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\id 1KI
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\h 1 राजाओं
\toc1 1 राजाओं
\toc2 1 राजाओं
\toc3 1ki
\mt1 1 राजाओं
\s5
\c 1
\p
\v 1 जब राजा दाऊद बहुत बूढ़ा था, उसके दास रात में उसके ऊपर कई कम्बल डालते थे, फिर भी वह गर्मी नहीं रहता था।
\v 2 इसलिए उन्होंने उससे कहा, "महामहिम, हमें एक कुँवारी युवती को ढूँढ़ने की अनुमति दे, जो तेरे संग रहे और तेरी देखभाल कर सके। वह तेरे पास लेट कर तुझे गर्म रख सकती है।"
\p
\s5
\v 3 राजा ने उन्हें अनुमति दी, इसलिए उन्होंने एक सुन्दर कुँवारी की पूरे इस्राएल में खोज की। उन्हें शूनेम शहर में अबीशग नाम की एक महिला मिली, और वे उसे राजा के पास ले लाए।
\v 4 वह वास्तव में बहुत सुन्दर थी। उसने राजा की देखभाल की, लेकिन राजा ने उसके साथ सम्बंध नहीं बनाया।
\p
\s5
\v 5-6 अबशालोम की मृत्यु के बाद, दाऊद का सबसे बड़ा पुत्र अदोनिय्याह था, जिसकी माँ हग्गीत थी। वह बहुत रूपवान व्यक्ति था। दाऊद ने कभी उसके किसी भी काम के विषय उसे दण्डित नहीं किया था। अबशालोम की मृत्यु के बाद, उसने सोचा कि वह राजा बन जाएगा तब उसने घमण्ड करना शुरू कर दिया, "अब मैं राजा बन जाऊँगा।" तब जहाँ भी वह जाए उसके लिए उसने कुछ रथ, और उन्हें चलाने के लिए पुरुष और खींचने के लिए घोड़े और पचास पुरुष अंगरक्षकों की तरह उन रथों के आगे दौड़ने के लिए रखे।
\p
\s5
\v 7 एक दिन उसने दाऊद के सेनाध्यक्ष, योआब और याजक एब्यातार से बातचीत की और उन्होंने अदोनिय्याह की सहायता करने का वादा किया।
\v 8 लेकिन अन्य महत्वपूर्ण लोगों ने उसकी सहायता करने से मना कर दिया; इनमें सादोक, जो एक याजक भी था, बनायाह जिसने दाऊद के अंगरक्षकों की देखरेख की थी, नातान भविष्यद्वक्ता, शिमी और रेई और दाऊद के सबसे सक्षम सैनिक सम्मिलित थे।
\p
\s5
\v 9 एक दिन अदोनिय्याह जोहेलेत नामक पत्थर के पास जो एनरोगेल के निकट और यरूशलेम के पास है, कुछ भेड़ों और बैल और परिपुष्ट पशुओं के बलिदान के लिए वहाँ गया। उसने अपने अधिकतर भाइयों, राजा दाऊद के अन्य पुत्रों को आमंत्रित किया। उसने यहूदा से राजा के सभी अधिकारियों को भी उत्सव के लिए आमंत्रित किया।
\v 10 परन्तु उसने नातान, बनायाह और राजा के सबसे सक्षम सैनिकों और अपने छोटे भाई सुलैमान में से किसी को आमंत्रित नहीं किया।
\p
\s5
\v 11 नातान को पता चला कि क्या हो रहा था इसलिए वह सुलैमान की माँ बतशेबा के पास गया और उससे पूछा, "क्या तुने सुना नहीं कि हग्गीत का पुत्र अदोनिय्याह स्वयं को राजा घोषित कर रहा है? और राजा दाऊद इसके विषय नहीं जानता!
\v 12 इसलिए यदि तू स्वयं को और अपने पुत्र सुलैमान को मरने से बचाना चाहती है, तो मुझे तुझको बताने की अनुमति दें कि तुझको क्या करना चाहिए।
\s5
\v 13 राजा दाऊद के पास तुरन्त जा। उससे कहना, 'महामहिम, तूने निष्ठापूर्वक मुझसे वादा किया था कि तेरे मरने के बाद मेरा पुत्र सुलैमान राजा बनेगा और वह तेरे सिंहासन पर बैठेगा और शासन करेगा। तो लोग क्यों कह रहे हैं कि अब अदोनिय्याह राजा है?
\v 14 बतशेबा, जब तू राजा से बातें कर ही रही होगी, मैं अन्दर आकर उसे बता दूँगा कि जो तू अदोनिय्याह के बारे में कह रही है वह सच है।"
\p
\s5
\v 15 तब बतशेबा राजा को देखने उसके शयनकक्ष में गई। वह बहुत बूढ़ा था, और अबीशग उसकी देखभाल कर रही थी।
\v 16 बतशेबा ने राजा के सामने बहुत नीचे सिर झुकाया, और राजा ने उससे पूछा, "तू क्या चाहती है?"
\p
\v 17 उसने उत्तर दिया, "हे महामहिम, तूने निष्ठापूर्वक मुझसे वादा किया था, यह जानकर कि हमारा परमेश्वर यहोवा सुन रहा है, कि मेरा पुत्र सुलैमान तेरे मरने के बाद राजा बन जाएगा और वह तेरे सिंहासन पर बैठेगा और शासन करेगा।
\s5
\v 18 परन्तु अब, अदोनिय्याह ने स्वयं को राजा बना दिया है, और तू इस बारे में कुछ भी नहीं जानता।
\v 19 उसने बहुत सारे बैलों और परिपुष्ट पशुओं और भेड़ों का बलिदान किया है, और उसने तेरे सभी अन्य पुत्रों को उत्सव में आमंत्रित किया है। उसने याजक एब्यातार और योआब सेनाध्यक्ष को भी आमंत्रित किया, लेकिन उसने तेरे पुत्र सुलैमान को आमंत्रित नहीं किया।
\s5
\v 20 महामहिम, इस्राएल के सभी लोग तुझसे यह आशा कर रहे हैं कि तू बताएगा कि वह कौन है जो राजा बनेगा जब तू हमारे बीच नहीं रहेंगे।
\v 21 यदि तू ऐसा नहीं करता है, तब तेरे मरने के बाद लोग मानेंगे कि मैं और मेरा पुत्र सुलैमान विद्रोह कर रहे हैं, और वे हमें मृत्युदंड देंगे क्योंकि हमने अदोनिय्याह को राजा बनने में सहायता नहीं की थी।"
\p
\s5
\v 22 जब वह राजा से बातें कर ही रही थी, तब नातान महल में आया।
\v 23 राजा के कर्मचारियों ने दाऊद से कहा, "नातान भविष्यद्वक्ता आया है।" तो बतशेबा चली गई, और नातान उस स्थान पर गया जहाँ राजा था और घुटने टेक कर, मुँह के बल झुका।
\p
\s5
\v 24 तब नातान ने कहा, "हे महामहिम, क्या तूने घोषणा की है कि अदोनिय्याह तेरे बाद राजा बनेगा?
\v 25 मैं यह इसीलिए कह रहा हूँ क्योंकि आज वह एनरोगेल के पास गया है और उसने बहुत सारे बैल, परिपुष्ट पशुओं और भेड़ों की बलि दी। और उसने तेरे सभी अन्य पुत्रों, योआब सेनाध्यक्ष और याजक एब्यातार को आमंत्रित किया है। वे सब उसके साथ खा पी रहे हैं और कह रहे हैं, 'हमें आशा है कि राजा अदोनिय्याह लम्बे समय तक जीवित रहेगा!'
\s5
\v 26 परन्तु उसने मुझे या सादोक याजक या बनायाह या सुलैमान को आमंत्रित नहीं किया।
\v 27 क्या तूने कहा था कि उन्हें तेरे अन्य अधिकारियों को बताए बिना ऐसा करना चाहिए कि तेरे बाद कौन राजा बनेगा जब तू राजा नहीं रहेगा? "
\p
\s5
\v 28 तब राजा दाऊद ने कहा, "बतशेबा को बोलो कि वह यहाँ दुबारा आए।" कोई उसके पास गया और उसे बताया, वह अन्दर आई और राजा के सामने खड़ी हुई।
\p
\v 29-30 तब राजा ने कहा, "यहोवा ने मुझे मेरी सारी परेशानियों से बचा लिया है। मैंने तुझसे जिस परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं, उनके समक्ष वादा किया था कि तेरा पुत्र सुलैमान राजा बनेगा, जब मैं राजा नहीं रहूँगा। आज, निश्चित रूप से जिस तरह यहोवा जीवित हैं, मैं सत्यनिष्ठा से घोषणा करता हूँ कि मैं वही करूँगा जो मैंने वादा किया था।"
\v 31 बतशेबा ने घुटने टेक कर स्वयं को भूमि की ओर झुकाकर कहा, "हे महामहिम, मुझे आशा है कि तू चिरंजीवी रहेगा!"
\p
\s5
\v 32 तब राजा दाऊद ने एक दास से कहा, "याजक सादोक, नातान भविष्यद्वक्ता, और बनायाह को बुलाओ।" दास गया और उनको बुलाया। जब वे अन्दर आए,
\v 33 उसने उन से कहा, "मेरे पुत्र सुलैमान को मेरे खच्चर पर बैठाओ। उसे मेरे अधिकारियों के साथ गीहोन के झरने के पास ले जाओ।
\v 34 वहाँ, तुम दोनों, सादोक और नातान, उसे इस्राएल पर राजा नियुक्त करने के लिए, जैतून के तेल से अभिषेक करना । तब तुम दोनों तुरही बजाओगे, और तब वहाँ सभी लोग चिल्लाएँगे , ' हम आशा करते है कि राजा सुलैमान युग युग जीयें!'
\s5
\v 35 फिर उसे यहाँ वापस लाओ, वह आएगा और मेरे सिंहासन पर बैठेगा। तब वह मेरे बदले राजा बन जाएगा। मैंने उसे इस्राएल और यहूदा के सभी लोगों का शासक नियुक्त किया है।"
\p
\v 36 बनायाह ने उत्तर दिया, "हम ऐसा ही करेंगे, हम आशा करते हैं कि यहोवा, जो हमारे और तेरा परमेश्वर हैं, ऐसा होने का कारण बनेंगे।
\v 37 राजा दाऊद, यहोवा ने तेरी सहायता की है। हमें आशा है कि वह सुलैमान की भी सहायता करेंगे और उसको तुझसे भी बड़ा राजा बनने में सक्षम बनाएँगे।"
\p
\s5
\v 38 तब सादोक, नातान, बनायाह, और पुरुषों के दो समूह जो राजा के अंगरक्षक थे, गए और सुलैमान को राजा दाऊद के खच्चर पर बैठा कर गीहोन के झरने के पास ले गए।
\v 39 सादोक ने पवित्र तम्बू से जैतून के तेल का पात्र लिया और सुलैमान का अभिषेक किया । तब उनमें से दो ने तुरही बजाई, और सभी लोग चिल्लाने लगे, "हमें आशा है कि राजा सुलैमान युग युग तक जीयें!"
\v 40 तब सब लोग उसके पीछे शहर में चले गए, हर्ष से चिल्लाते और बाँसुरी बजाते हुए। वे इतने जोर से चिल्लाये, कि भूमि हिल गई।
\p
\s5
\v 41 जब अदोनिय्याह और उसके सारे अतिथि उत्सव में भोजन कर चुके तब उन्होंने शोर सुना। जब योआब ने तुरही की आवाज़ सुनी, तो उसने पूछा, "शहर में उस तरह के शोर का क्या अर्थ है?"
\p
\v 42 जब वह अभी बातें कर ही रहा था, तब याजक एब्यातार का पुत्र योनातान पहुँचा अदोनिय्याह ने कहा, "अन्दर आ! तू ऐसे मनुष्य है जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं, अत: अवश्य ही तू हमारे लिए कोई शुभ समाचार लाया होगा!"
\p
\s5
\v 43 योनातान ने उत्तर दिया, "नहीं, मेरे पास शुभ समाचार नहीं है! महामहिम, राजा दाऊद ने सुलैमान को राजा बनाया है!
\v 44 उसने सुलैमान के साथ जाने के लिए सादोक, नातान, बनायाह और अपने अंगरक्षकों के समूह को भेजा। उन्होंने सुलैमान को राजा दाऊद के खच्चर पर बैठा रखा है।
\v 45 वे गीहोन के झरने के पास उतरे, और वहाँ सादोक और नातान ने सुलैमान का राजा बनने के लिए अभिषेक किया। अब वे वहाँ से हर्ष से चिल्लाते हुए, शहर लौट आए हैं। यही कारण है कि तुम सबकों वह महान शोर सुनाई दे रहा है।
\s5
\v 46 इस कारण अब सुलैमान हमारा राजा है।
\v 47 इसके अलावा, महल के अधिकारी महामहिम राजा दाऊद के पास आए, उन्हें यह बताने के लिए कि उसने जो कुछ किया है, वह उससे सहमत हैं। उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि परमेश्वर सुलैमान को तुझसे भी अधिक प्रसिद्ध बनाए और उसे तुझ से बेहतर राजा बनने में सक्षम बनाए।' जब उन्होंने ऐसा कहा, तब राजा ने, अपने बिस्तर पर लेटे हुए, यहोवा की आराधना के लिए अपना सिर झुकाया।
\v 48 फिर उसने कहा, 'मैं यहोवा की स्तुति करता हूँ, जिस परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं, क्योंकि उन्होंने मेरे पुत्रों में से एक को आज राजा बनने दिया और मुझे यह देखने की अनुमति दी है।'"
\p
\s5
\v 49 तब अदोनिय्याह के सभी अतिथि काँप उठे, इसलिए वे सब जल्दी से उठकर चले गए और फैल गए।
\v 50 अदोनिय्याह डर रहा था कि सुलैमान क्या करेगा, इसलिए वह पवित्र तम्बू में गया और वेदी के कोनों पर रखी सामग्री को ले लिया, क्योंकि उसने सोचा कि कोई भी उसे वहा नहीं मारेगा।
\v 51 परन्तु किसी ने सुलैमान से कहा, "देख, अदोनिय्याह तुझ से डरता है, इसलिए वह पवित्र तम्बू में गया है और वेदी को पकड़ रखा है। वह कह रहा है, 'निकलने से पहले, मैं चाहता हूँ कि राजा सुलैमान सत्यनिष्ठा से वादा करे कि मुझे मार डालने का आदेश नहीं देगा।'"
\p
\s5
\v 52 सुलैमान ने उत्तर दिया, "यदि वह सिद्ध करता है कि वह मेरे प्रति निष्ठावान है, तो मैं उसे कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगा। लेकिन यदि वह कुछ भी गलत करता है, तो उसे मार दिया जाएगा।"
\v 53 तब राजा सुलैमान ने कुछ लोगों को अदोनिय्याह के पास भेजा, और वे उसे वेदी से वापस लाए। वह सुलैमान के पास आया और उसके सामने झुक गया। तब सुलैमान ने उससे कहा, "घर जा।"
\s5
\c 2
\p
\v 1 जब दाऊद ने जाना कि वह मरने वाला है, तो उसने अपने पुत्र सुलैमान को यह अंतिम निर्देश दिया:
\p
\v 2 "मैं मरने वाला हूँ, जैसे धरती पर हर कोई मरता है। साहसी बन और पुरुष की तरह अपना आचरण बना।
\v 3 जो कुछ हमारे परमेश्वर यहोवा तुझे करने के लिए कहते हैं, कर। स्वयं का आचरण उनकी इच्छानुसार व्यवस्थित करना। मूसा द्वारा हमें दी गई व्यवस्था में लिखे सभी नियमों और आज्ञाओं और निर्देशों का पालन करना। ऐसा कर ताकि जो कुछ तू करता और जहाँ कहीं तू जाता है उसमें उन्नत्ति करे।
\v 4 यदि तू लगातार ऐसा करता है, तो यहोवा वही करेंगे जो उन्होंने मुझसे वादा किया था। उन्होंने कहा, था 'यदि तेरे वंशज जो मैं उन्हें करने के लिए कहता हूँ, और पुरे प्राण के साथ विश्वासयोग्यता से मेरे आदेशों का पालन करते हैं, तो वे हमेशा इस्राएलियों पर शासन करेंगे।'
\p
\s5
\v 5 मैं चाहता हूँ कि तू कुछ और कर। तू जानता है जो योआब ने मेरे साथ किया था। उसने मेरी सेना के दो प्रधानों, अब्नेर और अमासा को मार डाला। उसने उन्हें हिंसक तरीके से मार डाला। वह हत्या का दोषी है।
\v 6 क्योंकि तू बुद्धिमान है, इसलिए तुझ उसके लिए जो कुछ भी करना उत्तम लगता है, वही कर लेकिन उसे बूढ़े होने और शान्ति से मरने न देना।
\p
\s5
\v 7 परन्तु गिलाद क्षेत्र के व्यक्ति बर्जिल्लै के पुत्रों के प्रति दयालु बने रह, और सुनिश्चित कर कि उनके पास सदैव खाने के लिए पर्याप्त भोजन है। ऐसा इसलिए करो क्योंकि जब मैं तेरे बड़े भाई अबशालोम से भाग रहा था तब बर्जिल्लै ने मेरी सहायता की थी।
\p
\s5
\v 8 इसके अलावा, तू बहरीम शहर के उस क्षेत्र से गेरा के पुत्र शिमी को याद रख जहाँ बिन्यामीन के वंशज रहते हैं। तू जानता है कि उसने मेरे साथ क्या किया। जिस दिन मैंने यरूशलेम छोड़ा और महनैम शहर गया, उस दिन उसने मुझे भयानक शाप दिया। लेकिन जब वह बाद में मुझसे भेंट के लिए नीचे आया जब मैं यरदन नदी पार कर रहा था, तो मैंने सत्यनिष्ठपूर्वक वादा किया, यहोवा भी सुन रहे थे, कि मैं उसे मारने का कारण नहीं बनूँगा।
\v 9 लेकिन अब तुझको निश्चित रूप से उसे दण्डित करना होगा। तू एक बुद्धिमान व्यक्ति है, इसलिए तू जान लेगा कि तुझे उसके साथ क्या करना चाहिए। वह एक बूढ़ा व्यक्ति है, लेकिन यह सुनिश्चित करना कि उसके मरने पर उसका खून बहे । "
\p
\s5
\v 10 जब दाऊद की मृत्यु हो गई और उसे यरूशलेम के उस भाग में मिट्टी दी गई जिसे दाऊद नगर कहा जाता था।
\v 11 दाऊद चालीस वर्षों तक इस्राएल का राजा रहा। उसने हेब्रोन में सात वर्ष और यरूशलेम में तैंतीस वर्ष तक शासन किया।
\v 12 सुलैमान अपने पिता दाऊद की जगह शासक बन गया और उसने सम्पूर्ण राज्य पर नियंत्रण कर लिया।
\p
\s5
\v 13 एक दिन अदोनिय्याह सुलैमान की माँ बतशेबा के पास आया । उसने उससे कहा, "क्या तू भली मनसा से आया है?" उसने उत्तर दिया, "हाँ।"
\p
\v 14 लेकिन फिर उसने कहा, "मेरे पास तुझ से अनुरोध करने के लिए कुछ है।" उसने कहा, "मुझे बता कि तू मुझ से क्या कहना चाहता है।"
\p
\v 15 उसने कहा, "तू जानती है कि सभी इस्राएली लोगों ने मुझसे राजा बनने की आशा की क्योंकि मैं दाऊद का सबसे बड़ा पुत्र हूँ, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बल्कि, मेरा छोटा भाई राजा बन गया, क्योंकि यहोवा यही चाहते थे।
\p
\s5
\v 16 अब मेरा एक काम है जिसके लिए मैं तुझसे अनुरोध करता हूँ। कृपया इसे करने से मना मत करना। "उसने उत्तर दिया," मुझे बता कि तू मुझसे क्या चाहता है।"
\p
\v 17 उसने कहा, "कृपया राजा सुलैमान से कह कि शूनेमिन शहर की महिला अबीशग को मेरी पत्नी बनने के लिए दे । मुझे निश्चय है कि वह मना नहीं करेगा।"
\p
\v 18 बतशेबा ने उत्तर दिया, "बहुत अच्छा, मैं तेरे लिए राजा से बात करूँगी।"
\p
\s5
\v 19 तब बतशेबा राजा सुलैमान के पास गई । राजा अपने सिंहासन से उठा और उसे अभिवादन करने गया और उसकी ओर झुका और फिर अपने सिंहासन पर बैठ गया और किसी से उसके लिए कुर्सी मंगवाई । फिर वह राजा के दाहिने तरफ बैठ गई।
\p
\v 20 तब उसने कहा, "मेरी एक छोटी सी बात है जो मैं चाहती हूँ कि तू कर। कृपया यह मत कहना कि तू ऐसा नहीं करेगा।" राजा ने उत्तर दिया, "माँ, तू क्या चाहती है? मैं तुझे मना नहीं करूँगा।"
\p
\v 21 उसने कहा, "अबीशग को अपने बड़े भाई अदोनिय्याह की पत्नी होने के लिए दें।"
\p
\s5
\v 22 राजा ने गुस्से में उत्तर दिया, "क्या? क्या तू मुझे अबीशग को अदोनिय्याह को देने का अनुरोध कर रही है? क्या वह चाहता है कि मैं उसे राज्य पर शासन करने की भी अनुमति दूँ , क्योंकि वह मेरा बड़ा भाई है, क्या वह सोचता है कि उसे राजा होना चाहिए? क्या वह सोचता है कि एब्यातार को सादोक की बजाय याजक होना चाहिए, और योआब को बनायाह की बजाय सेना का प्रधान होना चाहिए क्योंकि जब उसने राजा बनने का प्रयास किया तो उन्होंने उसे समर्थन दिया? "
\p
\v 23 तब सुलैमान ने सत्यनिष्ठापूर्वक यहोवा को सुनने का आग्रह करते हुए वादा किया, "मैं चाहता हूँ कि परमेश्वर मुझ पर प्रहार करें और मुझे मार डालें, अगर मैं इस अनुरोध के कारण अदोनिय्याह को मारने का कारण नहीं ठहरता !
\p
\s5
\v 24 यहोवा ने मुझे राजा बनने के लिए नियुक्त किया है और मुझे मेरे पिता दाऊद के रूप में शासन करने के लिए यहाँ स्थापित किया है। उन्होंने वादा किया है कि मेरे वंशज इस्राएल के राजा होंगे। निश्चित रूप से यहोवा जीवित हैं, अत: मैं सत्यनिष्ठापूर्वक वादा करता हूँ कि आज ही अदोनिय्याह मार डाला जाएगा! "
\v 25 तब राजा सुलैमान ने बनायाह को अदोनिय्याह को मारने का आदेश दिया, और बनायाह ने ऐसा किया।
\p
\s5
\v 26 तब सुलैमान ने याजक एब्यातार से कहा, "वहाँ अनातोत के नगर अपने देश में जा। तू मरने के योग्य है, परन्तु मैं अब तुझे मृत्युदण्ड नहीं दूँगा, क्योंकि तू ही ऐसा व्यक्ति था जिसने मेरे पिता दाऊद के लिए यहोवा के पवित्र सन्दूक को उठानेवालों की देखभाल कि थी, और तुने मेरे पिता के साथ सभी परेशानियों को सहन किया। "
\v 27 तब सुलैमान ने एब्यातार को यहोवा के याजक पद से हटा दिया। ऐसा करने से वह हुआ जो यहोवा ने कई वर्षों पहले शीलो में कहा था, कि किसी दिन वह एली के वंशजों से छुटकारा पाएगा।
\p
\s5
\v 28 योआब ने अबशालोम का समर्थन नहीं किया जब उसने राजा बनने का प्रयास किया था, लेकिन उसने अदोनिय्याह का समर्थन किया था। तो जब योआब ने सुना कि क्या हुआ, तो वह पवित्र तम्बू में भाग गया, और उसने वेदी को पकड़ लिया क्योंकि उसने सोचा था कि कोई उसे वहाँ नहीं मारेगा।
\v 29 जब किसी ने सुलैमान से कहा कि योआब पवित्र तम्बू में भाग गया है और वेदी को पकड़ रखा है, तो सुलैमान ने बनायाह से कहा, "जा और योआब को मार डाल।"
\p
\s5
\v 30 तब बनायाह पवित्र तम्बू में गया और योआब से कहा, "राजा आज्ञा देता है कि तू बाहर आ।" लेकिन योआब ने उत्तर दिया, "नहीं, मैं यहीं मर जाऊँगा।" तो बनायाह राजा के पास वापस गया और बताया कि उसने योआब से क्या कहा था, और योआब ने क्या उत्तर दिया था।
\p
\v 31 राजा ने उस से कहा, "जो कुछ उसने अनुरोध किया वैसा कर। उसे मार डाल और उसके शरीर को गाड़ दे। यदि तू ऐसा करता है, तब योआब ने जो कुछ किया था, उसके लिए मैं और मेरे वंशजों को दंडित नहीं किया जाएगा, उसने दो लोगों को मार डाला जो निर्दोष थे।
\p
\s5
\v 32 परन्तु मुझे आशा है कि यहोवा योआब को इस्राएल की सेना के प्रधान अब्नेर और यहूदा की सेना के प्रधान अमासा पर हमला करने और मारने के लिए दण्डित करेंगे, जो उसके मुकाबले बेहतर पुरुष थे। मेरे पिता दाऊद को यह भी नहीं पता था कि योआब उन दोनों को मारने की योजना बना रहा था।
\v 33 मुझे आशा है कि यहोवा योआब और उसके वंशजों को सर्वदा के लिए अब्नेर और अमासा की हत्या के लिए दण्डित करेंगे । लेकिन मुझे आशा है कि दाऊद के वंशजों के लिए चीजें सर्वदा भली हों जो शासन करते हैं जैसा उसने शासन किया ।"
\p
\s5
\v 34 तब बनायाह पवित्र तम्बू में गया और योआब को मार डाला। योआब को यहूदा के जंगल में उसकी निज भूमि में मिट्टी दी गई ।
\v 35 तब राजा ने बनायाह को योआब की जगह सेना का प्रधान नियुक्त किया, और उसने सादोक को एब्यातार की जगह याजक बनने के लिए नियुक्त किया।
\p
\s5
\v 36 तब राजा ने शिमी को बुलाने के लिए एक दूत भेजा, और राजा ने उससे कहा, "यरूशलेम में अपने लिए एक घर बना। वहाँ रह और शहर छोड़कर कहीं मत जा।
\v 37 यह सुनिश्चित कर ले कि जिस दिन तू यरूशलेम छोड़कर किद्रोन नाले के पार जाएगा, तुझको मार डाला जाएगा, और यह तेरी गलती होगी। "
\p
\v 38 शिमी ने उत्तर दिया, "हे महामहिम, जो तू कहता है वह अच्छा है। तुने जो कहा है वह मैं करूँगा।" तो शिमी कई वर्षों तक यरूशलेम में रहा।
\p
\s5
\v 39 लेकिन तीन साल बाद, शिमी के दो दास भाग गए। वे गत शहर के राजा माका के पुत्र आकीश के साथ रहने लगे। जब किसी ने शिमी को बताया कि वे गत में है,
\v 40 उसने अपने गधे पर एक काठी लगाई और गधे पर बैठकर गत गया। उसने राजा आकीश के साथ रहनेवाले अपने दासों को पाया और उन्हें घर वापस ले आया।
\p
\s5
\v 41 परन्तु किसी ने राजा सुलैमान से कहा कि शिमी यरूशलेम से गत गया था और लौट आया है।
\v 42 तब राजा ने शिमी को बुलाने के लिए एक सैनिक भेजा और उससे कहा, "मैंने तुझको सत्यनिष्ठापूर्वक यहोवा के समक्ष यह वादा करने के लिए कहा था कि, तू यरूशलेम नहीं छोड़ेगा। मैंने तुझसे कहा, 'सुनिश्चित कर कि यदि तू कभी यरूशलेम छोड़ेगा, तुझको मार डाला जाएगा' और तूने मुझे उत्तर दिया, 'तुने जो कहा है वह अच्छा है; मैं वह करूँगा जो तुने कहा है।'
\p
\s5
\v 43 तो तूने ऐसा क्यों नहीं किया जो तुने परमेश्वर से सत्यनिष्ठापूर्वक वादा किया था? मैंने जो आज्ञा दी थी, उसका उल्लंघन क्यों किया? "
\p
\v 44 राजा ने शिमी से कहा, "तू स्वयं जानता है उन सभी बुरे कामों को जो तुने मेरे पिता दाऊद के लिए किए थे। इसलिए यहोवा अब तुम्हें उन बुरे कामों के लिए दण्डित करेंगे।
\p
\s5
\v 45 परन्तु यहोवा मुझे आशीर्वाद देंगे, और दाऊद के वंशजों को सर्वदा के लिए शासन करने में सक्षम बनाएँगे।"
\p
\v 46 तब राजा ने यहोयादा के पुत्र बनायाह को आज्ञा दी। वह बाहर गया और उसने शिमी को मार डाला।
\p अतः सुलैमान ने राज्य को सम्पूर्ण नियंत्रण में ले लिया।
\s5
\c 3
\p
\v 1 जब सुलैमान ने राजा की बेटी से शादी करने के लिए एक समझौता किया था। और सुलैमान राजा की बेटी को यरूशलेम के एक भाग में रहने के लिए ले आया जिसे दाऊद नगर कहते थे। वह तब तक वहाँ रही जब तक सुलैमान के कार्यकर्ताओं ने उसका घर, यहोवा का भवन और यरूशलेम के चारों ओर की दीवार का निर्माण पूरा नहीं किया।
\v 2 उस समय तक यहोवा का भवन नहीं बनाया गया था, इसलिए इस्राएली उपासना के लिए कई अन्य स्थानों पर बलि चढ़ाते थे।
\v 3 सुलैमान यहोवा से प्रेम करता था, और उसने अपने पिता दाऊद के दिए सभी निर्देशों का पालन किया। लेकिन उसने विभिन्न स्थानों पर बलि चढ़ाई और धूप जलाई।
\p
\s5
\v 4 एक दिन राजा गिबोन शहर में बलि चढ़ाने के लिए गया, क्योंकि वह उपासना का प्रसिद्ध स्थान था। उसने वहाँ हजारों होमबलियाँ चढ़ाई।
\v 5 उस रात, यहोवा स्वप्न में उसके सामने प्रकट हुए। उन्होंने उससे पूछा, "तू मुझसे क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?"
