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# भाई सोस्थिनेस
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इससे ज़ाहिर होता है कि कुरिन्थ के ईमानदार और पौलुस दोनों ही सोस्थिनेस से वाक़िफ़ थे। इख़्तियारी तर्जुमा: “सोस्थिनेस जिसे तुम और मैं दोनों ही जानते हैं”।
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# पाक होने के लिए बुलाए गए हैं।
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदावन्द ने उन्हें मुक़द्दस होने के लिए बुलाया है ”
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# उन सब के नाम भी
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सब ईमानदारों के साथ। वै.अ. “के साथ”
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# हमारे और अपने ख़ुदावन्द'ईसा मसीह
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ख़ुदा'ईसा पौलुस का,कुरिन्थ की कलीसिया का और सब कलीसियाओं का ख़ुदा है।
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# तुम्हें
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कुरिन्थ नगर के ईमानदार
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# पक्की निकली
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इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम्हारी ज़िन्दगी साफ़ तौर से बदल जाए”
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# ख़ुदा का शुक्र हमेशा करता हूं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं पौलुस ख़ुदावन्द का शुक्र'अदा करता हूं”।
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# ख़ुदा का यह फ़ज़ल तुम पर मसीह'ईसा में हुआ।
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“तुम जो मसीह'ईसा में ख़ुदावन्द के फ़ज़ल के क़ाबिल हो ”
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# दौलतमन्द किए गए
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मुमकिन मतलब है1) “मसीह ने तुम्हें अमीर किया ” या2) “ख़ुदावन्द ने तुम्हे दौलतमन्द बनाया है”।
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# हर बात में दौलतमन्द किया
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“मुख़्तलिफ़ रूहानी बरकतों से मा'मूर किया ”
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# सारे कलाम में
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ख़ुदावन्द ने तुम्हें हर तरह से इन्सानों में ख़ुदावन्द का कलाम सुनाने लायक़ किया है।
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# सारे'इल्म में
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ख़ुदावन्द ने तुम्हें उसका पैग़ाम हर तरह से समझने लायक़ किया है।
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# कि मसीह की गवाही तुम में पक्की निकले
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“मसीह का पैग़ाम”
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# यहां तक कि
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“नतीज़तन ”
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# किसी ने'मत की तुम्हें घटी नहीं
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“तुम्हारे पास हर एक रूहानी ने'मत है”।
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# हमारे ख़ुदावन्द'ईसा के ज़ाहिर होने
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मुमकिन मतलब हैं1) “जिस वक़्त ख़ुदावन्द मसीह'ईसा को ज़ाहिर करेगा” या2) “जिस वक़्त हमारा ख़ुदा'ईसा मसीह ज़ाहिर होगा ”।
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# बेईल्ज़ाम ठहरो
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“तुम्हें मुजरिम ठहराने की ख़ुदावन्द के पास कोई वजह न हो ”।
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# जिसने तुमको....मसीह की शराकत में बुलाया है
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ख़ुदावन्द ने तुम्हें अपने फ़र्ज़न्द,मसीह'ईसा की शराकत में बुलाया है
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# तुम सब एक ही बात करो
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“कि तुम एक दूसरे के समझौते में रहो”
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# तुम में फूट न हो
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“कि तुम में नाइत्तेफ़ाक़ी न हो”
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# एक ही दिल और एक ही ख़याल में मिले रहो
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“इत्तेहाद में”
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# खलोए के घराने के लोगों
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ख़ानदान के फ़र्द,खलोए के रिश्तेदार के ग़ुलाम वग़ैरह सब,उनकी सरबराह एक'औरत है।
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# तुम में झगड़े हो रहे हैं।
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“तुम लोग अलग
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अलग फ़िरक़ा बनाकर झगड़ते हो”
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# तुम में से कोई तो....कहता है
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पौलुस बँटवारे का एक'आम ख़याल ज़ाहिर कर रहा है
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# क्या मसीह बंट गया
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पौलुस हक़ीक़त पर ज़ोर दे रहा है कि मसीह बंटा नहीं है वह एक है। “तुम जैसा सुलूक करते हो उसके मुताबिक़ मसीह को भी बाँटना मुमकिन नहीं है”।
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# क्या पौलुस तुम्हारे लिए सलीब पर चढ़ाया गया?
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पौलुस इस जुमले पर ज़ोर देना चाहता है कि न पौलुस न अपुल्लोस सलीब पर चढ़ाया गया,मसीह ही था जो सलीब पर चढ़ाया गया।"उन्होंने तुम्हारी नजात के लिए पौलुस को सलीब की मौत नहीं दी थी।"
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# क्या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?
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पौलुस इस बात पर ज़ोर देता है कि हम सब ने मसीह के नाम में बपतिस्मा पाया है।"तुम्हे पौलुस के नाम में बपतिस्मा नहीं दिया गया है।"
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# मै ख़ुदा का शुक्र करता हूँ मै ख़ुदा का शुक्र करता हूँ
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पौलुस कुछ बड़ा चड़ा कर ही कह रहा है कि वह बहुत ज़्यादा शुक्रगुज़ार है कि उसने कुरिन्थ की कलीसिया में ज़्यादा लोगों को बपतिस्मा नहीं दिया।
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# क्रिस्पुस
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वह यहूदी'इबादतख़ाने का सरदार था जिसने मसीह को क़ुबूल कर लिया था।
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# गयुस
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वह पौलुस के साथ सफ़र करके आया था।
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# कहीं ऐसा न हो,कि कोई कहे,कि तुम्हें मेरे नाम पर बपतिस्मा मिला।
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"मैने ज़्यादा लोगों को बपतिस्मा देने से अपने आप को रोका क्योंकि मैं डरता था कि वे आगे चलकर घमण्ड से कहे कि मैने उन्हें बपतिस्मा दिया था।"
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# स्तिफनास के घराने
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स्तिफनास के घराने से मुराद है,उसके ख़ानदान के फ़र्द और उसके ग़ुलाम
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# मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं...भेजा है।
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इसका मतलब है कि बपतिस्मा देना पौलुस की मसीही ख़िदमत का अहम मक़सद नहीं था।
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# अल्फ़ाज़के'इल्म के मुताबिक़
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"सिर्फ़ इन्सानी'इल्म के लफ़्ज़"
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# ऐसा न हो कि मसीह का सलीब बेकार ठहरे
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इख़्तियारी तर्जुमा: "इन्सानी'इल्म मसीह के सलीब को क़ुदरत से महरूम न कर दे।”
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# सलीब की कथा
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"मसीह के मस्लूब का'एलान"या"मसीह की सलीब पर मौत के बारे में पैग़ाम"
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# बेवक़ूफ़ी है
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"बे अक़्ल"या"नासमझ"
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# फ़ना होने वालों के क़रीब
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"फ़ना"का मतलब है रूहानी मौत"
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# ख़ुदा की क़ुदरत है
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"ख़ुदावन्द हम में क़ुदरत का काम कर रहा है"
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# 'आलिम के'इल्म को नाश करूंगा
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इख़्तियारी तर्जुमा: "'आलिमों को उलझन में डाल दूंगा"या"अक़्लमंदों की तरक़ीब को पूरी तरह से बेफ़ायदा कर दूंगा"
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# कहा रहा इन्सान?कहा रहा'आलिम?कहा रहा इस दुनिया तबादला
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ए
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ख़याल करने वाला?
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पौलुस इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि सच्चे समझदार इन्सान कही नहीं है। इख़्तियारी तर्जुमा:ख़ुशख़बरी के मुक़ाबले में कोई भी इन्सान,समझदार नहीं है,चाहे कोई'आलिम हो या झगड़ा करने वाला हो।
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# 'आलिम
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वह आदमी जिसने बहुत ज़्यादा पढ़ा हो
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# तबादला
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ए ख़याल करने वाला
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वह आदमी जो अपने'इल्म की बुनियाद पर झगड़ा करता है या जो झगड़ा करने में माहिर हो
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# क्या ख़ुदा ने दुनिया के'इल्म को बेवक़ूफ़ी नहीं ठहराया?
