hi_udb/10-2SA.usfm

1593 lines
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Plaintext

\id 2SA
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\h 2 शमूएल
\toc1 2 शमूएल
\toc2 2 शमूएल
\toc3 2sa
\mt1 2 शमूएल
\s5
\c 1
\p
\v 1 शाऊल की मृत्यु के बाद, दाऊद और उसके साथ रहने वाले लोग अमलेकियों के वंशजों को पराजित करने के बाद सिकलग शहर लौट आए। वे सिकलग में दो दिन तक रहे।
\v 2 तीसरे दिन, ऐसा हुआ एक व्यक्ति अप्रत्याशित रूप से वहाँ पहुँचा जो शाऊल की सेना में था। उसने अपने कपड़े फाड़े और अपने सिर पर धूल डाली ताकि वह दिखा सके कि वह शोक मना रहा था। वह दाऊद के पास आया और दाऊद के सामने आदर के साथ दंडवत किया ।
\p
\s5
\v 3 दाऊद ने उससे पूछा, "तू कहाँ से आया है?" उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, " इस्राएली सेना से।"
\p
\v 4 दाऊद ने उससे पूछा, "क्या हुआ? मुझे युद्ध के विषय बताओ!" उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "हमारे सैनिक भाग गए। उनमें से कई मारे गए और शाऊल और उसके पुत्र योनातान मर गए।"
\p
\v 5 दाऊद ने जवान से कहा, "तू कैसे जानता है कि शाऊल और योनातान मर चुके हैं?"
\p
\s5
\v 6 युवक ने उत्तर दिया, "मैं गिलबो पर्वत पर था जहाँ लड़ाई हो रही थी। मैंने शाऊल को देखा, वह अपने भाले पर झुका हुआ था। दुश्मन के रथ और उनके चालक उसके बहुत निकट चले आ रहे थे।
\v 7 शाऊल ने पीछे मुड़कर मुझे देखा, और उसने मुझे पुकारा। मैंने उसे उत्तर दिया और कहा, 'तू क्या चाहता है कि मै करूँ?'
\p
\s5
\v 8 उसने उत्तर दिया, 'तू कौन है?' मैंने उत्तर दिया, 'मैं अमालेकी का वंशज हूँ।'
\p
\v 9 तब उसने मुझसे कहा, 'यहाँ आकर मुझे मार डाल। मै अत्यंत दु:खी हूँ।
\p
\v 10 इसलिए मैं उसके पास गया और उसे मार डाला, क्योंकि मैंने देखा कि वह बहुत बुरी तरह घायल है और जीवित नहीं रह सकता। मैंने उसके सिर से मुकुट तथा उसकी बांह से कंगन उतार लिया, जिन्हें मैं तेरे पास लाया हूँ, मेरे स्वामी।"
\p
\s5
\v 11 तब दाऊद ने अपने कपड़े फाड़ डाले, और जितने पुरुष उनके साथ थे उन्होंने भी अपने कपड़े फाड़ डाले ।
\v 12 उन्होंने अपने कपड़े फाड़ डाले क्योंकि वे बहुत दु:खी थे और उन्होंने शाम तक कुछ भी खाने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें पता था कि शाऊल और उसके पुत्र योनातान की मृत्यु हो गई थी, और यहोवा के इतने सारे लोग मर गए थे, और क्योंकि इस्राएल के वंशजों पर बीते बड़े खतरे के कारण वे उदास थे और क्योंकि उनमें से कई युद्ध में मारे भी गए थे।
\p
\v 13 दाऊद ने उस जवान व्यक्ति से पूछा जिसने उन्हें युद्ध के बारे में बताया था, "तू कहाँ से है?" उसने उत्तर दिया, "मेरे पिता अमालेकियों के वंशज हैं, परन्तु हम इस्राएल में रहते हैं।"
\p
\s5
\v 14 दाऊद ने उससे पूछा, "तू डरा क्यों नहीं तूने शाऊल को मार डाला, जिसे यहोवा ने राजा बनाया है तो तुझे दंडित किया जाएगा?
\v 15-16 तूने स्वयं कहा, 'मैंने उस व्यक्ति को मार डाला जिसे यहोवा ने राजा नियुक्त किया था।' तो तूने स्वयं को दोषी बनाया; तू मरने के योग्य है! "तब दाऊद ने अपने एक सैनिक को बुलाया और उससे कहा," इसे मार दो! "सैनिक ने उसे मार डाला।
\p
\s5
\v 17 तब दाऊद ने शाऊल और योनातान के विषय इस दु:खद गीत को लिखा,
\v 18 और उसने अपने लोगों को यहूदियों को इसे सिखाने का आदेश दिया। गीत को "धनुष" कहा जाता है और यह याशार की पुस्तक में लिखा गया है:
\q1
\v 19 "इस्राएली लोगों, पहाड़ों पर तुम्हारे शूरवीर अगुवे मारे गए!
\q2 यह बहुत दु:खद है कि इन शक्तिशाली पुरुषों की मृत्यु हो गई है!
\q1
\v 20 पलिश्ती के क्षेत्र में अपने दुश्मनों से यह मत कहो।
\q1 गत शहर में रहने वाले लोगों को मत बताओ।
\q2 अश्कलोन शहर की सड़कों में इसकी घोषणा मत करो, ऐसा न हो की उनकी स्त्रियाँ उत्सव मनाएँ।
\q2 उन मूर्तिपूजक स्त्रियों को आनंदित न होने दो ।
\q1
\s5
\v 21 मैं आशा करता हूँ कि गिलबो के पहाड़ों पर कभी भी बारिश या ओस न पड़े
\q1 और न वहाँ के खेतों में कोई अनाज पैदा हो,
\q2 क्योंकि यह वह स्थान था जहाँ शक्तिशाली राजा शाऊल, की ढाल जमीन पर गिरी ।
\q1 अब शाऊल की ढाल पर जैतून का तेल रगड़ने वाला कोई नहीं है।
\q1
\v 22 योनातान के तीर उसके सेवक थे जो सदैव उसके शत्रुओं को छेदते थे और उनका खून बहाते थे।
\q2 और शाऊल की तलवार उसकी सेवक थी जिसने हमेशा अपने शत्रुओं को मारा।
\q1
\s5
\v 23 शाऊल और योनातान प्रिय थे; उन्होंने कई लोगों को प्रसन्न किया।
\q2 वे जीते और मरते हुए साथ थे।
\q1 युद्ध में वे उकाबों से अधिक तेज और शेरों से अधिक बलवान थे।
\q1
\v 24 तुम इस्राएल की स्त्रियों, शाऊल के विषय रोओ।
\q1 उसने तुम्हारे लिए सुंदर लाल रंग के कपड़े उपलब्ध कराए
\q2 और तुम्हें सोने के गहने पहनने को दिए।
\q1
\s5
\v 25 यह बहुत दुखद है कि मेरे भाई योनातान की मृत्यु हो गई है
\q2 वह एक शक्तिशाली सैनिक था, और उसके शत्रुओं ने उसे पहाड़ पर मारा।
\q1
\v 26 योनातान, मेरे प्रिय मित्र, मैं तुम्हारे लिए शोक करता हूँ।
\q2 तू मेरे लिए बहुत प्रिय था।
\q1 तूने मुझे अद्भुत तरीके से प्रेम किया।
\q2 एक स्त्री जो प्रेम अपने पति और बच्चों से करती है उससे भी बढ़कर वह प्रेम था ।
\q1
\v 27 यह बहुत दुखद है कि ये शक्तिशाली पुरुष मर गए,
\q2 और उनके हथियार अब नहीं बचे !
\s5
\c 2
\p
\v 1 कुछ समय बाद, दाऊद ने यहोवा से पूछा, "क्या मुझे यहूदा के एक नगर में जाना चाहिए?" यहोवा ने उत्तर दिया, "हाँ, वहाँ जाओ।" तब दाऊद ने पूछा, "मुझे किस शहर में जाना चाहिए?" यहोवा ने उत्तर दिया, "हेब्रोन में।"
\p
\v 2 तब दाऊद वहाँ अपनी दोनों पत्नियों, अहीनोअम जो यिज्रेली शहर से थी , और कर्मेली शहर के नाबाल की विधवा अबीगैल को लेकर गया।
\v 3 उसने उनके परिवारों के साथ उन लोगों को भी लिया जो उसके साथ थे। वे सभी हेब्रोन और उसके आस-पास के गांवों में रहने लगे।
\s5
\v 4 तब यहूदा के लोग हेब्रोन आए, और उनमें से एक ने दाऊद के सिर पर जैतून का तेल डाला ताकि वह दिखा सके कि वे उसे यहूदा के गोत्र के राजा के रूप में नियुक्त कर रहे थे।
\p जब दाऊद को पता चला कि गिलाद के क्षेत्र में याबेश शहर के लोगों ने शाऊल के शरीर को मिट्टी दी थी,
\v 5 उसने याबेश के लोगों को यह कहने के लिए दूत भेजे, "मैं चाहता हूँ कि यहोवा तुम्हें शाऊल को मिट्टी देने के लिए आशीष दे। ऐसा करके, तुमने दिखाया है कि तुम उनके प्रति निष्ठावान थे।
\s5
\v 6 अब मैं यह भी चाहता हूँ कि यहोवा तुमसे निष्ठापूर्वक प्रेम करें और तुम्हारे प्रति निष्ठावान रहें। और जो कुछ तुम सब ने शाऊल के लिए किया है, उसके कारण मैं तुम्हारी भलाई करूँगा।
\v 7 अब, यद्यपि तुम्हारा राजा शाऊल नहीं रहा, यहूदा के लोगों की तरह दृढ़ और साहसी बनो, जिन्होंने मुझे राजा बनने के लिए नियुक्त किया है।"
\p
\s5
\v 8 हालांकि, शाऊल की सेना का सेनापति नेर का पुत्र अब्नेर शाऊल के पुत्र ईशबोशेत को लेकर यरदन नदी पार महनैम शहर गया।
\v 9 वहाँ अब्नेर ने यह घोषणा की कि ईशबोशेत अब गिलाद और यिज्रेल के क्षेत्र और आशूरियों, एप्रैम और बिन्यामीन के गोत्रों पर राजा बनकर शासन करता है। इसका मतलब था कि वह अधिकांश इस्राएल का राजा था।
\p
\s5
\v 10 ईशबोशेत चालीस वर्ष का था जब उसने इस्राएलियों पर शासन करना शुरू किया । उसने दो साल तक उन पर शासन किया। यहूदा का गोत्र दाऊद के प्रति निष्ठावान था।
\v 11 दाऊद ने हेब्रोन में रहते हुए साढ़े सात सालों तक उन पर शासन किया।
\p
\s5
\v 12 एक दिन अब्नेर और ईशबोशेत के अधिकारी महनैम से होकर यरदन नदी के पार गेबोन शहर में गए।
\v 13 योआब, जिसकी माँ सरूयाह थी, और दाऊद के कुछ अधिकारी हेब्रोन से गिबोन गए, और उनकी भेंट पानी के तालाब के पास हुई । वे सब बैठ गए, तालाब की एक तरफ एक समूह और दूसरी तरफ दूसरा समूह।
\p
\s5
\v 14 अब्नेर ने योआब से कहा, " आओ हम अपने कुछ युवाओं को एक दूसरे से लड़ने के लिए कहें!" योआब ने जवाब दिया, "बहुत अच्छा!"
\p
\v 15 तब बिन्यामीन के गोत्र के बारह लोग ईशाबोशेत के लिए, दाऊद के बारह सैनिकों के विरुद्ध लड़े।
\s5
\v 16 उनमें से प्रत्येक ने एक-दूसरे के सिर को पकड़ लिया जिसके विरुद्ध वे लड़ रहे थे, और अपनी तलवार को विरोधी की पसली में भोंक दिया। परिणामस्वरूप सभी चौबीसों मर गए। गिबोन में उस क्षेत्र को अब "तलवारों का क्षेत्र" कहा जाता है।
\p
\v 17 तब दूसरों ने भी लड़ना शुरू कर दिया। यह एक बहुत ही भयंकर लड़ाई थी। अब्नेर और इस्राएल के लोग दाऊद के सैनिकों द्वारा पराजित हुए।
\p
\s5
\v 18 उस दिन सरूयाह के तीन पुत्र वहाँ थे: योआब, अबीशै और असाहेल। असाहेल बहुत तेज दौड़ने में सक्षम था। वह जंगली चीते के समान तेजी से दौड़नेवाला व्यक्ति था।
\v 19 असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना शुरू कर दिया। वह बिना रूके अब्नेर की तरफ दौड़ा।
\s5
\v 20 अब्नेर ने पीछे देखा, और कहा, "क्या तू, असाहेल है?" असाहेल ने जवाब दिया, "हाँ!"
\p
\v 21 अब्नेर चिल्लाया, "मेरा पीछा करना बंद कर; किसी और के पीछे जा!" परन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना बंद नहीं किया।
\p
\s5
\v 22 तब अब्नेर पुनः चिल्लाया, "मेरा पीछा करना बंद कर! मैं तुझे क्यों मारूँ? मैं तेरे भाई योआब का सामना कैसे कर पाऊँगा और उसे तेरी मौत के विषय कैसे समझा सकूँगा?"
\p
\v 23 परन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा ना करने से मना कर दिया। अब्नेर ने अचानक मुड़कर और अपने भाले के कुंडे को अंत तक असाहेल के पेट में घुसेड़ दिया। क्योंकि उसने इसे बहुत दृढ़ता से घुसेड़ा, भाला का वह अंत उसके शरीर के पार चला गया और असाहेल की पीठ पर बाहर आया, और वह भूमि पर मृत गिर पड़ा। अन्य सभी सैनिक उस स्थान पर आए जहाँ उसका शरीर पड़ा हुआ था और असाहेल के शरीर के पास घबरा कर खड़े हो गए।
\p
\s5
\v 24 परन्तु योआब और अबीशै अब्नेर का पीछा करते रहे सूर्यास्त में वे अम्मा की पहाड़ी पर आए, जो गिबोन के निकट जंगल में मार्ग के किनारे, गीह के पूर्व में है।
\v 25 बिन्यामीन के गोत्र के लोग युद्ध की एक पंक्ति में अब्नेर के चारों ओर इकट्ठे हुए और एक पहाड़ी के शीर्ष पर खड़े हो गए।
\p
\s5
\v 26 तब अब्नेर ने योआब से कहा, "क्या हम सदैव लड़ते रहेंगे? क्या तुझे एहसास नहीं है कि अगर हम लड़ते रहे तो बहुत बुरा होगा? हम सभी याकूब के वंशज हैं, इसलिए हमें एक दूसरे से लड़ना नहीं चाहिए! तू कब तक अपने लोगों को आज्ञा नहीं देगा कि वे हमारा पीछा न करें?
\p
\v 27 योआब ने उत्तर दिया, "निश्चित रूप से परमेश्वर हैं, अगर तूने यह नहीं कहा होता, तो मेरे सैनिक कल सुबह तक तेरे पुरुषों का पीछा करते !"
\p
\s5
\v 28 तब योआब ने लड़ाई बंद करने के लिए तुरही बजाकर संकेत दिया। तो उसके सभी पुरुषों ने इस्राएल के सैनिकों का पीछा करना बंद कर दिया।
\p
\v 29 उस रात अब्नेर और उसके सैनिक यरदन नदी के किनारे मैदान के पार चले गए। उन्होंने यरदन पार किया और अगली सुबह सब आगे बढ़े, और अंत में वे महनैम पहुँच गए।
\p
\s5
\v 30 योआब और उसके सैनिक अब्नेर का पीछा करने के बाद एक साथ इकट्ठे हुए। तब योआब ने पाया कि असाहेल के अलावा, युद्ध में उन्नीस लोग मारे गए थे।
\v 31 परन्तु दाऊद के सैनिकों ने बिन्यामीन के गोत्र में से अब्नेर के 360 लोगों को मार डाला था।
\v 32 योआब के कुछ सैनिकों ने असाहेल के शरीर को बैतलहम में उस क़ब्र में रखा जहाँ उसके पिता को रखा गया था। तब वे रात भर चलते रहे, और सुबह वे हेब्रोन में घर लौट आए।
\s5
\c 3
\p
\v 1 उसके बाद, उन लोगों के बीच बहुत समय तक युद्ध चलता रहा जो शाऊल के पुत्र को राजा बनाना चाहते थे और जो दाऊद को राजा बनाना चाहते थे। परन्तु अधिकतम लोग दाऊद को चाहते थे, जबकि न्यूनतम लोग शाऊल के पुत्र को चाहते थे।
\q
\s5
\v 2 दाऊद की पत्नियों ने हेब्रोन में छह पुत्रों को जन्म दिया। सबसे ज्येष्ठ अम्नोन था, जिसकी माँ अहीनोअम यिज्रेल शहर से थी।
\q2
\v 3 अगला पुत्र किलाब था, जिसकी माँ अबीगैल कर्मेली शहर के नाबाल की विधवा थी।
\q2 अगला पुत्र अबशालोम था, जिसकी माँ माका थी , जो कि गशूर के राजा तल्मै की पुत्री थी।
\q2
\s5
\v 4 अगला पुत्र अदोनिय्याह था, जिसकी माँ हग्गीत थी।
\q2 अगला पुत्र शपत्याह था, जिसकी माँ अबीतल थी।
\q2
\v 5 सबसे छोटा पुत्र यित्राम था, जिसकी माँ एग्ला थी, जो दाऊद की पत्नियों में से एक थी।
\q2 दाऊद के ये पुत्र हेब्रोन में पैदा हुए थे।
\p
\s5
\v 6 उन लोगों के बीच संघर्ष के दौरान जो शाऊल के पुत्र को शासक बनाना चाहते थे और जो लोग दाऊद को उनके ऊपर शासक बनाना चाहते थे, अब्नेर उन लोगों के बीच अधिक प्रभावशाली बन रहा था जो शाऊल के पुत्र को राजा बनाना चाहते थे।
\v 7 शाऊल की पत्नियों में से रिस्पा एक दासी स्त्री थी जो अय्या की पुत्री थी। एक दिन अब्नेर उसके साथ सो गया। इसलिए ईशबोशेत ने अब्नेर से कहा, "तू मेरे पिता की दासी पत्नी के साथ क्यों सोया?"
\p
\s5
\v 8 अब्नेर ईशबोशेत की बात से बहुत क्रोधित हो गया। उसने ईशबोशेत से कहा, "क्या तुझको लगता है कि मैं यहूदा का एक बेकार कुत्ता हूँ? आरंभ से मैं तेरे पिता शाऊल के प्रति उसके भाइयों और उसके मित्रों के प्रति निष्ठावान रहा हूँ। और मैंने दाऊद की सेना को तुम्हें पराजित करने से रोका। इसलिए किसी स्त्री के साथ जो मैने किया उसके विषय में मेरी आलोचना अब क्यों करता है?
\s5
\v 9-10 यहोवा ने सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा की है कि वह शाऊल और उसके वंशजों को शासन करने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि वह दाऊद को उत्तर दिशा में दान के शहर से दक्षिण दिशा में बेर्शेबा शहर तक इस्राएल और यहूदा के सभी गोत्रों पर स्थापित करेंगे। तो मुझे आशा है कि अगर मैं ऐसा नहीं होने देता हूँ तो परमेश्वर मुझे मार डालेंगे!"
\v 11 ईशबोशेत अब्नेर से बहुत डरता था, इसलिए उसने अब्नेर के जवाब में कुछ नहीं कहा।
\p
\s5
\v 12 तब अब्नेर ने हेब्रोन में दाऊद के पास दूतों को यह कहने के लिए भेजा, "या तो तू मुझे पूरे देश का शासक बनने दे, परन्तु ईशबोशेत को नहीं। हालांकि, यदि तू मेरे साथ समझौता करता है, तो मैं इस्राएल के सभी लोगों को तुझे उनका राजा बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के द्वारा सहायता करूँगा।"
\v 13 दाऊद ने यह उत्तर भेज दिया, "ठीक है! मैं तेरे साथ एक समझौता करने को तैयार हूँ। परन्तु इससे पहले, एक काम तुझे करना है। जब तू मुझसे मिलने आए, तो तू मेरी पत्नी मीकल शाऊल की पुत्री को लेकर आना।"
\s5
\v 14 तब दाऊद ने ईशबोशेत के पास दूत भेजे, कि उस ने कहा, "मैंने एक सौ पलिश्तियों को मार डाला और मीकल को अपनी पत्नी होने के लिए उनकी खलड़ियाँ शाऊल को भुगतान के रूप में दी। तो अब उसे मुझे सौंप दे!"
\p
\v 15 तब ईशबोशेत ने कुछ लोगों को भेजकर उसके पति पलतीएल से मीकल को लेने भेजा। परन्तु जब उन्होंने उसे ले लिया, तो उसका पति रोते हुए बहुरीम शहर तक उनका पीछा करता रहा।
\v 16 तब अब्नेर ने मुड़कर कहा, "घर वापस जा!" अतः वह लौट गया।
\p
\s5
\v 17 अब्नेर इस्राएली अगुवों के पास गया और उनसे बातें की। उसने कहा, "तुम चाहते थे कि दाऊद लम्बे समय तक तुम्हारा राजा बना रहे।
\v 18 तो अब तुम्हारे पास ऐसा होने का अवसर है। ध्यान रखें कि यहोवा ने यह प्रतिज्ञा की थी , 'दाऊद की सहायता से, जो मेरी अच्छी तरह से सेवा करता है, मैं अपने लोगों को सभी अन्य शत्रुओं की शक्ति से बचाऊँगा।'
\s5
\v 19 अब्नेर ने बिन्यामीन के गोत्र के लोगों से भी बातें की। तब वह दाऊद को यह बताने के लिए जो इस्राएल के सभी लोग और बिन्यामीन के गोत्र के लोग करने के लिए सहमत हुए थे हेब्रोन गया।
\p
\v 20 जब अब्नेर हेब्रोन में दाऊद को देखने के लिए अपने बीस सैनिकों के साथ आया, तब दाऊद ने उन सभी के लिए एक भोज किया।
\s5
\v 21 बाद में, अब्नेर ने दाऊद से कहा, "हे स्वामी, अब मैं इस्राएल के सभी लोगों को तेरे राजा बनने के लिए प्रोत्साहित करूँगा, जैसी तूने अभिलाषा रखी है।" तब अब्नेर कुशल से चला गया।
\p
\s5
\v 22 इसके तुरन्त बाद, योआब और दाऊद के कुछ अन्य सैनिक अपने शत्रु के गांवों में से एक पर हमला करने के बाद हेब्रोन लौट आए, और बहुत सा लूट का माल लाए परन्तु अब्नेर हेब्रोन में नहीं था, क्योंकि दाऊद पहले से ही उसे सकुशल भेज चुका था।
\v 23 जब योआब और उसके साथ रहने वाले सैनिक आए, तो किसी ने उसे बताया कि अब्नेर वहाँ आया था और उसने राजा से बातचीत की, और राजा ने अब्नेर को सकुशल जाने दिया।
\p
\s5
\v 24 तब योआब राजा के पास गया और कहा, "तूने ऐसा क्यों किया? मेरी बात सुन! अब्नेर तेरा शत्रु है, परन्तु जब वह तेरे पास आया, तो तूने उसे जाने दिया!
\v 25 क्या तू नहीं जानता कि वह तुझे धोखा देने और जो कुछ तू कर रहा है और तेरे आने-जाने का समय जानने के लिए आया था?"
\p
\v 26 योआब ने दाऊद को छोड़कर जाने के बाद, अब्नेर से मिलने के लिए कुछ दूत भेजे। उन्होंने उसे सीरा के कुएं के निकट पाया और वे उसे वापस हेब्रोन ले आए, परन्तु दाऊद को नहीं पता था कि उन्होंने ऐसा किया है।
\s5
\v 27 जब अब्नेर हेब्रोन लौट आया, तो योआब उसे नगर के द्वार पर मिला, और उससे एकान्त में बात करने के लिए एक अलग कक्ष में ले गया। तब उसने अपने चाकू के साथ अब्नेर के पेट में मारा। इस तरह उसने अब्नेर की हत्या कर दी क्योंकि अब्नेर ने योआब के भाई असाहेल को मार डाला था।
\p
\s5
\v 28 बाद में, दाऊद ने जो कुछ हुआ था सुनने के बाद कहा, "यहोवा जानते हैं कि मैं और मेरे राज्य के लोग अब्नेर के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
\v 29 मुझे आशा है कि सदैव उसके घराने में पीड़ित, कुष्ठ या स्त्रियों के काम को बाधित या लड़ाई में घात किया जानेवाला व्यक्ति है या ऐसा व्यक्ति जिसे खाने को पर्याप्त भोजन न मिला होगा!"
\p
\v 30 इसी प्रकार योआब और उसके भाई अबीशै ने अब्नेर की हत्या कर दी, क्योंकि उसने गिबोन में हुए युद्ध में उनके भाई असाहेल को मार डाला था।
\p
\s5
\v 31 तब दाऊद ने योआब और योआब के सैनिकों से कहा, "अपने कपडे फाड़ो और टाट पहनकर स्वयं का दुःख दर्शाओ और अब्नेर के लिए शोक करो!" और अंतिम संस्कार पर, राजा दाऊद शवपेटी उठानेवाले लोगों के पीछे चला।
\v 32 उन्होंने हेब्रोन में अब्नेर के शरीर को मिट्टी दी। और कब्र पर, राजा जोर से रोया, और अन्य सभी लोग भी रोए।
\p
\s5
\v 33 दाऊद ने अब्नेर के विषय शोक करने के लिए यह दुखद गीत गाया:
\q1 "यह सही नहीं है कि अब्नेर मूढ़ होकर मरे!
