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\id EZK
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\rem Copyright Information: Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 License
\h यहेजकेल
\toc1 यहेजकेल
\toc2 यहेजकेल
\toc3 ezk
\mt1 यहेजकेल
\s5
\c 1
\p
\v 1-2 “मैं यहेजकेल जब तीस वर्ष का था, तब मैं बाबेल के दक्षिण में कबार नदी के पास इस्राएलियों के बीच रह रहा था। बाबेल के लोग हमें यहूदा के देश से यहाँ ले आए। उस वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन, ऐसा हुआ जैसे कि आकाश खुल गया और मैंने परमेश्वर की ओर से दर्शन देखे।
\p राजा यहोयाकीन के बन्धुआई में जाने के लगभग पाँच वर्ष बाद यह चौथे महीने का पाँचवाँ दिन था।”
\v 3 इसलिए परमेश्वर ने बूजी के पुत्र यहेजकेल याजक को बाबेल में सन्देश दिए, जिस समय वह कबार नदी के तट पर था, तब यहोवा की शक्ति उसमें समा गई थी।
\p
\s5
\v 4 दर्शनों में से एक में, मैंने देखा कि उत्तर दिशा से एक बड़ी आँधी आ रही है। उसमें एक बड़ा बादल था, और उसमें बिजली निरन्तर चमक रही थी, और एक तीव्र प्रकाश से बादल घिरा हुआ था। जहाँ बिजली चमक रही थी, उसके बीच में पीतल के रंग की आग थी।
\v 5 तूफान के केंद्र में मैंने कुछ देखा जो चार जीवित प्राणियों जैसे दिखते थे। वे मनुष्यों के समान थे,
\v 6 परन्तु उनमें से प्रत्येक के चार चेहरे और चार पंख थे।
\s5
\v 7 उनके पैर मनुष्य के पैरों के समान थे, परन्तु उनके पाँव बछड़ों के खुरों के समान चमकाए हुए पीतल के से थे।
\v 8 उनके शरीर के चारों ओर उनके पंखों के नीचे मनुष्यों के समान हाथ थे।
\v 9 जब वे चार प्राणी वहाँ खड़े थे, तब उन्होंने अपने पंखों को एक दूसरे से छू कर एक गोला बनाया। जब वे चलते थे तब वे सीधे-सीधे आगे जाते थे, मुड़ते नहीं थे।
\p
\s5
\v 10 उन प्राणियों में से प्रत्येक के चार चेहरे थे। सामने की ओर एक चेहरा था जो मनुष्य के चेहरे जैसा दिखता था। दाहिनी ओर का चेहरा शेर के चेहरे जैसा दिखता है। बाईं ओर का चेहरा एक बैल के चेहरे जैसा दिखता था। पीछे का चेहरा एक उकाब के चेहरे जैसा दिखता था।
\v 11 प्रत्येक प्राणी के दो पंख ऊपर उठे हुए थे और उसके दोनों ओर के प्राणियों के पंखों को छूते थे। अन्य दो पंख उनके शरीर में सिमटे हुए थे।
\v 12 जिस दिशा में परमेश्वर का आत्मा, जिन्होंने उन्हें नियंत्रित किया हुआ था, उन्हें ले जाना चाहता था, वे सीधे चलते थे और चलते समय वे दिशा बदलते नहीं थे।
\s5
\v 13 चारों प्राणी जलते हुए कोयलों या मशालों जैसे दिखते थे। प्राणियों के बीच एक तेज जलती हुई आग आगे पीछे होती थी, और उनके बीच में बिजली चमकती थी।
\v 14 प्राणी बहुत तेजी से आगे पीछे हो रहे थे, इसलिए वे बिजली की चमक जैसे दिखते थे।
\p
\s5
\v 15 जब मैंने उन चारों जीवित प्राणियों पर दृष्टि की, तो मैंने उनमें से प्रत्येक के बगल में भूमि पर एक पहिया देखा।
\v 16 पहिये एक जैसे थे, और वे सभी फीरोजा रत्न के समान चमकते थे। प्रत्येक पहिया ऐसे लगता था जैसे एक पहिये के अन्दर दूसरा पहिया है।
\s5
\v 17 जब वे चलते थे, तब वे चार दिशाओं में से एक में सीधे जाते थे जो किसी एक प्राणी के मुख के सामने थी वे चलते समय, किसी और दिशा में नहीं मुड़ते थे।
\v 18 उन पहियों के घेरे भव्य और डरावने थे, और उनमें अनेक आँखें थीं।
\p
\s5
\v 19 वे जीवित प्राणी जब चलते थे, तो पहिये उनके साथ चलते थे। और जब प्राणी भूमि से ऊपर उठते थे, तो पहिये भी उठते थे।
\v 20 परमेश्वर का आत्मा, जिन्होंने उन प्राणियों को नियंत्रित किया हुआ था, जहाँ भी उन्हें ले जाना चाहता था, वे चले जाते थे; और पहिये उनके साथ जाते थे, क्योंकि उनकी आत्मा पहियों को नियंत्रित करती थी।
\v 21 जब प्राणी चलते थे, तब पहिये भी चलते थे। जब प्राणी रुक जाते थे, तब पहिये भी रुक जाते थे। जब भी प्राणी भूमि से ऊपर उठते थे, तब पहिये भी उनके साथ उठते थे।
\p
\s5
\v 22 प्राणियों के सिर के ऊपर कुछ था जो गुम्मट जैसा दिखता था। वह बर्फ के समान चमकता था, और यह कमाल का था।
\v 23 गुम्मट के नीचे, प्राणियों ने अपने पंख फैलाए। प्रत्येक के पास दो पंख थे जो दोनों ओर के प्राणियों के पंखों को छूते थे, और अन्य दो पंख जो उनके अपने शरीर को ढाँकते थे।
\s5
\v 24 जब वे प्राणी चलते थे, तब उनके पंखों से एक आवाज़ आती थी जो समुद्र की लहरों के उठने जैसी थी। यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आवाज के समान भी सुनाई पड़ती थी, और आगे बढ़ती हुई एक विशाल सेना के शोर के समान सुनाई देती थी। जब वे प्राणी भूमि पर सीधे खड़े होते थे, वे अपने पंखों को नीचे कर लेते थे।
\v 25 जब वे अपने पंखों को नीचे किए हुए भूमि पर खड़े होते थे, तब उनके सिर के ऊपर के गुम्मट से एक आवाज आती थी।
\p
\s5
\v 26 गुम्मट के ऊपर एक विशाल सिंहासन जैसा कुछ दिखता था जो एक विशाल नीलम से बना था। सिंहासन पर बैठा व्यक्ति वही था जो मनुष्य जैसा दिखता था।
\s5
\v 27 मैंने देखा कि उसकी कमर के ऊपर वह धातु जैसा दिखता था जो चमक रहा था जैसे कि उसके भीतर बहुत गर्म आग थी। और मैंने देखा कि उसकी कमर के नीचे तीव्र प्रकाश था जिसने उसे घेरा हुआ था।
\v 28 यह वर्षा के दिन बादलों में मेघधनुष के समान चमकता था।
\p वह तीव्र प्रकाश यहोवा की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करता था। जब मैंने इसे देखा, तो मैं भूमि पर मुँह के बल गिर गया, और मैंने उन्हें बोलते हुए सुना!
\s5
\c 2
\p
\v 1 उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, खड़ा हो जा, मैं तुझसे बात करूँगा।”
\v 2 जब उन्होंने मुझसे बात की, तो परमेश्वर के आत्मा ने मुझमें प्रवेश किया और मुझे खड़े होने में समर्थ किया। तब मैंने उन्हें मुझसे बात करते सुना।
\p
\v 3 उन्होंने कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, मैं तुझे इस्राएली लोगों के पास भेजूँगा। वे ऐसे लोग हैं जो मुझसे दूर हो गए हैं और मुझसे विद्रोह कर चुके हैं। उनके पूर्वजों ने मुझसे विद्रोह किया, और ये लोग ही अब भी मुझसे विद्रोह कर रहे हैं।
\s5
\v 4 जिन लोगों के पास मैं तुझे भेजूँगा वे बहुत हठीले हैं। परन्तु उनसे कहना, ‘यहोवा परमेश्वर तुमसे यह कहते हैं।’
\v 5 और जब तू उनको मेरे सन्देश सुनाता हो, तो संभव है कि वे विद्रोही लोग उन सन्देशों पर ध्यान देंगे और सम्भवतः वे उन पर ध्यान न भी दें; परन्तु वे जान जाएँगे कि एक भविष्यद्वक्ता उनके बीच है!
\s5
\v 6 और तू, हे मनुष्य के पुत्र, तुझे उनसे डरना नहीं है या जो वे कहते हैं उससे डरना नहीं है। उनके बीच में रहना ऊँटकटारों या बिच्छुओं के बीच में रहने जैसा होगा, परन्तु उनसे डरना मत। वे विद्रोही लोग हैं, परन्तु उन्हें तुझे डराने न देना।
\s5
\v 7 उन्हें मेरा सन्देश सुनाना, परन्तु उनसे उस पर ध्यान देने की अपेक्षा न करना, क्योंकि वे बहुत विद्रोही हैं।
\v 8 परन्तु हे मनुष्य के पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ, उस पर तुझे ध्यान देना है। वैसे विद्रोही मत बनना जैसे वे हैं। अब अपना मुँह खोल और जो मैं देता हूँ उसे खा।”
\p
\s5
\v 9 फिर, जैसा कि मैंने देखा, मैंने उनका हाथ देखा जो मेरी ओर बढ़ा हुआ था। उनके हाथ में एक पुस्तक थी।
\v 10 उन्होंने पुस्तक को खोल दिया। इसके दोनों ओर शब्द लिखे थे जो दुख और शोक और परेशानी को व्यक्त करते थे।
\s5
\c 3
\p
\v 1 उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, तेरे सामने रखी इस पुस्तक को खा ले। फिर जा और इस्राएलियों से बात कर।”
\v 2 इसलिए मैंने अपना मुँह खोला, और उन्होंने मुझे खाने के लिए वह पुस्तक दी।
\p
\v 3 तब उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, मैंने जो पुस्तक तुझे दी है उसे खा। उससे अपना पेट भर ले।” अतः मैंने उसे खा लिया, और मेरे मुँह में यह शहद के समान मीठी लगी।
\p
\s5
\v 4 तब उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोगों के पास जा और उन्हें मेरा सन्देश सुना।
\v 5 जिन लोगों के पास मैं तुझे भेज रहा हूँ वे ऐसे लोग नहीं हैं जिनकी भाषा सीखना बहुत कठिन है, वह एक ऐसी भाषा नहीं है जिसे तू समझ नहीं सकता है। मैं तेरे ही इस्राएली लोगों के पास तुझे भेज रहा हूँ।
\v 6 मैं तुझे उन लोगों के पास भेज रहा हूँ जिनकी भाषा तू बहुत अच्छी तरह समझता है। यदि मैं तुझे उन लोगों के पास भेजता जिनकी भाषा तेरे लिए समझने में कठिन है, तो तू जो कहता वे उस पर ध्यान देते।
\v 7 परन्तु क्योंकि इस्राएली लोग मेरी बात सुनना नहीं चाहते हैं, वे तेरी बात भी सुनना नहीं चाहेंगे। वे नहीं सुनना चाहते हैं क्योंकि वे सब बहुत विद्रोही हैं।
\s5
\v 8 परन्तु तू मैं तुझे वैसा हठीला और कठोर होने में समर्थ कर दूँगा जैसे वे हैं।
\v 9 मैं तुझे सबसे कठोर पत्थर जैसे चकमक पत्थर के समान, दृढ़ बना दूँगा। अतः भले ही वे बहुत विद्रोही लोग हैं, उनसे डरना मत; उन्हें तुझे डराने भी न देना।”
\p
\s5
\v 10 उन्होंने मुझसे यह भी कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ, उसे बड़ी सावधानी से सुन, और इसके विषय में सोचता रह।
\v 11 अपने साथी इस्राएलियों के पास जा जो बन्धुआ होने के बाद यहाँ हैं, और उनसे बात कर। उनसे कह, ‘यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं’ और फिर उन्हें मेरा सन्देश सुना, चाहे वे इसे सुनना चाहते हों या फिर चाहे वे अस्तित्व में ही न रहें।”
\p
\s5
\v 12 तब दर्शन में परमेश्वर के आत्मा ने मुझे ऊपर उठा लिया, और मैंने मेरे पीछे एक बड़े भूकम्प की आवाज सुनी। (उस स्थान पर हमारे महिमामय यहोवा की स्तुति करो जहाँ स्वर्ग में वह रहते हैं!)
\v 13 मैंने चार जीवित प्राणियों के पंखों की एक दूसरे से टकराने की आवाज सुनी, और मैंने पहियों की आवाज भी सुनी जो उनके पास थे। यह भूकम्प के समान ऊँची आवाज थी।
\s5
\v 14 आत्मा मुझे दूर ले गया। मैं अपने भीतर में बहुत कड़वा और क्रोधित था, और मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कुछ भी करने में असमर्थ हूँ, जैसे कि यहोवा मुझ पर प्रबल हो रहे हैं।
\v 15 मैं उन बन्धुआ लोगों के पास आया जो बाबेल में कबार नदी के पास तेलाबीब के शहर में रहते थे। फिर मैं सात दिनों के लिए वहीं बैठ गया, जहाँ वे रहते थे। जो कुछ मैंने देखा था उसके विषय में मैं चकित था।
\p
\s5
\v 16 उन सात दिनों के समाप्त होने के बाद, यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया:
\v 17 “हे मनुष्य के पुत्र, मैं तुझे एक पहरेदार के समान नियुक्त कर रहा हूँ। इसलिए इन सन्देशों को सुन जो मैं तुझे दूँगा, और उन्हें चेतावनी देने के लिए उन सन्देशों को सुना।
\v 18 जब मैं कुछ दुष्ट लोगों के विषय में कहता हूँ, ‘वे निश्चित रूप से उनके पापों के कारण मर जाएँगे, यदि तू उन्हें चेतावनी नहीं देगा या उन्हें नहीं बताए कि वे अपने जीवनों को बचाना चाहते हैं तो उन्हें अपने दुष्ट व्यवहार का त्याग करना चाहिए, तो वे अपने पाप के कारण मर जाएँगे, और उसका तू उत्तरदायी होगा क्योंकि तू ने इसे रोकने के लिए कार्य नहीं किया था।
\v 19 परन्तु यदि तू दुष्ट लोगों को चेतावनी देता है और वे अपने दुष्ट व्यवहार का त्याग नहीं करते, तो वे अपने पापों के कारण मर जाएँगे, परन्तु तू मेरे दण्ड से अपने को बचा लेगा।
\p
\s5
\v 20 इसी प्रकार, जब धर्मी लोग अपने धर्मी व्यवहार से मुड़ते हैं और बुरे कार्य करते हैं, और मैं उनके साथ बुरा व्यवहार करता हूँ, तो वे मर जाएँगे। परन्तु उन्हें चेतावनी देना तेरा कार्य है। यदि वे अपने पापी व्यवहार को नहीं रोकते हैं, तो वे अपने पापों के कारण मर जाएँगे। मैं उन धर्म के कार्यों के विषय में नहीं सोचूँगा जो उन्होंने पहले किए थे। परन्तु यदि तू ने उन्हें चेतावनी नहीं दी है, तो उनकी मृत्यु के लिए मैं तुझे उत्तरदायी ठहराऊँगा।
\v 21 परन्तु यदि तू धर्मी लोगों को पाप न करने की चेतावनी देता है, और वे पाप नहीं करते हैं; तो वे निश्चित रूप से जीवित रहेंगे क्योंकि उन्होंने तेरी चेतावनी पर ध्यान दिया, और मेरे दण्ड से तू अपने को बचा लेगा।”
\p
\s5
\v 22 मुझे ऐसा लगा कि मैं यहोवा नियंत्रित हूँ, और उन्होंने मुझसे बात की और कहा, “उठ और मैदान में जा, और मैं वहाँ तुझसे बात करूँगा।”
\v 23 अतः मैं उठ गया और बाहर मैदान में चला गया। और मैंने वहाँ यहोवा की महिमा देखी, जैसे कि कबार नदी के पास मैंने महिमा देखी थी। और मैं भूमि पर मुँह के बल लेट गया।
\p
\s5
\v 24 तब परमेश्वर के आत्मा ने मुझमें प्रवेश किया और मुझे सीधे खड़े होने में समर्थ किया। उन्होंने मुझसे कहा, “अपने घर में जा और इसके भीतर ही रह।
\v 25 लोग तुझे रस्सियों से बाँध देंगे, जिसके परिणामस्वरूप तू लोगों के बीच बाहर जाने में असमर्थ होगा।
\s5
\v 26 भले ही वे बहुत विद्रोही लोग हैं, मैं तेरी जीभ को तेरे मुँह के तालू से चिपका दूँगा, जिसके परिणामस्वरूप तू बात करने में और उन्हें झिड़कने में असमर्थ होगा।
\v 27 परन्तु जब मैं तुझसे फिर से बात करूँगा, तब मैं तुझे बात करने और उन्हें यह बताने में समर्थ करूँगा, ‘यही है जो यहोवा परमेश्वर तुझे बता रहे हैं।’ जो मुझे सुनना चाहता है वह मुझे सुनेगा, परन्तु जो सन्देश को अनदेखा करता है वह नष्ट हो जाएगा, क्योंकि वे एक विद्रोही लोग हैं!”
\s5
\c 4
\p
\v 1 यहोवा बातें करते रहे और कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, एक बड़ी मिट्टी की ईंट ले और उस पर रेखाएँ खोद जो यरूशलेम का प्रतिनिधित्व करती हैं।
\v 2 फिर शत्रु के सैनिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसके चारों ओर आकृतियाँ बना जो इस शहर को लेने के लिए इसके चारों ओर पुश्ते बाँधेंगे और किलों का निर्माण करेंगे। इसके चारों ओर आकृतियाँ स्थापित कर जो चोट करने वाले हथियारों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
\v 3 फिर लोहे की थाली ले, और उसे अपने और शहर के चित्र के बीच में लोहे की दीवार के समान खड़ा कर दे। फिर शहर के चित्र की ओर अपना चेहरा कर। इसका अर्थ है कि शत्रु के सैनिक शहर पर आक्रमण करने के लिए इसे घेर लेंगे। यह इस्राएली लोगों के लिए एक चेतावनी होगी।
\p
\s5
\v 4-5 फिर अपनी बाईं ओर लेट जा, और 390 दिनों के लिए इसी प्रकार रह। तू प्रतीकात्मक रूप से उत्तरी साम्राज्य, इस्राएल के पापों का दण्ड उठाएगा; तुझे उनके दण्ड के हर वर्ष के लिए एक दिन ऐसे लेटना होगा।
\p
\s5
\v 6 उसके बाद, चालीस दिनों के लिए अपनी दाहिनी ओर लेटना। यह प्रतीक होगा कि दक्षिणी साम्राज्य, यहूदिया के लोगों को उनके पापों के लिए दण्ड दिया जाएगा, हर एक वर्ष के लिए एक दिन जो तू वहाँ लेटेगा।
\v 7 यरूशलेम के चित्र की ओर अपना चेहरा कर और अपनी बाँह को उघाड़ दे जैसे एक सैनिक करता है जो युद्ध में जाने के लिए तैयार होता है, और भविष्यद्वाणी करना कि शहर के साथ क्या होगा।
\v 8 तू हिलने डुलने में समर्थ नहीं होगा; यह ऐसा होगा मानों मैंने तुझे रस्सियों से बाँध लिया है कि तू एक ओर से दूसरी ओर तक नहीं हो सके जब तक कि तू यह प्रतीकात्मक कार्य पूरा नहीं कर लेता कि शहर कितने वर्षों तक घिरा होगा।
\p
\s5
\v 9 ऐसा करने से पहले, तू कुछ गेहूँ, जौ, फलियाँ, मसूर, बाजरा, और कठिया गेहूँ लेना; और उन्हें मर्तबान में डाल दे, और उससे अपने लिए रोटी पकाना। यही है जो तू अपनी बाईं ओर लेटने के समय 390 दिनों तक खाएगा।
\v 10 तू प्रतिदिन लगभग दो सौ ग्राम रोटी खाएगा।
\v 11 हर दिन पूरे दिन भर में पीने के लिए लगभग डेढ़ लीटर पानी भी नाप लेना।
\s5
\v 12 उस रोटी को ऐसे खाना जैसे तू जौ की एक रोटी खा रहा है। परन्तु रोटी सेंकने के ईंधन के लिए लोगों के देखते अपने स्वयं के सूखे गोबर का उपयोग करना।
\v 13 यह प्रतीक होगा कि इस्राएली लोगों को ऐसा ही भोजन खाने के लिए विवश किया जाएगा जो मेरे लिए अस्वीकार्य है जब वे उन राष्ट्रों में रह रहे हों जिनमें जाने के लिए मैं उन्हें विवश करूँगा।”
\p
\s5
\v 14 तब मैंने कहा, “नहीं, हे यहोवा परमेश्वर! मुझे ऐसा करने के लिए विवश मत कीजिए! मैंने कभी भी स्वयं को आपके लिए अस्वीकार्य नहीं बनाया है। उस समय से जब मैं युवा था, मैंने कभी भी किसी भी ऐसे जानवर का माँस नहीं खाया जो मृत पाया गया था या जंगली जानवरों द्वारा मारा गया था। और मैंने कभी भी ऐसा माँस नहीं खाया जो आपके लिए अस्वीकार्य है।”
\p
\v 15 यहोवा ने उत्तर दिया, “इसी कारण से, मैं तुझे ईंधन के लिए मनुष्य गोबर की अपेक्षा गाय के सूखे गोबर का उपयोग करके अपनी रोटी सेंकने की अनुमति दूँगा।”
\p
\s5
\v 16 तब उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, मैं यरूशलेम के भोजन की आपूर्ति को रुकवा दूँगा। तब लोग कम मात्रा में भोजन खाएँगे और थोड़ी मात्रा में पानी पीएँगे जो उनके अगुवे उन्हें खाने पीने की अनुमति देंगे, और जब वे ऐसा करते हैं वे बहुत परेशान और चिन्तित होंगे,
\v 17 क्योंकि पानी और भोजन बहुत दुर्लभ होगा। वे एक दूसरे को बहुत दुबला-पतला होते देखेंगे, और वे चिन्तित होंगे; परन्तु ऐसा इसलिए होगा कि उन्हें उनके द्वारा किए गए पापों के लिए दण्ड दिया जा रहा है।”
\s5
\c 5
\p
\v 1 “तब, हे मनुष्य के पुत्र, जब तू उन कार्यों को करना आरम्भ करे, तो एक तेज तलवार लेना और अपने सिर और दाढ़ी को मूँड़ने के लिए नाई के उस्तरे के समान इसका उपयोग करना। तू उन मूँड़े गए बालों को तराजू पर रख कर, तीन बराबर भागों में बाँट देना।
\v 2 जब तेरे द्वारा प्रतीक रूप में दर्शाया गया शत्रु के घेराव का समय पूरा हो जाए, तब अपने बालों का एक तिहाई भाग शहर के उस चित्र के भीतर डाल कर जला देना और बालों का दूसरा तिहाई भाग शहर के चित्र के चारों ओर बिखरा कर तलवार से उसे मारना। यह प्रतीक होगा कि मैं यरूशलेम के लोगों को उनके शत्रुओं की तलवार से मार डालूँगा। फिर बालों का तीसरा भाग हवा में उड़ाकर तितर बितर कर देना। यह प्रतीक होगा कि यदि वे शहर से भाग भी जाएँगे, तो मैं उनके शत्रुओं को उनके पीछे भेजूँगा और तलवार से उन पर आक्रमण करवाऊँगा।
\s5
\v 3 परन्तु अपने कुछ बाल अपनी आस्तीन में बाँध लेना।
\v 4 तब उन बालों में से कुछ ले कर आग में फेंक देना, और उन्हें जला देना। यह प्रतीक होगा कि आग यरूशलेम से फैल कर पूरे इस्राएल में विनाश ले आएगी।
\p
\s5
\v 5 मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: यह चित्र यरूशलेम का प्रतिनिधित्व करेगा, एक ऐसा शहर जिसे मैंने राष्ट्रों के बीच में रखा है, जिसके आस-पास अन्य देश हैं।
\v 6 परन्तु यरूशलेम के दुष्ट लोग मेरे आदेशों का पालन करने के विरुद्ध विद्रोह करते हैं, और वे दिखाते हैं कि वे आस-पास के देशों के लोगों से अधिक दुष्ट हैं। उन्होंने मेरे नियमों को त्याग दिया है और मेरे आदेशों का पालन करने से इन्कार कर दिया है।
\p
\s5
\v 7 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: तुम, यरूशलेम के लोगों तुम अपने आस-पास के देशों के लोगों से अधिक विद्रोही हो गए हो; तुमने मेरे किसी भी नियम का पालन नहीं किया है। यहाँ तक कि तुमने अपने आस-पास के देशों के नियमों का पालन भी नहीं किया है!
\p
\v 8 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, यह कहता हूँ: मैं तुम यरूशलेम के लोगों का विरोध करता हूँ। मैं तुमको दण्ड दूँगा और अन्य देशों के लोग इसे देखेंगे।
\s5
\v 9 तुम्हारी घृणित मूर्तियों और प्रथाओं के कारण, मैं तुम यरूशलेम के लोगों को ऐसा दण्ड दूँगा जैसा मैंने पहले कभी नहीं किया है और फिर कभी नहीं करूँगा।
\v 10 इसके परिणामस्वरूप, तुम्हारे माता पिता अपने बच्चों को खाएँगे, और बच्चे अपने माता पिता को खाएँगे, क्योंकि खाने के लिए कुछ नहीं होगा। मैं तुमको गम्भीर दण्ड दूँगा, और जो जीवित रह जाएँगे उन लोगों को मैं हर दिशा में तितर बितर कर दूँगा।
\s5
\v 11 इसलिए, मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ! जैसा कि निश्चित रूप से मैं जीवित हूँ, क्योंकि तुमने मेरे मन्दिर को अपनी घृणित मूर्तियों से और तुम्हारे द्वारा किए जाने वाले अन्य भयानक कार्यों से अशुद्ध कर दिया है, मैं अब तुमको आशीष नहीं दूँगा। मैं तुम पर करुणा नहीं करूँगा या तुम पर दया नहीं करूँगा।
\v 12 तुम्हारे लोगों में से एक तिहाई लोग विपत्ति का सामना करने से, या अकाल के कारण शहर में ही मर जाएँगे। तुम्हारे लोगों का एक तिहाई भाग शहर के बाहर अपने शत्रुओं की तलवार से मारा जाएगा। और एक तिहाई हर दिशा में तितर बितर किया जाएगा, परन्तु तुम्हारे शत्रु तब भी तुम्हारा पीछा करेंगे और तुमको अपनी तलवार से मार देंगे।
\p
\s5
\v 13 तब मैं तुमसे और क्रोधित नहीं रहूँगा; तुमसे अपना बदला लेने के बाद मैं तुमको दण्ड देना समाप्त कर दूँगा। और जब मैं तुमको दण्ड देना समाप्त कर दूँगा, तब तुम जानोगे कि मुझ, यहोवा ने तुमसे बात की है क्योंकि मैंने तुमको अपने क्रोध में दण्ड देना समाप्त कर दिया है।
\p
\v 14 मैं तुम्हारा शहर एक खण्डहर बना दूँगा, जिससे कि तुम्हारे आस-पास के देशों के लोग इसके पास से आते-जाते समय इसे देखेंगे और तुम्हारा उपहास करेंगे।
\s5
\v 15 वे तुमको तुच्छ जानेंगे और तुम्हारा उपहास करेंगे। जब मैं अपने बड़े क्रोध के कारण तुमको गम्भीर दण्ड दूँगा, तब वे भयभीत होंगे और तुम उनके लिए एक चेतावनी ठहरोगे। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा, यह कहता हूँ।
\v 16 और जब मैं तुम्हारी भोजन की आपूर्ति काट दूँगा और वहाँ अकाल पड़ने दूँगा, तब यह ऐसा होगा जैसे मैं तुमको अपने तीरों से मार रहा हूँ जो तुमको नष्ट कर देंगे।
\v 17 इसलिए मैं तुमको अकाल का सामना करने दूँगा, और मैं जंगली जानवरों को तुम पर और तुम्हारे बच्चों पर आक्रमण करने के लिए भेजूँगा, और तुम्हारे सब बच्चे मारे जाएँगे। तुम विपत्तियों और युद्धों का सामना करोगे, और मैं तुम्हारे शत्रुओं को तलवारों से तुम पर आक्रमण करने दूँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा, ने यह कहा है।”
\s5
\c 6
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के पर्वतों की ओर मुड़, और भविष्यद्वाणी कर कि उनके साथ क्या होगा, और कह,
\v 3 ‘हे इस्राएल के पर्वतों, सुनो कि यहोवा तुमसे क्या कहते हैं! वह पर्वतों और ऊँची पहाड़ियों से और नालों और घाटियों से यह कहते हैं। वह कहते हैं: मैं शत्रु के सैनिकों को उन सभी पर्वतों की चोटियों को नष्ट करने के लिए तलवार ले कर भेजने वाला हूँ जहाँ तुम मूर्तियों की उपासना करते हो।
\s5
\v 4 वे मूर्तियों की उपासना करने के लिए बनाई गई तुम्हारी सारी वेदियों को, और ज्योतिष के लिए उपयोग किए जाने वाले खम्भों को तोड़ देंगे और वे कई इस्राएलियों को उनकी मूर्तियों के सामने मार डालेंगे।
\v 5 उनके शव उनकी मूर्तियों के सामने पड़े रहेंगे, और उनकी हड्डियों को उनकी वेदी के चारों ओर बिखरा दिया जाएगा।
\s5
\v 6 जहाँ भी तुम रहते हो, तुम्हारे नगरों को नष्ट कर दिया जाएगा और जहाँ पहाड़ियों पर मूर्तियों की उपासना की जाती है, उन स्थानों को नष्ट कर दिया जाएगा। तुम्हारी वेदियाँ पूरी तरह से टूट जाएँगी, और जो कुछ भी तुम्हारा होगा वह मलबे का ढेर बन जाएगा।
\v 7 तुम्हारे बहुत से लोग ठीक तुम्हारी आँखों के सामने मारे जाएँगे, और तब तुम जान जाओगे कि मैं यहोवा हूँ और मैं वह करता हूँ जो मैं कहता हूँ।
\p
\s5
\v 8 परन्तु मैं तुम में से कुछ को जीवित रहने दूँगा। जब तुम्हारे शत्रु तुमको कई अन्य राष्ट्रों में तितर-बितर करेंगे तब वे मृत्यु से बच जाएँगे।
\v 9 जब ऐसा होता है, तब उन देशों में जिनमें जाने के लिए तुमको विवश किया गया है, तुम में से जो मृत्यु से बच निकले हैं, वे मेरे विषय में सोचेंगे। तुम स्मरण करोगे कि मैं बहुत दुखी था क्योंकि तुम मुझसे दूर हो गए, क्योंकि तुम मेरे प्रति सच्चे नहीं थे, और क्योंकि तुम अपनी मूर्तियों की उपासना करना चाहते थे। तुमने जो बुराई और घृणित कार्य किए हैं, उनके कारण तुम स्वयं से घृणा करोगे।
\v 10 और तुमको पता चलेगा कि मुझ, यहोवा, ने तुमको दण्ड दिया है। तुम जान लोगे कि जब मैंने तुमको दण्ड देने की धमकी दी थी, तो मेरा विचार निश्चय ही ऐसा करने का था।
\p
\s5
\v 11 इसलिए हे यहेजकेल, मैं, यहोवा, तुझसे यही कहता हूँ: अपने हाथों को पीटो और अपने पैरों को पटको और जोर-जोर से रोओ यह दिखाने के लिए कि तुम परेशान हो, और चिल्लाओ कि इस्राएली लोगों के दुष्ट और घृणित व्यवहार के कारण उनके साथ क्या होगा। वे अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे जाएँगे, वे भूख से, और वे विपत्तियों से मर जाएँगे।
\v 12 जो यरूशलेम से दूर हैं, वे विपत्तियों से मर जाएँगे, जो यरूशलेम के निकट हैं, वे उनके शत्रुओं की तलवारों से मारे जाएँगे। जो लोग अभी भी जीवित हैं वे भूख से मर जाएँगे। इस तरह मैं उन्हें दण्ड दूँगा।
\s5
\v 13 तुम्हारे कुछ लोगों के शव उनकी मूर्तियों के बीच, उनकी वेदियों के चारों ओर, हर ऊँची पहाड़ी पर और पर्वतों की चोटियों पर, हर बड़े पेड़ के नीचे उन सब स्थानों पर जहाँ उन्होंने उनकी मूर्तियों का सम्मान करने के लिए धूप जलाया था, उनके चारों ओर पड़ी रहेंगी। जब ऐसा होता है तो तुमको समझ में आएगा कि मुझ, यहोवा, ने यह किया है।
\v 14 क्योंकि मैं अपनी शक्ति प्रदर्शित करूँगा और हर क्षेत्र को दक्षिण में दूर रेगिस्तान से उत्तर के दूर दिबला नगर तक, जहाँ वे तुम्हारे देश में रहते हैं, बंजर भूमि बना दूँगा। तब उनको यह पता चलेगा कि मुझ, यहोवा, ने यह किया है।’”
\s5
\c 7
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, मैं, यहोवा, तुम, इस्राएल के लोगों से यही कहता हूँ: सम्पूर्ण इस्राएल, उसकी सीमाओं के भीतर सब कुछ शीघ्र ही नष्ट हो जाएगा।
\s5
\v 3 तुम इस्राएल के लोगों का अन्त आ गया है। मैं तुमको गम्भीर दण्ड दूँगा। मैं तुम्हारे द्वारा किए गए सब बुरे कार्यों के लिए तुम्हारा न्याय करूँगा, और तुम्हारे घृणित व्यवहार के लिए तुमको बदला दूँगा।
\v 4 मैं तुम पर करुणा नहीं करूँगा या तुम पर दया नहीं करूँगा। मैं तुमको तुम्हारे दुष्ट व्यवहार के लिए निश्चय ही दण्ड दूँगा। तब तुमको समझ में आएगा कि यह इसलिए हुआ है कि मुझ, यहोवा, ने यह किया है।
\p
\s5
\v 5 यहोवा परमेश्वर यह भी कहते हैं: शीघ्र ही तुम भयानक विपत्तियों का सामना करोगे।
\v 6 यह इस्राएल का अन्त होगा; तुम्हारे देश का अन्त हो जाएगा! और तुम्हारा जीवन समाप्त हो जाएगा!
\v 7 यह तुम लोगों का अन्त होगा जो इस्राएल के देश में रहते हैं। समय आ गया है; वह दिन निकट है जब तुम नष्ट हो जाओगे। उस समय पर्वतों पर मूर्तियों की उपासना करने वाले लोग आनन्द नहीं मनाएँगे; वे घबराएँगे।
\s5
\v 8 मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ और मैं तुम पर दण्ड उण्डेलने वाला हूँ। मैं तुम्हारे द्वारा किए गए सब बुरे कार्यों के लिए तुम्हारा न्याय करूँगा और तुम्हारे घृणित व्यवहार के लिए तुमको बदला दूँगा।
\v 9 मैं तुम पर करुणा नहीं करूँगा या दया नहीं करूँगा। मैं तुम्हारे दुष्ट व्यवहार के लिए तुमको निश्चय ही दण्ड दूँगा। तब तुम जान जाओगे कि यह मैं, यहोवा, हूँ जिसने तुमको दण्ड दिया है।
\p
\s5
\v 10 तुम्हारे दण्ड का दिन निकट है! वह पहुँच चुका है! तुम्हारे अहंकार के कारण तुम पर विपत्तियाँ आई हैं।
\v 11 लोग हिंसक कार्य कर रहे हैं और अधिक बुरे कार्य कर रहे हैं। और उन लोगों से सम्बन्धित कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा, उनके पैसे में से भी कुछ भी नहीं, और कोई भी उनका सम्मान नहीं करेगा।
\s5
\v 12 अब समय है; वह दिन आ पहुँचा है। जो लोग सामान मोल लेते हैं उन्हें आनन्द नहीं मनाना चाहिए कि उन्होंने सामान बहुत सस्ता मोल लिया है और जो लोग सामान बेचते हैं उन्हें दुखी नहीं होना चाहिए कि उन्हें सामान सस्ता बेचना पड़ा, क्योंकि यहोवा हर किसी को दण्ड देंगे।
\v 13 जो लोग अपनी सम्पत्ति बेचेंगे वे कभी भी उसे वापस मोल लेने में समर्थ नहीं होंगे वे इसे देखने में भी समर्थ नहीं होंगे; क्योंकि उन्होंने पाप किया है, उनमें से कोई भी जीवित नहीं रह पाएगा।
\s5
\v 14 तुम्हारे सरदार सेना को युद्ध के लिए तैयार होने के लिए तुरही फूँकेंगे, परन्तु कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दिखाएगा, क्योंकि मैं सब लोगों पर क्रोधित होऊँगा।
\p
\v 15 जब ये बातें होती हैं, तो तुम्हारे शत्रु अपनी तलवारें ले कर शहर के बाहर होंगे, और शहर के भीतर विपत्तियाँ और अकाल होंगे। शहर के बाहर खेतों में पकड़े गए लोग अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे जाएँगे, और जो लोग शहर में हैं वे अकाल से और विपत्तियों से मर जाएँगे।
\v 16 जो जीवित रह जाएँगे और बच जाएँगे वे पर्वतों पर भाग जाएँगे, और वे सब उनके पापों के कारण विलाप करेंगे, जैसे कबूतर विलाप करते हैं।
\s5
\v 17 क्योंकि वे बहुत डरेंगे, सब लोगों के हाथ विकलांग और दुर्बल हो जाएँगे, और उनके घुटने निर्बल हो जाएँगे और सीधे खड़े भी नहीं हो पाएँगे।
\v 18 वे टाट से बने कपड़ों को पहनेंगे, और वे डर जाएँगे। उनके चेहरों से प्रकट होगा कि वे लज्जित हैं, और वे अपना दुख प्रकट करने के लिए सिर मुँड़ाएँगे।
\v 19 वे अपनी चाँदी को सड़कों पर फेंक देंगे, और उनके सोने को वे कूड़े के समान समझेंगे, क्योंकि उन्हें पता चलेगा कि जब यहोवा उन्हें दण्ड देते हैं तब उनका चाँदी और सोना उन्हें बचाने में समर्थ नहीं है। वे अपना पेट भरने के लिए भोजन नहीं मोल ले पाएँगे, क्योंकि बहुत सारा सोना और चाँदी रखना उन्हें पाप की ओर ले गया है।
\s5
\v 20 उन्हें घमण्ड था, इसलिए उन्होंने अपने झूठे देवताओं की घिनौनी और घृणित मूर्तियों को बनाने के लिए अपने सुन्दर गहनों का उपयोग किया। इसलिए मैं उन्हें दिखाऊँगा कि ये सब वस्तुएँ कितनी घृणित और अस्वीकार्य हैं।
\v 21 मैं उन लोगों का चाँदी और सोना उन विदेशी लोगों को दूँगा जो तुम्हारे देश पर आक्रमण करेंगे और तुम्हारे बहुमूल्य खजाने को लूट कर ले जाएँगे। मैं वे वस्तुएँ दुष्ट लोगों को दूँगा, और जब वे उन वस्तुओं के साथ अपमानजनक कार्यों को करेंगे, तो मैं हस्तक्षेप नहीं करूँगा।
\v 22 मैं लुटेरों को उस मन्दिर में प्रवेश करने की अनुमति दूँगा जिससे मैं प्रेम करता हूँ और जिसकी मैं रक्षा करता हूँ, और वे इसे अपमानित करेंगे।
\p
\s5
\v 23 जब तुम्हारे शत्रु तुमको दण्ड के रूप में पकड़ लेते हैं तो बाँधने के लिए जंजीरों को तैयार करो क्योंकि पूरे देश में लोग हत्या कर रहे हैं, और शहर में रहने वाले लोग हिंसक हो रहे हैं।
\v 24 इसलिए मैं इस्राएलियों के घरों को लेने के लिए उन जातियों की सेनाएँ लाऊँगा जिनके लोग बहुत दुष्ट हैं। मैं इस्राएली लोगों को बोध कराऊँगा कि उन्हें अब घमण्डी नहीं होना चाहिए। तुम्हारे शत्रु तुम्हारी उपासना के स्थलों को आराधना के लिए स्वीकार्य नहीं रहने देंगे।
\v 25 जब तुम्हारे शत्रु तुमको डराते हैं, तो तुम उनसे शान्ति स्थापित करने की माँग करोगे, परन्तु कोई शान्ति नहीं होगी।
\s5
\v 26 तुम कई विपत्तियों का सामना करोगे, और तुम निरन्तर अन्य स्थानों पर आनेवाली विपत्तियों के विषय में अफवाहें सुनोगे। लोग भविष्यद्वक्ताओं से अनुरोध करेंगे कि अपने दर्शनों के विषय में बताएँ, परन्तु भविष्यद्वक्ताओं को कोई दर्शन नहीं मिलेगा। याजक अब लोगों को उन कानूनों को नहीं सिखाएँगे जिन्हें मैंने मूसा को दिया था। यहाँ तक कि बुद्धिमान वृद्ध लोगों के पास कोई उत्तर नहीं होगा।
\v 27 तुम्हारा राजा शोक करेगा, और उसका पुत्र आशा नहीं करेगा कि अब कुछ अच्छा होगा। पूरे देश में लोगों के हाथ थरथराएँगे। और मैं उनके साथ उनके दुष्ट व्यवहार के योग्य ही व्यवहार करूँगा। मैं उसी तरह उनका न्याय करूँगा और उनकी निन्दा करूँगा जैसे उन्होंने दूसरों का न्याय किया और उनकी निन्दा की। तब वे जान जाएँगे कि जो कुछ भी मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, के पास शक्ति है।”
\s5
\c 8
\p
\v 1 छठे महीने के पाँचवें दिन, बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश ले जाने के लगभग छः वर्ष बाद, मैं अपने घर में यहूदा के अगुवों के साथ बैठा था जब मुझे लगा कि यहोवा परमेश्वर की उपस्थिति फिर से मुझ पर प्रबल होने लगी है।
\v 2 फिर एक दर्शन में मैंने किसी ऐसे व्यक्ति को देखा जो एक पुरुष जैसा था, परन्तु उसकी कमर के नीचे उसका शरीर आग के समान था और उसकी कमर के ऊपर का उसका शरीर बहुत गर्म धातु के समान चमक रहा था।
\s5
\v 3 उसने कुछ बढ़ाया जो हाथ जैसा लग रहा था और मेरे सिर के बालों से मुझे पकड़ लिया। आत्मा ने मुझे पृथ्‍वी से ऊपर उठा लिया, और दर्शन में परमेश्वर मुझे बाबेल से यरूशलेम ले गया। वह मुझे मन्दिर के भीतर, उत्तरी द्वार तक ले गया, जहाँ एक ऐसी मूर्ति थी जिसने यहोवा को बहुत घृणा दिलाई और क्रोधित किया।
\v 4 और मेरे सामने वहाँ परमेश्वर की बहुत उज्ज्वल रोशनी थी जिसकी पहले इस्राएली लोगों ने आराधना की थी। यह उस दर्शन के समान था जिसे मैंने मैदान में देखा था।
\p
\s5
\v 5 परमेश्वर ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, उत्तर की ओर देख!” अतः मैंने देखा, और मैंने वेदी के पास के प्रवेश द्वार पर उस मूर्ति को देखा जिसने यहोवा को घृणा दिलाई और क्रोधित किया था।
\p
\v 6 उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, क्या तू देखता है कि इस्राएली लोग क्या कर रहे हैं? वे घृणित कार्य कर रहे हैं, ऐसे कार्य जिनके कारण मुझे मेरे मन्दिर को त्यागना होगा। परन्तु तू उन कार्यों को देखेगा जो और भी घृणित हैं।”
\p
\s5
\v 7 तब वह मुझे आँगन के प्रवेश द्वार पर लाए। मैंने दृष्टि की और दीवार में एक छेद देखा।
\v 8 उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, यहाँ दीवार में खोदना।” अतः मैंने दीवार में खोद दिया, और मैंने भीतर एक द्वार देखा।
\p
\v 9 उन्होंने मुझसे कहा, “भीतर जा कर दुष्टता और घृणा के कार्य देख जो वे यहाँ कर रहे हैं!”
\s5
\v 10 अतः मैं द्वार से होकर भीतर गया और दृष्टि की, और मैंने एक बड़े कमरे की सभी दीवारों पर, सभी प्रकार के प्राणियों के जो धरती पर रेंगते हैं और अन्य घृणित जानवरों के चित्रों को, और उन सब मूर्तियों के चित्रों को देखा जिनकी इस्राएल के लोग उपासना करते थे।
\v 11 उनके सामने इस्राएल के सत्तर पुरनिए खड़े थे। शापान का पुत्र याजन्याह उनके बीच खड़ा था। उनमें से प्रत्येक ने एक थाली पकड़ रखी थी जिसमें धूप जल रही थी, और जलती हुई धूप का सुगन्धित धुआँ उठ रहा था।
\p
\s5
\v 12 परमेश्वर ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, देख, इस्राएली पुरनिए यहाँ अँधेरे में क्या कर रहे हैं, उनमें से प्रत्येक बनाई हुए प्रतिमाओं के साथ अपने-अपने कमरे में खड़े हैं, और अपनी मूर्तियों की उपासना कर रहे हैं! वे कह रहे हैं, ‘यहोवा हमें नहीं देखते हैं; यहोवा ने इस देश को त्याग दिया है।’”
\v 13 उन्होंने यह कहा, “परन्तु तू उन कार्यों को देखेगा जो और भी घृणित हैं!”
\p
\s5
\v 14 फिर वह मुझे मन्दिर के बाहर के उत्तरी प्रवेश द्वार पर ले गए। मैंने वहाँ स्त्रियाँ बैठी देखीं, जो बाबेल के लोगों के देवता तम्मूज की मृत्यु के लिए शोक कर रही थीं।
\v 15 उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, क्या तू इसे देखता है? तू उन कार्यों को भी देखेगा जो इससे अधिक घृणित हैं!”
\p
\s5
\v 16 फिर वह मुझे मन्दिर के भीतरी आँगन में ले गए। वहाँ मन्दिर के प्रवेश द्वार पर, ओसारे और वेदी के बीच, लगभग पच्चीस पुरुष थे। उनकी पीठ मन्दिर की ओर थी, और उनके चेहरे पूर्व की ओर थे; वे सूरज की उपासना करने के लिए झुक रहे थे क्योंकि यह पूर्व में उगता था।
\p
\s5
\v 17 उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, क्या तू देखता है कि वे क्या कर रहे हैं? तेरी समझ में यहूदा के लोग जो कर रहे हैं वह क्या गम्भीर बात नहीं है कि वे यहाँ इन घृणित वस्तुओं की उपासना कर रहे हैं? परन्तु वे अन्य भयानक कार्यों को भी कर रहे हैं। वे अपने पूरे देश में हिंसा से कार्य कर रहे हैं, और निरन्तर मेरे क्रोध को उकसा रहे हैं। वे झूठी उपासना करके मेरा अपमान कर रहे हैं।
\v 18 इसलिए मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं बहुत क्रोधित हूँ। मैं उन पर कृपा नहीं करूँगा या उन पर दया नहीं करूँगा। और यहाँ तक कि यदि वे सहायता करने के लिए मुझे चिल्ला चिल्लाकर पुकारने लगें, मैं उन पर ध्यान नहीं दूँगा।”
\s5
\c 9
\p
\v 1 तब यहोवा ने ऊँचे शब्द से पुकार कर कहा, “तुम लोग जो इस शहर को दण्ड देने जा रहे हो, यहाँ अपने विनाश के साधन लाओ।”
\v 2 तब मैंने छः मनुष्यों को मन्दिर के उत्तर द्वार से आते देखा। प्रत्येक के हाथ में एक हथियार था। उनके साथ सफेद सनी का वस्त्र पहने हुए एक पुरुष था। वह अपने साथ एक बक्सा लिए हुए था जिसमें लिखने का सामान था। वे सब भीतर आए और पीतल की वेदी के पास खड़े हो गए।
\p
\s5
\v 3 तब वह महिमा जो इस्राएल के परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक थी चार पंखों वाले प्राणियों से ऊपर उठ गई और मन्दिर के प्रवेश द्वार से चली गई, और यहोवा ने सनी का वस्त्र पहने हुए पुरुष को पुकारा,
\v 4 और उससे कहा, “सम्पूर्ण यरूशलेम में जा और उन लोगों के माथे पर चिन्ह डाल जो शहर में होने वाले घृणित कार्यों के कारण बहुत दुखी हैं।”
\p
\s5
\v 5 जब मैं सुन रहा था, तब उन्होंने अन्य छः लोगों से कहा, “सफेद वस्त्र पहने हुए पुरुष का अनुसरण करो, और लोगों को मार डालो। उन पर दया नहीं करना या उनके साथ दया का व्यवहार नहीं करना।
\v 6 बूढ़े पुरुषों, युवा पुरुषों और स्त्रियों, बुजुर्ग स्त्रियों और बच्चों को घात करो; परन्तु उन लोगों में से किसी को भी हानि न पहुँचाओ जिनके माथे पर वह चिन्ह है। मेरे मन्दिर से आरम्भ करो।” अतः उन्होंने मन्दिर के सामने मूर्तियों की उपासना करने वाले प्राचीनों से नरसंहार आरम्भ किया।
\p
\s5
\v 7 तब यहोवा ने उन पुरुषों से कहा, “तुम्हारे द्वारा मारे गए लोगों के शवों से आँगन को भर कर मन्दिर को अशुद्ध करो! अब आरम्भ करो!” अतः वे बाहर चले गए और पूरे शहर में लोगों की हत्या करना आरम्भ कर दिया।
\v 8 जब वे ऐसा कर रहे थे, मैं अकेला छोड़ दिया गया था। मैंने स्वयं को भूमि पर मुँह के बल गिरा दिया और रोने लगा, “हे यहोवा मेरे परमेश्वर, क्या आप यरूशलेम पर क्रोध बरसाकर इस्राएल के उन सब लोगों को नाश करने जा रहे हैं जो अभी भी जीवित हैं?”