\p
\s5
\v 6 सुलैमान ने उत्तर दिया, "आप हमेशा मेरे पिता दाऊद से बहुत प्यार करते थे, जिसने आपकी अच्छी तरह से सेवा की थी। आपने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे आपके प्रति विश्वासयोग्य रहे और आपके लिए धार्मिकता के काम भी किए और आपने दिखाया है कि आपने उसे कितनी महानता और विश्वासयोग्यता से प्यार किया, मुझ जैसे बेटे को उसे देकर, और अब मैं शासन कर रहा हूँ जैसा कि उसने अपने जीवनकाल में किया था।
\p
\s5
\v 7 अब, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, आपने मुझे मेरे पिता की तरह राजा बनने में सक्षम बनाया है। लेकिन मैं एक छोटे बच्चे की तरह बहुत नादान हूँ । मुझे नहीं पता कि मेरे लोगों पर शासन कैसे करूँ।
\v 8 मैं उन लोगों के बीच रहता हूँ जिन्हें आपने चुना है। उन लोगों का एक बहुत बड़ा समूह है। वे बहुत संख्य में हैं; कोई भी उन्हें गिन नही सकता है।
\v 9 कृपया मुझे स्पष्ट रूप से सोचने योग्य बनाएं, ताकि मैं आपके लोगों पर भली-भाँति शासन कर सकूँ। मुझे यह जानने के योग्य बनाएं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो मैं कभी भी आपके लोगों के इस विशाल समूह पर शासन नहीं कर सकूँगा।"
\p
\s5
\v 10 यहोवा बहुत प्रसन्न हुए कि सुलैमान ने उनसे यह अनुरोध किया था।
\v 11 परमेश्वर ने उससे कहा, "तुने दीर्घायु होने या बहुत धनवान होने या अपने समस्त शत्रुओं को मारने योग्य होने का अनुरोध नहीं किया है । इसकी बजाय, तुने अनुरोध किया है कि मैं तुझको बुद्धिमान बना दूँ ताकि तू इन लोगों को नियंत्रित करते समय उचित जानने के योग्य और उचित करने के योग्य हो सके।
\v 12 अत: मैं निश्चित रूप से तेरे द्वारा किए गए अनुरोध को पूरा करूँगा। मैं तुझको बहुत बुद्धिमान होने योग्य बनाऊँगा। परिणाम यह होगा कि न तुझ से पहले न तेरे बाद कभी कोई उतना बुद्धिमान होगा जितना तू होगा।
\p
\s5
\v 13 मैं तुझको वे चीजें भी दूँगा जिनके लिए तुने अनुरोध नहीं किया। जितने वर्ष तू जीवित रहेगा मैं तुझको बहुत समृद्ध और सम्मानित बनाऊँगा। तू किसी अन्य राजा की तुलना में अधिक धनवान और अधिक सम्मानित होगा।
\v 14 यदि तू अपने जीवन का संचालन वैसे करता रहे, जैसा कि मैं चाहता हूँ, और यदि तू अपने पिता दाऊद के अनुसार मेरे सभी नियमों और आज्ञाओं का पालन करता रहे, तो मैं तुझको कई वर्षों तक जीवित रहने के योग्य बनाऊँगा।"
\p
\s5
\v 15 तब सुलैमान जाग गया, और उसने अनुभव किया कि परमेश्वर ने स्वप्न में उससे बातें की थीं। तब वह यरूशलेम गया और पवित्र तम्बू के सामने खड़ा हुआ जहाँ पवित्र सन्दूक था, और वहाँ उसने कई होमबलि और मेलबलि चढ़ाए जो वेदी पर पूरी तरह जला दिए गए और मेलबलि जो यहोवा के साथ मित्रता का वादा करने के लिए थे। फिर उसने अपने सभी अधिकारियों के लिए भोज रखा।
\p
\s5
\v 16 एक दिन दो वेश्याएँ आईं और राजा सुलैमान के सामने खड़ी हो गईं।
\v 17 उनमें से एक ने कहा, "महामहिम, यह स्त्री और मैं एक ही घर में रहती हैं। मैंने एक बच्चे को जन्म दिया जब यह भी वहाँ थी।
\p
\s5
\v 18 मेरे बच्चे के जन्म के तीसरे दिन, इस स्त्री ने भी एक बच्चे को जन्म दिया। हम दोनों ही घर में थीं। वहाँ कोई और नहीं था।
\p
\v 19 लेकिन एक रात इस स्त्री के बच्चे की मृत्यु हो गई क्योंकि यह गलती से अपने बच्चे के ऊपर लेट गई और उसे दबा दिया।
\v 20 तो यह आधी रात को उठी और मेरे बच्चे को ले गई जो मेरी बगल में सो रहा था। वह उसे अपने बिस्तर पर ले गई और अपना मृत बच्चा लाकर उसे मेरे बिस्तर में लिटा दिया।
\p
\s5
\v 21 जब मैं अगली सुबह जागी और मेरे बच्चे की देखभाल करने के लिए तैयार हुई, मैंने देखा कि वह मर चुका था। लेकिन जब मैंने सुबह की रोशनी में ध्यान से देखा, मैंने देखा कि वह मेरा बच्चा नहीं था!"
\p
\v 22 लेकिन दूसरी स्त्री ने कहा, "यह सच नहीं है! जीवित बच्चा मेरा है, और जो बच्चा मर चुका है वह तेरा है!" तब पहली स्त्री ने कहा, "नहीं, मृत बच्चा तेरा है, और जो जीवित है वह मेरा है!" और वे राजा के सामने बहस करती रहीं।
\p
\s5
\v 23 तब राजा ने कहा, "तुम दोनों कह रही हो, 'जीवित बच्चा मेरा है और जो मर चुका है वह तेरा है।'"
\v 24 उसने अपने एक दास से कहा, "मुझे तलवार दे।" तो दास ने राजा को तलवार दी।
\v 25 तब राजा ने दास से कहा, "जीवित बच्चे को दो भागों में काट दे। प्रत्येक स्त्री को एक एक हिस्सा दे दो।"
\p
\s5
\v 26 परन्तु जिस स्त्री का बच्चा जीवित था, वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थी, इसलिए उसने राजा से कहा, "नहीं, महामहिम! उसे बच्चे को मारने की अनुमति न दें! इस स्त्री को वह बच्चा जीवित दे दो!" लेकिन दूसरी स्त्री ने राजा से कहा, "नहीं, इसे दो भागों में काट दो। तब न वह उसका बच्चा रहेगा न मेरा बच्चा रहेगा।"
\p
\v 27 तब राजा ने दास से कहा, "बच्चे को मत मार। बच्चे को उस स्त्री को दे दे जिसने कहा, 'बच्चे को दो भागों में मत काटो, क्योंकि वह वास्तव में बच्चे की माँ है।"
\p
\v 28 सभी इस्राएली लोगों ने राजा के निर्णय के विषय सुना, और उसके लिए उसका बहुत अद्भुत सम्मान हुआ। उन्होंने अनुभव किया कि परमेश्वर ने वास्तव में उसे लोगों के मामलों का निष्पक्ष रूप से न्याय करने के लिए बहुत बुद्धिमान बनने में सक्षम बनाया है।
\s5
\c 4
\p
\v 1 अब जब सुलैमान समस्त इस्राएल पर राजा था,
\v 2 ये उसके सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी थे:
\q अजर्याह याजक, जिसका पिता सादोक था।
\q
\v 3 शिशा के पुत्र एलीहोरोप और अहिय्याह आधिकारिक सचिव थे।
\q अहीलूद का पुत्र यहोशापात वह था जिसने लोगों के लिए राजा के फैसले की घोषणा की थी।
\q
\v 4 बनायाह सेना का प्रधान था।
\q सादोक और एब्यातार भी याजक थे।
\p
\s5
\v 5 अजर्याह, जिसका पिता नातान था, राज्यपालों का प्रभारी था।
\q नातान के पुत्रों में से एक, जाबूद याजक और राजा का मुख्य सलाहकार था।
\q
\v 6 अहिशार ने महल में काम करने वाले दासों की देखरेख की।
\q अब्दा के पुत्र अदोनीराम ने उन पुरुषों की निगरानी की जिन्हें राजा का काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
\p
\s5
\v 7 सुलैमान ने इस्राएल के जिलों को नियंत्रित करने के लिए बारह पुरुषों को नियुक्त किया। वे राजा और अन्य सभी लोगों के लिए जो महल में रहते थे और काम करते थे भोजन का प्रबन्ध करते थे । प्रत्येक व्यक्ति को अपने जिले से प्रत्येक वर्ष एक महीने के लिए भोजन का प्रबन्ध करना आवश्यक था।
\v 8 उनके नाम थे:
\q एप्रैम के गोत्र के पहाड़ी इलाके के लिए, बेन्हूर।
\q
\v 9 माकस, शाल्बीम, बेतशेमेश और एलोन बेतानान के नगरों के लिए ,बेन्देकेर
\q
\v 10 अरुब्बोत और सोको के नगर और हेपेर शहर के पास के क्षेत्र के लिए, बेन्हेसेद
\p
\s5
\v 11 दोर के सभी जिले के लिए, बेन-अबीनादाब, जिसने सुलैमान की बेटी तापत से विवाह किया था
\q
\v 12 अहीलूद का पुत्र बाना, जिसके अधिकार में तानाक और मगिद्दो के नगर, सारतान शहर के पास के सभी इलाके और यिज्रेल के दक्षिण में बेतशान शहर से आबेल-महोला अर्थात् योकमाम के नगर तक,
\q
\v 13 बेनगेबेर, गिलाद के क्षेत्र में रामोत शहर के लिए, याईर के गांवों के लिए, जो मनश्शे के वंशज थे, और बाशान के क्षेत्र में अर्गोब के क्षेत्र। उस क्षेत्र में साठ बड़े शहर थे, प्रत्येक शहर के चारों ओर एक दीवार और सभी द्वारों पर पीतल के जंगले थे।
\q
\v 14 इद्दो के पुत्र अहिनादाब,को यरदन नदी के पूर्व महनैम शहर के लिए;
\p
\s5
\v 15 नप्ताली क्षेत्र के लिए अहीमास, जिसने सुलैमान की बेटी बासमत से विवाह किया था,
\q
\v 16 हूशै का पुत्र बाना, आशेर और अलोत शहर के लिए,
\q
\v 17 पारुह के पुत्र यहोशापात, इस्साकार के गोत्र के क्षेत्र के लिए,
\p
\s5
\v 18 एला के पुत्र शिमी, बिन्यामीन के गोत्र के क्षेत्र के लिए,
\q
\v 19 ऊरी के पुत्र गेबेर, गिलाद के क्षेत्र के लिए, जिस देश में आमोर के समूह के राजा सीहोन ने पहले शासन किया था, और ओग, जिसने पहले बाशान के क्षेत्र पर शासन किया था।
\p इन सबके अलावा, सुलैमान ने यहूदा के गोत्र के क्षेत्र के लिए एक राज्यपाल नियुक्त किया।
\p
\s5
\v 20 यहूदा और इस्राएल में लोग समुद्र के किनारे के रेतकणों की तरह बहुत थे। उनके पास खाने और पीने के लिए बहुत कुछ था, और वे आनंदित थे।
\v 21 सुलैमान का राज्य पूर्वोत्तर में फरात नदी के क्षेत्र से पश्चिम में पलिश्तियों के प्रदेश तक और दक्षिण में मिस्र की सीमा तक फैल गया। उन क्षेत्रों के लोगों ने करों का भुगतान किया और अपने जीवन के दौरान सुलैमान के नियंत्रण में थे।
\p
\v 22 जिन लोगों पर सुलैमान ने शासन किया था, उन्हें हर दिन सुलैमान के लिए उत्तम आटे से लदे तीस गधे और गेहूँ से लदे साठ गधे
\v 23 पशुशाला में पले हुए पशुओं में से दस बैल और चारागाहों में पले हुए बीस बैल, सौ भेड़, घरेलू कुक्कुट और तैयार किए हुए पक्षी, हिरण, चिकारे और मृग लाने पड़ते थे।
\p
\s5
\v 24 सुलैमान ने फरात नदी के पश्चिम में उत्तर-पूर्व में तिप्सह शहर से दक्षिण-पश्चिम में गाजा शहर तक शासन किया। उसने उस क्षेत्र के सभी राजाओं पर शासन किया। उसकी सरकार और आस-पास के देशों की सरकारों के बीच शाँति थी।
\v 25 सुलैमान के शासन के वर्षों के दौरान, यहूदा और इस्राएल के लोग सुरक्षित थे।
\p
\s5
\v 26 सुलैमान के पास घोड़ों के लिए चालीस हजार घुड़शालायें थी, जो रथों को खींचते थे और बारह हजार घुड़सवार थे।
\p
\v 27 उसके बारह जिला राज्यपालों ने उस भोजन की आपूर्ति की जो राजा सुलैमान के लिए और महल में आए सभी लोगों के लिए जरूरी था। प्रत्येक राज्यपाल ने प्रत्येक वर्ष एक महीने के लिए भोजन की आपूर्ति की। उन्होंने सुलैमान को जो कुछ भी आवश्यक था, प्रदान किया।
\v 28 वे रथों को खींचने वाले तेज घोड़ों और अन्य काम के घोड़ों के लिए जौ की भूसी और गेहूँ भी लाए। उन्होंने इस चारे को उन जगहों पर रखा जहाँ घोड़ों को रखा गया था।
\p
\s5
\v 29 परमेश्वर ने सुलैमान को बेहद बुद्धिमान और महान समझ में सक्षम बनाया। उसने बड़ी संख्या में चीजों के विषय सीखने का आनंद लिया।
\v 30 वह इस्राएल के पूर्व के क्षेत्रों के सभी बुद्धिमान पुरुषों और मिस्र के सभी बुद्धिमान पुरुषों से अधिक बुद्धिमान था।
\v 31 एज्रा से एतान, हेमान, कलकोल और दरदा और महोल के पुत्रों को बहुत बुद्धिमान माना जाता था, परन्तु सुलैमान उन सभी से अधिक बुद्धिमान था। आस-पास के देशों के लोगों ने सुलैमान के विषय सुना।
\p
\s5
\v 32 उसने एक हजार से अधिक गीत रचे।
\v 33 उसने विभिन्न प्रकार के पौधों के विषय बातें की, लबानोन के विशाल देवदार के पेड़ से लेकर दीवारों की दरारों में बढ़ने वाले छोटे पौधों तक। उसने जंगली जानवरों, पक्षियों, सरीसृपों और मछलियों के विषय भी बातें की।
\v 34 पूरी दुनिया से लोग सुलैमान द्वारा बुद्धि की बातें सुनने के लिए आते थे । कई राजाओं ने पुरुषों को सुनने के लिए भेजा जिन्होंने लौटकर उन्हें बताया कि सुलैमान ने क्या कहा था।
\s5
\c 5
\p
\v 1 हीराम, सोर शहर का राजा जो सदैव राजा दाऊद का करीबी मित्र था। जब उसने सुना कि सुलैमान को राजा नियुक्त किया गया तो उसने सुलैमान के पास दूत भेजे।
\v 2 सुलैमान ने उन सन्देशवाहकों को वापस हीराम को यह सन्देश देने भेजा:
\v 3 "तू जानता है कि मेरे पिता दाऊद ने अपने सैनिकों को आस-पास के देशों में अपने शत्रुओं के विरुद्ध कई युद्ध लड़ने में नेतृत्व किया था। अत: वे परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाने का प्रयास नहीं कर सके जिसमें हम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर सकते थे जब तक कि यहोवा ने इस्राएली सेना को अपने सभी शत्रुओं को हराने के लिए सक्षम नहीं किया ।
\p
\s5
\v 4 परन्तु अब हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें आस-पास के देशों के साथ शान्ति बनाए रखने में सक्षम बनाया है। कोई ऐसा संकट नहीं है कि हम पर हमला किया जाएगा।
\v 5 यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से वादा किया था, 'तेरा पुत्र, जिसे मैं तेरे बाद राजा बनाऊंगा, वह मेरे, परमेश्वर यहोवा के लिए एक भवन बनायेगा।'
\p
\s5
\v 6 इसलिए मैं अनुरोध करता हूँ कि तू अपने कर्मचारियों को मेरे लिए देवदार के पेड़ों को काटने की आज्ञा दे। मेरे कर्मचारी उनके साथ काम करेंगे, और जो कुछ तू तय करता है, मैं तेरे कर्मचारियों को अदा करूँगा। लेकिन मेरे कर्मचारी अकेले काम नहीं कर सकते क्योंकि वे नहीं जानते कि सीदोन शहर में तेरे कर्मचारियों की तरह कैसे पेड़ काटें।"
\p
\s5
\v 7 जब हीराम ने सुलैमान से सन्देश सुना, तो वह बहुत आनंदित हुआ और कहा, "आज मैं यहोवा की स्तुति करता हूँ कि उस महान राष्ट्र पर शासन करने के लिए दाऊद को एक बुद्धिमान पुत्र दिया!"
\p
\v 8 उसने वापस यह सन्देश सुलैमान के पास भेजा, " मैंने तेरे भेजे सन्देश को सुना है, और तूने जो कुछ कहा है वह करने के लिए तैयार हूँ। मैं देवदार और सनोवर की लकड़ी प्रदान करूँगा।
\p
\s5
\v 9 मेरे कर्मचारी लबानोन पहाड़ों से भूमध्य सागर तक से लकड़ी लाएँगे। तब मेरे कर्मचारी उन्हें एक साथ जोड़ कर बेड़ा बनवाकर जिस स्थान के विषय तू कहेगा वहाँ समुद्र के किनारे पानी में लकड़ी को खोल देंगे, और तेरे कर्मचारी उन्हें वहाँ से ले जाएँगे। मैं चाहता हूँ कि तू मेरे कर्मचारियों के लिए भोजन की आपूर्ति कर।"
\p
\s5
\v 10 इसलिए हीराम ने अपने कर्मचारियों के लिए सभी देवदार और सनोवर लकड़ी की आपूर्ति करने की व्यवस्था की जो सुलैमान चाहता था।
\v 11 हर साल सुलैमान ने हीराम को उसके कर्मचारियों को खिलाने के लिए 3,520 घन मीटर गेहूँ और 416,350 लीटर शुद्ध जैतून का तेल दिया।
\v 12 यहोवा ने सुलैमान को बुद्धिमान होने में सक्षम बनाया, जैसा उसने वादा किया था। सुलैमान और हीराम ने संधि की।
\p
\s5
\v 13 राजा सुलैमान ने पूरे इस्राएल से तीस हजार लोगों को बंधुआ मजदूर बनाया।
\v 14 अदोनीराम उनका मालिक था। सुलैमान ने पुरुषों को तीन समूहों में विभाजित किया। प्रत्येक महीने उनमें से दस हजार लबानोन गए और वहाँ एक महीने तक काम किया, और फिर वे दो महीने के लिए घर वापस आये।
\p
\s5
\v 15 सुलैमान ने पहाड़ी देश में पत्थरों को तोड़ने के लिए अस्सी हजार लोगों को और पत्थरों को यरूशलेम तक खींचते हुए लाने के लिए सत्तर हजार पुरूषों को बंधुआ बनाया।
\v 16 उसने उनके काम की देखरेख के लिए 3,300 पुरुषों को भी नियुक्त किया।
\p
\s5
\v 17 राजा ने अपने कर्मचारियों को खदानों से पत्थरों के विशाल खण्ड और पत्थरों के किनारों को चिकना बनाने का आदेश दिया। ये विशाल पत्थर भवन की नींव के लिए थे।
\v 18 सुलैमान के मजदूरों और हीराम के मजदूरों और गेबल शहर के पुरुषों ने पत्थरों को आकार दिया और भवन बनाने के लिए लकडियाँ तैयार की।
\s5
\c 6
\p
\v 1 इस्राएली लोगों के मिस्र छोड़ने के 480 साल बाद, सुलैमान के इस्राएल पर शासन करने के चौथे वर्ष के दौरान जीव नामक दूसरे महीने में, सुलैमान के कर्मचारियों ने भवन का निर्माण शुरू किया।
\p
\v 2 भवन का अंदरूनी मुख्य भाग सत्ताईस मीटर लम्बा, नौ मीटर चौड़ा, साढ़े तेरह मीटर ऊँचा था।
\p
\s5
\v 3 सामने वाला बरामदा साढ़े चार मीटर गहरा और भवन के मुख्य भाग के समान नौ मीटर चौड़ा था।
\v 4 भवन की दीवारों में खिड़कियों की तरह खुले छेद थे। छेद अन्दर की तुलना में बाहर की ओर संकुचित थे।
\p
\s5
\v 5 दोनों पक्षों और भवन की दीवारों के पीछे, उन्होंने एक ढांचा बनाया जिसमें कमरे थे। इस ढांचे में तीन स्तर थे; प्रत्येक स्तर सवा दो मीटर ऊँचा था।
\v 6 निचले स्तर पर प्रत्येक कमरा सवा दो मीटर चौड़ा था। मध्य स्तर में प्रत्येक कमरा दो और चार-पाँच मीटर चौड़ा था। शीर्ष स्तर के कमरे तीन और एक का दसवां भाग मीटर चौड़े थे। भवन की दीवार शीर्ष स्तर पर मध्य स्तर की तुलना में पतली थी, और मध्य स्तर की दीवार नीचे की दीवार की तुलना में पतली थी। इस तरह, उनके नीचे की दीवार पर कमरे स्थिर रह सकते थे; कमरों को सहारे के लिए लकड़ी की कड़ी की जरूरत नहीं थी।
\p
\s5
\v 7 भवन की नींव के लिए विशाल पत्थरों को खदानों में बहुत चिकना बनाने के लिए काटा और आकार दिया गया था। परिणाम यह रहा कि जब मजदूर भवन बना रहे थे, वहाँ कोई शोर नहीं था, क्योंकि उन्होंने वहाँ हथौड़ों या छेनी या किसी अन्य लोहे के उपकरण का उपयोग नहीं किया था।
\p
\v 8 इस संलग्न संरचना के नीचले स्तर प्रवेश द्वार भवन के दक्षिण की तरफ था। नीचे के स्तर से बीच और शीर्ष स्तर तक सीढ़ियाँ थीं।
\p
\s5
\v 9 सुलैमान के कार्यकर्ताओं ने भवन के ढांचे का निर्माण पूरा कर लिया। उन्होंने देवदार की लकड़ियों और तख्तों से छत बना दी।
\v 10 उन्होंने मुख्य कक्षों के साथ कमरे को तीन स्तरों के साथ बनाया, प्रत्येक सवा दो मीटर ऊँचे, और देवदार की कड़ियों से भवन के साथ मिला दिया ।
\p
\s5
\v 11 तब यहोवा ने सुलैमान से यह कहा,
\v 12 "मैं तुझे इस भवन के बारे में बताना चाहता हूँ जो तू बना रहा है। यदि तू लगातार मेरे सभी नियमों और आज्ञाओं का पालन करता रहे, तो मैंने तेरे पिता दाऊद से जो वादा किया था, वह मैं पूरा करूँगा।
\v 13 मैं इस भवन में इस्राएलियों के बीच रहूँगा, और मैं उन्हें कभी नहीं छोड़ूँगा। "
\p
\s5
\v 14 सुलैमान के मजदूर भवन बनाने के लिए काम करते थे।
\v 15 अन्दर, उन्होंने फर्श से छत तक कमरे को रेखांकित किया। उन्होंने देवदार की तख्तों से फर्श बनाया।
\p
\s5
\v 16 भवन के पीछे के भाग के अन्दर उन्होंने एक आंतरिक कमरा बनाया, जिसे अति पवित्र स्थान कहा जाता है। यह नौ मीटर लम्बा था। इस कमरे की सभी दीवारों को देवदार तख्तों के साथ रेखांकित किया गया था।
\v 17 अति पवित्र स्थान के सामने एक कमरा था जो अठारह मीटर लम्बा था।
\v 18 भवन के अन्दर की दीवारों पर देवदार तख्तों को लौकी और फूलों की नक्काशी से सजाया गया था। दीवारें पूरी तरह से देवदार तख्तों से ढकी हुई थीं, जिसके परिणामस्वरूप उनके पीछे की दीवारों के पत्थर नहीं दिखते थे।
\p
\s5
\v 19 भवन के पीछे उन्होंने पवित्र सन्दूक को रखने के लिए, अति पवित्र स्थान बनाया।
\v 20 वह कमरा नौ मीटर लम्बा, नौ मीटर चौड़ा, और नौ मीटर ऊँचा था। उन्होंने दीवारों को शुद्ध सोने की बहुत पतली परत से ढँक दिया। धूप जलाने के लिए उन्होंने देवदार तख्तों की एक वेदी भी बनाई।
\p
\s5
\v 21 सुलैमान ने उन्हें शुद्धसोने की बहुत पतली परत के साथ भवन के अन्दर की अन्य दीवारों को ढँकने और पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार पर सोने की चेन को मजबूत करने के लिए कहा।
\v 22 उन्होंने भवन की सारी दीवारें और वेदी जो अति पवित्र स्थान के बाहर थीं, सोने की बहुत पतली परत से ढँकीं थीं।
\p
\s5
\v 23 जैतून के पेड़ की लकड़ी से बने पवित्र स्थान के अन्दर पंखों के साथ दो प्राणियों की बड़ी मूर्तियाँ स्थापित की गई। प्रत्येक साढ़े चार मीटर लम्बी थी।
\v 24-26 प्रत्येक एक ही माप और एक ही आकार के थे। उनमें से प्रत्येक के दो पंख थे जो फैले हुए थे। प्रत्येक पंख सवा दो मीटर लम्बे थे, जिसके परिणामस्वरूप दो पंखों के बाहरी सिरों के बीच की दूरी साढ़े चार मीटर थी। प्रत्येक करुब की ऊँचाई साढ़े चार मीटर थी।
\p
\s5
\v 27 उन्होंने इन मूर्तियों को एक दूसरे की बगल में अति पवित्र स्थान पर रखा ताकि एक के पंख कमरे के केंद्र में दूसरे के एक पंख को, और बाहरी पँख दीवारों को छुए।
\v 28 उन्होंने मूर्तियों को सोने की बहुत पतली परत से ढँक दिया।
\p
\s5
\v 29 सुलैमान ने उन्हें पँख वाले प्राणियों और खजूर के पेड़ और फूलों के प्रतिरूप की नक्काशी करके मुख्य कमरे की दीवारों और अति पवित्र स्थान को सजाने के लिए कहा।
\v 30 उन्होंने सोने की बहुत पतली परत के साथ दोनों कमरों के फर्श को भी ढँका।
\p
\s5
\v 31 उन्होंने जैतून के पेड़ की लकड़ी से फाटकों का एक समूह बनाया, और उन्हें अति पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार पर स्थित किया । चौखट और फाटक के पांच प्रायोजित वर्ग थे।
\v 32 दरवाजे प्रतिरूपित पंख वाले प्राणियों, खजूरके पेड़ों और फूलों द्वारा सजाए गए थे। इन सभी चीजों को सोने की बहुत पतली परत से ढँक दिया गया था।
\p
\s5
\v 33 उन्होंने चार प्रायोजित वर्गों के साथ जैतून के पेड़ की लकड़ी से एक आयताकार फाटक बनाया, और इसे प्रवेश कक्ष और मुख्य कमरे के बीच स्थित किया।
\v 34 उन्होंने सनोवर की लकड़ी से मुड़नेवाले दो फाटक बनाए और उन्हें चौखट पर स्थित किया।
\v 35 फाटक भी पंख वाले प्राणियों, खजूर के पेड़ों और फूलों की नक्काशी से सजाए गए थे, और उन्हें सोने की बहुत पतली परत से समान रूप से ढँका गया था।
\p
\s5
\v 36 उन्होंने भवन के सामने एक आंगन बनाया। आंगन के चारों ओर की दीवारें देवदार और पत्थर से बनी थीं। दीवारों को बनाने के लिए, देवदार की कड़ी की प्रत्येक परत के बीच उन्होंने पत्थर की दो परतें डाली।
\p
\s5
\v 37 उन्होंने सुलैमान के शासन के चौथे वर्ष में, जीव के महीने में यहोवा के भवन की नींव रखी।
\v 38 शासनकाल के ग्यारहवें वर्ष के बूल के महीने में, उन्होंने भवन और उसके सभी हिस्सों का निर्माण पूरा किया, ठीक उसी तरह जैसा सुलैमान ने उन्हें करने के लिए कहा था। इसे बनाने में सात साल लगे।
\s5
\c 7
\p
\v 1 उन्होंने सुलैमान के लिए एक महल भी बनाया, लेकिन इसे बनाने में तेरह साल लगे।
\v 2 उनके द्वारा बनाई गई इमारतों में एक बड़ा अनुष्ठानित सभा-भवन भी बनाया गया था। इसे लबानोन के वन का महल कहा जाता था। यह छियालीस मीटर लम्बा, तेईस मीटर चौड़ा, और चौदह मीटर ऊँचा था। यह देवदार के खंभों की चार पंक्तियों द्वारा समर्थित था। प्रत्येक पंक्ति में देवदार के कड़े थे।
\p
\s5
\v 3 बढ़ई ने देवदार के तख्ते से छत का निर्माण किया जो कड़े से जुड़े थे। बढ़ई ने देवदार कड़े के सहारे के लिए खम्भे बनाए। कुल पैंतालीस खंभे लगाए गए छत के सहारे के लिए प्रत्येक पंक्ति में पंद्रह खम्भे बनाये गये ।
\v 4 दोनों तरफ की दीवारों पर एक दूसरे के सामने खिड़कियों के तीन समूह थे।
\v 5 सभी खिड़कियों और दरवाजे के चौखट आयताकार थे। एक तरफ की लम्बी दीवार के साथ की खिड़कियाँ दूसरी तरफ की खिड़कियों के सामने थी।
\p
\s5
\v 6 उन्होंने खंभों से एक लम्बा कमरा भी बनाया; यह तेईस मीटर लम्बा और चौदह मीटर चौड़ा था। इसके सामने एक ढँका हुआ बरामदा था जिसकी छत खंभों के सहारे टिकी हुई थी।
\p
\s5
\v 7 तब उन्होंने सिंहासन के पास सभा-भवन नामक एक इमारत बनाई। इसे न्याय का सिंहासन भी कहा जाता था। यही वह स्थान था जहाँ सुलैमान लोगों के विवादों का निर्णय करता था। पूरा फर्श देवदार की लकड़ी से ढँका हुआ था।
\p
\s5
\v 8 न्याय के सिंहासन के पीछे आंगन में उन्होंने सुलैमान के लिए एक घर बनाया जो अन्य इमारतों की तरह बना था। उन्होंने उसकी पत्नी के लिए जो मिस्र के राजा की पुत्री थी उसी तरह का घर बनाया।
\p
\s5
\v 9 इन सभी इमारतों और महल के आंगन के चारों ओर की दीवारों को, नींव से छज्जे तक पत्थरों से बनाया गया था। यह ऐसे बहुमूल्य पत्थरों का था जो मजदूरों के द्वारा खदानों में से काटकर आवश्यक आकारों के अनुसार बनाया गया था, और पत्थरों के किनारे आरे से काटकर उन्हें चिकना बनाया गया था।
\v 10 तैयार किए गए बहुमूल्य पत्थरों के विशाल खण्ड से नींव भी बनाई गई थी। उनमें से कुछ लगभग पौने चार मीटर लम्बे थे और अन्य चार और चार-पाँच मीटर लम्बे थे।
\p
\s5
\v 11 नींव के पत्थरों के शीर्ष पर अन्य बहुमूल्य पत्थर थे जिन्हें उनके आवश्यक आकारों के साथ-साथ देवदार की लकड़ी के अनुसार काटा गया था।
\v 12 महल का आंगन, भवन के सामने का भीतरी आंगन, और भवन के सामने का आंगन देवदार की कड़ियों से जिनकी प्रत्येक परत के बीच कटे पत्थरों की तीन परतें डालकर दीवारें बनाई गई थीं।
\p
\s5
\v 13-14 वहाँ एक व्यक्ति था जो सोर शहर में रहता था जिसका नाम हूराम था। वह शिल्पकार था। उनके पिता भी सोर में रहते थे और पीतल की चीजें बनाने में भी बहुत कुशल थे, लेकिन हूराम के पिता अब जीवित नहीं थे। उनकी माँ नप्ताली के गोत्र से थी। हूराम बहुत बुद्धिमान और पीतल की चीजें बनाने में बहुत कुशल था। सुलैमान ने उसे यरूशलेम आने और पीतल की चीजों को बनाने के सभी कामों की निगरानी करने के लिए आमंत्रित किया, और हूराम भी सहमत हुआ।
\p
\s5
\v 15 उसने पीतल के दो खंभे बनाए। प्रत्येक सवा आठ मीटर लम्बा और परिधि में साढ़े आठ मीटर था।
\v 16 उसने खंभे के शीर्ष पर रखे जाने के लिए चमचमाते पीतल के दो ऊपरी भागों को भी बनाया। प्रत्येक शीर्ष सवा दो मीटर ऊँचा था।