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पौलुस इस सवाल के ज़रिए'ज़ोर देना चाहता है कि ख़ुदावन्द ने इस दुनिया के'इल्म का क्या कर दिया है। इख़्तियारी तर्जुमा: "ख़ुदावन्द ने यक़ीनन ही इस दुनिया के'इल्म को बेवक़ूफ़ी ठहरा दिया है"या"ख़ुदावन्द उस पैग़ाम से ख़ुश हुआ जिसे उन लोगो ने बेवक़ूफ़ी समझा था" |
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# ईमान
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इसके मुमकिन मतलब है1) "वे सब जो ईमान करते है" (UDB)या2) "जो उस मे ईमान करते है"
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# हम... 'एलान करते है
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यहाँ"हम"लफ़्ज़ का मतलब है पौलुस और दूसरे ख़ुशख़बरी'एलान करने वाले।
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# सलीब पर चढ़ाए हुए मसीह का
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"मसीह के बारे में जो सलीब पर मर गया था"
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# ठोकर की वजह
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ठीक वैसे ही जैसे आदमी राह में किसी पत्थर से ठोकर खाता है,यहूदियों के लिए सलीब पर चढ़ाये गए मसीह के ज़रिए'नजात का पैग़ाम भी ठोकर की वजह है। इख़्तियारी तर्जुमा: "लाक़ाबिले क़ुबूल"या"शख़्त"।
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@ -0,0 +1,15 @@
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# जो बुलाए हुए हैं
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“जिन्हें ख़ुदावन्द ने बुलाया”
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# हम मसीह का'एलान करते हैं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “हम मसीह की ता'लीम देते हैं “ या “हम इन्सानों में मसीह का पैग़ाम सुनाते हैं”।
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# मसीह ख़ुदा की ताक़त और ख़ुदा का'इल्म है
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“मसीह ही है जिसके के ज़रिए'ख़ुदावन्द अपनी क़ुदरत और'इल्म ज़ाहिर करता है”
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# ख़ुदा की बेवक़ूफ़ी....ख़ुदा की कमज़ोरी
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यह ख़ुदावन्द के मिज़ाज और इन्सान के मिज़ाज में आख़िर है। अगरचे ख़ुदावन्द बेवक़ूफ़ी करे या कमज़ोरी दिखाए तौभी वह इन्सान के सबसे अच्छे मिज़ाज से कहीं ज़्यादा अच्छा होगा।
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@ -0,0 +1,23 @@
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# अपने बुलाए जाने को
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“ख़ुदावन्द ने तुम्हें पाक लोग होने के लिए कैसे बुलाया है”
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# न बहुत....बुलाए गए हैं
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“तुम में बहुत ही कम”
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# जिस्म के मुताबिक़
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“इन्सानों के ख़याल में” या “भलाई के मौज़ू'में इन्सानों की समझ के मुताबिक़”
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# अज़ीम
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“ख़ानदान के ख़ास होने” या “शाही ” होने के के ज़रिए'
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# ख़ुदा ने बेवक़ूफ़ों को चुन लिया कि'इल्मवालों को शर्मिंदा करें
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ख़ुदावन्द ने उन बदनसीब लोगों को चुन लिया जिन्हें यहूदी नाचीज़ मानते थे,कि ख़ुदावन्द की नज़र में उन मख़सूस रहनुमाओं की अहमियत नाचीज़ ठहरे।
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# ख़ुदा ने दुनिया के कमज़ोरों को चुन लिया है कि ज़ोरआवरों को शर्मिंदा करे
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यह पिछले जुमले के ख़याल को दूसरे अलफ़ाज़ में ज़ाहिर करना है।
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@ -0,0 +1,19 @@
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# नीचों और छोटों
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दुनिया के तर्क किये हुए लोग,इख़्तियारी तर्जुमा: “बदनसीब और छोड़े हुए लोग”
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# बल्कि जो है भी नहीं
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“जिन्हें इन्सान ग़लत समझता है ”
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# बेकार ठहराए
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“उनका अहमियत ख़त्म कर दे”
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# जो हैं
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“जिन्हें इन्सान क़ीमती मानता है” या “जिन्हें इन्सान खरीदने लायक़ या'इज़्ज़त के लायक़ समझता है”
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# चुन लिया
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“ख़ुदावन्द ने चुन लिया”
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@ -0,0 +1,19 @@
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# ख़ुदा की ओर से
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या'नी सलीब पर मसीह का काम
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# हमारे लिए
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“हमारे” में पौलुस कुरिन्थ के ईमानदारों को भी मौज़ूद करता है।
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# तुम मसीह'ईसा में हो
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“तुम ने मसीह'ईसा के के ज़रिए'नजात पा ली है ”
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# मसीह'ईसा में हो,जो ख़ुदा की ओर से'इल्म ठहरा।
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“मसीह'ईसा ने हम पर साफ़ ज़ाहिर कर दिया कि ख़ुदावन्द कितना अक़्लमन्द है ”।
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# “जो फ़ख़्र करे वह ख़ुदावन्द में फ़ख़्र करे ”
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर कोई फ़ख़्र करे तो वह ख़ुदा की'अज़मत पर फ़ख़्र करे ”
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@ -0,0 +1,7 @@
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# कलाम के'इल्म की अच्छाई के साथ
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“मज़बूर कराने वाले बेहतरीन अलफ़ाज़ के साथ नहीं”
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# और किसी बात को न जानूं
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पौलुस का अहम ख़याल इन्सानी'इल्म के मुक़ाबले मसीह के मस्लूब पर था। “और किसी बात को न जानूं” या'नी पूरा ध्यान मसीह पर ही
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@ -0,0 +1,15 @@
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# तुम्हारे साथ रहा
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“जब तुम्हारे दरमियान रहा”
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# कमज़ोरी
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मुमकिन मतलब हैं1) “जिस्मानी कमज़ोरी ”, 2) “अधूरी ताक़त के'इल्म के साथ”
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# ललचाने वाली बातें
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यक़ीनी कराने वाली या इन्सान को कुछ करने या ईमान करने के लिए मज़बूर करने वाली बातें।
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# मेरे कलाम और मेरे'एलान
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पौलुस का'एलान और ख़ुशख़बरी
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@ -0,0 +1,11 @@
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# 'इल्म सुनाते हैं
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“'इल्म की बातें सुनाते है”
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# कामिल लोगों में
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इख़्तियारी तर्जुमा:“मुकम्मल ईमानदारों में ”
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# हमारे जलाल के लिए
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“हमारा मुस्तक़बिल का जलाल यक़ीनी करने के लिए”
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@ -0,0 +1,11 @@
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# जलाली ख़ुदावन्द
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“'ईसा जलाली ख़ुदा”
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# आंखों ने नहीं देखी और कान ने नहीं सुनी, ...दिमाग़ में नहीं चढ़ी।
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यहाँ इंसानियत की इन तीन नफ़्स पर ज़ोर देने से मुराद यह है कि कोई भी इन्सान ख़ुदावन्द के ज़रिए'तैयार की गई बातों को कभी समझ नहीं पाया है।
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# ख़ुदा ने अपने मुहब्बत करनेवालों के लिए जिन बातों को तैयार किया है।
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ख़ुदावन्द ने अपने मुहब्बत करने वालों के लिए आसमान में हैरतंगेज़ ता'ज्जुब की बातें रखी है
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@ -0,0 +1,11 @@
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# उन को
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'ईसा और उसके सलीब की सच्चाई
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# कौन किसी इन्सान की बातें जानता है,सिर्फ़ इन्सान की रूह?
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||||
पौलुस इस सवाल के ज़रिए'इस तथ्य पर ज़ोर दे रहा है कि ग़ौर करनेवाले को छोड़ और कोई उसके ख़याल नहीं जान सकता है या इन्सान की अपनी रूह के बजाय कोई नहीं जो उसके ख़यालों को जान पाए”।
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# सिर्फ़ इन्सान की रूह
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ध्यान दें, “रूह ” इन्सान की नापाक और बदरूह के बारे में है जो ख़ुदावन्द के रूह से अलग है।
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@ -0,0 +1,11 @@
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# लेकिन हम
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“हम” या'नी पौलुस एवं उसके पढ़ने वाले|
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# ख़ुदा की ओर से है
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“ख़ुदावन्द ने हमें बग़ैर क़ीमत दिया है ” या “ख़ुदावन्द ने हमें मुझ में दिया है”।
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||||
# रूहानी बातें रूहानी बातों से मिलाकर सुनाते हैं
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||||
पाक रूह अपने ही अलफ़ाज़ में मिलकर ईमानदार तक ख़ुदावन्द की सच्चाई पहुंचाता है और उन्हें अपना'इल्म'अता करता है।
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@ -0,0 +1,15 @@
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|||
# जिस्मानी इन्सान
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||||
|
||||
बेईमान इन्सान जिसने रूह नहीं पाया है
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||||
# उनकी आज़माइश रूहानी तरीक़े से होती है
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“क्योंकि इन बातों की क़ुबूलियत रूह की मदद की ज़रूरत है”।
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# रूहानी लोग
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इख़्तियारी तर्जुमा: “रूह पाया हुआ ईमानदार”
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# ख़ुदावन्द का दिल किसने जाना है कि उसे सिखाए
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||||
पौलुस इस सवाल के के ज़रिए'इस जुमले पर ज़ोर दे रहा है कि ख़ुदा का दिल'किसी ने नहीं जाना है?इख़्तियारी तर्जुमा:“ख़ुदा का दिल कोई नहीं जान सकता। लिहाज़ा कोई उसे ऐसी बात नहीं सिखा सकता जो वह पहले से नहीं जानता है”।
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@ -0,0 +1,19 @@
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# रूहानी लोगों से
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रूह के क़ुदरत से भरे लोगों से
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# जिस्मानी लोगों से
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अपनी ख़्वाहिशों के मुताबिक़ चलने वालों में से
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# मसीह में बच्चे है
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कुरिन्थ के ईमानदारों की उन बच्चों से मुक़ाबला की गई है जो'उम्र में बहुत कम और नासमझ हैं,जैसे मसीह में बहुत कम'उम्र के ईमानदार।
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# मैंने तुम्हें दूध पिलाया,दाना खिलाया
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कुरिन्थ के ईमानदार बेज़बान बच्चों की तरह सिर्फ़ दूध जैसे सच्चाई ही को क़ुबूल कर सकते थे। वे बड़े बच्चों की ठोस ख़ुराक सच्चाई को अपने अन्दर क़ुबूल नहीं कर सकते थे।
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# नहीं खा सकते हो
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“तुम मसीह की पैरवी की शख़्त बातों को क़ुबूल करने लायक़ नहीं हो ”|
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@ -0,0 +1,29 @@
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# अब तक जिस्मानी थे
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अब तक गुनाहगार या दुनियावी ख़्वाहिशों के ग़ुलाम हो
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# क्या तुम जिस्मानी नहीं?
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पौलुस कुरिन्थ के ईमानदारों को उनकी गुनाहगार फ़ितरत के लिए झिड़कता है। “तुम अपने गुनाहगार मिज़ाज के मुताबिक़ ज़िन्दगी जी रहे हो”।
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# क्या इन्सान के तरीक़े पर नहीं चलते?
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पौलुस कुरिन्थ के ईमानदारों को इन्सानी तौर तरीक़ों के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए झिड़कता है। इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम इन्सानी तौर तरीक़ों पर ज़िन्दगी गुज़ारते रखते हो ”।(
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# क्या तुम इन्सान नहीं?
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पौलुस उन्हें पाक रूह से महरूम इन्सानों की सी ज़िन्दगी जीने के लिए झिड़कता है।
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# अपुल्लोस क्या है?और पौलुस क्या है?