\p
\s5
\v 9 उन्होंने उत्तर दिया, “लोगों के पाप असंख्य और गम्भीर हैं! देश में हर स्थान में हत्या हुई है, और यह शहर उन लोगों से भरा है जो अन्याय से कार्य करते हैं। वे कहते हैं, ‘यहोवा ने इस देश को त्याग दिया है, और वह नहीं देखते कि हम क्या कर रहे हैं।’
\v 10 इसलिए मैं उन पर कृपा नहीं करूँगा या उनके साथ दया का व्यवहार नहीं करूँगा। मैं उनके साथ वही बुरे कार्य करूँगा जो उन्होंने अन्य लोगों के साथ किए हैं।”
\p
\v 11 तब सनी का वस्त्र पहने हुए पुरुष ने वापस आकर कहा, “मैंने वह कर दिया है जिसको करने का आदेश आपने मुझे दिया था।”
\s5
\c 10
\p
\v 1 तब मैंने चार पंख वाले प्राणियों के सिर के ऊपर एक गुम्मट जैसी दिखने वाली वस्तु के ऊपर कुछ देखा जो नीलमणि से बने सिंहासन जैसा दिखता था।
\v 2 यहोवा ने सनी का वस्त्र पहने हुए पुरुष से कहा, “पंखों वाले प्राणियों के नीचे के पहियों के बीच जा। जितने उठा सके उतने गर्म कोयले उठा, और उन्हें शहर में बिखरा दे।” और मेरे देखते-देखते, सफेद वस्त्र पहने हुए वह पुरुष चला गया।
\p
\s5
\v 3 चार पंख वाले प्राणी मन्दिर के दक्षिण की ओर खड़े थे जब सफेद वस्त्र पहने हुए उस पुरुष ने प्रवेश किया था। फिर एक बादल ने मन्दिर के भीतरी आँगन को भर दिया।
\v 4 और यहोवा की महिमा सीधे पंख वाले प्राणियों के ऊपर से निकल कर मन्दिर के द्वार पर खड़ी हो गई। उसने पूरे मन्दिर को बादल से भर दिया और आँगन में सब कुछ यहोवा की महिमामय उपस्थिति के कारण उज्ज्वल था।
\v 5 मैंने मन्दिर के बाहर के आँगन में पंख वाले प्राणियों के पंखों द्वारा उत्पन्न की गई आवाज भी सुनी। यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आवाज के समान बहुत प्रबल थी।
\p
\s5
\v 6 जब यहोवा ने सनी का वस्त्र पहने हुए पुरुष को उन पंखों वाले प्राणियों से जलते हुए कोयले लेने की आज्ञा दी, तो वह पुरुष आँगन में गया और पहियों में से एक के पास खड़ा हो गया।
\v 7 तब उन पंखों वाले प्राणियों में से एक ने अपने हाथ को उस आग की ओर बढ़ाया जो उनके बीच थी। उसने कुछ कोयले उठाए और उन्हें सनी का वस्त्र पहने हुए पुरुष के हाथों में रख दिए, और उस पुरुष ने उन्हें ले लिया और चला गया।
\v 8 पंख वाले प्राणियों के पंखों के नीचे मनुष्य के हाथों जैसा कुछ दिखता था।
\p
\s5
\v 9 तब मैंने पंख वाले प्राणियों के साथ चार पहियों को देखा। प्रत्येक पंख वाले प्राणियों के बगल में एक पहिया था। पहिये बहुत मूल्यवान पत्थरों के समान चमकते थे।
\v 10 सभी पहिये एक जैसे थे: हर एक के पास पहिया था जो दूसरे पहिये में जुड़ा हुआ था।
\v 11 जब भी वे चलते थे, तब वे सीधे उसी दिशा में चलते थे जिस दिशा में किसी एक पंख वाले प्राणी का मुँह होता था। पंखों वाले प्राणियों के उड़ने के समय पहिये किसी और दिशा में नहीं मुड़े।
\s5
\v 12 उनके शरीर, उनकी पीठ और हाथ और पंख सब में अनेक, आँखें थीं। पहियों में भी अनेक आँखें थीं।
\v 13 मैंने सुना कि किसी ने उन्हें ‘घुमावदार पहिये’ कहा है।
\v 14 पंखों वाले प्रत्येक प्राणी के चार चेहरे थे। एक चेहरा एक बैल के चेहरे के समान था, एक चेहरा मनुष्य के चेहरे के समान था, एक चेहरा शेर के चेहरे के समान था, और एक चेहरा एक उकाब के चेहरे के समान था।
\p
\s5
\v 15 तब पंख वाले प्राणी उठ खड़े हुए। वे वही जीवित प्राणी थे जिन्हें मैंने कबार नदी के पास देखा था।
\v 16 जब पंख वाले प्राणी चलते थे, तो पहिये उनके साथ चलते थे। जब पंख वाले प्राणी धरती से ऊपर उड़ने के लिए अपने पंख फैलाते थे, तो पहियों ने उन्हें नहीं छोड़ा, वे उनकी बगल में ही रहे।
\v 17 जब पंख वाले प्राणी रुक गए, तो पहिये रुक गए। जब पंख वाले प्राणी उड़ने लगे, तो पहिये उनके साथ उड़े, क्योंकि जीवित प्राणियों की आत्मा पहियों में थी।
\p
\s5
\v 18 तब यहोवा की महिमा ने मन्दिर के प्रवेश द्वार को छोड़ दिया और पंखों वाले प्राणियों के ऊपर आकर रुक गई।
\v 19 मेरे देखते-देखते, पंख वाले प्राणियों ने अपने पंख फैलाए और उड़ने लगे, और पहिये उनके साथ चले गए। वे मन्दिर के पूर्व की ओर द्वार पर रुक गए, और परमेश्वर की महिमा, जिनकी इस्राएली आराधना करते थे, उनके ऊपर थी।
\p
\s5
\v 20 ये वही चार जीवित प्राणी थे जिन्हें मैंने कबार नदी के पास देखा था, और मैंने जान लिया कि वे पंख वाले प्राणी थे।
\v 21 उनमें से प्रत्येक के चार चेहरे और चार पंख थे, और उनके पंखों के नीचे मनुष्य के हाथ जैसा कुछ था।
\v 22 उनके चेहरे उन चेहरों के समान थे जो मैंने कबार नदी पर देखे थे। उनमें से प्रत्येक सीधा आगे को उड़ा।
\s5
\c 11
\p
\v 1 तब परमेश्वर के आत्मा ने मुझे उठा लिया और मुझे मन्दिर के पूर्व की ओर द्वार पर ले गया। द्वार पर पच्चीस पुरुष थे। उनमें से मैंने अज्जूर के पुत्र याजन्याह और बनायाह के पुत्र पलत्याह को देखा, जो लोगों के प्रधान थे।
\s5
\v 2 यहोवा ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, ये यरूशलेम के नए अगुवे हैं जो बुरे कार्य करने की योजना बना रहे हैं और जो इस नगर में लोगों को गलत परामर्श दे रहे हैं।
\v 3 वे कहते हैं, ‘अभी घर बनाने का समय नहीं है, परन्तु जैसे माँस के टुकड़े ढके हुए बर्तनों में सुरक्षित रखे जाते हैं, वैसे ही हम उन बुराइयों से सुरक्षित रहेंगे जो दूसरों के साथ होंगी।’
\v 4 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, उन भयानक बातों की भविष्यद्वाणी कर जो उनके साथ होंगी।”
\p
\s5
\v 5 तब यहोवा का आत्मा मुझ पर आया और मुझे लोगों से कहने के लिए कहा, “यहोवा कहते हैं, ‘तुम इस्राएली लोग उन बातों को कहते हो, और मैं जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो।
\v 6 तुमने इस शहर में कई लोगों को मारा है और उनके शवों से सड़कों को भर दिया है।
\p
\v 7 इस कारण यहोवा परमेश्वर कहते हैं, ‘जिन लोगों को तुमने यहाँ मार डाला है, उनके शव माँस के समान हैं और यरूशलेम पात्र है, परन्तु मैं तुमको इस शहर से निकाल दूँगा!
\s5
\v 8 तुम शत्रु की तलवारों से मारे जाने से डरते हो, इसलिए मैं तुम्हारे साथ ऐसा ही होने दूँगा।
\v 9 मैं तुमको इस शहर से निकाल दूँगा और विदेशियों को इस योग्य कर दूँगा कि वे तुमको पकड़ें और दण्ड दें।
\v 10 वे तुमको तलवारों से मार डालेंगे; इस्राएल में तुमको दण्ड दिया जाएगा! तब वे लोग जान जाएँगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\s5
\v 11 यह शहर ऐसा स्थान नहीं होगा जहाँ तुम एक ढके हुए पात्र में माँस के समान सुरक्षित होगे। तुम इस्राएल में जहाँ भी हों, मैं तुमको दण्ड दूँगा।
\v 12 तब तुम जान जाओगे कि, यह भविष्यद्वाणी मेरी अर्थात् यहोवा ही की है कि ऐसा होगा, क्योंकि तुमने मेरे आदेशों और आज्ञाओं का पालन नहीं किया है; इसकी अपेक्षा, तुमने आस-पास के देशों के लोगों के दुष्ट व्यवहार की नकल की है।”
\p
\s5
\v 13 जब मैं यह भविष्यद्वाणी कर रहा था, तब बनायाह का पुत्र पलत्याह अकस्मात ही मर गया। तब मैं भूमि पर मुँह के बल गिर गया और जोर से रोने लगा, “हे यहोवा मेरे परमेश्वर, क्या आप इसी तरह के सब इस्राएली लोगों का ऐसे ही नाश करेंगे जो अभी भी जीवित हैं?”
\p
\s5
\v 14 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया,
\v 15 “हे मनुष्य के पुत्र, जो लोग यरूशलेम में अभी भी हैं, वे तेरे सम्बन्धियों, तेरे वंश और अन्य इस्राएली लोगों के विषय में बात कर रहे हैं, जिन्हें बन्धुआ बनाया गया था और कह रहे हैं, ‘वे बाबेल में हैं, यहोवा से बहुत दूर हैं। उन्होंने यहाँ इस्राएल में उनकी सम्पत्ति को छोड़ दिया है, इसलिए उनकी सम्पत्ति अब हमारी है।’”
\p
\s5
\v 16 इसलिए उनसे कह, “यहोवा परमेश्वर कहते हैं: यद्दपि मैंने उन्हें इस्राएल से बहुत दूर जाने दिया और उन्हें अन्य देशों में तितर बितर कर दिया, थोड़े समय के लिए मैं उन देशों में उनके लिए शरणस्थान बन गया हूँ जिनमें उन्हें ले जाया गया है।”
\p
\v 17 इसलिए उनसे यह भी कह, “यहोवा परमेश्वर कहते हैं: एक दिन मैं तुमको उन देशों में एकत्र करूँगा जिसमें तुमको ले जाया गया है और तुमको वापस इस्राएल में ले आऊँगा, और तुम फिर से अपने देश में रहोगे।
\p
\v 18 जब तुम अपने देश लौट आओगे, तब तुम उन सब अशुद्ध देवताओं की प्रतिमाओं से और घृणित मूर्तियों को त्याग दोगे।
\s5
\v 19 मैं तुम इस्राएली लोगों को एक नया मन दूँगा और जब तुम इस्राएल लौट जाओगे तब मैं तुमको सोचने की एक नई विधि दूँगा। तुम हठीले नहीं आज्ञाकारी होंगे।
\v 20 जब मैं ऐसा करूँगा, तब तुम मेरे सब नियमों का ध्यानपूर्वक पालन करोगे। तुम मेरे लोग होगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।
\v 21 परन्तु उनके लिए जो लोग अपनी अपवित्र प्रतिमाओं और घृणित मूर्तियों की उपासना करने के लिए समर्पित हैं, जैसा उन्होंने किए है, उन बुरे कार्यों के कारण मैं उनको उनके योग्य ही दण्ड दूँगा।” यहोवा ने यही घोषित किया है।
\p
\s5
\v 22 तब पंख वाले प्राणियों ने उनके बगल के अपने पहियों के साथ, अपने पंख फैलाए और हवा में उड़ गए, और यहोवा की उज्जवल चमक उनके ऊपर थी।
\v 23 वह प्रकाश शहर से दूर चला गया और पर्वत के ऊपर शहर के पूर्व में रुक गया।
\s5
\v 24 दर्शन में जो मैं देख रहा था, उसमें परमेश्वर के आत्मा ने मुझे उठा लिया और मुझे बाबेल में बन्धुओं के पास वापस ले आया। फिर दर्शन समाप्त हो गया,
\v 25 और मैंने बन्धुओं को सब कुछ बताया जो यहोवा ने मुझे दर्शन में दिखाया था।
\s5
\c 12
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, तू उन लोगों के बीच रह रहा है जो बहुत विद्रोही हैं। उनके पास आँखें हैं, परन्तु वह नहीं देखते जो मैं चाहता हूँ कि वे देखें; उनके पास कान हैं, परन्तु वह नहीं सुनते हैं जो मैं चाहता हूँ कि वे सुनें, क्योंकि वे ऐसे ही विद्रोही लोग हैं।
\p
\s5
\v 3 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, अपना सामान बाँध ले जैसे कि तू बन्धुआई में जा रहा है। फिर, दिन के समय, जब लोग देख रहे हों, एक अन्य जगह पर जाने के लिए तैयारी कर। भले ही लोग विद्रोही हैं, हो सकता है वे समझेंगे कि तू किस बात का संकेत दे रहा है।
\s5
\v 4 दिन के समय, जब वे देख रहे हों, उस सामान को बाहर ला जिन्हें तू ले जाना चाहता है, और उन्हें बाँध। फिर शाम को, जब वे देख रहे हों, तो वह कर जो बन्धुआई में जाने की तैयारी करने वाले लोग करते हैं।
\v 5 घर की दीवार में खोद कर एक छेद कर और छेद में से अपना सामान निकाल।
\v 6 जब वे देख रहे हों उस सामान को एक बोरे में डाल कर अपने कंधे पर रख, और जब अंधेरा हो जाए तो चले जा। अपना चेहरा ढक कि तू रास्ते को न देख सके। मैं चाहता हूँ कि तू ऐसा करे क्योंकि मैं चाहता हूँ कि तू इस्राएली लोगों के लिए चेतावनी दे।”
\p
\s5
\v 7 इसलिए मैंने वही किया जो यहोवा ने मुझे करने के लिए कहा था। तब दिन के समय मैं अपने घर से सामान बाहर लाया जैसे कि मैं बन्धुआई में जाने के लिए सामान बाँध रहा हूँ। फिर शाम को मैंने घर की दीवार में खुदाई की। फिर जब लोग देख रहे थे, तो मैंने अपने सामान के बोरे को कंधे पर रखा और निकल गया।
\p
\s5
\v 8 अगली सुबह, यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया,
\v 9 “हे मनुष्य के पुत्र, क्या इस्राएल के विद्रोही लोगों ने तुझसे नहीं पूछा, ‘तू क्या कर रहा है?
\p
\v 10 इसलिए वापस जा और उनसे कह, ‘जो मैंने किया है वह यरूशलेम के राजा और इस्राएल के अन्य सब लोगों के विषय में है जो यहाँ हैं।’
\s5
\v 11 उन्हें बता, ‘मैंने जो किया वह तुम्हारे लिए एक चेतावनी है। मैंने तुम्हारे सामने जो किया है, वैसा ही उन्हें भी करना होगा। उन्हें पकड़ लिया जाएगा और दूसरे देश में जाने के लिए विवश किया जाएगा।
\v 12 जब अंधेरा हो जाएगा तब उनका राजा अपने सामान को अपने कंधे पर रखेगा और वह भागने का प्रयास करेगा। उसके कर्मचारी शहर की दीवार में एक छेद खोदेंगे, और वह इसमें से अपना सामान ले जाएगा। वह अपने चेहरे को ढँक लेगा कि उसे कोई पहचान न सके और वह भूमि को देख नहीं पाएगा।
\v 13 परन्तु ऐसा होगा मानों मैं उसको पकड़ने के लिए एक जाल फैलाऊँगा; शत्रु के सैनिक उसे पकड़ लेंगे, उसे अंधा कर देंगे, और उसे बाबेल शहर में ले जाएँगे जहाँ कसदी लोग रहते हैं। परन्तु वह यह देख नहीं पाएगा क्योंकि वह अंधा होगा; और वहाँ वह मर जाएगा।
\s5
\v 14 मैं जो उसके साथ के सब लोगों को चारों दिशा में तितर बितर कर दूँगा उसके सलाहकारों को और उसके सैनिकों को और मैं उसके शत्रुओं को उनका पीछा करने के लिए प्रेरित करूँगा, उनकी तलवारें उन्हें मारने के लिए तैयार होंगी।
\p
\v 15 फिर, जब मैं उन्हें कई राष्ट्रों में तितर बितर कर दूँगा, तब वे जान जाएँगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा में शक्ति है।
\v 16 परन्तु मैं उनमें से कुछ को तलवार से मरने से, या भूख से मरने से, या बीमारी से मरने से बचाऊँगा कि वे अपने घृणित कार्यों का लेखा रख सकें, और वे जान जाएँगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 17 तब यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 18 “हे मनुष्य के पुत्र, जब तू अपना खाना खाए, तो घबरा, और अपना पानी पीते समय भय से थरथरा।
\s5
\v 19 इस्राएली लोगों से यह कह: ‘यहोवा परमेश्वर उन लोगों के विषय में जो अब भी यरूशलेम में हैं, और इस्राएल के अन्य स्थानों में रहते हैं, यह कहते हैं। वे भी बहुत ही चिन्तित होंगे जब वे अपना खाना खाएँगे और अपना पानी पीएँगे, क्योंकि शीघ्र ही उनके देश में से सब कुछ दूर ले जाया जाएगा। ऐसा इसलिए होगा कि वहाँ रहने वाले लोग निरन्तर बहुत हिंसक कार्य करते हैं।
\v 20 जिन नगरों में लोग रहते हैं वे नष्ट हो जाएँगे, और भूमि बंजर हो जाएगी। तब तुम लोग जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 21 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 22 “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल में रहने वाले लोगों में यह कहावत है, ‘दिन जाते रहते हैं, और भविष्यद्वक्ता जो भविष्यद्वाणी करते हैं वह कभी पूरी नहीं होती।’
\v 23 इसलिए उनसे कह, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: मैं यह सिद्ध करने जा रहा हूँ कि वे जो कहते हैं वह सही नहीं है, और वे इस्राएल में फिर कभी ऐसा नहीं कहेंगे।’ उनसे कह, ‘शीघ्र ही वह समय आएगा जब भविष्यद्वक्ताओं की भविष्यद्वाणी की हर बात पूरी होगी।
\s5
\v 24 भविष्यद्वक्ता अब इस्राएली लोगों को झूठे दर्शन नहीं बताएँगे, या सिर्फ लोगों को प्रसन्न करने के लिए उन्हें भविष्यद्वाणियाँ नहीं सुनाएँगे।
\v 25 इसकी अपेक्षा, मैं, यहोवा, वह कहूँगा जो मैं लोगों से कहना चाहता हूँ, और जो मैं भविष्यद्वाणी करता हूँ वह शीघ्र ही पूरी होगा। तुम विद्रोही लोगों, मैं जो कुछ भी कहूँगा वह होगा, मैं वह सब कुछ होने दूँगा। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ।”
\p
\s5
\v 26 यहोवा ने मुझे यह सन्देश भी दिया। उन्होंने कहा,
\v 27 “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएली लोग निरन्तर तेरे विषय में कह रहे हैं, ‘जो भी बातें वह दर्शन में देखता है वह शीघ्र नहीं घटेंगी। वे उन बातों के विषय में हैं जो अब से कई वर्षों के बाद भविष्य में घटित होंगी।’
\p
\v 28 इसलिए उनसे कह, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: जिन बातों की मैंने भविष्यद्वाणी की है उनमें से किसी के होने में मैं अब देरी नहीं करूँगा। जो भी मैंने भविष्यद्वाणी की है वह शीघ्र ही पूरी होगी।”
\s5
\c 13
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, उन भविष्यद्वक्ताओं के विरुद्ध चेतावनी की भविष्यद्वाणी कर जो यरूशलेम में भविष्यद्वाणी कर रहे हैं। उनमें से कुछ उन बातों की भविष्यद्वाणी कर रहे हैं जिसकी उन्होंने स्वयं कल्पना की है। उनसे कह, ‘सुनो कि यहोवा क्या कहते हैं!
\v 3 वह कहते हैं, “उन दुष्ट भविष्यद्वक्ताओं के साथ भयानक बातें होंगी जो अपने स्वयं के विचारों का प्रचार करते हैं, उन्होंने मेरी ओर से कोई दर्शन नहीं देखे हैं।
\v 4 हे इस्राएली लोगों, तुम्हारे भविष्यद्वक्ता मरुस्थल में सियारों के समान हैं, वे दूसरों की हानि से खाने वाले सड़क के सफाई कर्मचारी हैं।
\s5
\v 5 क्योंकि तुम उन्हें सुन रहे थे, तुमने अपने शहर की दीवारों को सुधार कर दरारें नहीं भरी कि वे दृढ़ हों। ऐसा करने की आवश्यकता थी कि जब मैं, यहोवा, तुम्हारे शत्रुओं को तुम पर आक्रमण करने के लिए भेजूँ तो दीवारें मजबूत हों।
\v 6 उन भविष्यद्वक्ताओं के दर्शन और भविष्यद्वाणियाँ झूठी हैं। वे कहते हैं, ‘यहोवा ने मुझे यह बताया।’ मैंने उन भविष्यद्वक्ताओं को मेरा भविष्यद्वक्ता होने के लिए तुम्हारे पास नहीं भेजा है, परन्तु तुम आशा करते हो कि उनकी भविष्यद्वाणी वास्तव में पूरी होगी!
\v 7 वे कहते हैं कि उन्होंने दर्शन देखे हैं, परन्तु वे दर्शन झूठे हैं, और जिन बातों की वे भविष्यद्वाणी करते हैं वे झूठी हैं। वे कहते हैं, ‘यहोवा ने मुझे यह बताया, परन्तु मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बताया है!
\p
\s5
\v 8 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: क्योंकि तुम भविष्यद्वक्ताओं ने वह कहा है जो झूठ है और क्योंकि तुम्हारे दर्शन झूठे हैं, मैं तुम्हारे विरोध में हूँ।
\v 9 मैं तुम सब भविष्यद्वक्ताओं पर आक्रमण करूँगा जो झूठ बोलते हैं कि तुमने दर्शन देखे हैं और उन बातों की भविष्यद्वाणी करते हैं जो झूठी हैं। मेरे लोगों के बीच तुम्हारे लिए कोई स्थान नहीं होगा, तुम्हारे नाम इस्राएली लोगों के अभिलेखों में लिखे नहीं जाएँगे, और तुम कभी भी इस्राएल वापस नहीं लौटेंगे। तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\p
\s5
\v 10 वे मेरे लोगों को यह कहते हुए धोखा देते हैं, “हमारे लिए सब कुछ अच्छा ही होगा” जबकि अच्छा नहीं होगा। ऐसा लगता है कि वे लोगों के मन में यह डालते हैं कि वहाँ एक बहुत ठोस दीवार है जबकि वह ठोस नहीं है।
\v 11 इसलिए, उन भविष्यद्वक्ताओं से कह जिस दीवार को सफेदी करके ढाँक देते हैं वह निश्चित रूप से गिर जाएगी। बहुत भारी वर्षा होगी। मैं उसे गिराने के लिए बड़े-बड़े ओले भेजूँगा। उस पर बहुत तेज हवाएँ लगेंगी।
\v 12 जब दीवार गिर जाएगी, तब लोग निश्चय उन भविष्यद्वक्ताओं से कहेंगे, “सफेद चूने ने निश्चित रूप से दीवार को मजबूत नहीं बनाया!”
\p
\s5
\v 13 इसलिए मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: क्योंकि मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ, मैं यरूशलेम को नष्ट करने के लिए शत्रु की सेना भेजूँगा। यह ऐसा होगा जैसे कि मैं तुमको नष्ट करने के लिए एक आँधी और ओले और भारी वर्षा भेजूँगा।
\v 14 तुम्हारे भविष्यद्वक्ताओं की झूठी भविष्यद्वाणियाँ एक ऐसी दीवार के समान हैं जिस पर उन्होंने चूना फेर दिया है, परन्तु मैं इसे तोड़ कर गिरा दूँगा, और इसे भूमि पर बिखरा दूँगा, जिसके कारण लोग इसकी नींव देख सकेंगे। जब दीवार गिर जाएगी तब तुम भी मारे जाओगे, और हर कोई यह जान लेगा कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\s5
\v 15 इस तरह से मैं दिखाऊँगा कि मैं दीवार से और उन लोगों से बहुत क्रोधित हूँ जो इस पर चूना फेरते हैं। और मैं कहूँगा, “दीवार चली गई है और जिन लोगों ने इस पर चूना फेरा था, उन्हें मार दिया गया है।”
\v 16 वे वही भविष्यद्वक्ता हैं जिन्होंने भविष्यद्वाणी की थी कि यरूशलेम में रहने वाले लोगों का कल्याण ही होगा जबकि उनकी दशा अच्छी नहीं होगी।
\p
\s5
\v 17 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, दिखा कि तू यरूशलेम की स्त्रियों से क्रोधित है, जो अपनी कल्पना की भविष्यद्वाणी करती हैं, और उनके विरुद्ध सच्ची भविष्यद्वाणी कर।
\v 18 उनसे कह, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: तुम स्त्रियों के साथ भयानक बातें होंगी जो अपनी कलाईयों पर तन्त्र मन्त्र के धागे बाँधती हो और लोगों को धोखा देने के लिए अपने सिरों पर रखने के लिए अलग-अलग आकारों के घूँघट बनाती हो। तुम क्या सोचती हो कि तुम लोगों को भविष्य की बातें बता कर धोखा दोगी, और अपने स्वयं के जीवन को बचा लोगी।
\s5
\v 19 तुमने मेरे लोगों से कुछ मुट्ठी भर जौ और रोटी के कुछ टुकड़ों के लिए झूठ बोल कर मुझे अपमानित किया है। मेरे लोग झूठी बातों को सुनते हैं; और तुम स्त्रियाँ जो उनसे झूठ बोल रही हो, तुमने ऐसे लोगों को मारे जाने दिया है जो मरने के योग्य नहीं हैं, और उन लोगों को छोड़ दिया है जिनको जीवित नहीं रहना चाहिए।’
\p
\s5
\v 20 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, उन स्त्रियों से यही कहता हूँ: ‘मैं तुम्हारे तन्त्र मन्त्र के धागों से घृणा करता हूँ जिसके द्वारा तुम लोगों को धोखा देती हो जैसे लोग पक्षियों को जाल में फँसाते हैं। मैं उन धागों को तुम्हारी कलाई से तोड़ कर फेंक दूँगा, और मैं उन लोगों को जिन्हें तुमने धोखा दिया है अब तुम्हारे द्वारा और धोखा नहीं खाने दूँगा।
\v 21 मैं तुम्हारे घूँघटों को भी फाड़ डालूँगा और अपने लोगों को तुम्हारे द्वारा धोखा खाते रहने से बचाऊँगा, और अब वे तुम्हारे नियंत्रण में नहीं रहेंगे। तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\s5
\v 22 तुमने उनसे झूठ बोल कर धर्मी लोगों को हतोत्साहित किया है जबकि मैंने उन्हें दुखी होने का कोई कार्य नहीं किया था। और तुमने दुष्ट लोगों को दुष्ट व्यवहार करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया है; अगर वे इससे दूर हो गए होते, तो वे जीवित रहते।
\v 23 इसलिए, अब तुम झूठ नहीं कहोगे कि तुमने दर्शन देखा है या लोगों को आनन्दित करने के लिए उनको झूठ नहीं बताओगे कि भविष्य में क्या होगा। मैं अपने लोगों को तुम्हारे द्वारा धोखा खाने से बचाऊँगा। और तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।”
\s5
\c 14
\p
\v 1 एक दिन इस्राएल के कुछ पुरनिए मेरे पास आए और मेरे सामने बैठ गए।
\v 2 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया:
\v 3 “हे मनुष्य के पुत्र, ये लोग मूर्तियों की उपासना करते हैं, और वे मूर्तियों से पाप करने की प्रेरणा पाते हैं। इसलिए यदि वे मुझसे मार्गदर्शन खोजें तो क्या मुझे उनका उत्तर देना चाहिए?
\s5
\v 4 परन्तु उनसे यह कहो: ‘यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं: जब कोई इस्राएली जन उन मूर्तियों की उपासना करना चाहता है जो उन्हें पाप करने के लिए प्रेरित करेंगी, और मार्गदर्शन के लिए किसी भविष्यद्वक्ता के पास जाता है, तो मैं, यहोवा, उसे वही उत्तर दूँगा जिसके वे योग्य हैं क्योंकि वे मूर्तियों की उपासना करते हैं।
\v 5 मैं ऐसा करूँगा जिससे कि इस्राएली लोग, जिन्होंने अपनी मूर्तियों की उपासना करने के लिए मुझे छोड़ दिया है, फिर से मेरी सच्ची आराधना करेंगे।
\p
\s5
\v 6 इस कारण, इस्राएली लोगों से कह, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: पश्चाताप करो! अपनी मूर्तियों की उपासना करना त्याग दो, और अपने घृणित व्यवहार से मुक्ति पाओ!
\p
\s5
\v 7 जब आप में से कोई भी इस्राएली जन या आपके बीच रहने वाला कोई भी विदेशी मुझसे दूर हो जाता है और मूर्तियों की उपासना करना आरम्भ करता है जिनसे उसे पाप करने की प्रेरणा मिलती है, और फिर वह किसी भविष्यद्वक्ता के पास जाता है कि मेरी इच्छा को जाने कि मैं उससे क्या चाहता हूँ कि वह करे, तो मैं स्वयं उसे उत्तर दूँगा।
\v 8 मैं दिखाऊँगा कि मैं उससे घृणा करता हूँ, और दूसरों की चेतावनी के लिए वह करता हूँ जो उसके साथ घटित होता है, और उसे एक ऐसा व्यक्ति बना देता हूँ जिसे लोग तुच्छ मानते हैं। मैं उसे अपने लोगों के साथ जुड़ने नहीं दूँगा। तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\p
\s5
\v 9 और यदि किसी भविष्यद्वक्ता ने धोखा दिया है और झूठी भविष्यद्वाणी की है, भले ही मैंने उसे यह सन्देश देने की अनुमति दी है, मैं उससे छुटकारा पाऊँगा और उसे अपने इस्राएली लोगों में से हटा दूँगा।
\v 10 भविष्यद्वक्ता और वह जो उससे परामर्श खोजता है दोनों दोषी होंगे, और मैं उन दोनों को दण्ड दूँगा।
\v 11 फिर इस्राएली लोग अब मुझे त्यागे नहीं रहेंगे, और उनके पापों के कारण वे अब मेरे लिए अस्वीकार्य नहीं होंगे। वे मेरे लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ।”
\p
\s5
\v 12 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 13 “हे मनुष्य, यदि किसी देश के लोग मुझे छोड़ कर मेरे विरुद्ध पाप करते हैं, और मैं उनकी भोजन आपूर्ति काट कर और उन पर अकाल भेज कर उन्हें दण्ड देता हूँ कि लोग और जानवर मर जाएँ,
\v 14 यहाँ तक कि यदि नूह, दानिय्येल और अय्यूब भी वहाँ हों, तो वे केवल धार्मिक होने के कारण ही स्वयं को बचा पाएँगे। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 15 या, यदि मैं पूरे देश में जंगली जानवर भेजता हूँ, और वे कई लोगों पर आक्रमण करते हैं और उन्हें मार डालते हैं, कि उस देश में यात्रा करना बहुत खतरनाक हो और कोई भी उस देश से होकर यात्रा नहीं कर सके,
\v 16 निश्चित रूप से जैसे मैं जीवित हूँ, भले ही वे तीन पुरुष यदि उस देश में हों, फिर भी वे अपने पुत्रों या पुत्रियों को मरने से बचा नहीं पाएँगे। केवल वे तीन ही बचाए जाएँगे, और देश एक बंजर भूमि बन जाएगा। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 17 या, यदि मैं शत्रु के सैनिकों को लाता हूँ कि उनके सम्पूर्ण देश के लोगों और जानवरों को अपनी तलवारों से मारें,
\v 18 निश्चित रूप से जैसे मैं जीवित हूँ, भले ही वे तीन पुरुष उस देश में हों, फिर भी वे अपने पुत्रों या पुत्रियों को मरने से बचाने में समर्थ नहीं होंगे। वे केवल स्वयं को बचा पाएँगे। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 19 या, यदि मैं उस देश में एक महामारी भेजूँ और लोगों को और जानवरों को महामारी से मरने दूँ क्योंकि मैं उन लोगों से बहुत क्रोधित हूँ,
\v 20 निश्चित रूप से जैसे मैं जीवित हूँ, भले ही नूह, दानिय्येल और अय्यूब भी उस देश में हों, फिर भी वे अपने पुत्रों और पुत्रियों को बचा नहीं पाएँगे। वे केवल धर्मी होने के कारण स्वयं को बचा पाएँगे। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 21 इसलिए अब मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: मैं यरूशलेम के लोगों को बहुत गम्भीर दण्ड देने के लिए उन पर चार बातें घटित होने दूँगा। कुछ लोग और जानवर तलवारों से मारे जाएँगे, कुछ अकालों से मर जाएँगे, अन्यों पर जंगली जानवरों द्वारा आक्रमण किया जाएगा और वे मारे जाएँगे, और अन्य महामारी में मर जाएँगे।
\s5
\v 22 परन्तु तुम्हारे कुछ लोग, युवा और बच्चे दोनों जीवित रहेंगे। हे यहेजकेल, वे तेरे पास आएँगे। और जब तू उनके घृणित व्यवहार और कार्यों को देखेगा, तो तुझे पता चलेगा कि यरूशलेम के लोगों पर उन महान विपत्तियों को डालने का मेरे पास उचित कारण हैं जिन्हें मैंने उन पर भेजा है।
\v 23 जब तू उनके कार्यों को देखेगा, जो वे करते हैं, तो तू जान लेगा कि मेरे पास उन पर होने वाली हर बात को करने के लिए बहुत उचित कारण थे। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही घोषणा करता हूँ।”
\s5
\c 15
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, एक अँगूर की लकड़ी निश्चित रूप से जंगल के पेड़ों की शाखाओं से अधिक उपयोगी नहीं है।
\v 3 यहाँ तक कि वस्तुओं को लटकाने के लिए उनसे खूँटी भी नहीं बनती है।
\v 4 और एक अँगूर की शाखा को आग में फेंक दिए जाने के बाद और आग दोनों सिरों को जला देती है और शाखा बीच में से झुलस जाती है, उसके बाद क्या यह किसी भी कार्य के लिए उपयोगी होगी?
\s5
\v 5 नहीं; यदि वह जलाए जाने से पहले किसी भी कार्य के लिए उपयोगी नहीं थी, तो निश्चय ही आग से जलाने और झुलसा देने के बाद उससे कुछ भी उपयोगी वस्तु नहीं बनाई जा सकती है।
\p
\v 6 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: अँगूर की लकड़ी केवल आग में ईंधन के लिए उपयोगी है। इसी प्रकार, जो लोग यरूशलेम में रहते हैं वे निकम्मे हैं।
\s5
\v 7 मैं उन्हें अस्वीकार कर दूँगा। यह ऐसा होगा मानों वे आग से बच निकले हैं, परन्तु फिर भी वहाँ एक आग होगी जो उन्हें जला देगी। और जब मैं उन्हें दण्ड दूँगा, तो तुम लोग जो जीवित रह जाओगे जान लोगे कि मुझ, यहोवा, ने यह किया है।
\v 8 मैं तुम्हारे देश को उजाड़ कर दूँगा क्योंकि तुम्हारे लोग मेरे प्रति सच्चे नहीं रहे हैं। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ।”
\s5
\c 16
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम के लोगों को उनके घृणित व्यवहार के विषय में सूचित कर।
\v 3 उनसे कह, ‘यहोवा परमेश्वर यरूशलेम के लोगों से कहते हैं: ऐसा लगता है कि तुम एक स्त्री हो जिसका पिता एमोर लोगों के समूह से था और तुम्हारी माँ हित्ती लोगों के समूह से सम्बन्धित थी।
\s5
\v 4 ऐसा लगता है कि जिस दिन तू पैदा हुई थी, तेरी गर्भनाल को काटा नहीं गया था, और तेरा शरीर पानी में नहीं धोया गया था या नमक से नहीं रगड़ा गया था और कपड़े की पट्टियों में नहीं लपेटा गया था, जैसा कि इस्राएली बच्चों के साथ हमेशा होता है।
\v 5 किसी ने भी तेरे लिए उन कार्यों को करके तुझ पर कृपा नहीं की या तुझ पर दया नहीं दिखाई। इसकी अपेक्षा, ऐसा लगता था कि उन्होंने तुझसे घृणा की थी। जैसे ही तू पैदा हुई थी, उन्होंने तुझे मरने के लिए मैदान में फेंक दिया।
\p
\s5
\v 6 तब ऐसा हुआ कि मैं पास से होकर गया और तुझे देखा कि तू अपने खून में लेटी हुई हैं और लात मार रही हैं। और जब तू अपने खून में लेटी हुई लात मारती थी, मैंने तुझसे कहा, “मैं चाहता हूँ कि तू जीवित रहे!”
\v 7 मैंने तुझे बड़ा किया, जैसे खेतों में पौधे बढ़ते हैं; तू बड़ी हो गई और लम्बी हो गई और सभी नगीनों में सबसे मूल्यवान नगीने के समान हो गई। तू विकसित होकर एक सुन्दर स्त्री हुई, परन्तु तू तब भी पूरी तरह से नंगी थी।
\p
\s5
\v 8 जब मैंने तुझे कई वर्षों बाद देखा, तो मानों कि मैंने प्रतीकात्मक रूप में तेरे ऊपर अपने बागे को फैला दिया कि मैं तुझसे विवाह करूँगा, जिसके परिणामस्वरूप तू अब नंगी नहीं थी। मैंने गम्भीर प्रतिज्ञा की थी कि मैं तुझसे विवाह करूँगा और तेरे साथ विवाह की वाचा बाँधी, और तू मेरी पत्नी हो गई। यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं।
\p
\s5
\v 9 और फिर ऐसा हुआ कि मैंने तुझे नहलाया और तुझ पर से खून धोया और तेरे शरीर पर मलहम लगाया।
\v 10 ऐसा लगता था कि मैंने तुझे एक अच्छा सनी का बागा पहनाया और तुझे महँगे कपड़े दिए। मैंने तुझे एक कढ़ाई की हुई पोशाक पहनाई और तेरे पैरों में चमड़े की जूतियाँ पहनाईं।
\v 11 यह ऐसा था जैसे कि मैंने तेरी बाँहों पर कंगन और तेरी गर्दन में एक हार पहनाया। उन सब वस्तुओं पर बढ़िया नगीने जड़े हुए थे।
\v 12 मैंने तेरी नाक में सोने की नथ पहनाई और तेरे कानों में बालियाँ डाल दीं और तेरे सिर पर एक सुन्दर मुकुट रख दिया।
\s5
\v 13 तो ऐसा लगता था कि तू ने सोने और चाँदी के गहने पहने थे। तेरे पास अच्छे सनी से और अन्य महँगे कपड़ों से बने वस्त्र थे, और कढ़ाई की हुई पोशाक थी। तू ने अच्छा आटा, शहद और तेल खाया। तू सबसे सुन्दर स्त्री थीं और मैंने तुझको रानी के रूप में परिवर्तित कर दिया था।
\v 14 तू बहुत सुन्दर थी, जिसके परिणामस्वरूप अन्य राष्ट्रों के लोगों ने तेरे विषय में सुना, क्योंकि वे जानते थे कि वह मैं, यहोवा परमेश्वर, ही हूँ जिसने तुझे बहुत सुन्दर बना दिया है।
\p
\s5
\v 15 परन्तु ऐसा लगता है कि तू भूल गई थी कि मैंने तुझे सुन्दर बना दिया है और तू ने आने वाले हर एक व्यक्ति के साथ व्यभिचार करना आरम्भ कर दिया है, और उन सब ने तेरी सुन्दरता का स्वाद लिया।
\v 16 ऐसा लगता था कि तू ने ऊँचे स्थानों को सुन्दरता से सजाए जाने के लिए अपने कुछ कपड़े ले लिए थे, और यही वह स्थान है जहाँ तू उन पुरुषों के साथ सोई थीं। उन कार्यों को निश्चय ही कभी नहीं किया जाना चाहिए था!
\s5
\v 17 तू ने उन सोने के और चाँदी के गहनों को ले लिया जो मैंने तुझे दिए थे, और तू ने अपने लिए पुरुष मूर्तियाँ बनवाईं, कि तू उनके साथ सोए।
\v 18 तू ने उन मूर्तियों को पहनाने के लिए अपने कढ़ाई किए हुए कुछ कपड़े ले लिए थे, और तू ने उन्हें सम्मानित करने के लिए उनके सामने तेल और धूप जलाया।
\v 19 और अच्छे आटे और जैतून का तेल और शहद जो मैंने तुझे खाने के लिए दिए थे, उनसे बनी हुई रोटी को तू ने उन मूर्तियों के लिए सुगन्धित बलिदान होने के लिए चढ़ाया। मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि यही हुआ है।
\p
\s5
\v 20 और तू ने यहाँ तक कि अपने पुत्रों और पुत्रियों को भी ले लिया जो मेरे लिए समर्पित थे और उनके लिए चढ़ा दिया और मार डाला जैसे कि वे तेरे वेश्या बनने से कम महत्वपूर्ण थे।
\v 21 तू ने उन लोगों को मार डाला जो मेरे बच्चों के समान थे, और उनको इन झूठे देवताओं के लिए बलि चढ़ाने को दिया!
\v 22 उस सम्पूर्ण समय जब तू एक वेश्या के समान कार्य कर रही थीं और अन्य घृणित कार्य करती थीं, तब तू ने उस समय के विषय में नहीं सोचा था जब ऐसा लगता था कि तू बहुत ही युवा थीं, नंगी थीं, अपने ही खून में लेटी हुई थीं और मैदान में पड़ी हुई लात मार रही थी।
\p
\s5
\v 23 इसलिए मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि तेरे साथ भयानक बातें होंगी। तेरे द्वारा किए गए सब बुरे कार्यों के अतिरिक्त,
\v 24 तुमने स्वयं एक ऊँची इमारत बनाई जिसमें तू मूर्तियों की उपासना करती है और तू ने प्रत्येक शहर के चौकों में मूर्तियों की उपासना करने के लिए जगह बनाई हैं।
\s5
\v 25 हर सड़क के आरम्भ में तू ने मूर्तियों की उपासना के लिए एक ऊँची इमारत बनाई है, और लोगों को अपना सुन्दर शरीर दिखाया है, कि पास जाने वाले हर एक पुरुष के साथ सोने के लिए तैयार है, और इसलिए तू एक वेश्या जानी जाती थी और तेरी अनैतिकता के कारण तेरी प्रसिद्धि प्रतिदिन बढ़ती गई।
\v 26 ऐसा था जैसे कि तू मिस्र से आए पुरुषों के साथ सोई थी जो तेरे साथ सोने के लिए उत्सुक थे, वे पुरुष जो इस्राएल के पास रहते थे। तू ने मेरे क्रोध को भड़का दिया क्योंकि तू उनमें से अधिक से अधिक पुरुषों के साथ सोने के लिए उत्सुक हो गई थी।
\s5
\v 27 इसलिए मैंने तुझे दण्ड दिया और तेरे शत्रुओं को तेरे देश के कुछ मार्गों पर अधिकार करने दिया। मैंने पलिश्त के तेरे लालची शत्रुओं को तुझे पराजित करने में समर्थ किया; और यहाँ तक कि वे तेरे अपमानजनक व्यवहार के कारण चौंक गए थे।
\v 28 ऐसा लगता था कि तू अश्शूर के सैनिकों के साथ सो गई थी, क्योंकि तू सदैव ही अधिक पुरुषों के साथ सोना चाहती थी। और उसके बाद, तू अभी भी संतुष्ट नहीं थी।
\v 29 इसलिए तू व्यापारियों से भरे देश, बाबेल के सैनिकों के साथ भी सोई, परन्तु यहाँ तक कि वे भी तुझे संतुष्ट नहीं कर पाए।
\p
\s5
\v 30 मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि तू अपने जीवन को नष्ट कर रही है! जब तू ने उन सब कार्यों को किया, तो तू एक वेश्या के समान व्यवहार कर रही थी, जो उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए लज्जित नहीं है।
\v 31 परन्तु जब तू ने पर्वत पर शहर के चौकों में मूर्तियों की उपासना करने के लिए घरों को बनाया, तो तू वास्तव में वेश्या के समान नहीं थीं क्योंकि वेश्याएँ पैसा लेती हैं। तू ने जो किया उसके लिए तू ने पैसे लेने से इन्कार कर दिया!
\p
\s5
\v 32 तू एक ऐसी स्त्री के समान है जो व्यभिचार करती है: तू अपने पति की अपेक्षा पराए पुरुषों के साथ सोना पसन्द करती है।
\v 33 वेश्याओं को पैसा दिया जाता है, परन्तु ऐसा लगता है कि तू अपने सभी प्रेमियों को उपहार देती है; तू उन्हें हर स्थान से आकर तेरे साथ सोने के लिए रिश्वत देती है।
\v 34 इसलिए यद्दपि तू एक वेश्या के समान कार्य करती है, तू वास्तव में अन्य वेश्याओं के विपरीत है! तू पुरुषों को साथ में सोने के लिए पैसे देती है, अपेक्षा इसके कि वे तुझे पैसा दें!
\p
\s5
\v 35 इस कारण, हे यरूशलेम के लोगों, तुम जो एक वेश्या के समान हो, सुनो कि यहोवा तुम्हारे विषय में क्या कह रहे हैं!
