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\id DEU Unlocked Dynamic Bible
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\h व्यवस्थाविवरण
\toc1 व्यवस्थाविवरण
\toc2 व्यवस्थाविवरण
\toc3 deu
\mt1 व्यवस्थाविवरण
\s5
\c 1
\p
\v 1 इस पुस्तक में वे सभी बातें लिखी हैं जो मूसा ने सभी इस्राएलियों से कहा था, जब उन्होंने यरदन की पूर्व दिशा में अपने तंबू स्थापित किए थे- यरदन के साथ रेगिस्तानी मैदान में सुफ नाम के स्थान में, जो यरदन नदी की एक ओर पारन और नदी की दूसरी ओर तोपेल, लाबान, हसेरोत और दीजाहाब नगरों के बीच में था।
\v 2 सीनै पर्वत से कादेशबर्ने तक एदोम नामक पहाड़ी देश के रास्ते से, लोग प्रायः केवल ग्यारह दिन की यात्रा करते हैं।
\p
\s5
\v 3 इस्राएलियों के मिस्र छोड़ने के चालीस साल बाद, मूसा ने इस्राएलियों को जो कुछ भी यहोवा ने आज्ञा दी थी, उसे बताया।
\v 4 यह घटना, एमोर लोगों के समूह के राजा सीहोन, जो हेशबोन शहर में रहते थे, और बाशान के क्षेत्र के राजा ओग जो अशतरोथ और एद्रेई के नगरों में रहते थे, उन्हें पराजित करने के बाद हुई।
\p
\s5
\v 5 मूसा ने ये बातें उन्हें तब बतायीं, जब लोग मोआब में थे, जो यरदन नदी की पूर्व की ओर था। उसने उन्हें परमेश्वर के निर्देशों को समझाया। उसने उनसे यहोवा की आज्ञाओं को बताया और यह बातें कहीं:
\p
\v 6 “जब हम सीनै पर्वत पर थे, तब हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमसे कहा, ‘तुम इस पहाड़ के नीचे बहुत लंबे समय तक रह चुके हो।
\s5
\v 7 अब यात्रा जारी रखो। पहाड़ी देश में जाओ और आसपास के इलाकों में जहाँ एमोरी रहते हैं- यरदन के किनारे मैदान में, पहाड़ी देश में, पश्चिमी तलहटी तक, दक्षिणी यहूदिया के जंगल तक, भूमध्यसागरीय समुद्र के तट पर, कनान की समस्त भूमि तक, लबानोन पहाड़ों और पूर्वोत्तर के महान फरात नदी तक जाओ।
\v 8 मैं तुम्हें वह भूमि दूँगा। मैं अर्थात यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों अब्राहम और इसहाक और याकूब से वादा किया था कि मैं उन्हें और उनके वंशजों को वह दूँगा। तो अब जाओ और उस पर नियन्त्रण करो।'"
\p
\s5
\v 9 मूसा ने लोगों से यह भी कहा, “जब हम सीनै पर्वत पर थे, तब मैंने तुम्हारे पूर्वजों से कहा, ‘तुम सभी पर शासन करना मेरे लिए बहुत बड़ा काम है। मैं इसे अकेले नहीं कर सकता।
\v 10 हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम इस्राएलियों को आकाश के तारों के समान बहुसंख्या बना दिया है।
\v 11 और मुझे आशा है कि यहोवा, जिस परमेश्वर की हमारे पूर्वजों ने आराधना की थी, वे हमें अब से हजारों गुना अधिक बढाएगा और वे हमें आशीर्वाद देंगे जैसा उन्होंने करने का वादा किया था।
\s5
\v 12 लेकिन मैं निश्चित रूप से तुम्हारी सभी शिकायतों और विवादों से अकेला निपट नहीं सकता हूं।
\v 13 अपने गोत्रों में से कुछ लोगों को चुनो जो बुद्धिमान हैं और जिनके पास अच्छी समझ है और जो आदरणीय है। तब मैं उन्हें तुम्हारे अगुवों के रूप में नियुक्त करूंगा।'
\p
\v 14 तुम्हारे पूर्वजों ने उत्तर दिया, ‘तुमने जो सुझाव दिया है वह हमारे लिए अच्छा है।’
\p
\s5
\v 15 इसलिए मैंने बुद्धिमान और आदरणीय पुरुषों को लिया जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने तुम्हारे गोत्रों में से चुना था, और मैंने उन्हें तुम्हारे अगुवों के रूप में नियुक्त किया। मैंने कुछ लोगों को एक हज़ार से अधिक लोगों पर शासन करने के लिए नियुक्त किया, कुछ लोगों को सौ से अधिक लोगों का अधिकार दिया, कुछ को पचास से अधिक लोगों का अधिकार दिया, और कुछ को दस लोगों का अधिकार दिया। मैंने तुम्हारे सभी गोत्रों से अन्य अधिकारियों को भी नियुक्त किया।
\v 16 मैंने तुम्हारे अगुवों को निर्देश दिया, ‘अपने लोगों के बीच होने वाले विवादों को सुनो। हर विवाद का न्याय करो जो तुम्हारे करीबी रिश्तेदारों के बीच है और जो झगड़े तुम्हारे लोगों और तुम्हारे बीच रहने वाले अन्य देशों के लोगों के बीच है।
\s5
\v 17 तुम्हें पक्षपात नहीं करना चाहिए। तुम्हें गरीब लोगों और महत्वपूर्ण लोगों के साथ एक समान व्यवहार करना है। तुम्हें लोगों की बातों की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि तुम मामलों का निर्णय करोगे जैसा परमेश्वर तुमसे चाहते हैं। यदि कोई विवाद बहुत कठिन है और तुम इसका निर्णय करने में असमर्थ हो, तो इसे मेरे पास लाओ, मैं निर्णय करूँगा।
\v 18 उस समय मैंने तुम्हें कई अन्य बातें भी बताई।"
\p
\s5
\v 19 “फिर, जैसा कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें आज्ञा दी थी, हमने सीनै पर्वत छोड़ा और उस विशाल रेगिस्तान से यात्रा की जो बहुत ही खतरनाक है, और पहाड़ी देश की सड़क पर है जहाँ एमोर लोग रहते थे। हम कादेशबर्ने पहुंचे।
\s5
\v 20 मैंने तुम्हारे पूर्वजों से कहा, ‘अब हम पहाड़ी देश में आए हैं जहाँ एमोर लोगों के समूह रहते हैं। यह उस क्षेत्र का भाग है जो हमारे परमेश्वर यहोवा, जिसकी हमारे पूर्वजों ने आराधना की थी, हमें दे रहे हैं।
\v 21 ध्यान दो कि हमारे परमेश्वर यहोवा यह देश हमें दे रहे हैं। तो उनकी आज्ञा के अनुसार जाओ और उस पर अपना नियंत्रण कर लो। भयभीत न हो ।'
\p
\s5
\v 22 परन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरे पास आकर कहा, ‘हमारे वहाँ जाने से पहले, हमें भूमि की छानबीन करने के लिए वहाँ कुछ लोगों को भेजना चाहिए ताकि वे वापस आकर हमें बता सकें कि वहाँ जाने के लिए सबसे अच्छा रास्ता कौन सा होगा और वहाँ के नगर कैसे हैं।'
\p
\v 23 मैंने सोचा कि ऐसा करना अच्छा होगा, इसलिए मैंने बारह पुरुष, प्रत्येक गोत्र से एक को चुना।
\v 24 वे पहाड़ी देश में एशकोल घाटी तक चले गए, और उन्होंने उस क्षेत्र की छानबीन की।
\s5
\v 25 उन्होंने कुछ फल लिए जो वहाँ मिले और हमारे पास लाए। उन्होंने बताया कि जो देश हमारे परमेश्वर यहोवा हमें दे रहे हैं वह बहुत अच्छा है।"
\p
\s5
\v 26 “परन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने उस देश में जाने और उसे जीतने से मना कर दिया। उन्होंने हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरुद्ध विद्रोह किया, और वे उस देश में नहीं गए।
\v 27 तुम्हारे पूर्वज अपने तंबू में रुके रहे और शिकायत की। उन्होंने कहा, ‘यहोवा हमसे घृणा करते हैं। इसलिए वे हमें मिस्र से यहां लाए ताकि एमोर लोग हमें नष्ट कर सकें।
\v 28 हम वहाँ जाना नहीं चाहते हैं। जिन पुरुषों को हमने वहाँ भेजा था, उन्होंने हमें बहुत निराश किया। उन्होंने हमें बताया है कि वहाँ के लोग हमसे अधिक शक्तिशाली और लम्बे हैं, और उनके नगरों के चारों ओर बहुत ऊँची दीवार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने वहाँ विशालकाय लोगों को देखा था जो अनाक के वंशज हैं।'
\p
\s5
\v 29 तब मैंने तुम्हारे पूर्वजों से कहा, ‘उन लोगों से भय न खाओ!
\v 30 हमारे परमेश्वर यहोवा हमारे आगे आगे चलेगा, और वे तुम्हारे लिए लड़ेंगे, जैसा कि तुमने उन्हें मिस्र में
\v 31 और रेगिस्तान में तुम्हारे लिए करते देखा था। तुमने देखा कि कैसे वे तुम्हे सुरक्षित ले आए, जैसे एक व्यक्ति अपने बेटे को ले आता है।'
\p
\s5
\v 32-33 मैंने उन्हें याद दिलाया कि वे कैसे रेगिस्तान में यात्रा करते समय हमेशा तुम्हारे आगे चले। उन्होंने रात में आग के खंभे और दिन में बादल के खंभे से उन्हें निर्देशित किया। उन्होंने उन्हें अपने तंबू स्थापित करने के लिए जगहें दिखाईं। लेकिन मैंने जो कहा, उसके बावजूद, तुम्हारे पूर्वजों ने हमारे परमेश्वर यहोवा पर भरोसा नहीं किया।
\p
\s5
\v 34 यहोवा ने वह सुना जो उन्होंने कहा, और वे क्रोधित हो गये। उन्होंने गंभीरता से घोषित किया,
\v 35-36 ‘यपुन्ने का पुत्र कालेब, देश में प्रवेश करेगा। उसने पूरी तरह से मेरी आज्ञा का पालन किया है। इसलिए मैं उसे और उसके वंशजों को उस भूमि में से कुछ दूँगा जिसकी उसने छानबीन की थी। वह उन सभी लोगों में से एकमात्र है जो उस देश में प्रवेश करेगा। इन दुष्ट लोगों में से कोई भी कभी भी उस अच्छी भूमि को नहीं देख सकेगा, जिसे मैंने ईमानदारी से तुम्हारे पूर्वजों को देने का वादा किया था।'
\p
\s5
\v 37 परन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने जो किया, उसके कारण यहोवा मुझ से भी अप्रसन्न थे। उन्होंने मुझसे कहा, ‘तुम भी उस देश में प्रवेश नहीं करोगे।
\v 38 नून का पुत्र यहोशू, जो तुम्हारा सहायक है, उसमें प्रवेश करेगा। उसे प्रोत्साहित करो, क्योंकि वह ही है जो तुम इस्राएली लोगों को उस देश पर कब्जा करने में सक्षम बनाएगा।'
\p
\s5
\v 39 तब यहोवा ने हम सभी से कहा, ‘तुमने कहा था कि तुम्हारे बच्चे तुम्हारे शत्रुओं द्वारा अधीन कर लिए जाएंगे। क्योंकि वे बहुत छोटे हैं, वे अभी तक नहीं जानते कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। लेकिन उन्हें ही मैं वह भूमि दूँगा, और वे उसमें प्रवेश करेंगे और उसे अपने अधीन करेंगे।
\v 40 परन्तु तुम वापस मुड़ो और लाल समुद्र की तरफ रेगिस्तान में जाओ।'
\p
\s5
\v 41 तब तुम्हारे पूर्वजों ने उत्तर दिया था, ‘हमने पाप किया है; हमने यहोवा की अवज्ञा की है। इसलिए हम जाकर उस देश में रहने वाले लोगों पर हमला करेंगे, जैसा कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें करने का आदेश दिया है। ‘और प्रत्येक पुरुष ने अपने हथियार ले लिए, और उन्होंने सोचा कि पहाड़ी देश पर आक्रमण करना आसान होगा।
\p
\v 42 परन्तु यहोवा ने मुझ से कहा, ‘उन से कहो, “वहां मत जाओ और उन लोगों पर हमला मत करो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगा, और यदि तुम जाओगे, तो तुम्हारे दुश्मन तुम्हे निश्चित रूप से पराजित करेंगे।”
\p
\s5
\v 43 इसलिए मैंने तुम्हारे पूर्वजों से कहा, लेकिन वे मेरी बातें सुनना नहीं चाहते थे। उन्होंने पुनः, यहोवा ने उन्हें जो करने का आदेश दिया था उसका विद्रोह किया। उनके सैनिक गर्व से उस पहाड़ी देश में चले गए।
\v 44 तब उस क्षेत्र में रहने वाले एमोर समूह के लोग अपने नगरों से बाहर आए और उन सैनिकों पर हमला किया। उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों के सैनिकों का वैसे ही पीछा किया जैसे कि मधुमक्खियों का झुंड एक व्यक्ति का पीछा करते है, और उन्होंने हमारे लोगों को एदोम से दक्षिण तक पीछा किया और उन्हें होर्मा शहर में पराजित कर दिया।
\s5
\v 45 इसलिए तुम्हारे पूर्वज कादेशबर्ने वापस चले गए और यहोवा से उनकी सहायता करने के लिए विनती करके रोए, लेकिन परमेश्वर ने उनकी बातें नहीं सुनी। उन्होंने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया।
\v 46 इसलिए हम लंबे समय तक कादेशबर्ने में रहे।"
\s5
\c 2
\p
\v 1 “तब हम वापस लौट गए और रेगिस्तान के पार लाल समुद्र की ओर चले गए जैसे यहोवा ने हमें करने के लिए कहा था, और हम कई वर्षों तक एदोम में घूमते रहे।
\p
\v 2 तब यहोवा ने मुझ से कहा,
\v 3 ‘तुम इस पहाड़ी देश के चारों ओर लंबे समय से घूम रहे हो। अब उत्तर की ओर मुड़ो और यात्रा करो।
\s5
\v 4 और लोगों को बताओ कि वे एसाव के वंशजों की भूमि के पास यात्रा करने जा रहे हैं, वे भी इसहाक के वंशज हैं। वे एदोम के पहाड़ी देश में रहते हैं। वे तुमसे डरेंगे,
\v 5 लेकिन उनके विरुद्ध लड़ना शुरू मत करो, क्योंकि मैं तुम्हें उनकी भूमि का एक छोटा सा भाग भी ना दूँगा। मैंने उस भूमि को एसाव के वंशजों को दिया है।
\s5
\v 6 जब तुम उनकी भूमि से होकर यात्रा करते हो, तो उनसे भोजन और पानी खरीदना।'
\p
\v 7 यह मत भूलना कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें हमारे हर काम में आशीर्वाद दिया है। वह जानते हैं कि इस विशाल रेगिस्तान में घूमने के समय हमारे साथ क्या हुआ है। लेकिन वह उन चालीस वर्षों में तुम्हारे साथ रहे, और परिणामस्वरूप तुम्हारे पास वह सब था, जिनकी तुम्हें आवश्यकता थी।
\p
\s5
\v 8 इसलिए हमने यात्रा जारी रखी। हम पहाड़ी देश से होकर नहीं गए जहाँ एसाव के वंशज रहते हैं। हम यरदन घाटी के मैदान के पास से जाने वाले मार्ग से निकल गए, और एस्योनगेबेर और एलत से निकले, और हमने मोआब के रेगिस्तान के रास्ते से यात्रा की।
\p
\s5
\v 9 यहोवा ने मुझ से कहा, ‘मोआब के लोगों को परेशान मत करना, और उनके विरूद्ध लड़ना शुरू न करना, क्योंकि मैं तुम्हें उनकी भूमि में से कुछ भी नहीं दे रहा हूँ। यह मत भूलना कि वे अब्राहम के भतीजे लूत के वंशज हैं, और मैंने उन्हें आर नगर दिया है।"
\p
\s5
\v 10 एमी नामक विशालकाय लोगों का एक बड़ा समूह पहले वहाँ रहता था। वे अनाक के वंशज थे जो विशालकाय लोगों के समान लंबे थे।
\v 11 उन्हें और अनाक के वंशजों को रेफा अर्थात विशालकाय भी कहते है, परन्तु मोआब के लोग उन्हें एमी कहते हैं।
\s5
\v 12 होरी लोगों के समूह भी पहले एदोम क्षेत्र में रहते थे, परन्तु एसाव के वंशजों ने उनको निकाल दिया। उन्होंने उन्हें मार डाला और उनकी भूमि में बस गए, जैसे इस्राएली लोगों ने बाद में अपने दुश्मनों को उस देश से निकाल दिया जो यहोवा ने उन्हें दिया था।
\p
\s5
\v 13 मूसा ने इस्राएलियों से यह भी कहा, “हमने जेरेद नदी को पार किया, जैसा यहोवा ने हमें करने के लिए कहा था।
\v 14 पहली बार कादेशबर्ने छोड़ने के समय से जेरेद नदी पार करने तक अड़तीस वर्ष बीत गए थे। उन वर्षों के दौरान, उस पीढ़ी के लड़ने वाले सभी इस्राएली मर गए, जैसा यहोवा ने कहा था कि होगा।
\v 15 वे इसलिए मर गए क्योंकि यहोवा ने उन सभी का विरोध किया जब तक कि उन्होंने उन सभी से छुटकारा नहीं मिला।
\p
\s5
\v 16 युद्ध में लड़ने की उम्र के सभी लोगों के मरने के बाद,
\v 17 यहोवा ने मुझ से कहा,
\v 18 ‘आज तुम सभी को मोआब के क्षेत्र से उनके नगर आर से होकर यात्रा करनी है।
\v 19 जब तुम उस देश की सीमा के पास आते हो जहाँ अम्मोनी लोग रहते हैं, उन्हें परेशान न करना या उनके विरुद्ध लड़ना शुरू न करना। वे भी लूत के वंशज हैं, इसलिए मैं तुम्हें वह भूमि नहीं दूँगा जो मैंने उन्हें दी है।'"
\p
\s5
\v 20 (उस क्षेत्र को रेफा या विशालकाय लोगों की भूमि भी कहा जाता है, जो पहले वहाँ रहते थे। अम्मोनी लोग उन्हें जमजुम्मी समूह कहते हैं।
\v 21 वे एक बड़े और शक्तिशाली समूह थे, जो अनाक के वंशज के समान लंबे थे। परन्तु यहोवा ने उन्हें नष्ट कर दिया, और अम्मोनियों के समूह ने उन्हें बाहर निकाल दिया और उनकी भूमि ले ली और वहाँ रहने लगे।
\v 22 यहोवा ने एदोम के पहाड़ी देश में रहने वाले एसाव के वंशजों के लिए भी ऐसा ही काम किया। उन्होंने होरी लोगों के समूह से छुटकारा पा लिया, जिसके परिणामस्वरूप एदोम लोगों के समूह ने उनकी भूमि ले ली और वहाँ रहने लगे। वे अभी भी वहाँ रहते हैं।
\s5
\v 23 क्रेते द्वीप से आए लोगों ने अव्वी लोगों के समूह से छुटकारा पाया जो पहले भूमध्य सागर के निकट की भूमि में दक्षिण में गाजा तक रहते थे। उन्होंने उनकी भूमि उनसे ली और वहाँ रहने लगे।)
\p
\s5
\v 24 “जब हम मोआब के क्षेत्र से निकल गए, तो यहोवा ने हमसे कहा, ‘अब अर्नोन नदी को पार करो। मैं एमोर लोगों के समूह के राजा सीहोन की सेना को पराजित करने में तुम्हारी सहायता करूंगा, जो हेशबोन शहर में रहता है। इसलिए उनकी सेना पर हमला करो और उनकी भूमि उनसे लेना शुरू करो।
\v 25 आज मैं हर स्थान, हर किसी को तुमसे डरने का कारण बना दूँगा। जो तुम्हारे विषय में सुनेगा वह काँपेगा और डर जाएगा।'
\p
\s5
\v 26 तब मैंने रेगिस्तान में जहाँ हम थे वहाँ से हेशबोन के राजा सीहोन के पास दूत भेजे। मैंने उनसे राजा को यह शांतिपूर्ण संदेश देने के लिए कहा:
\v 27 ‘कृपया हमें तुम्हारी भूमि से यात्रा करने दो। हम वादा करते हैं कि हम मार्ग पर रहेंगे; हम दाएं या बाएं नहीं मुड़ेंगे।
\s5
\v 28 हम उस भोजन और पानी के लिए भुगतान करेंगे जिसे तुम हमें खरीदने की अनुमति दोगे। हम केवल तुम्हारे देश में से होकर जाना चाहते हैं
\v 29 जब हम यरदन नदी को पार करके उस देश में पहुंचे जो हमारे परमेश्वर यहोवा हमें दे रहे हैं। तब लिए ऐसा करें जो एदोम क्षेत्र में रहने वाले एसाव के वंशज और मोआब लोगों के समूह ने हमारे लिए किया था जब उन्होंने हमें अपने क्षेत्र से होकर जाने की अनुमति दी थी।'
\s5
\v 30 लेकिन राजा सीहोन ने हमें अपने देश से जाने की अनुमति नहीं दी। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ने उसे हठीला बना दिया था। परिणाम यह था कि यहोवा ने हमें उनकी सेना को हराने और उनकी भूमि लेने में सक्षम बनाया, जिस पर हम अभी भी रहते हैं।
\p
\v 31 यहोवा ने मुझ से कहा, सुनो! मैं तुम्हे सीहोन की सेना को हराने और लोगों से भूमि लेने के लिए अनुमति देने वाला हूँ। अतः इस पर कब्जा करना शुरू करो!'
