From 584fd80313cf9460892ff7ef231e262bdc2e752e Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Larry Versaw Date: Wed, 25 Jul 2018 18:40:53 -0600 Subject: [PATCH] work on headings --- 1th/05/15.md | 3 --- 2co/04/03.md | 3 --- 2co/12/08.md | 3 --- 2pe/01/01.md | 3 --- 2th/03/04.md | 3 --- 2ti/01/06.md | 6 ------ act/01/09.md | 3 --- act/01/21.md | 3 --- act/02/40.md | 3 --- act/04/34.md | 3 --- act/05/09.md | 6 ------ act/05/26.md | 3 --- act/05/29.md | 3 --- act/06/02.md | 3 --- act/06/05.md | 3 --- act/06/12.md | 3 --- act/07/41.md | 3 --- act/07/43.md | 3 --- act/07/44.md | 3 --- act/09/36.md | 3 --- act/10/22.md | 3 --- act/10/27.md | 3 --- act/12/13.md | 3 --- act/13/09.md | 9 --------- act/16/27.md | 3 --- act/17/05.md | 3 --- act/22/03.md | 3 --- act/25/11.md | 3 --- col/01/13.md | 6 ------ col/01/18.md | 3 --- col/01/21.md | 3 --- col/01/28.md | 3 --- col/02/01.md | 3 --- col/02/04.md | 3 --- gal/01/03.md | 3 --- jas/02/25.md | 3 --- mat/28/01.md | 3 --- php/01/07.md | 9 --------- php/01/28.md | 9 --------- php/02/03.md | 15 --------------- php/02/05.md | 21 --------------------- php/02/09.md | 9 --------- php/02/19.md | 18 ------------------ php/02/22.md | 12 ------------ php/02/25.md | 9 --------- php/02/28.md | 12 ------------ php/03/06.md | 15 --------------- php/03/15.md | 9 --------- php/03/20.md | 6 ------ php/04/04.md | 6 ------ php/04/08.md | 3 --- php/04/14.md | 12 ------------ php/04/18.md | 9 --------- rev/02/26.md | 3 --- rev/07/11.md | 3 +-- rev/08/10.md | 3 --- rev/19/11.md | 3 --- 57 files changed, 1 insertion(+), 311 deletions(-) diff --git a/1th/05/15.md b/1th/05/15.md index 5ef6147..3f90024 100644 --- a/1th/05/15.md +++ b/1th/05/15.md @@ -1,6 +1,3 @@ -# - - # हमेशा ख़ुशरहो, रोज़ानादू'आ में लगे रहो,हर बात में ता'रीफ़ करो। पौलुस ईमानदारों को ता'लीम दे रहा है कि सब बातों में सादमान रहने का रूहानी मिजाज़ बनाए रखो,दु'आ में ख़बरदार रहो और सब बातों में शुकुरिया दो। diff --git a/2co/04/03.md b/2co/04/03.md index e04e11d..996065f 100644 --- a/2co/04/03.md +++ b/2co/04/03.md @@ -13,6 +13,3 @@ # रोशनी यहां “ रोशनी” का मतलब है,सच्चाई - -# - diff --git a/2co/12/08.md b/2co/12/08.md index e10801c..cec1d6f 100644 --- a/2co/12/08.md +++ b/2co/12/08.md @@ -21,6 +21,3 @@ # क्योंकि जब मैं कमज़ोर होता हूं,तभी ताक़तवर होता हूं॥ इख़्तियारी तर्जुमा: "क्योंकि मेरी कमज़ोरी में मसीह का क़ुव्वत बहुत ज़्यादा हो जाती है" - -# - diff --git a/2pe/01/01.md b/2pe/01/01.md index b463f0a..5bd20f5 100644 --- a/2pe/01/01.md +++ b/2pe/01/01.md @@ -18,9 +18,6 @@ “तुम” लफ्ज़ आम तौर पर सभी ईमानदारों को ख़िताब करता हो। (देखें: -# - - # 'ईसा हमारा ख़ुदावन्द 'ईसा हमारा ख़ुदावन्द – 'ईसा सभी ईमानदारों और रसूलों का ख़ुदावन्द। diff --git a/2th/03/04.md b/2th/03/04.md index 887b97c..001c096 100644 --- a/2th/03/04.md +++ b/2th/03/04.md @@ -5,9 +5,6 @@ # हमें हमें "हमें या पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस - -# - के बारे में # तुम diff --git a/2ti/01/06.md b/2ti/01/06.md index 62151c3..69e3afc 100644 --- a/2ti/01/06.md +++ b/2ti/01/06.md @@ -22,9 +22,3 @@ # 'इता'अत की रूह मुमकिन मतलब हैं1)ख़ुदावन्द की रूह ख़ुद पर क़ाबू पाने में क़ादिर बनाती है।