\v 36 वह कहते हैं कि तुमने जो किया है, वह ऐसा है कि मानों तुमने अपने आस-पास उपस्थित हर किसी के लिए लालसा की है और उनके साथ और तुम्हारे द्वारा बनाई गई उन पुरुष मूर्तियों के साथ सोए हो, इस कारण से तुमने यहाँ तक कि अपने बच्चों को भी उनके लिए बलि चढ़ा दिया है।
\v 37 इसलिए मैं जो करने जा रहा हूँ वह यह है कि मैं उन लोगों को एकत्र करूँगा जो तेरी समझ में तेरे प्रेमी हैं और जिनसे तुमने घृणा की है। मैं तुम पर आक्रमण करने के लिए उन्हें तुम्हारे चारों ओर एकत्र करूँगा, और जो मैं करूँगा वह यह है कि मैं तुम्हारे कपड़ों को उतरवा दूँगा, और जब तुम पूरी तरह से नंगे हो तो वे तुमको देखेंगे।
\s5
\v 38 मैं तुमको उन स्त्रियों के समान दण्ड दूँगा जो व्यभिचार करती हैं और लोगों की हत्या करने वालों को दण्ड दिया जाता है। मैं तुमसे बदला लूँगा और तुमसे छुटकारा पाऊँगा क्योंकि मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ।
\v 39 मैं तुम्हारे शत्रुओं को, जिनके लिए तुमने सोचा था कि उन्होंने तुमसे प्रेम किया है, उन्हें तुम्हारी मूर्तियों के उपासना स्थलों के ऊँचे स्थानों को और मूर्तिपूजा की वेदियों को तोड़ने के लिए लाऊँगा। वे तुमको नंगा कर देंगे और तुम्हारे कपड़े और गहने ले लेंगे, और वे तुमको, स्वयं को, ढाँकने के लिए कुछ भी नहीं रहने देंगे।
\s5
\v 40 वे तुम पर आक्रमण करने के लिए एक भीड़ लाएँगे, और वह भीड़ तुम पर पत्थर फेकेंगी और तलवारों से तुमको टुकड़े-टुकड़े कर देगी।
\v 41 वे तुम्हारे घरों को जला देंगे और तुमको दण्ड देंगे जब कई स्त्रियाँ देख रही होंगी। मैं उन्हें ऐसा करने दूँगा कि तुम इतना व्यभिचार करने और लोगों के साथ सोने के लिए भुगतान करने के लिए एक सबक सीख सको।
\v 42 तब मैं तुमसे क्रोधित नहीं रहूँगा। मैं ईर्ष्या करना बन्द कर दूँगा क्योंकि तुम्हारा दण्ड मुझे संतुष्ट कर देगा।
\p
\s5
\v 43 तुम उन अद्भुत कार्यों को भूल गए हो जो मैंने पिछले वर्षों में तुम्हारे लिए किए थे। तुमने जो भी बुरे कार्य किए हैं, उसके कारण तुमने मुझे बहुत क्रोधित किया है। तुम्हारे द्वारा किए गए सभी घृणित कार्यों के अतिरिक्त, तुमने कई यौन सम्बन्धित पाप किए हैं। इसलिए मैं यहोवा परमेश्वर यह घोषणा करता हूँ कि उन कार्यों को करने के लिए मैं तुमको दण्ड दूँगा।
\p
\s5
\v 44 जो लोग कहावतें कहना पसन्द करते हैं, वे तुम्हारे विषय में इस कहावत को कहेंगे: ‘पुत्रियाँ अपनी माँ के समान व्यवहार करती हैं।’
\v 45 तुम अपनी माँ के समान हो; ऐसा लगता है जैसे कि उसने अपने पति और अपने बच्चों से घृणा की थी। तुम अपनी बहनों के समान हो, जिन्होंने अपने पतियों और अपने बच्चों को भी तुच्छ जाना। ऐसा लगता है कि तुम्हारा पिता एमोर लोगों के समूह से सम्बन्धित था और तुम्हारी माँ हित्ती लोगों के समूह से सम्बन्धित थी।
\s5
\v 46 और ऐसा लगता है कि तुम्हारी बड़ी बहन सामरिया थी, और वह और उसकी पुत्रियाँ तुम्हारे उत्तर में रहती थीं, और ऐसा लगता है कि तुम्हारी छोटी बहन सदोम थी, और उसकी पुत्रियाँ तुम्हारे दक्षिण में रहती थीं।
\s5
\v 47 तुमने न केवल उनके घृणित व्यवहार का अनुकरण किया, वरन् तुम शीघ्र ही उनसे अधिक पापी हो गए।
\v 48 मैं, यहोवा परमेश्वर, यह सच्ची घोषणा करता हूँ कि निश्चय जैसे मैं जीवित हूँ, जो लोग सदोम और अन्य आस-पास के शहरों में रहते थे, उन्होंने कभी भी ऐसे घृणित कार्यों को नहीं किया था जो तुम यरूशलेम में रहने वाले और यहूदा के अन्य स्थानों में रहने वाले लोगों ने किए हैं।
\p
\s5
\v 49 ये सदोम में रहने वाले लोगों के पाप हैं, जो लोग उनके बीच तुम्हारी बहन के समान थे: वे घमण्ड से भरे हुए थे और सोचते नहीं थे कि उन्हें कभी दण्ड दिया जाएगा। उन्होंने गरीबों को अनदेखा किया था और अपने चारों ओर के लोगों को दुख दिया था।
\v 50 सदोम और आस-पास के शहरों के लोग घमण्ड करते थे और उन्होंने मेरी उपस्थिति में घृणित कार्यों को किया था, इसलिए जब मैंने देखा कि वे क्या कर रहे थे तो मैंने उनसे छुटकारा पा लिया।
\s5
\v 51 सामरिया के लोगों ने तो तुम्हारे पापों के आधे पाप भी नहीं किए। उन्होंने जितने घृणित कार्य किए हैं, तुमने उससे अधिक घृणित कार्यों को किया है। तुमने सामरिया के लोगों को अपनी तुलना में अच्छा दिखने दिया है।
\v 52 तुम्हारे पाप उनके पापों से भी बुरे हैं, इसलिए वे तुमसे कम दुष्ट दिखाई देते हैं। इसलिए मैं तुमको उनसे अधिक दण्ड दूँगा। जिसके परिणामस्वरूप, तुम लज्जित और अपमानित होगे।
\p
\s5
\v 53 परन्तु, एक दिन मैं सदोम और सामरिया और उनके समीप के शहरों के लोगों को फिर से समृद्ध कर दूँगा और मैं तुमको भी फिर से समृद्ध कर दूँगा।
\v 54 तुमने जो दुष्ट कार्य किए हैं, उससे तुम बहुत लज्जित हो जाओगे, और इससे उन शहरों के लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
\v 55 सदोम और सामरिया के लोग फिर से समृद्ध होंगे, और तुम और आस-पास के शहरों के लोग भी समृद्ध होंगे।
\s5
\v 56 जब तुम घमण्ड करते थे, तब तुम सदोम के लोगों का उपहास करते थे,
\v 57 इससे पहले कि यह प्रकट हुआ कि तुम उससे अधिक दुष्ट थे। और अब एदोम के लोग और पलिश्त के लोग सब तुम्हारा अपमान करते हैं और तुमको तुच्छ मानते हैं।
\v 58 और तुम्हारे सभी अनैतिक व्यवहार और अन्य घृणित कार्यों के लिए तुमको दण्ड दिया जा रहा है। यहोवा तुमसे यही कह रहे हैं!
\p
\s5
\v 59 मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: मैं तुमको दण्ड देता रहूँगा कि ऐसा दण्ड जिसके तुम योग्य हो, क्योंकि तुमने मेरी वाचा को तोड़ा है, तुमने उस गम्भीर वाचा को तुच्छ जाना है जिसका पालन करने की तुमने प्रतिज्ञा की थी।
\s5
\v 60 परन्तु मैं तुम्हारे साथ बहुत पहले बाँधी गई वाचा को नहीं भूलूँगा और मैं तुम्हारे साथ एक वाचा बाँधूँगा जो सदा के लिए होगी।
\v 61 तब जो कुछ तुमने किया है तुम उसके विषय में सोचोगे, और जब तुम सदोम और सामरिया के लोगों का स्वागत करोगे, तब तुम उन बातों के विषय में लज्जित होगे, ये शहर तुम्हारी पुत्रियों के समान हैं, परन्तु उनके पास वह वाचा नहीं होगी जो मैं तुम्हारे साथ बाँधूँगा।
\s5
\v 62 मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा बाँधूँगा, और तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\v 63 तब जब मैंने तुम्हारे सब पापों के लिए तुमको क्षमा कर दिया है, तो तुम अपने द्वारा किए गए सब पापों के विषय में सोचोगे और तुम लज्जित होगे। तुम फिर कभी उनके विषय में अहंकार नहीं करोगे, क्योंकि तुम अपमानित हो जाओगे।” मुझ, यहोवा परमेश्वर, ने ऐसा ही कहा है! यह परमेश्वर यहोवा की घोषणा है।”
\s5
\c 17
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, इस कहानी को इस्राएल के लोगों को एक उदाहरण के रूप में सुना।
\v 3 उनसे कह, ‘यहोवा कहते हैं: एक बड़ा उकाब जिसके दृढ़ पंख थे और कई रंगों वाले सुन्दर लम्बे पर थे उड़ कर लबानोन गया। उसने एक देवदार के पेड़ की चोटी को पकड़ लिया
\v 4 और उसे तोड़ दिया। तब उकाब उसे कनान में ले आया, एक ऐसा देश जिसमें कई व्यापारी थे, और उसे वहाँ के शहरों में से एक में लगा दिया।
\p
\s5
\v 5 तब उस उकाब ने तुम्हारे देश से एक अंकुरित पौधा लिया और उसे एक उपजाऊ खेत में लगा दिया। उसने उसे ऐसे लगाया जैसे लोग एक मजनू का पेड़ पानी से भरी नदी के किनारे लगाते हैं।
\v 6 यह बढ़ गई और भूमि पर फैली हुई एक निचली दाखलता बन गई। उसकी शाखाएँ उकाब की ओर ऊपर बढ़ीं, परन्तु उसकी जड़ें नीचे भूमि में बढ़ती गईं। अतः वह एक अच्छी बेल हो गई और उसमें कई शाखाएँ और पत्तियाँ उग आईं।
\p
\s5
\v 7 परन्तु एक और बड़ा उकाब था जिसके मजबूत पंख थे और सुन्दर पंख थे। और उस बेल की कुछ जड़ें उस उकाब की ओर बढ़ीं, और उसकी शाखाएँ भी उसकी ओर मुड़ गईं, वे आशा कर रही थीं कि उकाब उसके लिए इससे अधिक पानी लाएगा।
\v 8 यह इस तथ्य के उपरान्त हुआ कि वह बेल अच्छी मिट्टी में लगाई गई थी, वहाँ जहाँ बहुत सारा पानी था, जिसके परिणामस्वरूप उसमें शाखाएँ निकल आई थीं और अँगूर लगे थे और वह बहुत स्वस्थ बेल बन गई थी।
\p
\s5
\v 9 जब तू लोगों को यह दृष्टान्त सुना चुके, तब उनसे कहना, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: वह दाखलता स्वस्थ बनी नहीं रहेगी। उसे अपनी जड़ों समेत उस उकाब के द्वारा खींच लिया जाएगा जिसने उसे लगाया था, और उसके सारे फल फेंक दिए जाएँगे और उसकी पत्तियाँ सूख जाएँगी। और उसे अपनी जड़ों से खींच कर उखाड़ने के लिए बलवन्त बाँहों वाले या बहुत सारे लोगों की आवश्यकता नहीं होगी।
\v 10 भले ही वह बेल लगाई गई है, वह निश्चय ही बढ़ती नहीं रहेगी। जब पूर्व से गर्म हवा इसके विरुद्ध चलेगी, तब वह जहाँ लगाई गई है वहाँ पूरी तरह से सूख जाएगी!”
\p
\s5
\v 11 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया:
\v 12 “इन विद्रोही इस्राएली लोगों से पूछना, ‘क्या तुम जानते हो कि इस दृष्टान्त का अर्थ क्या है? उन्हें समझाना कि यह दर्शाता है कि बाबेल का राजा यरूशलेम में अपनी सेना के साथ गया और यहूदा के राजा और उसके अधिकारियों को पकड़ लिया, और उन्हें ले कर बाबेल वापस चला गया।
\s5
\v 13 तब उसने राजा के निकट सम्बन्धियों में से एक को राजा नियुक्त किया, और उसके साथ एक समझौता किया, जिसमें उसे गम्भीरता से स्वामी भक्त रहने का वचन देने के लिए विवश किया जा रहा था। बाबेल का राजा यहूदा के अन्य महत्वपूर्ण नागरिकों को भी बाबेल में ले गया था,
\v 14 जिससे कि यहूदा का राज्य फिर से शक्तिशाली बनने में समर्थ न हो। बाबेल के राजा का विचार था कि यदि लोगों ने बाबेल के राजा के साथ किए गए समझौते का पालन नहीं किया तो यहूदा का राज्य अस्तित्व में नहीं रहेगा।
\s5
\v 15 यहूदा के राजा ने अधिकारियों को मिस्र भेज कर बाबेल के राजा के विरुद्ध विद्रोह किया कि घोड़ों और बड़ी सेना के साथ बाबेल की सेना से युद्ध करने के लिए वह उनसे अनुरोध कर सकें। परन्तु यहूदा का राजा निश्चय ही सफल नहीं होगा। वह शासक जो इस तरह विद्रोह करते हैं और गम्भीर समझौते का पालन करने से इन्कार करते हैं, वे कभी नहीं बचेंगे।
\p
\v 16 मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, यहूदा का राजा बाबेल में मर जाएगा, जिस नगर में बाबेल के राजा ने उसे यहूदा का राजा नियुक्त किया था। वह मर जाएगा क्योंकि उसने गम्भीर समझौते को तुच्छ जाना और उसने जो करने की प्रतिज्ञा की वह करने से इन्कार कर दिया।
\s5
\v 17 मिस्र का राजा अपनी बड़ी विशाल सेना के साथ यहूदा के राजा की सहायता करने में समर्थ नहीं होगा: बाबेल के सैनिक शहर की दीवारों के विरुद्ध ढलान बना लेंगे और दीवारों पर चोट मारने के लिए साधन स्थापित करेंगे। वे यरूशलेम में प्रवेश करेंगे और उनके कई लोगों को मार देंगे।
\v 18 यहूदा के राजा ने सन्धि का मान न रख कर गम्भीर समझौते को तुच्छ जाना। उसने बाबेल के राजा के नियंत्रण में रहने का गम्भीर वचन दिया था, फिर भी उसने मिस्र से सहायता का अनुरोध करने के लिए अधिकारियों को भेजा। इसलिए बाबेल का राजा उसे दण्ड देगा, वह बच नहीं पाएगा।
\p
\s5
\v 19 इस कारण मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, वैसे ही मैं यहूदा के राजा को बाबेल के राजा के साथ किए गए गम्भीर समझौते को अनदेखा करने के लिए और फिर इसका पालन करने से इन्कार करने के लिए दण्ड दूँगा, क्योंकि यह मेरी अपेक्षाओं का उल्लंघन करता है।
\v 20 ऐसा होगा जैसे मैं उसे पकड़ने के लिए एक जाल फैलाऊँगा, और वह उसमें पकड़ा जाएगा। उसे पकड़ कर बाबेल में ले जाया जाएगा और दण्ड दिया जाएगा क्योंकि उसने मुझसे विद्रोह किया था।
\v 21 उनके अधिकांश सैनिक जो भागने का प्रयास करेंगे, वे शत्रुओं की तलवारों से मार दिए जाएँगे, और जो जीवित रह जाते हैं वे सभी दिशाओं में तितर बितर होंगे। तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 22 यहोवा परमेश्वर यह भी कहते हैं: “यह ऐसा होगा जैसे कि मैं एक बहुत लम्बे देवदार के पेड़ के ऊपर से फुनगी लूँगा और उसे दूसरे स्थान में लगाऊँगा। मैं इसे एक बहुत ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा।
\v 23 यह ऐसा होगा जैसे कि मैं इसे इस्राएल के एक पर्वत पर लगाऊँगा, और यह बढ़ेगा और एक सुन्दर देवदार का पेड़ बन जाएगा। कई प्रकार के पक्षी उस पेड़ में अपने घोंसले बनाएँगे, और वे उसकी शाखाओं के नीचे छाया पाएँगे।
\s5
\v 24 और यह ऐसा होगा जैसे कि खेत के सभी पेड़ जान जाएँगे कि मैं, यहोवा, ऊँचे पेड़ों से छुटकारा पाता हूँ और छोटे पेड़ों को बढ़ने दूँगा। मैं बड़े हरे पेड़ों को सूखने देता हूँ, और मैं सूखे पेड़ों को हरा बनने देता हूँ।
\p मुझ, यहोवा ने यह कहा है, और मैं निश्चय ही वह करूँगा जो मैंने कहा है कि मैं करूँगा।
\s5
\c 18
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “तुम लोग इस कहावत को कहते हो और कहते हो कि यह इस्राएल के विषय में है:
\q1 ‘माता पिता खट्टे अँगूर खाते हैं,
\q2 परन्तु उनके बच्चों के मुँह में बहुत खट्टा स्वाद होता है।’
\p इसका अर्थ है कि तुम सोचते हो कि तुमको अपने पूर्वजों के पापों के लिए पीड़ित होना चाहिए।
\p
\s5
\v 3 परन्तु मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ, जैसे निश्चय ही मैं जीवित हूँ, इसलिए तुम इस्राएली लोग अब इस कहावत को नहीं कहोगे।
\v 4 हर एक जन जो जीवित है वह मेरा है। इसमें बच्चे और उनके माता पिता भी हैं; वे सब मेरे हैं। और जो पाप करते हैं वे उनके पापों के कारण मर जाएँगे।
\q1
\s5
\v 5 इसलिए मान लो कि एक धर्मी व्यक्ति है,
\q2 एक ऐसा जन जो सदा निष्पक्ष और उचित कार्य करता है।
\q1
\v 6 वह पर्वतों के शिखर पर मूर्तियों को बलि चढ़ाए माँस को नहीं खाता है;
\q2 वह मूर्तियों से सहायता का अनुरोध नहीं करता जैसे अन्य इस्राएली कर रहे हैं।
\q1 वह किसी और की पत्नी के साथ
\q2 या मासिक धर्म के समय स्त्री के साथ नहीं सोता है।
\q1
\s5
\v 7 वह लोगों से बुरा व्यवहार नहीं करता है;
\q2 यदि कोई व्यक्ति उससे पैसे उधार लेता है और उसे आश्वासन देने के लिए कुछ देता है कि वह पैसे वापस चुकाएगा, तो यह पुरुष सूर्य के ढलने से पहले उस व्यक्ति को वह वापस दे देता है।
\q1 वह लोगों को नहीं लूटता है।
\q2 वह भूखे लोगों को भोजन देता है।
\q2 वह कपड़ों की आवश्यकता से ग्रस्त लोगों को कपड़े देता है।
\q1
\s5
\v 8 जब वह लोगों को धन उधार देता है,
\q2 वह उनसे ब्याज नहीं लेता है।
\q1 वह उन कार्यों को नहीं करता है जो बुरे हैं।
\q2 वह सदा बातों को निष्पक्ष रूप से तय करता है।
\q1
\v 9 वह मेरे सब नियमों का सच्चे मन से पालन करता है।
\q2 वह पुरुष वास्तव में धर्मी है;
\q1 वह जीवित रहेगा।
\q2 मैं, यहोवा परमेश्वर, यही प्रतिज्ञा करता हूँ।
\p
\s5
\v 10 परन्तु मान लीजिए कि किसी मनुष्य का एक पुत्र है जो हिंसा के कार्य करता है, जो लोगों की हत्या करता है और वह सब कार्य करता है, जिन्हें उसके पिता ने कभी नहीं किया है।
\v 11 वह पहाड़ियों पर मूर्तियों को बलि चढ़ाए माँस को खाता है।
\q1 वह अन्य लोगों की पत्नियों के साथ सोता है।
\q1
\s5
\v 12 वह गरीब और अभावग्रस्त लोगों के साथ बुरा व्यवहार करता है।
\q1 वह लोगों को लूटता है।
\q1 यदि कोई उसे आश्वासन देने के लिए कुछ देता है कि वह उस पैसे का भुगतान करेगा जो उसने उधार लिया है, तो वह दुष्ट व्यक्ति सूर्य के ढलने से पहले उसे वह वापस नहीं देता है।
\q1 वह मूर्तियों से सहायता चाहता है।
\q1 वह अन्य घृणित कार्यों को करता है।
\q1
\v 13 जब वह धन उधार देता है, तो वह ब्याज लेता है। यदि तुमको लगता है कि मैं ऐसे व्यक्ति को जीवित रहने दूँगा, तो तुम निश्चय ही गलत हो। क्योंकि उसने उन सब घृणित कार्यों को किया है, इसलिए मैं निश्चित रूप से उसे मर जाने दूँगा, और यह उसकी स्वयं की गलती होगी।
\p
\s5
\v 14 परन्तु मान लीजिए कि किसी मनुष्य का एक पुत्र है जो उन सब पापों को देखता है जो उसका पिता करता है, परन्तु वह स्वयं उन कार्यों को नहीं करता है।
\q1
\v 15 वह पुत्र पहाड़ी पर मूर्तियों को बलि चढ़ाए माँस को नहीं खाता है।
\q2 वह मूर्तियों से सहायता का अनुरोध नहीं करता है।
\q1 वह अन्य लोगों की पत्नियों के साथ नहीं सोता है।
\q1
\s5
\v 16 वह लोगों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करता है।
\q2 यदि वह किसी को धन उधार देता है, तो उस व्यक्ति को उसे आश्वासन देने की आवश्यकता नहीं होती है कि वह पैसे वापस दे देगा।
\q1 वह किसी को भी नहीं लूटता है।
\q2 वह उन लोगों को भोजन देता है जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है।
\q2 वह उनको कपड़े देता है जिनको कपड़े की आवश्यकता होती है।
\q1
\v 17 वह अपने पिता के समान पाप नहीं करता है,
\q2 और जब वह धन उधार देता है तो वह ब्याज नहीं लेता है।
\q1 वह सच्चाई से मेरे सब नियमों का पालन करता है। मैं यह सुनिश्चित कर दूँगा कि वह व्यक्ति अपने पिता के पापों के लिए मर नहीं जाएगा; वह निश्चित रूप से जीवित रहेगा।
\s5
\v 18 परन्तु मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि उसका पिता अपने किए गए पापों के लिए मर जाएगा, क्योंकि पिता ने धोखा दिया और लोगों को लूटा, और बुरे कार्य किए।
\p
\s5
\v 19 यदि तुम पूछते हो, ‘किसी मनुष्य के पुत्र को अपने पिता के बुरे कार्यों के लिए पीड़ित क्यों नहीं होना चाहिए?, मैं उत्तर दूँगा कि पुत्र ने वह किया जो निष्पक्ष और सही है और मेरे सब नियमों का पालन किया है, इसलिए वह निश्चित रूप से जीवित रहेगा।
\v 20 यह वे हैं जो पाप करते हैं जो उनके पापों के कारण मर जाएँगे। मैं लोगों को इसलिए दण्ड नहीं दूँगा कि उनके माता पिता ने पाप किए हैं, या क्योंकि उनके बच्चों ने पाप किया है। मैं उन लोगों को प्रतिफल दूँगा जो उचित जीवन जीते हैं, और मैं दुष्ट लोगों को दण्ड दूँगा, जो अनुचित जीवन जीते हैं।
\p
\s5
\v 21 परन्तु यदि कोई दुष्ट व्यक्ति उन सब बुरे कार्यों को करना बन्द कर देता है जो उसने पहले किए थे, और यदि वह सच्चे मन से मेरे सब नियमों का पालन करना आरम्भ कर देता है, और यदि वही करता है जो उचित और सही है, तो वह निश्चित रूप से जीवित रहेगा; मैं उसे नहीं मारूँगा।
\v 22 मैं उसके द्वारा पहले किए गए पापों के लिए उसे दण्ड नहीं दूँगा। उस समय से हुए अच्छे कार्यों के कारण, मैं उसे जीवित रहने की अनुमति दूँगा।
\s5
\v 23 मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि मैं निश्चित रूप से इस विषय में आनन्दित नहीं हूँ कि बुरे लोग मर रहे हैं। इसके बजाए, मैं आनन्दित होता हूँ जब वे दुष्ट कार्यों को करना त्याग देते हैं और जिसके परिणामस्वरूप वे जीवित रहते हैं।
\p
\s5
\v 24 परन्तु यदि कोई धर्मी व्यक्ति सही कार्य करना त्याग देता है और पाप करना आरम्भ कर देता है और दुष्टों के समान घृणित कार्यों को करता है, तो मैं निश्चय ही उसे जीवित रहने नहीं दूँगा। मैं उन धर्म के कार्यों के विषय में नहीं सोचूँगा जो उसने पहले किए थे। क्योंकि उसने सच्चे मन से ऐसा नहीं किया जो मुझे प्रसन्न करता है, और उसके द्वारा किए गए सब पापों के कारण, वह निश्चय ही मर जाएगा।
\p
\s5
\v 25 परन्तु तुम कहते हो कि मैं, यहोवा, निष्पक्षता से कार्य नहीं करता। तुम इस्राएली लोग, जो मैं कहता हूँ उसे सुनो: निश्चय ही ऐसा नहीं है कि जो मैं करता हूँ वह अनुचित है; जो तुम निरन्तर करते हो यह वही है जो उचित नहीं है।
\v 26 यदि कोई धर्मी व्यक्ति सही कार्यों को करने से दूर हो जाता है और पाप करता है, तो वह उन पापों को करने के कारण मर जाएगा।
\s5
\v 27 परन्तु यदि कोई दुष्ट व्यक्ति दुष्ट कार्यों को करने से दूर हो जाता है और वही करता है जो न्यायपूर्ण और सही है, तो वह स्वयं को मरने से बचाएगा।
\v 28 क्योंकि उसने उन सब बुरे कार्यों के विषय में सोचा है जो उसने किए थे और उन्हें करने से दूर हो गया है, मैं निश्चय ही उसे जीने दूँगा। मैं उसे नहीं मारूँगा।
\s5
\v 29 परन्तु तुम, इस्राएली कहते हो कि मैं निष्पक्षता से कार्य नहीं करता हूँ। तुम इस्राएल के लोगों, मैं सदा निष्पक्षता से कार्य करता हूँ। यह तुम ही हो जो दुष्टता के कार्य कर रहे हो।
\p
\v 30 इस कारण, हे इस्राएल के लोगों, मैं, यहोवा परमेश्वर, तुम में से प्रत्येक का न्याय तुम्हारे कार्यों के अनुसार करूँगा। पश्चाताप करो! अपने दुष्ट व्यवहार से दूर हो जाओ! तब तुम्हारे द्वारा किए गए गलत कार्यों के कारण मैं तुमको नष्ट नहीं करूँगा।
\s5
\v 31 दुष्ट कार्यों को करना त्याग दो; नए रीति से सोचना आरम्भ करो। हे इस्राएल के लोगों, क्या तुम सचमुच चाहते हो कि मैं तुम्हें मार दूँ क्योंकि तुमने पाप किया है?
\v 32 मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि मैं तुम्हारी मृत्यु से प्रसन्न नहीं हूँ। इसलिए अपने पापों से दूर हो जाओ और जीवित रहो!”
\s5
\c 19
\p
\v 1 यहोवा ने मुझसे कहा,
\v 2 “हे यहेजकेल, दुखद अंतिम संस्कार का एक गीत गा जो इस्राएल के अगुवों के विषय में एक दृष्टान्त होगा। इस्राएली लोगों से कह,
\q1 ‘ऐसा लगता है कि तुम्हारी माँ एक वीर शेरनी थी
\q2 जिसने अन्य शेरों के बीच अपने शावकों का पालन पोषण किया।
\q1
\v 3 उसने उनमें से एक को जानवरों का शिकार करना सिखाया,
\q2 और यहाँ तक कि वह लोगों को मारना और खाना भी सीख गया।
\q1
\v 4 जब अन्य राष्ट्रों के लोगों ने उसके विषय में सुना,
\q2 उन्होंने उसे एक गड्ढे में फँसा लिया।
\q1 फिर उन्होंने अंकुड़ों का उपयोग किया कि
\q2 उसे घसीट कर मिस्र में ले जाएँ।
\q1
\s5
\v 5 उसकी माँ ने उसके वापस आने की प्रतीक्षा की,
\q2 परन्तु शीघ्र ही उसने ऐसा होने की आशा छोड़ दी।
\q1 इसलिए उसने एक और शावक को बढ़ाया
\q2 वह भी बहुत भयंकर हो गया।
\q1
\v 6 उसने अन्य शेरों के साथ जानवरों को मारने के लिए शिकार किया,
\q2 और यहाँ तक कि वह लोगों को मारना और खाना भी सीख गया।
\q1
\v 7 उसने अपने पीड़ितों की विधवाओं से बुरा व्यवहार किया,
\q2 और उसने शहरों को नष्ट कर दिया।
\q1 जब वह जोर से दहाड़ा,
\q2 तो हर कोई डर गया था और अपने स्वामित्व वाली हर वस्तु को त्याग दिया।
\q1
\s5
\v 8 इसलिए अन्य राष्ट्रों के लोगों ने उसे मारने की योजना बनाई;
\q2 और कई स्थानों से पुरुष आए थे कि
\q1 उसके लिए जाल फैलाएँ।
\q2 उन्होंने उसे उसमें पकड़ा।
\q1
\v 9 उन्होंने उसके माँस में अंकुड़ों को फँसा कर उसे खींचा और उसे एक लोहे के पिंजरे में डाल दिया,
\q2 तब वे उसे बाबेल के राजा के पास ले गए।
\q1 वहाँ उन्होंने उसे बन्द कर दिया कि उसकी आवाज़ का स्वर
\q2 कभी भी इस्राएल की पहाड़ियों पर गूँजता हुआ सुना न जा सके।’
\q1
\s5
\v 10 ‘ऐसा लगता है कि तुम्हारी माँ
\q2 खून में उपजी एक दाखलता थी,
\q2 जो एक नदी के बगल में बढ़ रही थी।
\q1 वहाँ बहुत सारा पानी था,
\q2 इसलिए उसमें बहुत सारी शाखाएँ निकलीं थीं और बहुत सारे अँगूर उत्पन्न हुए थे।
\q1
\v 11 वह दाखलता बढ़ने लगी और आस-पास के पेड़ों की तुलना में लम्बी हो गई;
\q2 हर कोई देख सकता था कि यह बहुत दृढ़ और स्वस्थ थी।
\q1 और वे शाखाएँ राजदण्ड बनाने के लिए अच्छी थीं जो राजाओं की शक्ति का प्रतीक होते हैं।
\q1
\s5
\v 12 परन्तु यहोवा बहुत क्रोधित हो गए,
\q2 इसलिए उन्होंने जड़ों सहित उस बेल को उखाड़ दिया
\q1 और उसे धरती पर फेंक दिया,
\q2 जहाँ रेगिस्तान से आती बहुत गर्म हवाओं ने उसके सब फल सुखा दिए।
\q1 वे दृढ़ शाखाएँ कुम्हला गईं और आग में जला दी गईं।
\q2
\v 13 अब यहोवा ने उस दाखलता को गर्म, सूखे रेगिस्तान में लगाया है।
\q1
\s5
\v 14 आग ने उसके तने को जलाना आरम्भ कर दिया,
\q2 और फिर शाखाओं को जलाना आरम्भ कर दिया;
\q1 उसने सब अँगूर जला दिए।
\q2 अब एक भी दृढ़ शाखा नहीं बची है;
\q1 वे राजा के लिए कभी भी राजदण्ड नहीं बनेंगी।’ इस अंतिम संस्कार के गीत को बहुत दुखद रूप में गाया जाना चाहिए।”
\s5
\c 20
\p
\v 1 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश में ले जाए जाने के लगभग सात वर्ष बाद, उस वर्ष के पाँचवें महीने के दसवें दिन, कुछ इस्राएली पुरनिए मेरे पास पूछने के लिए आए कि क्या मेरे पास यहोवा की ओर से उनके लिए कोई सन्देश है।
\p
\s5
\v 2 तब यहोवा ने मुझे उनके लिए एक सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 3 “हे मनुष्य के पुत्र, पुरनियों से बात कर और उन्हें बता कि प्रभु यहोवा यह कहते हैं: ‘तुम कहते हो कि तुम यह पूछने आए हो कि यदि मेरी ओर से कोई सन्देश है, परन्तु निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, मैं तुमको मेरी ओर से किसी सन्देश के लिए पूछने की अनुमति नहीं देता हूँ।’
\p
\s5
\v 4 यदि तू उन्हें चेतावनी देने को इच्छुक है, तो उन्हें उन घृणित कार्यों को स्मरण दिला जो उनके पूर्वजों ने किए थे।
\v 5 तब उनसे कह, ‘जिस दिन मैंने तुम इस्राएलियों को मेरे लोग होने के लिए चुना था, जिस समय तुम्हारे पूर्वज मिस्र में ही थे, मैंने उनके साथ एक गम्भीर शपथ खाई थी।’ मैंने उनसे कहा, ‘मैं यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
\v 6 मैं तुमको मिस्र से बाहर निकाल लाऊँगा और तुमको उस देश में ले जाऊँगा जिसे मैंने तुम्हारे लिए चुना है। यह संसार में सबसे उपजाऊ और सुन्दर भूमि है।
\s5
\v 7 तुम में से प्रत्येक को घृणित मूर्तियों से छुटकारा पाना है जिनसे तुम प्रेम करते हो, और जिन मूर्तियों की उपासना करना तुमने मिस्र में सीखा है, और जिसके कारण तुमने मेरे लिए तुमको स्वीकार करना असम्भव बना दिया है। मैं, यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, तुमसे यह कह रहा हूँ।’
\p
\s5
\v 8 परन्तु उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया। वे मुझ पर ध्यान नहीं देंगे। उन्होंने उन घृणित मूर्तियों से छुटकारा नहीं पाया जिनसे उन्होंने प्रेम किया; उन्होंने मिस्र में देखी गई मूर्तियों को अस्वीकार नहीं किया। इसलिए क्योंकि मैं उनसे क्रोधित था, मैंने कहा कि मैं उन्हें मिस्र में दण्ड दूँगा।
\v 9 परन्तु मेरी अपनी प्रतिष्ठा की खातिर, मैंने तुम्हारे लोगों के लिए कुछ करने का निर्णय लिया कि अन्य जातियाँ मुझ पर न हँसें और यह न कहें कि मुझमें कोई शक्ति नहीं थी। मैंने निर्णय लिया कि वे मुझे अपने लोगों को मिस्र से बाहर निकाल कर लाते हुए देखेंगे।
\s5
\v 10 इस कारण मैंने तुम्हारे लोगों को मिस्र से बाहर निकाला और उन्हें जंगल में लाया।
\v 11 मैंने उन्हें अपने सारे नियम और आदेश दिए, कि वे उनका पालन करें, और जिसके परिणामस्वरूप वे लम्बे समय तक जीवित रहें।
\v 12 इसके अतिरिक्त, मैंने सब्त के दिनों को मेरे और उनके बीच एक यादगार बनाने के लिए स्थापित किया, जिससे कि वे जान सकें कि मैं यहोवा हूँ, वही जो उन्हें मेरे सम्मान के लिए अलग करता है।
\p
\s5
\v 13 परन्तु इस्राएली लोगों ने जंगल में भी मुझसे विद्रोह किया। उन्होंने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया; और उन्हें त्याग दिया, यदि उन्होंने उनका पालन किया होता, तो वे लम्बे समय तक जीवित रहते, और उन्होंने सब्त के दिन को किसी अन्य दिन के समान कर दिया। इसलिए मैंने कहा कि मैं उन्हें जंगल में नष्ट कर दूँगा, क्योंकि इससे पता चलता है कि मैं उनसे बहुत क्रोधित था।
\v 14 परन्तु फिर से, इसलिए कि अन्य जातियाँ मुझ पर नहीं हँसें, मैंने उन जातियों को यह दिखाने के लिए कुछ करने का निर्णय लिया कि मैं अभी भी उतना ही शक्तिशाली था जब उन्होंने मुझे अपने लोगों को मिस्र से बाहर निकाल कर लाते देखा था।
\s5
\v 15 मैंने जंगल में तुम्हारे लोगों से गम्भीर शपथ खाई कि मैं उन्हें उस देश में नहीं ले जाऊँगा जिसे मैंने उन्हें देने की प्रतिज्ञा की थी, वह देश जो संसार में सबसे उपजाऊ और सुन्दर देश था।
\v 16 मैंने यह शपथ खाई थी, क्योंकि उन्होंने मेरे सब नियमों को त्याग दिया और उनकी अवज्ञा की थी, और क्योंकि उन्होंने सब्त के दिन को किसी अन्य दिन के समान कर दिया था। और उन्होंने अपनी मूर्तियों की उपासना करने पर बल दिया।
\v 17 परन्तु मैंने अभी भी उन पर दया की, इसलिए मैंने उन्हें जंगल में नष्ट नहीं किया।
\s5
\v 18 मैंने उनके बच्चों अर्थात् अगली पीढ़ी से कहा, ‘उन कार्यों को न करो जो तुम्हारे माता पिता सदा करते हैं। उनकी मूर्तियों की उपासना न करो और ऐसा करने से मेरे लिए तुमको स्वीकार करना असम्भव न बनाओ।
\v 19 मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ। सावधानीपूर्वक मेरे नियमों और आज्ञाओं का पालन करो।
\v 20 मेरे सब्त के दिनों का सम्मान करो, कि ऐसा करने से, यह तुमको स्मरण दिलाएगा कि तुम मेरे लोग हो।
\p
\s5
\v 21 परन्तु उनके बच्चों ने भी मुझसे विद्रोह किया। उन्होंने मेरे नियमों का पालन करने की चिन्ता नहीं की, भले ही उनका पालन करने वाला कोई भी व्यक्ति लम्बे समय तक जीवित रहे; और उन्होंने सब्त के दिन को अन्य दिन के समान बना दिया। इसलिए फिर से मैंने कहा कि मैं उन सबको जंगल में मार डालूँगा, और इस प्रकार मैं क्रोधित होना बन्द कर दूँगा।
\v 22 परन्तु मैंने ऐसा नहीं किया। मैंने एक बार और कुछ करने का निर्णय लिया कि अन्य जातियाँ, जो मुझे तुम्हारे लोगों को मिस्र से बाहर निकाल कर लाते हुए देख चुकी थीं, मुझ पर नहीं हँसेंगे और नहीं कहेंगे कि मैंने अपनी शक्ति खो दी है।
\s5
\v 23 इसलिए मैंने जंगल में शपथ खाई कि मैं उन्हें कई जातियों में तितर बितर कर दूँगा,
\v 24 क्योंकि उन्होंने मेरे सब नियमों को त्याग दिया था और उनकी अवज्ञा की थी, और क्योंकि वे अन्य दिनों के समान सब्त के दिनों को मान रहे थे और क्योंकि वे उन मूर्तियों की उपासना करने के लिए उत्सुक थे जिनकी उनके माता पिता ने उपासना की थी।
\s5
\v 25 इसलिए मैंने उन्हें उन कानूनों का पालन करने दिया जो अच्छे नहीं थे, ऐसे कानून जो उन्हें लम्बे समय तक जीने में सहायता नहीं करेंगे।
\v 26 मैंने उन्हें उन कार्यों को करने दिया जिनके कारण मेरे लिए उन्हें स्वीकार करना असम्भव हो गया था: मैंने उनको अपने पहलौठे बच्चों को आग में बलि चढ़ाने दिया। मैंने उनको ऐसा करने दिया जिससे कि वे स्वयं ही भयभीत हों, और वे जान जाएँगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।
\p
\s5
\v 27 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोगों से बात कर। उनसे यह कह, ‘यहोवा परमेश्वर तुमसे कहते हैं: यह एक रीति है जिसके कारण तुम्हारे पूर्वजों ने मुझसे दूर जा कर मुझे अपमानित किया।’
\v 28 उसके बाद जब मैं उन्हें उस देश में लाया जिसे देने की शपथ खाई थी, हर बार जब उन्होंने एक ऊँची पहाड़ी या एक बड़ा हरा पेड़ देखा, तो उन्होंने वहाँ मूर्तियों को बलि चढ़ाई। उन्होंने उन्हें भेंटों को चढ़ाया, और इसने मुझे क्रोधित किया। उन्होंने उन मूर्तियों के लिए सुगन्धित धूप जलाई, और उन्हें दाखमधु की भेंट चढ़ाई।
\v 29 तब मैंने उनसे पूछा, ‘यह पहाड़ी की चोटी पर क्या स्थान है जहाँ तुम मूर्तियों की उपासना करने जाते हो? इसलिए उन्हें अभी भी बामा कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘पहाड़ की चोटी’।
\p
\s5
\v 30 इस कारण, इस्राएल के लोगों से यह कह: ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: तुम अपने पूर्वजों की ऐसे कार्यों को करने की नकल क्यों करते हो जो मुझे तुमको स्वीकार करने में असमर्थ बनाते हैं? तुम वेश्याओं के समान कार्य करते हो, जो अन्य पुरुषों के लिए अपने पतियों को छोड़ देती हैं। इसी प्रकार, तुमने मुझे घृणित मूर्तियों की उपासना करने के लिए छोड़ दिया है।
\v 31 जब तुम अपने बच्चों को आग में चढ़ा देते हो, तो तुम मुझे तुमको स्वीकार करने में असमर्थ बनाते हो। यह वैसा ही है जब तुम अपनी मूर्तियों के लिए झुकते हो। हे इस्राएली लोगों, क्या मुझे तुमको किसी भी मामले में निर्देशित करने के लिए कहने की अनुमति देनी चाहिए? मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ कि निश्चित रूप से जैसे मैं जीवित हूँ, यदि तुम मुझसे पूछोगे तो मैं उत्तर नहीं दूँगा।’
\p
\v 32 तुम कहते हो, ‘हम संसार की अन्य जातियों के समान बनना चाहते हैं। हम उनके समान लकड़ी और पत्थर से बनी मूर्तियों की आराधना करना चाहते हैं।’ परन्तु तुम जो चाहते हो वह कभी नहीं होगा।’
\s5
\v 33 मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ कि जैसे निश्चित रूप से मैं जीवित हूँ, मैं तुम पर शासन करने के लिए, और यह दिखाने के लिए कि मैं तुमसे क्रोधित हूँ अपनी महान शक्ति का उपयोग करूँगा।
\v 34 अपनी महान शक्ति के साथ मैं तुमको उन स्थानों से एकत्र करूँगा जहाँ मैंने तुमको तितर बितर किया है।
\v 35 मैं तुमको एक जंगल में लाऊँगा जो अन्य जातियों से घिरा हुआ है। वहाँ, मैं अपनी आँखों के सामने तुम्हारा न्याय करूँगा।
\s5
\v 36 मैं तुमको दण्ड दूँगा, जैसा कि मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र के पास जंगल में दण्ड दिया था।
\v 37 मैं तुमको मेरे अधीन करूँगा; तुम्हारे साथ बाँधी गई वाचा का पालन करने के लिए मैं तुम्हें विवश करूँगा।
\v 38 मैं तुम्हारे बीच के उन लोगों को नष्ट कर दूँगा जो मुझसे विद्रोह करते हैं। हालाँकि मैं उन्हें बाबेल से बाहर लाऊँगा, जहाँ वे अभी रह रहे हैं, वे इस्राएल में प्रवेश नहीं करेंगे। तब तुम जानोगे कि यह मैं, यहोवा, हूँ जिसके पास वह करने की शक्ति है कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\p
\s5
\v 39 तुम्हारे लिए इस्राएली लोगों, मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: तुम में से हर एक, अभी जाओ और अपनी मूर्तियों की उपासना करो। परन्तु उसके बाद में, तुम निश्चित रूप से मुझ पर ध्यान दोगे और तुम्हारी मूर्तियों के लिए चढ़ावे ले जा कर अब मुझे अपमानित नहीं करोगे।
\s5
\v 40 मैं, यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि वहाँ मेरी पवित्र पहाड़ी, सिय्योन पर, इस्राएल में उस ऊँची पहाड़ी पर, तुम मेरे लिए चढ़ावे ले कर आओगे, और मैं उन्हें स्वीकार करूँगा। मैं तुमसे अपेक्षा करूँगा कि भेंटें और चढ़ावे, और मेरे लिए अलग किए गए तुम्हारे बलिदानों को वहाँ ले कर आओ।
\v 41 जब मैं तुमको उन अन्य राष्ट्रों से बाहर लाऊँगा जिनमें तुम तितर बितर किए गए हो, तो मैं तुमको स्वीकार करूँगा जैसे कि तुम सुगन्धित धूप थे। मैं अन्य राष्ट्रों के लोगों को दिखाऊँगा कि मैंने स्वयं को पवित्र के रूप में अलग कर दिया है, कि मुझे सम्मानित किया जा सके।
\s5
\v 42 तब, जब मैं तुमको इस्राएल देश में लाऊँगा, जिस देश को मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देने के लिए प्रतिज्ञा की थी, तो तुम जानोगे कि मुझ, यहोवा, ने यह किया है।
\v 43 और वहाँ इस्राएल में तुम स्मरण रखोगे कि तुमने पहले अपने जीवन कैसे जीए थे, उन कार्यों के कारण जो तुमको मेरे लिए अस्वीकार्य बनाते थे, और तुम अपने द्वारा किए गए सभी बुरे कार्यों से घृणा करोगे।
\v 44 जब मैं अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए तुम इस्राएलियों के पक्ष में कार्य करता हूँ, न कि तुम्हारे बुरे कर्मों और भ्रष्ट व्यवहार के कारण, तुम इस्राएली लोग यह जान लोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है। यहोवा परमेश्वर यही घोषणा करते हैं।”
\p
\s5
\v 45 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 46 “हे मनुष्य के पुत्र, दक्षिण की ओर मुड़ जा। उस सूखी भूमि के साथ, उस जंगल में क्या होगा इस विषय में प्रचार कर।
\v 47 इस्राएल के दक्षिणी जंगल से कह: इस सन्देश को सुनो जो यहोवा परमेश्वर तुम्हारे विषय में कह रहे हैं: मैं तुम्हारे बीच में एक आग जलाने वाला हूँ, और यह तुम्हारे सारे पेड़ों को जला देगी, हरे पेड़ और सूखे पेड़ दोनों को। उस जलती आग को कुछ भी बुझा नहीं पाएगा। और वह आग दक्षिण से उत्तर तक उस क्षेत्र में रहने वाले हर किसी के चेहरों को झुलसा देगी।
\s5
\v 48 हर कोई देखेगा कि यह मैं, यहोवा हूँ, जिसने यह आग जलाई है, और कोई भी इसे बुझाने में समर्थ नहीं होगा।”
\p
\v 49 तब मैंने कहा, “हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, जब मैं लोगों से ऐसी बातें कहता हूँ, तो वे मुझ पर विश्वास नहीं करते हैं। वे मेरे विषय में कहते हैं, ‘वह केवल कहावतें कह रहा है।’”
\s5
\c 21
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, दक्षिण की ओर मुड़ जा। स्वयं को उसके विरुद्ध खड़ा कर। दक्षिण के विरुद्ध प्रचार कर और दक्षिणी यहूदिया के जंगल के विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर।
\v 3 उससे कह, ‘यहोवा कहते हैं: मैं तुम्हारे विरोध में हूँ, और ऐसा होगा जैसे मैं अपनी तलवार को म्यान से खींच कर तुम्हारे बीच के धर्मी और दुष्ट दोनों लोगों को मार डालूँगा!
\s5
\v 4 इसलिए जो मैं तुम्हारे साथ करूँगा वह ऐसा होगा जैसे कि मैं अपनी तलवार अपनी म्यान से निकालता हूँ और तुमको मारता हूँ। मैं धर्मी लोगों और दुष्ट लोगों सहित सभी को मार डालूँगा। मैं दक्षिण से उत्तर तक सबसे छुटकारा पाऊँगा।
\v 5 तब सबको पता चलेगा कि ऐसा लगता है कि मुझ, यहोवा, ने अपनी तलवार से लोगों को मारा है, और मैं इसे फिर से म्यान में नहीं डालूँगा।
\p
\s5
\v 6 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, चिल्ला! इस्राएली लोगों के सामने निराशा और दुख के साथ चिल्ला।
\v 7 और जब वे तुझसे पूछें, ‘तू क्यों चिल्ला रहा है? उन्हें बता कि यह उन समाचारों के कारण है जो वे शीघ्र ही सुनेंगे। हर कोई बहुत भयभीत होगा, और उनके हाथ अनियंत्रित रूप से थरथराएँगे, जबकि उनके घुटने पानी के समान दुर्बल हो जाएँगे। शीघ्र ही एक बड़ी विपत्ति आएगी। यहोवा परमेश्वर यही प्रतिज्ञा कर रहे हैं।”
\p
\s5
\v 8 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 9 “हे मनुष्य के पुत्र, भविष्यद्वाणी कर और उनसे कह, ‘यहोवा कहते हैं:
\q1 मैं अपनी तलवार को धार लगाऊँगा
\q2 और इसे चमकाऊँगा।
\q1
\s5
\v 10 यह तेज होगी जिससे मैं कई लोगों को मार डालूँगा;
\q2 मैं इसे चमकाऊँगा कि यह बिजली के समान चमके।
\q1 यहूदा के लोग अपने राजा के राजदण्ड के विषय में आनन्द नहीं मनाएँगे,
\q2 क्योंकि वह उसके विरुद्ध आने वाली तलवार का विरोध नहीं करेगा।
\q1
\v 11 इसलिए मैं तलवार को चमकाऊँगा,
\q2 और सही व्यक्ति तब इसे अपने हाथ में पकड़ेगा।
\q1 अब यह तेज है; अब यह चमकती है,
\q2 मारने वाले के उपयोग करने के लिए तैयार!