\q2
\v 34 न किसी ने उसके हाथ बांधे या उसके पैरों में बेड़ियाँ बाँधी, जैसा कि वे अपराधियों के साथ करते हैं।
\q1 ना ही, दुष्ट मनुष्यों द्वारा वह मारा गया! "
\p
\s5
\v 35 तब बहुत से लोग दाऊद के पास आए और उसे सूर्यास्त से पहले कुछ खाने के लिए कहा, परन्तु दाऊद ने इन्कार कर दिया। उसने कहा, "मुझे आशा है कि अगर सूर्य डूबने से पहले कोई खाए तो परमेश्वर मुझे मार डालें!"
\v 36 जो दाऊद ने किया, सभी लोगों ने देखा और वे प्रसन्न हुए। वास्तव में, राजा ने जो कुछ किया उससे लोग प्रसन्न थे।
\p
\s5
\v 37 इस प्रकार सभी लोगों ने जाना कि राजा नहीं चाहते थे कि अब्नेर मारा जाए।
\v 38 राजा ने अपने अधिकारियों से कहा, "क्या तुम नहीं जानते हो कि आज इस्राएल में एक अगुवे और एक महान व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है?
\v 39 भले ही यहोवा ने मुझे राजा नियुक्त किया, फिर भी मैं निर्बल अनुभव करता हूँ। योआब और अबीशै सरूयाह के ये दो पुत्र बहुत हिंसक हैं। मैं उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकता। इसलिए मुझे आशा है कि यहोवा इस दुष्ट कार्य के बदले उन्हें कठोरता से दण्ड देंगे!"
\s5
\c 4
\p
\v 1 जब शाऊल के पुत्र ईशबोशेत ने सुना कि अब्नेर हेब्रोन में मर गया है, तो वह और समस्त इस्राएली लोग बहुत निराश हो गए।
\v 2 ईशबोशेत के दो अधिकारी थे जो सैनिकों के समूह के अगुवे थे। वे दो भाई बाना और रेकाब थे; वे बेरोतवासी बिन्यामीन गोत्र के रिम्मोन के पुत्र थे। अब बेरोत उस क्षेत्र का भाग है जिसे बिन्यामीन गोत्र को सौंपा गया था।
\v 3 परन्तु बेरोत के मूल निवासी गित्तैम के नगर में भाग गए थे, जहाँ वे अभी भी रहते हैं।
\p
\s5
\v 4 शाऊल के पुत्र योनातान का एक पुत्र मपीबोशेत था। मपीबोशेत पाँच वर्ष का था जब शाऊल और योनातान युद्ध में मारे गए। जब लोग यिज्रेल से यह समाचार लाए, तो मपीबोशेत की दाई उसे उठा कर भाग गई, परन्तु वह इतना तेज़ दौड़ी कि उसने उसे गिरा दिया, और वह अपने पैरों से अपंग हो गया।
\p
\s5
\v 5 एक दिन, रेकाब और बाना अपने घर से ईशबोशेत के घर जाने के लिए निकले। वे वहाँ दोपहर के समय पहुँचे, जब ईशबोशेत दोपहर की झपकी ले रहा था।
\v 6 जो महिला द्वारपाल के रूप में सेवा कर रही थी वह गेहूँ को छान रही थी; परन्तु उसे नींद आ गई और वह सो गई। रेकाब और उसका भाई बाना धीरे-धीरे रेंगने में सक्षम थे।
\p
\v 7 उन्होंने ईशबोशेत के शयनकक्ष में प्रवेश किया, जहाँ वह सो रहा था। उन्होंने उसे तलवार से मार डाला और उसका सिर काट दिया। उन्होंने उसका सिर उठा लिया और यरदन के किनारे मैदान से होकर पूरी रात चले।
\s5
\v 8 वे ईशबोशेत का सिर हेब्रोन में दाऊद के पास ले गए। उन्होंने उससे कहा, "यहाँ तेरे शत्रु शाऊल के पुत्र ईशबोशेत का सिर है, जिसने तुझे मारने की कोशिश की थी। महाराज, आज यहोवा ने तुझे शाऊल और उसके वंशजों पर बदला लेने की अनुमति दी है!"
\p
\v 9 परन्तु दाऊद ने उन से कहा, "निश्चित रूप से यहोवा जीवित हैं-और वह वे हैं जिन्होंने मुझे सभी संकटों से बचा लिया है, मैं तुम्हे यह बताता हूँ:
\v 10 जब एक दूत सिकलाग से मेरे पास आया और मुझे बताया कि 'शाऊल मर चुका है!' (और उसने सोचा कि वह जो खबर मुझे दे रहा था वह अच्छी खबर थी), मैंने अपने सैनिकों में से एक को उसे मारने के लिए कहा। वह इनाम था जो मैंने उसे उनके समाचार के लिए दिया था!
\s5
\v 11 अतः तुम दोनों दुष्टों ने एक ऐसे व्यक्ति की हत्या कर दी है जिसने कुछ भी गलत नहीं किया - और जब वह अपने घर में अपने बिस्तर पर सो रहा था, तुमने उसे मार डाला, मैं तुम्हारे साथ उससे बुरा करूँगा। मैं उसकी हत्या का बदला तुम दोनों से अवश्य लूँगा, और तुम्हें धरती से मिटा दूँगा!"
\p
\v 12 तब दाऊद ने अपने सैनिकों को आज्ञा दी, और उन्होंने दोनों मनुष्यों को मार डाला, और उनके हाथों और पैरों को काट दिया, और हेब्रोन में पूल के पास एक खम्भे पर उनके शरीर को लटका दिया। परन्तु उन्होंने ईशबोशेत का सिर लिया और हेब्रोन में अब्नेर की कब्र में सम्मान से मिट्टी दी।
\s5
\c 5
\p
\v 1 तब इस्राएल के सभी गोत्रों के अगुवे हेब्रोन में दाऊद के पास आए और उससे कहा, "सुन, हम सब के एक ही पूर्वज हैं।
\v 2 अतीत में, जब शाऊल हमारा राजा था, तो तू ही था जिसने हमारे सैनिकों की युद्ध में अगुवाई की। तू ही है जिससे यहोवा ने प्रतिज्ञा की, 'तू मेरे लोगों का अगुवा बनेगा। तू उनका राजा होगा।'"
\p
\s5
\v 3 अतः जब यहोवा सुन रहे थे, तब इस्राएल के लोगों के उन सभी अगुवों ने हेब्रोन में यह घोषणा की कि दाऊद उनका राजा होगा। और दाऊद ने उनके साथ अनुबन्ध किया। उन्होंने उसे इस्राएलियों का राजा होने के लिए जैतून के तेल से अभिषेक किया।
\v 4 दाऊद तीस वर्ष का था जब वह राजा बन गया। उसने चालीस वर्षों तक उन पर शासन किया।
\v 5 हेब्रोन में उसने यहूदा के गोत्र पर साढ़े सात सालों तक शासन किया था, और यरूशलेम में उसने यहूदा और इस्राएल के सभी लोगों पर तीस साल तक शासन किया।
\p
\s5
\v 6 एक दिन राजा दाऊद और उसके सैनिक यरूशलेम में रहने वाले यबूसी लोगों के समूह से लड़ने के लिए गए। वहाँ लोगों ने सोचा कि दाऊद की सेना शहर पर अधिकार करने में सक्षम नहीं होगी, इसलिए उन्होंने दाऊद से कहा, "तेरी सेना कभी भी हमारे शहर के भीतर नहीं जा पाएगी! यहाँ तक कि अंधे और अपंग लोग भी तुम्हे रोक सकते हैं!"
\v 7 परन्तु दाऊद की सेना ने सिय्योन पर्वत के किले पर अधिकार कर लिया; बाद में यह दाऊद शहर के रूप में जाना गया।
\s5
\v 8 उस दिन, दाऊद ने अपने सैनिकों से कहा, "जो यबूसी लोगों से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें शहर में प्रवेश करने के लिए पानी की सुरंग से होकर जाना पड़ेगा। यही वह जगह है जहाँ मेरे शत्रु भी हैं, यहाँ तक कि मेरे अंधे और अपंग शत्रु भी हैं'।" यही कारण है कि लोग कहते हैं, "जो लोग 'अंधे और अपंग' हैं, उन्हें दाऊद के महल में जाने की अनुमति नहीं है।"
\p
\v 9 दाऊद और उसके सैनिकों ने शहर के चारों ओर उसकी मजबूत दीवारों के साथ अपने अधिकार में कर लिया, तब वह वहाँ रहा, और उन्होंने इसे दाऊदशहर का नाम दिया। दाऊद और उसके सैनिकों ने किले के चारों ओर शहर का निर्माण किया, जहाँ से पहाड़ी के पूर्वी हिस्से में भरपूर भूमि थी।
\v 10 दाऊद और भी शक्तिशाली होता गया क्योंकि स्वर्गदूतों की सेनाओं के यहोवा उसकी सहायता कर रहे थे।
\p
\s5
\v 11 एक दिन सोर शहर के राजा हीराम ने अपने देशों के बीच एक समझौता करने के बारे में बातें करने के लिए दाऊद को राजदूत भेजे। हीराम लकड़ी के लिए देवदार के पेड़ उपलब्ध कराने पर सहमत हुआ, और दाऊद के लिए महल बनाने के लिए बढ़ई और राजमिस्त्रियों को भेजने के लिए भी सहमत हुआ।
\v 12 क्योंकि हीराम ने ऐसा किया, दाऊद को अनुभव हुआ कि यहोवा ने उसे सचमुच इस्राएल के राजा के रूप में नियुक्त किया था। उसने यह भी अनुभव किया कि यहोवा ने इस्राएलियों से प्रेम और यहोवा की प्रजा होने के कारण, मेरी सामर्थ्य को बढ़ाया है।
\p
\s5
\v 13 जब दाऊद हेब्रोन से यरूशलेम गया , तो उसने और कई दासियों को पत्नी बनाया, और उसने अन्य महिलाओं से भी विवाह किया। उन सभी महिलाओं ने अधिक पुत्र और पुत्रियों को जन्म दिया।
\v 14 यरूशलेम में पैदा हुए उसके पुत्रों के नाम शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान,
\v 15 यिभार, एलोशु, नेपेग, यापी,
\v 16 एलिशामा, एल्यादा, और एलीपेलेत।
\p
\s5
\v 17 जब पलिश्ती लोगों ने सुना कि दाऊद को इस्राएल का राजा बनाया गया है, तो उनकी सेना यरूशलेम की ओर दाऊद को पकड़ने निकली। दाऊद ने उनके आने की बात सुनी, इसलिए वह एक किले में चला गया।
\v 18 पलिश्ती की सेना यरूशलेम के दक्षिण-पश्चिम में रपाईम की घाटी पर पहुँची और उसके भीतर फैल गई।
\s5
\v 19 दाऊद ने यहोवा से पूछा, "क्या मैं और मेरे पुरुष पलिश्ती सेना पर हमला करें? क्या हम उन्हें पराजित कर पाएँगे?" यहोवा ने उत्तर दिया, "हाँ, उन पर हमला करो, क्योंकि मैं निश्चित रूप से उनकी सेना को पराजित करूँगा।"
\p
\v 20 तब दाऊद और उसकी सेना वहाँ गई जहाँ पलिश्ती सेना थी, और वहाँ उन्होंने उन्हें पराजित किया। दाऊद ने कहा, "यहोवा मेरे शत्रुओं पर जलधाराओं के समान टूट पड़ें।" अत: उस जगह को बाल परासीम कहा जाता है।
\v 21 पलिश्ती पुरुषों ने अपनी मूर्तियों को वहाँ छोड़ दिया, और दाऊद और उसके सैनिकों ने उन्हें उठा लिया।
\p
\s5
\v 22 तब पलिश्ती सेना रपाईम की घाटी में लौट आई और एक बार फिर घाटी में फैल गई।
\v 23 इसलिए फिर दाऊद ने यहोवा से पूछा कि क्या उसकी सेना पर हमला करना चाहिए। यहोवा ने उत्तर दिया, "उन पर हमला मत करो। अपने लोगों को उनके चारों ओर जाने के लिए कहो और शहतूत के पेड़ों के पास दूसरी तरफ से हमला करो।
\s5
\v 24 जब तुम शहतूत के पेड़ों के शीर्ष की ओर से सेना की आहट सुने तब उन पर हमला करना। तब तुझे पता चलेगा कि उनकी सेना को पराजित करने के लिए तेरी सेना के आगे आगे मैं जा चुका होऊँगा।"
\v 25 तब दाऊद ने जो यहोवा ने उसे करने के लिए कहा था किया, और उसकी सेना ने पलिश्ती सेना को पराजित कर दिया और उसका गेबा शहर से पश्चिम में गेजेर शहर तक पीछा किया।
\s5
\c 6
\p
\v 1 दाऊद ने तीस हजार इस्राएली पुरुषों को चुना और उन्हें इकट्ठा किया।
\v 2 वह उन्हें यहूदा में उस स्थान पर ले गया जिसे पूर्व में बालह कहा जाता था, जिसे अब किर्याथ यारीम कहा जाता है। वे पवित्र संदूक को यरूशलेम में लाने के लिए गए, जिस संदूक पर स्वर्दूतों की सेनाओं के यहोवा का नाम था, और उसके ऊपर पंख वाले प्राणियों की आकृतियाँ बनी थी। उन प्रतिमाओं के बीच जहाँ यहोवा स्वयं उपस्थित थे, हालांकि वे अदृश्य थे।
\s5
\v 3 पवित्र संदूक एक पहाड़ी के शीर्ष पर अबीनादाब के घर में था। वे वहाँ गए, और संदूक को एक नई गाड़ी पर रख दिया। उज्जा और अह्ह्यो, अबीनादाब के दो पुत्र, गाड़ी खींच रहे बैलों का मार्गदर्शन कर रहे थे।
\v 4 उज्जा गाड़ी के साथ चल रहा था, और अह्ह्यो उसके आगे चल रहा था।
\v 5 दाऊद और सब इस्राएली पुरुष परमेश्वर की उपस्थिति में, अपनी सारी ताकत के साथ गाते हुए और लकड़ी से बने वीणा, सितार, डफ, करताल और झांझ आदि बजाकर उत्सव मना रहे थे।
\p
\s5
\v 6 परन्तु जब वे उस स्थान पर आए जहाँ नाकोन अनाज को छानता था, तो बैलों ने ठोकर खाई। तब उज्जा ने अपना हाथ बढ़ाकर पवित्र संदूक को संभाला।
\v 7 यहोवा उज्जा से बहुत गुस्सा हो गए, और उसे पवित्र संदूक के पास मार डाला, क्योंकि उसने संदूक को छुआ था।
\p
\s5
\v 8 परन्तु दाऊद क्रोधित था क्योंकि यहोवा ने उज्जा को दंडित किया, उस समय से, उस स्थान को पेरे उज्जा कहा गया।
\p
\v 9 तब दाऊद डर गया कि यहोवा उन्हें दंडित करने के लिए और क्या करेंगे, इसलिए उसने कहा, "मैं यरूशलेम में पवित्र संदूक कैसे ले जा सकता हूँ?"
\s5
\v 10 इसलिए उसने यरूशलेम में पवित्र संदूक न लाने का फैसला किया। इसके बजाय, इसे गित्ति ओबेद एदोम के घर ले गया।
\v 11 उन्होंने ओबेद एदोम के घर में पवित्र संदूक को तीन महीने तक रखा, और उस समय के अंतराल में यहोवा ने उसे और उसके परिवार को आशीष दी।
\p
\s5
\v 12 कुछ समय बाद, लोगों ने दाऊद से कहा, "यहोवा ने ओबेद एदोम और उसके परिवार को आशीष दी है क्योंकि वह पवित्र संदूक का ध्यान रखता है!" जब दाऊद ने यह सुना, तो वह और कुछ अन्य लोग ओबेद एदोम के घर गए, और आनंदपूर्वक पवित्र संदूक वहाँ से यरूशलेम ले आए।
\v 13 जब संदूक को उठानेवाले छह कदम चलकर रुक गए, तब दाऊद ने वहाँ एक बैल और मोटे बछड़े को मारकर यहोवा के सम्मुख बलि चढ़ाई।
\s5
\v 14 दाऊद अपने कमर के चारों ओर लिपटे सन का कपड़ा पहने हुए था, और यहोवा का सम्मान करने के लिए बहुत ऊर्जावान नृत्य कर रहा था।
\v 15 दाऊद और इस्राएली लोग पवित्र संदूक को यरूशलेम ले आए, जोर से चिल्लाते हुए और तुरही बजाते हुए।
\p
\s5
\v 16 जब वे पवित्र संदूक को शहर में ले जा रहे थे, तब मीकल शाऊल की बेटी ने अपने घर की खिड़की से देखा। उसने देखा राजा दाऊद यहोवा का सम्मान करने के लिए उछल-उछल कर नाच रहा है। परन्तु उसने उसे तुच्छ माना।
\p
\v 17 वे पवित्र संदूक को उस तम्बू में ले गए जो दाऊद ने इसके लिए बनाया था। तब दाऊद ने यहोवा की भेंट पूरी तरह से वेदी पर जलने, और अन्य भेंट यहोवा के साथ दोस्ती करने की प्रतिज्ञा के रूप में चढ़ाई।
\s5
\v 18 जब दाऊद ने उन बलिदानों को पूरा किया, तो उन्होंने स्वर्दूतों की सेनाओं के यहोवा से लोगों के लिए आशीष माँगी।
\v 19 उन्होंने सभी लोगों को भोजन भी वितरित किया। प्रत्येक पुरुष और महिला के लिए उसने रोटी, कुछ मांस और किशमिश की एक टिकिया बाँटी। तब वे सब अपने घर लौट आए।
\p
\s5
\v 20 जब दाऊद यहोवा से अपने परिवार की आशीष माँगने के लिए घर गया, तो उसकी पत्नी मीकल उससे मिलने आईं। उसने उससे कहा, "संभव है कि इस्राएल का राजा सोचता है कि आज उसने सम्मानित ढंग से अभिनय किया, परन्तु वास्तव में, तूने मूर्ख के समान अभिनय किया। तू अपने अधिकारियों की दासियों के सामने लगभग नग्न था!"
\p
\s5
\v 21 दाऊद ने मीकल से कहा, "मैं यहोवा का सम्मान करने के लिए ऐसा कर रहा था, जिन्होंने तेरे पिता और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा मुझे इस्राएल के लोगों का राजा बनने के लिए चुना, जो यहोवा के हैं। और यहोवा का सम्मान करने के लिए नाचता रहूँगा !
\v 22 भले ही तू सोचती है कि मैंने जो किया वह अपमानजनक था, मैं ऐसा करता रहूँगा क्योंकि मैं स्वयं की दृष्टि में मूर्ख बनने को तैयार हूँ। परन्तु जिन दासियों के बारे में तू बात कर रही थी, वे मेरा सम्मान करेंगी!"
\p
\v 23 परिणामतः शाऊल की बेटी ने कभी भी किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया।
\s5
\c 7
\p
\v 1 राजा अपने महल में रहने लगा। अब तक यहोवा ने शत्रुओं को इस्राएल पर हमला करने से विश्राम दिया था।
\v 2 एक दिन दाऊद ने नातान नबी से कहा, "यह सही नहीं है कि मैं देवदार की लकड़ी से बने खूबसूरत घर में रहूँ, परन्तु संदूक जिसमें परमेश्वर की दस आज्ञाएँ हैं, को तम्बू में रखा जाए!"
\p
\s5
\v 3 तब नातान ने राजा से कहा, "यहोवा तेरी सहायता कर रहे हैं, इसलिए पवित्र संदूक के बारे में जो भी तुझे सही लगता है कर।"
\p
\v 4 उस रात, यहोवा ने नातान से कहा:
\v 5 "जा और मेरे दास दाऊद से कह, कि यहोवा यह कहता है: तू वह नहीं है जो मेरे रहने के लिए भवन का निर्माण करेगा।
\s5
\v 6 जिस दिन से मैं इस्राएलियों को मिस्र से निकाल कर लाया, उस दिन से मैं किसी भी भवन में नहीं रहा हूँ। इसके बजाय, मैं एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने पवित्र तम्बू में घूमता रहा।
\v 7 मैं इस्राएलियों के साथ जहाँ भी गया, मैंने उन अगुवो को जिनकी मैंने उनकी अगुवाई करने के लिए अभिषिक्त किया, कभी नहीं कहा। 'तुमने मेरे लिए देवदार की लकड़ी से बना मन्दिर क्यों नहीं बनाया?'
\s5
\v 8 तो मेरे दास दाऊद से कहो कि स्वर्गदूतों की सेनाओं का यहोवा कहते हैं कि उन्होंने उसे चरागाह से और भेड़ों की देखभाल करने से निकाला, और उसे मेरी इस्राएली प्रजा का शासक बनने के लिए नियुक्त किया।
\v 9 उसे स्मरण करा कि जहाँ भी वह गया, मैं उसके साथ रहा हूँ। मैंने उसको सभी शत्रुओं से छुटकारा दिलाया जिन्होंने उस पर हमला किया। मैं तुझे बहुत प्रसिद्ध बना दूँगा, साथ ही उसको पृथ्वी पर रहनेवाले महान लोगों के समान महान बना दूँगा।
\s5
\v 10-11 पूर्व में, जब मैंने इस्राएली लोगों के लिए अगुवों को नियुक्त किया, तब कई हिंसक समूहों ने उन्हें पीड़ित किया। परन्तु ऐसा अब और नहीं होगा। मैंने एक ऐसा स्थान चुना है जहाँ मेरे लोग शान्ति से रह सकें और जहाँ कोई भी उन्हें परेशान नहीं करेगा। मैं उनके सभी शत्रुओं का हमला करना बंद करवा दूँगा। और मैं उनके सभी शत्रुओं को पराजित करूँगा। दाऊद से कहो कि मैं घोषणा करता हूँ कि मैं, यहोवा, उसके वंशजों को उसके बाद शासन करने में सक्षम बनाऊँगा।
\s5
\v 12 जब वह मर जाए और उसे मिट्टी दी जाए, तो मैं उसके पुत्रों में से एक को राजा बनाऊँगा, और मैं उसे एक बहुत शक्तिशाली राजा बनाऊँगा।
\v 13 वही है जो मेरे लिए एक मन्दिर बनाने की व्यवस्था करेगा। मैं इस्राएल पर उसका शासन सर्वदा के लिए स्थापित करूँगा।
\v 14 मैं उसके पिता के समान ठहरूँगा , और वह मेरे लिए एक पुत्र के समान होगा। जब वह कुछ गलत करता है, तो मैं उसे दण्ड दूँगा जैसे पिता अपने बेटों को दंडित करता है।
\s5
\v 15 परन्तु मैं कभी भी उस से प्रेम करना बंद नहीं करूँगा जैसा मैंने शाऊल से प्रेम करना बंद कर दिया था, जिसे मैंने दाऊद के राजा बनने से पहले राजा के पद से हटा दिया था।
\v 16 दाऊद के वंशज सदैव इस्राएल के राज्य पर शासन करेंगे। उनका शासन कभी समाप्त नहीं होगा।"
\p
\v 17 तब नातान ने दाऊद को यहोवा ने जो कुछ कहा सब बताया।
\p
\s5
\v 18 जब दाऊद ने नातान के संदेश को सुना, तो वह पवित्र तम्बू में गया और यहोवा की उपस्थिति में बैठ गया, और प्रार्थना की: "यहोवा मेरे परमेश्वर, मैं उन सभी बातों के योग्य नहीं हूँ जो आपने मेरे लिए किए हैं, और मेरा परिवार भी योग्य नहीं है।
\v 19 और अब, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, जो कुछ आपने मेरे वंशजों के भविष्य के विषय में कहा है कई पीढ़ियों तक के विषय उसके अलावा।
\v 20 हे यहोवा परमेश्वर, इससे अधिक मुझे आदर देने के लिए दाऊद आपसे क्या कह सकता है? यद्यपि आप भली भांति जानते हैं कि मैं कैसा हूँ, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण इंसान के समान आपने मेरी सुधि ली!
\s5
\v 21 आपने ये सब महान कार्य मुझे सीखाने के लिए किए, और आपने उन्हें इसलिए किया क्योंकि आप उन्हें करना चाहते थे और क्योंकि आपने उन्हें करने का फैसला किया था।
\v 22 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, आप महान हैं। आप जैसा कोई भी नहीं है। केवल आप ही परमेश्वर हो, जैसा हमने सदैव सुना है।
\v 23 और इस्राएल के समान संसार में कोई अन्य राष्ट्र नहीं है। इस्राएल धरती पर एकमात्र राष्ट्र है जिसको छुड़ाने आप स्वयं गए, क्योंकि आपने उन्हें मिस्र से छुड़ाया था। तब आपने उनको अपना निज भाग बनाया और इन सभी कार्यों के द्वारा, अब आप पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। जैसे आपके लोग इस देश से आगे बढ़े, आपने अन्य समूहों को उनके देवताओं समेत कनान से खदेड़ दिया ।
\s5
\v 24 आपने हम इस्राएलियों को सर्वदा के लिए अपने लोगों के रूप में ठहराया, और यहोवा, आप हमारे परमेश्वर बन गए!