\v 17 फिर उसने प्रत्येक खंभे के शीर्ष को सजाने के लिए पुष्पांजलि जैसी श्रृंखलाओं से पीतल की जालियाँ बनाई। प्रत्येक खंभे के शीर्ष पर ऐसी सात जालियाँ थी।
\p
\s5
\v 18 हूराम ने पीतल से अनार की तरह आकृतियां भी बनाईं। उन्होंने प्रत्येक खंभे के शीर्ष पर अनार की दो पंक्तियां बनाईं ।
\v 19 प्रत्येक खंभे के शीर्ष को सोसन के फूल का आकार दिया गया था। प्रत्येक सोसन के फूल का पत्ता एक और चार-पाँचवां मीटर लम्बा था।
\p
\s5
\v 20 इन शीर्षों को कटोरे के आकार वाले अनुभाग पर रखा गया था, प्रत्येक खंभे के शीर्ष के चारों ओर अनार की दो सौ आकृतियों की दो पंक्तियां थीं।
\v 21 उसके सहायकों ने भवन के प्रवेश द्वार के सामने खंभे स्थापित किए। दक्षिण की ओर खंभे का नाम याकीन रखा गया था, और उत्तर की ओर खंभे को बोअज़ नाम दिया गया था।
\v 22 पीतल के शीर्ष जो सोसन के फूल की तरह आकार के थे, खंभे के शीर्ष पर रखे गए थे।
\p हूराम और उसके सहायकों ने पीतल के खंभे बनाने का काम पूरा कर लिया।
\p
\s5
\v 23 हूराम ने "सागर" नामक बहुत बड़ा गोल पीतल का जल कुंड भी बनाया जो धातु से बना था और मिट्टी के साँचे में ढाला गया था। यह सवा दो मीटर लम्बा, चार और तीन-पाँचवें मीटर भर में था, और परिधि में पौने चौदह मीटर था।
\v 24 "सागर" के बाहरी किनारे के चारों ओर आकृतियों की दो पंक्तियां थीं जो पीतल से बनी लौकी जैसी दिखती थीं। लेकिन पीतल से बनी लौकी अलग से नहीं ढाली गयी थी। उन्हें जल कुंड के बाकी हिस्सों के समान साँचे में ढाला गया था। जल कुंड के किनारे के चारों ओर लम्बाई के प्रत्येक मीटर में लगभग पीतल से बनी अठारह लौकी थी।
\p
\s5
\v 25 हूराम ने पीतल की बारह बैलों की मूर्तियों को भी ढाला। उसने उन्हें बाहर की तरफ रखा। उसने उनमें से तीन को उत्तर की तरफ, तीन को पश्चिम की तरफ, तीन को दक्षिण की तरफ, और तीन को पूर्व की तरफ रखा । उसके सहायकों ने "सागर" नामक बड़े पीतल के जल कुंड को रखा ताकि वह बैलों की मूर्तियों की पीठ पर स्थापित हो सके।
\v 26 जल कुंड के किनारे आठ सेंटीमीटर मोटे थे। जल कुंड का किनारा कटोरे के किनारे की तरह था। यह सोसन के फूल की पंखुड़ियों की तरह बाहर की तरफ घुमावदार था। जब जल कुंड भरा हुआ होता था, तो इसमें लगभग चौवालीस घन मीटर पानी आता था।
\p
\s5
\v 27 हूराम ने दस पीतल की गाड़ियाँ भी बनाईं। प्रत्येक एक और चार-पाँचवां मीटर लम्बी थी, एक और चार-पाँचवां मीटर चौड़ी, और सवा एक मीटर लम्बी थी।
\v 28 गाड़ियों के किनारे पटरियाँ थीं, और पटरियों के बीचों बीच जोड़ भी थे।
\v 29 उन पटरियों पर सिंह, बैल और पंख वाले प्राणियों की पीतल की आकृतियाँ थी। सिंह और बैल के नीचे और ऊपर की तरफ पीतल की पुष्पांजलि जैसी सजावट थी।
\p
\s5
\v 30 प्रत्येक गाड़ी में चार पीतल के पहिये और पीतल से बनी दो धुरियाँ थीं। प्रत्येक गाड़ी के शीर्ष कोनों में पीतल जल कुंड को पकड़ने के लिए खूँटियां थी। इन खूंटियों पर पीतल की पुष्पांजलि जैसी सजावट भी थी।
\v 31 जल कुंड के नीचे प्रत्येक गाड़ी के शीर्ष पर एक गोलाकार पट्टे जैसा ढांचा था। प्रत्येक गोलाकार ढांचे का शीर्ष गाड़ी के शीर्ष से छियालीस सेंटीमीटर ऊपर था, और इसका निचला भाग गाड़ी के शीर्ष से तेईस सेंटीमीटर था। चौकोर पटरियों के अन्दर भी नक्काशी थी।
\p
\s5
\v 32 पहिये उनहत्तर सेंटीमीटर ऊँचे थे। वे पटरियों के नीचे थे। पहियों को धुरी से जोड़ा गया था जो गाड़ी के बाकी हिस्सों के समान साँचे में ढाले गए थे।
\v 33 गाड़ियों के पहिये रथों के पहियों की तरह थे। यह सभी पीतल से ढाले गए थे।
\p
\s5
\v 34 प्रत्येक गाड़ी के शीर्ष कोनों में हत्थे लगे हुए थे । ये गाड़ी में ही ढाले गए थे।
\v 35 प्रत्येक गाड़ी के शीर्ष के चारों ओर तेईस सेंटीमीटर का पीतल का पट्टा था। प्रत्येक गाड़ी के कोनों से जुडी पट्टिका थी। पटटे और पट्टिका को गाड़ी के बाकी भागो के समान ही ढाला गया था ।
\p
\s5
\v 36 गाड़ियों के किनारों पर पटरियों और पट्टिकाओं को भी पंख वाले प्राणियों, शेरों और खजूर के पेड़ों के चित्रों से सजाया गया था, जहाँ भी उनके लिए जगह थी, और उनके चारों ओर पीतल की पुष्पांजलि थी।
\v 37 इस प्रकार हूराम ने दस गाड़ियाँ बनाईं। वे सभी एक ही ढांचे में ढाली गई, इसलिए वे सभी एक जैसी थीं। वे सभी एक ही आकार और आकृति की थीं।
\p
\s5
\v 38 हूराम ने दस पीतल के हौदे भी बनाए, दस पायों में से प्रत्येक के लिए एक हौद। प्रत्येक हौद एक और चार बटा पांच का था और जिसमे 880 लीटर पानी समाता था।
\v 39 हूराम ने भवन की दाहिनी तरफ पांच गाड़ियाँ और भवन के बाईं ओर पांच रखीं। उन्होंने "सागर" नामक बड़े कुंड को दक्षिण दिशा में पूर्व की ओर के कोने पर रखा ।
\p
\s5
\v 40 हूराम ने भी बर्तन, राख ले जाने के लिए फावड़े, और बलि चढ़ाए जाने वाले जानवरों के खून ले जाने के लिए कटोरे बनाए। उसने उन सभी कामों को पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान ने भवन के लिए करने का अनुरोध किया था। यह उसके द्वारा बनाई गई पीतल की वस्तुओं की एक सूची है:
\q
\v 41 दो खंभे,
\q खंभे के शीर्ष पर रखे जाने वाले दो शीर्ष,
\q खंभे के शीर्ष को सजाने के लिए चेन की दो पुष्पांजलि,
\p
\s5
\v 42 चार पंक्तियों में अनार की चार सौ आकृतियां, प्रत्येक पंक्ति में एक सौ के साथ; इनमें से दो पंक्तियां प्रत्येक खंभे के शीर्ष पर रखी गई थीं,
\q
\v 43 दस गाड़ियाँ,
\q दस हौदे,
\p
\s5
\v 44 "सागर" नामक बड़ा कुंड
\q बैल की बारह मूर्तियाँ जिनकी पीठ पर कुंड स्थित किया गया था,
\li
\v 45 बर्तन, वेदी की राख के लिए फावड़े, और कटोरे।
\p हूरम और उसके कर्मचारियों ने ये सभी चीजें राजा सुलैमान के लिए बनाए और उन्हें भवन के बाहर रखा। वे सभी पीतल से बने थे जिन्हें मजदूरों ने चमकदार बनाया था।
\p
\s5
\v 46 उन्होंने उनको मिट्टी के ढाँचे में पिघला हुआ पीतल डालकर बनाया जो हूराम ने यरदन नदी घाटी के पास सुकोथ और जेरेतन के नगरों के बीच स्थापित किया था।
\p
\v 47 सुलैमान ने अपने कर्मचारियों को उन पीतल की वस्तुओं को तोलने के लिए नहीं कहा, क्योंकि वहाँ कई वस्तुएं थीं। इसलिए कोई भी कभी नहीं जान पाया कि उनका कितना वजन था।
\p
\s5
\v 48 सुलैमान के मजदूरों ने भी यहोवा के भवन के लिए सोने के सभी सामान बनाए:
\q वेदी,
\q मेज़ जहाँ उपस्थिति की रोटी परमेश्वर के सामने रखी गई थी,
\q
\v 49 दस दीवट जो अति पवित्र स्थान के सामने रखे गए थे, पांच दक्षिण की ओर और पांच उत्तर की तरफ,
\q फूलों जैसी दिखने वाली सजावट, दीपक,
\q गर्म कोयलों को पकड़ने के लिए चिमटे,
\p
\s5
\v 50 कप, सोने के दीपक की बत्ती बुझाने वाले उपकरण, छोटे दीपक के कटोरे, धूपदान, गर्म कोयले ले जाने के लिए तसले , और अति पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार के लिए और भवन के मुख्य कमरे में प्रवेश द्वार के लिए गर्तिका।
\q वे सब चीजें सोने से बनी थी।
\p
\s5
\v 51 इस प्रकार सुलैमान के कार्यकर्ताओं ने भवन के लिए सभी काम समाप्त किया। तब उन्होंने भवन के गोदामों में उन सभी चीजों को रखा जो उसके पिता दाऊद ने यहोवा को समर्पित किए थे-सभी चाँदी और सोना, और अन्य मूल्यवान वस्तुएँ।
\s5
\c 8
\p
\v 1 सुलैमान ने फिर यरूशलेम के सभी बुजुर्गों, जनजातियों के सभी अगुवों और कुलों के अगुवों को बुलाया। उसने सिय्योन पर्वत से यहोवा के पवित्र सन्दूक को भवन में लाने के लिए उनके शामिल करने की व्यवस्था की, जो उस शहर में था जो दाऊद नगर कहलाता था।
\v 2 इसलिए एतानीम के महीने में सभी इस्राएली झोपड़ियों के पर्व के दौरान राजा सुलैमान के पास आए।
\p
\s5
\v 3 जब वे सब आए, तो याजकों ने पवित्र सन्दूक को उठा लिया
\v 4 और इसे भवन में ले आए। तब लेवी के वंशज जिन्होंने याजक की सहायता की, उन्होंने भवन में पवित्र तम्बू और तम्बू में रखने वाली सभी पवित्र चीज़ों को लाने में सहायता की।
\v 5 तब राजा सुलैमान और बहुत से इस्राएली लोग यहोवा के पवित्र सन्दूक के सामने इकट्ठे हुए और उन्होंने बड़ी मात्रा में भेड़ और बैल का बलिदान चढ़ाया। कोई भी बलिदानों को गिनने में सक्षम नहीं था क्योंकि वे अत्यधिक थे।
\p
\s5
\v 6 तब याजक पवित्र सन्दूक को भवन के अति पवित्र स्थान में लाए, और उन्होंने इसे पंखों वाले प्राणियों की मूर्तियों के पंखों के नीचे रखा।
\v 7 उन मूर्तियों के पंख पवित्र सन्दूक पर और डंडों पर फैले हुए थे जिनके द्वारा इसे लाया गया था।
\v 8 डंडे बहुत लम्बे थे, जिसके परिणामस्वरूप डंडों के सिरों को उन लोगों द्वारा देखा जा सकता था जो अति पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार पर खड़े थे, लेकिन वे भवन के बाहर खड़े लोगों द्वारा नहीं देखे जा सकते थे। वे डंडे अभी भी वहाँ हैं।
\p
\s5
\v 9 पवित्र सन्दूक में सिर्फ दो पत्थर की पटियाए थीं जिन्हें मूसा ने सिनै पर्वत पर रखा था, जहाँ यहोवा ने मिस्र छोड़ने के बाद लोगों के साथ एक अनुबन्ध किया था।
\p
\v 10 याजकों ने पवित्र सन्दूक को भवन में रखा। जब वे पवित्र स्थान से बाहर आए, तो अचानक वह बादलों से भर गया।
\v 11 यहोवा की महिमा में वह सन्दूक समा गई, परिणामस्वरूप याजक सेवा करने के लिए खड़े न रह सके।
\p
\s5
\v 12 तब सुलैमान ने यह प्रार्थना की:
\q1 "हे यहोवा, आपने सूर्य को आकाश में स्थापित किया,
\q1 लेकिन आपने घने बादलों में रहने का निर्णय किया है ।
\q1
\v 13 मैंने आपके लिए एक शानदार भवन बनाया है,
\q2 युगानयुग का आपका निवासस्थान।"
\p
\s5
\v 14 तब, जब सब लोग वहाँ खड़े थे, राजा ने उनकी ओर मुड़ कर उन्हें देखा, और उसने परमेश्वर से उन्हें आशीष देने के लिए कहा।
\v 15 उसने कहा, ", यहोवा की स्तुति करो जिस परमेश्वर की हम इस्राएली प्रजा हैं! अपनी शक्ति से उन्होंने मेरे पिता दाऊद से जो वादा किया था, वह पूरा किया है। उन्होंने जो वादा किया वह यह था:
\v 16 जब से मैं अपने लोगों को मिस्र से बाहर ले आया, मैंने कभी इस्राएल में किसी भी शहर को नहीं चुना जिसमें मेरे लिए एक भवन बनाया जाना चाहिए। लेकिन मैंने तुझे, दाऊद, को मेरे लोगों पर शासन करने के लिए चुना है। "
\p
\s5
\v 17 तब सुलैमान ने कहा, "मेरा पिता दाऊद एक भवन बनाना चाहता था ताकि हम इस्राएली लोग वहाँ हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना कर सकें।
\v 18 परन्तु यहोवा ने उस से कहा, तू मेरे लिए एक भवन बनाना चाहथा था, और जो तू करना चाहता था वह अच्छा था।
\v 19 हालांकि, तू वह नहीं है जिससे मैं यह बनवाना चाहता हूँ। तेरे बेटों में से एक है जो मेरे लिए एक भवन बनाएगा। '
\p
\s5
\v 20 और अब यहोवा ने ऐसा किया है जो उन्होंने करने का वादा किया था। मैं अपने पिता का उत्तराधिकारी बनने के लिए इस्राएल का राजा बन गया हूँ, और मैं अपने लोगों पर शासन कर रहा हूँ, जैसा कि यहोवा ने वादा किया था। मैंने इस भवन की व्यवस्था इस्राएलियों के लिए यहोवा की आराधना करने के लिए की है, जिस परमेश्वर की हम इस्राएली प्रजा हैं।
\v 21 मैंने पवित्र सन्दूक के लिए भवन में एक स्थान भी नियुक्त किया है जिसमें अनुबन्ध लिखी पत्थर की दो पटिट्याँ हैं जो यहोवा ने हमारे पूर्वजों के साथ किया था जब वे उन्हें मिस्र से बाहर लाये थे। "
\p
\s5
\v 22 सुलैमान उस वेदी के सामने खड़ा था जो वहाँ इकट्ठे हुए इस्राएली लोगों के सामने थी, । उसने अपनी बाहों को स्वर्ग की तरफ फैलाया,
\v 23 और उसने प्रार्थना की, "हे यहोवा, जिस परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं, वहाँ स्वर्ग में या यहाँ नीचे पृथ्वी पर आप के समान कोई ईश्वर नहीं है। आपने सत्यनिष्ठा से वादा किया है कि आप हमें निष्ठापूर्वक प्यार करेंगे। और यही वह है जो आपने हमारे लिए किया है जो पूरे उत्साह से आपके बताए कार्य करते हैं।
\v 24 आपने वे काम किए जिन्हें आपने मेरे पिता दाऊद से करने का वादा किया था, जिन्होंने भली-भांति आपकी सेवा की थी। वास्तव में, आपने इन कामों को उसके लिए करने का वादा किया था, और आज हम देखते हैं कि आपने अपनी शक्ति से उन कामों को किया है।
\p
\s5
\v 25 इसलिए अब, हे यहोवा, जिनकी हम इस्राएली उपासना करते हैं, मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि आप उन अन्य कामों को भी करें जिन्हें आपने मेरे पिता से वादा किया था कि आप करेंगे। आपने उससे कहा था कि सदैव उसके कुछ ऐसे वंशज होंगे जो इस्राएल में राजा होंगे, यदि वे अपने जीवन का संचालन वैसा ही करेंगे, जैसा उसने किया था।
\v 26 तो अब, इस्राएली लोगों के परमेश्वर, जो आपने मेरे पिता दाऊद के लिए करने का वादा किया था, जिन्होंने भली-भांति आपकी सेवा की थी उसे होने दो।
\p
\s5
\v 27 परन्तु परमेश्वर, क्या आप वास्तव में लोगों के बीच धरती पर रहेंगे? आपके पास स्वर्ग में रहने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। यह भवन जिसे मैंने अपने कर्मचारियों को बनाने का आदेश दिया है, आपके रहने के लिए निश्चित रूप से बहुत छोटा है।
\v 28 परन्तु हे यहोवा, हे मेरे परमेश्वर, कृपया मेरी बातें सुनें, जब आज मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ।
\p
\s5
\v 29 मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप इस भवन की रात और दिन रक्षा करें। यह वह स्थान है जिसके विषय आपने कहा 'मैं सदैव वहाँ रहूँगा।' मैं अनुरोध करता हूँ कि जब भी मैं इस भवन की ओर मुड़ता हूँ और प्रार्थना करता हूँ तो आप मेरी बात सुनेगें।
\v 30 मैं अनुरोध करता हूँ कि जब मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ और आपके लोग आपसे प्रार्थना करते हैं, जब वे इस स्थान की ओर मुड़ते हैं, कि स्वर्ग में आपके घर में आप हमें सुनेंगे और हमारे द्वारा किए गए पापों के लिए हमें क्षमा करेंगे।
\p
\s5
\v 31 मान लीजिए कि लोग किसी अन्य व्यक्ति पर कुछ गलत करने का आरोप लगाते हैं, और वे उसे इस पवित्र भवन के बाहर आपकी वेदी पर लाते हैं। और मान लीजिए कि वह कहता है, 'मैंने ऐसा नहीं किया; अगर मैं सच नहीं कह रहा हूँ तो परमेश्वर मुझे दण्डित करें।'
\v 32 उस विषय में, स्वर्ग से सुनें और फैसला करें कि सत्य कौन कह रहा है। फिर उस व्यक्ति को दण्डित करें जो दोषी है क्योंकि वह दण्डित होने योग्य है, और घोषित करें कि दूसरा व्यक्ति निर्दोष है।
\p
\s5
\v 33 या मान लीजिए कि आपके इस्राएली लोग युद्ध में अपने शत्रुओं द्वारा पराजित हुए क्योंकि उन्होंने आपके विरुद्ध पाप किया । मान लीजिए कि उन्हें दूर देश में जाने के लिए विवश किया गया। तो मान लीजिए कि वे पापी की तरह अभिनय करना बंद कर देते हैं। मान लीजिए कि वे इस भवन की ओर मुड़ते हैं और स्वीकार करते हैं कि आपने उन्हें दण्डित किया है। मान लीजिए कि वे अनुरोध करते हैं कि आप उन्हें क्षमा करेंगे।
\v 34 उन विषयों में, उन्हें स्वर्ग से सुनें, अपने इस्राएली लोगों को उनके पापों के लिए क्षमा करें, और उन्हें अपने पूर्वजों को दी गई भूमि पर वापस लाएं।
\p
\s5
\v 35 या मान लीजिए कि आप वर्षा न होने दें क्योंकि आपके लोगों ने आपके विरुद्ध पाप किया है। मान लीजिए कि वे इस स्थान की ओर मुड़ते हैं और स्वीकार करते हैं कि आपने उन्हें न्याय करते हुए दण्डित किया है। मान लीजिए कि वे पापी की तरह अभिनय करना बंद कर देते हैं और नम्रता से आपसे प्रार्थना करते हैं।
\v 36 उन विषयों में, उन्हें स्वर्ग में सुनें और अपने इस्राएली लोगों को उनके पापों के लिए क्षमा करें। उन्हें अपने जीवन का संचालन करने का सही तरीका सिखाएं, और उसके बाद इस भूमि पर वर्षा भेजें जिसे आपने अपने लोगों को स्थायी रूप से उनके लिए दिया है।
\p
\s5
\v 37 मान लीजिए कि इस भूमि के लोग अकाल का सामना कर रहे है, या मान लीजिए कि फफूंदी या टिड्डियों या टिड्डों द्वारा कोई महामारी हो। या मान लीजिए कि उनके शत्रु उन पर हमला करने के लिए उनके किसी भी शहर को घेरते हैं। मान लीजिए कि इनमें से कोई भी बुरी बातें उनके साथ होती हैं।
\v 38 और मान लीजिए कि आपके इस्राएली लोग उत्सुकता से आपसे अनुरोध करते हैं, क्योंकि वे अपनी अंतरात्मा में जानते हैं कि वे पीड़ित हैं क्योंकि उन्होंने पाप किया है। मान लीजिए कि वे इस भवन की ओर अपनी बाहों को फैलाये और प्रार्थना करें।
\p
\s5
\v 39 इन विषयों में, उन्हें स्वर्ग में अपने घर से सुनें, और उन्हें क्षमा करना, और उनकी सहायता करें। आप ही हैं जो जानते हैं कि लोग क्या सोच रहे हैं, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की आवयश्कता के अनुसार कार्य करें,
\v 40 ताकि आपके लोग आपको उत्तम सम्मान दें उन सभी वर्षों में जब वे इस देश में रहते हैं जो आपने हमारे पूर्वजों को दिया था।
\p
\s5
\v 41-42 कुछ विदेशी लोग होंगे जो आपके इस्राएली लोगों से संबंधित नहीं होंगे जो यहाँ दूर देशों से सुनकर आएँगे कि आप बहुत महान हैं, और क्योंकि उन्होंने महान कामों के विषय सुना है जो आपने अपने लोगों के लिए किये हैं। मान लीजिए कि इस तरह के लोग यहाँ उपासना करने और प्रार्थना करने के लिए इस भवन में आते हैं।
\v 43 उस विषय में, स्वर्ग में अपने घर से उनकी प्रार्थना सुनें, और उनके लिए वही करें जो वे आपको करने का अनुरोध करते हैं। ऐसा करने से दुनिया के सभी लोगों के समूह आपके बारे में जानेंगे और आपको सम्मान देंगे, जैसा हम इस्राएली लोग करते हैं। तब वे जान जाएँगे कि यह भवन जो आपको सम्मानित करने के लिए बनाया गया है, वह आपका है और यहाँ आपकी आराधना की जानी चाहिए।
\p
\s5
\v 44 मान लीजिए कि आप अपने लोगों को शत्रुओं के विरुद्ध लड़ने के लिए भेजते हैं। और मान लीजिए कि आपके लोग आपसे प्रार्थना करते हैं, जहाँ भी वे हैं, और वे इस शहर की ओर मुड़ते हैं जिसे आपने चुना है और इस भवन के लिए जो मैंने आपके लिए बनाया है।
\v 45 उस विषय में, स्वर्ग में उनकी प्रार्थनाओं को सुनें। कि वे आप से क्या करने का निवेदन करते हैं, और उनकी सहायता करें।
\p
\s5
\v 46 यह सच है कि हर कोई पाप करता है। तो, मान लीजिए कि आपके लोग आपके विरुद्ध पाप करते हैं और आप उनसे क्रोधित हो जाते हैं। आप उनके शत्रुओं को उन्हें पराजित करने, उन्हें पकड़ने, और उन्हें दूर अपने देशों में ले जाने की अनुमति दें।
\v 47 और मान लीजिए कि, जब आपके लोग उन देशों में हैं जहाँ उन्हें जाना पड़ा, वे सच्चाई से पश्चाताप करते हैं और आपसे यह कहते हुए प्रार्थना करते हैं, 'हमने पाप किया है और बहुत ही बुरे काम किए हैं।'
\p
\s5
\v 48 मान लीजिए कि वे वास्तव में और बहुत सच्चाई से पश्चाताप करते हैं, और इस देश की ओर मुड़ते हैं जो आपने हमारे पूर्वजों को दिया था। मान लीजिए कि वे इस शहर की ओर मुड़ते हैं कि आपने जिसे वह स्थान बनने के लिए चुना है जहाँ हमें आपकी आराधना करनी चाहिए, और इस भवन की ओर जो मैंने आपके लिए बनाया है। मान लीजिए कि वे तब आपसे प्रार्थना करते हैं।
\p
\s5
\v 49 उस विषय में, स्वर्ग में अपने घर से उनकी सहायता करने के लिए उनकी बातें सुनें, और उनकी सहायता करें।
\v 50 उन सभी पापों के लिए क्षमा करें जो उन्होंने आपके विरुद्ध किए हैं और उनके शत्रुओं को उनके प्रति दया से कार्य करने का कारण बनाएं।
\p
\s5
\v 51 मत भूलें कि इस्राएली आपके लोग हैं। उन पर आपका विशेष अधिकार है। आप हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाल लाये जहाँ वे बहुत पीड़ित थे मानों दहकती भट्टी में थे।
\v 52 मैं अनुरोध करता हूँ कि आप सदैव अपने इस्राएली लोगों और उनके राजा को सुनें, और जब भी वे आपको मदद करने के लिए पुकारें, उनकी प्रार्थनाओं पर ध्यान दें।
\v 53 आपने उन्हें दुनिया के सभी अन्य लोगों के समूहों के मध्य से चुना है, जो आपने मूसा से कहा था जब आप हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर लाएं थे।"
\p
\s5
\v 54 सुलैमान प्रार्थना करने के बाद और यहोवा की सहायता के लिए विनती करने के बाद, वेदी के सामने खड़ा हुआ जहाँ उसने घुटने टेके थे। उसने अपनी बाहों को उठा लिया।
\v 55 फिर उसने परमेश्वर से सभी इस्राएली लोगों को आशीष देने के लिए कहा। उसने जोर से प्रार्थना करते हुए , कहा,
\v 56 "यहोवा की स्तुति करो, जिन्होंने हम अपने लोगों को शान्ति दी है, जैसे उन्होंने वादा किया था कि वे करेंगे। उन्होंने उन सभी अच्छी बातों को पूरा किया है जिनका मूसा से वादा किया था, मूसा वह व्यक्ति जिसने उनकी भली-भांति सेवा की थी।
\p
\s5
\v 57 मैं प्रार्थना करता हूँ कि हमारे परमेश्वर हमारे साथ रहेंगे जैसे वे हमारे पूर्वजों के साथ थे, और वे हमें कभी नहीं त्यागेंगे।
\v 58 मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे हमें निष्ठापूर्वक उनकी सेवा करने का, हमारे जीवन को व्यवस्थित करने का , जैसा कि वे चाहते हैं, और उनके सभी आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करने का कारण बनेगा जो उन्होंने हमारे पूर्वजों को दिये थे।
\p
\s5
\v 59 मैं प्रार्थना करता हूँ कि हमारे परमेश्वर यहोवा इन शब्दों को कभी नहीं भूलेंगे जो मैंने प्रार्थना की है, उनकी मदद के लिए अनुरोध किया है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे दिन और रात उनके बारे में सोचेंगे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे सदैव हमारे इस्राएली लोगों और हमारे राजा की ओर दया के काम करेगें, जो हमारी दिन-प्रतिदिन की आवयश्कता को पूरी करते हैं।
\v 60 यदि आप ऐसा करते हैं, तो दुनिया के सभी लोग यह जान लेंगे कि आप, यहोवा ही एकमात्र परमेश्वर हैं, और यह कि कोई अन्य परमेश्वर नहीं है।
\v 61 मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम, उनके लोग सदैव यहोवा के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहना, और तुम उनके सभी नियमों और आज्ञाओं का पालन करना, जैसा तुमअभी कर रहे हो।"
\p
\s5
\v 62 तब राजा और सब इस्राएली लोग जो वहाँ थे, उन्होंने यहोवा को बलिदान चढ़ाए।
\v 63 उन्होंने यहोवा के साथ पुनः संगति स्थापित करने के लिए बाईस हजार पशु और 120,000 भेड़ें की बलि चढ़ाई। तब राजा और सभी लोगों ने भवन को परमेश्वर को समर्पित किया।
\p
\s5
\v 64 उस दिन, राजा ने भवन के सामने के आंगन के मध्य भाग को भी समर्पित किया। तब उसने वहाँ वेदी पर पूरी तरह जलनेवाले बलिदान चढ़ाए, आटा और जानवरों की चरबी जो यहोवा के साथ पुनः संगति स्थापित करने के लिए बलि चढ़ाए गए थे। उन्होंने उन्हें वहाँ बलिदान चढ़ाया क्योंकि उस दिन उन सभी बलिदानों के लिए पीतल की वेदी पर्याप्त नहीं थी।
\p
\s5
\v 65 तब सुलैमान और समस्त इस्राएली लोगों ने सात दिनों तक झोपड़ियों का पर्व मनाया और अगले सात दिन, और चौदह दिनों तक मनाते रहे। वहाँ लोगों की बड़ी भीड़ थी, जिनमें से कुछ दूरवर्ती प्रान्तों और दूर दक्षिण में मिस्र की सीमा जैसे दूरवर्ती स्थानों से आए थे।
\v 66 अंतिम दिन, सुलैमान ने लोगों को उनके घर भेज दिया। उन सभी ने उनकी प्रशंसा की और आनंद से घर गये क्योंकि यहोवा ने दाऊद और उसके इस्राएली लोगों को आशीष देने के लिए सभी काम किये थे।
\s5
\c 9
\p
\v 1 सुलैमान के मजदूरों ने भवन और उसके महल और बाकी सब कुछ जो सुलैमान बनाना चाहता था, का निर्माण पूरा करने के बाद,
\v 2 यहोवा स्वप्न में दूसरी बार प्रकट हुए, जैसे कि वे गिबोन शहर में उसके सामने प्रकट हुए थे।
\p
\s5
\v 3 यहोवा ने उससे कहा, "मैंने सुना है जो तुने प्रार्थना की और तुने मुझसे क्या करने की विनती की। मैंने इस घर को अपने लिए अलग कर दिया है, क्योंकि मुझे सदैव इसमें विद्यमान होना है।
\p
\s5
\v 4 और मेरे लिए, यदि तू मेरी इच्छानुसार स्वयं को संचालित करेगा जैसा तेरे पिता दाऊद ने किया था और यदि तू सच्चाई से उन सभी विधियों और नियमों का पालन करता है जो मैंने तुझको मानने का आदेश दिया है,
\v 5 मैं वही करूँगा जो मैंने तेरे पिता से करने का वादा किया था । मैंने उससे वादा किया था कि इस्राएल पर सदैव उसके वंशजों द्वारा शासन किया जायेगा।
\p
\s5
\v 6 लेकिन मान ले कि तू या तेरा वंशज मेरी आराधना करना बंद कर देते हैं; मान ले कि तुने मेरे दिए गए आदेशों और नियमों का उल्लंघन किया है; मान ले कि तुने अन्य देवताओं की पूजा करना शुरू कर दिया।
\v 7 तब मैं अपने इस्राएली लोगों को उस देश से निकाल दूंगा जो मैंने उन्हें दिया है। मैं इस भवन को त्याग दूंगा जो मुझे समर्पित किया गया है। तब हर स्थान में लोग इस्राएल को तुच्छ मानेंगे और इसका मजाक उड़ाएँगे।
\p
\s5
\v 8 इस तथ्य के अलावा कि यह भवन बहुत सुन्दर है, ऐसा समय आएगा जब हर कोई जो यहाँ से होकर जाएगा, वह आश्चर्यचकित हो जाएगा, और वे सिसकारेंगे और कहेंगे, 'यहोवा ने इस देश और इस भवन के साथ ऐसा क्यों किया है?'