\p
\s5
\v 32 तब सीहोन अपने शहर से बाहर, यहज शहर में हमारे विरुद्ध लड़ने के लिए अपनी सारी सेना के साथ आया।
\v 33 परन्तु परमेश्वर ने हमें उनको पराजित करने में सक्षम बनाया, और हमने सीहोन, उसके पुत्रों और उसके सभी सैनिकों को मार डाला।
\s5
\v 34 हमने उनके शहरों पर कब्जा कर लिया और उन सभी को नष्ट कर दिया। हमने सभी पुरुषों और स्त्रियों और बच्चों को मार डाला; हमने उनमें से किसी को जीवित रहने की अनुमति नहीं दी।
\v 35 हमने उन मूल्यवान वस्तुओं को ले लिया जो उन शहरों में थे और उनके पशुओं को भी ले लिया।
\s5
\v 36 हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें उत्तर में गिलाद के क्षेत्र से लेकर अर्नोन नदी की घाटी के किनारे पर दक्षिण में अरोएर तक उनके सभी नगरों पर कब्ज़ा करने में सक्षम बनाया। उनके कुछ शहरों के चारों ओर दीवारें थीं, लेकिन हम तब भी उन पर कब्ज़ा करने में सक्षम थे।
\v 37 परन्तु हम उस क्षेत्र के पास नहीं गए जहाँ आमोनी लोग रहते थे, या यब्बोक नदी के किनारे, या पहाड़ी देश के नगरों, या किसी अन्य स्थान पर जहाँ हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें जाने के लिए मना किया था।"
\s5
\c 3
\p
\v 1 “तब हम उत्तर की ओर मुड़े और बाशान के क्षेत्र की ओर चले गए। ओग, उस क्षेत्र का राजा, और उसके सभी सैनिक दक्षिण में आए कि वे हमारे विरुद्ध एद्रेई शहर में लड़ सकें।
\v 2 यहोवा ने मुझ से कहा, ‘उससे डरो मत, क्योंकि मैं तुम्हारी सेना को उसे और उनकी सारी सेना को हराने और उनकी सारी भूमि को अपने अधीन करने में सक्षम करूंगा। उन लोगों के साथ वही करो जो तुमने एमोर लोगों के समूह के राजा सीहोन के साथ किया था, जो हेशबोन पर शासन करता था।'
\p
\s5
\v 3 इसलिए यहोवा ने हमें राजा ओग और उनकी सारी सेना को पराजित करने में सक्षम बनाया। हमने उन सभी को मार डाला; हमने उनमें से किसी को जीवित रहने की अनुमति नहीं दी।
\v 4 राजा ओग के बाशान साम्राज्य के अर्गोब क्षेत्र में साठ नगर थे। लेकिन हमने उन सभी पर कब्ज़ा कर लिया।
\s5
\v 5 उन सभी शहरों के चारों ओर ऊँची दीवारें थीं जिनमें फाटक और बेंड़े थे। हमने कई गांवों पर कब्जा कर लिया जिनके चारों ओर दीवारें नहीं थी।
\v 6 हमने सबकुछ पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जैसा हमने उस क्षेत्र में किया था जिस पर राजा सीहोन शासन करता था। हमने सभी पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों को मार डाला।
\v 7 लेकिन उन शहरों से हमने अपने लिए सभी पशुधन और अन्य मूल्यवान वस्तुएं ले लीं।
\p
\s5
\v 8 इसलिए उस समय हमने एमोर के उन दो राजाओं से यरदन नदी के पूर्व की सारी भूमि ले ली, दक्षिण में अर्नोन नदी के किनारे से उत्तर में हर्मोन पर्वत तक। “
\v 9 (उस पर्वत को सीदोन शहर के लोगों द्वारा सिर्योन कहा जाता है और एमोर लोगों के समूह द्वारा सनीर कहा जाता है।)
\v 10 “हमने समथर देश के सभी नगरों और गिलाद के सारे क्षेत्र और पूर्व में बाशान के एद्रेई और सल्का के नगरों में कब्जा कर लिया, जो ओग के साम्राज्य के थे।”
\s5
\v 11 (ओग अंतिम राजा था जो रेफा या विशालकाय लोगों का वंशज था। उसका बिस्तर लोहे से बना था। यह चार मीटर लंबा और दो मीटर चौड़ा था। यह अम्मोन के क्षेत्र में रब्बा शहर में था।)
\p
\s5
\v 12 “उस समय जिस देश पर हमने कब्जा कर लिया था, अर्थात् अर्नोन नदी के पास अरोएर शहर के उत्तर की भूमि और गिलाद के कुछ पहाड़ी देश और आसपास के कुछ नगरों को मैंने रूबेन और गाद के गोत्रों में बांट दिया।
\v 13 गिलाद का दूसरा भाग और बाशान, अर्गोब का क्षेत्र जिस पर राजा ओग शासन करता था, मैंने मनश्शे के आधे गोत्र को दे दिया। “(बाशान के पूरे क्षेत्र को रेफा विशालकाय लोगों की भूमि कहा जाता है ।)
\s5
\v 14 “मनश्शे के गोत्र के एक व्यक्ति याईर ने उत्तर में गशूर और माकाथ क्षेत्रों की सीमा तक सारे बाशान पर विजय प्राप्त की। उसने उन गांवों को अपना नाम दिया, और उन्हें अभी भी याईर के गांव कहा जाता है ।
\p
\s5
\v 15 गिलाद क्षेत्र का उत्तरी भाग मैंने माकीर को दे दिया, जो मनश्शे के गोत्र का वंशज हैं।
\v 16 मैंने रूबेन और गाद के गोत्रों को गोलाद के दक्षिणी भाग दिये, जो दक्षिण में आर्नोन नदी तक फैले थे। नदी के मध्य को दक्षिणी सीमा माना गया। उत्तरी सीमा यब्बोक नदी है, जो अम्मोन के क्षेत्र की सीमा का भाग है।
\s5
\v 17 भूमि की सीमा मैदान से यरदन की घाटी की पूर्व दिशा तक फैली हुई है, उत्तर में किन्नेरेत (जिसे गलील सागर के नाम से जाना जाता है) से लेकर, दक्षिण में अराबा सागर (जिसे मृत सागर के नाम से जाना जाता है), और पूर्व में पिसगा पर्वत की ढलान तक।
\p
\s5
\v 18 उस समय, मैंने तुम तीन गोत्रों को बताया, ‘यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें यरदन नदी के पूर्व में यह भूमि दे रहे हैं, ताकि तुम उस पर कब्जा करो। तो अब, तुम्हारे सैनिकों को अपने हथियारों को लेकर अन्य इस्राएली गोत्रों के पुरुषों के आगे यरदन नदी के पार जाना चाहिए ताकि वे उस भूमि पर विजय प्राप्त कर सकें जो परमेश्वर उन्हें दे रहे हैं।
\s5
\v 19 परन्तु तुम्हारी पत्नियों और बच्चों और तुम्हारे बहुत सारे मवेशियों को उन नगरों में रहना चाहिए जिन्हें मैंने तुम्हें दिया है।
\v 20 तुम्हारे पुरुषों को अपने साथी इस्राएलियों की सहायता करनी चाहिए जब तक कि यहोवा उन्हें उस पुरे देश पर कब्जा करके उसमें शांतिपूर्वक रहने में सक्षम नहीं करते, जो हमारे परमेश्वर यहोवा यरदन नदी के पश्चिमी किनारे पर उन्हें दे रहे हैं, जैसा कि उन्होंने यहां नदी के पूर्वी ओर तुम्हारे लिए किया था। उसके बाद, तुम सभी इस भूमि पर लौट सकते हो जिसे मैंने तुम्हें आवंटित किया है।'
\p
\s5
\v 21 और मैंने यहोशू से कहा, ‘तुमने वह सब कुछ देखा है जो हमारे परमेश्वर यहोवा ने उन दो राजाओं, सीहोन और ओग के साथ किया था। वे उन लोगों के साथ भी वैसा ही करेंगे जो अब उस देश में रहते हैं, जहाँ तुम प्रवेश करने जा रहे हो।
\v 22 उन लोगों से मत डरो, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ही तुम्हारे लिए लड़ेंंगे।"
\p
\s5
\v 23 “उस समय, मैंने ईमानदारी से यह कहकर प्रार्थना की,
\v 24 ‘हे हमारे प्रभु यहोवा, आपने मुझे यह दिखाना शुरू ही किया है कि आप बहुत महान हैं और मुझे वे सब शक्तिशाली कार्य दिखाए जो आप कर सकते हैं। स्वर्ग में या पृथ्वी पर निश्चित रूप से कोई परमेश्वर नहीं है जो आपके द्वारा किए गए शक्तिशाली काम कर सकता है।
\v 25 इसलिए कृपया मुझे यरदन नदी पार करने और पूर्व की अच्छी भूमि, सुंदर पहाड़ी देश और लबानोन के पहाड़ों को देखने की अनुमति दें।‘
\p
\s5
\v 26 परन्तु यहोवा तुम्हारे पूर्वजों के काम के कारण मुझ से अप्रसन्न थे, इसलिए उन्होंने मुझ पर ध्यान नहीं दिया। इसकी अपेक्षा, उन्होंने कहा, ‘यह जो तुमने कहा है! उस विषय में मुझसे फिर बातें मत करना!
\v 27 तुम पिसगा पर्वत के शीर्ष पर चढ़ जाओगे और पश्चिम और पूर्व और उत्तर और दक्षिण की ओर देखोगे। तुम्हें बड़ी सावधानी से देखना है, क्योंकि तुम भूमि को देखने के लिए यरदन नदी पार नहीं करोगे।
\s5
\v 28 परन्तु यहोशू को बताओ कि उसे क्या करना चाहिए; उसे मजबूत बनने के लिए प्रोत्साहित करो, क्योंकि वही है जो नदी के पार लोगों का नेतृत्व करेगा ताकि वे उस भूमि पर कब्जा कर सकें जो तुम पर्वत के शीर्ष से देखोगे।'
\p
\v 29 इसलिए हम यरदन नदी की घाटी में बेतपोर शहर के समीप रहे।"
\s5
\c 4
\p
\v 1 “अब, हे इस्राएलियों, जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाऊंगा, उन सभी का पालन करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम जीवित रहोगे और तुम उस देश में प्रवेश करोगे और उस पर कब्जा कर लोगे जिसे यहोवा, जिस परमेश्वर की तुम्हारे पूर्वजों ने आराधना की थी, वे तुम्हें देंगे।
\v 2 जो आज्ञा मैं तुम्हें देता हूँ उनमें कुछ भी न जोड़ो, और जो कुछ मैं तुम्हें बताता हूँ उसमें से कुछ भी न घटाओ। हमारे परमेश्वर यहोवा के सभी आदेशों का पालन करो जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ।
\p
\s5
\v 3 तुमने देखा है कि बालपोर में यहोवा ने क्या किया था। उन्होंने उन सभी लोगों को नष्ट कर दिया जिन्होंने बाल देवता की पूजा की थी,
\v 4 परन्तु तुम सभी जिन्होंने विश्वासयोग्यता से हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना की, वे आज भी जीवित हैं।
\p
\s5
\v 5 ध्यान दें कि मैंने तुम्हें सभी नियम और विधियाँ सिखाई हैं, जैसा कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने मुझे करने के लिए कहा था। वे चाहते हैं कि जब तुम उस देश में रहो इन सभी नियमों का पालन करो, जिसमें तुम अभी प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो।
\v 6 उन्हें ईमानदारी से मानो क्योंकि, यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम अन्य राष्ट्रों के लोगों को दिखाओगे कि तुम बहुत बुद्धिमान हो। जब वे इन सभी नियमों के विषय में सुनेंगे, तो वे कहेंगे, ‘इस महान राष्ट्र के लोग निश्चित रूप से बहुत बुद्धिमान हैं!
\s5
\v 7 चाहे अन्य राष्ट्र बड़े हैं, तब भी उनमें से किसी के पास ऐसा ईश्वर नहीं है जो उनके निकट रहे जैसा हमारे परमेश्वर यहोवा हमारे निकट हैं!
\v 8 और कोई अन्य राष्ट्र नहीं है, भले ही यह एक बड़ा राष्ट्र है, जिनके पास ऐसे नियम हैं जो इन नियमों के समान हैं, जो आज मैं तुम्हें बताता हूँ।
\p
\s5
\v 9 लेकिन बहुत सावधान रहो! कभी न भूलो कि तुमने परमेश्वर को क्या करते देखा है। जब तक तुम जीवित रहते हो तब तक उन बातों को याद रखो। उन्हें अपने बच्चों और अपने पोते-पोतियों को बताओ।
\v 10 उनको उस दिन के विषय में बताओ, जब तुम्हारे पूर्वज सीनै पर्वत पर हमारे परमेश्वर यहोवा की उपस्थिति में खड़े हुए थे, जब परमेश्वर ने मुझसे कहा, ‘लोगों को एकत्र करो, ताकि मैं जो कहता हूँ, वे उसे सुन सकें। मैं चाहता हूँ कि वे मेरा सम्मान करना और मेरा आदर करना सीखें, जब तक वे जीवित रहें, और मैं चाहता हूँ कि वे अपने बच्चों को भी ऐसा करना सिखाएं।'
\s5
\v 11 अपने बच्चों को बताओ कि तुम्हारे पूर्वज पहाड़ की तलहटी के पास आए थे, जबकि पहाड़ आकाश तक पहुँचने वाली आग से जल रहा था, और पहाड़ घने बादलों और काले धुएं से ढँका हुआ था।
\v 12 तब यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से आग के बीच में से बातें की। तुम्हारे पूर्वजों ने उन्हें बातें करते सुना, लेकिन उन लोगों ने उन्हें नहीं देखा। उन्होंने केवल उनकी आवाज़ सुनी।
\s5
\v 13 और उन्होंने उनसे अपनी प्रतिज्ञा की घोषणा की, जो वे चाहते हैं कि तुम भी मानो। उन्होंने उन्हें दस आज्ञाएं दीं। उन्होंने उन्हें दो पत्थर की पटियाओं पर लिखा था।
\v 14 यहोवा ने मुझे आदेश दिया कि मैं तुम्हें सभी नियमों और विधियों सिखाऊँ ताकि तुम उस देश में उनका पालन करो जिसमें तुम प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो।
\p
\s5
\v 15 जिस दिन यहोवा ने सीनै पर्वत पर तुम्हारे पूर्वजों से बातें की थी, उन लोगों ने उन्हें नहीं देखा। इसलिए सावधान रहो
\v 16 अपने लिए कोई खुदी हुई मूर्ति बनाकर पाप मत करो! किसी भी व्यक्ति की समानता में कोई भी चीज़ न बनाओ, चाहे पुरुष या स्त्री,
\v 17 या किसी भी जानवर या किसी पक्षी के समान दिखता हो
\v 18 या गहरे महासागर के किसी रेंगनेवाले जन्तु या किसी मछली की समानता में भी नहीं।
\s5
\v 19 सावधान रहो कि तुम आकाश की ओर देखकर सूर्य या चंद्रमा या तारों की पूजा करने के लिए प्रेरित न हो जाओ। हमारे परमेश्वर यहोवा ने उन्हें हर जगह सभी लोगों की सहायता करने के लिए दिया है, लेकिन तुम्हें उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए।
\v 20 यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाला है, जहाँ वे पीड़ित थे मानों जलते हुए भट्ठे में थे, कि वे परमेश्वर के निज लोग हों, जो आज तुम हो।
\p
\s5
\v 21 परन्तु तुम्हारे पूर्वजों के कामों के कारण यहोवा मुझ से अप्रसन्न थे। और उन्होंने वादा किया कि मैं उस देश में कभी प्रवेश नहीं करूंगा जो वे तुम्हें दे रहे हैं।
\v 22 उन्होंने शपथ ली कि मैं इस देश में मर जाऊंगा और कभी यरदन नदी पार नहीं करूँगा। लेकिन तुम इसे पार करोगे, और तुम उस भूमि पर कब्जा करोगे।
\s5
\v 23 यह सुनिश्चित करो कि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा के साथ की गयी प्रतिज्ञा को न भूलो, और किसी भी चीज़ की समानता में खुदी हुई मूर्ति न बनाओ।
\v 24 तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा चाहते हैं कि केवल उन्ही की आराधना करे। वे मूर्तियों की पूजा करने वाले हर व्यक्ति को नष्ट कर देंगे।
\p
\s5
\v 25 जब तुम कनान देश में लंबे समय तक रहोगे और तुम्हारे बच्चे और पोते-पोतियाँ होंगे, तो किसी भी प्रकार की खुदी हुई मूर्ति बनाकर पाप न करना, क्योंकि यहोवा कहते हैं कि यह करना बुरा है, और यदि तुम ऐसा करोगे, तो तुम उन्हें क्रोधित करोगे और दंडित होने का कारण बनोगे।
\v 26 आज मैं स्वर्ग में रहने वाले और पृथ्वी पर रहने वाले हर किसी से अनुरोध कर रहा हूँ कि वह देखे कि तुम क्या कर रहे हो। यदि तुम मेरी बातों का उल्लंघन करते हो, तो तुम सब जल्द ही इस देश में मर जाओगे जिस पर कब्जा करने के लिए तुम यरदन नदी के उस पार आये हो। तुम वहाँ बहुत लंबे समय तक नहीं जीओगे; यहोवा तुम सभी से छुटकारा पाएंगे।
\s5
\v 27 और तुम में से बाकी लोगों को, यहोवा किसी अन्य राष्ट्रों के लोगों के बीच जाकर रहने के लिए विवश करेंगे। तुम में से केवल कुछ ही जीवित रहेंगे।
\v 28 जब तुम उन राष्ट्रों में होगे, तो तुम लकड़ी और पत्थर से बने देवताओं की पूजा करोगे, जिन्हें मनुष्यों ने बनाया है, ऐसे देवता जो देख नहीं सकते हैं या कुछ भी सुन नहीं सकते हैं या कुछ भी खा नहीं सकते हैं या कुछ भी सूँघ नहीं सकते हैं।
\s5
\v 29 परन्तु जब तुम वहाँ हो, तो तुम अपने परमेश्वर यहोवा को जानने का प्रयास करोगे, और यदि तुम उन्हें जानने के लिए अपने पूरे दिल से प्रयास करोगे, तो वे तुमको उत्तर देंगे।
\s5
\v 30 भविष्य में, जब वहाँ तुम से दुर्व्यवहार किया जा रहा होगा और ये सभी बुरी चीजें तुम्हारे साथ होगी, तब तुम फिर से केवल यहोवा की आराधना करोगे और उनकी आज्ञा मानोगे।
\v 31 यहोवा ऐसे परमेश्वर हैं जो दया के कार्य करते हैं। यदि तुम उनकी आज्ञा का पालन करना जारी रखते हो, तो वे तुमको नही त्यागेंगे और न ही तुमको नष्ट करेंगे और वह प्रतिज्ञा नहीं भूलेंगे जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों के साथ गंभीरता से किया था।"
\p
\s5
\v 32 “अब अतीत के विषय में सोचो, तुम्हारे जन्म से पहले के विषय में सोचो, उस समय के विषय में सोचो जब परमेश्वर ने मनुष्य को उत्‍पन्‍न करके पृथ्वी पर रखा था। तुम स्वर्ग और पृथ्वी पर हर स्थान खोज सकते हो। क्या कभी ऐसा कुछ हुआ है जो उतना महान है जितना यहोवा ने हम इस्राएलियों के लिए किया था?
\v 33 क्या कोई समूह कभी जीवित रहा है जब परमेश्वर की आवाज़ आग के बीच से उनसे बातें करते सुन गयी जैसा हमने किया था?