\v 25 और अब, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे कार्य जिनकी प्रतिज्ञा आपने मेरे वंशजों के विषय की है वे सच हो जाएँ और सर्वदा सच रहें, और आप उन चीजों को करें जो आपने कहा था कि आप करेंगे।
\v 26 जब ऐसा होता है, तो आप सर्वदा के लिए प्रसिद्ध हो जाएँगे, और लोग कहेंगे, 'स्वर्गदूतों की सेनाओं के यहोवा, वह परमेश्वर हैं जो इस्राएल पर शासन करते हैं।' और आप मेरे वंशजों के शासन का कारण बनेंगे।
\s5
\v 27 यहोवा परमेश्वर, जिनकी हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं, आपने मुझे दर्शाया है कि आप मेरे कुछ वंशजों को राजा बनाएँगे यही कारण हैं कि मुझे आपसे इस तरह प्रार्थना करने का साहस हुआ है ।
\v 28 तो हे यहोवा, क्योंकि आप परमेश्वर हैं, हम भरोसा कर सकते हैं कि आप जो भी वादा करते हैं वह करेंगे। आपने मुझसे इन अच्छी बातों का वादा किया है।
\v 29 इसलिए अब मैं आपसे माँगता हूँ कि यदि यह आपको प्रसन्न करता है, तो आप मेरे वंशजों को आशीष दें, ताकि वे हमेशा के लिए शासन कर सकें। हे यहोवा परमेश्वर, आपने इन बातों का वादा किया है, इसलिए मुझे पता है कि यदि आप यह बातें करते हैं, तो आप मेरे वंशजों को सर्वदा आशीष देंगे।"
\s5
\c 8
\p S5
\p
\v 1 कुछ समय बाद, दाऊद की सेना ने पलिश्ती सेना पर हमला किया और उन्हें पराजित किया। उन्होंने गत के पलिश्ती शहर और उसके आस-पास के गांवों पर अधिकार कर लिया।
\p
\s5
\v 2 दाऊद की सेना ने मोआब लोगों के समूह की सेना को भी हराया। दाऊद ने उनके सैनिकों को एक दूसरे के समीप भूमि पर लेटने के लिए मजबूर कर दिया। उसके पुरुषों ने उनमें से प्रत्येक तीन में से दो को मार डाला। मोआब के अन्य लोगों को दाऊद को अपना शासक स्वीकार करने के लिए मजबूर किया, और उन्हें हर साल कर देने के लिए मजबूर किया।
\p
\s5
\v 3 दाऊद की सेना ने रहोब के पुत्र हददेजर की सेना को भी पराजित किया, जो आराम में सोबा के क्षेत्र पर शासन करता था। ऐसा तब हुआ जब वह फरात नदी के ऊपरी क्षेत्र पर पुनः सत्ता स्थापित करने की कोशिश कर रहा था।
\v 4 दाऊद की सेना ने हददेजर के रथ चलानेवाले 1700 सैनिकों और बीस हज़ार पैदल सिपाहियों को बंधक बना लिया। उन्होंने सौ घोड़ों को छोड़कर सभी को अपंग कर दिया, और जिनका उपयोग रथ खींचने के लिए होगा।
\p
\s5
\v 5 जब आराम की सेना दमिश्क के नगर से राजा हददेजर की सेना की सहायता करने के लिए आई, तब दाऊद के सैनिकों ने उनमें से बाईस हजार लोगों की हत्या कर दी।
\v 6 तब दाऊद ने अपने सैनिकों के समूह की चौकी उनके क्षेत्र में बनाई, और आराम के लोगों को दाऊद को उनके शासक स्वीकार करने के लिए मजबूर किया, और हर साल दाऊद की सरकार को श्रद्धांजलि के पैसे का भुगतान करने के लिए मजबूर किया। और यहोवा ने दाऊद की सेना को जहाँ भी वे गए जीतने में सक्षम बनाया।
\p
\s5
\v 7 राजा दाऊद के सैनिकों ने हददेजर के अधिकारियों की सोने की ढालें भी ले लीं, और उन्हें यरूशलेम ले आए।
\v 8 वे तेबह और बरौत से प्राप्त बहुत सा कांसा यरूशलेम ले आए, इन्ही दो नगरों पर राजा हददेजर ने पहले शासन किया था।
\p
\s5
\v 9 जब आराम में हमात शहर के राजा तोई ने सुना, कि दाऊद की सेना ने राजा हददेजर की सारी सेना को हरा दिया,
\v 10 उसने राजा दाऊद के अभिवादन के लिए अपने बेटे योराम को भेजा और उसकी सेना द्वारा हददेजर की सेना को हराने की बधाई दी, जिसके साथ तोई की सेना कई बार लड़ी थी। योराम दाऊद के लिए सोने, चाँदी और कांस्य से बने कई उपहार लाया।
\p
\s5
\v 11 राजा दाऊद ने उन सभी वस्तुओं को यहोवा को समर्पित किया। उसने चाँदी और सोना भी समर्पित किया जिन्हें उसकी सेना ने उन जीते हुए राष्ट्रों से लिया था।
\v 12 उन्होंने ये वस्तुएँ अदोम और मोआब के लोगों के समूह से, अम्मोन से, पलिश्ती से, अमालेक से निकले लोगों और उन लोगों से, जिनपर हददेजर ने पहले शासन किया था, प्राप्त किया था।
\p
\s5
\v 13 जब दाऊद आराम की सेनाओं को पराजित करने के बाद लौटा, तब वह और अधिक प्रसिद्ध हो गया क्योंकि उसकी सेना ने मृत सागर के पास नमक की घाटी में अदोम लोगों के समूह के अठारह हजार सैनिकों की हत्या कर दी थी।
\p
\v 14 दाऊद ने अदोम के पूरे इलाके में अपने सैनिकों के समूह की चौकियाँ बनाईं, और वहाँ लोगों को खुद को राजा स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। यहोवा ने दाऊद की सेना को जहाँ भी वे गए लड़ाई जीतने में सक्षम बनाया।
\p
\s5
\v 15 दाऊद ने सभी इस्राएली लोगों पर शासन किया, और उसने सदैव उनके लिए उचित और न्यायसंगत काम किया
\v 16 योआब सेना का प्रधान था। अहिलूद का पुत्र यहोशापात वह व्यक्ति था जो दाऊद की आज्ञाएँ लोगों तक पहुँचाता था।
\v 17 अहितूब का पुत्र सादोक और अब्यातार का पुत्र अहीमेलेक याजक थे। सरायाह आधिकारिक सचिव था;
\v 18 यहोयादा का पुत्र बनायाह दाऊद के अंगरक्षकों का प्रधान था, और दाऊद के पुत्र उसके सलाहकार थे।
\s5
\c 9
\p
\v 1 एक दिन दाऊद ने अपने कुछ सेवकों से पूछा, "क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो शाऊल का वंशज है जिस पर मै कृपा कर सकता हूँ?" उसने यह पूछा क्योंकि वह योनातान से प्रेम करता था।
\p
\v 2 उन्होंने उसे बताया कि यरूशलेम में सीबा नाम का एक व्यक्ति था जो शाऊल के परिवार का सेवक था। इसलिए दाऊद ने सीबा को बुलाने के लिए दूत भेजे। जब वह पहुँचा, तो राजा ने उससे पूछा, "क्या तू सीबा है?" उसने जवाब दिया, "हाँ महाराज मैं ही हूँ।"
\p
\s5
\v 3 राजा ने उससे पूछा, "क्या शाऊल के परिवार में कोई है जिस पर मै कृपा कर सकता हूँ, जैसा कि मैंने यहोवा परमेश्वर से वादा किया था कि मैं करूँगा?" सीबा ने उत्तर दिया, "हाँ, योनातान का एक पुत्र है जो अभी भी जीवित है। उसके पाँव अपंग हैं।"
\p
\v 4 राजा ने उससे पूछा, "वह कहाँ है?" सीबा ने उत्तर दिया, "वह यरदन नदी के पूर्व लो देबर शहर में अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर में रहता है।"
\p
\s5
\v 5 तब राजा दाऊद ने मपीबोशेत को यरूशलेम में लाने के लिए दूत भेजे।
\p
\v 6 जब मपीबोशेत दाऊद के पास आया, तो वह आदर सहित भूमि पर घुटने टेककर मुँह के बल गिरा। तब दाऊद ने कहा, "मपीबोशेत!" उसने जवाब दिया, "हाँ, महाराज, मैं तेरी सेवा कैसे कर सकता हूँ?"
\p
\s5
\v 7 दाऊद ने उससे कहा, "डर मत। मैं तुझ पर दयालु रहूँगा क्योंकि योनातान तेरा पिता मेरा मित्र था। मैं तुझे तेरे अपने दादा शाऊल की सारी भूमि वापस दूँगा। और मैं चाहता हूँ कि तू हमेशा मेरे घर में मेरे साथ खाए।"
\p
\v 8 मपीबोशेत दाऊद के सामने फिर झुका और कहा, "महोदय, मैं एक मृत कुत्ते के समान बेकार हूँ। मैं इस योग्य नहीं हूँ कि तू मुझ पर दया करे!"
\p
\s5
\v 9 तब राजा ने शाऊल के दास सीबा को बुलाया और कहा, "शाऊल तेरा स्वामी था, और अब मैं शाऊल और उसके परिवार का सब कुछ मपीबोशेत को दे रहा हूँ।
\v 10 तू और तेरे पंद्रह पुत्र और बीस सेवक मपीबोशेत के परिवार की भूमि पर हल चलाकर फसल उगाना और खेती करना, कि उनके खाने के लिए भोजन हो। परन्तु मपीबोशेत मेरे घर पर मेरे साथ भोजन करेगा।"
\p
\s5
\v 11 सीबा ने राजा से कहा, "हे महाराज, मैं वह सब कुछ करूँगा जो तूने मुझे करने का आदेश दिया है।" उसके बाद, मपीबोशेत सदैव राजा की मेज पर भोजन करने लगा, जैसे कि वह राजा के पुत्रों में से एक था।
\p
\v 12 मपीबोशेत का मिका नामक एक छोटा पुत्र था। सीबा का परिवार मपीबोशेत का सेवक था।
\v 13 तब मपीबोशेत, जो दोनों पैरों से अपंग था, यरूशलेम में रहने लगा, और वह सदैव राजा की मेज पर भोजन करने लगा।
\s5
\c 10
\p
\v 1 कुछ समय बाद, अम्मोन लोगों के समूह के राजा नाहाश की मृत्यु हो गई; तब उसका बेटा हानून उनका राजा बन गया।
\v 2 दाऊद ने सोचा, "नाहाश मुझ पर दयालु था, इसलिए मैं उसके बेटे के प्रति दयालु रहूँगा।" इसलिए दाऊद ने हानून को यह बताने के लिए कुछ अधिकारियों को भेजा कि दाऊद को खेद है कि हानून के पिता की मृत्यु हो गई।
\p जब दूत अम्मोन देश में पहुँचे,
\v 3 अम्मोनियों के अगुवों ने हानून से कहा, "क्या तुझको लगता है कि यह तेरे पिता का सम्मान करना है कि दाऊद ने इन लोगों को यह कहने के लिए भेजा है कि उसे खेद है कि तेरे पिता की मृत्यु हो गई? हमें लगता है कि उसने उन्हें यहाँ शहर का भेद लेने के लिए भेजा है कि उसकी सेना हम पर कैसे विजय प्राप्त कर सकती है!"
\s5
\v 4 हानून ने उनके कहने पर विश्वास किया। इसलिए उसने कुछ सैनिकों को दाऊद के अधिकारियों को पकड़ने और उनकी दाढ़ी को एक तरफ से काटकर और उनके वस्त्रों के निचले भाग को काटकर उनका अपमान करने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनके नितंब उघड़ जाएँ, और फिर उन्होंने उन्हें भेज दिया।
\p
\v 5 पुरुषों को बहुत अपमानित किया गया था, इसलिए वे घर लौटना नहीं चाहते थे। जब दाऊद को अपने अधिकारियों के साथ जो हुआ, उसके विषय पता चला, तो उसने किसी को उन्हें यह बताने के लिए भेजा, "जब तक तुम्हारी दाढ़ी फिर से बढ़ न जाए तब तक यरीहो में रहें, और फिर घर लौट जाएँ।"
\p
\s5
\v 6 तब अम्मोनियों के अधिकारियों ने अनुभव किया कि उन्होंने दाऊद का बहुत अपमान किया था। इसलिए उन्होंने कुछ लोगों को उनकी सुरक्षा के लिए अन्य आस-पास के इलाकों से कुछ सैनिकों को किराए पर लेने के लिए भेजा। उन्होंने बेत रहोब के इलाके से बीस हजार सैनिकों को और इस्राएल के पूर्वोत्तर सोबा और तोब के क्षेत्र से बारह हजार सैनिक, और माका के क्षेत्र के राजा की सेना से एक हजार सैनिकों को वेतन पर बुलवाया।
\p
\v 7 जब दाऊद ने इसके विषय सुना, तो उसने योआब को उन सभी इस्राएली सेनाओं के साथ लड़ने के लिए भेजा।
\v 8 अम्मोनियों के सैनिक अपने शहर के द्वार से बाहर आए और युद्ध के लिए तैयार होकर एक पंक्ति में खड़े हो गए। साथ ही, जिन विदेशी सैनिकों को उनके राजा ने वेतन पर बुलवाया था, उन्होंने पास के खुले मैदानों में स्वयं को समूहबद्ध किया।
\p
\s5
\v 9 योआब ने देखा कि उसके सैन्य दल के सामने और उसके सैनिकों के पीछे शत्रु सैनिक थे। इसलिए उसने कुछ सर्वश्रेष्ठ इस्राएली सैनिकों को चुना, और उन्हें मैदानों में सैनिकों के विरुद्ध लड़ने के लिए नियुक्त किया।
\v 10 उसने अपने भाई अबीशै को अन्य सैनिकों को आदेश देने के लिए सौंपा, जो लोग अपने नगर के द्वार के सामने अम्मोनियों के सैनिकों का सामना कर रहे थे।
\s5
\v 11 तब योआब ने कहा, "यदि आराम के सैनिक पराजित करने के लिए हम पर भारी पड़ें, तो तेरे लोग मेरी सहायता करने को तत्पर रहें। परन्तु यदि अम्मोनियों के सैनिक तुझ पर भारी पड़ें, तो हम तेरे लोगों की सहायता करने को तत्पर रहेंगे।
\v 12 हमें दृढ़ रहना चाहिए और हमारे लोगों और हमारे परमेश्वर के शहरों की रक्षा करने के लिए दृढ़ता से लड़ना चाहिए। मैं प्रार्थना करूँगा कि यहोवा वही करें जो उन्हें उचित लगता है।"
\p
\s5
\v 13 तब योआब और उसकी सेना ने आराम की सेना पर हमला किया, और आरामी उनके सामने से भाग निकले।
\v 14 जब अम्मोनियों ने देखा कि आरामी भाग रहे हैं, तब वे भी अबीशै और उसके लोगों के सामने से भागने लगे; वे पीछे हटकर शहर में घुस गए। तब योआब और उसकी सेना ने उस स्थान को छोड़ दिया और यरूशलेम लौट गए।
\p
\s5
\v 15 आराम की सेना के अधिकारियों ने देखा कि इस्राएलियों ने उन्हें पराजित कर दिया है, उन्होंने अपने सभी सैन्य दलों को एक साथ इकट्ठा किया।
\v 16 उनके राजा, हददेजर ने आराम के सैनिकों को बुलाया जो फरात नदी के पूर्व की ओर रहते थे। वे हेलाम शहर में इकट्ठे हुए। उनका सेनाध्यक्ष शोबाक था।
\p
\s5
\v 17 जब दाऊद ने उस के विषय सुना, तो उसने सभी इस्राएली सैनिकों को इकट्ठा किया, और यरदन नदी पार कर हेलम पहुँचा। वहाँ अराम की सेना तैनात थी, और लड़ाई शुरू हो गयी।
\v 18 परन्तु आरामी इस्राएलियों के सैनिकों के सामने से भाग निकले। दाऊद और उसकी सेना ने उनके सात रथ सैनिकों और चालीस हजार अन्य सैनिकों की हत्या कर दी। उन्होंने उनके सेनाध्यक्ष शोबाक को भी घायल कर दिया, और वह वहाँ मर गया।
\v 19 जब हददेजर के सभी राजाओं ने यह अनुभव किया कि इस्राएल ने उन्हें पराजित किया है, तो उन्होंने इस्राएलियों के साथ शान्ति बनाई और दाऊद को उनके राजा के रूप में स्वीकार करने पर सहमति व्यक्त की। आरामी अब अम्मोनियों की सहायता करने के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि वे इस्राएल से डरते थे।
\s5
\c 11
\p
\v 1 उस क्षेत्र में, राजा आमतौर पर वसंत ऋतु में अपने शत्रुओं से लड़ने के लिए अपनी सेनाओं के साथ निकला करते थे। परन्तु अगले वर्ष, वसंत ऋतु में, दाऊद ने ऐसा नहीं किया। इसकी अपेक्षा, वह यरूशलेम में रहा, और उसने सेना का नेतृत्व करने के लिए अपने सेनाध्यक्ष योआब को भेजा। योआब अन्य अधिकारियों और बाकी इस्राएली सेना के साथ गया। उन्होंने यरदन नदी पार कर अम्मोन लोगों के समूह की सेना को हराया। तब उन्होंने उनकी राजधानी शहर, रब्बा को घेर लिया।
\p
\s5
\v 2 देर दोपहर, दाऊद एक छोटी सी नींद से उठने के बाद, अपने महल की सपाट छत पर टहल रहा था। उसने एक औरत को देखा जो अपने घर के आंगन में स्नान कर रही थी। महिला बहुत सुंदर थी।
\v 3 दाऊद ने यह पता लगाने के लिए एक संदेशवाहक भेजा कि वह कौन है। दूत वापस लौटे और कहा, "वह बतशेबा है। वह एलीआम की पुत्री है, और उसका पति ऊरिय्याह है जो हित्ती लोगों के समूह का है।"
\p
\s5
\v 4 तब दाऊद ने उसे पाने के लिए और दूत भेजे। वे उसे दाऊद के पास लाए, और वह उसके साथ सो गया। (उसने अपने मासिक धर्म के अवधि के बाद स्वयं को शुद्ध बनाने के लिए अनुष्ठानों को पूरा कर लिया था।) तब बतशेबा घर लौट गई।
\v 5 कुछ समय बाद, उसे ज्ञात हुआ कि वह गर्भवती है। अतः उसने यह समाचार दाऊद को बताने के लिए एक दूत भेजा।
\p
\s5
\v 6 तब दाऊद ने योआब को एक संदेश भेजा। उसने कहा, "हित्ती लोगों के समूह से, ऊरिय्याह को मेरे पास भेज।" योआब ने ऐसा किया। उसने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेजा।
\v 7 जब वह पहुँचा, तो दाऊद ने योआब का कुशल क्षेम पूछा, अगर अन्य सैनिको का कुशल क्षेम पूछा, और यह भी कि युद्ध कैसे आगे बढ़ रहा था।
\v 8 तब दाऊद ने, आशा करते हुए कि ऊरिय्याह घर जाएगा और अपनी पत्नी के साथ सोएगा, ऊरिय्याह से कहा, "अब घर जा और थोड़ी देर आराम कर।" ऊरिय्याह चला गया, और दाऊद ने किसी को उपहार ले जाने के लिए ऊरिय्याह के घर भेजा।
\s5
\v 9 परन्तु ऊरिय्याह घर नहीं गया। इसकी अपेक्षा, वह महल के सेवकों के साथ महल के प्रवेश द्वार पर सो गया।
\p
\v 10 जब किसी ने दाऊद से कहा कि उस रात ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया, तो दाऊद ने उसे फिर बुलाया और कहा, "तू कल रात अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए घर क्यों नहीं गया, लम्बे समय से दूर रहने के बाद?"
\p
\v 11 ऊरिय्याह ने उत्तर दिया, "यहूदा और इस्राएल के सैनिक खुले मैदानों में डेरा डाले हुए हैं, और यहाँ तक कि हमारा सेनाध्यक्ष योआब एक तम्बू में सो रहा है, और पवित्र संदूक उनके साथ है। मैं संभवतः घर नहीं जा सकता, ना खा सकता हूँ और ना पी सकता हूँ, और ना पत्नी के साथ सो सकता हूँ। मैं सच्चाई से घोषणा करता हूँ कि मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा!"
\p
\s5
\v 12 तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, "आज यहाँ रह। मैं तुझे कल युद्ध में वापस भेज दूँगा।" तो ऊरिय्याह उस दिन और उस रात यरूशलेम में रहा।
\v 13 अगले दिन, दाऊद ने उसे भोजन के लिए आमंत्रित किया। ऊरिय्याह ने दाऊद के साथ भोजन किया, और दाऊद ने उसे बहुत शराब पिलाई ताकि वह मतवाला हो जाए, यह आशा करते हुए कि यदि वह मतवाला हो जाए, तो अपनी पत्नी के साथ सोएगा। परन्तु उस रात, ऊरिय्याह फिर घर नहीं गया इसकी अपेक्षा, वह राजा के सेवकों के साथ एक चारपाई पर सो गया।
\p
\s5
\v 14 किसी ने दाऊद को इसकी सूचना दी, अगली सुबह उसने योआब को एक पत्र लिखा, और योआब को देने के लिए वह पत्र ऊरिय्याह को दिया।
\v 15 पत्र में, उसने लिखा, "ऊरिय्याह को मोर्चे की सीमा पर रखो, जहाँ लड़ाई सबसे भयंकर है। फिर सैनिकों को उसे छोड़कर वापस आने के लिए आदेश दो कि हमारे शत्रु उसे मार डालें।"
\p
\s5
\v 16 जब योआब को पत्र मिला उस के बाद, उसकी सेना शहर के चारों ओर थी, उसने ऊरिय्याह को उस स्थान पर भेजा जहाँ वह जानता था कि उनके शत्रुओं के सबसे मजबूत और सर्वश्रेष्ठ सैनिक लड़ेंगे।
\v 17 नगर के लोग बाहर आए और योआब के सैनिकों के साथ लड़े। उन्होंने ऊरिय्याह समेत दाऊद के कुछ अधिकारियों को मार डाला।
\p
\s5
\v 18 तब योआब ने एक दूत को दाऊद को युद्ध के विषय बताने के लिए भेजा।
\v 19 उसने दूत से कहा, "दाऊद को युद्ध के विषय संदेश सुना। उसे बताने के बाद,
\v 20 यदि बहुत से अधिकारियों के मरने के कारण दाऊद गुस्से में हो, वह तुझसे पूछे, 'तुम्हारे सैनिक लड़ने के लिए शहर के इतने करीब क्यों गए? क्या तुम नहीं जानते थे कि वे शहर की दीवार के शीर्ष से तीर मारेंगे?
\s5
\v 21 क्या तुमको याद नहीं है कि गिदोन के पुत्र अबीमेलेक की हत्या कैसे हुई थी? तेबेस में रहने वाली एक महिला ने मीनार के शीर्ष से उसके ऊपर चक्की का विशाल पत्थर फेंक दिया, और वह मर गया। तो हमारी सेना शहर की दीवार के पास क्यों गई? 'अगर राजा यह पूछता है, तो उसे बताओ, 'तेरा अधिकारी ऊरिय्याह भी मारा गया।'"
\p
\s5
\v 22 तब दूत चला गया और दाऊद को सब कुछ बताया जो योआब ने उसे कहने के लिए कहा था।
\v 23 दूत ने दाऊद से कहा, "हमारे शत्रु बहुत बहादुर थे, और मैदानों में हमसे लड़ने के लिए शहर से बाहर आए। वे पहले हम पर प्रबल हो रहे थे, परन्तु फिर हमने उन्हें वापस शहर के द्वार तक खदेड़ा।
\s5
\v 24 तब उनके तीरंदाजों ने हम पर शहर की दीवार के ऊपर से तीर छोड़े। उन्होंने तेरे कुछ अधिकारियों को मार डाला। उन्होंने तेरे अधिकारी ऊरिय्याह को भी मार डाला।"
\p
\v 25 दाऊद ने दूत से कहा, "योआब के पास वापस जा और उससे कह, 'जो हुआ, उस के विषय चिंता न कर, क्योंकि कोई भी कभी नहीं जानता कि युद्ध में कौन मर जाएगा।' उसे बता कि अगली बार, उसके सैनिक शहर पर अधिक दृढ़ता से हमला करें और उसे अपने अधिकार में ले लें। इस तरह योआब को प्रोत्साहित करो।"
\p
\s5
\v 26 जब ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा ने सुना कि उसके पति की मृत्यु हो गई है, तो उसने उसके लिए शोक किया।
\v 27 जब उसका शोक समाप्त हो गया, तब दाऊद ने उसे महल लाने के लिए दूत भेजे। इस तरह वह दाऊद की पत्नी बन गई। उसने बाद में एक बेटे को जन्म दिया। परन्तु दाऊद ने जो किया था, उसके लिए यहोवा बहुत अप्रसन्न थे।
\s5
\c 12
\p
\v 1 यहोवा ने भविष्यवक्ता नातान को वह सब बताया जो दाऊद ने किया था, और उन्होंने नातान को यह कहानी दाऊद को बताने के लिए भेजा, "एक बार किसी शहर में दो पुरुष थे। एक व्यक्ति धनवान था और दूसरा गरीब था।
\v 2 धनवान व्यक्ति के पास बहुत सारे मवेशी और भेड़ें थे।
\v 3 परन्तु गरीब व्यक्ति के पास केवल भेड़ का एक छोटी मादा भेड़ का बच्चा था, जिसे उसने मोल लिया था। उसने भेड़ की बच्ची का पालन किया, और वह उसके बच्चों के साथ बड़ी हुई। वह भेड़ की बच्ची को अपने भोजन से कुछ देता और उसे अपने कप से पिलाता। वह भेड़ की बच्ची को अपने पास सुलाता था। भेड़ की बच्ची उसके लिए एक बेटी के समान थी।
\p
\s5
\v 4 एक दिन एक यात्री धनवान व्यक्ति से मिलने आया। धनवान व्यक्ति अपने पशुओं में से अतिथि के लिए भोजन तैयार करने के लिए किसी को मारना नहीं चाहता था। तो इसकी अपेक्षा, उसने गरीब व्यक्ति के भेड़ की बच्ची को लाने के लिए पुरुषों को भेजा; तब उसने किसी से उसे मरवा डाला और उसके अतिथि के लिए भोजन तैयार किया।"
\p
\v 5 जब दाऊद ने यह सुना, तो वह आग बबूला हो गया। उसने नातान से कहा, "मैं सच्चाई से घोषणा करता हूँ कि जिस व्यक्ति ने ऐसा किया वह मार डाला जाना चाहिए!