\q1
\s5
\v 12 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, रो और विलाप कर,
\q2 क्योंकि मैं इस्राएल के अगुवों सहित अपने लोगों को मारने के लिए,
\q2 अपनी तलवार का उपयोग करूँगा।
\q1 वह तलवार उन्हें और मेरे अन्य सभी लोगों को मार डालेगी;
\q2 मेरी तलवार उन सबको मार डालेगी,
\q1 इसलिए यह दिखाने के लिए अपनी छाती को पीट कि तू दुखी है।
\q1
\v 13 मैं अपने लोगों का परीक्षण करने वाला हूँ,
\q2 और क्या होगा यदि राजदण्ड विरोध नहीं करता है?
\q2 मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ।
\q1
\s5
\v 14 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, भविष्यद्वाणी कर;
\q2 अपने हाथों को यह दिखाने के लिए पटक कि जो कुछ घटित होने जा रहा है तू इसके विषय में बहुत दुखी है।
\q1 मेरी तलवार बार-बार मेरे लोगों पर वार करेगी;
\q1 यह तलवार कई लोगों को मारने के लिए है,
\q2 जब मैं उन पर हर ओर से आक्रमण करता हूँ।
\q1
\s5
\v 15 इसलिए कि लोग बहुत डर जाएँगे
\q2 और यह कि बहुत से लोग मर जाएँगे,
\q1 मैंने शहर के हर फाटक पर सैनिकों को खड़ा कर रखा है,
\q2 लोगों को मारने के लिए तैयार।
\q1 मेरी तलवार बिजली के समान चमकेगी,
\q2 जैसे सैनिक लोगों को मार डालते हैं।
\q1
\v 16 मैं अपनी तलवार को दाहिनी ओर से काटने के लिए कहूँगा
\q2 और फिर बाईं ओर से,
\q2 और प्रत्येक दिशा में घूमने को जब तक कि कोई भी जीवित न रहे।
\q1
\v 17 तब मैं अपने हाथों से विजय की तालियाँ बजाऊँगा;
\q2 तब मैं और क्रोध में नहीं रहूँगा।
\q1 यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मुझ, यहोवा, ने यह कहा है।”
\p
\s5
\v 18 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 19 “हे मनुष्य के पुत्र, बाबेल के राजा के लिए अपनी सेना के साथ चलने के नक्शे पर दो सड़कें बना। जब वे अपने देश से निकलते हैं, तो वे एक दिशासूचक के पास आएँगे जहाँ से एक ही सड़क उन दो सड़कों में विभाजित होगी।
\v 20 यदि वे उन सड़कों में से एक को लेते हैं, तो वे अम्मोन जाति की राजधानी रब्बा शहर पर आक्रमण करेंगे। यदि वे दूसरी सड़क लेते हैं, तो वे यहूदा और यरूशलेम आएँगे, एक ऐसा शहर जिसके चारों ओर दीवारें हैं।
\s5
\v 21 जब बाबेल की सेना उस स्थान पर आती है जहाँ सड़क विभाजित होती है, तो सेना रुक जाएगी, जबकि राजा निर्णय लेने के लिए तन्त्र मन्त्र के अनुष्ठान करेगा कि कौन सी सड़क पर आगे जाना है। वह तीर फेंक देगा; तब वह अपनी मूर्तियों से परामर्श लेगा कि किस सड़क पर जाना है, और वह एक भेड़ के कलेजे में देखेगा।
\v 22 वह अपने दाहिने हाथ से यरूशलेम के नाम से चिन्हित तीर उठाएगा। तब वह अपने सैनिकों को यरूशलेम जाने का आदेश देगा। जब वे वहाँ पहुँचेंगे, तब वे दीवारों पर चोट मारने के लिए साधनों को लगाएँगे, और फिर राजा लोगों को मारने का आदेश उनको देगा। वे युद्ध की ललकार करेंगे, और वे शहर के फाटकों के विरुद्ध साधनों को लगाएँगे। वे शहर के चारों ओर की दीवारों के विरुद्ध एक मलबे के पुश्ते बाँधेंगे, और शहर के विरुद्ध दीवारों को दृढ़ करेंगे।
\v 23 यरूशलेम में रहने वाले लोग जिन्होंने बाबेल के राजा के साथ भक्ति की शपथ खाई है, वे चाहेंगे कि उन तन्त्र मन्त्र अनुष्ठानों को गलत होना चाहिए। वे चाहेंगे कि उसकी सेना उन पर आक्रमण नहीं करे। परन्तु वह उन्हें उन लोगों के विश्वासघात को स्मरण दिलाएगा जिनके वे दोषी हैं, और वह कहेगा कि उन्होंने उसके साथ किए गए समझौते का उल्लंघन किया है।
\p
\s5
\v 24 इसलिए, इस्राएली लोगों को बता कि यहोवा कहते हैं: ‘तुम लोगों ने सबको यह देखने की अनुमति दी है कि तुम बाबेल के राजा के विरुद्ध स्पष्ट रूप से विद्रोह कर रहे हो, और ऐसा करके तुमने दिखाया है कि जो कुछ भी तुम करते हो वह पाप है। इसलिए वह तुमको पकड़ लेगा और बाबेल ले जाएगा।’
\p
\s5
\v 25 साथ ही, यहूदा के राजा से कहो, ‘तू इस्राएल का बहुत दुष्ट राजा है, यह तेरे मरने का समय है। यही समय है कि यहोवा तुझे दण्ड दें।’
\v 26 और मैं, यहोवा परमेश्वर, यरूशलेम में तुम्हारे राजा के विषय में तुमसे यह कहता हूँ, ‘राजा की पगड़ी और उसका मुकुट उतार दो, क्योंकि अब बातें पहले जैसी नहीं होंगी। मैं उन लोगों को शक्ति दूँगा जिनके पास कोई शक्ति नहीं थी, और मैं उन लोगों को अपमानित करूँगा जिनके पास शक्ति थी।
\v 27 मैं बाबेल के लोगों को सब कुछ नष्ट करने दूँगा। कोई भी फिर से यहूदा का राजा नहीं होगा, जब तक कि वह व्यक्ति न आए जो राजा बनने योग्य है। तब मैं उसे राजा बनाऊँगा।’
\p
\s5
\v 28 और, हे मनुष्य के पुत्र, भविष्यद्वाणी कर और कह कि मैं, यहोवा परमेश्वर, अम्मोन जाति के विषय में यह कहता हूँ, कि मैं उन्हें कैसे अपमानित करूँगा:
\q1 ‘मेरे सैनिकों के पास तलवारें हैं
\q2 और उन्होंने कई लोगों को मारने के लिए उन तलवारों को बाहर खींच लिया है।
\q1 उन्होंने लोगों को मारने के लिए उन्हें चमकाया है,
\q2 कि बिजली के समान चमकें।
\q1
\v 29 तुम्हारे अम्मोनियों के भविष्यद्वक्ताओं ने तुमको तुम्हारे साथ होने वाली घटनाओं के विषय में झूठे दर्शन सुनाए हैं,
\q2 और उन्होंने व्यर्थ के समारोह आयोजित किए हैं जो तुमको झूठे सन्देश देते हैं।
\q1 इसलिए तलवार उन दुष्ट लोगों की गर्दनों पर वार करेगी।
\q2 वह दिन आ गया है जब मुझे उन्हें दण्ड देना है,
\q2 क्योंकि वे मेरे प्रति सच्चे नहीं रहे हैं।’
\q1
\s5
\v 30 परन्तु बाद में बाबेल के सैनिकों को अपनी तलवारें अपनी म्यानों में वापस रखनी पड़ेगी,
\q2 क्योंकि उनके शत्रुओं को मारने का उनका समय समाप्त हो जाएगा।
\q2 मैं बाबेल के इन लोगों का न्याय उसी देश में करूँगा जहाँ वे पैदा हुए थे।
\q1
\v 31 मैं उन पर अपना दण्ड उण्डेल दूँगा।
\q1 क्योंकि मैं उनसे बहुत क्रोधित हूँ,
\q2 मेरी साँस उन्हें आग के समान झुलसा देगी।
\q1 मैं क्रूर पुरुषों को उन्हें पकड़ने की अनुमति दूँगा,
\q2 ऐसे पुरुष जो लोगों की हत्या करने में निपुर्ण हैं।
\q1
\s5
\v 32 वे ईंधन के समान होंगे जो आग में डाला जाता है।
\q2 उनका खून उनके अपने ही देश में बह जाएगा।
\q1 कोई भी अब उन्हें स्मरण नहीं रखेगा।
\q2 निश्चय यही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा, ने यह कहा है।”
\s5
\c 22
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, क्या तू यरूशलेम के लोगों को दोष देने के लिए तैयार है? यह हत्यारों से भरा एक शहर है। उनको उन सब घृणित कार्यों को स्मरण दिला जो उन्होंने किए हैं।
\v 3 तब कह, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं: लोगों को मार कर और स्वयं को अपवित्र करके, मूर्तियों को बना कर, तुम इस नगर के लोग अपने ऊपर ऐसा समय ले आए हो जो मेरे लिए तुमको नष्ट करने का है।
\s5
\v 4 तुम निर्दोष लोगों की हत्या करके दोषी हो गए हो। तुमने अपने लिए मूर्तियाँ बना कर, मेरे लिए तुमको स्वीकार करना असम्भव कर दिया है। तुम अपना अन्त समय ला रहे हो। इसलिए मैं अन्य जातियों को तुम पर हँसने और तुम्हारी निन्दा करने दूँगा।
\v 5 तुम्हारे आस-पास के देशों के लोग और जो तुमसे दूर रहते हैं, वे तुम्हारा उपहास करेंगे, क्योंकि तुम्हारा शहर भ्रम से भरा है, और क्योंकि तुमने मेरे, तुम्हारे अपने परमेश्वर के लिए तुमको स्वीकार करना असम्भव कर दिया है।
\p
\s5
\v 6 इस विषय में सोचो कि कैसे तुम्हारे हर एक इस्राएली राजा ने लोगों की हत्या करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग किया है।
\v 7 तुम्हारे लोग अपने माता पिता का सम्मान नहीं करते हैं; उन्होंने विदेशियों पर अत्याचार किया है; वे अनाथ और विधवाओं के साथ बुरा व्यवहार करते हैं।
\v 8 तुम मेरे पवित्र स्थानों और प्रथाओं को तुच्छ मानते हो, और तुम सब्त के दिन को अन्य दिनों जैसा मानते हो।
\v 9 तुम में ऐसे लोग हैं जो दूसरों की हत्या के लिए झूठ बोलते हैं। वहाँ ऐसे लोग हैं जो पर्वतों की चोटियों पर जाते हैं और मूर्तियों को चढ़ाया गया भोजन खाते हैं, और वे सबके सामने बुरा व्यवहार करते हैं।
\s5
\v 10 वहाँ ऐसे पुरुष हैं जो अपने पिता की पत्नी के साथ सोते हैं, और ऐसे पुरुष जो मासिक धर्म के समय स्त्रियों के साथ सोते हैं।
\v 11 वहाँ ऐसे पुरुष हैं जो किसी अन्य की पत्नी के साथ सोते हैं। तुम्हारे कुछ पुरुष अपने पुत्र की पत्नी के साथ या अपनी सगी बहनों के साथ या आधी बहनों के साथ सोते हैं।
\v 12 वहाँ तुम में ऐसे लोग भी हैं जो किसी को मार डाले जाने के लिए रिश्वत स्वीकार करते हैं। जब तुम लोगों को पैसे देते हो तो तुम ब्याज लेते हो। तुम लोगों को तुमको पैसे देने के लिए विवश करके धनवान बन जाते हो। और तुम, मुझ यहोवा को भूल गए हो।
\p
\s5
\v 13 इसलिए मैं तुम्हारे अनुचित लाभ और तुम्हारे बीच रहने वाले हत्यारों पर अपनी मुट्ठी को हिला दूँगा।
\v 14 जब मैं तुमको दण्ड देना समाप्त कर दूँगा, तब तुम फिर साहसी नहीं रहोगे। मुझ, यहोवा, ने कहा है कि मैं तुम्हारे साथ ऐसा ही करूँगा, और मैं यह करूँगा।
\v 15 मैं तुमको कई जातियों में तितर-बितर कर दूँगा, और मैं तुम्हारे पापी व्यवहार को रोक दूँगा।
\v 16 जब अन्य देशों के लोग देखते हैं कि तुम अपमानित हो गए हो, तो तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 17 तब यहोवा ने मुझसे कहा,
\v 18 “हे मनुष्य के पुत्र, तेरे इस्राएली लोग मेरे लिए निकम्मे हो गए हैं। वे मेरे लिए धातु के जंग के समान हैं। वे बेकार ताम्बे, टीन, लोहे और सीसा के समान हैं जो बहुत ही गर्म भट्ठी में चाँदी के पिघल जाने के बाद बच जाता है
\v 19 इसलिए, मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: क्योंकि तुम सब धातु के जंग के समान हो गए हो, मैं तुमको यरूशलेम में एकत्र करूँगा।
\s5
\v 20 लोग बहुत ही गर्म भट्ठी में चाँदी, तांबा, लोहा, सीसा, और टीन युक्त कच्ची धातु डालते हैं और अशुद्धियों को जलाने के लिए उन्हें उस तेज आग में पिघलाते हैं। इसी प्रकार, मैं तुमको यरूशलेम के अन्दर एकत्र करूँगा, और क्योंकि मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ, मैं जो करूँगा, वह वैसा ही होगा जैसे मैं तुमको पिघला रहा हूँ।
\v 21 यह ऐसा होगा जैसे मैं तुम पर एक गर्म साँस फूँक रहा हूँ जो दिखाता है कि मैं बहुत क्रोधित हूँ, और यह ऐसा होगा जैसे तुम पिघल जाओगे,
\v 22 तुम पिघल जाओगे जैसे कि भट्ठी में चाँदी पिघल जाती है, और तब तुम जानोगे कि मुझ, यहोवा, ने तुमको दण्ड दिया है।”
\p
\s5
\v 23 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 24 “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएलियों से कह, ‘तुम यहोवा के लिए घृणित हो, उनके लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य हो। इसलिए यहोवा तुमसे क्रोधित हैं। तुम्हारे देश में वर्षा नहीं होगी।
\v 25 उनके अगुवे शेरों के समान हैं जो उन जानवरों को फाड़ कर दो भाग कर डालते हैं जिन्हें उन्होंने मारा है। अगुवे अपने लोगों को नष्ट करते हैं। वे लोगों के खजाने और अन्य मूल्यवान वस्तुएँ चुराते हैं, और वे कई पुरुषों की हत्या करते हैं और उनकी पत्नियों को विधवा बनाते हैं।
\s5
\v 26 उनके याजक मेरे नियमों का उल्लंघन करते हैं और यह कहकर कि उन वस्तुओं में कोई अंतर नहीं हैं जो पवित्र हैं और जो पवित्र नहीं हैं, और सब्त के दिनों में विश्राम करने के विषय में मेरे नियमों को अनदेखा करने के द्वारा वे मेरी पवित्र बातों का अपमान करते हैं। जिसके परिणामस्वरूप, वे अब मेरा सम्मान नहीं करते हैं।
\v 27 उनके अधिकारी भेड़िये के समान हैं जो उन जानवरों को फाड़ कर दो भाग कर डालते हैं जिन्हें उन्होंने मारा है। वे अपने पैसे पाने के लिए लोगों की हत्या करते हैं।
\v 28 उनके भविष्यद्वक्ताओं ने यह कहते हुए उन पापों को ढाँकने का प्रयास किया है कि उन्हें परमेश्वर से दर्शन प्राप्त हुए हैं। वे कहते हैं, ‘यहोवा परमेश्वर ऐसा कहते हैं, जबकि मैंने उनसे कुछ नहीं कहा है।
\s5
\v 29 इस्राएली लोग दूसरों को उन्हें पैसा देने के लिए विवश करते हैं, और वे लोगों को लूटते हैं। वे गरीब लोगों पर अत्याचार करते हैं, और वे उनके बीच रहने वाले विदेशियों से अदालतों में उनके साथ निष्पक्ष रूप से व्यवहार नहीं करने के द्वारा बुरा व्यवहार करते हैं।
\p
\s5
\v 30 मैंने एक ऐसे पुरुष को ढूँढ़ने के लिए उन लोगों को देखा जो लोगों के लिए प्रार्थना करेगा और उनसे पश्चाताप करवाएगा कि मुझे उन्हें नष्ट करने की आवश्यकता न हो। परन्तु मुझे कोई नहीं मिला।
\v 31 इसलिए, क्योंकि मैं उनसे बहुत क्रोधित हूँ, मैं उन्हें उन सब दुष्ट कार्यों के लिए दण्ड दूँगा जो उन्होंने किए हैं। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मुझ, यहोवा परमेश्वर, ने यह कहा है।”
\s5
\c 23
\p
\v 1 यहोवा ने मुझसे कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम और सामरिया के विषय में इस कहावत को सुन। एक बार दो स्त्रियाँ, एक ही माँ की पुत्रियाँ थीं।
\v 3 वे मिस्र में रहती थीं। और उस समय से जब वे युवा स्त्रियाँ थीं, वे वेश्या बन गईं। उस देश में, पुरुषों ने उनके स्तनों को प्रेम किया और उनकी युवा छातियों को सहलाया।
\v 4 बड़ी बहन ओहोला थी, और उसकी छोटी बहन ओहोलीबा थी। ऐसा लगता था कि वे बाद में मेरी पत्नियाँ बन गईं। बाद में उन्होंने पुत्रों और पुत्रियों को जन्म दिया। ओहोला सामरिया का प्रतिनिधित्व करती है, और ओहोलीबा यरूशलेम का प्रतिनिधित्व करती है।
\p
\s5
\v 5 ओहोला ने वेश्या के समान कार्य किया, जबकि वह अभी भी मेरी पत्नी थी। वह उन लोगों के साथ सोना चाहती थी जिनसे वह प्रेम करती थी अश्शूर के सैनिक।
\v 6 उनमें से कुछ सेना के अधिकारी और सरदार थे। वे सुन्दर बैंगनी वर्दी पहनते थे। वे सभी सुन्दर युवा पुरुष थे जो घोड़ों पर सवारी करते थे।
\v 7 उसने अश्शूर के सभी महत्वपूर्ण अधिकारियों के साथ वेश्या जैसा कार्य किया। मैं अब उसे मुझसे सम्बन्धित नहीं मान सकता था, क्योंकि वह उन पुरुषों की सभी मूर्तियों की आराधना कर रही थी जिनके साथ वह सोना चाहती थी।
\s5
\v 8 जब वह मिस्र में एक युवा स्त्री थी, तब वह एक वेश्या बनने लगी, और उसने जवानों को अपने स्तनों को सहलाने और उसके साथ यौन सम्बन्ध बनाने की अनुमति दी। जब वह बड़ी हो गई, तो उसने वेश्या का सा व्यवहार करना नहीं छोड़ा।
\p
\v 9 इसलिए मैंने अश्शूर के सैनिकों को उसे पकड़ने की अनुमति दी, जिनके साथ वह सोना चाहती थी।
\v 10 उन्होंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। वे उसके पुत्रों और पुत्रियों को ले गए। और फिर उन्होंने उसे तलवार से मार डाला। अन्य स्त्रियों ने इस विषय में बात करना आरम्भ कर दिया कि वह किस प्रकार अपमानित हुई थी, और इस विषय में कि वह किस प्रकार पीड़ित होने योग्य थी।
\p
\s5
\v 11 उसकी छोटी बहन ओहोलीबा ने वह सब देखा जो ओहोला के साथ हुआ, परन्तु वह भी एक वेश्या थी, और वह अपनी बड़ी बहन की इच्छा से भी अधिक पुरुषों के साथ सोना चाहती थी।
\v 12 ओहोलीबा भी अश्शूर के सैनिकों के साथ सोना चाहती थी। उनमें से कुछ सेना के अधिकारी और सरदार थे। वे सब सुन्दर वर्दी पहनते थे। वे सभी सुन्दर युवा पुरुष थे। और वे घोड़ों पर सवारी करते थे।
\v 13 मैंने देखा जो उसने किया जिसने मुझे उसे स्वीकार करने में असमर्थ कर दिया, बिलकुल उसकी बड़ी बहन के समान।
\p
\s5
\v 14 परन्तु उसने और भी अधिक बुरे कार्य किए। उसने दीवारों पर बाबेल के पुरुषों के लाल रंग से बनाए गए चित्रों को देखा।
\v 15 चित्रों में पुरुषों की कमर के चारों ओर पटुका था और उनके सिर पर लम्बी पगड़ी थी। वे सब बाबेल के अधिकारियों के समान दिखते थे जो रथों में सवारी करते थे।
\s5
\v 16 जैसे ही उसने उन चित्रों को देखा, वह उन पुरुषों के साथ सोना चाहती थी, और उसने उन्हें बाबेल में सन्देश भेजे।
\v 17 तब बाबेल के सैनिक उसके पास आए, उसके साथ बिस्तर पर लेट गए, और उसके साथ सो गए। तब वह उनके साथ घृणित हो गई और उनसे दूर हो गई।
\s5
\v 18 परन्तु जब वह खुले में एक वेश्या के समान कार्य करती रही और स्वयं को दूसरों के लिए नंगी दिखाती रही, तो मैं उसके प्रति घृणा से भर गया और उसका त्याग कर दिया, जैसे मैंने उसकी बड़ी बहन को त्याग दिया था।
\v 19 परन्तु वह और भी अधिक अनैतिक हो गई, जैसे उसे स्मरण आया कि वह मिस्र में एक वेश्या बनने के लिए सीखने वाली एक युवा स्त्री थी।
\s5
\v 20 वहाँ वह उन लोगों के साथ सोना चाहती थी जो उससे प्रेम करते थे, जिनके गुप्त अंग बहुत लम्बे थे, जैसे गधों के होते हैं, और जिनका प्रजनन वीर्यपात भी बहुत होता था, जैसे घोड़ों का होता है।
\v 21 इसलिए वह अनैतिक होने की इच्छा रखती थी जैसे वह तब थी जब वह युवा थी, जब मिस्र के पुरुषों ने उसकी छाती को सहलाया और उसके युवा स्तनों को प्रेम किया।
\p
\s5
\v 22 ओहोलीबा तू यरूशलेम के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, मैं, यहोवा, यही कहता हूँ: वे सैनिक जिन्होंने तुझसे प्रेम किया था, परन्तु जिनसे तू दूर हो गई क्योंकि तू उनके साथ घृणित हो गई थी मैं उनको तुझ पर क्रोधित कर दूँगा। मैं उनको आकर तुझ पर हर ओर से आक्रमण करने दूँगा -
\v 23 बाबेल से और बाबेल के अन्य सब स्थानों से सैनिक, और पकोद, शो और कोआ से उनके सहयोगी, और अश्शूर की सारी सेना। हाँ, वे सभी सुन्दर युवा पुरुष, सेना के अधिकारी और सरदार हैं, जिन अधिकारियों की महान प्रसिद्धि है, वे सब घोड़ों पर सवारी कर रहे हैं।
\s5
\v 24 उनकी विशाल सेना रथों में सवारी करते हुए और सेना की भोजन वस्तुओं की गाड़ी को खींचते हुए, तुम पर हथियारों के साथ आक्रमण करेगी। वे बड़ी और छोटी ढाल लिए हुए, और टोप पहने हुए, तुमको घेर लेंगे। मैं उन्हें तुमको पकड़ने और तुमको इस तरह से दण्ड देने की अनुमति दूँगा जैसे कि वे सदा अपने शत्रुओं को दण्ड देते हैं।
\v 25 क्योंकि मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ, इसलिए मैं उन्हें तुम्हारे साथ अत्याधिक क्रोध से कार्य करने दूँगा। वे तुम्हारी नाक को और कानों को काट लेंगे। फिर, जो लोग अभी भी जीवित हैं, उन्हें वे अपनी तलवार से मार देंगे। वे तुम्हारे पुत्रों और पुत्रियों को ले जाएँगे, और यह एक आग के समान होगा जो तुम्हारे वंशजों को जलाती है।
\s5
\v 26 वे तुम्हारे कपड़े और तुम्हारे गहनों को उतार लेंगे, और वे उन्हें ले जाएँगे।
\v 27 इस प्रकार, मैं उन सब अनैतिक व्यवहारों को रोकूँगा जो मिस्र में तुम्हारे एक वेश्या बनने के बाद आरम्भ हुए। अब तुम उन कार्यों को करने की इच्छा नहीं करोगे; वरन् मिस्र में तुमने जो किया उसके विषय में अब तुम सोचोगे भी नहीं।
\p
\s5
\v 28 मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: वे जिनसे तुम घृणा करते हो, वे जिनके साथ तुम घृणित बन गए और जिनसे तुम दूर हो गए मैं उन्हें तुमको पकड़ने की अनुमति देने वाला हूँ।
\v 29 वे क्रूर होंगे; वे तुम्हारे पास जो कुछ भी है वह ले जाएँगे। वे तुझको पूरी तरह नंगा छोड़ देंगे, और हर कोई देखेगा कि तुम वास्तव में एक वेश्या हो।
\s5
\v 30 यह तेरे द्वारा किए गए कार्यों के कारण है कि तुझको इस प्रकार दण्ड दिया जाएगा; तू एक अनैतिक वेश्या रही है; तू अन्य राष्ट्रों के पुरुषों के साथ सोई है, और तू ने मुझे तुझको स्वीकार करना असम्भव बना दिया है, क्योंकि तू ने उनकी मूर्तियों की उपासना की है।
\v 31 तुमने सामरिया के लोगों के समान व्यवहार किया है, जो तुम्हारी बड़ी बहन के समान हैं। इसलिए मैं तुमको दण्ड दूँगा जैसे उन्हें दण्ड दिया गया था।
\p
\s5
\v 32 मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: जब तू गहरे और बड़े प्याले से पीती है तो तू पीड़ित होगी।
\q1 यह ऐसा होगा जैसे तू उसी प्याले से पीएगी जिससे सामरिया के लोग पीते थे।
\q1 और ऐसा इसलिए है कि तू वह पीएगी जो उस प्याले में है, कई लोग तेरा तिरस्कार करेंगे और तेरा उपहास करेंगे,
\q2 क्योंकि जब तू उस प्याले से पीती है तो यह तुझे नशे में कर देगा और फिर तू उदासी से दूर हो जाएगी।
\q1
\s5
\v 33 जब तू बहुत नशे में हो जाती है, तो तू बहुत दुखी हो जाएगी,
\q2 क्योंकि जो उस प्याले में है वह पीना तुझे नष्ट कर देगा; हर कोई तुझे छोड़ देगा।
\q2 सामरिया के लोगों के साथ यही हुआ, जो तुम्हारी बहन जैसे हैं।
\q1
\v 34 तू उस प्याले में भरा हुआ सारा तरल पीएगी;
\q2 तो तू उस प्याले को टुकड़ों में तोड़ देगी
\q2 और अपने स्तनों को काटने के लिए उन टुकड़ों का उपयोग करेगी क्योंकि तू बहुत दुखी होगी। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मुझ, यहोवा, ने यह कहा है।
\p
\s5
\v 35 इस कारण, मैं यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: क्योंकि तुम मुझे भूल गए हो और मुझे त्याग दिया है, तुम्हारे अनैतिक व्यवहार और वेश्या होने के लिए मुझे तुमको दण्ड देना ही होगा।”
\p
\s5
\v 36 यहोवा ने मुझसे कहा, हे मनुष्य के पुत्र, ओहोला और ओहोलीबा के द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए उन दो शहरों के लोगों का न्याय कर। तुमको उन्हें उनके घृणित व्यवहार स्मरण दिलाना चाहिए।
\v 37 ऐसा लगता है कि उन्होंने व्यभिचार किया है और लोगों की हत्या कर दी है। वे मूर्तियों की उपासना करके मेरे साथ अविश्वासी रहे हैं। उन्होंने अपने स्वयं के बच्चों को भी आग में बलि चढ़ा दिया है, जो मेरे थे।
\s5
\v 38 उन्होंने अन्य अपमानजनक कार्य किए हैं: उन्होंने मेरे मन्दिर को आराधना के लिए अस्वीकार्य स्थान कर दिया है, और वे सब्त के दिन को अन्य दिनों के समान मानते हैं।
\v 39 उसी दिन जब उन्होंने अपने बच्चों को अपनी मूर्तियों के लिए बलि चढ़ा दिया, वे मेरे मन्दिर में प्रवेश कर गए, जिससे मेरी आराधना करने के लिए यह एक अस्वीकार्य स्थान हो गया है। उन्होंने इन कार्यों को मेरे अपने घर में किया!
\p
\s5
\v 40 उन्होंने दूर देशों में पुरुषों को सन्देश भेजे। और जैसे ही वे लोग आ रहे थे, दोनों बहनों ने उनके लिए स्वयं को नहलाया, अपनी भौहों पर रंग लगाया, और गहने पहन लिए।
\v 41 वे एक सुन्दर आसन पर बैठीं, उसके सामने एक मेज थी जिस पर उन्होंने धूप और जैतून का तेल रखा था जो मेरे लिए थे।
\p
\s5
\v 42 शीघ्र ही उनके चारों ओर शोर करती एक भीड़ थी। भीड़ में अरब के रेगिस्तान से आए शेबा के लोग थे। उन्होंने उन दो बहनों की बाँहों पर कंगन पहनाए, और उन्होंने उनके सिरों पर सुन्दर मुकुट रखें।
\s5
\v 43 तब मैंने उस स्त्री के विषय में कहा जो कई पुरुषों के साथ सो कर थक गई थी, ‘अब वे लोग उसके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे जैसे कि वह एक वेश्या है, क्योंकि वह यही तो है।’
\v 44 अतः वे उन दो स्त्रियों, ओहोला और ओहोलीबा के साथ सो गए, जैसे पुरुष वेश्याओं के साथ सोते हैं।
\v 45 परन्तु धर्मी लोग उन्हें दण्ड के दोषी ठहराएँगे, जैसे उन स्त्रियों को दण्ड दिया जाता है जो व्यभिचार करती हैं और जो दूसरों की हत्या करती हैं, क्योंकि वे स्त्रियाँ व्यभिचार करती हैं और वे दूसरों की हत्या करती हैं।
\p
\s5
\v 46 इसलिए मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: सामरिया और यरूशलेम पर आक्रमण करने के लिए एक भीड़ को लाओ, और उस भीड़ को उन शहरों के लोगों को भयभीत करने दो; भीड़ को उन्हें लूटने की अनुमति दो।
\v 47 भीड़ उन्हें मारने के लिए उन पर पत्थरों को फेकेंगी; वे उन्हें अपनी तलवार से टुकड़े-टुकड़े कर देंगे, वे उनके पुत्रों और पुत्रियों को मार डालेंगे, और वे उनके घरों को जला देंगे।
\p
\s5
\v 48 इस प्रकार मैं उन्हें उनके अनैतिक व्यवहार से रोकूँगा। यह अन्य स्त्रियों को तुम यरूशलेम के लोगों के कार्यों का अनुकरण न करने की चेतावनी देगा।
\v 49 मैं तुम, यरूशलेम के लोगों को तुम्हारे अनैतिक व्यवहार और मूर्तियों की उपासना करने के लिए दण्ड दूँगा। तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।”
\s5
\c 24
\p
\v 1 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश में ले जाने के लगभग नौ वर्षों के बाद, उस वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन, यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया:
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, लिख कि यह किस महीने का दिन है। इस दिन बाबेल के राजा की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया था।
\s5
\v 3 बाबेल में रहने वाले उन विद्रोही इस्राएली लोगों को एक कहावत बता। उनसे यह कह: यहोवा परमेश्वर कहते हैं:
\q1 ‘खाना पकाने के बर्तन में पानी डालो
\q2 और बर्तन को आग पर रखो।
\q1
\v 4 अपनी सबसे अच्छी भेड़ों में से एक के माँस के कुछ टुकड़ों को बर्तन में डाल दो:
\q2 पैर और कंधे को डाल दो, जो सबसे अच्छे टुकड़े हैं।
\q1 फिर उस बर्तन में सर्वोत्तम हड्डियाँ भरो।
\q1
\v 5 आग पर लकड़ी रखो,
\q2 और उबलते पानी में हड्डियों और माँस को पकाओ।’
\s5
\v 6 ऐसा करो क्योंकि यहोवा यही कहते हैं:
\q1 ‘यरूशलेम के लिए भयानक बातें घटित होंगी; यह ऐसा शहर है जो हत्यारों से भरा है,
\q2 एक ऐसा शहर जो गले हुए ताम्बे के बर्तन के समान है,
\q2 और वह जंग हटाया नहीं जा सकता है।
\q1 माँस के टुकड़ों को बर्तन से बाहर निकालो,
\q2 परन्तु चुनाव मत करो कि कौन से टुकड़े निकालने हैं।
\q1
\s5
\v 7 यरूशलेम में जिन लोगों की हत्या हुई थी, उनका खून अभी भी वहाँ है;
\q1 नंगी चट्टानों पर उनकी हत्या कर दी गई थी,
\q2 मिट्टी पर नहीं, जहाँ उनके खून को ढाँका जा सकता है।
\q1
\v 8 परन्तु मैं वही हूँ जिसने मारे गए लोगों के खून को नंगी चट्टान पर पोत दिया,
\q2 जहाँ उनके खून को ढाँका नहीं जा सकता है;
\q2 मैंने ऐसा किया जिससे कि मैं इसे देख सकूँ और फिर क्रोधित होकर बदला ले सकूँ।’
\s5
\v 9 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ:
\q1 ‘उस शहर के साथ भयानक बातें होगी जो हत्यारों से भरा है!
\q2 यह ऐसा होगा जैसे मैं भी आग में लकड़ी का ढेर डालूँगा।
\q1
\v 10 इसलिए लकड़ी का ढेर करो
\q2 और आग लगा दो!
\q1 माँस को अच्छी तरह से पकाओ,
\q2 और इसके साथ कुछ मसालों को मिलाओ;
\q2 इसे तब तक पकाओ जब तक कि हड्डियाँ काली न हो जाएँ।
\q1
\s5
\v 11 फिर आग के कोयलों पर खाली बर्तन को रख दो
\q2 जब तक कि बर्तन बहुत गर्म न हो जाए और तांबा चमकने न लगे,
\q1 कि गलने का कारण मिट न जाए।
\q1
\v 12 ऐसा लगता है कि मैंने उस जंग से छुटकारा पाने का प्रयास किया,
\q1 परन्तु मैं इसे करने में समर्थ नहीं था,
\q2 यहाँ तक कि आग पर उस बर्तन को डाल कर भी नहीं।
\p
\s5
\v 13 बर्तन में यह जंग तुम्हारे अनैतिक व्यवहार का प्रतिनिधित्व करता है। मैंने तुमको तुम्हारे दुष्ट व्यवहार से शुद्ध करने का प्रयास किया, परन्तु तुमने मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। इसलिए जब तक मैंने तुमको दण्ड नहीं दिया तब तक तुम अपने पाप के अपराध से शुद्ध नहीं होंगे और मैं अब क्रोधित नहीं हूँ।
\p
\s5
\v 14 मुझ, यहोवा, ने यह कहा है कि मैं तुमको निश्चित रूप से दण्ड दूँगा। और यह समय मेरे लिए ऐसा करने का है। मैं अपना मन नहीं बदलूँगा; मैं तुमको दण्ड देने से पीछे नहीं हटूँगा, और मैं तुम पर दया नहीं करूँगा। मैं तुम्हारा न्याय करूँगा और तुमको दण्ड दूँगा क्योंकि तुम अपने पापी व्यवहार के लिए दण्ड पाने योग्य हो। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा परमेश्वर, ने यह कहा है।’”
\p
\s5
\v 15 एक दिन यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया:
\v 16 “हे मनुष्य के पुत्र, मैं तेरी पत्नी को एक बीमारी से अकस्मात ही उठा लूँगा, तेरी पत्नी, जिससे तू बहुत प्रेम करता है। परन्तु जब वह मर जाती है, तो यह न दिखाना कि तू दुखी है या शोक करे या रोए।
\v 17 चुप चाप कराहना; उसके लिए सबके सामने मत रोना। अपनी पगड़ी को अपने सिर के चारों ओर लपेट, और नंगे पैर होने की अपेक्षा, अपनी जूतियों को अपने पैरों में पहन। यह दिखाने के लिए कि तू दुखी है, अपने चेहरे के निचले भाग को न ढाँकना। और ऐसे भोजन को न खाना जो शोक करने वाले लोग सामान्यतः खाते हैं।”
\p
\s5
\v 18 इसलिए एक सुबह मैंने सामान्य रूप से लोगों से बात की, और उस शाम मेरी पत्नी अचानक मर गई। अगली सुबह मैंने वह किया जो यहोवा ने मुझे करने के लिए कहा था।
\p
\s5
\v 19 तब लोगों ने मुझसे पूछा, “तू जो कार्य कर रहा है वह हमें क्या दर्शाता है?”
\p
\v 20 मैंने उनको उत्तर दिया, “यहोवा ने मुझसे कहा है:
\v 21 ‘इस्राएलियों को बता कि मैं मन्दिर को नष्ट करने जा रहा हूँ, वह भवन जिस पर तुमको बहुत घमण्ड है, वह भवन जिसे देख कर तुम प्रसन्न होते हो। जब तुमको बाबेल में आने के लिए विवश किया गया था, तो तुम्हारे बच्चे जिन्हें तुम यरूशलेम में छोड़ आए हो तुम्हारे शत्रु उनको मार देंगे।
\s5
\v 22 जब ऐसा होता है, तो तुम ऐसा करोगे जैसा मैंने किया है: तुम अपने चेहरों के निचले भाग को नहीं ढाँकोगे, या उस प्रकार का खाना नहीं खाओगे जो शोक करने वाले लोग खाते हैं।
\v 23 तुम अपने सिर के चारों ओर अपनी पगड़ी लपेटोगे और अपनी जूतियों को अपने पैरों में पहनोगे। तुम शोक नहीं करोगे और न ही रोओगे, परन्तु तुम्हारे शरीर बहुत दुबले हो जाएँगे और धीरे-धीरे मर जाएँगे; मैं तुम्हारे पापों को कभी क्षमा नहीं करूँगा। और तुम एक दूसरे के लिए कराहोगे।
\v 24 यहेजकेल तुम्हारे लिए एक चेतावनी होगा, और तुमको वह करना होगा जो उसने किया है। जब ऐसा होता है, तब तुम जान लोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।’”
\p
\s5
\v 25 तब यहोवा ने मुझसे कहा, हे मनुष्य के पुत्र, मैं शीघ्र ही उनके पवित्र मन्दिर को नष्ट कर दूँगा, जिसके लिए वे आनन्दित होते हैं और जिसका वे आदर करते हैं और जिसे देख कर वे प्रसन्न होते हैं, और मैं उनके पुत्रों और पुत्रियों से भी छुटकारा पाऊँगा।
\v 26 उस दिन, कोई यरूशलेम से बच कर निकल जाएगा और आकर तुमको बताएगा कि वहाँ क्या हुआ है।
\v 27 जब ऐसा होता है, तो फिर से तू बिना किसी बाधा के बोलने में समर्थ होगा। तुम दोनों आपस में बात करोगे। तू लोगों के लिए एक चेतावनी होगा; और वे जान लेंगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।”
\s5
\c 25
\p
\v 1 कुछ समय बाद, यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, अम्मोनियों के निवासस्थान की ओर मुड़ जा, और उन भयानक बातों के विषय में भविष्यद्वाणी कर जो उनके साथ होंगी।
\s5
\v 3 उनके विषय में कह, ‘यहोवा परमेश्वर, कहते हैं: जब यरूशलेम में मेरा मन्दिर नष्ट हो गया था, और जब इस्राएल का देश उजाड़ हो गया था, और जब यहूदा के लोगों को बाबेल में बन्धुआ कर दिया गया था, तब तुम आनन्दित होकर चिल्लाने लगे थे।
\v 4 इसलिए, मैं पूर्व में रहने वाले लोगों की एक सेना को आने और तुमको जीतने की अनुमति देने जा रहा हूँ। वे तुम्हारे देश में अपने तम्बू स्थापित करेंगे और वहाँ रहेंगे। वे फलों के पेड़ों से फल खाएँगे और तुम्हारे मवेशियों से दूध पीएँगे।
\v 5 मैं तुम्हारी राजधानी रब्बा को ऊँटों के लिए एक चारागाह बना दूँगा, और अम्मोन के शेष भाग को, जहाँ तुम्हारे लोग अब जीवित हैं, केवल भेड़ों के लिए एक विश्राम स्थान बना दूँगा। तब तुम जानोगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।
\s5
\v 6 मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: तुमने प्रसन्नता से अपने हाथों से तालियाँ बजाईं और अपने पैरों को पटका, और हँसे क्योंकि तुमने इस्राएल के लोगों को तुच्छ जाना था।
\v 7 इसलिए, मैं तुम्हारे विरुद्ध अपनी शक्ति का उपयोग करूँगा, और मैं अन्य राष्ट्रों को तुमको जीतने और तुम्हारी सम्पत्ति के समान तुमको ले जाने में समर्थ करूँगा। मैं तुमको पूरी तरह नष्ट कर दूँगा, और अब तुम राष्ट्रों में से एक नहीं रहोगे। जब ऐसा होता है, तब लोग जान लेंगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 8 यहोवा परमेश्वर यह भी कहते हैं: अम्मोन के दक्षिण में मोआब के लोग और मोआब के दक्षिण में सेईर के लोगों ने इस्राएल को तुच्छ जाना और कहा, “इस्राएल के लोग अन्य सभी राष्ट्रों के समान महत्वहीन हो गए हैं!”
\v 9 इस कारण मैं उन नगरों को नष्ट कर दूँगा जो मोआब की सीमाओं की रक्षा करते हैं, जो मोआब के सर्वोत्तम नगर बेत्यशीमोत, बालमोन और किर्यातैम से आरम्भ होते हैं।
\v 10 मैं मोआब को जीतने और अम्मोन को भी जीतने के लिए पूर्व से लोगों को समर्थ करूँगा। जिसके परिणामस्वरूप, उसी प्रकार से मैं अम्मोन को अन्य राष्ट्रों द्वारा स्मरण नहीं रहने दूँगा,
\v 11 मैं मोआब के लोगों को भी दण्ड दूँगा। जब ऐसा होता है, तो लोग जान लेंगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 12 यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं: “तुम एदोम के लोग यहूदा के लोगों से बदला लेने के दोषी हो।
\v 13 इस कारण मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: मैं एदोम के लोगों के विरुद्ध अपनी शक्ति का उपयोग करूँगा और मैं उनके मनुष्यों और पशुओं से छुटकारा पाऊँगा। मैं मध्य एदोम के तेमान क्षेत्र से दक्षिणी एदोम के ददान क्षेत्र तक की भूमि को नष्ट कर दूँगा, और उनके शत्रु उनके कई लोगों को मार देंगे।
\s5
\v 14 इस्राएली लोग एदोम के लोगों से बदला लेने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करेंगे। वे एदोम के लोगों को दिखाएँगे कि मैं उनसे क्रोधित हो गया हूँ और मैं उन्हें दण्ड दूँगा। मैं एदोम के लोगों से बदला लूँगा। तब वे जान जाएँगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 15 यहोवा परमेश्वर कहते हैं: “पलिश्ती जाति लम्बे समय से यहूदा के लोगों से बदला लेने के लिए बहुत इच्छुक थी। वे बैर की भावना से यहूदा को नष्ट करना चाहते थे।
\v 16 इस कारण मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: मैं पलिश्ती लोगों के विरुद्ध अपनी शक्ति का उपयोग करने वाला हूँ। मैं करेत के लोगों के समूह से और जो भूमध्य सागर के तट पर रहने वाले लोग हैं उन सबसे छुटकारा पाऊँगा।
\v 17 मैं उनसे बहुत बड़ा बदला लूँगा और जिस प्रकार मैं उन्हें दण्ड दूँगा, उससे दिखाऊँगा कि मैं उनसे क्रोधित हूँ। और जब मैं उनसे बदला लूँगा, तब वे जान जाएँगे कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।”
\s5
\c 26
\p
\v 1 बाबेल के लोगों के इस्राएलियों को अपने देश ले जाने के बाद यह लगभग ग्यारहवाँ वर्ष था, उस महीने के पहले दिन, यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने मुझसे कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, सोर शहर के लोग आनन्द से चिल्लाने लगे और उन्होंने यरूशलेम के विषय में कहा, ‘यरूशलेम, वह शहर है जिससे व्यापारी कई राष्ट्रों में गए थे, अब नष्ट हो गया है। अब पूरे संसार के लोग सामान मोल लेने और बेचने के लिए हमारे पास आएँगे। हम समृद्ध हो जाएँगे क्योंकि यरूशलेम अब नष्ट हो गया है!
\s5
\v 3 इस कारण, मैं, यहोवा, यही कहता हूँ: ‘अब मैं तुम सोर के लोगों का शत्रु हूँ। मैं कई राष्ट्रों की सेनाओं को आकर तुम्हारे शहर पर आक्रमण करने दूँगा, जैसे समुद्र की लहरें किनारों पर चोट मारती हैं।
\v 4 उनके सैनिक सोर के चारों ओर दीवारों को नष्ट कर देंगे और उनकी गुम्मटों को तोड़ देंगे। शहर पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। तब वे मलबे को दूर कर देंगे और शहर को एक नंगी चट्टान बना देंगे।
\s5
\v 5 समुद्र के बीच, तुम्हारे शहर का भाग जो एक द्वीप पर है एक ऐसा स्थान बन जाएगा जहाँ पुरुष उनके मछली पकड़ने के जाल को सूखने के लिए फैलाते हैं। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मुझ, यहोवा परमेश्वर, ने यह भविष्यद्वाणी की है: कई राष्ट्रों के लोग तुम्हारे शहर का सारा मूल्यवान सामान उठा ले जाएँगे।
\v 6 सोर के पास के तट पर छोटे गाँवों में रहने वाले लोगों तुम्हारे शत्रु तुमको अपनी तलवारों से मार डालेंगे। तब लोगों को पता चलेगा कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा परमेश्वर, में शक्ति है।
\p
\s5
\v 7 यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ कि होने वाला है: उत्तर दिशा से, मैं संसार के सबसे शक्तिशाली राजा, बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को उसकी सेना के साथ सोर पर आक्रमण करने के लिए ले कर आ रहा हूँ। वे घोड़ों और रथों को लाएँगे, और लोगों को जो घोड़ों की सवारी करते हैं और लोगों को जो रथों को चलाते हैं; यह एक विशाल सेना होगी।
\v 8 लड़ाई में किनारे के छोटे गाँवों में, उनके सैनिक अपनी तलवारों से कई लोगों को मार देंगे। तब वे सोर शहर के बाहर दीवारों का निर्माण करेंगे। वे दीवार के शीर्ष तक मलबे का पुश्ता बनाएँगे, और वे सब भूमि से मारे जाने वाले तीरों से स्वयं को बचाने के लिए ढाल पकड़ लेंगे।
\s5
\v 9 राजा उन सैनिकों को निर्देशित करेगा जो दीवार पर चोट मारने के लिए साधनों का उपयोग करते हैं, और जो दीवारों के गुम्मटों को तोड़ने के लिए लोहे की सलाखों का उपयोग करेंगे।
\v 10 राजा के पास बड़ी संख्या में घोड़े होंगे, और उनके चलने से शहर को ढकने के लिए धूल उठेगी। यह ऐसा होगा जैसे घोड़ों, भोजन वस्तुओं की गाड़ियों और रथों के साथ जब वे शहर में वहाँ से प्रवेश करते हैं जहाँ शत्रु ने दीवारों को तोड़ दिया है तो उनके द्वारा किए गए शोर के कारण दीवारें काँपने लगेंगी।
\v 11 घोड़े उनके खुरों से शहर की सब सड़कों को रौंद देंगे। सैनिक अपनी तलवारों से लोगों को मार देंगे; वे उन स्मारकों को गिरा देंगे जो उनकी नष्ट करने की शक्ति का उत्सव मनाते हैं।
\s5
\v 12 वे लोगों की सभी बहुमूल्य सम्पत्तियों को ले जाएँगे और व्यापारियों द्वारा बेची जाने वाली वस्तुओं को चुरा लेंगे। वे घरों की दीवारों को तोड़ देंगे और उनके अच्छे घरों को नष्ट कर देंगे। तब वे उन घरों की दीवारों के पत्थरों को और लकड़ी को और मलबे को समुद्र में फेंक देंगे।
\v 13 लोग अब ऊँची आवाज वाले गीत नहीं गाएँगे या अपनी वीणा नहीं बजाएँगे।
\v 14 वे शहर को एक नंगी चट्टान बना देंगे और केवल एक ऐसी जगह जहाँ पुरुष अपने मछली पकड़ने के जाल फैलाएँगे और शहर का फिर से निर्माण कभी नहीं किया जाएगा।’” ये बातें निश्चित रूप से घटित होंगी क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने घोषणा की है कि वे होंगी।
\p
\s5
\v 15 यहोवा परमेश्वर सोर के लोगों के विषय में यह भी कहते हैं: जब सोर में रहने वाले लोग चिल्लाते हैं क्योंकि शत्रु ने उनको घायल कर दिया है, जब बहुत से लोग मर जाते हैं, और जब शत्रु शहर को नष्ट कर देते हैं, तब तट के पास रहने वाले लोग काँपेंगे क्योंकि वे डरते हैं।
\v 16 तब तट के पास के नगरों के सब राजा अपने सिंहासन से नीचे उतर आएँगे और अपने वस्त्र और उनके कढ़ाई वाले कपड़ों को एक ओर रख देंगे। वे डर जाएँगे, और काँपते हुए वे भूमि पर बैठ जाएँगे। सोर शहर के साथ जो हुआ है, उसके कारण वे चौंक जाएँगे।
\s5
\v 17 तब वे शहर के विषय में एक दुखद गीत गाएँगे, इस प्रकार से:
\q1 ‘प्रसिद्ध शहर, जिसमें समुद्र में जाने वाले कई लोग रहते थे,
\q2 अब नहीं है!
