख़ुदावन्द
## तर्जुमा की सलाह
* इस लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता , बड़ी ताक़त वाला , या बड़ी क़ुदरत वाला , या, ख़ुदावन्द जो बहुत बड़ी क़ुदरत वाला
* बहुत बड़ी क़ुदरत वालाख़ुदा ख़ुदावन्द , का तर्जुमा हो सकता है , ताक़तवर हाकिम ख़ुदावन्द , या , बहुत बड़ी क़ुदरत वाला इख्तियार जताने वाला ख़ुदावन्द या ताक़तवर ख़ुदा जो एक बहुत बड़ा मालिक है,
(तर्जुमा की सलाह: [नामों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-names)
(यह भी देखें: [ख़ुदावन्द](../kt/god.md), [ख़ुदा](../kt/lord.md), [ताक़तवर](../kt/power.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [ख़ुरूज 06:2-5](rc://ur-deva/tn/help/exo/06/02)
* [पैदाइश 17:1-2](rc://ur-deva/tn/help/gen/17/01)
* [पैदाइश 35:11-13](rc://ur-deva/tn/help/gen/35/11)
* [अय्यूब 08:1-3](rc://ur-deva/tn/help/job/08/01)
* [गिनती 24:15-16](rc://ur-deva/tn/help/num/24/15)
* [मुक़ाश्फा 01:7-8](rc://ur-deva/tn/help/rev/01/07)
* [रूत 01:19-21](rc://ur-deva/tn/help/rut/01/19)
## शब्दकोश:
* Strong's: H7706, G3841

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# , क़ुर्बानगाहें, क़ुर्बानगाह
## ता’अर्रुफ़:
क़ुर्बानगाहएक पत्थर की तरह ऊँचा मक़ाम होता था जिस पर इस्राईली ख़ुदावन्द के लिए जले हुए जानवर या अनाज जला करके क़ुर्बान करते थे‏ ,
किताब-ए-मुक़द्दस के वक़्त में मिट्टी या बड़े-बड़े पत्थरों को एक साथ रखकर टीला सा बनाया जाता था।
* कुछ ख़ास क़ुर्बानगाहें लकड़ी के बक्से जैसी बनाई जाती थी जिन पर सोना, पीतल या कांसा चढ़ाया जाता था।
* इस्राईल के पड़ोस की क़ौमें भी अपने मा'बूदों के लिए क़ुर्बानगाहें बनाती थी।
(यह भी देखें: \ [खुश्बू जलाने की क़ुर्बानगाह](../other/altarofincense.md) [झूठे मा'बूद](../kt/falsegod.md) [अनाज की क़ुर्बानी](../other/grainoffering.md) [क़ुर्बान](../other/sacrifice.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 08:20-22](rc://ur-deva/tn/help/gen/08/20)
* [पैदाइश 22:9-10](rc://ur-deva/tn/help/gen/22/09)
* [या'कूब 02:21-24](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/21)
* [लूका 11:49-51](rc://ur-deva/tn/help/luk/11/49)
* [मत्ती 05:23-24](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/23)
* [मत्ती 23:18-19](rc://ur-deva/tn/help/mat/23/18)
## कलाम की कहानियों से मिसाल:
* __[03:14](rc://ur-deva/tn/help/obs/03/14)__ उसने एक __क़ुर्बानगाह__ बनाई, जिसे क़ुर्बानी के लिये इस्तेमाल किया जा सके और सभी तरह के जानवरों को क़ुर्बान किया।
* __[05:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/05/08)__ जब वह क़ुर्बानी की जगह पर पहुंच गए, तो इब्राहीम ने अपने बेटे इस्हाक़ को बांध दिया और उसे __क़ुर्बानगाह__ पर रख दिया।
* __[13:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/09)__ एक इमाम ने जानवर को मारकर उसे __क़ुर्बानगाह__ पर जला दिया
* __[16:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/16/06)__ उसने(गिदोन) एक नई क़ुर्बानगाह बनाई जो ख़ुदावन्द यहोवा के लिए बनाई वह पहले मा'बूदों के बुतों की __क़ुर्बानगाह__ के पास पेश किया जाता था और उसमें मा'बूदों को क़ुर्बानी दी जाती थी ।
## शब्दकोश:
* Strong's: H741, H2025, H4056, H4196, G1041, G2379

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# आमीन, सच में
## ता’अर्रुफ़:
“आमीन” लफ़्ज़ किसी की बात पर ज़ोर देना या तवज्जह करना ज़ाहिर करता है। इसका इस्तेमाल हमेशा दु'आ के आख़िर में होता है। कभी-कभी इसका तर्जुमा “सच में” किया जाता है।
* दु'आ के आख़िर में “आमीन” लफ़्ज़ दु'आ के साथ इत्तिफ़ाक़ या दु'आ पूरी होने की मर्ज़ी ज़ाहिर करता है।
* अपनी ता'लीमों में ईसा ने “आमीन” लफ़्ज़ के इस्तेमाल के ज़रिए' अपनी बात की सच्चाई पर ताक़त दी थी । इस लफ़्ज़ के बाद उसने हमेशा कहा, “और मैं तुमसे कहता हूं” कि वह पहले की बात से मुता'अल्लिक़ एक और बात कहे।
* जब ईसा “आमीन” लफ़्ज़ का इस्तेमाल इस पतरह करता है तो कुछ अंग्रेजी कलाम (यू. एल. बी. भी) इसका तर्जुमा “सच में” या “सच कहता हूं” करती हैं।
* एक और लफ़्ज़ “सच-सच” का तर्जुमा “यक़ीनन” या “वाक़ई , हक़ीक़त” किया जा सकता है।
तर्जुमा की सलाह
* देखें कि कोई और ज़बान में से कोई ख़ास लफ़्ज़ या कोई जुमला है जो किसी कही गई बात पर ज़ोर देने के काम में ली जाती है।
* दु'आ के आख़िर में या किसी बात के इत्तिफ़ाक़ में, “आमीन” तर्जुमा किया जा सकता है, “ऐसा ही हो”, या “ऐसा होने दे”, या “यह सच है”।
* जब ईसा कहता है, “ मैं तुमसे सच सच कहता हूं” तो इसका तर्जुमा हो सकता है, “हां, मैं सच कहता हूं” या “यह सच है और मैं कहता हूं”।
“मैं तुमसे सच-सच कहता हूं” का तर्जुमा हो सकता है, “मैं तुमसे सच्ची बात कहता हूं” या “मैं सच्चे ख़याल से तुमसे कहता हूं” या “मैं जो तुमसे कहता हूं वह सच है”
(यह भी देखें:[पूरा करना](../kt/fulfill.md), [सच](../kt/true.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [अम्साल 27:15](rc://ur-deva/tn/help/deu/27/15)
* [यूहन्ना 05:19-20](rc://ur-deva/tn/help/jhn/05/19)
* [यहूदा 01:24-25](rc://ur-deva/tn/help/jud/01/24)
* [मत्ती 26:33-35](rc://ur-deva/tn/help/mat/26/33)
* [फिलेमोन 01:23-25](rc://ur-deva/tn/help/phm/01/23)
* [मुक़ाश्फा 22:20-21](rc://ur-deva/tn/help/rev/22/20)
## शब्दकोश:
* Strong's: H543, G281

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# फ़रिश्ता, फ़रिशतों,ख़ास ,फ़रिश्ते
## ता'अर्रुफ़:
फ़रिश्ते ख़ुदा के ज़रिए' बनाई गई एक ताक़तवर रूहानी क़ौम है। फ़रिश्ते ख़ुदा की ख़िदमत के लिए है, वह उसका हर एक हुक्म मानते हैं। “ हाकिम फ़रिश्ता” या'नी सब फ़रिश्तों पर हुकूमत या रहनुमाई करनेवाला।
* "फ़रिश्ते" का हक़ीक़ी मतलब क़ासिद है ""।
* " हाकिम फ़रिश्ता" का मतलब है, "ख़ास क़ासिद " कलाम में जिस " हाकिम फ़रिश्ता" का ज़िक्र किया गया है, वह मीकाईल है।
* कलाम में फ़रिशतों ने इन्सानों को ख़ुदा की ख़बर सुनाई है। इन ख़बरों में हुक्म थे कि ख़ुदा इंसानों से क्या करवाना चाहता था।
* फ़रिश्तों ने इन्सानों को मुस्तक़बिल के हादसाओं की जानकारी भी दी थी या पहले के हादसों की जानकारी दी थी।
* फ़रिशतों के पास ख़ुदा का इख्तियार होता था, क्यूँकि वह उसके नुमाइन्दे थे। कलाम में कभी-कभी वह ऐसे बोलते थे जैसे ख़ुदा ख़ुद ही कह रहा हो।
इन ख़बरों में हुक्म थे कि ख़ुदा इन्सानों से क्या करवाना चाहता था।
* फ़रिशतों ने इन्सानों को मुस्तक़बिल की की जानकारी भी दी थी या पहले के हादसों की जानकारी दी थी।1) “फ़रिश्ते जो यहोवा के नुमाइन्दे है” या “यहोवा की ख़िदमत करने वाला ” 2) इसके बारे में ख़ुद यहोवा हो सकता है, जो इन्सानों से बात करते वक़्त फ़रिश्ते सा दिखाई देता है। * फ़रिशते की ख़ुदा की ख़िदमत के कई शक्लें थीं, इन्सानों की हिफ़ाज़त करना और उन्हें क़ुव्वत अता करना।
## तर्जुमा की सलाह:
* “फ़रिश्ते” के तर्जुमा कई तरह कर सकते हैं, “ख़ुदा का क़ासिद” या “ख़ुदा का आसमानी ख़बर देने वाला ” या “ख़ुदा का क़ासिद "रूह ”।
* “हाकिम फ़रिश्ता” का तर्जुमा “ख़ास फ़रिश्ते” या “ख़ास हाकिम फ़रिश्ता” या “फ़रिश्तों का रहनुमा ”।
* तवज्जोह दें कि इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा क़ौमी ज़बान या और मक़ामी ज़बान में कैसे किया गया है।
* “यहोवा का फ़रिश्ता” का तर्जुमा “यहोवा” और “फ़रिश्ते” के तर्जुमा सक्लों के ज़रिए' किया जाए। इससे उस जुमलें के अलग मतलब तर्जुमा में ज़ाहिर होगा। मुनासिब तर्जुमा हो सकते है, “यहोवा का फ़रिश्ता” या “यहोवा के ज़रिए' भेजा गया फ़रिशता” या “यहोवा, जो फ़रिश्ता सा दिखाई देता है।”
(यह भी देखें: [नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें: [हाकिम](../other/chief.md), [सिर](../other/head.md), [फ़रिश्ते](../other/messenger.md), [मीकाएल](../names/michael.md), [हाकिम](../other/ruler.md), [खादिम ](../other/servant.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [2 शमूएल 24:15-16](rc://ur-deva/tn/help/2sa/24/15)
* [रसूलों के 'आमाल 10:3-6](rc://ur-deva/tn/help/act/10/03)
* [रसूलों के 'आमाल 12:22-23](rc://ur-deva/tn/help/act/12/22)
* [कुलुस्सियों 02:18-19](rc://ur-deva/tn/help/col/02/18)
* [पैदाइश 48:14-16](rc://ur-deva/tn/help/gen/48/14)
* [लूका 02:13-14](rc://ur-deva/tn/help/luk/02/13)
* [मरकुस 08:38](rc://ur-deva/tn/help/mrk/08/38)
* [मत्ती 13:49-50](rc://ur-deva/tn/help/mat/13/49)
* [मुक़ास्फा 01:19-20](rc://ur-deva/tn/help/rev/01/19)
* [जकरियाह 01:7-9](rc://ur-deva/tn/help/zec/01/07)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[02:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/02/12)__ ख़ुदा ज़िन्दगी के दरख्त का फल खाने से किसी को रोकने के लिये बाग़ के दरवाज़े पर ताक़तवर __फ़रिशतों__ को रखा।
* __[22:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/22/03)_फ़रिश्ते ने जकरियाह से कहा, "मैं ख़ुदा के ज़रिए' तुझे यह ख़ुशख़बरी सुनाने को भेजा गया हूँ।"
* __[23:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/23/06)__ अचानक, एक चमकता __फ़रिश्ता__ उन्हें दिखाई दिया , और वह बहुत डर गए। तब __फ़रिश्ते__ ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्यूँकि देखो, मैं तुम्हें बड़ी ख़ुशी की ख़ुशख़बरी सुनाता हूँ” तब __फ़रिश्ते__ ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्यूँकि देखो, मैं तुम्हें बड़े ख़ुशी की ख़ुशख़बरी सुनाता हूँ
* __[23:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/23/07)__ तब एका एक __फ़रिशतों__ का झुण्ड ख़ुदा की बड़ाई करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया,
* __[25:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/25/08)__ तब __फ़रिश्ते__ आए और ईसा की ख़िदमत करने लगे।
* __[38:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/12)__ ईसा बहुत परेशान था और उसका पसीना खून की बूँदो की तरह था। ख़ुदा ने अपना एक __फ़रिश्ता__ भेजा उसे क़ूव्वत देने के लिए।
* __[38:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/15)__ " क्या तू नहीं जनता कि मैं अपने बाप से मिन्नत कर सकता हूँ, और वह __फ़रिश्तों __ की पलटन अभी मेरे पास भेज देगा।"
## शब्दकोश:
* Strong's: H47, H430, H4397, H4398, H8136, G32, G743, G2465

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# मसह करना, मसह किया हुआ , मसह
## ता’अर्रुफ़:
“मसह करना” लफ्ज़ का मतलब है, किसी आदमी या चीज़ पर तेल उण्डेलना। कभी-कभी तेल में मसाले मिलाए जाते थे कि उसमें से ख़ुशबू हो। यह लफ्ज़ पाक रूह के लिए ख़ास तौर से भी काम में लिया गया है जब वह किसी को चुनकर क़ूव्वत 'अता करता है।
पुराने 'अहद नामे में काहिनों, बादशाहों और नबियों को तेल से मसह किया जाता था कि उन्हें ख़ुदा के लिए एक ख़ास ख़िदमत के लिए अलग किया जाए।
* क़ुर्बानगाह और ख़ेम-ए-इन्तिमा' का भी तेल से मसह किया जाता था ताकि ज़ाहिर हो कि वे ख़ुदा की ता'रीफ़ और इबादत के काम लेने के लिए थी।
* नये अहद नामे में बीमारों की शिफ़ा के लिए तेल से मसह किया जाता था।
* नये अहद नामे में दो बार किसी औरत ने 'इबादत के लिए ईसा का ख़ुशबूदार तेल से मसह किया था। एक बार ईसा ने कहा कि ऐसा करके वह 'औरत उसे मुस्तक़बिल में दफ़नाने के लिए तैयार कर रही है।
* ईसा की मौत के बा'द उसके साथियों ने उसकी लाश को दफन के लिए तेल और ख़ुशबूदार तेल से मसह करके तैयार किया था।
* “मसीह” (इब्रानी ज़बान) और “ख्रीस्त” (यूनानी ज़बान) का मतलब है, “मसह (एक)”।
* मसीह ईसा एक ऐसा आदमी था जिसे चुना गया था और नबी, सरदार काहिन और बादशाह की तरह उसका मसह किया गया था।
## तर्जुमा की सलाह :
* जुमलों के मुताबिक़ “मसह ” का तर्जुमा “ऊपर तेल डालना” या “तेल डालना” या “ख़ुशबूदार तेल डालकर मसह करना” हो सकता है।
* “मसह होना” का तर्जुमा “तेल से मसह होना” या “मुक़र्रर होना” या “मसह किया होना” किया जा सकता है।
* कुछ जुमलों में “मसह ” का तर्जुमा “चुना” हो सकता है।
* “मसह किया हुआ काहिन” का तर्जुमा “काहिन जिसका मसह तेल से किया गया है” या “काहिन जो तेल डाल कर अलग किया गया” हो सकता है।
(यह भी देखें: [मसीह](../kt/christ.md), [मसह करना](../kt/consecrate.md), [सरदार काहिन ](../kt/highpriest.md), [यहूदियों का बादशाह](../kt/kingofthejews.md), [काहिन](../kt/priest.md), [नबी](../kt/prophet.md) )
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 यूहन्ना 02:20-21](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/20)
* [1 यूहन्ना 02:27-29](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/27)
* [1 शमूएल 16:2-3](rc://ur-deva/tn/help/1sa/16/02)
* [रसूलों के 'आमाल. 04:27-28](rc://ur-deva/tn/help/act/04/27)
* [आमोस 06:5-6](rc://ur-deva/tn/help/amo/06/05)
* [ख़ुरूज 29:5-7](rc://ur-deva/tn/help/exo/29/05)
* [या'क़ूब 05:13-15](rc://ur-deva/tn/help/jas/05/13)
## शब्दकोश:
* Strong's: H47, H430, H1101, H1878, H3323, H4397, H4398, H4473, H4886, H4888, H4899, H5480, H8136, G32, G218, G743, G1472, G2025, G3462, G5545, G5548

31
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@ -0,0 +1,31 @@
# मसीह का मुख़ालिफ़, मसीह के मुख़ालिफ़
## ता’अर्रुफ़:
“मसीह का मुख़ालिफ़” लफ्ज़ के बारे में उस इन्सान या ता'लीम से है जो मसीह ईसा और उसके काम के ख़िलाफ़ है। दुनिया में बहुत मसीह के मुख़ालिफ़ हैं।
* रसूल यूहन्ना लिखता है कि अगर कोई यह ता'लीम देकर इन्सानों को रास्ते से गुमराह करे कि 'ईसा मसीह नहीं है या इन्कार करे कि ईसा ख़ुदा नहीं और इन्सान भी नहीं है , तो वह मसीह का मुख़ालिफ़ है।
* कलाम की ता'लीम के मुताबिक़ दुनिया में मसीह के मुख़ालिफ़ की रूह है जो ईसा के काम की मुख़ालिफ़त करती है।
* नये ‘अहद नामे की किताब मुक़ाश्फा में लिखा हे कि एक आदमी “मसीह का मुख़ालिफ़” होगा जो आख़िरी वक़्त में ज़ाहिर होगा। वह ख़ुदा के लोगों को हलाक करने की कोशिश करेगा लेकिन वह ईसा के ज़रिए' शिकस्त किया जाएगा।
## तर्जुमा की सलाह:
* इस लफ्ज़ के तर्जुमे हो सकते हैं, ऐसे लफ्ज़ या जुमले हो सकते हैं जिनका मतलब हो, “मसीह का मुख़ालिफ़” या “मसीह का दुश्मन” या “मसीह की ख़िलाफ़त करनेवाला आदमी ”
“मसीह के मुख़ालिफ़ की रूह ” का तर्जुमा हो सकता है, “रूह जो मसीह के ख़िलाफ़ है”।या “(कोई) मसीह के बारे झूठी ता'लीम देता है” या “मसीह के बारे में झूठी ता'लीम पर यक़ीन करने का रवैया” या “बुरी रूह जो मसीह के बारे में झूठी ता'लीम देती है।”
* इस बात का भी रवज्जोह रखें कि इस लफ्ज़ का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कलाम के तर्जुमें में कैसा है। (देखें: [नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें: [मसीह](../kt/christ.md), [ज़ाहिर करना](../kt/reveal.md), [मुसीबत ](../other/tribulation.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 यूहन्ना 02:18-19](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/18)
* [1 यूहन्ना 04:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1jn/04/01)
* [2 यूहन्ना 01:7-8](rc://ur-deva/tn/help/2jn/01/07)
## शब्दकोश:
* Strong's: G500

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@ -0,0 +1,36 @@
# रसूल, रसूलों, रिसालत
## ता’अर्रुफ़:
“रसूलों”, ईसा के ज़रिए' भेजे गए आदमी जो ख़ुदा और उसकी बादशाही के नबी थे। “रसूलियत” या'नी रसूल होने के लिए चुने गए आदमियों का 'उहदा और इख्तियार ।
* “रसूल” लफ़्ज़ का मतलब है, “ख़ास मक़सद के लिए भेजा गया आदमी ”। रसूल के पास वही इख्तियार होता है जो भेजनेवाले के पास है।
* ईसा के वह बारह ख़ास शागिर्द पहले रसूल थे। दूसरे आदमी, जैसे कि पौलुस और या'क़ूब भी रसूल हुए थे।
* ख़ुदा के क़ूव्वत से रसूल बेख़ौफ़ होकर ख़ुशख़बरी सुनाने के लायक़ हुए थे और वह बीमारों को चंगा करते थे और बदरूहों को भी निकालते थे।
## तर्जुमा की सलाह:
* “रसूल” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमलों के ज़रिए' भी किया जा सकता है जिसका मा'ना “भेजा गया आदमी” या “भेजा गया” या “लोगों को ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने के लिए बुलाया गया और भेजा गया आदमी ”।
* “रसूल” और “शागिर्द” लफ़्ज़ों का तर्जुमा मुखतलिफ़ लफ़्ज़ो में किया जाना ज़रूरी है।
इस बात का भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान के कलाम तर्जुमा में कैसा है। (देखें: [नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें: [इख्तियार](../kt/authority.md), [चेले](../kt/disciple.md), [या'क़ूब (जब्दी का बेटा)](../names/jamessonofzebedee.md), [पौलुस](../names/paul.md), [बारह](../kt/thetwelve.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [यहूदा 01:17-19](rc://ur-deva/tn/help/jud/01/17)
* [लूका 09:12-14](rc://ur-deva/tn/help/luk/09/12)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :
* __[26:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/26/10)__ फिर ईसा ने बारह लोगों को चुना, जो कि __रसूल__ कहलाए। __रसूल__ ईसा के साथ-साथ चलते थे और वह ईसा से सीखते थे।
* __[30:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/30/01)__ ईसा ने 'एलान करने के लिए और कई अलग- अलग शहरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने __शागिर्दों __ को भेजा।
* __[38:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/02)__ ईसा के __शागिर्दों__ में से एक यहूदा नाम का एक आदमी था। वह __शागिर्दों__ के माल की देखभाल करता था, वह पैसों से मुहब्बत करता था और अकसर उसमें से चुराता था।
* __[43:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/13)__ शागिर्द लगातार __रसूलों__ से ता'लीम पाने, और शाथ रखने, और रोटी तोड़ने, और दु'आ करने में मशगूल रहे।
* __[46:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/08)__ तब बरनबास ने उसे अपने साथ __रसूलों__ के पास ले जाकर उनको बताया कि दमिश्क़ में इसने कैसे ग़लत तरीक़े से ईसा के नाम से 'एलान किया।
## शब्दकोश:
* Strong's: G651, G652, G2491, G5376, G5570

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@ -0,0 +1,29 @@
# चुनना, मुक़र्रर करना, मुक़र्रर किया
## ता’अर्रुफ़:
“ठहराए” और “ मुक़र्रर किया” या'नी किसी को किसी ख़ास काम या किरदार के लिए चुनना।
* “ मुक़र्रर होना” के बारे में भी “चुना गया” कि कुछ हासिल करे जैसे “ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए ठहराया” लोग जो “ख़ुशहाल ज़िन्दगी के लिए ठहराया” या'नी वह ख़ुशहाल ज़िन्दगी के लिए चुने गए हैं।
* “ मुक़र्ररा वक़्त ” या'नी ख़ुदा का “चुना हुआ वक़्त” या “मशवरे का वक़्त ” कि कोई घटना घटे।
* “ठहराए” लफ़्ज़ का मतलब “हुक्म दिया ” या “किसी को किसी काम के लिए रखना”
## तर्जुमा की सलाह:
* नए जुमले का तर्जुमा “ठहराए” तर्जुमा के तरीक़े हो सकते हैं, “चुनना” या “सौंपना” या “क़ानूनी तौर पर चुन लेना “या“ इख्तियार देना”।
* “ मुक़र्रर किया” का तर्जुमा हो सकता है, “सौंपा” या “योजना बनाई” या “ख़ास तरीक़े से चुना”।
* “ मुक़र्रर किया गया” का तर्जुमा “चुना गया” हो सकता है।
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 08:10-12](rc://ur-deva/tn/help/1sa/08/10)
* [रसूलों के 'आमाल 03:19-20](rc://ur-deva/tn/help/act/03/19)
* [रसूलों के 'आमाल 06:2-4](rc://ur-deva/tn/help/act/06/02)
* [रसूलों के 'आमाल 13:48-49](rc://ur-deva/tn/help/act/13/48)
* [पैदाइश 41: 33-34](rc://ur-deva/tn/help/gen/41/33)
* [गिनती 03:9-10](rc://ur-deva/tn/help/num/03/09)
## शब्दकोश:
* Strong's: H561, H977, H2163, H2296, H2706, H2708, H2710, H3198, H3245, H3259, H3677, H3983, H4150, H4151, H4152, H4487, H4662, H5324, H5344, H5414, H5567, H5975, H6310, H6485, H6565, H6635, H6680, H6923, H6942, H6966, H7760, H7896, G322, G606, G1299, G1303, G1935, G2525, G2749, G4287, G4384, G4929, G5021, G5087

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@ -0,0 +1,26 @@
# जहाज़
## ता'अर्रुफ़:
“जहाज़”, लफ़्ज़ लकड़ी के चौकोर डब्बे के जैसा बताता है जिसमें कोई चीज़ रखकर महफ़ूज़ की जाती है। जहाज़ बड़ी या छोटी हो सकती है जो मुन्हसिर करता है कि वह किस काम में ली जा रही है।
* अंग्रेजी की किताब-ए-मुक़द्दस में “जहाज़” लफ़्ज़ सबसे पहले एक लकड़ी की चौकोर नाव के लिए काम में लिया गया लफ़्ज़ है जिसे नूह ने दुनिया के सैलाब से बचने के लिए बनाया था। इस जहाज़ का नीचे बराबर था और एक छत थी और दीवारें थी।
* इस लफ़्ज़ के तर्जुमा हो सकता हैं, “एक बहुत बड़ी नाव” या “बजरा” या “माल लाने वाली नाव ” या “बड़ी सन्दूक़ जैसी नाव”।
* इस बहुत बड़ी नाव के लिए जो इब्रानी लफ़्ज़ काम में लिया गया है वह लफ़्ज़ वही है जिसे मूसा की माँ ने बच्चे मूसा को नील नदी में रखने के लिए टोकरी बनाई थी। इसका तर्जुमा हमेशा टोकरी किया जाता है।
* “’अहद का सन्दूक़” में “सन्दूक़” के लिए एक अलग इब्रानी लफ़्ज़ का काम में लिया गया है। इसका तर्जुमा “डब्बा” या “सन्दूक़” या “बर्तन” किया जा सकता है।
* “सन्दूक” का तर्जुमा किया जाए तब हर एक के बारे में देखें कि उसकी लम्बाई-चौड़ाई कितनी है और वह किस काम में लिया गया है, यह ज़्यादा ज़रूरी है।
(यह भी देखें: [‘अहद का सन्दूक़](../kt/arkofthecovenant.md), [टोकरी](../other/basket.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 पतरस 03:18-20](rc://ur-deva/tn/help/1pe/03/18)
* [ख़ुरूज 16:33-36](rc://ur-deva/tn/help/exo/16/33)
* [ ख़ुरूज 30:5-6](rc://ur-deva/tn/help/exo/30/05)
* \ पैदाइश08:4-5](rc://ur-deva/tn/help/gen/08/04)
* [लूका 17:25-27](rc://ur-deva/tn/help/luk/17/25)
* [मत्ती 24:37-39](rc://ur-deva/tn/help/mat/24/37)
## शब्दकोश:
* Strong's: H727, H8392, G2787

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@ -0,0 +1,30 @@
# ‘अहद का सन्दूक़, यहोवा का सन्दूक़
## ता'अर्रुफ़:
यह लफ़्ज़ एक ख़ास लकड़ी के सन्दूक़ के लिए है, जिस पर सोने की चादर चढ़ाई हुई थी। उसमें दस हुक्मों की पत्थर की दो तख्तियाँ थी। उसमें हारून की लाठी और मन्ना का मर्तबान भी था।
* सन्दूक़ का तर्जुमा “बक्सा”, "पेटी" और "तिजोरी" भी किया जा सकता है।
इस सन्दूक़ में रखी चीज़ें इस्राईल को ख़ुदा के' 'अहद को याद कराती थी।
* 'अहद का सन्दूक़ "बहुत मुक़द्दस जगह" में रखा हुआ था।
* मिलाप वाले ख़ेमे में ख़ुदा की मौजूदगी बहुत मुक़द्दस जगह में 'अहद के सन्दूक़ के ऊपर थी। वहाँ वह इस्राईलियों के लिए मूसा से बातें करता था।
* जिस वक़्त 'अहद का सन्दूक़ हैकल की मुक़द्दस जगह में था, उस वक़्त सिर्फ़ बड़ा हाकिम ही उस सन्दूक़ के क़रीब जा सकता था और वह भी साल में एक बार तौबा कफ़्फ़ारे के दिन पर।
* कई अंग्रजी तर्जुमों में “'अहद के हुक्मों” का तर्जुमा लफ़्ज़ “गवाही (गवाही)” किया गया है। यह इस हक़ीक़त के बारे में बताता है कि दस हुक्म लोगों के साथ ख़ुदा के 'अहद का सुबूत या गवाह हैं। इसका तर्जुमा “ 'अहद का क़ानून” भी किया गया है।
(यह भी देखें: [सन्दूक़](../kt/ark.md), [अहद](../kt/covenant.md), [तौबा](../kt/atonement.md), [मुक़द्दस जगह](../kt/holyplace.md), [गवाही, गवाह](../kt/testimony.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 06:14-15](rc://ur-deva/tn/help/1sa/06/14)
* [ख़ुरूज 25:10-11](rc://ur-deva/tn/help/exo/25/10)
* [इब्रानियों 09:3-5](rc://ur-deva/tn/help/heb/09/03)
* [क़ुजात 20:27-28](rc://ur-deva/tn/help/jdg/20/27)
* [गिनती 07:89](rc://ur-deva/tn/help/num/07/89)
* [मुक़ाश्फा 11:19](rc://ur-deva/tn/help/rev/11/19)
## शब्दकोश:
* Strong's: H727, H1285, H3068

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@ -0,0 +1,30 @@
# कफ़्फ़ारा, तौबा करना, तौबा किया जाए, तौबा किया
## ता’अर्रुफ़:
“तौब करना” और “कफ़्फ़ारा” के ख़ुदा के ज़रिए' लोगों के गुनाहों की क़ुर्बानी का इन्तिज़ाम और गुनाहों के लिए उसके ग़ुस्से को ख़ामोश करने से है।
* पुराने 'अहद नामे के ज़माने में ख़ुदा ने इस्राईल के लिए फ़ौरी तौर पर इन्तिज़ाम किया था कि उनके गुनाहों की तौबा ख़ून की क़ुर्बानी चढ़ाने से की जाए जिसमें जानवर की क़ुर्बानी की जाटी थी ।
* जैसा नये 'अहद नामे में लिखा है, सलीब पर मसीह की मौत ही गुनाह का सिर्फ़ एक सच्ची और हमेशा की तौबा है।
* ईसा ने मरकर लोगों के गुनाहों की सज़ा को उठा लिया था। उसने अपने गुनाहों की क़ुर्बानीको मौत के ज़रिए' कफ़्फ़ारे की क़ीमत को चुका दिया है।
## तर्जुमा की सलाह:
* “तौबा करना” का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए' किया जा सकता है जिसका मतलब “क़ीमत चुकाना” या “के लिए क़ीमत देना” या “किसी केगुनाहों की मु'आफ़ी करवाना” या “जुल्म से तौबा करना”।
* “कफ़्फ़ारा” के तर्जुमे हो सकते हैं, “क़ीमत अदा करना ” या “गुनाहों की क़ीमत चुकाने की क़ुर्बानी” या “मु'आफ़ी का रास्ता हासिल करवाना”।
* वाज़ेह करें कि इस लफ़्ज़ के तर्जुमे मे पैसों की कोई 'अलामत बयान न हो।
(यह भी देखें: [कफ़्फ़ारे के ढकने](../kt/atonementlid.md), [मु’आफ़ी ](../kt/forgive.md), [तौबा ](../kt/propitiation.md), [मेल-मिलाप](../kt/reconcile.md), [छुटकारा दिलाना](../kt/redeem.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [हिज़कीएल 43:25-27](rc://ur-deva/tn/help/ezk/43/25)
* [ हिज़कीएल 45:18-20](rc://ur-deva/tn/help/ezk/45/18)
* [अह्बार 04:20-21](rc://ur-deva/tn/help/lev/04/20)
* [गिनती 05:8-10](rc://ur-deva/tn/help/num/05/08)
* [गिनती 28:19-22](rc://ur-deva/tn/help/num/28/19)
## शब्दकोश:
* Strong's: H3722, H3725, G2643

30
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@ -0,0 +1,30 @@
# कफ़्फ़ारे का ढकना
## ता'अर्रुफ़:
“तौबा का ढकना” 'अहद के सन्दूक़ को ढंकने के लिए सोने का तख़्त था। कई अंग्रेजी तर्जुमों में इसे “तौबा का ढकना” भी कहा गया है।
* तौबा का ढकना 115 सेन्टी-मीटर लम्बा और 70 सेन्टी-मीटर चौड़ा था।
* तौबा के ढकने के ऊपर दो सोने के दो क़रूब थे उनके पंख एक दूसरे को छूते हुए थे
* यहोवा का कहना था कि वह इस्राईलियों से मुलाक़ात करने के लिए तौबा के ढकने पर क़रूबों के फैले हुए पंखों के नीचे मौजूद होगा। सिर्फ़ सरदार काहिन को लोगों का नाज़िम होकर यहोवा के पास जाने की इजाज़त थी।
* इस मक़ाम को “रहम का तख़्त” भी कहा गया है क्यूँकि यह गुनाहगार लोगों की नजात के लिए ख़ुदा के ज़रिए' ढके होने में उसके रहम को ज़ाहिर करता है।
## तर्जुमा की सलाह:
* इस लफ़्ज़ के तर्जुमें कई तरह हो सकते हैं, “सन्दूक़ का ढकना जहां ख़ुदा नजात दिलाने का वा'दा करता है” या “वह मक़ाम जहाँ ख़ुदा सुलह करता है” या “सन्दूक़ का ढकना जहाँ ख़ुदा मु'आफ़ करके बहाल करता है”।
* इसका मतलब “तरक़्क़ी का मक़ाम ” भी हो सकता है।
* इस लफ़्ज़ की बराबरी “तौबा”, “सुलह” और “नजात” लफ़्ज़ों के तर्जुमें से करें।
(यह भी देखें: [‘अहद का सन्दूक़](../kt/arkofthecovenant.md), [तौबा](../kt/atonement.md), [क़रूबों](../other/cherubim.md), [कफ़्फ़ारा ](../kt/propitiation.md), [छुटकारा दिलाना](../kt/redeem.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [ख़ुरूज 25:15-18](rc://ur-deva/tn/help/exo/25/15)
* [ ख़ुरूज 30:5-6](rc://ur-deva/tn/help/exo/30/05)
* [ ख़ुरूज 40:17-20](rc://ur-deva/tn/help/exo/40/17)
* [अह्बारा 16:1-2](rc://ur-deva/tn/help/lev/16/01)
* [गिनती 07:89](rc://ur-deva/tn/help/num/07/89)
## शब्दकोश:
* Strong's: H3727, G2435

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@ -0,0 +1,42 @@
# इख़्तियार, हाकिमों
## ता'अर्रुफ़:
“इख़्तियार” लफ़्ज़ किसी के ज़रिए' किसी पर ज़ोर और रोकने की ताक़त को बताता है।
* बादशाहों और हुकूमती हाकिमों को हुकूमत करने वालों को लोगो पर उनका इख़्तियार होता है।
* लफ़्ज़ " हाकिमों " लोगों, सरकारों या तन्ज़ीमों को बयान कर सकते है, जिनके पास दूसरों पर इख़्तियार है।
* लफ़्ज़ " हाकिमों" उन रूहों के भी बारे में कर सकते हैं, जो उन लोगों पर इख़्तियार रखते हैं जिन्होंने ख़ुद को ख़ुदा के इख़्तियार के ताबे' नहीं किया है।
* मालिक अपने ख़ादिमों या ग़ुलामों पर इख़्तियार रखते हैं। माँ-बाप के पास अपनी औलादों पर इख़्तियार है।
* सरकारों को अपने बाशिन्दों को क़ाबू में करने वाले क़ानून बनाने का इख़्तियार या हक़ है।
## तर्जुमा कीसलाह:
“इख़्तियार” का तर्जुमा “क़ाबू” या “सही” या “क़ाबिलियत” भी हो सकता है
* कभी-कभी " इख़्तियार " का मतलब"ताक़त " के मतलब के साथ किया जाता है।
* जब "हाकिमों " का इस्ते'माल लोगों या तन्ज़ीमों के बयान करने के लिए किया जाता है, जो लोगों पर हुकूमत करते हैं, तो इसे "हाकिमों" या "हुकूमतों" या "ताक़तों" की शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है।
“अपने इख़्तियार से” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “रहनुमाई के अपने इख़्तियार से” या “अपनी क़ाबिलियतों की बुनियाद पर”
* कलाम, " इख़्तियार के ताबे’" का तर्जुमा किया जा सकता है, "फरमाबरदारी करने के लिए जिम्मेदार" या "और हुक्मों की फरमाबरदारी करना"।
(यह भी देखें: [बाशिन्दे ](../other/citizen.md), [हुक्म ](../kt/command.md), [ हुक्म की फरमाबरदारी](../other/obey.md), [ताक़त](../kt/power.md), [हुकूमत ](../other/ruler.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [कुलुस्सियों 02:10-12](rc://ur-deva/tn/help/col/02/10)
* [आस्तर 09:29](rc://ur-deva/tn/help/est/09/29)
* [पैदाइश 41: 35-36](rc://ur-deva/tn/help/gen/41/35)
* [योनाह 03: 6-7](rc://ur-deva/tn/help/jon/03/06)
* [लूक़ा 12:4-5](rc://ur-deva/tn/help/luk/12/04)
* [लूक़ा 20:1-2](rc://ur-deva/tn/help/luk/20/01)
* [मरकुस 01:21-22](rc://ur-deva/tn/help/mrk/01/21)
* [मत्ती. 08:8-10](rc://ur-deva/tn/help/mat/08/08)
* [मत्ती. 28:18-19](rc://ur-deva/tn/help/mat/28/18)
* [तीतुस 03:1-2](rc://ur-deva/tn/help/tit/03/01)
## शब्दकोश:
* Strong's: H8633, G831, G1413, G1849, G1850, G2003, G2715, G5247

47
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# बपतिस्मा देना, बपतिस्मा लिया, बपतिस्मा
## ता'अर्रुफ़:
नए 'अहद नामे में "बपतिस्मा देना " और ,"बपतिस्मा" , का मतलब ईमानदार को रूहानी तरह से पानी में नहलाना कि उसके गुनाह से छुटकारा और मसीह के साथ मुत्तफ़िक़ होना।
* पानी के "बपतिस्में के अलावह किताब-ए-मुक़द्दस ,पाक रूह बपतिस्मे" और आग के बपतिस्में" की भी बात करती है" |
* " बपतिस्मा" लफ्ज़ कलाम में बड़े दुख के तजुर्बा के लिए भी काम में लिया जाता है |
## तर्जुमा की सलाह:
* मसीही लोग पानी के बपतिस्में के बारे में अलग-अलग ख़याल रखते हैं | तो अच्छा होगा कि इसका तर्जुमा 'अवामी तौर में किया जाए जिसमें पानी के इसते'माल के मुख्तलिफ़ तरीक़े हों |
* शर्तों के मुताबिक़ "बपतिस्मा" का तर्जुमा पाकीज़गी,उण्डेलना" "डूबाना" "धोना" या रुहानी तरह " से पाक करना" , हो सकता है | मिसाल के तौर पर, पानी से तुम्हें "बपतिस्मा देने का तर्जुमा पानी" में डुबकी, हो सकता है |
* लफ्ज़ "बपतिस्मा" का तर्जुमा "पाकीज़गी" " डालना, डुबकी " सफ़ाई या, रूहानी " धुलाई, " की शक्ल में किया जा सकता है |
* जब यह दर्द ज़ाहिर करता है, तो "बपतिस्मा" का तर्जुमा ख़तरनाक तकलीफ़ का वक़्त, या " दुख से आजाद साफ़ हों" |
* यह भी ख़याल करें कि इस लफ्ज़ का तर्जमा किसी मुक़ामी या क़ौमी ज़बान में कलाम-ए-मुक़द्दस तर्जुमा में किया गया है|
( यह भी देखें: [नावाकिफ़ लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown)
(यह भी देखें: [युहन्ना बपतिस्मा देने वाला](../names/johnthebaptist.md), [तौबा करना](../kt/repent.md), [पाक रूह](../kt/holyspirit.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* {रसूलों के 'आमाल 02:37-39](rc://ur-deva/tn/help/act/02/37)
* {रसूलों के 'आमल 08:36-38](rc://ur-deva/tn/help/act/08/36)
* [रसूलों के 'आमाल 09:17-19](rc://ur-deva/tn/help/act/09/17)
* [रसूलों के 'आमाल 10:46-48](rc://ur-deva/tn/help/act/10/46)
* {लूका 03:15-16](rc://ur-deva/tn/help/luk/03/15)
* [मत्ती 03:13-15](rc://ur-deva/tn/help/mat/03/13)
* [\मत्ती 28:18-19](rc://ur-deva/tn/help/mat/28/18)
## बाइबल कहानियों से मिसाल:
* _[24:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/03)__ जब उन लोगों ने यूहन्ना का पैगाम सुना, उन्होंने अपने-अपने गुनाहों से तौबा की, और युहन्ना ने उनको __बपतिस्मा__ दिया| बहुत से मज़हबी रहनुमा युहन्ना से __बपतिस्मा__ लेने को आए, लेकिन उन्होंने न तौबा की और न ही अपने गुनाहों का इक़रार किया |
* __{24:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/06)__ अगले दिन,'ईसा युहन्ना के पास उससे __बपतिस्मा __लेने को आया
* __{24:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/07)__ यूहन्ना ने 'ईसा से कहा, मैं इस लायक़ नहीं कि तुझे __बपतिस्मा __ दूँ | मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की ज़रूरत है।”
* __[42:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/42/10)__ इसलिये तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें बाप और बेटा और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो और उन्हें सब बातें जो मैंने तुम्हें हुक्म दिया है मानना सिखाओ "
* __[43:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/11)__ पतरस ने उनको जवाब दिया, तौबा करो और तुम में से हर एक 'ईसा मसीह के नाम से__ बपतिस्मा__ ले तो ख़ुदावन्द तुम्हारे गुनाहों को मा'फ़ करेगा
* __[43:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/12)__ लगभग 3000 लोगों ने पतरस की बात पर यक़ीन किया और 'ईसा के शागिर्द बन गए| और उन्हें __बपतिस्मा__ दिया गया और वह यरुशलीम की कलीसिया का हिस्सा बन गए|
* __[45:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/45/11)__ फिलिप्पुस और कूश मुल्क का हाकिम रास्ते में चलते चलते वह किसी पानी की जगह पहुँचे| तब कूश के हाकिम ने कहा, "देख" देख यहाँ कुछ पानी है , क्या मैं __बपतिस्मा__ ले सकता हूँ|
* __[46:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/05)__ शाऊल फौरन देखने लगा, और हनन्याह ने उसे __बपतिस्मा__ दिया|
* __[49:14 ](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/14)__ 'ईसा तुम्हें उस यक़ीन करने वाले और __बपतिस्मा__ लेने के लिए बुलाता है
## शब्दकोश:
* Strong's: G907