\v 6 उसे ऐसा करने के लिए कम से कम चार भेड़ के बच्चे उस गरीब व्यक्ति को वापस लौटाने होंगे, और गरीब व्यक्ति पर कुछ दया नहीं की।"
\p
\s5
\v 7 नातान ने दाऊद से कहा, "तू ही वह व्यक्ति है जिसके बारे में मैं बातें कर रहा हूँ! और यही है जिसे यहोवा, जिसकी हम इस्राएली आराधना करते हैं, तुझसे यह कहते हैं: 'मैंने तुझे शाऊल से बचाया, और मैंने तुझे इस्राएल का राजा बना दिया।
\v 8 मैंने तुझे उसका महल दिया; मैं ने तुझे उसकी पत्नियों को तेरे पास रखने की अनुमति दी थी। मैंने तुझे इस्राएल और यहूदा पर राजा बना दिया। अगर तूने मुझे बताया होता कि मैंने जो कुछ दिया है उससे तू संतुष्ट नहीं है, तो मैंने तुझे और अधिक दिया होता!
\s5
\v 9 तो मैंने जो आज्ञा दी है, उसे तूने क्यों नकार दिया, जब मैंने कहा कि मेरे लोगों को व्यभिचार नहीं करना चाहिए? तूने जो किया वह मेरी दृष्टि में बुरा है! तूने ऊरिय्याह को अम्मोनियों के साथ युद्ध में मरवाने की व्यवस्था की और तूने उसकी पत्नी को अपनी पत्नी बना लिया!
\v 10 तूने मुझे तुच्छ जाना, क्योंकि तूने ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी बना लिया। अत: तेरे कुछ वंशज हमेशा युद्ध में मारे जाएँगे।
\s5
\v 11 मैं तुझसे सच्चाई के साथ यह घोषणा करता हूँ कि मैं तेरे परिवार के ही किसी के द्वारा तुझ पर विपत्ति डालने का कारण बनाऊँगा। मैं तेरी पत्नियों को उस व्यक्ति को दूँगा, और वह दिन में उनके साथ सोएगा, जहाँ हर कोई इसे देखे, और तू यह सब जानेगा भी।
\v 12 तूने जो कुछ किया छिपकर किया परन्तु जो मै करनेवाला हूँ, इस्राएल में हर कोई इसे देख सकेगा या इसके विषय जान सकेगा।'"
\p
\v 13 दाऊद ने उत्तर दिया, "मैंने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है।" नातान ने दाऊद से कहा, "यहोवा ने तेरे पाप को अनदेखा कर दिया है। इस पाप के कारण तू न मरेगा।
\s5
\v 14 परन्तु तूने ऐसा करके यहोवा का तिरस्कार किया। इसलिए तेरा बच्चा मर जाएगा।"
\p
\v 15 नातान अपने घर गया।
\m तब ऊरिय्याह की पत्नी द्वारा उत्पन्न बच्चा यहोवा के कारण बहुत बीमार पड़ गया।
\s5
\v 16 दाऊद ने परमेश्वर से बच्चे के न मरने की प्रार्थना की। उसने उपवास किया, और वह अपने कमरे में गया और पूरी रात फर्श पर पड़ा रहा।
\v 17 अगली सुबह उसके महत्वपूर्ण सेवक उसके चारों ओर खड़े हो गए और उससे उठने का आग्रह करने लगे परन्तु वह न उठा, और न उनके साथ भोजन किया।
\p
\v 18 एक सप्ताह बाद बच्चे की मृत्यु हो गई। दाऊद के सेवक दाऊद को यह बताने से डरते थे। उन्होंने एक-दूसरे से कहा, "जब बच्चा जीवित था, हमने उससे बातें की, परन्तु उसने हमें जवाब नहीं दिया। अब, अगर हम उसे बताते हैं कि बच्चा मर चुका है, तो वह स्वयं को नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ भी कर सकता है!"
\p
\s5
\v 19 परन्तु जब दाऊद ने देखा कि उसके कर्मचारी एक-दूसरे से कुछ फुसफुसा रहे थे, तो उसने जान लिया कि बच्चा मर गया। तो उसने उनसे पूछा, "क्या बच्चा मर चुका है?" उन्होंने जवाब दिया, "हाँ, वह मर चुका है।"
\p
\v 20 तब दाऊद फर्श से उठ गया। उसने नहाकर, अपने शरीर पर तेल मला, और दूसरे कपड़े पहने। तब वह यहोवा के पवित्र तम्बू में गया और उसकी आराधना की। फिर वह घर गया। उसने अपने कर्मचारियों से कुछ भोजन लाने का अनुरोध किया। उन्होंने उसे थोड़ा भोजन दिया, और उसने खाया।
\p
\s5
\v 21 तब उसके कर्मचारियों ने उससे कहा, "हम नहीं समझ पाए कि तूने ऐसा क्यों किया जब बच्चा जीवित था, तू उसके लिए रोया और कुछ भी खाने से इन्कार कर दिया। परन्तु अब जब बच्चा मर गया तो तू नहीं रो रहा और अब तूने थोड़ा भोजन भी कर लिया!"
\p
\v 22 उसने उत्तर दिया, "जब बच्चा जीवित था, मैंने उपवास किया और रोया। मैंने सोचा, 'संभवतः यहोवा मेरे प्रति दयालु हों और बच्चे को मरने से बचाए।'
\v 23 परन्तु अब बच्चा मर चुका है। तो अब मेरे लिए उपवास करने का कोई कारण नहीं है। मैं उसे वापस अपने पास नहीं ला सकता। एक दिन मैं उसके पास जाऊँगा जहाँ वह है, परन्तु वह मेरे पास वापस नहीं आएगा।"
\p
\s5
\v 24 तब दाऊद ने अपनी पत्नी बतशेबा को सांत्वना दी। तब वह उसके साथ सोया, और वह फिर गर्भवती हो गई और दूसरे बेटे को जन्म दिया। दाऊद ने उस लड़के को सुलैमान नाम दिया। यहोवा इस छोटे लड़के से प्रेम करते थे।
\v 25 उन्होंने भविष्यवक्ता नातान से कहा कि दाऊद को कह उस लड़के को यदिद्दाह नाम दें, क्योंकि यहोवा उससे प्रेम करते थे।
\p
\s5
\v 26 इस बीच, योआब के सैनिकों ने अम्मोन लोगों के समूह की राजधानी रब्बा पर हमला किया। उन्होंने राजा के किले पर अधिकार कर लिया, जो पानी की आपूर्ति की रक्षा करता था।
\v 27 तब योआब ने दाऊद को यह कहने के लिए दूत भेजे, कि मेरी सेनाएँ रब्बा पर हमला कर रही हैं, और हमने शहर की जल आपूर्ति पर अधिकार कर लिया है।
\v 28 अब अपने सैनिकों को इकट्ठा करो और आओ शहर को घेरें और इस पर अधिकार करें। यदि तुम ऐसा नहीं करते हो, तो मेरी सेना शहर पर अधिकार कर लेगी और इसके बाद इसका नाम मेरे नाम पर रखा जाएगा: योआब शहर।"
\p
\s5
\v 29 तब दाऊद ने अपने सभी सैनिकों को इकट्ठा किया। वे रब्बा गए, हमला किया, और अधिकार कर लिया।
\v 30 तब दाऊद ने उनके राजा के सिर से मुकुट लिया और उसे अपने सिर पर रख लिया। यह बहुत भारी था; उसका वजन लगभग तैंतीस किलो था, और इसमें एक बहुत ही मूल्यवान पत्थर था। उसके सैनिकों ने शहर से कई अन्य मूल्यवान चीजें भी लीं।
\s5
\v 31 तब उन्होंने लोगों को शहर से बाहर निकाला और उन्हें आरे, लोहे के फावड़ों और कुल्हाड़ियाँ लेकर अपने लिए काम करने के लिए विवश किया। दाऊद के सैनिकों ने उन्हें ईंट बनाने के लिए भी विवश किया। दाऊद के सैनिकों ने अम्मोनियों के सभी नगरों में ऐसा किया था। तब दाऊद और उसकी सारी सेना यरूशलेम लौट आई।
\s5
\c 13
\p
\v 1 दाऊद के पुत्र अबशालोम की तामार नाम की एक खूबसूरत बहन थी। दाऊद के पुत्रों में से एक, अम्नोन, तामार पर आकर्षित हो गया था, जिसका वह सौतेला भाई था।
\v 2 वह तामार के साथ सोने के लिए व्याकुल था, उसे इतना चाहता था कि मोह के कारण बीमार पड़ गया। परन्तु अम्नोन के लिए उसे पाना असंभव लग रहा था, क्योंकि वह कुँवारी थी, उन्होंने पुरुषों से उसे दूर रखा था।
\p
\s5
\v 3 परन्तु अम्नोन के पास योनादाब नाम का एक मित्र था, जो दाऊद के भाई शिमा का पुत्र दाऊद का भतीजा था। योनादाब बहुत चालाक व्यक्ति था।
\p
\v 4 एक दिन योनादाब ने अम्नोन से कहा, "तू राजा का पुत्र है, परन्तु हर दिन मैं तुझे बहुत उदास देखता हूँ। तेरी समस्या क्या है?" अम्नोन ने उत्तर दिया, "मुझे अपने सौतेले भाई अबशालोम की बहन तामार से प्रेम हो गया है।"
\p
\s5
\v 5 योनादाब ने उससे कहा, "अपने बिस्तर पर लेट जा और बीमार होने का ढोंग कर। जब तेरा पिता तुझे देखने के लिए आए, तो उससे कहना कि मेरी सौतेली बहन तामार को खाना लेकर भेज दे। उसे अपने सामने भोजन पकाने के लिए कहना। फिर वह स्वयं तेरी सेवा कर सकती है।"
\p
\v 6 तब अम्नोन ने लेटकर बीमार होने का ढोंग किया। जब राजा उसे देखने आया, तो अम्नोन ने उससे कहा, "मैं बीमार हूँ। कृपया तामार को आने की अनुमति दे और मेरे सामने दो रोटी बनाएँ, और फिर वह उन्हें मेरे सामने परोस सके।"
\p
\s5
\v 7 तब दाऊद ने महल में तामार को एक संदेश भेजा, "अम्नोन बीमार है, वह चाहता है कि तू उसके घर जाए और उसके लिए कुछ भोजन तैयार करे।"
\v 8 तामार अम्नोन के घर गई, जहाँ वह बिस्तर पर पड़ा हुआ था। उसने थोड़ा आटा लिया और उसे गूँधा, और उसके सामने ही कुछ रोटियाँ बनाई। उन्हें पकाया।
\v 9 उसने उन्हें तवे से बाहर निकाला और उसके सामने एक थाली पर रखा, परन्तु उसने उन्हें खाने से इन्कार कर दिया। तब उसने कमरे में अपने सेवकों से कहा, "तुम सब लोग, चले जाओ!" वे सभी चले गए।
\p
\s5
\v 10 तब अम्नोन ने तामार से कहा, "मेरे बिस्तर पर भोजन ला और मेरे सामने परोस।" तामार बनाई हुई रोटियाँ लेकर उसके कमरे में गई।
\v 11 परन्तु जब वह खिलाने के लिए उसके करीब लाई, तो उसने उसे पकड़ लिया और उससे कहा, "मेरे साथ बिस्तर पर आ!"
\p
\v 12 उसने उत्तर दिया, "नहीं, मुझे इतनी अपमानजनक बातें करने के लिए विवश मत कर! हम इस्राएल में ऐसे काम कभी नहीं करते! यह शर्मनाक होगा!
\s5
\v 13 मैं ऐसा करके अपमानित होना सहन नहीं कर पाऊँगी। तुझे, इस्राएल में हर कोई इस तरह के अपमानजनक कार्य करने के कारण निन्दा करेगा। मैं तुझसे विनती करती हूँ, राजा से बात कर। मुझे यकीन है कि वे मुझे तुझसे विवाह करने की अनुमति देगा।"
\v 14 परन्तु उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह उससे ज्यादा बलवान था, इसलिए उसने उसे साथ सोने के लिए विवश किया।
\p
\s5
\v 15 तब अम्नोन उससे अत्यंत बैर रखने लगा। उसने उससे मोह से अधिक बैर रखा। उसने उससे कहा, "उठ और यहाँ से निकल जा!"
\p
\v 16 परन्तु उसने उससे कहा, "नहीं! तेरे लिए मुझे निकाल देना बहुत गलत होगा। यह तूने मुझसे जो भी किया उससे भी बुरा होगा!" परन्तु फिर उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
\p
\v 17 उसने अपने निजी सेवक को बुलाया और उससे कहा, "इस महिला को बाहर निकालो, मुझसे दूर करो, और दरवाजा बंद करो ताकि वह फिर से नहीं आ सके!"
\s5
\v 18 इसलिए सेवक ने उसे बाहर निकाल दिया और दरवाजा बंद कर दिया।
\p तामार सजे हुए लम्बे वस्त्र पहनी थी, जैसे कपड़ें को आम तौर पर उस समय राजा की अविवाहित बेटियाँ पहना करती थी।
\v 19 तामार ने पहने हुए उस लम्बे वस्त्र को फाड़ दिया, और दुःख दर्शाने के लिए अपने सिर पर राख डाली। वह शोक दर्शाती हुई अपने सिर पर हाथ रखकर और रोती हुई चली गई।
\p
\s5
\v 20 उसके भाई अबशालोम ने उसे देखा और उससे कहा, "क्या तेरे सौतेले भाई अम्नोन ने तुझे साथ सोने के लिए विवश किया है? कृपया, मेरी बहन, किसी को मत कहना, और निराश न हो।" तामार अबशालोम के घर रहने के लिए चली गई, और वह बहुत दुःखी और अकेली थी।
\p
\v 21 जब राजा दाऊद ने ये सब सुना, तो वह बहुत क्रोधित हो गया।
\v 22 अबशालोम ने अम्नोन से घृणा की, क्योंकि उसने उसकी बहन को उसके साथ सोने के लिए विवश किया था, इसलिए उसने अम्नोन से किसी विषय में कुछ बातें नहीं की।
\p
\s5
\v 23 दो साल बाद, अबशालोम ने पुरुषों को बाल्हासोर में अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिए काम पर रखा, जो एप्रैम की जनजातीय भूमि के पास है। भेड़ों का ऊन कतरने के बाद वे उत्सव मनाने वाले थे, इसलिए अबशालोम ने सभी राजा के सभी पुत्रों को आने और साथ उत्सव मनाने के लिए आमंत्रित किया।
\v 24 अबशालोम राजा के पास गया और उससे कहा, "महोदय, मेरे कर्मचारी मेरी भेड़ों का ऊन कतर रहे हैं। कृपया हमारे अधिकारियों के साथ उत्सव मनाने के लिए पधार!"
\p
\s5
\v 25 परन्तु राजा ने उत्तर दिया, "नहीं, हे मेरे पुत्र, हम सभी का जाना उचित नहीं होगा, क्योंकि हम बहुत से लोग हैं; हमारे कारण तेरा बहुत खर्च होगा।" अबशालोम लगातार उससे आग्रह करता रहा, परन्तु राजा नहीं गया। इसकी अपेक्षा, उसने कहा कि उसे आशा है कि जब वे उत्सव मनाएँगे तो परमेश्वर उन्हें आशीष देंगे।
\p
\v 26 तब अबशालोम ने कहा, "यदि आप नहीं जाएँगे, तो कृपया मेरे सौतेले भाई अम्नोन को हमारे साथ जाने दें।" परन्तु राजा ने जवाब दिया, "तू उसे अपने साथ क्यों ले जाना चाहता है?"
\p
\s5
\v 27 परन्तु अबशालोम ने जोर दिया, इस प्रकार राजा ने अम्नोन और दाऊद के अन्य पुत्रों को अबशालोम के साथ जाने की अनुमति दी।
\p
\v 28 वे सब चले गए। उत्सव में, अबशालोम ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, "ध्यान दें कि जब अम्नोन शराब के नशे में आ जाए । तब जब मैं तुम्हें संकेत करता हूँ, उसे मार दो। डरो मत। तुम ऐसा करोगे क्योंकि मैंने तुम्हें ऐसा करने के लिए कहा था अत: साहसी बनो और इसे ही करो!"
\v 29 तब अबशालोम के कर्मचारियों ने उसके कहने के अनुसार किया। उन्होंने अम्नोन को मार डाला। दाऊद के बाकी सभी पुत्रों ने जो हुआ था उसे देखा और अपने अपने खच्चर पर सवार होकर भाग गए।
\p
\s5
\v 30 जब वे घर जा रहे थे, तो कोई तीव्रता से गया और दाऊद से कहा, "अबशालोम ने तेरे सभी पुत्रों को मार डाला है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं है!"
\v 31 राजा खड़ा हुआ, अपने कपड़े फाड़े क्योंकि वे बहुत दुःखी था, और फिर स्वयं भूमि पर गिर पड़ा। वहाँ उपस्थित सभी सेवकों ने भी अपने कपड़े फाड़े।
\p
\s5
\v 32 परन्तु दाऊद के भाई शिमा के पुत्र यहोनादाब ने कहा, "हे महामहिम, मै निश्चित हूँ कि उन्होंने तेरे सभी पुत्रों को नहीं मारा है। मुझे निश्चय है कि सिर्फ अम्नोन मरा है, क्योंकि अबशालोम ने ऐसा करने का दृढ़ संकल्प तब से किया है जिस दिन अम्नोन ने तामार से बलात्कार किया था।
\v 33 इसलिए, महामहिम, तू इस सूचना पर विश्वास न कर कि तेरे सभी बेटे मर चुके हैं। मुझे निश्चय है कि सिर्फ अम्नोन मरा है।"
\p
\s5
\v 34 इस बीच, अबशालोम भाग गया।
\p तभी, शहर की दीवार पर नियुक्त सैनिक ने पश्चिम की सड़क पर पहाड़ी से नीचे आती लोगों की एक बड़ी भीड़ देखी। वह भागा और राजा को जो उसने देखा था बताया।
\v 35 योनादाब ने राजा से कहा, "देख, मैंने जो कहा है वह सच है। तेरे अन्य बेटे जीवित हैं और आ गए हैं!"
\p
\v 36 और जैसे ही उसने कहा, दाऊद के पुत्र आ गए। वे सब रोने लगे, और दाऊद और उसके सभी अधिकारी भी फूट फूटकर रोने लगे।
\p
\s5
\v 37-38 परन्तु अबशालोम भाग चुका था। वह गशूर के राजा के पास रहने के लिए चला गया। उसका नाम अम्मीहुद का पुत्र तल्मै था। अबशालोम तीन साल तक वहाँ रहा।
\p परन्तु राजा दाऊद ने अपने बेटे अम्नोन के लिए लम्बे समय तक शोक किया,
\v 39 परन्तु उसके बाद भी, वह अबशालोम को देखने की बहुत इच्छा रखता था, क्योंकि वे अब अम्नोन के मरने के बारे में दुःखी नहीं था।
\s5
\c 14
\p
\v 1 योआब को अनुभव हुआ कि राजा अबशालोम को देखने की लालसा रखता है।
\v 2 तब योआब ने किसी को तकोआ शहर से एक स्त्री को लाने भेजा जो बहुत चालाक थी। जब वह पहुँची, तो योआब ने उससे कहा, "शोकित होने का ढोंग कर जैसे कोई मर चुका है। शोक वस्त्र धारण कर। अपने शरीर पर किसी प्रकार का तेल मत मल। ऐसी स्त्री होने का नाटक कर जो लम्बे समय से शोक कर रही है।
\v 3 और राजा के पास जाकर उसे बता जो मैं तुझे कहने के लिए बोलता हूँ। "तब योआब ने उसे राजा से क्या कहना है बतलाया।
\p
\s5
\v 4 तकोआ की स्त्री राजा के पास गई। उसने सम्मान दिखाने के लिए दंडवत किया और कहा, "महामहिम, मेरी सहायता कर!"
\p
\v 5 राजा ने उत्तर दिया, "तेरी समस्या क्या है?" उसने जवाब दिया, महोदय, मैं विधवा हूँ। मेरा पति कुछ समय पहले मर गया था।
\v 6 मेरे दो बेटे थे। परन्तु एक दिन उन्होंने मैदानों में एक-दूसरे के साथ झगड़ा किया। उन्हें अलग करनेवाला कोई नहीं था, और उनमें से एक ने दूसरे को मारा और उसे मार डाला।
\s5
\v 7 अब, मेरा पूरा परिवार मेरा विरोध करता है। वे जोर दे रहे हैं कि मैं उन्हें अपने बेटे को मारने दूँ जो अभी भी जीवित है, ताकि वे उसके भाई की हत्या का बदला ले सकें। परन्तु अगर वे ऐसा करते हैं, तो मेरे पास कोई भी बेटा नहीं होगा जो मेरी संपत्ति का वारिस बने। मैं पुत्रहीन हो जाऊँगी, और मेरे पति के पास हमारे परिवार के नाम को सुरक्षित रखने के लिए कोई बेटा नहीं होगा।"
\p
\s5
\v 8 तब राजा ने उस स्त्री से कहा, "घर वापस जा। मैं तेरे इस विषय का ध्यान रखूँगा।"
\p
\v 9 तकोआ की स्त्री ने राजा से कहा, "हे महामहिम, यदि कोई मेरी सहायता करने के लिए तेरी आलोचना करता है, तो मैं और मेरा परिवार दोष स्वीकार करेंगे। तू और शाही परिवार निर्दोष होंगे।"
\p
\s5
\v 10 राजा ने उससे कहा, "यदि कोई तुझे धमकाने के लिए कुछ कहता है, तो उस व्यक्ति को मेरे पास लाना, और मैं यह सुनिश्चित कर दूँगा कि वह तुझे फिर कभी परेशान नहीं करेगा।"
\p
\v 11 तब उस स्त्री ने कहा, "हे महामहिम, कृपया प्रार्थना करें कि तेरा परमेश्वर यहोवा मेरे संबंधियों को, जो मेरे बेटे को उसके भाई को मारने का बदला लेना चाहते हैं, अनुमति नहीं देंगे।"
\p दाऊद ने उत्तर दिया, "निश्चित रूप से जो यहोवा जीवित हैं, तेरे पुत्र को बिलकुल भी हानि न पहुँचेगी।"
\s5
\v 12 तब उस स्त्री ने कहा, "महामहिम, कृपया मुझे तुझसे एक और बात कहने दे।" उसने जवाब दिया, "बोल!"