\q1 उस शहर के लोगों के पास बहुत शक्ति थी जब वे समुद्र की यात्रा पर जाते थे, परन्तु अब वे समुद्र के तल में हैं;
\q2 वे उनके निकट रहने वाले सब लोगों को डराते थे।
\q1
\v 18 परन्तु अब तट के पास रहने वाला हर कोई डर गया है क्योंकि शत्रु ने बड़े शहर को नष्ट कर दिया है।
\q2 ऐसा लगता है कि तट के किनारे की भूमि थरथरा रही थी;
\q1 समुद्र में द्वीपों पर लोग भयभीत हैं क्योंकि उस शहर का अस्तित्व अब नहीं है।’
\p
\s5
\v 19 यहोवा परमेश्वर यह भी कहते हैं: ‘जब मैं हर किसी को सोर शहर छोड़ने दूँगा, जैसे लोगों ने अन्य शहरों को छोड़ दिया है, जिनमें कोई भी जीवित नहीं रहता है, और जब मैं समुद्र की विशाल लहरों को ढाँकता हूँ,
\v 20 तब मैं उस नगर के लोगों को उन सबके साथ रहने के लिए लाऊँगा जो मर चुके हैं, जो बहुत पहले मर गए थे। मैं उन्हें पृथ्‍वी के नीचे के स्थान में रहने दूँगा जो पुराने खण्डहरों के समान हैं, उनके साथ जो पहले उस गड्ढे में उतर गए थे, और वे कभी भी पृथ्‍वी पर वापस नहीं आएँगे, जहाँ लोग जीवित हैं।
\v 21 मैं उन्हें भयानक रीति से मरने दूँगा, और यह उनका अन्त होगा। लोग उस शहर की खोज करेंगे, परन्तु वह अब अस्तित्व में नहीं रहेगा।” यही है जो यहोवा परमेश्वर घोषणा करते हैं कि होगा।
\s5
\c 27
\p
\v 1 यहोवा ने मुझसे यह कहा:
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, सोर के विषय में एक अंतिम संस्कार गीत गा।
\v 3 सोर शहर समुद्र के किनारे एक द्वीप पर है, और उनके व्यापारियों ने उन जातियों के साथ व्यापार किया जो कई समुद्र तटों के निकट में रहती हैं। यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं जो उन्हें बताना तेरे लिए आवश्यक है:
\q1 तुम सोर के लोगों ने कहा कि तुम्हारा शहर बहुत सुन्दर है।
\q1
\s5
\v 4 तुमने उसे नियंत्रित किया जो लोग मोल लेते और बेचते थे वे लोग जो समुद्र के पास रहते थे।
\q2 वे लोग जो तुम्हारे शहर का निर्माण करते हैं, वे इसे बहुत सुन्दर बनाते हैं।
\q1
\v 5 तुम और तुम्हारा शहर एक विशाल जहाज के समान था
\q2 जिसे तुमने हेर्मोन पर्वत पर उगने वाले सनोवर के पेड़ों से बनाया था।
\q1 तब तुमने जहाज के लिए एक मस्तूल बनाने को लबानोन से देवदार की लकड़ी ली।
\q1
\s5
\v 6 तुमने बाशान के क्षेत्र से बांज के पेड़ से चप्पू बनाए।
\q1 तुमने साइप्रस द्वीप से सनोवर की लकड़ी से जहाज की छत बनाई है,
\q2 और तुमने जहाज की छत को हाथी दाँत से ढाँक दिया।
\q1
\v 7 तुमने मिस्र से बढ़िया कढ़ाई वाले सनी के कपड़े से पालियाँ बनाईं;
\q2 वे पालियाँ झण्डों के समान थीं जिसे लोग बहुत दूर से देख सकते थे।
\q1
\s5
\v 8 सीदोन और अर्वद के नगरों में से लोगों ने तुम्हारे चप्पुओं को चलाया;
\q2 जो जहाज चलाते थे वे सोर से अनुभवी नाविक थे।
\q1
\v 9 गबल के अनुभवी कारीगर जहाज पर थे। उन्होंने तुम्हारे जहाजों की सीवनों को सन भर कर बन्द किया।
\q2 कई देशों के नाविक अपने जहाजों में तुम्हारे पास सामान मोल लेने और बेचने के लिए आए थे।
\q1
\s5
\v 10 जो लोग फारस, लूद और पूत के दूर के देश से आए थे वे तुम्हारी सेना में सैनिक थे।
\q1 उन्होंने अपनी ढालों को और टोपों को तुम्हारे शहर की दीवारों पर लटका दिया;
\q2 इसके कारण से कई लोगों ने तुम्हारे शहर की प्रशंसा की।
\q1
\v 11 अर्वद और हेलेक के नगरों के लोग तुम्हारे नगर की दीवारों पर पहरेदार थे;
\q2 गम्‍मद शहर से पुरुष तुम्हारे गुम्मटों में थे।
\q1 उन्होंने भी अपनी ढालों को तुम्हारी दीवारों पर लटका दिया;
\q2 उन्होंने भी तुम्हारे शहर को बहुत सुन्दर बना दिया।
\p
\s5
\v 12 तुम्हारे पास व्यापार करने की कई वस्तुओं के कारण, तर्शीश के लोगों ने उन व्यापारियों को भेजा जो चाँदी, लोहा, टीन लाए और तुम्हारे पास जो वस्तुएँ थीं उनका व्यापार करने लगे।
\p
\v 13 यूनान, तूबल और मेशेक के व्यापारी दासों और पीतल से बनी वस्तुओं को तुम्हारे साथ व्यापार करने के लिए लाए, उन वस्तुओं से जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\s5
\v 14 तोगर्मा से पुरुषों ने कार्य करने वाले घोड़ों, युद्ध के घोड़ों और खच्चरों को ला कर उन वस्तुओं का व्यापार किया, जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\v 15 व्यापारी रुदुस द्वीप से तुम्हारे पास आए थे।
\q1 समुद्र के पास के कई देशों के लोग तुम्हारे साथ व्यापार किया करते थे;
\q2 वे हाथी दाँत और मूल्यवान काले आबनूस लकड़ी को तेरे साथ व्यापार करने के लिए लाए, उन वस्तुओं से जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\s5
\v 16 क्योंकि तुम्हारे पास बेचने के लिए बहुत वस्तुएँ थीं, अराम देश के लोग तुम्हारे पास मूल्यवान फीरोजा पत्थर, बैंगनी कपड़े, कढ़ाई वाले कपड़े, बढ़िया सनी के कपड़े और मूँगे और माणिक से बने गहने लाए थे।
\p
\v 17 यहूदा और इस्राएल के लोग अम्मोन के मिन्नीत शहर से गेहूँ, अंजीर, शहद, जैतून का तेल, और मलहम को तुम्हारी वस्तुओं के बदले में व्यापार करने के लिए लाए।
\p
\v 18 क्योंकि तुम्हारे पास बेचने के लिए बहुत सारी वस्तुएँ थीं, दमिश्क शहर के लोग हेलबोन शहर से दाखमधु और विष के क्षेत्र से सफेद ऊन उन बहुत वस्तुओं से व्यापार करने के लिए लाए, जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\s5
\v 19 दान के गोत्र के लोग और उज्जल के यूनानी पुरुष लोहे, मसाले, तज और यदि के बीजों से बने वस्तुओं को उन वस्तुओं के बदले व्यापार करने के लिए लाए, जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\v 20 दक्षिणी एदोम के ददान से व्यापारी आए थे जो काठी कंबल ला रहे थे उन वस्तुओं के बदले में व्यापार करने के लिए, जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\v 21 अरब के पुरुष और केदार के सब शासकों ने व्यापारियों को मेम्नों और मेढ़ों और बकरों के साथ उन वस्तुओं के बदले में व्यापार करने के लिए भेजा, जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\s5
\v 22 अरब के शेबा और रामा के व्यापारी बहुत अच्छे मसाले और नगीने और सोना उन वस्तुओं के बदले में लाए, जो तुम्हारे पास थीं।
\p
\v 23 मेसोपोटामिया के हारान, कन्ने, एदेन, शेबा, अश्शूर और कलमद से पुरुष उनके सामान के साथ आए थे।
\s5
\v 24 वे तुम्हारे साथ व्यापार करने के लिए सुन्दर वस्तुएँ लाए: नीले कपड़े, कढ़ाई वाले कपड़े, और कई रंगों वाला गलीचा जिसे लपेट कर रस्सी से बाँधा गया था।
\q1
\v 25 तर्शीश के मालवाहक जहाजों ने उन सब वस्तुओं को उठाया जो तुमने बेची थीं;
\q2 तुम्हारे द्वीप के गोदाम उन सब वस्तुओं से भरे हुए थे और तुमको बहुत सम्मान मिला।
\q1
\s5
\v 26 जो लोग तुम्हारे जहाजों को चलाते हैं वे माल से भरे जहाजों को विशाल समुद्रों में ले गए।
\q2 परन्तु अब प्रचण्ड पूर्वी हवा ने उन जहाजों को तोड़ दिया है।
\q1
\v 27 जहाजों पर जो कुछ भी था सब कुछ खो गया है
\q2 सारा बहुमूल्य माल और नाविकों और जहाज चालकों में से कई,
\q1 जहाज के कर्मचारी और व्यापारी और सैनिक।
\q1 जिस दिन वे जहाज टूटे थे,
\q2 उनके सारे कर्मचारी समुद्र के तल में डूब गए।
\q1
\s5
\v 28 तट के निकट के शहरों में रहने वाले लोग थरथरा गए
\q2 जब उन्होंने सुना कि तुम्हारे जहाज के चालक रोते हैं।
\q1
\v 29 चप्पू चलाने वाले सब लोग जहाजों को छोड़ देंगे;
\q2 नाविक और चालक तट पर आएँगे और समुद्र तट पर खड़े होंगे।
\q1
\v 30 जो तुम्हारे साथ घटित हुआ है, उसके कारण वे बड़े जोर से रोएँगे,
\q2 और वे फूट-फूट कर रोएँगे।
\q1 वे धूल को अपने सिर पर डालेंगे
\q2 और राख में चारों ओर लोटेंगे।
\q1
\s5
\v 31 वे यह दिखाने के लिए अपने सिरों को मूँड़ेंगे कि तुम्हारे साथ जो हुआ है, उसके कारण वे बहुत दुखी हैं,
\q2 और वे शोक करने के लिए अपने ऊपर टाट के वस्त्र डालेंगे।
\q1 वे तुम्हारे लिए बहुत फूट-फूट कर रोएँगे
\q2 और तुम्हारे लिए शोक करेंगे।
\q1
\v 32 तुम्हारे साथ जो हुआ है, जब वे उसके लिए विलाप करेंगे और शोक करेंगे
\q2 तब वे अंतिम संस्कार के इस दुखद गीत को गाएँगे:
\q1 ‘निश्चय ही सोर जैसे शहर कभी नहीं थे,
\q2 जो अब चुप है,
\q2 समुद्र की लहरों से ढँका हुआ है।’
\q1
\v 33 सामान जिनका तुम्हारे व्यापारियों ने व्यापार किया था
\q2 वे ऐसी वस्तुएँ थीं जो कई देशों के लोगों को प्रसन्न करती थीं।
\q1 बहुत दूर के स्थानों के राजा धनवान हो गए
\q2 तुम्हारे साथ मोल लेने और बेचने के कमाए गए पैसे से।
\q1
\s5
\v 34 परन्तु अब तुम्हारा शहर समुद्र में एक टूटे हुए जहाज के समान है;
\q2 और इसमें सब कुछ टूटा हुआ है, और यह अब समुद्र के तल में है।
\q1 तुम्हारा सारा माल और तुम्हारे नाविक समुद्र के तल में डूब गए हैं।
\q1
\v 35 समुद्र तट के निकट रहने वाले सब लोग चकित हो गए हैं
\q2 उसके कारण जो तुम्हारे साथ हुआ है।
\q1 उनके राजा बहुत भयभीत हैं;
\q2 जब वे देखते हैं तो वे भय से थरथराते हैं।
\q1
\v 36 अन्य राष्ट्रों के व्यापारी अपने सिरों को हिलाते हैं
\q2 क्योंकि जो हुआ है उस पर विश्वास करना कठिन है;
\q1 अब तुम्हारा शहर लोप हो गया है,
\q2 और यह अब अस्तित्व में नहीं होगा।”
\s5
\c 28
\p
\v 1 तब यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा:
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा को मेरे, यहोवा परमेश्वर की ओर से यह सन्देश दे:
\q1 ‘तू ने बहुत घमण्ड से दावा किया है कि तू एक देवता है,
\q2 और यह कि तू छुआ नहीं जा सकता है, क्योंकि तू समुद्र में एक द्वीप पर एक शहर में सिंहासन पर बैठता है!
\q1 तू डींग मारता है कि तू एक देवता है,
\q2 परन्तु सच तो यह है कि तू केवल एक पुरुष है, परमेश्वर नहीं।
\q1
\v 3 तुझे लगता है कि तू दानिय्येल की तुलना में बुद्धिमान है,
\q2 और तुझे लगता है कि तू हर भेद को समझ सकता है।
\q1
\s5
\v 4 क्योंकि तू बुद्धिमान और व्यापार में चतुर था, तू बहुत धनवान बन गया है;
\q2 तू ने अपने खजाने के लिए बहुत अधिक सोना और चाँदी एकत्र किया है।
\q1
\v 5 हाँ, यह सच है कि बुद्धिमानी से मोल ले कर और बेच कर, तू बहुत धनवान बन गया है;
\q2 और क्योंकि तू धनवान है, तू बहुत अहंकारी हो गया है।
\p
\s5
\v 6 इसलिए, यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं,
\q1 क्योंकि तू सोचता है कि तू एक देवता के समान बुद्धिमान है,
\q2
\v 7 वह तेरे देश पर आक्रमण करने के लिए एक विदेशी सेना लाएँगे,
\q2 एक सेना जो अन्य राष्ट्रों को डरा देती है।
\q1 वे तुझ पर आक्रमण करने के लिए अपनी तलवारें बाहर खींच लेंगे,
\q2 तू जो सोचता है कि तेरे पास अद्भुत ज्ञान है,
\q1 और वे तेरी सब सुन्दर वस्तुओं को नष्ट कर देंगे और उन्हें कुरूप बना देंगे।
\q1
\s5
\v 8 वे तुझे तेरी कब्र में ले जाएँगे;
\q1 तेरी मृत्यु हिंसक होगी
\q2 जैसे वे जो समुद्र में मर गए।
\q1
\v 9 तब जो तुझे मार रहे होंगे उनसे तू निश्चय ही नहीं कहेगा
\q2 कि तू एक देवता है,
\q1 क्योंकि वे जान लेंगे कि तू देवता नहीं है;
\q2 तू केवल एक पुरुष है।
\q1
\v 10 तू ऐसे मर जाएगा जैसे अन्य लोग मर जाते हैं, जो परमेश्वर के लिए स्वीकार्य नहीं हैं,
\q2 वे जिनको विदेशियों ने मार डाला। यह निश्चय ही होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।’”
\p
\s5
\v 11 यहोवा ने मुझे यह सन्देश भी दिया:
\v 12 “हे मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा के विषय में एक दुखद गीत गा। उसे बता कि यहोवा परमेश्वर उससे यह कहते हैं:
\q1 ‘तू पूरी तरह से सिद्ध था,
\q2 अत्याधिक बुद्धिमान और सुन्दर।
\q1
\v 13 तेरा जीवन बहुत अच्छा था, क्योंकि तू अदन में, मेरे सुन्दर बगीचे में था।
\q2 तेरे कपड़े कई प्रकार के बहुत मूल्यवान पत्थरों से सजाए गए थे—
\q1 माणिक, पुखराज, पन्ना, चन्द्रकान्त, गोमेद, सूर्यकान्त, नीलम, फीरोजा, और लहसनिए पत्थरों से।
\q2 उन पत्थरों को सोने के खाँचों में गढ़ा गया था
\q2 जिसे मैंने तेरे लिए तैयार किया था जिस दिन मैंने तुझे बनाया था।
\q1
\s5
\v 14 मैंने तुझे लोगों की रक्षा करने के लिए एक शक्तिशाली स्वर्गदूत बनने के लिए नियुक्त किया था।
\q1 मैंने तुझे अपने पवित्र पर्वत पर रखा था,
\q2 और तू अग्निमय पत्थरों के बीच चलता था।
\q1
\v 15 तू ने जो कुछ भी किया है उसमें तू पूरी तरह से सही था
\q2 जिस दिन से तू बनाया गया था,
\q2 जब तक तू ने दुष्ट कार्यों को करना आरम्भ नहीं किया।
\q1
\s5
\v 16 तब तू सामान मोल लेने और बेचने में व्यस्त हो गया,
\q2 तू ने हिंसात्मक रूप से कार्य करना आरम्भ कर दिया,
\q2 और तू ने पाप किया है।
\q1 इसलिए मैंने तुझे अपमानित किया।
\q2 तू, वह स्वर्गदूत, जो लोगों की रक्षा करने के लिए था मैंने तुझे मेरा पर्वत छोड़ने के लिए विवश किया;
\q2 मैंने तुझे उन अग्निमय पत्थरों को छोड़ने के लिए विवश किया।
\q1
\v 17 तू बहुत घमण्डी था
\q2 क्योंकि तू बहुत आकर्षक था।
\q1 क्योंकि तू सुन्दर वस्तुओं से प्रेम करता था,
\q2 तू ने उन कार्यों को किया जो बुद्धिमान लोग नहीं करते हैं।
\q1 इसलिए मैंने तुझे धरती पर फेंक दिया,
\q2 और अन्य राजाओं को अनुमति दी कि तुझ पर हँसें।
\q1
\s5
\v 18 कई पापों को करने से
\q2 और बेईमानी से वस्तुओं को मोल ले कर और बेच कर,
\q2 तू ने उन स्थानों को मेरे लिए अस्वीकार्य कर दिया जहाँ लोगों ने मेरी आराधना की थी।
\q1 इसलिए मैं एक ऐसी आग उत्पन्न करूँगा जो तेरे शहर को जला देगी।
\q2 तेरा शहर पूरी तरह जला दिया जाएगा,
\q1 और जो लोग इसे देखे वे देखेंगे
\q2 कि शहर में जो बचा है वह केवल राख ही होगी।
\q1
\v 19 वे सब लोग जो जानते थे कि तेरा शहर पहले कैसा था
\q2 वे डर जाएँगे।
\q1 अब तेरा शहर लोप हो जाएगा,
\q2 और यह अब अस्तित्व में नहीं होगा।’”
\p
\s5
\v 20 तब यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 21 “हे मनुष्य के पुत्र, सीदोन शहर की ओर मुड़, और उन भयानक बातों की घोषणा कर जो इसके साथ होंगी।
\v 22 सीदोन के लोगों को यहोवा परमेश्वर की ओर से यह सन्देश दे। उन्हें बता:
\q1 ‘तुम हे सीदोन के लोगों, मैं तुम्हारा शत्रु हूँ।
\q2 मैं तुम्हारे साथ जो करूँगा उसके द्वारा,
\q1 मैं तुमको दिखाऊँगा कि मैं कितना महान हूँ,
\q2 और तुमको मालूम हो जाएगा कि यह यहोवा हैं जो तुमको दण्ड देते हैं और तुम्हारा सच्चा न्याय करते हैं।
\q2 तुमको मालूम हो जाएगा कि मैं तुमसे अलग हूँ, और यह कि मैं तुम्हारे साथ जो कुछ करता हूँ उससे मैं सम्मानित किया जाऊँगा!
\q1
\s5
\v 23 मैं तुम पर एक महामारी भेजूँगा,
\q2 और मैं तुम्हारी सड़कों पर शत्रुओं को आने और तुमको मारने के लिए भेजूँगा।
\q1 वे तुम पर हर दिशा से आक्रमण करेंगे,
\q2 और वे तुम्हारे शहर की दीवारों के भीतर तुम्हारे लोगों को मार डालेंगे।
\q1 तब सबको मालूम हो जाएगा कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।’
\p
\v 24 अब इस्राएली लोगों के पास रहने वाले लोग उन्हें चोट नहीं पहुँचाएँगे जैसे जंगली गुलाब और नोकीले काँटे लोगों को चोट पहुँचाते हैं। और तब इस्राएलियों को मालूम हो जाएगा कि जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की मुझ यहोवा, में शक्ति है।”
\p
\s5
\v 25 और यहोवा परमेश्वर यह भी कहते हैं: “मैं उनको दूर के देशों से एकत्र करूँगा जहाँ मैंने उन्हें तितर बितर कर दिया है। और अन्य जातियाँ देखेंगी कि मैं अलग और सम्मानित किया गया हूँ, जब इस्राएल का घराना उस देश में अपने घरों को बनाता है जिसे मैंने अपने दास याकूब को दिया है!
\v 26 मेरे लोग इस्राएल में सुरक्षित रहेंगे; वे घरों का निर्माण करेंगे और दाख की बारियाँ लगाएँगे। और जब मैं उन आस-पास की जातियों को दण्ड दूँगा जो उन्हें तुच्छ मानती हैं, तो मेरे लोग जान जाएँगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा ही हूँ, जिसने यह किया है।”
\s5
\c 29
\p
\v 1 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश में ले जाने के लगभग दस वर्ष बाद, उस वर्ष के दसवें महीने के बारहवें दिन, यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने मुझसे कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, मिस्र की ओर मुड़ और मिस्र के राजा और उसके सारे लोगों के साथ होने वाली भयानक बातों की घोषणा कर।
\v 3 राजा को मेरी ओर से आया यह सन्देश दे, क्योंकि मैं यहोवा परमेश्वर हूँ।
\q1 ‘हे फिरौन, मिस्र के राजा, यह जान ले, कि मैं, यहोवा, तेरा शत्रु हूँ।
\q2 तू एक महान राक्षस के समान है जो नील नदी की धाराओं में लेटा रहता है।
\q1 तू यह कहने का साहस करता है कि नील नदी तेरी है,
\q2 और तू ने इसे अपने लिए बनाया है।
\q1
\s5
\v 4 परन्तु यह ऐसा होगा जैसे मैं तेरे जबड़ों में अंकुड़े डालूँगा
\q1 और तुझे बाहर भूमि पर खींच लूँगा,
\q2 मछली तेरी खाल पर चिपकी हुई होंगी।
\q1
\v 5 मैं तुझे और उन सब मछलियों को रेगिस्तान में मरने के लिए छोड़ दूँगा;
\q2 तू भूमि पर गिर पड़ेगा,
\q1 और कोई भी तुझे दफन करने के लिए तेरे शव को नहीं उठाएगा,
\q2 क्योंकि मैं घोषणा करता हूँ कि तेरा शरीर जंगली जानवरों और पक्षियों के लिए भोजन होगा।
\s5
\v 6 जब ऐसा होता है, तब मिस्र के सब लोग यह जान लेंगे कि यह मैं, यहोवा, हूँ जिसमें वह करने की शक्ति है जो वह कहता है कि करूँगा।
\p इस्राएली लोगों ने भरोसा किया था कि तू उनकी सहायता करेगा। परन्तु तू उनके हाथों में एक नरकट के लट्ठे के समान रहा है।
\v 7 और जब वे उस लट्ठे पर झुक गए, तो वह टूट गया और उनके कंधों को तोड़ दिया। जब वे तुझ पर झुके, तो तू उनके हाथ में टूट जाने वाले लट्ठे के समान था, और जिसके परिणामस्वरूप तू उनके पैरों को कुचलने लगा और उनके लिए खड़ा होना असम्भव कर दिया।’
\p
\s5
\v 8 इस कारण यहोवा परमेश्वर कहते हैं, ‘मैं मिस्र के शत्रुओं को तलवारों से उन पर आक्रमण करने के लिए लाऊँगा; वे मिस्र के लोगों और जानवरों को मार देंगे।
\v 9 मिस्र एक खाली रेगिस्तान बन जाएगा। तब मिस्र के लोगों को पता चलेगा कि यह मैं, यहोवा, हूँ जिसमें वह करने की शक्ति है जो वह कहते हैं, और वह मिस्र के लोगों को यह कहने के लिए दण्ड देंगे कि नील नदी उनकी है क्योंकि उन्होंने इसे बनाया है।
\v 10 मैं तुम्हारे और तुम्हारी नदियों के विरुद्ध हूँ, और मैं मिस्र को नष्ट कर दूँगा और उत्तर में मिग्दोल शहर से दक्षिण में सवेने तक, दक्षिण की ओर कूश की सीमा तक खाली रेगिस्तान बना दूँगा।
\s5
\v 11 चालीस वर्ष तक कोई भी उस क्षेत्र से होकर नहीं आया जाया करेगा, और कोई भी वहाँ नहीं रहेगा।
\v 12 मिस्र बंजर हो जाएगा, और यह अन्य त्यागे गए राष्ट्रों से घिरा होगा। चालीस वर्षों तक मिस्र के शहर खाली होंगे और बिना लोग के होंगे, और आस-पास के देश भी ऐसे ही होंगे। मैं मिस्र के लोगों को दूर के देशों में तितर बितर कर दूँगा।
\p
\s5
\v 13 परन्तु यहोवा परमेश्वर यह भी कहते हैं: ‘चालीस वर्षों का अन्त होने पर, मैं मिस्र के लोगों को फिर से घर लौटने दूँगा।
\v 14 मैं मिस्र के उन लोगों को वापस लाऊँगा जिनको उनके शत्रुओं ने पकड़ लिया था, और मैं उन्हें दक्षिण में पत्रोस के क्षेत्र में फिर से रहने की अनुमति दूँगा, जहाँ वे पहले रहते थे। परन्तु मिस्र एक बहुत महत्वहीन साम्राज्य बना रहेगा।
\s5
\v 15 यह सब राष्ट्रों में से सबसे कम महत्वपूर्ण होगा; यह फिर से निकट के देशों से अधिक महान नहीं होगा। मैं मिस्र को बहुत अशक्त कर दूँगा, और वे फिर कभी अन्य राष्ट्रों पर शासन नहीं करेंगे।
\v 16 जब ऐसा होता है, तो इस्राएल के अगुवे अब मिस्र से उनकी सहायता करने के लिए पूछने के विषय में नहीं सोचेंगे। जब मैं मिस्र को दण्ड दूँगा, तो इस्राएलियों को स्मरण दिलाया जाएगा कि उन्होंने पहले यह भरोसा करके पाप किया था कि मिस्र उनकी सहायता कर सकता है। और इस्राएल के लोग यह जान लेंगे कि यहोवा परमेश्वर में वह करने की शक्ति है जो वह कहते हैं कि करेंगे।’”
\p
\s5
\v 17 हम इस्राएली बन्दियों को बाबेल ले जाने के लगभग सत्ताईस वर्ष बाद, नए वर्ष के पहले दिन, यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया:
\v 18 “हे मनुष्य के पुत्र, बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना ने सोर के विरुद्ध बहुत कठिन युद्ध किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके सिर उनके टोप के नीचे गन्जे हो गए, और उनके कंधे छिल गए। परन्तु नबूकदनेस्सर और उसकी सेना को सोर जीतने के उस अभियान में उनकी कड़ी परिश्रम का फल पाने के लिए कोई भी मूल्यवान वस्तु नहीं मिलीं।
\s5
\v 19 इस कारण, यहोवा परमेश्वर कहते हैं कि वह मिस्र को जीतने के लिए राजा नबूकदनेस्सर की सेना को समर्थ करेंगे। वे वहाँ से सब मूल्यवान वस्तुओं को उठा कर ले जाएँगे, कि राजा उन्हें अपने सैनिकों को दे सके।
\v 20 यहोवा कहते हैं कि सोर के साथ उन्होंने जो किया है उसके प्रतिफल में वह उन्हें मिस्र को जीतने में समर्थ करेंगे, क्योंकि नबूकदनेस्सर और उसकी सेना उनके लिए कार्य कर रही थी, वे वही कर रहे थे जो वह उनसे चाहते थे कि वे करें, और वह कार्य सोर को नष्ट करना था।”
\p
\s5
\v 21 यहोवा ने मुझसे कहा, “किसी दिन मैं इस्राएल को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाऊँगा। जब ऐसा होगा, तब जो कुछ तुम उनसे कहते हो, मैं उन्हें सुनने योग्य करूँगा। तब वे जान जाएँगे कि यह सब इसलिए हुआ है कि मुझ, यहोवा, ने यह किया होगा।”
\s5
\c 30
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, भविष्यद्वाणी कर कि मिस्र के साथ क्या होगा। कह कि मैं यहोवा परमेश्वर यही कहता हूँ:
\q1 ‘रोओ और विलाप करो,
\q2 क्योंकि जिस दिन भयानक बातें होगी वह दिन आने वाला है।
\q1
\v 3 वह दिन निकट है,
\q2 जिस दिन मैं, यहोवा, लोगों को दण्ड दूँगा;
\q1 यह कई देशों के लिए तूफानी बादलों और विपत्ति से भरे दिन के समान होगा।
\q1
\s5
\v 4 एक शत्रु की सेना मिस्र पर अपनी तलवारों के साथ आक्रमण करने आएगी,
\q2 और कूश में रहने वाले लोगों के लिए बहुत परेशानी उत्पन्न हो जाएगी।
\q1 शत्रु की सेना मिस्र में कई लोगों को मार डालेगी;
\q2 वे सब मूल्यवान वस्तुएँ ले जाएँगे,
\q2 और यहाँ तक कि वे भवनों को तोड़ कर उनकी नींव तक गिरा देंगे।
\p
\v 5 कूश, लूबी, लूद के सैनिक और मिस्र देश के सब विदेशी लोग, मिस्र देश में रहने वाले यहूदी भी वे सब युद्ध में मारे जाएँगे।
\p
\s5
\v 6 यहोवा यही कहते हैं:
\q1 ‘यह सेना मिस्र के सहयोगियों को पराजित करेगी,
\q2 और जिस शक्ति पर मिस्र के लोगों को गर्व है, वह समाप्त हो जाएगी।
\q1 उत्तर में मिग्दोल शहर से दक्षिण में सवेने शहर तक, वे मिस्र के सहयोगियों के सैनिकों को मार देंगे।
\q2 यहोवा परमेश्वर यही घोषणा करते हैं।
\v 7 मिस्र के सहयोगियों के सैनिक चौंक जाएँगे, और उनका साथ देने वाले शहर नष्ट किए जाएँगे जो उजड़ी हुई पड़ोसी जातियों से घिरे हुए हैं।
\q1
\s5
\v 8 तब, जब मैं मिस्र में सब कुछ जला देता हूँ,
\q2 और जब मैं उनके शत्रुओं को उनके सब सहयोगियों को पराजित करने देता हूँ,
\q2 तब लोग जान लेंगे कि मुझ, यहोवा, में ऐसा करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\p
\v 9 उस समय, मैं कूश के लोगों को जो अब भी सोचते हैं कि वे सुरक्षित हैं, डराने के लिए नील नदी में नावों पर तेजी से जाने के लिए दूत भेजूँगा, जो अब भी सोचते हैं कि वे सुरक्षित हैं। जब वे सुनेंगे कि मिस्र नष्ट हो गया है तो वे भयभीत होंगे। यह शीघ्र ही होगा!
\p
\s5
\v 10 मैं यहोवा परमेश्वर यही कहता हूँ:
\q1 बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की शक्ति से
\q2 मैं मिस्र में बहुत से लोगों को नष्ट कर दूँगा।
\q1
\v 11 नबूकदनेस्सर और उसकी सेना, जिसके सैनिकों को किसी पर कोई दया नहीं आती है,
\q2 मिस्र को नष्ट करने के लिए आएँगे।
\q1 वे अपनी तलवारें बाहर निकालेंगे
\q2 और मिस्र को उन लोगों की लाशों से भर देंगे जिन्हें उन्होंने मारा है।
\q1
\s5
\v 12 मैं नील नदी की धाराओं को सुखा दूँगा,
\q2 और मैं मिस्र देश को दुष्ट पुरुषों को बेच दूँगा।
\q1 विदेशियों की शक्ति से
\q2 मैं उस भूमि को और जो कुछ भी उसमें है सबको नष्ट कर दूँगा। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मुझ, यहोवा ने कहा है कि यह होगा।
\p
\s5
\v 13 यह भी है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ:
\q1 मैं उनकी मूर्तियों को शत्रु द्वारा
\q2 मेम्फिस शहर में नष्ट करवा दूँगा।
\q1 अब मिस्र में कोई राजा नहीं होगा,
\q2 और मैं मिस्र देश में रहने वाले सब लोगों को डरा दूँगा।
\q1
\v 14 मैं दक्षिणी मिस्र में पत्रोस के क्षेत्र से सब लोगों को विवश करूँगा कि वे उस स्थान को छोड़ दें।
\q2 मैं पूर्वोत्तर मिस्र के सोअन शहर में आग लगा दूँगा
\q2 और दक्षिणी मिस्र में थीब्ज़ शहर में लोगों को दण्ड दूँगा।
\q1
\s5
\v 15 मैं उत्तरी मिस्र में पेलूसियम के किले में सैनिकों को दण्ड दूँगा,
\q2 और मैं थीब्ज़ में लोगों को नष्ट कर दूँगा।
\q1
\v 16 मैं मिस्र को आग से जला दूँगा;
\q2 पेलूसियम में लोगों को घोर कष्ट भोगना होगा।
\q1 शत्रु थीब्ज़ को जीत लेंगे,
\q2 और मेम्फिस के लोगों पर निरन्तर भय छाया रहेगा।
\q1
\s5
\v 17 उत्तरी मिस्र में हेलीओपोलिस और बुबास्टिस के शहरों में शत्रु अनेक युवा पुरुषों को मार देंगे,
\q2 और जो लोग शेष रह जाते हैं उन्हें बाबेल जाना होगा।
\q1
\v 18 पूर्वोत्तर मिस्र में तहपन्हेस शहर में यह विनाश का अन्धकारमय दिन होगा
\q2 जब मैं मिस्र की शक्ति का अन्त कर दूँगा;
\q2 वह देश अब शक्तिशाली नहीं रहेगा।
\q1 यह ऐसा होगा जैसे एक अंधियारे बादल ने मिस्र को ढाँप लिया है,
\q2 क्योंकि उसके गाँव के लोग बन्दी होकर बाबेल जाएँगे।
\q1
\v 19 इस प्रकार मैं मिस्र को दण्ड दूँगा,
\q2 और लोग जान लेंगे कि मुझ, यहोवा, में ऐसा करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।”
\p
\s5
\v 20 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश में ले जाने के लगभग ग्यारह वर्ष बाद, यहोवा ने मुझे उस वर्ष के पहले महीने के सातवें दिन एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 21 “हे मनुष्य के पुत्र, मैंने नबूकदनेस्सर की सेना को मिस्र के राजा की सेना को पराजित करने में समर्थ किया है। ऐसा लगता है कि मानों मैंने मिस्र के राजा की बाँहों में से एक को तोड़ दिया है, और उस पर पट्टी नहीं बाँधी गई है कि वह ठीक हो सके, और उसे पट्टियों में बाँध कर नहीं रखा गया है कि ठीक हो जाने के बाद उसमें तलवार पकड़ने की शक्ति हो।
\s5
\v 22 इस कारण, मैं, यहोवा, यह कहता हूँ: मैं मिस्र के राजा का शत्रु हूँ। मैं पूरी तरह से मिस्र की शक्ति को नष्ट कर दूँगा; वह ऐसा होगा कि जैसे मैंने राजा के दोनों हाथों को तोड़ दिया, अच्छे वाले को और टूटे हुए को, और तलवार को उसके हाथ से गिरा दूँगा।
\v 23 मैं मिस्र के लोगों को राष्ट्रों के बीच तितर बितर करूँगा।
\v 24 मैं बाबेल के राजा की बाँहों को दृढ़ करूँगा और उसके हाथ में तलवार दूँगा, और मैं मिस्र के राजा की बाँहों को तोड़ दूँगा, और वह बाबेल के राजा के सामने एक साधारण सैनिक के समान कराहेगा जो घायल हो गया है और मरने वाला है।
\s5
\v 25 मैं बाबेल के राजा को दृढ़ और शक्तिशाली कर दूँगा, और मिस्र का राजा पूरी तरह से अशक्त हो जाएगा। जब ऐसा होगा, जब मैं बाबेल की सेना को शक्तिशाली बना दूँगा, तब वे मिस्र पर आक्रमण करने के लिए उस शक्ति का उपयोग करेंगे।
\v 26 मैं मिस्र के लोगों को राष्ट्रों के बीच तितर बितर करूँगा, और जब ऐसा होगा, तब लोग जान लेंगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\s5
\c 31
\p
\v 1 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश ले जाने के लगभग ग्यारह वर्ष बाद, उस वर्ष के तीसरे महीने के पहले दिन, यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, मिस्र के राजा और उसके सब कर्मचारियों से कह,
\q1 ‘तुम सोचते हो कि ऐसा कोई देश नहीं है जिसकी शक्ति तुम्हारे देश की शक्ति जितनी महान हो।
\q1
\s5
\v 3 तुम सोचते हो कि तुम्हारा देश उतना महान है जितना अश्शूर था।
\q2 अश्शूर लबानोन में एक लम्बे देवदार के पेड़ के समान था;
\q1 इसमें बड़ी सुन्दर शाखाएँ थीं
\q2 जिसने जंगल में अन्य पेड़ों के लिए छाया प्रदान की।
\q1 वह बहुत लम्बा था;
\q2 उसकी चोटी बादलों तक पहुँचती थी।
\q1
\v 4 गहरे सोतों से उसे पानी मिला,
\q2 जिसके परिणामस्वरूप देवदार का वह पेड़ लम्बा और हरा भरा हो गया।
\q1 तब उस पेड़ की जड़ से होकर पानी
\q2 खुले ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य पेड़ों के लिए नालियों में होकर जाता था।
\q1
\s5
\v 5 वह विशाल पेड़ बहुत लम्बा हो गया,
\q2 इसके चारों ओर के सब पेड़ों से अधिक ऊँचा।
\q1 इसकी शाखाएँ बहुत मोटी और लम्बी हो गईं
\q2 क्योंकि पेड़ की जड़ों को प्रचुर मात्रा में पानी मिल रहा था।
\q1
\v 6 पक्षियों ने उसकी शाखाओं में अपने घोंसले बनाए,
\q2 और जंगली जानवरों ने उन शाखाओं के नीचे अपने बच्चों को जन्म दिया।
\q1 और ऐसा था कि मानों सब महान राष्ट्रों के लोग उस पेड़ की छाया में रहते थे।
\q1
\v 7 वह वैभवशाली और सुन्दर था;
\q1 उसकी शाखाएँ चारों ओर फैली हुई थीं
\q2 क्योंकि पेड़ की जड़ें उस भूमि में थीं जहाँ उसे पानी की भरपूरी थी।
\q1
\s5
\v 8 मेरी अदन की वाटिका के देवदार भी उसके जैसे विशाल नहीं थे,
\q2 और सनोवर पेड़ों की शाखाएँ उस देवदार के पेड़ की शाखाओं के जैसी लम्बी और मोटी नहीं थीं।
\q1 और न ही, चिनार के पेड़ की शाखाएँ भी वैसी लम्बी और मोटी थीं।
\q2 मेरे बगीचे में कोई पेड़ उस देवदार के पेड़ के समान सुन्दर नहीं था।
\q1
\v 9 क्योंकि मैंने उस वृक्ष को बहुत सुन्दर होने दिया
\q2 इसकी भव्य हरी शाखाओं के कारण,
\q1 अदन की वाटिका के वृक्षों द्वारा जिन देशों के अगुवों का प्रतिनिधित्व किया, वे सब उस पेड़ द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए देश से डाह करने लगे।’
\p
\s5
\v 10 इसलिए, मैं, यहोवा परमेश्वर, यह कहता हूँ: ‘वह पेड़, जो अश्शूर का प्रतिनिधित्व करता है, बहुत लम्बा हो गया; इसकी चोटी अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक ऊँची थी, और वह बहुत घमण्डी हो गया क्योंकि यह बहुत लम्बा था।
\v 11 इसलिए, मैंने उसे जीतने के लिए, उसे नष्ट करने के लिए एक अन्य शक्तिशाली राष्ट्र को समर्थ किया कि वह नष्ट किया जाए जिसके वह योग्य है। मैंने उसे पहले से ही त्याग दिया है।
\s5
\v 12 एक विदेशी सेना ने, जिसने अन्य राष्ट्रों के लोगों को भयभीत किया है, उसे काट दिया और छोड़ दिया। उसकी शाखाएँ पर्वतों पर और घाटियों में गिर गईं। उसकी कुछ शाखाएँ देश की सब घाटियों में टूटी पड़ी थीं। अन्य राष्ट्रों के सब लोग इसकी छाया के नीचे से निकल गए और उसे छोड़ दिया।
\s5
\v 13 आकाश के पक्षी गिरे हुए पेड़ पर बस गए, और जंगली जानवर इसकी शाखाओं के बीच में रहने लगे थे।
\v 14 जिसके परिणामस्वरूप, कोई अन्य पेड़, यहाँ तक कि यदि पेड़ को बहुत पानी मिलता है, कभी भी इतनी बड़ी ऊँचाई तक नहीं बढ़ेगा, या अन्य पेड़ों की शाखाओं के ऊपर अपनी चोटी को उठाएगा। वे सब निश्चय ही मर जाएँगे और सड़ जाएँगे; वे मरे हुओं के स्थान में जाएँगे; वे कब्र में जाएँगे।’”
\p
\s5
\v 15 यहोवा परमेश्वर कहते हैं: “जब वह बड़ा पेड़ काटा गया था, तो ऐसा लगता था कि मानों जिस सोते ने इसे पानी दिया था, उसने उसके कारण शोक किया क्योंकि मैंने सोते के भरपूर पानी को सुखा दिया। ऐसा लगता है जैसे कि मैंने लबानोन के पर्वतों को इसके लिए शोक करने दिया, और वहाँ के सब पेड़ रोने लगे।
\s5
\v 16 मैंने अन्य जातियों के लोगों को थरथराया जब उन्होंने सुना कि वह पेड़ भूमि पर गिर गया जब उन्होंने सुना कि अश्शूर नष्ट हो गया। अन्य सब जातियाँ भी लबानोन के, अच्छी तरह से पानी मिले हुए सुन्दर पेड़ों के समान थीं, परन्तु जब उस देवदार के पेड़ के द्वारा जिस राजा का प्रतिनिधित्व किया गया था उनके बीच पहुँचा, जहाँ वे मृत लोगों के समान थे, तब उन्हें सांत्वना मिली।
\s5
\v 17 उस बड़े पेड़ की छाया में उगने वाले पेड़ों द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले लोग, देवदार के पेड़ का प्रतिनिधित्व करने वाले महान राष्ट्र के मित्र भी मर गए और वहाँ चले गए जहाँ मरे हुए लोग हैं।
\p
\v 18 यह दृष्टान्त तुम मिस्र के लोगों के लिए चेतावनी है। तुम सोचते हो कि कोई अन्य राष्ट्र नहीं है जो तुम्हारे जैसा महान और गौरवशाली है। परन्तु उन राष्ट्रों के साथ-साथ तुम्हारा राष्ट्र भी नष्ट हो जाएगा। तुम्हारे लोग वहाँ उन लोगों के बीच होंगे जो मेरी आराधना करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं, ऐसे लोग जो अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे गए हैं। मिस्र के राजा और उसके लोगों के साथ यही होगा।” यहोवा परमेश्वर ने वही घोषित किया है जो घटित होगा।
\s5
\c 32
\p
\v 1 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश ले जाने के लगभग बारह वर्ष बाद, उस वर्ष के बारहवें महीने के पहले दिन यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने मुझसे कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, मिस्र के राजा फिरौन के विषय में एक दुखद गीत गाओ। उसके लिए यह गाओ:
\q1 ‘तुम लोग सोचते हो कि तुम राष्ट्रों के बीच एक शेर के समान हो;
\q1 परन्तु तुम नदी में एक समुद्री राक्षस के समान हो
\q2 जो पानी में इधर उधर घूमते हुए,
\q2 अपने पैरों के साथ पानी का मंथन करता है
\q2 और सारे पानी को गन्दा करता है।
\p
\s5
\v 3 परन्तु मैं, यहोवा परमेश्वर, तुमसे कहता हूँ
\q1 कि मैं तेरे ऊपर अपने जाल को फेंकने के लिए कई लोगों को भेजूँगा,
\q2 और तब वे तुझे खींचते हुए भूमि पर ले जाएँगे।
\q1
\v 4 वे तुझे एक खेत में फेंक देंगे, जहाँ मैं तुझे तेरे भाग्य पर छोड़ दूँगा।
\q1 मैं पक्षियों को तुझ पर बैठने दूँगा,
\q2 और सब जंगली जानवर तेरे शव के माँस को तब तक खाएँगे जब तक कि उनके पेट भर न जाएँ।
\q1
\s5
\v 5 मैं ऐसा करूँगा कि वे तेरे माँस को पर्वतों पर तितर बितर करें
\q2 और घाटी को तेरे कीड़े लगे शरीर के भागों से भरने दूँगा।
\q1
\v 6 मैं उन्हें भूमि को तेरे खून से भरने दूँगा,
\q2 और पर्वतों को भी;
\q2 वे नालियों को तेरे खून से भर देंगे।
\q1
\s5
\v 7 जब मैं तेरा और तेरे वंशजों का नाश करूँगा,
\q2 तब मैं आकाश को ढाँक दूँगा और तारों को चमकने की अनुमति नहीं दूँगा।
\q1 मैं सूरज के सामने एक काला बादल ले आऊँगा,
\q2 और चाँद नहीं चमकेगा।
\q1
\v 8 मैं आकाश के सितारों को अंधेरा कर दूँगा,
\q2 और तेरे सम्पूर्ण देश पर अंधेरा होगा;
\q2 यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा परमेश्वर ने यह कहा है।
\q1
\s5
\v 9 और मैं कई राष्ट्रों के लोगों को डरा दूँगा जब वे सुनेंगे कि मैंने तुझे कैसे नष्ट किया है,
\q2 उन देशों के लोग;
\q2 जिनको तू कभी जानता भी नहीं था।
\q1
\v 10 तेरे साथ जो होगा, उसके कारण मैं कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दूँगा;
\q2 उनके राजा भयभीत होंगे और थरथराएँगे क्योंकि मैंने तुझे नष्ट कर दिया है,
\q2 जब मैंने तुझे मारने के लिए अपनी तलवार को उनके सामने लहराया।
\q1 उस समय जब तू मर जाएगा,
\q2 वे सबके सब थरथराएँगे,
\q2 इस डर से कि मैं उन्हें भी मार दूँगा।
\p
\s5
\v 11 मैं, यहोवा परमेश्वर तुझ मिस्र को, बताता हूँ,
\q1 कि बाबेल के राजा की सेना की तलवारें तुम पर वार करेंगी।
\q1
\v 12 मैं बाबेल के शक्तिशाली सैनिकों को
\q2 तुम्हारे उत्तम से उत्तम सैनिकों को मारने दूँगा -
\q2 बाबेल के सैनिक, जो अन्य देशों की तुलना में अधिक निर्दयी हैं।
\q1 वे मिस्र के लोगों के घमण्ड को तोड़ देंगे,
\q2 क्योंकि वे तुम्हारे बहुत लोगों को मार देंगे।
\q1
\s5
\v 13 मैं मिस्र के सारे मवेशियों को नष्ट कर दूँगा,
\q2 जो धाराओं के पास चरते हैं।
\q1 जिसके परिणामस्वरूप, उन धाराओं में फिर कभी पानी गन्दा नहीं होगा
\q2 उन लोगों और मवेशियों के कारण से जो उनमें चल रहे थे।
\q1
\v 14 तब मैं मिस्र की धाराओं को फिर से शान्त होने की
\q2 और निर्मलता के साथ बहने की अनुमति दूँगा जैसे जैतून का तेल बहता है।” यहोवा परमेश्वर यही घोषणा करते हैं।
\q1
\s5
\v 15 वह यह भी कहते हैं: “जब मैं मिस्र को खाली कर दूँगा,
\q2 जब मैं देश में बढ़ने वाली हर वस्तु को तोड़ देता हूँ,
\q1 और जब मैं वहाँ रहने वाले सब लोगों का नाश कर दूँगा,
\q2 तब लोग जान लेंगे कि मुझ, यहोवा, में ऐसा करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\p
\v 16 लोग मिस्र के विषय में एक विलापगीत गाएँगे।
\p कई जातियों की स्त्रियाँ इसे गाएँगी;
\q2 वे इसे मिस्र और उसके बहुत से लोगों के विषय में गाएँगी।”
\q2 यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि यहोवा ने कहा है कि ऐसा होगा।
\p
\s5
\v 17 उसी महीने के पन्द्रहवें दिन, यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\p
\v 18 “हे मनुष्य के पुत्र, मिस्र के बहुत से लोगों के विषय में विलाप कर, क्योंकि मैं उन्हें पृथ्‍वी के नीचे के स्थान पर भेजूँगा, जहाँ वे और अन्य शक्तिशाली राष्ट्रों के लोग होंगे। मैं उन्हें दूसरों के साथ, वहाँ उस स्थान पर नीचे भेजूँगा जहाँ मरे हुए लोग हैं।
\s5
\v 19 उनसे कहो, ‘हे मिस्र के लोगों, तुम सोचते हो कि अन्य राष्ट्रों के लोगों की तुलना में तुम अधिक सुन्दर हो। परन्तु तुम भी उस स्थान पर उतरोगे जहाँ मरे हुए अधर्मी लोग हैं।
\v 20 कई अन्य लोगों के साथ तुम मर जाओगे जिनको उनके शत्रुओं ने मारा है। उनके शत्रुओं ने आक्रमण करना आरम्भ कर दिया है, और वे मिस्र के लोगों को बड़ी संख्या में घसीट कर ले जाएँगे।
\v 21 उस स्थान पर जहाँ मरे हुए लोग हैं, अन्य देशों के शक्तिशाली अगुवे तुम मिस्र के लोगों का और तुम्हारे सहयोगियों का उपहास करेंगे। वे कहेंगे कि तुम उनके साथ लेटने के लिए आए हो, उन अधर्मी लोगों के साथ जिनको उनके शत्रुओं ने मार डाला था।
\p
\s5
\v 22 अश्शूर के मरे हुए लोग और उनकी मरी हुई सेना भी वहाँ होगी। वे उन मरे हुए अन्य लोगों से घिरे होंगे जिन्हें उनके शत्रुओं ने मार डाला था।
\v 23 उनकी कब्रें गहरे गड्ढे में होंगी, और उनकी सेना के मरे हुए सैनिक अपनी कब्रों के चारों ओर पड़े रहेंगे। उन सब लोगों के मरे हुए भी वहाँ होंगे, जिन्होंने बहुत से अन्य लोगों को डराया था, क्योंकि उनको भी उनके शत्रुओं ने मार डाला होगा।
\p
\s5
\v 24 एलाम देश के बहुत से लोग भी, वहाँ होंगे, क्योंकि उनके शत्रुओं ने उन्हें मार डाला होगा। ये वे सैनिक थे जिनका अनेक स्थानों में लोग भय खाते थे। उस समय वे वहाँ धरती के नीचे उस गहरे गड्ढे में पड़े रहेंगे, और वे, वहाँ गए हुए अन्य लोगों के साथ, अपमानित होंगे।
\p
\v 25 एलाम देश के लोग और उनके दास उन लोगों के बीच पड़े रहेंगे जो हत्या किए गए थे, लोगों की एक बड़ी भीड़ की कब्रों से घिरे हुए। जब वे जीवित थे, उन्होंने अन्य राष्ट्रों के लोगों को भयभीत किया; परन्तु वे अधर्मी थे, और अब, क्योंकि उनके शत्रुओं ने उन्हें मार डाला, वे अपमानित किए हुए, उस गहरे गड्ढे में दूसरों के साथ पड़े रहेंगे।
\p
\s5
\v 26 मेशेक और तूबल देशों के सब सैनिकों के मरे हुए भी अपने दासों की एक बड़ी भीड़ की कब्रों से घिरे हुए वहाँ होंगे। जब वे जीवित थे, उन्होंने भी कई स्थानों में लोगों को भयभीत किया हुआ था। वे खतनारहित लोग हैं जिनको उनके शत्रुओं ने मार डाला होगा।
\v 27 वे वहाँ उन खतनारहित योद्धाओं के पास में पड़े नहीं रहेंगे जो उनके शरीरों के ऊपर उनकी ढालों के साथ और उनके सिरों के नीचे उनकी तलवारों के साथ बड़े सम्मानित रूप से कब्र में चले गए हैं। जब वे जीवित थे, उन्होंने धरती पर कई लोगों को भयभीत किया हुआ था।
\p
\s5
\v 28 हे मिस्र के राजा, मैं तुझे भी मार डालूँगा, और तू उन अन्य अधर्मी लोगों के साथ पड़ा रहेगा जिनको उनके शत्रुओं ने मार डाला होगा।
\p
\v 29 एदोम के लोग उनके राजाओं और अगुवों के साथ वहाँ होंगे। वे शक्तिशाली थे, परन्तु मैं उन्हें मार दूँगा। वे वहाँ उस स्थान में पड़े रहेंगे जहाँ अन्य अधर्मी लोग पड़े हैं।
\p
\s5
\v 30 इस्राएल के उत्तर के देशों के सब शासक, सीदोन शहर के लोगों समेत, वहाँ होंगे। उनकी शक्ति के कारण, उन्होंने अन्य लोगों को भयभीत किया हुआ था, परन्तु वे वहाँ पड़े रहेंगे। वे अधर्मी थे, और वे उन लोगों के साथ वहाँ पड़े रहेंगे जिन्हें उनके शत्रुओं ने मार डाला होगा। वे, उन सबके साथ, जो गहरे गड्ढे में आते हैं, अपमानित किए जाएँगे।
\p
\s5
\v 31 मिस्र का राजा और उसकी सारी सेना उन्हें देखेगी, और उन्हें अपने बहुत से लोगों की मृत्यु के विषय में सांत्वना मिलेगी, क्योंकि वे जानते हैं कि वहाँ अन्य बड़ी-बड़ी जातियाँ थीं जिनको उनके शत्रुओं ने मार दिया था।
\v 32 जब वह राजा जीवित था, तब मैंने उसे कई देशों में लोगों को डराने की अनुमति दी, परन्तु वह और उसकी बड़ी सेना उन अन्य अधर्मी लोगों के बीच होंगे जिनको उनके शत्रुओं ने मार दिया है।” यह सच में, निश्चय ही होगा क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने कहा है कि यह होगा।
\s5
\c 33
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, अपने साथी इस्राएलियों से बात कर और उनसे यह कह: ‘मान लो कि मैं एक देश पर आक्रमण करने के लिए शत्रु की सेना को लाता हूँ, और उस देश के लोग अपने स्वयं के लोगों में से एक को पहरेदार बनने के लिए चुनते हैं।
\v 3 और मान लो कि वह शत्रु सेना को देखता है, और वह हर किसी को चेतावनी देने के लिए तुरही बजाता है।
\v 4 यदि कोई तुरही सुनता है परन्तु ध्यान नहीं देता है, और यदि वह व्यक्ति शत्रु द्वारा मार दिया जाता है, तो अपनी मृत्यु के लिए वह व्यक्ति उत्तरदायी होता है।
\s5
\v 5 यदि उसने ध्यान दिया, तो वह अपना स्वयं का जीवन बचा लेगा। परन्तु जैसा कि यह है, वह मर जाएगा, और यह उसकी स्वयं की गलती होगी।
\p
\v 6 अब मान लो कि पहरेदार शत्रु की सेना को आता हुआ देखता है और लोगों को चेतावनी देने के लिए तुरही नहीं बजाता है। फिर मान लो कि उसके लोगों में से एक शत्रु द्वारा मार दिया जाता है। वह व्यक्ति अपनी ही गलती के कारण मर जाएगा, परन्तु मैं इसके लिए उत्तरदायी पहरेदार को पकड़ूँगा।
\p
\s5
\v 7 हे मनुष्य के पुत्र, तेरे लिए इस दृष्टान्त का अर्थ है। मैंने तुझे इस्राएलियों के लिए पहरेदार बनने के लिए नियुक्त किया है। इसलिए मैं जो कहता हूँ हमेशा उसे सुन, और लोगों को मेरी ओर से चेतावनी दे।
\v 8 जब मैं किसी दुष्ट व्यक्ति से कहता हूँ, ‘हे दुष्ट व्यक्ति, तू निश्चय अपने पापों के कारण मर जाएगा, तो उसे बताना तेरा उत्तरदायित्व है कि मैंने क्या कहा। यदि तू उस व्यक्ति को पापों से दूर हो जाने के लिए चेतावनी नहीं देता है, तो वह दुष्ट व्यक्ति अपने पापों के कारण मर जाएगा, परन्तु मैं उसकी मृत्यु के लिए तुझे उत्तरदायी ठहराऊँगा।
\v 9 परन्तु यदि तू उस दुष्ट व्यक्ति को चेतावनी देता है कि उसे अपने पापों से दूर हो जाना चाहिए, परन्तु वह ऐसा नहीं करता है, तो वह अपने पापों के कारण मर जाएगा, परन्तु तू अपना जीवन बचा लेगा।
\p
\s5
\v 10 हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएलियों से कह, ‘यही है जो तुम सब कह रहे हो: “जो अपराध-बोध हमें परमेश्वर के नियमों की अवज्ञा और पाप करने के कारण हो रहा है, वह हमारे ऊपर भारी बोझ के समान हैं, और हमारे पाप हमें दुख पहुँचा रहे हैं, और हम धीरे-धीरे मर रहे हैं। अतः जीवित रहने के लिए हम क्या कर सकते हैं?”