\s5
\v 34 निश्चित रूप से परमेश्वर ने कभी भी एक राष्ट्र से दूसरे देश में लोगों के इतने बड़े समूह को ले जाने का प्रयास नहीं की, जैसा उन्होंने मिस्र से बाहर लाकर हमारे लिए किया था। हमने देखा कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग करके आश्चर्यकर्म किए ताकि हमें दिखाए कि वे कौन हैं, और पीड़ाएं भेजीं, और कई अन्य काम किए जिससे लोग भयभीत हुए, और जब मिस्र की सेना ने हमला करने का प्रयास किया, तब उन्होंने हमें कैसे बचाया।
\p
\s5
\v 35 यहोवा ने इन सब चीजों को तुम्हारे सामने दिखाया, ताकि तुम जान सको कि केवल वे ही परमेश्वर हैं, और कोई अन्य ईश्वर नहीं है।
\v 36 उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को स्वर्ग से वाणी सुनने की अनुमति दी ताकि वे उन्हें अनुशासित कर सकें। उन्होंने उन्हें सीनै पर्वत पर अपनी बड़ी आग देखने की अनुमति दी, और उन्होंने आग के बीच से उनसे बातें की।
\s5
\v 37 क्योंकि वे हमारे पूर्वजों से प्रेम करते थे, उन्होंने तुम इस्राएलियों को चुना जो उनके वंशज हो, और अपनी महान शक्ति से उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाला।
\v 38 जब इस्राएली यात्रा करते थे, तब परमेश्वर ने उन राष्ट्रों के लोगों को निष्कासित कर दिया जो इस्राएलियों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली थे, ताकि वे उनकी भूमि पर कब्जा कर सकें और उसे अपना बना सकें, जो अब हो रहा है।
\p
\s5
\v 39 इसलिए आज तुमको इस तथ्य के विषय में सोचना चाहिए कि यहोवा परमेश्वर हैं, वे स्वर्ग और पृथ्वी दोनों पर शासन करते हैं, और कोई अन्य ईश्वर नहीं है।
\v 40 उन सभी नियमों और विधियों का पालन करो जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, ताकि तुम्हें और तुम्हारे वंशजों के लिए सब अच्छा हो जाए, और तुम उस देश में लंबे समय तक जीवित रहो, जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं, यह हमेशा के लिए तुम्हारा भाग है।"
\p
\s5
\v 41 तब मूसा ने यरदन नदी के पूर्व की ओर तीन शहरों को चुना।
\v 42 यदि किसी ने गलती से किसी अन्य व्यक्ति को मार डाला, जो पहले उसका दुश्मन नहीं था, तो वह उन शहरों में से एक में भाग सकता था। वह उन शहरों में से एक में सुरक्षित रहेगा क्योंकि वहाँ लोग उनकी रक्षा करेंगे।
\v 43 रूबेन के गोत्र के लिए, मूसा ने जंगल में बेसेर शहर का चयन किया; गाद के गोत्र के लिए, उसने गिलाद के क्षेत्र में रामोत शहर का चयन किया। मनश्शे के गोत्र के लिए, मूसा ने बाशान के क्षेत्र में गोलन शहर का चयन किया।
\p
\s5
\v 44 मूसा ने इस्राएलियों को परमेश्वर के नियम दिए।
\v 45 उसमें वे सभी गंभीर आदेश, निर्देश और नियम सम्मिलित थे जिन्हें मूसा ने मिस्र से बाहर आने के बाद इस्राएल के लोगों को बताया था,
\v 46 जब वे यरदन नदी के पूर्व की ओर घाटी में थे। वे बेतपोर शहर के दूसरी ओर थे, उस देश में जिस पर पहले सीहोन शासन करता था, जो एमोर लोगों के समूह का राजा था, जो हेशबोन में रहता था। जब वे मिस्र से निकले तो मूसा और अन्य इस्राएली लोगों ने उनकी सेना को पराजित किया था।
\s5
\v 47 उन्होंने सीहोन की भूमि पर और जिस देश में बाशान के राजा ओग ने शासन किया था, उन पर कब्जा कर लिया। वे दो राजा थे जिन्होंने यरदन नदी के पूर्व क्षेत्र में एमोर लोगों के समूह पर शासन किया था।
\v 48 उनकी भूमि अर्नोन नदी के साथ दक्षिण में अरोएर शहर से लेकर उत्तर में सिर्योन पर्वत तक फैली हुई थी, जिसे अधिकतर लोग हर्मोन पर्वत कहते हैं।
\v 49 इसमें यरदन नदी की घाटी के पूर्वी मैदान के सभी क्षेत्र भी शामिल थे, जो अराबा के सागर (जो मृत सागर के रूप में जाना जाता है) और पूर्व में पिसगा पर्वत की ढलानों तक फैले हुए थे।
\s5
\c 5
\p
\v 1 मूसा ने इस्राएल के सभी लोगों को बुलाया और उनसे कहा,
\p “हे इस्राएली लोगों, उन सभी नियमों और विधियों को सुनो जो मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। उन्हें सीखो और उनका पालन करना सुनिश्चित करो।
\v 2 जब हम सीनै पर्वत पर थे, तब हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे साथ एक प्रतिज्ञा की थी।
\v 3 लेकिन यह प्रतिज्ञा केवल हमारे पूर्वजों के लिए नहीं थी। उन्होंने इसे हमारे लिए भी बनाया, जो अब जीवित हैं।
\s5
\v 4 यहोवा ने उस पहाड़ पर आग के बीच से हमसे आमने-सामने बातें की।
\v 5 उस दिन, मैं तुम्हारे पूर्वजों और यहोवा के बीच खड़ा था कि उन्हें यहोवा की बातें बता सकूं, क्योंकि वे आग से डरते थे, और वे पहाड़ पर चढ़ना नहीं चाहते थे। यहोवा ने यह कहा:
\v 6 ‘मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, जिसकी तुम आराधना करते हो। मैं वह हूँ जो तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाल लाया। मैं वही हूँ जिसने तुम्हें दासत्व से मुक्त किया।
\s5
\v 7 तुमको केवल मेरी आराधना करनी चाहिए; तुमको किसी अन्य ईश्वर की आराधना नहीं करनी चाहिए।
\v 8 तुम्हें किसी भी जीवित प्राणी की समानता में कोई खुदी हुई मूर्ति नहीं बनानी चाहिए जो आसमान या पृथ्वी पर या पृथ्वी के जल में है।
\s5
\v 9 किसी मूर्ति को दण्डवत् न करो और उनकी आराधना न करो, क्योंकि मैं यहोवा परमेश्वर हूँ, और मैं तुम्हें ऐसा करते सहन नहीं करूंगा। जो कोई ऐसा करेगा मैं उनको, उनके बच्चों को, पोते-पोतियों को, और परपोते-पोतियों को दंडित करूंगा।
\v 10 परन्तु मैं लगातार हजारों पीढ़ियों तक उनसे प्रेम करूंगा जो मुझसे प्रेम करते हैं और मेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं।
\s5
\v 11 मेरा नाम लापरवाही से या गलत उद्देश्यों के लिए मत लो, क्योंकि मैं यहोवा परमेश्वर हूँ, जिसकी तुम्हें आराधना करनी चाहिए, और मैं निश्चित रूप से उन लोगों को दण्ड दूँगा जो ऐसा करते हैं।
\s5
\v 12 यह मत भूलना कि हर सप्ताह के सातवें दिन को तुम्हें विशेष रूप से मेरा सम्मान करना है, जैसा कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें आज्ञा देता हूँ।
\v 13 काम करने के लिए हर सप्ताह में पुरे छह दिन हैं,
\v 14 परन्तु सातवां दिन विश्राम दिन है, जो मुझ यहोवा परमेश्वर के लिए समर्पित है। उस दिन तुमको कोई काम नहीं करना चाहिए। तुम्हें और तुम्हारे बेटे और बेटियां और तुम्हारे दास और दासियों को कोई काम नहीं करना चाहिए। तुमको अपने पशुओं को भी कोई काम करने के लिए विवश नहीं करना चाहिए, और विदेशियों को भी काम करने के लिए नहीं कहना चाहिए, जो तुम्हारे देश में रहते हैं। तुमको अपने दासों को उस दिन विश्राम करने की अनुमति देनी चाहिए जैसा तुम विश्राम करते हो।
\s5
\v 15 यह मत भूलना कि तुम मिस्र में दास थे, और मैं, तुम्हारा परमेश्वर यहोवा, तुम्हें अपनी महान शक्ति से वहाँ से बाहर निकाल लाया। यही कारण है कि मैं आदेश दे रहा हूँ कि तुम सभी को सप्ताह के सातवें दिन विश्राम करना चाहिए।
\s5
\v 16 अपने पिता और अपनी माता का सम्मान करो, जैसे मैं, तुम्हारा परमेश्वर यहोवा, तुम्हें आज्ञा देता हूँ, ताकि तुम एक समूह के समान लंबे समय तक उस देश में जीवित रह सको, जिसे मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें दूँगा, और ताकि तुम्हारे साथ सब अच्छा हो।
\s5
\v 17 किसी की हत्या न करो।
\v 18 व्यभिचार न करो।
\v 19 कुछ चोरी न करो।
\v 20 जब तुम अदालत में गवाही दे रहे हो तो किसी के विषय में झूठ मत बोलो।
\s5
\v 21 किसी और की पत्नी, घर, खेत, दास या दासी, पशुधन, गधे, या किसी भी वस्तु का लालच न करो।'
\p
\s5
\v 22 ये वे आज्ञाएं हैं जिन्हें यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को दीं थीं। जब वे पहाड़ की तलहटी पर एकत्र हुए, तब उन्होंने आग के बीच से बहुत ऊँची आवाज़ में बातें की, पहाड़ के चारों ओर काले बादल थे। उन्होंने केवल उन दस आज्ञाओं को बोला, और कुछ नहीं। फिर उन्होंने उन्हें दो पत्थर की पटियाओं पर लिखा और उन्हें मुझे दिया।
\p
\s5
\v 23 तुम्हारे पूर्वजों ने यहोवा की आवाज सुनी, जब उन्होंने अंधकार में उनसे बातें की, जब पहाड़ पर एक बड़ी आग जल रही थी, तब उनके अगुवे और बुजुर्ग मेरे पास आए,
\v 24 और उनमें से एक ने कहा, ‘हमारी सुनो! जब हमारे परमेश्वर यहोवा ने आग में से हमसे बातें करके हमें यह दिखाया कि वे बहुत महान और महिमामय हैं। आज हमने अनुभव किया है कि हम मनुष्य परमेश्वर से बातें करके भी जीवित रह सकते है।
\s5
\v 25 लेकिन हमें डर है कि हम मर जाएंगे। हमें डर है कि यदि हम यहोवा की आवाज़ सुनते रहे, तो यह बड़ी आग हम सब को जला देगी।
\v 26 धरती पर हम एकमात्र ऐसे लोग हैं जिनसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने आग में से बातें की लेकिन हम अब भी जीवित हैं!
\v 27 इसलिए मूसा, तुम पहाड़ पर चढ़ जाओ और जो कुछ भी हमारे परमेश्वर यहोवा कहते हैं, उनकी सुनो। फिर वापस आकर हमें जो कुछ परमेश्वर ने कहा है वह बताओ, और जो कुछ परमेश्वर ने कहा है, हम उसे सुनेंगे और उसका पालन करेंगे।'
\p
\s5
\v 28 यहोवा ने तुम्हारे अगुवों को यह कहते हुए सुना, इसलिए जब मैं पहाड़ पर चढ़ गया, तो यहोवा ने मुझ से कहा, ‘मैंने सुना है कि तुम्हारे अगुवों ने क्या कहा है, और उन्होंने जो कहा है वह सही है।
\v 29 मैं निश्चित रूप से चाहता हूँ कि वे हमेशा इस तरह सोचें और मेरा बहुत सम्मान करें और मेरी सभी आज्ञाओं का पालन करें, ताकि सब बातें उनके लिए और उनके वंशजों के लिए हमेशा अच्छी हो सकें।
\p
\v 30 तो नीचे जाओ और उन्हें उनके तम्बुओं में लौटने के लिए कहो।
\s5
\v 31 परन्तु तुम फिर यहां आकर मेरे पास खड़े होना, और मैं तुम्हें सभी नियमों और विधियों को दूँगा जो मैं चाहता हूँ कि वे पालन करें। फिर तुम उन्हें लोगों को सिखा सकते हो, ताकि वे उस देश में इनका पालन करें जो मैं उन्हें दे रहा हूँ।‘
\p
\s5
\v 32 इसलिए मैं लोगों के पास वापस गया और उनसे कहा, ‘सुनिश्चित करो कि जो कुछ भी हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें करने का आदेश दिया है, वह सब करो। अपने किसी भी नियम का उल्लंघन न करना।
\v 33 अपने जीवन को यहोवा के आदेशों के अनुसार व्यवस्थित करो, ताकि तुम लंबे समय तक जीवित रह सको, ताकि जब तुम उस देश में रहो जिस पर तुम कब्जा कर रहे हो, तो सब बातें तुम्हारे लिए अच्छी हों।'
\s5
\c 6
\p
\v 1 “ये आज्ञाएं और नियम और विधियाँ हमारे परमेश्वर यहोवा ने मुझे तुम सबको सिखाने का आदेश दिया है। वे चाहते हैं कि तुम उस देश में जिसमें तुम प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो, उनका पालन करें।
\v 2 वे चाहते हैं कि तुम उनका सम्मान करो, और वे चाहते हैं कि तुम और तुम्हारे वंशज हमेशा इन सभी नियमों और विधियों का पालन करो जो मैं तुमको दे रहा हूँ, ताकि तुम लंबे समय तक जीवित रह सको।
\s5
\v 3 इसलिए, हे इस्राएली लोगों ध्यान से इन्हें सुनो और इनका पालन करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम्हारे साथ अच्छा होगा, और जब तुम उस उपजाऊ भूमि में रहोगे तब तुम असंख्य राष्ट्र बन जाओगे। यहोवा ने जिनकी हमारे पूर्वजों ने आराधना की थी, यही वादा किया था।
\p
\s5
\v 4 हे इस्राएली लोगों, सुनो! केवल यहोवा ही हमारे परमेश्वर हैं।
\v 5 तुमको अपने पुरे प्राण से और अपनी सभी भावनाओं से और हर रीति से उन से प्रेम करना चाहिए।
\s5
\v 6 इन आदेशों को कभी न भूलें जिन्हें मैं आज तुमको दे रहा हूं।
\v 7 उन्हें बार-बार अपने बच्चों को सिखाओ। उनके विषय में हर समय बातें करो। जब तुम अपने घरों में होते हो और जब तुम बाहर चलते हो, जब तुम लेटते हो और जब तुम जागते हो तब उनके विषय में बातें करो।
\s5
\v 8 उन्हें छोटी चर्मपत्रियों पर लिखो और उन्हें अपनी बाहों पर बांध लो, और उन्हें अपने मांग टिके पर लिखो जिन्हें तुम अपने माथे पर रखते हो ताकि तुम उन्हें याद रख सको।
\v 9 उन्हें अपने घरों के दरवाजे और अपने शहर के द्वार पर लिखो।
\p
\s5
\v 10 हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे पूर्वज अब्राहम और इसहाक और याकूब से ईमानदारी से वादा किया था कि वे तुमको वह भूमि देंगे जिसमें पहले से ही बड़े और समृद्ध शहर हैं जिन्हें तुमने नहीं बनाया था।
\v 11 उन्होंने कहा कि उन शहरों के घर पहले से ही बहुत अच्छी वस्तुओं से भरे होंगे जिन्हें किसी और ने वहाँ रखा था; तुमने उन्हें वहाँ नहीं रखा। वहाँ कुएं होंगे जो किसी और ने खोदें होंगे। वहाँ दाख के बागन और जैतून के पेड़ होंगे जो किसी और ने लगाए होंगे। अतः जब यहोवा तुम्हें उस देश में लाएँगे, तब तुम्हारे पास वह सब कुछ होगा जिसे तुम खाना चाहते हो,
\v 12 तो यह सुनिश्चित करना कि तुम यहोवा को न भूल जाओ, जिन्होंने तुम्हें मिस्र में दास होने से बचाया और यह सब कुछ तुम्हें दिया।
\p
\s5
\v 13 तुम्हें हमारे परमेश्वर यहोवा का सम्मान करना चाहिए, और तुमको केवल उनकी आराधना करनी चाहिए। जब तुम सच्चाई बताने के लिए या कुछ करने के लिए गंभीर शपथ लेते हो, तो उसे यहोवा के नाम पर लो।
\v 14 तुमको किसी अन्य देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए जिनकी पूजा इस देश के लोग करते हैं।
\v 15 हमारे परमेश्वर यहोवा, जो तुम्हारे बीच रहते हैं, उन लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे जो किसी अन्य देवता की पूजा करते हैं। यदि तुम किसी अन्य देवता की पूजा करते हो, तो यहोवा तुमसे बहुत क्रोधित होंगे, और वे तुमको पूरी तरह से नष्ट कर देंगे।
\s5
\v 16 यह जानने के लिए पाप न करो कि यहोवा तुमको दंडित करेंगे या नहीं, जैसा कि तुम्हारे पूर्वजों ने मस्सा में किया था।
\v 17 सुनिश्चित करो कि तुम हमेशा सभी नियमों, कठिन निर्देशों और विधियों का पालन करते हो जो उन्होंने तुम्हें दिए हैं।
\s5
\v 18 जो कुछ यहोवा कहते हैं कि सही और अच्छा है, उसे करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा होगा। तुम उस अच्छी भूमि में प्रवेश करने और उस पर कब्जा करने में सक्षम होंगे जिसे यहोवा ने हमारे पूर्वजों को देने का वादा किया था।
\v 19 जैसा उन्होंने करने का वादा किया था, वे वैसा उस देश से दुश्मनों को निकालकर करेंगे।
\p
\s5
\v 20 भविष्य में, तुम्हारे बच्चे तुमसे पूछेंगे, ‘हमारे परमेश्वर यहोवा ने इन सभी नियमों और विधियों का पालन करने की आज्ञा हमें क्यों दी?
\v 21 तब तुम उन्हें बताओगे, ‘हमारे पूर्वज मिस्र में राजा के दास थे, परन्तु यहोवा उन्हें अपनी महान शक्ति के द्वारा मिस्र से बाहर निकाल लाए।
\v 22 उन्होंने परमेश्वर को मिस्र के राजा, प्रजा और अधिकारियों पर कई प्रकार के चमत्कार और भयानक कार्य करते देखा।
\v 23 उन्होंने मिस्र से हमारे पूर्वजों को बचाया और उन्हें यह देश देने के लिए यहां लाए, जिसकी उन्होंने हमारे पूर्वजों से ईमानदारी से वादा किया था।
\s5
\v 24 और उन्होंने हमें इन सभी नियमों का पालन करने और उनका सम्मान करने का आदेश दिया, ताकि हमारे साथ अच्छा हो, और ताकि वे हमारे देश की रक्षा करें और हमें समृद्ध होने में सक्षम बनाएँ, जैसा कि वे अब कर रहे हैं।
\v 25 यहोवा हमारे परमेश्वर हमें स्वीकार करेंगे यदि हम सावधानी से वह सब कुछ मानें जो उन्होंने हमें करने का आदेश दिया है।'"
\s5
\c 7
\p
\v 1 “हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें उस देश में ले जाएंगे जहाँ तुम जल्द ही प्रवेश करोगे और उस पर कब्जा करोगे। जब तुम आगे बढ़ोगे, वे उन सात लोगों के समूह को जो तुमसे अधिक शक्तिशाली और गिनती में अधिक हैं, उस देश से बाहर निकालेंगे। ये हित्ती, गिर्गाशी, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिब्बी, और यबूसी नामक लोगों के समूह हैं।
\s5
\v 2 जब हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें उन्हें पराजित करने में सक्षम बनाते हैं, तब तुमको उन सभी को मारना है। तुमको उनके साथ कोई समझौता नहीं करना है, और तुमको उनके प्रति दया नहीं दिखानी है।
\v 3 तुमको उनमें से किसी से विवाह नहीं करना है। तुमको अपनी बेटियों को उनके बेटों से शादी करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, या अपने बेटों को उनकी बेटियों से शादी करने की भी अनुमति नहीं देनी चाहिए।
\s5
\v 4 यदि तुमने ऐसा किया तो वे लोग तुम्हारे बच्चों को यहोवा की आराधना नहीं करने और अन्य देवताओं की पूजा करने को प्रेरित करेंगे। यदि ऐसा होता है, तो यहोवा तुम से बहुत क्रोधित होंगे और वे तुमको बहुत जल्दी नष्ट कर देंगे।
\v 5 तुमको उन लोगों के साथ यह करना चाहिए: उनकी वेदियों को ढा दो, उनके देवताओं को समर्पित पत्थरों के खम्भों को तोड़ डालो, उनके खंभों को काट डालो जिसका वे देवी अशेरा की पूजा करने के लिए उपयोग करते है, और उनकी खुदी हुई मूर्तियों को जला दो।
\s5
\v 6 तुमको ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि तुम उन लोगों का समूह हो जो केवल हमारे परमेश्वर यहोवा के हो। उन्होंने तुमको अपने लिए विशेष लोगों के रूप में संसार के सभी लोगों के समूहों में से चुना है।
\p
\s5
\v 7 यहोवा ने तुम्हें इसलिए नहीं चुना क्योंकि तुम किसी अन्य लोगों के समूह से संख्या में अधिक थे; तुम पृथ्वी पर सबसे छोटे लोगों के समूहों में से एक हो।