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पौलुस जिस बात पर ज़ोर दे रहा है,वह है कि वह और अपुल्लोस ख़ुशख़बरी के असल बुनियाद नहीं हैं,लिहाज़ा ईमानदारों के'एलान करने वाले गिरोहों को ख़ुशख़बरी की बुनियाद न बनाए। इख़्तियारी तर्जुमा:"यह मुनासिब नहीं कि ईमानदार पौलुस या अपुल्लोस की वजह से अलग
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अलग जमा'अत बनाकर ख़ुशख़बरी को बाँटा करे"
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# सिर्फ़ ख़ादिम जिनके ज़रिए'तुम ने ईमान किया
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पौलुस आप ही अपने सवाल का जवाब देता है कि वे दोनों ही ख़ुदावन्द के ख़ादिम हैं। इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम ने पौलुस और अपुल्लोस की ता'लीमों के ज़रिए'ख़ुशख़बरी में ईमान किया है”।
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# जैसा हर एक को ख़ुदावन्द ने दिया
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदावन्द ने पौलुस को और अपुल्लोस को अपना
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अपना काम दिया है”।
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# मैंने लगाया
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ख़ुदावन्द के'इल्म की मिसाल एक बीज से की गई है,जिसे तैयार होने के लिए बोना ज़रूरी है।
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# सींचा
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जैसे बीज को तैयार होने के लिए पानी की ज़रूरत होती है वैसे ही ईमान की तरक़्क़ी करने के लिए ता'लीम की ज़रूरत होती है।
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# बढ़ाया
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जिस तरह पौधे बड़े होकर बढ़ते हैं उसी तरह ईमान और ख़ुदावन्द का'इल्म बड़े होकर गहरा और ज़्यादा मज़बूत होता है।
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# इसलिए न तो लगानेवाला कुछ है...ख़ुदा ही सब कुछ है जो बढ़ानेवाला है।
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पौलुस ज़ोर देकर कह रहा है कि ईमानदारों के रूहानी तरक़्क़ी के लिए न तो उस और न ही अप्पुलोस ज़रिया'है लेकिन सिर्फ़ ख़ुदावन्द ही का काम है।
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# लगानेवाला और सींचने वाला दोनों एक हैं
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लगाना और सींचना दोनों एक ही काम हैं जिसका मुक़ाबला पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया में मसीह ख़िदमत ख़ातिर उसके और अप्पुलोस के कामों से करता है।
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# हर एक इन्सान अपने ही नतीजे के मुताबिक़ अपनी मजदूरी पाएगा।
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मजदूर की मजदूरी उसके काम के मुताबिक़ दी जाती है।
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# हमें
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पौलुस और अप्पुलोस,कुरिन्थ की कलीसिया नहीं|
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# ख़ुदा के फ़र्माबरदार ख़ादिम
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ख़ुदावन्द के हमख़िदमत हैं
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पौलुस अप्पुलोस को और अपने आप को ख़ुदावन्द का हमख़िदमत मानता है साथ काम करने वाले।
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# ख़ुदा की बागवानी
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ख़ुदावन्द कुरिन्थ की कलीसिया की बागवानी करता है जैसे इन्सान बगीचे की बागवानी करके उसे फल देने लायक़ बनाते हैं।
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# ख़ुदा की तख़लीक़ ही
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ख़ुदावन्द ने कुरिन्थ की कलीसिया को शक़्ल देकर बनाया है जैसे इन्सान एक घर ता'मीर करता है|
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# ख़ुदा के इस फ़ज़ल के मुताबिक़ जो मुझे दिया गया
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“उस ज़िम्मेदारी के मुताबिक़ जो ख़ुदावन्द ने मुझे फ़ज़ल करके दिया ”।
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# मैंने....नींव डाली
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पौलुस ईमान और मसीह'ईसा में नजात की अपनी ता'लीम की मिसाल एक घर की नींव डालने से करता है।
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# दूसरा उस पर रद्दा रखता है
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दूसरा'एलान करने वाले इन ईमानदारों को रूहानी मदद'अता करते हुए कलीसिया में ख़ुशख़बरी का'एलान का ता'मीर ही करता है।
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# हर एक इन्सान
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'आम तौर में ख़ुदावन्द के ख़ादिम। इख़्तियारी तर्जुमा:“ख़ुदावन्द की ख़िदमत करनेवाला हर एक इन्सान”
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# उस नींव को छोड़ जो पड़ी है
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नींव की ता'मीर हो जाने के बा'द वह बदली नहीं जा सकती है। यहां मसीह की नींव पर कुरिन्थ की कलीसिया की ता'मीर जो पौलुस के ज़रिए'किया गया है। “मुझ पौलुस ने जो नींव डाली उसके'अलावा ”
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# कोई इस नींव पर सोना या चांदी या बेशक़ीमती पत्थर या लकड़ी या घास या फूस का रद्दा रखे।
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किसी घर का नई ता'मीरी चीज़ों की मिसाल उन रूहानी बातो से की जा रही है जिनके ज़रिए'इन्सान की पूरी ज़िन्दगी का सुलूक और काम ढाले जाते हैं। “इन्सान बेशक़ीमती मुस्तक़िल चीज़ें काम में लेता है या बेकार जलने वाली चीज़ें काम में लेता है”
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# बेशक़ीमत पत्थर
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“क़ीमती पत्थर”
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# हर एक काम ज़ाहिर हो जाएगा क्योंकि वह दिन उसे बताएगा।
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“जिस तरह दिन की रोशनी ता'मीर में काम करने वाले की मेहनत को ज़ाहिर करती है उसी तरह ख़ुदावन्द की हाज़िरी की रोशनी इन्सान की मेहनत और काम के मे'यार को ज़ाहिर करेगा। “दिन की रोशनी उसके काम के मे'यार को ज़ाहिर करेगी ”।
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# आग हर एक के कामों की ख़ूबी ज़ाहिर करेगी।
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“जिस तरह दिन की रोशनी ता'मीर में काम करने वाले मेहनत को ज़ाहिर करता है उसी तरह ख़ुदावन्द की मौज़ूदगी की रोशनी इन्सान की मेहनत और काम के क़ाबिलियत को ज़ाहिर करेगा।इख़्तियारी तर्जुमा “दिन की रोशनी उसके काम के क़ाबिलियत को ज़ाहिर करेगा”।
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# क़ायम रहेगा
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“तबाह न होगा” या “ज्यों का त्यों रहेगा”।
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# किसी का काम जल जाएगा
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“अगर आग किसी का काम जला देगी ” या “किसी का काम आग में जल कर बर्बाद हो गया ”
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# “किसी का”, “वह” “वह आप”
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ये लफ़्ज़ उस इन्सान के हवाले है जो ख़िदमत करता है,इख़्तियारी तर्जुमा “वह आदमी” या “वह”
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# वह नुक़सान उठाएगा पर वह आप बच जाएगा
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“वह उस काम से महरूम हो जाएगा और उस अज्र से भी जो आग आज़माइश के बा'द उसके काम के मुस्तहकम रहने पर उसे मिलता,लेकिन ख़ुदावन्द उसे बचा लेगा ”|
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# क्या तुम नहीं जानते कि तुम ख़ुदा का हैकल हो,और ख़ुदा की रूह तुम में रहती है।
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इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम ख़ुदावन्द का मक़्दिस हो और ख़ुदावन्द की रूह तुम में रहती है ”।
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# तबाह करेगा
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“तबाह करेगा” या “बर्बाद करेगा ”
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# ख़ुदा उसका नाश करेगा क्योंकि ख़ुदा का मक़्दिस पाक है और वह तुम हो।
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदावन्द उसको हलाक करेगा क्योंकि ख़ुदावन्द का मक्दिस पाक है और तुम भी पाक हो”।
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# कोई अपने आप को धोखा न दे
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कोई इस गुमान में न रहे कि वही इस दुनिया में अक़्लमन्द है
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# इस दुनिया में
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“इस वक़्त”
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# बेवक़ूफ़ बने कि'आलिम हो जाए
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“वह इस दुनिया के ज़रिए'मुक़र्रर बेवक़ूफ़ी को अपनाए कि ख़ुदावन्द का सच्चा'इल्म हासिल करे”।
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# "वह ज्ञानियों को उनकी चतुराई में फंसा देता है"
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“वह'आलिमों को उनकी चालाकी में फंसा देता है और उन्हीं की तरक़ीबों को उनके लिए जाल बना देता है।
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# ख़ुदावन्द'आलिमों के ख़यालों को जानता है।
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इख़्तियारी तर्जुमा: “जो सोचते हैं कि वे अक़्लमन्द है लेकिन ख़ुदावन्द उनकी तरक़ीबों को जानता है”। या “ख़ुदावन्द अक़्लमन्दों की सब तरक़ीबों को सुनता है”।
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# बेकार हैं
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“बेकार”,इख़्तियारी तर्जुमा: “निकम्मी”,या “बेफ़ायदा”
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@ -0,0 +1,11 @@
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# इन्सानों पर कोई घमण्ड न करे
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पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को हिदायत दे रहा है। इख़्तियारी तर्जुमा, “घमण्ड करना छोड़ दो कि हमारा सरबराह दूसरे से ज़्यादा'आलिम है”।
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# घमण्ड
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“बहुत ज़्यादा घमण्ड करना” कुरिन्थ की कलीसिया में बंटी जमा'अत मसीह'ईसा की परस्तिश के बजाय अपने बहादुरों पर घमण्ड करते थे।
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# तुम मसीह के हो और मसीह ख़ुदा का है
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“तुम मसीह के हो और मसीह ख़ुदावन्द का है”
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@ -0,0 +1,7 @@
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# (इस ता'अल्लुक़ में)
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इख़्तियारी तर्जुमा: “क्योंकि हम मुख़्तार हैं”
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# मुख़्तार में यह बात देखी जाती है कि
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इख़्तियारी तर्जुमा: “हमारे लिए ज़रूरी है कि”
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@ -0,0 +1,11 @@
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# यह बहुत छोटी बात है कि तुम पर इन्सानों का कोई मुन्सिफ़ मुझे परखे
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पौलुस इन्सान की'अदालत और ख़ुदावन्द के'अदालत में मुक़ाबला कर रहा है। ख़ुदावन्द इन्सान की'अदालत करता है तब उसके सामने इन्सान के ज़रिए'की गयी'अदालत कोई मतलब नहीं रखती है।
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# मेरा दिल मुझे किसी बात का मुजरिम नहीं ठहराता
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मैंने अपने ऊपर कोई इल्ज़ाम लगाया गया नहीं सुना है”।
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# इससे मैं बेइल्जाम नहीं ठहरता,क्योंकि मेरा'अदालत करने वाला ख़ुदावन्द है।
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जुर्म न होना मेरी बेगुनाही को साबित नहीं करता है। सिर्फ़ ख़ुदा जानता है कि मैं में बेगुनाह हूं या मुज़रिम।
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@ -0,0 +1,15 @@
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# इसलिए....किसी बात का इंसाफ़ न करो
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ख़ुदा जब आएगा तक वह'अदालत करेगा,हमें'अदालत करने की ज़रूरत नहीं है
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# जब तक ख़ुदावन्द न आए
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ख़ुदा के दोबारा आने तक
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# दिलों के मकसदों को
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“इन्सानों के अन्दरूनी मक़सदों को”
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# वही तारीकी की छिपी बातें नूर में दिखायेगा और दिलों के मकसदों को ज़ाहिर करेगा।
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ख़ुदावन्द इन्सान के दिल के ख़याल और मक़सदों को सामने लाएगा। ख़ुदा के सामने कुछ भी छिपा नहीं है।
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@ -0,0 +1,21 @@
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# तुम्हारी वजह से
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”तुम्हारे फ़ायदे के लिए“
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# लिखे हुए से आगे न बढ़ना
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“कलाम
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ए
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मुक़द्दस में जो लिखा है उसके बर'अक्स कुछ न करना”
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# एक के हक़ में और दूसरे के ख़िलाफ़ में फ़ख़्र न करना
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पौलुस कुरिन्थ के ईमानदारों को झिड़क रहा है क्योंकि वे सोचते थे कि पौलुस या अप्पुलोस के ज़रिए'सुनने की वजह वे दूसरों से ज़्यादा अच्छे हैं। इख़्तियारी तर्जुमा, “तुम ग़ैर इन्सानों से अच्छे नहीं”।
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# तेरे पास क्या है,जो तूने(दूसरे से)नहीं पाया?
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पौलुस ज़ोर देकर कहता है कि उनके पास जो है वह ख़ुदावन्द ने उन्हें बिना कमाए दिया है,इख़्तियारी तर्जुमा, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है,वह ख़ुदावन्द ने तुम्हें दिया है ”