(यू.डी.बी.) 2)ख़ुदावन्द की रूह हमें भटकने वालों को बेहतर करने के क़ाबिल बनाता है। - -# - - -# - diff --git a/act/01/09.md b/act/01/09.md index 5532c8d..6bd023d 100644 --- a/act/01/09.md +++ b/act/01/09.md @@ -2,9 +2,6 @@ “आसमान की ओर टकटकी लगाये थे” या “वे आसमान की ओर गौर से देख रहे थे” -# - - # तुम गलीली मर्दों ख़ास कर “तुम शागिर्दों।” हालाँकि फ़रिश्तों ने बातचीत शागिर्दों से की थी,लेकिन और आयतों से इस बात का इशारा मिलता हैं कि इस हादसे के वक़्त दूसरे मर्द व'औरत भी मौजूद थे। diff --git a/act/01/21.md b/act/01/21.md index b54f3af..d272d64 100644 --- a/act/01/21.md +++ b/act/01/21.md @@ -1,8 +1,5 @@ पतरस यहाँ बतानेवाला है कि ज़बूर की किताब की उन आयतों के बारे में उसने क्यों बताया था और उसके बारे में अब उन्हें क्या करना चाहिए। -# - - # जो लोग बराबर हमारे साथ रहे,जायज़ है कि उनमें से एक आदमी हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह हो जाए पतरस यहाँ यहूदाह की जगह पर रसूल मुक़र्रर होनेवाले आदमी की बेहतर क़ाबिलियत के बारे में कह रहा है। diff --git a/act/02/40.md b/act/02/40.md index 73fb3d7..cfb0f35 100644 --- a/act/02/40.md +++ b/act/02/40.md @@ -13,6 +13,3 @@ # उन्होंने बपतिस्मा लिया 'ईसा के शागिर्दों ने उन्हेंबपतिस्मादिया - -# - diff --git a/act/04/34.md b/act/04/34.md index 793c1fa..e34c804 100644 --- a/act/04/34.md +++ b/act/04/34.md @@ -4,9 +4,6 @@ बहुत से रास्तबाज़ों ने ऐसा एक बार नहीं,बल्कि बार बार ऐसा किया -# - - # रसूलों के सामने रखते थे ऐसा करने के ज़रिए रास्तबाज़ यह महसूस करते थे कि: 1)उनका दिल diff --git a/act/05/09.md b/act/05/09.md index e9037ea..e5ad09e 100644 --- a/act/05/09.md +++ b/act/05/09.md @@ -1,6 +1,3 @@ -# - - # और वह मर गई यह “और वह मर गयी” के लिए ख़ुशी की बात है। @@ -8,6 +5,3 @@ # उनके पैरों पर यह अलग ज़बान है। वह हनन्याह को दफ़न करने वाले के पैरों पर गिर पड़ी। - -# - diff --git a/act/05/26.md b/act/05/26.md index aec8b33..175bab2 100644 --- a/act/05/26.md +++ b/act/05/26.md @@ -14,6 +14,3 @@ # तुमने....भर दिया है तुमने....भर दिया हैतुमने(जमा’) - -# - diff --git a/act/05/29.md b/act/05/29.md index 1c91dfc..ebc01c2 100644 --- a/act/05/29.md +++ b/act/05/29.md @@ -2,9 +2,6 @@ इस्राईलियों को तौबा कराया कि उनसे हुए गुनाहों की मु'आफ़ी हासिल करें तर्जुमा करते वक़्त ऐसे भी लिख सकते हैं,कि “इस्राईलियों को अपने गुनाहों से तौबा करने और अपने गुनाहों की मु'आफ़ी हासिल करने का मौक़ा'दिया।” -# - - # और रूह उल diff --git a/act/06/02.md b/act/06/02.md index 90bfa41..4bdbf01 100644 --- a/act/06/02.md +++ b/act/06/02.md @@ -18,7 +18,4 @@ # हम