\v 9 अन्य लोग उत्तर देंगे, 'ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस्राएली लोगों ने अपने परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया, जिन्होंने इनके पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाला था। उन्होंने अन्य देवताओं को स्वीकार करना और उनकी उपासना करना शुरू कर दिया। और यही कारण है कि यहोवा ने इन सभी आपदाओं का अनुभव करवाया है। '"
\p
\s5
\v 10 सुलैमान के मजदूरों ने भवन और महल बनाने के लिए बीस साल तक काम किया।
\v 11 सोर शहर के राजा हीराम ने अपने कर्मचारियों द्वारा सुलैमान को सभी देवदार और सनोवर की लकड़ी और सोना जिसकी आवयश्कता इस काम में थी, देने की व्यवस्था की थी। पूरा होने के बाद, राजा सुलैमान ने गलील के इलाके में बीस नगर हीराम को दिये।
\p
\s5
\v 12 परन्तु जब हीराम उन नगरों को देखने के लिए सोर से गलील गया, तो वह उनसे प्रसन्न नहीं था।
\v 13 उसने सुलैमान से कहा, "मेरे दोस्त, तुने जो नगर मुझे दिए हैं वे बेकार हैं।" इसी के कारण, हीराम ने उस क्षेत्र को बेकार कहा।
\v 14 हीराम ने उन शहरों के लिए सुलैमान को केवल 4,000 किलो सोना दिया।
\p
\s5
\v 15 यह उस काम का अभिलेख है जो राजा सुलैमान ने पुरुषों को करने के लिए विवश किया। उसने उन्हें भवन और उसके महल और शहर के पूर्व की ओर भरावक्षेत्र, और यरूशलेम के चारों ओर की दीवार बनाने और हजर, मगिद्दो और गेज़र के नगरों का पुनर्निर्माण करने के लिए विवश किया।
\v 16 गेज़र के पुनर्निर्माण की आवश्यकता का कारण यह था कि मिस्र के राजा की सेना ने गेज़र पर आक्रमण किया था और उसे अधिकार में ले लिया था। तब उन्होंने शहर के घरों को जला दिया और वहाँ रहने वाले कनानियों के समूह के सभी लोगों को मार डाला। मिस्र के राजा ने उस शहर को अपनी बेटी को उपहार में दिया था जब उसने सुलैमान से शादी की।
\p
\s5
\v 17 तब सुलैमान के मजदूरों ने भी गेज़र शहर का पुनर्निर्माण किया, और उन्होंने निचले बेथोरोन शहर का भी पुनर्निर्माण किया।
\v 18 उन्होंने यहूदा के दक्षिणी भाग में जंगल में बालथ और तामार के नगरों का भी पुनर्निर्माण किया।
\v 19 उन्होंने उन नगरों का भी निर्माण किया जहाँ उन्होंने सुलैमान के लिए आपूर्ति की, जहाँ उस के घोड़ों और रथों को रखा गया था। उन्होंने यरूशलेम और लबानोन में, और उस क्षेत्र के अन्य स्थानों पर जहाँ उसने शासन किया था, उन्होंने वह सब बनाया जो वह बनवाना चाहता था।
\p
\s5
\v 20 आमोर के बहुत से समूह थे हेथ, पेरीज़, हिव और यबूस , जो इस्राएली लोगों द्वारा उनकी भूमि पर अधिकार करते समय नहीं मारे गए थे।
\v 21 उनके वंशज अभी भी इस्राएल में रहते थे। यह वे लोग थे जिन्हें सुलैमान ने उन सभी स्थानों को बनाने के लिए गुलाम बनने पर विवश किया, और वे अभी भी दास हैं।
\p
\s5
\v 22 परन्तु सुलैमान ने किसी भी इस्राएली को दास बनने के लिए विवश नहीं किया। उनमें से कुछ सैनिक, दास, अधिकारी, सेना अधिकारी, रथ सेनाओं के प्रधान और उसके घुड़सवार थे।
\p
\s5
\v 23 550 अधिकारी थे जिन्होंने उन सभी दासों और निर्माण करने वाले गुलामों की देखरेख की थी।
\p
\s5
\v 24 सुलैमान की पत्नी, जो मिस्र के राजा की पुत्री थी, यरूशलेम के दाऊद नगर नामक स्थान से उस महल में जो सुलैमान के कर्मचारियों ने उसके लिए बनाया था, वहाँ ले आए इसके बाद सुलैमान ने अपने कर्मचारियों को शहर की पूर्व दिशा में भूमि को भरने के लिए कहा ।
\p
\s5
\v 25 हर साल तीन बार सुलैमान यहोवा के भवन में भेंट लाया करता था कि याजक यहोवा के साथ सहभागिता की बलि के लिए वेदी पर भेंट को पूरी तरह जला दे। वह यहोवा की उपस्थिति में जलाने के लिए धूप भी लाया।
\p और इसी तरह उनके कर्मचारियों ने भवन का निर्माण पूरा किया ।
\p
\s5
\v 26 राजा सुलैमान के मजदूरों ने एदोम गेबर शहर में जहाजों का एक बेड़ा भी बनाया, जो एदोम शहर समूह से संबंधित भूमि में, एलाथ शहर के पास, लाल सागर के किनारे पर है।
\v 27 राजा हीराम ने कुछ विशेषज्ञ नाविकों को सुलैमान के कर्मचारियों के साथ जहाजों पर भेजा।
\v 28 वे ओफिर के क्षेत्र में गए और लगभग चौदह मापीय टन सोना सुलैमान को वापस लाकर दिया।
\s5
\c 10
\p
\v 1 शेबा के देश पर शासन करने वाली रानी ने सुना कि यहोवा ने सुलैमान को प्रसिद्ध कर दिया है , इसलिए वह उससे कठिन प्रश्न पूछने के लिए यरूशलेम गईं ।
\v 2 वह धनवान लोगों के बड़े समूह के साथ आई, और अपने साथ ऊंटों को भी लायी जो मसालों, कीमती रत्नों और बहुत सोने से लदे हुए थे। जब उसने सुलैमान से मुलाकात की, तो उसने उन सभी चीजों के विषय उससे प्रश्न पूछे जिनमें उसे रूचि थी।
\p
\s5
\v 3 सुलैमान ने उसके सभी प्रश्ननों का उत्तर दिया। उसने जो कुछ भी पूछा उसके बारे में उसने समझाया, यहाँ तक कि उन बातों को जो बहुत मुश्किल थीं।
\v 4 रानी को अनुभव हुआ कि सुलैमान बहुत बुद्धिमान है। उसने उसका महल देखा,
\v 5 उसने उस की मेज का भोजन देखा जो प्रतिदिन सजाया जाता था, उसने देखा कि उसके अधिकारी कहाँ रहते थे, उनकी वर्दी कैसी है,और उन दासों को जो भोजन और शराब पहुँचाने की सेवा करते थे, और जो बलिदान उसने भवन में अर्पित किये थे। वह बेहद आश्चर्यचकित थी।
\p
\s5
\v 6 उसने राजा से कहा, "जो कुछ मैंने अपने देश में सुना है, तेरे बारे में और यह की तू कितने बुद्धिमान हैं!
\v 7 लेकिन मुझे विश्वास नहीं था जब तक मैंने यहाँ आ कर इसे स्वयं नहीं देखा तब तक, यह सच था। लेकिन वास्तव में, उन्होंने मुझे जो बताया वह केवल आधा था जो उन्होंने मुझे तेरे बारे में बताया था। लोगों ने मुझे जो बताया तू उससे अधिक बुद्धिमान और धनवान हैं।
\p
\s5
\v 8 तेरी पत्निया कितनी भाग्यशाली हैं! और तेरे दास कितने भाग्यशाली हैं, जो तेरी सेवा करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो बुद्धिमानी की बातें सुन रहे हैं, जो तू कहता है।
\v 9 यहोवा की स्तुति, तेरा परमेश्वर, जिन्होंने दिखाया है कि तुझे इस्राएल का राजा बनाने के द्वारा, वह तुमसे प्रसन्न है। परमेश्वर सदैव इस्राएलियों से प्रेम करते हैं, और इसलिए उन्होंने तुझे राजा बनाया है, ताकि तू उन पर उचित और धार्मिकता के साथ शासन करे। "
\p
\s5
\v 10 तब रानी ने राजा के लिए जो कुछ भी लायी थी वह उसे दिया। उसने उसे 4,000 किलो सोना और मसालों और रत्नों की बड़ी मात्रा दी। राजा सुलैमान को उस समय की तुलना में इतने अधिक मसाले कभी नहीं मिले जो रानी ने उसे दिये।
\p
\s5
\v 11 राजा हीराम के जहाजों में, जिसमें वे पहले ओफिर से सोना लाये थे, वे बड़ी मात्रा में चन्दन की लकड़ी और कीमती मणि पत्थर लाये।
\v 12 राजा सुलैमान ने अपने कर्मचारियों को परमेश्वर के भवन में और अपने महल में खंभे बनाने और संगीतकारों के लिए वीणा और सारंगियाँ बनाने के लिए उस लकड़ी का उपयोग करने के लिए कहा। वह उत्तम लकड़ियों की विशालतम संख्या थी जिन्हें न कभी इस्राएल में लाया गया न कभी देखा गया।
\p
\s5
\v 13 राजा सुलैमान ने शेबा की रानी को वह सब कुछ दिया जो वह चाहती थी। उस उपहार के अलावा जो उसने सदैव उन अन्य शासकों को दिया था जो उनके पास आए थे इसके अतिरिक्त अन्य उपहार भी दिये। तब वह और उसके साथ आए लोग अपने देश लौट गए।
\p
\s5
\v 14 हर साल सुलैमान के पास कुल बाईस हजार किलो सोना लाया जाता था।
\v 15 वह व्यापारियों और व्यापारियों द्वारा दिए गए कर, और अरब के राजाओं द्वारा भुगतान दिए गए वार्षिक कर और इस्राएल के जिलों के राज्यपालों द्वारा दिए गए कर के अलावा था।
\p
\s5
\v 16 राजा सुलैमान के कर्मचारियों ने इस सोने को लिया और हथौड़े से इसकी पतली परत बना दी और सोने की उन पतली परत के साथ दो सौ बड़ी ढाल मढ़ दी। उन्होंने प्रत्येक ढाल पर साढ़े छह किलो सोना लगाया।
\v 17 उनके कर्मचारियों ने तीन सौ छोटी ढालें बनाई। उन्होंने उनमें से प्रत्येक को पौने दो किलो सोने से मढ़ दिया। तब राजा ने उन ढालों को लबानोन के वन के महल में रखा।
\p
\s5
\v 18 उनके कर्मचारियों ने उसके लिए एक बड़ा सिंहासन भी बनाया। इसका आधा भाग हाथीदांत से ढँका हुआ था, और आधा भाग खरे सोने से ढँका हुआ था।
\v 19-20 सिंहासन के सामने छह पैड़ियाँ थीं। प्रत्येक पैड़ी की दोनों तरफ शेर की मूर्ति थी। इस प्रकार कुल मिलाकर शेरों की बारह मूर्तियां थीं। सिंहासन का पिछलाशीर्ष गोलाकार किया गया था। सिंहासन की प्रत्येक तरफ हत्थे लगे हुए थे और प्रत्येक हत्थे के साथ शेर की एक छोटी मूर्ति थी। ऐसा कोई सिंहासन कभी भी किसी अन्य राज्य के अस्तित्व में नहीं था।
\p
\s5
\v 21 सुलैमान के सभी प्याले सोने से बने थे, और लबानोन के वन के महल में सभी विभिन्न बर्तन सोने से बने थे। उन्होंने चाँदी से चीजें नहीं बनाईं, क्योंकि सुलैमान के शासन के दौरान चाँदी को मूल्यवान नहीं माना जाता था।
\v 22 राजा के पास जहाजों का एक बेड़ा था जो राजा हीराम के जहाजों के साथ तैरता था। हर तीन वर्षों में जहाज़ उन जगहों से सोना, चाँदी, हाथीदांत, बंदर और मयूर लेकर लौटते थे।
\p
\s5
\v 23 राजा सुलैमान किसी अन्य राजा की तुलना में अमीर और बुद्धिमान बन गया।
\v 24 संसार भर के लोग सुलैमान के पास बुद्धिमानी की बातों को सुनने के लिए आना चाहते थे, जो बातें परमेश्वर ने उसके मन में रखी थीं।
\v 25 जो लोग उसके पास आए, वे उपहार लेकर आए। वे चाँदी या सोने, या वस्त्र, या हथियारों, या मसालों, या घोड़ों, या खदानों से निर्मित चीजें लाए। लोग हर साल ऐसा करते थे।
\p
\s5
\v 26 सुलैमान ने 1,400 रथ और बारह हजार घुड़सवार प्राप्त किये । सुलैमान ने उनमें से कुछ को यरूशलेम में और कुछ को अन्य शहरों में रखा जहाँ उसने अपने रथ रखे थे।
\v 27 सुलैमान राजा के शासन के दौरान, चाँदी यरूशलेम में पत्थरों के समान आम हो गई, और यहूदा की तलहटी में देवदार के पेड़ की लकड़ी, अंजीर के पेड़ की लकड़ी की तरह भरपूर मात्रा में थी।
\p
\s5
\v 28 सुलैमान के प्रतिनिधियों ने घोड़ों को खरीदा और उनको मिस्र और कोए के इलाकों से इस्राएल लाते हुए उनकी देखभाल की, वे घोड़ों के प्रजनन के लिए प्रसिद्ध थे।
\v 29 मिस्र में उन्होंने रथ और घोड़े खरीदे। उन्होंने प्रत्येक रथ के लिए चाँदी के साढ़े छ: सौ सिक्‍के, और घोड़े का मूल्‍य चाँदी के डेढ़ सौ सिक्‍के का भुगतान किया। वे उन्हें इस्राएल लाए। तब उन्होंने उनमें से कई को हित्ती लोगों के समूह और अराम के राजाओं को बेच दिया।
\s5
\c 11
\p
\v 1 राजा सुलैमान ने कई विदेशी महिलाओं से विवाह किया। सबसे पहले उसने मिस्र के राजा की बेटी से शादी की। उन्होंने हेथ लोगों के समूह और मोआब, अम्मोन और एदोम के लोगों के समूह और सीदोन शहर की महिलाओं से विवाह किया।
\v 2 उसने उनसे विवाह किया, जबकि यहोवा ने इस्राएलियों से कहा था, "उन स्थानों के लोगों से शादी न करना, क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो, तो वे निश्चित रूप से तुमको उन देवताओं की पूजा करने के लिए फुसला लेंगी जिन्हें वे स्वयं पूजती हैं!"
\p
\s5
\v 3 सुलैमान ने सात सौ महिलाओं से शादी की जो राजाओं की बेटियां थीं। उसकी तीन सौ पत्नियां भी थीं जो उसकी दासियां थीं। और उसकी पत्नियों ने उससे परमेश्वर की आराधना बंद करवा दिया।
\v 4 जब सुलैमान बूढ़ा हो गया, तब तक उन महिलाओं ने उसेअपने देशों के देवताओं की पूजा करने के लिए फुसला लिया था। वह अपने पिता दाऊद की तरह अपने परमेश्वर यहोवा को पूरी तरह से समर्पित नहीं था।
\p
\s5
\v 5 सुलैमान ने अशेरा की पूजा की, सीदोन की देवी की पूजा की, और उसने मोलेक की पूजा की, घृणित देवता जिसकी अम्मोन लोगों के समूह ने पूजा की थी।
\v 6 इस प्रकार सुलैमान ने बहुत से ऐसे काम किये जिसे यहोवा ने बुरा कहा था। उसने अपने जीवन का संचालन वैसे नहीं किया जैसे उसके पिता दाऊद ने किया था क्योंकि; उसने अपना जीवन वैसे नही जिया जैसे यहोवा चाहते थे।
\p
\s5
\v 7 यरूशलेम के पूर्व में पहाड़ी पर उसने कैमोश की पूजा करने के लिए एक स्थान बनाया , घृणित देवता जिसकी मोआब लोगों ने पूजा की थी, और मोलेक की पूजा करने के लिए एक स्थान है, जो अम्मोन लोगों ने पूजा की थी।
\v 8 उसने उन स्थानों का भी निर्माण किया जहाँ उसकी सभी विदेशी पत्नियां धूप जला सकती थीं और अपने देश के देवताओं को बलि चढ़ाती थीं।
\p
\s5
\v 9-10 भले ही यहोवा, जिन परमेश्वर की आराधना इस्राएलियों ने की थी, वह दो बार सुलैमान के सामने प्रकट हुए, और उसे विदेशी देवताओं की पूजा नहीं करने का आदेश दिया था, सुलैमान ने यहोवा की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया। यहोवा सुलैमान से क्रोधित हो गये थे।
\p
\s5
\v 11 यहोवा ने उस से कहा, "तुने मेरी प्रतिज्ञा का उल्लंघन करना चुना और मैंने जो आज्ञा दी थी, उसका उल्लंघन करना चुना है। इसलिए मैं निश्चित रूप से तुझको अपने पूरे राज्य पर शासन करने की अनुमति नहीं दूंगा। मैं तेरे अधिकारियों में से एक को शासन करने के लिए अनुमति देने जा रहा हूँ ।
\v 12 परन्तु जिस कारण से मैंने तेरे पिता दाऊद से वादा किया था, वैसे ही मैं तुझे तेरे पूरे राज्य पर शासन करने की अनुमति देता हूँ, जब तक तू जीवित है। तेरे मरने के बाद, मैं तेरे बेटे को पूरे राज्य पर शासन करने की नहीं दूंगा।
\v 13 लेकिन मैं उसे कुछ राज्यों पर शासन करने से नहीं रोकूंगा। मैं उसे एक गोत्र पर शासन करने का अधिकार दूंगा, दाऊद से मेरी उस प्रतिज्ञा के कारण, जिसने मेरी भली-भांति सेवा की और क्योंकि मै चाहता हूँ कि दाऊद के वंशज यरूशलेम में शासन करें, जहाँ मेरा भवन स्थित है। "
\p
\s5
\v 14 यहोवा ने हदाद को एदोम लोगों के समूह के राजाओं के परिवार से, सुलैमान के विरूद्ध विद्रोह करने का कारण बनाया।
\v 15-16 पहले ऐसा हुआ था , जब दाऊद की सेना ने एदोम पर विजय प्राप्त की थी, तब उसकी सेना का प्रधान सेनापति योआब वहाँ युद्ध में मारे गए इस्राएली सैनिकों को मिट्टी देने में मदद करने के लिए गया था। योआब और उसकी सेना छह महीने तक एदोम में रही, और उस समय उन्होंने उस क्षेत्र के सभी पुरुषों को मार डाला।
\v 17 उस समय हदद छोटा बच्चा था, और वह एदोम से अपने पिता के कुछ कर्मचारियों के साथ मिस्र भाग गया था।
\p
\s5
\v 18 वे मिद्यान के क्षेत्र में गए, और फिर वे पारान के रेगिस्तानी क्षेत्र में गए। कुछ अन्य पुरुष वहाँ उनसे जुड़ गए। तब वे सभी मिस्र के राजा के पास गए। राजा ने हदाद को कुछ भूमि दी और अपने कर्मचारियों को उसे नियमित रूप से कुछ भोजन देने का आदेश दिया।
\v 19 राजा को हदाद पसंद आया। परिणामस्वरूप उसने हदाद की पत्नी होने के लिए अपनी पत्नी, रानी ताहपेन्स की बहन को दे दिया।
\p
\s5
\v 20 बाद में हदाद की पत्नी ने जेनुबाथ नाम के पुत्र को जन्म दिया। तहपनेस की बहन ने महल में उसको पाला, जहाँ वह राजा के पुत्रों के साथ रहता था।
\p
\v 21 जब हदाद मिस्र में था, उसने सुना कि दाऊद की मृत्यु हो गई और दाऊद की सेना का प्रधान योआब भी मर गया था। तब उसने मिस्र के राजा से कहा, "कृपया मुझे अपने देश लौटने की अनुमति दें।"
\p
\v 22 परन्तु राजा ने उससे कहा, "तू अपने देश वापस क्यों जाना चाहता है? क्या तेरे पास किसी बात की कमी है जो तू चाहता है कि मैं तुझे दूं?" हदाद ने उत्तर दिया, "नहीं, कृपया मुझे जाने दे।" राजा ने उसे जाने की अनुमति दी, और वह अपने देश लौट आया और एदोम का राजा बन गया।
\p
\s5
\v 23 परमेश्वर ने सुलैमान के विरूद्ध विद्रोह करने के लिए एलियादा के पुत्र रेज़ोन को भी कारण बनाया । रेज़ोन दमिश्क के उत्तर में सोबा के क्षेत्र के अपने स्वामी राजा हददेजर से भाग गया था।
\v 24 तब रेज़ोन बहिर्वाह के एक समूह का प्रधान बन गया। यह तब हुआ जब दाऊद की सेना ने हददेजर को हराया और उसके सभी सैनिकों को भी मार डाला। रेज़ोन और उसके लोग दमिश्क गए और वहाँ रहने लगे, और वहाँ लोगों ने उसे राजा बनने के लिए नियुक्त किया।
\v 25 जब सुलैमान जीवित था, तब रेज़ोन न केवल दमिश्क पर बल्कि सम्पूर्ण अराम पर शासन कर रहा था, वह इस्राएल का शत्रु था और हदाद जैसे इस्राएल के लिए परेशानी उत्पन्न कर रहा था।
\p
\s5
\v 26 सुलैमान के विरूद्ध विद्रोह करने वाला एक और व्यक्ति नबात का पुत्र यारोबाम उसके अधिकारियों में से एक था। वह उस क्षेत्र में ज़ेरदाह शहर से था जहाँ एप्रैम का गोत्र रहता है। उसकी माँ ज़रुआ नाम की विधवा थी।
\p
\v 27 ऐसा इस प्रकार हुआ। सुलैमान के कर्मचारी यरूशलेम के पूर्व की ओर भूमि भर रहे थे और शहर के चारों ओर दीवारों की मरम्मत कर रहे थे।
\p
\s5
\v 28 यारोबाम बहुत ही योग्य युवक था। इसलिए, जब सुलैमान ने देखा कि उसने बहुत मेहनत की है, तो उसने उसे उन सभी लोगों की देखरेख करने के लिए नियुक्त किया जिन्हें उन स्थानों में काम करने के लिए विवश किया गया था जहाँ मनश्शे और एप्रैम के गोत्र वाले रहते थे।
\p
\v 29 एक दिन जब यारोबाम यरूशलेम के बाहर सड़क के किनारे अकेले चल रहा था, तब शिलो शहर से भविष्यद्वक्ता अहिय्याह उससे मिला। अहिय्याह ने नया वस्त्र पहन रखा था,
\v 30 जिसे उसने उतारा और बारह टुकड़ों में फाड़ा।
\p
\s5
\v 31 उसने यारोबाम से कहा, "इन टुकड़ों में से दस अपने लिए ले लो, क्योंकि यहोवा, जिस परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं, वे कहते है, 'मैं सुलैमान से राज्य लेने जा रहा हूँ, और इस्राएल के दस गोत्रों पर शासक बनने के लिए मैं तुझे समर्थ बनाने जा रहा हूँ ।
\v 32 सुलैमान के वंशज भी एक गोत्र पर शासन करेंगे, दाऊद से मेरी प्रतिज्ञा के कारण, एक व्यक्ति जिसने भली-भांति मेरी सेवा की, और यरूशलेम के कारण, जिस शहर को मैंने इस्राएल के सभी शहरों के बीच से चुना है वह शहर है जहाँ मेरे लोग मेरी आराधना करेगें
\v 33 मैं ऐसा करने जा रहा हूँ क्योंकि सुलैमान ने मुझे त्याग दिया है और अशेरा की पूजा कर रहा है, देवी जिसकी सीदोन के लोग पूजा करते हैं, केमोश, वह देवता जिसकी मोआब के लोग पूजा करते हैं, और मोलेक की अम्मोन लोग पूजा करते हैं। उसने अपना जीवन मेरी इच्छानुसार नहीं बिताया है । उसने मेरे नियमों का पालन नहीं किया है, जैसा उसके पिता दाऊद ने किया था।
\p
\s5
\v 34 परन्तु मैं पूरे राज्य से उसे वंचित नहीं करूँगा। मैं उसके जीवित रहने तक उसे यहूदा पर शासन करने में सक्षम रखूँगा। मैं ऐसा करूँगा दाऊद से की गई प्रतिज्ञा के कारण, जिसे मैंने राजा बनाने का निर्णय लिया था, और जिसने भली-भांति मेरी सेवा की, और जो सदैव मेरे आदेशों और कानूनों का पालन करता था।
\v 35 परन्तु मैं उसके साम्राज्य के अन्य दस गोत्रों को उससे ले लूंगा और उन पर शासन करने के लिए तुझे दूंगा।
\v 36 मैं सुलैमान के पुत्र को एक गोत्र पर शासन करने की अनुमति दूंगा, ताकि दाऊद के वंशज सदैव यरूशलेम में शासन करें, जिस शहर को मैंने चुना है, जहाँ मेरे लोग मेरी आराधना करते हैं।
\p
\s5
\v 37 मैं तुझे इस्राएल का राजा बनने में समर्थ बनाऊँगा, और तू जो क्षेत्र चाहता है उस पर शासन करेगा।
\v 38 यदि तू जो कुछ भी मैं करने का आदेश देता हूँ, उसका पालन करता है और अपने जीवन को मेरी इच्छानुसार व्यतीत करता है, और यदि तू वह करता है, जो मेरे नियमों और आज्ञाओं का पालन करने में सही है, तो मैं तेरी मदद करूँगा। मैं यह सुनिश्चित कर दूंगा कि तेरे मरने के बाद तेरे वंशज शासन करेंगे, जैसे मैंने दाऊद के लिए करने की प्रतिज्ञा की थी।
\v 39 सुलैमान के पापों के कारण, मैं दाऊद के वंशजों को दण्ड दूंगा, लेकिन मैं उन्हें सदा के लिए दण्डित नहीं करूँगा ।'"
\p
\s5
\v 40 सुलैमान को पता चला जो अहिय्याह ने यारोबाम से कहा, तो उसने यारोबाम को मारने का प्रयास किया । लेकिन यारोबाम बच गया और मिस्र चला गया। वह मिस्र के राजा शिशक के पास गया, और सुलैमान की मृत्यु तक उसके साथ रहा।
\p
\s5
\v 41 सुलैमान की अन्य सभी बातों का अभिलेख, और समस्त बुद्धिमानी की बातें, सुलैमान की पुस्तक में लिखी गई थीं।
\v 42 वह यरूशलेम में राजा था और चालीस वर्षों तक उसने पूरे इस्राएल पर शासन किया।
\v 43 जब सुलैमान की मृत्यु हो गई और उसे यरूशलेम के उस भाग में मिट्टी दी गई जिसे दाऊद नगर कहा जाता था। तब उसका पुत्र रहबाम राजा बन गया।
\s5
\c 12
\p
\v 1 रहबाम को राजा बनाने के लिए उत्तरी इस्राएल के सभी लोग शकेम शहर गए। रहबाम भी वहाँ गया।
\v 2 जब यारोबाम ने, जो अभी भी मिस्र में था, इस के विषय सुना, वह मिस्र से इस्राएल लौट आया।
\p
\s5
\v 3 उत्तरी गोत्रों के अगुवों ने उसे बुलाया, और वे रहबाम से बातें करने के लिए एक साथ गए। उन्होंने उससे कहा,
\v 4 "तेरे पिता सुलैमान ने हमें बहुत मेहनत करने के लिए विवश किया, और यदि तू हमें कम काम करने की अनुमति देता है, तो हम निष्ठापूर्वक तेरी सेवा करेंगे ।"
\p
\v 5 उसने उत्तर दिया, "चले जाओ, और अब से तीन दिन बाद वापस आओ और मैं तुमको अपना उत्तर दूंगा।" तो रहबाम और वे अगुवें चले गए।
\p
\s5
\v 6 राजा रहबाम ने अपने बुजुर्गों से परामर्श किया जिन्होंने उसके पिता सुलैमान को भी सलाह दी थी जब वह जीवित था। उसने उनसे पूछा, "इन पुरुषों के उत्तर में मुझे क्या कहना चाहिए?"