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||||
# तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है कि मानो नहीं पाया?
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पौलुस उन्हें झिड़क रहा है कि क्योंकि वे अपनी दौलत पर घमण्ड करते थे, “तुम्हें घमण्ड करने का इख़्तियार नहीं है” या “घमण्ड कभी नहीं करना ”
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@ -0,0 +1,23 @@
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# हो चुके
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पौलुस ठट्ठों के ज़रिए'अपनी बात समझाता है
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# ख़ुदा ने हम रसूलों को...एक तमाशा ठहरे
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ख़ुदावन्द ने हम रसूलों को....एक तमाशा ठहरे<b>ख़ुदावन्द दो तरह से ज़ाहिर करता है कि ख़ुदावन्द ने दुनिया में रसूलों का मुकाशिफ़ा कैसे किया।
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# तमाशा ठहरे हैं
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रोमी फ़ौजी जुलूस के आख़िर में क़ैदियों को सज़ा
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ए
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मौत से पहले बे'इज़्ज़त किया जाता था वैसे ही ख़ुदावन्द ने रसूलों के साथ किया है।
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# उन लोगों के समान....जिनकी मौत का हुक्म हो चुका है
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ख़ुदावन्द ने रसूलों को सज़ा
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ए
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मौत हासिल इन्सानों की तरह मुक़ासिफ़े में रख दिया है।
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# फ़रिश्तों और इन्सानों के लिए
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ग़ैरदुनियावी और दुनियावी दोनों के लिए
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@ -0,0 +1,23 @@
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# हम मसीह के लिए बेवक़ूफ़ हैं,लेकिन तुम मसीह में अक़्लमन्द हो
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पौलुस दुनियावी नज़रिया और मसीह में ईमान के मसीही नज़रिए में फ़र्क़ ज़ाहिर करता है।
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# हम कमज़ोर है,लेकिन तुम ताक़तवर हो
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मसीह में ईमान करने के नज़रिया और दुनियावी नज़रिया का फ़र्क़ पौलुस ज़ाहिर करता है|
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# तुम'इज़्ज़त करते हो
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“इन्सान तुम कुरिन्थवासियों को'इज़्ज़त देते है”
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# हम बे'इज़्ज़त होते हैं
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“इन्सान हम रसूलों की बे'इज़्ज़ती करते हैं”
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# हम इस वक़्त तक
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अब तक” या “आज भी”
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# घूसे खाते हैं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “हमें तशद्दुद से पीटा जाता है”
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@ -0,0 +1,19 @@
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# लोग हमें बुरा कहते हैं,हम बरकत देते हैं
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“जब लोग हमारी बुराई करते हैं तब हम उन्हें बरकत देते हैं ”
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# बुरा
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ठट्ठा ” यक़ीनी “ग़लत लफ़्ज़ ” या “कोसते हैं”
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# जब वे सताते हैं
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“जब इन्सान हमें सताते हैं ”
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# वे बदनाम करते हैं
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“जब लोग ग़ैरमुनासिब तौर से हमें बुरा करने वाला कहते हैं”
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# हम आज तक दुनिया का कूड़ा
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“हम तो हो ही गए है और लोग हमें आज तक दुनिया का कूड़ा कहते है”।
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@ -0,0 +1,19 @@
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# मैं तुम्हें शर्मिंदा करने के लिए ये बातें नहीं लिखता लेकिन....बताता हूं।
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं तुम्हें शर्मिन्दा करने के मक़सद से नहीं लेकिन तुम्हें ईमान में और तरक़्क़ी करने के लिए” या “यह नहीं कि मै तुम्हे नीचा दिखाना चाहता हूँ लेकिन यह है कि मै तुम्हारे ईमान में बेहतरी करना चाहता हूँ।
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# तुम्हारे सिखाने वाले दस हजार भी होते
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उन्हें ता'लीम देने वालों की तादाद की बढ़तरी है,लेकिन एक रूहानी बाप के ख़ासियत पर ज़ोर दिया गया है|
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# प्यारे बेटे...बाप
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पौलुस उन्हें मसीह में लाया था इसलिए वह उनका बाप हुआ।
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# सुधारा
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इख़्तियारी तर्जुमा: “तरक़्क़ी ” या “ज़्यादा अच्छा”
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# मिन्नत
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मज़बूत तरग़ीब देने के लिए ” या “मज़बूत सिफ़ारिश के लिए ”
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@ -0,0 +1,3 @@
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# अब
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पौलुस उनके घमण्डी मिज़ाज को झिड़कने पर ध्यान देता है
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@ -0,0 +1,19 @@
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# आऊंगा
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“मैं तुम्हारे दरमियान हाज़िर होऊंगा ”
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# बातों में नहीं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अलफ़ाज़ का जाल नहीं है” या “तुम्हारे कहने ही से नहीं है”।
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# तुम क्या चाहते हो?
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पौलुस कुरिन्थ के ईमानदारों को उनकी ग़लती पर झिड़कते हुए आख़िरी बार ज़िद कर रहा है। “मुझे बताओ कि तुम अब क्या कहते हो कि किया जाए”।
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# क्या मैं छड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊं या मुहब्बत और हलीमी की रूह के साथ
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पौलुस उनसे कह रहा है कि जब उनके दरमियान आए तो दो से एक सुलूक करे। “क्या तुम चाहते हो कि जब मैं आऊं तो सख़्ती के साथ ता'लीम दूं या तुम चाहते हो कि तुम से तुम्हारे साथ मुहब्बत का सा हलीमी का सुलूक करूं”?
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# हलीमी की रूह
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इख़्तियारी तर्जुमा: “रहम” या “हलीमी ”
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@ -0,0 +1,19 @@
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|||
# ग़ैरक़ौमों में भी नहीं होता
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“ग़ैरक़ौम के लोग भी ऐसा सुलूक क़ुबूल नहीं करते हैं”।
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# रखता है
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“जिन्सी ता'अल्लुक़ात रखता है ”
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# बाप की बीवी
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उसके बाप की बीवी जो हक़ीक़त में उसकी माँ नहीं है
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# तुम मातम तो नहीं करते
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यह असरदार सवाल उन्हें झिड़कने के लिए है, “इसकी बजाय तुम्हें क्या मातम नहीं करना चाहिए”?
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# ऐसा काम करने वाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता।
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“उसे तुम अपनी शराकत से खारिज़ कर दो”
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@ -0,0 +1,23 @@
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# रूह के ऐतबार से
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पौलुस के दिल में हमेशा उनका ख़याल था। “मैं अपने ख़यालों में तुम्हारे दरमियान था ”।
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# ऐसे काम करनेवाले के बारे में यह हुक्म दे चुका हूं
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“मैंने उसे मुजरिम पाया है”
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# इकट्ठे हो
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“इजतमा'करें ”
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# ख़ुदावन्द'ईसा की क़ुव्वत के साथ
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मसीह'ईसा की'इबादत में जमा'होने के लिए यह एक कहावत है।
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# शैतान को दिया जाए
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उस इन्सान को ख़ुदावन्द के लोगों से अलग कर दिया जाए कि वह शैतान की बाहालतही में रहे,कलीसिया के बाहर के दुनिया में।
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# जिस्म के हलाक के लिए
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कि वह बीमार हो जाए,ख़ुदावन्द से गुनाह का सज़ा पाए।
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@ -0,0 +1,11 @@
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# क्या तुम नहीं जानते कि थोड़ा सा ख़मीर पूरे गूंधे हुए आटे को ख़मीर कर देता है?
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जिस तरह कि थोड़ा सा ख़मीर पूरे गूंधे हुए आटे को ख़मीर कर देता है उसी तरह एक छोटा गुनाह भी पूरी मसीही शराकत को आलूदा कर देता है”।
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# क़ुर्बान हुआ
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“ख़ुदा ख़ुदावन्द ने मसीह'ईसा की क़ुर्बानी चढ़ाई”
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# हमारा भी फसह जो मसीह है,क़ुर्बान हुआ
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जिस तरह फ़सह का मेमना इस्राईल के गुनाहों को छिपा देता था ईमान के के ज़रिए'हर साल उसी तरह मसीह की मौत मसीह में ईमान करनेवालों के गुनाह हमेशा छिपाके लिए छिपा देती है।
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# ज़िनाकारों
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वे लोग जो मसीह में ईमान का दा'वा करके ऐसा इंतज़ाम करते हैं।
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# इस दुनिया के ज़िनाकारों
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बेईमान जो ग़ैर इख़लाक़ी ज़िन्दगी जी रहें हैं।
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# लालचियों
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“लालची लोग” या “दूसरों के पास जो है उसकी ख़्वाहिश करते है”।
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# धोकेबाज़ी करने वालों
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या'नी वे लोग जो पैसे या ज़ायदाद के लिए धोखा करते हैं।
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# पौलुस का अभिप्राय दुनिया के भौतिक लोगों से नहीं था क्योंकि ऐसे में तो उन्हें दुनिया से बाहर चले जाना होगा।
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दुनिया में ऐसे सुलूक से बचा कोई स्थान नहीं है,इख़्तियारी तर्जुमा: “इससे बचने के लिए तुम्हें सब इन्सानों से बचना होगा”
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# भाई कहला कर
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जो आप को मसीह का ईमानदार कहे
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# मुझे बाहर वालों का इंसाफ़ करने से क्या काम?
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं कलीसिया से बाहर के इन्सान का'अदालत नहीं करता हूं”।
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# क्या तुम अन्दर वालों का इंसाफ़ नहीं करते
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“तुम्हें कलीसिया के फ़र्द की'अदालत करना है”।
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# झगड़ा
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इख़्तियारी तर्जुमा: “इख़तिलाफ़ात” या “झगड़ा”
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# नारास्तों के पास
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'अदालत जहां मुन्सिफ़ मुक़दमा के फ़ैसला देता है
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# क्या तुम में से किसी को यह बहादुरी है कि....फ़ैसले के लिए नारास्तों के पास जाए?
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पौलुस कहता है कि ईमानदारों को अपने झगड़े आप निपटा लेना चाहिए। इख़्तियारी तर्जुमा: “अपने ईमानदार भाई पर लगाया गया इल्ज़ाम एक बेईमान मुन्सिफ़ के पास न ले जाएं। ईमानदार भाइयों को अपने झगड़े आप निपटा लेना चाहिए।”
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# क्या तुम नहीं जानते कि पाक लोग दुनिया का इंसाफ़ करेंगे?
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पौलुस दुनिया के'अदालत के मुस्तक़बिल की सूरत
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ए
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हाल की बात कर रहा है।
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# जब तुम्हें दुनिया का इंसाफ़ करना है तो क्या तुम छोटे से छोटे झगड़े का भी फ़ैसला करने के लायक़ नहीं?
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पौलुस कहता है कि मुस्तक़बिल में उन्हें पूरी दुनिया की'अदालत करने की ज़िम्मेदारी और क़ाबिलियत'अता की जायेगी। इस वजह से उन्हें हाल के छोटे मोटे झगड़े आपस ही में निपटा लेने चाहिए। “तुम मुस्तक़बिल में दुनिया की'अदालत करोगे,लिहाज़ा इन छोटी
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छोटी बातो की'अदालत उस वक़्त आप ही करो”।
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# वारदात
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“इख़तिलाफ़ात” या “झगड़ा”
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# क्या तुम नहीं जानते कि हम फ़रिश्तों का इंसाफ़ करेंगे?
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“तुम जानते हो कि हम फ़रिश्तों की'अदालत करेंगे ”|
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# हम
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पौलुस और कुरिन्थ की कलीसिया|
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# तो क्या दुनियावी बातों का फ़ैसला न करें
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इख़्तियारी तर्जुमा: “क्योंकि हमें फ़रिश्तों का'अदालत करने का ज़िम्मे'दारी और क़ाबिलियत'अता की जाएगी इसलिए हम यक़ीनन ही इस ज़िन्दगी की बातों का'अदालत कर सकते हैं”।
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@ -0,0 +1,39 @@
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# तुम्हें दुनियावी बातों का फ़ैसला करना हो
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर तुम्हें दैनिक ज़िन्दगी की बातों का फ़ैसला करना हो” या “तुम्हें इस ज़िन्दगी के मौज़ू'आत के बारे में फ़ैसला लेना हो ”।
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# क्या उन्हीं को बैठाओगे
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“तुम्हें ऐसे लोगों को नहीं बैठाना है|”
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# कलीसिया में कुछ नहीं समझे जाते
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पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को झिड़क रहा है कि वे इन बातों का कैसे'अदालत कर रहे है”। इसके मुमकिन मतलब हैं, 1) “तुम्हें अपने मौज़ू'कलीसिया में मुनासिब फ़ैसला लेने में ना
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लायक़ इन्सानों के सामने नहीं रखना चाहिए2) “तुम्हें कलीसिया के बाहर के लोगों के सामने अपने मौज़ू'नहीं रखने चाहिए तुम इन मौज़ू'आत को कलीसिया के उन अफ़राद के सामने भी रख सकते हो जिनकी'इज़्ज़त कलीसिया में नहीं है”।
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# तुम्हें शर्मिंदा करने के लिए
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इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम्हारे अपमान के लिए” या “तुम पर ज़ाहिर करने के लिए कि तुम कैसे चूक गए हो”।
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# क्या सचमुच तुम में एक भी अक़्लमन्द नहीं मिलता जो अपने भाइयों का फ़ैसला कर सके?