\v 8 इसकी अपेक्षा, ऐसा इसलिए है क्योंकि यहोवा ने तुम सबसे प्रेम किया और क्योंकि वे तुम्हारे पूर्वजों के साथ गंभीरता से की हुई अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करना चाहते थे। यही कारण है कि उन्होंने तुम्हें मिस्र के दासत्व और मिस्र के राजा फ़िरौन से, अपनी महान शक्ति से बचाया।
\s5
\v 9 इसलिए मत भूलना कि यहोवा हमारे परमेश्वर हैं। वे उनके प्रति वफादार हैं; जो उनसे प्रेम करते हैं और जो उनके आदेशों का पालन करते हैं, उन लोगों की एक हजार पीढ़ियों के लिए भी वे अपनी प्रतिज्ञा को बनाए रखते हैं।
\v 10 परन्तु जो उन से घृणा करते हैं, उनसे वे बदला लेते हैं; वे उन्हें दंडित करेंगे और उन्हें जल्दी नष्ट कर देंगे।
\m
\v 11 इसलिए तुमको उन सभी आज्ञाओं और नियमों और विधियों का पालन करना सुनिश्चित करना चाहिए जो मैं आज तुमको दे रहा हूँ।
\s5
\v 12 यदि तुम इन नियमों पर ध्यान देते हो और हमेशा इनका पालन करते हो, तो हमारे परमेश्वर यहोवा वह करेंगे जो करने की उन्होंने शपथ खाई थी, और वे तुमसे ईमानदारी से प्रेम करेंगे, जैसा उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से करने का ईमानदारी से वादा किया था।
\v 13 वे तुमसे प्रेम करेंगे और तुमको आशीर्वाद देंगे। वे तुमको कई सन्तान देंगे। वे तुम्हारे खेतों को आशीर्वाद देंगे, परिणामस्वरूप तुम्हारे पास बहुत सारा अनाज होगा, दाखमधु बनाने के लिए अंगूर होंगे और बहुत सारा जैतून का तेल होगा। तुम्हारे पास कई मवेशी और भेड़ें होंगी। वे यह सब तुम्हारे लिए उस देश में करेंगे जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की थी।
\s5
\v 14 वे तुमको किसी भी अन्य समूहों से अधिक आशीर्वाद देंगे। तुम सभी बच्चे जनने में सक्षम होगे। तुम्हारे सभी पशुओं के भी बहुत बच्चे होंगे।
\v 15 और यहोवा तुम्हें सभी बीमारियों से बचाएंगे। वे तुमको भयानक बीमारियों से भी पीड़ित नहीं करेंगे जैसा हमारे पूर्वजों ने मिस्र में देखा था, लेकिन वे तुम्हारे सभी दुश्मनों को उन बीमारियों से पीड़ित करेंगे।
\s5
\v 16 तुम्हें उन सभी लोगों के समूह को नष्ट करना होगा जिनको हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें जीतने में सक्षम बनाएंगे। उनमें से किसी के प्रति दया का कार्य न करो। उनके देवताओं की पूजा मत करो, क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो, तो यह जाल में गिरने जैसा होगा जिससे तुम कभी भी भागने में सक्षम नहीं होगे।
\p
\s5
\v 17 स्वयं ही यह मत सोचो, ‘ये लोग हमारे मुकाबले कहीं अधिक हैं। हम उन्हें कभी बाहर निकालने में सक्षम नहीं होंगे।'
\v 18 उनसे मत डरो। इसकी अपेक्षा, मिस्र के राजा और उन सभी लोगों के साथ हमारे परमेश्वर यहोवा ने जो किया था, उसके विषय में सोचो।
\v 19 उन भयानक विपत्तियों को न भूलो जो उन्होंने मिस्र के लोगों पर भेजी थी जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने देखा और तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर लाने के लिए परमेश्वर के किए गए विभिन्न प्रकार के चमत्कारों को मत भूलो। यहोवा हमारे परमेश्वर उन लोगों के समूह के साथ भी ऐसा ही करेंगे जिनसे तुम अब डरते हो।
\s5
\v 20 इसके अतिरिक्त, वह उन्हें भयभीत कर देंगे, और शेष जीवित लोगों से और तुमसे छिपने के लिए जो भाग जाएंगे, उन्हें भी नष्ट कर देंगे।
\v 21 उन लोगों से मत डरो, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ रहेंगे। वे महान परमेश्वर है; उन्ही से लोग डरते हैं।
\v 22 वे धीरे-धीरे उन लोगों के समूहों को बाहर निकाल देंगे। तुमको उन सभी को एक ही समय में निकालने का प्रयास नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यदि तुमने ऐसा किया है, तो जंगली जानवरों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी, और तुम उनसे छुटकारा पाने में सक्षम नहीं होंगे।
\s5
\v 23 इसकी अपेक्षा, यहोवा एक-एक करके तुम्हारे दुश्मनों को हराने में सक्षम करेंगे। वे सब घबराएँगे जब तक कि वे नाश नही हो जाते।
\v 24 वे तुमको उनके राजाओं को पराजित करने में सक्षम करेंगे। उन्हें मारने के बाद, उनके नाम भुला दिए जाएंगे। कोई भी समूह तुमको रोकने में सक्षम नहीं होगा; तुम उन सभी को नष्ट कर दोगे।
\s5
\v 25 तुम्हें उनके देवताओं की खुदी हुई मूर्तियों को जला देना हैं। उन मूर्तियों की चांदी या सोने की सजावट को लेने की इच्छा मत करना, क्योंकि यदि तुम उन्हें लेते हो, तो वे तुम्हारे लिए एक जाल के समान होंगे। यहोवा उन मूर्तियों के हर हिस्से से घृणा करते हैं।
\v 26 तुमको उन घृणित मूर्तियों को अपने घरों में नहीं लाना है, क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो, तो परमेश्वर तुमको श्राप देंगे जैसे कि वे उन लोगों को श्राप देते हैं। तुमको उन मूर्तियों से घृणा और उसकी निंदा करनी है, क्योंकि उन सब को यहोवा ने श्राप दिया है और वे उन्हें नष्ट करने का वादा करते हैं।"
\s5
\c 8
\p
\v 1 “तुमको उन सभी आज्ञाओं का ईमानदारी से पालन करना चाहिए जो मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम लंबे समय तक जीवित रहोगे, तुम असंख्य हो जाओगे, और तुम्हारे लोग उस देश पर कब्जा करेंगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को देने का ईमानदारी से प्रतिज्ञा की थी।
\v 2 और यह मत भूलना कि हमारे परमेश्वर ने पिछले चालीस वर्षों में मरुस्थल के माध्यम से यात्रा के दौरान कैसे हमारा नेतृत्व किया था।उन्होंने तुमको कई समस्याओं में डाला, क्योंकि वे तुमको यह अनुभव कराना चाहते थे कि तुमको स्वयं पर नहीं सिर्फ उन्ही पर भरोसा करने की आवश्यकता है। और उन्होंने तुम्हें परखा क्योंकि वे यह जानना चाहते थे कि तुम क्या करना चाहते हो, क्या तुम उनके आदेशों का पालन करोगे या नहीं।
\s5
\v 3 इसलिए उन्होंने तुमको कठिनाइयों का सामना करवाया। उन्होंने तुमको भूखे रहने की अनुमति दी। फिर उन्होंने तुम्हें मन्ना दिया, स्वर्ग का भोजन जो तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने पहले कभी नहीं खाया था। उन्होंने तुमको यह सिखाने के लिए किया कि लोगों को अपने शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें अपनी आत्माओं के लिए भी भोजन की आवश्यकता है, जो यहोवा की हर बातें पर ध्यान देने से मिलता है।
\s5
\v 4 उन चालीस वर्षों के दौरान, हमारे कपड़े पुराने नहीं हुए, और न ही हमारे पैर रेगिस्तान में घूमने से सूजे ।
\v 5 यह मत भूलना कि हमारे परमेश्वर यहोवा हमें सुधारते हैं और हमें दंडित करते हैं, जैसे माता-पिता अपने बच्चों को सुधारते हैं।
\p
\v 6 इसलिए हमारे परमेश्वर यहोवा के आदेशों का पालन करो, और अपने जीवन का संचालन उनकी इच्छा के अनुसार करो और उनका सम्मान करो।
\s5
\v 7 वे तुमको एक अच्छी भूमि में ले जाने वाले हैं, जिसमें पहाड़ी से बहती धाराएं हैं और घाटियों में से झरने निकलते हैं।
\v 8 इस भूमि पर गेहूं और जौ उगते हैं, इस भूमि पर अंजीर के पेड़ और अनार होते हैं, और जैतून के पेड़ और शहद हैं।
\s5
\v 9 यह ऐसी भूमि है जहाँ तुम्हारे लिए बहुत सारा भोजन होगा, जहाँ तुमको कोई भी घटी नहीं होगी, एक ऐसी भूमि जिसकी चट्टानों में कच्चा लोहा है और पहाड़ियों से कच्चा तांबा खोद सकते हो।
\v 10 हर दिन तुम तब तक खाओगे, जब तक तुम्हारा पेट भर नहीं जाएगा और तुम हमारे परमेश्वर यहोवा का इस उपजाऊ भूमि के लिए धन्यवाद करोगे जो उन्होंने तुम्हें दी है।
\p
\s5
\v 11 परन्तु जब ऐसा होता है, तो सुनिश्चित करो कि आज मैं तुमको परमेश्वर के जो आदेश और नियम और विधियाँ दे रहा हूँ उनका उल्लंघन करके अपने परमेश्वर यहोवा को न भूलना।
\v 12 तुम्हारा पेट हर दिन भरा होगा, और तुम अच्छे घर बनाओगे और उनमें रहोगे। लेकिन तुम यहोवा के आदेशों को भूल सकते हो।
\s5
\v 13 निश्चय ही, जब तुम्हारे मवेशियों और भेड़ों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि होगी, और जब तुमने बड़ी मात्रा में चांदी और सोने को एकत्र किया होगा, और तुम्हारी सभी अन्य संपत्तियों की मात्रा में पर्याप्त वृद्धि होगी,
\v 14 तब यह सुनिश्चित करना कि तुम गर्व न करो और हमारे परमेश्वर यहोवा को भूल न जाओ, जिन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र में दास होने से बचाया और उन्हें वहाँ से निकाल लाए।
\s5
\v 15 यह मत भूलना कि जब उन्होंने उस विशाल और भयानक रेगिस्तान से यात्रा की, जहाँ जहरीले सांप और बिच्छू थे, तब उन्होंने उन लोगों का नेतृत्व किया था। और यह न भूलना कि जहाँ भूमि बहुत सूखी थी और पानी नहीं था, वहाँ उन्होंने मजबूत चट्टान से पानी निकाल दिया था।
\v 16 यह मत भूलना कि उस रेगिस्तान में उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को मन्ना खाने के लिए दिया, ऐसा भोजन जो उन्होंने कभी नहीं खाया था। उन्होंने उन्हें वह इसलिए दिया, क्योंकि वे उन्हें यह अनुभव कराना चाहते थे कि उन लोगों को स्वयं पर नहीं उन पर भरोसा करने की आवश्यकता है। वे उन्हें जांचना भी चाहते थे कि वे क्या कर सकते हैं, कि जब वे कठिनाइयां समाप्त हो जाए, तो उनके लिए सब अच्छा करें।
\v 17 तुम अपने आप में कभी यह न सोचना, ‘मैंने इन सभी चीजों को अपनी शक्ति और क्षमता से प्राप्त किया है।’
\s5
\v 18 मत भूलना कि ये हमारे परमेश्वर यहोवा हैं जिन्होंने तुम्हें धनवान बनने में सक्षम बनाया है। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे ईमानदारी से उसे पूरा करते हैं जो करने का उन्होंने हमारे पूर्वजों से ईमानदारी से वादा किया था।
\p
\v 19 मैं तुमको गंभीरता से चेतावनी देता हूँ कि यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा को भूल कर और अन्य देवताओं के पास जाते हो और उन्हें दण्डवत करना शुरू करते हो और उनकी पूजा करते हो, तो परमेश्वर निश्चित रूप से तुमको नष्ट कर देंगे।
\v 20 यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा का पालन नहीं करते हो, तो वे निश्चित रूप से तुमको नष्ट कर देंगे जैसे वे लोगों के उन समूहों को नष्ट कर देते हैं जिनसे तुम लड़ते हो।
\s5
\c 9
\p
\v 1 हे इस्राएल के लोगों, मेरी बातें सुनो! तुम जल्द ही यरदन नदी पार करोगे। जिस भूमि में तुम प्रवेश करोगे, वहाँ ऐसे बड़े शहर हैं जिनके चारों ओर बहुत ऊँची दीवारें हैं जिन्हें देखकर लगता है कि वे आकाश तक पहुँचती हैं। उस देश में ऐसे लोगों के समूह हैं जो तुमसे संख्या में अधिक हैं और तुमसे अधिक शक्तिशाली भी हैं।
\v 2 वे लोग बहुत लंबे और मजबूत हैं। उनमें से कुछ विशालकाय हैं जो अनाक के वंशज हैं। तुम उनके विषय में जानते हो, और तुमने लोगों को यह कहते हुए सुना है कि कोई भी अनाक के वंशजों को पराजित नहीं कर सकता।
\s5
\v 3 मैं चाहता हूँ कि तुम जान लो कि हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे आगे आगे जाएंगे। वह एक ज्वलन्त आग के समान होंगे। जब तुम आगे बढ़ोगे, तो वे उन्हें पराजित करेंगे और नष्ट कर देंगे। परिणामस्वरूप , तुम शीघ्र ही उनमें से कुछ को बाहर निकालने और दूसरों को मारने में सक्षम होंगे, जैसा यहोवा ने वादा किया था कि तुम करोगे।
\p
\s5
\v 4 हमारे परमेश्वर यहोवा के उन्हें तुम्हारे लिए निष्कासित करने के बाद, तुम अपने आप से यह मत कहना, ‘क्योंकि हम धर्मी हैं इसलिए यहोवा ने हमें इस देश को पकड़ने में सक्षम बनाया है।’ सच्चाई यह है, क्योंकि उस देश के लोग दुष्ट हैं इसलिए यहोवा उन्हें बाहर निकाल देंगे, जब तुम आगे बढ़ोगे।
\s5
\v 5 मैं फिर से कहता हूँ कि तुम उस भूमि में प्रवेश करके उस पर कब्जा इसलिए नहीं करोगे क्योंकि तुम अपने भीतर से धर्मी हो या तुम धर्म के काम करते हो। क्योंकि वे लोग बहुत दुष्ट हैं इसलिए हमारे परमेश्वर यहोवा उन्हें बाहर निकाल देंगे, जब तुम आगे बढ़ोगे, और क्योंकि वे अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने की इच्छा रखते हैं जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वज अब्राहम, इसहाक और याकूब से गंभीरता से किया था।
\s5
\v 6 मैं चाहता हूँ कि तुम यह जान लो कि हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको यह अच्छी भूमि इसलिए नहीं दे रहे हैं क्योंकि तुम धर्मी हो। मैं यह इसलिए कहता हूँ क्योंकि तुम धर्मी नहीं हो; तुम बहुत हठीले लोग हो।"
\p
\s5
\v 7 “कभी न भूलो कि तुम्हारे पूर्वजों ने रेगिस्तान में क्या किया था, हमारे परमेश्वर यहोवा को क्रोधित किया था। जिस दिन से हम ने मिस्र छोड़ा, उस दिन से जब तक हम यहां पहुंचे, तब तक तुमने उनके विरुद्ध लगातार विद्रोह किया।
\v 8 यहां तक कि सीनै पर्वत पर भी तुम्हारे पूर्वजों ने यहोवा को क्रोधित किया। क्योंकि वे बहुत क्रोधित थे, वे उन सभी से छुटकारा पाने के लिए तैयार थे।
\s5
\v 9 जब मैं पहाड़ पर उन पत्थर की पट्टियों को जिस पर उन्होंने दस आज्ञाएं लिखी थीं लेने के लिए चढ़ गया, मैं वहाँ चालीस दिन और रात रुका, और उस समय मैंने कुछ भी नहीं खाया और ना पीया।
\v 10 यहोवा ने मुझे पत्थर की दो पट्टियाँ दीं जिन पर उन्होंने अपनी उंगलियों से आज्ञाएं लिखी थीं। वे वही शब्द थे जिसमे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से उस पर्वत पर आग में से बातें की थी, जब वे पहाड़ के तल पर एकत्र हुए थे।
\p
\s5
\v 11 उन चालीस दिन और रात के अंत में, यहोवा ने मुझे पत्थर की दो पट्टियाँ दीं जिन पर उन्होंने उन आज्ञाओं को लिखा था।
\v 12 परन्तु परमेश्वर ने मुझ से कहा, ‘पहाड़ पर से तुरंत नीचे जाओ, क्योंकि जिन लोगों की तुम अगुवाई कर रहे हो, जिन लोगों को तुम मिस्र से निकाल लाए थे, उन्होंने एक भयंकर पाप किया है! उन्होंने बहुत जल्दी वही किया है जो मैंने उन्हें ना करने का आदेश दिया है। उन्होंने आराधना करने के लिए अपने लिए एक बछड़े की मूर्ति ढालकर बना ली है।'
\p
\s5
\v 13 तब यहोवा ने मुझ से कहा, ‘मैं इन लोगों को देख रहा हूँ, और मैं देखता हूँ कि वे बहुत हठीले हैं।
\v 14 इसलिए मुझे रोकने का प्रयास मत करो। मैं उन सभी को नष्ट करने जा रहा हूँ, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी उनके नाम याद नहीं रखेगा। तब मैं तुमको ऐसे देश का पूर्वज बनाऊँगा जो उनसे असंख्य और अधिक शक्तिशाली होगा।'
\p
\s5
\v 15 तब मैं मुड़ा और अपने हाथों में पत्थर की दो पट्टियाँ लेकर जिन पर दस आज्ञाएं लिखी गईं, पहाड़ से नीचे चला गया। आग पूरे पहाड़ पर जल रही थी।
\v 16 मैंने देखा, और मैं यह देखकर चौंक गया कि तुम्हारे पूर्वजों ने यहोवा के विरुद्ध एक बड़ा पाप किया है। उन्होंने बहुत जल्द ही ऐसा काम करना शुरू कर दिया जो हमारे परमेश्वर यहोवा ने उन्हें न करने का आदेश दिया था। उन्होंने हारून से विनती की थी कि आराधना करने के लिए एक बछड़े की मूर्ति ढालकर बनाएं।
\s5
\v 17 तब जब वे देख रहे थे, तो मैंने उन पत्थर की उन दो पट्टियों को उठा लिया और उन्हें भूमि पर फेंक दिया, और वे टुकड़ों में टूट गईं।
\p
\v 18 तब मैंने यहोवा की उपस्थिति में भूमि पर मुँह के बल गिर पड़ा जैसा मैंने पहले भी किया था, और मैंने चालीस दिन और रात तक कुछ नहीं खाया और ना पीया। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि तुम्हारे पूर्वजों ने यहोवा के विरूद्ध पाप किया था और उन्हें बहुत क्रोधित किया था।
\s5
\v 19 मुझे डर था कि यहोवा उन से बहुत क्रोधित थे, इसलिए वे उन सभी से छुटकारा पाएंगे। लेकिन फिर मैंने प्रार्थना की कि वे ऐसा नहीं करें, और फिर उन्होंने मेरी बातें सुनी और मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया।
\v 20 यहोवा उस सुनहरे बछड़े को बनाने के कारण हारून से बहुत क्रोधित थे और उसे मारने के लिए तैयार थे। लेकिन उस समय मैंने हारून के लिए भी प्रार्थना की, और यहोवा ने मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया।
\s5
\v 21 तुम्हारे पूर्वजों ने हारून से बछड़े की मूर्ति ढालकर बनाने का अनुरोध किया था। तो मैंने उस मूर्ति को लिया और मैंने उसे आग में पिघला दिया और उसे पीसकर बहुत छोटे टुकड़े बना दिये। तब मैंने पहाड़ के नीचे बहने वाली धारा में उन छोटे टुकड़ों को फेंक दिया।
\p
\s5
\v 22 तुम्हारे पूर्वजों ने यहोवा को उन जगहों पर बहुत क्रोधित किया, जिन्हें उन्होंने तबेरा, मस्सा और किब्रोतहत्तावा नाम दिया था।
\p
\v 23 और जब हम कादेशबर्ने में थे, तब यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से कहा, ‘जाओ और उस देश पर कब्ज़ा करो जिसे मैं तुम्हें देने वाला हूँ! लेकिन उन लोगों ने उनके विरुद्ध विद्रोह किया। उन्होंने उन पर भरोसा नहीं किया, और यहोवा ने जो कुछ करने के लिए कहा उन्होंने उसका पालन नहीं किया।
\v 24 तुम्हारे पूर्वजों ने मिस्र में, जिस दिन से मैं उन्हें जानता था, उसी दिन से यहोवा के विरूद्ध विद्रोह किया, और तुम अपने पूर्वजों के समान ही हो।
\p
\s5
\v 25 इसलिए, जैसा मैंने कहा, मैं यहोवा की उपस्थिति में चालीस दिन और रात तक भूमि पर पड़ा रहा, क्योंकि यहोवा ने कहा था कि वे तुम्हारे पूर्वजों को नष्ट कर देंगे।