\p
\v 7 उन्होंने उत्तर दिया, "यदि तू इन लोगों की अच्छी सेवा करना चाहता है, तो जब तू उन्हें उत्तर दे तो दयालुता के साथ बातें करना। यदि तू ऐसा करता है, तो वे सदैव निष्ठापूर्वक तेरी सेवा करेंगे।"
\p
\s5
\v 8 परन्तु उसने बुजुर्गों ने उसे जो करने की सलाह दी उसे अनदेखा किया। इसकी बजाय, उसने उन युवा पुरुषों से परामर्श किया जो उसके साथ बड़े हुए थे, वे ही अब उसके सलाहकार थे।
\v 9 उसने उनसे कहा, "तुम क्या कहते हो मुझे उन पुरुषों को क्या उत्तर देना चाहिए जो मुझसे मेरे पिता द्वारा अपेक्षित काम घटाने की मांग करते है ?"
\p
\s5
\v 10 उन्होंने उत्तर दिया, "तुझको उन्हें यह बताना चाहिए: 'मेरी छोटी उंगली मेरे पिता की कमर से मोटी है।
\v 11 मेरा मतलब यह है कि मेरे पिता ने तुमको कड़ी मेहनत करने की आज्ञा दी थी, लेकिन मैं उस बोझ को और भी भारी कर दूंगा। ऐसा होगा कि मेरे पिता ने तुम्हें कोड़ों से मारा था, लेकिन मैं तुमको बिच्छुओं से डसवाऊँगा। '"
\p
\s5
\v 12 तब तीन दिन बाद, यारोबाम और सभी अगुवें फिर से रहबाम के पास आए।
\v 13 राजा ने बुजुर्गों की सलाह को अनदेखा किया और इस्राएलियों के अगुवों से कठोर बातें की।
\v 14 उसने उनसे वह कहा जो युवा पुरुषों की सलाह थी। उसने कहा, "मेरे पिता ने तुम पर भारी बोझ डाला है, लेकिन मैं तुम पर और भारी बोझ डालूंगा। यह ऐसा होगा मानो मेरे पिता ने तुम्हें कोड़ों से मारा , लेकिन मैं तुमको बिच्छुओं से डसवाऊँगा !"
\p
\s5
\v 15 तब राजा ने इस्राएलियों के अगुवों पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब यह सब यहोवा की इच्छानुसार हुआ , उसने भविष्यवक्ता अहिय्याह को यारोबाम के दस गोत्रों के राजा बनने के विषय बताया था।
\p
\s5
\v 16 जब इस्राएली अगुवों ने अनुभव किया कि राजा ने उस पर ध्यान नहीं दिया जो कुछ भी उन्होंने कहा, तो वे चिल्लाए,
\q1 "राजा दाऊद के इस वंशज के साथ हमारा कुछ लेना देना नहीं हैं!
\q2 हम इस पर ध्यान नहीं देंगे कि यिशै के पोते क्या कहते हैं!
\q1 तुम इस्राएल के लोग, आओ घर चलें!
\q2 दाऊद के इस वंश के लिए, यही कहा जा सकता है कि वह अपने ही गोत्र पर शासन कर सकता है! "
\p इस्राएली अगुवे अपने घर लौट आए।
\v 17 और उसके बाद, रहबाम ने एकमात्र उन इस्राएली लोगों पर शासन किया, जो यहूदा गोत्र के क्षेत्र में रहते थे।
\p
\s5
\v 18 तब राजा रहबाम अदोराम के साथ इस्राएलियों से बातें करने के लिए गया। अदोराम वह व्यक्ति था जिसने उन सभी पुरुषों की देखरेख की जिन्हें रहबाम के लिए काम करने के लिए विवश किया था। परन्तु इस्राएली लोगों ने उस पर पत्थर फेंककर उसे मार डाला। जब ऐसा हुआ, राजा रहबाम शीघ्र अपने रथ में बैठा और यरूशलेम से बच कर निकला गया।
\v 19 उस समय से, इस्राएल के उत्तरी गोत्रों के लोग राजा दाऊद के वंशजों के विरूद्ध विद्रोह कर रहे हैं।
\p
\s5
\v 20 जब इस्राएली लोगों ने सुना कि यरोबाम मिस्र से लौट आया है, तब उन्होंने उसे एक धर्म सभा में आने के लिए आमंत्रित किया, और वहाँ उन्होंने उसे इस्राएल के राजा के रूप में नियुक्त किया। केवल यहूदा गोत्र के लोग राजा दाऊद से उत्‍पन्‍न राजाओं के प्रति निष्ठावान बने रहे।
\p
\s5
\v 21 जब रहबाम यरूशलेम पहुंचा, तो उसने यहूदा और बिन्यामीन के गोत्रों के 180,000 सैनिकों को इकट्ठा किया। वह चाहता था कि वे इस्राएल के उत्तरी गोत्रों के विरुद्ध लड़ें और उन्हें पराजित करें ताकि वह अपने राज्य के सभी गोत्रों पर फिर से शासन कर सके।
\p
\s5
\v 22 परन्तु परमेश्वर ने शमायाह भविष्यद्वक्ता से यह कहा:
\v 23 "जाओ और यहूदा के राजा सुलैमान के पुत्र रहबाम और यहूदा और बिन्यामीन के गोत्रों के सभी लोगों और यहूदा में रहने वाले उत्तरी गोत्र के लोगों को यह बताओ:
\v 24 'यहोवा कहते हैं कि तुम्हें अपने ही घराने, इस्राएलियों के विरूद्ध लड़ने के लिए नहीं जाना चाहिए। तुम सभी को घर जाना चाहिए। जो हुआ है वह यहोवा करना चाहते थे। '"इसलिए शमायाह गया और उनसे कहा, और उन सभी ने सुना कि यहोवा ने उन्हें क्या करने का आदेश दिया था, और वे घर चले गए।
\p
\s5
\v 25 तब यारोबाम के कर्मचारियों ने पहाड़ी देश में शकेम शहर के चारों ओर दीवारें बनाईं, जहाँ एप्रैम के वंशज रहते थे, और कुछ समय तक उसने वहाँ शासन किया। तब वह और उसके कर्मचारी वहाँ से पनूएल शहर गए, और उन्होंने उस शहर के चारों ओर दीवारों का निर्माण किया।
\p
\v 26-27 तब यारोबाम ने स्वयं से कहा, "यदि मेरे लोग यरूशलेम जाएँगे और वहाँ भवन में यहोवा को बलि चढ़ाएँगे, तो शीघ्र ही वे यहूदा के राजा रहबाम के प्रति निष्ठावान हो जाएँगे, और वे मुझे मार डालेंगे। "
\p
\s5
\v 28 इसलिए उसने अपने सलाहकारों से परामर्श किया, और फिर उन्होंने जो सुझाव दिया वह उसने किया। उन्होंने अपने कर्मचारियों को सोने से बछड़ों की दो मूर्तियां बनाने के लिए कहा। उसने लोगों से कहा, "तुम लम्बे समय से आराधना करने के लिए यरूशलेम जा रहे हो। तुम वहाँ जाने में बहुत बड़ा प्रयास कर रहे हो। हे इस्राएल के लोगों देखो, ये मूर्तियां वे देवता हैं जो हमारे पूर्वजों को मिस्र से निकाल लाये! तो तुम इनकी आराधना यहाँ कर सकते हो! "
\v 29 उसने अपने कर्मचारियों को मूर्तियों में से एक को दक्षिण में बेतेल शहर में और एक उत्तर में दान के शहर में रखने के लिए कहा।
\v 30 अत: जो कुछ यारोबाम ने किया वह लोगों के पाप करने का कारण बना। उनमें से कुछ ने बेतेल में बछड़े की मूर्तियों की पूजा की, और कुछ दूसरे बछड़े की पूजा करने दान गए।
\p
\s5
\v 31 मूसा ने यह घोषणा की थी कि लेवी के गोत्र के लोग ही याजक होंगे, परन्तु यारोबाम ने अपने कर्मचारियों को पहाड़ियों पर मूर्तियों की पूजा के स्थानों का निर्माण करने के लिए कहा, और फिर उन्होंने उन लोगों को नियुक्त किया जो लेवी के गोत्र से नहीं थे और वे भी मूर्तियों के लिए याजक बने।
\v 32 पंद्रहवें दिन आठवें महीने में उनका पर्व मनाया गया, जैसे कि हर साल यहूदा में अस्थायी झोपड़ियों में रहने का पर्व मनाया जाता था। उन्होंने बेतेल में बनाई गई वेदी पर, बछड़ों की सोने की मूर्तियों के सक्षम बलिदान चढ़ाया, और उन्होंने याजकों को पहाड़ियों पर रखा जहाँ मूर्तियों की पूजा की गई, जहाँ उनके कर्मचारियों ने मूर्ति पूजा के लिए घरों का निर्माण किया।
\p
\s5
\v 33 यारोबाम आठवें महीने के उस दिन में उस वेदी पर गया, जिसे उसने स्वयं चुना था। उस वेदी पर उसने धूप बलि चढाई। और उसने घोषित किया कि लोगों को हर वर्ष यही पर्व मनाना चाहिए।
\s5
\c 13
\p
\v 1 एक दिन एक भविष्यवक्ता, यहोवा की आज्ञानुसार उत्तर यहूदा से बेतेल गया। वह उस समय वहाँ पहुँचा जब यारोबाम धूप जलाने के लिए वेदी के पास खड़ा था।
\v 2 यह कहते हुए जो यहोवा ने उसे कहने के लिए कहा था, भविष्यवक्ता चिल्लाया, "यहोवा इस वेदी के बारे में यही कहते हैं, 'मैं चाहता हूँ तू जान ले कि किसी दिन राजा दाऊद के वंशज पैदा होगा। उसका नाम योशिय्याह होगा, और वह यहाँ आएगा। वह इस वेदी पर याजकों को मार डालेगा जो इस क्षेत्र में पहाड़ियों पर बलिदान के लिए धूप जला रहे हैं, और वह इस वेदी पर मृत लोगों की हड्डियों को जला देगा। "
\v 3 भविष्यवक्ता ने यह भी कहा, " इससे यह प्रमाणित होगा कि यहोवा ने यह कहा है: यह वेदी अलग हो जाएगी, और उस पर रखी राख बिखर जाएगी।"
\p
\s5
\v 4 जब राजा यारोबाम ने भविष्यद्वक्ता को यह कहते हुए सुना, कि उसने उस की ओर अपनी उंगली से संकेत किया और अपने कर्मचारियों से कहा, "उस व्यक्ति को पकड़ो!" लेकिन तुरंत राजा का हाथ सूख गया, जिसके परिणामस्वरूप वह इसे हिला नहीं सका।
\v 5 (वेदी दो भागो में अलग हो गई, और राख, भूमि पर गिर गई, जो भविष्यद्वक्ता ने कहा था कि यही यहोवा ने भविष्यवाणी की थी।)
\p
\s5
\v 6 तब राजा ने भविष्यद्वक्ता से कहा, "कृपया प्रार्थना कर कि यहोवा मेरे प्रति दयालु हों और मेरी बांह को ठीक करें!" भविष्यवक्ता ने प्रार्थना की, और यहोवा ने पूरी तरह से राजा की बांह को ठीक कर दिया।
\p
\v 7 तब राजा ने भविष्यद्वक्ता से कहा, "मेरे साथ घर आ और कुछ भोजन कर। और जो कुछ तुने किया है उसके लिए मैं तुझे उपहार भी दूंगा!"
\p
\s5
\v 8 परन्तु भविष्यद्वक्ता ने उत्तर दिया, "यहाँ तक कि यदि तू मुझे अपने स्वामित्व का आधा भाग भी देने का वादा करे तब भी मैं तुम्हारे तेरे साथ नहीं जाऊंगा, और मैं तेरे साथ कुछ भी नहीं खाऊंगा और ना पीऊंगा,
\v 9 क्योंकि यहोवा ने मुझे यहाँ कुछ भी नहीं खाने या पीने का आदेश दिया था। उसने मुझे आदेश दिया कि मैं उस सड़क से घर वापस न लौटूं जिस से मैं आया था।"
\v 10 फिर वह घर लौटने लगा, लेकिन वह उस सड़क से नहीं गया जिस से वह बेतेल आया था। वह एक अलग सड़क से चला गया।
\p
\s5
\v 11 उस समय बेतेल में रहने वाला एक बूढ़ा व्यक्ति था जो भविष्यद्वक्ता भी था। उसके पुत्र आए और उसे बताया कि उस दिन यहूदा के भविष्यद्वक्ता ने क्या किया था, और उन्होंने उसे यह भी बताया कि भविष्यद्वक्ता ने राजा से क्या कहा था।
\v 12 उनके पिता ने कहा, "वह किस सड़क से गया था?" उसके पुत्रों ने उसे वह मार्ग दिखाया जिस से यहूदा का भविष्यद्वक्ता बेतेल छोड़कर गया था।
\v 13 तब उसने अपने पुत्रों से कहा, "मेरे गधे पर एक काठी रखो।" उन्होंने ऐसा किया, और वह गधे पर चढ़ा।
\p
\s5
\v 14 वह यहूदा से भविष्यद्वक्ता को ढूंढ़ने के लिए सड़क पर गया। उसने उसे बांज के पेड़ नीचे बैठे पाया। उसने उससे कहा, "क्या तू वही भविष्यद्वक्ता है जो यहूदा से आया है?" उसने उत्तर दिया, "हाँ, मैं हूँ।"
\p
\v 15 बूढ़े भविष्यवक्ता ने उससे कहा, "मेरे साथ घर आ और कुछ भोजन कर।"
\p
\v 16 उसने उत्तर दिया, "नहीं, मुझे तेरे घर जाने या तुम्हारे साथ कुछ खाने या पीने की अनुमति नहीं है,
\v 17 क्योंकि यहोवा ने मुझे कहा, 'यहाँ कुछ भी न खाना या पीना, और जिस सड़क से तू आया था उस से घर वापस न जाना।' "
\p
\s5
\v 18 तब बूढ़े भविष्यद्वक्ता ने उससे कहा, "मैं भी तेरे जैसा भविष्यद्वक्ता हूँ। यहोवा ने मुझे यह बताने के लिए एक दूत भेजा कि मुझे तुझे मेरे साथ घर ले जाना चाहिए और तुझको कुछ खाना और पीना चाहिए।" लेकिन बूढ़ा व्यक्ति झूठ बोल रहा था जब उसने यह कहा था।
\v 19 परन्तु बूढ़े भविष्यद्वक्ता ने जो कहा, उसे सुनकर यहूदा का भविष्यद्वक्ता उसके साथ लौट आया और कुछ भोजन किया और उसके साथ थोड़ा पानी पिया।
\p
\s5
\v 20 जब वे मेज पर बैठे थे, तब यहोवा ने बूढ़े व्यक्ति से बातें की।
\v 21 तब उसने यहूदा के भविष्यद्वक्ता से कहा, "यहोवा यही कहते है: 'तुने उनकी आज्ञा ना मानी, और तुने वह नही किया जिसकी उन्होंने आज्ञा दी थी।
\v 22 इसके बजाय, तू यहाँ वापस आ गए और ऐसे स्थान में खाया पिया जहाँ उन्होंने ऐसा न करने की आज्ञा दी थी। इस के कारण तू मारा जाएगा और तेरे शरीर को वहाँ कब्र में मिट्टी नहीं दी जाएगी जहाँ तेरे पूर्वजों को मिट्टी दी गई थी। '"
\p
\s5
\v 23 जब उन्होंने खाना समाप्त कर लिया, तो बूढ़े व्यक्ति ने यहूदा के भविष्यद्वक्ता के लिए गधे पर एक काठी लगाई, और यहूदा का भविष्यद्वक्ता चला गया।
\v 24 जब वह जा रहा था, तो एक शेर मिला जिसने उसे मार डाला। भविष्यद्वक्ता की लाश सड़क पर पड़ी थी; (गधा उसकी बगल में खड़ा था, और शेर भी लाश की बगल में खड़ा था।)
\v 25 कुछ लोग गुजरते हुए सड़क पर लाश और गधे की बगल में खड़े शेर को देखकर आश्चर्यचकित हुए। वे बेतेल गए और उन्होंने जो देखा वह बताया।
\p
\s5
\v 26 बूढ़ा व्यक्ति जो यहूदा से भविष्यद्वक्ता को अपने घर लाया था, उसने कहा, "यही वह भविष्यद्वक्ता है यहोवा ने जो उसे करने के लिए कहा था उसने नही किया! यही कारण है कि यहोवा ने शेर को हमला करने और मारने की अनुमति दी यही है जो यहोवा ने कहा था होगा! "
\p
\v 27 तब उसने अपने पुत्रों से कहा, "मेरे गधे पर एक काठी रखो।" उन्होंने ऐसा किया।
\v 28 फिर वह गधे पर सवार होकर गया उसने भविष्यद्वक्ता की लाश को सड़क पर पाया, और उसका गधा और शेर अभी भी लाश के पास खड़े थे। शेर ने भविष्यद्वक्ता के माँस में से कुछ भी नहीं खाया था और गधे पर आक्रमण नहीं किया था।
\p
\s5
\v 29 बूढ़े व्यक्ति ने भविष्यद्वक्ता की लाश उठाई और उसे अपने गधे पर रखा और शोक करने और उसकी लाश को मिट्टी देने के लिए बेतेल वापस लाया।
\v 30 उसने कब्र में भविष्यद्वक्ता की लाश को मिट्टी दी जहाँ उसके परिवार के अन्य लोगों को मिट्टी दी गई थी। तब उसने और उसके बेटों ने उसके लिए यह कहते हुए शोक किया, "हम बहुत खेदित है, मेरे भाई!"
\p
\s5
\v 31 जब उन्होंने उसे मिट्टी दी , तो बूढ़े व्यक्ति ने अपने बेटों से कहा, "जब मैं मर जाऊं, तो मेरी लाश को उसी कब्रिस्तान में मिट्टी देना जहाँ हमने यहूदा के भविष्यद्वक्ता को मिट्टी दी थी । मेरी लाश को उसकी लाश की बगल में रखना।
\v 32 और जो कुछ उसने कहा, उसे न भूलें, यहोवा ने उसे बेतेल में वेदी के विषय कहने के लिए कहा था, और यहोवा ने उन स्थानों के विषय कहने के लिए कहा था जहाँ उन्होंने सामरिया के कस्बों के चारों ओर पहाड़ियों पर मूर्तियों की पूजा की थी। ये बातें निश्चित रूप से घटित होंगी। "
\p
\s5
\v 33 परन्तु राजा यारोबाम अभी भी उन बुरे कामों को करने में नहीं रुक रहा था। इसकी बजाय, उसने उन में से अधिक याजकों को नियुक्त किया जो लेवी गोत्र से नहीं थे। उन्होंने उन सभी को नियुक्त किया जो याजक बनने के लिए सहमत हुए, ताकि वे पहाड़ी पर बलिदान चढ़ा सकें।
\v 34 क्योंकि उसने वह पाप को किया, जिसके कारण कुछ साल बाद यारोबाम के अधिकांश वंशज लुप्त हो गए और इस्राएल के राजा नहीं बन सकें।
\s5
\c 14
\p
\v 1 उस समय, यारोबाम का पुत्र अबिय्याह बहुत बीमार हो गया।
\v 2 यारोबाम ने अपनी पत्नी से कहा, " स्वयं का भेष बदल कि कोई भी पहचान न सके कि तू मेरी पत्नी है। शीलो शहर जा, जहाँ भविष्यद्वक्ता अहिय्याह रहता है। वह वही है जिसने भविष्यवाणी की थी कि (मैं इस्राएल का राजा बन जाऊंगा)
\v 3 अपने साथ दस रोटियाँ और कुछ किशमिश, और शहद की एक कुप्पी ले, और उसे दे। उसे हमारे बेटे के बारे में बता, और वह तुझको बताएगा कि उसके साथ क्या होगा। "
\p
\s5
\v 4 तब उसकी पत्नी अहिय्याह के घर शीलो गई। अहिय्याह देख नहीं पाता था, क्योंकि बुढ़ापे के कारण उसकी आँखें धुन्धली पड़ गई थीं।
\p
\v 5 वहाँ पहुंचने से पहले, यहोवा ने अहिय्याह से कहा कि यारोबाम की पत्नी अपने बेटे के बारे में पूछने के लिए आ रही है, जो बहुत बीमार है। और यहोवा ने अहिय्याह को बताया कि उसे क्या कहना चाहिए।
\p जब वह उसके पास आई, तो उसने दूसरी औरत होने का नाटक किया।
\p
\s5
\v 6 परन्तु जब अहिय्याह ने द्वार में प्रवेश करते हुए उसके कदमों को सुना, तो उसने उससे कहा, "यारोबाम की पत्नी अन्दर आ! तू क्यों नाटक करती है कि तू कोई और है? यहोवा ने मुझे तुझको बताने के लिए बुरा समाचार दिया है।
\v 7 जा और यारोबाम को बता कि यहोवा, जिन परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं, वे कहते हैं: 'मैंने तुझको आम लोगों में से चुना है और तुझको अपने इस्राएली लोगों का राजा बनने के योग्य बनाया है।
\v 8 मैंने इस्राएल के अधिकांश राज्य को दाऊद के वंशजों से छीनकर तुझे दे दिया। लेकिन तू दाऊद की तरह नहीं है, जिसने मेरी भली-भांति सेवा करी। उसने मेरी सभी आज्ञाओं का सच्चाई से पालन किया, केवल वही किया जिन्हें मैंने सही माना।
\p
\s5
\v 9 परन्तु तुने उन सभी लोगों की तुलना में अधिक बुरा किया है जो तुझसे पहले शासन करते थे। तुने मुझे त्याग दिया और तुने मुझे बहुत गुस्सा दिलाया अन्य देवताओं की धातु की मूर्तियां बनाकर ताकि तू और सभी उसकी पूजा कर सके।
\p
\v 10 इसलिए, मैं तेरे परिवार के साथ भयानक कार्य करने जा रहा हूँ। मैं तेरे सभी युवा और बूढ़े पुरुष वंशजों के मरने का कारण बनूंगा। मैं पूरी तरह से तेरे परिवार से छुटकारा पाऊंगा जैसे कि एक व्यक्ति खाना पकाने के लिए गोबर को पूरी तरह से जलाता है।
\p
\s5
\v 11 शहरों में मरने वाले तेरे परिवार के सदस्यों की लाश कुत्ते खाएंगे। और खुले मैदानों में मरने वाले तेरे परिवार के सदस्यों की लाशें गिद्ध खाएंगे। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने कहा है कि यह होगा।'
\p
\v 12 अत: घर वापस जा। जैसे ही तू शहर में प्रवेश करेगी, तेरा बेटा मर जाएगा।
\v 13 सभी इस्राएली उसके लिए शोक करेंगे और उसे मिट्टी देंगे। वह यारोबाम के परिवार में से एकमात्र होगा, जिसे ठीक से मिट्टी दी जाएगी, क्योंकि वह यारोबाम के परिवार में से एक है जिससे यहोवा प्रसन्न है।
\p
\s5
\v 14 इसके अलावा, यहोवा इस्राएल के ऊपर शासन करने के लिए एक राजा नियुक्त करेंगे जो यारोबाम के वंशजों से छुटकारा दिलाएगा।और यह आज से ही होने लगेगा!