\p
\v 13 उस स्त्री ने कहा, "तूने परमेश्वर के लोगों के साथ बुरा व्यवहार क्यों किया? तूने अपने बेटे अबशालोम को घर लौटने की अनुमति नहीं दी। यह कहकर कि तूने अभी कहा है, तूने निश्चित रूप से यह घोषणा की है कि तूने जो किया है वह गलत है।
\v 14 हम सभी मर जाएँगे। हम पानी के समान हैं जिन्हें भूमि पर फेंकने के बाद उठाया नहीं जा सकता। परमेश्वर प्राण नहीं लेते, बल्कि परमेश्वर उन लोगों के लौटने के लिए मार्ग बनाते हैं जिन्हें निर्वासित किया गया है ताकि उनके लोगों को उनके घरों में पुनःस्थापित किया जा सके।
\p
\s5
\v 15 अब, महामहिम, मैं तेरे पास आई हूँ क्योंकि दूसरों ने मुझे धमकाया है। इसलिए मैंने स्वयं से कहा, 'मैं जाऊँगी और राजा से बात करूँगी, और संभवतः वे वही करेगा जो मैं उससे करने के लिए निवेदन करती हूँ।
\v 16 संभवतः वे मेरी बात करेगा, और मुझे उस व्यक्ति से बचाएगा जो मेरे बेटे को मारने का प्रयास कर रहा है। अगर मेरे बेटे की हत्या हो जाती है, तो उसका यही परिणाम होगा कि हम उस देश से मिट जाएँगे जो परमेश्वर ने हमें दिया था।'
\p
\v 17 और मैंने सोचा, 'राजा क्या कहेगा वे मुझे सांत्वना देगा, क्योंकि राजा परमेश्वर के दूत के समान है। वे जानता है कि क्या अच्छा है और बुरा क्या है।' मैं प्रार्थना करती हूँ कि हमारा परमेश्वर यहोवा तेरे साथ रहेंगे।"
\p
\s5
\v 18 तब राजा ने उस स्त्री से कहा, "अब मैं तुझसे एक प्रश्न करूँगा। उत्तर दो, मुझे सच बता।" स्त्री ने उत्तर दिया, "महामहिम, प्रश्न करें।"
\p
\v 19 राजा ने कहा, "क्या योआब ही था जिसने तुझे ऐसा करने के लिए कहा था?" उसने जवाब दिया, "हाँ, महामहिम, जैसा निश्चित रूप से तू जीवित हैं, मैं तुझसे सच कहने से बचने के लिए और कुछ नहीं कह सकती। हाँ, वास्तव में, यह योआब था जिसने मुझे यहाँ आने के लिए कहा, और जिसने मुझे बताया कि मुझे क्या कहना है।
\v 20 उसने इस विषय में अलग ढंग से सोचने के लिए ऐसा किया। महामहिम, तू परमेश्वर के स्वर्गदूतों के समान बुद्धिमान हैं, और ऐसा लगता है कि तू पृथ्वी पर जो कुछ भी होता है उसे जानता है इसलिए तू जानता है कि योआब ने मुझे यहाँ क्यों भेजा।"
\p
\s5
\v 21 तब राजा ने योआब को बुलाकर कहा, "सुनो! मैंने जो तू चाहता है वैसा करने का फैसला किया है। तो जा और उस युवक अबशालोम को पकड़ और उसे यरूशलेम वापस ला।"
\p
\v 22 योआब ने भूमि पर गिरकर दंडवत किया, और फिर वह राजा के सामने झुक गया, और परमेश्वर से उसे आशीष देने के लिए कहा। तब योआब ने कहा, "महामहिम, आज मुझे पता चला कि तू मुझसे प्रसन्न है, क्योंकि मैने जो अनुरोध किया है उसे करने में तू सहमत है।"
\p
\s5
\v 23 तब योआब उठकर गेशूर गया, और अबशालोम को पकड़ कर यरूशलेम वापस लाया।
\v 24 परन्तु राजा ने कहा कि वह अबशालोम को उसके पास आने की अनुमति नहीं देगा। उसने कहा, "मैं नहीं चाहता कि वह मुझे देखने आए।" अबशालोम अपने घर में रहा, और राजा से बातें करने के लिए नहीं गया।
\p
\s5
\v 25 अबशालोम बहुत सुन्दर था। उसके शरीर में सिर से पैर तक कोई दोष नहीं था। इस्राएल में कोई भी व्यक्ति नहीं था जिसकी लोगों ने अबशालोम से अधिक प्रशंसा की हो।
\v 26 उसके बाल बहुत घने थे, और वह उन्हें साल में एक बार कटवाता था जब वे उस पर भारी हो जाते थे। उस समय के माप के अनुसार, वह अपने कटे हुए बालों को तौलता था और सदैव वह ढाई किलो होता था।
\v 27 अबशालोम के तीन बेटे और तामार नाम की बेटी थी। वह बहुत ही सुंदर स्त्री थी।
\p
\s5
\v 28 अबशालोम यरूशलेम लौटने के बाद, दो साल जीवित रहा, और उस समय उसे राजा को देखने की अनुमति नहीं थी।
\v 29 तब उसने योआब के पास आने और उससे बातें करने का अनुरोध करने के लिए एक दूत भेजा, परन्तु योआब ने आने से मना कर दिया। तब अबशालोम ने उसे दूसरी बार एक दूत भेजा, परन्तु वह अभी भी नहीं आया।
\p
\s5
\v 30 तब अबशालोम ने अपने सेवकों से कहा, "तुम जानते हो कि योआब का खेत मेरे खेत से लगा हुआ है, और उसकी जौ उग रही है। जाओ और आग लगाकर जौ को जला दो।" तब अबशालोम के सेवक वहाँ गए और आग लगा दी, और जौ की सारी फसल जल गई।
\p
\v 31 योआब जानता था कि यह किसने किया था, इसलिए वह अबशालोम के घर गया और उससे कहा, "तेरे सेवकों ने मेरे खेत में जौ की फसल क्यों जलाई?"
\s5
\v 32 अबशालोम ने उत्तर दिया, "क्योंकि तू मेरे पास नहीं आया जब मैंने तुझसे पास आने का अनुरोध करते हुए दूत भेजे थे। मैं तुझसे अनुरोध करना चाहता था कि तू यह कहने के लिए राजा के पास जा, 'अबशालोम जानना चाहता है कि गशूर छोड़ने और यहाँ आने से उसका क्या भला हुआ। वह सोचता है कि उसके लिए वहाँ रहना उचित होता। वह चाहता है कि तू उसे तुझसे बातें करने दे। और अगर तुझे लगता है कि उसने कुछ गलत किया है, तो तू उसे मृत्यु का आदेश दे सकता है।'"
\v 33 तब योआब राजा के पास गया और उसे बताया जो अबशालोम ने कहा था। तब राजा ने अबशालोम को बुलाया, और वह राजा के पास आया और उसके सामने भूमि पर मुँह के बल घुटने टेक दिए। तब राजा ने अबशालोम को अपनी प्रसन्नता दिखाते हुए चूमा।
\s5
\c 15
\p S5
\p
\v 1 कुछ समय बाद, अबशालोम का एक रथ और उसे खींचने के लिए घोड़े मिले। उसने रथ में यरूशलेम के चारों ओर सवारी करते हुए सम्मानित होने के लिए, आगे आगे चलनेवाले पचास पुरुषों को नियुक्त किया।
\v 2 इसके अलावा, वह निरन्तर सुबह शीघ्र उठता और शहर के द्वार पर खड़ा हो जाता था। जब कोई व्यक्ति किसी के साथ विवाद के बाद राजा से न्याय प्राप्त करने के लिए आता अबशालोम उसे बुलाकर पूछता, "तू किस शहर का है?" व्यक्ति उसे बताता कि वह किस शहर और जनजाति का है।
\s5
\v 3 तब अबशालोम उससे कहता "सुन, मुझे निश्चय है कि तू जो कह रहा है वह सही है। परन्तु यहाँ ऐसा कोई नहीं है जिसे राजा ने तेरे जैसे लोगों को सुनने के लिए नियुक्त किया हो।"
\v 4 तब अबशालोम उससे यह भी कहता "मेरी इच्छा है कि मैं इस देश में न्यायाधीश बनूँ। अगर मैं न्यायाधीश होता, तो जिसके पास कोई विवाद होता मेरे पास आ सकता था और मै उसका न्यायपूर्वक निर्णय करता।"
\p
\s5
\v 5 और जब भी कोई अबशालोम के पास आदर करने के लिए सामने आता अबशालोम आगे बढ़कर उसे गले लगाकर चूमता।
\v 6 अबशालोम ने इस्राएल में हर किसी के साथ ऐसा किया जो निर्णय के लिए राजा के पास आया इस तरह, अबशालोम ने सभी इस्राएली लोगों को पिता दाऊद से प्रसन्न होने की तुलना में खुद से अधिक प्रसन्न होने के लिए मोह लिया।
\p
\s5
\v 7 चार साल बाद, अबशालोम राजा के पास गया और कहा, "कृपया मुझे हेब्रोन शहर में जाने की अनुमति दे ताकि मैं ऐसा कर सकूँ जो मैंने यहोवा से प्रतिज्ञा की थी।
\v 8 जब मैं अराम के गशूर में रह रहा था, तब मैंने यहोवा से प्रतिज्ञा की थी कि यदि वे मुझे यरूशलेम वापस लाएँ, तो मैं हेब्रोन में उनकी आराधना करूँगा।"
\p
\s5
\v 9 राजा ने उत्तर दिया, "मैं तुझे सुरक्षित जाने की अनुमति दूँगा।" तब अबशालोम हेब्रोन गया।
\p
\v 10 परन्तु जब वह वहाँ था, तब उसने गुप्त रूप से इस्राएल के सभी गोत्रों को दूत भेजे, ताकि वे कहें "जब तू तुरही की ध्वनि सुने, तो चीख कर कहो, अबशालोम हेब्रोन में राजा बन गया है!"
\s5
\v 11 अबशालोम अपने साथ यरूशलेम से दो सौ पुरुष ले कर हेब्रोन गया था, परन्तु उन्हें नहीं पता था कि अबशालोम क्या करने की योजना बना रहा हैं।
\v 12 जब अबशालोम हेब्रोन में बलिदान चढ़ा रहा था, तब उसने गीलो शहर से अहितोपेल को एक संदेश भेजा, और उसे आने का अनुरोध किया। अहितोपेल राजा के सलाहकारों में से एक था। अबशालोम के साथ जुड़नेवाले लोगों की संख्या और दाऊद के विरूद्ध विद्रोह करने वालों की संख्या बढ़ती गई।
\p
\s5
\v 13 जल्द ही एक दूत दाऊद के पास आया और उससे कहा, "सभी इस्राएली लोग अबशालोम के साथ मिलकर तेरे विरूद्ध विद्रोह करने जा रहे हैं!"
\p
\v 14 तब दाऊद ने अपने सभी अधिकारियों से कहा, "अगर हम अबशालोम से बचना चाहते हैं, तो हमें तुरंत निकल जाना चाहिए! उसके और उसके पुरुषों के आने से पहले हमें तुरंत निकल जाना चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो वे हमें और शहर में हर किसी को मार देंगे!"
\p
\v 15 राजा के अधिकारियों ने कहा, "बहुत अच्छा, महामहिम, तू जो भी चाहे हम करने के लिए तैयार हैं।"
\p
\s5
\v 16 तब राजा ने महल की देखभाल करने के लिए वहाँ अपनी दस दास पत्नियों को छोड़ दिया, परन्तु उसके महल के अन्य सभी लोग उसके साथ गए।
\v 17 जब वे सभी शहर छोड़ रहे थे, तो वे अंतिम घर पर रुक गए।
\v 18 राजा और उसके अधिकारी वहाँ खड़े थे, जबकि उसके अंगरक्षक उनके पास से होकर सामने गए। गत शहर से छः सौ सैनिक भी उनके पास से होकर सामने चले गए।
\p
\s5
\v 19 तब दाऊद ने गत के सैनिकों के अगुवे इत्तै से कहा, "तुम हमारे साथ क्यों जा रहे हो? वापस जाओ और अबशालोम नए राजा के साथ रहो। तुम इस्राएली नहीं हो; तुम अपने देश से दूर रह रहे हो।
\v 20 तुम यहाँ इस्राएल में कुछ ही समय के लिए रहे हो। और हम यह भी नहीं जानते कि हम कहाँ जा रहे हैं। इसलिए तुम्हे हमारे साथ भटकने के लिए विवश करना मेरे लिए उचित नहीं है। और अपने सैन्य दल को अपने साथ ले जाओ। मै आशा करता हूँ कि यहोवा निष्ठापूर्वक प्रेम करेंगे और तुम्हारे प्रति विश्वासयोग्य रहेंगे।"
\p
\s5
\v 21 परन्तु इत्तै ने उत्तर दिया, "महामहिम, निश्चित रूप से तू जीवित है, जहाँ भी तू जाता है, मैं जाऊँगा। मैं तेरे साथ रहूँगा वे मुझे मार दें या मुझे जीने दें।"
\p
\v 22 दाऊद ने इत्तै को उत्तर दिया, "बहुत अच्छा, हमारे साथ चलो!" इत्तै और उसके सभी सैनिक और उनके परिवार दाऊद के साथ गए।
\p
\v 23 सड़क के किनारे सभी लोग रोते थे जब उन्होंने उन्हें चलते हुए देखा। राजा और अन्य सभी ने किद्रोन घाटी पार कर जंगल की ओर पहाड़ी पर चढ़ाई की।
\p
\s5
\v 24 एब्यातार और सादोक, याजक भी उनके साथ चल रहे थे। लेवी के वंशज जिन्होंने याजकों की सहायता की, वे भी अपने साथ पवित्र संदूक उठाए हुए गए, जिसमें दस आज्ञाएँ थीं। परन्तु उन्होंने इसे भूमि पर तब तक रखा जब तक कि अन्य सभी शहर से निकल न गए।
\p
\v 25 तब राजा ने सादोक से कहा, "तुम दोनों को पवित्र संदूक शहर में वापस ले जाना चाहिए। अगर यहोवा मुझसे प्रसन्न होते हैं, तो वे किसी दिन मुझे इसे देखने के लिए, उस जगह जहाँ इसे रखा जाता है वापस ले आएँगे।
\v 26 परन्तु यदि वे कहते हैं कि वे मुझसे प्रसन्न नहीं हैं, तो मेरे साथ जो भला करने की बात सोचते हैं मै उसके लिए तैयार हूँ।"
\p
\s5
\v 27 उसने सादोक से भी कहा, "मेरी सलाह सुन, अपने पुत्र अहीमास और एब्यातार के पुत्र योनातान को अपने साथ लेकर शांतिपूर्वक शहर लौट जा।
\v 28 मैं जंगल में उस स्थान पर प्रतीक्षा करूँगा जहाँ पर से लोग नदी पार करते हैं, जब तक कि तू मुझे संदेश न भेजे।"
\v 29 तब सादोक और एब्यातार पवित्र संदूक को यरूशलेम वापस ले गए, और वे वहीं रहे।
\p
\s5
\v 30 दाऊद और उसके साथ अन्य लोग जैतून पहाड़ पर चढ़ गए। चलते हुए दाऊद रो रहा था। वह नंगे पैर चल रहा था और उसके सिर को ढंकने के लिए कुछ ऐसा था जो दिखा रहा था कि वह दुखी था। जो लोग उसके साथ जा रहे थे उन्होंने भी अपने सिर ढांके हुए थे और चलते समय रो रहे थे।
\v 31 किसी ने दाऊद से कहा कि अहीतोपेल उन लोगों से जुड़ गया था जो दाऊद के विरूद्ध विद्रोह कर रहे थे। इसलिए दाऊद ने प्रार्थना की, "हे यहोवा, जो कुछ अहीतोपल अबशालोम को करने की सलाह देता है उसे हे यहोवा मुर्खता समझें!"
\p
\s5
\v 32 जब वे पहाड़ी के शीर्ष पर पहुँचे, जहाँ एक जगह थी जहाँ लोग पहले से ही परमेश्वर की आराधना करने के आदी थे, अचानक एरेकी लोगों के समूह के साथ हूशै, दाऊद से मिला। उसने अपने कपड़े फाड़े और अपने सिर पर धूल डाली ताकि वह दिखा सके कि वह बहुत दुखी था।
\v 33 दाऊद ने उससे कहा, "यदि तू मेरे साथ जाएगा, तो तू मेरी सहायता नहीं कर सकेगा।
\v 34 परन्तु यदि तू नगर में लौटेगा, तो तू अबशालोम से यह कहकर मेरी सहायता कर सकता है, 'महामहिम, मैं तेरे पिता की सेवा के समान विश्वासयोग्यता से तेरी सेवा करूँगा।' यदि तू ऐसा करता है और अबशालोम के पास रहता तो तू अहीतोपल द्वारा अबशालोम को दी गई सलाह का विरोध करने में सक्षम होता।
\s5
\v 35 सादोक और एब्यातार याजक पहले से ही वहाँ है। जो कुछ तू राजमहल में लोगों को कहते हुए सुनता है, उसे सादोक और एब्यातार को बता।
\v 36 ध्यान रहे कि सादोक का पुत्र अहीमास और एब्यातार का पुत्र योनातान भी वहाँ है। तुझको जो कुछ पता चले उन्हें बता सकता है, और उन्हें मुझे सूचना देने के लिए भेज सकता है।"
\p
\v 37 तब दाऊद का मित्र हूशै उसी समय लौट आया, जब अबशालोम यरूशलेम में प्रवेश कर रहा था।
\s5
\c 16
\p
\v 1 जब दाऊद और अन्य पहाड़ी की चोटी से थोड़ा आगे बढ़े ही थे, तो मपीबोशेत का दास सीबा उससे मिला। उसके साथ दो गधे थे जिन पर दो सौ रोटियाँ, किशमिश के एक सौ गुच्छे, ताजे अंजीर के एक सौ गुच्छे, और शराब से भरा चमड़े का थैला लदा था।
\p
\v 2 राजा ने सीबा से कहा, " ये क्या है?" सीबा ने उत्तर दिया, "गधे तेरे परिवार की सवारी करने के लिए हैं, रोटी और फल तेरे सैनिकों के खाने के लिए हैं, और शराब उनके पीने के लिए है जब वे जंगल में थक जाएँ।"
\p
\s5
\v 3 राजा ने कहा, "तेरे पहले के स्वामी शाऊल का पोता मपीबोशेत कहाँ है?" सीबा ने उत्तर दिया, "वह यरूशलेम में रहता है, क्योंकि वह सोचता है कि अब लोग उसे उस राज्य पर शासन करने की अनुमति देंगे जिस पर उसके दादा शाऊल ने शासन किया था।"
\p
\v 4 राजा ने सीबा से कहा, "बहुत अच्छा, मपीबोशेत से संबंधित सब कुछ अब तेरा है।" सीबा ने उत्तर दिया, "हे महामहिम, मैं नम्रता से तेरी सेवा करूँगा, और मैं चाहता हूँ कि तू सदैव मुझसे प्रसन्न रहें।"
\p
\s5
\v 5 जब राजा दाऊद और उसके साथी बहरीम शहर पहुँचे, तो शिमी नाम का एक व्यक्ति उनसे मिला। शिमी, जिसका पिता गेरा था, उसी वंश का सदस्य था जिसका शाऊल का परिवार सदस्य था। शिमी दाऊद को शाप दे रहा था जैसे जैसे वह बढ़ रहा था।
\v 6 फिर उसने दाऊद और उसके अधिकारियों पर पत्थर फेंके, जबकि अधिकारियों और दाऊद को अंगरक्षकों ने घेरा हुआ था।
\s5
\v 7 शिमी ने दाऊद को शाप दिया और उससे कहा, "यहाँ से निकल जा, हे हत्यारे, हे नीच!
\v 8 शाऊल के परिवार में बहुत से लोगों की हत्या के लिए यहोवा तुम सबसे बदला ले रहे हैं। और अब वह शाऊल का राज्य तेरे पुत्र अबशालोम को दे रहे हैं। हे हत्यारे, उन लोगों का बदला लिया जा रहा है जिन्हें तूने मारा है!"
\p
\s5
\v 9 तब अबीशै ने राजा से कहा, "हे महामहिम, यह मनुष्य एक मृत कुत्ते के रूप में बेकार है! उसे तुझे शाप देने की अनुमति क्यों दी जाए? मुझे वहाँ जाने और उसके सिर को काटने की अनुमति दे!"
\p
\v 10 परन्तु राजा ने उत्तर दिया, "हे सरूयाह के दोनों पुत्रों, मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करना चाहता। अगर वह मुझे शाप दे रहा है और यहोवा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था, तो किसी को भी उससे पूछना नहीं चाहिए, 'तू राजा को क्यों शाप दे रहा है?"
\p
\s5
\v 11 तब दाऊद ने अबीशै और उसके सभी अधिकारियों से कहा, "तुम जानते हो कि मेरा अपना बेटा मुझे मारने का प्रयास कर रहा है। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बिन्यामीन के गोत्र का यह व्यक्ति भी मुझे मारने का प्रयास कर रहा है। बस उसे अनदेखा करो, और उसे मुझे शाप देने दो। यहोवा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा है।
\v 12 अवश्य ही यहोवा देखेंगे कि मुझे इतनी परेशानी है, किसी दिन परमेश्वर इस व्यक्ति द्वारा दिए गए शाप के कारण बदले में मुझे आशीष देंगे।"
\s5
\v 13 तब दाऊद और उसके साथ रहने वाले लोग सड़क पर आगे बढ़ते गए, और शिमी उसके पास पहाड़ी के किनारे चलता रहा। जब वह साथ चला, उसने दाऊद को शाप दिया और उस पर पत्थर और धूल फेंकी।
\v 14 जब दाऊद और उन्होंने शाम को यात्रा करना बंद कर दिया, तो वे बहुत थके हुए थे। अत: उन्होंने विश्राम किया।
\p
\s5
\v 15 जब यह हो रहा था, तब अबशालोम और उसके साथ रहने वाले सभी इस्राएली यरूशलेम पहुँचे थे। अहीतोपेल भी वहाँ पहुँचा था।
\v 16 जब दाऊद का मित्र हूशै अबशालोम के पास आया, तो उसने अबशालोम से कहा, "मैं चाहता हूँ कि राजा लम्बे समय तक जीवित रहे! तू चिरंजीव रहे!"
\p
\s5
\v 17 अबशालोम ने हूशै से कहा, "तू लम्बे समय से अपने मित्र दाऊद के प्रति निष्ठावान रहा है। तो तू मेरे पास आने की अपेक्षा उसके साथ क्यों नहीं गया?"
\p
\v 18 हूशै ने उत्तर दिया, "मेरे लिए यही उचित है कि जिसे यहोवा और इन लोगों और इस्राएल के अन्य सभी लोगों ने अपना राजा चुना है उसकी सेवा करूँ। इसलिए मैं तेरे साथ रहूँगा।
\s5
\v 19 इसके अतिरिक्त, मुझे किसकी सेवा करनी चाहिए? मुझे अपने स्वामी के बेटे की सेवा क्यों नहीं करनी चाहिए? जैसे मैंने तेरे पिता की सेवा की है, वैसे ही, मैं तेरी सेवा करूँगा।"
\p
\s5
\v 20 तब अबशालोम ने अहीतोपेल से कहा, "तू क्या सलाह देता है कि हमें क्या करना चाहिए?"
\p
\v 21 अहीतोपेल ने उत्तर दिया, "तेरे पिता अपनी कुछ दासी पत्नियों को महल में देखभाल करने के लिए छोड़ गया है। तुझे उनके साथ सोना चाहिए। जब सम्पूर्ण इस्राएल सुनेगा कि तूने ऐसा किया है, तो उन्हें पता चलेगा कि तूने अपने पिता को दोषी ठहराया है। तब तेरे साथ रहने वाले सभी प्रोत्साहित होंगे।"
\s5
\v 22 उन्होंने महल की छत पर अबशालोम के लिए एक तम्बू बनाया। और अबशालोम तम्बू में गया और अपने पिता की दास पत्नियों के साथ सोया, एक-एक करके, और प्रत्येक उन्हें तम्बू में जाता देख सकता था।
\p
\v 23 उन दिनों, लोगों ने स्वीकार किया अहीतोपेल ने जो सलाह दी ऐसा लगा कि वह परमेश्वर के वचन बोल रहा हो। तो जैसे ही दाऊद ने सदैव स्वीकार किया जो अहीतोपेल ने कहा था, अब अबशालोम भी करता था।
\s5
\c 17
\p S5
\p
\v 1 तब अहीतोपल ने अबशालोम से कहा, "मुझे बारह हजार लोगों को चुनने दे, और मैं उन्हें आज रात दाऊद के पीछे ले जाऊँगा।
\v 2 हम हमला करेंगे जब वह थका हुआ और निराश होगा, हम उसे और अत्यंत भयभीत कर देंगे। उसके साथ का प्रत्येक जन भाग जाएगा। हमें सिर्फ राजा को मारने की आवश्यकता है।
\v 3 तब हम उसके सभी सैनिकों को तेरे पास वापस लाएँगे, और वे खुशी से आएँगे। तुझे सिर्फ एक व्यक्ति- दाऊद को मारने की आवश्यकता है, और फिर सभी परेशानी समाप्त हो जाएगी।"
\v 4 अबशालोम और उसके साथ रहने वाले सभी इस्राएली अगुवों ने सोचा कि जो अहीतोपेल ने कहा है, वह करना अच्छा होगा।
\p
\s5
\v 5 परन्तु अबशालोम ने कहा, "हूशै को भी बुलाओ, और हम सुनेंगे जो वह सलाह देता है।"
\v 6 तब जब हूशै पहुँचा तो अबशालोम ने उसे बताया जो अहीतोपेल ने सुझाव दिया था। फिर उसने हूशै से पूछा, "तुझे क्या लगता है कि हमें क्या करना चाहिए? अगर तुझे नहीं लगता कि हमें अहीतोपेल की सलाह माननी चाहिए, तो हमें बता कि तुझे क्या लगता है कि हमें करना चाहिए।"
\p
\v 7 हूशै ने उत्तर दिया, "इस बार अहीतोपेल ने जो सुझाव दिया है वह अच्छी सलाह नहीं है।
\s5
\v 8 तू जानता है कि तेरा पिता और उसके साथ रहने वाले पुरुष वीर सैनिक हैं, और अब वे बहुत नाराज हैं, जैसे कि रीछनी जिसके शावकों को उससे चुरा लिया गया हो। इसके अलावा, तेरे पिता को युद्ध को कैसे संचालित करना है पता है क्योंकि उसने कई लड़ाइयाँ लड़ी हैं। वह रात के दौरान अपने सैनिकों के साथ नहीं रुकेगा।
\v 9 अभी वह संभवतः पहले से ही किसी एक गड्ढे में, या किसी अन्य जगह में छुपा होगा। यदि उसके सैनिक तेरे सैनिकों पर हमला करना शुरू करते हैं, और यदि वे उनमें से कुछ को मार देते हैं, जो कोई सुनेगा, वह यही कहेगा, 'अबशालोम के साथ कई सैनिक मारे गए हैं!'
\v 10 तब तेरे अन्य सैनिक, भले ही वे सिंहों समान निडर हों, वे बहुत डर जाएँगे। यह मत भूलना कि इस्राएल में प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि तेरा पिता महान सैनिक है, और उसके साथ रहने वाले सैनिक भी बहुत बहादुर हैं।
\p
\s5
\v 11 तो मैं जो सुझाव देता हूँ वह यह है कि तू दूर उत्तर में दान से दूर दक्षिण में बेर्शेबा तक सभी इस्राएली सैनिकों को बुला। वे समुद्र तट की रेत के जितने होंगे। जब तक वे आते हैं तब तक रुको, और फिर तू स्वयं हमारी युद्ध में अगुवाई करना।
\v 12 हम तेरे पिता को ढूँढ़ेंगे, जहाँ भी वह हो और हम सभी तरफ से उस पर हमला करेंगे, जैसे ओस समस्त भूमि पर छा जाती है। और न तो वह और न ही उसके साथ रहने वाले सैनिकों में से कोई भी जीवित रहेगा।
\s5
\v 13 यदि वह किसी शहर में भाग जाता है, तो हमारे सभी सैनिक रस्सी लाएँगे और उस शहर को घाटी में धकेल देंगे। फलस्वरूप, पहाड़ी के शीर्ष पर एक पत्थर नहीं छोड़ा जाएगा जहाँ वह शहर था!"