85
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@ -0,0 +1,85 @@
# यक़ीन, यक़ीन करे, यक़ीन किया, ईमानदार, ईमान, बे-ईमान, बे-ईमानों , बे-ईमान,
## ता'अर्रुफ़:
“यक़ीन” और “ में यक़ीन करना” क़रीबी रिश्ते में हैं लेकिन इसके मा'ने में फ़र्क बहुत कम है।
## 1.ईमान
* यक़ीन करने के लिए कुछ यह कुबूल या यक़ीन है कि यह सच है |
* यक़ीन करने के लिए किसी को ये तस्लीम करना है कि क्या उस शख्स ने सच कहा है |
## 2. यक़ीन करना
* "यक़ीन रखना " किसी शख्स को " उस पर यक़ीन रखना " का मतलब है| * उस पर यक़ीन करने का मतलब है कि इन्सान वही है कि जो कहता है कि वह है, कि वह हमेशा सच बोलता है , और वह वही करेगा जो उसने करने का वा'दा किया है |
* जब कोई शख्स वाक़'ई किसी चीज़ पर यक़ीन रखता है तो वह ऐसे तरीक़े से काम करेगा जो उस 'अक़ीदे को ज़ाहिर करता है |
* उस जुमले में "ईमान लाए "'आम तौर पर उसी मा'ने में "ईमान लाए "है |
* " 'ईसा में यक़ीन रखना " का मतलब ये है कि वह ख़ुदा का बेटा है, ये कि वह ख़ुद ही ख़ुदा है जो इन्सान बन गया और हमारे गुनाहों की अदाइगी करने के लिए जो क़ुर्बानी के तौर पर मर गया | * उसका मतलब ये है कि उसे नजाते दहिन्दा के तौर पर 'ऐतमाद करना और उसी तरह से उसकी 'इज़्ज़त करना है |
किताब-ए-मुक़द्दस में "जो शख्स ईमान लाता है और 'ईसा मसीह पे नजात दहिन्दा के तौर पर अनह्सार करती है उस से मुराद है "
* लफ्ज़ी मा'ने का मतलब है " जो शख्स ईमान लाता है "
* लफ्ज़ मसीही " आख़िर कार ईमानदारों के लिए ख़ास 'अन्वान बन गया क्यूँकि यह इशारा करता है कि मसीह में ईमान रखते हैं और उनकी ता'लीमात की इता'अत करते हैं |
" बे 'ऐतक़ाद "किसी चीज़ या किसी को यक़ीन नही करता, |
* किताब-ए-मुक़द्दस में, "बे-ईमानी" 'ईसा पर 'ऐतमाद नही करता या भरोसा नही करता है कि वह एक नजात दहिन्दा है|
* एक शख्स जो 'ईसा के बारे में ईमान नही रखता , "उसे बे ईमान "कहा जाता है |
## तर्जुमा की सलाह :
* “यक़ीन करने” का तर्जुमा हो सकता है“जानना कि सच क्या है” या “अच्छा होने का 'इल्म ” किया जा सकता है।
* "यक़ीन रखने" के तौर पर " मुकम्मल तौर पर 'ऐतमाद " या " 'ऐतमाद और इता'अत " के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है या " मुकम्मल तौर पर 'अमल करें |"
* कुछ तर्जुमा शायद " 'ईसा में मोमिन " या मसीह " में ईमान लाने के लिए तरजीह देते हैं |
* यह लफ्ज़ का तर्जुमा भी किया जा सकता है जिसका मतलब है "कि जो शख्स 'ईसा पर 'एतमाद रखता है "या "जो कोई 'ईसा को जान्ता है और उसके लिए ज़िन्दा रहता है "
* तर्जुमा करने का दूसरा तरीक़ा " 'ईसा का पैरोकार "या " जो शख्स 'ईसा को जानता है और उसकी इता'अत करता है" हो सकता है |
* मसीह में किसी ईमानदार के लिए एक 'आम लफ्ज़ है, जबकि " शागिर्द और रसूल ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए इस्ते'माल किया गया है जो 'इसा को जानता था जबकि वह ज़िन्दा था | ये सबसे बहतर है कि उन शरायत को मुख्तलिफ़ तरीक़ों से तर्जुमा करें, ताकि उन्हें अलग रखने के लिए |
* "बे 'ऐतक़ाद"तर्जुमा करने के दुसरे तरीकों में " ईमान की कमी"या" ईमान नहीं लाना"शामिल हो सकता है |
"जो शख्स 'ईसा में यक़ीन नहीं करता " या"किसी ऐसे शख्स को जो नजात दहिन्दा के तौर पर 'ईसा में 'एतमाद नही है " पर तर्जुमा किया जा सकता है |
(‏यह भी देखें: \ [ ईमान ](../kt/believe.md), \ [ रसूल ](../kt/apostle.md), \ [ 'ईसाई ](../kt/christian.md), \ [ शागिर्द ](../kt/disciple.md), \ [ यक़ीन ](../kt/faith.md), \ [ 'ऐतमाद ](../kt/trust.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाईश15:6-8](rc://ur-deva/tn/help/gen/15/06)
* [पैदाईश 45:24-26](rc://ur-deva/tn/help/gen/45/24)
* [अय्यूब 09:16-18](rc://ur-deva/tn/help/job/09/16)
* [हबक्कूक़ 01:5-7](rc://ur-deva/tn/help/hab/01/05)
* [मरक़ुस 06:4-6](rc://ur-deva/tn/help/mrk/06/04)
* [मरक़ुस 01:14-15](rc://ur-deva/tn/help/mrk/01/14)
* [लुक़ा 09:41-42](rc://ur-deva/tn/help/luk/09/41)
* [युहन्ना 01:12-13](rc://ur-deva/tn/help/jhn/01/12)
* [रसूलों के 'आमाल 06:5-6](rc://ur-deva/tn/help/act/06/05)
* [रसूलों के 'आमाल 09:40-43](rc://ur-deva/tn/help/act/09/40)
* [रसूलों के 'आमाल28:23-24](rc://ur-deva/tn/help/act/28/23)
* [रोमियों 03:3-4](rc://ur-deva/tn/help/rom/03/03)
* [1 कुरिन्थियों 06:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1co/06/01)
* [1कुरिन्थियों 09:3-6](rc://ur-deva/tn/help/1co/09/03)
* [2 कुरिन्थियों 06:14-16](rc://ur-deva/tn/help/2co/06/14)
* ['इबरानियों 03:12-13](rc://ur-deva/tn/help/heb/03/12)
* [1 युहन्ना 03:23-24](rc://ur-deva/tn/help/1jn/03/23)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
* __[03:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/03/04)__ नूह ने लोगों को बाढ़ के बारे में आगाह किया, और कहा कि ख़ुदा की तरफ़ दिल फिराओ पर उन्होंने नूह पर __यक़ीन__ नहीं किया।
* __[04:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/08)__ अब्राम ने ख़ुदा के 'अहद पर __यक़ीन__ किया। ख़ुदा ने 'ऐलान किया कि अब्राम रास्तबाज़ है, क्योंकि उसने ख़ुदा के 'अहद पर __यक़ीन किया__ है।
* __[11:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/11/02)__ ख़ुदा ने कहा कि, वह इन्सान जो उस पर __यक़ीन करेंगा__ वह उसके पहिलौठे बेटे को बचाएगा।
* __[11:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/11/06)__ लेकिन मिस्रियों ने ख़ुदा पर यक़ीन नहीं किया था या उनके हुक्मों की इता'अत नहीं की थी |
* __[37:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/37/05)__'ईसा ने जवाब दिया " मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ | जो भी __ईमान__ लाएगा वह और में ज़िन्दा रहूँगा | हर कोई __यक़ीन__ रखता है मैं कभी नहीं मरूंगा | क्या आप __यक़ीन__ रखते हैं ?"
* __[43:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/01)__'ईसा मसीह के आसमान में जाने के बा'द, शागिर्द यरूशलीम में रहेंगे क्यूँकि 'ईसा ने उन्हें हुक्म दिया था | __ईमानदार__ एक साथ दु'आ करने के लिए जमा' हुए थे |
* __[43:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/03)__जब __ईमानदार__सब एक साथ थे, अचानक वह घर जहाँ वह एक मौजूद थे वह तेज़ हवा की तरह आवाज़ से भरा हुआ था फ़िर कुछ जो आग की लपट की तरह लगती थी जैसे तमाम ईमानदारों के सरों पर आया ठहरी |
* __[43:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/13)__ हर दिन ज़्यादा ___ईमानदारों__ की तादाद बढ़ती रही |
* __[46:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/06)__ उस दिन से यरुशलीम में बहुत से लोगों ने ईसा के __ईमानदारों__ को सताना शुरू' किया इसलिए ईमानदार दूसरी जगह भाग गए | लेकिन उसके बावजूद भी, उन्होंने हर जगह 'ईसा के बारे में तबलीग़ की |
* __[46:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/01)__ साऊल एक जवान आदमी था जो उन लोगों के कपड़ों की देख रेख कर रहा था, जो लोग इस्तिफुनुस को क़त्ल किया था| उसने 'ईसा पर __यक़ीन__ नहीं किया, इसलिए उन्होंने ईमानदारों को परेशान किया
_* __[46:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/09)_यरूशलीम में ज़ूल्म व सितम से भागने वाले कुछ __ईमानदार __ अन्ताकिया शहर में चले गए और 'ईसा के बारे में तबलीग़ की। यह अन्ताकिया कि 'ईसा में __ईमान लाने वालों __ को पहले "मसीही" कहा गया।
* __[47:14](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/14)__उन्होंने बातों में ईमानदार की हौसला अफज़ाई और सिखाने के लिए बहुत से ख़ुतूत भी कलीसियाओं लिखे |
## शब्दकोश:
* Strong's: H539, H540, G543, G544, G569, G570, G571, G3982, G4100, G4102, G4103, G4135

33
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@ -0,0 +1,33 @@
# महबूब
## ता'अर्रुफ़:
"महबूब " लफ्ज़ जज़्बे का इज़हार है जो किसी को ज़ाहिर करता जो किसी के अज़ीज़ और प्यारा है।
* “'महबूब” लफ्ज़ का लफ़्ज़ी मतलब है “'अज़ीज़ लोग” या “जिसे मुहब्बत की जाए”
* ख़ुदावन्द ने 'ईसा के लिए कहा कि वह उसका “'प्यारा बेटा है”
* मसीह कलीसियाओं के ख़तों में, रसूल अपने ईमानदारों को अज़ीज़ के तौर पर बताता है |
## तर्जुमें की सलाह:
इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “महबूब”, या “ 'अज़ीज़ लोग ” या “बहुत अज़ीज़” या “बहुत प्यारा”
* मज़मून में क़रीबी दोस्तों के बारे में बताने के लिए इसका तर्जुमा हो सकता है, “मेरे 'अज़ीज़ दोस्त ” या “मेरे क़रीबी दोस्त” अंग्रेज़ी ज़बान में यह कहना 'आम है, “मेरे 'अज़ीज़ दोस्त पौलुस” या “पौलुस, मेरे 'अज़ीज़ दोस्त ” और ज़बानों में यह और भी आसान है जो और भी तरीक़े से कह सकते हैं|
* गौर करें कि “'अज़ीज़ ” लफ्ज़ ख़ुदा की मुहब्बत से आता है, जो बिना शर्त है, बे ख़ुदगर्ज़ी और जिसमें क़ुर्बानी हो।
(यह भी देखें: [मुहब्बत](../kt/love.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 कुरिन्थियों 04:14-16](rc://ur-deva/tn/help/1co/04/14)
* [1 यूहन्ना 03:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1jn/03/01)
* [1 यूहन्ना 04:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1jn/04/07)
* [मरकुस 01:9-11](rc://ur-deva/tn/help/mrk/01/09)
* [मरकुस 12:6-7](rc://ur-deva/tn/help/mrk/12/06)
* [मुक़ाशिफ़ा 20:9-10](rc://ur-deva/tn/help/rev/20/09)
* [रोमियो 16:6-8](rc://ur-deva/tn/help/rom/16/06)
* [ग़ज़ल-उल-ग़ज़लात 01:12-14](rc://ur-deva/tn/help/sng/01/12)
## शब्दकोश:
* Strong's: H157, H1730, H2532, H3033, H3039, H4261, G25, G27, G5207

28
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@ -0,0 +1,28 @@
# पहिलौठे का इख्तियार
## ता'अर्रुफ़ :
“पहिलौठे का इख्तियार” कलाम में 'इज्ज़त, ख़ानदान के नाम, जिस्मानी दौलत, जो पहले बेटे को दिया जाता है।
* पहले बेटे के पहिलौठे होने के इख्त्तियार में बाप की वसीयत का दो गुना हिस्सा होता था।
* बादशाह के पहिलौठे को बाप के मौत के बा'द हुकूमत करने का इख्तियार हासिल था।
* 'ऐसौ ने अपने छोटे भाई या'क़ूब को अपना पहिलौठे का इख्तियार बेच दिया था। इस वजह से 'ऐसौ की जगह में या'क़ूब को पहिलौठे की बरकतें मिलीं।
* पहिलौठे के इख्तियार में पहिलौठे की 'इज्ज़त होती है कि ख़ानदान की सब औलादों को पहिलौठे का नाम मिले।
## तर्जुमा की सलाह :
* “पहिलौठे का इख्तियार” के मुमकिन तर्जुमें हो सकते हैं, “पहले बेटे के इख्तियार और मीरास” या “ख़ानदान 'इज्ज़त” या “पहले बेटे के ख़ुशक़िसमत और इख़्तियार”
(यह भी देखें: [पहिलौठे](../other/firstborn.md), [मीरास ](../kt/inherit.md), [नसल](../other/descendant.md))
## किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 तवारीख़ 05:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1ch/05/01)
* [पैदाईश 25:31-34](rc://ur-deva/tn/help/gen/25/31)
* [पैदईश 43:32-34](rc://ur-deva/tn/help/gen/43/32)
* ['इब्रानियों 12:14-17](rc://ur-deva/tn/help/heb/12/14)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1062, G4415

27
bible/kt/blameless.md Normal file
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@ -0,0 +1,27 @@
# बे क़ुसूर
## ता'अर्रुफ़:
“बे क़ुसूर लफ्ज़” का ज़बानी मतलब है, “बिना किसी इलज़ाम के”। यह उस आदमी के बारे में काम में लिया जाता है जो पूरे दिल से ख़ुदावन्द का हुक्म मानता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह मा'सूम हैं।
* इब्राहीम और नूह ख़ुदावन्द की नज़र में में बे 'इल्ज़ाम थे।
* जिस आदमी को "मा'सूम " माना जाता है, वह ख़ुदावन्द को 'इज्ज़त देनेवाला सुलुक रखता है।
* एक कलाम की आयत के मुताबिक़ मा'सूम आदमी “ख़ुदा का डर मानता है और गुनाह से दूर रहता है”।
## तर्जुमा की सलाह:
* इसका तर्जुमा इस तरह भी हो सकता है “जिसके किरदार में कोई कमी न हो” या "पूरी तरह से ख़ुदावन्द का फ़र्माबरदार है” या “गुनाह से दूर रहना” या “बुराई से दूर रहना है”
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 थिस्सलुनीकियों 02:10-12](rc://ur-deva/tn/help/1th/02/10)
* [1 थिस्सलुनीकियों 03:11-13](rc://ur-deva/tn/help/1th/03/11)
* [2 पतरस 03:14-16](rc://ur-deva/tn/help/2pe/03/14)
* [कुलुस्सियों 01: 21-23](rc://ur-deva/tn/help/col/01/21)
* [पैदाईश17: 1-2](rc://ur-deva/tn/help/gen/17/01)
* [फिलिप्पियों 02:14-16](rc://ur-deva/tn/help/php/02/14)
* [फिलिप्पियों03:6-7](rc://ur-deva/tn/help/php/03/06)
## शब्दकोश:
* Strong's: H5352, H5355, G273, G274, G298, G338, G410, G423

34
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@ -0,0 +1,34 @@
# कुफ़्र, कुफ़्र, ना हक़, किया कुफ़्र करना, कुफ़्र
## ता'अर्रुफ़:
कलाम में “कुफ़्र” लफ्ज़ का ऐसे तरीक़े से बोलना है जो ख़ुदा या लोगों के बारे में ग़ज़बनाक गहरी बे'इज़्ज़ती ज़ाहिर करता है। “कुफ़्र” किसी का उस इन्सान के ख़िलाफ़ बोलना जो और लोगों के ख़याल से झूठा और बुरा हो |
* ख़ुदावन्द की तौहीन करने का मतलब ज़्यादा तर यह होता था कि ख़ुदा के बारे में ग़लत बातें कह कर उसकी तौहीन करना या ख़ुदा की 'इज्ज़त को नुक्सान पहुंचाना या ऐसा ग़ैर अख्लाक़ी सुलूक करना जिससे ख़ुदावन्द की 'इज्ज़त गिरे।
* आदमी ख़ुद को ख़ुदा कहे या अपने आप को भी ख़ुदा के बराबर एक ख़ुदा कहे तो वह कुफ़्र है।
* कुछ अंग्रेजी ज़बान इसका तर्जुमा हो सकता है "बे'इज़्ज़ती" जब यह बे'इज्ज़त इन्सान के बारे में बताता है |
## तर्जुमें की सलाह:
* “कुफ़्र” का तर्जुमा किया जा सकता है, “किसी के ख़िलाफ़ बुरी बातें कहना” या “ख़ुदावन्द की तौहीन करना” या “बे'इज़्ज़त करना”
* “बुराई ” के और तर्जुमा हो सकते हैं, “किसी के ख़िलाफ़ झूठी बातें कहना” या “बे'इज़्ज़त करना” या “झूठी अफवाह उड़ाना”।
(यह भी देखें: [ बे'इज़्ज़ती ](../other/dishonor.md), [ बे'इज़्ज़ती ](../other/slander.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 तीमुथियुस 01:12-14](rc://ur-deva/tn/help/1ti/01/12)
* [रसूलों के 'आमाल . 06:10-11](rc://ur-deva/tn/help/act/06/10)
* [रसूलों के 'आमाल 26:9-11](rc://ur-deva/tn/help/act/26/09)
* [या'क़ूब 02:5-7](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/05)
* [यूहन्ना 10:32-33](rc://ur-deva/tn/help/jhn/10/32)
* [लूक़ा 12:8-10](rc://ur-deva/tn/help/luk/12/08)
* [मरकुस 14:63-65](rc://ur-deva/tn/help/mrk/14/63)
* [मत्ती 12:31-32](rc://ur-deva/tn/help/mat/12/31)
* [मत्ती 26:65-66](rc://ur-deva/tn/help/mat/26/65)
* [ज़बूर 074:9-11](rc://ur-deva/tn/help/psa/074/009)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1288, H1442, H2778, H5006, H5007, H5344, G987, G988, G989

51
bible/kt/bless.md Normal file
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@ -0,0 +1,51 @@
# बरकत, मुबारक, बरकत देना
## ता'अर्रुफ़:
किसी को “बरकत” देना या किसी शख्स या चीज़ के लिए अच्छी और फ़ायदे मन्द बात होने की तमन्ना करना।
* किसी को बरकत देने का मतलब उसके लिए सही और फ़ायदे की ख़याल ज़ाहिर करना।
* किताब-ए- मुक़द्दस के ज़माने में बाप हमेशा अपनी औलाद को ‘आम तौर पर बरकत देते थे।
* लेकिन आदमी जब ख़ुदावन्द को “मुबारक”कहता है तब इस लफ्ज़ का मतलब है, वह उसकी ता'रीफ़ कर रहे हैं।
* कभी-कभी “बरकत” लफ्ज़ खाना को खाने से पहले उसे पाक करना भी होता है या ख़ुदावन्द को खाने के लिए मुबारकबाद देना और उसकी ता'रीफ़ करना।
## तर्जुमें की सलाह:
* “बरकत” देने का तर्जुमा“ हलीमी से फ़राहम करना” या “किसी पर ज़्यादा से ज़्यादा रहम और फ़ज़ल ज़ाहिर करना” भी हो सकता है।
“ख़ुदावन्द ने बहुत बरकत दी” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा ने बहुत अच्छी चीज़ें दी” या “ख़ुदा उसे समझ फ़राहम करेगा”।
* “वह मुबारक है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “वह बहुत फ़ायदा उठाएगा” या “वह अच्छी-अच्छी चीज़ें हासिल करेगा” या “ख़ुदावन्द उसे समझ फ़राहम करेगा”।
* “मुबारक है वह आदमी जो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “कितना मुबारक है वह आदमी जो”
* इज़हार जैसे “मुबारक है ख़ुदा” का तर्जुमा“रब की ता'रीफ़ हो” या “ यहोवा की ता'रीफ़ करो” या “मैं ख़ुदा की ता'रीफ़ करता हूँ”।
* खाने को बरकत देने के बारे में इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “खाने के लिए ख़ुदा का शुक्र किया” या “खाने के लिए ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ की” या “ख़ुदा की ता'रीफ़ करके खाने को पाक किया”।
(यह भी देखें: [ ता'रीफ़ करना](../other/praise.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 कुरिन्थियों 10:14-17](rc://ur-deva/tn/help/1co/10/14)
* [ रसूलों के 'आमाल 13:32-34](rc://ur-deva/tn/help/act/13/32)
* [ इफिसियों 01:3-4](rc://ur-deva/tn/help/eph/01/03)
* [ पैदाईश 14:19-20](rc://ur-deva/tn/help/gen/14/19)
* [ यसा’याह 44: 3-4](rc://ur-deva/tn/help/isa/44/03)
* [ या’क़ूब 01:22-25](rc://ur-deva/tn/help/jas/01/22)
* [ लूक़ा 06:20-21](rc://ur-deva/tn/help/luk/06/20)
* [ मत्ती. 26:26](rc://ur-deva/tn/help/mat/26/26)
* [ नहमियाह 09:5-6](rc://ur-deva/tn/help/neh/09/05)
* [ रोमियो 04:9-10](rc://ur-deva/tn/help/rom/04/09)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
* __[01:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/07)__ ख़ुदा ने देखा कि यह अच्छा था और उसने उन्हें __बरकत दी__
* __[01:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/15)__ ख़ुदा ने अपनी शक्ल में आदम और हव्वा को बनाया। उस ने उन्हें __बरकत दी__ और उन से कहा, “कई बच्चों और पोतो को पैदा करो और ज़मीन में भर जाओ!”
* __[01:16](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/16)__ इसलिये ख़ुदा जो कुछ कर रहा था उन सब से आराम लिया। उस ने सातवें दिन को __बरकत दी__ और उसे पाक किया क्योंकि इस दिन ख़ुदा ने अपने काम से आराम लिया था।
* __[04:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/04)__ "मैं तुम्हारा नाम 'अज़ीम करूँगा। मैं __बरकत __ दूँगा उनको जो तुझे बरकत देगा, और जो तुझे ला’नत करेगा, उसे मैं ला’नत दूँगा। ज़मीन के सभी ख़ानदानों को तेरे वजह से __बरकत दी__ जाएगी। "
* __ \[04:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/07)__ मलिकसिदक ने अब्राम को __बरकत दी__ और कहा, " ख़ुद मुख्तार ख़ुदावन्द जो आसमान और ज़मीन का मालिक है अब्राम को बरकत दे।"
* __ \[07:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/07/03)__ इसहाक़ अपनी __बरकत __ 'ऐसौ को देना चाहता था।
* __ \[08:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक कि जेल में, यूसुफ़ ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहा, और ख़ुदा ने उसे __बरकत दिया__
## शब्दकोश:
* Strong's: H833, H835, H1288, H1289, H1293, G1757, G2127, G2128, G2129, G3106, G3107, G3108, G6050

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# ख़ून
## ता'अर्रुफ़:
“ख़ून” लफ्ज़ का मतलब है, आदमी के जिस्म में जब चोट लगती है तब उसमें से निकलने वाली लाल रंग का पानी जैसा होता है। ख़ून इंसानों के जिस्म में ज़िन्दगी देने वाली गिज़ा लाता है।
* ख़ून ज़िन्दगी की 'अलामत होती है और जब वह बहाया जाता है तो इसका मतलब है जान जाना या मौत।
* जब आदमी ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी पेश करते थे तब वह जानवर का ज़बह करके उसका खून क़ुर्बानगाह पर उण्डेलते थे। यह जानवर की ज़िन्दगी की क़ुर्बानी की तरफ़ से इंसानों के गुनाह की क़ीमत चुकाने का निशान था।
* सलीब पर 'ईसा की मौत कि तरफ़ से उसका ख़ून आदमी के गुनाह से आज़ादी को दिखता है और इंसानों के गुनाह की सज़ा की समझ करता है।
* “गोश्त और ख़ून” एक जुमले हैं जो आदमी को ख़बरदार करता है।
* “अपना ख़ून और गोश्त” इंसानों के ख़ून का रिश्ता दिखाता है।
## तर्जुमें की सलाह:
* इस लफ्ज़ का तर्जुमा मक़सदी ज़बान में उसी लफ्ज़ /जुमले की तरफ़ से किया जाए जो ख़ून के लिए काम में लिया जाता है।
* “गोश्त और ख़ून” का तर्जुमा किया जा सकता है, “आदमी” या “इंसानी क़ौम”।
* जुमले के मुताबिक़“मेरा गोश्त और मेरा ख़ून” का तर्जुमा हो सकता है, “मेरा अपना ख़ानदान” या “मेरे अपने लोग” या “मेरे अपने लोग”।
* अगर मक़सदी ज़बान में ऐसे जुमले के लफ्ज़ हें तो “गोश्त और खून” के तर्जुमें में उनका इस्ते'माल किया जाए।
(यह भी देखें: [जिस्म ](../kt/flesh.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 यूहन्ना 01:5-7](rc://ur-deva/tn/help/1jn/01/05)
* [1 शमूएल 14:31-32](rc://ur-deva/tn/help/1sa/14/31)
* [रसूलों का 'आमाल 02:20-21](rc://ur-deva/tn/help/act/02/20)
* [रसूलों के 'आमाल 05:26-28](rc://ur-deva/tn/help/act/05/26)
* [कुलुस्सियों 01:18-20](rc://ur-deva/tn/help/col/01/18)
* [गलातियों 01:15-17](rc://ur-deva/tn/help/gal/01/15)
* [पैदाईश 04:10-12](rc://ur-deva/tn/help/gen/04/10)
* [ज़बूर 016:4](rc://ur-deva/tn/help/psa/016/004)
* [ज़बूर 105:28-30](rc://ur-deva/tn/help/psa/105/028)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों कि मिसाल:
* __[08:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/08/03)__जब उसके भाई घर वापस आए तो उन्होंने यूसुफ़ के कपड़े लिये, और एक बकरे को मार के उसके __खून __ में उसे डुबा दिया।
* __[10:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/10/03)__ ख़ुदा ने नील नदी को __ख़ून__से भर दिया लेकिन फ़िर'औन का फिर भी जिद पर अड़ा रहा|
* __[11:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/11/05)__ इस्राईल के घरों के दरवाज़ों के चारों तरफ __ख़ून__ था, इसलिए ख़ुदा उन घरों से चला गया और हर कोई उनमें हिफ़ाज़त से था | वह मेमने के __ख़ून__ की वजह से बाख गए|
* __[13:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/09)__जानवर के __ख़ून__ जो क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ाया गया था वह इन्सान के गुनाहों को धोकर इन्सान को ख़ुदा की नज़र पाक कर देता है|
* __[38:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/05)__ तब 'ईसा ने एक कटोरा लिया और कहा इसे पी लो| नए 'अहद के लिए यह मेरा __ख़ून __है जो गुनाहों की मु'आफ़ी के लिए उंडेला है|
* __[48:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/48/10)__ जब कोई 'ईस पर यक़ीन करता है, 'ईसा का __खून __ उस शख्स के सब गुनाहों की क़ीमत चुका देता है, और ख़ुदा की सज़ा उस शख्स के ऊपर से हट जाती है।
## शब्दकोश:
* Strong's: H1818, H5332, G129, G130, G131, G1420

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# फ़ख्र, फ़ख्र करना, फ़ख्र से भरा
## ता'अर्रुफ़:
“फ़ख्र” या किसी चीज़ या आदमी के बारे में फ़ख्र की बातें करना। इसका मतलब हमेशा ख़ुद के बारे में बड़ाई करना होता है।
* “फ़ख्र” आदमी अपने बारे में फ़ख्र करता है।
ख़ुदा ने इस्राईल के बुतों पर फ़ख्र करने के लिए लड़ा था। वह सच्चे ख़ुदावन्द कि जगह में बुतों की 'इबादत करते थे।
* किताब-ए-मुक़द्दस में लोगों की दौलत, जाएदाद, ताक़त, अच्छी खेती और कवानीन पर फ़ख्र करने का बयान किया गया है। इसका मतलब है कि वह इन बातों पर फ़ख्र करते थे और इन सबको देने वाले ख़ुदावन्द को नहीं मानते थे।
* इसके अलावा ख़ुदावन्द इस्राईलियों से कहता था कि वह उससे जानने पर फ़ख्र करें।
* रसूल पौलुस ख़ुदा में फ़ख्र करने की बात कहता है या ख़ुदावन्द ने उनके लिए जो किया है उसके लिए ख़ुश होकर उसकी ता'रीफ़ करें।
## तर्जुमा की सलाह:
* “फ़ख्र” के और तर्जुमें हो सकते है, “बड़ाई करना” या “फ़ख्र से कहना” या “फ़ख्र करना”
* “फ़ख्र” लफ्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ्ज़ या बयान की ज़रिए’ किया जाए जिसका मतलब हो, “फ़ख्र की बातों से भरा” या “फ़ख्र से भरा हुआ” या “ख़ुद के बारे में बड़ाई करना”
* ख़ुदावन्द को जानने में फ़ख्र करने के बारे में तर्जुमा हो सकता है, “में फ़ख्र करना” या “में बड़ाई करना” के बारे में ज़्यादा तर ख़ुश होना” या “के लिए ख़ुदावन्द को मुबारक कहना”
* कुछ ज़बानों में “फ़ख्र” के दो लफ्ज़ हैं, एक मनफ़ी-फ़ख्र और दूसरा मुस्बत किसी के काम, ख़ानदान और मुल्क पर फ़ख्र करना।
## तर्जुमा की सलाह:
(यह भी देखें: [ फ़ख्र ](../other/proud.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 सलातीन 20:11-12](rc://ur-deva/tn/help/1ki/20/11)
* [2 तीमुथियुस 03:1-4](rc://ur-deva/tn/help/2ti/03/01)
* [ या'क़ूब 03:13-14](rc://ur-deva/tn/help/jas/03/13)
* [ या'क़ूब 04:15-17](rc://ur-deva/tn/help/jas/04/15)
* [ ज़बूर 044:7-8](rc://ur-deva/tn/help/psa/044/007)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1984, H3235, H6286, G212, G213, G2620, G2744, G2745, G2746, G3166

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# जिस्म, जिस्मों
## ता'अर्रुफ़:
“जिस्म ” का हवाला इंसान या जानवर के जिस्म से है। इस लफ्ज़ का इस्ते'माल जुमले कि शक्ल में किसी चीज़ या भीड़ के लिए भी किया गया है।
* “जिस्म ” लफ्ज़ मुर्दा इंसान या मरा जानवर के बारे में भी काम में आता है। कभी इसका मतलब “मुर्दा जिस्म ” या “लाश” कहा गया है।
* आख़िर फ़सह के खाने के वक़्त 'ईसा ने रोटी तोड़कर अपने शागिर्दों से कहा था, “यह मेरा जिस्म है” तो वह अपने जिस्म के बारे में कह रहा था जो कई गुनाहों के लिए तोड़ (मार डाला) जाएगा।
* किताब-ए-मुक़द्दस में ईमानदारों के झुन्ड को “मसीह का जिस्म ” कहा गया है।
* जैसे जिस्म के कई हिस्से होते हैं वैसे ही “मसीह के जिस्म ” के कई रुक्न हैं।
* मसीह के जिस्म में हर एक ईमानदार की अपना एक ज़िम्मेदारी है कि मुकम्मल भीड़ की मदद करे कि वह एक साथ ख़ुदा की ख़िदमत करे और उसकी मेहमान नवाज़ी करे।
'ईसा इस बात की याद दिलाता है कि वह अपने ईमानदारों का "सर " है | जैसे इंसान का सिर अपने जिस्म को हिदायात देता है कि उसे क्या करना है वैसे ही 'ईसा ईमानदारों को हिदायत और सीधा रास्ता फ़राहम करता है कि उसके “जिस्म ” के 'आज़ा होने कि वजा उन्हें क्या करना है।
## तर्जुमा की सलाह :
* इस लफ्ज़ के तर्जुमा के लिए मक़सदी ज़बान में जिस्म के लिए 'आम तौर पर काम में लिए जाने वाले लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए। यक़ीन करें कि जिस लफ्ज़ का इस्ते'माल किया गया है वह बुरे काम तो नहीं।
* कुछ ज़बानों में ईमानदारों की जमा’अत का हवाला देते वक़्त “मसीह का रूहानी जिस्म ” कहना ज़्यादा मुमकिन और अच्छा होगा।
* जब 'ईसा कहता है, “यह मेरा जिस्म” है तो इसका सही तर्जुमा तफ़सील करने के लिए हासिए का इस्ते’माल करके किया जा सकता है |
* कुछ ज़बानों में मुर्दा जिस्म के लिए एक अलग लफ्ज़ इस्ते'माल में लिया जाता है जैसे इंसान के लिए “लाश” और जानवर के लिए “मुर्दा जानवर।” इसके तर्जुमे में ऐसे लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें जिसका पूरा मतलब हो और क़ाबिले क़ुबूल भी हो।
(यह भी देखें: [ सिर ](../other/head.md), [ रूह ](../kt/spirit.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 तवारीख़10:11-12](rc://ur-deva/tn/help/1ch/10/11)
* [1 कुरिन्थियों 05:3-5](rc://ur-deva/tn/help/1co/05/03)
* [ इफिसियों 04:4-6](rc://ur-deva/tn/help/eph/04/04)
* [ क़ुज़ात 14:7-9](rc://ur-deva/tn/help/jdg/14/07)
* [ गिनती 06:6-8](rc://ur-deva/tn/help/num/06/06)
* [ ज़बूर 031:8-9](rc://ur-deva/tn/help/psa/031/008)
* [ रोमियो 12:4-5](rc://ur-deva/tn/help/rom/12/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H990, H1320, H1460, H1465, H1472, H1480, H1655, H3409, H4191, H5038, H5085, H5315, H6106, H6297, H7607, G4430, G4954, G4983, G5559

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# बांधना, बन्धन, बाँधा
## ता'अर्रुफ़:
* “बांधना” या किसी चीज़ को बांधकर रखना या महफ़ूज़ जगह में रखना। बंधी हुई या मिली हुई चीज़ें“बन्धन” में कहलाती हैं। लफ्ज़ “बंधा हुआ” इस लफ़्ज़ का माज़ी है|
* “बाँधा” होने का मतलब है किसी चीज़ से लिपटा या बाँधा होना।
* 'अलामती शक्ल में इंसान किस सिफ़त से “बंधा” होता है जिसका मतलब कि उसने जो 'अहद किया है उसे "पूरा करना" उसके लिए ज़रूरी है।
* “बंधन” में होना या किसी भी बांधने वाली चीज़ या हदों में बंधे होना या किसी को जेल में डालना। इसका हवाला हमेशा ज़ंजीर, बेड़ियों या रस्सी से है जो इन्सान की आज़ादी को रूकावट करती है।
* किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में रस्सी या ज़ंजीर बन्दियों को दीवार या पत्थर के फर्श में बांध कर रखने के लिए थी।
* “बांधना” लफ्ज़ घाव पर पट्टी बांधने के लिए भी काम में लिया जाता था कि घाव भर जाए।
* मुर्दा को भी कपड़ों में लपेटा जाता था कि दफ़न के लिए तैयार करें।
* “बन्धन” 'अलामती शक्ल में गुनाह के लिए भी काम में लिया गया है क्योंकि वह आदमी को अपने क़ाबू में कर लेता है या ग़ुलाम बना लेता है।
* बन्धन दो इंसानों के क़रीबी रिश्ते में भी होता है, जिसमें वह एक दूसरे को दिमाग़ी, रूहानी और जिस्मानी नुक़ते नज़र में ता'उन देते हैं। यह शादी के बन्धन में भी है
* शौहर-बीवी एक दूसरे से बंधे होते हैं। यह एक ऐसा बन्धन है जिसे ख़ुदा नहीं चाहता कि कभी तोड़ा जाए।
## तर्जुमें की सलाह:
* “बांधना” लफ्ज़ का तर्जुमा “बंधन के मातहत करना” या “मिलकर करना” या “लपेटें”
* 'अलामती शक्ल में, इसका तर्जुमें"को क़ब्ज़े में करने के लिए" या "रोकने के लिए" या "से (कुछ) को रखने के लिए" हो सकता है।
* "बांधना" लफ्ज़ का ख़ास इस्ते'माल मत्ती 16 और 18 में "मना' करना" या "इजाज़त नहीं" है।
* “बन्धनों” लफ्ज़ का तर्जुमा "ज़ंजीरों" या "रस्सियों" या "बंधन" भी हो सकता है।
* 'अलामत शक्ल से “बन्धन” लफ्ज़ का तर्जुमा "गाँठ" या "ता'ल्लुक़" या "क़रीबी रिश्ता" भी हो सकता है।
* जुमले "अमन का बंधन" का मतलब है "एक साथ में होना, जो लोग एक-दूसरे के साथ +क़रीबी ता'लुक़ात में लोगों को लाते हैं" या "एक साथ बांधने से अमन मिलता है।"
* "बांध" का तर्जुमा "चारों तरफ़ लपेटो" या "पर एक पट्टी डाल" कि शक्ल में किया जा सकता है।
* क़सम के साथ अपने आप को "बांधना" करने के लिए का तर्जुमा "क़सम को पूरा करने का वा'दा" या "क़सम को पूरा करने का वा'दा" की शक्ल में किया जा सकता है।
* जुमले के मुताबिक़“बाँधा” का तर्जुमा "बंधे" या "बांध" या "ज़ंजीर" या "पाबन्दी (पूरा करने के लिए)" या "करने की ज़रूरत है" हो सकता है।
(यह भी देखें: [पूरा](../kt/fulfill.md), [अमन](../other/peace.md), [जेल](../other/prison.md), [ख़ादिम](../other/servant.md), [क़सम](../kt/vow.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [इस्तिसना 08:6-7](rc://ur-deva/tn/help/lev/08/06)
## शब्दकोश:
* Strong's: H247, H481, H519, H615, H631, H632, H640, H1366, H1367, H1379, H2280, H2706, H3256, H3533, H3729, H4147, H4148, H4205, H4562, H5650, H5656, H5659, H6029, H6123, H6616, H6696, H6872, H6887, H7194, H7405, H7573, H7576, H8198, H8244, H8379, G254, G331, G332, G1195, G1196, G1198, G1199, G1210, G1397, G1398, G1401, G1402, G2611, G2615, G3734, G3784, G3814, G4019, G4029, G4385, G4886, G4887, G5265

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# दुबारा पैदा होना, ख़ुदावन्द में पैदाइश, नई पैदाईश
## ता'अर्रुफ़:
“नए सिरे से पैदा होना” लफ्ज़ का इस्ते'माल पहली बार 'ईसा ने इंसान में बदलाव और रूहानी मौत से रूहानी ज़िन्दगी का बयान करने के लिए किया था। लफ्ज़ :ख़ुदा से पैदा" और "रूह से पैदा" की बराबरी एक शख्स को नई रूहानी ज़िन्दगी देने से किया गया है|
* सब इंसान पैदाईश से रूहानी शक्ल से मिटे होते हैं लेकिन मसीह 'ईसा को अपना मुन्जी क़ुबूल करने पर वह “नये सिरे से पैदा” हैं।
* रूहानी नई ज़िन्दगी के पल में, पाक रूह ईमानदारों के अंदर रहने लगता है और उसे ताक़त देता है कि वह रूहानी फल पैदा करे।
* इंसान को नई ज़िन्दगी फ़राहम करना और ख़ुदा की औलाद बनाना ख़ुदा ही का काम है।
## तर्जुमा की सलाह :
* “नई पैदाईश” के तर्जुमा के और तरीक़े भी हैं, “नई ज़िन्दगी पाना” या “रूहानी पैदा होना”
* अच्छा होगा कि इसका लाफ्ज़ी तर्जुमा किया जाए और मक़सदी ज़बान में बराबर लफ़्ज़ों का इस्ते'माल करें जिसका मतलब नए सिरे से पैदा हो।
* “नई पैदाईश” का तर्जुमा “रूहानी पैदाईश” किया जा सकता है।
* “ख़ुदावन्द से पैदा” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की तरफ़ नया बच्चा जैसा नया पैदा होना” या “ख़ुदा की तरफ़ से नई ज़िन्दगी दिया जाना”।
* इसी तरह“रूह से पैदा” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक रूह की तरफ़ से नई ज़िन्दगी दिया जाना” या “ख़ुदावन्द की औलाद होने के लिए पाक रूह की तरफ़ से ताक़त दिया जाना” या “पाक रूह की तरफ़ नये बच्चे जैसी नई ज़िन्दगी दिया जाना”
(यह भी देखें: [पाक रूह ](../kt/holyspirit.md), [नजात ](../kt/save.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 यूहन्ना. 03:9-10](rc://ur-deva/tn/help/1jn/03/09)
* [1 पतरस 01:3-5](rc://ur-deva/tn/help/1pe/01/03)
* [1 पतरस 01:22-23](rc://ur-deva/tn/help/1pe/01/22)
* [ यूहन्ना. 03:3-4](rc://ur-deva/tn/help/jhn/03/03)
* [ यूहन्ना. 03:7-8](rc://ur-deva/tn/help/jhn/03/07)
* [ तीतुस 03:4-5](rc://ur-deva/tn/help/tit/03/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: G313, G509, G1080, G3824

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# भाई, भाइयों
## ता'अर्रुफ़:
“भाई” लफ़्ज़ हमेशा उस मर्द के बारे में होता है जिसके माँ/बाप किसी और के भी माँ/बाप हों ।
* पुराने 'अहद नामें में “भाइयों” लफ़्ज़ रिश्ते के लिए एक 'आम लफ़्ज़ था जैसे एक ही क़बीला, ख़ानदान या क़ौम के अफ़राद ।
* नये 'अहद नामें में रसूल 'आम तौर पर ईमानदारों को भाई कहते थे, 'औरत-मर्द दोनों को क्योंकि मसीह में सब ईमानदार एक ही रूहानी ख़ानदान के फ़र्द माने जाते थे जिनका आसमानी बाप ख़ुदा है।
* कभी-कभी रसूलों ने ईमानदार 'औरतों के लिए भी बहन लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया या कि मर्द और 'औरत दोनों को मुख़ातिब किया जा रहा है। मिसाल के तौर पर, या'क़ूब ज़ोर देकर सभी ईमानदारों के बारे में बात कर रहा है, जब वह "एक भाई या बहन को खाना या कपड़ों की ज़रूरत है" कहता है।
## तर्जुमा की सलाह:
* अच्छा तो होगा कि इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उस लफ्ज़ से किया जाए जो सगे भाई लफ्ज़ से किया जाए जब तक कि इसका मतलब गलत न समझा जाए।
* पुराने 'अहद नामें में खास करके “भाइयों” लफ्ज़ 'आम तौर पर एक ही ख़ानदान या एक ही क़बीला या एक ही क़ौम के अफ़राद के लिए काम में लिया गया है इसका मुमकिन तर्जुमा हो सकता है “ख़ानदान” या “क़बीले” या “इस्राईली भाई।”
* मसीह में साथी-ईमानदार के लिए इसका तर्जुमा हो सकता है “मसीही भाई” या “रूहानी भाई”।
* अगर 'औरत मर्द दोनों की बात की जा रही है और भाई लफ़्ज़ का मतलब गलत समझा जा सकता है तो रिश्तों के 'आम तौर पर लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए जिसमें 'औरत मर्द दोनों हों।
* 'औरत-मर्द ईमानदारों के लिए काम में आनेवाला तर्जुमा लफ्ज़ हो सकता है, “ईमानदारों के साथी” या “मसीही भाई-बहन”।
* जुमले पर ग़ौर दें कि सिर्फ़ मर्दों को मुख़ातिब किया गया है या 'औरत - मर्द दोनों को।
(यह भी देखें:[रसूल ](../kt/apostle.md), [ख़ुदा बाप](../kt/godthefather.md), [बहन](../other/sister.md), [रूह ](../kt/spirit.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के 'आमाल . 07:26-28](rc://ur-deva/tn/help/act/07/26)
* [ पैदाईश 29:9-10](rc://ur-deva/tn/help/gen/29/09)
* [ अह्बार 19:17-18](rc://ur-deva/tn/help/lev/19/17)
* [ नहमियाह03:1-2](rc://ur-deva/tn/help/neh/03/01)
* [ फ़िलिप्पियों 04: 21-23](rc://ur-deva/tn/help/php/04/21)
* [ मुकाशिफ़ा 01:9-11](rc://ur-deva/tn/help/rev/01/09)
## शब्दकोश:
* Strong's: H251, H252, H264, H1730, H2992, H2993, H2994, H7453, G80, G81, G2385, G2455, G2500, G4613, G5360, G5569