\v 15 यहोवा इस्राएल के लोगों को दण्डित करेंगे। वह उन्हें हिलाएगे जैसे हवा एक धारा में उगने वाले सरकंडें को हिलाती है। वह इस्राएलियों को इस अच्छी भूमि से निकाल देंगे जो उन्होंने हमारे पूर्वजों को दी थी। वह उन्हें फरात नदी के पूर्व के देशों में तितर-बितर कर देंगे, क्योंकि उन्होंने देवी अशेरा की पूजा करने के लिए स्तंभ बनाकर यहोवा को बहुत क्रोधित कर दिया है।
\v 16 यहोवा यारोबाम के पापों के कारण इस्राएली लोगों को त्याग देंगे, जिन पापों में इस्राएली भी सम्मिलित थे।"
\p
\s5
\v 17 यारोबाम की पत्नी इस्राएल की नई राजधानी तिर्सा शहर में घर लौट आई। और जैसे ही उसने अपने घर में प्रवेश किया, उसका बेटा मर गया।
\v 18 सभी इस्राएली लोगों ने उसके लिए शोक किया और उसे मिटटी दी, यहोवा ने अपने दास भविष्यद्वक्ता अहिय्याह को बताया था, वैसा ही हो गया।
\p
\s5
\v 19 यारोबाम ने जो कुछ भी किया, युद्ध में उसकी सेना कैसे लड़ी, वह कैसे शासन करता था, यह सब इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में लिखा गया है।
\v 20 यारोबाम ने बीस साल तक शासन किया। जब वह मर गया, उसका पुत्र नादाब राजा बन गया।
\p
\s5
\v 21 सुलैमान के पुत्र रहबाम ने यहूदा पर शासन किया। जब उसने शासन करना आरम्भ किया, तो वह चालीस वर्ष का था, और उसने सत्रह वर्षों तक शासन किया। उसने यरूशलेम में शासन किया, यह वह शहर है जिसे यहोवा ने इस्राएल के सभी गोत्रों में से चुना था, जहाँ आराधना की जानी चाहिए। रहबाम की माँ का नाम नामा था। वह अम्मोन लोगों के समूह से थी।
\p
\v 22 यहूदा के लोगों ने बहुत सी बातें कीं जिन्हें यहोवा ने घृणित कहा था। उन्होंने उन्हें क्रोध दिलाया क्योंकि उन्होंने अपने पूर्वजों की तुलना में अधिक पाप किए थे। उन्होंने सिर्फ यहोवा की आराधना करने की बजाय कई अन्य देवताओं की पूजा की।
\p
\s5
\v 23 उन्होंने उन देवताओं की पूजा के लिए घर बनाये। ऊंची पहाड़ियों पर और बड़े पेड़ों के नीचे उन्होंने अशेरा की पूजा के लिए खंभे और स्तम्भ स्थापित किए।
\v 24 इसके अलावा, पूजा के इन स्थानों पर पुरुषगमन करवाने वाले सेवक भी थे। इस्राएली लोगों ने वही अपमानजनक कर्म किए जो लोगों ने किये थे, जिन्हें यहोवा ने निष्कासित कर दिया था, जब इस्राएली देश में आगे बढ़ रहे थे।
\p
\s5
\v 25 जब रहबाम को लगभग शासन करते हुए पांच वर्ष हो गए, तब मिस्र का राजा शिशक यरूशलेम पर आक्रमण करने के लिए अपनी सेना के साथ आया।
\v 26 वह भवन से और राजा के महल से सभी मूल्यवान चीजें ले गए, जिसमें सुलैमान के कर्मचारियों द्वारा बनाई गई सोने की ढाल भी थी।
\p
\s5
\v 27 राजा रहबाम के कर्मचारियों ने उनके बदले पीतल की ढालें बनवाई और उन्हें राजा के महल के प्रवेश द्वार की रक्षा करने वाले अधिकारियों के हाथों में थमा दिया।
\v 28 हर बार जब राजा भवन में गया, तो वे रक्षक उन ढालों को लेकर चले, और जब उन्होंने भवन छोड़ दिया तो उन्होंने ढालों को कमरे में वापस रख दिया।
\p
\s5
\v 29 रहबाम ने जो कुछ भी किया वह यहूदा के राजाओं की पुस्तक में लिखा गया है।
\v 30 रहबाम और यारोबाम की सेनाओं के बीच निरंतर युद्ध चलता रहा।
\v 31 जब रहबाम की मृत्यु हो गई, और उसे यरूशलेम के दाऊद नगर में मिटटी दी गई, जहाँ उसके पूर्वजों को मिटटी दी गई थी। इसके बाद उसका पुत्र अबिय्याम राजा बन गया।
\s5
\c 15
\p
\v 1 यारोबाम के इस्राएल के राजा होने के लगभग अठारह साल के बाद, अबिय्याम यहूदा का राजा बन गया।
\v 2 उसने यरूशलेम में तीन साल तक शासन किया। उसकी माँ का नाम माका था, जो अबशालोम की पुत्री थी।
\p
\v 3 अबिय्याम ने उसी तरह के पाप किए जो उसके पिता ने किए थे। वह अपने परमेश्वर यहोवा के प्रति पूरी तरह से समर्पित नहीं था, जैसा उसका पूर्वज दाऊद था।
\p
\s5
\v 4 परन्तु, परमेश्वर यहोवा ने दाऊद से वादा किया था, और यहोवा ने अबिय्याम को एक पुत्र यरूशलेम में शासन करने और यरूशलेम को अपने शत्रुओं से बचाने के लिए दिया था।
\v 5 यहोवा ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि दाऊद ने सदैव यहोवा को प्रसन्न किया था और दाऊद ने हमेशा यहोवा की आज्ञा मानी थी। जब उसने बतशेबा के साथ अपने पाप के कारण उरीया को मार डाला तभी वह एकमात्र समय था जब उसने यहोवा की अवज्ञा की थी।
\p
\v 6 अबिय्याम के शासन के दौरान रहबाम और यारोबाम की सेनाओं के बीच युद्ध चलते रहे।
\p
\s5
\v 7 अबिय्याम ने जो कुछ किया वह यहूदा के राजाओं की पुस्तक में लिखा गया है।
\v 8 अबिय्याम की मृत्यु हो गई और उसे यरूशलेम के दाऊद नगर में मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र आसा राजा बन गया।
\p
\s5
\v 9 यारोबाम के लगभग बीस वर्षों तक इस्राएल का राजा रहने के बाद, आसा ने यहूदा पर शासन करना शुरू कर दिया।
\v 10 उसने यरूशलेम में चालीस वर्ष तक शासन किया। उसकी दादी अबशालोम की बेटी माका थीं।
\p
\v 11 आसा ने यहोवा को प्रसन्न किया, जैसा कि उसके पूर्वजों ने किया था।
\p
\s5
\v 12 उसने उन पुरुषगमन करने वालों से छुटकारा पा लिया जो उन जगहों पर थे जहाँ लोग मूर्तियों की पूजा करते थे, और उसने अपने पूर्वजों द्वारा बनाई सारी मूर्तियों से भी छुटकारा पा लिया।
\v 13 उसने अपनी दादी माका को भी हटा दिया ताकि उसका पूर्व राजा की माँ होने के कारण प्रशासन में अब प्रभाव न हो। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसने देवी अशेरा की घृणित लकड़ी की मूर्ति बनाई थी। आसा ने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया कि मूर्ति को काटें और गिराकर किद्रोन घाटी में जला दें।
\p
\s5
\v 14 वह उन सभी स्थानों को नष्ट करने में सक्षम नहीं था जहाँ लोग यहोवा की आराधना करते थे, परन्तु वह अपने समय में यहोवा को समर्पित रहा।
\v 15 उसने कर्मचारियों को अपने पिता द्वारा यहोवा को समर्पित सभी वस्तुओं को भवन में स्थापित करने के लिए कहा , और वे सभी सोने और चाँदी की चीजें जिन्हें उसने यहोवा के लिए समर्पित किया था।
\p
\s5
\v 16 आसा और इस्राएल के राजा बाशा की सेनाओं के बीच युद्ध होते रहे, जब तक वे शासन करते रहे ।
\v 17 बाशा की सेना ने यहूदा पर आक्रमण किया। उन्होंने यरूशलेम के उत्तर में रामाह शहर पर अधिकार कर लिया। तब उन्होंने राजा आसा द्वारा शासित यहूदा के क्षेत्रों में लोगों के आवागमन की रोकथाम के लिए चारों ओर दीवार बनानी आरम्भ कर दी।
\p
\s5
\v 18 तब आसा ने अपने मजदूरों को भवन और महल में रखे हुए सभी चाँदी और सोने को लेने के लिए कहा और उसे अपने कुछ अधिकारियों को दिया। उसने उन्हें दमिश्क ले जाने और राजा बेन्हदद को देने के लिए कहा जो अराम पर शासन करता था। बेन्हदद तब्रिम्मोन का पुत्र था और हेज्योन का पोता था। उसने अधिकारियों से बेन्हदद को यह बतलाने के लिए कहा:
\v 19 "मैं चाहता हूँ कि मेरे और तेरे बीच शान्ति संधि हो, जैसे कि मेरे पिता और तेरे पिता के बीच में हुई थी। इसी उद्देश्य के लिए, मैं तुझे यह चाँदी और सोना दे रहा हूँ। अब कृपया उस संधि को निरस्त कर जो तुने इस्राएल के राजा बाशा के साथ की है, ताकि वह अपने सैनिकों को मुझ पर आक्रमण करने न दे क्योंकि वह तेरी सेना से डर जाएगा। "
\p
\s5
\v 20 इसलिए अधिकारी गये और बेन्हदद को सन्देश दिया, और उसने आसा के सुझावअनुसार किया। उसने अपनी सेना के प्रधान और उनके सैनिकों को इस्राएल के कुछ कस्बों पर आक्रमण करने के लिए भेजा। उन्होंने इय्योन, दान, बेत-माकाह के आबेल, गलील सागर के पास के क्षेत्र और नप्ताली के गोत्र की सारी भूमि पर अधिकार कर लिया।
\v 21 जब बाशा ने इसके बारे में सुना, तो उसने अपने सैनिकों को रामा में काम करवाना बंद कर दिया। वह और उसके सैनिक तिर्सा लौट आए और वहाँ रहे।
\v 22 तब राजा आसा ने यहूदा के कस्बों में सभी लोगों को एक सन्देश भेजा, जिसमें कहा गया था कि उन सभी को रामा जाने और बाशा के सैनिकों द्वारा शहर के चारों ओर दीवार बनाने के लिए उपयोग हो रहे पत्थर और लकड़ी को ले जाने की आवयश्कता थी। उन पत्थरों और लकड़ियों के साथ उन्होंने यरूशलेम के उत्तर में मिस्पा शहर और बिन्यामीन के गोत्र के क्षेत्र में एक नगर गेबा को दृढ़ किया।
\p
\s5
\v 23 आसा ने जो कुछ किया, सेनाओं ने जिन सेनाओं को पराजित किया, और उन नगरों के नाम जिन्हें उन्होंने दृढ़ किया, वे सभी यहूदा के राजाओं की पुस्तक में लिखे गए हैं। लेकिन जब आसा बूढ़ा हो गया, तो उसके पैरों में एक बीमारी हुई।
\v 24 वह मर गया और उसे मिट्टी दी गई जहाँ उसके पूर्वजों को यरूशलेम के दाऊद नगर नामक भाग में मिट्टी दी गई थी। तब उसका पुत्र यहोशापात राजा बन गया।
\p
\s5
\v 25 आसा दो साल तक यहूदा का राजा रहा, राजा यारोबाम के पुत्र नादाब ने इस्राएल पर शासन करना शुरू कर दिया। उसने दो साल तक शासन किया।
\v 26 उसने कई काम किए जो यहोवा की दृष्टि में घृणित थे। उसका व्यवहार उसके पिता के व्यवहार की तरह पापमय था, और उसने इस्राएल के लोगों को पाप करने के लिए प्रेरित किया।
\p
\s5
\v 27 इस्साकार के गोत्र से बाशा नाम के एक व्यक्ति ने उसे हानि पहुँचाने की युक्ति की। उसने नादाब को मारा जब नादाब और उसकी सेना ने पलिश्ती क्षेत्र में गिब्बतोन शहर को घेर रखा था।
\v 28 यह तब हुआ था जब आसा राजा को यहूदा पर शासन करते तीन वर्ष हो गये थे। तब बाशा इस्राएल का राजा बन गया।
\p
\s5
\v 29 जैसे ही वह राजा बन गया, उसने अपने सैनिकों को यारोबाम के परिवार को मारने का आदेश दिया। वही करना जो यहोवा ने शीलो से भविष्यद्वक्ता अहिय्याह को बताया था, उन्होंने यारोबाम के परिवार को मार डाला। उनमें से कोई भी नहीं बचा।
\v 30 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यारोबाम के सभी पापों के कारण यहोवा यारोबाम से बहुत क्रोधित हो गये थे, और उन पापों के कारण जो उसने इस्राएलियों के लोगों को करने के लिए फुसलाया था।
\p
\s5
\v 31 नादाब ने जो कुछ भी किया वह इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में लिखा गया है।
\v 32 राजा आसा और राजा बाशा के शासनकाल के दौरान उनकी सेनाओं के बीच युद्ध चलते रहे ।
\p
\s5
\v 33 आसा के लगभग तीन वर्षों तक यहूदा का राजा रहने के बाद , अहिय्याह के पुत्र बाशा ने इस्राएल पर तिर्सा शहर में शासन करना आरम्भ कर दिया। उसने चौबीस साल तक शासन किया।
\v 34 बाशा ने बहुत से ऐसे कर्म किए जिन्हें यहोवा ने घृणित कहा था, और वह यारोबाम की तरह पापी जीवन जीता था। बाशा के पापी जीवन ने इस्राएल के लोगों के सक्षम उदाहरण प्रस्तुत किया जो उन्हें पाप करने के लिए प्रोत्साहित करता था।
\s5
\c 16
\p
\v 1 जब बाशा इस्राएल का राजा था, तब हनानी के पुत्र भविष्यवक्ता येहू ने बाशा को यह सन्देश दिया जो यहोवा से प्राप्त हुआ था:
\v 2 "जब तुने मुझे अपने इस्राएली लोगों का शासक बनने के लिए प्रेरित किया, तो तू बहुत महत्वहीन था। लेकिन तुने मुझे यारोबाम के बुरे कामों से बहुत क्रोधित कर दिया। तुने मेरे लोगों से पाप करवाकर मुझे क्रोधित किया ।
\p
\s5
\v 3 अत: अब मैं तुझसे और तेरे परिवार से छुटकारा पाऊंगा। मैं तेरे साथ ऐसा करूँगा जैसे मैंने यारोबाम और उसके परिवार के साथ किया था।
\v 4 इस शहर में तेरे परिवार के मृत शरीरों को मिट्टी नहीं दी जाएगी। उन्हें कुत्तें खाएंगे, और खेतों में मरने वालों के शरीर गिद्ध खाएंगे। "
\p
\s5
\v 5 बाशा ने इस्राएल पर शासन के दौरान जो कुछ किया और उसकी सेना ने जो महान काम किये, वह इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में लिखे गए हैं।
\v 6 जब बाशा की मृत्यु हो गई, तो उसे राजधानी शहर तिर्सा में मिट्टी दी गई। इसके बाद उसका पुत्र एला राजा बन गया।
\p
\s5
\v 7 यहोवा ने बाशा और उसके परिवार के बारे में यह सन्देश येहू को दिया। बाशा ने कई काम किए थे जिन्हें यहोवा ने घृणित कहा था, जिस के कारण यहोवा क्रोधित हो गये। बाशा ने उसी तरह के कर्म किये जो राजा यारोबाम और उसके परिवार ने पहले किये थे। यहोवा बाशा से भी क्रोधित थे क्योंकि उसने यरोबाम के सम्पूर्ण परिवार को मार डाला था।
\p
\s5
\v 8 आसा के लगभग छब्बीस वर्ष तक यहूदा का राजा रहने के बाद, एला इस्राएल का राजा बन गया। एला ने तिर्सा में केवल दो साल तक शासन किया।
\p
\v 9 जिम्री नाम का व्यक्ति एला की सेना के अधिकारियों में से एक था। वह एला की सेना के रथों के आधे चालकों को आदेश देनेवाला था उसने एला को मारने की योजना बनाई, जबकि एला तिर्सा में था, वह अर्सा नाम के व्यक्ति के घर पर नशे में था। अर्सा वह व्यक्ति था जिसने राजा के महल में चीजों का ध्यान रखा था।
\v 10 जिम्री अर्सा के घर गया और एला को मार डाला। फिर वह इस्राएल का राजा बन गया। यह तब हुआ जब आसा को यहूदा का राजा बने सात वर्ष हो चुके थे ।
\p
\s5
\v 11 जैसे ही जिम्री राजा बन गया, उसने बाशा के परिवार को मार डाला। उसने बाशा के परिवार और बाशा के सभी मित्रों के प्रत्येक पुरुष को मार डाला।
\v 12 इस प्रकार उसने बाशा के परिवार से छुटकारा पा लिया। यही था जो यहोवा ने भविष्यद्वक्ता येहू से कहा था।
\v 13 बाशा और उसके पुत्र एला ने पाप किया और इस्राएलियों को पाप करने के लिए प्रेरित किया। उससे यहोवा, जिस परमेश्वर की इस्राएली लोगों ने आराधना की, थी क्रोधित हो गये, क्योंकि दोनों ने लोगों से बेकार मूर्तियों की पूजा करने का आग्रह किया था।
\p
\s5
\v 14 एला ने जो कुछ भी किया वह इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में लिखा गया है।
\p
\s5
\v 15 यहूदा पर आसा के राज्य काल के सत्ताईसवें वर्ष में जिम्री इस्राएल का राजा बना। जिम्री ने तिर्सा में मात्र सात दिन शासन किया। इस्राएली सेना पलिश्ती लोगों के समूह के शहर गिब्बतोन को घेरे हुए थी।
\v 16 इस्राएली सेना के लोगों ने सुना कि जिम्री ने गुप्त रूप से राजा एला को मारने की योजना बनाई और उसे मार डाला था। इसलिए उस दिन सैनिकों ने प्रधान ओम्री को इस्राएल का राजा बनने के लिए चुना।
\v 17 इस्राएली सेना गिब्बतोन के पास गई। जब उन्होंने सुना कि जिम्री ने क्या किया तो वे वहाँ से चले गए और तिर्सा गए और शहर को घेर लिया।
\p
\s5
\v 18 जब जिम्री को अनुभव हुआ कि शहर पर अधिकार होनेवाला है, तो वह अपने महल में गया और उसे जला दिया। महल जल गया, और वह भी आग में जल कर मर गया।
\v 19 वह मर गया क्योंकि उसने बहुत से ऐसे कर्म करके पाप किया था, जिसे यहोवा ने घृणित कहा था। यारोबाम ने इस्राएलियों को पाप करने के लिए प्रेरित किया था, और जिम्री ने पाप किया जैसे यारोबाम ने पाप किया था।
\p
\v 20 जिम्री के द्वारा किए गए अन्य सभी कर्म और कैसे उसने राजा एला के विरूद्ध विद्रोह किया, इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में लिखा गया है।
\p
\s5
\v 21 जिम्री की मृत्यु के बाद, इस्राएली लोग आपस में विभाजित हो गए। एक समूह गीनत के पुत्र तिब्नी को अपना राजा बनाना चाहता था। दूसरा समूह ओम्री को राजा बनना चाहता था।
\v 22 जो लोग ओम्री का समर्थन करते थे वे तिब्नी का समर्थन करने वालों की तुलना में अधिक सामर्थी थे। तिब्नी की हत्या हो गयी, और ओम्री राजा बन गया।
\p
\s5
\v 23 आसा राजा बन गया जब आसा लगभग तीस साल तक यहूदा का राजा रहा। ओम्री ने बारह वर्षों तक इस्राएल पर शासन किया। पहले छः वर्षों तक उन्होंने तिर्सा में शासन किया।
\v 24 उसने शेमेर नाम के व्यक्ति से एक पहाड़ी मोल ली और उसने उसके लिए छियासठ किलो चाँदी का भुगतान किया। तब ओम्री ने अपने लोगों को उस पहाड़ी पर एक शहर बनाने का आदेश दिया, और उसने शेमेर को सम्मानित करने के लिए इस शहर का नाम सामरिया रखा, जिसका वह पहले स्वामी था।
\p
\s5
\v 25 ओम्री ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने घृणित कहा था। ओम्री उन सभी राजाओं से बुरा था जो उससे पहले इस्राएल पर राज कर चुके थे।
\v 26 पूर्व में जब यारोबाम राजा था, तब उसने इस्राएलियों को पाप करने के लिए प्रेरित किया था, और ओम्री ने उसी प्रकार के पाप किए जो यारोबाम ने किए थे। इस्राएली लोगों ने बेकार की मूर्तियों की पूजा करके यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर को क्रोधित किया
\p
\s5
\v 27 ओम्री ने जो कुछ किया, और उसकी सेना ने जितने युद्ध जीते थे, यह सब इस्राएल के राजाओं की पुस्तक में लिखे गए है।
\v 28 ओम्री की मृत्यु के बाद, उसे सामरिया में मिटटी दी गई, और उसका पुत्र अहाब राजा बन गया।
\p
\s5
\v 29 अहाब इस्राएल का राजा बन गया जब आसा ने लगभग अड़तीस सालों तक यहूदा पर शासन किया। अहाब ने सामरिया शहर में बाईस साल तक शासन किया।
\v 30 अहाब ने बहुत से ऐसे काम किये जो यहोवा की दृष्टि में घृणित थे। उसने अन्य राजाओं की तुलना में अधिक बुरे काम किये जो उसके शासन करने से पहले इस्राएल पर शासन करते थे।
\p
\s5
\v 31 उसने यारोबाम के समान पाप किए, परन्तु उसने उस से और भी अधिक बुरे काम किये जो यारोबाम ने किए थे। उसने सीदोन शहर के राजा एतबाल की पुत्री ईजेबेल नाम की औरत से विवाह किया। तब अहाब ने बाल देवता की पूजा करना शुरू कर दिया जो कनानी लोगों का देवता था।
\v 32 उसने सामरिया में एक भवन बनाया ताकि इस्राएली लोग देवता बाल की पूजा कर सकें, और उन्होंने बाल देवता को बलिदान देने के लिए वहाँ एक वेदी बनाई।
\v 33 उसने एक मूर्ति भी बनाई जो बाल की पत्नी अशेरा का प्रतिनिधित्व करती थी । उसने कई और काम किये जिससे यहोवा क्रोधित हो गये। उसने इस्राएल के पिछले राजाओं में से किसी की भी तुलना में अधिक बुरे काम किये थे।
\p
\s5
\v 34 अहाब के उन वर्षों के दौरान, बेतेल शहर के एक व्यक्ति हीएल ने यरीहो शहर का पुनर्निर्माण किया। लेकिन जब उसने शहर का पुनर्निर्माण करना शुरू किया, तो उसका सबसे बड़ा बेटा अबीराम मर गया। जब शहर का निर्माण समाप्त हो गया, हायल शहर के द्वार का निर्माण कर रहा था, उसके सबसे छोटे बेटे सगूब की मृत्यु हो गई। जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था कि यरीहो का पुनर्निर्माण करने वाले के पुत्रों के साथ ऐसा ही होगा।
\s5
\c 17
\p
\v 1 एलिय्याह एक भविष्यद्वक्ता था जो गिलाद के क्षेत्र में तिशबी शहर में रहता था। एक दिन वह राजा अहाब के पास गया और उससे कहा, "यहोवा ही वह परमेश्वर है जिनकी मै आराधना करता हूँ और सेवा करता हूँ। जैसे निश्चित रूप से यहोवा जीवित हैं, अगले कुछ वर्षों में एकदम वर्षा नहीं होगी, जब तक मैं वर्षा होने का आदेश नहीं देता। "
\p
\s5
\v 2 तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा,
\v 3 "क्योंकि तुने राजा को क्रोधित कर दिया है, इसलिए राजा से बच कर पूर्व में, करीत नामक नाले के पास जा, जहाँ से यह यरदन नदी में बहती है।
\v 4 तू नदी के किनारे का पानी पी सकेगा, और तेरे लिए जो कौवे ले कर आएँगे वह खा सकेगा, क्योंकि मैंने उन्हें तेरे लिए भोजन लाने का आदेश दिया है। "
\p
\s5
\v 5 तब एलिय्याह ने वह किया जो यहोवा ने उसे करने के लिए कहा था। वह गया और करीत नाले के पास डेरा डाला।
\v 6 कौवे ने हर सुबह और उसने शाम को रोटी और माँस खाने के लिए दिया, और उसने नदी से पानी पीया।
\p
\v 7 लेकिन थोड़े समय बाद, नदी का पानी सूख गया, क्योंकि भूमि में कहीं भी वर्षा नहीं हो रही थी।
\p
\s5
\v 8 तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा,
\v 9 "जा और सीदोन शहर के पास सारफत गांव में रह। वहाँ एक विधवा है जो तुझे खाने के लिए भोजन देगी। मैंने उसे इसके बारे में पहले ही बताया है कि क्या करना है।"
\v 10 तब एलिय्याह ने वह किया जो परमेश्वर ने कहा था। वह सारफत गया। जब वह गांव के द्वार पर पहुंचा, तो उसने एक विधवा को देखा जो लकड़ी इकट्ठा कर रही थी। उसने उससे कहा, "क्या तू मुझे पानी पिलाएगी ?"
\p
\s5
\v 11 जब वह उसके लिए पानी लेने जा रही थी, तब उसने उस विधवा को आवाज़ दे कर कहा, "मेरे लिए रोटी का एक टुकड़ा भी ले आ!"
\p
\v 12 परन्तु उसने उत्तर दिया, "तेरे परमेश्वर जानते हैं कि जो कुछ मैं तुझको बता रही हूँ वह सच है। मेरे घर में मेरे पास रोटी का एक टुकड़ा भी नहीं है। मेरे पास कुप्पी में थोड़ा सा आटा है, और थोड़ा जैतून का तेल। मैं आग जलाने और खाना पकाने के लिए इनका उपयोग करने के लिए कुछ लकड़ियाँ इकट्ठा कर रही थी, और फिर मैं और मेरा बेटा इसे खा ने के बाद मर जाएँगे। "
\p
\v 13 परन्तु एलिय्याह ने उससे कहा, "चिंतित मत हो! घर जा और जो कुछ तुने कहा था वह कर। लेकिन सबसे पहले, मेरे लिए आटे की एक छोटी सी रोटी बना और मेरे पास ला। ऐसा करने के बाद, जो बचा है उसे ले ले और तू और तेरे बेटे के लिए खाना तैयार कर।
\p
\s5
\v 14 मुझे पता है कि तू ऐसा कर सकती क्योंकि यहोवा, जिस परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं, वे कहते हैं, तेरे पात्र में भरपूर आटा और जैतून का तेल सदैव रहेगा जब तक मैं वर्षा नहीं भेजता और फसलें फिर से नहीं बढ़ती हैं।'"
\p
\v 15 इसलिए उस स्त्री ने वही किया जो एलिय्याह ने उसे करने के लिए कहा था। उसके और उसके बेटे और एलियाह के पास हर दिन का पर्याप्त भोजन था,
\v 16 क्योंकि पात्र में आटा कभी समाप्त नहीं हुआ, और तेल का पात्र कभी खाली नहीं हुआ। ठीक वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने एलिय्याह से कहा था कि होगा।
\p
\s5
\v 17 कुछ समय बाद, महिला का बेटा बीमार हो गया। उसकी दशा और भी बदतर हो गई, और अंततः वह मर गया।
\v 18 तब वह स्त्री एलिय्याह के पास गई और उससे कहा, "तू एक भविष्यद्वक्ता है, तो तुने मेरे साथ यह क्यों किया? क्या मेरे बेटे की मृत्यु के द्वारा मेरे पापों के लिए मुझे दण्डित करने के लिए आया है?"
\p
\s5
\v 19 परन्तु एलिय्याह ने उत्तर दिया, "अपने बेटे को इधर ला।" उसने अपने बेटे को उसको दे दिया, और उसने लड़के के शरीर को लिया और उसे कमरे में ले गया जहाँ वह रह रहा था। उसने लड़के के शरीर को अपने बिस्तर पर लिटा दिया।
\v 20 तब एलिय्याह ने यहोवा से कहा, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, इस विधवा ने मुझे अपने घर में रहने की अनुमति दी। तो आपने यह विपत्ति क्यों डाली कि उसके बेटे को मरने दिया? "
\v 21 तब एलिय्याह ने स्वयं को लड़के के शरीर के ऊपर पसार दिया और यहोवा से कहा, "हे मेरे परमेश्वर यहोवा, कृपया इस लड़के को फिर से जीवित कर दीजिए!" उसने यह तीन बार किया।
\p
\s5
\v 22 यहोवा ने एलिय्याह की प्रार्थना सुनी, और उन्होंने लड़के को फिर से जीवित कर दिया।
\v 23 एलिय्याह लड़के को नीचे ले गया और उसे उसकी माँ को दे दिया। उसने कहा, "देखो, तुम्हारा बेटा जीवित है।"
\p
\v 24 उस स्त्री ने एलिय्याह से कहा, "अब मैं निश्चित रूप से जानती हूँ कि तू एक भविष्यद्वक्ता है और जो बातें तू बोलता है वे सचमुच यहोवा से हैं।"
\s5
\c 18
\p
\v 1 लगभग तीन वर्षों तक सामरिया में वर्षा नहीं हुई । तब यहोवा ने एलिय्याह से यह कहा: "जा और राजा अहाब से मिल और उसे बता कि मैं शीघ्र ही वर्षा भेजूंगा।"
\v 2 तब एलिय्याह अहाब से बातें करने गया।
\p सामरिया में किसी के खाने के लिए लगभग कुछ भी नहीं था।
\p
\s5
\v 3 वहाँ ओबद्याह नाम का एक व्यक्ति था। वह राजा के महल का प्रभारी था। उसने यहोवा का बहुत सम्मान किया।
\v 4 एक बार जब रानी ईजेबेल ने यहोवा के सभी भविष्यवक्ताओं को मारने का प्रयास किया था, तब ओबद्याह ने उनमें से सौ भविष्यद्वक्ताओं को दो गुफाओं में छिपाया था। उसने प्रत्येक गुफा में पचास को रखा, और वह उन्हें भोजन और पानी दिया करता था।
\p
\s5
\v 5 इस समय तक, सामरिया में अकाल बहुत कष्टमय हो गया था। अहाब ने ओबद्याह को बुलाया और कहा, "हमें समस्‍त जल-स्रोतों और घाटियों को देखना चाहिए कि क्या हमें अपने घोड़ों और खच्चरों के लिए पर्याप्त घास मिलेगी, कि वे सभी मर न जाएँ।"
\v 6 इसलिए उन दोनों ने वहाँ से चलना आरम्भ किया। ओबद्याह अकेला एक दिशा में चला गया, और अहाब अकेला दूसरी दिशा में चला।
\p
\s5
\v 7 जब ओबद्याह रास्ते में चल रहा था, उसने देखा कि एलिय्याह उसके पास आ रहा है। ओबद्याह ने एलिय्याह को पहचाना और उसके सामने झुका और कहा, "मेरे स्वामी क्या तू सच में एलिय्याह है?"