\v 26 और मैंने यहोवा से प्रार्थना की, हे प्रभु यहोवा, ये लोग आपके हैं; उन्हें नष्ट मत करें। ये वही लोग हैं जिन्हें आपने बचाया और मिस्र से अपनी महान शक्ति से बाहर निकाला है।
\s5
\v 27 जो कुछ आपने अब्राहम, इसहाक और याकूब से वादा किया था, उसे मत भूलें। ये लोग कितने हठीला और दुष्ट हैं और उन्होंने जो पाप किया है, इस बातें को अनदेखा करें।
\v 28 यदि आप ऐसा नहीं करेंगे, और यदि आप उन्हें नष्ट कर देते हैं, तो मिस्र के लोग इसके विषय में सुनेंगे और कहेंगे कि आप उन्हें उस देश में ले जाने में सक्षम नहीं थे जिसे आपने उन्हें देने की प्रतिज्ञा की थी। वे कहेंगे कि आप उन्हें केवल मारने के लिए रेगिस्तान में ले गए क्योंकि आपने उनसे घृणा की थी।
\v 29 यह मत भूलना कि वे आपके लोग हैं। आपने उन्हें अपने लिए चुना है। आप उन्हें अपनी महान शक्ति से मिस्र से बाहर लाए।'"
\s5
\c 10
\p
\v 1 “तब यहोवा ने मुझ से कहा, ‘पहले पत्थरों के समान दो पत्थर की पट्टियाँ काट लो। और उन्हें रखने के लिए लकड़ी का एक सन्दूक बनाओ। फिर उन पट्टियों को इस पर्वत पर मेरे पास ऊपर ले आओ।
\v 2 मैं उन पट्टियों पर वही शब्द लिखूंगा जो मैंने पहली पट्टियों पर लिखे थे, जिन्हें तुमने तोड़ दिया। फिर तुम उन्हें सन्दूक में रख सकते हो।'
\p
\s5
\v 3 इसलिए मैंने सन्दूक बनाया। मैंने इसे बनाने के लिए बबूल के पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया। तब मैंने पत्थर की दो पट्टियों को पहले के समान काट लिया, और मैं पट्टियों को लेकर पहाड़ पर चढ़ गया।
\v 4 वहाँ यहोवा ने पट्टियों पर उन्हीं दस आज्ञाओं को लिखा जो उन्होंने पहले पट्टियों पर लिखी थीं। वे वही आज्ञायें थी, जो यहोवा ने पर्वत पर आग के बीच से तुम्हारे पूर्वजों को बतायी थी, जब वे पहाड़ के तल पर इकट्ठे हुए थे। तब यहोवा ने मुझे पटियां दीं।
\s5
\v 5 पट्टियों को लेकर, मैं मुड़ गया और पहाड़ से नीचे चला गया। फिर, जैसा उन्होंने आदेश दिया था, मैंने उन्हें उस सन्दूक में रखा जिसे मैंने बनाया था। और वे अभी भी वहाँ हैं।"
\p
\s5
\v 6 (फिर, याकन के लोगों के कुएं से, इस्राएली लोग मोसेरा गए थे। वहाँ हारून की मृत्यु हो गई और उसे वहाँ दफनाया गया, और उसके पुत्र एलीआजर ने उसका स्थान लिया और महायाजक बन गया।
\v 7 वहाँ से, इस्राएलियों ने गुदगोदा की ओर यात्रा की, और वहाँ से योतबाता तक गए, जहाँ कई धाराएं थीं।
\s5
\v 8 उस समय, यहोवा ने लेवी के गोत्र को उस सन्दूक को ले जाने के लिए, जिस में दस आज्ञाएं लिखी हुई पट्टियाँ थीं, और पवित्र तम्बू में यहोवा की उपस्थिति में खड़े होकर बलिदान चढ़ाने और यहोवा से लोगों को आशीर्वाद देने के लिये प्रार्थना करने के लिए चुना। वे अभी भी ऐसा ही कर रहे हैं।
\v 9 यही कारण है कि लेवी के गोत्र को अन्य गोत्रों के समान कोई भूमि नहीं मिली। उन्हें जो मिला वह यहोवा के याजक होने का सम्मान था, जो यहोवा ने कहा था कि उन्हें करना चाहिए।)
\p
\s5
\v 10 मूसा ने बातें करना जारी रखा: “मैं चालीस दिन और रात पहाड़ पर रहा, जैसा मैंने पहली बार किया था। मैंने यहोवा से प्रार्थना की, और उन्होंने मेरी प्रार्थनाओं का फिर से उत्तर दिया और कहा कि वह तुम्हारे पूर्वजों को नष्ट नहीं करेंगे।
\v 11 तब यहोवा ने मुझ से कहा, ‘लोगों के आगे चलकर, अपनी यात्रा जारी रखो, उस देश पर कब्जा करने के लिए जिसने मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देने का ईमानदारी से वादा किया था।’"
\p
\s5
\v 12 “अब, हे इस्राएली लोगों, मैं तुमको बताऊंगा कि हमारे परमेश्वर यहोवा क्या कहते हैं कि तुम्हें करना चाहिए। वे चाहते हैं कि तुम उनकी महिमा करो, उनकी इच्छा के अनुसार अपने जीवन का संचालन करो, उनसे प्रेम करो, और अपनी पूरी इच्छा और अपनी सभी भावनाओं के साथ उनकी सेवा करो,
\v 13 और उनकी सभी आज्ञाओं का पालन करो जो आज मैं तुमको दे रहा हूँ, ताकि वे तुम्हारी सहायता करें।
\p
\s5
\v 14 यह मत भूलना कि हमारे परमेश्वर यहोवा आकाश और सबकुछ जो उसमें है, उनके मालिक हैं। वे धरती और उस पर जो कुछ उसमें है उनके भी मालिक हैं।
\v 15 यद्यपि वे उन सभी चीजों के मालिक हैं, फिर भी यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से प्रेम किया; धरती पर के सभी लोगों के समूह में से उन्होंने हमें और हमारे वंशजों को चुना, और हम अभी भी उनके लोग हैं।
\s5
\v 16 इसलिए तुमको अपने भीतरी मनुष्यत्व को बदलना चाहिए और हठीला होना बंद करना चाहिए।
\v 17 यहोवा हमारे परमेश्वर सभी देवताओं से बड़े हैं, और वे सभी शासकों से बड़े हैं। वे दूसरों की तुलना में बहुत शक्तिशाली हैं, और वे रिश्वत स्वीकार नहीं करते हैं।
\s5
\v 18 वे सुनिश्चित करते हैं कि अनाथ और विधवाओं के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाए। वे उन विदेशी लोगों से भी प्रेम करते हैं जो हम इस्राएलियों के बीच रहते हैं, और वे उन्हें भोजन और कपड़े देते हैं।
\v 19 इसलिए तुमको उन विदेशियों से भी प्रेम करना चाहिए, क्योंकि जब तुम मिस्र में रहते थे तब तुम भी विदेशी थे।
\s5
\v 20 सुनिश्चित करो कि तुम अपने परमेश्वर यहोवा का आदर करो और केवल उनकी आराधना करो। उनके प्रति वफादार रहो, और कहो कि यदि तुम अपने वादो को पूरा नहीँ करते हो, तो वे तुमको दंडित करें।
\v 21 वे ही हैं जिनकी तुमको प्रशंसा करनी चाहिए। वे हमारे परमेश्वर है, और हमने उन महान और भयानक कार्यों को देखा है जो उन्होंने हमारे लिए किए हैं।
\s5
\v 22 जब हमारे पूर्वज, याकूब और उसका परिवार मिस्र गए, तो वे केवल सत्तर ही थे। परन्तु अब हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें आकाश के तारों के समान असंख्य बना दिया है। “
\s5
\c 11
\p
\v 1 “जो कुछ तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे लिए किया है, उसके कारण तुमको उनसे प्रेम रखना है और उनके सभी नियमों और विधियों और आज्ञाओं का पालन करना है।
\s5
\v 2 उन्होंने तुम्हारे बच्चों को नहीं, तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दंडित किया,क्योंकि तुमने उनकी अवज्ञा की थी, तुमको सिखाने और प्रशिक्षित करने के लिए उन्होंने तुम्हें कई कठिनाइयों में डाला। इसलिए आज से लेकर, उनकी सजा, उनकी महान शक्ति और उनकी बड़ी ताकत के विषय में सोचना जारी रखें, जिससे उन्होंने तुमसे वह करवाया जो वे तुमसे करवाना चाहते थे।
\v 3 मिस्र में उनके द्वारा किए गए कई अलग-अलग चमत्कारों को याद रखो, चमत्कार जो यह दिखाते हैं कि वे कितने शक्तिशाली और महान हैं। मिस्र के राजा और उसने जिस देश पर शासन किया, उसके साथ यहोवा ने जो किया, उसके विषय में सोचो।
\s5
\v 4 तुम्हारे बच्चों ने मिस्र की सेना, या उनके घोड़ों और उनके रथों को यहोवा की शक्ति से नष्ट होते नहीं देखा। तुम्हारे बच्चों ने यह नहीं देखा कि कैसे यहोवा ने लाल समुद्र में बाढ़ ला कर मिस्र की सेना को डुबो दिया जब वे उनके पूर्वजों के पीछे आ रहे थे। तुम्हारे बच्चे यह नहीं समझ पाए कि यहोवा आज भी मिस्र की सेना को कमजोर बना रहे हैं।
\v 5 तुम्हारे बच्चों को यह नहीं पता कि यहोवा इस स्थान पर आने से पहले रेगिस्तान में उनके पूर्वजों की कैसे देखभाल करते थे।
\s5
\v 6 याद करो कि रूबेन के गोत्र से एलियाब के दो पुत्र दातान और अबीराम के साथ परमेश्वर ने क्या किया। तुम्हारे सभी पूर्वज देख रहे थे, पृथ्वी खुल गई, और वे अपने परिवारों और अपने तंबू, नौकरों और पशुओं के साथ गड्ढ़े में गायब हो गए।
\v 7 तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने इन सभी चमत्कारों को देखा है जो यहोवा ने किये थे।
\p
\s5
\v 8 इसलिए, उन सभी आज्ञाओं का पालन करो जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, ताकि तुम दृढ़ हो सको और नदी पार करने में सक्षम हो सको और उस भूमि पर कब्जा कर सको जिसमें तुम प्रवेश करने वाले हो,
\v 9 और इस देश में तुम लंबे समय तक जीवित रहो, एक ऐसी उपजाऊ भूमि जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से ईमानदारी से वादा किया था कि वह उन्हें और उनके वंशजों को देंगे।
\s5
\v 10 जिस देश में तुम प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो, वह मिस्र देश के समान नहीं है, जहाँ तुम्हारे पूर्वज रहते थे। मिस्र में, बीज लगाए जाने के बाद, बढ़ने वाले पौधों को पानी देने के लिए कड़ा परिश्रम करना आवश्यक था।
\v 11 लेकिन जिस भूमि में तुम प्रवेश करने वाले हैं वह एक ऐसी भूमि है जहाँ कई पहाड़ियाँ और घाटियाँ हैं, जहाँ बहुत बारिश होती है।
\v 12 यहोवा उस देश की चिंता करते हैं। वह प्रत्येक वर्ष की शुरुआत से प्रत्येक वर्ष के अंत तक, हर दिन उसका ख्याल रखते हैं।
\p
\s5
\v 13 आज मैं तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करने और अपने पूरे भीतरी मनुष्यत्व से उनकी सेवा करने का आदेश दे रहा हूँ। यदि तुम यह करते हो,
\v 14 तो प्रत्येक वर्ष वे सही समय पर तुम्हारी भूमि पर बारिश भेजेंगे। परिणामस्वरूप , तुम्हारे पास अनाज, और दाखमधु बनाने के लिए अंगूर और तेल बनाने के लिए जैतून होंगे।
\v 15 वे तुम्हारे पशुओं के खाने के लिए घास उगाएँगे। तुम्हारे पास उतना भोजन होगा जितना तुम चाहते हो।
\p
\s5
\v 16 परन्तु मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ, हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना करना बंद न करना; और अन्य देवताओं की पूजा करना शुरू मत करना,
\v 17 क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो, तो यहोवा तुम से बहुत क्रोधित हो जाएंगे। वे बारिश को रोक देंगे। परिणामस्वरूप , फसलें नहीं बढ़ेगी, और तुम जल्द ही उस अच्छी भूमि में भूख से मर जाओगे जो यहोवा तुम्हें देने वाले हैं।
\s5
\v 18 इसलिए, यहोवा ने जो आज्ञा दी है, उसके विषय में सोचते रहो। इन शब्दों को छोटी पत्रियों पर लिखो और उन्हें अपनी बाहों में बांधो, और उन्हें उन पट्टियों पर लिखो जिन्हें तुम अपने माथे पर बांधते हो ताकि तुम्हें वह याद रखने में सहायक हों।
\v 19 यह सब बार-बार अपने बच्चों को सिखाओ। उनके विषय में हर समय बातें करो: जब तुम अपने घरों में हों और जब तुम बाहर चल रहे हों; जब तुम लेटे हुए हों और जब तुम काम कर रहे हों, तो उनके विषय में बातें करो।
\s5
\v 20 उन्हें अपने शहरों के फाटकों और अपने शहरों के द्वारों पर लिखो।
\v 21 ऐसा करो कि तुम और तुम्हारे बच्चे उस देश में लंबे समय तक जीवित रहें जिसे यहोवा ने हमारे पूर्वजों को देने का वादा किया था। धरती से ऊपर जब तक आकाश होगा तब तक वह भूमि तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों की होगी।
\p
\s5
\v 22 ईमानदारी से जो कुछ मैं करने के लिए तुमको आज्ञा देता हूँ, उसका पालन करना जारी रखो- हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, और उनकी इच्छा के अनुसार अपने जीवन का संचालन करो, और उनके प्रति वफादार रहो।
\v 23 यदि तुम ऐसा करते हो, तो यहोवा उस देश के सभी समूहों को बाहर निकाल देंगे, जब तुम आगे बढ़ते हो, ऐसे लोगों का समूह जो तुमसे अधिक शक्तिशाली और गिनती में अधिक हैं।
\s5
\v 24 उस देश की जिस भूमि पर तुम चलोगे वह तुम्हारा होगा। तुम्हारा क्षेत्र दक्षिण में रेगिस्तान से लेकर उत्तर में लेबनान पहाड़ों तक और पूर्व में फरात नदी से लेकर पश्चिम में भूमध्य सागर तक फैला होगा।
\v 25 यहोवा हमारे परमेश्वर उस देश के सभी लोगों को तुमसे बहुत डराएंगे, जिसका उन्होंने वादा किया था, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी समूह तुमको रोकने में सक्षम नहीं होगा।
\p
\s5
\v 26 ध्यान से सुनो: आज मैं तुमको बता रहा हूँ कि यहोवा तुम्हें आशीर्वाद देंगे या वे तुम्हें अभिशाप देंगे।
\v 27 यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा के आदेशों का पालन करते हो, जो मैं आज तुमको दे रहा हूँ तो वे तुम्हें आशीर्वाद देंगे।
\v 28 परन्तु यदि तुम उनका पालन नहीं करते हो, और यदि तुम उनकी आराधना करना बंद कर देते हो और अन्य देवताओं की पूजा करना शुरू करते हो, जिनके प्रति तुम पहले कभी विश्वसनीय नहीं थे, तो वे तुम्हें अभिशाप देंगे।
\s5
\v 29 और जब यहोवा तुम्हें उस देश में लाएंगे जिसमें तुम प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो, तो तुम में से कुछ लोगों को गिरिज्जीम पर्वत के शीर्ष पर खड़ा होना है और यह घोषणा करनी चाहिए कि क्या करने से यहोवा तुमको आशीर्वाद देंगे, और दूसरों को एबाल पर्वत के शीर्ष पर खड़ा होना चाहिए और घोषणा करनी चाहिए कि क्या करने से यहोवा तुमको अभिशाप देंगे।"
\v 30 (ये दो पर्वत यरदन नदी के पश्चिम में हैं, जो यरदन के तट के मैदान के पश्चिम में हैं, जहाँ कनानी लोग रहते हैं। वे गिलगाल के पास पवित्र पेड़ों के निकट रहते हैं।)
\s5
\v 31 “तुम जल्द ही उस देश पर कब्जा करने के लिए यरदन नदी को पार करोगे जिसे यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें दे रहे हैं। जब तुम उस देश में प्रवेश करते हो और वहाँ रहना शुरू करते हो,
\v 32 तब उन सभी नियमों और विधियों का पालन करना सुनिश्चित करो जो मैं आज तुम्हें दे रहा हूं।"
\s5
\c 12
\p
\v 1 “अब मैं तुमको नियम और आज्ञा देता हूँ जिनका तुमको उस देश में ईमानदारी से पालन करना चाहिए जो यहोवा, जिस परमेश्वर की हमारे पूर्वजों ने आराधना की थी, वह तुमको कब्जा करने के लिए दे रहे हैं। तुमको हर समय जब तक तुम जीवित हो, इन नियमों का पालन करना चाहिए।
\v 2 जब तुम उन लोगों के समूह को निकाल दोगे, जिनकी भूमि तुम लेने जा रहे हो, तो तुमको उन सभी स्थानों को नष्ट कर देना है जैसे कि उन स्थानों को जो पहाड़ों और पहाड़ियों के शीर्ष पर और बड़े पेड़ के पास में, जहाँ उन्होंने अपने देवताओं की पूजा की।
\s5
\v 3 तुमको उनकी वेदियों को ढा देना है और उनके खंभे तोड़ डालने हैं। उनकी देवी अशेरा की मूर्तियों को जला डालो और उनके देवताओं की खुदी हुई मूर्तियों को काट डालो, ताकि कोई भी उन स्थानों पर कभी उनकी पूजा न करे।
\p
\v 4 कनान के लोग जैसे अपने देवताओं की पूजा करते है, उसी प्रकार यहोवा की आराधना न करना।
\s5
\v 5 इसकी अपेक्षा, तुमको उस स्थान पर जाना होगा जिसे यहोवा चुनेंगे। यह उस क्षेत्र में होगा जहाँ तुम्हारे गोत्रों में से एक रहेगा। वही तुमको यहोवा की उपस्थिति में रहकर उनकी आराधना करनी चाहिए।
\v 6 उसी स्थान पर तुमको अपने बलिदान लाने चाहिए जिन्हें याजक पूरी तरह से वेदी पर जलाएंगे, और तुम्हारे अन्य बलिदानों को जो तुम स्वयं मेरे लिए लाओगे, तुम्हारे दशमांश, अन्य भेंट जो तुम मुझे देने का वादा करते हो, तुम्हारे मवेशी और भेड़ों के ज्येष्ठ जानवर, या किसी अन्य प्रकार की भेंट।
\s5
\v 7 वहां, हमारे परमेश्वर यहोवा की उपस्थिति में, तुम और तुम्हारे परिवार अच्छी चीजें खाएंगे जिनका उत्पादन करने के लिए तुमने परिश्रम किया है, और तुम प्रसन्न होगे, क्योंकि यहोवा ने तुमको बहुत आशीर्वाद दिया है।
\p
\s5
\v 8 जब तुम उस देश में हो, तो तुमको कुछ काम नहीं करने चाहिए जो हम कर रहे हैं। अब तक, तुम सभी यहोवा की आराधना अपनी इच्छा के अनुसार कर रहे हो,
\v 9 क्योंकि तुम अभी तक उस देश में नहीं पहुंचे हो जिसमें वह तुमको स्थायी रूप से रहने की अनुमति देंगे, जहाँ तुम शांतिपूर्वक रह सकोगे।
\s5
\v 10 परन्तु जब तुम यरदन नदी पार करते हो, तब तुम उस देश में रहना शुरू करोगे जिसे यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें दे रहे हैं। वे तुमको तुम्हारे आस-पास के सभी दुश्मनों से बचाएंगे, और तुम शान्ति से रहोगे।
\p
\v 11 यहोवा एक स्थान का चयन करेंगे जहाँ वे चाहते हैं कि तुम उनकी आराधना करो। यही वह स्थान है जहाँ तुम्हें सभी भेंटों को लाना होगा जिन्हें लाने के लिए मैं तुम्हें कहता हूं: याजक बलिदानों को पूरी तरह से वेदी पर जलाएंगे, तुम्हारे अन्य बलिदान, अन्य भेंट जिन्हें तुम स्वयं प्रस्तुत करने का निर्णय लेते हो, तुम्हारे दशमांश और सभी विशेष भेंट जो तुम परमेश्वर को देने की प्रतिज्ञा करोगे।
\s5
\v 12 यहोवा के सामने, अपने बच्चों, अपने दास-दासियों, और लेवी के वंशज के साथ जो तुम्हारे नगरों में रहते हैं, वहाँ आनंद मनाना। यह मत भूलना कि तुम्हारी तरह लेवी के वंशजों की अपनी भूमि नहीं होगी।
\s5
\v 13 सुनिश्चित करो कि तुम पूरी तरह जलाए जाने वाले जानवरों को बलिदान के रूप में कहीं भी बलि नहीं करोगे।
\v 14 तुमको ये बलिदान केवल उन जगहों पर चढ़ाने चाहिए जो यहोवा तुम्हारे लिए चुनते हैं, जो जगह तुम्हारे गोत्रों में से एक का होगा। यही वह जगह है जहाँ वे चाहते हैं कि तुम बलि चढ़ाओ जिसे याजक पूरी तरह से वेदी पर जलाएं, और अन्य कार्य जो उनकी आराधना करने के लिए तुम्हें करने हैं, जिसकी मैं तुमको आज्ञा देता हूँ।
\p
\s5
\v 15 हालांकि, परमेश्वर तुमको जहाँ तुम रहते हो, वहाँ तुम्हारे पशुओं को मारकर उनका मांस खाने की अनुमति देंगे। जितनी बार तुम चाहो, तुम जानवरों के मांस को खा सकते हो जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें देकर आशीर्वाद देंगे। जो उस समय शुद्ध या अशुद्ध हैं, वे सभी मांस खा सकते हैं, जैसे तुम हिरण या चिकारे का मांस खाते हो।