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“तुम्हें एक अक़्लमन्द ईमानदार को खोजकर ईमानदारों के बहस
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ओ
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मुबाहिशा सुलझाना चाहिए”।
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# झगड़ा
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“इख़तिलाफ़ात” या “झगड़ा”
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# लेकिन जैसा कि खड़ा है
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इख़्तियारी तर्जुमा: “लेकिन अभी ये रास्ता है” या “लेकिन बजाय”
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# भाई
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भाई में मुकद्दमा होता है और वह भी बेईमानों के सामने
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इख़्तियारी तर्जुमा: “आपस में झगड़ने वाले ईमानदार बेईमान मुन्सिफ़ों के पास'अदालत के लिए जाते है ”।
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# मुक़द्दमा होता है
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“ईमानदार मुक़द्दमा करता है ”
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# अपनी नुक़सान
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इख़्तियारी तर्जुमा: “नाकामी” या “नुकसान”
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# बेइंसाफ़
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इख़्तियारी तर्जुमा: “बादमिज़ाजी ” या “धोखा ”
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# बेइंसाफ़ी क्यों नहीं सहते?नुक़सान क्यों नहीं सहते
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इख़्तियारी तर्जुमा:मुनासिब तो यह है कि'अदालत में जाने के बजाय नाइन्साफ़ी बर्दाश्त कर लो,नुक़सान उठा लो।
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# अपने भाइयों और बहनों
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सब मसीही ईमानदार आपस में भाई
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बहन हैं,इख़्तियारी तर्जुमा: “साथी ईमानदारों को”
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@ -0,0 +1,39 @@
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|||
# क्या तुम नहीं जानते
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||||
वह इस बात पर ज़ोर देता है कि उन्हें तो इस हक़ीक़त का'इल्म होना चाहिए था। इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम तो यह जानते ही हो”|
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# ख़ुदा के बाहालतही के वारिस न होंगे
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'अदालत के वक़्त ख़ुदावन्द उन्हें रास्तबाज़ नहीं ठहराएगा और वे हमेशा की ज़िन्दगी नहीं पाएंगे”।
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# बदकार
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आदमी के साथ जिन्सी ता'अल्लुक़ रखने वाला ज़रूरी नहीं कि वह पैसा ले।
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# लवातत रखनेवाले
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आदमी के साथ जिन्सी ता'अल्लुक़ करे
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# चोर
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“चोरी करने वाले” या “लूटनेवाले”
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# लालचियों
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इख़्तियारी तर्जुमा: "वे इन्सान जो माल जमा'करते हे जिससे और लोग महरूम रह जाते हैं।"
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# अन्धेर करने वाले
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इख़्तियारी तर्जुमा: “धोखा देने वाले” या “ फ़रेब करने वाले
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चोरी करने वाले”
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# धोए गए –ख़ुदावन्द ने तुम्हें पाक कर दिया है|
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# और पाक हुए
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ख़ुदावन्द ने तुम्हें पाक कर दिया है।
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# रास्तबाज़ी ठहरे
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ख़ुदावन्द ने तुम्हें अपने साथ मुनासिब रिश्ते में कर लिया है|
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@ -0,0 +1,23 @@
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# “सब चीज़ें मेरे लिए जायज़ तो हैं”
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इख़्तियारी तर्जुमा: “कुछ लोग कहते हैं,मैं कुछ भी कर सकता हूं” या “मुझे कुछ भी करने की इजाज़त है ” ।
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# लेकिन सब चीज़ें फ़ायदे की नहीं
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“लेकिन मेरे लिए सब फ़ायदेमंद नहीं है”
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# मैं किस बात के ताबे'हूंगा
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मुझ पर कुछ भी मालिक होकर हुकूमत न करे”।
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# "खाना पेट के लिए और पेट खाना के लिए है,लेकिन ख़ुदा...दोनों को बर्बाद करेगा।"
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“कुछ का कहना है,खाना पेट के लिए और पेट खाने के लिए,लेकिन ख़ुदावन्द खाना और पेट दोनों का आख़िर कर देगा।
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# पेट
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जिस्म का'उज्व पेट
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# तबाह कर देगा
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“आख़िर कर देगा”
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@ -0,0 +1,15 @@
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# ख़ुदावन्द को जिलाया
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“'ईसा को दोबारा ज़िन्दा किया”
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# क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी जिस्म मसीह के'आज़ा हैं?
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||||
जिस तरह हमारे हाथ और पैर हमारी जिस्म के आ'ज़ा हैं उसी तरह हमारा जिस्म मसीह के जिस्म या'नी कलीसिया का'उज्व है। इख़्तियारी तर्जुमा: “तुम्हारी जिस्म मसीह का'उज्व है”।
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||||
|
||||
# तो क्या मैं मसीह के'आज़ा लेकर कस्बी के'आज़ा बनाऊं?
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा:“तुम मसीह के जिस्म का'उज्व हो,मैं तुम्हें कस्बी से जुड़ने नहीं दूंगा ”?
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||||
# हरगिज़ नहीं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ऐसा कभी ना हो”
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@ -0,0 +1,7 @@
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# क्या तुम नहीं जानते
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“तुम जानते हो”। पौलुस इस हक़ीक़त पर ज़ोर दे रहा है कि वे उस बात को जानते है।
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# जो ख़ुदावन्द की रफ़ाक़त में रहता है,वह उसके साथ एक रूह हो जाता है
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इख़्तियारी तर्जुमा: “जो ख़ुदा के साथ जुड़ता है,वह उसके साथ रूह में एक हो जाता है”।
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@ -0,0 +1,11 @@
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# बचे रहो
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इन्सान वैसे मुसीबत से दूर भागता है वैसे ही गुनाह से भागने का मतलब यहां ज़ाहिर है। “दूर हो जाओ”।
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# गुनाह इन्सान करता है
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इख़्तियारी तर्जुमा: “करता है” या “शरीक होता है”
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# वे जिस्म के बाहर हैं,लेकिन ज़िनाकार करनेवाला अपनी ही जिस्म के ख़िलाफ़ गुनाह करता है।
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ज़िनाकारी का गुनाह का नतीजा इन्सान के जिस्म को बीमार करता है,लेकिन और गुनाह उसके अपने जिस्म को ऐसा नुक़सान नहीं पंहुचाते है।
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@ -0,0 +1,19 @@
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# क्या तुम नहीं जानते
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“तुम जानते हो” पौलुस ज़ोर देकर कहता है कि वे इस सच्चाई से अनजान हैं।
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# जिस्म
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हर ईमानदार का जिस्म पाक रूह का रहने की जगह है।
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# पाक रूह का मक़्दिस
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मक्दिस ग़ैरदुनियावी ताक़त को पेश किया जाता है और वह उसमें रहा करती है। इसी तरह कुरिन्थ के हरएक ईमानदार के जिस्म एक मक्दिस है,जिसमें पाक रूह रहा करती है।
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# क़ीमत देकर ख़रीद लिए गए हो
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||||
ख़ुदावन्द ने कुरिन्थ के ईमानदारों को क़ीमत देकर गुनाह के ग़ुलामी में से निकाल लिया था।। इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदावन्द ने तुम्हारी आज़ादी के लिए क़ीमत दी है”
|
||||
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||||
# इस वजह से
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इख़्तियारी तर्जुमा: “लिहाज़ा” या “क्योंकि यह सच है इसलिए....”या “इस सच्चाई की वजह”
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@ -0,0 +1,27 @@
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# अब
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पौलुस अपनी ता'लीम में एक नया जुमला शुरू'करता है।
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# उन बातों के बारे जो तुमने लिखी
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उन्होंने कुछ बातों के बारे में पौलुस से ख़त लिखकर पूछा था
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# मर्द
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यहाँ कहने का मतलब है शौहर
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# यह अच्छा है
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इख़्तियारी तर्जुमा: “यह मुनासिब और क़ुबूल है”
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# 'औरत को न छूए
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“शौहर का बीवी के साथ जिस्मानी ता'अल्लुक़ नहीं बनाना भी कभी मुनासिब होता है”।
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# ज़िनाकार के डर से
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इख़्तियारी तर्जुमा: “क्योंकि इन्सान जिस्मानी ख़्वाहिशात के गुनाह की आज़माइश में गिर सकता है”।
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# हर एक मर्द की बीवी और हर एक'औरत का शौहर हो
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इसे कई शादी की शफाक़त के लिए इसे ज़ाहिर करता है। “हर एक आदमी की एक ही बीवी हो और हर'औरत का एक ही शौहर हो”।
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@ -0,0 +1,4 @@
|
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# बीवी का हक
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शौहर
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बीवी दोनों ही एक जैसे जिंसी जिम्मे'दारी पूरी करें।
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@ -0,0 +1,34 @@
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# एक दूसरे से अलग न रहो
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अपने शरीक
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ए
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हयात को जिस्मानी ख़्वाहिश से महरूम मत करो ”।
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||||
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# दु'आ के लिए छुट्टी मिले
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||||
आपसी रज़ामंदी से जिस्मानी ख़्वाहिशात से महरूम होना मुनासिब है लेकिन सिर्फ़ ज़्यादा दु'आओं के लिए यहूदियों में यह छूट1
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||||
2हफ्ते की होती था।
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# फिर एक साथ रहो
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“हाज़िर रहो”
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||||
# फिर एक साथ रहो
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“जिन्सी ता'अल्लुक़ में लौट आओ”
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# तुम्हारी बेसब्री की वजह से
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इख़्तियारी तर्जुमा: “क्योंकि कुछ वक़्त बा'द तुम्हारी जिस्मानी ख़्वाहिश क़ाबू में नहीं रहेगी”।
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# मैं जो यह कहता हूं यह इजाज़त है न कि हुक्म है
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||||
पौलुस कुरिन्थ के ईमानदारों को मशविरा देता है कि दु'आ ही के लिए वे जिन्सी ता'अल्लुक़ में वक्फ़ा रखें लेकिन यह एक अलग बात है,एक ख़ास ज़रूरत नहीं है।
|
||||
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||||
# जैसा मैं हूं
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पौलुस की तरह कुवाँरा(या तो पुराना शादीशुदा या कुवाँरा)
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# हर एक को ख़ुदा की ओर से ख़ास ने'मत मिले हैं,किसी को किसी तरह और किसी को किसी और तरह का
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदावन्द ने एक इन्सान को एक क़ाबिलियत से संवारा है तो दूसरे को दूसरी से”
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@ -0,0 +1,21 @@
|
|||
# कुवांरों
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||||
“जो इस वक़्त शादी की बन्दिश में नहीं हैं” इसमें कुवाँरा और तलाकशुदा और जिस आदमी की बीवी मर गयी सब हैं।
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||||
# बेवाओं
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||||
|
||||
जिस'औरत का शौहर मर गया है,
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||||
|
||||
# अच्छा है
|
||||
|
||||
अच्छा है
|
||||
यहां “अच्छा लफ़्ज़ का मतलब मुनासिब और क़ुबूल है। इख़्तियारी तर्जुमा: “मुनासिब और क़ुबूल है”।
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|
||||
# शादी
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||||
शौहर
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||||
बीवी हो जाएं
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||||
# बेख़ुद
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लगातार जिन्सी ख़्वाहिश के काबू में रहने से”
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@ -0,0 +1,17 @@
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|||
# शादीशुदा
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शरीक
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||||
ए
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हयात से(शौहर या बीवी)
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# अलग न हो
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ज़्यादातर यूनानी लफ़्ज़ साफ़ नहीं करते कि जायज़ शादी तलाक न हो सिर्फ़ अलग हों। ज़्यादातर शौहर बीवी के लिए अलग रहने का मतलब था तलाक़।
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|
||||
# छोड़े
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इसका मतलब भी तलाक से ही है। ऊपर जुमला देखें। इसका मतलब जायज़ तलाक़ या सिर्फ़ अलग रहने से है।
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# मेल कर ले
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“वह अपने शौहर से समझौता करके लौट आए”
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@ -0,0 +1,15 @@
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# ख़ुश हो
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“चाहत हो” या “मुतम'इन है”
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# बेईमान शौहर से जुदा है
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“ख़ुदावन्द ने उस बेईमान शौहर को जुदा कर दिया है ”
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# बेईमान बीवी....जुदा है
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“ख़ुदावन्द ने इस बेईमान बीवी को जुदा कर दिया है “
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||||
# वे जुदा हैं
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|
||||
ख़ुदावन्द ने उन्हें जुदा कर दिया है।
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@ -0,0 +1,11 @@
|
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# ऐसी हालत में कोई भाई या बहन बन्दिश में नहीं
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“ऐसी हालत में ईमानदार शौहर/बीवी पर शादी की बन्दिश नहीं है ”