\v 11 उनसे कह, ‘यहोवा परमेश्वर कहते हैं, “निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, मुझे प्रसन्नता नहीं होती जब दुष्ट लोग मरते हैं; मैं चाहूँगा कि वे अपने दुष्ट व्यवहार से दूर हो जाएँ और जीते रहें। इसलिए पश्चाताप करो! अपने बुरे व्यवहार से दूर हो जाओ! हे इस्राएली लोगों, क्या तुम सचमुच मरना चाहते हो?”
\p
\s5
\v 12 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, अपने साथी इस्राएलियों से कह कि यदि अच्छे लोग मेरी अवज्ञा करना आरम्भ कर देते हैं, तो यह तथ्य कि वे पहले धर्मी थे, मुझे उन्हें दण्ड देने से नहीं रोकेगा। इसी प्रकार, यदि दुष्ट लोग अपने दुष्ट व्यवहार से दूर हो जाते हैं, तो वे अपने पूर्व के पापों के कारण मर नहीं जाएँगे। और यदि अच्छे लोग पाप करना आरम्भ करते हैं, तो मैं इस तथ्य को स्वीकार नहीं करूँगा कि वे अच्छे रहे हैं और अब मैं उन्हें दण्ड देने से नहीं रुकूँगा।
\v 13 यदि मैं उन लोगों को बताता हूँ जो वह करते हैं जो सही है कि जो भी अच्छे कार्य वे करते हैं उनके कारण वे निश्चय ही जीवित रहेंगे, परन्तु फिर यदि वे दूर हो जाते हैं और अपने सब अच्छे कर्मों पर घमण्ड करते हैं, तो मैं उन सब अच्छे कार्यों को अनदेखा कर दूँगा जो उन्होंने पहले किए थे। मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि जो बुरे कार्य उन्होंने किए हैं, उनके कारण वे मर जाएँगे।
\s5
\v 14 लोगों को ये बातें बताते रहो: यदि मैं किसी दुष्ट व्यक्ति से कहता हूँ, ‘तुम अपने पापों के कारण निश्चय ही मर जाओगे, तो संभव है कि वह व्यक्ति बुराई करना बन्द कर दे और जो न्यायपूर्ण और सही कार्य है उसे करना आरम्भ कर दे।
\v 15 उदाहरण के लिए, उसने किसी अन्य व्यक्ति से जो कुछ आश्वासन के लिए लिया है वह उसे वापस लौटा सकता है कि उस व्यक्ति ने जो भी उधार लिया है उसे वापस भुगतान करेगा, या वह उन वस्तुओं को वापस कर सकता है जो उसने चोरी किए हैं, या वह उन कानूनों का पालन कर सकता है जो उनका पालन करने वाले लोगों को जीवित रहने में समर्थ करेंगे। यदि ऐसा होता है, तो वह निश्चय ही जीवित रहेगा; उसके पहले किए गए पापों के कारण वह मर नहीं जाएगा।
\v 16 मैं उन पापों को अनदेखा कर दूँगा जो उसने पहले किए थे; वह निश्चय ही जीवित रहेगा।
\p
\s5
\v 17 लोगों को यह बता: कि वे कहते हैं कि जो मैं करता हूँ वह उचित नहीं है, परन्तु यह वास्तव में वह है जो वे करते हैं जो कि उचित नहीं हैं। फिर उन्हें इन बातों को भी बता:
\v 18 यदि कोई अच्छा व्यक्ति वह कार्य करना बन्द कर देता है जो अच्छा है और वह करना आरम्भ कर देता है जो बुरा है, तो यह उचित है कि उसे अपने पापों के कारण मर जाना चाहिए।
\v 19 और यदि कोई दुष्ट व्यक्ति अपने दुष्ट व्यवहार से दूर हो जाता है और वह करता है जो सही और उचित है, तो ऐसा करने के कारण उसके लिए जीवित रहना उचित है।
\v 20 लोगों को स्मरण दिला कि वे अभी भी कह रहे हैं कि मैं जो करता हूँ वह उचित नहीं है। वे जो कुछ भी चाहते हैं वे बात कर सकते हैं, परन्तु मैं उनमें से प्रत्येक को उसके लिए दण्ड दूँगा जो वे करते हैं। उन्हें यह बता दे।”
\p
\s5
\v 21 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश में ले जाने के लगभग बारह वर्ष बाद, उस वर्ष के दसवें महीने के पाँचवें दिन, यरूशलेम से बच कर आने वाला एक व्यक्ति बाबेल में मेरे पास आया और कहा, “यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया है!”
\v 22 उस मनुष्य के पहुँचने से पहले की शाम को, यहोवा ने मुझे अपने वश में कर लिया था। इसलिए जब वह पुरुष पहुँचा, तो यहोवा ने मुझे फिर से बात करने में सक्षम किया; मुझे अब चुप रहने के लिए विवश नहीं किया गया था।
\p
\s5
\v 23 तब यहोवा ने मुझे एक सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 24 “हे मनुष्य के पुत्र, जो लोग इस्राएल में खण्डहरों में रह रहे हैं, वे कह रहे हैं, ‘अब्राहम केवल एक ही व्यक्ति था, परन्तु यहोवा ने उससे प्रतिज्ञा की थी कि वह और उसके वंशजों के पास इस देश का अधिकार होगा। परन्तु हम बहुत हैं, इसलिए निश्चय ही यहोवा ने हमें इस देश का अधिकार दिया है।’
\s5
\v 25 इसलिए उनके पास एक सन्देश भेज और कह, ‘यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं: “तुम वह माँस खाते हो जिसमें अभी भी पशु का खून है। तुम अभी भी मूर्तियों की उपासना करते हो। और तुम अभी भी दूसरों की हत्या करते हो। इसलिए क्या यह देश तुम्हारा होना चाहिए?
\v 26 तुम जो चीजें चाहते हो उन्हें प्राप्त करने के लिए अपनी तलवारों का उपयोग करने पर भरोसा करते हो। तुम कई घृणित कार्य करते हो। तुम में से प्रत्येक जन अन्य पुरुष की पत्नी के साथ सोता है। इसलिए क्या तुम्हारे पास वास्तव में इस्राएल देश का अधिकार होना चाहिए?”
\p
\s5
\v 27 यह सन्देश उनके पास भेज और उन्हें बता कि मैं, यहोवा परमेश्वर, उनसे यही कहता हूँ: ‘जैसे निश्चित रूप से मैं जीवित हूँ, जो यरूशलेम के खण्डहरों में रह गए हैं उनके शत्रु उनको भी मार डालेंगे। और जो ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे हैं उनको जंगली जानवर मार डालेंगे। जो किलों और गुफाओं में रह रहे हैं वे बीमारी से मर जाएँगे।
\v 28 मैं तुम्हारे देश को एक उजाड़ बंजर भूमि बना दूँगा। अब तुमको एक शक्तिशाली देश होने पर गर्व नहीं होगा। इस्राएल के पर्वत बहुत उजाड़ हो जाएँगे, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी उनसे चलकर पार नहीं जाएगा।’
\v 29 तब, जब मैं उनके देश को उन सब घृणित कार्यों के कारण जो उन्होंने किए हैं एक उजाड़ बंजर भूमि बना दूँगा, तो वे जान जाएँगे कि मुझ, यहोवा, में ऐसा करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।”
\p
\s5
\v 30 जहाँ तक तेरी बात है, हे मनुष्य के पुत्र, यहाँ बाबेल में तेरे साथी इस्राएली शहर की दीवार के पास या अपने घरों के द्वार पर खड़े हैं और तेरे विषय में एक दूसरे के साथ बातें कर रहे हैं। वे कह रहे हैं, ‘आओ और उस सन्देश को सुनो जो यहोवा की ओर से आया है।’
\v 31 मेरे लोग तेरे पास आते हैं जैसा कि अधिकतर उन्होंने किया है, और जो तू कहता है, उसे सुनने के लिए वे तेरे सामने बैठते हैं। परन्तु वे वह नहीं करते जो तू उनसे कहता है कि उन्हें करना है। उनके मुँह से वे कहते हैं कि वे मुझसे प्रेम करते हैं, परन्तु अपने भीतरी मनों में वे अन्याय के कार्य करके वस्तुओं को पाने के लिए उत्सुक हैं।
\s5
\v 32 उनके लिए, तू केवल एक ऐसा व्यक्ति है जो उनके लिए सुन्दर गाने गाता है और एक संगीत वाद्य-यन्त्र को अच्छे से बजाता है। जो तू कहता है, वे सुनते हैं, परन्तु वे वह नहीं करते जो तू उन्हें करने के लिए कहता है।
\p
\v 33 जो भयानक घटनाएँ मैंने कही हैं कि वे निश्चय ही उनके साथ होंगी, वे सच में होंगी। और तब वे जान जाएँगे कि एक भविष्यद्वक्ता उनके बीच में है, और वह भविष्यद्वक्ता तू है।”
\s5
\c 34
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध मेरा सन्देश सुना। उन्हें मेरे लोगों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे चरवाहे अपनी भेड़-बकरियों का ध्यान रखते हैं। उनसे कह कि मुझे, यहोवा परमेश्वर को, उनसे यह कहना है: ‘हे इस्राएल के चरवाहों, तुम्हारे साथ भयानक बातें घटित होंगी क्योंकि तुम केवल अपना ही ध्यान रखते हो। तुमको निश्चय ही मेरी भेड़ों का ध्यान रखना चाहिए।
\v 3 परन्तु तुम उन चरवाहों के समान हो जो मोटी भेड़ों को खा जाते हैं, जो उनके ऊन के लिए सबसे अच्छे जानवरों को मार देते हैं। तुम सच्चे चरवाहे नहीं हो।
\s5
\v 4 तुमने बीमार भेड़ों का ध्यान नहीं रखा है; जो घायल हैं तुमने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया है। तुमने उस भेड़ की खोज नहीं की है जो भटक गई है। तुम बल और हिंसा के साथ उन पर शासन करते हो।
\v 5 क्योंकि तुमने उनकी देखभाल नहीं की है, मेरे लोग भेड़ों के समान दूर भटक गए हैं। और जब वे तितर बितर हैं, जंगली जानवर उन पर आक्रमण करते हैं और उन्हें मार देते हैं, और फिर उनका माँस खाते हैं।
\v 6 मेरे लोग ऊँची पहाड़ियों और पर्वतों पर भेड़ों के समान भटकते हैं। वे पूरे संसार में तितर बितर हैं, और कोई भी उनकी खोज नहीं कर रहा है।
\p
\s5
\v 7 इसलिए, जिन्हें चरवाहों के समान व्यवहार करना है, मेरी बात सुनो जो मुझ, यहोवा परमेश्वर, को तुमसे कहना है।
\v 8 जैसा निश्चय ही मैं जीवित हूँ, मेरे लोग बिना चरवाहे की भेड़ों के झुण्ड के समान हैं, और जिसके परिणामस्वरूप ऐसा लगता है कि जंगली जानवरों ने मेरे लोगों पर आक्रमण किया है और उन्हें खा लिया है। तुम चरवाहों ने उनकी खोज नहीं की; इसकी अपेक्षा, तुम केवल अपने लिए भोजन प्राप्त करना चाहते थे।
\s5
\v 9 इस कारण, तुम जो मेरे लोगों के चरवाहे बने हो, मेरी बात सुनो।
\v 10 मैं तुम अगुवों का विरोध कर रहा हूँ। मैं तुमको मेरे लोगों के साथ बुरा व्यवहार करने के लिए दण्ड दूँगा। मैं तुमको मेरे लोगों की देखभाल करने से हटा दूँगा; अब तुम उन्हें अनदेखा करके स्वयं ही नहीं खा पाओगे। मेरे लोगों को मैं तुमसे बचाऊँगा, और अब तुम उन्हें वध करने और उन्हें खाने में सक्षम नहीं होगे।
\p
\s5
\v 11 मैं, यहोवा परमेश्वर, तुम अगुवों से कहता हूँ कि मैं स्वयं अपनी भेड़ों की खोज करूँगा और उनका ध्यान रखूँगा।
\v 12 जैसे चरवाहा अपनी भेड़ों का ध्यान रखता है, मैं अपने लोगों को उन सब स्थानों से निकालूँगा जहाँ तुमने उन्हें तितर बितर किया है, जब वे विपत्तियों के कारण डर गए थे।
\v 13 मैं उन्हें उन देशों से वापस लाऊँगा और उनके स्वयं के देश में उन्हें फिर से एक साथ एकत्र करूँगा। मैं इस्राएल की पहाड़ियों पर, तराइयों में और इस्राएल के गाँवों में अपनी भेड़ों को अच्छी चारागाहों में ले जाऊँगा।
\s5
\v 14 मेरी भेड़ें पर्वत पर अच्छे चारागाहों में चराई जाएँगी। वे अच्छे चारागाह के क्षेत्रों में बैठेंगी।
\v 15 मैं स्वयं अपने लोगों का ध्यान रखूँगा और उन्हें बैठने और विश्राम करने की अनुमति दूँगा। मैं, यहोवा परमेश्वर, यही प्रतिज्ञा करता हूँ।
\v 16 मैं उन लोगों की खोज करूँगा जो खो गए हैं; मैं उन लोगों को वापस लाऊँगा जो दूर भाग गए हैं। मैं उन लोगों पर पट्टी बाँधूँगा जो घायल हो गए हैं और उनको शक्ति दूँगा जो दुर्बल हैं। परन्तु मैं उन लोगों को नष्ट कर दूँगा जो मोटे और शक्तिशाली हैं। मैं अपनी भेड़ों, अर्थात् मेरे लोगों के प्रति निष्पक्ष रूप से कार्य करूँगा।
\p
\s5
\v 17 और तुम्हारे लिए, हे मेरे लोगों, हे मेरी भेड़ों, मैं यहोवा परमेश्वर यही कहता हूँ: ‘मैं तुम में से प्रत्येक के बीच न्याय करूँगा; उन लोगों को जो शान्तिपूर्ण हैं मैं उन लोगों से अलग करूँगा जो क्रूर और शक्तिशाली हैं।
\v 18 हे अगुवों, तुम जो बलवन्त भेड़ों के समान हो दूसरों के साथ बुराई करते हो: यह बुरा है कि तुम अपने लिए सबसे अच्छा चारागाह रखो। यह और भी अधिक बुरा है कि तुम अपने पैरों से अच्छी घास को रौंद देते हो। यह बुरा है कि तुम स्वयं तो साफ पानी पीते हो। यह और भी अधिक बुरा है कि तुम शेष पानी को अपने पैरों से गन्दा कर देते हो।
\v 19 तुम मेरी भेड़ों को वह घास खाने के लिए विवश कर रहे हो जिसे तुमने रौंद दिया है और वह पानी पीने के लिए विवश कर रहे हो जिसे तुमने गन्दा कर दिया है!
\p
\s5
\v 20 इस कारण, मैं, यहोवा परमेश्वर, तुमसे यही कहता हूँ: तुम जो एक मोटी भेड़ के समान हो और मेरे शेष लोग, जो एक दुबली पतली भेड़ के समान हैं, मैं स्वयं इनके बीच में न्याय करूँगा।
\v 21 तुम जो मोटी भेड़ों के समान हो, तुमने अपने कंधों और कूल्हों से दूसरों को दूर धकेल दिया है। तुम उन्हें अपने सींगों से मारते हो, जब तक कि तुम उनका पीछा करके उन्हें अच्छे चारागाह से दूर नहीं निकाल देते।
\s5
\v 22 परन्तु मैं अपने लोगों को बचाऊँगा, और अब तुम उनकी चोरी नहीं करोगे। मैं एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति के बीच न्याय करूँगा।
\v 23 और मैं उनके लिए एक अगुवे को नियुक्त करूँगा, कोई ऐसा व्यक्ति जो राजा दाऊद के समान होगा, जिसने मेरी अच्छी सेवा की थी। वह अगुवा उनका ध्यान रखेगा और उनके चरवाहे के समान होगा।
\v 24 मैं, यहोवा, उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वह जो राजा दाऊद के समान है उनका राजा होगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा ने यह कहा है।
\p
\s5
\v 25 मैं इस्राएल के लोगों के साथ एक वाचा बाँधूँगा। मैं उन्हें शान्ति देने की प्रतिज्ञा करूँगा। मैं इस्राएल में सब जंगली जानवरों से छुटकारा पाने का प्रतिज्ञा करूँगा, जिससे कि मेरे लोग जंगल में और वन में भी सुरक्षित रह सकें।
\v 26 मैं उन्हें आशीष दूँगा, और मैं अपने देश के सब पर्वतों को आशीष दूँगा, जहाँ वे मेरे भवन में मेरी आराधना करेंगे। मैं सही मौसम में वर्षा भेज कर उन्हें आशीष दूँगा; वह उनके लिए आशीषों की वर्षा करेंगे।
\v 27 फल के पेड़ फल उत्पन्न करेंगे, और भूमि फसलों का उत्पादन करेगी। और मेरे लोग अपने देश में सुरक्षित रहेंगे। जब मैं उन्हें उन लोगों से बचाता हूँ जिन्होंने उन्हें दास बना दिया, तो वे जान जाएँगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\s5
\v 28 अन्य राष्ट्रों के सैनिक अब उनकी बहुमूल्य सम्पत्ति नहीं ले पाएँगे, और जंगली जानवर अब उन पर आक्रमण नहीं करेंगे। वे सुरक्षित रहेंगे, और कोई भी उन्हें नहीं डराएगा।
\v 29 मैं उनके देश को शान्ति दूँगा और उसे अच्छी फसलों का उत्पादन करने वाला बनाऊँगा। अब देश में अकाल नहीं पड़ेंगे, और अन्य राष्ट्रों में रहने वाले लोग अब उनका उपहास नहीं करेंगे।
\s5
\v 30 तब वे जान जाएँगे कि मैं, उनका परमेश्वर यहोवा, उनकी सहायता कर रहा हूँ, और वे जान जाएँगे कि वे, इस्राएली लोग, मेरे लोग हैं।
\v 31 यह ऐसा होगा कि तुम, मेरे लोग, मेरी भेड़ें हो जिनकी मैं चिन्ता करता हूँ, और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ। यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, घोषणा करता हूँ।’”
\s5
\c 35
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, एदोम की ओर मुड़ कर भविष्यद्वाणी कर कि उसके लोगों के साथ क्या होगा। उनसे यह कह:
\v 3 ‘तुम जो एदोम में सेईर पर्वत के निकट रहते हो, मैं तुम्हारा शत्रु हूँ। मैं तुमको मारने और तुम्हारे देश को नष्ट करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करूँगा।
\s5
\v 4 मैं तुम्हारे नगरों को नष्ट कर दूँगा, और हर कोई उन्हें छोड़ देगा। जब ऐसा होता है, तो तुम जान लोगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\p
\v 5 तुम सदा इस्राएली लोगों के शत्रु रहे हो। जब उन पर महान विपत्ति आई थी, जब उनके शत्रुओं ने उन पर आक्रमण किया, जब मैं उनके द्वारा किए गए पापों के लिए उन्हें गम्भीर दण्ड दे रहा था तब तुम बहुत प्रसन्न थे।
\v 6 इसलिए, मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारी हत्या करने की अनुमति दूँगा। वे बार-बार तुम पर आक्रमण करेंगे। तुमने अन्य लोगों को मरते हुए देखने का आनन्द लिया, इसलिए मैं तुम्हारी हत्या कर दूँगा।
\s5
\v 7 इसलिए मैं सबको सेईर पर्वत से बाहर कर दूँगा, और जो कोई भी इसमें प्रवेश करेगा या इसे छोड़ेगा मैं उसे नष्ट कर दूँगा।
\v 8 मैं तुम्हारे पर्वतों को मारे गए लोगों के शवों से भर दूँगा। जिन लोगों की तुम्हारे शत्रुओं ने हत्या कर दी है, वे तुम्हारी पहाड़ियों पर, तुम्हारी घाटियों में और तुम्हारी सब तराइयों में पड़ी रहेंगी।
\v 9 मैं तुम्हारे देश को सदा के लिए लोगों के बिना रहने वाला बना दूँगा। कोई भी तुम्हारे नगरों में फिर से नहीं रहेगा। जब ऐसा होगा, तब तुम जान लोगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\p
\s5
\v 10 तुम्हारे लोगों ने कहा, ‘इस्राएल और यहूदा हमारा हो जाएगा। हम उनके क्षेत्र को ले लेंगे! तुमने ऐसा कहा भले ही मैं, यहोवा अभी भी वहाँ था और उनकी रक्षा कर रहा था।
\v 11 इसलिए, मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, मैं तुमको मेरे लोगों से क्रोधित होने, उनसे ईर्ष्या करने और उनसे घृणा करने के लिए दण्ड दूँगा। और जब मैं तुमको दण्ड दूँगा, तो मैं यह सुनिश्चित कर दूँगा कि इस्राएली जानें कि यह मैं ही हूँ जिसने तुमको दण्ड दिया है।
\s5
\v 12 तब तुम जानोगे कि मुझ, यहोवा, ने इस्राएल देश के विषय में जो सब घृणित बातें तुमने कही हैं, उन सबको सुना है; तुमने कहा था कि देश नष्ट हो गया था, और तुम अपने लिए इस पर अधिकार कर सकते थे।
\v 13 तुमने मेरा अपमान किया; मैंने सब कुछ सुना जो तुमने मेरे विषय में कहा था।
\s5
\v 14 इसलिए मैं, यहोवा परमेश्वर, जो कहता हूँ वह यह हैः तुम लोग जो एदोम में सेईर पर्वत पर और अन्य सब स्थानों में रहते हो, जब मैं सबको तुम्हारे देश से बाहर कर दूँगा, तब संसार में हर कोई आनन्दित होगा।
\v 15 तुम प्रसन्न थे जब इस्राएली लोगों का देश नष्ट हो गया था, इसलिए मैं बिलकुल वही कार्य तुम्हारे देश के साथ करूँगा। जब ऐसा होगा, तब लोग जान लेंगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।”
\s5
\c 36
\p
\v 1 यहोवा ने यहेजकेल से कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के पहाड़ी देश और पर्वतों को एक सन्देश दे जैसे कि वे लोग हैं। उनसे कह कि मेरे इस सन्देश को सुनें जो उनके लिए है।
\v 2 इस्राएल के शत्रु, उनके निकट रहने वाली जातियाँ हैं, अब अत्याधिक प्रसन्न हैं, क्योंकि वे कह रहे हैं कि यरूशलेम नष्ट हो गया है, इसलिए इस्राएल के प्राचीन पर्वत अब उनके अधीन होंगे।
\v 3 इसलिए, हे यहेजकेल, तू इस्राएल के पर्वतों से यह कहना कि मैं, यहोवा परमेश्वर, उनसे कह रहा हूँ: ‘अन्य राष्ट्रों की सेनाओं ने तुम पर हर दिशा से आक्रमण किया, और हर किसी ने तुमको छोड़ दिया है। वे विदेशी सेनाएँ अब तुम्हारे देश में हैं। उन्होंने तुम्हारे लोगों, इस्राएलियों के विषय में द्वेष की भावना से बातें कही हैं, और उन्होंने उनके विषय में सब प्रकार की झूठी बातें कही हैं।
\s5
\v 4-6 इसलिए, हे इस्राएल के पर्वतों, तुम मेरी ओर से आए इस सन्देश को सुनो। मेरे, यहोवा परमेश्वर, के पास तुमसे कहने के लिए कुछ है, तुम पहाड़ियों और पर्वतों से, और तुम तराइयों और घाटियों से, और तुम नगरों और शहरों से जिनको शत्रुओं ने जला दिया है, जहाँ अब कोई भी नहीं रह रहा है, जहाँ से सब मूल्यवान वस्तुएँ शत्रु ले गए हैं, और जिनके लोगों का चारों ओर की जातियाँ उपहास कर रही हैं। “मैं, यहोवा परमेश्वर, यही घोषणा करता हूँ: मैं एदोम से और अन्य जातियों से बहुत क्रोधित हूँ; उन्होंने तुम्हारे इस्राएली लोगों का अपमान किया है और उनका सारा देश चारागाहों के रूप में ले लिया है। इसलिए यहेजकेल को तुम इस्राएल के देश से, पहाड़ियों और पर्वतों, नालों और घाटियों से मेरे लिए बात करनी है: मैं, यहोवा परमेश्वर, बहुत क्रोधित हूँ क्योंकि शत्रु ने तुमको अपमानित किया है।
\s5
\v 7 इस कारण, मैं यहोवा परमेश्वर यही कहता हूँ: मैं गम्भीरता से यह घोषणा करता हूँ कि मैं तुम्हारे आस-पास के राष्ट्रों के लोगों को लज्जित कर दूँगा।
\p
\s5
\v 8 परन्तु मैं तुम इस्राएल के पर्वतों से कहता हूँ कि मेरे इस्राएली लोगों के लिए तुम्हारे पेड़ों से फल की बड़ी फसल उग जाएगी, क्योंकि वे शीघ्र ही बाबेल से घर लौट आएँगे।
\v 9 मैं तुम्हारी सहायता करने के लिए कार्य करूँगा, और मैं तुम्हारे प्रति दयालु रहूँगा। मैं किसानों को तुम्हारी भूमि में हल जोतने और बीज बोने में समर्थ करूँगा।
\s5
\v 10 मैं उन लोगों की संख्या को बहुतायत से बढ़ने दूँगा जो वहाँ ऊपर तुम पर्वतों पर हैं और इस्राएल में जहाँ कहीं भी रहते हैं। लोग शहरों में रहेंगे और वहाँ घरों का फिर से निर्माण करेंगे जहाँ अभी केवल खण्डहर हैं।
\v 11 मैं लोगों और घरेलू जानवरों की संख्या को बढ़ने दूँगा। लोगों के कई बच्चे होंगे। मैं लोगों को वहाँ वैसे ही रहने के लिए समर्थ कर दूँगा जैसे वे पहले वहाँ रहते थे, और मैं उन्हें समृद्ध होने में समर्थ करूँगा जैसा उन्होंने पहले किया था। तब तुम जानोगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\v 12 मैं अपने इस्राएली लोगों को तुम्हारे पर्वतों से घूमने में समर्थ करूँगा। वे तुम्हारी भूमि के स्वामी होंगे; तुम सदा के लिए उनसे सम्बन्धित होगे। तुम सदा उनके खाने के लिए पर्याप्त भोजन उगाओगे, इसलिए वे फिर कभी भूखे नहीं होंगे और मर नहीं जाएँगे।
\p
\s5
\v 13 मैं, यहोवा, तुम पर्वतों को यह बता रहा हूँ: यह सच है कि लोगों ने कहा है कि वे तुम पर की फसलों को नहीं बढ़ा सकते हैं, और इसलिए वे भूख से मर गए हैं।
\v 14 परन्तु अब यह नहीं होगा।
\v 15 अब अन्य जातियाँ तुम पर्वतों का उपहास नहीं करेंगी। अब वे तुम पर नहीं हँसेंगे; अब तुम पर्वत अपने देश को कभी भी पराजय से पीड़ित नहीं करोगे। मैं, यहोवा परमेश्वर, स्वयं ही तुमको यह बता रहा हूँ।’”
\p
\s5
\v 16 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 17 “हे मनुष्य के पुत्र, जब इस्राएली लोग अपने ही देश में रह रहे थे, तो उन्होंने उसे उन कार्यों से अशुद्ध कर दिया था जो उन्होंने किए थे। उन्होंने इसे मेरे लिए अस्वीकार्य कर दिया। मैंने माना कि उनका व्यवहार मासिक धर्म के समय स्त्रियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले चिथड़ों के जैसा घृणित था।
\v 18 इसलिए मैंने उन्हें गम्भीर रूप से दण्ड दिया, क्योंकि उन्होंने कई लोगों की हत्या कर दी थी और क्योंकि उन्होंने वहाँ मूर्तियों की उपासना की थी। उन्होंने अपने सारे देश को मेरे लिए अस्वीकार्य कर दिया।
\s5
\v 19 इसलिए मैंने उनके शत्रुओं को उन्हें अन्य देशों में तितर बितर करने दिया। मैंने उन्हें वही दण्ड दिया, जिस दण्ड के योग्य थे क्योंकि उन्होंने इतने सारे बुरे कार्य किए थे।
\v 20 उन देशों में वे जहाँ भी गए, उन्होंने अन्य लोगों में मेरा उपहास करवाया, जबकि उन्हें मेरे सम्मान का कारण होना चाहिए था। वे लोग कह रहे हैं, ‘इस्राएली यहोवा के हैं, परन्तु वह उनकी रक्षा करने के लिए पर्याप्त शक्ति नहीं रखते हैं। उन्हें उस देश को छोड़ना पड़ा जो उन्होंने उन्हें दिया था।’
\v 21 इस्राएल के लोगों ने मुझे उन जातियों में अपमानित किया था, जिनमें उन्हें जाना पड़ा था, परन्तु इसकी अपेक्षा उन जातियों को मेरी आराधना करनी थी जिसके मैं योग्य हूँ।
\p
\s5
\v 22 इसलिए, हे यहेजकेल, तू इस्राएलियों से यह कह कि मैं, यहोवा परमेश्वर, उनसे यह कह रहा हूँ: ‘हे इस्राएली लोगों, यह तुम्हारे लिए नहीं है कि मैं तुमको तुम्हारे शत्रुओं से बचाने जा रहा हूँ। इसकी अपेक्षा, मैं ऐसा करूँगा कि इन अन्य देशों में लोग परमेश्वर के रूप में मेरी आराधना करेंगे। जहाँ भी तुम गए हो, तुमने मुझे अपमानित करने के लिए अपना संभव प्रयास किया है।
\v 23 मैं दिखाऊँगा कि इन अन्य जातियों को परमेश्वर के रूप में मेरी आराधना करनी चाहिए, जबकि तुम्हारे व्यवहार को देख कर वे कभी भी इस बात को समझ नहीं पाएँगे। जब मैं उनके लिए सिद्ध कर दूँगा कि मैं शक्तिशाली हूँ और कुछ भी कर सकता हूँ, तब वे जान जाएँगे कि मैं उन सब बातों को पूरा करूँगा जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा। और वे देखेंगे कि तुम मुझे ऐसे परमेश्वर के रूप में सम्मानित करते हो जो पवित्र है।
\p
\s5
\v 24 मैं तुमको उन दूर के देशों से बाहर ले आऊँगा। मैं तुमको उन सब स्थानों से एकत्र करूँगा जहाँ तुमको जाना पड़ा था, और मैं तुमको अपने देश में वापस लाऊँगा।
\v 25 यह ऐसा होगा जैसे मानों मैं तुम्हारे ऊपर साफ पानी छिड़कूँगा, और फिर तुम शुद्ध हो जाओगे। मैं तुमको उन सब बातों से शुद्ध कर दूँगा जिनके कारण तुम मेरे लिए अस्वीकार्य हो गए थे, और मैं तुमसे मूर्तियों की उपासना बन्द करवा दूँगा।
\s5
\v 26 मैं तुमको सोचने की एक बिलकुल नई रीति दूँगा। मैं तुमको हठीले होने से रोकने में समर्थ करूँगा, और मैं तुमको तुम्हारे भीतरी मन से मेरी आज्ञा मानने में समर्थ करूँगा।
\v 27 मैं अपनी आत्मा तुम्हारे भीतर रखूँगा और तुमको मेरे सब नियमों का ध्यानपूर्वक पालन करने में समर्थ करूँगा।
\v 28 तुम फिर उस देश में रहोगे जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। तुम मेरे लोग होगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।
\s5
\v 29 मैं तुमको उन सब बातों से मुक्त कर दूँगा जिनके कारण तुम मेरे लिए अस्वीकार्य हो गए थे। मैं तुम्हें भरपूर मात्रा में अन्न दूँगा, और मैं तुम पर फिर से अकाल नहीं भेजूँगा।
\v 30 मैं तुम्हारे फलों के पेड़ों को बहुत सारे फल और तुम्हारी भूमि को बहुत सारी अच्छी फसल पैदा करने दूँगा, जिसके परिणामस्वरूप अन्य देशों के लोग तुम्हारा उपहास नहीं करेंगे क्योंकि तुम्हारे पास पर्याप्त भोजन नहीं है।
\v 31 जब ऐसा होता है, तो तुम अपने पिछले बुरे व्यवहार और दुष्ट कर्मों के विषय में सोचोगे, और तुम अपने पापों और उन घृणित कार्यों के लिए स्वयं से क्रोधित होगे जो तुमने किए हैं।
\s5
\v 32 परन्तु मैं, यहोवा परमेश्वर, तुमसे यह कहता हूँ: यह तुम्हारे लिए नहीं है कि मैं इन कार्यों को करूँ। तुम इस्राएली लोगों को अपने व्यवहार से लज्जित होना चाहिए।
\p
\v 33 मैं, यहोवा परमेश्वर, तुमसे यह भी कहता हूँ: उस समय जब मैं तुमको तुम्हारे सब पापों से शुद्ध करता हूँ, तो मैं तुमको अपने शहरों में फिर से रहने और घरों को बनाने के लिए समर्थ करूँगा जहाँ अब केवल खण्डहर हैं।
\v 34 जो लोग तुम्हारे देश से होकर जाते हैं, वे देखेंगे कि तुम एक बार फिर अपने देश में खेती कर रहे हो, और यह कि तुम्हारे लोग फिर से इसमें रह रहे हैं।
\s5
\v 35 तब वे कहेंगे, “यह देश जो नष्ट हो गया था, अदन के बगीचे के समान बहुत उपजाऊ हो गया है। जो शहर खाली हो गया था और नष्ट होकर मलबे का ढेर हो गया था, अब उसमें चारों ओर घर हैं, और लोग उन शहरों में रह रहे हैं।”
\v 36 जब ऐसा होगा, तब जो लोग अब भी तुम्हारे आस-पास के देशों में बचे हुए हैं, उन्हें पता चलेगा कि यह मैं, यहोवा ही हूँ, जिसने तुमको उसे फिर से उस उजड़े हुए स्थान को बनाने में समर्थ किया, और फिर से उन खेतों में जहाँ कुछ नहीं था, फसल लगाने में समर्थ किया है। मुझ, यहोवा, ने कहा है कि ऐसा होगा, और मैं ऐसा होने दूँगा।
\p
\s5
\v 37 यह भी है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ: फिर से मैं तुम्हारे लोगों की संख्या भेड़ों के समान बहुत अधिक होने की तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर दूँगा।
\v 38 मैं उन्हें भेड़ों के झुण्डों के समान संख्या में बहुत अधिक कर दूँगा जो तुम्हारे नियमित त्यौहारों के समय यरूशलेम में चढ़ावों के लिए आवश्यक होंगी। जिन शहरों को अभी नष्ट कर दिया गया है वे लोगों से भर जाएँगे और तब तुम जान लोगे कि मुझ, यहोवा ने यह किया है।’”
\s5
\c 37
\p
\v 1 एक दिन यहोवा ने मुझे एक और दर्शन दिया। दर्शन में मुझे परमेश्वर की शक्ति का मुझ पर बोध हुआ, और उनके आत्मा के द्वारा वह मुझे घाटी के बीच में ले गए। यह उन लोगों की हड्डियों से भरी हुई थी जो मारे गए थे।
\v 2 उन्होंने मुझे उन हड्डियों के बीच पीछे और आगे चलाया। मैंने देखा कि वहाँ बहुत सारी हड्डियाँ थीं, ऐसी हड्डियाँ जो बहुत सूखी हुई थीं।
\v 3 उन्होंने मुझसे पूछा, “हे मनुष्य के पुत्र, क्या तुझे लगता है कि ये हड्डियाँ फिर से जीवित मनुष्य बन सकती हैं?”