चुन लें मुनासिब जगह में अपनी ज़बान में जमा'के लिए बोले जानेवाले लफ़्ज़ों का इस्तिमाल करें - -# - मुनासिब जगह में अपनी ज़बान के ख़ास बयान को इस्तिमाल करें diff --git a/act/06/05.md b/act/06/05.md index 5a018e8..e6164d0 100644 --- a/act/06/05.md +++ b/act/06/05.md @@ -6,9 +6,6 @@ यहूदी रास्तबाज़ों में से थे। -# - - # लक़ब “लोग जिन्हें अच्छा मानते हों” या'नी “लोग जिन पर यक़ीन करते थे” diff --git a/act/06/12.md b/act/06/12.md index 4785beb..99b72ac 100644 --- a/act/06/12.md +++ b/act/06/12.md @@ -13,6 +13,3 @@ # उसका चेहरा फ़रिश्ते के जैसा देखा यहाँ मिसाल के तौर पर इस्तिमाल है जिससे मुराद चमकता देखा है,जो कि यहाँ लिखा नहीं है। तर्जुमा करते वक़्त ऐसे भी लिख सकते हैं कि उसका चेहरा फ़रिश्ता के चेहरे की तरह चमक रहा था” - -# - diff --git a/act/07/41.md b/act/07/41.md index 658c9a4..273caff 100644 --- a/act/07/41.md +++ b/act/07/41.md @@ -15,6 +15,3 @@ # क्या तुम.... जानवर की क़ुर्बानीऔर अनाज मुझ ही को चढ़ाते रहे यह एक अलग सवाल है जो यह कह रहा है कि वे सारी बालियाँ ख़ुदावन्द को नहीं चढ़ाई गयी थीं। तर्जुमा करते वक़्त हम ऐसे भी लिख सकते हैं कि “वो जानवरों की क़ुर्बानी व गल्ले की नज्र तुमने मुझे नहीं चढ़ाई।” - -# - diff --git a/act/07/43.md b/act/07/43.md index 531e6e2..38490cc 100644 --- a/act/07/43.md +++ b/act/07/43.md @@ -15,6 +15,3 @@ # मैं तुम्हें बाबुल से दूर ले जाकर “मैं तुम्हें बाबुल से हटा दूंगा” - -# - diff --git a/act/07/44.md b/act/07/44.md index feee730..c0cb532 100644 --- a/act/07/44.md +++ b/act/07/44.md @@ -16,6 +16,3 @@ # याकूब के ख़ुदा के लिए रहने का घर बनाऊं दाऊद चाहता था कि अहद का संदूक यरुशलीम में रहे,न कि इस्राईल का चक्कर लगाते ख़ेमा में। - -# - diff --git a/act/09/36.md b/act/09/36.md index 1de3695..65c2138 100644 --- a/act/09/36.md +++ b/act/09/36.md @@ -13,6 +13,3 @@ # उन्हीं दिनों में या'नी कि जिन दिनों पतरस लुदिया में था। यह उसी वक़्त की जानकारी है। - -# - diff --git a/act/10/22.md b/act/10/22.md index fa14ed8..3685e16 100644 --- a/act/10/22.md +++ b/act/10/22.md @@ -13,6 +13,3 @@ # कि तुझे अपने घर बुलाकर “तुझे” या'नी कि पतरस को। - -# - diff --git a/act/10/27.md b/act/10/27.md index 3bcc533..bb15035 100644 --- a/act/10/27.md +++ b/act/10/27.md @@ -6,9 +6,6 @@ “यहूदी के लिए ग़लत है| -# - - # तुम जानते हो पतरस यहाँ कुरनेलियुस और बुलाए गए लोगों को ख़िताब कर रहा है। diff --git a/act/12/13.md b/act/12/13.md index 8f13741..56a238f 100644 --- a/act/12/13.md +++ b/act/12/13.md @@ -40,6 +40,3 @@ # उसका फ़रिश्ता होगा “तुमने पतरस का फ़रिश्ता देखा होगा।” कुछ यहूदी हिफ़ाज़त करने वाले फ़रिश्तों पर यक़ीन करते थे और शायद सोंचते होंगे कि पतरस का फ़रिश्ता उनसे मिलने आया है। - -# - diff --git a/act/13/09.md b/act/13/09.md index 58a327b..fa277ee 100644 --- a/act/13/09.md +++ b/act/13/09.md @@ -17,9 +17,6 @@ # चतुराई से भरे यहाँ इससे मुराद ख़ुदावन्द की शरी'अत का बिना झिझक के मानने में सुस्ती करना और उसे झिझक