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||||
# ऐ'औरत,तू क्या जानती है कि तू अपने शौहर की नजात करा लेगी?
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“तू नहीं जानती कि अपने बेईमान शौहर की नजात करा पाएगी या नहीं”?
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# ऐआदमी,तू क्या जानता है कि अपनी बीवी की नजात करा पाएगा?
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“तू नहीं जानता कि अपनी बेईमान बीवी की नजात करा पाएगा या नहीं”।
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@ -0,0 +1,19 @@
|
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# हर एक को
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“हरएक ईमानदार को”
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# सब कलीसियाओं में ऐसा ही ठहराता हूं
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पौलुस सब कलीसियाओं में ईमानदारों को ऐसी ही मिज़ाज की ता'लीम दे रहा था।
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# ख़तना किया हुआ बुलाया गया हो वह नामख़्तून न बने।
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पौलुस सब कलीसियाओं में ईमानदारों को ऐसी ही मिज़ाज की ता'लीम दे रहा था।
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# ख़तना किया हुआ बुलाया गया हो वह नामख़्तून न बने।
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पौलुस ख़तना वालों(यहूदियों से कह रहा है)जिन्होंने ख़तना करा लिया था वे बुलाहट के वक़्त ख़तना की हालत में थे।
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# जो नामख़्तून बुलाया गया हो वह ख़तना न करवाए
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अब पौलुस नामख़्तूनों को कह रहा है। “नामख़्तूनों ख़ुदावन्द ने जब तुम्हें बुलाया था तब तुम्हारा ख़तना नहीं हुआ था।”
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@ -0,0 +1,24 @@
|
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# जिस हालत में बुलाया गया हो उसी में रहे
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यहां “बुलाया गया” का हवाला ख़िदमत या दुनियावी सतह से है जिसमें आप थे “वैसे ही रहो और काम करो जैसे थे”।
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# अगर तू ग़ुलाम की हालत में बुलाया गया?
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदावन्द की बुलाहट के वक़्त ग़ुलाम था ”
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# ख़ुदावन्द का आज़ाद किया हुआ
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यह आज़ादी ख़ुदा की देन है,लिहाज़ा शैतान और गुनाह से आज़ाद है
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# तुम क़ीमत देकर ख़रीद लिए गए हो
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मसीह ने अपनी जान देकर तुम्हें ख़रीद लिया है
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# बुलाया गया
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“जब ख़ुदावन्द ने हमें बुलाया कि उसमें ईमान करें ”|
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# (हमारे
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हम)
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सब ईमानदार
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# कुँवारियों के बारे में ख़ुदा का कोई हुक्म मुझे नहीं मिला
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ऐसी हालत के बारे में पौलुस को ख़ुदा की ता'लीम याद नहीं है। इख़्तियारी तर्जुमा: “जिन्होंने कभी शादी नहीं की उनके लिए मुझे ख़ुदा से कोई इजाज़त हासिल नही है”
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# मेरी समझ में
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पौलुस सफ़ाई देता है कि शादी से मूत'अल्लिक़ ये हिदायत उसके ख़याल से हैं,ख़ुदा का हुक्म नहीं हैं।
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# इस वजह से
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इख़्तियारी तर्जुमा: “लिहाज़ा” या “ इस वजह”
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# मुसीबत की वजह से
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इख़्तियारी तर्जुमा: “आनेवाले तबाही की वजह”
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@ -0,0 +1,23 @@
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# अगर तेरे बीवी है
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पौलुस शादीशुदा मर्द से कह रहा है,इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर तू शादीशुदा है”।
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# अलग होने की कोशिश न कर
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इख़्तियारी तर्जुमा: “शादी के बाँध से आज़ाद होने की कोशिस मत कर”
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# अगर तेरे बीवी नहीं
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अब पौलुस ग़ैरशादीशुदा से कह रहा है,इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर इस वक़्त तुम बिना बीवी के हो”
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# “बीवी की खोज न कर”
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इख़्तियारी तर्जुमा: “शादी का ख़याल मत कर”
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# (वक़्फ़)
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“किया” या “शरीक”
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# मैं बचाना चाहता हूं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं नहीं चाहता कि...”
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# वक़्त कम किया गया है
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इख़्तियारी तर्जुमा: “वक़्त बहुत कम है” या “वक़्त तक़रीबन ख़त्म हो गया है”
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# रोते
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इख़्तियारी तर्जुमा: “रोएं” या “आंसू बहाकर ग़मगीन हों ”
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# उनके पास कुछ भी नहीं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “उनके पास दौलत है ही नहीं”
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# दुनिया के साथ सुलूक़ करने वाले
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इख़्तियारी तर्जुमा:“जो रोज़ बेईमानों के साथ लेन
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देन करते है"
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# दुनिया में तक्मील करनेवालों को ऐसा सुलूक़ क्यों करना है कि मानों उन्हें दुनिया से कोई मतलब नहीं?
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इख़्तियारी तर्जुमा: “जैसे कि उन्होंने बेईमानों के साथ कोई सुलूक नहीं किया”
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# दुनिया की तरीक़े और सुलूक़ बदलते जाते हैं
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क्योंकि दुनिया पर शैतान की बादशाही जल्दी ही ख़त्म होगी
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# फ़िक्र न हो
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इख़्तियारी तर्जुमा: “सुकून मिले” या “बेफ़िक्र रहो ”
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# फ़िक्र में रहता है
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ध्यान में रहता है”
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# दुनिया की बातों की
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इख़्तियारी तर्जुमा:“ख़ुदावन्द को और अपनी बीवी दोनों को ख़ुश करना चाहता है”
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@ -0,0 +1,7 @@
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# फंसने के लिए
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इख़्तियारी तर्जुमा: “बोझ डालने के लिए” या “बन्दिश में रखने के लिए”
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# ख़िदमत में
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुदा में ध्यान लगाए रहो”
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@ -0,0 +1,11 @@
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# हक मार रहा हूं
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“सख़्ती का सुलूक कर रहा हूं” या “'इज़्ज़त'अता'नहीं करता”
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# कुंवारी
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इसके मुमकिन मतलब हैं, 1) “जिसे उसे मैंने उसे शादी का कलाम दिया है।”2)“उसकी कुंवारी बेटी”
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# शादी होने दे
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मुमकिन मतलब है, 1)“वह अपनी मंगेतर से शादी करे।”2) “अपनी बेटी की शादी कर दे।”
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@ -0,0 +1,23 @@
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# जब तक...शौहर ज़िन्दा रहता है
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“जब तक वह मर न जाए”
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# जिस से चाहे
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अपनी मर्ज़ी से”
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# सिर्फ़ ख़ुदावन्द में
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर उसका दूसरा शौहर ईमानदार है”
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# मेरे ख़याल में
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“ख़ुदावन्द के कलाम की मेरी समझ में”
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# और भी मुबारक है
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“ज़्यादा ख़ुश है” या “ज़्यादा सुकून पाएगी”
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# जैसे है वैसी ही रहे
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इख़्तियारी तर्जुमा:“ग़ैर शादीशुदा रहे”
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# अब बुतों....के बारे में
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पौलुस इस इज़हार के ज़रिए'कुरिन्थ की कलीसिया के ज़रिए'पूछे गए अगले सवाल पर आता है
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# बुतों के सामने क़ुर्बानी की हुई चीज़ों
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विजातियां अपने मा'बूदों को खाना,मछली,मुर्गी या मांस चढ़ाते थे। पुजारी क़ुर्बानगाह पर उसका एक'उज्व जला देता था लेकिन जो'उज्व बचा रहता था वह'इबादत करने वाले को लौटा दिया जाता था या बाजार में बेचा जाता था। पौलुस इसी के बारे में बात कर रहा है।
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||||
# हम जानते हैं कि हम सब को'इल्म है
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||||
पौलुस कुछ कुरिन्थ बाशिन्दों के ज़रिए'की गई तरक़ीब का मिसाल दे रहा है,इख़्तियारी तर्जुमा: “हम सब जानते है,जैसा तुम आप कहना चाहते हो ” हम सब को'इल्म है”।
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||||
# घमण्ड पैदा करता है
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||||
“इन्सान को घमण्डी बनाता है” या “इन्सान जो हक़ीक़त में है नहीं,उससे ज़्यादा आप को समझे”।
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# अगर कोई समझे कि मैं कुछ जानता हूं
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“अपने ख़याल में कुछ बातों का सब कुछ जानने वाला है”
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# ख़ुदा उसे पहचानता है
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“ख़ुदावन्द उसे जानता है”
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@ -0,0 +1,24 @@
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# हमें
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पौलुस और कुरिन्थ के ईमानदार
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# पौलुस कुरिन्थ के कुछ ईमानदारों के ज़रिए'इस्ते'माल शरी'अत ही का इस्ते'माल कर रहा है।
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||||
“हम सब जानते हें,जैसा तुम आप जानना चाहते हो,इख़्तियारी तर्जुमा: “बुत हमारे लिए नाक़ाबिल और बेफ़ायदा हैं”
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# बुत दुनिया में कोई चीज़ नहीं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “दुनिया में बुत कुछ भी नहीं है”
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# बहुत से ख़ुदा और बहुत से ख़ुदावन्द
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<b>बहुत से मा'बूद और बहुत से ख़ुदा<b>
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पौलुस बहुत से ख़ुदा में ईमान नहीं करता था लेकिन वह क़ुबूल करता है कि ग़ैरक़ौमों की यह सोच थी।
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|
||||
# हमें
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पौलुस और कुरिन्थ के ईमानदार
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# हमारे लिए
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“हम ईमान करते हैं”
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@ -0,0 +1,7 @@
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# सबको...कुछ तो
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“सब इन्सानों को...कुछ इन्सान तो”
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# नापाक
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“तबाह” या “बर्बाद ”
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@ -0,0 +1,19 @@
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# खाना हमें ख़ुदा के क़रीब नहीं पहुंचाता
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||||
“खाना हमें ख़ुदावन्द के फ़ज़ल के क़ाबिल नहीं बनाता ” या “हमारा खाना ख़ुदावन्द को ख़ुश नहीं करता है”।
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||||
# अगर हम नहीं खाए तो हमारी कुछ नुक़सान नहीं और अगर खाएं तो हमें कुछ फ़ायदे नहीं।
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||||
“अगर हम खाएं तो हमें कोई नुक़सान नहीं और खाएं तो कोई फ़ायदा नहीं।”
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||||
# हिम्मत न हो जाएगा
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||||
“तरग़ीब न मिलेगी”
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# कमज़ोर भाई
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“ईमान में क़ायम भाई”
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# खाना करते
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“दावत में” या “खाते देखें ”
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@ -0,0 +1,11 @@
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# कमज़ोर भाई....बर्बाद हो जाएगा
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“भाई बहन जो ईमान में मज़बूत नहीं वह गुनाह में गिरेगा/गिरेगी या ईमान से भटक जाएगा/जाएगी”
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# इस वजह से
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“इस आख़िरी'अहद की वजह”
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# अगर खाना...ठोकर खिलाए
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||||
“अगर खाना खाने से” या “खाने की तरग़ीब से”