46
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# बुलाना ,पुकारा ,पुकारना ,कहलाता
## ता’रीफ़:
बुलाना’’ और “पुकारना” के हक़ीक़ी मा’ने हैं ,किसी दूर खड़े इन्सान को ऊँचे लफ़्ज़ों में कुछ कहना | "पुकारना "के मा'ने किसी ख़ास को बुलाना | इसके बहुत से तम्सीली मा’ने हैं
* “पुकारना “मतलब दूर खड़े किसी आदमी से ऊंचे लफ़्ज़ों में कुछ कहना | इसके मा’ने मदद माँगना भी होता है ख़ास कर ख़ुदा से |
* किताब-ए-मुक़द्दस में “बुलाना “के मा’नी हैं” तलब करना “या आने का हुक्म या “आने की गुज़ारिश |
* ख़ुदा इन्सानों को बुलाता है कि उसके पास आयें और उसके लोग हों यह उनकी बुलाहट है |
* बुलाया “ लफ़्ज़ का किताब-ए-मुक़द्दस में मा’नी है ,ख़ुदा ने इन्सानों को मुक़र्रर किया या चुन लिया कि उसकी औलाद हों ,उसके ख़ादिम हों और ‘ईसा के ज़रिए’नजात की ख़बर के बताने वाले हों
* इस लफ़्ज़ को किसी का नाम देने के मज़मून में भी काम में लिया जाता है | मिसाल के तौर पर “वह यूहन्ना कहलाया “जैसे कि “उस का नाम यूहन्ना रखा गया “या उसका नाम यूहन्ना हुआ “|
* नाम से पुकारा जाना “ मतलब किसी को किसी और का नाम दिया जाना | ख़ुदा कहता है कि उसने अपने लोगों को अपने नाम से बुलाया है |
* एक अलग कलाम “मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है “|ख़ुदा उस ख़ास इन्सान का नाम ख़ुद से जानता है और उसे ख़ास करके चुन लिया है |
## तर्जुमे की सलाह:
* “बुलाना “का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों में किया जाये जिनके मा’नी “तलब करना “हो जिसमे बुलाहट की मर्ज़ी और मक़सद शामिल हों |
* “तुझे पुकारता हूँ “इसका तर्जुमा हो सकता है “तुमसे मदद माँगता हूँ “या तुझसे शिद्दत से मिन्नत करता हूँ “|
* किताब-ए-मुक़द्दस में लिखा है कि ख़ुदा ने हमें बुलाया कि इसकी ख़िदमत करे तो इसका तर्जुमा किया जा सकता है ,उसके ख़ादिम होने के लिए “हमें ख़ास करके चुना”या “हमें मुक़र्रर किया”
* ”उसका नाम पुकारा “इसका तर्जुमा हो सकता है “उसको नाम देना “
* “उसका नाम पुकारा “इसका तर्जुमा हो सकता है “उसका नाम है “या उसको नाम दिया गया है |
* पुकारना “इसका तर्जुमा हो सकता है ,”ऊंचे लफ़्ज़ में कहना “या चिल्लाने “ऊँची आवाज़ में कहना “ लेकिन ध्यान रखें कि इसके तर्जुमे में अल्फ़ाज़ों में ग़ुस्से का निशान ज़ाहिर न हो |
* तुम्हारी बुलाहट “इसका तर्जुमा हो सकता है “तुम्हारा मक़सद “या तुम्हारे लिए ख़ुदा का मक़सद या “तुम्हारे लिए ख़ुदा का अहम काम “
* ख़ुदावन्द का नाम पुकारना “इसका तर्जुमा किया जा सकता है ,”ख़ुदावन्द की तलाश करो और उस पर भरोसा रखो “या ख़ुदा में यक़ीन करके उसके हुक्म मानो |
* किसी बात के लिए “पुकार करना “इसका तर्जुमा हो सकता है “मांग करना “या तलब करना “या “हुक्म देना “
* तुम मेरे नाम से बुलाये गये हो “इसका तर्जुमा हो सकता है “मैंने तुम्हें अपना नाम दिया है कि दिखाऊँ तुम मेरे हो “|
* “जब ख़ुदा कहता है “मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है “तो इसका तर्जुमा हो सकता है ,”मै तेरा नाम जानता हूँ और तुझे चुन लिया है “|
(यह भी देखें: [दुआ करना ](../kt/pray.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 सलातीन 18:22-24](rc://ur-deva/tn/help/1ki/18/22)
* [1 थिस्सलुनीकियों 04:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1th/04/07)
* [2 तीमुथियुस 01:8-11](rc://ur-deva/tn/help/2ti/01/08)
* [इफिसियों 04:1-3](rc://ur-deva/tn/help/eph/04/01)
* [गलातियों 01:15-17](rc://ur-deva/tn/help/gal/01/15)
* [मत्ती 02:13-15](rc://ur-deva/tn/help/mat/02/13)
* [फिलिप्पियों 03:12-14](rc://ur-deva/tn/help/php/03/12)
{{tag>publish ktlink }
## शब्दकोश:
* Strong's: H559, H2199, H4744, H6817, H7121, H7123, G154, G363, G1458, G1528, G1941, G1951, G2028, G2046, G2564, G2821, G2822, G2840, G2919, G3004, G3106, G3333, G3343, G3603, G3686, G3687, G4316, G4341, G4377, G4779, G4867, G5455, G5537, G5581

27
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# सूबेदार ,सूबेदारों
## ता’रीफ़:
सूबेदार रोमी फ़ौज का हाकिम था जिसके मातहत सौ सिपाही होते थे |
* इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ से किया जा सकता है जिसका मा’नी हो “सौ आदमियों का रहनुमा” या “सिपाही का रहनुमा” या “सौ का असरदार हाकिम”|
* एक सूबेदार ‘ईसा के पास दरख़्वास्त लेकर आया था कि वह उसके ख़ादिम को शिफ़ा दे
* ‘ईसा के मस्लूबियत का गवाह सूबेदार ‘ईसा की मौत को देखकर हैरान हो गया था |
* ख़ुदा ने एक सूबेदार को पतरस के पास भेजा कि पतरस उसे ‘ईसा की ख़ुश ख़बरी सुनाये |
(यह भी देखें :[रोम](../names/rome.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के आमाल 10:1-2](rc://ur-deva/tn/help/act/10/01)
* [रसूलों के आमाल 27:1-2](rc://ur-deva/tn/help/act/27/01)
* [रसूलों के आमाल 27:42-44](rc://ur-deva/tn/help/act/27/42)
* |[लूका 07:2-5](rc://ur-deva/tn/help/luk/07/02)
* [लूका 23:46-47](rc://ur-deva/tn/help/luk/23/46)
* [मरकुस 15:39-41](rc://ur-deva/tn/help/mrk/15/39)
* [मत्ती 08:5-7](rc://ur-deva/tn/help/mat/08/05)
* [मत्ती 27:54-56](rc://ur-deva/tn/help/mat/27/54)
## शब्दकोश:
* Strong's: G1543, G2760

42
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# बच्चे ,बच्चा
## ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “बच्चा” लफ़्ज़ अक्सर बच्चे के लिए काम में लिया गया है ,छोटी ‘उम्र के लिए भी इसका इस्ते’माल किया गया है | “बच्चे” जमा’ है और इसके तम्सीली इस्ते’माल भी हैं |
किताब-ए-मुक़द्दस में शागिर्दों या इमानदारों को भी कभी कभी “बच्चे” कहा गया है |
* ”बच्चे” लफ़्ज़ कभी कभी नस्लों के लिए भी इस्ते’माल किया गया है |
* ”की बच्चे “का मतलब किसी बात की ख़ासियत ज़ाहिर करने से भी होता है | इसकी कुछ मिसाल हैं :
* रोशनी की औलाद
* हुक्म मानने वाली औलाद
* शैतान की औलाद
* यह लफ़्ज़ रूहानी बेटे /बेटियों के बारे में आता है | मसलन ,”खुदा के बेटे “या ‘ईसा में ईमान रखने की वजह से ख़ुदा के लोग |
## तर्जुमे की सलाह:
“औलाद “ का तर्जुमा “नसल”किया जा सकता है जब इसका बयान किसी के पोते-परपोतों से हो |
* ”मज़मून के मुताबिक़ “की औलाद “का तर्जुमा “की सिफ़त रखने वाले लोग “ या “के जैसा बर्ताव करने वाले लोग “भी किया जा सकता है |
* अगर मुमकिन हो तो “ख़ुदा की औलाद “को ज्यों का त्यों रखा जाये क्यूँकि किताब-ए-मुक़द्दस का एक ख़ास मज़मून है ,ख़ुदा हमारा आसमानी बाप है | इसका मुमकिन इख़्तियारी तर्जुमा हो सकता है ,”ख़ुदा के लोग “या “ख़ुदा की रूहानी औलाद “|
* ’ईसा अपने शागिर्दों को “औलाद कहता है तो इसका तर्जुमा “प्यारे दोस्तों” या “मेरे प्यारे शागिर्दों “हो सकता है |
* जब पौलुस और यूहन्ना ‘ईसा के ईमानदारों को “बच्चों कहते हैं तो इसका तर्जुमा “प्यारे ईमानदार साथियों”हो सकता है |
* ”वा’दा” की औलाद’ का तर्जुमा हो सकता है “ख़ुदा के वा’दे को पाए हुए लोग “|
(यह भी देखें: [नसलें](../other/descendant.md), [वा’दा](../kt/promise.md) [बेटा](../kt/son.md), [रूह](../kt/spirit.md), [ईमान](../kt/believe.md), [प्यारे](../kt/beloved.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1यूहन्ना 02:27-29](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/27)
* [3 युहन्ना 01:1-4](rc://ur-deva/tn/help/3jn/01/01)
* [गलतियो 04:19-20](rc://ur-deva/tn/help/gal/04/19)
* [पैदाइश 45:9-11](rc://ur-deva/tn/help/gen/45/09)
* [यशू’अ 08:34-35](rc://ur-deva/tn/help/jos/08/34)
* [नहमियाह 05:4-5](rc://ur-deva/tn/help/neh/05/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1069, H1121, H1123, H1129, H1323, H1397, H1580, H2029, H2030, H2056, H2138, H2145, H2233, H2945, H3173, H3205, H3206, H3208, H3211, H3243, H3490, H4392, H5271, H5288, H5290, H5759, H5764, H5768, H5953, H6185, H7908, H7909, H7921, G730, G815, G1025, G1064, G1471, G3439, G3515, G3516, G3808, G3812, G3813, G3816, G5040, G5041, G5042, G5043, G5044, G5206, G5207, G5388

53
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# मसीह ,मसीहा
## सच्चाई:
“मसीह” या “खिरिस्त”का मा’नी है ,”मसह पाए -लोग” और ख़ुदा के बेटे ‘ईसा के बारे में
* ”मसीह” या “क्राइस्ट”दोनो लफ़्ज़ नए ‘अहद नामे में ख़ुदा के बेटे के बारे में हैं जिसे ख़ुदा बाप ने अपने लोगों पर बादशाहत करने और गुनाह व मौत से उनको नजात देने के लिए मसह किया है |
* पुराने ‘अहद नामे में नबियों ने ज़मीन पर मसीह के आने से सैकड़ों साल पहले इसकी नबूव्वतत की थी |
* पुराने ‘अहद नामे में “मसह पाए (लोग)”आने वाले मसीह के बारे में कहा गया है |
* ’ईसा ने इन नबूव्वतों में से कई को पूरा किया और कई मो’जिज़े किये जो साबित करता है कि वह मसीहा” है और बाक़ी बची हुई नबूव्वतें ‘ईसा के वापस आने पर पूरी होंगी |
* "मसीह" लफ़्ज़ को अक्सर "मसीह" और “मसीह ‘ईसा “के लक़ब की शक्ल में इस्ते’माल किया जाता है |
* "मसीह" भी उसके नाम की शक्ल में "’ईसा मसीह" की शक्ल में इस्ते’माल किया गया ।
## तर्जुमे की सलाह:
* इस लफ़्ज़ का तर्जुमा इसके मा’नी के साथ किया जा सकता है ,”मसह पाए लोग”या “ख़ुदा का मसह पाए नजात देने वाले |
* बहुत सी ज़बानों में इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा किया गया है जो “क्राईस्ट “या “मसीह” जैसे दिखते या सुनाई देते हैं |(देखें:[अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें ](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
* तर्जुमा शुदह लफ़्ज़ की शक्ल में लफ़्ज़ की ता’रीफ़ के ज़रिये’ जाना किया जा सकता है ,”मसीह” मसह किया एक “|
* किताब-ए-मुक़द्दस में इसका तर्जुमा बा उसूल बनाये रखें ताकि इसे वाज़े’ किया जा सके कि एक ही लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जा रहा है|
* वाज़ेह करें कि “मसीहा” और “मसीह” के तर्जुमें के बारे में अच्छी तरह से काम करते है जहाँ आयत एक ही कलाम में होते हैं |(जैसे यूहन्ना ,1-41)|
(यह भी देखें :[नामों का तर्जुमा कैसे करें ](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-names))
(यह भी देखें: [ख़ुदा का बेटा ](../kt/sonofgod.md),[दाऊद ](../names/david.md), [‘ईसा ](../kt/jesus.md),[मसह करना ](../kt/anoint.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 यूहन्ना 05:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1jn/05/01)
* [रसूलों के आमाल . 02:34-36](rc://ur-deva/tn/help/act/02/34)
* [रसूलों के आमाल 05:40-42](rc://ur-deva/tn/help/act/05/40)
* [यूहन्ना 01:40-42](rc://ur-deva/tn/help/jhn/01/40)
* [यूहन्ना 03:27-28](rc://ur-deva/tn/help/jhn/03/27)
* [यूहन्ना 04:25-26](rc://ur-deva/tn/help/jhn/04/25)
* [लूका 02:10-12](rc://ur-deva/tn/help/luk/02/10)
* [मत्ती 01:15-17](rc://ur-deva/tn/help/mat/01/15)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[17:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/17/07)__ __मसीह__ ख़ुदा का चुना हुआ है जो दुनिया को गुनाह से छुड़ाएगा।
* __[17:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/17/08)__ लेकिन हक़ीक़त में, __मसीह__ के आने से पहले इस्राईलियों को एक लम्बे वक़्त तक इंतजार करना पड़ा, लगभग 1,000 साल तक।
* __[21:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/01)__ शुरू’ से ही, ख़ुदा ने __मसीह__ को भेजने का मन्सूबा बनाया था।
* __[21:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/04)__ ख़ुदा ने राजा दाऊद से वा’दा किया है कि __मसीह__ दाऊद की अपनी नसल में से एक होगा।
* __[21:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/05)__ मसीह __ नए ‘अहद की शुरूआत करेगा।
* __[21:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/06)__ ख़ुदा के नबियों ने यह भी कहा कि, __मसीह__ एक नबी भी होगा, एक आलिम भी और एक बादशाह भी होगा।
* __[21:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/09)__ यशायाह नबी ने नबूव्वत की थी , कि एक कुँवारी से __मसीह__ पैदा होगा।
* __[43:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/07)__ "लेकिन ख़ुदा ने उस नबूव्वत को पूरा करने के लिए फिर से जिंदा उठाया जो कहता है, 'आप कब्र में अपने __ पाक लोगों__ को सड़ने नहीं देगा।'"
* __[43:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/09)__ "लेकिन ख़ुदा ने उसे ख़ुदावन्द भी ठहराया और __मसीह__ भी!"
* __[43:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/11)__ पतरस ने उन्हें जवाब दिया, "आप में से हर एक को तोबा करना चाहिए और ‘ईसा _ मसीह_ के नाम पर बपतिस्मा लेना चाहिए ताकि ख़ुदा आपके गुनाह को माफ़ करे।"
* __[46:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/06)__ शाउल यहूदियों से बहस करता था, और इस बात का सुबूत देता था कि ‘ईसा ही __मसीह__ है।
## शब्दकोश:
* Strong's: H4899, G3323, G5547

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# मसीही
## ता’अर्रुफ़:
‘ईसा के आसमान पर उठाये जाने के कुछ वक़्त बा’द ईमानदारों को “मसीही” कहा गया जिसका मा’नी है, “मसीह के मानने वाले ”
* अन्ताकिया शहर में ‘ईसा के मानने वालों को सबसे पहले “मसीही” कहा गया था।
* मसीही शख़्स वह इन्सान है जो ईमान रखता है कि ‘ईसा ही ख़ुदा का बेटा है और ‘ईसा ही में ईमान रखता है कि उसने उसका गुनाह मु’आफ़ किया।
* आज “मसीही” लफ़्ज़ मसीही मज़हब मानने वाले के बारे में काम में लिया जाता है लेकिन वह शख़्स हक़ीक़त में ‘ईसा की पैरवी नहीं करता है। किताब-ए-मुक़द्दस में "मसीही" लफ़्ज़ का मा’नी यह नहीं है।
* क्योंकि किताब-ए-मुक़द्दस में “मसीही” लफ़्ज़ हमेशा उस इन्सान के लिए काम में लिया गया है जो हक़ीक़त में ‘ईसा में यक़ीन करता है, मसीही लोगों को "ईमानदार " भी कहते हैं।
## तर्जुमे की सलाह:
इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “मसीह को मानने वाला” या “मसीह का पैरोकार” या “मसीह आदमी” जैसा।
* वाज़े’ करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा शागिर्द और रसूल लफ़्ज़ों के तर्जुमे से अलग हो।
* होशियारी से तर्जुमा करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ‘ईसा पर ईमान रखने वाले सब लोगों के बारे में हो न कि किसी एक क़बीले या क़ौम से हो
यह भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है | (देखें:[अनजाने लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे ](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें :[अन्ताकिया](../names/antioch.md)[मसीह](../kt/christ.md)[इबादतख़ाना़](../kt/church.md)[शागिर्द](../kt/disciple.md)[ईमानदार](../kt/believe.md)[‘ईसा](../kt/jesus.md)[ख़ुदा का बेटा](../kt/sonofgod.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 कुरिन्थियों 06:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1co/06/07)
* [1 पतरस 04:15-16](rc://ur-deva/tn/help/1pe/04/15)
* [रसूलों के आमाल 11:25-26](rc://ur-deva/tn/help/act/11/25)
* [रसूलों के आमाल 26:27-29](rc://ur-deva/tn/help/act/26/27)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[46:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/09)__ और शागिर्द सब से पहले अन्ताकिया ही में "__मसीही__" कहलाए।
* __[47:14](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/14)__ पौलुस और ग़ैर __मसीही__रहनुमाओं ने अनेक शहरों में ‘ईसा का मुनादी किया और लोगों को ख़ुदा के कलाम की ता’लीम दी।
* __[49:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/15)__ अगर तुम ‘ईसा पर और जो कुछ उसने आपके लिए किया उस पर ईमान रखते हो हो, तो आप एक __मसीही__ हो!
* __[49:16](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/16)__ अगर तुम एक __मसीही__ हो, तो जो कुछ ‘ईसा ने किया उसकी वजह से ख़ुदा ने तुम्हारे गुनाह माफ़ कर दिए हैं।
* __[49:17](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/17)__ अगर आप एक __मसीही__ हैं, फिर भी आप गुनाह करने की आज़माइश में पड़ोगे।
* __[50:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/03)__ आसमान में वापस जाने से पहले, ‘ईसा ने __मसीहों__ से कहा कि वे उन लोगों को ख़ुशख़बरी सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना।
* __[50:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/11)__ जब ‘ईसा वापस आएगा, तो हर __मसीही__ जो मरा है वह मुर्दों में से जी उठेगा और उससे आसमान में मिलेगा।
## शब्दकोश:
* Strong's: G5546

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# कलीसिया, कलीसियाओं, कलीसिया
## ता’अर्रुफ़:
नये ‘अहद नामे’ में "कलीसिया" का बयान मसीह के ईमानदारों का मुक़ामी जमात से है जो दुआ’ करने और ख़ुदा का कलाम सुनने के लिए रोज़ जमा’होते थे। “कलीसिया” लफ़्ज़ सब ईमानदारो के बारे में है।
* इस लफ़्ज़ का हक़ीक़ी मा’नी है इज्तिमा’ या शराकत जो किसी ख़ास मक़सद से इकठ्ठे होते हैं |
* जब यह लफ़्ज़ सब जगहों के सब ईमानदारों मसीह के पूरे बदन के बारे में हो तो कुछ किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमों में पहला हर्फ़ बड़ा लिखा गया है कि वह मुक़ामी कलीसिया से अलग दिखाई दे |
* किसी शहर के ईमानदार अक्सर किसी एक के घर में इकठ्ठा होते थे | इन मुक़ामी कलीसियाओं को उस जगह का नाम दिया जाता था जैसे “इफिसुस की कलीसिया”।
* किताब-ए-मुक़द्दास में "कलीसिया" का बयान मकान से नहीं है।
## तर्जुमे की सलाह:
* “कलीसिया” लफ़्ज़ का तर्जुमा “एक साथ इकठ्ठा होना” या “इज्तिमा’” या “मजलिस” या “इकठ्ठे होने वाले” हो सकता है।
* इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में काम में लिए गए लफ़्ज़ या जुमले का मतलब एक झुण्ड से नहीं सब ईमानदारों से होना है।
* वाज़े’करें कि “कलीसिया” का तर्जुमा किसी मकान का मा’नी ज़ाहिर न करे।
* पुराने ‘अहद नामे में “इज्तिमा’का जिस लफ़्ज़ से तर्जुमा किया गया है उस लफ़्ज़ का भी यहाँ इस्ते’माल किया जा सकता है |
* मुक़ामी या क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे को भी देखें| (देखें:[अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें:[मजलिस](../other/assembly.md),[ईमान](../kt/believe.md),[मसीही ईमानदार](../kt/christian.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 कुरिन्थियों 05:11-13](rc://ur-deva/tn/help/1co/05/11)
* [1 थिस्सलुनीकियों 02:14-16](rc://ur-deva/tn/help/1th/02/14)
* [1 तीमुथियुस 03:4-5](rc://ur-deva/tn/help/1ti/03/04)
* [रसूलों के आमाल 09:31-32](rc://ur-deva/tn/help/act/09/31)
* [रसूलों के आमाल 14:23-26](rc://ur-deva/tn/help/act/14/23)
* [रसूलों के आमाल 15:39-41](rc://ur-deva/tn/help/act/15/39)
* [कुलुस्सियों 04:15-17](rc://ur-deva/tn/help/col/04/15)
* [इफिसियों 05:22-24](rc://ur-deva/tn/help/eph/05/22)
* [मत्ती 16:17-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/16/17)
* [फिलिप्पियों 04:14-17](rc://ur-deva/tn/help/php/04/14)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[43:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/12)__ लगभग 3000 लोगों ने पतरस कि बात पर यक़ीन किया और ‘ईसा के शागिर्द बन गए। और उन्हें बपतिस्मा दिया गया और वे यरूशलीम की __कलीसिया__ का हिस्सा बन गए।
* __[46:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/09)__ लेकिन अन्ताकिया में ज़्यादा तर लोग यहूदी नहीं थे, और पहली बार, उनमें से बहुत लोग ईमान लाकर ख़ुदा की ओर फिरे। बरनबास और शाऊल इन नए ईमानदारों को पढ़ाने, ‘ईसा के बारे में बताने और __कलीसिया__ को मजबूत करने के लिये अन्ताकिया आए।
* __[46:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/10)__ तब अन्ताकिया की __कलीसिया__ ने शाउल और बरनबास के लिए दु’आ करी और उन पर हाथ रखा। फिर कलीसिया ने उन्हें कई और जगहों में ‘ईसा के बारे में ऐलान करने के लिये भेज दिया।
* __[47:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/13)__ ‘ईसा की ख़ुशख़बरी को वह सुनाते गए और __कलीसिया__ तरक़्क़ी करती गई।
* __[50:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/01)__ लगभग 2,000 से ज़्यादा सालों से, दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा लोग ‘ईसा मसीह की ख़ुशख़बरी को सुन रहे हैं। __कलीसिया__ बढ़ रही है।
## शब्दकोश:
* Strong's: G1577

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# ख़तना करना, ख़तना किया, ख़तना
## ता’अर्रुफ़:
ख़तना करने के मा’नी है़ आदमी या बच्चे की अज़ो तनासुल की खाल काट देना। इसी रिश्ते से ख़तना की रस्म को किया जाता था।
* ख़ुदा ने इब्राहीम को हुक्म दिया था कि उनके साथ बांधी ख़ुदा के ‘अहद के निशान की शक्ल में वह अपने घराने और ख़ादिमों का ख़तना करे।
* ख़ुदा ने इब्राहीम की नसलों को भी यही हुक्म दिया था कि वे अपने घरों में पैदा हुए हर लड़के के पैदा होने पर ऐसा करना जारी रखें |
* “दिल का ख़तना” या’नी इन्सान में से गुनाह का “निकलना” या गुनाह से तोबा करना |
* रूहानी शक्ल में, “ख़तना” उन लोगों के बारे में बताता है जिन्हें ख़ुदा ने ‘ईसा के लहू से गुनाहों से पाक किया और जो उसके लोग हैं।
* ”ना मख़्तून” के मा’नीहै जिनका जिस्मानी ख़तना नहीं हुआ है। इसका मख़सूस बयान उन लोगों से भी है जिनका रूहानी ख़तना नहीं हुआ है या’नी जिनका रिश्ता ख़ुदा से नहीं है।
“ना मख्तून’और मख्तून “एक मर्द से मुराद है जो जिस्मानी तौर पर संभले हुए नहीं हैं | तम्सीली शक्ल में इसका इस्तेमाल किया जाता है \
* मिस्र एक मुल्क था और इसकी ज़रूरत थी | लिहाज़ा जब मिस्र के बारे में बात करता है तो “ग़ैरजानदार” की तरफ से शिकस्त दी सकती है, वह लोग जिन लोगों ने मिस्रियों कको ख़तना नहीं किया था उनसे इशारा किया|
किताब-ए-मुक़द्दस उन लोगों से इशारा करता है जो, “ग़ैर जानदार दिल” रखता है या “जो दिल में ग़ैर जानदार” हैं| * किताब-ए-मुक़द्दस उन लोगों को बताता करता है जिनके पास "मासूम दिल" है या जो "दिल में मासूम" हैं।
* अगर ज़बान में खतना के लिए एक अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाता है या पता होता है, तो "नामख़्तून" का तर्जुमा बिना ख़तने का किया जा सकता"
* बयान के मुताबिक़ पर तमसील "ग़ैरयक़ीनी " का तर्जुमा "जिन लोगों का खतना नहीं हुआ है" या "जो लोग खुदा से जुड़े नहीं हैं" के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है।
* इस लफ़्ज़ की अजीब नफ्सों का तर्जुमा करने के और तरीकों में "ख़ुदा के लोग नहीं" या "उन लोगों की तरह बग़ावत शामिल हो सकते हैं जो ख़ुदा से जुड़ा नहीं हैं" या "जिन लोगों के पास ख़ुदा से मिलाकोई इशारा नहीं है।"
* तम्सीली "दिल में ना मख्तून" का तर्जुमा "जिद्दी बगावत " या "यक़ीन करने से इंकार कर दिया" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है। हालांकि, अगर मुमकिन हो तो ज़ाहिर या एक तरह रखना बहुत है क्योंकि रूहानी खतना एक ख़ास तसव्वर है।
## तर्जुमे की सलाह:
* अगर मक़्सदी ज़बान में आदमियों का ख़तना किया जाता है तो यहाँ इसी लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जाये |
* इस लफ्ज़ के और तर्जुमे हो सकते हैं “चारों ओर से काटना”,गोलाई में काटना “ या “आगे की खाल काटना”|
* जिन रिवायतो में ख़तना नहीं जाना जाता है वहाँ नुक्ता या फ़हरिस्तमें इसका बयान करना ज़रूरी है |
* वाज़े’ करें कि इसका तर्जुमा औरतों के बारे में न हो| ज़रूरी है की इसका तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ के साथ किया जाये जिससे आदमियों के बारे में ज़ाहिर हो |
(यह भी देखें :[अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें : [इब्राहीम](../names/abraham.md), [मुआ’हदा](../kt/covenant.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 17:9-11](rc://ur-deva/tn/help/gen/17/09)
* [पैदाइश 17:12-14](rc://ur-deva/tn/help/gen/17/12)
* [ख़ुरूज 12:47-48](rc://ur-deva/tn/help/exo/12/47)
* [अह्बार 26:40-42](rc://ur-deva/tn/help/lev/26/40)
* [यशू’अ 05:2-3](rc://ur-deva/tn/help/jos/05/02)
* [क़ुज़ात 15:17-18](rc://ur-deva/tn/help/jdg/15/17)
* [2 समुएल 01:17-20](rc://ur-deva/tn/help/2sa/01/17)
* [यरमियाह 09:25-26](rc://ur-deva/tn/help/jer/09/25)
* [हिज़्क़ीएल 32:24-25](rc://ur-deva/tn/help/ezk/32/24)
* [रसूलों के आमाल 10:44-45](rc://ur-deva/tn/help/act/10/44)
* [रसूलों के आमल 11:1-3](rc://ur-deva/tn/help/act/11/01)
* [रसूलों के आमाल 15:1-2](rc://ur-deva/tn/help/act/15/01)
* [रसूलों के आमाल 11:1-3](rc://ur-deva/tn/help/act/11/01)
* [रोमियो 02:25-27](rc://ur-deva/tn/help/rom/02/25)
* [गलतियों 05:3-4](rc://ur-deva/tn/help/gal/05/03)
* [इफ़िसियों 02:11-12](rc://ur-deva/tn/help/eph/02/11)
* [फ़िलिप्पियों 03:1-3](rc://ur-deva/tn/help/php/03/01)
* [कुलुस्सियों 02:10-12](rc://ur-deva/tn/help/col/02/10)
* [कुलुस्सियों 02:13-15](rc://ur-deva/tn/help/col/02/13)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[05:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/05/03)__ "आपको अपने घराने में हर आदमी का ख़तना करना चाहिए।"
* __[05:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/05/05)__ उस दिन इब्राहीम ने उसके घर में सभी आदमियों का __ख़तना__ किया।
## शब्दकोश:
* Strong's: H4135, H4139, H5243, H6188, H6189, H6190, G203, G564, G1986, G4059, G4061

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# साफ़,साफ़ सुथरा,साफ़ किया ,साफ़ करना ,साफ़ होना ,धुलना ,धुलाई ,धोया ,गन्दा
## ता’अर्रुफ़:
“साफ़” के मा’नी हैं मैल या दाग न होना | कलाम में इसका इस्ते’माल अक्सर ‘अलामती शक्ल में किया जाता है कि इसके मा’नी “साफ़” या “पाक” या”बे गुनाह “हो |
* ”सफ़ाई” किसी चीज़ को साफ़ करने की तरतीब है| इसका तर्जुमा “धोना”या “साफ़ करना “हो सकता है |
पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने इस्राईल को बताया था कि उसने कौन कौन से जानवरों को “साफ़”और कौन कौन से जानवरों को “गन्दा”मुक़र्रर किया है | केवल साफ़ जानवर ही खाने और क़ुर्बानी पेश करने के लिए काम में लिए जा सकते हैं | इस बारे में "साफ़" लफ़्ज़ के मा’नी है कि जानवर क़ुर्बानी पेश करने में ख़ुदा को क़ुबूल के लायक़ है।
* जिस आदमी को जिल्दी बीमारी होता था वह गन्दा माना जाता था जब तक कि उसकी बीमारी से आज़ाद न हो जाए। जिल्दी सफ़ाई के हुक्मों पर ‘अमल करना ज़रूरी था उस आदमी को फिर “साफ़” किया जाने के लिए।
* कभी कभी “साफ़”लफ़्ज़ को ‘अलामती शक्ल में रूहानी सफ़ाई के लिए इस्ते’माल किया जाता था|
किताब-ए-मुक़द्दस की ज़बान में “गन्दा” लफ़्ज़ किसी ख़ास चीज़ तरफ़ इशारा है जिसको ख़ुदा ने ज़ाहिर कर दिया है की न उसे छूना,खाना,न क़ुर्बानी पेश करना |
* ख़ुदा ने इस्राईलियों को इस बारे में बतादिया है कि कौन सा जानवर तुम्हारे लिए “साफ़”और कौन है “गन्दा” नापाक जानवरों को न खाने की इजाज़त थी न क़ुर्बानी पेश करने की |
लोग जो जिल्दी बीमारी मे है बताया गया है की वह नापाक होंगे जब तक उनको शिफ़ा न मिल जाये |
अगर इस्राईल कोई ऐसी “नापाक” चीज़ छूता है तो वह भी कुछ वक़्त के लिए नापाक हो जायेंगे |
* ख़ुदा की फरमाबरदारी हुक्म करता है उस बारे में न छूना ,न खाना ,कोई गन्दी चीज़ इस्राईली लोग इसको ख़ुदा की इबादत से दूर रखें |
* जिस्मानी और मजहबी समझ का निशान है “मज़हबी समझ “
* दूसरे नज़र आने वाले गुनाह “बदरूह “जो बुरी रूह को ज़ाहिर करता है |
## तर्जुमे की सलाह :
* इस लफ़्ज़ का अनुवाद “स्वच्छ” एवं “शुद्ध” के लिए काम में आने वाले सामान्य शब्दों में किया जा सकता है।
* इसमें तर्जुमा करने के और तरीके शामिल हो सकते हैं, "पाक शक्ल से साफ" या "ख़ुदा को कुबूल "
* "साफ़ "; का तर्जुमा"धुलाई" या "पाक" ज़रिये’किया जा सकता है।
* वाज़े’करें कि "साफ़" और "पाक" के लिए इस्तेमाल किए गए लफ़्ज़ों को भी एक ज़ाहिरी मा’नीमें समझा जा सकता है।
“गन्दा” के मा’नी हैं इस का तर्जुमा ऐसे करें “नापाक”या “जो ख़ुदा की निगाह में मुनासिब नहीं””जिस्मानी नापाकी” या ऐब दार “
जो बताता है बदरूह या एक गंदी रूह “गन्दी” इसका तर्जुमा हो सकता है “बुरा “ऐब दार “
ये तर्जुमा ज़ाहिर करता है रूहानी नापाकी | यह किसी भी चीज़ को ज़ाहिर करता है जो खुदा ने बता दिया है जो ना मुनासिब हो छूने ,खाने ,और क़ुर्बानी पेश करने में
(यह भी देखें: [पाक](../other/defile.md),[बुरा](../kt/demon.md), [नापाक](../kt/holy.md), [क़ुर्बानी](../other/sacrifice.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 07:1-3](rc://ur-deva/tn/help/gen/07/01)
* [पैदाइश 07:8-10](rc://ur-deva/tn/help/gen/07/08)
* [अह्बार 12:15-16](rc://ur-deva/tn/help/deu/12/15)
* [ज़ुबूर 051:7-9](rc://ur-deva/tn/help/psa/051/007)
* [अम्साल 20:29-30](rc://ur-deva/tn/help/pro/20/29)
* [हिज़्कीयेल 24:13](rc://ur-deva/tn/help/ezk/24/13)
* [मत्ती 23:27-28](rc://ur-deva/tn/help/mat/23/27)
* [लूका 05:12-13](rc://ur-deva/tn/help/luk/05/12)
* [रसूलों के आमाल 08:6-8](rc://ur-deva/tn/help/act/08/06)
* [रसूलों के आमाल 10:27-29](rc://ur-deva/tn/help/act/10/27)
* [कुलस्सियो 03:5-8](rc://ur-deva/tn/help/col/03/05)
* [1 थिस्सलुनीकियों 04:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1th/04/07)
* [याक़ूब 04:8-10](rc://ur-deva/tn/help/jas/04/08)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1249, H1252, H1305, H2134, H2135, H2141, H2398, H2548, H2834, H2889, H2890, H2891, H2893, H2930, H2931, H2932, H3001, H3722, H5079, H5352, H5355, H5356, H6172, H6565, H6663, H6945, H7137, H8552, H8562, G167, G169, G2511, G2512, G2513, G2839, G2840, G3394, G3689

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@ -0,0 +1,32 @@
# हुक्म,हुक्मों ,हुक्म दिया,हुक्म,ख़ुदा का हुक्म
## ता’अर्रुफ़:
“हुक्म देना”या’नी किसी को कुछ करने का हुक्म देना | “हुक्म” इन्सान को दिया गया हुक्म है|
अगरचे इन लफ़्ज़ों के बुनियादी तौर पर एक ही मा’नी हैं ,”हुक्म” अक्सर ख़ुदा के कुछ ज़रूरी हुक्मों को बताता है जो ज़्यादा सख़्त और मुस्तहकम हैं,जैसे “दस हुक्म’|
* हुक्म अस्बाती हो सकता है (अपने माँ -बाप की इज्ज़त करना) “या न मंज़ूरी करना (“चोरी मत कर”)
* “हुक्म हाथ में लेना” या’नी“इख़्तियार संभालना” या किसी काम या इन्सान की ज़िम्मेदारी संभालना”।
## तर्जुमे की सलाह:
* “इन्तिज़ाम ” लफ़्ज़ का तर्जुमा अलग मा’नी में किया जाना सबसे अच्छा है। “हुक्म” और “फ़रमान” की ता’रीफ़ से भी इसकी बराबरी करें।
* कुछ मुतर्जिम अपनी ज़बान में एक ही लफ़्ज़ के ज़रिए’ हुक्म और ख़ुदा के हुक्म का तर्जुमा करना पसंद कर सकते हैं।
* और मुतर्जिम ख़ुदा के हुक्म के लिए एक ख़ास लफ़्ज़ का इस्ते’माल करना पसंद कर सकते हैं, जो कि मुक़ामी, सख़्त हुक्मो को जो ख़ुदा ने बनाए हैं।
(देखें: [हुक्म](../other/decree.md), [फ़रमान](../other/statute.md), [इन्तिज़ाम](../other/law.md), [दस हुक्मो](../other/tencommandments.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [लूका 01:5-7](rc://ur-deva/tn/help/luk/01/05)
* [मत्ती 01:24-25](rc://ur-deva/tn/help/mat/01/24)
* [मत्ती 22:37-38](rc://ur-deva/tn/help/mat/22/37)
* [मत्ती 28:20](rc://ur-deva/tn/help/mat/28/20)
* [गिनती 01:17-19](rc://ur-deva/tn/help/num/01/17)
* [रोमियो 07:7-8](rc://ur-deva/tn/help/rom/07/07)
## शब्दकोश:
* Strong's: H559, H560, H565, H1696, H1697, H1881, H2706, H2708, H2710, H2941, H2942, H2951, H3027, H3982, H3983, H4406, H4662, H4687, H4929, H4931, H4941, H5057, H5713, H5749, H6213, H6310, H6346, H6490, H6673, H6680, H7101, H7218, H7227, H7262, H7761, H7970, H8269, G1263, G1291, G1296, G1297, G1299, G1690, G1778, G1781, G1785, G2003, G2004, G2008, G2036, G2753, G3056, G3726, G3852, G3853, G4367, G4483, G4487, G5506

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# तरस, रहम दिल
## ता’अर्रुफ़:
“तरस” लफ़्ज़ का हवाला इन्सानों के लिए फ़िक्र के जज़्बे से है। ख़ास करके दर्द मन्द लोगों के लिए “तरस खाने वाला” इन्सानों की फ़िक्र करके उनकी मदद करता है।
* “तरस” लफ़्ज़ का मतलब है इन्सानों की ख़बर लेना और उनकी मदद का कदम उठाना।
* किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा को तरस खानेवाला कहा गया है, या’नी वह मुहब्बत करने व रहमदिल है।
* कुलुस्से की कलीसिया को लिखे ख़त में पौलुस उनसे कहता है, “बडा तरस... किया करो” वह उन्हें हुक्म देता है कि वे आदमियों की ख़बर लें और जो ज़रूरतमन्द है, उनकी मदद करें।
## तर्जुमे की सलाह:
“तरस” के मा’नी हैं “रहम का जज़्बा” यह एक अलग ज़बान है जिसका मा’नी है “तरस” या “रहम”। और ज़बानों में इसका कलाम अलग ज़बान होगी |
* “तरस” (रहम) के तर्जुमे की और शक्लें हैं, “दिल की गहराई से ख़बर लेना” या “मदद रहम”
* “तरस खाने वाला” (रहमदिल) का तर्जुमा “ख़बर लेने वाला और मदद करने वाला” या “गहरी मुहब्बत व रहम करने वाला”
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [दानीएल 01:8-10](rc://ur-deva/tn/help/dan/01/08)
* [होसे’अ 13:14](rc://ur-deva/tn/help/hos/13/14)
* [याक़ूब 05:9-11](rc://ur-deva/tn/help/jas/05/09)
* [यूनाह 04:1-3](rc://ur-deva/tn/help/jon/04/01)
* [मरकुस 01:40-42](rc://ur-deva/tn/help/mrk/01/40)
* [रोमियो 09:14-16](rc://ur-deva/tn/help/rom/09/14)
## शब्दकोश:
* Strong's: H2550, H7349, H7355, H7356, G1653, G3356, G3627, G4697, G4834, G4835

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# इल्ज़ाम लगाना ,मुजरिम, बुराई ,सज़ा का हुक्म
## ता’अर्रुफ़:
“इल्ज़ाम लगाना” और “सज़ा का हुक्म” या’नी ग़लत काम के लिए किसी का इन्साफ़ करना।
* “इल्ज़ाम लगाना” में किसी इन्सान को उसके ग़लत काम के लिए सज़ा देना शामिल होता है।
* कभी-कभी “इल्ज़ाम लगाना” के मा’नी किसी पर झूठा इल्ज़ाम लगाना या किसी का बेरहमी से इन्साफ़ करना होता है।
यह “इलज़ाम” लफ्ज़ किसी काम को ज़ाहिर करता है जो किसी पर किसी तरह की फटकार करता है |
## तर्जुमा कीसलाह:
इस बात पर मुनहसिर है की इसका तर्जुमा किया जा सकता है “बीदमिज़ाजीका ‘अदालत “ या “ऐब जोई “
“इलजाम लगाना “का तर्जुमा किया जा सकता है “वह ग़लत है “उसके गुनाहों की सज़ा उसे ज़रूर मिलना है |
* इस लफ़्ज़ “इल्ज़ाम”का ऐसा भी तर्जुमा किया जा सकता है “बदमिज़ाजी “और ज़ाहिर करता है “ग़लती की सज़ा”
(यह भी देखें: [‘अदालत ](../kt/judge.md). [सज़ा](../other/punish.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 यूहन्ना 03:19-22](rc://ur-deva/tn/help/1jn/03/19)
* [अय्यूब 09:27-29](rc://ur-deva/tn/help/job/09/27)
* [यूहन्ना 05:24](rc://ur-deva/tn/help/jhn/05/24)
* [लूका 06:37](rc://ur-deva/tn/help/luk/06/37)
* [मत्ती 12:7-8](rc://ur-deva/tn/help/mat/12/07)
* [अम्साल 17:15-16](rc://ur-deva/tn/help/pro/17/15)
* [ज़ुबूर 034:21-22](rc://ur-deva/tn/help/psa/034/021)
* [रोमियो 05:16-17](rc://ur-deva/tn/help/rom/05/16)
## शब्दकोश:
* Strong's: H6064, H7034, H7561, H8199, G176, G843, G2607, G2613, G2631, G2632, G2633, G2917, G2919, G2920, G5272, G6048