\v 16 लेकिन तुमको किसी भी जानवर का खून नहीं खाना चाहिए; मांस के पकाए जाने से पहले खून को भूमि पर बहा देना चाहिए।
\s5
\v 17 जिन स्थानों पर तुम रहते हो, वहाँ तुम्हें उन चीज़ों को नहीं खाना चाहिए जिन्हें तुम यहोवा को चढ़ा रहे हो: तुमको अपने अनाज या दाखमधु, या जैतून का तेल, या अपने पशुओं और भेड़ों के ज्येष्ठ पुत्रों का दसवां भाग या जो भेंट तुम स्वयं यहोवा के लिए प्रस्तुत करने का निर्णय लेते हो, या किसी अन्य भेंट को नहीं खाना चाहिए।
\s5
\v 18 इसकी अपेक्षा, तुम और तुम्हारे बच्चे और तुम्हारे दास-दासियाँ और लेवी के वंशज जो तुम्हारे नगरों में रहते हैं, उन्हें उन चीज़ों को यहोवा के उस स्थान पर खाना चाहिए, जिसे वह चुनते हैं। और तुमने जो कुछ भी किया, उसके विषय में तुमको आनन्दित होना चाहिए।
\v 19 सुनिश्चित करो कि तुम अपनी भूमि में रहते समय लेवी के सभी वंशजों का ख्याल रखोगे।
\p
\s5
\v 20 हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको पहले से अधिक भूमि देंगे, और जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है, और जब तुम कहते हो, ‘मैं कुछ मांस खाना चाहता हूँ, तो तुमको जब चाहो तब मांस खाने की अनुमति है।
\s5
\v 21 यदि वह स्थान जिसे हमारे परमेश्वर यहोवा ने अपनी आराधना के लिए चुना है, जहाँ तुम रहते हो, वहाँ से दूर है तो तुम्हें अपने कुछ मवेशियों या भेड़ों को मारने की अनुमति है, जिन्हें तुमने यहोवा को दिया है, और तुम इसे उस शहर में खा सकते हो, जहाँ तुम रहते हो, जैसा कि मैंने तुमको करने के लिए कहा है।
\v 22 जो उस समय शुद्ध या अशुद्ध हैं, वे मांस खा सकते हैं, जैसे तुम हिरण या चिकारे का मांस खाते हो।
\s5
\v 23 लेकिन सुनिश्चित करना कि तुम किसी भी जानवर का खून न खाओ, क्योंकि खून ही जीवित प्राणियों के जीवन को बनाए रखता है। तुमको मांस के साथ प्राण नहीं खाना चाहिए।
\v 24 खून मत खाओ; इसकी अपेक्षा, इसे भूमि पर बहा डालो।
\v 25 यदि तुम इस आज्ञा का पालन करते हो और जो कुछ भी यहोवा कहते हैं कि वह करना तुम्हारे लिए सही है, तो यह तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए अच्छा होगा।
\p
\s5
\v 26 परन्तु जो भेंट यहोवा ने तुम्हें उनके लिए अलग रखने के लिए कहा है, और जो अन्य भेंट तुम स्वयं देने का निर्णय करते हो, तुमको उस स्थान पर ले जाना चाहिए जिसे वे चुनेगें।
\v 27 वहाँ याजक उन भेंटों को यहोवा की वेदी पर जला देगा। वह जानवरों को मार डालेगा, खून को बहा देगा, और उसे वेदी के किनारों पर फेंक देगा। तुम उस मांस में से कुछ खा सकते हो।
\s5
\v 28 उन सभी चीजों का विश्वासपूर्वक पालन करना जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है। यदि तुम ऐसा करते हो, तो यह तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए हमेशा अच्छा होगा, क्योंकि तुम वही करोगे जो हमारे परमेश्वर यहोवा कहते हैं कि वह करना तुम्हारे लिए सही होगा और जो बातें उन्हें प्रसन्न करती हैं।
\p
\s5
\v 29 जब तुम आगे बढ़कर उस देश में प्रवेश करोगे और उस पर कब्जा करोगे, तो हमारे परमेश्वर यहोवा वहाँ रहने वाले लोगों के समूहों को नष्ट कर देंगे।
\v 30 यहोवा के ऐसा करने के बाद, सुनिश्चित करना कि तुम उन देवताओं की पूजा न करो जिनकी वहाँ के लोग पूजा करते हैं, क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो, तो यह एक जाल के समान होगा जो तुमको फंसा लेगा। उन देवताओं के विषय में किसी से मत पूछना, ‘मुझे बताओ कि उन्होंने अपने देवताओं की पूजा कैसे की, ताकि मैं उसी तरह यहोवा की उपासना कर सकूं।’
\s5
\v 31 जैसे उन्होंने अपने देवताओं की पूजा की है, वैसे हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना करने का प्रयास न करना, क्योंकि जब वे उनकी पूजा करते हैं, तो वैसे घृणित काम करते हैं, जिन से यहोवा घृणा करते हैं। सबसे बुरा जो वे करते हैं वह यह है कि वे अपने बच्चों की बलि देते हैं और उन्हें उनकी वेदियों पर जलाते हैं।
\p
\v 32 सुनिश्चित करना कि जो कुछ मैंने तुमको करने का आदेश दिया है, वह सब करो। इन आदेशों में कुछ भी न जोड़ना, और उनसे कुछ भी न घटाना।
\s5
\c 13
\p
\v 1 संभवतः तुम में से ऐसे लोग होंगे जो कहेंगे कि वे भविष्यद्वक्ता हैं। वे कह सकते हैं कि वे स्वप्नों के अर्थ की व्याख्या करने या विभिन्न प्रकार के चमत्कार करने में सक्षम हैं।
\v 2 वे ये बातें इसलिए कहेंगे कि तुम्हें उन देवताओं की पूजा करने के लिए प्रेरित करें जिन्हें तुमने पहले कभी नहीं जाना था। लेकिन यदि उनकी भविष्यवाणी सच हो भी जाए,
\v 3 तब जो वे कहते हैं उस पर ध्यान न देना। हमारे परमेश्वर यहोवा यह जानने के लिए तुम्हारी परीक्षा कर रहे होंगे कि क्या तुम उन्हें अपने पूरे भीतरी मनुष्यत्व से प्रेम करते हो या नहीं।
\s5
\v 4 तुम्हें अपने जीवन का संचालन यहोवा की इच्छा के अनुसार करना चाहिए, और तुमको उनका सम्मान करना चाहिए, जो कुछ भी यहोवा तुमको करने के लिए कहते हैं उसे करना चाहिए, और उन पर भरोसा रखना चाहिए।
\p
\v 5 परन्तु तुम्हें ऐसे व्यक्ति को मार डालना चाहिए जो झूठ बोलता है कि वह एक भविष्यद्वक्ता है, या कोई जो झूठ बोलता है कि वह स्वप्नों की व्याख्या कर सकता है, या जो तुमको हमारे परमेश्वर यहोवा के विरूद्ध विद्रोह करने के लिए कहता है, जिन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र में दास होने से बचाया था। इस तरह के लोग केवल तुमको यहोवा के आदेशों के अनुसार जीवन जीने से रोकना चाहते हैं। अपने बीच की इस बुराई से छुटकारा पाने के लिए उन्हें मार डालो।
\s5
\v 6 इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा भाई या तुम्हारी बेटी या तुम्हारी पत्नी या कोई करीबी दोस्त चुपके से तुमको फुसलाने लगे और कहे, ‘हम अन्य देवताओं की पूजा करें, ऐसे देवता जिन्हें न तो तुम और न ही तुम्हारे पूर्वजों ने कभी जाना हैं।’
\v 7 उनमें से कुछ तुमको उन देवताओं की पूजा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जिनकी तुम्हारे आस-पास रहने वाले लोग या तुमसे दूर रहने वाले लोग पूजा करते हैं।
\s5
\v 8 वे जो भी सुझाव देते हैं वह मत करो। उन्हें सुनो भी मत। उनके प्रति दया के कार्य न करो, और उन्होंने जो किया है, उसे गुप्त न रखो।
\v 9 उन्हें मार डालो! तुम उन्हें मारने के लिए पत्थर फेंकने वाले पहले व्यक्ति होंगे; फिर शेष लोगों को भी उन्हें पत्थरों से मारना चाहिए।
\s5
\v 10 ऐसे लोगों को पत्थरों से मार डालो, क्योंकि उन्होंने तुम्हें हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना करने से रोकने का प्रयास की हैं, जिन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र में दास होने से बचाया था।
\v 11 जब उन्हें मार डाला जाता है, तो सभी इस्राएली लोग सुनेंगे कि क्या हुआ, और वे डर जाएंगे, और उनमें से कोई भी ऐसी बुरी बातें फिर से नहीं करेगा।
\p
\s5
\v 12 जब तुम उस देश के उन नगरों में से एक में रह रहे हो, जो यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें दे रहे हैं, तो तुम सुन सकते हो
\v 13 कि तुम्हारे बीच के कुछ बेकार लोग अपने नगर के लोगों को यह कहकर धोखा दे रहे हैं, ‘चलो चलें और अन्य देवताओं की पूजा करें।’
\v 14 इसके विषय में पूरी तरह से जांच करो। मान लो कि तुम्हें पता चलता है कि यह सच है कि ऐसी अपमानजनक बातें हुई है।
\s5
\v 15 तब उस नगर के सभी लोगों को मार डालो। और उनके सभी पशुओं को भी मार डालो। उस नगर को पूरी तरह से नष्ट करो।
\v 16 उनकी सभी संपत्तियों को एकत्र करो जो वहाँ रहने वाले लोगों की थी और नगर के चौक में ढेर लगाओ। तब उस नगर और जो कुछ उसमें है, उसे जलाओ, जैसे कि यह यहोवा को चढ़ाया गया बलिदान है जो वेदी पर पूरी तरह जला दिया गया था। हमेशा के लिए वहाँ खंडहर रहना चाहिए; उस नगर का कभी पुनर्निर्माण नहीं किया जाना चाहिए।
\s5
\v 17 तुम्हें अपने लिए ऐसी कोई भी वस्तु नहीं लेनी चाहिए जिसे यहोवा ने कहा है, कि वह नष्ट की जानी चाहिए, क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो, जैसा मैं कहता हूँ, तो यहोवा तुम से क्रोधित होना बंद करेंगे, और वे तुम्हारे प्रति दया के कार्य करेंगे। वे तुमको कई संतान देंगे, जैसा उन्होंने हमारे पूर्वजों से वादा किया था कि वे करेंगे।
\v 18 यहोवा हमारे परमेश्वर वे सभी काम करेंगे यदि तुम जो कुछ भी उन्होंने तुम्हें करने के लिए कहा था, उसे करोगे और यदि तुम उन सभी आज्ञाओं का पालन करोगे जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ और वही करो जो कुछ यहोवा कहते हैं वह करना तुम्हारे लिए सही है।
\s5
\c 14
\p
\v 1 हम वही लोग हैं जो हमारे परमेश्वर यहोवा के हैं। जब लोग मर जाते हैं, तो अपना दुःख दिखाने के लिए अपने शरीर को मत चीरो या अपने सिर के बाल न मुँडाओ, जैसे अन्य लोग करते हैं।
\v 2 हम केवल यहोवा के हैं। यहोवा ने हमें विशेष लोगों के रूप में धरती पर के सभी अन्य लोगों के समूहों में से चुना है।
\p
\s5
\v 3 यहोवा जिन चीजों से घृणा करते हैं, उन्हें न खाएं।
\v 4 जिन जानवरों के मांस को तुम्हें खाने की अनुमति है वे मवेशी, भेड़, बकरियां,
\v 5 सभी प्रकार के हिरण, चिकारा, जंगली बकरियां, और पहाड़ी भेड़।
\s5
\v 6 ये वह जानवर हैं जिनके खुर चीरे हुए हैं और वे पागुर करते हैं।
\v 7 परन्तु ऐसे अन्य जानवर भी हैं जो पागुर करते हैं, पर जिन्हें तुम्हें नहीं खाना चाहिए। ऊंट, खरगोश, और चट्टानी शापान । वे पागुर करते हैं, लेकिन उनके खुर चीरे हुए नहीं होते। इसलिए वे खाने के लिए स्वीकार्य नहीं हैं।
\s5
\v 8 सूअर को न खाना। वे खाने के लिए अस्वीकार्य हैं; उनके खुर चीरे हुए हैं, लेकिन वे पागुर नहीं करते हैं। ऐसे जानवरों के मांस मत खाओ; उनके मृत शरीर को भी मत छूना।
\s5
\v 9 तुमको किसी भी मछली को खाने की अनुमति है, जिनके छिलके और पंख हैं।
\v 10 परन्तु जो पानी में रहते हैं जिनके छिलके और पंख नहीं होते हैं, उनको नहीं खाना चाहिए, क्योंकि वे तुम्हारे लिए अस्वीकार्य है।
\p
\s5
\v 11 तुम्हें किसी भी पक्षी का मांस खाने की अनुमति है जो यहोवा को स्वीकार्य है।
\v 12 लेकिन उकाब, गिद्ध, कुरर,
\v 13 गरूड़, और सभी प्रकार के चील को तुम नहीं खा सकते हो।
\s5
\v 14 तुमको सभी प्रकार के कौवे और जंगली काग को खाने की अनुमति नहीं है,
\v 15 शुतुरमुर्ग, और रात का तहमास, जलकुक्कट, किसी प्रकार के बाज,
\v 16 छोटे उल्लू, बड़े उल्लू, सफेद उल्लू,
\v 17 धनेश, गिद्ध जो मृत जानवरों को खाते हैं, और हाड़गील।
\s5
\v 18 प्रत्येक सारस, किसी भी प्रकार का बगुला, हुदहुद और चमगादड़ को खाने की अनुमति नहीं है।
\p
\v 19 सभी कीड़े जिनके पंख है और रेंगनेवाले है, वे यहोवा के लिए अस्वीकार्य हैं; उन्हें मत खाओ।
\v 20 लेकिन पंख वाले अन्य कीड़े खाने के लिए स्वीकार्य हैं।
\p
\s5
\v 21 स्वाभाविक रूप से जो जानवर मर गया हो, उसे न खाना। तुम्हारे बीच रहने वाले विदेशियों को उन चीजों को खाने की अनुमति दे सकते हो, या तुम उन्हें अन्य विदेशियों को बेच सकते हो। परन्तु तुम हमारे परमेश्वर यहोवा के हो; जो उनके हैं, उन्हें ऐसे जानवरों का मांस खाने की अनुमति नहीं है जिनके खून को बहाया नहीं गया है।
\p तुमको एक जवान भेड़ या बकरी को उनकी मां के दूध में नहीं पकाना चाहिए। “
\p
\s5
\v 22 “प्रत्येक वर्ष तुमको अपने खेतों में होने वाली सभी फसलों का दसवां भाग अलग करना होगा।
\v 23 उन्हें उस स्थान पर ले जाओ जिसे यहोवा हमारे परमेश्वर अपनी आराधना के लिए चुनेंगे। वहाँ तुमको अपने अनाज, अपना दाखमधु, अपने जैतून का तेल, और अपने पशुओं और भेड़ों के पह्लौठे नर जानवरों का मांस खाना चाहिए। ऐसा करना ताकि तुम हमेशा यहोवा का सम्मान करना सीख सको, जिसने तुमको इन चीजों को देकर आशीर्वाद दिया है।
\s5
\v 24 यदि वह स्थान जिसे यहोवा ने अपनी आराधना के लिए चुना है, वह तुम्हारे घर से बहुत दूर है, जिसके परिणामस्वरूप तुम वहाँ अपनी फसलों का दसवां भाग नहीं ले जा सकते हो जिसके साथ यहोवा ने तुम्हें आशीर्वाद दिया है, तो ऐसा करना:
\v 25 अपनी फसलों के दसवें हिस्से को बेच दो, धन को कपड़े में सावधानी से लपेटो, और इसे यहोवा के चुने हुए आराधना के स्थान पर ले जाओ।
\s5
\v 26 वहां, उस पैसे के साथ, तुम जो कुछ भी चाहते हो वह खरीद सकते हो- गाय-बैल का मांस या भेड़ का बच्चा या दाखमधु या मदिरा। और वहां, यहोवा की उपस्थिति में, तुम और तुम्हारे परिवारों को उन वस्तुओं को खाना और पीना चाहिए और आनंद मनाना चाहिए।
\v 27 परन्तु अपने नगरों में रहने वाले लेवी के वंशजों की सहायता करने की उपेक्षा न करें, क्योंकि वे किसी भी भूमि के मालिक नहीं होंगे।
\p
\s5
\v 28 हर तीन वर्षों के अंत में, उस वर्ष की उपज की सभी फसलों का दसवां भाग लाओ और इसे अपने नगरों में संग्रहित करो।
\v 29 वह भोजन लेवी के वंशजों के लिए होगा, क्योंकि उनके पास अपनी भूमि नहीं होगी, और वह भोजन तुम्हारे बीच रहने वाले विदेशी लोगों के लिए, और अनाथों और विधवाओं के लिए होगा जो तुम्हारे नगरों में रहते हैं। उन्हें खाने के लिए, जहाँ खाना संग्रहीत किया जाता है, वहाँ से जितना चाहिए लेने की अनुमति है। ऐसा ही करो कि हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको जो कुछ भी तुम करते हो, उसमें आशीर्वाद दें।
\s5
\c 15
\p
\v 1 प्रत्येक सात वर्षों के अंत में, तुमको सभी ऋण रद्द करना होगा।
\v 2 इसे ऐसा करें: तुम में से प्रत्येक व्यक्ति जिसने एक साथी इस्राएली को पैसा उधार दिया है, उसे उस ऋण को रद्द करना होगा। तुमको जोर नहीं देना चाहिए कि वह इसे वापस भुगतान करे। तुमको ऐसा करना चाहिए क्योंकि यहोवा ने घोषणा की है कि हर सात साल में ऋण रद्द कर दिया जाना चाहिए।
\v 3 उस वर्ष के दौरान तुम उन विदेशी लोगों से जो तुम्हारे बीच रहते हैं, ऋण का भुगतान करने की मांग कर सकते हो, लेकिन तुमको किसी भी साथी इस्राएली से इसकी मांग नहीं करनी चाहिए।
\s5
\v 4-5 यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देंगे जो वे तुमको दे रहे हैं। यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा मानते हो और जो आज्ञा मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, उसका पालन करते हो, तो तुम्हारे बीच कोई भी गरीब नहीं होगा।
\v 6 यहोवा हमारे परमेश्वर तुमको आशीर्वाद देंगे जैसा उन्होंने करने का वादा किया है, और तुम अन्य लोगों के समूहों के लिए धन उधार देने में सक्षम होगे, लेकिन तुमको उनमें से किसी से उधार लेने की आवश्यकता नहीं होगी। तुम कई समूहों की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करोगे, लेकिन वे तुम्हारी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित नहीं करेंगे।
\p
\s5
\v 7 उन नगरों में जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं, यदि कोई इस्राएली गरीब है, तो स्वार्थी न होना और उनकी सहायता करने से मना न करना।
\v 8 इसकी अपेक्षा, उदार होकर उन्हें वह धन उधार दो जो उन्हें चाहिए।
\s5
\v 9 सुनिश्चित करो कि तुम अपने आप से यह न कहो, ‘जिस वर्ष में ऋण रद्द कर दिया जाएगा वह निकट है, इसलिए मैं अब किसी को भी कोई धन उधार नहीं देना चाहता, क्योंकि उस वर्ष के आने पर उसे वापस भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।' ऐसा सोचना बुरा होगा। यदि तुम एक ज़रूरतमंद इस्राएली के साथ असभ्य तरीके से कार्य करते हो, और उसे कुछ भी नहीं देते हो, तो वह तुम्हारे विरुद्ध यहोवा के समक्ष रोएगा, और यहोवा कहेंगे कि तुमने उस व्यक्ति की सहायता न करके पाप किया है।
\v 10 गरीब लोगों को स्वतंत्र रूप से दें और उदारता से दें। यदि तुम ऐसा करते हो, तो यहोवा तुमको तुम्हारे हर काम में आशीर्वाद देंगे।
\s5
\v 11 हमेशा तुम्हारे देश में कुछ गरीब लोग होंगे, इसलिए मैं तुमको अपने साथी इस्राएलियों को उदारता से देने का आदेश देता हूँ।
\p
\s5
\v 12 यदि तुम्हारे कोई भी साथी इस्राएली पुरुष या स्त्री स्वयं को दास होने के लिए तुम में से एक के पास बेचता है, तो उन्हें छह साल तक तुम्हारे लिए काम करने के बाद सातवें वर्ष में तुमको मुक्त करना होगा।
\v 13 जब तुम उन्हें मुक्त करते हो, तो उन्हें खाली हाथ जाने की अनुमति न दो।
\v 14 इसकी अपेक्षा, उन चीजों में से उन्हें उदारता से दो जिनसे यहोवा ने तुम्हें आशीर्वाद दिया है अर्थात् भेड़, अनाज और दाखमधु।
\s5
\v 15 यह मत भूलना कि तुम्हारे पूर्वज एक समय मिस्र में दास थे और हमारे परमेश्वर यहोवा ने उन्हें मुक्त किया था। यही कारण है कि अब मैं तुमको ऐसा करने का आदेश दे रहा हूं।
\p
\v 16 लेकिन तुम्हारे दासों में से एक कह सकता है, ‘मैं तुम्हें छोड़ना नहीं चाहता।’ शायद वह तुम से और तुम्हारे परिवार से प्रेम करता है क्योंकि तुमने उसके साथ व्यवहार किया है।
\v 17 यदि वह ऐसा कहता है, तो उसे अपने घर के दरवाजे पर ले जाओ, और जब वह द्वार के सामने खड़ा हो, तो उसके कानों में से एक को किवाड़ पर लगाकर छेदना। यह इस बात का संकेत होगा कि वह अपने बाकी के जीवन के लिए तुम्हारा दास होगा। दासी के साथ भी ऐसा ही करो जो तुमको छोड़ना नहीं चाहती है।