\p
\v 8 एलिय्याह ने उत्तर दिया, "हाँ, अब जा और अपने स्वामी अहाब को बता कि मैं यहाँ हूँ।"
\p
\s5
\v 9 ओबद्याह ने विरोध किया। उसने कहा, "महोदय, मैंने तुझे बिल्कुल हानि नहीं पहुंचाई है। तो तू मुझे वापस अहाब के पास क्यों भेज रहा है? वह मुझे मार डालेगा।
\v 10 यहोवा तेरे परमेश्वर जानते हैं कि मैं सच कह रहा हूँ जब मैं सत्यनिष्ठापूर्वक यह घोषणा करता हूँ कि राजा अहाब ने तुझे हर राज्य में ढूंढा है। हर बार जब किसी राजा ने कहा, 'एलिय्याह यहाँ नहीं है,' तब अहाब ने माँग की कि उस देश का राजा गंभीरता से शपथ खाए कि राजा सच बोल रहा है।
\v 11 अब तू मुझसे कह रहा है, 'जा और अपने स्वामी से कह कि एलिय्याह यहाँ है।'
\p
\s5
\v 12 परन्तु जैसे ही मैं तुझे छोड़कर चला जाऊँगा, यहोवा के आत्मा तुझे यहाँ से दूर ले जाएँगे, और मैं नहीं जानता कि वह तुझे कहाँ ले जाएँगे। तो जब मैं अहाब को बताऊंगा कि तू यहाँ है और वह यहाँ आता है और वह तुझे यहाँ नहीं पाता, तो वह मुझे मार देगा! लेकिन मेरा मरना उचित नहीं क्योंकि मैंने बचपन से यहोवा का भय-पूर्वक आदर किया है।
\v 13 हे स्वामी, क्या तुने नहीं सुना जो मैंने किया था, जब ईजेबेल यहोवा के सभी भविष्यद्वक्ताओं को मारना चाहती थी? मैंने सौ भविष्यद्वक्ताओं को दो गुफाओं में छिपाया और उन्हें भोजन और पानी दिया।
\p
\s5
\v 14 अब, महोदय, तू कहता है, 'जा और अपने स्वामी को बता कि एलिय्याह यहाँ है।' लेकिन यदि मैं ऐसा करता हूँ, और वह यहाँ आता है और तुझे यहाँ नहीं पाता, तो वह मुझे मार देगा! "
\p
\v 15 परन्तु एलिय्याह ने उत्तर दिया, "हे यहोवा सेनाओं के सेनापति, जिनकी मैं सेवा करता हूँ, वे जानते है कि मैं सच कह रहा हूँ क्योंकि मैं सत्यनिष्ठापूर्वक यह घोषणा करता हूँ कि मैं आज अहाब से मिलने जाऊँगा।"
\p
\s5
\v 16 तब ओबद्याह अहाब को यह कहने गया कि एलिय्याह आया है। अहाब उससे मिलने गया।
\v 17 जब उसने एलिय्याह को देखा, तो उसने उससे कहा, "क्या तू ही वह है जो इस्राएल के लोगों के संकट का कारण है?"
\p
\s5
\v 18 एलिय्याह ने उत्तर दिया, "यह मैं नहीं हूँ जिसने इस्राएल के लोगों के लिए संकट उत्पन्न किया! तू और तेरे परिवार के लोग ही हैं जिन्होंने संकट उत्पन्न किया है! तुने यहोवा के आदेशों का पालन करने से मना कर दिया और तुने बाल देवता की मूर्तियों की पूजा की है।
\v 19 अब, सभी इस्राएली लोगों को कर्मेल पर्वत पर आने के लिए आदेश दें, और उन सभी 450 भविष्यद्वक्ताओं को लाने में सुनिश्चित रहें जो बाल देवता की पूजा करते हैं और चार सौ भविष्यद्वक्ताओं को जो देवी अशेरा की पूजा करते हैं, जिनको तेरी पत्नी ईजेबेल अपने साथ भोजन के लिए सदैव आमंत्रित करती है। "
\p
\s5
\v 20 तब अहाब ने अपने सभी भविष्यद्वक्ताओं और अन्य सभी इस्राएली लोगों को कर्मेल पर्वत के शीर्ष पर बुलाया, और एलिय्याह भी वहाँ गया।
\v 21 तब एलिय्याह उनके सामने खड़ा हुआ और कहा, "तुम कब तक दुविधा में पड़े रहोगे कि सच्चा परमेश्वर कौन है? यदि यहोवा परमेश्वर है, तो उसकी उपासना करो। यदि बाल वास्तव में ईश्वर है, तो उसकी पूजा करो!" परन्तु लोगों ने उत्तर में कुछ भी नहीं कहा, क्योंकि वे डरते थे कि ईजबेल उनके साथ क्या करेगी यदि उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने यहोवा की आराधना की।
\p
\s5
\v 22 तब एलिय्याह ने उन से कहा, "मैं यहोवा का एकमात्र सच्चा भविष्यद्वक्ता हूँ, परन्तु बाल के 450 भविष्यद्वक्ता हैं।
\v 23 दो बैल लाओ। बाल के भविष्यद्वक्ता उनमें से एक को चुन सकते हैं। उन्हें इसे मार कर टुकड़ों में काटना चाहिए और टुकड़ों को उस वेदी पर जो उन्होंने बनाई थी और उस पर रखी लकड़ी के ऊपर रख। लेकिन उन्हें लकड़ी के नीचे आग नहीं लगानी है। मैं दूसरे बैल को मार कर इसे टुकड़ों में काट दूंगा और उस वेदी पर वे टुकड़े रखूंगा जिसे मैं बनाऊंगा।
\v 24 तब वे अपने देवता से प्रार्थना करें, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूँगा। जो उस वेदी पर रखी लकड़ी में आग लगाकर उत्तर देगा वही सच्चा परमेश्वर है! "
\p सभी लोगों ने सोचा कि एलियाह का सुझाव अच्छा था।
\p
\s5
\v 25 एलिय्याह ने बाल के भविष्यवक्ताओं से कहा, "तुम पहले बाल देवता से प्रार्थना करो, क्योंकि तुम बहुत हो। बैलों में से एक को चुनो और इसे तैयार करो, और फिर अपने देवता से प्रार्थना करो। लेकिन लकड़ी के नीचे आग मत जलाओ!"
\v 26 तब उन्होंने बैलों में से एक को मार डाला और उसे काट दिया और टुकड़ों को वेदी पर रखा। उन्होंने सबेरे से दोपहर तक बाल से प्रार्थना की। वे चिल्लाये, "बाल, हमें उत्तर दे!" लेकिन किसी ने उत्तर नहीं दिया। कोई उत्तर ही नहीं था।
\p तब जो वेदी उन्होंने बनायी थी उसके चारों ओर उन्होंने अंधाधुँध नृत्य किये।
\p
\s5
\v 27 दोपहर को, एलिय्याह ने उनकी निन्दा की। उसने कहा, "यदि निश्चित रूप से बाल एक ईश्वर है, तब ऐसा लगता है कि तुमको और अधिक ऊँचे स्वर से चिल्लाना चाहिए! सम्भवतः वह कुछ सोच रहा है, या सम्भवतः वह शौचालय गया है। सम्भवतः वह यात्रा कर रहा है, या सम्भवतः वह सो रहा है और तुमको उसे उठाना चाहिए!"
\v 28 वे ऊँचे स्वर से चिल्लाये। जब उन्होंने बाल की पूजा की, तो अपनी प्रथा के अनुसार अपना शरीर तलवार और बर्छी से गोदने लगे। उनके शरीर से रक्‍त बहने लगा।
\v 29 वे दोपहर तक बाल से प्रार्थना करते रहे। लेकिन वहाँ कोई स्वर नहीं था जो उत्तर दे, कोई उत्तर नहीं, कोई ईश्वर नहीं जो ध्यान दे।
\p
\s5
\v 30 तब एलिय्याह ने लोगों से कहा, "पास आओ!" वे सब उसके चारों ओर खड़े हो गए। तब एलिय्याह ने यहोवा की वेदी की मरम्मत की जो बाल के भविष्यद्वक्ताओं द्वारा नष्ट की गई थी।
\v 31 उसने बारह बड़े पत्थरों को लिया, इस्राएली गोत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए, जिनके पूर्वज याकूब के बारह पुत्र थे।
\v 32 इन पत्थरों के साथ उसने यहोवा की वेदी का पुनर्निर्माण किया। फिर वेदी के चारों ओर उन्होंने एक छोटा सा गड्ढा किया जो लगभग इतना बड़ा था कि उसमें पंद्रह लीटर पानी समा सकता था।
\p
\s5
\v 33 उसने पत्थरों के ऊपर लकड़ी का ढेर लगाया। उसने बैल को मार डाला और टुकड़ों में काट दिया। फिर उसने लकड़ी के ऊपर टुकड़े रखे। उसने कहा, "चार बड़े घड़ों को पानी से भरो, और माँस और लकड़ी के टुकड़ों के ऊपर पानी डालो।" उन्होंने ऐसा किया।
\p
\v 34 उसने कहा, "वही काम दुबारा करो!" तो उन्होंने फिर से वही किया। फिर उसने कहा, "यह तीसरी बार करो!" तो उन्होंने इसे फिर से किया।
\p
\v 35 परिणामस्वरूप, पानी वेदी के नीचे बहने लगा और छिद्र भर गए।
\p
\s5
\v 36 शाम को बलि चढ़ाने का जब समय आया, तो एलिय्याह वेदी के पास गया और प्रार्थना की। उसने कहा, "हे यहोवा आप परमेश्वर हैं जिनकी हमारे पूर्वज अब्राहम और इसहाक और याकूब आराधना करते थे, आज यह सिद्ध करें कि आप ही परमेश्वर हैं इस्राएली लोगों को जिनकी आराधना करनी चाहिए, और सिद्ध करें कि मैं आपका दास हूँ। सिद्ध करें कि मैंने ये सब आपके कहे अनुसार किया है।
\v 37 यहोवा, मुझे उत्तर दें! मुझे उत्तर दें ताकि ये लोग जान सकें कि हे यहोवा, आप परमेश्वर हैं और यही उन्हें फिर से आप पर भरोसा करने का कारण होगा।"
\p
\s5
\v 38 तुरन्त आकाश से यहोवा की ओर से आग गिरी। आग ने माँस, लकड़ी, पत्थरों के टुकड़ों और वेदी के चारों ओर की धूल को जला दिया। उसने नाली के सम्पूर्ण पानी तक को सुखा दिया।
\p
\v 39 जब लोगों ने यह देखा, तो उन्होंने भूमि पर गिरकर दंडवत की और चिल्लाये , "यहोवा ही परमेश्वर है। यहोवा ईश्वर है।"
\p
\v 40 तब एलिय्याह ने उन्हें आज्ञा दी, "बाल देवता के सभी भविष्यद्वक्ताओं को पकड़ लो! उनमें से किसी को भी बचने मत दो!" लोगों ने बाल के सभी भविष्यवक्ताओं को पकड़ लिया, और उन्हें पहाड़ के नीचे किशन नदी में ले गये, और एलिय्याह ने उन सभी को मार डाला।
\p
\s5
\v 41 तब एलिय्याह ने अहाब से कहा, "जा और खाने और पीने का कुछ प्रबंध कर। लेकिन शीघ्र कर, क्योंकि शीघ्र ही यहाँ भीषण वर्षा होगी।"
\v 42 तब अहाब और उसके लोग बड़े भोज की तैयारी करने के लिए चले गए। परन्तु एलिय्याह कर्मेल पर्वत पर चढ़ गया और उसने प्रार्थना की।
\p
\s5
\v 43 उसने अपने दास से कहा, "जा और समुद्र की ओर देख, कि क्या कोई वर्षा का बादल है या नहीं।" उसका दास गया और देखा, और वापस आया और कहा, "मैं कुछ भी नहीं देखता।" ऐसा छ: बार हुआ।
\v 44 परन्तु जब दास सातवीं बार गया, तो वह वापस आया और कहा, "मैंने समुद्र के ऊपर बहुत छोटा बादल देखा। मैं अपनी बांहें फैला रहा हूँ, बादल मेरे हाथ के आकार का है।"
\p तब एलिय्याह उसकी ओर देखकर चिल्लाया, "जा और राजा अहाब को अपने रथ को तैयार करने और तुरंत घर जाने के लिए कह! अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो वर्षा उसे रोक देगी।"
\p
\s5
\v 45 अति शीघ्र आकाश काले बादलों से भर गया । वहां तेज हवा चलने लगी थी, और फिर वहां बहुत तेज़ वर्षा शुरू हुई। अहाब अपने रथ में गया और यिज्रेल शहर लौटने लगा।
\v 46 यहोवा ने एलिय्याह को अतिरिक्त सामर्थ दी। उसने तेजी से दौड़ने के लिए अपने वस्त्र से अपने कमरबन्द को बांधा, और अहाब के रथ से आगे यिज्रेल तक भागा।
\s5
\c 19
\p
\v 1 जब अहाब घर गया, तो उसने अपनी पत्नी ईजेबेल से वह सब जो एलिय्याह ने किया था। उसने उसे बताया कि एलिय्याह ने बाल देवता के सभी भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला।
\v 2 ईजेबेल ने यह सन्देश एलिय्याह को भेजा, " कल इस समय तक मैं तुझे मार डालूंगी, जैसे तुने बाल देवता के उन सभी भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला था। अगर मैं ऐसा नहीं करती, तो मुझे आशा है कि देवता मुझे मार डालेंगे।"
\p
\v 3 जब एलिय्याह ने उसका सन्देश प्राप्त किया, वह डर गया। अपने दास को अपने साथ ले कर, वह भाग गया ताकि वह मारा न जाए। वह यहूदा में दूर दक्षिण बेर्शेबा गया। उसने वहाँ अपने दास को छोड़ दिया।
\p
\s5
\v 4 वह स्वयं दूर दक्षिण में रेगिस्तान पर चला गया। वह पूरे दिन चला। वह झाऊ के पेड़ के नीचे बैठ गया और प्रार्थना की कि यहोवा उसे मरने की अनुमति दे। उसने कहा, "हे यहोवा, मैं अब और सहन नहीं कर सकता। इसलिए मुझे मरने की अनुमति दीजिए, क्योंकि मेरे लिए जीना मेरे पूर्वजों के साथ रहने से बेहतर नहीं है।"
\p
\v 5 फिर वह झाऊ के पेड़ के नीचे लेट गया और सो गया। लेकिन जब वह सो रहा था, एक दूत ने उसे छुआ और उसे उठाया और उससे कहा, "उठ और कुछ खा!"
\p
\v 6 एलिय्याह ने चारों ओर देखा और कुछ रोटी देखी जो गर्म पत्थरों पर पकी हुई थी, और उसने पानी का एक पात्र भी देखा। उसने थोड़ी रोटी खाई और थोड़ा पानी पिया और फिर सोने के लिए नीचे लेट गया।
\p
\s5
\v 7 तब यहोवा ने जो दूत भेजा था, वह फिर से आया और उसे छुआ, और कहा, "उठ और कुछ और खा, क्योंकि तुझको लंबी यात्रा के लिए और अधिक बल चाहिए।"
\v 8 वह उठ गया और उसने खा लिया और पी भी लिया; क्योंकि ऐसा करने से, उसे परमेश्वर को समर्पित करके होरेब पर्वत पर चालीस दिन और रात तक यात्रा करने के लिए पर्याप्त बल मिला।
\p
\s5
\v 9 वह वहाँ एक गुफा में गया और उस रात वहाँ सो गया।
\p अगली सुबह, यहोवा ने उससे कहा, "एलिय्याह, तू यहाँ क्यों आया है?"
\v 10 एलिय्याह ने उत्तर दिया, मैंने उत्साहपूर्वक आपकी सेवा की है, "हे यहोवा सेनाओं के सेनापति, इस्राएलियों ने आपके साथ किए गए समझौते को त्याग दिया है। उन्होंने आपकी वेदियों को तोड़ दिया है, और उन्होंने आपके सभी भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला है। मैं अकेला हूँ जिसे उन्होंने नहीं मारा और अब वे मुझे भी मार डालने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए मैं उनसे दूर भाग रहा हूँ। "
\p
\s5
\v 11 यहोवा ने उस से कहा, "बाहर निकलकर मेरे सामने इस पहाड़ पर खड़ा हो जा।" तो एलिय्याह ने ऐसा किया। जब वह वहाँ खड़ा था, एक तेज तूफान पहाड़ पर आया। जिसने, पहाड़ों और चट्टानों को हिला दिया। लेकिन यहोवा हवा में नहीं थे। तब एक भूकंप आया, लेकिन यहोवा भूकंप में नहीं थे।
\p
\v 12 आग लग गई, परन्तु यहोवा आग में नहीं थे। फिर किसी की फुसफुसाती हुई कोई आवाज थी।
\p
\s5
\v 13 जब एलिय्याह ने यह सुना, तो उसने अपने चद्दर से चेहरे को चारों ओर लपेट लिया। वह गुफा से बाहर चला गया और उसके प्रवेश द्वार पर खड़ा हुआ। और उसने सुना यहोवा ने उससे कहा, "एलिय्याह, तू यहाँ क्यों आया है?"
\p
\v 14 उसने फिर से उत्तर दिया, "हे यहोवा, सेनाओं के यहोवा मै ने उत्साहपूर्वक आपकी सेवा की है, परन्तु इस्राएलियों ने आपके साथ किए गए समझौते को त्याग दिया है। उन्होंने आपकी वेदियों को तोड़ दिया है, और उन्होंने आपके सभी भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला है मैं ही अकेला हूँ जिसे वे नहीं मार सके और अब वे भी मुझे मारने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए मैं उनसे दूर भाग रहा हूँ। "
\p
\s5
\v 15 तब यहोवा ने उस से कहा, "दमिश्क के पास जंगल में वापस जा। जब तू वहाँ पहुँच जायेगा तो अराम का राजा होने के लिये हजाएल नाम के एक व्यक्ति का जैतून के तेल से अभिषेक करना।
\v 16 उसके बाद निमशी के पुत्र येहू को इस्राएल के राजा होने के लिए अभिषेक करो, और आबेल-महोला शहर के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करो, जो तुम्हारे जाने के बाद मेरा भविष्यद्वक्ता बन जाए।
\p
\s5
\v 17 हजाएल की सेना कई लोगों को मार डालेगी, और जो उसकी सेना में मरने से बचेंगे वे येहू की सेना द्वारा मारे जाएँगे, और येहू की सेना द्वारा मरने से बचने वाले लोग एलीशा द्वारा मारे जाएँगे।
\v 18 लेकिन तुझको यह जानने की आवयश्कता है कि इस्राएल में अभी भी सात हजार लोग हैं जिन्होंने कभी बाल देवता की पूजा नहीं की और ना ही उसकी मूर्ति को चूमा है।"
\p
\s5
\v 19 तब एलिय्याह अराम गया और एलीशा से मिला वह बैल की एक झुण्ड के साथ खेत में हल जोत रहा था। वहाँ ग्यारह अन्य पुरुष थे जो, उसी क्षेत्र में बैलों के झुण्ड के साथ खेती कर रहे थे। एलिय्याह एलीशा के पास गया, और अपना चोगा निकालकर एलीशा पर डाल दिया एलीशा को यह दिख ने के लिए कि वह एलीशा को भविष्यवक्ता के रूप में अपना स्थान देना चाहता है। फिर वह दूर जाने लगा।
\v 20 एलीशा ने वहाँ खड़े बैल को छोड़ दिया और एलिय्याह के पीछे भागा, और उससे कहा, "मैं तेरे साथ जाऊंगा, लेकिन पहले मुझे अपने माता-पिता से विदाई लेने दो।"
\p एलिय्याह ने उत्तर दिया, "बहुत अच्छा, घर जाओ। लेकिन यह मत भूलना कि मैंने तुम्हें अपना कपड़ा क्यों दिया है!"
\p
\s5
\v 21 एलीशा घर वापस चला गया। उसने अपने बैलों को मारकर टुकड़ों में काट दिया और माँस को भूनने देने के लिए जलाने आग के लिए हल की लकड़ी का उपयोग किया। उसने माँस को अपने शहर के अन्य लोगों को वितरित किया, और उन्होंने सब कुछ खा लिया। तब वह एलियाह के साथ गया और उसका सहायक बन गया।
\s5
\c 20
\p
\v 1 अराम के राजा बेन्हदद ने अपनी सारी सेना इकट्ठी की, और वह अपनी सेना, घोड़ों और रथों के साथ बत्तीस राजाओं को ले आया। वे इस्राएल की राजधानी सामरिया शहर गए, और उसे घेर लिया और आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए।
\v 2 बेन्हदद ने नगर में राजा अहाब के पास दूत भेजे, और उन्होंने उससे कहा: "राजा बेन्हदद यही कहता हैं:
\v 3 'तुझको मुझे अपने सभी चाँदी और सोने, अपनी सुँदर पत्नियों और सबसे तंदरुस्त बच्चों को देना होगा।' "
\p
\s5
\v 4 इस्राएल के राजा ने उनसे कहा, "राजा बेन्हदद से यह कह, ' जो कुछ तुने अनुरोध किया है, मैं उससे सहमत हूँ। मैं तेरे अधीन हूँ और जो कुछ मेरा है वह तेरा है।'"
\p
\v 5 दूतों ने बेन्हदद से कहा, और उसने उन्हें एक और सन्देश के साथ वापस भेज दिया: "मैंने तुझको यह सन्देश भेजा कि तुझे मुझको अपना सारा चाँदी, सोना और अपनी पत्नियों और अपने बच्चों को देना होगा।
\v 6 लेकिन इसके अलावा, कल इसी समय, मैं अपने कुछ अधिकारियों को तेरे महल और तेरे अधिकारियों के घरों में ढूंढ़ने के लिए भेजूँगा और जो कुछ भी उन्हें मूल्यवान दिखेगा, उसे वे ले आयेंगे।"
\p
\s5
\v 7 राजा अहाब ने इस्राएल के सभी अगुवों को बुलाया, और उनसे कहा, "तू स्वयं देख सकता है कि यह व्यक्ति बहुत परेशानी का कारण बन रहा है। उसने मुझे एक सन्देश भेजा कि मुझे उसे मेरी पत्नियां और मेरे बच्चे देने होंगे, मेरी चाँदी और मेरा सोना भी, और मैं ऐसा करने के लिए तैयार हो गया।"
\p
\v 8 अगुवों और अन्य सभी लोगों ने उससे कहा, "उस पर कोई ध्यान न दें! वह जो भी माँग रहा है उसे पूरी मत कर!"
\p
\s5
\v 9 तब अहाब ने बेन्हदद के दूतों से कहा, "राजा से कहो कि मैं उन चीज़ों को देने के लिए सहमत हूँ जिनका उसने पहले अनुरोध किया था, लेकिन मैं उसके अधिकारियों को मेरे महल से और मेरे अधिकारियों के घरों से जो कुछ भी वे लेना चाहते है लेने की अनुमति नहीं देता हूँ। "दूतों ने राजा बेन्हदद को बताया, और वे बेन्हदद से एक और सन्देश ले कर लौट आए।
\p
\v 10 उस सन्देश में उसने कहा, "हम तेरे शहर को पूरी तरह से नष्ट कर देंगे, फलस्वरूप मेरे प्रत्येक सैनिक के लिए एक मुट्ठी राख पर्याप्त नहीं रहेगी! मुझे आशा है कि अगर मैं ऐसा नही करता तो परमेश्वर मुझे मार डाले! "
\p
\s5
\v 11 राजा अहाब ने दूतों से कहा, "राजा बेन्हदद को यह कहो: कोई भी लड़ने के पहले ही युद्ध नहीं जीतता है, इसलिए तुझको पहले से घमंड नहीं करना चाहिए।"
\p
\v 12 बेन्हदद ने उस सन्देश को सुना, जब वह और अन्य शासक अपने अस्थायी आश्रय में शराब पी रहे थे। उसने अपने लोगों से शहर पर आक्रमण के लिए तैयार होने को कहा। उसके पुरुषों ने ऐसा ही किया।
\p
\s5
\v 13 उस पल में, एक भविष्यवक्ता राजा अहाब के पास आया और उससे कहा, "यहोवा यही कहते हैं: तू जो बड़ी शत्रु सेना देखता है उससे मत डर। मैं आज तेरी सेना को शत्रु की सेना को हराने में समर्थ बनाऊंगा और तू जानेगा कि मैं, यहोवा हूँ, जिन्होंने यह किया है। '"
\p
\v 14 अहाब ने पूछा, "हमारी सेना का कौन सा समूह उन्हें पराजित करेगा?" भविष्यवक्ता ने उत्तर दिया, "जिला राज्यपाल के युवा सैनिक ऐसा करेंगे," राजा ने पूछा, "आक्रमण का नेतृत्व कौन करेगा?" भविष्यवक्ता ने उत्तर दिया, "तू ही!"
\p
\v 15 तब अहाब ने उन युवा सैनिकों को इकट्ठा किया जिन्हें जिला राज्यपाल आदेश देते थे। वे 232 पुरुष थे। तब उसने सारी इस्राएली सेना को भी बुलाया। जिसमें केवल सात हजार सैनिक थे।
\p
\s5
\v 16 उन्होंने दोपहर में आक्रमण करना आरम्भ किया, जब बेन्हदद और अन्य शासक अपने अस्थायी आश्रय में नशे में थे।
\v 17 युवा सैनिक पहले आगे बढ़े। बेन्हदद द्वारा भेजे गए कुछ दूतों ने उसे सूचना दी, "सामरिया से कुछ पुरुष आ रहे हैं।"
\p
\s5
\v 18 उन्होंने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे हमारे विरुद्ध लड़ने या शान्ति का अनुरोध करने के लिए आ रहे हैं। उन्हें पकड़ो, लेकिन उन्हें मत मारो!"