\p
\v 14 अबशालोम और उसके साथ रहने वाले सभी अन्य इस्राएली पुरुषों ने कहा, "हूशै जो सुझाव देता है वह अहीतोपेल के सुझाव से बेहतर है।" ऐसा होने का कारण यह था कि यहोवा ने यह निर्धारित किया था कि अगर वे अहीतोपेल द्वारा उन्हें दी गई अच्छी सलाह स्वीकार करते, तो वे दाऊद को पराजित करने में सक्षम होते। परन्तु हूशै के सुझाव के अनुसार, यहोवा अबशालोम पर आने वाली विपत्ति के कारण होंगे।
\p
\s5
\v 15 तब हूशै ने दो पुजारियों, सादोक और एब्यातार से कहा, जो उसने और अहीतोपेल ने अबशालोम और इस्राएल के अगुवों को सुझाव दिया था।
\v 16 तब उस ने उन से कहा, "दाऊद को शीघ्रता से संदेश भेजो। उसे उस स्थान पर न रहने के लिए कहें जहाँ से लोग नदी के पार जंगल के पास जाते हैं। इसकी अपेक्षा, उसे और उसके सैनिकों को तुरंत यरदन नदी पार करना होगा ताकि वे मारे न जाएँ।"
\p
\s5
\v 17 याजकों के दो बेटे योनातान और अहीमास यरूशलेम के बाहर एन रोगेल के सोते पर प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने शहर में प्रवेश करने का साहस नहीं किया, क्योंकि अगर किसी ने उन्हें देखा, तो वह अबशालोम को इसकी सूचना देगा। जब वे एन रोगेल में थे, तो दो याजकों के पास एक दासी बार बार जाती और उन्हें बताती थी कि क्या हो रहा है, और फिर वे जाते और राजा दाऊद को सूचना देते।
\v 18 परन्तु एक जवान व्यक्ति ने उन्हें देखा, और अबशालोम को इसकी सूचना देने चला गया। उन्हें पता चल गया जो उस जवान व्यक्ति ने किया था, इसलिए वे दोनों जल्दी चले गए और बहुरीम शहर में एक व्यक्ति के घर में रहने लगे। उस व्यक्ति के आंगन में एक कुआँ था, इसलिए दोनों पुरुष छिपने के लिए कुएं में उतर गए।
\s5
\v 19 उस व्यक्ति की पत्नी ने एक कपड़ा लिया और कुएं के मुँह को ढँक दिया, और उसके बाद उसके ऊपर गेंहू को बिखरा दिया ताकि किसी को भी संदेह न हो कि वहाँ कुआँ है।
\p
\v 20 अबशालोम के कुछ सैनिकों को पता चल गया कि दोनों पुरुष कहाँ गए थे। तो वे घर गए, और उस महिला से पूछा, "अहीमास और योनातान कहाँ हैं?"
\p उसने जवाब दिया, "वे यरदन नदी पार चले गए।"
\p तो सैनिकों ने नदी पार की और उनको ढूँढ़ा। परन्तु जब वे उन्हें नहीं ढूँढ़ पाए, तो वे यरूशलेम लौट आए।
\s5
\v 21 जब वे चले गए, तो दोनों लोग कुएं से बाहर निकले और चले गए और राजा दाऊद को वह बताया जो हुआ था और अहीतोपेल ने जो सुझाव दिया था। तब उन्होंने उससे कहा, "यरदन नदी को शीघ्रता से पार कर!"
\v 22 तब दाऊद और उसके सब सैनिकों ने शीघ्रता से नदी पार करना शुरू कर दिया, और सुबह तक वे सब दूसरी तरफ पार चले गए।
\p
\s5
\v 23 जब अहीतोपेल को अनुभव हुआ कि अबशालोम को जो कुछ भी उसने सुझाया वह नहीं करने वाला था, उसने अपने गधे पर एक गद्दी लगाई और अपने शहर लौट आया। उसने अपनी संपत्ति के बारे में अपने परिवार को निर्देश दिए, और फिर उसने स्वयं को फाँसी लगा ली क्योंकि वह जानता था कि अबशालोम पराजित होगा और उसे गद्दार माना जाएगा और मार डाला जाएगा। उसके शरीर को उस कब्र में मिट्टी दी जाएगी जहाँ उसके पूर्वजों को मिट्टी दी गई थी।
\p
\s5
\v 24 दाऊद और उसके सैनिक महनैम पहुँचे। उसी समय, अबशालोम और उसके सभी सैनिको ने भी यरदन नदी पार की।
\v 25 अबशालोम ने योआब की बजाय अपने चचेरे भाई अमासा को सेनापति नियुक्त किया था। अमासा इश्माएल के जेथेर का पुत्र था। अमासा की माँ अबीगैल नाहाश की बेटी और योआब की माँ सरूयाह की बहन थी।
\v 26 अबशालोम और उसके इस्राएली सैनिकों ने गिलाद के क्षेत्र में अपने तम्बू लगाए।
\p
\s5
\v 27 जब दाऊद और उसके सैनिक महनैम पहुँचे, अम्मोनी शहर रब्बा से नाहाश का पुत्र शोबी और लोदबर शहर से अम्मीएल का पुत्र माकीर और गिलाद में रोगलीम शहर के बर्जिल्लै उसके पास आए।
\v 28 वे सोने की चटाइयाँ, कटोरे, मिट्टी के बर्तन, जौ, गेहूँ का आटा, भुना हुआ अनाज, सेम, और दालें लाए।
\v 29 वे दाऊद और उसके सैनिकों के खाने के लिए शहद, दही, भेड़ और कुछ मलाई लाए। वे जानते थे कि दाऊद और उसके सैनिक जंगल में घूमने से भूखे और थके हुए और प्यासे होंगे।
\s5
\c 18
\p
\v 1 दाऊद ने युद्ध के लिए अपने सैनिकों की व्यवस्था की। उसने उन्हें समूहों में विभाजित कर दिया, और उसने प्रत्येक सौ सैनिकों के लिए एक शतपति नियुक्त किया और प्रत्येक हजार सैनिकों के लिए एक सहस्रपति नियुक्त किया।
\v 2 उसने उन्हें तीन समूहों में भेज दिया। योआब ने एक समूह को आज्ञा दी, योआब के भाई अबीशै ने दूसरे समूह को आदेश दिया, और गत के इत्तै ने तीसरे समूह को आज्ञा दी। दाऊद ने उन से कहा, "मैं तुम्हारे साथ युद्ध में जाऊँगा।"
\p
\s5
\v 3 परन्तु उसके सैनिकों ने कहा, "नहीं, हम तुझे हमारे साथ जाने की अनुमति नहीं देंगे। अगर वे हम सभी को भागने के लिए विवश करते हैं, तो वे हमारे बारे में चिंतित नहीं होंगे। या अगर वे हम में से आधे को मार देते हैं, तो भी वे इसके बारे में चिंता नहीं करेंगे। उनके लिए, तुझे पकड़ना दस हजारों को पकड़ने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। तो उचित होगा कि तू यहाँ शहर में रह और हमें सहायता भेज।"
\p
\v 4 राजा ने उनको उत्तर दिया, "बहुत अच्छा, मैं जो तुम्हें सबसे अच्छा लगता है वही करूँगा।" वह शहर के द्वार पर खड़ा हो गया और उसके सैनिकों को समूहों में जाता देखता रहा।
\p
\s5
\v 5 जब वे जा रहे थे, तब राजा ने योआब, अबीशै और इत्तै को आज्ञा दी, "मेरे कारण, मेरे पुत्र अबशालोम को नुकसान न पहुँचाना!" और सभी सैनिकों ने इस के विषय सुना, कि दाऊद ने यह आदेश तीनों सेनापतियों को दिया।
\p
\s5
\v 6 तब सेना अबशालोम के साथ रहने वाले इस्राएली सैनिकों के विरूद्ध लड़ने के लिए निकल गई। उन्होंने जंगल में लड़ाई लड़ी जहाँ एप्रैम के गोत्र के लोग रहते थे।
\v 7 दाऊद के सैनिकों ने अबशालोम के सैनिकों को पराजित किया। उन्होंने उनके बीस हजार को मार डाला।
\v 8 युद्ध उस सम्पूर्ण क्षेत्र में लड़ा गया था, और जंगल की भयानकता के कारण मरने वाले पुरुषों की संख्या युद्ध में मारे गए पुरुषों की संख्या से अधिक थी।
\p
\s5
\v 9 युद्ध के दौरान, अबशालोम अचानक दाऊद के कुछ सैनिकों के पास आया। अबशालोम अपने खच्चर पर सवारी कर रहा था, और जब खच्चर एक बड़े बांज वृक्ष की मोटी शाखाओं के नीचे चला गया, तब अबशालोम का सिर शाखाओं में अटक गया। खच्चर चलता रहा, परन्तु अबशालोम हवा में लटकता रहा।
\p
\v 10 दाऊद के सैनिकों में से एक ने देखा कि क्या हुआ, और वह गया और उसने योआब से कहा, "मैंने अबशालोम को बांज वृक्ष में लटका देखा!"
\p
\v 11 योआब ने उस मनुष्य से कहा, "क्या? तू कहता है कि तूने उसे वहाँ लटका देखा, तो तूने उसे तुरंत क्यों नहीं मारा? अगर तूने उसे मार दिया होता, तो मैं तुझे चाँदी के दस टुकड़े और सैनिक का एक कमरबंद देता!"
\p
\s5
\v 12 उस व्यक्ति ने योआब से कहा, "यदि तू मुझे हजारों चाँदी के टुकड़े देता, तो भी मैं राजा के पुत्र को नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ नहीं करता। हम सभी ने राजा की उस आज्ञा को जो उसने तुझे और अबीशै और इत्तै को दी थी सुना: 'मेरे कारण, मेरे बेटे अबशालोम को नुकसान न पहुँचाना!
\v 13 यदि मैंने राजा की अवज्ञा की और अबशालोम को मार डाला, तो राजा इसके विषय जान लेगा, क्योंकि राजा सब कुछ सुनता है, यहाँ तक कि तू भी मेरा पक्ष नहीं लेता!"
\p
\s5
\v 14 योआब ने कहा, "मैं तुझसे बातें करने में समय बर्बाद नहीं करूँगा!" तब उसने तीन भाले उठाए, जहाँ अबशालोम था वहाँ गया, और उन्हें अबशालोम की छाती में घोंप दिए, वह अभी भी जीवित था, और बांज वृक्ष से लटक रहा था।
\v 15 तब योआब के हथियार ढोनेवाले दस जवानों ने अबशालोम को घेर लिया और उसे मार डाला।
\p
\s5
\v 16 योआब ने तुरही बजाई कि अब उन्हें और नहीं लड़ना चाहिए, और उसके सैनिक अबशालोम के लोगों का पीछा न करके लौट आए।
\v 17 उन्होंने अबशालोम के शरीर को लिया और उसे जंगल में एक विशाल गड्ढे में फेंक दिया, और उसे पत्थरों के विशाल ढेर से ढँक दिया। तब अबशालोम के साथ रहने वाले सभी शेष इस्राएली सैनिक अपने घरों में भाग गए।
\p
\s5
\v 18 अबशालोम के पास अपने परिवार के नाम को बचाने के लिए कोई बेटा नहीं था क्योंकि उसके बेटों की मृत्यु जवानी में ही हो गई थी। इसलिए जब अबशालोम जीवित था, तब उसने यरूशलेम के पास राजाओं की घाटी में एक स्मारक बनाया था ताकि लोग उसे याद रख सकें। उसने अपना नाम स्मारक पर लिखा, और लोग आज भी इसे अबशालोम का स्मारक कहते हैं।
\p
\s5
\v 19 अबशालोम की हत्या के बाद, सादोक के पुत्र अहीमास ने योआब से कहा, "मुझे राजा को दौड़कर यह बताने की अनुमति दे कि यहोवा ने उसे उसके दुश्मनों की शक्ति से बचा लिया है!"
\p
\v 20 पर योआब ने उस से कहा, "नहीं, मैं तुझे आज राजा तक समाचार ले जाने की अनुमति नहीं दूँगा। किसी और दिन मैं तुझे कुछ संदेश ले जाने की अनुमति दूँगा, परन्तु आज नहीं। अगर तू आज समाचार ले जाता है तो यह राजा के लिए अच्छा समाचार नहीं होगा, क्योंकि उसका बेटा मर चुका है।"
\p
\s5
\v 21 तब योआब ने दाऊद के दास से कहा जो इथियोपिया से था, "तू जा और राजा को जो कुछ देखा है उसे बता।" इथियोपिया के व्यक्ति ने योआब का झुककर आदर दिया, और दौड़ना शुरू कर दिया।
\p
\v 22 तब अहीमास ने फिर योआब से कहा, "यद्यपि इथियोपिया का वह व्यक्ति दौड़ रहा है, फिर भी मुझे उसके पीछे दौड़ने की अनुमति दे।" योआब ने उत्तर दिया, "मेरे लड़के, तू ऐसा क्यों करना चाहता है? तुझे तेरे समाचार के लिए कोई इनाम नहीं मिलेगा!"
\p
\v 23 परन्तु अहीमास ने उत्तर दिया, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं जाना चाहता हूँ।" तो योआब ने कहा, "बहुत अच्छा, फिर जा।" अहीमास यरदन की घाटी के मध्य से दूसरी सड़क से भागा और इथियोपिया के व्यक्ति के आने से पहले जहाँ दाऊद था वहाँ पहुँचा।
\p
\s5
\v 24 दाऊद बाहरी द्वार और शहर के भीतरी द्वार के बीच बैठा था। पहरेदार शहर की दीवार के ऊपर चढ़ गया और द्वार के ऊपर छत पर खड़ा हो गया। उसने अकेले व्यक्ति को दौड़ता देखा।
\v 25 पहरेदार ने पुकारा और राजा को इसकी सूचना दी। राजा ने कहा, "यदि वह अकेला है, तो यह संकेत है कि वह समाचार ला रहा है।" वह व्यक्ति जो दौड़ रहा था नजदीक आने लगा।
\p
\s5
\v 26 तब पहरेदार ने एक और व्यक्ति को देखा। तो उसने द्वारपाल को पुकारा, "देखो! एक और व्यक्ति दौड़ रहा है!" और राजा ने कहा, "वह भी कोई अच्छा समाचार ला रहा है।"
\p
\v 27 पहरेदार ने कहा, "मुझे लगता है कि पहला व्यक्ति अहीमास होना चाहिए, क्योंकि वह अहीमास के समान दौड़ रहा है।" राजा ने कहा, "अहीमास अच्छा मनुष्य है, और मै निश्चित हूँ कि वह अच्छे समाचार के साथ आ रहा है।"
\p
\s5
\v 28 जब अहीमास राजा के पास पहुँचा, तो उसने पुकारा, "मुझे आशा है कि तेरे साथ भली बातें होंगी!" तब उसने राजा के सामने भूमि पर गिरकर दंडवत किया और कहा, "हे महामहिम, हमारे परमेश्वर यहोवा की स्तुति कर, जिसने तुझे उन लोगों से बचाया है जो तेरे विरूद्ध विद्रोह कर रहे थे!"
\p
\v 29 राजा ने कहा, "क्या जवान अबशालोम सुरक्षित है?" अहीमास उस सवाल का उत्तर नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने उत्तर दिया, "जब योआब ने मुझे भेजा, तो मैंने देखा कि वहाँ बहुत उलझन थी, परन्तु मुझे नहीं पता कि यह किस विषय थी।"
\p
\v 30 तब राजा ने कहा, "एक तरफ खड़ा हो जा।" अहीमास अलग खड़ा हो गया।
\p
\s5
\v 31 अचानक इथियोपिया का व्यक्ति पहुँचा, और कहा, "हे महामहिम, मेरे पास तेरे लिए अच्छा समाचार है! यहोवा ने तेरे सैनिकों को उन सभी को हराने में सक्षम किया है जिन्होंने तेरे विरूद्ध विद्रोह किया!"
\p
\v 32 राजा ने उससे कहा, "क्या जवान अबशालोम सुरक्षित है?" इथियोपिया के व्यक्ति ने उत्तर दिया, "महोदय, मैं चाहता हूँ कि जो उसके साथ हुआ, वही तेरे सभी दुश्मनों और उन सभी के साथ हो जो तेरे विरूद्ध विद्रोह करते हैं!"
\p
\v 33 राजा को अनुभव हुआ कि उसका मतलब था कि अबशालोम मर चुका था, इसलिए वह बहुत परेशान हो गया, और वह प्रवेश द्वार के ऊपर के कमरे में गया और रोया। जब वह ऊपर जा रहा था, वह चिल्लाता रहा, "हे मेरे पुत्र अबशालोम! हे मेरे पुत्र! हे मेरे पुत्र अबशालोम, काश, मैं तेरे बदले मर गया होता!"
\s5
\c 19
\p
\v 1 किसी ने योआब से कहा कि राजा रो रहा है और शोक करता है क्योंकि अबशालोम मर चुका था।
\v 2 दाऊद के सभी सैनिकों ने सुना कि राजा शोक कर रहा था कि अबशालोम मर चुका था। इसलिए वे दुखी हो गए कि उन्होंने अबशालोम के पुरुषों को पराजित किया था।
\s5
\v 3 सैनिक चुपचाप और लज्जित शहर में लौट आए, जैसे कि वे जीतने के बजाय लड़ाई हार गए थे।
\v 4 राजा ने अपना चेहरा अपने हाथों से ढंका और जोर से रोते हुए कहा, "हे मेरे पुत्र अबशालोम! हे अबशालोम, मेरे बेटे! मेरे बेटे!"
\p
\s5
\v 5 योआब उस कमरे में प्रवेश कर गया जहाँ राजा था, और राजा से कहा, "आज तू अपने सैनिकों के लज्जित होने का कारण बना है! तूने उन लोगों को अपमानित किया है जिन्होंने तेरे जीवन और तेरे बेटों और बेटियों और तेरी सामान्य पत्नियों और तेरी दासी पत्नियों के जीवन को बचाया है!
\v 6 ऐसा लगता है कि तू उनसे प्रेम करता है जो तुझसे घृणा करते हैं और तू उनसे घृणा करता है जो तुझसे प्रेम करते हैं। प्रत्येक अब अनुभव करता है कि तेरे सेनापति और तेरे अधिकारी तेरे लिए बिल्कुल महत्वपूर्ण नहीं हैं। अगर अबशालोम अभी जीवित होता और हम सब आज मर चुके होते, तो तू वास्तव में प्रसन्न होता।
\s5
\v 7 तो अब जा और अपने सैनिकों को धन्यवाद दे जो उन्होंने किया है। क्योंकि मैं सत्यनिष्ठा से घोषणा करता हूँ कि यदि तू ऐसा नहीं करता तो उनमें से कोई भी कल सुबह तक तेरे साथ नहीं रहेगा। यह तेरे लिए उन सभी आपदाओं से भी बुरा होगा जिन्हें तूने बचपन से भोगा है।"
\p
\v 8 तब राजा उठकर शहर के द्वार पर बैठा। और सभी लोगों को बताया गया, "राजा द्वार पर बैठा है!" तो वे सब आए और उसके चारों ओर इकट्ठे हुए।
\p इस बीच, अबशालोम के सभी लोग घर गए थे।
\p
\s5
\v 9 तब इस्राएल के गोत्रों में सारे लोग आपस में विवाद करने लगे। उन्होंने एक दूसरे से कहा, "राजा ने हमें पलिश्ती के लोगों और हमारे अन्य शत्रुओं से बचाया। परन्तु अब उन्होंने अबशालोम के सामने से भाग कर इस्राएल छोड़ दिया है!
\v 10 हमने अबशालोम को हमारा राजा नियुक्त किया, परन्तु वह दाऊद के सैनिकों के विरूद्ध लड़ते हुए युद्ध में मर गया। तो कोई राजा दाऊद को वापस लाने की कोशिश क्यों नहीं करता?"
\p
\s5
\v 11 राजा दाऊद ने पता लगाया कि लोग क्या कह रहे थे। इसलिए उसने यहूदा के अगुवों से कहने के लिए दो याजकों, सादोक और एब्यातार को भेजा, "राजा कहता है कि उसने सुना है कि सभी इस्राएली लोग उसे राजा बनाना चाहते हैं। और वह कहता है, 'तुम मुझे मेरे महल में वापस लाने के लिए पीछे क्यों पड़े हो?
\v 12 तुम मेरे सम्बन्धी हो। हमारे वही पूर्वज हैं। तो मुझे वापस लाने के लिए पीछे क्यों पड़े हो?'"
\s5
\v 13 और अमासा से कहो, "तुम मेरे सम्बन्धियों में से एक हो। मुझे आशा है कि यदि मैं तुम्हें योआब के बजाय मेरी सेना का सेनापति अब नियुक्त नहीं करता हूँ, तो परमेश्वर मुझे मार डालें।"
\p
\v 14 उन्हें यह संदेश भेजकर, दाऊद ने यहूदा के सभी लोगों को आश्वस्त किया कि वे उसके प्रति निष्ठावान रहें। अतः उन्होंने राजा को एक संदेश भेजा, "हम चाहते हैं कि तू और तेरे सभी अधिकारी यहाँ वापस आएँ।"
\v 15 तब राजा और उसके अधिकारी यरूशलेम की ओर लौट आए। जब वे यरदन नदी पहुँचे, तो यहूदा के लोग राजा से मिलने के लिए गिलगाल आए और उसे नदी पार ले आए।
\p
\s5
\v 16 बिन्यामीन के गोत्र का व्यक्ति शिमी, राजा दाऊद से मिलने के लिए यहूदा के लोगों के साथ नदी तट पर शीघ्रता से नीचे आ गया।
\v 17 बिन्यामीन के गोत्र में से एक हजार लोग उसके साथ आए थे। शाऊल का दास सीबा भी यरदन नदी तट पर शीघ्रता से आ गया, और अपने साथ बीस सेवकों को लाया। वे सब राजा के पास आए।
\v 18 वे सभी राजा और उसके परिवार को नदी के पार ले जाने के लिए तैयार थे, उस स्थान पर जहाँ से वे चलकर पार कर सकते थे। वे वही करना चाहते थे जो राजा चाहता था। जैसे ही राजा नदी पार करने वाला था, शिमी उसके पास आया और राजा के सामने दंडवत किया।
\p
\s5
\v 19 उसने राजा से कहा, "हे महामहिम, कृपया मुझे माफ़ कर दे। कृपया उस दिन की भयानक बातों के विषय न सोचें जिसे मैंने यरूशलेम छोड़ते समय कहा था। अब इसके विषय मत सोचें।
\v 20 मुझे पता है कि मैंने पाप किया है। देखो, मैं आज आया हूँ, उत्तरी जनजातियों में से प्रथम में आज तुझे अभिनन्दन करने के लिए यहाँ आया हूँ, हे महामहिम।"
\p
\s5
\v 21 परन्तु सरूयाह के पुत्र अबीशै ने दाऊद से कहा, "इसने जिसे यहोवा ने राजा बनाया है, उसे शाप दिया! तो क्या उसे ऐसा करने के लिए मृत्युदंड नहीं देना चाहिए?"
\p
\v 22 परन्तु दाऊद ने कहा, "हे सरूयाह के पुत्र, मैं तेरे साथ क्या करूँ? ऐसा लगता है कि आज तू मेरा शत्रु बन गया है। मुझे पता है कि मैं अभी भी इस्राएल का राजा हूँ, इसलिए मैं कहता हूँ कि निश्चित रूप से किसी को भी आज इस्राएल में मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा।"
\v 23 तब राजा ने शिमी से कहा, "मैं सत्यनिष्ठा से वादा करता हूँ कि मैं तुझे मृत्युदंड नहीं दूँगा।"
\p
\s5
\v 24 तब शाऊल का पोता मपीबोशेत, राजा का अभिनन्दन करने नदी में उतरा। उसने जबसे राजा यरूशलेम छोड़कर गया था अपने पैरों को धोया नहीं था ना अपनी दाढ़ी को छांटा था ना अपने कपड़े धोए थे उस दिन तक जब राजा यरूशलेम लौट आया था।
\v 25 जब वह राजा का अभिनन्दन करने यरूशलेम से आया, तो राजा ने उससे कहा, "मपीबोशेत, तू मेरे साथ क्यों नहीं गया?"
\p
\s5
\v 26 उसने उत्तर दिया, "हे महामहिम, तू जानता है कि मैं अपंग हूँ। जब मैंने सुना कि तू यरूशलेम छोड़ रहा है मैंने अपने दास सीबा से कहा, 'मेरे गधे पर एक काठी रखो ताकि मैं उस पर सवारी कर के राजा के साथ जा सकूँ।' परन्तु उसने मुझे धोखा दिया और मेरे बिना चला गया।
\v 27 उसने मेरे विषय तुझसे झूठ बोला। परन्तु महामहिम, तू परमेश्वर के दूत के समान बुद्धिमान है। तो जो भी तुझे सही लगता है कर।
\v 28 मेरे दादा के परिवार के सभी आशा करते थे कि हमे मृत्युदंड मिलेगा। परन्तु तूने मुझे मृत्युदंड नहीं दिया। तूने मुझे अपनी मेज पर खाना खाने की अनुमति दी! तो मुझे निश्चित रूप से तुझसे कुछ और अनुरोध करने का अधिकार नहीं है।"
\p
\s5
\v 29 राजा ने उत्तर दिया, "तुझे निश्चित रूप से और कहने की आवयशकता नहीं है। मैंने निर्णय किया है कि तू और सीबा अपने दादा शाऊल से संबंधित भूमि को समान रूप से बाँट ले।"
\p
\v 30 मपीबोशेत ने राजा से कहा, "महामहिम, मैं संतुष्ट हूँ कि तू सुरक्षित रूप से लौट आया है। इसलिए उसे सारी भूमि लेने की अनुमति दे।"
\p
\s5
\v 31 गिलाद के क्षेत्र का व्यक्ति बर्जिल्लै, अपने शहर रोगलीम से यरदन नदी पर राजा को नदी पार सुरक्षित पहुँचाने आया।
\v 32 बरज़िल्लै अस्सी वर्ष का बहुत बूढ़ा व्यक्ति था। वह बहुत धनवान व्यक्ति था, और उसने राजा और उसके सैनिकों के लिए भोजन प्रदान किया था, जब वे महनैम में थे।
\v 33 राजा ने बर्जिल्लै से कहा, "मेरे साथ यरूशलेम आ, और मैं तेरा ध्यान रखूँगा।"
\p
\s5
\v 34 परन्तु बर्जिल्लै ने उत्तर दिया, "मेरे पास निश्चित रूप से जीने के लिए और अधिक वर्ष नहीं हैं। तो मैं तेरे साथ यरूशलेम क्यों जाऊँ?