\p
\s5
\v 18 जब तुमको अपने दासों को मुक्त करने की आवश्यकता होती है, तब शिकायत न करो। ध्यान रखो कि उन्होंने छह साल तक तुम्हारी सेवा की है, और तुमने उन्हें केवल आधा वेतन दिया जो तुम किराए के कर्मचारियों को देते हो। यदि तुम उन्हें मुक्त करते हो, तो हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे हर काम में आशीर्वाद देंगे।
\p
\s5
\v 19 हमारे परमेश्वर यहोवा के सम्मान के लिए अपने पशुओं और भेड़ों के पह्लौठे बच्चों को अलग करो। उन्हें अपने लिए कोई काम करने के लिए बाध्य न करो, और न पह्लौठे भेड़ों के ऊन कतरना।
\v 20 तुम्हें और तुम्हारे परिवार को उन्हें मार कर उस स्थान पर जिसे यहोवा ने अपनी आराधना के लिए चुना है, यहोवा की उपस्थिति में उनका मांस खाना चाहिए।
\v 21 परन्तु यदि उन जानवरों में कोई दोष है, यदि वे लंगड़े या अंधे हैं, या यदि उनमें कोई अन्य गंभीर दोष है, तो तुमको उन्हें अपने परमेश्वर यहोवा के लिए बलिदान नहीं करना चाहिए।
\s5
\v 22 तुम अपने नगरों में उन जानवरों को मारकर उनके मांस को खा सकते हो। जिन लोगों ने ऐसे काम किये हैं जो उन्हें परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य बनाता हैं और जिन्होंने ऐसे काम नहीं किये हैं उन दोनों को यह मांस खाने की अनुमति है, जैसे कि किसी चिकारे या हिरण का मांस खाने की अनुमति है।
\v 23 लेकिन तुमको बिलकुल भी खून नहीं खाना चाहिए; जब तुम उन जानवरों को मार देते हो तो उनके सारे खून को भूमि पर बहा देना होगा।
\s5
\c 16
\p
\v 1 प्रत्येक वर्ष वसंत ऋतु में अबीब के महीने में फसह का पर्व मनाकर हमारे परमेश्वर यहोवा का सम्मान करें। उस महीने की एक रात यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बचा लिया था।
\v 2 उस पर्व को मनाने के लिए, उस स्थान पर जाएं जिसे यहोवा अपनी आराधना करने के लिए चुनते हैं, और वहाँ अपने पशुओं या भेड़ों में से एक जवान पशु को फसह के बलिदान के लिए चढ़ाएँ।
\s5
\v 3 जब तुम फसह का भोजन खाते हो, तो उस रोटी में खमीर नहीं होना चाहिए। तुमको सात दिनों तक इस तरह की रोटी खानी चाहिए, जिसे पीड़ा की रोटी कहा जाएगा। यह तुम सब को अपने जीवनकाल में यह याद रखने में सहायता करेगा कि तुम्हारे पूर्वजों ने मिस्र छोड़ा था, जहाँ वे पीड़ित थे क्योंकि वे वहाँ दास थे, वे वहाँ से बहुत जल्दी निकले थे। उनके पास आटे में खमीर डालने का समय नहीं था और न आटे के फूलने की प्रतीक्षा करने का समय था।
\v 4 उस त्यौहार में, जो सात दिनों तक चलेगा, तुम्हारी भूमि के किसी भी घर में कोई खमीर नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, फसह के त्यौहार के पहले दिन की शाम को जिस जानवर को तुम बलि करते हो उसका मांस उसी रात खाया जाना चाहिए; इसे अगले दिन तक बचा कर न रखना।
\p
\s5
\v 5-6 हमारे परमेश्वर यहोवा का सम्मान करने के लिए, तुमको केवल उस स्थान पर फसह के बलिदान अर्पण करना चाहिए जिसे वे अपनी आराधना करने के लिए चुनते हैं; जो देश यहोवा तुम्हें दे रहे हैं, उसके किसी अन्य नगर में उस बलिदान को अर्पण न करो। सूर्यास्त के समय उस बलिदान को अर्पण करो, उसी समय जब तुम्हारे पूर्वजों ने मिस्र छोड़ना आरंभ किया था।
\s5
\v 7 मांस को उबालें और आराधना के स्थान पर उसे खायें, जिसे हमारे परमेश्वर यहोवा चुनते हैं। अगली सुबह, तुम अपने तंबू में वापस जा सकते हो।
\v 8 प्रत्येक छः दिनों तक, जिस रोटी को तुम खाते हो, उसमें कोई खमीर नहीं होना चाहिए। सातवें दिन, तुम सभी को हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना करने के लिए एकत्र होना चाहिए। यह विश्राम का दिन होगा, तुमको उस दिन कोई काम नहीं करना चाहिए।
\p
\s5
\v 9 प्रत्येक वर्ष, जिस दिन से तुम अपने अनाज की कटाई शुरू करते हो, उस दिन से सात सप्ताह गिनो।
\v 10 फिर, हमारे परमेश्वर यहोवा का सम्मान करने के लिए, पिन्तेकुस्त का त्यौहार मनाओ। इस त्यौहार को मनाने के लिए परमेश्वर के लिए अनाज की भेंट लेकर आओ। यहोवा ने उस वर्ष के दौरान तुम्हारे खेतों में अनाज बढ़ाकर तुम्हें आशीर्वाद दिया है। यदि तुम्हारे पास बड़ी फसल थी, तो बड़ी भेंट लाओ। यदि तुम्हारे पास छोटी फसल थी, तो छोटी भेंट लाओ।
\s5
\v 11 प्रत्येक विवाहित जोड़े को यहोवा की उपस्थिति में आनंद मनाना चाहिए। उनके बच्चों को, उनके दासों को, लेवी के वंशज को जो उस नगर में रहते हैं, और विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को जो तुम्हारे बीच में रहते हैं, सभी को आनंद मनाना चाहिए। उन भेंटों को आराधना के स्थान पर लाओ जिसे यहोवा चुनेंगे।
\p
\v 12 जब तुम इन आदेशों का पालन करके इन त्योहारों को मनाते हो, तो याद रखना कि तुम्हारे पूर्वज मिस्र में दास थे।
\p
\s5
\v 13 प्रत्येक वर्ष, अपने सारे अनाज को इक्कठा करने के बाद और अपने सभी अंगूरों से रस निकालने के बाद, तुमको सात दिनों तक झोपड़ियों का त्यौहार मनाना चाहिए।
\v 14 प्रत्येक विवाहित जोड़े को अपने बच्चों, कर्मचारियों, लेवी के वंशज जो उस नगर में रहते हैं, और विदेशी, अनाथ और विधवा जो तुम्हारे बीच में रहते हैं, सभी के साथ यहोवा की उपस्थिति में आनंद मनाना चाहिए।
\s5
\v 15 इस त्यौहार को उस स्थान पर जिसे यहोवा अपनी आराधना के लिए चुनते हैं, सात दिनों तक मनाकर अपने परमेश्वर यहोवा का सम्मान करो। तुम सभी को आनंद मनाना चाहिए, क्योंकि यहोवा ने तुम्हारी फसल को और तुम्हारे द्वारा किए गए सभी अन्य कामों पर आशीर्वाद दिया है।
\p
\s5
\v 16 इसलिए, हर साल तुम सभी इस्राएली पुरुषों को तीन त्योहारों को मनाने के लिए, अपने परमेश्वर यहोवा के द्वारा चुने हुए स्थान पर उनकी उपासना करने के लिए एकत्र होना चाहिए: अख़मीरी रोटी का त्यौहार, पिन्तेकुस्त का त्यौहार, और झोपड़ियों का त्यौहार। बिना किसी भेंट के किसी व्यक्ति को यहोवा के सामने नहीं आना चाहिए। तुम में से प्रत्येक को इन त्यौहारों के लिए यहोवा के लिए भेंट लानी चाहिए।
\v 17 भेंट उन आशीषों के अनुपात में होनी चाहिए जिन्हें यहोवा ने तुम्हें उस वर्ष दी थी।
\p
\s5
\v 18 उस देश के सभी नगरों में, जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं, अपने गोत्रों में न्यायाधीशों और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करो। उन्हें लोगों का न्याय धार्मिकता से करना चाहिए।
\v 19 उन्हें अन्याय का पक्ष नहीं लेना चाहिए। उन्हें एक व्यक्ति की तुलना में दूसरे व्यक्ति का पक्ष नहीं लेना चाहिए। न्यायाधीशों को रिश्वत स्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि कोई न्यायाधीश रिश्वत स्वीकार करता है, भले ही वह बुद्धिमान और ईमानदार हो, फिर भी उसके लिए उचित रूप से न्याय करना बहुत कठिन होगा; वह वही करेगा जो वह व्यक्ति चाहता है जिसने रिश्वत दी है, और निर्दोष लोगों को दंडित करने की घोषणा करेगा।
\v 20 तुम्हें पूरी तरह से उचित और न्यायसंगत होना चाहिए, ताकि तुम उस देश पर कब्जा करने के लिए पर्याप्त समय तक जीवित रह सको जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं।
\p
\s5
\v 21 जब तुम हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना करने के लिए एक वेदी बनाते हो, तो उसको किसी लकड़ी के खम्भे के आसपास में न बनाना जो देवी अशेरा का प्रतिनिधित्व करता है।
\v 22 और किसी मूर्ति की पूजा करने के लिए किसी पत्थर के खंभे को स्थापित न करना, क्योंकि यहोवा उनसे घृणा करते हैं।
\s5
\c 17
\p
\v 1 हमारे परमेश्वर यहोवा के लिए उस मवेशी या भेड़ या बकरी की बलि न करो, जिसमें दोष हो, क्योंकि यहोवा उस प्रकार की भेंट से घृणा करते हैं।
\p
\s5
\v 2 जब तुम उस देश के किसी नगर में रह रहे हो जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं, मान लो कि कुछ पुरुष या स्त्री यहोवा ने जो तुम्हारे साथ प्रतिज्ञा की है उसका उल्लंघन करके पाप करते हैं।
\v 3 मान लो कि उस व्यक्ति ने झुककर अन्य देवताओं या सूर्य, या चंद्रमा, या तारों की पूजा की है।
\v 4 यदि कोई तुमको बताता है कि कोई व्यक्ति ऐसा कर रहा है, तो तुमको यह जानने के लिए पूरी तरह से जांच करनी चाहिए कि क्या यह घृणित काम इस्राएल में हुआ है।
\s5
\v 5 यदि ऐसा हुआ है, तो तुमको उस स्त्री या पुरुष को नगर के बाहर ले जाना चाहिए। तब तुम्हें उस व्यक्ति को पत्थर मारकर मार डालना चाहिए।
\v 6 लेकिन तुमको ऐसे लोगों को निष्पादित करने की अनुमति केवल तभी है यदि कम से कम दो गवाहों ने गवाही दी हो कि उन्होंने उन्हें ऐसा काम करते देखा है। यदि केवल एक गवाह है तो उन्हें निष्पादित नहीं किया जाना चाहिए।
\v 7 गवाहों को दोषी व्यक्ति पर पहले पत्थर मारना चाहिए। तब अन्य लोगों को पत्थर मारना चाहिए, जब तक कि व्यक्ति मर जाए। ऐसा करके, तुम अपने बीच के इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे।
\p
\s5
\v 8 कभी-कभी न्यायाधीश के लिए यह तय करना बहुत कठिन हो सकता है कि वास्तव में क्या हुआ। वह यह तय करने का प्रयास कर रहा होगा कि, जब किसी ने किसी अन्य व्यक्ति को घायल किया या मार डाला, तो उस व्यक्ति ने इसे गलती से किया या जानबूझ कर किया। या वह यह तय करने का प्रयास कर रहा होगा कि कोई व्यक्ति अदालत में किसी अन्य व्यक्ति को अन्याय से ले जा रहा है या नहीं। यदि किसी भी नगर में यह जानना बहुत कठिन है कि वास्तव में क्या हुआ, और यदि न्यायाधीश यह निर्णय नहीं कर सकता है, तो तुमको उस स्थान पर जाना चाहिए जिसे हमारे परमेश्वर यहोवा ने अपनी आराधना के लिए चुना है।
\v 9 वहाँ तुम्हें लेवी के वंशजों को जो याजक है, और उस न्यायी के समक्ष जो उस समय सेवा कर रहा है, यह मामला प्रस्तुत करना चाहिए, और उन्हें यह तय करना चाहिए कि क्या किया जाना है।
\s5
\v 10 उनके निर्णय लेने के बाद, तुमको वह करना चाहिए जो वे तुमको करने के लिए कहते हैं।
\v 11 उनके निर्णय को स्वीकार करो, और जो वे तुम्हें करने को कहते हैं वह करो। किसी भी तरह से उनके निर्णय में कुछ बदलने का प्रयास न करो।
\s5
\v 12 तुमको ऐसे व्यक्ति को मार डालना होगा जो यहोवा की उपस्थिति में खड़े होकर निर्णय लेने वाले न्यायाधीश या याजक की गर्व से अवज्ञा करता है। ऐसा करके, तुम अपने बीच के इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे।
\v 13 तब उस व्यक्ति को मार डालने के बाद, सभी लोग इसके विषय में सुनेंगे, और डरेंगे, और कोई भी फिर इस तरह के कार्य नहीं करेगा।
\p
\s5
\v 14 मुझे पता है कि जो देश हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें दे रहे हैं, उस पर कब्जा करने के बाद, और तुम वहाँ रहते हुए कहोगे, ‘हम पर राज करने के लिए एक राजा होना चाहिए, जैसे हमारे चारों ओर अन्य राष्ट्रों के राजा हैं।'
\v 15 यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें राजा नियुक्त करने की अनुमति देंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करना कि तुम उसे नियुक्त करो जिसे यहोवा ने चुना है। वह पुरुष इस्राएली होना चाहिए; तुमको किसी विदेशी को अपना राजा नियुक्ति नहीं करनी है।
\s5
\v 16 राजा बनने के बाद, उसे बड़ी संख्या में घोड़ों को हासिल नहीं करना है। उसे घोड़ों को खरीदने के लिए लोगों को मिस्र नहीं भेजना चाहिए, क्योंकि यहोवा ने तुम से कहा था, ‘किसी भी चीज़ के लिए मिस्र वापस न जाना!
\v 17 उसके पास बहुत सी पत्नियां नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यदि उसने ऐसा किया, तो वे उसे यहोवा की उपासना करने से दूर कर देंगी। उसे बहुत सारी चांदी और सोना एकत्र नहीं करना चाहिए।
\p
\s5
\v 18 जब वह तुम्हारा राजा बन जाएगा, तो उसे इन नियमों की प्रतिलिपि बनाने के लिए किसी को नियुक्त करना होगा। उसे इन नियमों को लेवी वंशी याजकों द्वारा रखी गयी पत्रियों से प्रतिलिपि करनी होगी।
\v 19 उसे इस नयी पत्री को अपने पास रखनी चाहिए और जीवन के हर दिन इसे पढ़ना चाहिए, कि वह यहोवा का अधिक सम्मान करना सीखे और इस व्यवस्था में लिखे गए सभी नियमों और विधियों का ईमानदारी से पालन करे।
\s5
\v 20 यदि वह ऐसा करता है, तो वह यह नहीं सोचे कि वह अपने साथी इस्राएलियों से अधिक महत्वपूर्ण है, और वह पूरी तरह से यहोवा के आदेशों का पालन करेगा। परिणामस्वरूप , वह और उसके वंशज कई वर्षों तक इस्राएल में राजाओं के रूप में शासन करेंगे।"
\s5
\c 18
\p
\v 1 “याजक, जो लेवी के गोत्र में से हैं, उन्हें इस्राएल में कोई भूमि नहीं मिलेगी। इसकी अपेक्षा, उन्हें कुछ खाना मिलेगा जो लोग वेदी पर जलाए जाने के लिए यहोवा को चढ़ाएंगे और कुछ अन्य बलिदान जो यहोवा को चढ़ाए जाएंगे।
\v 2 उन्हें अन्य गोत्रों के समान कोई भी भूमि नहीं दी जाएगी। उन्हें जो कुछ मिलेगा वह यहोवा के याजक होने का सम्मान है, जो परमेश्वर ने कहा था कि उनको मिलेगा।
\p
\s5
\v 3 जब लोग बलि चढ़ाने के लिए बैल या भेड़ लाते हैं, तो उन्हें याजकों को उन जानवरों के कंधे, गाल और पेट का भाग देना होगा।
\v 4 तुमको उन्हें फसल की कटनी के अनाज का पहला भाग भी देना चाहिए, और तुम्हारे द्वारा बनाए गए दाखमधु का पहला भाग, और तुम्हारे द्वारा बनाए गए जैतून के तेल का पहला भाग, और ऊन का पहला भाग जो तुम अपने भेड़ों से कतरते हो।
\v 5 तुम्हें ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे सभी गोत्रों से लेवी के गोत्र को चुना है, ताकि उस गोत्र के लोग हमेशा उनकी सेवा करने वाले याजक होंगे।
\p
\s5
\v 6 यदि लेवी के गोत्र में से कोई भी व्यक्ति जो इस्राएल के नगरों में से एक में रह रहा है, वहाँ से यहोवा के द्वारा चुने हुए आराधना के स्थान पर आना चाहता है, कि वहाँ रहना शुरू करे,
\v 7 उसे वहाँ याजक के रूप में यहोवा की सेवा करने की अनुमति है, लेवी के गोत्र के अन्य लोगों के समान जो वहाँ पर सेवा कर रहे हैं।
\v 8 उसे उसी मात्रा में भोजन देना चाहिए जो अन्य याजक प्राप्त करते हैं। उसे वह पैसे रखने की अनुमति है जो उसके रिश्तेदारों को अपनी कुछ संपत्ति बेचने से प्राप्त हुए हैं।
\p
\s5
\v 9 जब तुम उस देश में प्रवेश करते हो जिसे यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें दे रहे हैं, तो तुमको उन घृणित कार्यों का अनुकरण नहीं करना चाहिए जो वहाँ रहनेवाले लोग अब करते हैं।
\v 10 तुमको अपने किसी भी बच्चे को अपनी वेदियों पर जलाकर बलिदान नहीं करना चाहिए। भविष्य में क्या होगा, यह जानने के लिए अलौकिक शक्ति का उपयोग करने का प्रयास न करें। भविष्य में क्या होगा, यह जानने के लिए जादू का उपयोग करने का प्रयास न करें। भविष्य में क्या होगा, यह जानने के लिए चिन्हों की व्याख्या न करें। तांत्रिक विद्या का अभ्यास न करें। लोगों पर तंत्र-मंत्र न करें।
\v 11 मृत लोगों की आत्माओं से बातें करने का प्रयास न करें। जादू न करें।
\s5
\v 12 यहोवा उन लोगों से घृणा करते हैं जो उन घृणित कार्यों में से कोई एक भी करते हैं। और जैसे तुम उस भूमि से होकर आगे बढ़ते हो, तो वह उन लोगों के समूह को बाहर निकालेंगे क्योंकि वे ऐसे घृणित काम करते हैं।
\v 13 परन्तु तुम्हें हमेशा यहोवा के प्रति वफादार रहना चाहिए और ऐसे घृणित कामों को करने से बचना चाहिए।
\p
\v 14 जिन समूहों को तुम उस भूमि से निष्कासित करने वाले हो, जिन पर तुम कब्जा करोगे, वे भावी कहनेवालों से परामर्श करने वाले लोग है। परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको ऐसा करने की अनुमति नहीं देते हैं।
\s5
\v 15 किसी दिन परमेश्वर तुम्हारे लिए मेरे जैसा एक भविष्यद्वक्ता भेज देंगे। वह तुमको बताएगा कि भविष्य में क्या होगा, और तुमको उसका पालन करना चाहिए।
\v 16 जिस दिन तुम्हारे पूर्वजों को सीनै पर्वत के तल पर एकत्र किया गया था, उन्होंने मुझसे विनती की, ‘हम नहीं चाहते कि यहोवा हमसे पुनः बातें करे, और हम इस विशाल अग्नि को नहीं देखना चाहते हैं जो पहाड़ पर जल रही है! तुम्हारे पूर्वजों ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि वे डरते थे कि यदि यहोवा फिर से उनसे बातें करेंगे तो वे लोग मर जाएंगे।
\p
\s5
\v 17 तब यहोवा ने मुझ से कहा, ‘उन्होंने जो कहा है वह सच है।
\v 18 इसलिए मैं उनके बीच में से तुम्हारे जैसा एक भविष्यद्वक्ता भेजूंगा। मैं उसे बताऊँगा कि उसे क्या कहना है, और फिर वह लोगों को उन सभी बातों को बताएगा जो मैं उसे कहने के लिए कहता हूँ।
\v 19 वह मेरे लिए बातें करेगा। और मैं उन सभी को भी दण्ड दूँगा जो उनकी बातें नहीं मानेगे।
\s5
\v 20 लेकिन यदि कोई व्यक्ति कहता है कि वह एक भविष्यद्वक्ता है और वह संदेश बोलने की हिम्मत करता है जिसके विषय में वह झूठ बोलता है कि वह मेरी ओर से आया है, लेकिन मैंने उसे बोलने के लिए नहीं कहा था, या कोई भी जो संदेश बोलता है जो यह कहता है कि अन्य देवताओं ने उसे प्रकट किया है, उस व्यक्ति को ऐसा करने के कारण मार डालना चाहिए।'
\p
\v 21 परन्तु हो सकता है तुम स्वयं से कहोगे, ‘हम कैसे जान सकते हैं कि जो हमें संदेश बताता है वह यहोवा की ओर से आया है या नहीं?