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@ -0,0 +1,19 @@
|
|||
# क्या मैं आज़ाद नहीं?
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||||
|
||||
इस असरदार सवाल के ज़रिए'पौलुस उन्हें अपने इख़्तियार याद कराता है। इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं आज़ाद हूं ”।
|
||||
|
||||
# क्या मैं रसूल नहीं?
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||||
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||||
इस असरदार सवाल के ज़रिए'पौलुस उन्हें अपने रसूल होने का और अपने इख़्तियार की याद दिलाता है, “मैं एक रसूल हूं ”।
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||||
|
||||
# क्या मैंने'ईसा को...नहीं देखा?
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||||
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||||
इस असर पैदा करने वाले सवाल के ज़रिए'पौलुस उन्हें याद कराता है कि वह कौन है। “मैंने अपने ख़ुदा'ईसा को देखा है ”।
|
||||
|
||||
# क्या तुम ख़ुदावन्द में मेरे बनाए हुए नहीं?
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||||
|
||||
इस असरदार सवाल के ज़रिए'पौलुस उन्हें उसके साथ उसके ता'अल्लुक़ात की याद कराता है। “मसीह में तुम्हारा ईमान मेरी मसीही ख़िदमत का नतीजा है।”
|
||||
|
||||
# छाप हो
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||||
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “मसीह में तुम्हारा ईमान साबित करता है”
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@ -0,0 +1,16 @@
|
|||
# क्या हमें खाने पीने का इख़्तियार नहीं?
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||||
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “हमें पूरा इख़्तियार है कि हम कलीसियाओं से खाना
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||||
पानी लें ”
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||||
# हम
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||||
या'नी पौलुस और बरनबास|
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||||
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# क्या हमें यह इख़्तियार नहीं कि किसी मसीही बहन के साथ शादी करके उसे लिए फिरें जैसा और रसूल और ख़ुदावन्द के भाई और कैफा करते हैं?
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||||
|
||||
“अगर हमारे पास ईमानदार बीवियां हों तो हमें इख़्तियार है कि उन्हें साथ लेकर सफ़र करें क्योंकि और रसूल भी ऐसा ही करते हें,ख़ुदा का भाई और कैफा ”
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||||
|
||||
# या सिर्फ़ मुझे और बरनबास को ही इख़्तियार नहीं,कि कमाई करना छोड़ें?
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||||
|
||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “बरनबास और मुझे इख़्तियार है कि काम करना छोड़ दें” या “लेकिन तुम बरनबास और मुझ से उम्मीद करते हो कि पैसा कमाने के लिए काम करें”।
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|
@ -0,0 +1,19 @@
|
|||
# कौन कभी गिरह से खाकर सिपाही का काम करता है?
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||||
“फ़ौजी अपने पैसे से ख़िदमत नहीं करता है”
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||||
# कौन अंगूर का बाग़ लगाकर उसका फल नहीं खाता?
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “अँगूर का बाग़ लगाने वालों यक़ीनन ही उसका फल खाएगा” या “अँगूर का बाग़ लगानेवाले से कोई भी उसका फल न खाने की उम्मीद नहीं करता है”।
|
||||
|
||||
# कौन भेड़ों की रखवाली करके उसका दूध नहीं पीता?
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||||
“भेड़ों का रखवाला उनका ही दूध पीता है” या “भेड़ों के रखवाले से कोई उम्मीद भी करता है कि उनका दूध न पीये ए”।
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||||
|
||||
# क्या मैं ये बातें इन्सान ही के तरीक़े पर बोलता हूं?
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“मैं ये बातें इन्सानी रिवायत पर मुन्हस्सर नहीं करता हूं ”।
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||||
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||||
# क्या शरी'अत भी यही नहीं कहती है?
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||||
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||||
“मूसा की शरी'अत में भी यही लिखा है ”
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@ -0,0 +1,15 @@
|
|||
# क्या ख़ुदा बैलों ही की फ़िक्र करता है?
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||||
|
||||
“ख़ुदावन्द सिर्फ़ बैल ही की फ़िक्र सबसे ज़्यादा नहीं करता है”।
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||||
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||||
# या ख़ास करके हमारे लिए कहता है?
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा:“ख़ुदावन्द यक़ीनन ही हमारे बारे में कह रहा है ”
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|
||||
# हमारे लिए
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||||
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||||
“हमारे” या'नी पौलुस और बरनबास
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||||
# तो क्या यह कोई बड़ी बात है कि तुम्हारी जिस्मानी चीज़ों की फसल काटें?
|
||||
|
||||
“तुम से जिस्मानी मदद लेना हमारे लिए कोई अनहोनी बात नहीं है”।
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|
@ -0,0 +1,19 @@
|
|||
# जब दूसरों का
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||||
“पैग़ाम सुनाने वाले और ख़ादिमो को”
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||||
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||||
# यह इख़्तियार है
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||||
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||||
पौलुस जिस इख़्तियार की बात कर रहा है वह है कि कुरिन्थ की कलीसिया पौलुस की रोज़ी का बोझ उठाए क्योंकि उन्हें सबसे पहले अच्छा पैग़ाम सुनानेवाला वही था।
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||||
|
||||
# तो क्या हमारा इससे ज़्यादा न होगा?
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||||
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||||
“हमारा” या'नी पौलुस और बरनबास का “हमारा इख़्तियार और भी ज़्यादा है”।
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# रूकावट न हो
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||||
“बोझ न हो” या “'एलान में रुकावट न हो ”
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||||
# जो ख़ुशख़बरी सुनाते हैं उनकी रिज़्क़ ख़ुशख़बरी से हो
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||||
“अच्छी ख़बर सुनाने के के ज़रिए'रोज़ मदद हासिल करे ”
|
|
@ -0,0 +1,19 @@
|
|||
# मैं इनमें से कोई भी बात काम में न लाया
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “ये फ़ायदा” या “जिनके हम लायक़ हैं”
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|
||||
# मेरे लिए ऐसा किया जाए
|
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “तुमसे कुछ हासिल करूं” या “तुम मेरे लिए रोज़ इंतज़ाम करो”
|
||||
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||||
# बेकार ठहराए
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “महरूम करे” या “पहुंचने न दे”
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# यह तो मेरे लिए ज़रूर है
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||||
“मुझे अच्छी ख़बर सुनाना ज़रूरी है”
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||||
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||||
# तो मुझ पर अफ़सोस
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “मेरी क़िस्मत फूटे”
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@ -0,0 +1,27 @@
|
|||
# अगर अपनी मर्ज़ी से यह करता हूं
|
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||||
“अगर मर्ज़ी से अच्छी ख़बर सुनाता हूं”
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||||
# अपनी मर्ज़ी से
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “ख़ुशी” या “अपनी मर्ज़ी पर मुन्हस्सिर ”
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||||
# मुख़्तारी मुझे सौंपी गयी है
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||||
|
||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “मुझे यह काम करना है क्योंकि ख़ुदावन्द ने इसे दौलतमन्द करने के लिए मुझ पर भरोसा किया है”