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bible/kt/confess.md Normal file
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@ -0,0 +1,36 @@
# मान लेना, मानकर, क़ुबूल करना , इक़रार करना
## ता’रीफ़:
इक़रार करने के मा’नी हैं क़ुबूल करना या ज़ोर देकर कहना कि कोई बात सच है | * “इक़रार करना”कहना या क़ुबूल करना है कि कोई बात सच है |
* “इक़रार” का बयान ख़ुदा के बारे में सच्चाई का निडरता से बयान करने से है। इसका बयान अपने गुनाह मान लेने से भी है।
कलाम में लिखा है कि अगर कोई इन्सान ख़ुदा के सामने अपने गुनाहों का इक़रार करे तो ख़ुदा उन्हें मुआ’फ़ कर देगा |
* याक़ूब अपने ख़त में लिखता है कि ईमानदार एक दूसरे के सामने अपने गुनाहों को मान लें तो इससे रूहानी शिफ़ा मिलती है।
* पौलुस रसूल ने फ़िलिप्पी की कलीसिया को ख़त लिखा कि एक दिन हर एक लोग इक़रार करेंगे कि ‘ईसा ही ख़ुदावन्द है।
* पौलुस ने यह भी कहा है कि इन्सान अगर ‘ईसा को ख़ुदावन्द कहकर इक़रार करें और यक़ीन करें कि ख़ुदा ने उसे मरे हुओं में से जिलाया तो वह नजात पाएंगे।
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून के मुताबिक़ “इक़रार करना”(मान लें)का तर्जुमा “क़ुबूल करना” या “गवाही देना” या मुनादी करना” या “मानना” या “साबित करना”हो सकता है|
* ”इक़रार” के तर्जुमे की शक्ल हो सकती है ,”मनादी” या “गवाही” या “ईमान का कहना” या “गुनाह का इक़रार”
(यह भी देखें: [ईमान](../kt/faith.md), [गवाही](../kt/testimony.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस:
* [1 यूहन्ना 01:8-10](rc://ur-deva/tn/help/1jn/01/08)
* [2 यूहन्ना 01:7-8](rc://ur-deva/tn/help/2jn/01/07)
* [याक़ूब 05:16-18](rc://ur-deva/tn/help/jas/05/16)
* [वा’इज़ 05:5-6](rc://ur-deva/tn/help/lev/05/05)
* [मत्ती 03:4-6](rc://ur-deva/tn/help/mat/03/04)
* [नहमियाह 01:6-7](rc://ur-deva/tn/help/neh/01/06)
* [फिलिप्पियों 02:9-11](rc://ur-deva/tn/help/php/02/09)
* [ज़बूर 038:17-18](rc://ur-deva/tn/help/psa/038/017)
## शब्दकोश:
* Strong's: H3034, H8426, G1843, G3670, G3671

25
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@ -0,0 +1,25 @@
# ज़मीर,’अक़्ल
## ता’अर्रुफ़:
ज़मीर इन्सान की सोच का हिस्सा है जिसके ज़रिये ख़ुदा उसे होशियार करता है जब वह कुछ गुनाह करता है |
* ख़ुदा ने इन्सान को ‘अक़्ल दिया है कि वह सही और ग़लत में फर्क़ कर पाए।
* जो इन्सान ख़ुदा के हुक्म मानता है उसके लिए कहा जाता है कि उसकी ‘अक़्ल “पाक” या “साफ़” या “खालिस ” है।
* अगर इन्सान का ज़मीर साफ़ है तो इसका मतलब है कि वह किसी भी गुनाह को छिपा नहीं रहा है |
* अगर इन्सान अपने ज़मीर की बात न सुने और गुनाह करते वक़्त उसे गुनाह का इल्म न हो तो इसका मतलब है कि उसका ज़मीर ग़लत काम के लिए हस्सास नहीं है। किताब-ए-मुक़द्दस इसे दागा गया ज़मीर कहती है, जिस पर ऐसा निशान लगा है जैसा गर्म लोहे से दागा जाता है। ऐसे ज़मीर को “बे हिस” या “गन्दा” कहा जाता है।
* इस लफ़्ज़ के मुमकिन तौर से तर्जुमे हो सकते हैं, “रूहानी नेक रहनुमा ” या “नेक ख़्याल”
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 तीमुथियुस 01:18-20](rc://ur-deva/tn/help/1ti/01/18)
* [1 तीमुथियुस 03:8-10](rc://ur-deva/tn/help/1ti/03/08)
* [2 कुरिन्थियों 05: 11-12](rc://ur-deva/tn/help/2co/05/11)
* [2 तीमुथियुस 01:3-5](rc://ur-deva/tn/help/2ti/01/03)
* [रोमियो 09:1-2](rc://ur-deva/tn/help/rom/09/01)
* [तीतुस 01:15-16
## शब्दकोश:
* Strong's: G4893

28
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@ -0,0 +1,28 @@
# पाक करना, पाक ठहरेगा, तहज़ीब
## ता’अर्रुफ़:
पाक करना का मतलब है, ख़ुदा की ख़िदमत के लिए किसी चीज़ या इन्सान को सौंप देना जिस इन्सान या चीज़ को मसह कर दिया गया उसे पाक और ख़ुदा के लिए अलग माना जाता था।
* इस लफ़्ज़ का मतलब “पाक करने” जैसा ही है लेकिन इसका और मतलब है, किसी को पूरी तरह से ख़ुदा की ख़िदमत के लिए अलग करना।
* ख़ुदा के लिए अलग की गई चीज़ों में क़ुर्बानी के जानवर , आतशी क़ुर्बान गाह और रहने के ख़ेमे थे।
* ख़ुदा के लिए इन्सानों का भी मसह किया गया था, काहिन , इस्राईली लोग और पहिलौठा।
* कभी-कभी “मसह” लफ़्ज़ का मतलब “पाकीज़गी” भी होता था। ख़ास करके जब इन्सान या चीजों को ख़ुदा की ख़िदमत के लिए तैयार किया जाता था जिससे कि वे पाक होकर ख़ुदा को क़ाबिल-ए-क़ुबूल हो।
## तर्जुमे की सलाह:
* “पाक करना” के ताजुमे हो सकते हैं, “ख़ुदा की ख़िदमत के लिए अलग करना" या "ख़ुदा की ख़िदमत के लिए पाक करना।”
* "मुक़द्दस " और "पाक करना" का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ध्यान दे।
(यह भी देखें: [पाक](../kt/holy.md), [खरा](../kt/purify.md), [पाक करने](../kt/sanctify.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 तीमुथियुस 04:3-5](rc://ur-deva/tn/help/1ti/04/03)
* [2 तवारीख़ 13:8-9](rc://ur-deva/tn/help/2ch/13/08)
* [हिज़क़ीएल 44:19](rc://ur-deva/tn/help/ezk/44/19)
## शब्दकोश:
* Strong's: H2763, H3027, H4390, H4394, H5144, H5145, H6942, H6944, G1457, G5048

31
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@ -0,0 +1,31 @@
# कोने का पत्थर, ख़ास पत्थर
## ता’अर्रुफ़:
“कोने का पत्थर” एक बड़ा पत्थर होता है जो ख़ास करके तराशा हुआ होता है और मकान की नींव में रखा जाता है।
* मकान के और सब पत्थर इस कोने के पत्थर के साथ में रखे जाते हैं।
* यह पत्थर कामिल तख्लीक़ की मज़बूती और इस्तिक़ामत के लिए बहुत अहमियत रखता है।
* नये ‘अहद नामे में ईमानदारों की जमा’त को मिसाल के तौर पर एक हैकल कहा गया है जिसका कोने का पत्थर मसीह ‘ईसा है।
* जिस तरह मकान के कोने का पत्थर पूरे मकान की जगह को संभालता है और सहारा देता है ठीक उसी तरह मसीह ‘ईसा ईमानदारों की जमा’त कोने का पत्थर है जिसके ज़रिये’वह संभाली हुई और मुस्तःक़म है।
## तर्जुमे की सलाह:
* “कोने के पत्थर” का तर्जुमा “माकन का ख़ास पत्थर” या “नींव का पत्थर” किया जा सकता है।
यहां ध्यान दें कि मक़सदी ज़बान में मकान की नींव के किसी हिस्से के लिए कोई लफ़्ज़ है जो ख़ास बुनियाद है। अगर ऐसा लफ़्ज़ है तो उस लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है।
* इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “मकान के कोने के लिए काम में लिया गया नींव का पत्थर”
* यह ज़रूरी है कि इस पत्थर के बड़े होने की सच्चाई से मा;मूर हो जो मकान के लिए एक ठोस और महफ़ूज़ सामान के तौर पर काम में लिया जाता है। अगर मकान की ता’मीर में पत्थर काम में नहीं लिए जाते हैं तो “बड़े पत्थर” के लिए कोई और लफ़्ज़ होगा और इसका ख़्याल ख़ास करके तराशा हुआ और जोड़ने के लिए बनाया गया है।
## किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के 'आमाल 04:11-12](rc://ur-deva/tn/help/act/04/11)
* [इफिसियों 02:19-22](rc://ur-deva/tn/help/eph/02/19)
* [मत्ती 21:42](rc://ur-deva/tn/help/mat/21/42)
* [ज़ुबूर 118:22-23](rc://ur-deva/tn/help/psa/118/022)
## शब्दकोश:
* Strong's: H68, H6438, H7218, G204, G1137, G2776, G3037

68
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@ -0,0 +1,68 @@
# ’अहद , ‘अहदों,नया ‘अहद
## ता’अर्रुफ़:
‘अहद एक ज़ाहिरी इक़रार नामा है जिसे दोनों फ़र्दों को निभाना होता है।
यह समझौता दो आदमियों , दो लोगों के झुण्ड में या ख़ुदा और इन्सानों के बीच हो सकता है।
* इन्सान जब एक दूसरे के साथ ‘अहद बांधते हैं तब वे कुछ वा’दे करते हैं और उनका पूरा करना ज़रूरी होता है।
* इन्सानों के बीच ‘अहद की मिसालें हैं, शादी , तिजारती समझौते तथा मुल्कों के बीच सुलह
* पूरे कलाम में ख़ुदा ने अपने लोगों के साथ बहुत से ‘अहद बांधे हैं।
* कुछ ‘अहदों में ख़ुदा ने बिना शर्त अपन किरदार निभाने का वा’दा किया है। * मिसाल के तौर पर जब ख़ुदा ने इन्सानों के साथ ‘अहद बांधा था कि वह ज़मीन को पानी के अज़ाब से कभी हलाक नहीं करेगा तो उसमें इन्सानों का कोई किरदार नहीं था ।
* और वा’दों में ख़ुदा ने अपन किरदार निभाने की शर्तें रखी थी कि इन्सान हुक्मों को मानें और अपना फ़र्ज़ निभाएं।
इस लफ़्ज़ के तम्सीली”नया ‘अहद “’ईसा की कुर्बानी के ज़रिये ऐसे लोगों के साथ इरादा या ‘अहद से मतलब रखता है |
* किताब-ए-मुक़द्दस के “नए ‘अहद नामे “के नाम से खुदा के “नए अहद “के बारे में बताया है |
* ये नया अहद “पुराने अहद नामे “या पिछले अहद के बार ख़िलाफ़ है जिस को खुदा ने इस्राईलियों के साथ बना दिया था
* नया “वादा”एक से ज़्यादा हैं क्यूँकि ये ‘ईसा की क़ुर्बानी पर मुनहसिर है जो मुकम्मल तौर पर लोगों के गुनाहों के लिए ज़ोर दिया गया है | पुराने अहद के तहत कुर्बानियों के ज़रिये नहीं किया |
* ख़ुदा अपने लोगों के दिलों पर जो ‘ईसा में ईमान रखते हैं उन को हाकिम बनाता है | यह उन लोगों की वजह से है जो ख़ुदा की फरमाबरदारी और मुक़द्दस ज़िन्दगी को फिर से शुरू करना चाहते हैं |
* नये सरदार को पूरे तरह आखीर के दिनों में पूरा करेगा जब खुदा ज़मीन पर ऐसे हाकिमो को कायेम करेगा | सब कुछ एक बार फिर बहुत अच्छा होगा ,क्यूँकि जब खुदा ने पहले दुनिया को बनाया |
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून के तर्जुमें इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बंधा समझौता” या “पूरा सौंपना ” या “जुड़ा ” या “’अहद में बंधा ”।
* कुछ ज़बानों में ‘अहद बांधने की एक तरफ़ा या दो तरफ़ा वा’दों के मुताबिक़ अलग-अलग लफ़्ज़ होते हैं। अगर ‘अहद एक तरफ़ा है तो इसका तर्जुमा “वा’दा” या “’अहद ” हो सकता है।
* तय करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसा न सुनाई दे कि आदमियों ने ‘अहद को पेश किया है। ख़ुदा और आदमियों के बीच सब वादों में ख़ुदा ही ‘अहद का वाकिफ़ है।
नया ‘अहद “इस्तलाह “नए रस्मी ‘अहद “या ‘अहद को दिया “के तौर पर तर्जुमा किया जाता है |
इन इज़हार में “नया”लफ़्ज़ ताज़ा या “नई किस्म “या दूसरे का मतलब है |
(यह भी देखें: [नया ‘अहद](../kt/covenant.md), [वा’दा](../kt/promise.md))
## किताब-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 09:11-13](rc://ur-deva/tn/help/gen/09/11)
* [पैदाइश 17:7-8](rc://ur-deva/tn/help/gen/17/07)
* [पैदाइश 31:43-44](rc://ur-deva/tn/help/gen/31/43)
* [ख़ुरूज 34:10-11](rc://ur-deva/tn/help/exo/34/10)
* [यहोशू' 24:24-26](rc://ur-deva/tn/help/jos/24/24)
* [2 समूएल 23:5](rc://ur-deva/tn/help/2sa/23/05)
* [2 सलातीन 18:11-12](rc://ur-deva/tn/help/2ki/18/11)
* [मरकुस 14:22-25](rc://ur-deva/tn/help/mrk/14/22)
* [लूका 01:72-75](rc://ur-deva/tn/help/luk/01/72)
* [लूका 22:19-20](rc://ur-deva/tn/help/luk/22/19)
* [रसूलों के 'आमाल 07:6-8](rc://ur-deva/tn/help/act/07/06)
* [1 कुरन्थियों 11:25-26](rc://ur-deva/tn/help/1co/11/25)
* [2 कुरन्थियों 03:4-6](rc://ur-deva/tn/help/2co/03/04)
* [गलतियों 03:17-18](rc://ur-deva/tn/help/gal/03/17)
* [इब्रानियों 12:22-24](rc://ur-deva/tn/help/heb/12/22)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[04:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/09)__ फिर ख़ुदा ने अब्राम के साथ एक __’अहद __ बांधा। __’अहद __ दो जमा’तों के बीच एक रज़ामन्दी होती है।
* __[05:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/05/04)__ “मैं इस्माईल को भी एक बड़ी कौम बनाऊंगा, लेकिन मेरा __’अहद __ इसहाक़ के साथ होगा ।”
* __[06:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/06/04)__ एक लंबे वक़्त के बा’द इब्राहीम की मौत हो गयी, ख़ुदा ने इब्राहीम से जो __’अहद __ किया था उसके मुताबिक़ , ख़ुदा ने इसहाक़ को बरकत दी।
* __[07:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/07/10)__ ख़ुदा ने इब्राहीम के नस्लों के बारे में जो __’अहद __ उससे किया था , वह इब्राहीम से इसहाक़ और इसहाक़ से याक़ूब कोदिया ”
* __[13:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/02)__ ख़ुदा ने मूसा से कहा कि वह इस्राईलियों से कहे ,“ अब अगर तुम ज़रूर मेरी मानोगे, और मेरे __’अहद __ को माना करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरे लोग ठहरोगे, सारी ज़मीन तो मेरी है, और तुम मेरी निगाह में काहिनो का मुल्क और मुक़द्दस कौम ठहरोगे।”
* __[13:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/04)__ ख़ुदा ने उन्हें __'अहद __ दिया और कहा, “मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे ग़ुलामी के घर या’नी मिस्र मुल्क से निकाल लाया है। तू मुझे छोड़ दूसरों को ख़ुदा करके न मानना।”
* __[15:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/15/13)__ तब यशू’अ ने इस्राईलियों को वह __'अहद __ याद दिलाया जो उन्होंने ख़ुदा के साथ सीना पहाड़ पर किया था , कि वह उसको माना करेंगे।
* __[21:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/05)__ यर्मियाह नबी के ज़रिये' खुदा ने वा'दा किया था कि वह __'अहद __करेगा ,लेकिन सिनाई में इस्राईल के साथ किये गये 'अहद की तरह नहीं | में_वा'दा_ख़ुदा लोगों के दिल पर अपनी शरी'अत लिखेंगे लोग ख़ुदा को शख्सी तौर पर जानेगे वह उनके लोग होंगे और ख़ुदा उनके गुनाहों को मु'आफ़ करेगा | मसीह नया _'अहद _शुरू' करेगा |
* __[21:14](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/14)__ मसीह की मौत और दोबारा ज़िन्दा होने के ज़रिये से ,ख़ुदा गुनहगारों को बचाने और __'अहद __को शुरू और पूरा करने का मंसूबा बनायेगा | .
* __[38:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/05)__ फिर 'ईसा ने एक प्याला लिया और कहा,"इसे पियो | यह मेरा खून __'अहद __तुम्हारे लिए अहद का है जो तुम्हारे गुनाहों की मु'आफी के लिए बहाया जाता है | हर बार जब आप इसे पीते है तो मुझे याद रखने के लिए ऐसा करें |
* __[48:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/48/11)__ लेकिन ख़ुदा ने अब एक __'अहद __ बनाया है जो हर किसी के लिए मौजूद है |. इस वजह से __'अहद__किसी भी इन्सान की कौम से कोई भी 'ईसा में यक़ीन करके ख़ुदा के लोगों का हिस्सा बन सकता है |
## शब्दकोश:
* Strong's: H1285, H2319, H3772, G802, G1242, G4934

27
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@ -0,0 +1,27 @@
# वा’दा की सच्चाई,वा’दा की वफ़ादारी ,महरबानी
## ता’अर्रुफ़:
इस लफ़्ज़ से ख़ुदा के ज़रिये’ उसके लोगों से किये गए वह वा’दों को पूरा करने लिए ख़ुदा की वफ़ादारी ज़ाहिर होती है।
* “ख़ुदा ने इस्राईल से जो वादे किये थे वे रस्मी मुआ’हदः “’अहद ” में थे
* यहोवा के “वा’दा की यक़ीन के लायक़ ” या “वा’दे की वफ़ादारी ” का मतलब है कि वह अपने लोगों से किये गये वा’दों को पूरा करता है।
* ;अहद के वा’दों को पूरा करने में ख़ुदा की वफ़ादार का मतलब है, उसके लोगों के लिए उसके फज़ल की मर्ज़ी |
* “वफ़ादार ” (मुहब्बत /महरबानी ) एक और लफ़्ज़ है जिसका मतलब है वा’दे को करना और कहने में सौंपना व मुनहसिर करने लायक़ जिससे किसी को फ़ायदा हो।
## तर्जुमे की सलाह:
इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुनहसिर करेगा कि “’अहद ” और “यक़ीन के लायक़ ” तर्जुमा कैसे किया गया है।
* इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के और तरीके हैं, “भरोसे मन्द मुहब्बत ” या “वफ़ादारी के साथ हवाले करना ” या “यक़ीनी मुहब्बत |”।
(यह भी देखें: [अहद](../kt/covenant.md), [ईमान](../kt/faithful.md), [फ़ज़ल](../kt/grace.md), [इस्राईल](../kt/israel.md), [ख़ुदा के लोग](../kt/peopleofgod.md), [वा’दा](../kt/promise.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [‘अज्रा 03:10-11](rc://ur-deva/tn/help/ezr/03/10)
* [गिनती 14:17-19](rc://ur-deva/tn/help/num/14/17)
## शब्दकोश:
* Strong's: H2617

40
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@ -0,0 +1,40 @@
# सलीब
## ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में सलीब एक लकड़ी का खंभा होता था जिसे ज़मीन में गाड़ कर खड़ा किया जाता था, उसके ऊपरी हिस्से में एक तिरछा खंभा जोड़ा जाता था।
* रोमी सल्तनत के वक़्त में, रोमी हुकूमत ने ख़ताकारों को सलीब पर बांध कर या कीलों से ठोंक कर मरने के लिए छोड़ देते थे।
* ‘ईसा पर ख़ता का झूठा इल्ज़ाम लगाकर रोमियों ने उसे सलीब की मौत दी थी।
* ध्यान दें कि यह काम "पार करना" एक अलग लफ़्ज़ है, जिसका मतलब है कि किसी नदी के किनारे या झील के दूसरी ओर जाना।
## तर्जुमें की सलाह:
* इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान में सलीब का मतलब ज़ाहिर करने वाले लफ़्ज़ से किया जा सकता है।
* सलीब की बयान इस तरह करें कि ज़ाहिर हो कि उस पर आदमियों को मौत की सज़ा दी जाती थी जैसे “सलीबी ” या “पेड़ की मौत ”।
* मुक़ामी ज़बान और क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ध्यान दें। (देखें: [अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें ](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown)
(यह भी देखे: [सलीब पर चढ़ाना](../kt/crucify.md), [रोम](../names/rome.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 कुरिन्थियों 01:17](rc://ur-deva/tn/help/1co/01/17)
* [कुलुस्सियों 02:13-15](rc://ur-deva/tn/help/col/02/13)
* [गलातियों 06:11-13](rc://ur-deva/tn/help/gal/06/11)
* [यूहन्ना 19:17-18](rc://ur-deva/tn/help/jhn/19/17)
* [लूका 09:23-25](rc://ur-deva/tn/help/luk/09/23)
* [लूका 23:26](rc://ur-deva/tn/help/luk/23/26)
* [मत्ती 10:37-39](rc://ur-deva/tn/help/mat/10/37)
* [फिलिप्पियों 02:5-8](rc://ur-deva/tn/help/php/02/05)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[40:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/01)__ सिपाहियों के ज़रिये’ ‘ईसा का मज़ाक उड़ाने के बा’द, वह ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिये ले गए। उन्होंने ‘ईसा से वो __सलीब __ उठवाया जिस पर उसे मरना था।
* __[40:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/02)__ सिपाही ‘ईसा को उस जगह पर ले गए जो गुलगुता या खोपड़ी की जगह कहलाती है, वहाँ पहुँचकर __सलीब __ पर उसके हाथों और पाँवों को कीलो से ठोक दिया।
* __[40:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/05)__ यहूदी और और लोग जो भीड़ में थे वह ‘ईसा का मज़ाक उड़ा रहे थे। यह कहकर कि, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो __सलीब __ पर से उतर जा, और अपने आप को बचा। तब हम तुझ पर ईमान लायेंगे ”
* __[49:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/10)__ जब ‘ईसा __सलीब __ पर मरे, उन्होंने तुम्हारा क़ुसूर अपने ऊपर ले लिया।
* __[49:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/12)__ तुम्हें यक़ीन करना होगा कि ‘ईसा ख़ुदा का बेटा है, कि वह तुम्हारी जगह __सलीब __ पर क़ुर्बान हुआ, और यह कि ख़ुदा ने उसे फिर मुर्दों में से ज़िन्दा कर दिया।
## शब्दकोश:
* Strong's: G4716

39
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@ -0,0 +1,39 @@
# सलीब पर चढ़ा, सलीब पर चढ़ाया
## ता’रीफ़:
“सलीब पर चढ़ा” या’नी किसी को सलीब पर लटका कर छोड़ देना कि वह दर्द में होकर मर जाए।
* मुजरिम को सलीब पर बांध कर लटकाया जाता या कीलों से ठोंक कर लटकाया जाता था। सलीब पर लटकाया हुआ आदमी ख़ून की कमी से या सांस लेने में कठिनाई की वजह से मर जाता था।
* पुराने रोमी सल्तनत में सजाए-ए- मौत की यह तरकीब हमेशा काम में ली जाती थी, ख़ास करके ख़तरनाक मुजरिमों के लिए या हुकूमत के बाग़ियों के लिए।
* यहूदियों के रहनुमाओं ने रोमी हाकिमों को मजबूर किया कि वह ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिए सिपाहियों को हुक्म दे। सिपाहियों ने ‘ईसा को कीलों से सलीब पर ठोंका था। ‘ईसा ने मरने से पहले छः घंटे दुःख उठाया था।
## तर्जुमे की सलाह:
* सलीब पर चढ़ाने का तर्जुमा किया जा सकता है, “सलीब पर मौत ” या “सलीब पर कीलों से ठोक कर सज़ा -ए-मौत देना”।
(यह भी देखें: [सलीब](../kt/cross.md), [रोम](../names/rome.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के 'आमाल . 02:22-24](rc://ur-deva/tn/help/act/02/22)
* [गलतियों 02: 20-21](rc://ur-deva/tn/help/gal/02/20)
* [लूका 23:20-22](rc://ur-deva/tn/help/luk/23/20)
* [लूका 23:33-34](rc://ur-deva/tn/help/luk/23/33)
* [मत्ती 20:17-19](rc://ur-deva/tn/help/mat/20/17)
* [मत्ती 27:23-24](rc://ur-deva/tn/help/mat/27/23)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[39:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/11)__ लेकिन यहूदी रहनुमाओं और भीड़ ने चिल्लाकर कहा कि, “उसे सलीब पर चढाओं।”
* __[39:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/12)__ लेकिन पिलातुस डर गया कि कही कोलाहल न मच जाए, इसलिये उसने ‘ईसा को __सलीब पर चढ़ाए__ जाने के लिए सिपाहियों को सौंप दिया।
* __[40:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/01)__ सिपाहियों के ज़रिये’ ‘ईसा का मज़ाक उड़ाने के बा’द, वह ‘ईसा को __सलीब पर चढ़ाने__ के लिये ले गए। उन्होंने ‘ईसा से वो सलीब उठवाया जिस पर उसे मरना था।
* __[40:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/04)__ ‘ईसा को दो डाकुओ के बीच __सलीब पर चढ़ाया__ गया।
* __[43:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/06)__ “हे इस्राईलियो ये बातें सुनो: ‘ईसा नासरी एक इन्सान था, जिसने ख़ुदा की ताक़त से कई मोजिज़े के कामों और निशानों को ज़ाहिर किया, जो ख़ुदा ने तुम्हारे बीच उसके ज़रिये’कर दिखाए जिसे तुम आप ही जानते हो तुम ने गुनहगारों के हाथ उसे सलीब पर चढ़वाकर मार डाला।”
* __[43:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/09)__ "उसी ‘ईसा को जिसे तुमने सलीब पर चढ़ाया।”
* __[44:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/44/08)__ तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “’ईसा मसीह की क़ुव्वत से यह आदमी तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है। तुमने ‘ईसा को __सलीब पर चढ़ाया__, लेकिन ख़ुदा ने मरे हुओं में से जिलाया।”
## शब्दकोश:
* Strong's: G388, G4362, G4717, G4957

46
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# ला’नत , ला’नती , ला’नत दे, कोसता है
## ता’अर्रुफ़:
यह लफ़्ज़ “ला’नत ” का मतलब है कि नकारात्मक चीज़े किसी आदमी या चीज़ के साथ हो जिसे ला’नत दी जा रही है।
* ला’नत एक बोल है कि किसी की नुक़सान हो।
* किसी को ला’नत देना एक कलाम या ख़्वाहिश भी हो सकती है कि उस आदमी के साथ बुरा हो।
* इसका बयान किसी के लिए किसी के ज़रिए’ सज़ा देना या दिया जाना या कुछ बुरा सोचना होता है।
## तर्जुमे की सलाह:
* इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बुरा करवाना” या “बुराई का ऐलान करना” या “बुरी बातें होने की क़सम खाना”, हो सकता है।
* फ़र्माबरदार इन्सानों पर ख़ुदा की ला’नत के बारे में तर्जुमा इस तरह हो सकता है, “बुराई होने की इजाज़त के ज़रिये सज़ा देना”
* “ला’नती ” लफ़्ज़ जब आदमियों के लिए हो तो इसका तर्जुमा हो सकता है “(इसआदमी ) ज्यादा परेशानी का तजुर्बा होगा”।
* जुमलों "ला’नती होना" का तर्जुमा किया जा सकता है, "(उस आदमी ) कठिनाइयों का तजुर्बा हो सकता है।"
* जुमलों , "ला’नती ज़मीन है" का तर्जुमा किया जा सकता है, "ज़मीन उपजाऊ नहीं होगी।"
* “ला’नती हो, जिस दिन मै पैदा हुआ" का भी तर्जुमा किया जा सकता है, "मैं इतना दुखी हूं, बेहतर होता कि मै पैदा ही नहीं होता।"
* हालांकि, अगर मकसदी ज़बान में जुमलों "ला’नती है" है और इसका मतलब एक ही है, तो उसी जुमले को रखना अच्छा है।
(यह भी देखें: [बरकत](../kt/bless.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 14:24-26](rc://ur-deva/tn/help/1sa/14/24)
* [2 पतरस 02:12-14](rc://ur-deva/tn/help/2pe/02/12)
* [गलातियों 03:10-12](rc://ur-deva/tn/help/gal/03/10)
* [गलातियों 03:13-14](rc://ur-deva/tn/help/gal/03/13)
* [पैदाइश 03:14-15](rc://ur-deva/tn/help/gen/03/14)
* [पैदाइश 03:17-19](rc://ur-deva/tn/help/gen/03/17)
* [या'कूब 03:9-10](rc://ur-deva/tn/help/jas/03/09)
* [गिनती 22:5-6](rc://ur-deva/tn/help/num/22/05)
* [ज़ुबूर 109:28-29](rc://ur-deva/tn/help/psa/109/028)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाल:
* __[02:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/02/09)__ ख़ुदा ने साँप से कहा, “तुम __लानती __ हों।”
* __[02:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/02/11)__ “अब ज़मीन __लानती __ है, और तुम्हें उसकी पैदावार खाने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी।”
* __[04:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/04)__ “जो तुझे बरकत देंगे उन्हें मैं बरकत दूँगा और जो तुझे __लानत __ देंगे उन्हें मैं __लानत __ दूँगा।”
* __[39:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/07)__ तब पतरस क़सम खाने लगा, “अगर मैं उस आदमी को जानता हूँ तो ख़ुदा मुझे __लानत __ दे।”
* __[50:16](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/16)__ क्योंकि आदम और हव्वा ने ख़ुदा की हुक्म उदूली किया और इस दुनिया में गुनाह को लाए, इसलिये ख़ुदा ने इसे __बद्दुआ दिया__ और इसे हलाक करने का फ़ैसला किया।
## शब्दकोश:
* Strong's: H422, H423, H779, H1288, H2763, H2764, H3994, H5344, H6895, H7043, H7045, H7621, H8381, G331, G332, G685, G1944, G2551, G2652, G2653, G2671, G2672, G6035

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# सिय्यून की बेटी
## ता’अर्रुफ़
“सिय्यून की बेटी” इस्राईल के लोगों का ज़िक्र करने करने के लिए एक मा’क़ूल तरीक़ा है| इसका इस्ते’माल अमूमन नबूव्वतों में किया जाता है |
* पुराने ‘अहदनामे में “सिय्यून” लफ़्ज़ यरुशलीम का दूसरा नाम है|
* “सिय्यून” और “यरुशलीम” दोनों लफ़्ज़ इस्राईल के लिए काम में लिए गए हैं|
* लफ़्ज़ “बेटी” परेशानी या अफ़सोस का लफ़्ज़ है| यह ख़ुदावन्द के ज़रिए’ उसकी क़ौम के लिए उसके सब्र और निगहबानी की एक इस्ता’रा है|
## तर्जुमे की सलाह:
* इसके तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “सिय्यून से, मेरी बेटी इस्राईल” या “सिय्यून के लोग, जो मेरे लिए बेटी जैसे हैं” या “सिय्यून, मेरे अज़ीज़ लोग इस्राईल|
* लफ़्ज़ रखना बेहतर है “सिय्यून” इस इज़हार में यह किताब-ए-मुक़द्दस में कई बार इस्ते’माल हुआ है| इसके ‘अलामती मतलब और नबूव्वत के इस्ते’माल की वज़ाहत के लिए एक नुक़्ते को भी शामिल किया जा सकता है|
* इस इज़हार के तर्जुमे में “बेटी” यह भी इसतिलाह में रखना बेहतर है, क्यूँकि इसे सही तरीक़े से समझा जा सके|
(यह भी देखें: [यरुशलीम](../names/jerusalem.md), [नबी](../kt/prophet.md), [सिय्यून](../kt/zion.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [यरमियाह 06:1-3](rc://ur-deva/tn/help/jer/06/01)
* [युहन्ना 12:14-15](rc://ur-deva/tn/help/jhn/12/14)
* [मत्ती 21:4-5](rc://ur-deva/tn/help/mat/21/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1323, H6726

31
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# ख़ुदावन्द का दिन, यहोवा का दिन
## तफ़सील:
पुराने ‘अहद नामे में “यहोवा का दिन” एक मुक़र्रर वक़्त के बारे में है जब ख़ुदा इन्सानों को उनके गुनाह की सज़ा देगा|
* नये ‘अहदनामे के लफ़्ज़ “ख़ुदावन्द का दिन” उस दिन या वक़्त के बारे में है जब ख़ुदावन्द ‘ईसा दुबारा आएगा और आख़िर के वक़्त में इन्सानों का इन्साफ़ करेगा।
* यह आख़िर, इन्साफ़ और क़यामत का या आख़िरी वक़्त जिसे “आख़िरी दिन” भी कहते हैं| यह वक़्त तब शुरू’ होगा जब ख़ुदावन्द ‘ईसा गुनाहगारों का इन्साफ़ करने दुबारा आएगा और अपनी हमेशा की बादशाही क़ायम करेगा।
* लफ़्ज़ “दिन” इन जुमलों में कभी-कभी हक़ीक़त में दिन के ही बारे में होता है या यह कभी “वक़्त” या “मौक़े” के बारे में हो सकता है जिसकी मुद्दत दिन से ज़्यादा हो सकती है।
* कभी-कभी सज़ा को “ख़ुदा का ग़ज़ब नाज़िल होना” भी कहते हैं जो ईमान नहीं करने वालों पर आएगा।
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून पर मुनहस्सिर, दूसरे तरीक़े से “यहोवा का दिन” का तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा का वक़्त” या “वह वक़्त जब यहोवा अपने दुश्मनों को सज़ा देगा” या “यहोवा के ग़ज़ब का वक़्त."
* “ख़ुदावन्द का दिन” का तर्जुमे दूसरे तरीक़े से हो सकते हैं, “ख़ुदावन्द के इन्साफ़ का वक़्त” या “वह वक़्त जब ख़ुदावन्द ‘ईसा इंसानों का इन्साफ़ करने आएगा”
(यह भी देखें: [दिन](../other/biblicaltimeday.md), [इन्साफ़ का दिन ](../kt/judgmentday.md), [ख़ुदावन्द](../kt/lord.md), [क़यामत](../kt/resurrection.md), [यहोवा](../kt/yahweh.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 कुरिन्थियों 05:3-5](rc://ur-deva/tn/help/1co/05/03)
* [1 थिस्सलुनीकियों 05:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1th/05/01)
* [2 पतरस 03:10](rc://ur-deva/tn/help/2pe/03/10)
* [2 थिस्सलुनीकियों 02:1-2](rc://ur-deva/tn/help/2th/02/01)
* [रसूलों के ‘आमाल 02:20-21](rc://ur-deva/tn/help/act/02/20)
* [फ़िलिप्पियों 1: 9-11](rc://ur-deva/tn/help/php/01/09)
## शब्दकोश:
* Strong's: H3068, H3117, G2250, G2962

23
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# ख़ादिम, ख़ादिमों
## ता’अर्रुफ़:
बुज़ुर्ग वह शख़्स होता है जो मक़ामी कलीसिया में ख़िदमत का काम करता है, और साथी ईमानदारों की ज़रूरतों जैसे, खाने या पैसे की मदद करता है|
* “बुज़ुर्ग” लफ़्ज़ यूनानी लफ़्ज़ “डीकन” से लिया गया है, जिसका मतलब “नौकर” या “वज़ीर” है|
* शुरू’आती कलीसिया के वक़्त ही से बुज़ुर्ग की ज़िम्मे’दारी कलीसिया में एक अच्छी ता’रीफ़ और ख़िदमत रही है।
* मिसाल के तौर पर, नये ‘अहदनामे के ज़माने में बुज़ुर्ग तय करते थे कि ईमानदार जो पैसा और खाना फ़राहम करवाते थे, उसका बंटवारा बेवाओं में बिना तरफ़दारी से किया जाए।
* “बुज़ुर्ग” लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है, “कलीसिया का ख़ादिम” या “कलीसियाई के काम करने वाला” या “कलीसिया का नौकर” या और कोई जुमला जिसके ज़रिए’ ज़ाहिर हो कि मक़ामी मसीही क़बीले के लिए फ़ायदेमन्द ख़ास काम के लिए रस्मी तौर पर मुक़र्रर किया गया शख़्स|
(यह भी देखें: [वज़ीर](../kt/minister.md), [नौकर](../other/servant.md))
## क़िताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 तीमुथियुस 03:8-10](rc://ur-deva/tn/help/1ti/03/08)
* [1 तीमुथियुस 03:11-13](rc://ur-deva/tn/help/1ti/03/11)
* [फ़िलिप्पियों 01:1-2](rc://ur-deva/tn/help/php/01/01)
## शब्दकोश:
* Strong's: G1249

38
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# बदरूह, बुरी रूह, नापाक रूह
## ता’अर्रुफ़
ये सब अलफ़ाज़ बदरूहों के बारे में हैं जो ख़ुदा के मुखालिफ़ रूहें हैं।
* ख़ुदा ने फ़रिश्ते की तख़लीक़ अपनी ख़िदमत के लिए की| शैतान ने जब ख़ुदा से मुख़ालिफ़त की तब कुछ फ़रिश्तों ने उसके साथ बग़ावत की और वे जन्नत से बाहर गिरा दिए गए। माना जाता है कि शैतान और बदरूहें ये “गिराए गए फ़रिश्ते” हैं।
* इन बदरूहों को कभी-कभी “नापाक रूहें” भी कहा गया है। “नापाक” या’नी “ख़राब” या “बुरी” या “गन्दी”
* शैतान की ख़िदमत में होने की वजह से वे बुरा काम करती हैं। कभी-कभी वे इन्सान में दाख़िल होकर उसे क़ाबू में कर लेती हैं।
* वे इन्सान से ज़्यादा ताक़तवर होती हैं लेकिन ख़ुदा से ज़्यादा नहीं।
## तर्जुमे की सलाह :
* लफ़्ज़ “बदरूह” का तर्जुमा हो सकता है “बुरी रूह”
* लफ़्ज़ “नापाक रूह” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़राब रूह” या “ग़लत रूह” या “बुरी रूह”
* यक़ीनी करें कि इनमें से कोई भी लफ़्ज़ या जुमला जो इसके तर्जुमे में इस्ते’माल हो उस लफ़्ज़ के मतलब एक न हो जो शैतान के लिए काम में लिया जाए।
* ये भी ख़याल रहे कि लफ़्ज़ “बदरूह” मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसा होगा। (देखें: [नामा’लूम लफ़्ज़ का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown)
(ये भी देखें: [बदरूह-से मुब्तिला](../kt/demonpossessed.md), [शैतान](../kt/satan.md), [झूठा मा’बूद](../kt/falsegod.md), [झूठे मा’बूद](../kt/falsegod.md), [फ़रिश्ता](../kt/angel.md), [बुराई](../kt/evil.md), [पाक](../kt/clean.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [या’कूब 02:18-20](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/18)
* [या’कूब 03:15-18](rc://ur-deva/tn/help/jas/03/15)
* [लूक़ा 04:35-37](rc://ur-deva/tn/help/luk/04/35)
* [मरकुस 03:20-22](rc://ur-deva/tn/help/mrk/03/20)
* [मत्ती. 04:23-25](rc://ur-deva/tn/help/mat/04/23)
## बाइबल कहानियों से मिसाल:
* __[26:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/26/09)__ बहुत से लोग जिनमें __बदरूहें__ थी, उन्हें ‘ईसा के पास लाया गया। जब ‘ईसा उन्हें हुक्म देता, तब __बदरूहे__ अक्सर यह चिल्लाते हुए बाहर निकलती थी कि, “तुम ख़ुदा के बेटे हों!”
* __[32:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/32/08)__ __बदरूह__ उस आदमी में से निकलकर सूअरों के अन्दर गई।
* __[47:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/05)__ लिहाज़ा: एक दिन जब वह ख़ादिमा चिल्लाने लगी, पौलुस ने मुड़कर उस __बदरूह__ से जो उसमे थी कहा, “मैं तुझे ‘ईसा मसीह के नाम से हुक्म देता हूँ कि उसमें से निकल जा। उसी घड़ी वह __वह बदरूह__ उसमें से निकल गई।
* __[49:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/02)__ वह पानी पर चला, तूफान को रोक दिया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, __बदरूहों__ को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए काफ़ी हो।
## शब्दकोश:
* Strong's: H2932, H7307, H7451, H7700, G169, G1139, G1140, G1141, G1142, G4190, G4151, G4152, G4189

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# बदरूहों से मुब्तिला
## ता’रीफ़:
एक शख़्स जो बदरूहों या बुरी रूहों से मुब्तिला हैं वह बदरूहों के ताबे’ रहता और बदरूह से ही करता है और सोचता है|
* अक्सर बदरूह में मुब्तिला इन्सान अपने को या और किसी को नुक़सान पहुँचाता है क्यूँकि बदरूह उससे ऐसा करवाती है|
* ‘ईसा ने बदरूह में मुब्तिला लोगों को चंगा किया; बदरूहों को हुक्म देकर कि उनमें से निकल जाएं। इसे अक्सर बदरूह निकालना कहा गया है।
## तर्जुमे की सलाह:
* दूसरे तरीक़े से इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बदरूह के क़ाबू में” या “बदरूह के ज़रिए’ क़ाबू” या “बदरूह का अन्दर रहना”
(इसे देखें: [बदरूह](../kt/demon.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [मरकुस 01:32-34](rc://ur-deva/tn/help/mrk/01/32)
* [मत्ती 04:23-25](rc://ur-deva/tn/help/mat/04/23)
* [मत्ती 08:16-17](rc://ur-deva/tn/help/mat/08/16)
* [मत्ती 08:33-34](rc://ur-deva/tn/help/mat/08/33)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
* __[26:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/26/09)__ बहुत से लोग जिनमें __बदरूहें थी__ , उन्हें ‘ईसा के पास लाया गया।
* __[32:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/32/02)__ जब वह झील की दूसरी तरफ पहुँचे तो तुरन्त एक शख़्स जिसमे __बदरूह थी__, ‘ईसा के पास दौड़कर आया।
* __[32:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/32/06)__ __बदरूह में मुब्तिला__ इन्सान ने ऊँचे लफ़्ज़ से चिल्लाकर कहा “ऐ ‘ईसा सबसे बड़े ख़ुदा के बेटे, मुझे तुझ से क्या काम है? मेहरबानी करके मुझे परेशानी न दे!”
* __[32:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/32/09)__ लोगों ने आकर उसको जिसमें __बदरूहें__ थीं, कपड़े पहने और इत्मिनान से बैठे देखा और एक ‘आम इन्सान की तरह सुलूक करते पाया ।
* __[47:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/03)__ हर दिन जब वह (पौलुस और सिलास) दु’आ करने की जगह जाते थे, तो एक ख़ादिमा उनका पीछा करती थी जिसमें __बदरूह थी__
## शब्दकोश:
* Strong's: G1139