\v 35 मैं अस्सी वर्ष का हूँ। मुझे नहीं पता कि क्या आनंददायक है और क्या आनंददायक नहीं है। मैं जो खाता हूँ और जो पीता हूँ उसका आनंद नहीं ले सकता। जब वे गाते हैं तो मैं पुरुषों और महिलाओं की आवाज नहीं सुन सकता। तो मैं तेरे लिए एक और बोझ क्यों बनूँ?
\v 36 मैं तेरे साथ यरदन नदी पार करूँगा और थोड़ा आगे जाऊँगा, और यही प्रतिफल मुझे चाहिए तेरी सहायता करने के लिए।
\s5
\v 37 फिर कृपया मुझे अपने घर लौटने की अनुमति दे, क्योंकि वहीं मैं मरना चाहता हूँ, मेरे माता-पिता की कब्र के पास। परन्तु मेरा बेटा किम्हाम यहाँ है। हे महामहिम, उसे तेरे साथ जाने और तेरी सेवा करने की अनुमति दे, और उसके लिए जो कुछ भी तुझको अच्छा लगता है कर!"
\p
\s5
\v 38 राजा ने उत्तर दिया, "बहुत अच्छा, वह मेरे साथ नदी पार करेगा, और जैसा तुझे अच्छा लगे मै उसके लिए करूँगा। और जो कुछ भी तू मुझसे चाहे वह भी मैं तेरे लिए करूँगा।"
\p
\v 39 तब राजा दाऊद और अन्य सभी ने यरदन नदी पार किया। उसने बरज़िल्लै को चूमा और परमेश्वर से उसे आशीष देने के लिए कहा। तब बरज़िल्लै अपने घर लौट आया।
\p
\s5
\v 40 नदी पार करने के बाद, किम्हाम राजा के साथ गया, और यहूदा की सारी सेना और अन्य इस्राएली गोत्रों की आधी सेना की सुरक्षा में राजा गिलगाल पहुँचा।
\p
\v 41 तब अन्य इस्राएली गोत्रों के सभी इस्राएली सैनिक राजा के पास आए और कहा, "ऐसा क्यों है कि हमारे सम्बन्धी, यहूदा के पुरूषों ने तुझको हमसे दूर कर दिया और सिर्फ वे ही तुझको और तेरे परिवार को तेरे सभी पुरुषों सहित नदी सुरक्षित पार कराना चाहते हैं? तूने हमसे ऐसा करने का अनुरोध क्यों नहीं किया?"
\p
\s5
\v 42 यहूदा के सैनिकों ने उत्तर दिया, "हमने ऐसा किया क्योंकि राजा यहूदा का है। तुम इस बारे में क्यों क्रोधित हो? राजा ने कभी हमारे भोजन के लिए भुगतान नहीं किया है, और उसने हमें कभी भी कोई उपहार नहीं दिया है।"
\p
\v 43 अन्य इस्राएली गोत्रों के लोगों ने उत्तर दिया, "इस्राएल में दस गोत्र हैं, और यहूदा में सिर्फ एक ही है। इसलिए हमारे लिए यह कहना तुम्हारे कहने से दस गुना अधिक सही है कि दाऊद हमारा राजा है, तो तुम हमें क्यों तुच्छ मान रहे हो? हम निश्चित रूप से प्रथम थे जो दाऊद को फिर से हमारे राजा बनने के लिए यरूशलेम वापस लाने के विषय बातें करते थे।"
\p परन्तु यहूदा के लोगों ने इस्राएल के अन्य गोत्रों के पुरुषों की तुलना में अधिक कठोर बातें कीं।
\s5
\c 20
\p
\v 1 शेबा नामक गिलगाल में एक व्यक्ति भी था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो हमेशा परेशानी का कारण बनता था। वह बिक्री के पुत्र बिन्यामीन के गोत्र में से था। उसने एक तुरही फूँकी और चिल्लाया, " हमारा यिशै के पुत्र दाऊद के साथ कुछ लेना देना नहीं है! तो, इस्राएल के पुरुषों, आओ अपने अपने घर चलें!"
\p
\v 2 तब इस्राएली गोत्रों के सभी लोग दाऊद को छोड़कर शेबा के साथ चले गए, परन्तु यहूदा के लोग दाऊद के साथ रहे। वे चाहते थे कि वह उनका राजा बन जाए, और उसके साथ यरदन नदी के पास यरूशलेम तक चले गए।
\p
\s5
\v 3 जब दाऊद यरूशलेम के महल में पहुँचा, तो उसने दस दासी पत्नियों को लेकर जिन्हें महल की देखभाल करने के लिए छोड़ा था उन्हें दूसरे घर पर रखा। उसने उस घर पर एक पहरेदार रखा, और उसने उनके लिए जो जरूरी था, वह प्रदान किया, परन्तु वह फिर कभी उनके साथ न सोया। इसलिए जब तक वे मर नहीं गई, तब तक वे अपने घर में बंद रहीं। ऐसा लगता था कि वे विधवा थी।
\p
\s5
\v 4 एक दिन राजा ने अमासा से कहा, "यहूदा के सैनिकों को यहाँ तीन दिन के भीतर आने के लिए कह, और तू भी यहीं रहना।"
\v 5 तब अमासा उनको बुलाने गया, परन्तु वह दाऊद के कहे समयानुसार वापस नहीं लौटा।
\p
\s5
\v 6 तब दाऊद ने अबीशै से कहा, "अब शेबा हमें अबशालोम से अधिक हानि पहुँचाएगा। इसलिए तू मेरे सैनिकों को ले जा और उसका पीछा कर। यदि तू ऐसा नहीं करता है, तो वह और उसके सैनिक कुछ गढ़वाले शहरों पर अधिकार कर सकते हैं और हमसे बच सकते हैं।"
\v 7 तब अबीशै और योआब और राजा के अंगरक्षक और दूसरे सैनिकों ने शेबा का पीछा करने के लिए यरूशलेम को छोड़ दिया।
\p
\s5
\v 8 जब वे गिबोन के क्षेत्र में विशाल चट्टान पर पहुँचे तो अमासा उनसे मिला। योआब युद्ध के लिए कवच पहने हुए था और तलवार उसकी कमरबंध पर कसी हुई थी। जब वह अमासा के करीब आया, तो उसने तलवार को जमीन पर गिरा दिया।
\p
\s5
\v 9 योआब ने अमासा से कहा, "क्या तेरे साथ सब कुशल है, मेरे मित्र?" तब योआब ने उसे चूमने के लिए अमासा की दाढ़ी को अपने दाहिने हाथ से पकड़ लिया।
\v 10 परन्तु अमासा ने यह नहीं देखा कि योआब ने अपने दूसरे हाथ में एक और कटार पकड़ रखी थी। योआब ने उसे अमासा के पेट में घोंप दिया, और उसकी आंतें भूमि पर फैल गईं। अमासा तुरंत मर गया। योआब को फिर से उसे मारने की आवश्यकता नहीं पड़ी। तब योआब और उसके भाई अबीशै शेबा का पीछा करते रहे।
\p
\s5
\v 11 योआब के सैनिकों में से एक अमासा के शरीर के साथ खड़ा था वह चिल्लाया, "जो कोई योआब को हमारा सेनापति बनाना चाहता है और जो दाऊद को हमारा राजा बनाना चाहता है, योआब के साथ जाओ!"
\v 12 अमासा का शरीर सड़क पर पड़ा था। यह रक्त से ढँका हुआ था। योआब के जिस सैनिक ने चिल्लाया था उसने देखा कि योआब के कई सैनिक इसे देखने के लिए रुक रहे हैं, इसलिए उसने अमासा के शरीर को सड़क से खींचकर मैदान में डाल दिया और शरीर पर एक कपड़ा भी फेंक दिया।
\v 13 शरीर को सड़क से हटाने के बाद, सभी सैनिक शेबा का पीछा करने के लिए योआब के साथ गए।
\p
\s5
\v 14 शेबा इस्राएल के सभी गोत्रों से निकलकर इस्राएल के उत्तरी हिस्से में बेतमाका के आबेल नामक शहर में पहुँचा। उसके पिता बिक्री के वंश के सभी सदस्य वहाँ इकट्ठे हुए और शेबा के साथ शहर गए।
\v 15 योआब के साथ रहने वाले सैनिकों ने देखा कि शेबा वहाँ गया है, इसलिए वे वहाँ गए और शहर को घेर लिया। उन्होंने शहर की दीवार के विपरीत धूल की एक ढलान बनाई। उन्होंने दीवार को गिराने के लिए ठोंकना शुरू किया।
\v 16 तब उस नगर में एक बुद्धिमान महिला दीवार के शीर्ष पर खड़ी हुई और चिल्लाने लगी, "मेरी बातें सुनो! योआब को यहाँ आने के लिए कहो, क्योंकि मैं उससे बातें करना चाहती हूँ!"
\s5
\v 17 जब उन्होंने योआब को बताया उसके बाद, वह वहाँ आया, और उस स्त्री ने कहा, "क्या तू योआब है?"
\p उसने जवाब दिया, "हाँ, मैं हूँ।" उसने उससे कहा, "मैं जो कहती हूँ उसे सुन।" उसने जवाब दिया, "मैं सुन रहा हूँ।"
\v 18 उसने कहा, "बहुत पहले लोग कहते थे, 'अपनी समस्याओं के विषय अच्छी सलाह पाने के लिए आबेल शहर जाओ।' और ऐसा लोगों ने किया भी।
\v 19 हम शान्तिपूर्ण और निष्ठावान इस्राएली हैं। यहाँ हमारे लोग महत्वपूर्ण और सम्मानित हैं। तो तू एक ऐसे शहर को नष्ट करने की कोशिश क्यों कर रहा है जो यहोवा का है?"
\p
\s5
\v 20 योआब ने उत्तर दिया, "मैं निश्चित रूप से कभी भी तेरे शहर को बर्बाद या नष्ट नहीं करना चाहता!
\v 21 हम ऐसा नहीं करना चाहते हैं। परन्तु एप्रैम गोत्र में पहाड़ी क्षेत्र का एक व्यक्ति बिक्री का पुत्र शेबा राजा दाऊद के विरूद्ध विद्रोह कर रहा है। इस व्यक्ति को हमारे हाथों में सौंप दो, और फिर हम इस शहर से दूर चले जाएँगे।"
\p उस स्त्री ने योआब से कहा, "बहुत अच्छा, हम उसके सिर को काट देंगे और दीवार से तेरी ओर फेंक देंगे।"
\p
\v 22 तब यह स्त्री नगर के बुजुर्गों के पास गई और उनसे कहा कि उसने योआब से क्या कहा था। इसलिए उन्होंने शेबा का सिर काट दिया और दीवार से योआब की ओर फेंक दिया। तब योआब ने तुरही बजाई कि युद्ध समाप्त हो गया है, और उसके सभी सैनिक शहर छोड़कर अपने घर लौट आए। योआब यरूशलेम लौट आया और राजा को वह बताया जो हुआ था।
\p
\s5
\v 23 योआब पूरी इस्राएली सेना का सेनापति था। यहोयादा का पुत्र बनायाह दाऊद के अंगरक्षकों का सेनापति था।
\v 24 अदोराम ने उन पुरुषों की देखरेख की जिन्हें राजा के लिए काम करने के लिए विवश किया गया था। अहिलुद का पुत्र यहोशापात वह व्यक्ति था जो दाऊद का निर्णय लोगों तक पहुँचाता था।
\v 25 शवा आधिकारिक सचिव था। सादोक और एब्यातार याजक थे,
\v 26 और याईर शहर से ईरा भी दाऊद के याजकों में से एक था।
\s5
\c 21
\p
\v 1 इस्राएल में तीन साल तक अकाल पड़ा जो दाऊद के शासनकाल में हुआ। दाऊद ने इसके बारे में यहोवा से प्रार्थना की। और यहोवा ने कहा, "अकाल समाप्ति के लिए, शाऊल के परिवार को दंडित किया जाना चाहिए क्योंकि शाऊल ने कई गिबोनियों को मार डाला था।"
\p
\s5
\v 2 गिबोन के लोग इस्राएली मूल निवासी नहीं थे। वे एमोर लोगों के एक छोटे से समूह थे, जिन्हें इस्राएलियों ने कनान देश पर हमला करने पर सत्यनिष्ठ से सुरक्षा देने का वादा किया था। परन्तु शाऊल ने उन सभी को मारने का प्रयास किया क्योंकि वह सिर्फ यहूदा और इस्राएल के लोगों को उस देश में बसाने के लिए बहुत उत्सुक था। इसलिए राजा ने गिबोन के अगुवों को बुलाया
\v 3 और उन से कहा, "मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ? शाऊल ने जो तुम्हारे लोगों के साथ किया उसकी क्षतिपूर्ति मैं कैसे कर सकता हूँ, ताकि तुम हमें आशीर्वाद दे सको जो यहोवा के हैं और उनसे बहुत अच्छी चीजें पा सको?"
\p
\s5
\v 4 उन्होंने उत्तर दिया, "तुम हमें चाँदी या सोना देकर शाऊल और उसके परिवार के साथ झगड़े का समाधान नहीं कर सकते। हमें किसी भी इस्राएली को मारने का अधिकार नहीं है।"
\p तो दाऊद ने पूछा, "तो तुम क्या कहते हो जो मुझे तुम्हारे लिए करना चाहिए?"
\s5
\v 5 उन्होंने उत्तर दिया, "शाऊल हमसे छुटकारा पाना चाहता था। वह हम सभी को मिटा देना चाहता था, ताकि हम में से कोई भी इस्राएल में कहीं भी न रहे।
\v 6 शाऊल के वंशजों में से सात व्यक्तियों को हमे सौंप दे। हम उनको लटका देंगे हमारे शहर गिबोन में जहाँ यहोवा की आराधना की जाती है जहाँ शाऊल जिसे यहोवा ने राजा चुना था, रहता था।"
\p राजा ने उत्तर दिया, "बहुत अच्छा, मैं उन्हें तुम्हे सौंप दूँगा।"
\s5
\v 7 राजा ने शाऊल के पोते मपीबोशेत को उन्हें नहीं सौंपा, उस वायदे के कारण जो उसने और मपीबोशेत के पिता योनातान ने एक-दूसरे से किया था।
\v 8 इसकी अपेक्षा, उसने रिस्पा और शाऊल के दो पुत्र अर्मोनी और मपीबोशेत नामक - रिस्पा आइया की पुत्री थी और शाऊल की दासी पत्नी थी; दाऊद शाऊल की बेटी मेरब के पाँच पुत्र भी थे। मेरब का पति बर्जिल्लै का पुत्र अद्रियल था, जो मेहोला शहर से था उन को पकड़ा।
\v 9 दाऊद ने इन लोगों को गिबोन के लोगों को सौंप दिया। वे उन सात लोगों को गिबोन ले गए और उन्हें एक पहाड़ी पर फांसी दी जहाँ वे यहोवा की आराधना करते थे। वे साल के उस समय मारे गए जब लोग जौ की फसलें काटना आरम्भ करते थे।
\p
\s5
\v 10 तब रिस्पा ने बकरियों के बालों से बने मोटे कपड़े को ले लिया, और चट्टान पर फैलाया जहाँ लाशें थीं। वह जौ की कटनी के आरम्भ से बारिश शुरू होने तक वहाँ रुकी रही। उसने किसी भी पक्षी को दिन के समय लाशों के पास आने नहीं दिया, और उसने रात के समय किसी जानवर को आने नहीं दिया।
\v 11 किसी ने दाऊद से कहा कि रिस्पा ने क्या किया था।
\s5
\v 12 तब वह गिलाद के इलाके में अपने कुछ कर्मचारियों के साथ याबेश गया और शाऊल और उसके पुत्र योनातान की हड्डियाँ प्राप्त की। याबेश के लोगों ने बेतशान शहर में चौक से उनकी हड्डियों को चुरा लिया था, जहाँ पलिश्ती के लोगों ने उन्हें उस दिन गलबोरा पर्वत पर लटका दिया था जब शाऊल और योनातान को मार डाला था।
\v 13 दाऊद और उसके लोगों ने शाऊल और योनातान की हड्डियों को लिया, और उन्होंने गिबोन के सात लोगों की हड्डियों को भी लिया जिन्हें फांसी दी थी।
\p
\s5
\v 14 दाऊद के कर्मचारी बिन्यामीन के गोत्र के देश में जेला शहर में शाऊल के पिता कीश की कब्र पर गए थे। वहाँ उन्होंने शाऊल और योनातान की हड्डियों को भी मिट्टी दी। इस तरह, उन्होंने वे सभी काम किए जो राजा ने उन्हें करने का आदेश दिया था। उसके बाद, क्योंकि परमेश्वर ने देखा कि शाऊल के परिवार को गिबोन के कई लोगों की शाऊल द्वारा हत्या के कारण दंडित किया गया था, उसने इस्राएलियों को उनके देश के लिए की गई प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, और अकाल को समाप्त कर दिया।
\p
\s5
\v 15 पलिश्ती की सेना ने फिर से इस्राएल की सेना के विरुद्ध लड़ना शुरू कर दिया। और दाऊद और उसके सैनिक उनसे लड़ने के लिए गए। युद्ध के दौरान, दाऊद थक गया।
\v 16 पलिश्ती पुरुषों में से एक ने सोचा कि वह दाऊद को मार सकता है। उसका नाम यिशबी - बनोन था। वह दानवों के एक समूह का वंशज था। उसने कांस्य का एक भाला लिया जो लगभग साढ़े तीन किलोग्राम वजन का था, और उसकी नई तलवार भी थी।
\v 17 परन्तु अबीशै दाऊद की सहायता करने आया, और उसने दानव पर हमला किया और उसे मार डाला। तब दाऊद के सैनिकों ने दाऊद को यह वादा करने पर विवश किया कि वह उनके साथ फिर युद्ध नहीं करेगा। उन्होंने उससे कहा, "यदि तू मर जाता, और तेरा कोई भी वंशज राजा नहीं बनता, तो यह इस्राएल की अंतिम रोशनी को बुझाने जैसा होगा।"
\p
\s5
\v 18 उसके कुछ समय बाद, गोब के गांव के पास पलिश्ती की सेना के साथ एक युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान, हुशाई के वंश से सिब्बकै ने राफ दानव के वंशजों में से एक सप को मार डाला।
\p
\v 19 बाद में गोब में पलिश्ती की सेना के साथ एक और लड़ाई हुई। उस युद्ध के दौरान, बैतलहम से यार के पुत्र एलहनान ने गत से गोलियत के भाई को मार डाला, जिसके भाले का डंडा बहुत मोटा था, जैसे जुलाहे की डोंगी।
\p
\s5
\v 20 बाद में गत के पास एक और लड़ाई हुई। वहाँ एक विशालकाय व्यक्ति था जो युद्ध में लड़ना पसंद करता था। उसके प्रत्येक हाथ पर छह अंगुलियाँ थीं और प्रत्येक पैर पर छह अंगुलियाँ थीं। वह राफ दानव के वंशजों में से एक था।
\v 21 परन्तु जब उसने इस्राएलियों की सेना में पुरुषों का अपमान किया, तो दाऊद के बड़े भाई शिमी के पुत्र योनातान ने उसे मार डाला।
\p
\v 22 वे चार पुरुष राफ दानव के वंशजों में से थे जो गत में रहते थे, जिन्हें दाऊद और उसके सैनिकों ने मारा था।
\s5
\c 22
\p
\v 1 यहोवा ने शाऊल और उसके अन्य शत्रुओं से दाऊद को बचा लिया था, तब दाऊद ने यहोवा के लिए एक गीत गाया।
\v 2 उसने यह गीत गाया:
\q1 "हे यहोवा, आप शिखर पर एक विशाल चट्टान की तरह हो जिसमें मैं छिप सकता हूँ।
\q2 आप एक किले की तरह हैं, और आप मुझे बचाते हैं।
\q1
\s5
\v 3 हे यहोवा, आप मेरी रक्षा करो। आप ढाल की तरह हैं,
\q2 और आप शक्तिशाली हो जो मुझे बचाते हैं।
\q1 आप ऐसे स्थान की तरह हैं जहाँ मुझे शरण मिलती है।
\q2 आप मुझे उन लोगों से बचाते हैं जो मेरे प्रति हिंसक हैं।
\q1
\v 4 हे यहोवा, मैं आपसे कहता हूँ।
\q2 आप प्रशंसा के योग्य हैं,
\q2 और आप मुझे मेरे दुश्मनों से बचाते हैं।
\q1
\s5
\v 5 मैं लगभग मर गया था। ऐसा लगता था मानो मुझ से एक बड़ी लहर टकरा गई हो,
\q1 और मुझे बाढ़ की तरह लगभग नष्ट कर दिया।
\q1
\v 6 मैंने सोचा कि मैं मर जाऊँगा। ऐसा लगता था मानो मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर लिपट गई हों,
\q2 और ऐसा लगता था मानो मैं एक जाल में था जहाँ मैं निश्चित रूप से मर जाऊँगा।
\q1
\s5
\v 7 परन्तु जब मैं बहुत परेशान था, तब मैंने आपको यहोवा कहकर पुकारा।
\q2 मैंने आपको पुकारा, मेरे परमेश्वर।
\q1 आपने मुझे अपने मन्दिर से सुना।
\q2 जब मैंने अपनी सहायता करने के लिए बुलाया तो आपने सुना।
\q1
\s5
\v 8 तब ऐसा हुआ मानो पृथ्वी हिल गई और काँप उठी।
\q2 ऐसा लगता था मानो आकाश को थामने वाली नींव थरथराने लगी,
\q2 क्योंकि आप क्रोधित थे।
\q1
\v 9 ऐसा लगता था मानो आपके नथनों से धुआं निकल उठा
\q2 और धधकता हुआ कोयला और आग जो सब कुछ भस्म करती है आपके मुँह से निकली।
\q1
\s5
\v 10 आपने आसमान फाड़ दिया और नीचे उतर आए।
\q2 आपके पैरों के नीचे घना अंधेरा बादल था।
\q1
\v 11 आप एक करूब पर सवार होकर आकाश में उड़े।
\q2 हवा ने आपको पक्षी की तरह तेजी से यात्रा करने में सक्षम बनाया।
\q1
\v 12 अंधेरा आपके चारों ओर एक कंबल की तरह था
\q2 जल भरे मेघों का समूह आपको घेरे हुए था।
\q1
\s5
\v 13 आप के सम्मुख के तेज़ से
\q2 जलते अंगारे धधक उठे।
\q1
\v 14 तब, हे यहोवा, आपने आकाश से गर्जन की तरह बातें की।
\q2 यह आपकी आवाज़ थी, परमेश्वर, आप जो अन्य सभी देवताओं में प्रमुख हैं, जिन्हें सुना गया था।
\q1
\v 15 जब आपने बिजली की चमक भेजी,
\q2 आपने ऐसा अपने तीरों को चलाया और अपने शत्रुओं को तितर-बितर कर दिया।
\q1
\s5
\v 16 तब महासागर के तल दिखाई दिए।
\q2 जगत की नींव उखाड़ दी गई
\q1 जब आप हमारे शत्रुओं के विरुद्ध लड़ाई में जाते हुए चिल्लाए,
\q2 और उन पर क्रोधित हुए।
\q1
\s5
\v 17 हे यहोवा, आपने स्वर्ग से नीचे हाथ बढ़ाया और मुझे उठा लिया।
\q2 आपने मुझे गहरे पानी से खींच लिया।
\q1
\v 18 आपने मुझे मेरे बलवंत शत्रुओं से बचाया,
\q2 उन लोगों से जो मुझसे घृणा करते हैं।
\q1 मैं उन्हें पराजित नहीं कर सका क्योंकि वे बहुत सामर्थी थे।
\q1
\s5
\v 19 मेरी विपत्ति के समय वे मुझ पर टूट पड़े,
\q2 परन्तु परमेश्वर, आपने मुझे बचाया।
\q1
\v 20 आप मुझे ऐसे स्थान पर ले आए जहाँ मैं सुरक्षित था।
\q2 आपने मुझे बचाया क्योंकि आप मुझसे प्रसन्न थे।
\q1
\v 21 हे यहोवा, आपने मुझे पुरस्कृत किया क्योंकि मैं सही करता हूँ।
\q2 आपने मेरे लिए अच्छे कर्म किए हैं क्योंकि मैं निर्दोष था।
\q1
\s5
\v 22 हे यहोवा, मैंने आपके नियमों का पालन किया है।
\q2 मैंने आपकी आराधना करना बंद नहीं किया है, मेरे परमेश्वर।
\q1
\v 23 आपके सभी नियम मेरे मन में थे,
\q2 और मैंने आपकी सभी विधियों का पालन करना बंद नहीं किया।
\q1
\s5
\v 24 आप जानते हैं कि मैंने कुछ भी बुरा नहीं किया है।
\q2 मैंने स्वयं को उन कामों को करने से दूर रखा जिनके लिए आप मुझे दंडित करते।
\q1
\v 25 इसलिए आपने मुझे सही काम करने के बदले में पुरस्कृत किया है,
\q2 क्योंकि आप जानते हैं कि मैं गलत काम न करने के कारण निर्दोष हूँ।
\q1
\s5
\v 26 हे यहोवा, आप उन लोगों के प्रति विश्वासयोग्य हैं जो सदैव आप पर भरोसा करते हैं,
\q2 और आप सदैव उन लोगों के लिए अच्छा करते हैं जिनके व्यवहार सदैव अच्छे होते हैं।
\q1
\v 27 आप उन लोगों के प्रति शुद्ध कार्य करते हैं जिनके मन शुद्ध हैं,
\q2 परन्तु आप उन लोगों के विरोधी हैं जो दोषी हैं।
\q1
\s5
\v 28 आप नम्र लोगों को बचाते हैं,
\q2 परन्तु आप उन लोगों को देखते रहते हैं जो घमंड करते हैं और उन्हें अपमानित करते हैं।
\q1
\v 29 हे यहोवा, आप दीपक की तरह हैं
\q2 आप उजियाला कर देते हैं जब मै अँधेरे में होता हूँ।
\q1
\s5
\v 30 आपकी सामर्थ से मैं अपने रास्ते को अवरुद्ध करने वाले सैनिकों की एक पंक्ति को तोड़ सकता हूँ;
\q2 मैं उनके शहर के चारों ओर की दीवार लाँघ सकता हूँ।
\q1
\v 31 मेरे परमेश्वर जिनकी मैं आराधना करता हूँ, जो कुछ भी आप करते हैं वह सिद्ध है।
\q2 आप सदैव अपने वादे के अनुसार कार्य करते हैं।
\q1 आप उन सभी के लिए ढाल की तरह हैं जो बचने के लिए आपसे अनुरोध करते हैं।
\q1
\s5
\v 32 हे यहोवा, आप ही अकेले हैं जो परमेश्वर हैं।
\q2 सिर्फ आप शिखर पर विशाल चट्टान की तरह हैं जिसमे हम छिप सकते हैं।
\q1
\v 33 परमेश्वर, जिनकी मैं आराधना करता हूँ वह मेरे लिए एक दृढ़ गढ़ है।
\q2 आप ऐसे व्यक्ति का जो निर्दोष है उस मार्ग पर नेतृत्व करते हैं जिस पर उसे चलना चाहिए।
\q1
\s5
\v 34 जब मैं पहाड़ों पर चलता हूँ,
\q2 आप मुझे सुरक्षित चलने में सक्षम करते हैं
\q2 जैसे एक हिरण दौड़ता है, बिना लड़खड़ाए।
\q1
\v 35 आप मुझे युद्ध में लड़ना सिखाते हैं
\q2 ताकि मैं तीर को मजबूत धनुष से कुशलता से चला सकूँ।
\q1
\s5
\v 36 ऐसा लगता है मानो आपने मुझे ढाल दी है
\q2 जिसके द्वारा आपने मुझे छुड़ाया है,
\q2 और आपने मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया है और मेरे प्रसिद्ध बनने का कारण हैं।
\q1
\v 37 आपने मेरे शत्रुओं को मुझे पकड़ने की अनुमति नहीं दी है,
\q2 और मैं युद्ध के दौरान गिरा नहीं हूँ।
\q1
\s5
\v 38 मैंने अपने शत्रुओं का पीछा किया और उन्हें पराजित किया।
\q2 जब तक वे सभी मारे नहीं गए तब तक मैंने उनसे लड़ना बंद नहीं किया।
\q1
\v 39 मैंने उन्हें मार गिराया। मैंने उन्हें अपनी तलवार से मारा,
\q1 और वे मेरे पैरों पर गिर गए और फिर उठ न पाए।
\q1
\s5
\v 40 आपने मुझे लड़ाई लड़ने के लिए सामर्थ दी है
\q2 और जो मुझ पर आक्रमण कर रहे थे उनके विनाश का कारण बना; मैने उन्हें कुचल डाला।
\q1
\v 41 आप मेरे लिए शत्रुओं के पीठ दिखाकर भागने का कारण बने।
\q2 मैंने उन लोगों को नष्ट कर दिया जो मुझसे घृणा करते थे।
\q1
\s5
\v 42 उन्होंने किसी को उन्हें बचाने के लिए खोजा, परन्तु किसी ने बचाया नहीं ।
\q2 उन्होंने आपको सहायता के लिए पुकारा, यहोवा,, परन्तु आपने उन्हें उत्तर नहीं दिया।
\q1
\v 43 मैंने उन्हें कुचल दिया, और वे धूल के छोटे कणों की तरह बन गए।
\q2 मैंने उन्हें रौंद डाला, और वे सड़कों पर कीचड़ की तरह बन गए।
\q1
\s5
\v 44 आपने मुझे उन लोगों से बचाया जिन्होंने मेरे विरूद्ध विद्रोह करने का प्रयास किया,
\q2 और आपने मुझे कई देशों पर शासन करने के लिए नियुक्त किया है।
\q2 जिन लोगों को मैं पहले नहीं जानता था वे अब मेरे अधिकार में हैं।
\q1
\v 45 विदेशी नम्रता से मेरे सामने झुक गए।
\q2 जैसे ही उन्होंने मेरे विषय सुना, उन्होंने मेरी आज्ञा मानी।
\q1
\v 46 वे भयभीत हो गए,
\q2 और वे मेरे पास अपने छिपने के स्थानों से काँपते हुए आए।
\q1
\s5
\v 47 हे यहोवा, आप जीवित हैं! मैं आपकी स्तुति करता हूँ! आप शिखर पर विशाल चट्टान की तरह हैं जिसमें मैं सुरक्षित हूँ!