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||||
# मेरी कौन सी मज़दूरी है?
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||||
|
||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “यह मेरा अज्र है”
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||||
|
||||
# यह कि ख़ुशख़बरी सुनाने में मैं मसीह का ख़ुशख़बरी सेंत मेंत कर दूं,यहां तक कि ख़ुशख़बरी में मेरा जो इख़्तियार है उसको भी मैं पूरे तरीक़े से काम में न लाऊं।
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||||
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “अच्छी ख़बर सुनाने का मेरा जो अज्र है वह है कि मैं किसी के भी अहसान से आज़ाद अच्छी ख़बर सुना सकता हूं”
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||||
# ख़ुशख़बरी सुनाने में
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “अच्छी ख़बर सुनाने की ख़ातिर”
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||||
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||||
# ख़ुशख़बरी में जो मेरा इख़्तियार है
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||||
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “मेरा'एलान सफ़रों के लिए ईमानदारों से पैसे की मदद लूं”।
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@ -0,0 +1,13 @@
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|||
# ज़्यादा लोगों को खींच लाऊं
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||||
“इन्सानों को ईमान करने के लिए रसूल करूं” या “इन्सानों को मसीह में ईमान करने में मदद करूं”
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# यहूदी बना
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा: “मैंने यहूदियों का सा सुलूक़ किया” या “यहूदियों की रिवाज़ों का'अमल किया”
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# शरी'अत के ताबे'बना
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||||
इख़्तियारी तर्जुमा:“यहूदी सरबराहों की इजाज़त के ताबे'रहा और वे कलाम
|
||||
ए
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||||
मुक़द्दस की जैसी भी तशरीह करते थे,उसे क़ुबूल किया”।
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|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# शरी'अत पर'अमल न करने वालों के लिए
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वे लोग मूसा के दिए हुए क़वानीन का'अमल नहीं करते थे या'नी गैर क़ौमों के लिए,इख़्तियारी तर्जुमा: “यहूदियों के तरीक़े से आज़ाद इन्सानों के लिए”।
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|
@ -0,0 +1,19 @@
|
|||
# क्या तुम नहीं जानते कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही है,लेकिन इनाम एक ही ले जाता है।
|
||||
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इस सवाल के हिक़ायक़ की समझ की जवाब की ज़रूरत है, “हां,मैं जानता हूं कि दौड़ मुक़ाबला में बहुत से हम मुक़ाबिल होते हैं,लेकिन इनाम पाने वाला एक ही होता है”।
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# दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं
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पौलुस मसीही ज़िन्दगी और ख़ुदावन्द की ख़िदमत की मिसाल दौड़ और दौड़ने वाले से करता है। जैसे दौड़ का ज़ब्त कठिन होता है उसी तरह मसीही ज़िन्दगी और ख़िदमत में भी कठिनाई ज़ब्त और एक ही मक़सद होता है।
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# इनाम एक ही ले जाता है
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एक लगन के साथ दौड़ना कि क़ामयाबी हासिल हो,इसकी मिसाल उस ख़िदमत से की गई है जो ख़ुदावन्द हमसे चाहता है।
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# ताज
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ताज क़ामयाबी का निशान है जो उस प्रोग्राम के हाकिम के ज़रिए'दिया जाता है। यह मिसाल ख़ुदावन्द को'इज़्ज़त'अता करने की ज़िन्दगी की एक मिसाल है। ख़ुदावन्द नजात की निशानी ताज देता है।
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# आप ही किसी तरीक़े से निकम्मा ठहरूं
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इसका मुक़र्रर तर्जुमा होगा, “मुन्सिफ़ कहीं मुझे नाक़ाबिल न साबित कर दे ”
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# हमारे बाप
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दादे
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पौलुस ख़ुरूज की किताब में मूसा के वक़्त की बात कर रहा है जब वे मिस्री फ़ौज के डर से लाल समन्दर पार कर रहे थे। यहां “हमारे” शामिल है “सब यहूदियों के बुज़ुर्ग ”|
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# सब ने...मूसा का बपतिस्मा लिया
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इख़्तियारी तर्जुमा: “सब मूसा के सामने उसकी पैरवी कर रहे थे”
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# समुद्र के बीच से पार हो गए
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“मिस्र से निकलने के बा'द उन सब ने लाल समन्दर पार किया”
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# बादल में
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दिन में उनकी रहनुमाई करनेवाला बादल ख़ुदावन्द की हाज़िरी की निशानी था।
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# वह चट्टान मसीह था
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“चट्टान” मसीह की अटूट क़ुदरत का निशान है जो पूरे सफ़र उनके साथ था। वे उसकी हिफ़ाज़त और इत्मीनान पर मुनहसर कर सकते थे।
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# ख़ुश न हुआ
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“नाख़ुश” या “नाराज़”
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# बहुतों से
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इस्राईलियों के बुज़ुर्गों से
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# जंगल में
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मिस्र और इस्राईलल के दरमियान का जंगल जिसमें वे40साल से भटक रहे थे।
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# मिसाल
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इस्राएलियों के लिए ता'लीम या मिसाल
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# बुरी चीज़ों का लालच
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ख़ुदावन्द की'इज़्ज़त न करने वाली बातों की ख़्वाहिश करना
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# बुतपरस्त
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“बुतों की परिश्तिश करने वाले”
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# खाने
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पीने बैठे
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“दावत के लिए बैठे”
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# एक दिन में तेईस हजार मर गए
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“ख़ुदावन्द ने एक ही दिन में तेईस हजार लोगों को मार डाला”
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# इसलिए
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इख़्तियारी तर्जुमा: “क्योंकि उन्होंने नाजायज़ जिन्सी ता'अल्लुक़ किया”
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# न तुम कुड़कुड़ाओ
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शिकायत करना और नाराज़गी ज़ाहिर करना”
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# हलाक करने वाले के ज़रिए'हलाक किए गए
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“मौत के फ़रिश्तों ने उन्हें तबाह किया”
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# हलाक किया जाए
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इख़्तियारी तर्जुमा:“मार डाला”
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# ये सब बातें जो उन पर पड़ीं
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बदकारों के नतीजे की शक़्ल सज़ा
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# तम्सील के तरीक़े पर थी और हमारी...
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“हमारी” या'नी सब ईमानदारों
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# क़ायनात के आख़िरी वक़्त
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“आख़िरी दिनों”
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# कहीं गिर पड़े
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गुनाह न करे या ख़ुदावन्द की'इज़्ज़त करें
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# तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े,जो इन्सान के सहने से बाहर है
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इख़्तियारी तर्जुमा“तुम पर जो आज़माइशएं आती हैं,वे सब पर ही आती है”
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# बर्दाश्त से
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तुम्हारी जिस्मानी और जहनी ताक़त से परे नहीं
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# बुतपरस्ती से बचे रहो
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“बुतपरस्ती से हक़ीक़ी तौर से अलग रहो”
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# बरकत का कटोरा
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पौलुस इस इज़हार के ज़रिए'मय के कटोरे का इशारा देता है जो ख़ुदा की दावत में काम में आता है।
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# क्या मसीह के ख़ून की शराकत नहीं?
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जिस मय के कटोरे में हम शराकत करते हैं वह मसीह के ख़ून में शराकत का निशान है। “हम मसीह के ख़ून में शरीक होते हैं”।
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# वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं,क्या वह मसीह के जिस्म की शराकत नहीं?
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इख़्तियारी तर्जुमा: “रोटी में शरीक होते वक़्त हम मसीह की जिस्म में शरीक होते हैं
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# शराकत
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“उसमें शरीक होना ” या “सब के साथ बराबर की हिस्सेदारी करना”
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# रोटी
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पक्की हुई पूरी रोटी जिसे बांटने के लिए तोड़ा जाता है
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# क्या क़ुर्बानियों के खाने वाले क़ुर्बानगाह के शरीक नहीं?
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इख़्तियारी तर्जुमा:जो क़ुर्बानी के खाने
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पीने की चीज़ों को खाते हैं वे क़ुर्बानगाह के शरीक होते हैं।
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# फिर मैं क्या कहता हूं?
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं अपनी बात दोहराता हूं” या “मेरे कहने का मतलब यह है”
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# बुत कुछ है?
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इख़्तियारी तर्जुमा: “बुत हक़ीक़त में कुछ नहीं है” या “बुत की कोई अहमियत नहीं है”।
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# बुतों के सामने क़ुर्बानी की हुई चीज़ों
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इख़्तियारी तर्जुमा: “बुत पर चढ़ाया गया खाना यह अहमियत नहीं रखता है” या “बुत को नज्र किया हुआ खाना बेफ़ायदा है ”
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# कटोरे में से नहीं पी सकते
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किसी के के ज़रिए'दिए गए कटोरे की शराकत हमेशा उसके पीने की चीज़ें का हवाला देती है। यह “एक ही रिवायतों की शराकत” के लिए एक इस्ता'रा है।
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# तुम ख़ुदावन्द की मेज और बदरूहों की मेज दोनों के शरीक नहीं हो सकते
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर तुम ख़ुदा की परस्तिश के साथ
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साथ बदरूहों की'इबादत करते हो तो ख़ुदा की तुम्हारी परस्तिश वफ़ादार नहीं है”।
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# ग़ुस्सा दिलाते हो
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इख़्तियारी तर्जुमा: “ग़ुस्सा दिलाते हो” या “भड़काते हो”
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# क्या हम उस से ज़ोरआवर हैं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “हम बदरूहों की शराकत कर सकते हैं जबकि ख़ुदावन्द नहीं करता है” या “हम ख़ुदावन्द से ज़्यादा ज़ोरआवर नहीं हैं”
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# “सब चीज़ें मेरे लिए जायज़ तो हैं
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पौलुस कुछ कुरिन्थ बाशिंदों की कहावत का मिसाल दे रहा है। इख़्तियारी तर्जुमा: “मैं जो चाहूं वह कर सकता हूं”।
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# कोई अपनी ही भलाई की नहीं बल्कि दूसरों की भलाई को ढूंढ़े
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अपना ही नहीं दूसरों का भी भला करो
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# भलाई
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इख़्तियारी तर्जुमा: “फ़ायदा”
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# कसाईयों के यहाँ
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गोश्त बेचने वालों की दुकान में
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# ज़मीन और उसकी भरपूरी ख़ुदावन्द की है
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ख़ुदावन्द ने ज़मीन और उसकी सब चीज़ों को बनाया है
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# ज़मीर के के ज़रिए'कुछ न पूछो
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अपने ज़मीर की वजह मत पूछो कि खाना कहां से आया है यह मान लो कि खाना ख़ुदावन्द देता है चाहे वह बुत को चढ़ाया गया हो या नहीं
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# मेरी आज़ादी दूसरे के ख़याल से क्यों आज़माई जाए
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इख़्तियारी तर्जुमा: “मेरी अपनी पसन्द किसी के सही या ग़लत मानने से क्यों बदली जाए।
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# मैं शरीक होता हूं
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यहां “मैं” पौलुस के लिए नहीं उनके लिए काम में लिया गया है जो बरकत देकर गोश्त खाते हैं। इख़्तियारी तर्जुमा: “अगर इन्सान....शरीक हो” या “जब इन्सान खाए”
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# बरकत करके
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इसके मुमकिन मतलब हैं, 1) “ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ और बरकत के साथ”2)मेहमान नवाज़ी करने वाले की ता'रीफ़ और बरकत के साथ ”।
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# जिस पर मैं बरकत करता हूं उसके वजह से मेरी बदनामी क्यों होती है?
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“जब मैंने खाने के लिए बरकत दी तो तुम मेरी बुराई क्यों करते हो? “इख़्तियारी तर्जुमा, “मैं किसी को मुझ पर इलज़ाम लगाने नहीं दूंगा ”
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@ -0,0 +1,15 @@
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# तुम....न...होकर का वजह से बनो
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इख़्तियारी तर्जुमा: “नाख़ुश मत करो” या “ठोकर लगने का वजह मत बनो”
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# सबको ख़ुश रखता हूं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “सब इन्सानों को क़ुबूल हूं”
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# अपना ही नहीं बहुतों का फ़ायदा ढूंढ़ता हूं
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इख़्तियारी तर्जुमा: “अपनी ही ख़्वाहिश पूरी नहीं करता हूं”
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# बहुतों
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हर मुमकिन ज़्यादा से ज़्यादा
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@ -0,0 +1,15 @@
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# याद करते हो
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इख़्तियारी तर्जुमा:“ख़याल करते हो” या “ध्यान देते हो”
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# मैं चाहता हूं
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इसके मुमकिन मतलब हैं, 1)इस वजह मैं चाहता हूं” या2) “ताहम,मैं चाहता हूं”
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# सिर ढांके हुए
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“अपने पर कपड़ा डाल कर”
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# अपने सिर की बे'इज़्ज़ती करता है
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इसके मुमकिन मतलब हैं, 1) “अपनी बे'इज़्ज़ती करता है” या2) “मसीह जो हमारा सिर है उसकी बे'इज़्ज़ती करता है”।
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@ -0,0 +1,19 @@
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# खुला सिर
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परदा जो सिर्फ़ मुंह खुला रखता है
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# अपने सिर की बे'इज़्ज़ती करती है
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इसके मुमकिन मतलब हैं, 1) “अपनी बे'इज़्ज़ती करती है” या2) “अपने शौहर की बे'इज़्ज़ती की वजह होती है ”
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# मुण्डी
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सिर के बाल मुंडाने के जैसी
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# अगर'औरत के लिए....मुण्डन कराना शर्म की बात है
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आज से मुख़्तलिफ़'औरत के लिए सिर के बाल कटाना या मुण्डन करवाना शर्म की बात थी।
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# ओढ़नी ओढ़े
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“सिर पर कपड़ा डाले या सिर ढांके"
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