\p
\v 19 युवा इस्राएली सैनिक अरामी सेना पर आक्रमण के लिए शहर से बाहर चले गए, और इस्राएलियों की सेना के अन्य सैनिकों ने उनका पीछा किया।
\p
\s5
\v 20 प्रत्येक इस्राएली सैनिक ने अरामियों के सैनिक को मार डाला। तब अरामियों की शेष सेना भाग गई, और इस्राएली सैनिकों ने उनका पीछा किया। लेकिन राजा बेन्हदद घोड़े की सवारी करने वाले कुछ अन्य पुरुषों के साथ अपने घोड़े पर चढ़ कर बच निकला।
\v 21 इस्राएल का राजा नगर से निकल गया; उसने और उसके सैनिकों ने अन्य सभी अरामी घोड़ों और रथों पर अधिकार कर लिया, और बड़ी संख्या में अरामी सैनिकों को भी मार डाला।
\p
\s5
\v 22 तब वह भविष्यद्वक्ता राजा अहाब के पास गया और उससे कहा, "वापस जा और अपने सैनिकों को तैयार कर और सावधान रह कि तुझे क्या करना है, क्योंकि अराम का राजा अगले साल वसंत ऋतु में फिर से अपनी सेना के साथ आक्रमण करेगा।"
\p
\v 23 अरामियों की सेना को पराजित करने के बाद, बेन्हदद के अधिकारियों ने उससे कहा, "परमेश्वर जिसकी आराधना इस्राएली लोग करते हैं जो पहाड़ियों में रहते हैं। सामरिया एक पहाड़ी पर बनाया गया है, और यही कारण है कि उनके सैनिक हमें पराजित करने में सक्षम हुए लेकिन अगर हम मैदानी इलाकों में उनके विरुद्ध लड़ते तो हम निश्चित रूप से उन्हें पराजित करने में सक्षम होते।
\p
\s5
\v 24 तो, तुझको यह करना चाहिए: तुझको उन बत्तीस राजाओं को हटाना होगा जो तेरे सैनिकों का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्हें सेना के प्रधानों के साथ बदल दे।
\v 25 पराजित सेना की तरह एक और सेना इकट्ठा कर। पहली सेना के समान ही कई घोड़ों और रथों वाली सेना को इकट्ठा कर। तब हम मैदानी इलाकों में इस्राएलियों से लड़ेंगे और हम निश्चित रूप से उन्हें पराजित करेंगे। "
\p बेन्हदद उनके साथ सहमत हुआ, और उन्होंने जो सुझाव दिया वह उसने किया।
\p
\s5
\v 26 अगले वर्ष वसंत में, उसने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया और इस्राएलियों की सेना से लड़ने के लिए गलील सागर के पूर्व में अपेक शहर में उनके साथ चढ़ाई की।
\v 27 इस्राएली सेना भी इकट्ठी हुई थी, और उन्हें वे चीजें दी गई जो युद्ध के लिए आवश्यक थीं। फिर वे बाहर निकले और उन्होंने अरामियों की सेना का सामना कर रहे दो समूहों का गठन किया। उनकी सेना बहुत छोटी थी। वे बकरियों के दो छोटे झुण्ड जैसे दिखते थे, जबकि अरामियों की सेना बहुत बड़ी थी और पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में फैली थी।
\p
\s5
\v 28 एक भविष्यवक्ता राजा अहाब के पास आया और उससे कहा, "यहोवा यही कहते हैं: 'अरामियों का कहना है कि मैं एक परमेश्वर हूँ जो पहाड़ियों में रहता है, और मैं घाटियों में रहनेवाला परमेश्वर नहीं हूँ । मैं दिखाऊंगा कि वे गलत हैं, घाटी में इस विशाल सेना को पराजित करने के लिए मैं अपने लोगों को सक्षम करूँगा और वे स्वयं जान लेंगे कि मैं, यहोवा ने यह किया है। "
\p
\s5
\v 29 दो सेनाएं एक-दूसरे के सामने सात दिनों तक डेरा डाले रही। फिर, सातवें दिन, उन्होंने लड़ना आरम्भ कर दिया। इस्राएलियों की सेना ने 100,000 अरामी सैनिकों की हत्या कर दी।
\v 30 अन्य अरामी सैनिक अपेक में भाग गए। तब शहर की दीवार गिर गई और अरामियों के सताईस हजार सैनिक मारे गए।
\p बेन्हदद भी शहर में भाग गया और एक घर के पीछे के कमरे में छिप गया।
\p
\s5
\v 31 उसके अधिकारी उसके पास गए और कहा, "हमने सुना है कि इस्राएली दया से काम करते हैं। इसलिए हमें इस्राएल के राजा के पास जाने की अनुमति दे, हमारे कमर के चारों ओर बोरे लपेट हुए हैं और सिर पर रस्सियाँ बाँधी हैं यह संकेत देते हुए कि हम उनके दास बन गये हैं।अगर हम ऐसा करते हैं, तो वह तुझको जीवित रहने देगा।"
\p
\v 32 राजा ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी, इसलिए उन्होंने अपने कमर के चारों ओर मोटे बोरे लपेटे और रस्सी अपने सिर पर बाँधी, और वे इस्राएल के राजा के पास गए और उससे कहा, "बेन्हदद जो तेरा बहुत सम्मान करता है, कहता है, 'कृपया मुझे मत मार।' "अहाब ने उत्तर दिया," क्या वह अभी भी जीवित है? वह मेरे भाई की तरह है।"
\p
\s5
\v 33 बेन्हदद के अधिकारी यह पता लगाने का प्रयास कर रहे थे कि क्या अहाब दया से कार्य करेगा, और जब अहाब ने कहा, "भाई," वे आशावादी थे। तो उन्होंने उत्तर दिया, "हाँ, वह तेरे भाई की तरह है।" अहाब ने कहा, "जा और उसे मेरे पास ला।" वे गए और बेन्हदद को उसके पास लाए। जब बेन्हदद पहुंचा तो अहाब ने उसे रथ में जाने और उसके साथ बैठने के लिए कहा।
\p
\v 34 बेन्हदद ने उससे कहा, "मैं उन नगरों को वापस दूंगा जो मेरे पिता की सेना ने तेरे पिता से ली थी। और मैं तुझको अपने व्यापारियों के लिए दमिश्क में अपने व्यापारियों के लिए बाजार क्षेत्रों की स्थापना करने की अनुमति दूंगा, जैसा कि मेरे पिता ने किया था सामरिया में जो तेरी राजधानी है। " अहाब ने उत्तर दिया, "क्योंकि तू ऐसा करने के लिए सहमत है, मैं तुझको मृत्युदंड नहीं दूंगा।" इसलिए अहाब ने बेन्हदद के साथ एक समझौता किया, और उसे घर जाने की अनुमति दी।
\p
\s5
\v 35 तब यहोवा ने भविष्यद्वक्ताओं के समूह में से एक सदस्य से बातें की और उसे एक साथी भविष्यद्वक्ता को उसे मारने का अनुरोध करने के लिए कहा। लेकिन उस व्यक्ति ने ऐसा करने से मना कर दिया।
\p
\v 36 तब भविष्यवक्ता ने उससे कहा, "क्योंकि तुझ से जो कुछ मैंने करने के लिए कहा था, उसका पालन करने से मना कर दिया, अत: मेरे पास से जाते ही एक शेर तुझे मार देगा।" और जैसे ही उसने उस भविष्यद्वक्ता को छोड़ दिया, एक शेर अचानक आया और उसे मार डाला।
\p
\s5
\v 37 तब भविष्यवक्ता को एक और भविष्यद्वक्ता मिला , और उससे कहा, "मुझे मारो!" तो उस व्यक्ति ने उसे बहुत मारा और उसे घायल कर दिया।
\v 38 तब भविष्यवक्ता ने अपने चेहरे पर एक बड़ी पट्टी बाँधी ताकि कोई भी उसे पहचान न सके। वह गया और सड़क के किनारे खड़े हो कर राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।
\p
\s5
\v 39 जब राजा आया, तो भविष्यवक्ता ने उससे कहा, "हे महामहिम, जब मैं युद्ध में लड़ रहा था, तब मैं घायल हो गया हमारे शत्रुओं में से एक सैनिक ने मुझे बचाया, जिसे उसने पकड़ा था, और कहा, 'इस व्यक्ति की रक्षा कर! अगर वह भाग निकलता है, तो तुझको मुझे तैतीस किलो चाँदी का भुगतान करना होगा; यदि तू इसका भुगतान नहीं करता है, तो तुझ को मार डाला जाएगा।'
\v 40 परन्तु जब मैं अन्य काम करने में व्यस्त था, तो वह व्यक्ति बच निकला! "इस्राएल के राजा ने उससे कहा," यह तेरी समस्या है! तुमने स्वयं कहा है कि तुम दण्डित होने के योग्य हो।"
\p
\s5
\v 41 भविष्यवक्ता ने तुरंत पट्टी को हटा दिया, और इस्राएल के राजा ने पहचान लिया कि वह भविष्यद्वक्ताओं में से एक था।
\v 42 भविष्यवक्ता ने उससे कहा, "यहोवा यही कहते हैं: 'तुने उस व्यक्ति बेन्हदद को बचने की अनुमति दी है जब मैंने तुझे उसे मार देने की आज्ञा दी थी! चूंकि तुने ऐसा नहीं किया, तो तुम उसके बदले मारा जाएगा और तेरी सेना नष्ट हो जाएगी क्योंकि तुने उसकी कुछ सेना को बच निकलने दिया।'"
\v 43 राजा सामरिया में अपने घर वापस चला गया, बहुत क्रोधित और उदास होकर।
\s5
\c 21
\p
\v 1 राजा अहाब के पास यिज्रेल शहर में एक महल था। महल के पास नाबोत नाम के व्यक्ति के स्वामित्व में दाख की एक बारी थी।
\v 2 एक दिन, अहाब नाबोत के पास गया और उससे कहा, "तेरा दाख का बागीचा मेरे महल के पास है। मैं इसे मोल लेना चाहता हूँ, ताकि मैं वहाँ कुछ सब्जियां लगा सकूँ। मैं तुझे इसके बदले में एक बेहतर दाख का बागीचा दूंगा या यदि तू चाहे, तो मैं तुझको तेरे दाख के बगीचे के लिए दाम दूँगा।"
\p
\s5
\v 3 परन्तु नाबोत ने उत्तर दिया, "वह भूमि मेरे पूर्वजों से संबंधित थी, इसलिए मैं इसे रखना चाहता हूँ। मुझे आशा है कि यहोवा मुझे कभी भी यह जगह तुझे देने की अनुमति नहीं देंगे!"
\p
\v 4 नाबोत ने जो कहा था, उसके कारण अहाब बहुत चिड़चिड़ा और क्रोधित हो गया। वह घर गया और अपने बिस्तर पर लेट गया। उसने अपना चेहरा दीवार की ओर कर लिया, और उसने कुछ भी खाने से मना कर दिया।
\p
\s5
\v 5 उसकी पत्‍नी ईजेबेल आई और उससे पूछा, "तू इतना उदास क्यों है? तू कुछ खाने से मना क्यों कर रहा है?"
\p
\v 6 अहाब ने उत्तर दिया, "मैंने यिज्रेल के उस व्यक्ति नाबोत से बातें की। मैंने उससे कहा कि मैं उसकी दाख की बारी चाहता हूँ। मैंने कहा, 'मैं इसे तुझसे मोल लूंगा या मैं तुझे इसके बदले में दाख बगीचा दूंगा।' लेकिन उसने मुझे मना कर दिया।"
\p
\v 7 उसकी पत्नी ने उत्तर दिया, "तू इस्राएल का राजा है, तू जो चाहे उसे प्राप्त कर सकता है! उठ और कुछ भोजन कर और नाबोत ने जो कहा उसके बारे में चिंता न कर। मैं नाबोत के दाख बगीचे को तुझे लेकर दूंगी।"
\p
\s5
\v 8 तब ईज़ेबेल ने कुछ पत्र लिखे, और उसने उन पर अहाब के हस्ताक्षर किए। उसने उन्हें मुहरित करने के लिए अपनी आधिकारिक मुहर का इस्तेमाल किया। तब उसने उसे पुराने अगुवों और अन्य महत्वपूर्ण पुरुषों को भेजा जो नाबोत के पास रहते थे और जिन्होंने उनके साथ सार्वजनिक मामलों का निर्णय किया था।
\v 9 यही वह है जो उसने पत्रों में लिखा था: "एक दिन की घोषणा करो जब सभी लोग एक साथ इकट्ठे होंगे और उपवास करेंगे। नाबोत को उनके बीच बैठने के लिए एक महत्वपूर्ण जगह दें।
\v 10 फिर दो पुरुषों को ढूंढें जो हमेशा परेशानी का कारण बनते हैं। उन्हें उनके सामने बैठने के लिए जगह दें। इन पुरुषों को यह प्रमाणित करने के लिए कहें कि उन्होंने नाबोत की उन बातों को सुना जिसमें परमेश्वर और राजा की आलोचना की गई थी। तब नाबोत को शहर से बाहर ले जाओ और उस पर पत्थर फेंककर मार डालो। "
\p
\s5
\v 11 अगुवों ने पत्र प्राप्त किए और उन्होंने वही किया जो ईजबेल ने पत्रों में लिखा था।
\v 12 उन्होंने एक दिन घोषित किया जिस में लोग बिना भोजन के रहेंगे। और उन्होंने नाबोत को ऐसे स्थान पर बैठाया जहाँ लोगों के सामने सम्मानित लोग बैठे थे।
\v 13 दो पुरुष जो सदैव परेशानी उत्पन्न करते थे, नाबोत के विपरीत बैठे थे। जब सब लोग सुन रहे थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने नाबोत की वे बातें सुनी जो परमेश्वर और राजा की आलोचना करने वाली थी। तो लोगों ने नाबोत को पकड़ लिया। वे उसे शहर के बाहर ले गए और उस पर पत्थर फेंक कर उसे मार डाला।
\v 14 तब उन अगुवों ने ईज़ेबेल को एक सन्देश भेजा, और कहा, "हमने नाबोत को मार डाला है।"
\p
\s5
\v 15 जब ईजेबेल को पता चला कि नाबोत की हत्या हो गई तो उसने अहाब से कहा, "नाबोत मर चुका है। अब जाकर दाख के बागीचे पर अधिकार कर जिसे उसने तुझे बेचने से मना कर दिया था।"
\v 16 जब अहाब ने सुना कि नाबोत मर चुका है, तो वह उठकर दाख की बारी में गया कि वह उस पर अपने स्वामित्व का दावा कर सके।
\p
\s5
\v 17 यहोवा ने एलिय्याह भविष्यद्वक्ता से कहा,
\v 18 "सामरिया जा और इस्राएल के राजा अहाब से बातें कर। वह नाबोत नाम के एक व्यक्ति की दाख की बारी में है। वह दावा करने के लिए वहाँ गया है कि वह अब उसका स्वामी है।
\p
\s5
\v 19 अहाब से कहो कि मैं यहोवा यही कहता हूँ, 'तुने नाबोत की हत्या कर दी और उसकी भूमि ले ली। इसलिए मैं तुझको यह बता रहा हूँ। उसी स्थान पर जहाँ नाबोत की मृत्यु हुई कुत्ते आए और नाबोत के खून को चाटा, तू भी वहीं मरेगा और कुत्ते तेरे खून को चाटेंगे।'"
\p
\v 20 तब जब एलिय्याह अहाब से मिला, तब अहाब ने उससे कहा, "ओ मेरे शत्रु! तूने मुझे ढूंढ लिया!" एलिय्याह ने उत्तर दिया, "हाँ, मैंने तुझे ढूंढ लिया। तुने कभी भी वे काम करने बंद नहीं किए जिन्हें यहोवा ने गलत ठहराया है।
\p
\s5
\v 21 यहोवा यही कहते हैं, 'मैं शीघ्र ही तुझसे छुटकारा पाऊंगा। मैं तुझे मार डालूंगा, और मैं तेरे घर के हर पुरुष को मार डालूंगा, जिसमें तेरे दास और जो दास नहीं है वे भी सम्मिलित हैं।
\v 22 राजा यारोबाम के परिवार की तरह और राजा बाशा के परिवार की तरह ही तेरा परिवार मरेगा। मैं तुझसे छुटकारा पाऊंगा क्योंकि तुने मुझे बहुत गुस्सा दिलाया है, और तुने इस्राएली लोगों को पाप करने के लिए भी भड़काया है।'
\p
\s5
\v 23 यहोवा ने मुझे यह भी बताया है कि तेरी पत्नी ईजेबेल की हत्या हो जाएगी, और यिज्रेल में कुत्ते उसके शरीर को खाएँगे।
\v 24 इस शहर में मरने वाले तेरे परिवार के सदस्यों के मृत शरीर को मिट्टी नहीं दी जाएगी। वे कुत्तों द्वारा खाए जाएँगे, और खेतों में मरने वालों के शरीर गिद्धों द्वारा खाए जाएँगे।"
\p
\s5
\v 25 कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसने उतने बुरे काम या पाप किये हों जितने अहाब ने किये। उसकी पत्नी ईज़ेबेल ने उससे ये काम कराये।
\v 26 अहाब ने उन लोगों की तरह मूर्तियों की पूजा करने जैसे सबसे अधिक घृणित कर्म किए जैसे आमोर लोगों के समूह ने किया था। और यही कारण है कि यहोवा ने उनकी भूमि उनसे ली और इस्राएलियों को दे दी।
\p
\s5
\v 27 एलिय्याह के बात करने के बाद, अहाब ने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र फाड़े। उसने अपने शरीर पर टाट लपेटा। वह उपवास करने लगा। वह टाट-पट्टी लपेट कर सोता था कि अपने दुःख को दर्शा सके।
\p
\v 28 तब यहोवा ने एलिय्याह से यह कहा,
\v 29 "मैंने देखा है कि अहाब अब उन सभी बुरे कोर्मों के लिए बहुत दुखी है जो उसने किया है। अत: उसके जीवन काल में मैं उस पर विपत्ति नहीं भेजूँगा। मैं तब तक प्रतीक्षा करूँगा जब तभी उसका पुत्र राजा नहीं बन जाता। तब मैं अहाब के परिवार पर विपत्ति भेजूँगा। "
\s5
\c 22
\p
\v 1 लगभग तीन वर्षों तक अराम और इस्राएल के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ।
\v 2 तब राजा यहोशापात, जिसने यहूदा पर शासन किया, राजा अहाब से मिलने गया, जिसने इस्राएल पर शासन किया था।
\p
\s5
\v 3 जब वे बातें कर रहे थे, तब अहाब ने अपने अधिकारियों से कहा, "क्या तुम समझते हो कि अरामियों ने अभी भी गिलाद के क्षेत्र में रामोत के अपने शहर पर अधिकार कर लिया है? और हम उस शहर को वापस लेने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं!"
\v 4 तब वह यहोशापात की ओर मुड़ गया और पूछा, "क्या तेरी सेना रामोत के लोगों से लड़ने और उस शहर को वापस लेने के लिए मेरी सेना में सम्मिलित होगी?" यहोशापात ने उत्तर दिया, "निश्चित रूप से! जो कुछ भी तू चाहता है, मैं वह करूँगा और तू मेरी सेनाओं को आदेश दे सकता है। तू मेरे घोड़ों को युद्ध में भी ले जा सकता है।"
\p
\s5
\v 5 फिर उसने आगे कहा, "लेकिन हमें पहले यहोवा से पूछना चाहिए, यह पता लगाने के लिए कि वह हमसे क्या चाहते हैं।"
\v 6 तब अहाब ने अपने चार सौ भविष्यद्वक्ताओं को एक साथ बुलाया, और उनसे पूछा, "क्या मेरी सेना को रामोत के लोगों से लड़ने और उस शहर को वापस लेने के लिए जाना चाहिए?"
\p उन्होंने उत्तर दिया, "हाँ, जा और उन पर आक्रमण कर क्योंकि परमेश्वर तेरी सेना को उन्हें पराजित करने में समर्थ बनाएँगे।"
\p
\s5
\v 7 पर यहोशापात ने पूछा, "क्या यहोवा का कोई अन्य भविष्यद्वक्ता नहीं है जिससे हम पूछ सकते हैं?"
\p
\v 8 इस्राएल के राजा ने उत्तर दिया, "एक और जन है जिससे हम पूछ सकते हैं। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है। परन्तु मैं उससे घृणा करता हूँ, क्योंकि जब वह भविष्यवाणी करता है तो वह कभी नहीं कहता कि मेरे साथ कुछ भी अच्छा होगा। वह हमेशा भविष्यवाणी करता है कि मेरे साथ बुरा ही होगा। "यहोशापात ने उत्तर दिया, "राजा अहाब, तुझको यह नहीं कहना चाहिए।"
\p
\v 9 तब इस्राएल के राजा ने अपने अधिकारियों में से एक को तुरंत मीकायाह को बुलाने को कहा।
\p
\s5
\v 10 इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा दोनों अपने शाही वस्त्र पहने हुए थे और सामरिया नगर की दीवार के द्वार पर सिंहासन पर बैठे थे। बहुत से भविष्यद्वक्ता उनके लिए सन्देश कह रहे थे।
\v 11 उनमें से एक, जो केनानाह का पुत्र सिदकिय्याह था, उसने लोहे से कुछ बनाया जो बैल के सींग जैसा था। तब उसने अहाब के समक्ष यह घोषणा की, "यहोवा यही कहते हैं, 'जैसे एक बैल किसी जानवर पर आक्रमण करता है उसी प्रकार तेरी सेना सींगों से अरामियों पर आक्रमण करेगी, जब तक कि तू उन्हें पूरी तरह से नष्ट न कर दे।'"
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\v 12 अहाब के अन्य सभी भविष्यवक्ता सहमत हुए। उन्होंने कहा, "हाँ! यदि तू गिलाद में रामोत पर आक्रमण करने जाता है, तो तू सफल होगा, क्योंकि यहोवा तुझको उन्हें पराजित करने में समर्थ करेंगे!"
\p
\s5
\v 13 इस बीच, जिस सन्देशवाहक ने मीकायाह को बुलाया था, उससे कहा, "मेरी बातें सुनो! अन्य सभी भविष्यवक्ता भविष्यवाणी कर रहे हैं कि राजा की सेना अरामियों को पराजित करेगी। इसलिए सुनिश्चित करें कि तू उनके साथ सहमत है और कहे कि क्या लाभदायक होगा।"
\p
\v 14 परन्तु मीकायाह ने उत्तर दिया, "निश्चित रूप से यहोवा जीवित है, मैं अहाब को बताऊंगा कि यहोवा मुझे क्या कहने की आज्ञा देते हैं।"
\p
\v 15 जब मीकायाह अहाब के पास आया, तब अहाब ने उससे पूछा, "मीकायाह, क्या हमें रामोत के लोगों के विरुद्ध लड़ने के लिए जाना चाहिए?"
\p मीकायाह ने उत्तर दिया, "निश्चित रूप से तुमको जाना चाहिए! यहोवा तुम्हारी सेना को उन्हें पराजित के लिए सक्षम करेंगे !"
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\s5
\v 16 परन्तु राजा अहाब को महसूस हुआ कि मीकायाह ताने मार रहा था, इसलिए उसने मीकायाह से कहा, "मैंने तुझको कई बार बताया है कि जब तू वह कहता है जो यहोवा ने तुझको बताया है, तो तुझको सदा सत्य ही कहना चाहिए!"
\p
\v 17 तब मीकायाह ने उस से कहा, "सच यह है कि एक नजर में मैंने देखा कि इस्राएल के सभी सैनिक पहाड़ों पर बिखरे हुए थे। वे भेड़ों की तरह लग रहे थे जिनके पास चरवाहा नहीं था। और यहोवा ने कहा, 'उनका स्वामी मारा गया है। इन सभी को शान्ति से घर जाने के लिए कहो। '"
\p
\s5
\v 18 अहाब ने यहोशापात से कहा, "मैंने तुझसे कहा था कि वह कभी ऐसी भविष्यवाणी नहीं करता कि मेरे साथ कुछ अच्छा होगा! वह सदैव भविष्यवाणी करता है कि बुरी बातें मेरे साथ होंगी।"
\p
\v 19 परन्तु मीकायाह ने कहा, "सुनो, यहोवा ने मुझे क्या दिखाया है! एक नजर में मैंने देखा कि यहोवा अपने सिंहासन पर बैठे हैं, उनके चारों ओर स्वर्ग की सारी सेना है, उनकी दाहिने ओर और बाईं ओर है।
\v 20 और यहोवा ने कहा, 'अहाब को रामोत के लोगों के विरूद्ध लड़ने के लिए कौन कह सकता है, कि वह वहाँ मारा जाये?'
\p किसी ने एक बात सुझाई, और दूसरों ने कुछ और सुझाव दिया।
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\s5
\v 21 अंत में एक आत्मा यहोवा के पास आई और कहा, 'मैं उसे बहकाऊँगा!'
\p
\v 22 यहोवा ने उससे पूछा, तू यह कैसे करेगा?' आत्मा ने उत्तर दिया, 'मैं झूठ बोलने के लिए अहाब के सभी भविष्यद्वक्ताओं को प्रेरित करूँगा।' यहोवा ने कहा, तू सफल हो जाएगा; जा और कर।
\v 23 इसलिए अब मैं तुझको बताता हूँ कि यहोवा ने तेरे सभी भविष्यद्वक्ताओं से झूठ बुलवाया है। यहोवा ने निर्णय किया है कि तेरे साथ कुछ भयानक होगा।"
\p
\s5
\v 24 तब सिदकिय्याह मीकायाह के पास गया और उसने उसके चेहरे पर थप्पड़ मारा। उसने कहा, "क्या तुझको लगता है कि यहोवा की आत्मा ने तुझसे बातें करने के लिए मुझे छोड़ दिया?"
\p
\v 25 मीकायाह ने उत्तर दिया, "शीघ्र ही विपत्ति आएगी। उस समय तू भागेगा और एक छोटे कमरे में छिपेगा और तब तू समझेगा कि मैं सत्य कह रहा हूँ।"
\p
\s5
\v 26 राजा अहाब ने अपने सैनिकों को आज्ञा दी, "मीकायाह को पकड़ो और उसे इस नगर के राज्यपाल आमोन और मेरे पुत्र योआश के पास ले जाओ।
\v 27 उन्हें बताओ कि मैंने आदेश दिया है कि उन्हें इस व्यक्ति को जेल में डाल देनाऔर उसे सिर्फ रोटी और पानी देना । जब तक मैं युद्ध से सुरक्षित वापस नहीं आ जाता तब तक उसे खाने के लिए और कुछ न दें। "
\p
\v 28 मीकायाह ने उत्तर दिया, "यदि तू सुरक्षित वापस आता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह यहोवा नहीं थे जिन्होंने मुझे बताया कि तुझसे क्या कहना है।" तब उसने उन सभी लोगों से कहा जो वहाँ खड़े थे, "राजा अहाब से जो कहा है उसे मत भूलो।"
\p
\s5
\v 29 तब इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा ने गिलाद के रामोत के लिए अपनी सेना का नेतृत्व किया।
\v 30 राजा अहाब ने यहोशापात से कहा, "मैं अलग कपड़े पहनूंगा, ताकि कोई भी पहचान न सके कि मैं राजा हूँ। परन्तु तू अपने शाही वस्त्र पहनना।" अहाब ने स्वयं का भेष बदला, और वे दोनों युद्ध में चले गए।
\p
\s5
\v 31 अराम के राजा ने अपने उन बत्तीस पुरुषों से कहा था जो रथों को चला रहे थे, "सिर्फ इस्राएल के राजा पर आक्रमण करें!"
\v 32 तब जब अरामियों के रथों को चला रहे लोगों ने यहोशापात को शाही वस्त्र पहने हुए देखा, उन्होंने उसका पीछा किया। वे चिल्लाये, "इस्राएल का राजा वहां है।" जब यहोशापात रोया,
\v 33 उन्होंने अनुभव किया कि वह इस्राएल का राजा नहीं था। तो उन्होंने उसका पीछा करना बंद कर दिया।
\p
\s5
\v 34 परन्तु अरामियों के एक सैनिक ने अहाब को एक तीर मारा, यह जाने बिना कि वह अहाब था। तीर ने अहाब को वहाँ मारा जहाँ उसका कवच और कमरबन्‍द आपस में जुड़ते हैं। अहाब ने अपने रथ के चालक से कहा, "रथ को घुमाओ और मुझे यहाँ से बाहर निकालो! मैं गंभीर रूप से घायल हो गया हूँ!"
\p
\s5
\v 35 युद्ध पूरे दिन चलता रहा। अहाब अरामी सैनिकों का सामना कर के अपने रथ में टेक लगाकर बैठा था। उसके घाव से खून रथ के तल पर बह रहा था और दोपहर के अंत में वह मर गया।
\v 36 जैसे सूर्य नीचे जा रहा था, इस्राएली सैनिकों में से कोई चिल्लाया, "युद्ध समाप्त हो गया है! सब को घर लौटना चाहिए।"
\p
\s5
\v 37 राजा अहाब की मृत्यु हो गई, और वे उसके शरीर को रथ में सामरिया लाये और वहाँ उसके शरीर को मिट्टी दी गई।
\v 38 उन्होंने सामरिया के जल-कुण्‍ड में राजा के रथ को धोया, वहाँ जहाँ पर वेश्याएँ स्नान करती थीं। और कुत्ते आए और राजा के खून को चाटा, जैसा कि यहोवा ने भविष्यवाणी की थी।
\p
\s5
\v 39 अहाब के शासन के दौरान हुई अन्य बातों का विवरण, और सजाए गए महल के बारे में जो उन्होंने उसके लिए बनाया था, और उसके लिए बनाए गए नगर, राजाओं की पुस्तक में लिखे गए थे।
\v 40 जब अहाब की मृत्यु हो गई, तब उसके शरीर को मिट्टी दी गई जहाँ उसके पूर्वजों को मिट्टी दी गई थी। तब उसका पुत्र अहज्याह राजा बन गया।
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\v 41 राजा अहाब की मृत्यु से पहले, ही जब उसे इस्राएल में शासन करते चार वर्ष हो गये, तब आसा के पुत्र यहोशापात ने यहूदा में शासन करना आरम्भ कर दिया।
\v 42 यहोशापात पैंतीस वर्ष का था जब उसने शासन करना आरम्भ किया, और उसने यरूशलेम में पच्चीस वर्ष तक शासन किया। उसकी माँ अजूबा शिल्ही की बेटी थीं।
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\s5
\v 43 यहोशापात एक अच्छा राजा था, जैसे उसके पिता आसा था। उसने वे कर्म किए जो यहोवा को प्रसन्न करते थे। लेकिन जब वह राजा था, तब उसने पहाड़ियों पर बने सभी मूर्तिपूजक वेदियों को नहीं हटाया। इसलिए लोग उन वेदियों पर मूर्तियों पर बलिदान करने और धूप जलाते रहे।
\v 44 यहोशापात ने इस्राएल के राजा के साथ शान्ति संधि भी की।
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\v 45 यहोशापात के शासन करने के दौरान हुई सभी अन्य बातें, और उसने जो महान काम किया और उसकी सेनाओं को जो जीत मिली वह सब यहूदा के राजाओं की पुस्तक में लिखी गईं।
\v 46 यहोशापात ने उस देश से पुरुषगामियों को निकाला जो अभी भी उस क्षेत्र में रहते थे। ये पुरुषगामी उसके पिता आसा के समय से वहाँ रहते थे।
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\v 47 उस समय, एदोम में कोई राजा नहीं था। यहोशापात द्वारा नियुक्त एक शासक वहाँ पर शासन करता था।
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\v 48 यहोशापात ने कुछ इस्राएली पुरुषों को सोना लाने के लिये ओपीर के क्षेत्र में दक्षिण की ओर जाने के लिए जहाजों के बेड़े का निर्माण करने का आदेश दिया। लेकिन वे एस्योनगेबेर में बर्बाद हो गए, इसलिए उनके जहाज कभी नहीं पहुंचे।
\v 49 जहाजों के टूटने से पहले, अहाब के पुत्र अहज्याह ने यहोशापात से कहा, "मेरे नाविकों को अपने नाविकों के साथ जाने दे," यहोशापात ने मना कर दिया।
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\v 50 जब यहोशापात की मृत्यु हो गई, तब उसके शरीर को वहाँ मिट्टी दी गई जहाँ उसके पूर्वजों को यरूशलेम में मिट्टी दी गई थी, जहाँ राजा दाऊद ने शासन किया था। तब यहोशापात का पुत्र यहोराम राजा बन गया।
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\v 51 राजा यहोशापात की मृत्यु से पहले, वह सत्तरहवर्ष तक यहूदा में शासन करता रहा, तब अहाब के पुत्र अहज्याह ने इस्राएल में शासन करना आरम्भ कर दिया। अहज्याह ने सामरिया में दो साल तक शासन किया।
\v 52 उसने बहुत से कर्म किए जिन्हें यहोवा ने घृणित कहा था, बुराई के वैसे काम किये जो उसके पिता और माता ने किये थे और यरोबाम ने बुरे कर्म किए वह ऐसा राजा था जिसने सभी इस्राएली लोगों को मूर्तियों की पूजा करवा कर पाप किया था।
\v 53 अहज्याह बाल देवता की मूर्ति के सामने झुक गया और उसकी पूजा की। इस कारण यहोवा, परमेश्वर, जो इस्राएली लोगों के साथ-साथ सारे संसार के सच्चे परमेश्वर हैं, बहुत क्रोधित हो गए, जैसे अहज्याह के पिता ने यहोवा को गुस्सा दिलाया था।