45
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# शागिर्द, शागिर्दों
## ता’अर्रुफ़:
“शागिर्द” लफ़्ज़ उस इन्सान के बारे में है जो उस्ताद के साथ बहुत वक़्त गुज़ारता है और उस्ताद के किरदार और ता’लीमों से सीखता है।
* जो लोग ‘ईसा के पीछे चलते थे और उसकी ता’लीमों को सुनकर उन पर ‘अमल करते थे, वे उसके “शागिर्द” कहलाते थे।
* यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के भी शागिर्द थे।
* ‘ईसा के ख़िदमत के वक़्त के दौरान में उसके बहुत से शागिर्द थे और जो उसकी पैरवी करते और उसकी ता’लीमों को सुनते थे।
* ‘ईसा ने बारह शागिर्दों को चुना कि उसके क़रीबी पैरोकार हों, ये शख़्स उसके “रसूल” कहलाए।
* ‘ईसा के बारह रसूल उसके “शागिर्द” या “बारहों” जाने गए|
* ‘ईसा अपने आसमान पर जाने दे ठीक पहले, उसने अपने शागिर्दों को हुक्म दिया कि वे लोगों को ता’लीम दें और उन्हें भी ‘ईसा के शागिर्द बनना सिखाएं।
* जो कोई ‘ईसा पर ईमान रखता और उसकी ता’लीमों का ‘अमल करता है वह ‘ईसा का शागिर्द कहलाता है।
## तर्जुमे की सलाह:
* “शागिर्द” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए’ किया जाए जिसका मतलब है, “पैरवी करने वाला” या “तलबा” या “लफ़्ज़” या “सीखने वाला”।
* यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा दर्जे में ‘इल्म हासिल करने वाले तलबा के जैसा नहीं।
* यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “रसूल” लफ़्ज़ के तर्जुमे से अलग लफ़्ज़ हो।
(यह भी देखें: [रसूल](../kt/apostle.md), [यक़ीन](../kt/believe.md), [‘ईसा](../kt/jesus.md), [युहन्ना (बपतिस्मा देने वाला)](../names/johnthebaptist.md), [बारहों](../kt/thetwelve.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के ‘आमाल 06:1](rc://ur-deva/tn/help/act/06/01)
* [रसूलों के ‘आमाल 09:26-27](rc://ur-deva/tn/help/act/09/26)
* [रसूलों के ‘आमाल 11:25-26](rc://ur-deva/tn/help/act/11/25)
* [रसूलों के ‘आमाल 14:21-22](rc://ur-deva/tn/help/act/14/21)
* [यूहन्ना 13:23-25](rc://ur-deva/tn/help/jhn/13/23)
* [लूक़ा 06:39-40](rc://ur-deva/tn/help/luk/06/39)
* [मत्ती 11:1-3](rc://ur-deva/tn/help/mat/11/01)
* [मत्ती 26:33-35](rc://ur-deva/tn/help/mat/26/33)
* [मत्ती 27:62-64](rc://ur-deva/tn/help/mat/27/62)
## किताब-इ-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[30:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/30/08)__ ‘ईसा ने रोटियाँ और मछलियाँ तोड़-तोड़ कर __शागिर्दों__ को दी कि वे लोगों को परोसे। __ शागिर्दों __ ने रोटियाँ और मछलियाँ सब में बाँट दी, और रोटियाँ और मछलियाँ कम नहीं पड़ी।
* __[38:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/01)__ ‘ईसा मसीह के अवामी ता’लीमों के तीन साल बा’द अपनी पहली ता’लीम शुरू’ की। ‘ईसा ने अपने __ शागिर्दों __ से कहा कि वह यरूशलीम में उनके साथ ‘ईद का जश्न मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा।
* __[38:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/11)__ फिर वह गतसिमनी नाम की एक जगह में अपने __ शागिर्दों __ के साथ आया। ‘ईसा ने अपने __ शागिर्दों __ से कहा कि दु’आ करते रहो कि आज़माइश में न पड़ो।
* __[42:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/42/10)__ ‘ईसा ने अपने __ शागिर्दों __ से कहा, “ आसमान और ज़मीन का सारा इख़्तियार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप, और बेटे, और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दिया है, ‘अमल करना सिखाओ।”
## शब्दकोश:
* Strong's: H3928, G3100, G3101, G3102

27
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@ -0,0 +1,27 @@
# अदब, अदब करता, अदब किया, ख़ुदी
## ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “अदब” का मतलब है इख़लाक़ी सिफ़त के लिए हिदायात पर ‘अमल करने की सीख देना|
* वालिदैन अपने बच्चों को इख़लाक़ी रहनुमाई और हिदायात के ज़रिए’ अदब सिखाते हैं और उन्हें ‘अमल करने की ता’लीम देते हैं|
* इसी तरह ख़ुदा अपनी औलाद को (तहज़ीब) देता है कि तुम्हें ज़िन्दगी में अच्छे रूहानी फल लाने में मदद मिले जैसे, ख़ुशी, मुहब्बत और सब्र|
* अदब में हिदायात होते हैं कि ख़ुदा को ख़ुश करने वाली ज़िन्दगी कैसे जिएं और ख़ुदा की मुख़ालिफ़त की सिफ़त के लिए सज़ा भी दी जाती है।
* ज़ाती तहज़ीब, ज़िन्दगी में इख़लाक़ी और रूहानी उसूलों को अपनाने का ‘अमल है|
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून पर मुनहस्सिर “अदब” का तर्जुमा “ता’लीम और हिदायत ” या “इख़लाक़ी हिदायत” या “ग़लती की सज़ा” हो सकता है।
* “अदब” इस्म लफ़्ज़ का तर्जुमा इख़लाक़ी ता’लीम” या “सज़ा” या “इख़लाक़ी सुधार” या “इख़लाक़ी रहनुमाई एक हिदायत हो सकता है।”
## किताब-ए-मुक़द्स के बारे में:
* [इफ़िस्सियों 06:4](rc://ur-deva/tn/help/eph/06/04)
* [इब्रानियों 12:4-6](rc://ur-deva/tn/help/heb/12/04)
* [अम्साल 19:17-18](rc://ur-deva/tn/help/pro/19/17)
* [अम्साल 23:13-14](rc://ur-deva/tn/help/pro/23/13)
## शब्दकोश:
* Strong's: H4148, G1468

27
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@ -0,0 +1,27 @@
# ख़ुदाई
## ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “ख़ुदाई” का मतलब ख़ुदा से मुता’अल्लिक़ सारी बातें।
* कुछ तरीक़ों में इस लफ़्ज़ को इस तरह भी इस्ते’माल किया जा सकता है, “ख़ुदाई इख़्तियार” “ख़ुदाई फ़ैसला” “ख़ुदाई जलाल”।
* किताब-ए-मुक़द्दस के एक मज़मून में “ख़ुदाई” लफ़्ज़ झूठे मा’बूदों के बारे के बारे में भी काम में लिया गया है।
## तर्जुमे की सलाह :
* “ख़ुदाई” लफ़्ज़ के तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “ख़ुदा का” या “ख़ुदा से” या “ख़ुदा से मुता’अल्लिक़” या “ख़ुदाई सिफ़त”
* मिसाल के तौर पर, “ख़ुदाई इख़्तियार” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा का इख़्तियार” या “ख़ुदा का दिया हुआ इख़्तियार”।
* अलफ़ाज़ “ख़ुदाई जलाल” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा का जलाल” या “ख़ुदा में शामिल जलाल” या “ख़ुदा से ज़ाहिर जलाल”।
* कुछ तर्जुमों में बुतों से मुता’अल्लिक़ किसी बात को बताने के लिए अलग अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाता है।
(यह भी देखें: [इख़्तियार](../kt/authority.md), [झूठे मा’बूद](../kt/falsegod.md), [जलाल](../kt/glory.md), [ ख़ुदा](../kt/god.md), [इन्साफ़](../kt/judge.md), [क़ुव्वत](../kt/power.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [2 कुरिन्थियों 10:3-4](rc://ur-deva/tn/help/2co/10/03)
* [2 पतरस 01:3-4](rc://ur-deva/tn/help/2pe/01/03)
* [रोमियो 01:20-21](rc://ur-deva/tn/help/rom/01/20)
## शब्दकोश:
* Strong's: G2304, G2999

26
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@ -0,0 +1,26 @@
# इख़्तियार
## ता’अर्रुफ़:
“इख़्तियार” लफ़्ज़ का मतलब लोगों, जानवरों या ज़मीन पर हुकूमत, क़ाबू, या इख़्तियार है|
* ‘ईसा मसीह ने कहा है कि तमाम ज़मीन पर नबी, काहिन, और बादशाह के तौर पर हुकमरान हो|
* मसीह ‘ईसा की सलीबी मौत के ज़रिए’ शैतान की बादशाही हमेशा के लिए हार गई है।
* तख़लीक के वक़्त ख़ुदा ने कहा था कि इन्सान को मछली, परिन्दों और ज़मीन के सब जानदारों पर इख़्तियार है।
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ़्ज़ का तर्जुमा होगा, “इख़्तियार”, “क़ुव्वत” या “क़ाबू”।
* “पर इख़्तियार रखना” का तर्जुमा हो सकता है, “पर हुकूमत” या “इंतज़ाम करना”।
(यह भी देखें: [इख़्तियार](../kt/authority.md), [क़ुव्वत](../kt/power.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 पतरस 05:10-11](rc://ur-deva/tn/help/1pe/05/10)
* [कुलुस्सियों 01:13-14](rc://ur-deva/tn/help/col/01/13)
* [यहूदाह 01:24-25](rc://ur-deva/tn/help/jud/01/24)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1166, H4474, H4475, H4896, H4910, H4915, H7287, H7300, H7980, H7985, G2634, G2904, G2961, G2963

36
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@ -0,0 +1,36 @@
# मुन्तख़ब हुआ, मुन्तख़ब हुए, इन्तख़ाब करना, मुन्तख़ब लोग, मुन्तख़ब हुआ, मुन्तख़ब ।
## ता’अर्रुफ़:
“मुन्तख़ब हुए” का हक़ीक़ी मतलब है “मुन्तख़ब लोग” या “मुन्तख़ब हुई क़ौम” उन लोगों के बारे में है जिन्हें ख़ुदावन्द ने अपने लोग होने के लिए मुक़र्रर किया या अलग किया है। “मुन्तख़ब हुआ” या “ख़ुदावन्द का चुना हुआ”, 'अनवान जो 'ईसा को दिखाता है, जो मुन्तख़ब हुआ वह मसीह है।
* “मुन्तख़ब करना” लफ्ज़ का मतलब है किसी चीज़ को या किसी आदमी को मुन्तख़ब करना या किसी बात पर फैसला लेना। यह लफ्ज़ अक्सर ख़ुदावन्द की तरफ़ इंसानों को मुक़र्रर करने के लिए इस्ते'माल होता था कि वह अब उसके हैं और उसकी ख़िदमत के लिए हैं।
* “मुन्तख़ब हुए” का मतलब है “मुन्तख़ब” या “मुक़र्रर” कुछ होने के लिए या कुछ करने के लिए।
* ख़ुदावन्द ने इंसानों को पाक होने के लिए मुन्तख़ब किया, अच्छा रूहानी फ़ल लाने के लिए ख़ुदावन्द की तरफ़ से अलग किए गए। यही वजह है कि उन्हें “मुन्तख़ब हुए” या "मुन्तख़ब हुआ" कहते हैं।
* किताब-ए-मुक़द्दस में कभी-कभी “मुन्तख़ब हुओं” लफ्ज़ का इस्ते'माल किसी ख़ास शख्स के लिए किया गया है जैसे मूसा, दाऊद जिन्हें ख़ुदावन्द ने अपनी क़ौम के रहनुमा मुक़र्रर किया था। यह इस्राईल के उन लोगों के बारे में बताता है जो ख़ुदा के ज़रिए’ चुने गए हैं|
* “मुन्तख़ब हुआ” एक पुराना लफ्ज़ है जिसका मतलब है “मुन्तख़ब हुए” या “मुन्तख़ब हुए लोग” मक़सदी ज़बान में यह लफ्ज़ जब मसीही ईमानदारों के लिए इस्ते'माल किया गया तो यह जमा' में है।
* किताब-ए-मुक़द्दस के पुराने तहरीर में “मुन्तख़ब हुआ” लफ्ज़ नये 'अहद नामें और पुराने 'अहद नामें दोनों में “अलग किए हुओं” के लिए इस्ते'माल किया गया है। ज़्यादा जदीद तहज़ीबों में “मुन्तख़ब हुआ” लफ्ज़ सिर्फ़ उन लोगों के लिए इस्ते'माल किया गया है, जिसकी नजात ख़ुदावन्द ने मसीह 'ईसा के ज़रिए' किया है। किताब-ए-मुक़द्दस में दीगर जगहों में इस लफ्ज़ का तर्जुमा “मुन्तख़ब हुआ” के शक्ल में तर्जुमा करते हैं।
## तर्जुमे की सलाह:
* लिहाज़ा : अच्छा तो यह होगा कि इस लफ्ज़ का तर्जुमा, “मुन्तख़ब हुए लोग ” या “मुन्तख़ब हुई क़ौम” किया जाए। इसका तर्जुमा "उन लोगों के शक्ल में भी किया जा सकता है जिसे ख़ुदावन्द ने मुन्तख़ब" या "जिन्हें ख़ुदावन्द ने अपने लोग होने के लिए मुक़र्रर किया।"
* “जो मुन्तख़ब किए गए” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “जिन्हें मुक़र्रर किया” या “जो अलग किए गए” या “जिन्हें ख़ुदावन्द ने मुन्तख़ब किया ”।
* “मैंने तुझे चुन लिया है” इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “मैंने तुम्हें मुक़र्रर किया है” या “मैंने तुम्हें अलग किया है”।
* 'ईसा के बारे में, “मुन्तख़ब हुआ” का तर्जुमा “ख़ुदावन्द का मुन्तख़ब किया” या “ख़ुदा का ख़ास मुक़र्रर मसीह” या “जिसे ख़ुदा ने मुक़र्रर किया है” कि शक्ल में किया जा सकता है।
(यह भी देखें: [मुक़र्रर](../kt/appoint.md), [मसीह](../kt/christ.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [2 यूहन्ना 01:1-3](rc://ur-deva/tn/help/2jn/01/01)
* [क़ुलुस्सियों 03:12-14](rc://ur-deva/tn/help/col/03/12)
* [इफिसियों 01:3-4](rc://ur-deva/tn/help/eph/01/03)
* [यसायाह65:22-23](rc://ur-deva/tn/help/isa/65/22)
* [लूक़ा 18:6-8](rc://ur-deva/tn/help/luk/18/06)
* [मत्ती. 24:19-22](rc://ur-deva/tn/help/mat/24/19)
* [रोमियो 08:33-34](rc://ur-deva/tn/help/rom/08/33)
## शब्दकोश:
* Strong's: H970, H972, H977, H1262, H1305, H4005, H6901, G138, G140, G1586, G1588, G1589, G1951, G4400, G4401, G4758, G4899, G5500

24
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@ -0,0 +1,24 @@
# अफ़ोद
## ता'अर्रुफ़:
“अफ़ोद” एक तरह का लिबास होता था जिसे इस्राईलियों के काहिन पहना करते थे। इसके दो हिस्से थे, आगे का और पीछे का, कंधों पर जुड़ा और कमर पर कपड़े के बेल्ट से बांधा जाता था।
* एक और अफ़ोद था जो 'आम तौर पर मलमल का होता था और आम तौर पर काहिनों के ज़रिए' पहना जाता था।
* सरदार काहिन का अफ़ोद सोने और नीले, बैंगनी और लाल धागे से ख़ास तौर पर कढ़ाई किया जाता था।
* सरदार काहिन का चपरास अफ़ोद के सामने के हिस्से से जुड़ा होता था। काहिन के सीनाबन्द में ख़ुदा की ख्वाहिश जानने के लिए ऊरीम और तुमीम रहते थे।
* मुंसिफ़ गिदोन ने बेवकूफ़ी से सोने से एक अफ़ोद बनाया और यह ऐसा कुछ बन गया जो इस्राईली बुत की शक्ल में ‘इबादत करते थे।
(यह भी देखें: [काहिन](../kt/priest.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 02:18-19](rc://ur-deva/tn/help/1sa/02/18)
* [ख़ुरूज 28:4-5](rc://ur-deva/tn/help/exo/28/04)
* [होसे'अ 03:4-5](rc://ur-deva/tn/help/hos/03/04)
* [क़ुज़ात 08:27-28](rc://ur-deva/tn/help/jdg/08/27)
* [अह्बार 08:6-7](rc://ur-deva/tn/help/lev/08/06)
## शब्दकोश:
* Strong's: H641, H642, H646

64
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@ -0,0 +1,64 @@
# अबदियत, हमेशा के लिए, हमेशा की ज़िन्दगी
## ता'अर्रुफ़:
“अब्दियत” और “हमेशा” के मतलब तक़रीबन एक से ही हैं और हमेशा हाज़री या हमेशा के लिए बात का हवाला देते हैं।
* “हमेशा के लिए” इस बात का हवाला देते हैं जिसकी न शरू' या न ही आख़िर है। यह भी ज़िन्दगी का हवाला देता हैं जो कभी ख़त्म नही होता है |
* इस मौजूदह ज़मीन पर ज़िन्दगी के बा'द, इंसान ख़ुदावन्द के साथ जन्नत में या ख़ुदा से अलग जहन्नम में हमेशा ज़िन्दगी गुज़ारा करेंगे।
“हमेशा की ज़िन्दगी” और “अबदी की ज़िन्दगी” नये 'अहद नामें में ख़ुदावन्द के साथ जन्नत में हमेशा की ज़िन्दगी के लिए काम में लिए गए जुमले हैं।
* “ हमेशा और हमेश "का ख़याल है की कभी कभी ख़त्म नहीं होता और इज़हार करता है कि हमेशा या हमेशा की ज़िन्दगी कि तरह है |
* हमेशा के लिए" लफ्ज़ कभी ख़त्म होने वाला वक़्त नहीं है। * कभी-कभी इसका मतलब "बहुत लंबा वक़्त " की शक्ल में किया जाता है।
* लफ्ज़ "हमेशा के लिए और हमेशा" जोर देता है कि कुछ हमेशा होता या वजूद में रहता है।
* जुमले में "हमेशा और हमेशा"का इज़हार करने का एक तरीक़ा है जिसे अब्दी ज़िन्दगी या हमेशा की ज़िन्दगी किया है | उसके पास वक़्त का ख़याल भी है जो कभी नही ख़त्म होता है |
* ख़ुदा ने कहा कि दाऊद का तख़्त हमेशा हमेश के लिए करे गा | यह हक़ीक़त है की दाऊद की नस्ल 'ईसा हमेशा बादशाह के तौर पर हुक्मरानी करेगा |
## तर्जुमा की सलाह:
* “हमेशा” और “सदाकाल” का तर्जुमा करने के दोसरे तरीक़े, “अबदी” या “कभी नहीं रूकनेवाला” या “हमेशा चलनेवाला” हो सकता है।
* “अबदी ज़िन्दगी ” और “ला ज़वाल ज़िन्दगी” का तर्जुमा, “ज़िन्दगी जो कभी कभी ख़त्म नही होती या “ज़िन्दगी जो बग़ैर रुकने के बग़ैर जारी है ” या “ जिस्म का दोबारह हमेशा की ज़िन्दगी पाने के लिए” हो सकता है।
* जुमले के तौर पर “हमेशा के लिए ” का तर्जुमा तरीक़ों, “वक़्त के बाहर हाज़री” या “ख़त्म न होने वाली ज़िन्दगी ” या “जन्नत की ज़िन्दगी ” हो सकता है।
* मुक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमें में इस लफ्ज़ का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ग़ौर दें। (देखें: [ना वाक़िफ़ लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें ](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
* "हमेशा" का तर्जुमा "हमेशा" या "कभी ख़त्म नहीं होता" ज़रिए किया जा सकता है।
* जुमले "हमेशा के लिए चलेगा" का तर्जुमा "हमेशा मौजूद" या "कभी नहीं रुक जाएगा" या "हमेशा जारी रहेगा" कि शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
* ज़बरदस्त जुमला "हमेशा के लिए और हमेशा" का तर्जुमा "हमेशा और हमेशा के लिए" या "कभी ख़त्म नहीं होता" या "जो कभी ख़त्म नहीं होता" कि शक्ल में भी किया जा सकता है।
* दाऊद का तख़्त हमेशा तक जारी रहता है जैसाकि दौउद की नस्ल हमेशा के लिए करे गा " या "दौउद की एक नस्ल हमेशा के लिए करेगा " या "दाऊद की एक नस्ल हमेशा सल्तनत करेगी |
(यह भी देखें: [दाऊद](../names/david.md), [हुक्मरानी](../other/reign.md), [ज़िन्दगी](../kt/life.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाईश 17:7-8](rc://ur-deva/tn/help/gen/17/07)
* [पैदाईश 48:3-4](rc://ur-deva/tn/help/gen/48/03)
* [ख़ुरूज 15:17-18](rc://ur-deva/tn/help/exo/15/17)
* [2 समूएल 03:28-30](rc://ur-deva/tn/help/2sa/03/28)
* [1 सलातीन 02:32-33](rc://ur-deva/tn/help/1ki/02/32)
* [अय्यूब 04:20-21](rc://ur-deva/tn/help/job/04/20)
* [ज़बूर 021:3-4](rc://ur-deva/tn/help/psa/021/003)
* [यसा’याह 09:6-7](rc://ur-deva/tn/help/isa/09/06)
* [यसा’याह 40:27-28](rc://ur-deva/tn/help/isa/40/27)
* [दानीएल 07:17-18](rc://ur-deva/tn/help/dan/07/17)
* [लूक़ा18:18-21](rc://ur-deva/tn/help/luk/18/18)
* [रसूलों के 'आमाल . 13:46-47](rc://ur-deva/tn/help/act/13/46)
* [रोमियो 05:20-21](rc://ur-deva/tn/help/rom/05/20)
* ['इब्रानियों 06:19-20](rc://ur-deva/tn/help/heb/06/19)
* ['इब्रानियों 10:11-14](rc://ur-deva/tn/help/heb/10/11)
* [1 युहन्ना01:1-2](rc://ur-deva/tn/help/1jn/01/01)
* [1 युहन्ना 05:11-12](rc://ur-deva/tn/help/1jn/05/11)
* [मुक़ाशिफा01:4-6](rc://ur-deva/tn/help/rev/01/04)
* [मुक़ाशिफा22:3-5](rc://ur-deva/tn/help/rev/22/03)
## किताब-ए-मुक़द्दस की मिसालें:
* __[27:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/27/01)__ एक दिन, यहूदियों के क़ानून में एक माहिरीन 'ईसा का इम्तिहान लेने के लिए आया था, उन्होंने कहा, "उस्ताद, मुझे __हमेशा की ज़िन्दगी__ पाने के लिए क्या करना चाहिए ?"
* __[28:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/28/01)__ एक दिन, एक अमीर जवान हुक्मरान 'ईसा के पास आया और उससे पूछा, "अच्छा उस्ताद , मुझे क्या करना चाहिए __ हमेशा की ज़िन्दगी__को हासिल करने के लिए ?" 'ईसा ने उस से कहा, "तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो के अच्छा क्या है।? सिर्फ़ एक ही है जो अच्छा है, और वह ख़ुदावन्द है। लेकिन अगर तुम __ हमेशा की ज़िन्दगी__ पाना चाहते हो, तो ख़ुदा के क़ानून पर 'अमल करो । "
* __[28:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/28/10)__ 'ईसा ने जवाब दिया, "जिसने मेरे नाम के लिए घर, भाइयों, बहनों, बाप, माँ, बच्चों या दोलत को छोड़ दिया है, उसे सौ गुना ज़्यादा मिलेगा और __हमेशा की ज़िन्दगी__ भी हासिल करेगा।"
## शब्दकोश:
* Strong's: H3117, H4481, H5331, H5703, H5705, H5769, H5865, H5957, H6924, G126, G165, G166, G1336

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# खोजे, खोजों
## ता'र्रूफ़:
“खोजे” लफ्ज़ उस आदमी के बारे में है जिसका खस्सी किया गया हो। जवाब में यह लफ्ज़ सब सरकारी हुक्काम के लिए काम में आने लगा यहाँ तक कि ‘अदम इश्तहक़ाम के बगैर भी|
* 'ईसा ने कहा कि कुछ शोक़ ऐसे ही पैदा हुए थे जो मुम्किना अज्साम की वजह से या जिन्सी तौर पर काम करने के क़ाबिल नही थे | कुछ नामर्दों की तरह कुँवारी ज़िन्दगी गुज़ारती हैं।
* पुराने ज़माने में नामर्द शख्स बादशाह के ख़ादिम होते थे जिन्हें 'औरतों की हिफ़ाज़त के लिए रखा जाता था।
* कुछ नामर्द इन्सान ख़ास रियास्ती अफ़सर होते थे जैसे कूश मुल्क के खोजे जिससे फ़िलिप्पुस ने रेगिस्तान में क़ुर्बानी की थी।
(यह भी देखें: [फ़िलिप्पुस](../names/philip.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के ‘आमाल 08:26-28](rc://ur-deva/tn/help/act/08/26)
* [ रसूलों के ‘आमाल 08:36-38](rc://ur-deva/tn/help/act/08/36)
* [ रसूलों के ‘आमाल 08:39-40](rc://ur-deva/tn/help/act/08/39)
* [यसा’याह 39:7-8](rc://ur-deva/tn/help/isa/39/07)
* [यरमियाह 34:17-19](rc://ur-deva/tn/help/jer/34/17)
* [मत्ती 19:10-12](rc://ur-deva/tn/help/mat/19/10)
## शब्दकोश:
* Strong's: H5631, G2134, G2135

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bible/kt/evangelism.md Normal file
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@ -0,0 +1,26 @@
# ख़ुशख़बरी देने वाला, ख़ुशख़बरी सुनानेवाले
## ता'अर्रुफ़:
“मुबश्शिर” इन्सानों को मसीह 'ईसा की ख़ुश ख़बरी सुनाता है।
* “ख़ुश ख़बरी देने वाले” का हक़ीक़ी मतलब है “ख़ुशख़बरी सुनानेवाला”।
* 'ईसा ने अपने शागिर्दों को भेजा कि इन्सानों में ख़ुश ख़बरी सुनाया करें कि 'ईसा और गुनाह के छुटकारे को उसके क़ुर्बानी के ज़रीए’ ख़ुदावन्द की रियासत का हिस्सा कैसे बनें।
* सब मसीही ईमानदारों से आगाह किया जाता है कि इस ख़ुशख़बरी को सुनाएं।
* कुछ ईमानदारों को ख़ास रूहानी ने'मत हासिल है कि इन्सानों में इस ख़ुशख़बरी का मु'अस्सिर तबलीग़ करें। यह लोग कहा जाता है कि इंजील का तोहफ़ा है और उसे " मुब्शशिरींन " कहा जाता है |
## तर्जुमा की सलाह :
* “ख़ुशख़बरी सुनाना” लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुशख़बरी सुनाने वाला” या “ख़ुशख़बरी का उस्ताद” या “अच्छी ख़बर सुनानेवाला शख्स ('ईसा के बारे में)” या “ख़ुशख़बरी का 'ऐलान करना।”
(यह भी देखें: [ख़ुशख़बरी](../kt/goodnews.md), [रूह](../kt/spirit.md), [ने'मत ](../kt/gift.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [2 तीमुथियुस 04:3-5](rc://ur-deva/tn/help/2ti/04/03)
* [इफिसियों 04:11-13](rc://ur-deva/tn/help/eph/04/11)
## शब्दकोश:
* Strong's: G2099

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# बुराई, बदकार, बदकारी
## ता'अर्रुफ़:
“बुरा और बदकार” दोनों का हवाला उन बातों से है जो ख़ुदावन्द की ख़ुसूसियात और मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है।
* “बुरा” लफ्ज़ इन्सान के किरदार का बयान करता है, “बदकार” लफ्ज़ इन्सान के सुलूक का बयान करता है। ताहम, मतलब में दोनों लफ्ज़ बराबर हैं।
* “बुराई” का मतलब इन्सान के ज़रिए’ किए गए बुरे काम को ज़ाहिर करता हैं।
* बुराई के नतीजे वाज़ह तौर से दिखाए जाते हैं कि लोग कैसे क़त्ल करते हैं, चोरी करते हैं, बदनाम करते हैं और ज़ालिमाना और बेरहम होते हैं।
## तर्जुमा की सलाह:
* जुमले के मुताबिक़ “बुराई” और बदकारी का तर्जुमा “बुरा” या “गुनहगार” या “ग़ैर अख्लाक़ी” हो सकता है।
* इसका तर्जुमा दोसरी तरह हैं, “अच्छी नहीं” या “रास्त्बाज़ नहीं” या “अख्लाक़ी नहीं”
* यक़ीन करें कि इनके तर्जुमें के लफ्ज़ और मक़सदी ज़बान में ‘आम हवाले के साथ हों।
(यह भी देखें:[नाफ़रमान](../other/disobey.md), [गुनाह ](../kt/sin.md), [अच्छा](../kt/good.md), [रास्तबाज़](../kt/righteous.md), [बदरूह ](../kt/demon.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 24:10-11](rc://ur-deva/tn/help/1sa/24/10)
* [1 तीमुथियुस 06:9-10](rc://ur-deva/tn/help/1ti/06/09)
* [3 युहन्ना 01:9-10](rc://ur-deva/tn/help/3jn/01/09)
* [पैदाइश 02:15-17](rc://ur-deva/tn/help/gen/02/15)
* [पैदाइश 06:5-6](rc://ur-deva/tn/help/gen/06/05)
* [अय्यूब 01:1-3](rc://ur-deva/tn/help/job/01/01)
* [अय्यूब 08:19-20](rc://ur-deva/tn/help/job/08/19)
* [कुज़ात 09:55-57](rc://ur-deva/tn/help/jdg/09/55)
* [लूक़ा 06:22-23](rc://ur-deva/tn/help/luk/06/22)
* [मत्ती. 07:11-12](rc://ur-deva/tn/help/mat/07/11)
* [अमसाल 03:7-8](rc://ur-deva/tn/help/pro/03/07)
* [ज़बूर 022:16-17](rc://ur-deva/tn/help/psa/022/016)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें :
* __ \[02:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/02/04)__ "ख़ुदावन्द इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम ख़ुदा की तरह हो जाओगे और अच्छा और __बुरे__ को समझोगे जैसा वह समझता है।"
* __[03:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/03/01)__ एक लंबे वक़्त के बा'द, बहुत से लोग दुनिया में रह रहे थे। वह बहुत __बदकार __ और तशदुद्द थे।
* __[03:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/03/02)__ लेकिन नूह ने ख़ुदावन्द से फ़ज़ल पाया। वह __बदकार__ लोगों के बीच रहने वाला एक रास्तबाज़ शख्स था।
* __[04:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/02)__ ख़ुदावन्द ने देखा कि अगर वह सभी एक साथ मिलकर __बुराई__ करते हैं, तो वह और भी ज़्यादा गुनाह करेंगे।
* __[08:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/08/12)__ "आपने ग़ुलाम कि शक्ल में मुझे बेचकर तुमने __बुराई__ करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदा ने भलाई के लिए __अच्छा__ इस्ते'माल किया!"
* __[14:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/14/02)__ वह (कना'नी) ने झूठे मा'बूदों की पूजा की और कई __ बुरे__ काम किए।
* __[17:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/17/01)__ लेकिन फिर वह (शाऊल) एक __बदकार __ शख्स बन गया, जिसने ख़ुदा का हुक्म नहीं माना , इसलिए ख़ुदा ने एक अलग शख्स को चुना जो एक दिन उसके जगह पर बादशाह बनेगा।
* __[18:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/18/11)__ इस्राईलियों के नए रियासत में, सभी बादशाह __बुरे__ थे
* __[29:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/29/08)__ बादशाह इतना ग़ुस्से में था कि उसने __बदकार __ ग़ुलाम को जेल में फेंक दिया जब तक कि वह उसके सारे क़र्ज़ को अदा न कर दे।
* __[45:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/45/02)__ उन्होंने कहा, "हमने सुना है वह(स्तिफनुस) मूसा और ख़ुदा के बारे में __ बुरी__ बातें कहता है!"
* __[50:17](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/17)__ वह ('ईसा ) हर आंसू को मिटा देगा उसके बा'द कोई दर्द , दुःख, रोने, __बुराई__, दर्द या मौत नहीं होगी।
## शब्दकोश:
* Strong's: H205, H605, H1100, H1681, H1942, H2154, H2162, H2617, H3415, H4209, H4849, H5753, H5766, H5767, H5999, H6001, H6090, H7451, H7455, H7489, H7561, H7562, H7563, H7564, G92, G113, G459, G932, G987, G988, G1426, G2549, G2551, G2554, G2555, G2556, G2557, G2559, G2560, G2635, G2636, G4151, G4189, G4190, G4191, G5337

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# बढाना, बुलन्द किया, ज़्यादा से ज़्यादा, ता'ज़ीम
## ता'अर्रुफ़:
ऊँचा करना किसी की बहुत ज़्यादा ता'रीफ़ करना और 'इज़्ज़त देना। इसका मतलब किसी को ऊँची जगह पर रखना भी है।
* किताब-ए-मुक़द्दस में ऊँचा करने का मतलब ख़ुदा को बढ़ाने के लिए इस्ते'माल किया जाता है।
* जब इंसान अपनी बड़ाई करता है तब वह घमण्ड करता है और अपने बारे में मग़रूर है।
## तर्जुमा की सलाह:
* “बुलन्द करने” के तर्जुमें के तरीक़े हो सकते है “बहुत ज़्यादा ता'रीफ़” या “इन्तिहाई 'इज़्ज़त देना” या “ता’रीफ़ करना” या “किसी के बारे में ऊँची सोंच ज़ाहिर करना”।
* कुछ जुमलों में इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों या जुमलों के ज़रिए’ हो सकता है जिन का मतलब, “ऊँची जगह पर रखना” या “ज़्यादा 'इज़्ज़त देना” या “फ़ख्र से कहना”
* “अपनी बड़ाई मत करो” का तर्जुमा “अपने को बड़ा मत समझ” या “अपने बारे में बुरा न करें ”।
* “जो अपने आपको बड़ा समझते हैं” इसका तर्जुमा, “जो अपने पर घमण्ड करते हैं” या “जो मग़रूर हैं”
(यह भी देखें:[ता'रीफ़](../other/praise.md), ['ईबादत](../kt/worship.md), [जलाल](../kt/glory.md), [घमण्ड](../kt/boast.md), [घमण्डी](../other/proud.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 पतरस 05:5-7](rc://ur-deva/tn/help/1pe/05/05)
* [2 शमूएल 22:47-49](rc://ur-deva/tn/help/2sa/22/47)
* [रसूलों के 'आमाल 05:29-32](rc://ur-deva/tn/help/act/05/29)
* [फ़िलिप्पियो 02:9-11](rc://ur-deva/tn/help/php/02/09)
* [ज़बूर 018:46-47](rc://ur-deva/tn/help/psa/018/046)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1361, H4984, H5375, H5549, H5927, H7311, H7426, H7682, G1869, G5229, G5251, G5311, G5312

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# हौसला, हौसलाअफ्ज़ाई
## ता'अर्रुफ़:
“समझा” या'नी अच्छा काम करने के लिए हौसला अफज़ाई करना और दरख्वास्त करना। ऐसी हौसला को “हौसलाअफ्ज़ाई” कहलाती है।
* “हौसला देने” का मक़सद है इंसान को गुनाह को छोड़ करके ख़ुदा की मर्ज़ी पर चलने के लिए मुता'स्सिर करना।
* नये 'अहद नामें में ईमानदारों को ता'लीम दी गई है कि एक दूसरे को सख्ती से और वैसे मुहब्बत से समझाएं।
## तर्जुमा की सलाह:
* जुमले के मुताबिक़ “हौसला” का तर्जुमा “ज़्यादा दरख्वास्त करना” या “क़ायल करना” या “सलाह देना” भी हो सकता है।
* यक़ीन करें कि इस लफ्ज़ का तर्जुमा ऐसा न लगे कि समझाने वाला नाराज़ है। इस लफ्ज़ से क़ुव्वत और संजीदगी से आगाह करना चाहिए लेकिन नाराज़गी का इज़हार नही होना चाहिए |
* ज़्यादा तर जुमलों में “हौसला” का तर्जुमा“हौसला अफज़ाई” से मुख्तलिफ़ होना है जिसका मतलब है मुता'स्सिर करना, यक़ीन दिलाना, या इत्मिनान देना है।
* इस लफ्ज़ का तर्जुमा “झिड़कना” से भी मुख्तलिफ़ होना है जिसका मतलब है ग़लत सुलूक के लिए आगाह कर देना, या सुधारना है।
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 थिस्सलुनीकियों 02:3-4](rc://ur-deva/tn/help/1th/02/03)
* [1 थिस्सलुनीकियों 02:10-12](rc://ur-deva/tn/help/1th/02/10)
* [1 तीमुथियुस 05:1-2](rc://ur-deva/tn/help/1ti/05/01)
* [लूक़ा 03:18-20](rc://ur-deva/tn/help/luk/03/18)
## शब्दकोश:
* Strong's: G3867, G3870, G3874, G4389

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# ईमान
## ता’रीफ़:
‘आम तौर पर “ईमान” का मतलब है किसी इन्सान या चीज़ में , यक़ीन, भरोसा या “ईमान” रखना।
* “ “ईमान होना” या’नी किसी शख़्स में यक़ीन करना कि वह जो कहता है और सच और भरोसेमन्द है|
* “‘ईसा में ईमान” का मतलब है, ‘ईसा के बारे में ख़ुदा की सब ता’लीमों को मानना। इसका मतलब ख़ास करके यह है इन्सान ‘ईसा और उसकी क़ुर्बानी पर और उनकी नजात तथा गुनाह की सज़ा से नजात के लिए उन पर भरोसा है।
* ’ईसा में सच्चा ईमान इन्सान में रूहानी फल या अच्छा सुलूक पैदा करता है क्योंकि उसमें पाक रूह बसी होती है।
* कभी-कभी “ईमान” ‘ईसा के बारे में सब ता’लीमों के बारे में होता है। जैसा इस इज़हार, “ईमान की सच्चाई” में है।
* मज़मून जैसे "ईमान को थामे रहना" तथा ईमान को छोड़ने” लफ़्ज़ में “ईमान” ‘ईसा के बारे में तमाम ता’लीमों पर ‘ईमान लाने के बयान और हालत के बारे में है।
## तर्जुमे की सलाह:
* कुछ मज़मूनों में “ईमान” का तर्जुमा “यक़ीन” या “अहसास-ए-जुर्म” या “ऐ’तमाद” या “भरोसा” किया जा सकता है।
* कुछ ज़बान में इन अलफ़ाज़ का तर्जुमा “ईमान करना” के फ़े’अल की शक्ल में किया जा सकता है।
* इज़हार "ईमान रखना" का तर्जुमा" “‘ईसा पर ईमान करना" या "‘ईसा पर मुसलसल ईमान जारी रखें" के तौर पर किया जा सकता है।
* ये जुमले "ईमान की गहरी सच्चाइयों को पकड़ना" का तर्जुमा, "उन्हें ‘ईसा के बारे में सारी सच्ची बातें मानना चाहिए जो उन्हें सिखाया गया है की शक्ल में किया जा सकता है ।"
* इज़हार "ईमान में मेरा सच्चा बेटा" अलफ़ाज़ का तर्जुमा "मेरे बेटे की तरह है क्योंकि मैंने उसे ‘ईसा पर ईमान करने के लिए सिखाया था" या "मेरा सच्चा रूहानी बेटा, जो ‘ईसा पर ईमान करता है" का तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखें: [ईमान](rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-abstractnouns), [क़ाबिल-ए-ईमान](../kt/believe.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [2 तीमुथियुस 04:6-8](../kt/faithful.md)
* [रसूलों के ‘आमाल 06:7](rc://ur-deva/tn/help/2ti/04/06)
* [गलतियों 02: 20-21](rc://ur-deva/tn/help/act/06/07)
* [या’क़ूब 02:18-20](rc://ur-deva/tn/help/gal/02/20)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
* __[05:06](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/18)__ जब इसहाक़ जवान था, तो ख़ुदा इब्राहीम के __ ईमान __ की आज़माइश करते हुए कहा, की अपने इकलौते बेटे को लेकर क़ुर्बानी के तौर पर मार डालो।
* __[31:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/05/06)__ फिर उसने (‘ईसा ) पतरस से कहा, "तुम कम __ईमान__ वाले इन्सान, तुमने शक क्यों किया?"
* __[32:16](rc://ur-deva/tn/help/obs/31/07)__ ‘ईसा ने उससे कहा, "तुम्हारे __ ईमान __ ने तुमको चंगा किया है। सलामती से जाओ।"
* __[38:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/32/16)__ ‘ईसा ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी आज़माइश लेना चाहता है, लेकिन मैंने तुम्हारे लिये दु’आ की है, पतरस, तेरा __ ईमान __ कमज़ोर नहीं होगा।
## शब्दकोश:
* Strong's: H529, H530, G1680, G3640, G4102, G6066