\p मैंने उत्तर दिया, “हे यहोवा मेरे परमेश्वर, केवल आप जानते हैं कि यह हो सकता है या नहीं।”
\p
\s5
\v 4 तब उन्होंने मुझसे कहा, “इन हड्डियों को मेरी ओर से एक सन्देश सुना। उनसे कह, ‘तुम हे सूखी हड्डियों, यहोवा जो कहते हैं वह सुनो।
\v 5 यही है जो, यहोवा परमेश्वर, तुम हड्डियों से कहते हैं: मैं तुम में से हर एक में अपनी साँस डालूँगा, और तुम फिर से जीवित हो जाओगे।
\v 6 मैं तुम्हारी हड्डियों पर पट्टी बाँधूँगा और तुम्हारी हड्डियों को माँस से ढँक दूँगा। मैं माँस को त्वचा से ढकूँगा। तब मैं तुम्हारे भीतर साँस समवाऊँगा, और तुम जीवित हो जाओगे। जब ऐसा होगा, तब तुम जान लोगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।’”
\p
\s5
\v 7 इसलिए मैंने हड्डियों से बात की जैसा यहोवा ने मुझे बोलने का आदेश दिया था। जैसे कि मैं बोल रहा था, वहाँ एक शोर था, थरथराहट की आवाज थी, और हड्डियाँ एक साथ आईं, हड्डियाँ एक दूसरे से जुड़ रही थीं।
\v 8 जब मैं देख रहा था, मैंने देखा कि उनकी नसें आपस में बंध रही थीं और माँस उन्हें ढाँक रहा था, और फिर त्वचा ने माँस को ढाँक लिया, परन्तु वे साँस नहीं ले रहे थे।
\p
\s5
\v 9 तब उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, मेरी ओर से हवा के लिए एक सन्देश सुना। हवा से कह, ‘हे हवा, यहोवा तुझसे कहते हैं, चारों दिशाओं से बह। इन लोगों में साँस डाल जो मारे गए हैं, कि वे फिर से जीवित हो सकें।’”
\v 10 इसलिए मैंने वह कह दिया जो कि उसने मुझे कहने का आदेश दिया था, और फिर साँस ने उनमें प्रवेश किया, और वे साँस लेने लगे। वे जीवित हो गए और एक विशाल सेना के समान खड़े हो गए।
\p
\s5
\v 11 तब उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियाँ सब इस्राएली लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं। लोग कहते हैं, ‘ऐसा लगता है जैसे मानों हमारी हड्डियाँ सूख गई हैं; हम अब कुछ भी अच्छे की आशा नहीं कर सकते; हमारा देश नष्ट हो गया है।’
\v 12 इसलिए मेरे सन्देश को उन्हें सुना कर कह, ‘यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं: हे मेरे लोगों, यह ऐसा होगा जैसे कि मैं तुम्हारी कब्रों को खोलूँगा और तुम्हारी लाशों को फिर से जीवित होने दूँगा। मैं तुमको वापस इस्राएल लाऊँगा।
\s5
\v 13 तब जब ऐसा होता है, तब तुम मेरे लोग यह जानोगे कि मुझ, यहोवा ने यह किया है।
\v 14 मैं अपनी आत्मा को तुम्हारे भीतर रखूँगा, और ऐसा होगा जैसे तुम फिर से जीवित हो जाओगे, और मैं तुमको फिर से अपने देश में रहने में समर्थ करूँगा। तब तुम यह जानोगे कि यह मैं, यहोवा, हूँ जिसने कहा था कि ऐसा होगा और जिसने ऐसा होने दिया है। यही है जो मैं, यहोवा, घोषणा करता हूँ।’”
\p
\s5
\v 15 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा,
\v 16 “हे मनुष्य के पुत्र, लकड़ी की छड़ी ले और उस पर लिख, ‘यह यहूदा और यहूदा के सब गोत्रों का प्रतिनिधित्व करती है।’ फिर एक और छड़ी ले और उस पर लिख, ‘यह इस्राएल और इस्राएल के सब गोत्रों का प्रतिनिधित्व करती है।’
\v 17 फिर उनको एक साथ ऐसा जोड़ जैसे कि वे तेरे हाथ में एक बड़ी लकड़ी बन जाएँ।
\p
\s5
\v 18 जब तेरे साथी इस्राएली तुझसे पूछें, ‘इस कार्य का क्या अर्थ है?,
\v 19 उन्हें बता, ‘यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं: यहेजकेल के हाथ में लकड़ी का एक टुकड़ा इस्राएल और इस्राएल के सब गोत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। मैं इसको लकड़ी के उस टुकड़े के साथ जोड़ रहा हूँ जो यहूदा का प्रतिनिधित्व करता है, कि इसे उसके हाथ में एक छड़ी बना सकूँ।’
\v 20 तब, हे मनुष्य के पुत्र, लकड़ी के उन टुकड़ों को पकड़ जिन पर तू ने लिखा है, कि लोग उन्हें देख सकें।
\s5
\v 21 लोगों से कह, ‘यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं: मैं तुम इस्राएली लोगों को उन देशों से बाहर निकाल लाऊँगा जिनमें जाने के लिए तुमको विवश किया गया था। मैं तुमको उन सब देशों से वापस ला कर तुम्हारे अपने देश में एकत्र करूँगा।
\v 22 और मैं तुमको फिर से इस्राएल के पर्वतों पर अपने देश में एक राष्ट्र बनने दूँगा। और तुम सब पर शासन करने के लिए एक राजा होगा। फिर कभी भी तुम दो राष्ट्र नहीं होगे या दो साम्राज्यों में विभाजित नहीं होगे।
\v 23 तब तुम मूर्तियों की और अपने देवताओं की घृणित प्रतिमाओं की उपासना करके स्वयं को अपवित्र नहीं करोगे, क्योंकि मैं तुमको पाप करना बन्द करने और मुझे अस्वीकार करना बन्द करने में समर्थ करूँगा। तुम मेरे लोग होगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।’
\p
\s5
\v 24 वह राजा जो तुम्हारे वंशजों पर शासन करेगा वह सदा ही राजा दाऊद के परिवार से आएगा। दाऊद वह जन था जिसने मेरी अच्छी सेवा की थी। और वह उनके लिए एक चरवाहा जैसा होगा। वे मेरे सब नियमों का सावधानी से पालन करेंगे।
\v 25 वे उस देश में रहेंगे जो मैंने याकूब को दिया था, उसने भी मेरी अच्छी सेवा की थी; वे उस देश में रहेंगे जहाँ तुम्हारे पूर्वज रहते थे। वे और उनके बच्चे और उनके नाती पोते सदा के लिए वहाँ रहेंगे, और जो राजा दाऊद के समान होगा वह सदा के लिए उनका राजा होगा।
\s5
\v 26 मैं उन्हें शान्ति देने के लिए उनके साथ एक वाचा बाँधूँगा; यह सदा की वाचा होगी और अटल होगी। मैं उन्हें फिर से वह देश दूँगा और उनकी जनसंख्या को बढ़ाऊँगा। और मैं अपने भवन को सदा के लिए उनके बीच रखूँगा।
\v 27 मेरा घर, जहाँ मैं रहता हूँ, उनके बीच में होगा; मैं उनका परमेश्वर होऊँगा, और वे मेरे लोग होंगे।
\v 28 तब, जब मेरा भवन फिर से वहाँ उनके बीच होगा, तब सब राष्ट्रों के लोग जान पाएँगे कि मुझ, यहोवा ने मेरे सम्मान के लिए इस्राएल को अलग किया है।”
\s5
\c 38
\p
\v 1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने मुझसे कहा,
\v 2 “हे मनुष्य के पुत्र, मुड़ जा और मागोग की ओर मुँह कर, वह देश जहाँ का राजा गोग है। वह मेशेक और तूबल के राष्ट्रों का शासक भी है। उसके साथ होने वाली भयानक घटनाओं के विषय में मेरे सन्देश की घोषणा कर।
\v 3 यह कह: ‘यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं: हे गोग, तुम जो मेशेक और तूबल पर शासन करते हो, मैं तुम्हारा शत्रु हूँ।
\s5
\v 4 यह ऐसा होगा जैसे मानों मैं तुमको चारों ओर घुमा दूँगा और तुम्हारे जबड़ों में नकेल डालूँगा और तुमको इस्राएल में लाऊँगा तुमको और तुम्हारी उस सारी सेना समेत, जिसमें तुम्हारे घोड़े और हथियार लिए हुए पुरुष जो उन घोड़ों की सवारी करते हैं, और बहुत से अन्य सैनिक जो बड़ी ढाल और छोटी ढाल लिए हुए हैं, वे सब तलवारें लिए हुए हैं।
\v 5 तुम्हारे सैनिकों में फारस, इथियोपिया और पूत की सेनाएँ भी हैं, वे सब ढाल लिए हुए और टोप पहने हुए हैं -
\v 6 साथ ही गोमेर के सब सैनिक और तोगर्मा की सेना ये दोनों देश जो इस्राएल से दूर उत्तर में हैं। बहुत से देशों की सेनाएँ तुम्हारे साथ आएँगी।’
\p
\s5
\v 7 गोग को यह बता: ‘तैयार हो जा, और उन सब सैनिकों का सरदार बनने के लिए तैयार रह।
\v 8 भविष्य में एक समय, यहोवा तुमको इस्राएल पर आक्रमण करने के लिए उन सेनाओं का नेतृत्व करने का आदेश देगा, एक ऐसा देश जिसकी इमारतों को युद्धों में नष्ट हो जाने के बाद फिर से बनाया गया है। उनके लोगों को इस्राएल की उन पहाड़ियों पर फिर से रहने के लिए कई राष्ट्रों से वापस लाया गया है, जहाँ कोई भी लम्बे समय से नहीं रहा था। यहोवा इस्राएलियों को अन्य देशों से वापस लाएगा, और वे शान्ति से रहेंगे।
\v 9 तुम और कई राष्ट्रों की वे सारी सेनाएँ एक बड़े तूफान के समान आगे बढ़कर इस्राएल जाएँगी। तुम्हारी सेना एक विशाल बादल के समान होगी जो भूमि को ढाँक लेता है।
\p
\s5
\v 10 परन्तु मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: उस दिन, तुम कुछ बहुत बुरा करने की योजना बनाओगे।
\v 11 तुम स्वयं से यह कहोगे: “मेरी सेना एक ऐसे देश पर आक्रमण करेगी जिसके गाँवों के पास चारों ओर दीवारें नहीं हैं। हम ऐसे लोगों पर आक्रमण करेंगे जो शान्तिपूर्ण हैं और सोचते हैं कि कोई भी उन्हें हानि नहीं पहुँचाएगा। उनके नगरों और गाँवों में फाटक और सलाखों वाली दीवारें नहीं हैं।
\v 12 इसलिए हमारे लिए इन लोगों पर आक्रमण करना सरल होगा। यह वे लोग हैं जो कई देशों से एक साथ वापस आए हैं जहाँ वे कई वर्षों से रहते थे, ऐसे लोग जो अभी अपने देश में अपने सब पशुओं और सम्पत्ति के साथ सुरक्षित रूप से रहते हैं। वे ऐसे देश में रह रहे हैं जो संसार के सबसे महत्वपूर्ण देशों के बीचों बीच में है। हमारे सैनिक उनकी मूल्यवान सम्पत्ति को दूर ले जाएँगे।”
\s5
\v 13 तब शेबा और ददान के लोग और तर्शीश के व्यापारी आएँगे और तुमसे कहेंगे, “क्या तुम इस्राएलियों पर आक्रमण करने और उनका सारा चाँदी और सोना ले लेने के लिए अपने सब सैनिकों को एकत्र कर रहे हो? क्या तुम उनके पशुओं और उनकी अन्य सब मूल्यवान सम्पत्ति को ले लेने की योजना बनाते हो?”
\p
\s5
\v 14 इसलिए, हे मनुष्य के पुत्र, गोग के विषय में मेरा सन्देश ले जा और उससे कह, ‘यहोवा परमेश्वर यह कहते हैं: उस समय, जब मेरे इस्राएल के लोग सुरक्षित रूप से रह रहे हों, तब तुम निश्चित रूप से उनके विषय में सोचोगे।
\v 15 तुम इस्राएल के दूर उत्तर के अपने स्थान से बहुत से अन्य राष्ट्रों की सेनाओं के साथ आओगे, एक बड़ी सेना के साथ, जिसमें सब घोड़ों की सवारी करने वाले हैं।
\v 16 तुम मेरे इस्राएली लोगों की ओर बढ़ोगे, और तुम्हारे सैनिक भूमि को एक विशाल बादल के समान ढाँक लेंगे। हे गोग, मैं तेरी सेना को उस देश पर आक्रमण करने के लिए लाऊँगा जो मेरा है, परन्तु मैं तेरे साथ जो करूँगा, वह अन्य राष्ट्रों के लोगों को दिखाएगा कि मैं पवित्र हूँ।
\p
\s5
\v 17 मैं, यहोवा परमेश्वर, गोग से यही कहता हूँ: पिछले वर्षों में, जब मैंने अपने सेवकों, इस्राएल के भविष्यद्वक्ताओं को सन्देश दिए, तो वे सन्देश तुम्हारे विषय में थे। उस समय, उन्होंने कई वर्षों तक कहा कि अपने लोगों पर आक्रमण करने के लिए मैं तुम्हारी सेनाओं को लाऊँगा।
\v 18 इसलिए, यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, कहता हूँ कि होगा: जब तेरी सेना इस्राएल पर आक्रमण करेगी, तो मैं तुझसे बहुत क्रोधित हो जाऊँगा।
\s5
\v 19 मैं क्रोधित हो जाऊँगा, और यह दिखाने के लिए कि मैं क्रोधित हूँ, इस्राएल में उस स्थान में एक बड़ा भूकम्प होगा, जहाँ तुम्हारी सेनाएँ होंगी।
\v 20 जो मैं करूँगा उसके कारण समुद्र की मछलियाँ, पक्षी, जंगली जानवर, और ऐसे जानवर जो भूमि पर रेंगते हैं, और धरती पर रहने वाले सब लोग घबरा जाएँगे। पर्वत गिर जाएँगे, चट्टानें टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगी, और हर स्थान की दीवारें भूमि पर गिर जाएँगी।
\s5
\v 21 हे गोग, देश के सब पर्वतों पर जो मेरे हैं, मैं तेरे सैनिकों को एक दूसरे के विरुद्ध लड़वा दूँगा।
\v 22 मैं तुझको और तेरे सैनिकों को विपत्तियों से दण्ड दूँगा, और मैं उन्हें मार दूँगा। मैं तुझ पर और तेरी सेना पर जो कई देशों से आईं हैं, आकाश से भारी मात्रा में वर्षा, ओले और जलते हुए गन्धक को नीचे गिराऊँगा।
\v 23 इस प्रकार, मैं कई राष्ट्रों के लोगों पर यह प्रकट होने दूँगा कि मैं बहुत महान हूँ, और मैं उन्हें अपनी पवित्रता दिखाऊँगा। और वे देखेंगे कि मैं कौन हूँ और वे जान जाएँगे कि मैं यहोवा हूँ।”
\s5
\c 39
\p
\v 1 यहोवा ने मुझसे कहा, हे मनुष्य के पुत्र, मेरी ओर से गोग के साथ होने वाली भयानक घटनाओं के विषय में कह। यह कह: ‘हे गोग, तू जो मेशेक और तूबल पर शासन करता है, मैं तेरा शत्रु हूँ।
\v 2 मैं तुझे चारों ओर घुमा दूँगा और तुझको और तेरी सेनाओं को इस्राएल के दूर उत्तर से लाऊँगा और तुझे युद्ध करने के लिए इस्राएल के पर्वतों पर भेजूँगा।
\v 3 जब तुम वहाँ हो, तो मैं तुम्हारे बाएँ हाथों से तुम्हारे धनुषों को छीन लूँगा और तुम्हारे तीरों को तुम्हारे दाहिने हाथों से गिरा दूँगा।
\s5
\v 4 तुम और तुम्हारे साथ रहने वाले सब सैनिक इस्राएल के पर्वतों पर मर जाएँगे। मैं तुम्हारे शवों को उन पक्षियों का जो मरे हुओं का माँस खाते हैं, और जंगली जानवरों का भोजन होने के लिए दूँगा।
\v 5 तुम खुले मैदानों में मर जाओगे। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा परमेश्वर ने कहा है कि यह होगा।
\v 6 मैं मागोग में और उन सब लोगों के लिए जो अपने तट के पास के क्षेत्रों में सुरक्षित रहते हैं बहुत सी आग को जलाऊँगा, और वे जान जाएँगे कि मुझ, यहोवा, में वह करने की शक्ति है जो मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा।
\p
\s5
\v 7 मैं अपने इस्राएली लोगों को यह जानने में समर्थ करूँगा कि मैं पवित्र हूँ। अब मैं उन्हें मेरा उपहास करने की अनुमति नहीं दूँगा, और अन्य देशों की जातियाँ जान लेंगी कि मैं, यहोवा हूँ, वह परमेश्वर जिसकी इस्राएल आराधना करता है और सम्मान करता है।
\v 8 वह दिन बड़ी तेजी से आ रहा है। मैं, यहोवा परमेश्वर, यह घोषणा करता हूँ कि ये बातें शीघ्र ही हो जाएँगी।
\p
\s5
\v 9 उस समय, जो लोग इस्राएल के नगरों में रहते हैं वे बाहर निकल जाएँगे और मरे हुए सैनिकों के हथियारों को एकत्र करेंगे, और उनका उपयोग अपना भोजन पकाने को आग जलाने के लिए करेंगे। वे छोटी और बड़ी ढालों को, धनुषों और तीरों को, युद्ध के डण्डों को, और भालों को जला देंगे। सात वर्ष तक जलाने वाली लकड़ी के रूप में उपयोग करने के लिए पर्याप्त हथियार होंगे।
\v 10 उन्हें खेतों से जलाने वाली लकड़ी को एकत्र करने की आवश्यकता नहीं होगी या जंगलों में पेड़ों से लकड़ी काटने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि वे हथियार जलाने वाली लकड़ी होंगे जिनकी उनको आवश्यकता होगी। और वे उन लोगों से मूल्यवान वस्तुएँ ले लेंगे जिन्होंने उनसे मूल्यवान वस्तुएँ ली थीं, और उन लोगों से उन वस्तुओं को चुरा लेंगे जिन्होंने उनसे वस्तुएँ चुरा ली थीं। यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, घोषणा करता हूँ कि होंगी।
\p
\s5
\v 11 उस समय मैं मृत सागर के पूर्व की घाटी में, तुझ गोग और तेरे सैनिकों के लिए एक कब्रिस्तान तैयार करूँगा। वह कब्रिस्तान उस सड़क को बन्द कर देगा जिस पर आमतौर पर यात्री चलते हैं, क्योंकि तू, गोग और तेरी विशाल सेना के सब सैनिकों को वहाँ दफनाया जाएगा। इसलिए इसे हमोना गोग की घाटी का नाम दिया जाएगा।
\p
\s5
\v 12 सात महीने तक इस्राएल के लोग तुम्हारे शवों को दफन करेंगे। उन सबको दफनाना आवश्यक होगा, कि किसी भी बिना दफनाए छोड़े गए शवों के कारण देश अशुद्ध न हो जाए।
\v 13 इस्राएल के सब लोग उन्हें दफनाने का कार्य करेंगे। जिस दिन मैं वह विजय प्राप्त करूँगा, उस दिन वे मुझे सम्मान देंगे और वे उस दिन को सदा स्मरण रखेंगे।
\p
\s5
\v 14 उन सात महीनों के समाप्त होने के बाद, इस्राएली लोग बचे हुए शवों को दफनाने के लिए पूरे देश में जाने के लिए मनुष्यों को नियुक्त करेंगे, कि देश अशुद्ध न रहे।
\v 15 जब वे देश में जाते हैं, और उनमें से कोई मनुष्य हड्डी को देखता है, तो वह इसके पास एक चिन्ह लगा देगा। जब कब्रों की खुदाई करने वाले उन चिन्हों को देखते हैं, तो वे हड्डियों को उठाएँगे और उन्हें हमोना गोग की घाटी में दफन कर देंगे।
\v 16 वहाँ हमोना नाम का एक शहर होगा। और शवों को दफनाने के इस कार्य से, वे भूमि को शुद्ध करेंगे।’”
\p
\s5
\v 17 यहोवा ने मुझसे कहा, हे मनुष्य के पुत्र, मैं, यहोवा परमेश्वर यही कहता हूँ: हर प्रकार के पक्षियों और जंगली जानवरों को बुला। उनसे कह, ‘हर जगह से एक साथ एकत्र होकर उस भोज में आओ जो यहोवा तुम्हारे लिए तैयार कर रहा है। यह इस्राएल के पर्वतों पर एक बड़ा भोज होगा। वहाँ तुम मनुष्यों का माँस खाओगे और उनका खून पीओगे।
\v 18 तुम शक्तिशाली सैनिकों का माँस खाओगे और राजाओं का खून पीओगे जैसे कि वे बाशान के क्षेत्र के मोटे जानवर थे जैसे कि वे नर भेड़ें, मेम्ने, बकरियाँ और बैल थे।
\s5
\v 19 उस भोज में जो यहोवा तुम्हारे लिए तैयार कर रहा है, तुम चर्बी खाओगे जब तक कि तुम्हारा पेट भर न जाए, और तुम खून पीओगे जब तक कि ऐसा न लगे कि तुम नशे में हो।
\v 20 यह ऐसा होगा जैसे मानों तुम एक मेज पर खा रहे हो जिसे मैंने तुम्हारे लिए लगाया है। तुम घोड़ों का और उनके सवारों का माँस, हर तरह के बलवन्त सैनिकों का माँस जितना चाहोगे उतना खाओगे। यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 21 ‘मैं सब जातियों के लोगों को दिखाऊँगा कि मैं शक्तिशाली हूँ, और सब जातियाँ देखेंगी कि मैं उन्हें कैसे दण्ड देता हूँ।
\v 22 उस समय, इस्राएली लोग जान जाएँगे कि उनके परमेश्वर मुझ, यहोवा, में, जो कुछ मैं कहता हूँ कि मैं करूँगा, वह करने की शक्ति है।
\s5
\v 23 और अन्य देशों के लोगों को पता चलेगा कि इस्राएलियों को अन्य देशों में जाने के लिए इसलिए विवश होना पड़ा था कि उन्होंने मेरे प्रति विश्वासयोग्यता नहीं निभाने के कारण पाप किया था। मैं उनसे दूर हो गया, और मैंने उनके शत्रुओं को उन्हें पकड़ने और उनमें से बहुतों को मार डालने की अनुमति दी।
\v 24 मैंने उन्हें उनके घृणित व्यवहार और पापों के कारण दण्ड दिया जिसके वे योग्य थे और मैं उनसे दूर हो गया था।
\p
\s5
\v 25 इसलिए, अब मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: अब मैं याकूब के वंशजों को बन्धुआई में से वापस ले आऊँगा; मैं सब इस्राएली लोगों पर दया करूँगा, और मैं यह भी सुनिश्चित करूँगा कि वे मेरा सम्मान करें।
\v 26 जब इस्राएली लोग अपने ही देश में वापस आ जाएँगे, तब वे अपने देश में सुरक्षित रहेंगे, उन्हें डराने के लिए कोई भी नहीं होगा। वे अपमानजनक और विश्वासघाती कार्यों को भूल जाएँगे जो उन्होंने पहले किए थे।
\v 27 जब मैं उन्हें उनके शत्रुओं के देशों से वापस ले आऊँगा और उन्हें इस्राएल में एक साथ एकत्र करूँगा, तो कई जातियों के लोग जान जाएँगे कि मैंने अपने लोगों के लिए जो किया है, उसके कारण मैं कितना पवित्र हूँ।
\s5
\v 28 इस्राएलियों को पता चलेगा कि मुझ, यहोवा, ने यह किया है। उन्हें पता चलेगा कि मैंने ही उन्हें अन्य देशों में जाने के लिए विवश किया था, और फिर मैंने उन्हें अपने देश में एक साथ एकत्र भी किया। मैं उनमें से किसी को भी उन देशों में नहीं छोड़ूँगा।
\v 29 मैं अब उनसे दूर नहीं जाऊँगा; मैं इस्राएली लोगों को अपना आत्मा दूँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा परमेश्वर, ने यह कहा है।”
\s5
\c 40
\p
\v 1 बाबेल के लोगों द्वारा हम इस्राएलियों को उनके देश में ले जाने के लगभग पच्चीस वर्ष बाद, उस वर्ष के पहले महीने के दसवें दिन, यरूशलेम के नष्ट किए जाने के लगभग चौदह वर्ष बाद, यहोवा ने मुझे अपनी शक्ति से पकड़ लिया, और वह मुझे एक दर्शन में इस्राएल ले गए।
\v 2 उन्होंने मुझे एक बहुत ऊँचे पर्वत पर खड़ा किया। उस पर्वत के दक्षिण की ओर कुछ ऐसी इमारतें थीं जो किसी शहर के एक भाग के समान दिखती थीं।
\s5
\v 3 जब वह मुझे वहाँ ले गए, तो मैंने एक पुरुष को देखा जो पीतल का सा बना हुआ दिखाई देता था। वह शहर के फाटक के भीतर खड़ा था, और वह अपने हाथ में एक सनी की डोरी और एक मापने वाली छड़ी पकड़े हुए था।
\v 4 उन्होंने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, जो कुछ मैं तुझे दिखाने जा रहा हूँ, उसे सावधानी से देख, और जो कुछ मैं कहता हूँ और जो कुछ मैं तुझे दिखाऊँगा, उस पर ध्यान देना, क्योंकि यही कारण है कि परमेश्वर तुझे यहाँ लाए हैं। और तब जो कुछ भी तू ने यहाँ देखा है वह इस्राएली लोगों को बताना होगा।”
\p
\s5
\v 5 दर्शन में मैंने देखा कि एक दीवार थी जिसने पूरी तरह से मन्दिर क्षेत्र को घेरा हुआ था। उस पुरुष के हाथ में मापने वाली छड़ी तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर लम्बी थी। उसने दीवार को माप लिया और यह तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर मोटी और तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर ऊँची थी।
\p
\v 6 तब वह मन्दिर के पूर्व की ओर मन्दिर की दीवार के फाटक पर गया। वह सीढ़ियों से चढ़ गया और मुख्य फाटक को माप लिया जो बाहर की ओर खुलता था; यह तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर गहरा था।
\v 7 इसके बाद, वहाँ मन्दिर के सुरक्षाकर्मियों के लिए कोठरियाँ थीं, प्रत्येक तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर लम्बी और गहरी थी। प्रत्येक कोठरी के बीच की दीवार की दूरी दो और तीन चौथाई मीटर थी। मुख्य फाटक जो भीतर की ओर खुलता था, जो मन्दिर के बरामदे की ओर ले जाता था, वह भी तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर गहरा था।
\p
\s5
\v 8 फिर उसने बरामदे को माप लिया जो फाटक के बाद था; यह तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर लम्बा था।
\v 9 उसने गहराई को भी माप लिया, जो तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर थी। दोनों ओर के द्वारों के चौखट एक-एक मीटर मोटे थे। यह बरामदा मन्दिर के फाटक से जुड़ा हुआ मन्दिर के फाटक के भीतर की ओर था।
\v 10 पूर्व द्वार के भीतर द्वार के प्रत्येक किनारे पर पहरेदारों के लिए तीन कोठरियाँ थीं। उन सबकी एक ही लम्बाई और गहराई थी। और उनके बीच की दीवार की दूरी एक जैसी थी।
\p
\s5
\v 11 फिर उसने फाटक की चौड़ाई को मापा; यह पाँच मीटर, चार सेन्टी मीटर चौड़ा था, और फाटक से प्रवेश मार्ग सात मीटर लम्बा था।
\v 12 कोठरियों के सामने चलने वाला स्थान एक नीची दीवार थी जो आधा मीटर ऊँची थी। प्रत्येक कोठरी सभी ओर से तीन मीटर, दो सेन्टी मीटर थी।
\v 13 तब उस पुरुष ने एक ओर की कोठरी की छत से ले कर, दूसरी ओर की कोठरी की छत तक मुख्य फाटक की चौड़ाई मापी। एक कोठरी के प्रवेश से दूसरे की दूरी साढ़े तेरह मीटर थी।
\s5
\v 14 तब उस पुरुष ने दीवार को मापा जो कोठरियों को एक दूसरे से अलग करती थी; यह बत्तीस मीटर लम्बी थी। उन्होंने उन्हें फाटक के बरामदे तक माप दिया।
\v 15 फाटक के प्रवेश द्वार से दूर बरामदे के अन्त तक की दूरी सत्ताईस मीटर थी।
\v 16 सब कोठरियों की दीवारों में, और कोठरियों के बीच की भीतरी दीवारों में छोटी-छोटी खिड़कियाँ थीं। बरामदे के भीतर की ओर भी इसी के जैसी खिड़कियाँ थीं। कोठरियों के बीच चलने वाली दीवार को खजूर के पेड़ों की नक्काशी के साथ सजाया गया था।
\p
\s5
\v 17 तब वह पुरुष मुझे मन्दिर के बाहरी आँगन में लाया। वहाँ मैंने कुछ कमरे और आँगन में एक पत्थर का फर्श देखा। वहाँ आँगन के सामने तीस कमरे थे।
\v 18 पत्थर का फर्श आँगन में चारों ओर था, और फाटक के प्रवेश द्वार के बराबर ही दीवारों से आँगन में फैला हुआ था। वह निचला फर्श था।
\v 19 तब उस पुरुष ने बाहरी द्वार और भीतरी आँगन के बीच, मन्दिर के बाहरी आँगन में दूरी को माप लिया; यह पूर्व की ओर चौवन मीटर थी, और उतनी ही दूरी आँगन के उत्तर की ओर थी।
\p
\s5
\v 20 फिर उसने मापा कि उत्तर की ओर प्रवेश द्वार कितना लम्बा और कितना चौड़ा था, जो मन्दिर परिसर के बाहरी आँगन का प्रवेश द्वार था।
\v 21 उस मुख्य फाटक के प्रत्येक ओर पहरेदारों के लिए तीन कोठरियाँ थीं। मुख्य फाटक से उनके बरामदे के अन्त तक सत्ताईस मीटर था, और वे साढ़े तेरह मीटर चौड़े थे।
\s5
\v 22 इसमें पूर्वी द्वार के जैसे ही खिड़कियाँ, बरामदा, पहरेदारों की कोठरियाँ, और खजूर के पेड़ की सजावट थी। पूर्वी द्वार के समान, इस पर और इसके बरामदे में जाने के लिए सात सीढ़ियाँ थीं।
\v 23 बाहरी आँगन से होकर उत्तरी द्वार से एक द्वार भीतरी आँगन की ओर खुलता था, जैसा कि पूर्व की ओर था। उस पुरुष ने उत्तरी द्वार से उस द्वार तक जो भीतरी आँगन की ओर खुलता था, दूरी को मापा; यह दूरी चौवन मीटर थी।
\p
\s5
\v 24 तब वह मुझे दक्षिणी मुख्य फाटक से होते हुए भीतरी आँगन में लाया, और उसने प्रवेश द्वार को मापा। यह अन्य मुख्य फाटकों के माप के बराबर ही था। इसकी कोठरियाँ, कोठरियों के बीच इसकी दीवारें, और इसके प्रवेश कक्ष के माप दूसरी ओर के मापों के बराबर ही था।
\v 25 मुख्य फाटक और इसके बरामदे में दीवारों के साथ छोटी खिड़कियाँ थीं, जैसी दूसरी ओर थीं। मुख्य फाटक और इसके बरामदे का माप पच्चीस मीटर लम्बा और साढ़े तेरह मीटर चौड़ा था।
\s5
\v 26 उस द्वार पर और उसके बरामदे तक जाने वाली वहाँ सात सीढ़ियाँ थीं। इसमें दीवारों पर खजूर के पेड़ की नक्काशी भी थी जो कमरे के बीच थी।
\v 27 बाहरी आँगन के दूसरी ओर दक्षिण द्वार से भीतरी आँगन में खुलने वाला एक द्वार था। उस पुरुष ने मुख्य फाटक से बाहरी आँगन के दक्षिण की ओर प्रवेश द्वार तक मापा; यह भी चौवन मीटर था।
\p
\s5
\v 28 तब वह पुरुष दक्षिण प्रवेश द्वार से होकर मुझे भीतरी आँगन में ले गया, और उसने दक्षिण प्रवेश द्वार को मापा। इसका माप अन्य द्वारों के समान ही था।
\v 29 उसने उसकी कोठरियों को, इसकी दीवारों को और उसके बरामदे को उसी मापने वाले मानकों के साथ मापा जिसका वह उपयोग कर रहा था। फाटक और इसकी बरामदे में चारों ओर खिड़कियाँ थीं। फाटक और उसके बरामदे का माप सत्ताईस मीटर लम्बा और साढ़े तेरह मीटर चौड़ा था।
\v 30 भीतरी द्वार के बरामदे, जो भीतरी आँगन की ओर खुलते थे, लगभग साढ़े तेरह मीटर लम्बे और दो और तीन चौथाई मीटर चौड़े थे।
\v 31 बरामदे के प्रवेश द्वार का मुँह बाहरी आँगन की ओर खुलता था। खजूर के पेड़ों की नक्काशी से दीवारों को सजाया गया था, और इसके ऊपर ले जाने के लिए आठ सीढ़ियाँ थीं।
\p
\s5
\v 32 तब वह पुरुष मुझे भीतरी आँगन के पूर्व की ओर ले गया, और उसने द्वार का माप लिया। इसका माप अन्य द्वारों के समान था।
\v 33 इसकी कोठरियों, दीवारों और बरामदे को दूसरों के समान ही मापा गया था। फाटक और उसके बरामदे में चारों ओर खिड़कियाँ थीं। फाटक और उसके बरामदे का माप सत्ताईस मीटर लम्बा और साढ़े तेरह मीटर चौड़ा था।
\v 34 उसके बरामदे का मुँह बाहरी आँगन की ओर खुलता था। खजूर के पेड़ों की नक्काशी से दीवारों को सजाया गया था, और इसके ऊपर ले जाने के लिए आठ सीढ़ियाँ थीं।
\p
\s5
\v 35 फिर वह मुझे उत्तर की ओर प्रवेश द्वार तक ले गया और उसका माप लिया। इसका माप अन्य प्रवेश द्वारों के समान ही था।
\v 36 और उनकी कोठरियों और दीवारों के बीच और प्रवेश कक्ष की सब दीवारों में छोटी खिड़कियाँ थीं। इन सबका माप अन्य द्वारों के समान ही था। फाटक और इसकी बरामदे में चारों ओर खिड़कियाँ थीं। फाटक और इसकी बरामदे का माप सत्ताईस मीटर लम्बा और साढ़े तेरह मीटर चौड़ा था।
\v 37 इसके बरामदे का मुँह बाहरी आँगन की ओर था। खजूर के पेड़ों की नक्काशी से दीवारों को सजाया गया था, और इसके ऊपर ले जाने के लिए आठ सीढ़ियाँ थीं।
\p
\s5
\v 38 प्रत्येक भीतरी प्रवेश द्वार में एक द्वार वाला कमरा था। वह वे कमरे थे जहाँ उन जानवरों के शवों को धोया जाता था जो वेदी पर पूरी तरह से जला दिए जाने के लिए थे।
\v 39 प्रत्येक बरामदे में चार मेज थीं, प्रत्येक ओर दो मेज। उन मेजों पर उन जानवरों को वध किया जाता था जो पूरी तरह से जला दिए जाने के लिए थे, साथ ही वे जानवर जो लोगों द्वारा किए गए पापों के चढ़ावे के लिए हैं, और ऐसे चढ़ावे जो अन्य लोगों के विरुद्ध पाप करने के लिए उनके अपराध को स्वीकार करते थे।
\s5
\v 40 भीतरी आँगन के एकदम बाहर, उसके उत्तरी द्वार के ऊपर तक जाने वाली सीढ़ियों के बाईं ओर, दो मेज थीं, और सीढ़ियों के दाएँ ओर दो और मेज थीं।
\v 41 प्रत्येक भीतरी आँगन के द्वार के बाहर की ओर चार मेज थीं, और वहाँ भीतर की ओर भी चार मेज थीं। इन मेजों पर बलि चढ़ाने वाले जानवरों को वध किया जाता था।
\s5
\v 42 वहाँ चढ़ावे की तैयारी के लिए कटे हुए पत्थर की चार मेज भी थीं जहाँ पूरी तरह से जला दिए जाने वाले पशुओं को वध किया जाता था, वे अस्सी सेन्टी मीटर लम्बे और आधा मीटर ऊँचे थे। याजक इन पत्थर की मेजों पर सब जानवरों का वध करने वाले औजारों को रखता था।
\v 43 चढ़ावे के लिए माँस उन पत्थर की मेजों पर रखा जाता था। वहाँ अंकुड़े थे जिन पर माँस को लटका दिया जाता था, प्रत्येक के दो दाँतों के साथ, प्रत्येक आठ सेंटीमीटर लम्बा, बरामदे की दीवारों में बाँधा हुआ।
\p
\s5
\v 44 दो मुख्य फाटकों के बाहर, भीतरी आँगन की ओर, वहाँ उन लोगों के लिए कमरे थे जो आराधना के समय गीत गाया करते थे, एक उत्तर की ओर था और एक दक्षिण की ओर था।
\v 45 उस पुरुष ने मुझसे कहा, “जिस कमरे के द्वार का मुँह दक्षिण की ओर है वह मन्दिर में कार्य कर रहे याजकों के लिए है।
\s5
\v 46 जिस कमरे के द्वार का मुँह उत्तर की ओर है वह उन याजकों के लिए है जो वेदी के कार्य पर प्रभारी हैं। वे सादोक के वंशज हैं; वे लेवी के एकमात्र वंशज हैं जिन्हें कार्य करते समय यहोवा के पास जाने की अनुमति है।”
\p
\v 47 फिर उसने आँगन को माप लिया; यह चौकोर, चौवन मीटर लम्बा और चौवन मीटर चौड़ा था। वेदी आराधनास्थल के सामने थी।
\p
\s5
\v 48 फिर वह मुझे आराधनास्थल के बरामदे में लाया और प्रवेश द्वार के प्रत्येक द्वार के पल्लों को और उनकी दीवारों को चारों ओर से मापा; वे लगभग दो और तीन चौथाई मीटर चौड़ी थीं। द्वार का मार्ग सात मीटर चौड़ा था और इसकी हर ओर के भाग एक मीटर, साठ सेन्टी मीटर चौड़े थे।
\v 49 बरामदा ग्यारह मीटर चौड़ा था, और इसकी गहराई प्रत्येक ओर से छः मीटर थी। इसके ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ थीं, और बरामदे की प्रत्येक ओर खम्भे थे।
\s5
\c 41
\p
\v 1 तब दर्शन में वह पुरुष मुझे आराधनालय के पवित्रस्थान में लाया और प्रवेश द्वार के दोनों ओर के द्वार के पल्लों को मापा; वे प्रत्येक तीन मीटर, बीस सेन्टी मीटर चौड़े थे।
\v 2 प्रवेश द्वार पाँच मीटर, चालीस सेन्टी मीटर चौड़ा था, और इसके प्रत्येक ओर की दीवारें दो मीटर, सत्तर सेन्टी मीटर लम्बी थीं। उसने पवित्रस्थान को भी मापा। वह बाईस मीटर चौड़ा और ग्यारह मीटर लम्बा था।
\p
\s5
\v 3 तब उसने मन्दिर के भीतरी कमरे, परम पवित्रस्थान में प्रवेश किया, और प्रवेश द्वार के दोनों ओर की दीवारों को मापा; प्रत्येक दीवार एक मीटर चौड़ी थी। द्वार का मार्ग तीन मीटर, बीस सेन्टी मीटर चौड़ा था, और प्रवेश द्वार के दोनों ओर की दीवारें तीन मीटर, अस्सी सेन्टी मीटर लम्बी थीं।
\v 4 फिर उसने भीतरी कमरे का माप लिया; यह ग्यारह मीटर लम्बा और ग्यारह मीटर चौड़ा था। तब उसने मुझसे कहा, “यह परम पवित्रस्थान है।”
\p
\s5
\v 5 फिर उसने मन्दिर की दीवार का माप लिया; यह तीन मीटर, बीस सेन्टी मीटर मोटी थी। मन्दिर की बाहरी दीवार के साथ कमरों की एक पंक्ति थी। उनमें से प्रत्येक कमरा दो मीटर चौड़ा था।
\v 6 वहाँ कमरों की तीन मंजिलें थीं, प्रत्येक मंजिल पर तीस कमरे थे। मन्दिर की दीवार के चारों ओर निकली हुई पट्टियाँ थीं जो ऊपरी कमरों को सहारा दिया करते थे। आराधनास्थल की दीवार में कोई अतिरिक्त सहारा नहीं बनाया गया था।
\v 7 भवन के आस-पास जो कोठरियाँ बाहर थीं, उनमें से जो ऊपर थीं, वे अधिक चौड़ी थीं; अर्थात् भवन के आस-पास जो कुछ बना था, वह जैसे-जैसे ऊपर की ओर चढ़ता गया, वैसे-वैसे चौड़ा होता गया; इस रीति, इस घर की चौड़ाई ऊपर की ओर बढ़ी हुई थी, और लोग निचली मंजिल के बीच से ऊपरी मंजिल को चढ़ सकते थे।
\p
\s5
\v 8 मैंने देखा कि मन्दिर के चारों ओर एक छत थी। छत उन भाग वाले कमरों की नींव थी; यह तीन मीटर, बीस सेन्टी मीटर ऊँची थी।
\v 9 उन भाग वाले कमरों की बाहरी दीवार दो और तीन चौथाई मीटर चौड़ी थी। आराधनास्थल के चारों ओर उन कमरों के बीच एक खुली जगह थी।
\s5
\v 10 वह खुली जगह याजकों के कमरों के निकट थी जो आँगन के चारों ओर थे; आराधनास्थल के चारों ओर दोनों ओर के कमरों की श्रृंखलाओं के बीच ग्यारह मीटर की दूरी थी।
\v 11 उन भाग वाले कमरों से दो द्वार एक ओर खुले क्षेत्र में थे; एक का मुँह उत्तर की ओर था और एक का मुँह दक्षिण की ओर था। यह खुला क्षेत्र दो और तीन चौथाई मीटर चौड़ा था।
\p
\s5
\v 12 मन्दिर क्षेत्र के पश्चिमी किनारे पर एक बड़ी इमारत थी। यह अड़तीस मीटर चौड़ी थी, और इसकी दीवार दो और तीन चौथाई मीटर चौड़ी थी और उनचास मीटर लम्बी थी।
\p
\v 13 तब उस मनुष्य ने मन्दिर का माप लिया। यह चौवन मीटर लम्बा था, और मन्दिर का आँगन, जहाँ बड़ी इमारत थी, चौवन मीटर चौड़ा था। इमारत और इसकी दीवार का माप एक ही था।
\v 14 मन्दिर के पूर्व में मन्दिर के सामने का आँगन भी चौवन मीटर चौड़ा था।
\p
\s5
\v 15 फिर उसने पश्चिम की ओर वाली इमारत का माप लिया। इसकी दीवारों सहित, यह भी चौवन मीटर लम्बी थी।
\p पवित्रस्थान की, परम पवित्रस्थान की, और बरामदे की बाहरी दीवारें,
\v 16 छोटी खिड़कियों के ऊपर और नीचे की, और सब मंजिलों पर छज्जों की भीतरी दीवारों को मापा इन सबको लकड़ी के तख्तों से ढाँका गया था।
\v 17 मन्दिर के भीतर की सब दीवारों को पंख वाले प्राणियों और खजूर के पेड़ों की नक्काशी से सजाया गया था; पंख वाले प्राणियों के बीच में खजूर के पेड़ की नक्काशी थी।
\s5
\v 18-19 प्रत्येक पंख वाले प्राणी के दो चेहरे थे। एक चेहरा एक मनुष्य का चेहरा था, और एक शेर का चेहरा था। उन आकृतियों को मन्दिर के भीतर की दीवारों पर नक्काशी करके बनाया गया था, और प्रत्येक चेहरा खजूर के पेड़ की नक्काशी को देखता था।
\v 20 फर्श से ले कर प्रवेश द्वार की ऊपरी दीवार तक सब पर करूब और खजूर के पेड़ खुदे हुए थे।
\p
\s5
\v 21 मन्दिर के मुख्य कमरे के प्रवेश द्वार पर चौकोर थे, सब दिखने में एक समान थे।
\v 22 परम पवित्रस्थान के सामने एक लकड़ी की वेदी थी। यह चारों ओर से एक मीटर तथा ऊँचाई में एक मीटर, साठ सेन्टी मीटर थी। इसके किनारे और आधार और कोने सब लकड़ी के बने हुए थे। उस पुरुष ने मुझसे कहा, “यह वह मेज है जो यहोवा की उपस्थिति में है।”
\v 23 पवित्रस्थान और परम पवित्रस्थान में मुड़ने वाले द्वार थे।
\v 24 प्रत्येक द्वार में दो-दो मुड़ने वाले पल्ले थे।
\s5
\v 25 इन द्वारों पर पंख वाले प्राणियों और खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी। आराधनास्थल के सामने बरामदे पर लकड़ी की छत भी थी।
\v 26 बरामदे की दोनों ओर की दीवारों पर खिड़कियों के किनारों पर नक्काशीदार खजूर के पेड़ की आकृतियों के साथ छोटी खिड़कियाँ थीं। मन्दिर के चारों ओर के भाग वाले कमरों में भी छतें निकली हुई थीं।
\s5
\c 42
\p
\v 1 फिर दर्शन में वह पुरुष मुझे उत्तर के द्वार के माध्यम से, भीतरी आँगन से बाहर ले गया। हमने बाहरी आँगन में प्रवेश किया और उन कमरों में आए जो उत्तरी बाहरी दीवार की ओर खुलते थे।
\v 2 उन कमरों के साथ वाली इमारत चौवन मीटर लम्बी और सत्ताईस मीटर चौड़ी थी।
\v 3 उस इमारत में कमरे थे जो भीतरी आँगन की ओर खुलते थे। उन कमरों और पवित्रस्थान, मुख्य मन्दिर के बीच की दूरी, ग्यारह मीटर थी। ये कमरे तीन मंजिलों पर बनाए गए थे। कमरों की प्रत्येक श्रृंखला के पास नीचे के कमरों की श्रृंखला के ऊपर एक रास्ता था। वहाँ ऐसे कमरे थे जहाँ से बाहरी आँगन का खुला क्षेत्र दिखाई देता था।
\s5
\v 4 कमरों के एक ओर एक रास्ता था जो पाँच मीटर, चालीस सेन्टी मीटर चौड़ा था और चौवन मीटर लम्बा था। कमरों के सारे द्वार उत्तर दिशा की ओर थे।
\v 5 कमरों की प्रत्येक श्रृंखला उनके नीचे के कमरों की श्रृंखला से कम चौड़ा था, क्योंकि प्रत्येक ऊपरी श्रृंखला के सामने एक चलने वाला रास्ता था।
\v 6 ऊपरी मंजिल के कमरों में उनके सहारे के लिए कोई खम्भे नहीं थे जैसे आँगन में थे, क्योंकि उन कमरों को नीचे के कमरों की दीवारों द्वारा सहारा दिया गया था।
\s5
\v 7 बाहरी दीवार कमरों के समानान्तर चलती थी, ये कमरे बाहरी आँगन की ओर खुलते थे; बाहरी दीवार का यह भाग सत्ताईस मीटर लम्बा था।
\v 8 बाहरी आँगन के साथ कमरों की पंक्ति सत्ताईस मीटर लम्बी थी, और उन कमरों की पंक्ति जो मन्दिर की ओर खुलते थे, चौवन मीटर लम्बी थी।
\v 9 नीचे की मंजिल का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर था जो बाहरी आँगन से आया था।
\p
\s5
\v 10 पूर्व की ओर पर, बाहरी आँगन की बाहरी दीवार के साथ, मन्दिर के आँगन के साथ में, वहाँ भी कमरों की एक श्रृंखला थी।
\v 11 वहाँ उनके सामने एक चलने का रास्ता था। ये कमरे उत्तर की ओर वाले कमरों के समान थे। उनकी लम्बाई और चौड़ाई उन्हीं के समान थी, और उसी तरह के प्रवेश द्वार भी थे।
\v 12 दक्षिण की ओर वाले कमरों में द्वार भी थे जो कि उत्तर की ओर वालों के समान थे। बाहरी द्वार के साथ एक भीतरी मार्ग था; मार्ग में सब कमरों के द्वार थे। मार्ग के पूर्वी छोर पर एक बाहरी द्वार था जो इसमें आता था।
\p
\s5
\v 13 तब उस पुरुष ने मुझसे कहा, “उत्तरी और दक्षिणी किनारे के कमरे जिनसे आराधनालय का पवित्रस्थान देखा जा सकता है, वे केवल यहोवा के विशेष उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर जो याजक यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाते हैं, वे उन भेंटों का अंश खाएँगे। क्योंकि यह कमरे विशेष हैं, उनका उपयोग यहोवा के लिए चढ़ाई गई भेंटों को रखने के लिए किया जाएगा: अन्न-बलि के लिए आटा, लोगों द्वारा किए गए पापों के निमित्त चढ़ाए जाने वाले बलिदानों के लिए, और उन बलिदानों के लिए जो लोग अपने पापों के लिए चढ़ाते हैं।
\v 14 जब याजक मन्दिर छोड़ देते हैं, तब उन्हें तुरन्त बाहरी आँगन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सबसे पहले उन्हें उन कपड़ों को उतार देना होता है जिन्हें वे पवित्रस्थान में पहने हुए थे, क्योंकि वे कपड़े विशेष हैं, जो उनके कार्य के लिए आरक्षित हैं। मन्दिर के उन स्थानों में प्रवेश करने से पहले उन्हें अन्य कपड़े पहनना होगा जहाँ अन्य लोग एकत्र होते हैं।”
\p
\s5
\v 15 जब वह पुरुष मन्दिर क्षेत्र को भीतर से मापने के कार्य को पूरा कर चुका, तब वह मुझे पूर्वी प्रवेश द्वार से होकर बाहर ले गया और आस-पास के सारे क्षेत्र को मापा।
\s5
\v 16-19 उसने उस क्षेत्र के चारों ओर की दीवारों को माप लिया। उस क्षेत्र के चारों ओर दीवार थी जो कि प्रत्येक ओर दो सौ सत्तर मीटर लम्बी थी।
\s5
\v 20 वह दीवार पवित्रस्थान को साधारण स्थान से अलग करती थी।
\s5
\c 43
\p
\v 1 तब वह पुरुष मुझे पूर्व की ओर प्रवेश द्वार पर लाया।
\v 2 अकस्मात ही मैंने इस्राएल के परमेश्वर की महिमा को पूर्व से आते हुए देखा। उसके आने की आवाज एक तेज बहाव वाली नदी के गरजने के समान थी, और वह सब क्षेत्र उसकी महिमा से चमक गया।
\s5
\v 3 मैंने इस दर्शन में जो देखा वह उसी के समान था जो मैंने मेरे पहले के दर्शनों में देखा था, पहला कबार नदी के निकट और बाद में जब परमेश्वर यरूशलेम को नष्ट करने आए थे। मैंने स्वयं को मुँह के बल भूमि पर गिरा दिया।
\v 4 यहोवा की महिमा ने पूर्वी प्रवेश द्वार से होकर मन्दिर में प्रवेश किया,
\v 5 और फिर आत्मा ने मुझे ऊपर उठा लिया और मुझे भीतरी आँगन में ले आया, जब यहोवा की महिमा ने मन्दिर को भर दिया।
\p
\s5
\v 6 तब, जब वह पुरुष मेरे पास खड़ा था, मैंने सुना कि कोई मन्दिर के भीतर से मुझसे बात करता है।
\v 7 उन्होंने कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, यह मेरा मन्दिर है, वह स्थान जहाँ मैं अपने सिंहासन पर बैठता हूँ और जहाँ मैं अपने पैरों को विश्राम देता हूँ। यही वह स्थान है जहाँ मैं सदा के लिए इस्राएली लोगों के साथ रहूँगा। इस्राएली लोग और उनके राजा उनके मूर्तिपूजा के पहाड़ी क्षेत्रों में अन्य देवताओं की उपासना करके, या अपने पिछले राजाओं की निर्जीव मूर्तियों का निर्माण करके मुझे फिर कभी अपमानित नहीं करेंगे।
\v 8 तुम्हारे लोगों ने उनकी वेदियों को मेरी वेदियों के पास रखा, और उनके मन्दिरों के द्वार मेरे मन्दिर के द्वार के पास थे। उनके बीच में केवल एक दीवार थी। और उन्होंने मुझे उन घृणित कार्यों से अपमानित किया जो उन्होंने किए। इसलिए मैं क्रोध में था और उन्हें नष्ट कर दिया।
\s5
\v 9 अब उन्हें मूर्तियों की इस घृणित उपासना को और राजाओं की मूर्तियों का सम्मान करने के इन अनुष्ठानों को बन्द करना होगा। यदि वे उन कार्यों को करना बन्द कर देते हैं, तो मैं हमेशा के लिए उनके बीच रहूँगा।
\p
\s5
\v 10 हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएलियों के लिए वर्णन कर कि यह मन्दिर जो मैंने तुझे दर्शन में दिखाया है, वह किसके समान है जिससे कि वे अपने पापों से लज्जित होंगे।
\v 11 यदि वे उन सब बुरे कार्यों से लज्जित हैं जो उन्होंने किए हैं, तो उन सबको मेरे उस मन्दिरों के विषय में बता जो मैंने तुझे दिखाया है: इसकी बनावट, इसके निकास और प्रवेश, और इसके विषय में सब कुछ। और वहाँ मेरी आराधना करने के विषय में उन सब नियमों और विधियों को उन्हें बता। जब वे तुझे देख रहे होते हैं, तब इन सब बातों को लिख ले, कि वे उनका सच्चे मन से पालन करने में समर्थ हो सकें।
\p
\s5
\v 12 और यह मन्दिर के विषय में सर्वोच्च नियम है: पर्वत की चोटी के सारे क्षेत्र को जहाँ मन्दिर को बनाया जाएगा शुद्ध और पवित्र रखा जाना होगा।
\p
\s5
\v 13 ये वेदी के माप हैं, उसी प्रकार की मापने वाली छड़ी का उपयोग करके जिसको मन्दिर के क्षेत्र में उपयोग किया गया था: वहाँ वेदी के चारों ओर एक नाली है जो आधा मीटर गहरी और आधा मीटर चौड़ी है। वहाँ इसके चारों ओर एक कुर्सी है जो तेईस सेंटीमीटर चौड़ी है। यह शेष वेदी के लिए आधार तैयार करेगा।
\v 14 नाली का निचला भाग वेदी के चारों ओर निचले आधार से एक मीटर ऊँचा है। निचला आधार आधा मीटर चौड़ा है। उस किनारे से ऊपरी किनारे तक, यह दो मीटर का है। वह आधार भी आधा मीटर चौड़ा है।
\s5
\v 15 वेदी के ऊपर भट्ठी दो मीटर और ऊँची है, और एक सींग जैसा उभार है जो चार कोनों में से प्रत्येक से निकलता है।
\v 16 वेदी के ऊपर का वह स्थान चौकोर है, हर ओर से साढ़े छः मीटर लम्बा है।
\v 17 ऊपरी किनारे जो भट्ठी की सीमा है, वह भी चौकोर हैं, जो प्रत्येक ओर सात मीटर, साठ सेन्टी मीटर लम्बा है, और चारों ओर एक कुर्सी है जो सत्ताईस सेंटीमीटर चौड़ी है। वेदी के नीचे आधा मीटर मापी हुई एक नाली है। वेदी के पूर्व की ओर ऊपर जाने की सीढ़ियाँ हैं।”
\p
\s5
\v 18 तब उस पुरुष ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं: जब वेदी बनाई जाए तब जलाए जाने वाले बलिदानों को चढ़ाने के लिए और वेदी के किनारों पर खून को छिड़कने के लिए नियम हैं:
\v 19 तुझे याजकों के पास एक युवा बैल को याजकों, लेवी के वंशजों, सादोक के कुल के पापों के लिए बलिदान होने के लिए ले कर आना है, जो मेरी सेवा करने के लिए वेदी के पास आते हैं।
\s5
\v 20 तुझे बैल से कुछ खून लेना होगा और उसे वेदी के चारों उभारों और ऊपरी किनारे के चार कोनों पर और कुर्सी के चारों ओर लगाना होगा, तब जा कर मैं वेदी को स्वीकार करूँगा, और वेदी को ऐसा बनाऊँगा जो केवल मेरे लिए है।
\v 21 उस उद्देश्य के लिए नियुक्त किए गए मन्दिर क्षेत्र के भाग में तुझे मन्दिर के बाहर उस बैल को जला देना होगा।
\p
\s5
\v 22 अगले दिन तुझे एक ऐसे बकरे को एक बलि के लिए चढ़ाना होगा जिसमें कोई दोष न हो, तब मैं वेदी को स्वीकार करूँगा। तब तुझे वेदी को फिर से शुद्ध करना होगा, जैसा कि तू ने बैल के साथ किया था जो बलि चढ़ाया था।
\v 23 जब तू यह सब कर लेता है, तब तुझे बिना किसी दोष वाले एक युवा बैल और एक मेढ़े को चढ़ाना होगा।
\v 24 तुझे उन्हें मुझ, यहोवा को चढ़ाना होगा। याजकों को उन पर नमक छिड़कना होगा और उन्हें वेदी पर मेरे लिए बलिदान के रूप में पूरी तरह से जला देना होगा।
\p
\s5
\v 25 तब, सात दिनों तक हर दिन तुझे याजक के पास एक बकरा बलि चढ़ाए जाने के लिए ले कर आना होगा, तब मैं वेदी को स्वीकार करूँगा। तुझे एक युवा बैल और एक मेढ़ा भी बलि देना होगा, जो बिना कोई दोष के हो, जिसे याजक प्रदान करेंगे।
\v 26 सात दिनों तक याजक वेदी को पवित्र करेंगे, तब मैं वेदी को स्वीकार करूँगा। ऐसा करने के द्वारा वे मेरे सम्मान के लिए इसे अलग कर देंगे।
\v 27 उन सात दिनों के अन्त में, अगले दिन के आरम्भ होने के बाद, याजक मेरे साथ मेल करने के लिए पूरी तरह से जलाए जाने और चढ़ाने के लिए वेदी की भेंटें चढ़ाते रहेंगे। तब मैं तुमको स्वीकार करूँगा। यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, घोषणा करता हूँ।”
\s5
\c 44
\p
\v 1 तब वह पुरुष मुझे मन्दिर के बाहरी प्रवेश द्वार पर वापस लाया, जो पूर्व की ओर खुलता था, परन्तु वह द्वार बन्द था।
\v 2 यहोवा ने मुझसे कहा, “यह द्वार बन्द रहना चाहिए। इसे किसी के द्वारा खोला नहीं जाना चाहिए; किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह बन्द रहना चाहिए क्योंकि मुझ, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने इसे मेरे लिए विशेष बनाया है जब मैं इससे होकर भीतर आया था।
\v 3 केवल इस्राएल के शासक को मेरी उपस्थिति में भोजन खाने के लिए इस प्रवेश द्वार के अन्दर बैठने की अनुमति दी जाएगी। उसे इस द्वार से होकर मन्दिर क्षेत्र में प्रवेश करना और निकलना होगा।”
\p
\s5
\v 4 तब वह पुरुष मुझे उत्तरी प्रवेश द्वार से होकर मन्दिर के सामने लाया। मैंने दृष्टि की और देखा कि यहोवा की महिमा ने अपने मन्दिर को भर दिया, और मैंने स्वयं को मुँह के बल भूमि पर गिरा दिया।
\p
\v 5 यहोवा ने मुझसे कहा, हे मनुष्य के पुत्र, ध्यान से देख, और जो कुछ मैं तुझे मन्दिर के विषय में सब नियम बताता हूँ, उसे ध्यान से सुन। सावधानी से मन्दिर के प्रवेश द्वार और सब निकासों पर ध्यान दे।
\s5
\v 6 विद्रोही इस्राएली लोगों से यह कह: ‘मैं, यहोवा परमेश्वर, यही कहता हूँ: हे इस्राएली लोगों, मैं अब उन घृणित कार्यों को सहन नहीं करूँगा जो तुम करते हो!