नहीं करने से है। - -# - कामयाब ईमान के दुश्मन # क्या तू ख़ुदा के सीधे रास्तों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? @@ -29,9 +26,3 @@ # ख़ुदा के सीधे रास्तों को “ख़ुदावन्द के बारे में जो सच है” को अलग ज़बान के इस्तिमाल के ज़रिए बयान किया गया है। ख़ुदावन्द के बारे में जो सच है,उन्हें झूठा बताने के लिए पौलुस उस जादूगर को डांट रहा है। - -# - - -# - diff --git a/act/16/27.md b/act/16/27.md index 7fc3b6c..d877f7f 100644 --- a/act/16/27.md +++ b/act/16/27.md @@ -1,6 +1,3 @@ -# - - # मार डालना चाहा “मार डालना चाहा।” कैदियों के भागने की सजा लेने के बजाए दरोगा ख़ुदकशी करना चाहता था। diff --git a/act/17/05.md b/act/17/05.md index 3850cb3..f67a486 100644 --- a/act/17/05.md +++ b/act/17/05.md @@ -46,6 +46,3 @@ # यासोन ने उन्हें अपने यहाँ उतारा यहाँ पर इशारा मिलता है कि रसूलों की ता'लीम से यासोन राज़ी था.. - -# - diff --git a/act/22/03.md b/act/22/03.md index 5a73c72..5085177 100644 --- a/act/22/03.md +++ b/act/22/03.md @@ -35,6 +35,3 @@ # बांधकर यरूशलीम वापिस ले आऊं “मुझे हुक्म था कि मैं उन्हें कड़ियों में बाँध कर यरुशलीम वापिस ले आऊँ” - -# - diff --git a/act/25/11.md b/act/25/11.md index 8785423..b002667 100644 --- a/act/25/11.md +++ b/act/25/11.md @@ -8,9 +8,6 @@ “लेकिन अगर मुझ पर लगाए गए इल्ज़ाम सच न निकलें” -# - - # तो कोई मुझे उनके हाथ नहीं सौंप सकता फेस्तुस के पास पौलुस को इन झूठे इल्जामों को लगानेवालों को सौंपने का क़ानूनी इख़्तियार नहीं है,या'नी2)पौलुस कह रहा था कि उसने कोई ग़लत काम नहीं किया है,और हाकिम को उसे यहूदियों के हाथों नहीं सौंपना चाहिए। diff --git a/col/01/13.md b/col/01/13.md index 50bb5b6..7846575 100644 --- a/col/01/13.md +++ b/col/01/13.md @@ -17,9 +17,3 @@ # गुनाहों की मु’आफ़ी “उसका बेटा हमारे गुनाह मु'आफ़ करता है ” - -# - - -# - diff --git a/col/01/18.md b/col/01/18.md index ca94559..ddcbd4e 100644 --- a/col/01/18.md +++ b/col/01/18.md @@ -22,6 +22,3 @@ यूनानी में इस लफ़्ज़ का मतलब है राह जिससे ज़ाहिर होता है कि ख़ुदा इन्सानों के लिए इत्मिनान और मेल मिलाप सलीब पर बहे मसीह के ख़ून की राह से इंतज़ाम करवाता है। आयत20में यह लफ़्ज़ दो बार आया है। - -# - diff --git a/col/01/21.md b/col/01/21.md index 5a112c5..cff35a5 100644 --- a/col/01/21.md +++ b/col/01/21.md @@ -41,6 +41,3 @@ # जिसका'एलान आसमान के नीचे सारी मख़लूक़ में किया गया और जिसका मैं पौलुस ख़ादिम बना। “इन्सानों ने आसमान के नीचे सारी मख़लूक़ में ख़ुशख़बरी सुना दी है। यह वही ख़ुशख़बरी है जिसकी बात मैं पौलुस ख़ुदा की ख़िदमत की ख़ातिर कर चुका हूं”। - -# - diff --git a/col/01/28.md b/col/01/28.md index 6326ce8..22a727c 100644 --- a/col/01/28.md +++ b/col/01/28.md @@ -21,6 +21,3 @@ # उस ताक़त के मुताबिक़ जो मुझ में क़ुदरत के काम के साथ असर डालती है। मसीह के मकसद जो मुझ में काम करते है। - -# - diff --git a/col/02/01.md b/col/02/01.md index 88be31c..ebacb69 100644 --- a/col/02/01.md +++ b/col/02/01.md @@ -10,9 +10,6 @@ कुलुस्से के