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# ईमानदार, इमानदारी, बे-ईमान, बे-ईमानी
## ता’अर्रुफ़:
ख़ुदा के लिए “ईमानदार” होने का मतलब मुसलसल ख़ुदा की ता’लीमों के मुताबिक़ रहने से है। इसका मतलब उसका ‘अमल करने के ज़रिए’ उसके लिए वफ़ादार होना। ईमानदार होने के बयान या हालत को "ईमानदारी" कहते है।
* एक ईमानदार इन्सान हमेशा अपने वा’दों को बरक़रार रखने और दूसरे लोगों को अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए भरोसा रखता है|
* ईमानदार शख़्स किसी काम को करने में मेहनत करता है चाहे वह बहुत वक़्त का और मुश्किल भी क्यों न हो।
* ख़ुदा के लिए वफ़ादारी से मुसलसल करते रहने की मश्क़ करना, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है|
लफ़्ज़ ख़ुदा पर “बे-ईमान” का मतलब उस इन्सान से है, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है वह नहीं करता है| बे-ईमान की मश्क़ या शर्त को “बे-ईमानी” कहते हैं|
* इस्राईल के लोगों को बे-ईमान कहते थे, जब उन्होंने बुतपरस्ती शुरू’ की और जब वह और तरह से ख़ुदा की नाफ़रमानी की|
* शादी में, जो कोई ज़िना करता है, उससे अपने शौहर के लिए “बेवफ़ा” क़रार दिया जाता है|
* ख़ुदा ने इस्राईल के नाफ़रमान रवैये के लिए “बे-ईमान” लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया| वह ख़ुदा की फ़रमाबरदारी या ‘इज़्ज़त करते थे|
## तर्जुमे की सलाह:
* बहुत से मज़मूनों में “ईमानदार” का तर्जुमा “वफ़ादार” या “ताबे’” या “मुनहस्सिर करने के क़ाबिल” भी किया जा सकता है।
* और मज़मूनों में “ईमानदार” ऐसे अलफ़ाज़ या जुमलों के ज़रिए’ तर्जुमा किया जा सकता है जिनका मतलब हो, “भरोसा करते रहना” या “ख़ुदा पर ईमान करने और उसके फ़रमाबरदारी में लगे रहना”।
* “ईमानदार” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, “ईमान में मेहनत करते रहना” या “वफ़ादारी” या “भरोसेमन्द” या “ख़ुदा पर ईमान और फ़रमाबरदारी”
* मज़मून पर मुनहस्सिर, “बे-ईमान” का तर्जुमा “ईमानदार नहीं” या “बे-ऐतिक़ादी” या “नाफ़रमान” या “वफ़ादार नहीं” के तौर पर किया जा सकता है|
* अलफ़ाज़ “बे-ईमान” का तर्जुमा “वह लोग ख़ुदा पर ईमान नहीं रखते” या “बे-ईमान लोग” या “वे लोग जो ख़ुदा की नाफ़रमानी करते हैं” या “वह लोग जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत करते हैं” के तौर पर किया जा सकता है|
* लफ़्ज़ “बे-ईमानी” का तर्जुमा “नाफ़रमान” या “बेवफ़ाई” या “नाफ़रमानी या भरोसा न करना” के तौर पर किया जा सकता है|
* कुछ ज़बानों में, लफ़्ज़ “बे-ईमान” लफ़्ज़ “बे-ऐतिक़ादी “से मुता’अल्लिक़ है|
(यह भी देखें: [ज़िना](../kt/adultery.md), [यक़ीन](../kt/believe.md), [नाफ़रमानी](../other/disobey.md), [ईमान](../kt/faith.md), [भरोसा](../kt/believe.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 24:49](rc://ur-deva/tn/help/gen/24/49)
* [अहबार 26:40-42](rc://ur-deva/tn/help/lev/26/40)
* [गिनती 12:6-8](rc://ur-deva/tn/help/num/12/06)
* [यशू’अ 02:14](rc://ur-deva/tn/help/jos/02/14)
* [क़ुजात 02:16-17](rc://ur-deva/tn/help/jdg/02/16)
* [1 समुएल 02:9](rc://ur-deva/tn/help/1sa/02/09)
* [ज़ुबूर 012:1](rc://ur-deva/tn/help/psa/012/001)
* [अम्साल 11:12-13](rc://ur-deva/tn/help/pro/11/12)
* [यसा’याह 01:26](rc://ur-deva/tn/help/isa/01/26)
* [यरमियाह 09:7-9](rc://ur-deva/tn/help/jer/09/07)
* [होसे’अ 05:5-7](rc://ur-deva/tn/help/hos/05/05)
* [लूक़ा 12:45-46](rc://ur-deva/tn/help/luk/12/45)
* [लूक़ा 16:10-12](rc://ur-deva/tn/help/luk/16/10)
* [कुलुस्सियों 01:7-8](rc://ur-deva/tn/help/col/01/07)
* [1 थिस्लुनीकियों 05:23-24](rc://ur-deva/tn/help/1th/05/23)
* [3 युहन्ना 01:5-8](rc://ur-deva/tn/help/3jn/01/05)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[08:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक की क़ैदख़ाने में भी यूसुफ़ ख़ुदा के लिए __वफ़ादार__ रहा और ख़ुदा ने उसे बरकत दी।
* __[14:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/14/12)__ फिर भी, ख़ुदा अपने ‘अहद पर __वफ़ादार__ रहा जो उसने इब्राहीम, इस्हाक़, व या’क़ूब से बाँधी थी।
* __[15:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/15/13)__ लोग ने ‘अहद बाँधा था कि वे ख़ुदा के लिए __वफ़ादार__ रहेंगे व उसके हुक्मों का ‘अमल करेंगे।
* __[17:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/17/09)__ दाऊद ने कई सालों तक इंसाफ़ व __वफ़ादारी__ के साथ हुकूमत की, और ख़ुदा ने उसे बरकत दिया। हालांकि, अपनी ज़िन्दगी के आख़िरी पड़ाव में उसने ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा गुनाह किया।
* __[18:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/18/04)__ तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी __नारास्ती__ की वजह उसे दंड दिया, और ‘अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा’द वह इस्राईल की बादशाही को दो हिस्सों में बाँट देंगा।
* __[35:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/35/12)__ “उसने बाप को जवाब दिया कि, ‘देख, मैं इतने साल आप के लिये __ईमानदारी__ से काम कर रहा हूँ,
* __[49:17](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/17)__ लेकिन ख़ुदा __ईमानदार__ है और यह कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों को मान लो, तो वह तुम्हें मु’आफ़ करेगा।
* __[50:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/04)__ अगर तुम आख़िर तक मेरे लिए __वफ़ादार__ रहोगे, तो ख़ुदा तुम्हें बचाएगा!”
## शब्दकोश:
* Strong's: H529, H530, H539, H540, H571, H898, H2181, H4603, H4604, H4820, G569, G571, G4103

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# बे-ईमान, धोखा
## ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “बे-ईमान” का मतलब ईमान से अलग या ईमान न करना।
* इस लफ़्ज़ के ज़रिए’ उन लोगों का ज़िक्र किया गया है जो ख़ुदा में ईमान नहीं करते। उनके ईमान में कमी ग़ैर इख़लाक़ी तरीक़े से देखी जाती है।
* यरमियाह नबी ने इस्राईल पर यक़ीन किया कि वह ख़ुदा के के लिए बे-ईमान और नाफ़रमान है।
* उन्होंने बुतों की ‘इबादत की और उन लोगों के और शर्मनाक रिवाजों पर ‘अमल किया जिन्होंने ख़ुदा की ‘इबादत या फरमाबरदारी नहीं की
## तर्जुमे की सलाह
* मज़मून पर मुनहस्सिर “बे-ईमान” लफ़्ज़ का तर्जुमा “बे-ईमान” या “ईमान न करना” या “ख़ुदा के नाफ़रमान” या “ईमान न करना” किया जा सकता है।
* “बे-ईमानी” का लफ़्ज़ का तर्जुमा “यक़ीन न करना” या “बे-ईमानी” या “ख़ुदा से बग़ावत” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: [नामों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-names))
(यह भी देखें: [ईमान नहीं करने वाले](../kt/believe.md), [वफ़ादार](../kt/faithful.md), [नाफ़रमानी](../other/disobey.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [हिज़क़ीएल 43:6-8](rc://ur-deva/tn/help/ezk/43/06)
* [‘अज्रा 09:1-2](rc://ur-deva/tn/help/ezr/09/01)
* [यरमियाह 02:18-19](rc://ur-deva/tn/help/jer/02/18)
* [अम्साल 02:20-22](rc://ur-deva/tn/help/pro/02/20)
* [मुकाशिफ़ा\ 21:7-8](rc://ur-deva/tn/help/rev/21/07)
## शब्दकोश:
* Strong's: G571

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# ख़ुदा, झूठे ख़ुदा, बहुत से ख़ुदा, देवी, बुत, बुतों, बुतपरस्त, बुतपरस्तों, बुतपरस्ती, बुतपरस्ती
## ता’अर्रुफ़:
एक झूठा ख़ुदा वह है जिसकी ‘इबादत लोग एक सच्चे ख़ुदा को छोड़ कर करते हैं। लफ़्ज़ “देवी” मतलब होता है ख़ास तौर एक ‘औरत की शक्ल में झूठी मा’बूदा है।
* झूठे देवी-मा’बूद मौजूद नहीं हैं। यहोवा ही इकलौता ख़ुदा है।
* लोग कभी-कभी झूठे मा’बूदों के तौर पर ‘इबादत के लिए बुत बनाते थे|
* किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा के लोग बार-बार उसकी नाफ़रमानी करके इन झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करने लगे थे।
* बदरूहें अकसर लोगों को धोखा देती हैं कि वे झूठे मा’बूदों और बुतों की ‘इबादत करें उनमें क़ुव्वत है।
* बा’ल, दजोन, मोलक, ये तीन बहुत झूठे मा’बूदों में से थे जिनकी ‘इबादत किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में की जाती थी।
* अशेरा और आरतिमिस (डायना) दो देवियां थी जिनकी ‘इबादत पुराने ज़माने में की जाती थी।
लोग बुत बनाते थे, कि उसकी ‘इबादत कर सकें| कुछ चीज़ों का "बुतपरस्त" के तौर पर ज़िक्र किया गया है अगर इसमें एक सच्चे ख़ुदा के अलावा किसी और चीज़ की ‘इज़्ज़त करना शामिल है।
* लोग बुतों को उन झूठे मा’बूदों की रहनुमाई करने के लिए बनाते हैं जिन्हें वे ‘इबादत करते हैं।
* ये झूठे मा’बूद मौजूद नहीं हैं; यहोवा के अलावा कोई ख़ुदा नहीं है।
* कभी-कभी शैतान एक बुत के ज़रिए’ से काम करते हैं ताकि ऐसा लगता है कि इसमें ताक़त है, भले ही यह नहीं है।
* बुत अक्सर सोने, चांदी, काँसा, या महंगी लकड़ी जैसी क़ीमती चीज़ों से बने होते हैं।
* “बुत परस्त लोगों की बादशाही” का मतलब है “उन लोगों की बादशाही जो बुतों की ‘इबादत करते हैं” या उन लोगों की बादशाही जो ज़मीन चीज़ों की ‘इबादत करते हैं”
* लफ़्ज़ " बुतों बनावट" एक "नक्काशीदार तस्वीर" या "बुत" के लिए एक और लफ़्ज़ है।
## तर्जुमे की सलाह:
* मक़सदी ज़बान या आसपास की ज़बान में “ख़ुदा” या “झूठे ख़ुदा” के लिए कोई लफ़्ज़ होगा।
* “बुत” लफ़्ज़ झूठे मा’बूदों के बारे में काम में लिया जा सकता है।
* झूठे ख़ुदा के लिए ख़ुदा लफ़्ज़ और इकलौते सच्चे ख़ुदा के लिए ख़ुदा लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है। और ज़बानों में भी ऐसा हो सकता है
* एक तरीक़ा यह भी है कि झूठे मा’बूदों के लिए एक पूरी तरह से अलग लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है।
* कुछ ज़बानों में झूठे ख़ुदा के आदमी या ‘औरत में फ़र्क़ के लिए एक ज़्यादा लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है।
(यह भी देखें: [ख़ुदा](../kt/god.md), [अशेरा](../names/asherim.md), [बा’ल](../names/baal.md), [मोलक](../names/molech.md), [शैतान](../kt/demon.md), [तस्वीर](../other/image.md), [बादशाही](../other/kingdom.md), [‘इबादत](../kt/worship.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 35:1-3](rc://ur-deva/tn/help/gen/35/01)
* [ख़ुरूज़ 32:1-2](rc://ur-deva/tn/help/exo/32/01)
* [ज़ुबूर 031:5-7](rc://ur-deva/tn/help/psa/031/005)
* [ज़ुबूर 081:8-10](rc://ur-deva/tn/help/psa/081/008)
* [यसा’याह 44:20](rc://ur-deva/tn/help/isa/44/20)
* [रसूलों के ‘आमाल 07:41-42](rc://ur-deva/tn/help/act/07/41)
* [ रसूलों के ‘आमाल 07:43](rc://ur-deva/tn/help/act/07/43)
* [ रसूलों के ‘आमाल 15:19-21](rc://ur-deva/tn/help/act/15/19)
* [ रसूलों के ‘आमाल 19:26-27](rc://ur-deva/tn/help/act/19/26)
* [रोमियो 02:21-22](rc://ur-deva/tn/help/rom/02/21)
* [गलतिया 04:8-9](rc://ur-deva/tn/help/gal/04/08)
* [गलतिय 05:19-21](rc://ur-deva/tn/help/gal/05/19)
* [क़ुलुस्सियो 03:5-8](rc://ur-deva/tn/help/col/03/05)
* [1 थिस्लूनिकियों 01:8-10](rc://ur-deva/tn/help/1th/01/08)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[10:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/10/02)__ इन ख़ौफ़नाक मुसीबतों के ज़रिए’ ख़ुदा यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िर’औन व मिस्र के __ माबूदों__ से बहुत ज़्यादा ताक़तवर है।
* __[13:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/04)__ ख़ुदा ने उन्हें क़सम दी और कहा, “मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे मिस्र में से ग़ुलामी से बचाया। ” दूसरे __ख़ुदा__ की ‘इबादत न करना
* __[14:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/14/02)__ उन्होंने(कनानियो) झूठे __ माबूदों__ की ‘इबादत की, और बहुत से बुरे काम किए।
* __[16:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/16/01)_इस्राईलियों ने यहोवा के बजाय, कना’नियो के __माबूद __ की ‘इबादत करना शुरू’ कर दिया
* __[18:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/18/13)__ लेकिन यहूदाह बहुत से बादशाह बुरे, धोखेबाज़ और बुतपरस्त करने वाले थे। कुछ बादशाह झूठे __माबूदों__ के लिए अपने बच्चों की भी क़ुर्बानी चढ़ाने लगे।
## शब्दकोश:
* Strong's: H205, H367, H410, H426, H430, H457, H1322, H1544, H1892, H2553, H3649, H4656, H4906, H5236, H5566, H6089, H6090, H6091, H6456, H6459, H6673, H6736, H6754, H7723, H8163, H8251, H8267, H8441, H8655, G1493, G1494, G1495, G1496, G1497, G2299, G2712

32
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# पैरवी, पैरवी करता, पैरवी के लायक़, तरफ़दारी
## ता’अर्रुफ़:
“पैरवी” मतलब चुनना। जब कोई इन्सान किसी इन्सान की पैरवी करता है, तो वह उस इन्सान को मुस्बत की शक्ल में देखता है और उस इन्सान को औरों के मुक़ाबले ज्यादा फ़ायदा देता है।
* “ख़ास पैरवी” का मतलब है, कुछ लोगों के साथ काम करने का मुनासिब रवैया करना, मगर दूसरों के साथ नहीं। इसका मतलब यह है कि एक इंसान को दूसरे या एक चीज़ को दूसरी को मुन्तख़ब करने का झुकाव क्यूँकि इन्सान या चीज़ को अहमियत दी जाती है| ‘आम तौर पर, तरफ़दारी को ग़लत माना जाता है।
* ‘ईसा ख़ुदा और इन्सानों की “’इज़्ज़त में” बढ़ता गया। इसका मतलब है उन्होंने उसके किरदार और मिज़ाज को मंजूरी दे दी।
* किसी का “पैरवी पाना” का मतलब है, किसी के ज़रिए’ किसी इन्सान को मन्जूर करना।
* जब कोई बादशाह किसी की पैरवी करता है तो उसका मतलब अमूमन यह होता है कि बादशाह ने उसकी गुज़ारिश क़ुबूल कर ली है।
* "पैरवी" किसी और इन्सान के लिए एक उनके फ़ायदे के लिए एक इशारा या कार्रवाई भी हो सकता है|
## तर्जुमे की सलाह:
* “पैरवी” लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के और तरीक़ों में “फ़ज़ल” या “फ़ायदा” शामिल हो सकता है|
* “यहोवा के ख़ुश रहने के साल” का तर्जुमा हो सकता है “साल(या वक़्त) के तौर पर किया जा सकता है जब यहोवा बड़ी बरकत लाएगा|”
* "तरफ़दारी" लफ़्ज़ का तर्जुमा "मुख़तलिफ़" या "ता’अस्सुब" या "नाइन्साफ़ी का सुलूक " के तौर पर किया जा सकता है। * यह लफ़्ज़ "पसंदीदा" लफ़्ज़ से मुता’अल्लिक़ है, जिसका मतलब है "जो पसंद किया गया है या सबसे ज़्यादा अज़ीज़ है।"
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 02:25-26](rc://ur-deva/tn/help/1sa/02/25)
* [2 तवारीख़ 19:6-7](rc://ur-deva/tn/help/2ch/19/06)
* [2 कुरिन्थियों 01:11](rc://ur-deva/tn/help/2co/01/11)
* [रसूलों ले ‘आमाल 24:26-27](rc://ur-deva/tn/help/act/24/26)
* [पैदाइश 41:14-16](rc://ur-deva/tn/help/gen/41/14)
* [पैदाइश 47:25-26](rc://ur-deva/tn/help/gen/47/25)
* [पैदाइश 50:4-6](rc://ur-deva/tn/help/gen/50/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H995, H1156, H1293, H1779, H1921, H2580, H2603, H2896, H5278, H5375, H5414, H5922, H6213, H6437, H6440, H7521, H7522, H7965, G1184, G3685, G4380, G4382, G5485, G5486

37
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@ -0,0 +1,37 @@
# डर, डरता, डरा हुआ
## ता’अर्रुफ़ :
लफ़्ज़ “डर” और “डरना” किसी शख़्स से नाख़ुशगवार अहसासात के बारे में बताते हैं जब अपने आप को या दूसरों को नुक़सान पहुँचे|
* “डर” लफ़्ज़ इख़्तियार वाले इन्सान के लिए गहरी ‘इज़्ज़त और ख़ौफ़ के बारे में बताता है,
* “यहोवा का डर” लफ़्ज़ “ख़ुदा का डर” या “ख़ुदावन्द का डर” से मुता’अल्लिक़ अलफ़ाज़ ख़ुदा का गहरा एहतराम और उसकी फरमाबरदारी के ज़रिए’ ख़ुदा की ‘इज़्ज़त ज़ाहिर करना| इस डर ने ख़ुदा की पाकी और गुनाहों से नफ़रत जानकार तरग़ीब पाई|
* किताब-ए-मुक़द्दस ता’लीम देता है कि जो यहोवा का डर रखता है वह दानिशमन्द हो जाता है।
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून पर मुनहस्सिर, “डरना” का तर्जुमा हो सकता है, “डर होना” या “गहरी ‘इज़्ज़त करना” या “अहतराम करना” या “ख़ौफ़ में होना”
* लफ़्ज़ “डरा हुआ” का तर्जुमा “डरा हुआ” या “डरा हुआ” या “डरा” भी हो सकता है।
* जुमला “सब पर ख़ुदावन्द का डर छा गया” इस जुमले का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “अचानक ही सबने ख़ुदा का गहरा ख़ौफ़ और ख़ुदा के लिेए ‘इज़्ज़त महसूस की” या “फ़ौरन, वह सब बहुत ता’अज्जुब और ख़ुदा के लिए गहरा अहतराम महसूस किया|
* अलफ़ाज़ “मत डरो” का तर्जुमा “खौफ़नाक न हो” या “डरने से रुक जाओ” हो सकता है।
* ग़ौर करें अलफ़ाज़ “यहोवा का डर” नये ‘अहद नामें में वाक़े’ नहीं हुआ है। अलफ़ाज़ “ख़ुदावन्द का डर” या “ख़ुदावन्द ख़ुदा का डर” आए हैं।
(यह भी देखें : [ता’अज्जुब](../other/amazed.md), [ख़ौफ़](../other/awe.md), [ख़ुदा](../kt/lord.md), [ताक़त](../kt/power.md), [यहोवा](../kt/yahweh.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 युहन्ना 04:17-18](rc://ur-deva/tn/help/1jn/04/17)
* [रसूलों के ‘आमाल 02:43-45](rc://ur-deva/tn/help/act/02/43)
* [रसूलों के ‘आमाल 19:15-17](rc://ur-deva/tn/help/act/19/15)
* [पैदाइश 50:18-21](rc://ur-deva/tn/help/gen/50/18)
* [यसा’याह 11:3-5](rc://ur-deva/tn/help/isa/11/03)
* [अय्यूब 06:14-17](rc://ur-deva/tn/help/job/06/14)
* [युनाह 01:8-10](rc://ur-deva/tn/help/jon/01/08)
* [लूक़ा 12:4-5](rc://ur-deva/tn/help/luk/12/04)
* [मत्ती 10:28-31](rc://ur-deva/tn/help/mat/10/28)
* [अम्साल 10:24-25](rc://ur-deva/tn/help/pro/10/24)
## शब्दकोश:
* Strong's: H367, H926, H1204, H1481, H1672, H1674, H1763, H2119, H2296, H2727, H2729, H2730, H2731, H2844, H2849, H2865, H3016, H3025, H3068, H3372, H3373, H3374, H4032, H4034, H4035, H4116, H4172, H6206, H6342, H6343, H6345, H6427, H7264, H7267, H7297, H7374, H7461, H7493, H8175, G870, G1167, G1168, G1169, G1630, G1719, G2124, G2125, G2962, G5398, G5399, G5400, G5401

27
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@ -0,0 +1,27 @@
# दोस्ती
## ता’अर्रुफ़:
‘आम तौर पर “दोस्ती” लफ़्ज़ का मतलब है लोगों की भीड़ के अफ़राद के मा’रिफ़त दोस्ताना सलूक, एक सी बात चीत और तजुर्बे कार लोगों में।
* किताब-ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ “दोस्ती” अक्सर मसीह के ईमानदारों की शराकत के बारे में बताता है।
* मसीही दोस्ती एक मुश्तरका रिश्ता है, जो ईमानदार एक दूसरे के साथ रखते हैं उनका रिश्ता मसीह और पाक-रूह के साथ है।
* इब्तिदाई मसीही अपनी दोस्ती का इज़हार ख़ुदा के कलाम की ता’लीम को सुनने और एक साथ दु’आ करके, और अपने सामान को आपस में बाँटने और एक साथ खाना खाने के ज़रिए’ इज़हार करते थे।
* मसीही लोगों की दोस्ती ‘ईसा में ईमान के ज़रिए’ और सलीब पर उसकी क़ुर्बानी की मौत (जिसकी वजह ख़ुदा और इन्सानों कि मा’रिफ़त की दीवार गिराई गई थी) ज़रिए’ ख़ुदावन्द के साथ भी है।
## तर्जुमा की सलाह:
* “दोस्ती के तर्जुमें के तरीक़े हो सकते हैं, “आपस में बाँटना” या “ता’ल्लुक़” या “साथ ” या “मसीही क़ौम”
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
* [1 यूहन्ना 01:3-4](rc://ur-deva/tn/help/1jn/01/03)
* [रसूलों के ‘आमाल 02:40-42](rc://ur-deva/tn/help/act/02/40)
* [फ़िलिप्पियों 01:3-6](rc://ur-deva/tn/help/php/01/03)
* [फ़िलिप्पियों 02:1-2](rc://ur-deva/tn/help/php/02/01)
* [फ़िलिप्पियों 03:8-11](rc://ur-deva/tn/help/php/03/08)
* [ज़बूर 055:12-14](rc://ur-deva/tn/help/psa/055/012)
## शब्दकोश:
* Strong's: H2266, H8667, G2842, G2844, G3352, G4790

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@ -0,0 +1,30 @@
# पाक रूह से भर गए
## ता’अर्रुफ़ :
* लफ़्ज़ “रूह से भर गए” एक ‘अलामती जुमला है जिसका मतलब है कि पाक रूह को ताक़त देता है कि ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरी करे।
* इज़हार “भर जाना” एक जुमला है जिसका मतलब हमेशा “क़ाबू होना” होता है।
* इन्सान “पाक-रूह” से भर जाते हैं, जब वह पाक-रूह की रहनुमाई में रहते हैं और ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरी करने के लिए उस पर मुकम्मल तौर पर मुनहस्सिर करते हैं।
## तर्जुमें की सलाह:
* इस का तर्जुमा “पाक-रूह की ताक़त में” या “पाक-रूह के क़ब्ज़े में” हो सकता है। लेकिन इसका मतलब ऐसा न ज़ाहिर हो कि पाक-रूह मजबूर कर रहा है।
* “वह पाक-रूह से भर गया” का तर्जुमा “वह मुकम्मल तौर पर पाक-रूह की ताक़त में जी रहा था” या “वह पाक-रूह की मुकम्मल रहनुमाई में था” या “पाक-रूह उसकी रहनुमाई कर रहा था”।
* यह जुमला“रूह की ज़िन्दगी” के मुताबिक़ है लेकिन “रूह से भर गया” मुकम्मल तौर पर ज़ोर देता है कि जिसकी तरफ़ से इन्सान पाक-रूह को अपनी ज़िन्दगी का क़ाबू और असर सौंप देता है। लिहाज़ा मुम्किन हो तो इन दोनों का तर्जुमा अलग-अलग किया जाए।
(यह भी देखें:[पाक रूह ](../kt/holyspirit.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के ‘आमाल 04:29-31](rc://ur-deva/tn/help/act/04/29)
* [रसूलों के ‘आमाल 05:17-18](rc://ur-deva/tn/help/act/05/17)
* [रसूलों के ‘आमाल 06:8-9](rc://ur-deva/tn/help/act/06/08)
* [लूक़ा 01:14-15](rc://ur-deva/tn/help/luk/01/14)
* [लूक़ा 01:39-41](rc://ur-deva/tn/help/luk/01/39)
* [लूक़ा 04:1-2](rc://ur-deva/tn/help/luk/04/01)
## शब्दकोश:
* Strong's: G40, G4130, G4137, G4151

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@ -0,0 +1,37 @@
# गोश्त
## ता’अर्रुफ़ :
किताब-ए-मुक़द्दस में “गोश्त” इन्सान या जानवर के नरमी के बारे में बताता है।
* किताब-ए-मुक़द्दस में “गोश्त” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी होता है जिसके ज़रिए’ सब इन्सानों या सब जानवरों का ज़िक्र होता है।
नये ‘अहदनामे में “गोश्त” लफ़्ज़ इन्सानों के गुनाहगार आदत के लिए काम में लिया गया है। इसका इस्ते’माल अक्सर रूहानी आदत के मुख़तलिफ़ किया जाता है।
* “अपना गोश्त और ख़ून” किसी के साथ ख़ून के रिश्ते का हवाला देता है जैसे वालिदैन, भाई-बहन, औलाद, नाती-पोते।
* इसका हवाला बुज़ुर्गों या नसलों से भी है।
* “एक जिस्म” का मतलब शादीशुदा औरत और मर्द के जिस्मानी ता’अल्लुक़ से भी है|
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून में एक जानवर के जिस्म का तर्जुमा “जिस्म” या “जिल्द” या “गोश्त” किया जा सकता है|
* जब ‘आम तौर पर सभी जानदार मख़लूक के लिए इस्ते’माल में लिया जाए, तब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “जानदार” या “हर एक चीज़ जो ज़िन्दा है” किया जा सकता है|
* जब ‘आम तौर पर सभी इन्सानों के लिए इस्ते’माल में लिया जाए, तब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा है, “लोग ” या “इन्सानी क़ौम” या “सब ज़िन्दा लोग” हो सकता है|
* इज़हार “जिस्म और ख़ून” का तर्जुमा हो सकता है “रिश्तेदार ” या “ख़ानदान” या “रिश्तेदार” या “ख़ानदानी नसल”। वहाँ वह मजमून हो सकता है, जहाँ इसका तर्जुमा “बुज़ुर्गों” या “नसलों” किया जा सकता है|
* कुछ ज़बानों में इज़हार हो सकता है कि “गोश्त और ख़ून” मतलब में एक जैसे हैं|
* इज़हार “एक गोश्त होना” का तर्जुमा “जिन्सी अजज़ा” या “एक जिस्म होना या “एक इन्सान का जिस्मानी और रूहानी तौर पर एक होना” हो सकता है| * इस इज़हार के तर्जुमे को जाँच कर पक्का करना लेना चाहिए कि यह मक़सदी ज़बान और रवायत के क़ुबूल करने लायक़ है या नहीं| (देखें: [अलफ़ाज़](rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-euphemism)). यह भी समझना चाहिए कि यह ‘अलामती है, और इसका मतलब यह नहीं है कि एक मर्द और ‘औरत जो "एक जिस्म होंगे" का लफ़्जी तौर से एक इन्सान बन गया है।
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 युहन्ना 02:15-17](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/15)
* [2 युहन्ना 01:7-8](rc://ur-deva/tn/help/2jn/01/07)
* [इफिसियों 06:12-13](rc://ur-deva/tn/help/eph/06/12)
* [गलातियों 01:15-17](rc://ur-deva/tn/help/gal/01/15)
* [पैदाइश 02:24-25](rc://ur-deva/tn/help/gen/02/24)
* [यूहन्ना 01:14-15](rc://ur-deva/tn/help/jhn/01/14)
* [मत्ती 16:17-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/16/17)
* [रोमियो 08:6-8](rc://ur-deva/tn/help/rom/08/06)
## शब्दकोश:
* Strong's: H829, H1320, H1321, H2878, H3894, H4207, H7607, H7683, G2907, G4559, G4560, G4561

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@ -0,0 +1,33 @@
# बेवक़ूफ़, बेवक़ूफ़ लोग, बेवक़ूफ़ी, हिमाक़त
## ता’अर्रुफ़:
“बेवक़ूफ़” या’नी ग़लत फ़ैसला करनेवाला ख़ास करके नाफ़रमानी का फ़ैसला करनेवाला। लफ़्ज़ “बेवक़ूफ़” लफ़्ज़ बे-‘अक़्ल इन्सान या सुलूक का ज़िक्र करता है।
* किताब-ए-मुक़द्दस, में पागल/बेवक़ूफ़ लफ़्ज़ उस इन्सान के लिए काम में लिया गया है जो ख़ुदा को नहीं मानता था या उसके हुक्म नहीं मानता है इसका मुख़तलिफ़ मुक़ाबला अमूमन उस इन्सान से किया गया है जो ख़ुदा में ईमान करता है और उसके हुक्मों की फरमाबरदारी करता है।
* ज़ुबूर में दाऊद बेवक़ूफ़ को ऐसा इन्सान कहता है जो ख़ुदा में ईमान नहीं करता या उसके हुक्मों को नहीं मानता है। वह क़ायनात में ख़ुदा के पहचान के सब सुबूतों को अनदेखा करता है।
* पुराने ‘अहदनामे की किताब अम्साल में भी बेवक़ूफ़ या बे-‘अक़्ल का किरदार बयान किया गया है।
* लफ़्ज़“बेवक़ूफ़ी” उस काम के बारे में बताता है जो बेवक़ूफ़ का है क्योंकि वह काम ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है। अक्सर “बेवक़ूफ़ी” का मतलब बेतुका या खतरनाक भी होता है।
## तर्जुमे की सलाह:
* लफ़्ज़ “बेवक़ूफ़ी” का तर्जुमा “बेवक़ूफ़ इन्सान” या “‘ बे-अक़्ल इंसान” या “कुंद ज़हन इन्सान” या “पागल इन्सान” किया जा सकता है।
* “बेवक़ूफ़” के तर्जुमा के तरीक़े हैं, “समझ में कम” या “बे-‘अक़्ल” या “कुंद ज़हन”।
(यह भी देखें: [‘अक़्लमन्द](../kt/wise.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [वाइज़ 01:16-18](rc://ur-deva/tn/help/ecc/01/16)
* [इफिसियों 05:15-17](rc://ur-deva/tn/help/eph/05/15)
* [गलातियों 03:1-3](rc://ur-deva/tn/help/gal/03/01)
* [पैदाइश 31:26-28](rc://ur-deva/tn/help/gen/31/26)
* [मत्ती. 07:26-27](rc://ur-deva/tn/help/mat/07/26)
* [मत्ती. 25:7-9](rc://ur-deva/tn/help/mat/25/07)
* [अम्साल 13:15-16](rc://ur-deva/tn/help/pro/13/15)
* [ज़बूर 049:12-13](rc://ur-deva/tn/help/psa/049/012)
## शब्दकोश:
* Strong's: H191, H196, H200, H1198, H1984, H2973, H3684, H3687, H3688, H3689, H3690, H5034, H5036, H5039, H5528, H5529, H5530, H5531, H6612, H8417, H8602, H8604, G453, G454, G781, G801, G877, G878, G3471, G3472, G3473, G3474, G3912

56
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@ -0,0 +1,56 @@
# मु’आफ़ करना, मु’आफ़ करता, मु’आफ़ किया, मु’आफ़ी, मु’आफ़ करना, मु’आफ़ किया
## ता’अर्रुफ़:
किसी को मु’आफ़ करने का मतलब है कि उसके लिए शिक़ायत न रखना जिसने कोई नुक़सान दायक काम किया है। “मु’आफ़ी” किसी को मु’आफ़ करने का काम है
* किसी को मु’आफ़ करने का मतलब है, उसके ग़लत काम के लिए सज़ा न देना।
* इस लफ़्ज़ का ‘अलामती मतलब के ज़रिए’ इस्ते’माल किया जाता है “ख़ारिज करना” जैसा इस इज़हार में है, “क़र्ज़ मु’आफ़ करना”
* जब इन्सान गुनाहों को क़ुबूल करता है तब ख़ुदा ‘ईसा की सलीबी मौत की क़ुर्बानी की बुनियाद पर उन्हें मु’आफ़ कर देता है।
* ‘ईसा ने अपने शागिर्दों को ता’लीम दी कि जैसे उसने उन्हें मु’आफ़ किया है वैसे ही वे भी दूसरों को मु’आफ़ करें।
लफ़्ज़ "मु’आफ़ी" का मतलब है किसी को गुनाहों के बदले मु’आफ़ कर देना और उसे सज़ा न देना|
* यह लफ़्ज़ एक जैसे मतलब रखते हैं “मु’आफ करना” लेकिन किसी शख़्स को जो मुजरिम है उसे सज़ा ने देने के लिए रवायती फ़ैसले का मतलब शामिल हो सकता|
* कानून की ‘अदालत में, एक मुंसिफ़ एक मुजरिम के जुर्म पाकर उसे मु’आफ़ कर सकता है|
* अगरचे, हम गुनाहों की मुजरिम हैं, ‘ईसा मसीह ने हमें अपनी सलीब पर मौत क़ुर्बानी की बुनियाद पर हमें जहन्नम में सज़ा देने से मु’आफ़ किया है,
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून पर मुनहस्सिर, “मु,आफ़ करना” के तर्जुमे हो सकते हैं, “मु’आफ़ी” या “ख़ारिज करना” या “आजाद करना” या “मुख़ालिफ़त कुछ न रखना”।
* लफ़्ज़ "मु’आफ़ करना" का तर्जुमा किसी लफ़्ज़ या जुमले ज़रिए’ किया जा सकता है जिसका मतलब है "नाराजगी न रखने की मशक़" या "किसी को बेगुनाह क़रार देना" या "मु’आफ़ करने का काम"।
* अगर आपकी ज़बान में मु’आफ़ करने का रवायती फ़ैसले के लिए कोई लफ़्ज़ हो, तो उस लफ़्ज़ का इस्ते’माल “मु’आफ़ी” के लिए किया जाए|
(यह भी देखें: [गुनाह](../kt/guilt.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 50:15-17](rc://ur-deva/tn/help/gen/50/15)
* [गिनती 14:17-19](rc://ur-deva/tn/help/num/14/17)
* [इस्तिस्ना 29:20-21](rc://ur-deva/tn/help/deu/29/20)
* [यशू’अ 24:19-20](rc://ur-deva/tn/help/jos/24/19)
* [2 सलातीन 05:17-19](rc://ur-deva/tn/help/2ki/05/17)
* [ज़ुबूर 025:10-11](rc://ur-deva/tn/help/psa/025/010)
* [ ज़ुबूर 025:17-19](rc://ur-deva/tn/help/psa/025/017)
* [यसा’याह 55:6-7](rc://ur-deva/tn/help/isa/55/06)
* [यसा’याह 40:1-2](rc://ur-deva/tn/help/isa/40/01)
* [लूक़ा 05:20-21](rc://ur-deva/tn/help/luk/05/20)
* [रसूलों के ‘आमाल 08:20-23](rc://ur-deva/tn/help/act/08/20)
* [इफ़िसियों 04:31-32](rc://ur-deva/tn/help/eph/04/31)
* [क़ुलुस्सियो 03:12-14](rc://ur-deva/tn/help/col/03/12)
* [1 युहन्ना 02:12-14](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/12)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[07:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/07/10)__ लेकिन ‘ऐसौ या’क़ूब को पहले ही __मुआफ़ कर__ चुका था, और वह एक दूसरे को देखकर बहुत ही ख़ुश हुए।
* __[13:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/15)__ मूसा पहाड़ पर फिर चढ़ गया और उसने दु’आ की कि ख़ुदा उन लोगों के गुनाहों को __मुआफ़ कर__ दे। ख़ुदा ने मूसा की दु’आ सुनी और उन्हें __मुआफ़ किया__
* __[17:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/17/13)__ दाऊद को अपने किए हुए गुनाहों पर पछतावा हुआ और ख़ुदा ने उसे __मुआफ़ किया__
* __[21:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/05)__ नए ‘अहदनामे में, ख़ुदा अपनी शरी’अत लोगों के दिलों में लिखता है, जो लोग ख़ुदा को ज़ाती तौर पर जानते हैं, वह ये लोग होते हैं, और ख़ुदा उनके गुनाहों को __मुआफ़__ करता हैं|
* __[29:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/29/01)__ एक दिन पतरस ने पास आकर ‘ईसा से पूछा , “ए ख़ुदावन्द, अगर मेरा भाई गुनाह करता रहे, तो मैं उसे कितनी बार __मुआफ़__ करूँ?”
* __[29:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/29/08)__तू ने जो मुझ से मिन्नत की, तो मैं नेतेरा वह पूरा क़र्ज़ __मुआफ़ कर दिया__
* __[38:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/05)__ फिर उसने मय का कटोरा लिया और कहा, “इसे पिओं। यह नए ‘अहद का मेरा ख़ून है, जो बहुतों के गुनाहों को __मुआफ़ी__ के लिये बहाया जाता है।
## शब्दकोश:
* H5546, H5547, H3722, H5375, H5545, H5547, H7521, G859, G863, G5483

32
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# छोड़ना, छोड़ देता, छोड़ दिया, छोड़ा
## ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “छोड़ना” का मतलब है किसी को ख़ारिज कर देना या किसी चीज़ को छोड़ देना। कोई जो “छोड़ा हुआ” है तो वह किसी के ज़रिए’ अकेला छोड़ दिया गया या अलग कर दिया गया है।
* जब इन्सान ख़ुदा को “छोड़” देते हैं, तो वे नाफ़रमानी के ज़रिए’ उससे धोखा करते है।
* जब ख़ुदा “इंसानों” को छोड़ देता है, तब उसने उनकी मदद करना छोड़ दिया है और उन्हें मुसीबत का तजुर्बा करने को दिया है कि वे उसके पास लौट आएं।
* इस लफ़्ज़ का मतलब किसी चीज़ को छोड़ना भी है, जैसे ख़ुदा की ता’लीमों को छोड़ना या उनका ‘अमल नहीं करना।
* लफ़्ज़ “छोड़ा हुआ” को माज़ी में काम में लिया जा सकता है जैसे “उसने तुझे छोड़ दिया” या जैसे किसी को "छोड़ दिया गया है" के बारे में।
## तर्जुमे की सलाह:
* इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के और भी तरीक़े हो सकते हैं, “छोड़ देना” या “नज़रअंदाज़ करना” या “छोड़ देना” या “से दूर हो जाना” या “पीछे छोड़ देना” मज़मून पर मुनहस्सिर|
* ख़ुदा की शरी’अत को “छोड़” देने का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की शरी’अत का ‘अमल नहीं करना” इसका तर्जुमा यह भी हो सकता है उसकी ता’लीमों या शरी’अत को “रद्द कर देना” या “छोड़ देना” या “हुक्म की फरमाबरदारी न करना”।
* जुमले “छोड़ा हुआ” का तर्जुमा “छोड़ा हुआ” या “ख़ारिज होना” हो सकता है।
* इसका मतलब और ज़्यादा साफ़ ज़ाहिर करने के लिए तर्जुमे में मुख़तलिफ़ अलफ़ाज़ का इस्ते’माल करें, जो मज़मून पर मुनहस्सिर करता है कि मज़मून में किसी चीज़ या किसी शख़्स को छोड़ा गया है|
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 सलातीन 06:11-13](rc://ur-deva/tn/help/1ki/06/11)
* [दानीएल 11:29-30](rc://ur-deva/tn/help/dan/11/29)
* [पैदाइश 24:26-27](rc://ur-deva/tn/help/gen/24/26)
* [यशू’अ 24:16-18](rc://ur-deva/tn/help/jos/24/16)
* [मत्ती 27:45-47](rc://ur-deva/tn/help/mat/27/45)
* [अम्साल 27:9-10](rc://ur-deva/tn/help/pro/27/09)
* [ज़ुबूर 071:17-18](rc://ur-deva/tn/help/psa/071/017)
## शब्दकोश:
* Strong's: H488, H2308, H5203, H5428, H5800, H5805, H7503, G646, G657, G863, G1459, G2641,

41
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@ -0,0 +1,41 @@
# पूरा कर, पूरा हुआ
## ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “पूरा कर” का मतलब है मुकम्मल या पूरा होना जिसकी उम्मीद की गयी थी|
* जब एक नबूव्वत पूरी होती है, तो इसका मतलब है कि ख़ुदा ने नबूव्वत में जो पेशगोई की थी उसे पूरा किया।
* अगर इन्सान अपने ‘अहद या क़सम पूरी करता है तो इसका मतलब है कि उसने जो कहा था उसे निभाया।
* ज़िम्मेदारी को पूरा करने का मतलब है किसी दिए गए को या ख़ास काम को पूरा करना।
## तर्जुमे की सलाह:
* मज़मून पर मुनहस्सिर “पूरा करना” का तर्जुमा हो सकता है “ख़त्म करना” या “मुकम्मल करना” या “होने के लिए कुछ करना” या “हुक्म मानना” या “ज़ाहिर करना”
* जुमला “पूरा किया जा चुका” का तर्जुमा हो सकता है, “सच हो गया” या “हो चुका है” या “मुकम्मल हो चुका है”
* “पूरा करना” के तर्जुमे के तरीक़े जैसे “अपनी ख़िदमत पूरी करो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “मुकम्मल करो” या “निभाओ” या “इन्सानों की ख़िदमत वैसी करो जैसे ख़ुदा ने तुम्हें करने के लिए बुलाया है”।
(यह भी देखें: [नबी](../kt/prophet.md), [मसीह](../kt/christ.md), [वज़ीर](../kt/minister.md), [बुलाहट](../kt/call.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 सलातीन 02:26-27](rc://ur-deva/tn/help/1ki/02/26)
* [रसूलों के ‘आमाल 03:17-18](rc://ur-deva/tn/help/act/03/17)
* [अहबार 22:17-19](rc://ur-deva/tn/help/lev/22/17)
* [लूक़ा 04:20-22](rc://ur-deva/tn/help/luk/04/20)
* [मत्ती 01:22-23](rc://ur-deva/tn/help/mat/01/22)
* [मत्ती 05:17-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/17)
* [ज़ुबूर 116:12-15](rc://ur-deva/tn/help/psa/116/012)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[24:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/04)__ युहन्ना ने वह __पूरा किया__ जो यसा’याह नबी की किताब में लिखा था, “देख मैं अपने फ़रिश्ते को तेरे आगे भेजता हूँ, जो तेरे लिए राह दिखाएगा”
* __[40:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/03)__ सिपाहियों ने ‘ईसा के कपड़ों के लिये जुआ खेला। जब उन्होंने ये किया तो उन्होंने इस नबूव्वत को __पूरा किया__ कि, “वे मेरे कपड़े आपस में बाँटते हैं, और मेरे लिबास के लिए जुआ खेलते हैं।”
* __[42:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/42/07)__ ‘ईसा ने कहा, "मैंने तुमसे कहा था कि ख़ुदा के कलाम में मेरे बारे में जो कुछ लिखा हुआ है वह __पूरा होना__ चाहिए।"
* __[43:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/05)__लेकिन यह वह बात है जो यूएल नबी के ज़रिए’ कही गई थी। ख़ुदा कहता है कि, “आख़िर के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपनी रूह सब इन्सानों पर उँडेलूँगा।”
* __[43:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/07)__ “’ईसा की मौत हुई लेकिन उसी को ख़ुदा ने मौत के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया, और यह नबूव्वत की गई थी कि, ‘न तो उसकी जान आलम-ए-अर्वाह में छोड़ी गई और न उसका जिस्म सड़ने पाया।’
* __[44:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/44/05)__ अगरछे तुम्हें नहीं पता था कि क्या करते हो, लेकिन ख़ुदा ने तुम्हारे कामो का इस्ते’माल किया नबूव्वतों को __पूरा करने __के लिए, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा, और मारा जाएगा।
## शब्दकोश:
* Strong's: H1214, H5487, G1096, G4138