\q2 आप ही हैं जो मुझे छुड़ाते हैं।
\q2 हर किसी को आपकी प्रशंसा करनी चाहिए।
\q1
\v 48 आप मुझे शत्रुओं को जीतने में सक्षम करते हैं,
\q2 और आप अन्य देशों के लोगों को मेरे अधिकार में रहने का कारण बनते हैं।
\q1
\v 49 आप ने मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ाया,
\q1 और आप ने मुझे उनसे अधिक सम्मानित होने दिया।
\q2 आपने मुझे उन पुरुषों से बचाया जिन्होंने सदैव हिंसक तरीके से कार्य किया।
\q1
\s5
\v 50 इस सब के कारण, मैं कई समूहों में आपकी स्तुति करता हूँ,
\q2 और मैं आपकी स्तुति करने के लिए गाता हूँ।
\q1
\v 51 आप मेरे शत्रुओं को जीतने के लिए, जिसे आपने राजा बनने के लिए नियुक्त किया, मुझे सक्षम करते हैं।
\q2 आप मुझ दाऊद से विश्वासयोग्यता से प्रेम करते हैं, और आप मेरे वंशजों को युगानयुग प्रेम करते रहोगे।"
\s5
\c 23
\p
\v 1 यिशै का पुत्र दाऊद, वह मनुष्य था जिसे परमेश्वर ने महान बनाया।
\q1 जिस परमेश्वर की याकूब ने आराधना की उन्होंने उसे इस्राएल का राजा बना दिया।
\q1 दाऊद ने इस्राएल के लोगों के लिए सुंदर गीत लिखा।
\q1 यह आखिरी गीत है जिसे उसने लिखा था:
\q1
\v 2 "यहोवा के आत्मा मुझे बताते हैं कि क्या कहना है।
\q1 जो संदेश मैं बोलता हूँ वह उनसे आता है।
\q1
\s5
\v 3 परमेश्वर, जिनकी हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं, उन्होंने कहा।
\q2 जो हम इस्राएली लोगों की रक्षा करतें हैं, उन्होंने मुझसे कहा,
\q1 'राजा जो लोगों पर न्यायपूर्वक शासन करते हैं
\q1 मेरे परमेश्वर के लिए भयभीत करनेवाला सम्मान है।
\q1
\v 4 वे प्रातःकाल चमकते सूर्य के समान हैं
\q2 और बारिश समाप्त होने के बाद घास उगने का कारण बनते हैं।'
\q1
\s5
\v 5 सच में, इस तरह परमेश्वर निश्चित रूप से मेरे परिवार को आशीष देंगे
\q2 क्योंकि उन्होंने मेरे साथ एक प्रतिज्ञा की है जो सर्वदा बनी रहेगी,
\q2 एक प्रतिज्ञा जिसमें वे वादा करते हैं कि इसका कोई भी हिस्सा कभी नहीं बदला जाएगा।
\q1 इससे निश्चित रूप से मुझे समृद्ध होने का कारण मिलेगा,
\q2 और वे सर्वदा मेरी सहायता करेंगे,
\q1 और यही सब कुछ है जो मैं चाहता हूँ।
\q1
\s5
\v 6 परन्तु वे उन लोगों से छुटकारा पाएँगे जो उनका सम्मान नहीं करते, जैसे लोग कांटों को फेंक देते हैं
\q2 जो लोगों को चोट पहुँचाते हैं यदि वे उन्हें अपने हाथों से उठाने का प्रयास करते हैं।
\q1
\v 7 जो कटीली झाड़ियों से छुटकारा पाना चाहता है वह उन्हें पकड़ता नहीं है,
\q2 परन्तु वह उन्हें खोदने के लिए लोहे फावेड़ या भाले का उपयोग करता है
\q2 और फिर वह उन्हें पूरी तरह भस्म करता है।"
\p
\s5
\v 8 ये दाऊद के शूरवीरों के नाम हैं।
\p पहला हेशमन कबीले से जेसुबाल था। वह शूरवीरों का प्रधान था। एक बार वह आठ सौ शत्रुओं के विरुद्ध लड़ा और उन्हें अपने भाले से मार डाला।
\p
\s5
\v 9 महान योद्धाओं में से दूसरा दोदै का पुत्र एलीआज़र था, जो अहो के वंश से था। एक दिन वह दाऊद के साथ था जब उन्होंने युद्ध के लिए इकट्ठे हुए पलिश्ती सैनिकों की निंदा की। अन्य इस्राएली सैनिकों ने पीछे हटना शुरू किया,
\v 10 परन्तु एलीआज़र वहाँ खड़ा रहा और पलिश्ती सैनिकों से लड़ता रहा जब तक कि उसके हाथ नहीं थके, जिसके परिणामस्वरूप उसका हाथ ऐंठ गया और वह अपनी तलवार नहीं पकड़ सका। यहोवा की उस दिन बड़ी जीत हुई। और बाद में अन्य इस्राएली सैनिक वहाँ लौटे जहाँ एलीआज़र था, और उन लोगों के कवच उखाड़ने गए जिन्हें उसने मारा था।
\p
\s5
\v 11 सबसे महान योद्धाओं में से तीसरा हारार के वंश से आगे का पुत्र शम्मा था। एक बार पलिश्ती सैनिक लेही शहर में इकट्ठे हुए, जहाँ मसूर से भरा एक क्षेत्र था जिसे वे चोरी करना चाहते थे। अन्य इस्राएली सैनिक पलिश्ती सैनिकों से भाग गए,
\v 12 परन्तु शम्मा मैदान में खड़ा रहा और पलिश्ती सैनिकों को मटर चुराने नहीं दिया, और उन्हें मार डाला। यहोवा की उस दिन एक बड़ी विजय हुई।
\p
\s5
\v 13 एक समय ऐसा आया जब फसल काटने का समय लगभग हो चुका था उन तीस में से तीन पुरुष अदुल्लाम की गुफा में गए, जहाँ दाऊद रह रहा था। पलिश्ती सेना के पुरुषों के एक समूह ने यरूशलेम के पास रपाईम की घाटी में अपने तम्बू स्थापित किए थे।
\v 14 दाऊद और उसके सैनिक गुफा में थे क्योंकि वह सुरक्षित था, और पलिश्ती सैनिकों का एक और समूह बैतलहम पर अधिकार कर रहा था।
\s5
\v 15 एक दिन दाऊद को थोड़ा पानी पीने की इच्छा हुई, और उसने कहा, "मेरी इच्छा है कि कोई मुझे बैतलहम के द्वार के पास कुएं से थोड़ा पानी ला कर दे!"
\v 16 इसलिए उसके तीन महान योद्धाओं ने पलिश्ती सैनिकों की छावनी में बलपूर्वक प्रवेश किया और कुएं से थोड़ा पानी निकाला, और उसे दाऊद के पास ले आए। परन्तु वह उसने पिया नहीं। इसकी अपेक्षा, उसने इसे यहोवा को चढ़ाए जाने के लिए जमीन पर उंडेल दिया।
\v 17 उसने कहा, "हे यहोवा, यह पानी पीना मेरे लिए उचित न होगा! यह उन मनुष्यों के खून को पीना जैसा होगा जो मेरे लिए मरने को तैयार थे!" उसने इसे पीने से मना कर दिया।
\p वह उन कार्यो में से एक था जो उन तीन महान योद्धाओं ने किए थे।
\p
\s5
\v 18 योआब का छोटा भाई अबीशै दाऊद के शूरवीरों का प्रधान था। एक दिन वह तीन सौ पुरुषों के विरुद्ध लड़ा और उन्हें अपने भाले से मार डाला। फलस्वरूप, वह भी प्रसिद्ध हो गया।
\v 19 वह शूरवीरों में से सबसे प्रसिद्ध हुआ, और वह उनका प्रधान बन गया, परन्तु वह तीन महान योद्धाओं में से एक नहीं था।
\p
\s5
\v 20 कबसेल शहर से यहोयादा के पुत्र बनायाह ने भी महान काम किए। उसने मोआब लोगों के समूह के दो सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की हत्या कर दी। इसके अलावा, वह उस दिन एक गड्ढे में चला गया जब भूमि पर बर्फ गिर रही थी, और वहाँ एक शेर मारा।
\v 21 उसने मिस्र के विशाल सैनिक को मार डाला जो भाला लिए हुए था। बनायाह के पास सिर्फ उसकी लाठी थी, परन्तु उसने इससे विशालकाय पर हमला किया। तब उसने भाले को व्यक्ति के हाथ से छीन लिया और उसे उसके भाले से मारा।
\s5
\v 22 उन कामों में से कुछ हैं जिन्हें बनायाह ने किया था। फलस्वरूप, वह प्रसिद्ध हो गया, जैसे तीन महान योद्धा थे।
\v 23 वह अन्य शूरवीरों की तुलना में अधिक सम्मानित था, परन्तु तीन शूरवीरों से प्रसिद्ध नहीं था। दाऊद ने उसे अपने अंगरक्षकों के प्रधान के रूप में नियुक्त किया।
\q2
\s5
\v 24 उन महान योद्धाओं के नाम हैं:
\li3 योआब के छोटे भाई असाहेल,
\li3 बैतलहम से दोदो का पुत्र एल्हानान,
\li3
\v 25 शम्मा और एलिका, हेरोद के वंश से,
\li3
\v 26 हेलेस, पेलेत शहर से, तकोई शहर से इक्केश का पुत्र
\li3 ईरा,
\li3
\v 27 अबीएज़ेर, अनातोत शहर से,
\li3 मबुन्ने जिसका दूसरा नाम सिब्बेबाई था, हुशा के वंश से,
\li3
\v 28 सल्मोन जिसका नाम इहई था, अहो के वंश से,
\li3 महरै, नतोपाह शहर से,
\li3
\s5
\v 29 बाना का पुत्र हेलेब, नतोपाह से एक और
\li3 रिबै का पुत्र हुत्तै, बिन्यामीन के गोत्र के देश में गिबा के नगर से,
\li3
\v 30 बनायाह, पिरातोंन शहर से,
\li3 हिड्डै , गाश की घाटियों के पास घाटियों से,
\li3
\v 31 अबी-अल्बोन, अरबा के वंश से, बहरीम शहर से
\li3 असमावेत,
\li3
\v 32 एलियाबा, शालबोन शहर से-
\li3 जाशेन के पुत्र,
\li3 अरार शहर से शम्मा का पुत्र योनातान,
\li3
\s5
\v 33 अरार से शारार का पुत्र अहीआम,
\li3
\v 34 माका शहर से अहसबै का पुत्र एलीपेलेप्त ,
\li3 गिलो शहर से अहीतोपेल का पुत्र एलीआम,
\li3
\v 35 हेस्ररो, कर्मेल शहर से,
\li3 अराबा शहर से पारै,
\li3
\v 36 नातान का पुत्र यिगाल, सोबा शहर से, गाद के गोत्र से
\li3 बानी;
\li3
\s5
\v 37 सेलेक, अम्मोन लोगों के समूह से,
\li3 नेहरै, वह व्यक्ति जो योआब के हथियारों को ढोनेवाला लेरोथ शहर से,
\li3
\v 38 ईरा और गारेब, येतेर शहर से,
\li3
\v 39 ऊरिय्याह, बतशेबा का पति, हित्ती लोगों के समूह से।
\q2 कुल मिलाकर, वहाँ सैंतीस प्रसिद्ध सैनिक थे।
\s5
\c 24
\p
\v 1 यहोवा इस्राएलियों से पुनः क्रोधित था, इसलिए उसने दाऊद को उनके लिए परेशानी उत्पन्न करने के लिए उकसाया। उसने दाऊद से कहा, "कुछ लोगों को इस्राएल और यहूदा के लोगों की गणना करने के लिए भेजे।"
\p
\v 2 तब राजा ने अपनी सेना के सेनापति योआब से कहा, "अपने अधिकारियों के साथ दान के उत्तरी छोर से बेर्शेबा के दक्षिणी छोर तक इस्राएल के सभी गोत्रों में जाकर लोगों की गणना करो ताकि मुझे पता चले कि वहाँ ऐसे कितने लोग है जो सैनिक बन सकते है।"
\p
\s5
\v 3 पर योआब ने राजा से कहा, "हे महामहिम, मै आशा करता हूँ कि लोगों की संख्या अभी जितनी है उससे यहोवा तेरा परमेश्वर सौ गुणा अधिक दे और मै आशा करता हूँ कि तू अपनी मृत्यु से पूर्व ऐसा होता देखे। परन्तु तू क्यों चाहता है कि हम ऐसा करें?"
\p
\v 4 परन्तु राजा ने योआब और उसके अधिकारियों को ऐसा करने का आदेश दिया। इसलिए वे राजा के सामने से चले गए और इस्राएल के लोगों की गिनती करने के लिए निकल पड़े।
\p
\s5
\v 5 उन्होंने यरदन नदी पार कर अरोएर के दक्षिण में घाटी के बीच में, गाद के गोत्र को दिए गए क्षेत्र में अपने तम्बू लगाए। वहाँ से वे उत्तर में याज़ेर गए।
\v 6 तब वे उत्तर में गिलाद और कादेश गए, जहाँ हित्ती समूह रहता था। तब वे इस्राएल के उत्तरी छोर दान की ओर गए और फिर पश्चिम में भूमध्य सागर के पास सीदोन गए।
\v 7 तब वे दक्षिण में टायर गए, एक शहर जिसके चारों ओर एक ऊँची दीवार खड़ी थी, और उन सभी शहरों में जहाँ हिब्बी और कनानी लोग रहते थे। तब वे बेर्शेबा में पूर्व की ओर यहूदा के दक्षिणी जंगल में गए।
\p
\s5
\v 8 नौ महीने और बीस दिनों के बाद, जब वे पूरे देश में जाकर लोगों की गिनती कर चुके, तो वे यरूशलेम लौट आए।
\p
\v 9 उन्होंने राजा को उन लोगों की संख्या की सूचना दी जिन्हें उन्होंने गिना था। इस्राएल में 800,000 पुरुष और यहूदा में 500,000 पुरुष थे जो सैनिक बन सकते थे।
\p
\s5
\v 10 परन्तु दाऊद के लोगों के द्वारा लोगों की गिनती के बाद, दाऊद पछताया कि उसने उन्हें ऐसा करने के लिए क्यों कहा। एक रात उसने यहोवा से कहा, "मैंने बहुत बड़ा पाप किया है। कृपया मुझे क्षमा कर दें, क्योंकि मैंने जो किया है वह बहुत मूर्खतापूर्ण है।"
\p
\s5
\v 11 जब दाऊद अगली सुबह उठा, तब यहोवा ने भविष्यद्वक्ता गाद को एक संदेश दिया। उन्होंने उससे कहा,
\v 12 "जा और दाऊद को यह बता, 'मैं तुझे दंडित करने के लिए तीन विकल्पों में से एक चुनने की अनुमति दे रहा हूँ। जिसे तू चुने उसके अनुसार मै तुझे दण्डित करूँगा।'"
\p
\s5
\v 13 तब गाद दाऊद के पास गया और उसे बताया जो यहोवा ने कहा था। उसने दाऊद से कहा, "तू या तो यह चुन सकता है कि तेरी भूमि पर तीन वर्ष का अकाल होगा, या तेरी सेना तीन महीने शत्रुओं से भागती रहे, या तीन दिन जब तेरी भूमि पर महामारी फैली रहे। तुझे इसके बारे में सोचना चाहिए और चुनकर बता कि तू क्या चाहता है, और मुझे बता, और मैं यहोवा के पास वापस जाऊँगा और उन्हें बताऊँगा कि तेरा उत्तर क्या है।"
\p
\v 14 दाऊद ने गाद से कहा, "चुनने के लिए ये सभी बहुत ही भयानक बातें हैं! परन्तु यहोवा को मुझे दंडित करने की अनुमति है क्योंकि वे बहुत दयालु हैं। इंसानों को मुझे दंडित करने की अनुमति न दें, क्योंकि वे दयालु नहीं होंगे।"
\p
\s5
\v 15 तब यहोवा ने इस्राएलियों पर महामारी भेजी। यह उस सुबह शुरू हुआ और ठहराए हुए समय तक नहीं रुका। पूरे देश में, दान से बेर्शेबा तक, सत्तर हजार इस्राएली महामारी के कारण मर गए थे।
\v 16 जब यहोवा के दूत ने महामारी के द्वारा लोगों को नाश करने के लिए यरूशलेम की ओर अपना हाथ बढ़ाया, तो यहोवा अन्य लोगों को दंडित करने के विषय दुःखी हुए। उन्होंने महामारी से नाश करनेवाले स्वर्गदूत से कहा, "तू जो कर रहा है उसे रोक! यह पर्याप्त है!" जब उन्होंने यह कहा, तो स्वर्गदूत उस भूमि पर खड़ा था जहाँ यबूसी समूह के, अरौना अनाज छाँटते थे।
\p
\s5
\v 17 जब दाऊद ने उस स्वर्गदूत को देखा जो लोगों को बीमार करती और मारता जा रहा था, तो उसने यहोवा से कहा, "सचमुच, मैं हूँ जिसने पाप किया है। मैंने बड़ा अपराध किया है, परन्तु ये लोग तो भेड़ के समान निर्दोष हैं। उन्होंने निश्चित रूप से कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए आपको मुझे और मेरे परिवार को दंडित करना चाहिए, न कि इन लोगों को!"
\p
\s5
\v 18 उस दिन गाद दाऊद के पास आया और उससे कहा, "उस स्थान पर जा जहाँ अरौना अनाज छाँटता है, और वहाँ यहोवा की आराधना करने के लिए एक वेदी बना।"
\v 19 तब दाऊद ने जो गाद ने उसे करने के लिए कहा था किया, जिसकी यहोवा ने आज्ञा दी थी, और वह वहाँ गया।
\v 20 जब अरौना ने ऊपर से देखा और राजा और उसके अधिकारियों ने उसको पास आते देखा, तो उसने मुँह के बल भूमि पर गिरकर राजा को दंडवत किया।
\p
\s5
\v 21 अरौना ने कहा, "हे महामहिम, तू मेरे पास क्यों आया हैं?" दाऊद ने उत्तर दिया, "मैं इस भूमि को खरीदने के लिए आया हूँ, जहाँ तू अनाज को छाँटता है ताकि यहोवा के लिए वेदी बनवाऊँ और उस पर बलि चढ़ाऊँ, ताकि वे महामारी को रोक सकें।"
\p
\v 22 अरौना ने दाऊद से कहा, "हे महामहिम, जो तू चाहे यहोवा को चढ़ा। यहाँ, मेरे बैल को भेंट के लिए ले जा जिसे वेदी पर पूरी तरह जला दिया जाएगा। और यहाँ, उनके जुए और पट्टे जिनका मैं छाँटने के लिए उपयोग करता हूँ ले ले, और उनका उपयोग जलाने वाली लकड़ियों के समान करो।
\v 23 मैं, अरौना, यह सब तुझे, मेरे राजा को दे रहा हूँ। "तब उसने कहा," मैं चाहता हूँ कि हमारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारी भेंट स्वीकार करे।"
\p
\s5
\v 24 परन्तु राजा ने अरौना से कहा, "नहीं, मैं इन चीज़ों को उपहार के रूप में नहीं लूँगा। मैं इनका दाम देकर मोल लूँगा। मैं वे बलिदान नहीं चढ़ाऊँगा जिनका मैने कुछ मोल न चुकाया हो, और उन्हें पूरी तरह जलने के लिए यहोवा की वेदी पर नहीं चढ़ाऊँगा। "इसलिए उसने भूमि और बैलों को पचास चाँदी के सिक्के देकर मोल लिया।
\p
\v 25 तब दाऊद ने यहोवा के लिए एक वेदी बनाई, और उसने बैल को वेदी पर पूरी तरह जलने के लिए चढ़ाया, और उसने यहोवा के साथ संगति सुधारने के लिए बलि चढ़ाई। तब, यहोवा ने दाऊद की प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, और उसने इस्राएल में महामारी को समाप्त कर दिया।