\v 7 जो भी घृणित कार्य तुम करते हो, उसके अतिरिक्त, तुम मेरे भवन में ऐसे विदेशी पुरुषों को लाए, जिनका खतना नहीं हुआ था और जो मेरा सम्मान करने के विषय में कुछ नहीं जानते थे। ऐसा करने से, तुमने मेरे भवन को मेरी आराधना करने के लिए मेरे निमित्त एक अस्वीकार्य स्थान बना दिया, जब तुमने भोजन और चर्बी और खून चढ़ाए, और तुमने तुम्हारे साथ बाँधी गई मेरी वाचा का उल्लंघन किया।
\s5
\v 8 मेरी पवित्र वस्तुओं के सम्बन्ध में मैंने जो कुछ तुमको करने का आदेश दिया है, उसकी अपेक्षा, तुमने विदेशियों को मेरे मन्दिर का प्रभारी नियुक्त किया।
\v 9 परन्तु मुझ, यहोवा, ने यही कहा है: कोई विदेशी नहीं, कोई भी पुरुष नहीं जिसका खतना नहीं हुआ है, कैसे भी अधर्मी लोगों को मेरे मन्दिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, यहाँ तक कि उन विदेशियों को भी नहीं, जो तुम्हारे बीच में स्थायी रूप से रहते हैं।
\p
\s5
\v 10 लेवी के कई वंशजों ने बहुत से इस्राएली लोगों के साथ मुझे छोड़ दिया, और मूर्तियों की उपासना करना आरम्भ कर दिया। मैं उन्हें उनके पाप के लिए दण्ड दूँगा।
\v 11 मैं उन्हें अपने मन्दिर में कार्य करने और मन्दिर के द्वार के प्रभारी होने की अनुमति दूँगा। वे उन जानवरों को मारने में समर्थ होंगे जो पूरी तरह से वेदी पर जलाए जाएँगे, और लोगों के लिए अन्य बलिदान जलाएँगे, और वे लोगों की सहायता करने में समर्थ होंगे।
\v 12 परन्तु क्योंकि उन्होंने लोगों को मूर्तियों की उपासना करने में सहायता की और मूर्तियों की उपासना करके इस्राएल के कई लोगों को पाप करने के लिए प्रेरित किया, मैं शपथ खाता हूँ कि मैं उन्हें उनके पाप के लिए दण्ड दूँगा।
\s5
\v 13 वे याजक के रूप में सेवा करने के लिए मेरे निकट नहीं आएँ। उन्हें किसी भी पवित्र वस्तु या पवित्र चढ़ावे के निकट नहीं आना है। वे उन कार्यों से लज्जित होंगे जो उन्होंने किए थे, जिनमें वे दोषी हैं।
\v 14 परन्तु मैं अब भी उन्हें मन्दिर में कार्य के प्रभारी रखूँगा, और उन सब कार्यों को करने की अनुमति दूँगा जिन्हें वहाँ करने की आवश्यकता है।
\p
\s5
\v 15 परन्तु लेवी और सादोक के वंश से निकले याजकों ने विश्वासयोग्यता के साथ मेरे मन्दिर में कार्य किया था जब दूसरे इस्राएलियों ने मुझे छोड़ दिया था। इसलिए उनको मेरे लिए कार्य करने के लिए मेरे निकट आना चाहिए। वे जानवरों की चर्बी और खून की बलि चढ़ाने के लिए मेरी उपस्थिति में खड़े होंगे।
\v 16 केवल वे अकेले हैं जिन्हें मेरे मन्दिर में प्रवेश करने की अनुमति है। केवल वे अकेले हैं जिन्हें मेरी सेवा करने के लिए मेरी वेदी के पास आने की अनुमति है और जो कुछ मैं उन्हें करने के लिए कहता हूँ।
\p
\s5
\v 17 जब वे भीतरी आँगन के प्रवेश द्वार में प्रवेश करते हैं, तब उन्हें सफेद सनी की पोशाक पहननी होगी। उन्हें ऊन के बने कोई कपड़े नहीं पहनने हैं, जब वे भीतरी आँगन के द्वार पर या मन्दिर के अन्दर अपना कार्य करते हैं।
\v 18 उन्हें अपने सिर पर सनी की सफेद पगड़ी पहननी है और अपनी कमर के चारों ओर सनी का अंगोछा पहनना होगा। उन्हें ऐसा कुछ भी पहनना नहीं है जिससे उन्हें पसीना आए।
\s5
\v 19 उनके बाहर आँगन में जाने से पहले जहाँ अन्य लोग हैं, उन्हें अपने पहने हुए कपड़ों को उतारना होगा और उन्हें पवित्र कमरे में छोड़ देना होगा, और अन्य कपड़ों को पहन लेना है कि लोग पवित्र कपड़ों को छूने से पवित्र न हो जाएँ।
\p
\s5
\v 20 याजकों को अपने सिर के बालों को नहीं मूँड़ना है या होने दो कि उनके बाल लम्बे हो जाएँ; परन्तु उन्हें अपने बालों की छँटाई करते रहना है।
\v 21 याजकों को भीतरी आँगन में प्रवेश करने से पहले दाखमधु नहीं पीना है।
\v 22 इसके अतिरिक्त, याजकों को उन लोगों की विधवाओं से विवाह नहीं करना चाहिए जो याजक नहीं थे या ऐसी स्त्रियों से जो विवाह विच्छेदित हैं। उन्हें केवल कुँवारी से या अन्य याजकों की विधवाओं से विवाह करने की अनुमति है।
\s5
\v 23 उन्हें लोगों को उन वस्तुओं के बीच अंतर करना सिखाना चाहिए जो पवित्र हैं और जो वस्तुएँ पवित्र नहीं हैं, और उन्हें सिखाएँ कि कैसे जानना है कि मेरे लिए क्या स्वीकार्य हैं और क्या स्वीकार्य नहीं हैं।
\p
\v 24 यदि लोगों के बीच विवाद होता है, तो याजक ही वे हैं जिनको न्यायधीशों के रूप में सेवा करनी है और मेरे नियमों के अनुसार मामलों का निर्णय लेना है। उन्हें पवित्र त्यौहारों के विषय में मेरे सब नियमों और आज्ञाओं का पालन करना होगा, और उन्हें मेरे सब्त के दिनों के साथ मेरे लिए विशेष दिन के जैसे व्यवहार करना होगा।
\p
\s5
\v 25 याजकों को पिता या माँ या पुत्र या पुत्री या भाई या अविवाहित बहन के शव के पास जाने की अनुमति है। परन्तु उन्हें किसी और के शव के पास जा कर स्वयं को अशुद्ध नहीं करना है।
\v 26 यदि एक याजक अपने एक निकटतम सम्बन्धी के शव को छूता है, तो उसे फिर से मेरी सेवा करने के लिए स्वीकार्य होने के लिए अनुष्ठान करना होगा। उसके अनुष्ठान करने के बाद, उसे सात दिन प्रतीक्षा करनी होगी।
\v 27 फिर, जिस दिन वह मन्दिर में मेरी सेवा करने के लिए भीतर के आँगन में प्रवेश करता है, उसे पाप के अपने अपराध को हटाने के लिए एक भेंट देनी होगी। यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 28 याजक किसी भी भूमि के स्वामी नहीं होंगे। उनके पास केवल वही होगा जो मैं उनके लिए प्रदान करता हूँ।
\v 29 वे आटे से बने बलिदान, पाप के अपराध को दूर करने के लिए चढ़ावा, और वे चढ़ावे जो वे मेरी आवश्यकताओं से चूक जाने पर वे लाते हैं, इन सबको वे ही खाएँगे। इस्राएल में और सब कुछ जो भी मेरे लिए समर्पित है, वह याजकों से सम्बन्धित होगा।
\s5
\v 30 प्रत्येक फसल के पहले भाग का सबसे अच्छा फल और अन्य सब विशेष उपहार याजकों से सम्बन्धित होंगे। तुमको उन्हें अपने पीसे हुए आटे का पहला भाग देना होगा, कि मैं तुम्हारे घर में रहने वाले लोगों को आशीष दूँ।
\v 31 याजकों को किसी भी ऐसे पक्षी या जानवर का माँस नहीं खाना है जो मृत पाया गया है या जंगली जानवरों द्वारा मार डाला गया है।
\s5
\c 45
\p
\v 1 जब बारह गोत्रों में इस्राएल की भूमि बाँटी गई है, तो तुमको एक पवित्र क्षेत्र होने के लिए देश के एक भाग को यहोवा को अर्पण करना चाहिए। यह साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बा और सवा पाँच किलोमीटर चौड़ा होगा। यह सम्पूर्ण क्षेत्र यहोवा के लिए आरक्षित होगा।
\v 2 उस क्षेत्र का भाग, प्रत्येक पक्ष पर लगभग 270 मीटर लम्बा वर्ग एक मन्दिर क्षेत्र के चारों ओर खाली छोड़ा जाएगा। भूमि की एक अतिरिक्त पट्टी, लगभग सत्ताईस मीटर चौड़ी, मन्दिर क्षेत्र के चारों ओर खाली छोड़ी जाएगी।
\s5
\v 3 पवित्र क्षेत्र के भीतर, एक भाग साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बा और सवा पाँच किलोमीटर चौड़ा मापो। यह वह स्थान होगा जहाँ आराधनास्थल है, और यह परम पवित्रस्थान है।
\v 4 यह उन याजकों के लिए जो मन्दिर में कार्य करते हैं, भूमि का पवित्र भाग होगा, जो उसकी सेवा करने के लिए यहोवा के निकट आते हैं। यह याजकों के घरों के साथ-साथ, आराधनालय के लिए, यहोवा के लिए बहुत विशेष स्थान होगा।
\v 5 एक क्षेत्र साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बा और सवा पाँच किलोमीटर चौड़ा मन्दिर में कार्य करने वाले लेवी के वंशजों के लिए होगा। वह क्षेत्र उनसे सम्बन्धित होगा, और वे वहाँ रहने के लिए नगरों का निर्माण कर सकते हैं।
\p
\s5
\v 6 इस पवित्र क्षेत्र के साथ भूमि का एक भाग होगा जो साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बा और पौने तीन किलोमीटर चौड़ा हो। यह एक ऐसे शहर के लिए होगा जहाँ इस्राएल में कोई भी जीवित रह सके।
\p
\v 7 इस्राएल के शासक के पास मन्दिर के क्षेत्र और शहर के निकट बनाए गए क्षेत्र के हर ओर भूमि होगी। यह पश्चिम में उन क्षेत्रों के पश्चिमी छोर से ले कर और पूर्व में उन क्षेत्रों के पूर्वी छोर तक फैली होगी। राजा की भूमि के दूर पूर्व की और दूर पश्चिम की सीमाएँ उन अन्य क्षेत्रों की सीमाओं के समान मापी जाएँगी।
\s5
\v 8 भूमि का यह भाग शासक से सम्बन्धित होगा। इसलिए शासकों के पास अब मेरे लोगों पर अत्याचार करने और उनकी भूमि चोरी करने का कोई बहाना नहीं होगा। वे लोगों के बीच बाँटने के लिए, प्रत्येक गोत्र के लिए इस्राएल में भूमि के शेष भागों को देंगे।
\p
\s5
\v 9 यहोवा परमेश्वर यही कहते हैं: तुम इस्राएल के शासकों को हिंसक रूप से कार्य करना और लोगों पर अत्याचार करना बन्द कर देना होगा! तुमको वह करना है जो उचित और सही है। लोगों से भूमि लेना बन्द करो; उन्हें उनकी भूमि छोड़ने के लिए विवश करना बन्द करो!
\v 10 इसके अतिरिक्त, तुमको चीजों को मापने के लिए सटीक मापकों और सटीक कुप्पियों का उपयोग करना होगा।
\v 11 सूखी चीजों को मापने के लिए टोकरी और तरल पदार्थों को मापने के लिए कुप्पियाँ एक ही आकार की होनी चाहिए; प्रत्येक में बाईस लीटर आना चाहिए जिसे एक एपा (सूखे माप के लिए) और एक बत (तरल माप के लिए) कहा जाना चाहिए।
\v 12 जब तुम चीजों का वजन करते हो, तो तुमको ऐसे बाटों का उपयोग करना चाहिए जिसे हर कोई सही स्वीकार करता है। शेकेल को बीस गेरा में बाँटा जाना है, और एक मीना साठ शेकेल के बराबर होगा।
\p
\s5
\v 13 तुमको फसल के हर साठ मापों के लिए शासक को गेहूँ या जौ के एक माप को अवश्य देना होगा।
\v 14 तुमको हर सौ माप जैतून के तेल में से उसे एक माप देना होगा।
\v 15 साथ ही, यहोवा ने घोषणा की है कि तुमको हरियाली भरे चारागाहों में से हर दो सौ के झुण्ड में से अपनी एक भेड़ या बकरी जलाने वाली बलि, मेल करने वाली बलि, लोगों के प्रायश्चित के लिए बलि आदि विभिन्न बालियों के लिए लाना होगा।”यह परमेश्वर यहोवा का आदेश है।”
\s5
\v 16 देश में रहने वाले इन सब लोगों को इस्राएल के शासक के पास इन भेंटों को लाने में सहभागी होना है।
\v 17 शासक को वेदी पर पूरी तरह से जला दिए जाने के लिए जानवरों को, अनाज से चढ़ाई गई भेंट के लिए आटा, और पवित्र त्यौहारों के लिए दाखरस जिनको यहोवा ने इस्राएली लोगों के लिए नियुक्त किया है नए चाँद का उत्सव मनाने वाले त्यौहारों के लिए, और सब्त के दिनों के लिए भेंटों को प्रदान करना होगा। उसे लोगों के लिए परमेश्वर के लिए स्वीकार्य होने के लिए पशुओं, अनाज से बनी आटे की भेंटें, पूरी तरह से जलाए जाने के लिए भेंटें और यहोवा के साथ मित्रता की वाचा की भेंटें, लोगों के पापों के प्रायश्चित की भेंटों को प्रदान करना होगा।”
\p
\s5
\v 18 यहोवा परमेश्वर ने यह भी घोषित किया है: “प्रत्येक वर्ष के पहले महीने के पहले दिन तुमको एक युवा बैल लेना होगा जिसमें कोई दोष नहीं हो और मन्दिर को शुद्ध करने के लिए उसे बलिदान करना होगा।
\v 19 याजक को लोगों के पापों के प्रायश्चित के लिए चढ़ावे में से कुछ खून लेना होगा, और उसे मन्दिर के द्वार पर, वेदी के चारों ओर ऊपरी किनारे के चार कोनों पर और भीतरी आँगन के द्वारों पर उसे लगाना होगा।
\v 20 तुमको हर महीने के सातवें दिन किसी भी व्यक्ति के गलती से किए गए पाप या बिना जाने किए गए पाप के लिए भी वही करना होगा। ऐसा करके तुम मन्दिर को शुद्ध करोगे।
\p
\s5
\v 21 प्रत्येक वर्ष के पहले महीने में, महीने के चौदहवें दिन, तुमको फसह के त्यौहार का उत्सव मनाना आरम्भ कर देना चाहिए। त्यौहार सात दिनों तक चलेगा। उस समय तुमको खमीर से बनी रोटी को नहीं खाना है।
\v 22 पहले दिन, शासक को अपने लिए और देश के अन्य लोगों के लिए एक बलि चढ़ाने के लिए एक बैल लाना होगा।
\s5
\v 23 और उन सात दिनों में हर एक दिन उसे सात बैल और सात मेढ़े लाने होंगे जिनमें कोई दोष नहीं हो, कि वे यहोवा के लिए लोगों को स्वीकार करना सम्भव करने का बलिदान बनें।
\v 24 उसे प्रत्येक बैल के साथ एक भेंट के रूप में बाईस किलो आटा, और प्रत्येक मेढ़े के साथ भी उसी मात्रा में आटा लाना होगा, और आटे की प्रत्येक भेंट के साथ चार लीटर जैतून का तेल भी लाना होगा।
\p
\s5
\v 25 त्यौहार मनाने के सात दिनों के समय जब इस्राएली लोग मिस्र से निकल आने के बाद तम्बुओं में रहते थे, जो हर वर्ष के सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन से आरम्भ होता है, शासक को यहोवा के लिए लोगों को स्वीकार करना सम्भव करने के लिए चढ़ावे के लिए यह वस्तुएँ लानी होंगी, पूरी तरह से जलाए जाने के लिए भेंटें, अनाज से बने वस्तुओं की भेंटें, और चढ़ाने के लिए जैतून का तेल।
\s5
\c 46
\p
\v 1 यही है जो यहोवा परमेश्वर ने घोषित किया है: ‘भीतर के आँगन का पूर्वी प्रवेश द्वार हर सप्ताह कार्य करने के छः दिन बन्द होना चाहिए, परन्तु सब्त के दिनों और उन दिनों पर जब एक नया चाँद होता है, मुख्य फाटक खुला होना चाहिए।
\v 2 शासक को मुख्य फाटक के प्रवेश कक्ष से होकर आँगन में प्रवेश करना होगा, और भीतरी आँगन के द्वार के किनारे खड़े होना होगा। तब याजकों को उस पशु को बलिदान करना होगा जिसे वेदी पर पूरी तरह से जला दिया जाएगा, और मेरे साथ मेल करने की प्रतिज्ञा करने के लिए उसकी भेंट भी होगी। शासक को भीतरी प्रवेश द्वार के मुख्य फाटक पर मेरी आराधना करनी होगी, और फिर उसे चले जाना होगा। परन्तु उस शाम तक फाटक बन्द नहीं होगा।
\s5
\v 3 सब्त के दिनों और उन दिनों पर जब एक नया चाँद होता है, तब लोगों को भी इस द्वार के प्रवेश पर मेरी आराधना करनी होगी।
\v 4 जिस भेंट को शासक सब्त के दिन पूरी तरह जला दिए जाने के लिए लाता है, वह छः नर मेम्ने और एक मेढ़ा होना चाहिए, उनमें कोई दोष नहीं हो।
\v 5 वह मेढ़े के साथ जो भेंट देता है वह बाईस किलो आटा है, और मेम्ने के साथ जो आटा वह देता है, वह उतना ही होना चाहिए जितना वह चाहता है, हर बाईस लीटर आटे के लिए साथ में एक लीटर जैतून का तेल।
\s5
\v 6 तब जब नया चाँद होता है, उसे एक युवा बैल, छः मेम्ने और एक मेढ़ा देना होगा, उनमें कोई दोष नहीं हो।
\v 7 उसे बैल के साथ बाईस लीटर आटा लाना होगा, मेढ़े के साथ भी उतनी ही मात्रा में आटा, और मेम्ने के साथ उतना आटा लाना होगा जितना वह चाहता है, हर बाईस लीटर आटे के लिए साथ में एक लीटर जैतून का तेल।
\v 8 जब शासक मन्दिर के क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो उसे फाटक और उसके प्रवेश कक्ष से प्रवेश करना होगा, और उसे उसी प्रकार बाहर जाना होगा।
\p
\s5
\v 9 जब लोग त्यौहारों में मेरी आराधना करने आएँगे, जिनकी मुझ, यहोवा ने आज्ञा दी है, तो जो उत्तरी फाटक से होकर मन्दिर क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, उनको दक्षिणी फाटक से बाहर निकलना होगा। और दक्षिणी फाटक से होकर प्रवेश करने वाले लोगों को उत्तरी फाटक से होकर बाहर जाना होगा। लोगों को उस प्रवेश द्वार से होकर बाहर नहीं जाना है जिससे होकर उन्होंने प्रवेश किया; उनको विपरीत फाटक से होकर बाहर जाना होगा।
\v 10 जब लोग भीतर जाते हैं तब शासक को भी भीतर जाना होगा, और जब लोग बाहर जाते हैं तब बाहर जाना होगा।
\p
\s5
\v 11 त्यौहारों के समय जो तुम मेरे लिए मानते हो, राजा को एक बैल या एक मेढ़े के साथ बाईस लीटर आटा देना होगा, और मेम्ने के साथ उतना जितना आटा वह देना चाहता है, हर बाईस लीटर आटे के लिए साथ में एक लीटर जैतून का तेल।
\v 12 जब शासक एक ऐसी भेंट देता है जो अनिवार्य नहीं है, चाहे वह पूरी तरह से जलाए जाने के लिए हो या मेरे साथ मेल का उत्सव मनाने की भेंट हो, तो उसके लिए पूर्वी द्वार को खोला जाना चाहिए। उसके बाद उसे अपनी भेंटों को देना होगा जैसे वह सब्त के दिनों में करता है। फिर वह बाहर जाएगा, और उसके बाहर जाने के बाद, उन्हें प्रवेश द्वार को बन्द करना होगा।
\p
\s5
\v 13 प्रतिदिन सुबह, किसी को भी एक वर्ष का एक मेम्ना मेरे लिए चढ़ावा होने के लिए लाना होगा, जिसमें कोई दोष न हो, जिसे याजक पूरी तरह से जला देंगे।
\v 14 किसी को प्रतिदिन आटे की भेंट भी प्रदान करनी होगी। यह एक लीटर जैतून के तेल के साथ मिला हुआ साढ़े तीन लीटर आटा होना चाहिए। तुमको, मुझ, यहोवा, को आटा और जैतून के तेल की दैनिक भेंट चढ़ाना कभी बन्द नहीं करना है।
\v 15 मेम्ना और आटा और जैतून के तेल का चढ़ावा मेरे लिए भेंट होने को हर सुबह वेदी पर पूरी तरह जला दिए जाने के लिए देना होगा।
\p
\s5
\v 16 यही है जो यहोवा परमेश्वर घोषित करते हैं: यदि शासक अपनी कुछ भूमि को अपने किसी एक पुत्र को स्थायी रूप से उसकी होने को देता है, तो वह अंततः उसके पुत्रों के वंशजों की होगी।
\v 17 परन्तु यदि वह अपनी कुछ भूमि अपने दासों में से किसी एक को देता है, तो दास को उस भूमि को जयन्ती के उत्सव के वर्ष तक रखने की अनुमति है। तब शासक को फिर से उस पर अधिकार करना होगा। परन्तु यदि शासक अपने पुत्रों को भूमि देता है, तो वह भूमि स्थायी रूप से उनकी होगी।
\v 18 शासक को ऐसी किसी भी भूमि को नहीं लेना है जो लोगों के स्वामित्व की है और उन्हें कहीं और रहने के लिए विवश नहीं करना है। जो भूमि वह अपने पुत्रों को देता है वह उसकी अपनी सम्पत्ति से होनी चाहिए, किसी और की सम्पत्ति से नहीं, कि मेरे किसी भी व्यक्ति को अपने स्वामित्व की सम्पत्ति से अलग नहीं किया जा सके।’”
\p
\s5
\v 19 फिर, दर्शन में, वह पुरुष मुझे मुख्य फाटक के प्रवेश द्वार से होकर उत्तर की ओर वाले पवित्र कमरों के पास लाया, वह कमरे जो याजकों के थे, और उसने मुझे पश्चिमी छोर पर एक जगह दिखाई।
\v 20 उसने मुझसे कहा, “यह वह स्थान है जहाँ याजक उस माँस को पकाएँगे जो लोग तब भेंट चढ़ाते हैं, जब वे कुछ करने की शपथ खा कर यहोवा से चूक जाते हैं, और लोगों को परमेश्वर द्वारा स्वीकार्य होने के लिए भेंटें लाते हैं, और भेंट के रूप में लाए गए आटे की रोटी पकाएँगे। वे उन चीजों को अपने कमरे में पकाएँगे जिससे कि उन्हें बाहरी आँगन में ला कर पकाने से बच सकें, कि कोई उन्हें छू कर पवित्र न हो जाए।”
\p
\s5
\v 21 तब वह पुरुष मुझे बाहरी आँगन में लाया और मुझे इसके चारों कोनों तक ले गया। मैंने प्रत्येक कोने में लगा क्षेत्र देखा;
\v 22 प्रत्येक क्षेत्र बाईस मीटर लम्बा और सोलह मीटर चौड़ा था।
\v 23 इन क्षेत्रों में से प्रत्येक के भीतर एक पत्थर का किनारा था, किनारे के नीचे चारों ओर आग जलाने के लिए स्थान थे।
\v 24 उस पुरुष ने मुझसे कहा, “ये रसोई हैं जहाँ मन्दिर में कार्य करने वाले लेवी के वंशज लोग उस बलिदान को पकाएँगे जो लोग लाते हैं।”
\s5
\c 47
\p
\v 1 फिर दर्शन में, वह पुरुष मुझे मन्दिर के प्रवेश द्वार पर वापस लाया। वहाँ मैंने प्रवेश द्वार के नीचे से बाहर पानी को निकलते हुए और पूर्व की ओर बहते हुए देखा। पानी प्रवेश द्वार के दक्षिण की ओर, वेदी के दाहिने ओर बह रहा था।
\v 2 फिर वह मुझे उत्तरी द्वार से होकर बाहर लाया और मुझे उसके बाहरी भाग में पूर्वी द्वार तक ले गया।
\p
\s5
\v 3 जब वह पुरुष पूर्व की ओर जा रहा था, मैंने देखा कि उसके हाथ में एक मापने वाली लकड़ी थी। उसने 540 मीटर को मापा और फिर पानी के बीच से मेरा नेतृत्व किया, पानी मेरे टखनों तक था।
\v 4 फिर उसने एक और 540 मीटर को माप लिया और पानी के बीच से मेरा नेतृत्व किया, पानी मेरे घुटनों तक था। फिर उसने एक और 540 मीटर का माप किया और पानी के बीच से मेरा नेतृत्व किया; पानी मेरी कमर तक था।
\v 5 फिर उसने एक और 540 मीटर का माप किया और पानी के बीच से मेरा नेतृत्व किया अब वह एक नदी थी जिसे मैं पार नहीं कर सका, क्योंकि पानी बहुत गहरा था; आगे बढ़ने के लिए मुझे तैरने की आवश्यकता होगी।
\s5
\v 6 फिर उसने मुझसे पूछा, “हे मनुष्य के पुत्र, इस विषय में सावधानी से सोच।” फिर वह मुझे नदी के तट पर ले गया
\p
\v 7 और जिस दिशा से हम आए थे, उस दिशा की ओर वापस गए। वहाँ मैंने नदी के दोनों ओर बढ़ने वाले कई पेड़ों को देखा।
\v 8 उसने मुझसे कहा, “यह पानी पूर्व में बहता है और मृत सागर में जाता है। और जब पानी मृत सागर में प्रवेश करता है, तो यह ताजा रहता है और समुद्र के पानी को शुद्ध करता है और इसे फिर से ताजा बनाता है।
\s5
\v 9 जहाँ भी नदी बहती है, वहाँ मछली के झुण्ड पानी में होंगे। मृत सागर में कई मछलियाँ होंगी, क्योंकि जो पानी इसमें बहता है वह नमक के पानी को ताजा पानी बना देता है। जहाँ भी नदी बहती है, इसके तट पर सब कुछ बढ़ेगा।
\v 10 मछुआरे मछली पकड़ने के लिए नदी के किनारे खड़े होंगे। पश्चिमी ओर एनगदी से एनएगलैम तक मछली पकड़ने के जाल फैलाने के लिए स्थान होंगे। विशाल सागर के समान वहाँ कई प्रकार की मछलियाँ होंगी।
\s5
\v 11 परन्तु किनारे के दलदल और कीचड़ ताजा पानी नहीं होंगे; उन्हें नमक बनाने के लिए छोड़ा जाएगा।
\v 12 नदी के दोनों किनारों के पेड़ों पर कई प्रकार के फल उगेंगे। उनकी पत्तियाँ नहीं सूखेंगी, और उनमें सदा फल होंगे। वे हर महीने नए फल उत्पन्न करेंगे, क्योंकि मन्दिर से आने वाला पानी निरन्तर पेड़ों तक बहता है। उनका फल खाने के लिए अच्छा होगा और उनकी पत्तियाँ स्वस्थ करने के लिए अच्छी होंगी।”
\p
\s5
\v 13 दर्शन में, यहोवा ने मुझसे यह भी कहा: “यहाँ इस्राएल के बारह गोत्रों और उन क्षेत्रों की सूची है जो प्रत्येक गोत्र को प्राप्त करना है। यूसुफ के वंशजों को दो भाग मिलेगा।
\v 14 सब गोत्रों के बीच भूमि को समान रूप से विभाजित करो। मैंने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाने के लिए अपने हाथों को उठाया है कि मैं उन्हें इस देश को स्थायी रूप से उनका होने के लिए दे दूँगा।
\p
\s5
\v 15 ये देश की सीमाएँ होंगी:
\q उत्तर की ओर, यह सड़क के साथ पूर्व में भूमध्य सागर से हेतलोन तक और फिर सदाद तक,
\v 16 बेरोता तक, और फिर सिब्रैम तक, जो दमिश्क और हमात के बीच की सीमा पर है। यह सीमा हसर्हत्तीकोन तक चली जाएगी, जो हौरान के क्षेत्र की सीमा पर है।
\v 17 यह सीमा भूमध्य सागर से ले कर हसरेनान तक उत्तर में हमात और दक्षिण में दमिश्क के बीच की सीमा तक फैली होगी। वह उत्तरी सीमा होगी।
\s5
\v 18 पूर्व की ओर, सीमा हौरान और दमिश्क के बीच, दक्षिण में यरदन नदी के साथ गिलाद के क्षेत्र और इस्राएली क्षेत्र के बीच, मृत सागर के साथ तामार तक फैली होगी। वह पूर्वी सीमा होगी।
\v 19 दक्षिण की ओर, सीमा तामार से मरीबा कादेश के पास सोतों तक फैली होगी। तब यह मिस्र के झील के साथ विशाल सागर तक पश्चिम में विस्तार करेगी। वह दक्षिणी सीमा होगी।
\v 20 पश्चिम की ओर, सीमा उत्तर में लेबो हमात के समीप एक बिन्दु तक भूमध्य सागर होगी।
\p
\s5
\v 21 तुमको इस देश को अपने बीच में, इस्राएल के गोत्रों में बाँट देना होगा।
\v 22 तुमको देश को अपने लिए और किसी भी विदेशी के लिए जो तुम्हारे बीच में रह रहा है और अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहा है स्थायी अधिकार के रूप में सौंपना होगा। तुमको उनको मूल जन्म से ही इस्राएली होने के समान मानना होगा, और उन्हें इस्राएल के गोत्रों में भूमि सौंपी जानी चाहिए।
\v 23 जहाँ भी विदेशी लोग रह रहे हैं, तुमको उन्हें स्थायी रूप से उनकी होने के लिए कुछ भूमि देनी होगी।’ यही है जो यहोवा परमेश्वर घोषणा करते हैं।”
\s5
\c 48
\p
\v 1 यहाँ इस्राएल के गोत्रों और उस क्षेत्र की सूची है जिसे प्रत्येक गोत्र को प्राप्त करना है। इस्राएल की उत्तरी सीमा भूमध्य सागर से आरम्भ होगी और पूर्व में हेतलोन शहर, फिर लेबो हमात तक जाएगी, और हसरेनान तक आगे बढ़ेगी जो दमिश्क का दक्षिणी भाग है, और यह हमात तक रहेगी। प्रत्येक गोत्र को वह भूमि प्राप्त होगी जो इस्राएल की पूर्वी सीमा से पश्चिम में विशाल सागर तक फैली होगी।
\p दान के गोत्र को इस्राएल की उत्तरी सीमा के साथ भूमि प्राप्त होगी।
\p
\v 2 उनके क्षेत्र का दक्षिणी भाग आशेर के गोत्र के लिए होगा।
\p
\v 3 आशेर की भूमि का दक्षिणी क्षेत्र नप्ताली के गोत्र के लिए होगा।
\p
\s5
\v 4 नप्ताली की भूमि का दक्षिणी क्षेत्र मनश्शे के गोत्र के लिए होगा।
\p
\v 5 मनश्शे की भूमि का दक्षिणी क्षेत्र एप्रैम के गोत्र के लिए होगा।
\p
\v 6 एप्रैम की भूमि का दक्षिणी क्षेत्र रूबेन के गोत्र के लिए होगा।
\p
\v 7 उनकी भूमि का दक्षिणी क्षेत्र यहूदा के गोत्र के लिए होगा।
\p
\s5
\v 8 यहूदा की भूमि का दक्षिणी क्षेत्र एक ऐसा भाग होगा जिसे पूरा राष्ट्र मुझे दे देगा; तुम इसे विशेष उपयोग के लिए अलग कर दोगे। मन्दिर इस क्षेत्र के केंद्र में होगा। यह उतना ही लम्बा होगा जितना कि इस्राएल के एक गोत्र को सौंपी गई भूमि का कोई भी भाग है।
\p
\v 9 यह विशेष क्षेत्र साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बा और पाँच किलोमीटर और चार सौ मीटर चौड़ा होगा। यही है जो तुम यहोवा को दोगे।
\s5
\v 10 इस विशेष क्षेत्र के भीतर, यह वस्तुएँ होंगी तुम जो याजकों को सौंपोगे: तुम उनको एक क्षेत्र सौंपोगे जो उत्तरी और दक्षिणी ओर से साढ़े तेरह किलोमीटर; पूर्वी और पश्चिमी ओर से पाँच किलोमीटर और चार सौ मीटर का होगा। यहोवा का भवन इस विशेष क्षेत्र के बीचों बीच में होगा
\v 11 भवन का क्षेत्र याजकों के लिए होगा, जो मेरे सम्मान के लिए अलग किए गए हैं, जो सादोक के वंशज हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने विश्वासयोग्य रह कर मेरी सेवा की और यहोवा से दूर नहीं गए जैसा कि लेवी के वंशजों ने किया।
\v 12 जब भूमि बाँट दी जाती है, तो तुम मेरे लिए उस विशेष क्षेत्र को मेरे लिए रखोगे, क्योंकि यह याजकों के लिए विशेष होगा; यह वह भूमि है जिसे तुम मेरे लिए बहुत विशेष मान कर व्यवहार करोगे। याजकों के क्षेत्र के साथ वह स्थान होगा जहाँ लेवी के अन्य वंशज रहेंगे।
\p
\s5
\v 13 जिस भूमि को तुम लेवी के वंशजों को सौंपोगे वह उसी नाप की होगी जो याजक प्राप्त करेंगे। इसलिए एक साथ, भूमि के यह दो भाग साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बे और लगभग ग्यारह किलोमीटर चौड़े होंगे।
\v 14 इस विशेष भूमि में से, इस सबसे अच्छी भूमि में से, कोई भी भाग कभी नहीं बेचा जाए न ही इसका व्यापार में उपयोग किया जाए और न ही अन्य लोगों द्वारा इसका उपयोग किया जाए, क्योंकि यह यहोवा का है। यह उनके लिए अलग है।
\p
\s5
\v 15 भूमि की एक और पट्टी साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बी और लगभग पौने तीन किलोमीटर चौड़ी विशेष क्षेत्र में रहने वाले अन्य लोगों के उपयोग के लिए दी जाएगी। वे घरों को बना सकते हैं और चारागाहों को ले सकते हैं, और इस क्षेत्र के बीच में एक शहर होगा।
\v 16 यह शहर चौकोर होगा, चारों ओर से सवा दो किलोमीटर का होगा।
\s5
\v 17 इस विशेष क्षेत्र के भीतर शहर के चारों ओर एक खुला क्षेत्र होगा, जो प्रत्येक दिशा में लगभग 135 मीटर लम्बा होगा।
\v 18 शहर के बाहर खेती का क्षेत्र होगा जो पूर्व की ओर सवा पाँच किलोमीटर और पश्चिम की ओर सवा पाँच किलोमीटर होगा। जो लोग वहाँ कार्य करेंगे वे उन लोगों के लिए भोजन उत्पन्न करेंगे जो शहर में कार्य करते हैं।
\s5
\v 19 जो लोग विभिन्न गोत्रों से शहर में कार्य करने के लिए आते हैं वे भी इस खेत में कार्य कर सकते हैं।
\v 20 यह पूरा विशेष क्षेत्र, जिसमें यहोवा के उपयोग के लिए दी गई भूमि और शहर भी आते हैं, वह एक चौकोर खण्ड होगा जो चारों ओर से साढ़े तेरह किलोमीटर लम्बा और चौड़ा होगा।
\p
\s5
\v 21 पूर्व में और पश्चिम में भूमि का यह भाग यहोवा का क्षेत्र है और शहर के शासक का होगा। एक क्षेत्र पूर्व में इस्राएल की पूर्वी सीमा तक फैला होगा, और दूसरा पश्चिम में विशाल सागर तक फैला होगा। यहोवा का क्षेत्र, जिसमें मन्दिर है, वह बीचों बीच होगा।
\v 22 शासक से सम्बन्धित क्षेत्र उत्तर में यहूदा के गोत्र और दक्षिण में बिन्यामीन के गोत्र के बीच होगा।
\p
\s5
\v 23 यहोवा के क्षेत्र के दक्षिण में, अन्य सभी गोत्रों को भूमि का एक भाग प्राप्त होगा जो इस्राएल की पूर्वी सीमा से पश्चिम में विशाल सागर तक फैला हुआ है।
\p यहोवा के क्षेत्र का दक्षिणी क्षेत्र बिन्यामीन के गोत्र के लिए होगा।
\p
\v 24 बिन्यामीन की भूमि का दक्षिणी देश शिमोन के गोत्र का होगा।
\p
\v 25 शिमोन की भूमि का दक्षिणी देश इस्साकार के गोत्र का होगा।
\p
\v 26 इस्साकार की भूमि का दक्षिणी देश जबूलून के गोत्र का होगा।
\p
\s5
\v 27 जबूलून की भूमि का दक्षिणी देश गाद के गोत्र का होगा।
\p
\v 28 गाद की भूमि की दक्षिणी सीमा एनगदी से दक्षिण में मरीबा कादेश के सोतों तक और फिर मिस्र की नदी के किनारे पश्चिम में विशाल सागर तक फैली होगी।
\p
\v 29 यह उस देश का वर्णन है जिसे तुमको इस्राएल के गोत्रों को सौंपना होगा, क्योंकि यह उनके लिए स्थायी रूप से है।’ यही है जो मैं, यहोवा परमेश्वर, घोषणा करता हूँ।
\p
\s5
\v 30 शहर के द्वार ये हैं: उत्तर दिशा में, जो दो किलोमीटर, चार सौ मीटर लम्बी भूमि है।
\v 31 वहाँ तीन द्वार होंगे। प्रत्येक द्वार का नाम इस्राएल के गोत्रों में से एक का नाम होगा। पहले वाले का नाम रूबेन के लिए, अगले का यहूदा के लिए, अगले का लेवी के लिए रखा जाएगा।
\p
\v 32 पूर्व दिशा में, भी सवा दो किलोमीटर लम्बी भूमि है, जिसके द्वारों के नाम यूसुफ, बिन्यामीन और दान पर होंगे।
\p
\s5
\v 33 दक्षिण दिशा में, भी सवा दो किलोमीटर लम्बी भूमि है, जिसके द्वारों के नाम शिमोन, इस्साकार और जबूलून पर होंगे।
\p
\v 34 पश्चिम दिशा में, भी सवा दो किलोमीटर लम्बी भूमि है, जिसके द्वारों के नाम गाद, आशेर और नप्ताली पर होंगे।
\p
\v 35 शहर के चारों ओर की दूरी पौने दस किलोमीटर की होगी।
\p उस समय से, शहर का नाम “यहोवा वहाँ है” होगा।