28
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@ -0,0 +1,28 @@
# ग़ैर क़ौम, ग़ैर क़ौमों
## सच्चाई:
"ग़ैर क़ौम" का मतलब है ग़ैर यहूदी लोग । ग़ैर क़ौम उन लोगों को कहते थे जो या'क़ूब की नसल नहीं थे।
* कलाम में “मख़तून” लफ़्ज़ भी 'अलामती शक्ल से ग़ैर क़ौमों के लिए काम में लिया गया है क्यूँकि वह इस्राईलियों की तरह अपने लड़कों का ख़तना नहीं करते थे।
* ख़ुदा ने यहूदियों को अपने लिए अलग करके चुन लिया था, इसलिए यहूदी ग़ैर लोगों को बाहरी लोग मानते थे जो कभी ख़ुदा के लोग नहीं हो सकते थे।
* यहूदियों को तवारीख़ में अलग-अलग वक़्तों पर “इस्राईली” या “'इब्रानी” कहा गया है और सबको वे “ग़ैर क़ौम” कहते थे।
* ग़ैर क़ौम का तर्जुमा “यहूदी नहीं” या “ ग़ैर यहूदी” या “ ग़ैर इस्राईली” (पुराने ‘अहद नामे में) या “ग़ैर-यहूदी” हो सकता है।
* रवायतों के मुताबिक़ यहूदी ग़ैर क़ौम के साथ बैठ कर खाना नहीं करते थे या उनके साथ रिश्ता नहीं रखते थे, इस वजह से शुरू'आती कलीसिया में परेशानियाँ पैदा हुई थीं ।
(यह भी देखें: [इस्राईल](../kt/israel.md), [या’क़ूब](../names/jacob.md), [यहूदी](../kt/jew.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के 'आमाल 09:13-16](rc://ur-deva/tn/help/act/09/13)
* [रसूलों के 'आमाल 14:5-7](rc://ur-deva/tn/help/act/14/05)
* [गलातियों 02:15-16](rc://ur-deva/tn/help/gal/02/15)
* [लूक़ा 02:30-32](rc://ur-deva/tn/help/luk/02/30)
* [मत्ती 05:46-48](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/46)
* [मत्ती 06:5-7](rc://ur-deva/tn/help/mat/06/05)
* [रोमियो 11:25](rc://ur-deva/tn/help/rom/11/25)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1471, G1482, G1484, G1672

35
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@ -0,0 +1,35 @@
# जिज़्या , जिज़्यों
## ता’अर्रुफ़:
“जिज़्या” या'नी किसी को दी गई या चढ़ाई गई चीज़। जिज़्या देने में बदले में किसी बात के लिए जाने की या किसी चीज़ के दिए जाने की उम्मीद नहीं की जाती है।
* पैसा, खाना, कपड़ा वग़ैरह ग़रीबों को दिए जाते हैं तो उन्हें “जिज़्या” कहते हैं।
* कलाम में ख़ुदा को नज़र की गई चीज़ या क़ुर्बानी को “जिज़्या” कहते हैं।
* नजात की जिज़्या ख़ुदा 'ईसा में ईमान के ज़रिए' हमें देता है।
* नए 'अहद नामे में लफ़्ज़ “ने'मत ” जो ख़ुदा के ज़रिए' दी गई ख़ास रूहानी कूव्वतें हैं जो ख़ुदा ईमानदारों को ग़ैर लोगों की ख़िदमत के लिए देता है।
## तर्जुमा की सलाह:
* “जिज़्या” का आम लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से किया जाए जिसका मतलब हो, “दी गई कोई चीज़ ।”
* इन्सान की क़ाबिलियत या ने'मत के बारे में जो ख़ुदा देता है, “पाक रूह की ने'मत” इसका तर्जुमा हो सकता है, “रूहानी ताक़त” या “ पाक रूह से हासिल रूहानी क़ूव्वत ” या “ख़ुदा ख़ुसूसी रूहानी महारत ।”
(यह भी देखें: [रूह ](../kt/spirit.md), [पाक रूह](../kt/holyspirit.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 कुरिन्थियों 12:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1co/12/01)
* [2 शमूएल 11:6-8](rc://ur-deva/tn/help/2sa/11/06)
* [रसूलों के 'आमाल 08:20-23](rc://ur-deva/tn/help/act/08/20)
* [रसूलों के 'आमाल 10:3-6](rc://ur-deva/tn/help/act/10/03)
* [रसूलों के 'आमाल 11:17-18](rc://ur-deva/tn/help/act/11/17)
* [रसूलों के 'आमाल 24:17-19](rc://ur-deva/tn/help/act/24/17)
* [या'क़ूब 01:17-18](rc://ur-deva/tn/help/jas/01/17)
* [यूहन्ना 04:9-10](rc://ur-deva/tn/help/jhn/04/09)
* [मत्ती 05:23-24](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/23)
* [मत्ती 08:4](rc://ur-deva/tn/help/mat/08/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H814, H4503, H4864, H4976, H4978, H4979, H4991, H5078, H5083, H5379, H7810, H8641, G334, G1390, G1394, G1431, G1434, G1435, G3311, G5486

64
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@ -0,0 +1,64 @@
# जलाल,जलाल से मा’मूर, ता’रीफ़, ता'रीफ़ करता है
## ता’अर्रुफ़:
'आमतौर, “जलाल” का मतलब है, ‘इज़्ज़त, शान-ओ-शौकत और बहुत बड़ाई। जिसमें जलाल हो वह "जलाल से मा’मूर" कहलाता है।
* कभी-कभी "जलाल" का मतलब बहुत क़ीमती और ख़ास भी होता है। कई बयानों में इसका मतलब, शान-ओ-शौकत, रोशनी या फ़ैसला भी होता है।
* मिसाल के लिए, "चरवाहों की शान" का मतलब हरी चरागाहों को बताता है जहाँ उनके भेड़ों को खाने के लिए बहुत घास होती है।
* ख़ास तौर से बड़ाई करके ख़ुदा का बयान करने में काम में ली जाती है क्यूँकि वह सारी दुनिया में सबसे ज़्यादा जलाल से मा'मूर है उसके जुमले में हर एक बात उसकी शान और उसकी शौकत को ज़ाहिर करती है।
* जुमले "बड़ाई करने के लिए" का मतलब है कि कुछ के बारे में ग़ुरूर करना या फ़ख्र करना
“बड़ाई करे” या'नी किसी चीज़ या आदमी की 'इज़्ज़त और उसकी बड़ाई को ज़ाहिर करना । इसका असल मतलब है, “ता'रीफ़ करना”।
* इन्सान ख़ुदा के अजीब कामों को बयान करके उसकी बड़ाई कर सकते हैं |
* वह ख़ुदा की बड़ाई भी कर सकते है इस तरीक़े से जीकर की उसे 'इज़्ज़त मिले और दिखाते हुए की वह कितना अज़ीम और शानदार है।
* कलाम में लिखा है कि ख़ुदा अपना जलाल ज़ाहिर करता है तो इसका मतलब है कि वह लोगों पर अपनी हैरत अँगेज़ काम ज़ाहिर करता है, जो हमेशा मो'जिज़ों के ज़रिए' होता है।
* बाप ख़ुदा, बेटा ख़ुदा के जलाल का बेटे का कमाल , उसकी शान और 'अज़मत को ज़ाहिर करता है।
* मसीह में ईमान करनेवाला हर एक शख़्स उसके साथ जलाल पाएगा। जब ज़िन्दगी के लिए उनका नया जन्म होगा तब वह उसके जलाल को ज़ाहिर करने के लिए तब्दील हो जाएंगे और तमाम तख्लीक़ पर उसका फ़ज़ल ज़ाहिर होगा।
## तर्जुमा के लिए सलाह:
जुमलों के तौर पर "जलाल" का तर्जुमा कई तरीक़े से हो सकता है "अमन" या "रोशनी" या "’अज़मत" या"शानदार "’अज़ीमी" या इन्तिहाई क़द्र सामिल हो सकती है |
* इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “को जलाल देना” या “जलाल से भरा हुआ ” या “'अज़ीम दिखाई देने की वजह होना”।
* मज़मून "ख़ुदा को जलाल दें" का तर्जुमा "ख़ुदा की 'अज़मत का ‘एजाज़" या "उसकी बड़ाई की वजह से ख़ुदा की ता'रीफ़ " या "दूसरों को बताएं कि ख़ुदा कितना 'अज़ीम है" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
* मज़मून "जलाल" का तर्जुमा "'इज़्ज़त" या "फ़ख्र में" या "ग़ुरूर" या "ख़ुशी लेने" की शक्ल में भी किया जा सकता ह
"जलाल" का तर्जुमा "जलाल देना" या "जलाल लाने" या "’अज़ीम दिखने की वजह " की शक्ल में भी किया जा सकता है।
* “ख़ुदा की बड़ाई करना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई करना” या “ख़ुदा की 'अज़मत का ज़िक्र करना” या “दिखाना कि ख़ुदा कैसा 'अज़ीम है”, या “ख़ुदा की (हुक्म की ‘इता’अतकरते हुए )एहतराम करना”।
* लफ़्ज़ "जलाल हो" का तर्जुमा भी किया जा सकता है, "बहुत बड़ा होना दिखाया जाए" या "ता'रीफ़ की जाए" या "बुलंद हो।"
(यह भी देखें: [बड़ाई करना, महिमा](../kt/exalt.md), [फ़रमाबरदारी ](../other/obey.md), [बड़ाई ](../other/praise.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [ख़ुरूज 24:16-18](rc://ur-deva/tn/help/exo/24/16)
* [गिनती 14:9-10](rc://ur-deva/tn/help/num/14/09)
* [यसा'याह 35:1-2](rc://ur-deva/tn/help/isa/35/01)
* [Luke 18:42-43](rc://ur-deva/tn/help/luk/18/42)
* [लूक़ा 02:8-9](rc://ur-deva/tn/help/luk/02/08)
* [यूहन्ना 12:27-29](rc://ur-deva/tn/help/jhn/12/27)
* [रसूलों के 'आमाल 03:13-14](rc://ur-deva/tn/help/act/03/13)
* [[रसूलों के 'आमा 07:1-3](rc://ur-deva/tn/help/act/07/01)
* [रोमियों 08:16-17](rc://ur-deva/tn/help/rom/08/16)
* [1 कुरन्थियों 06:19-20](rc://ur-deva/tn/help/1co/06/19)
* [फ़िलिप्पियों 02: 14-16](rc://ur-deva/tn/help/php/02/14)
* [फ़िलिप्पियों 04:18-20](rc://ur-deva/tn/help/php/04/18)
* [कुलुस्सियों 03:1-4](rc://ur-deva/tn/help/col/03/01)
* [1 थिस्सलुनीकियों 02:5-6](rc://ur-deva/tn/help/1th/02/05)
* [या'क़ूब 02:1-4](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/01)
* [1 पतरस 04:15-16](rc://ur-deva/tn/help/1pe/04/15)
* [मुक़ाश्फ़ा15:3-4](rc://ur-deva/tn/help/rev/15/03)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[23:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/23/07)__ तब अचानक फ़रिश्तों का झुण्ड ख़ुदा की ता'रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आसमान में ख़ुदा __बड़ाई__ और ज़मीन पर उन लोगों में जिनसे वह ख़ुश है, अमन हो ।”
* __[25:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/25/06)__ फिर शैतान ने 'ईसा को निया की सारी सल्तनतों और उसकी __शान-ओ-शौकत__ दिखाकर उससे कहा, “अगर तू गिरकर मुझे सिज्दा करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।”
* __[37:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/37/01)__ यह सुनकर 'ईसा ने कहा, “यह बीमारी मौत की नहीं; लेकिन ख़ुदा के __जलाल__ के लिए है।"
* __[37:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/37/08)__ ‘ईसा ने जवाब दिया , “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा था कि अगर तू मुझ पर यक़ीन करेगी, तो ख़ुदा के __जलाल__ को देखेगी?”
## शब्दकोश:
* Strong's: H117, H142, H155, H215, H1342, H1921, H1922, H1925, H1926, H1935, H1984, H2892, H3367, H3513, H3519, H3520, H6286, H6643, H7623, H8597, G1391, G1392, G1740, G1741, G2620, G2744, G2745, G2746, G2755, G2811, G4888

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# ख़ुदावन्द
## सच्चाई:
कलाम में “ख़ुदावन्द” के बारे में हमेशा की ज़िन्दगी से है जिसने जाहान को इब्तिदा से बनाया है। ख़ुदावन्द का ज़हूर बाप ,बेटा और पाक रूह में है। ख़ुदावन्द का नाम यहोवा है।
ख़ुदावन्द हमेशा से है, जब कुछ भी नहीं था तब ख़ुदावन्द था और वह हमेशा तक रहेगा।
* वही सिर्फ़ एक सच्चा ख़ुदावन्द है और उसका इख्तियार पूरे 'आलम पर है।
* ख़ुदावन्द रास्तबाज़ी में सादिक़ , अज़ी म अक्लमंद , पाक, बे गुनाह , इन्साफ़ पसन्द ,हलीम और प्यार करने वाला है।
* वह 'अहद रखनेवाला ख़ुदावन्द है जो अपनी क़समें हमेशा पूरी करता है।
* इन्सान को ख़ुदावन्द की 'इबादत के लिए बनाया गया था और उसे हमेशा उसी की 'इबादत करना चाहिए।
* ख़ुदावन्द ने अपना नाम “यहोवा” बताया है जिसका मतलब है, “वह है” या “मैं हूँ” या “जो हमेशा से है।”
* कलाम में झूठे मा'बूदों का भी बयान है जो बे जान बुत हैं , उनकी इबादत इन्सान करता है।
## तर्जुमा की सलाह:
* “ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ के तर्जुमें हो सकते हैं, “क़ुदरती ताक़त ” या “तख़लीक़ करने वाला ” या “रूहानी शख्सियत ”।
* “ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ के दूसरे तर्जुमें हो सकते हैं, “रूहानी ख़ालिक़” या “आख़िर वक़्त तक रहने वाला ख़ुदा ” या “हमेशा रूहानी शख्सियत ”
* तवज्जोह दें कि मक़ामी ज़बान में ख़ुदावन्द के लिए क्या लफ़्ज़ काम में लिया जाता है। हो सकता है कि मक़सदी ज़बान में ख़ुदावन्द के लिए एक लफ़्ज़ है। अगर है तो वाज़ेह करें कि उस लफ़्ज़ में सिर्फ़ एक सच्चे ख़ुदावन्द की ख़ासियत ज़ाहिर हो , जैसा ऊपर बयान किया गया है।
* कई ज़बानों में ख़ुदावन्द लफ़्ज़ का पहला हर्फ़ बड़ा कर दिया जाता है कि वह झूठे मा'बूदों से अलग करा जा सके।
* इस फ़र्क़ को ज़ाहिर करने के लिए ख़ुदावन्द और मा'बूद लफ़्ज़ों को दो अलग हरफ़ों के ज़रिए' बयान किया जाए।
* “मैं उनका ख़ुदावन्द हूँगा और वह मेरे लोग होंगे” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “मैं ख़ुदावन्द इन लोगों पर राज करूंगा और वह मेरी 'इबादत करेंगे।”
(तर्जुमा की सलाह [नामों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-names))
(यह भी देखें: [बनाने](../other/creation.md), [झूठे मा’बूद](../kt/falsegod.md), [बाप ख़ुदावन्द](../kt/godthefather.md), [पाक रूह ](../kt/holyspirit.md), [बुत ](../kt/falsegod.md), [ ख़ुदावन्द का बेटा ](../kt/sonofgod.md), [यहोवा](../kt/yahweh.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 यूहन्ना 01:5-7](rc://ur-deva/tn/help/1jn/01/05)
* [1 शमूएल 10:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1sa/10/07)
* [1 तीमुथियुस 04:9-10](rc://ur-deva/tn/help/1ti/04/09)
* [कुलुस्सियों 01: 15-17](rc://ur-deva/tn/help/col/01/15)
* [इस्तिसना 29:14-16](rc://ur-deva/tn/help/deu/29/14)
* [एज्रा 03:1-2](rc://ur-deva/tn/help/ezr/03/01)
* [पैदाइश 01: 1-2](rc://ur-deva/tn/help/gen/01/01)
* [होशे 04:11-12](rc://ur-deva/tn/help/hos/04/11)
* [यसा’याह. 36:6-7](rc://ur-deva/tn/help/isa/36/06)
* [या'क़ूब 02:18-20](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/18)
* [यरमियाह 05:4-6](rc://ur-deva/tn/help/jer/05/04)
* [यूहन्ना 01:1-3](rc://ur-deva/tn/help/jhn/01/01)
* [यसू'अ 03:9-11](rc://ur-deva/tn/help/jos/03/09)
* [[विलापना 03:40-43](rc://ur-deva/tn/help/lam/03/40)
* [मीका 04:4-5](rc://ur-deva/tn/help/mic/04/04)
* [फ़िलिप्पुस 02:5-8](rc://ur-deva/tn/help/php/02/05)
* [अम्साल 24:11-12](rc://ur-deva/tn/help/pro/24/11)
* \ज़बूर 047:8-9](rc://ur-deva/tn/help/psa/047/008)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
* __[01:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/01)__ __ख़ुदावन्द__ ने छह दिनों में जहान और सब कुछ बनाया।
* __[01:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/15)__ __ख़ुदावन्द__ ने अपनी शक्ल में आदमी और औरत को बनाया।
* __[05:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/05/03)__ "मैं __ख़ुदावन्द__ सब से ज़्यादा ताक़तवर हूँ। मैं तुम्हारे साथ 'अहद बान्धूंगा।
* __[09:14](rc://ur-deva/tn/help/obs/09/14)__ __ख़ुदावन्द__ ने कहा, "मैं जो हूं, सो हूं। उनसे कहना, 'जिसका नाम मैं हूँ उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।' यह भी उनको बताओ, "मैं तुम्हारे बुजुर्गों इब्राहीम, इस्हाक़ और या'क़ूब का __ख़ुदावन्द__, यहोवा हूं।" हमेशा तक मेरा नाम यही रहेगा।'" है
* __[10:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/10/02)__ इन खौफ़नाक आफ़तों के ज़रिए' __ख़ुदावन्द__ यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िर'औन व मिस्र के मा'बूदों से कहीं ज़्यादा ताक़तवर है।
* __[16:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/16/01)__ इस्राईलियों ने यहोवा जो सच्चा __ख़ुदावन्द__ है उसकी जगह पर, कन'आनियो के मा'बूद की 'इबादत करना शुरू' किया।
* __[22:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/22/07)__ और तू ऐ लड़के , __ ख़ुदावन्द__ का नबी कहलाएगा क्योंकि तू ख़ुदा का रास्ता तैयार करने के लिए उसके आगे आगे चलेगा।
* __[24:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/09)__ ” सिर्फ़ एक ही __ख़ुदावन्द__ है। लेकिन जब यूहन्ना ने 'ईसा को बपतिस्मा दिया, उसने बाप __ख़ुदावन्द__ को कहते सुना, बेटे ख़ुदावन्द को देखा, और पाक रूह को भी देखा।
* __[25:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/25/07)__ "कि ‘तू ख़ुदा अपने __ख़ुदावन्द__ को 'इबादत कर, और सिर्फ़ उसी की ख़िदमत कर।’”
* __[28:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/28/01)__ "जो अच्छा है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह __ख़ुदावन्द__ है।"
* __[49:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/09)__ लेकिन __ख़ुदावन्द__ ने दुनिया के हर इन्सान से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर ईमान करे उसे उसके गुनाहों की सज़ा नहीं मिलेगी, लेकिन __ख़ुदावन्द__ के साथ हमेशा की ज़िन्दगी पाएगा ।
* __[50:16](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/16)__ लेकिन एक दिन __ख़ुदावन्द__ एक नया आसमान और एक नई ज़मीन को तैयार करेगा जो सही होगी।
## शब्दकोश:
* Strong's: H136, H305, H410, H426, H430, H433, H2486, H2623, H3068, H3069, H3863, H4136, H6697, G112, G516, G932, G935, G1096, G1140, G2098, G2124, G2128, G2150, G2152, G2153, G2299, G2304, G2305, G2312, G2313, G2314, G2315, G2316, G2317, G2318, G2319, G2320, G3361, G3785, G4151, G5207, G5377, G5463, G5537, G5538

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@ -0,0 +1,44 @@
# ख़ुदा, ख़ुदाई, बुरा, ख़ुदा की राह , ना क़ाबिल-ए-एतमाद , ख़ुदा परस्ती
## ता'अर्रुफ़: ##
“रास्तबाज़ी” लफ़्ज़ उस शख़्स को बयान करता है जो इस तरह के काम करता है जिनसे ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर होता है और ज़ाहिर होता है कि ख़ुदा कैसा है। "’इबादत" ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करके ख़ुदा की 'इज़्ज़त करने का किरदार है।
* ‘इबादत का किरदार रखनेवाला शख़्स पाक रूह के फल ज़ाहिर करता है जैसे, मुहब्बत, ख़ुशी, अमन, सब्र, हलीमी, ख़ुद पर क़ाबू वगैरह ।
* इबादत की ख़ासियतों से पता चलता है कि एक शख़्स में पाक रूह है और उसे अमल करना है।
"बुरा " और "बे बुनियाद " लफ़्ज़ उन लोगों का बयान करते हैं जो ख़ुदा के मुख़ालिफ़ हैं । बुरे रास्ते में रहते हैं ,बिना ख़ुदा के , ग़ैर जानदार , या बे बुनियाद , कहा जाता है |
इन लफ़्ज़ों का मतलब बहुत 'आम है। हालांकि, "ख़ुदा परस्ती" और "बे बुनियाद" एक बहुत गहराई से बयान कर सकते है जिसमें लोग या क़ौम ख़ुदा को क़ुबूल करने या उनके हुकूमत करने का इख्तियार भी क़ुबूल नहीं करते हैं
* ख़ुदा‏ लेकिन फ़ैसला और ग़ुस्से का बयान करता है, जो हर वह शख्स को और उसके तरीकों को क़ुबूल नहीं करता है।
## तर्जुमा‏ ‏की‏ ‏सलाह‏ :
* “ख़ुदा परस्त” का तर्जुमा “ख़ुदा के फ़रमाबरदार लोग” या “ख़ुदा के हुक्म मानने वाले लोग” (देखें: [ना मुकम्मल ](rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-nominaladj)
* सिफ़त "ख़ुदा परस्त" का तर्जुमा "ख़ुदा के बारे में फ़रमाबरदारी " या "ईमानदार" या , ख़ुदा को ख़ुश " की शक्ल में किया जा सकता है।
* " ख़ुदा परस्त के तरीक़े से" जुमलों का तर्जुमा "ऐसे तरीक़े से किया जा सकता है जो ख़ुदा पर अमल करता है" या "अमल और लफ़्ज़ों के साथ जो ख़ुदा को ख़ुश करते हैं।"
* "इबादत" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "ख़ुदा को ख़ुश करने वाले तरीक़े से काम करना" या "ख़ुदा पर 'अमल करना" या "एक ईमानदार तरीक़े से जी रहे" हो सकते हैं।
* जुमलों के तौर पर, "ना रास्त" लफ़्ज़ का तर्जुमा "ख़ुदा से नाराज" या "ग़ैर इख़लाक़ी" या "ख़ुदा की नाफ़रमानी "की शक्ल में किया जा सकता है।
* "बे दीन" और "बे बुनियाद" लफ़्ज़ का लफ़्ज़ी मतलब यह है कि लोग "ख़ुदा के बग़ैर" हैं या "ख़ुदा के बारे में कोई ख़्याल नहीं है" या "ऐसे तरीक़े से काम करना जो ख़ुदा को क़ुबूल नहीं करता है।"
* "बे 'इज़्ज़ती" या "बे बुनियादी" का तर्जुमा करने के दूसरे तरीक़े "बदकारी" या "बुराई" या "ख़ुदा से बग़ावत" हो सकते हैं।
(यह‏ ‏भी‏ ‏देखें: [‘इज़्ज़त‏ ](../kt/evil.md), [हुक्म‏ ‏पर ‘अमल‏ ‏करना‏ ](../kt/honor.md), [रास्तबाज़‏ ](../other/obey.md), [सादिक़](../kt/righteous.md), [रास्तबाज़‏ ](../kt/righteous.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [अय्यूब 27:8-10](rc://ur-deva/tn/help/job/27/08)
* [अम्साल‏ 11:9-11](rc://ur-deva/tn/help/pro/11/09)
* [रसूलों के 'आमाल 03:11-12](rc://ur-deva/tn/help/act/03/11)
* [1 तीमुथियुस 01:9-11](rc://ur-deva/tn/help/1ti/01/09)
* [1 तीमुथियुस 04:6-8](rc://ur-deva/tn/help/1ti/04/06)
* [2 तीमुथियुस03:10-13](rc://ur-deva/tn/help/2ti/03/10)
* [इब्रानियों 12:14-17](rc://ur-deva/tn/help/heb/12/14)
* ['इब्रानियों‏ 11:7](rc://ur-deva/tn/help/heb/11/07)
* [1 पतरस04:17-19](rc://ur-deva/tn/help/1pe/04/17)
* [यहूदा 01:14-16](rc://ur-deva/tn/help/jud/01/14)
## शब्दकोश:
* Strong's: H430, H1100, H2623, H5760, H7563, G516, G763, G764, G765, G2124, G2150, G2152, G2153, G2316, G2317

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@ -0,0 +1,50 @@
# ख़ुदावन्द बाप , आसमानी बाप , बाप
## सच्चाई:
यह लफ़्ज़ “ बाप ख़ुदावन्द” और “आसमानी बाप” सिर्फ़ एक सच्चे ख़ुदावन्द, यहोवा के बारे में हैं। उसी मतलब के साथ एक और लफ़्ज़ "बाप" है, जो सबसे ज़्यादा बार इस्ते'माल किया जाता था जब 'ईसा उससे बात कर रहा था
* ख़ुदावन्द, बाप ख़ुदावन्द, बेटे ख़ुदावन्द और पाक रूह ख़ुदावन्द है। हर एक मुकम्मल ख़ुदावन्द होते हुए भी तीनों एक ही हैं। यह एक ऐसा राज़ है जिसे इन्सान पूरे तरीक़े समझ नहीं सकता।
* बाप ख़ुदावन्द ने बेटे ख़ुदावन्द (‘ईसा) को दुनिया में भेजा और उसने अपने लोगों के लिए पाक रूह को भेजा।
* जो बेटे ख़ुदावन्द में ईमान करता है वह बाप ख़ुदावन्द की औलाद बन जाता है और पाक रूह ख़ुदावन्द उसमें रहने लगता है। यह एक और राज़ है जिसे इन्सान पूरे तरीक़े समझ नहीं सकता।
## तर्जुमा की सलाह:
* “बाप ख़ुदावन्द” का साफ़ तर्जुमा , “बाप ” लफ़्ज़ हो सकता है, उसी लफ़्ज़ के साथ जो ज़बान आम तौर से एक इन्सानी बाप का बयान करने के लिए इस्ते'माल करता है।
* “आसमानी बाप ” का तर्जुमा हो सकता है, बाप जो आसमान में है” या “बाप ख़ुदावन्द जो आसमान में है” या “हमारा आसमानी बाप ” है।
* आमतौर पर जब "बाप " दारुल हुकूमत है, तो ख़ुदावन्द को बयान करता है।
(तर्जुमा की सलाह : [नामों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-names))
(यह भी देखें: [बुजुर्गों ](../other/father.md), [ख़ुदावन्द](../kt/god.md), [आसमान ](../kt/heaven.md), [पाक रूह ](../kt/holyspirit.md), [‘ईसा ](../kt/jesus.md), [ ख़ुदावन्द का बेटा](../kt/sonofgod.md))
## किताएब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 कुरिन्थियों 08:4-6](rc://ur-deva/tn/help/1co/08/04)
* [1 यूहन्ना 02:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/01)
[1 यूहन्ना 02:22-23](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/22)
* [1 यूहन्ना 03:1-3](rc://ur-deva/tn/help/1jn/03/01)
* [कुलुस्सियों 01: 1-3](rc://ur-deva/tn/help/col/01/01)
* [इफ़िसियों 05: 18-21](rc://ur-deva/tn/help/eph/05/18)
* [लूका 10:22](rc://ur-deva/tn/help/luk/10/22)
* [मत्ती 05:15-16](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/15)
* [मत्ती 23:8-10](rc://ur-deva/tn/help/mat/23/08)
## किताएब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[24:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/09)__ सिर्फ़ एक ही ख़ुदावन्द है। लेकिन जब यूहन्ना ने 'ईसा को बपतिस्मा दिया, उसने __बाप ख़ुदावन्द__ को कहते सुना, बेटा ख़ुदावन्द को देखा, और पाक रूह को भी देखा ।
* __[29:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/29/09)__ तब 'ईसा ने कहा, “इसी तरह अगर तुम में से हर एक अपने भाई को दिल से अगर मु'आफ़ न करेगा, तो मेरा __बाप जो आसमान में है__ , तुम से भी वैसा ही करेगा"
* __[37:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/37/09)__ फिर ईसा ने आसमान की तरफ़ देखा और कहा, " __बाप__, मुझे सुनने के लिए मुबारक ।"
"* __[40:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/07)__ तब ईसा ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! ऐ __बाप__, मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ।”
* __[42:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/42/10)__ इसलिए तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को शागिर्द बनाओ और उन्हें __बाप__, और बेटे , और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दी हैं, मानना सिखाओ।
* __[43:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/08)__ “ईसा अब आसमान में __ बाप ख़ुदावन्द__ के दाहिनी तरफ़ बैठा है।"
* __[50:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/10)__ तब ईमानदार अपने __ बाप ख़ुदावन्द__ की बादशाही में सूरज की तरह चमकेंगे।”
## शब्दकोश:
* Strong's: H1, H2, G3962

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@ -0,0 +1,49 @@
# अच्छा, भलाई
## ता’अर्रुफ़:
“अच्छा” लफ़्ज़ का मतलब जुमले के मुताबिक़ अलग-अलग हो सकते हैं। कई ज़बानों में इन अलग-अलग मतलबों का तर्जुमा करने के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ होंगे।
* आमतौर पर कोई बात अच्छी है अगर वह ख़ुदावन्द के ख़ासीयत , मक़सद और मर्ज़ी के मुताबिक़ है।
* एक “अच्छी” चीज़ क़ाबिल क़ुबूल, अच्छी जीज़, मददगार, लायक़, फ़ायदेमन्द या सही तरीक़े में होगी।
* ज़मीन अच्छी है तो वह उपजाऊ और पैदावार होगी।
* “अच्छी” फ़सल या'नी पैदावार
* एक शख़्स अपने काम में "अच्छा" हो सकता है कि वे क्या करते हैं अगर वह अपने काम या पेशे में होशियार हैं, जैसा कि "एक अच्छा किसान" है।
* कलाम में “अच्छा” हमेशा बुरे के अलग है।
* “भलाई” हमेशा ख़्यालों और काम में इख्लाक़ी के तौर पर नेक और रास्तबाज़ होना है।
* ख़ुदावन्द की अच्छाई का मतलब है लोगों को अच्छी और फ़ायदे की चीज़ें देना। यह भी उसके इख़लाक़ी कमाल के बारे में है
## तर्जुमा की सलाह:
* मक़सदी ज़बान में “अच्छा” के लिए जो भी आम लफ़्ज़ है उसका इस्ते'माल किया जाए जब भी यह आम लफ़्ज़ मुनासिब और लाज़िम हो ख़ास करके ऐसे बारों में जहां यह लफ़्ज़ बुराई के अलग मतलब में ज़ाहिर हों ।
* जुमले के मुताबिक़ इसके कई तर्जुमे हो सकते हैं, “रहम ” या "बहुत ख़ुश ग्वार " या “रास्तबाज़ ” या “ख़ुश इख़लाक़” या “फ़ायदे मन्द ”
* “अच्छी ज़मीन ” का तर्जुमा हो सकता है, “उपजाऊ ज़मीन ” या “पैदावार की ज़मीन ” या “अच्छी फसल” का तर्जुमा “कामयाब फ़सल” या “बहुत ज़्यादा फ़सल”।
* “भलाई करना” का मतलब है लोगों के फ़ायदे के काम और इसका तर्जुमा , “पर रहम करना” या “मदद करना” या “फ़ायदा पहुंचाना” हो सकता है।
* “सबत के दिन भलाई करना” या'नी “किसी के फ़ायदे का काम सबत के दिन करना”।
* जुमलों के मुताबिक़ “भलाई के तर्जुमा”, “बरकत ” या “रहम” या “ख़ुश” या “” या “पाकीज़गी ” की शक्ल हो सकते हैं।
(यह भी देखें: [बुराई](../kt/evil.md), [मुक़द्दस](../kt/holy.md), [फ़ायदा](../other/profit.md), [रास्तबाज़ ](../kt/righteous.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [गलातियों 05:22-24](rc://ur-deva/tn/help/gal/05/22)
* [ पैदाइश 01:11-13](rc://ur-deva/tn/help/gen/01/11)
* [ पैदाइश 02:9-10](rc://ur-deva/tn/help/gen/02/09)
* [पैदाइश 02:15-17](rc://ur-deva/tn/help/gen/02/15)
* [या'क़ूब 03:13-14](rc://ur-deva/tn/help/jas/03/13)
* [रोमियो 02:3-4](rc://ur-deva/tn/help/rom/02/03)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
* __[01:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/04)__ लेकिन ख़ुदावन्द ने देखा कि जो तख़लीक़ उसने की है वह __अच्छी__ है।।
* __[01:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/11)__ ख़ुदावन्द ने __अच्छे__ और बुरे के 'इल्म का दरख़्त लगाया।
* __[01:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/12)__ फिर ख़ुदावन्द ने कहा “आदमी का अकेला रहना __अच्छा__ नहीं है।”
* __[02:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/02/04)__ " ख़ुदावन्द इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम ख़ुदावन्द की तरह हो जाओगे और __अच्छा__ और बुरे को समझोगे जैसा वह समझता है।"
* __[08:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/08/12)__ "आपने ग़ुलाम की शक्ल में मुझे बेचकर तुमने बुराई करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदावन्द ने __भलाई__ के लिए बुराई का इस्ते'माल किया!"
* __[14:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/14/15)__ यसू'अ एक __अच्छा__ रहनुमा था क्यूँकि वह ख़ुदावन्द पर ईमान करता था व उसके हुक्मो का पालन करता था।
* __[18:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/18/13)__ कुछ बादशाह __अच्छे__ लोग भी थे, जिन्होंने बेहतर तरीक़े से हुकूमत की और ख़ुदा की 'इबादत की।
* __[28:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/28/01)__ “ऐ__बेहतर __ उस्ताद , हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस होने के लिए मै क्या करूँ?” 'ईसा ने उससे कहा, “तू मुझे __अच्छा__ क्यों कहता है? जो __अच्छा __ है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदावन्द है"
## शब्दकोश:
* Strong's: H117, H145, H155, H202, H239, H410, H1580, H1926, H1935, H2532, H2617, H2623, H2869, H2895, H2896, H2898, H3190, H3191, H3276, H3474, H3788, H3966, H4261, H4399, H5232, H5750, H6287, H6643, H6743, H7075, H7368, H7399, H7443, H7999, H8231, H8232, H8233, H8389, H8458, G14, G15, G18, G19, G515, G744, G865, G979, G1380, G2095, G2097, G2106, G2107, G2108, G2109, G2114, G2115, G2133, G2140, G2162, G2163, G2174, G2293, G2565, G2567, G2570, G2573, G2887, G2986, G3140, G3617, G3776, G4147, G4632, G4674, G4851, G5223, G5224, G5358, G5542, G5543, G5544

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# अच्छी ख़बर, ख़ुशख़बरी
## ता’अर्रुफ़:
“ख़ुशख़बरी” लफ़्ज़ का असल मतलब में “अच्छी ख़बर,” है और ऐसी ख़बर और 'ऐलान के बारे में है जो लोगों को फ़ायदा पहुंचाता है या ख़ुश करता है।
* कलाम में यह लफ़्ज़ सलीब पर ‘ईसा की क़ुर्बान के ज़रिए' से ख़ुदा की नजात के बारे में हमेशा इस्ते'माल किया जाता है।
* ज़्यादातर अंग्रेजी कलामों में “अच्छी ख़बर” का तर्जुमा “ख़ुशख़बरी” किया गया है और ऐसे जुमले काम में लिए गए हैं जैसे “मसीह ‘ईसा की ख़ुशख़बरी” या “ख़ुदा की ख़ुशख़बरी” और “बादशाही की ख़ुशख़बरी”।
## तरजुमा की सलाह:
* इस लफ़्ज़ की कई शक्लें हैं, “अच्छी ख़बर”, “अच्छा 'ऐलान” या “ख़ुदा की नजात की ख़बर” या “ख़ुदावन्द ‘ईसा के बारे में अच्छी बातें सिखाता है”।
* मज़मून के मुताबिक़ इस जुमले का तर्जुमा, “की ख़ुशख़बरी” का तर्जुमा के बारे में अच्छी ख़बर/ख़बर” या “से हासिल अच्छी ख़बर” या “ख़ुदा हमें जिन अच्छी बातों का 'इल्म देता है” या “ख़ुदा लोगों की नजात के बारे में क्या कहता है”।
(यह भी देखें: [बादशाही](../other/kingdom.md), [क़ुर्बानी](../other/sacrifice.md), [नजात](../kt/save.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 थिस्सलुनीकियों 01:4-5](rc://ur-deva/tn/help/1th/01/04)
* [रसूलों के 'आमाल 08:25](rc://ur-deva/tn/help/act/08/25)
* [कुलुस्सियों 01: 21-23](rc://ur-deva/tn/help/col/01/21)
* [गलातियों 01:6-7](rc://ur-deva/tn/help/gal/01/06)
* [लूक़ा 08: 1-3](rc://ur-deva/tn/help/luk/08/01)
* [मरकुस 01:14-15](rc://ur-deva/tn/help/mrk/01/14)
* [फ़िलिप्पियों 02:22-24](rc://ur-deva/tn/help/php/02/22)
* [रोमियो 01:1-3](rc://ur-deva/tn/help/rom/01/01)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[23:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/23/06)__ तब फ़रिश्ते ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्यूँकि देखो, मैं तुम्हें बड़ी ख़ुशी की __ख़बर__ सुनाता हूँ” कि आज बैतलहम शहर में तुम्हारे लिए एक मुन्जी पैदा हुआ है, और यही मसीह ख़ुदा है।”
* __[26:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/26/03)__ ‘ईसा ने पढ़ा, “ ख़ुदा की रूह मुझ पर है, इसलिए कि उसने कंगालों को __अच्छी ख़बर__ सुनाने के लिए बरकत दी है, और मुझे इसलिए भेजा है कि क़ैदियों को छुटकारे का और अंधों को बीनाई पानेकी ख़ुशख़बरी का 'ऐलान करूँ और कुचले हुओ को आज़ाद करूँ। यह ख़ुदा की महेरबानी का साल है।”
* __[45:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/45/10)__ फ़िलिप्पुस ने दूसरे सहीफ़ों का भी इस्तेमाल करके उसे ‘ईसा की __ख़ुशख़बरी__ सुनाई।
* __[46:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/10)__ तब उन्होंने उन्हें कई कई जगहों में __ ‘ईसा के बारे में ऐलान__ करने के लिये भेज दिया।
* __[47:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/01)__ एक दिन पौलुस और उसका दोस्त सीलास फ़िलिप्पी में __ ‘ईसा का 'ऐलान करने__ को गए।
* __[47:13](rc://ur-deva/tn/help/obs/47/13)__ __ ‘ईसा की ख़ुशख़बरी__ को वह ऐलान करते गए और कलीसिया बढ़ती गईं।
* __[50:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/01)__ तक़रीबन 2,000 से ज़्यादा सालों से, दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा लोग __ ‘ईसा मसीह की ख़ुशख़बरी__ को सुन रहे हैं।
* __[50:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/02)__ जब ‘ईसा ज़मीन पर रहता था तो उसने कहा, "मेरे शागिर्दों ने दुनिया में हर जगह लोगों को ख़ुदा की बादशाही के बारे में __ख़ुशख़बरी__ का 'ऐलान करेंगे, और फिर आख़िर आ जाएगा।"
* __[50:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/03)__ जन्नत में वापस जाने से पहले, ‘ईसा ने मसीहों से कहा कि वह उन लोगों को __ख़ुशख़बरी__ सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना।
## शब्दकोश:
* Strong's: G2097, G2098, G4283

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# फ़ज़ल, फ़ज़ल करने वाला
## ता’अर्रुफ़:
“फ़ज़ल” का मतलब है कि किसी शख़्स की मदद करना या उसको बरकत देना जबकि वह इस लायक़ नहीं है। “फ़ज़ल करने वाला” इस शख़्स को दिखता है जो किसी पर फ़ज़ल करता है।
* गुनागार लोगों के बारे में ख़ुदावन्द का फ़ज़ल एक अनमोल ने'मत है।
* फ़ज़ल के ख़याल में ग़लत और नुक़सान पहुंचानेवाला काम करने वाले लोगों को रहम दिखाना या मु'आफ़ करना।
* जुमलों "फ़ज़ल हासिल करने के लिए" एक जुमला है जिसका मतलब है कि ख़ुदा से मदद और रहम हासिल करना है। इसके मतलब में किसी से ख़ुदावन्द का ख़ुश होना और उसकी मदद करने का मतलब ज़ाहिर होता है।
## तर्जुमा की सलाह:
* “फ़ज़ल” को दूसरे तर्जुमें की शक्ल हो सकती हैं “ख़ुदा की महेरबानी ” या “ ख़ुदावन्द का एहसान या “गुनाहगारों के लिए ख़ुदावन्द का रहम और मु'आफ़ी” या “रहम दिल महेरबान”।
* “फ़ज़ल देने वाला ” का तर्जुमा हो सकता है, “फ़ज़ल से मा'मूर” या “रहम दिल ” या “रहम करने वाला ” या “रहम दिल महेरबान ”।
* “ ख़ुदावन्द की नज़र में फ़ज़ल हासिल किया” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उसने ख़ुदावन्द से रहम हासिल किया” या “ ख़ुदावन्द ने रहम दिल होकर उसकी मदद की” या "ख़ुदावन्द ने उस पर रहम दिखाया " या “ ख़ुदावन्द उससे ख़ुश हुआ और उसकी मदद की”।
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [ रसूलों के 'आमाल 04:32-33](rc://ur-deva/tn/help/act/04/32)
* [ रसूलों के 'आमाल 06:8-9](rc://ur-deva/tn/help/act/06/08)
* [रसूलों के 'आमाल 14:3-4](rc://ur-deva/tn/help/act/14/03)
* [कुलुस्सियों 04:5-6](rc://ur-deva/tn/help/col/04/05)
* [कुलुस्सियों 04:18](rc://ur-deva/tn/help/col/04/18)
* [पैदाइश 43:28-29](rc://ur-deva/tn/help/gen/43/28)
* [या'क़ूब 04:6-7](rc://ur-deva/tn/help/jas/04/06)
* [यूहन्ना 01:16-18](rc://ur-deva/tn/help/jhn/01/16)
* [फ़िलिप्पियों 04: 21-23](rc://ur-deva/tn/help/php/04/21)
* [मुक़ाश्फ़ा 22:20-21](rc://ur-deva/tn/help/rev/22/20)
## शब्दकोश:
* Strong's: H2580, H2587, H2589, H2603, H8467, G2143, G5485, G5543

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# जुर्म , मुजरिम
## ता’अर्रुफ़:
“जुर्म” का मतलब है गुनाह करने और जुर्म करने की हक़ीक़त ।
* “ मुजरिम होना” या'नी मुजरिम साबित करने का इख़लाक़ी तरीक़ा ग़लत है जैसे ख़ुदा के हुक्म की ना फ़रमानी करना।
* “मुजरिम” का उल्टा लफ़्ज़ है “बेक़ुसूर ”
## तर्जुमा की सलाह:
* कुछ ज़बानों में “इल्ज़ाम” का तर्जुमा “गुनाह का बोझ” या “गुनाह का शुमार” किया गया है।
* “ मुजरिम होने” की तर्जुमें की शक्ल हो सकती हैं, “मुजरिम होना” या “इख़लाक़ी तौर पर ग़लत काम करना” या “गुनाह करना”
(यह भी देखें:[बेक़ुसूर](../kt/innocent.md), [नारास्ती के काम](../kt/iniquity.md), [सज़ा देना](../other/punish.md), [गुनाह ](../kt/sin.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [ख़ुरूज 28:36-38](rc://ur-deva/tn/help/exo/28/36)
* [यसा'याह 06:6-7](rc://ur-deva/tn/help/isa/06/06)
* [या'क़ूब 02:10-11](rc://ur-deva/tn/help/jas/02/10)
* [यूहन्ना 19:4-6](rc://ur-deva/tn/help/jhn/19/04)
* [योना 01:14-16](rc://ur-deva/tn/help/jon/01/14)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[39:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/02)__ वह कई झूठे गवाह लाए जो 'ईसा के बारे में झूठ बोल रहे थे। हालांकि, उनके बयान एक दूसरे से नहीं मिल रहे थे, इसलिए यहूदी रहनुमा 'ईसा को __मुजरिम__ साबित नहीं कर सके।
* __[39:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/11)__ ‘ईसा से बात करने के बा'द पिलातुस भीड़ में आया, और कहा, “मैं तो इस आदमी में कोई __जुर्म__ नहीं पाता।” लेकिन यहूदी रहनुमाओं ने चिल्लाकर कहा कि, “इसे सलीब पर चढ़ा दो।” पिलातुस ने कहा कि, “मैं इसमें कोई __जुर्म__ नहीं पाता।” वह और ज़ोर से चिल्लाने लगे। पिलातुस ने तीसरी बार कहा कि “मैं इसमें कोई __जुर्म__ नहीं पाता।”
* __[40:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/40/04)__ ‘ईसा को दो डाकुओ के बीच सलीब पर चढ़ाया गया। उनमें से एक जब 'ईसा का मज़ाक़ उड़ा रहा था तो ,दूसरे ने कहा कि, “क्या तू ख़ुदा से नहीं डरता? हम __मुजरिम__हैं लेकिन ,यह तो बेगुनाह है।”
* __[49:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/49/10)__ अपने ही गुनाहों की वजह से , तुम __मुजरिम__ हो और मौत के लायक़ हो।
## शब्दकोश:
* Strong's: H816, H817, H818, H5352, H5355, G338, G1777, G3784, G5267