क़रीब का शहर। वहां की कलीसिया के लिए भी वह दु'आ करता था। -# - - # जिन्होंने मेरा जिस्मानी मुंह नहीं देखा। “मैंने उन्हें इंसानी तौर से नहीं देखा” या “उन्होंने मुझ से मुलाक़ात नहीं की” diff --git a/col/02/04.md b/col/02/04.md index f002414..50eea70 100644 --- a/col/02/04.md +++ b/col/02/04.md @@ -21,6 +21,3 @@ # अच्छे तरीक़े से उनकी इत्तेहाद और ईमान की मज़बूती के लिए पौलुस या मसीह में ईमान के लिए पौलुस उनकी ता'रीफ़ करता है। - -# - diff --git a/gal/01/03.md b/gal/01/03.md index 74a3ff2..5c26b9c 100644 --- a/gal/01/03.md +++ b/gal/01/03.md @@ -1,9 +1,6 @@ # हमारे गुनाहों के लिए “हमारे गुनाहों की जो सज़ा हमारे लिए थी उसे बर्दाश्त करने के लिए” - -# - इस मौजूदा बुरी दुनिया से छुड़ाए कि वह हमें आज की दुनिया में काम करने वाली बुरी ताक़तों से बचाए”। # हमारे ख़ुदावन्द और बाप diff --git a/jas/02/25.md b/jas/02/25.md index fda25bf..b233a02 100644 --- a/jas/02/25.md +++ b/jas/02/25.md @@ -21,6 +21,3 @@ # जैसे दिल रूह के बिना मरी हुई है वैसे ही ईमान भी 'आमाल बिना मरा हुआ है। याकूब ज़ोर देकर कहता है कि जो इन्सान ईमान के साथ काम नहीं करता है वह रूह से महरूम जिस्म के जैसा है। दोनों ही मर्दा और बेकार है। - -# - diff --git a/mat/28/01.md b/mat/28/01.md index 1eea889..06a7547 100644 --- a/mat/28/01.md +++ b/mat/28/01.md @@ -1,7 +1,4 @@ अब 'ईसा के जि उठने का कहानी शुरू' होता है - -# - दूसरी मरियम "मरियम नाम की एक और 'औरत" या "याक़ुब और यूसुफ़ और यूसुफ़ की माँ मरियम"([MAT 27:56](../27/54.md)) diff --git a/php/01/07.md b/php/01/07.md index 2a9f2e0..f7142ea 100644 --- a/php/01/07.md +++ b/php/01/07.md @@ -16,12 +16,3 @@ # मसीह ईसा की सी मुहब्बत यह एक कहावत है जो हमारे अन्दर एक जगह के बारे में है जहां से हमारे जज़बातों का 'उरूज़ होता है। इस का तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है, “मसीह 'ईसा ने मुझे जो मुहब्बत दी उसकी मा'मूरी में” | - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/01/28.md b/php/01/28.md index 2aa7b6e..e8b4bef 100644 --- a/php/01/28.md +++ b/php/01/28.md @@ -17,12 +17,3 @@ # तुम्हें वैसा ही मेहनत करना है जैसा तुम ने मुझे करते देखा और अब भी सुनते हो कि मैं वैसा ही करता हूं। “तुम भी वैसे ही मुसीबत उठाते हो जैसे तुमने मुझे उठाते देखा है और तुम सुनते भी हो कि मैं इस वक़्त भी मुसीबत उठा रहा हूं”। - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/03.md b/php/02/03.md index 5472e91..486b860 100644 --- a/php/02/03.md +++ b/php/02/03.md @@ -9,18 +9,3 @@ # अपने ही फ़ायदे की नहीं या' नी अपनी ही फ़िक्र नहीं या अपनी ख़ुदग़र्जी कामिल नही, इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है, अपनी ही ज़रूरतों पर ग़ौर न करो ” | - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/05.md b/php/02/05.md index 9035c4a..20b69f9 100644 --- a/php/02/05.md +++ b/php/02/05.md @@ -1,24 +1,3 @@ # जैसा मसीह का मिज़ाज था वैसा ही तुम्हारा मिज़ाज भी हो “यहां” मिज़ाज से मुराद है, सुलूक या सोंचने और ख़याल