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# ‘आलम-ए-अर्वाह, अथाह गड्ढा
## ता’अर्रुफ़:
“‘आलम-ए-अर्वाह” और “अथाह-गड्ढा” किताब-ए-मुक़द्दस में मौत के बारे में काम में लिए गए हैं और उस जगह को ज़ाहिर हैं जहां मरने के बा’द इन्सानों की रूहें जाती हैं। इनके मतलब एक से ही हैं।
* पुराने ‘अहदनामे में “अथाह गड्ढे” का इब्रानी लफ़्ज़ (शिओल) अमूमन मौत की जगह को ज़ाहिर है
* नये ‘अहदनामे में यूनानी लफ़्ज़ “‘आलम-ए-अर्वाह” (अथाह-गड्ढा) ख़ुदा के बाग़ियों की रूहों की जगह है। इन रूहों के लिए कहा गया है कि वे अथाह-गढ्ढे में डाली जायेंगी। यह कभी-कभी “आसमान पर उठाना” के मुख़्तलिफ़ ख़याल ज़ाहिर करने के लिए है जहां ‘ईसा के ईमानदारों की रूहें हैं।
* मुकाशिफ़े की किताब में अथाह-गड्ढे के साथ मौत लफ़्ज़ जुड़ा है। आख़िरी वक़्त में मौत और ‘आलम-ए-अर्वाह दोनों आग की झील में डाले जायेंगे।
## तर्जुमे की सलाह
पुराने ‘अहदनामे के लफ़्ज़ “अथाह गड्ढा” (‘आलम-ए-अर्वाह) का तर्जुमों “मुर्दों की जगह” या “मुर्दा रूहों की जगह” कुछ तर्जुमों में इसे “कुण्ड” या “मौत” कहा गया है-मज़मून पर मुनह्स्सिर।
* नये ‘अहदनामे का लफ़्ज़ “’आलम-ए-अर्वाह” का तर्जुमा भी “बे-ईमान मुर्दा रूहों की जगह” या “ईमानदार मुर्दा इन्सानों की रूहों की जगह”।
* कुछ तर्जुमों में “अथाह गड्ढा” और “‘आलम-ए-अर्वाह” का उसी ज़बान के तलफ़्फ़ुज़ में ज्यों का त्यों रखा गया है। (देखें: [अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown))
* एक जुमले को यह भी समझाने के लिए हर एक लफ़्ज़ में जोड़ा जा सकता है, ऐसा करने के मिसाल के तौर पर, "‘आलम-ए-अर्वाह, जगह जहाँ मरे हुए लोग हैं" और "अथाह-गड्ढा, मौत की जगह "।
(तर्जुमे की सलाह: [अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-unknown)
(यह भी देखें: [मौत](../other/death.md), [आसमान](../kt/heaven.md), [‘आलम-ए-अर्वाह](../kt/hell.md), [कब्र](../other/tomb.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के ‘आमाल 02:29-31](rc://ur-deva/tn/help/act/02/29)
* [पैदाइश 44:27-29](rc://ur-deva/tn/help/gen/44/27)
* [यूनाह 02:1-2](rc://ur-deva/tn/help/jon/02/01)
* [लूक़ा 10:13-15](rc://ur-deva/tn/help/luk/10/13)
* [लूक़ा 16:22-23](rc://ur-deva/tn/help/luk/16/22)
* [मत्ती 11:23-24](rc://ur-deva/tn/help/mat/11/23)
* [मत्ती 16:17-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/16/17)
* [मुकाशिफ़ा 01:17-18](rc://ur-deva/tn/help/rev/01/17)
## शब्दकोश:
* Strong's: H7585, G86

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# दिल, दिलों
## ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “दिल” लफ़्ज़ का इस्ते’माल अक्सर इन्सानों के ख़यालात, जज़्बातों, ख़्वाहिशों और उम्मीदों के लिए काम में लिया गया है।
* “शख़्त दिल” एक ‘आम इज़हार है जिसका मतलब है ज़िद करके ख़ुदा के हुक्म न मानना।
* इज़हार “अपने पूरे दिल से” या “मेरे पूरे दिल से” या’नी मुकम्मल ‘अज़म और ख़्वाहिश के साथ, बिना पीछे रुके कुछ करना।
* इज़हार “दिल में बसा लेना” का मतलब है किसी बात को संजीदगी से लेते हुए ज़िन्दगी में शामिल कर लेना।
* लफ़्ज़ “दिल टूटना” का मतलब बहुत दुःखी होना। वह इन्सान जज़्बाती तौर पर बहुत दुखी हुआ।
## तर्जुमें की सलाह
* कुछ ज़बानों में जिस्म के मुख़तलिफ़ हिस्सों का इस्ते’माल करते हैं जैसे, “पेट” या “कलेजा” ।
* कुछ ज़बानों में इज़हार के लिए एक लफ़्ज़, दूसरे इज़हार के लिए इन तसव्वुरात में से दूसरा लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।
* अगर “दिल” या और जिस्मानी हिस्से इसका मतलब नहीं रखते, कुछ ज़बानों में ‘अलामती इज़हार के लिए ज़रूरी है जैसे “ख़याल” या “जज़्बात” लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें|
* मज़मून पर मुनहस्सिर, “मेरे पूरे दिल से” या “मेरे पूरे मन से”, या इन जुमलों का तर्जुमा हो सकता है, “मेरी पूरी ताक़त से” या “पूरी सुपुर्दगी के साथ” या “पूरी तरह से ” या “पूरी सुपुर्दगी के साथ”।
* इज़हार “दिल से” का तर्जुमा हो सकता है, “संजीदगी से सुलूक करना” या “अहतियात से ख़याल करना”।
* इज़हार “शख़्त दिल” का तर्जुमा हो सकता है “ज़िद के साथ बग़ावत करना” या “हुक्म मानने से इन्कार करना” या “लगातार ख़ुदा का हुक्म नहीं मानना”
* तर्जुमे के तरीक़े “दिल टूटना” हो सकते हैं “बहुत दुखी” या “गहरा जज़्बाती दुःख।
(यह भी देखें: [शख़्त](../other/hard.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस जे बारे में:
* [1 युहन्ना 03:16-18](rc://ur-deva/tn/help/1jn/03/16)
* [1 थिस्सलुनीकियों 02:3-4](rc://ur-deva/tn/help/1th/02/03)
* [2 थिस्सलुनीकियों 03:13-15](rc://ur-deva/tn/help/2th/03/13)
* [रसूलों के ‘आमाल 08:20-23](rc://ur-deva/tn/help/act/08/20)
* [रसूलों के ‘आमाल 15:7-9](rc://ur-deva/tn/help/act/15/07)
* [लूक़ा 08:14-15](rc://ur-deva/tn/help/luk/08/14)
* [मरकुस 02:5-7](rc://ur-deva/tn/help/mrk/02/05)
* [मत्ती 05:5-8](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/05)
* [मत्ती 22:37-38](rc://ur-deva/tn/help/mat/22/37)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1079, H2436, H2504, H2910, H3519, H3629, H3820, H3821, H3823, H3824, H3825, H3826, H4578, H5315, H5640, H7130, H7307, H7356, H7907, G674, G1282, G1271, G2133, G2588, G2589, G4641, G4698, G5590

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@ -0,0 +1,48 @@
# आसमान, बादल, बादलों, आसमानी
## ता’अर्रुफ़:
“जन्नत” वह मक़ाम है जहाँ ख़ुदा रहता है। मज़मून पर मुनहस्सिर, इस लफ़्ज़ का मतलब “बादल” भी है।
“आसमानों” वह है जिसे हम ज़मीन पर से देखते हैं, सूर्य, चाँद और सितारे। इसमें आसमानी जिस्म भी शामिल है, जैसे दूर दूर के सय्यारे जिन्हें हम ज़मीन से सीधे देख नहीं सकते।
* “आसमान” वह स्थान है जो नीला है और उसमें साँस लेने के लिए हवा है। सूरज और चाँद को ‘आम तौर पर “आसमान में क़ायम” मानते हैं।
* किताब-ए-मुक़द्दस के कुछ मज़मूनों में “जन्नत” का मतलब आसमान या ख़ुदा के रहने का मक़ाम भी होता है।
* जहाँ जन्नत को ‘अलामती तौर पर काम में लिया गया है तो वह ख़ुदा के बारे में है। मिसाल के तौर पर, जब मत्ती “आसमान की बादशाही” लिखता है तो वह ख़ुदा की बादशाही का ज़िक्र करता है।
## तर्जुमे की सलाह:
* “आसमान” का ‘अलामती इस्ते’माल का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा”
* मत्ती की किताब में “आसमान की बादशाही” को “आसमान” ही रखा जाए तो ठीक है क्योंकि यह लफ़्ज़ मत्ती के ज़रिए’ लिखी ख़ुशख़बरी का एक ख़ास लफ़्ज़ है।
* “आसमानों” या “तारों” का तर्जुमा किया जा सकता है, “सूरज, चाँद और सितारे” या “क़ायनात में सब सितारे”।
* “आसमान के तारों” का तर्जुमा किया जा सकता है, “आसमान के सितारे” या “कहकशाँ के सितारे” या “क़ायनात के सितारे”
(यह भी देखें: [ख़ुदा की बादशाही](../kt/kingdomofgod.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 सलातीन 08:22-24](rc://ur-deva/tn/help/1ki/08/22)
* [1 थिस्सलुनीकियों 01:8-10](rc://ur-deva/tn/help/1th/01/08)
* [1 थिस्सलुनीकियों 04:16-18](rc://ur-deva/tn/help/1th/04/16)
* [इस्तिस्ना 09:1-2](rc://ur-deva/tn/help/deu/09/01)
* [इफ़िसियों 06:9](rc://ur-deva/tn/help/eph/06/09)
* [पैदाइश 01:1-2](rc://ur-deva/tn/help/gen/01/01)
* [पैदाइश 07:11-12](rc://ur-deva/tn/help/gen/07/11)
* [युहन्ना 03:12-13](rc://ur-deva/tn/help/jhn/03/12)
* [युहन्ना 03:27-28](rc://ur-deva/tn/help/jhn/03/27)
* [मत्ती 05:17-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/17)
* [मत्ती 05:46-48](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/46)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:
* __[04:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/02)__ फिर उन्होंने __आसमान__ तक लंबी चोटी ता’मीर की।
* __[14:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/14/11)__ उसने (ख़ुदा) उन्हें __आसमान__ से रोटी दी, “जिसे मन्ना कहते थे।”
* __[23:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/23/07)__ तब अचानक फरिश्तों की जमा’अत ख़ुदा की ता’रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दी, “__आसमान__ में ख़ुदा का जलाल और ज़मीन पर उन इन्सानों में जिनसे वह ख़ुश है, ।”
* __[29:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/29/09)__ तब ‘ईसा ने कहा, “इसी तरह अगर तुम में से हर एक अपने भाई को दिल से मु’आफ़ न करेगा, तो मेरा बाप जो __आसमान__ में है , तुम से भी वैसा ही करेगा।”
* __[37:09](rc://ur-deva/tn/help/obs/37/09)__ तब ‘ईसा ने __आसमान__ की ओर देखा और कहा, “ऐ बाप, मैं आपका शुक्र करता हूँ कि आपने मेरी सुन ली है।
* __[42:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/42/11)__ तब ‘ईसा __आसमान__ पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी नज़रों से छिपा लिया।
## शब्दकोश:
* Strong's: H1534, H6160, H6183, H7834, H8064, H8065, G932, G2032, G3321, G3770, G3771, G3772

28
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@ -0,0 +1,28 @@
# इब्रानी, इब्रानियों
## सच्चाई:
“इब्रानी” लोग इस्हाक़ और या’क़ूब के ज़रिए’ इब्राहीम की नसल के थे। किताब-ए-मुक़द्दस में इब्राहीम पहला इन्सान था जिसे “इब्रानी” कहा गया था।
* “इब्रानी” लफ़्ज़ इब्रानियों की ज़बान के बारे में भी आता है। * पुराना ‘अदनामे को अक्सर लोगों ने इब्रानी ज़बान में लिखा था।
* किताब-ए-मुक़द्दस में मुख़तलिफ़ जगहों में, इब्रानियों को “यहूदी” या “इस्राईली” भी कहा गया है। ठीक होगा कि इन सब अलफ़ाज़ को उनकी असल शक्ल में ही रखा जाए, लेकिन यक़ीन किया जाए कि ये लफ़्ज़ एक ही क़ौम की जानकारी देते हैं।
(तर्जुमे की सलाह: [नामों का तर्जुमा कैसे करें](rc://ur-deva/ta/man/translate/translate-names))
(यह भी देखें: [इस्राईल](../kt/israel.md), [यहूदी](../kt/jew.md), [यहूदी रहनुमा](../other/jewishleaders.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के ‘आमाल 26:12-14](rc://ur-deva/tn/help/act/26/12)
* [पैदाइश 39:13-15](rc://ur-deva/tn/help/gen/39/13)
* [ पैदाइश 40:14-15](rc://ur-deva/tn/help/gen/40/14)
* [ पैदाइश 41:12-13](rc://ur-deva/tn/help/gen/41/12)
* [युहन्ना 05:1-4](rc://ur-deva/tn/help/jhn/05/01)
* [युहन्ना 19:12-13](rc://ur-deva/tn/help/jhn/19/12)
* [यूनाह 01:8-10](rc://ur-deva/tn/help/jon/01/08)
* [फ़िलिप्पियों 03:4-5](rc://ur-deva/tn/help/php/03/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H5680, G1444, G1445, G1446, G1447

40
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# जहन्नुम, आग की झील
## ता’अर्रुफ़:
जहन्नुम बहुत दुखों और मुसीबतों का वह आख़िरी मक़ाम है जहां ख़ुदा उसके बाग़ियों को और ‘ईसा की क़ुर्बानी के ज़रिए’ उनकी नजात के मन्सूबे की मुख़ालिफ़त करनेवालों को सज़ा देगा। इसे “आग की झील” भी कहा गया है।
* जहन्नुम को आग और बहुत मुसीबत का मक़ाम कहा गया है।
* शैतान और उसके साथ की बदरूहें अबदी सज़ा के लिए जहन्नुम में डाली जाएंगी।
* जो लोग उनके गुनाहों के लिए ‘ईसा के बलिदान में ईमान नहीं करते और नजात के लिए उसमें ईमान नहीं करते उन्हें भी हमेशा की सज़ा के लिए जहन्नुम में डाला जाएगा।
## तर्जुमे की सलाह:
* इन अलफ़ाज़ का तर्जुमा अलग-अलग अलफ़ाज़ के जरिए’ किया जाए क्योंकि वे अलग-अलग मज़मूनों में आते हैं।
* कुछ ज़बानों में “आग की झील” का झील लफ़्ज़ काम में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उस ज़बान में झील का मतलब पानी की झील है।
* “जहन्नुम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मुसीबत का मक़ाम” या “तारीकी और मुसीबत का आख़िरी मक़ाम” किया जा सकता है।
* “आग की झील” का तर्जुमा “आग का समन्दर” या “बहुत बड़ी आग” या “आग का इलाक़ा” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: [जन्नत](../kt/heaven.md), [मौत](../other/death.md), [आलम-ए-अर्वाह](../kt/hades.md), [अथाह गड्ढा](../other/abyss.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [या’क़ूब 03:5-6](rc://ur-deva/tn/help/jas/03/05)
* [लूक़ा 12:4-5](rc://ur-deva/tn/help/luk/12/04)
* [मरकुस 09:42-44](rc://ur-deva/tn/help/mrk/09/42)
* [मत्ती 05:21-22](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/21)
* [मत्ती 05:29-30](rc://ur-deva/tn/help/mat/05/29)
* [मत्ती 10:28-31](rc://ur-deva/tn/help/mat/10/28)
* [मत्ती 23:32-33](rc://ur-deva/tn/help/mat/23/32)
* [मत्ती 25:41-43](rc://ur-deva/tn/help/mat/25/41)
* [मुकाशिफ़ा 20:13-15](rc://ur-deva/tn/help/rev/20/13)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[50:14](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/14)__ वह (ख़ुदा) उन्हें __ जहन्नुम __ में फेंक देगा, जहाँ वे परेशानी में हमेशा रोएँगे और दाँत पीसेंगे। वह आग जो कभी नही बुझती उन्हें हमेशा जलाती रहेगी और कीड़े उन्हें हमेशा खाते रहेंगे।
* __[50:15](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/15)__ वह शैतान को __ जहन्नुम __ में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने ख़ुदा का हुक्म मानने के बजाय उसकी बात मानने का फ़ैसला किया।
## शब्दकोश:
* Strong's: H7585, G86, G439, G440, G1067, G3041, G4442, G4443, G4447, G4448, G5020, G5394, G5457

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@ -0,0 +1,45 @@
# सरदार काहिन
## ता’अर्रुफ़:
“सरदार काहिन” वह काहिन था जो सब इस्राईली काहिनों का रहनुमा मुक़र्रर किया जाता था जिसकी ख़िदमत का ‘अरसा एक साल था।
* सरदार काहिन की ख़ास ज़िम्मेदारियाँ थीं| एक सिर्फ़ वही था जो साल में एक बार ख़ास क़ुर्बानी चढ़ाने के लिए साल में एक बार हैकल के सबसे मुक़द्दस मक़ाम में दाख़िल हो सकता था।
* इस्राईल में काहिन तो बहुत थे लेकिन एक बार में एक ही सरदार काहिन होता था।
* जब ‘ईसा को बन्दी बनाया गया था तब क़ैफ़ा सरकारी सरदार काहिन था। कभी-कभी क़ैफ़ा के ससुर हन्ना को भी दर्ज़ किया गया है, क्यूँकि वह माज़ी का सरदार काहिन था और यक़ीनन क़ौम पर उसकी क़ुव्वत और इख़्तियार अब भी था।
## तर्जुमें की सलाह:
* “सरदार काहिन” का तर्जुमा “ सरदार काहिन” या “सबसे बड़ा काहिन” किया जा सकता है।
* यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ास काहिन” से अलग किया जाए।
(यह भी देखें: [हन्ना](../names/annas.md), [ क़ैफ़ा](../names/caiaphas.md), [सरदार काहिन](../other/chiefpriests.md), [काहिन](../kt/priest.md), [हैकल](../kt/temple.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [रसूलों के ‘आमाल 05:26-28](rc://ur-deva/tn/help/act/05/26)
* [रसूलों के ‘आमाल 07:1-3](rc://ur-deva/tn/help/act/07/01)
* [रसूलों के ‘आमाल 09:1-2](rc://ur-deva/tn/help/act/09/01)
* [ख़ुरूज 30:10](rc://ur-deva/tn/help/exo/30/10)
* [इब्रानियों 06:19-20](rc://ur-deva/tn/help/heb/06/19)
* [अहबार 16:32-33](rc://ur-deva/tn/help/lev/16/32)
* [लूक़ा 03:1-2](rc://ur-deva/tn/help/luk/03/01)
* [मरकुस 02:25-26](rc://ur-deva/tn/help/mrk/02/25)
* [मत्ती 26:3-5](rc://ur-deva/tn/help/mat/26/03)
* [मत्ती 26:51-54](rc://ur-deva/tn/help/mat/26/51)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
* __[13:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/08)__ __सरदार काहिन__ के अलावा कोई भी कमरे के पीछे दाख़िल नहीं हो सकता था, क्यूँकि वहाँ ख़ुदा रहता था|
* __[21:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/21/07)__ मसीह जो एक कामिल __ सरदार काहिन__ के पास आएगा जो अपने आप को ख़ुदा के लिए कामिल कुर्बानी के तौर पर पेश करेगा|
* __[38:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/38/03)__ यहूदी रहनुमाओं, ने __सरदार काहिन__ की रहनुमाई में ‘ईसा को धोखा देने के लिये यहूदाह को तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए |
* __[39:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/01)__ फ़ौजियों ने ‘ईसा की दु’आ के लिए __ सरदार काहिन__ के घर में ‘ईसा की रहनुमाई की और __सरदार काहिन__ के लिए उससे सवाल पूँछे|
* __[39:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/39/03)__ आख़िर में, __सरदार काहिन__ ने ‘ईसा की ओर देखकर उससे कहा कि, “हमें बता कि क्या तू मसीह है, ज़िन्दा ख़ुदा का बेटा?”
* __[44:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/44/07)__ दूसरे दिन, ऐसा हुआ कि यहूदी काहिन पतरस और यूहन्ना को लेकर __सरदार काहिन__ और दीगर मज़हबी इमामों के पास गए।
* __[45:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/45/02)__ तब मज़हबी इमामों ने स्तिफनुस को पकड़कर ‘अदालत-ए-आलिया में ले गए और उसे __सरदार काहिन__ और दीगर यहूदी रहनुमाओं के सामने खड़ा किया गया जहाँ कई और झूठे गवाहों ने स्तिफनुस के बारे में झूठ बोला।
* __[46:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/46/01)__ __सरदार काहिन__ ने शाऊल को यह हुक्म दिया की वह दमिश्क़ शहर में जाकर वहाँ के मसीहियों को पकड़कर वापस यरूशलीम ले आए।
* __[48:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/48/06)__ ‘ईसा सबसे बड़ा __सरदार काहिन__ है। दूसरे काहिनों से अलग, उसने अपने आप को उस एकलौती क़ुर्बानी के तौर पर सुपुर्द कर दिया जो दुनिया के सभी इन्सानों के गुनाहों को हटा सकती है। ‏‘‏ईसा सबसे अच्छा __सरदार काहिन__ है क्योंकि उसने सभी इन्सानों के सभी गुनाहों की सज़ा , जो उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कभी भी किया हो, अपने ऊपर ले लिया।
## शब्दकोश:
* Strong's: H7218, H1419, H3548, G748, G749

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# पाक, पाकीज़गी
## ता’अर्रुफ़:
“पाक” और पाकीज़गी” का हवाला ख़ुदा के किरदार से है जो पूरी तरह से अलग है और किसी भी गुनाहगार और बेकामिल बात से अलग किया हुआ है।
* सिर्फ ख़ुदा पूरी तरह से पाक है। वह इंसानों और चीज़ों को पाक बनाता है।
* एक इन्सान जो पाक है ख़ुदा में बसता है और ख़ुदा की ख़िदमत और जलाल के लिए अलग किया हुआ है।
* जिस चीज़ को ख़ुदा ने पाक मुक़र्रर कर दिया, वह उसके जलाल और इस्ते’माल के लिए अलग कर दी गई है जैसे कि एक क़ुर्बानगाह जो उसके क़ुर्बानी पेश करने के मक़सद के लिए है।
* लोग उसकी इजाज़त के बिना उसके क़रीब नहीं आ सकते क्योंकि वे पाक और सिर्फ़ इन्सान हैं, गुनाहगार और बेकामिल|
* पुराने ‘अहदनामे में, ख़ुदा ने काहिनों को पाक करके अपनी ख़िदमत के लिए अलग कर लिया था। उन्हें ख़ुदा के क़रीब जाने के लिए दुनियावी तौर पर गुनाहों से पाक होना होता था।
* ख़ुदा कुछ मक़ामों और चीज़ों को भी पाकीज़गी में अलग कर लेता है जो उसकी होती हैं या जिनमें उसने अपने आप को ज़ाहिर किया है जैसे हैकल|
लफ़्ज़ी तौर पर, “नापाक” का मतलब है “पाक नहीं” यह कोई इन्सान या कोई चीज़ के बारे में बताता है जो ख़ुदा की ‘इज़्ज़त नहीं करता|
* इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल उसके बारे में है जो ख़ुदा को उसके ख़िलाफ़ बग़ावत करने के ज़रिए’ उसे बे’इज़्ज़त करता है|
* एक ख़याल जिसे “नापाक” कहते है जिसका ज़िक्र हो सकता है, ‘आम, नजिस नापाक| यह ख़ुदा में नहीं बसता है|
लफ़्ज़ “मुक़द्दस” उन चीज़ों के बारे में बताता है जो ख़ुदा की ‘इबादत या बुरे काहिनों की झूठे मा’बूदों की ‘इबादत से मुता’अल्लिक़ हैं|
* पुराने ‘अहद नामे में, लफ़्ज़ “मुक़द्दस” कम से कम उन चीज़ों के बारे में बताता है जैसे, पत्थर का सुतून और दीगर चीज़ें जिनका इस्ते’माल झूठे म’बूदों की ‘इबादत करने में किया जाता है| इसका तर्जुमा “मज़हबी” भी किया जा सकता है|
* “मुक़द्दस गीत” और “मुक़द्दस मोशीकी” उस मोशीकी के बारे में है जो ख़ुदा की ता’रीफ़ में गाए या बजाये जाते हैं| इसका तर्जुमा हो सकता है “यहोवा की ‘इबादत के लिए मोशिकी” या “गीत जो ख़ुदा की हम्द करते हैं”
* जुमले “मुक़द्दस ज़िम्मेदारी”, “मज़हबी ज़िम्मेदारी” या “रस्म” उनके बारे में हैं, जो ‘इबादत करने वाले लोगों की रहनुमाई करते हैं| यह बुरे काहिनों के झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करने के ज़रिए’ रस्मी कारकरदगी का मुज़ाहिरे के बारे में भी बताता है|
## तर्जुमे की सलाह:
* “पाक” के तर्जुमे के तरीक़े शामिल हो सकते हैं, “ख़ुदा के लिए अलग रखना” या “ख़ुदा में बसना” या “पूरी तरह से साफ़” या “बिल्कुल बेगुनाह” या “गुनाहगारों से अलग”
* “पाक करना” इसका अक्सर अंग्रेजी में तर्जुमा होता है “Sanctify(पाक)” इसका तर्जुमा ऐसे भी किया जा सकता है “ख़ुदा के जलाल से अलग होना (किसी का)|
* “नापाक” इसके तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं “पाक नहीं” या “ख़ुदा में न बसना” या “ख़ुदा को ‘ईज़्ज़त न देना” या “ख़ुदा की तरफ़ से नहीं”
* जुमले में “नापाक” का तर्जुमा किया जा सकता है “गन्दा”
(यह भी देखें: [पाक रूह](../kt/holyspirit.md), [रज़ामन्दी](../kt/consecrate.md), [पाक](../kt/sanctify.md), [अलग करना](../kt/setapart.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [पैदाइश 28:20-22](rc://ur-deva/tn/help/gen/28/20)
* [2 सलातीन 03:1-3](rc://ur-deva/tn/help/2ki/03/01)
* [नोहा 04:1-2](rc://ur-deva/tn/help/lam/04/01)
* [हिज़क़ीएल 20:18-20](rc://ur-deva/tn/help/ezk/20/18)
* [मत्ती 07:6](rc://ur-deva/tn/help/mat/07/06)
* [मरकुस 08:38](rc://ur-deva/tn/help/mrk/08/38)
* [रसूलों के ‘आमाल 07:33-34](rc://ur-deva/tn/help/act/07/33)
* [ रसूलों के ‘आमाल 11:7-10](rc://ur-deva/tn/help/act/11/07)
* [रोमियो 01:1-3](rc://ur-deva/tn/help/rom/01/01)
* [2 कुरुन्थियो 12:3-5](rc://ur-deva/tn/help/2co/12/03)
* [कुलुस्सियों 01:21-23](rc://ur-deva/tn/help/col/01/21)
* [1 थिस्लुनीकियों 03:11-13](rc://ur-deva/tn/help/1th/03/11)
* [1 थिस्लुनीकियों 04:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1th/04/07)
* [2 तीमुथियुस 03:14-15](rc://ur-deva/tn/help/2ti/03/14)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* __[01:16](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/16)__ उस ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे __पाक__ बनाया क्योंकि इस दिन ख़ुदा ने अपने काम से आराम लिया था।
* __[09:12](rc://ur-deva/tn/help/obs/09/12)__ “जिस मक़ाम पर तू खड़ा है वह __पाक__ ज़मीन है।”
* __[13:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/01)__ ,”अगर तुम मेरी मानोगे, और मेरे ‘अहद का ‘अमल करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरी हमेशा की दौलत ठहरोगे, पूरी ज़मीन तो मेरी है, और तुम मेरी नज़र में काहिनों की बादशाही और __पाक__ क़ौम ठहरोगे।”
* __[13:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/13/05)__ तू सबत के दिन को __पाक__ मानने के लिये याद रखना।
* __[22:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/22/05)__“इसलिये वह __पाक__ जो पैदा होनेवाला है, ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।”
* __[50:02](rc://ur-deva/tn/help/obs/50/02)__ जबकि हम ‘ईसा के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, तो ख़ुदा चाहता है कि हम ऐसी ज़िन्दगी जियें जो __पाक__ हो और उसे ‘इज़्ज़त देता हो।
## शब्दकोश:
* Strong's: H430, H2455, H2623, H4676, H4720, H6918, H6922, H6942, H6944, H6948, G37, G38, G39, G40, G41, G42, G462, G1859, G2150, G2412, G2413, G2839, G3741, G3742

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@ -0,0 +1,33 @@
# मुक़द्दस
## ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “मुक़द्दस” किताब-ए-मुक़द्दस में एक ‘उहदे का नाम है जो हमेशा ख़ुदा का हवाला देता है।
* पुराने ‘अहदनामे में यह नाम ज़्यादातर “इस्राईल के मुक़द्दस” के जुमले में ज़ाहिर होता है।
* नये ‘अहदनामे में ‘ईसा को भी “मुक़द्दस” कहा गया है।
* “मुक़द्दस” किताब-ए-मुक़द्दस में कभी-कभी फ़रिश्ते के लिए काम में लिया गया है।
## तर्जुमे की सलाह:
सही लफ़्ज़ है, “मुक़द्दस लोग”("एक" के साथ मुंसलिक किया जा रहा है।) कई ज़बाने (जैसे अंग्रेज़ी) इसे इस्म के साथ तर्जुमा करेंगे(जैसे "एक" या "ख़ुदा") ।
* इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ुदा, जो पाक है” या “अलग किए गए लोग” हो सकता है।
* जुमले "इस्राईल के मुक़द्दसों" का तर्जुमा "पाक ख़ुदा जिसकी इस्राईली ‘इबादत करते हैं" या "पाक लोग जो इस्राईल पर हुकूमत करने वाले" के तौर पर किया जा सकता है।
* सही है कि इस लफ़्ज़ के तर्जुमें में उसी लफ़्ज़ या जुमले का इस्ते’माल करना है जिसे "पाक" का तर्जुमा करने के लिए इस्ते’माल किया जाता है।
(यह भी देखें: [पाक](../kt/holy.md), [ख़ुदा](../kt/god.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 युहन्ना 02:20-21](rc://ur-deva/tn/help/1jn/02/20)
* [2 सलातीन 19:20-22](rc://ur-deva/tn/help/2ki/19/20)
* [रसूलों के ‘आमाल 02:27-28](rc://ur-deva/tn/help/act/02/27)
* [रसूलों के ‘आमाल 03:13-14](rc://ur-deva/tn/help/act/03/13)
* [यसा’याह 05:15-17](rc://ur-deva/tn/help/isa/05/15)
* [यसा’याह 41:14-15](rc://ur-deva/tn/help/isa/41/14)
* [लूक़ा 04:33-34](rc://ur-deva/tn/help/luk/04/33)
## शब्दकोश:
* Strong's: H2623, H376, H6918, G40, G3741

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@ -0,0 +1,37 @@
# मुक़द्दस जगह
## ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में, “मुक़द्दस जगह” और “बहुत मुक़द्दस जगह” ख़ेमा या हैकल के दो कमरों के बारे में आते हैं।
* “मुक़द्दस जगह” पहला कमरा था जिसमें धूप जलाने की क़ुर्बानगाह और नज़्र की रोटियाँ रखने की मेज थी।
* “बहुत मुक़द्दस जगह” दूसरा कमरा या जिसमें ‘अहद का सन्दूक रखा हुआ था।
* एक मोटी, भारी पर्दे बाहरी कमरे को भीतरी कमरे से अलग करता है।
* बहुत मुक़द्दस जगह में सिर्फ़ सरदार काहीं दाख़िल हो सकता था।
* कभी-कभी मुक़द्दस जगह पूरे हैकल या ख़ेमे के लिए काम में लिया गया है। कभी-कभी पाक मक़ाम ख़ुदा के लिए अलग किए गए किसी भी मक़ाम के बारे में होता है।
## तर्जुमे की सलाह:
* “ मुक़द्दस जगह” का तर्जुमा “ख़ुदा के लिए अलग किया गया कमरा” या “ख़ुदा से मुलाक़ात करने का ख़ास कमरा” या “ख़ुदा का ख़ास मक़ाम”
* “बहुत मुक़द्दस जगह” का तर्जुमा “ख़ुदा के लिए ख़ास अलग कमरा” या “ख़ुदा से मुलाक़ात करने का ज़्यादा ख़ास कमरा”
* मज़मून पर मुनहस्सिर “मुक़द्दस जगह” का तर्जुमा “ख़ुदा का मसह किया हुआ मक़ाम” या “ख़ुदा के ज़रिए’ अलग किया गया मक़ाम” या “हैकल में पाक मक़ाम” या “ख़ुदा के हैकल का आँगन”।
(यह भी देखें: [ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह](../other/altarofincense.md), [‘अहद का सन्दूक](../kt/arkofthecovenant.md), [रोटी](../other/bread.md), [मुक़द्दस ठहरना](../kt/consecrate.md), [आँगन](../other/courtyard.md), [परदा](../other/curtain.md), [पाक](../kt/holy.md), [अलग करना](../kt/setapart.md), [ ख़ेमा](../kt/tabernacle.md), [हैकल](../kt/temple.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 सलातीन 06:16-18](rc://ur-deva/tn/help/1ki/06/16)
* [रसूलों के ‘आमाल 06:12-15](rc://ur-deva/tn/help/act/06/12)
* [ख़ुरूज 26:31-33](rc://ur-deva/tn/help/exo/26/31)
* [ ख़ुरूज 31:10-11](rc://ur-deva/tn/help/exo/31/10)
* [हिज़क़ीएल 41:1-2](rc://ur-deva/tn/help/ezk/41/01)
* [‘अज़्रा 09:8-9](rc://ur-deva/tn/help/ezr/09/08)
* [इब्रानियों 09:1-2](rc://ur-deva/tn/help/heb/09/01)
* [अहबार 16:17-19](rc://ur-deva/tn/help/lev/16/17)
* [मत्ती 24:15-18](rc://ur-deva/tn/help/mat/24/15)
* [मुकाशिफ़ा 15:5-6](rc://ur-deva/tn/help/rev/15/05)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1964, H4720, H4725, H5116, H6918, H6944, G39, G40, G3485, G5117

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# पाक रूह, ख़ुदा की रूह, ख़ुदावन्द की रूह, रूह
## सच्चाई:
ये सब लफ़्ज़ पाक रूह के बारे में है, जो ख़ुदा है। इकलौता सच्चा ख़ुदा बाप, बेटा और पाक रूह है।
* पाक रूह को “रूह” या “यहोवा की रूह” या “सच्चाई की रूह” भी कहा गया है।
* क्योंकि पाक रूह ख़ुदा है, वह अपने खुसूसियत और कामों में बहुत मुक़द्दस है, बहुत ज़्यादा पाक और इख़लाक़ी कामिलियत में है।
* बाप और बेटे के साथ पाक रूह भी क़ायनात की तख़लीक में मुतहर्रित थी।
* जब ख़ुदा का बेटा ‘ईसा जब आसमान पर लौट गया, तब उसने अपने लोगों के लिए पाक रूह भेजी कि उनकी रहनुमाई करे, उन्हें ता’लीम दे, उन्हें इत्मिनान दे और ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करने के क़ाबिल बनाए।
* पाक रूह ‘ईसा की रहनुमाई करती थी और ‘ईसा में ईमान करने वालों को भी राह दिखाती है।
## तर्जुमे की सलाह:
* इस लफ़्ज़ का सीधा तर्जुमा “पाक” और “रूह” अलफ़ाज़ के तर्जुमे से किया जा सकता है।
* इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “पाक रूह”, या “रूह जो पाक है” या “ख़ुदा जो रूह है” हो सकता है।
(यह भी देखें: [पाक](../kt/holy.md), [रूह](../kt/spirit.md), [ख़ुदा](../kt/god.md), [ख़ुदावन्द](../kt/lord.md), [ख़ुदा बाप](../kt/godthefather.md), [ख़ुदा का बेटा](../kt/sonofgod.md) [नज़्र ](../kt/gift.md)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 10:9-10](rc://ur-deva/tn/help/1sa/10/09)
* [1 थिस्सलुनीकियों 04:7-8](rc://ur-deva/tn/help/1th/04/07)
* [रसूलों के ‘आमाल 08:14-17](rc://ur-deva/tn/help/act/08/14)
* [गलातियों 05:25-26](rc://ur-deva/tn/help/gal/05/25)
* [पैदाइश 01:1-2](rc://ur-deva/tn/help/gen/01/01)
* [यसा’याह 63:10](rc://ur-deva/tn/help/isa/63/10)
* [अय्यूब 33:4-5](rc://ur-deva/tn/help/job/33/04)
* [मत्ती. 12:31-32](rc://ur-deva/tn/help/mat/12/31)
* [मत्ती. 28:18-19](rc://ur-deva/tn/help/mat/28/18)
* [ज़ुबूर 051:10-11](rc://ur-deva/tn/help/psa/051/010)
## किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
* __[01:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/01/01)__ लेकिन __ख़ुदा की रूह__ वहाँ पानी के ऊपर थी।
* __[24:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/08)__ और ‘ईसा बपतिस्मा लेकर फ़ौरन पानी में से ऊपर आया, और उसने __ख़ुदा की रूह__ को कबूतर की तरह उतरते और उसके ऊपर आते देखा।
* __[26: 1](rc://ur-deva/tn/help/obs/26/01)__शैतान की आज़माइश पर फ़तह पाने के बा’द, ‘ईसा जहाँ वह रहते थे गलील के ‘इलाक़े के लिए __पाक रूह__ की क़ुव्वत में लौट आए।
* __[26:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/26/03)__ ‘ईसा ने पढ़ा, “ __ख़ुदा की रूह__ मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए मसह किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बंधुओं को छुटकारे का और अंधों को नज़र पाने का ख़ुशख़बरी का ‘ऐलान करूँ और कुचले हुओ को आज़ाद करूँ।"
* __[42:10](rc://ur-deva/tn/help/obs/42/10)__ तो जाओ, आसमानी बाप और __पाक रूह__ के नाम पर उन्हें बपतिस्मा दो, सभी लोगों की जमा’अत के शागिर्द बनाओ और उन्हें उन सभी चीजों का ‘अमल करने के लिए सिखाओ जिसका मैंने तुमको हुक्म दी है। "
* __[43:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/03)__ वे सब __पाक रूह__ से भर गए, और उन्होंने अन्य अन्य भाषओं में बोलना शुरू किया।
* __[43:08](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/08)__ "और ‘ईसा ने __पाक रूह__ को भेजा है जैसा कि उसने वा’दा किया था कि वह करेंगे। __पाक रूह__ उन चीज़ों की वजह बन रही है जो आप देख रहे हैं और सुन रहे हैं।"
* __[43:11](rc://ur-deva/tn/help/obs/43/11)__ पतरस ने उनसे कहा, “तौबा करो, और तुम में से हर एक ‘ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों को मु’आफ़ करेगा। तब वह तुम्हें __पाक रूह__ का हदिया देगा।।"
* __[45:01](rc://ur-deva/tn/help/obs/45/01)__ वह (स्तिफनुस) एक अच्छा ‘इज़्ज़तदार इन्सान था और __पाक रूह__ और ‘इल्म से भरा था।
## शब्दकोश:
* Strong's: H3068, H6944, H7307, G40, G4151

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# ‘इज़्ज़त, ‘इज़्ज़त करता,
## ता’अर्रुफ़:
“‘इज़्ज़त” और “‘इज़्ज़त करना” का मतलब है किसी का ‘इज़्ज़त करना, अदब करना या अहतराम करना |
* ‘इज़्ज़त उस इन्सान की की जा सकती है जो ‘उहदे में बड़ा हो, ख़ास हो जैसे बादशाह या ख़ुदा
* ख़ुदा ने मसीहियों को दूसरों का अहतराम करने का हुक्म दिया है।
* औलाद से उम्मीद की गई है कि अपने वालिदैन का अहतराम करें जिसमें उससे ‘इज़्ज़त और फ़रमाबरदारी की उम्मीद भी की गई है।
* “‘इज़्ज़त” और जलाल अलफ़ाज़ के साथ-साथ काम में लिया गया है, ख़ास करके ‘ईसा के बारे में। एक ही बात को कहने के ये दो तरीक़े हैं।
* ख़ुदा का अहतराम करने का मतलब है उसका शुक्र करना और उसकी ता’रीफ़ करना और उसका हुक्म मानकर ‘इज़्ज़त ज़ाहिर करना तथा ऐसी ज़िन्दगी जीना जिससे ज़ाहिर हो कि वह कैसा बड़ा है।
## तर्जुमे की सलाह:
* “‘इज़्ज़त” के और तर्जुमे के तरीके हैं, “किसी को ख़ास अहतराम दिखाना” या “’इज़्ज़त ज़ाहिर करना” या “बड़ी ‘इज़्ज़त देना”
“‘इज़्ज़त करना” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ास अहतराम करना” या “ता’रीफ़ करना” या “बड़ी इज़्ज़त देना” या “बड़ी खुसूसियत ज़ाहिर करना”
(यह भी देखें: [बे’इज़्ज़ती](../other/dishonor.md), [जलाल](../kt/glory.md), [बड़ाई करना](../kt/glory.md), [हम्द करना](../other/praise.md))
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
* [1 शमूएल 02:8](rc://ur-deva/tn/help/1sa/02/08)
* [रसूलों के ‘आमाल 19:15-17](rc://ur-deva/tn/help/act/19/15)
* [युहन्ना 04:43-45](rc://ur-deva/tn/help/jhn/04/43)
* [युहन्ना 12:25-26](rc://ur-deva/tn/help/jhn/12/25)
* [मरकुस 06:4-6](rc://ur-deva/tn/help/mrk/06/04)
* [मत्ती 15:4-6](rc://ur-deva/tn/help/mat/15/04)
## शब्दकोश:
* Strong's: H1420, H1921, H1922, H1923, H1926, H1927, H1935, H2082, H2142, H3366, H3367, H3368, H3372, H3373, H3374, H3444, H3513, H3519, H3655, H3678, H5081, H5375, H5457, H6213, H6286, H6437, H6942, H6944, H6965, H7236, H7613, H7812, H8597, H8416, G820, G1391, G1392, G1784, G2151, G2570, G3170, G4411, G4586, G5091, G5092, G5093, G5399

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