करने की क़ुदरत। इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है, 'ईसा के जैसा मिज़ाज या जिस तरह ईसा काम करता था तरह उस पर ग़ौर करो । - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/09.md b/php/02/09.md index 61f5509..7359621 100644 --- a/php/02/09.md +++ b/php/02/09.md @@ -21,12 +21,3 @@ # हर एक ज़बान यहां ज़बान का मतलब भी पूरी मख़लूक है, इसका तर्जुमा, हर एक इन्सान या हर एक जानदर किया जा सकता है। (देखें: [[rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-synecdoche]]) - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/19.md b/php/02/19.md index 4d1efa6..998c658 100644 --- a/php/02/19.md +++ b/php/02/19.md @@ -5,21 +5,3 @@ # सब या'नी वे ईमानदार जिन पर पौलुस को भरोसा नहीं कि उन्हें फ़िलिप्पी की कलीसिया में भेजे पौलुस अपनी नाइत्तेफ़ाक़ी भी ज़ाहिर कर रहा है कि आने वालों को ख़िदमत के लिए वह ईमान के लायक़ नहीं समझता था। - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/22.md b/php/02/22.md index 9cad391..7ee3059 100644 --- a/php/02/22.md +++ b/php/02/22.md @@ -14,15 +14,3 @@ # मुझे ख़ुदावन्द में भरोसा है कि मैं आप भी ज़ल्दी आऊंगा इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है,“मुझे पूरा ईमान है कि ख़ुदावन्द की ख़्वाहिश हुई तो मैं जल्दी ही आऊंगा”। - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/25.md b/php/02/25.md index 2f5519f..896dff3 100644 --- a/php/02/25.md +++ b/php/02/25.md @@ -21,12 +21,3 @@ # मातम पर मातम इस जुमले का मतलब साफ़ किया जा सकता है। “मेरे क़ैदख़ाने के दुःख पर और ज़्यादा दुःख। - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/02/28.md b/php/02/28.md index 1749603..365b6da 100644 --- a/php/02/28.md +++ b/php/02/28.md @@ -13,15 +13,3 @@ # मेरी ख़िदमत में “मुझे जो ज़रूरत है उसे पूरी करे” - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/03/06.md b/php/03/06.md index d3ece39..02fdb1a 100644 --- a/php/03/06.md +++ b/php/03/06.md @@ -9,18 +9,3 @@ # नुक़सान समझ लिया है “पौलुस अपने सब दीनी 'आमाल को मसीह के सामने नुक़सान मानता है। - -# - - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/03/15.md b/php/03/15.md index b7b91c6..4be89c1 100644 --- a/php/03/15.md +++ b/php/03/15.md @@ -18,12 +18,3 @@ # जहां तक हम पहुंचे हैं उसी के मुताबिक़ चलें “हमने जो सच्चाई सुना है उसी का ता'मील करें” (देखें: [[rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-inclusive]]) - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/03/20.md b/php/03/20.md index 0f901eb..e49eb24 100644 --- a/php/03/20.md +++ b/php/03/20.md @@ -21,9 +21,3 @@ # अपनी ताक़त के उस असर के मुताबिक़ “इसका तर्जुमा एक नए मुख़्तसर जुमले में किया जा सकता है, “वह हमारी जिस्म की शक्ल बदलकर उसी क़ुदरत से करेगा जिसके ज़रिए' वह सब चीज़ों को अपने क़ाबू में रखता है । ( - -# - - -# - diff --git a/php/04/04.md b/php/04/04.md index b12a526..4f6a1cc 100644 --- a/php/04/04.md +++ b/php/04/04.md @@ -21,9 +21,3 @@ # तुम्हारे दिल और तुम्हारे ख़यालों को मसीह 'ईसा में महफ़ूज़ रखेगी। यहाँ ख़ुदा की शान्ति को एक मुहाफ़िज़ फ़ौजी से तुल्य माना गया है जो हमारी भावना और ख़यालों को फ़िक्र से महफ़ूज़ रखती है। इसका पूर्ण मतलब साफ़ ज़ाहिर किया जा सकता है, “वह एक फ़ौजी के जैसे इस ज़िन्दगी की फ़िक्रओं ओर परेशानियों से तुम्हारे दिल मस्तिष्क को महफ़ूज़ रखेगी”। (देखें: [[rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-personification]] and [[rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-explicit]]) - -# - - -# - diff --git a/php/04/08.md b/php/04/08.md index 2d9d839..7ff4de3 100644 --- a/php/04/08.md +++ b/php/04/08.md @@ -26,6 +26,3 @@ # जो बातें तुम ने मुझ से सीखी, और क़ुबूल की और सुनी और मुझ में देखी” “जो मैंने सिखाई और दिखाई” - -# - diff --git a/php/04/14.md b/php/04/14.md index 6a65688..9324844 100644 --- a/php/04/14.md +++ b/php/04/14.md @@ -14,15 +14,3 @@ # मैं ऐसा फल चाहता हूं जो तुम्हारे फ़ायदे के लिए बढ़ता जाए। पौलुस कलीसियाई मुलाक़ात का मुक़ाबला उस इन्सान की दौलत से कर रहा है जो ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ती जाती है। पौलुस चाहता है कि फ़िलिप्पी की कलीसिया ज़्यादा से ज़्यादा नज्र करे वह रूहानी बरकत पाए। मैं देखना चाहता हूं कि ख़ुदा तुम्हें ज़्यादा से ज़्यादा रूहानी बरकतें । - -# - - -# - - -# - - -# - diff --git a/php/04/18.md b/php/04/18.md index 3f05229..46583f2 100644 --- a/php/04/18.md +++ b/php/04/18.md @@ -19,12 +19,3 @@ # हमारे ख़ुदा यह आख़िरी दु'आ और आख़िरत है - -# - - -# - - -# - diff --git a/rev/02/26.md b/rev/02/26.md index d8aa912..f3cff84 100644 --- a/rev/02/26.md +++ b/rev/02/26.md @@ -9,6 +9,3 @@ # सुबह का तारा यह एक चमकदार तारा है जो एकदम सुबह से पहले आता है. - -# - diff --git a/rev/07/11.md b/rev/07/11.md index b501996..0a617b4 100644 --- a/rev/07/11.md +++ b/rev/07/11.md @@ -4,8 +4,7 @@ # चारों जानदारों -इन चार जानदारों का [REV 4:6](../04/06.md) -8]]. में बयान है. +इन चार जानदारों का [REV 4:6-8](../04/07.md). में बयान है. # हमारे ख़ुदा की ...तारीफ़, जलाल हो diff --git a/rev/08/10.md b/rev/08/10.md index a9e0ed6..01e09fd 100644 --- a/rev/08/10.md +++ b/rev/08/10.md @@ -3,9 +3,6 @@ "और एक बड़ा तारा जो मशाल की तरह जलता था आसमान से टूटा ." बड़े तारे की आंच मशाल की आंच से मिलती जुलती थी. -# - - # मशाल एक छड़ी जिसके एक और आग लगी होती है ताकि रौशनी मिल सके diff --git a/rev/19/11.md b/rev/19/11.md index 2947d73..d4c3f40 100644 --- a/rev/19/11.md +++ b/rev/19/11.md @@ -1,8 +1,5 @@ # फिर मैंने आसमान को खुला हुआ देखा इस ख़्याल का इस्तिमाल एक नए रोया के शुरू को ज़ाहिर करने के लिए किया गया है. देखो इस ख़्याल का तर्जुमा तुमने [rev:04:01|4:1]], [:rev:11:19|11:19]], और [:rev:15:05|15:5]] में किस तरह किया था। - -# - वह ख़ून छिड़का हुआ लिबास पहने है इख़्तियारी तर्जुमा: "वह ऐसा लिबास पहने है जिस पर खू़न के धब्बे हैं" या "उसने ऐसे लिबास पहने हैं जिनसे खू़न टपक रहा है"