\s5
\v 22 उत्तर यह है कि भविष्य में क्या होगा, इसके विषय में जब कोई संदेश बोलता है, जिसके विषय में वह कहता है कि यहोवा द्वारा प्रकट किया गया है, और यदि उसने जो संदेश दिया है वह पूरा नहीं होता है, तो तुम जान लोगे कि यह संदेश यहोवा की ओर से नहीं आया था। उस व्यक्ति ने गलत दावा किया है कि उसे यहोवा ने वह संदेश बताया था। तब तुमको जो वह कहता है उससे डरने की आवश्यकता नहीं है।
\s5
\c 19
\p
\v 1 यहोवा हमारे परमेश्वर, उस देश को जो वे तुमको दे रहे हैं, वहाँ के लोगों को नष्ट करने के बाद, और जब तुम उन लोगों को उनके नगरों से बाहर निकाल कर उनके घरों में रहना शुरू करते हो,
\v 2-3 तुम्हें उस भूमि को तीन हिस्सों में विभाजित करना चाहिए, जो वे तुमको दे रहे हैं। प्रत्येक भाग में से एक शहर का चयन करो। तुमको अच्छी सड़कों का निर्माण करना होगा ताकि लोग आसानी से उन शहरों में जा सकें। कोई भी जो किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करता है वह सुरक्षित रहने के लिए उन शहरों में से एक में भागकर बच सकता है।
\p
\s5
\v 4 यह नियम किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है जिसने किसी अन्य व्यक्ति की हत्या की हो। यदि कोई गलती से किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करता है जो उसका दुश्मन नहीं था, तो वह उन शहरों में से किसी एक में भागकर बच सकता है और सुरक्षित हो सकता है।
\v 5 उदाहरण के लिए, यदि दो व्यक्ति लकड़ी काटने के लिए जंगल जाते हैं, यदि कुल्हाड़ी बेंत से निकल कर दूसरे व्यक्ति को लगती है, जब उनमें से एक व्यक्ति पेड़ को काट रहा हो, और दूसरा व्यक्ति मर जाता है, तो वह व्यक्ति जो कुल्हाड़ी का उपयोग कर रहा था, उसे उन शहरों में से किसी एक में जाकर सुरक्षित रहने की अनुमति होगी, क्योंकि उस शहर के लोग उनकी रक्षा करेंगे।
\s5
\v 6 क्योंकि उसने गलती से किसी की हत्या की है, और क्योंकि वह व्यक्ति उसका दुश्मन नहीं था, इसलिए वह उन शहरों में से किसी एक में भागने का प्रयास कर सकता था। यदि केवल एक शहर होगा, तो यह शहर लंबी दूरी पर हो सकता है। फिर यदि मारे गए व्यक्ति के रिश्तेदार बदला लेने के लिए बहुत गुस्से में हों, तो वे उस शहर तक पहुँचने से पहले दूसरे व्यक्ति को पकड़ने में सक्षम हो सकते हैं।
\v 7 इसलिए, मैं तुमको यह आदेश देता हूँ कि तुम इस उद्देश्य के लिए तीन शहरों का चयन करो।
\p
\s5
\v 8-9 यदि तुम जो कुछ आज मैं तुम्हें करने की आज्ञा देता हूँ, वह सब करते हो और यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रेम करते हो, और यदि तुम अपने जीवन का संचालन उनकी इच्छा के अनुसार करते हो, तो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको जब तुमने पहली बार इस पर कब्जा किया उससे और अधिक भूमि देंगे, जैसा उन्होंने करने का वादा किया था। वे तुमको वह सारी भूमि देंगे जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से वादा किया था कि वे तुमको देंगे। जब वे तुमको वह भूमि देते हैं, तो तुमको तीन और शहरों का चयन करना होगा जिनमें लोग बचने के लिए भाग सकते हैं।
\v 10 ऐसा इसलिए करना ताकि जो निर्दोष हैं, वे मर न जाएं, और जो देश यहोवा तुम्हें दे रहे हैं, उसमें एक निर्दोष की मृत्यु के कारण तुम दोषी न ठहराए जाओ।
\p
\s5
\v 11 लेकिन मान लो कि कोई अपने दुश्मन से घृणा करता है और छिपकर उस व्यक्ति के सड़क पर आने की प्रतीक्षा करता है। जब वह व्यक्ति आता है, तो अचानक उस पर हमला करके उसे मार देता है। यदि हमलावर उन शहरों में से किसी एक में संरक्षित रहने के लिए जाता है,
\v 12 तो उस शहर के बुजुर्गों को जहाँ वह मृत व्यक्ति रहता था, हमलावर की रक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्हें किसी व्यक्ति को उस शहर में भेजना चाहिए जहाँ से वह हमलावर बच निकला था, कि उसे बदला लेने के लिए वापस लाएं, और उस व्यक्ति को मार डालें।
\v 13 तुमको उन लोगों पर दया नहीं करनी चाहिए जो अन्य लोगों की हत्या करते हैं! इसकी अपेक्षा, तुमको उन्हें मार डालना चाहिए, ताकि इस्राएल देश के लोगों को निर्दोष लोगों की हत्या के लिए दंडित नहीं किया जाएगा, और तुम्हारा भला हों।
\p
\s5
\v 14 जब तुम उस देश में रह रहे हो जिसे हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें दे रहे हैं, तो अपने पड़ोसियों की संपत्ति की सीमाओं के निशानों को न बदलना, जो बहुत पहले से वहाँ थे।
\p
\s5
\v 15 यदि किसी पर अपराध करने का आरोप है, तो एक व्यक्ति का यह कहना कि, ‘मैंने उसे देखा है’ उस व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। कम से कम दो लोग हों, जो कहें कि, ‘हमने उसे देखा है।’ यदि केवल एक गवाह है, तो न्यायाधीश को विश्वास नहीं करना चाहिए कि वह जो कहता है वह सत्य है।
\p
\v 16 या मान लो कि किसी ने किसी अन्य व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाकर उसके साथ गलत करने का प्रयास की है।
\s5
\v 17 तब उन दोनों को उस स्थान पर जाना चाहिए जहाँ लोग आराधना करते हैं, उस समय सेवा करने वाले याजकों और न्यायाधीशों से बातें करनी चाहिए।
\v 18 न्यायाधीशों को मामले की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए। यदि न्यायाधीश निर्धारित करते हैं कि उनमें से एक ने दूसरे पर झूठा आरोप लगाया है,
\v 19 उस व्यक्ति को उसी तरह दंडित किया जाना चाहिए जिस तरह उस दूसरे को दंडित किया जाता यदि न्यायाधीशों ने उसे उस मामले में दोषी पाया होता। ऐसे लोगों को दंडित करके, तुम इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे।
\s5
\v 20 और जब उस व्यक्ति को दंडित किया जाता है, तो सब लोग सुनेंगे कि क्या हुआ है, और वे डरेंगे, और कोई भी इस तरह का कार्य करने की हिम्मत नहीं करेगा।
\v 21 तुमको उन लोगों पर दया नहीं करना चाहिए जिन्हें इस तरह दंडित किया जाता है। नियम यह होना चाहिए कि जिस व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति की हत्या की है उसे मार डालना चाहिए; किसी व्यक्ति की आंखों में से एक को निकाल लेना चाहिए यदि उसने किसी और की आंख निकाली है, किसी व्यक्ति ने किसी दुसरे व्यक्ति का दांत तोड़ा हो तो उस व्यक्ति का दांत भी तोड़ा जाना चाहिए; किसी व्यक्ति का एक हाथ काटा जाना चाहिए जिसने किसी अन्य व्यक्ति का हाथ काटा हो; किसी व्यक्ति का एक पैर काटा जाना चाहिए जिसने किसी अन्य व्यक्ति का पैर काटा हो।
\s5
\c 20
\p
\v 1 जब तुम्हारे सैनिक तुम्हारे शत्रुओं से लड़ने के लिए जाते हैं, और तुम देखते हो कि तुम्हारे शत्रुओं के पास कई घोड़े और रथ हैं और उनकी सेना तुम्हारी सेना से बहुत बड़ी है, तो उनसे मत डरो, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा, जिन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को सुरक्षित रूप से मिस्र से बाहर निकाला था, तुम्हारे साथ रहेंगे।
\s5
\v 2 जब तुम युद्ध शुरू करने के लिए तैयार हो, तो महायाजक को सेना के सामने खड़ा होना चाहिए।
\v 3 उसे उन से कहना चाहिए, ‘हे इस्राएली पुरुषों, मेरी बातें सुनो! आज तुम अपने दुश्मनों के विरुद्ध लड़ने जा रहे हो। न घबराना और न डरना,
\v 4 क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ जाएंगे। वे तुम्हारे लिए तुम्हारे दुश्मनों से लड़ेंगे, और वे तुमको उन्हें पराजित करने में सक्षम बनाएँगे।'
\p
\s5
\v 5 तब सेना के अधिकारियों को सैनिकों से कहना चाहिए, ‘यदि तुम में से किसी ने अभी-अभी नया घर बनाया है और उसे परमेश्वर को समर्पित नहीं किया है, तो उसे घर जाना चाहिए और घर को समर्पित करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है, और यदि वह युद्ध में मर जाता है, तो कोई और घर को समर्पित करेगा और उसमें रहेगा।
\s5
\v 6 यदि तुम में से किसी ने अंगूर का बाग लगाया है और अभी तक कोई अंगूर नहीं तोडा है, तो उसे घर जाना चाहिए। यदि वह यहां रहता है और युद्ध में मर जाता है, तो कोई और व्यक्ति अंगूर तोड़ेगा और उनसे बने दाखमधु का आनंद उठाएगा।
\v 7 यदि तुम में से किसी ने किसी स्त्री से शादी करने के लिए मंगनी की है, लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की है, तो उसे घर जाना चाहिए। यदि वह यहां रहता है और युद्ध में मर जाता है, तो कोई और उस स्त्री से शादी करेगा।
\p
\s5
\v 8 तब अधिकारियों को यह भी कहना चाहिए, ‘यदि तुम में से कोई भी घबराता है या डरपोक है, तो उसे घर जाना चाहिए, ताकि वह अपने साथी सैनिकों का भी साहस न तोड़ सके।’
\v 9 जब अधिकारियों ने सैनिकों से बातें करना समाप्त कर दिया, तो उन्हें उनके ऊपर सेनापतियों को नियुक्त करना होगा।
\p
\s5
\v 10 जब तुम किसी ऐसे शहर जाते हो जिस पर हमला करने के लिए बहुत दूर जाना है, तो पहले वहाँ के लोगों को बताएं कि यदि वे आत्मसमर्पण करते हैं, तो तुम उन पर हमला नहीं करोगे।
\v 11 यदि वे शहर के द्वार खोलते हैं और आत्मसमर्पण करते हैं, तो वे सभी तुम्हारे दास बन जाएंगे।
\s5
\v 12 लेकिन यदि वे शांतिपूर्वक आत्मसमर्पण करने से मना करते हैं और इसके बजाय लड़ने का निर्णय लेते हैं, तो तुम्हारे सैनिकों को शहर को चारों ओर से घेरना चाहिए और दीवारों को तोड़ना चाहिए।
\v 13 तब, जब हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें उस शहर को कब्जा करने में सक्षम बनाते हैं, तो तुमको शहर के सभी लोगों को मार डालना होगा।
\s5
\v 14 लेकिन तुमको अपने लिए उस शहर की स्त्रियों, बच्चों, पशुओं और अन्य सभी वस्तुओं को ले जाने की अनुमति है। तुमको उन सभी चीजों का आनंद लेने की अनुमति दी जाएगी, जो तुम्हारे दुश्मनों का है, जो चीजें हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुमको दी हैं।
\v 15 तुमको उन सभी शहरों में ऐसा करना चाहिए जो उस भूमि से बहुत दूर हैं जहाँ तुम बस जाओगे।
\p
\s5
\v 16 परन्तु जो शहर उस देश में है, जो यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें हमेशा के लिए दे रहे हैं, उन शहरों में, तुम्हें सभी लोगों और सभी जानवरों को मार डालना होगा।
\v 17 तुमको उनसे पूरी तरह से छुटकारा पाना होगा। हित्तियों, एमोरियों, कनानियों, परिज्जियों, हिव्वियों, और यबूसियों से छुटकारा पाओ; यही हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें करने का आदेश दिया था।
\v 18 यदि तुम ऐसा नहीं करते हो, तो वे तुमको हमारे परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप करना सिखाएंगे और तुम वे घृणित काम करोगे जो वे करते हैं जब वे अपने देवताओं की पूजा करते हैं।
\p
\s5
\v 19 जब तुम किसी शहर को कब्ज़ा करने के प्रयास में लंबे समय तक घेरते हो, तो शहर के बाहर के फलों के पेड़ों को न काटना। तुमको उन पेड़ों से फल खाने की अनुमति है, लेकिन पेड़ों को नष्ट न करना, क्योंकि वे निश्चित रूप से तुम्हारे दुश्मन नहीं हैं।
\v 20 तुमको अन्य पेड़ों को काटने और सीढ़ियां और मीनार बनाने के लिए उनकी लकड़ी का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, जिससे तुम दीवारों पर चढ़कर शहर पर कब्ज़ा कर सको।"
\s5
\c 21
\p
\v 1 “मान लीजिए कि उस देश में जिसे यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें दे रहे हैं, किसी व्यक्ति की खेत में हत्या कर दी गई है, और तुम नहीं जानते कि उस व्यक्ति को किस ने मारा है।
\v 2 यदि ऐसा होता है, तो तुम्हारे बुजुर्गों और न्यायाधीशों को वहाँ जाना चाहिए जहाँ उस व्यक्ति का शव मिला था और वहाँ से आस-पास के प्रत्येक शहरों की दूरी को मापना।
\s5
\v 3 तब निकटतम शहर के बुजुर्गों को एक युवा गाय का चयन करना चाहिए जिसका उपयोग किसी काम को करने के लिए नहीं किया गया हो।
\v 4 उन्हें इसे धारा के पास की एक स्थान पर ले जाना चाहिए जहाँ की भूमि न कभी जोती और न बोई गई हो। वहाँ उन्हें उसकी गर्दन तोड़नी चाहिए।
\s5
\v 5 याजकों को भी वहाँ जाना चाहिए, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ने उन्हें लेवी के गोत्र को अपनी सेवा करने के लिए चुना है और लोगों को आशीर्वाद देने के लिए वे परमेश्वर के प्रतिनिधि है। और उन्होंने उन्हें उन विवादों को सुलझाने के लिए भी चुना है जिनमें कोई घायल हो गया हो।
\s5
\v 6 निकटतम शहर के बुजुर्गों को वहाँ घाटी में जाकर उस युवा गाय के ऊपर अपने हाथ धोने चाहिए जिसकी गर्दन तोड़ी गई थी,
\v 7 और उन्हें कहना होगा, ‘हमने इस व्यक्ति की हत्या नहीं की, और हमने नहीं देखा कि यह किसने किया।
\s5
\v 8 हे यहोवा, अपने इस्राएली लोगों को क्षमा करें, जिन्हें आप मिस्र से बचाकर लाए थे। हमें दोषी न मानें। इसकी अपेक्षा, हमें क्षमा करें।
\v 9 ऐसा करके, तुम वह करोगे जो यहोवा सही मानते हैं, और तुमको उस व्यक्ति की हत्या के लिए दोषी नहीं माना जाएगा।
\p
\s5
\v 10 जब तुम जो सैनिक हो अपने शत्रुओं से लड़ने के लिए जाओ, तो हमारे परमेश्वर यहोवा उन्हें पराजित करने में तुम्हें सक्षम बनाते हैं, और वे तुम्हारे कैदी बन जाते हैं,
\v 11 तुम में से एक उनमें से किसी सुंदर स्त्री को देख कर उसे पसंद करता है, और वह उससे शादी करना चाहता है।
\v 12 उसे उस स्त्री को अपने घर ले आना चाहिए, और वहाँ उस स्त्री को यह दर्शाने के लिए कि वह अब अपने लोगों के समूह का भाग नही है, लेकिन अब वह एक इस्राएली बन रही है, उसे उसके सिर के बालों को मुँड़ाना चाहिए और नाखूनों को काटना चाहिए।
\s5
\v 13 उसके उन कपडो को उतारना चाहिए जिसमें वह पकड़ी गई थी, और उसे इस्राएली कपड़े पहनने चाहिए। उसे उस पुरुष के घर में रहना चाहिए और अपने माता-पिता को छोड़ने के कारण एक महीने तक शोक करना चाहिए। उसके बाद, उस पुरुष को उससे शादी करने की अनुमति होगी।
\v 14 बाद में, यदि वह अब उससे प्रसन्न नहीं है, तो उसे पुरुष को छोड़ने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन वह लज्जित की गई और उसे साथ सोने के लिए विवश किया गया था, इसलिए अब व्यक्ति को उस स्त्री के साथ गुलाम के समान व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उसे किसी और को बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
\p
\s5
\v 15 मान लो कि एक पुरुष की दो पत्नियां हैं, लेकिन वह उनमें से एक को पसंद करता है और दूसरी को नापसंद करता है। और मान लो कि वे दोनों पत्नियाँ बेटों को जन्म देती हैं, और जेठा पुत्र उस स्त्री का बच्चा है जिसे वह पसंद नहीं करता है।
\v 16 जिस दिन वह पुरुष यह निर्णय लेता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसके बाद प्रत्येक बेटों को कौन सी संपत्ति मिलेगी, उसे उस पत्नी के बेटे को जिसे वह पसंद करता है, संपति का अधिक भाग देकर उसका पक्ष नहीं लेना चाहिए, जो वास्तव में ज्येष्ठ पुत्र को मिलना था।
\v 17 उसे अपने ज्येष्ठ बेटे को दो तिहाई भाग देना चाहिए, उस पत्नी के बेटे को जिसे वह पसंद नहीं करता है। वह बेटा उसका पहलौठा है, और उसे सबसे अधिक भाग दिया जाना चाहिए।
\p
\s5
\v 18 मान लो कि एक लड़का बहुत हठीला है और हमेशा अपने माता-पिता के विरूद्ध विद्रोह कर रहा है, और जो कुछ भी वे कहते हैं उस पर ध्यान नहीं देता है। और मान लो कि वे उसे दंडित करते हैं लेकिन तब भी वह उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता है।
\v 19 यदि ऐसा होता है, तो उसके माता-पिता को उसे उस शहर के द्वार पर ले जाना चाहिए जहाँ वे रहते हैं और उसे शहर के बुजुर्गों के सामने खड़ा करना चाहिए।
\s5
\v 20 तब माता-पिता को उस शहर के बुजुर्गों से कहना चाहिए, ‘हमारा पुत्र बहुत हठीला है और हमेशा हमारे विरुद्ध विद्रोह करता है। हम जो कुछ भी उसे बताते हैं वह उस पर ध्यान नहीं देता है। वह बहुत खाता है, और नशे में पड़ा रहता है।
\v 21 तब उस नगर के सभी बुजुर्गों को उसके ऊपर पत्थर मारकर उसे मार डालना चाहिए। ऐसा करके, तुम अपने बीच से इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे। और इस्राएल में हर कोई जो हुआ उसके विषय में सुनेंगे और वे वह सब ऐसा करने से डरेंगे।
\p
\s5
\v 22 यदि किसी को अपराध करने के लिए मार डाला जाता है जिसके लिए वह मरने के योग्य होता है, और तुम एक लकड़ी के खंभे पर उनके शव लटकाते हो,
\v 23 तुमको उनके शव को पूरी रात वहाँ रहने नहीं देना चाहिए। जिस दिन वह मर गया हो, उस दिन तुमको उसे दफनाना चाहिए, क्योंकि यदि तुम एक लकड़ी के खंभे पर लाश रखते हो, तो परमेश्वर देश को श्राप देंगे। तुम्हें शव को उसी दिन दफन करना होगा, ताकि तुम उस देश को अशुद्ध न करो जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं।
\s5
\c 22
\p
\v 1 यदि तुम एक इस्राएली के बैल या भेड़ को भटकता हुआ देखो, तो ऐसा न करो जैसे तुमने उसे नहीं देखा। उसे वापस उसके मालिक के पास ले जाओ।
\v 2 लेकिन यदि मालिक तुम्हारे पास नहीं रहता, या यदि तुम नहीं जानते कि वह कौन है, तो जानवर को अपने घर ले जाओ। वह तब तक तुम्हारे पास रहे जब तक उसका मालिक नहीं आ जाता। इसके बाद तुमको वह जानवर मालिक को देना होगा।
\s5
\v 3 तुमको ऐसा ही काम करना चाहिए यदि तुम किसी गधे को, या कपड़े के एक टुकड़े, या कुछ और जो खो गया हो, देखते हो। तब जो तुम कर सकते हो उसे करने से मना न करो। इस मामले के विषय में कुछ भी न जानने का नाटक न करो।
\p
\v 4 और यदि तुम किसी साथी इस्राएली के गधे या गाय को देखते हो जो सड़क पर गिर गया है, तो ऐसा न करो जैसे कि तुमने उसे नहीं देखा। जानवर को उठाने में मालिक की सहायता करो ताकि वह अपने पैरों पर फिर से खड़ा हो सके।
\p
\s5
\v 5 स्त्रियों को पुरुषों के कपड़े नहीं पहनने चाहिए, और पुरुषों को स्त्रियों के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। यहोवा हमारे परमेश्वर उन लोगों से घृणा करते हैं जो इस तरह के काम करते हैं।
\p
\s5
\v 6 यदि तुमको एक पेड़ या भूमि पर पक्षी का घोंसला मिलता है, और माता पक्षी अपने अण्डों पर या अपने बच्चों के साथ घोंसले में बैठी है, तो माता पक्षी को न मारें।
\v 7 तुमको पक्षी के बच्चों को लेने की अनुमति है, लेकिन तुमको माता पक्षी को उड जाने देना चाहिए। ऐसा करने से तुम्हारा भला होगा और तुम लंबे समय तक जीवित रहोगे।
\p
\s5
\v 8 यदि तुम नया घर बनाते हो, तो तुमको छत के चारों ओर एक धेरा बनाना होगा। कि यदि कोई व्यक्ति छत से गिरता है और मर जाता है, तो तुम उनकी मृत्यु के दोषी नहीं होगे।
\p
\s5
\v 9 उस क्षेत्र में कोई भी फसल न लगाएं जहाँ तुम्हारी अंगूर की बारी हैं। यदि तुम ऐसा करते हो, तो यहोवा के शरणस्थान से याजक खेत की फसल और अंगूर की फसल दोनों को जब्त करेंगे।
\p
\v 10 अपने खेतों को जोतने के लिए एक बैल और एक गधे को एक साथ न बांधो।
\p
\v 11 उन वस्त्रों को न पहनो जो ऊन और सनी को एक साथ बुनकर बनाते हैं।
\p
\s5
\v 12 धागे को एक साथ मोड़कर झालर बनाओ और अपने ओढ़ने के चारों ओर की कोर पर उन्हें सिलो।
\p
\s5
\v 13 मान लो कि एक पुरुष एक जवान स्त्री से शादी करता है और उसके साथ सोता है और बाद में निर्णय करता है कि वह उसे अब पसंद नहीं करता है,
\v 14 और मान लो कि वह उसके विषय में झूठी बातें कहता है, और दावा करता है कि जब उसने उससे शादी की थी तो वह कुंवारी नहीं थी।
\s5
\v 15 यदि ऐसा होता है, तो जवान स्त्री के माता-पिता को उस चादर को लेजाकर जो बिस्तर पर थी जब उस पुरुष और उनकी बेटी का विवाह हुआ था, जिस पर अभी भी खून है, और इसे शहर के बुजुर्गों को शहर के द्वार पर दिखाना है।
\s5
\v 16 तब जवान स्त्री के पिता को बुजुर्गों से कहना चाहिए, ‘मैंने अपनी बेटी को इस व्यक्ति को उनकी पत्नी होने के लिए दिया। लेकिन अब वह कहता है कि वह अब उसे पसंद नहीं करता है।
\v 17 और उसने झूठ बोला है कि जब उसने उससे शादी की थी तब वह कुंवारी नहीं थी। लेकिन देखो! यह साबित करता है कि मेरी बेटी एक कुंवारी थी! चादर पर लगे खून को देखो, जिस पर वे विवाह की रात को सोए थे! और वह बुजुर्गों को चादर दिखाएगा।
\s5
\v 18 तब उस नगर के बुजुर्गों को उस पुरुष को ले जाना चाहिए और उसे चाबुक लगाने चाहिए।
\v 19 उन्हें उस पुरुष से चांदी के एक सौ टुकड़े का जुर्माना भरने को कहना चाहिए और जवान स्त्री के पिता को वह पैसे दे, क्योंकि उस पुरुष ने इस्राएल की एक जवान स्त्री को कलंकित किया है। इसके अतिरिक्त, उस स्त्री को उसके साथ रहना जारी रखना चाहिए; क्योंकि वह उनकी पत्नी है। उसे अपने बाकी के जीवन के दौरान उस स्त्री को तलाक देने की अनुमति नहीं है।
\p
\s5
\v 20 परन्तु यदि पुरुष ने जो कहा वह सच है, और यह साबित करने के लिए कुछ भी नहीं है कि जब वह उससे शादी कर रही थी तो वह कुंवारी थी,
\v 21 तो उन्हें उस जवान स्त्री को अपने पिता के घर के दरवाजे पर ले जाना चाहिए। तब उस शहर के लोगों को उस पर पत्थर मार कर उसे मार डालना चाहिए। उन्हें ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि उस स्त्री ने इस्राएल में ऐसा काम किया है जो बहुत ही अपमानजनक है, किसी पुरुष के साथ सोकर जब वह अपने पिता के घर में रह रही थी। उसे इस तरह से मार कर, तुम इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे।
\p
\s5
\v 22 यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी के साथ सोते समय पकड़ा जाता है, तो दोनों को मार देना चाहिए। ऐसा करके, तुम इस्राएल से इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे।
\p
\s5
\v 23 मान लो कि किसी शहर में एक पुरुष एक जवान स्त्री को देखता है जिसे किसी अन्य व्यक्ति से शादी करने का वादा किया गया है, और वह उसके साथ सोते समय पकड़ा जाता है।
\v 24 तुमको उन दोनों को उस शहर के द्वार पर ले जाना चाहिए, जहाँ शहर के अगुवे महत्वपूर्ण मामलों का निर्णय करते हैं। वहाँ तुमको उन दोनों को पत्थर मारकर मार डालना चाहिए। तुमको युवा स्त्री को मार डालना चाहिए क्योंकि वह उस शहर में रहने के बावजूद सहायता के लिए नहीं चिल्लाई। और व्यक्ति को मार डालना चाहिए क्योंकि वह किसी ऐसी स्त्री के साथ सो गया था जिसने पहले ही शादी करने का वादा किया था। ऐसा करके, तुम अपने बीच के इस दुष्ट कार्य से छुटकारा पाओगे।
\p
\s5
\v 25 लेकिन मान लो कि एक खुले ग्रामीण इलाकों में एक व्यक्ति एक जवान स्त्री से मिलता है जिसकी शादी करने के लिए मंगनी हो गई है, और वह उसे साथ सोने के लिए विवश करता है। यदि ऐसा होता है, तो केवल उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए।
\v 26 तुमको जवान स्त्री को दंडित नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसने ऐसा कुछ नहीं किया जिसके लिए उसे मार देना चाहिए। यह मामला ऐसा है जब एक व्यक्ति ग्रामीण इलाके में किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करता है और उसे मारता है,
\v 27 क्योंकि जिस व्यक्ति ने उसे उसके साथ सोने के लिए विवश किया, उसने उसे तब देखा जब वह खुले ग्रामीण इलाके में थी, और भले ही उसने सहायता के लिए बुलाया, वहाँ कोई भी नहीं था जो उसे बचा सके।
\p
\s5
\v 28 यदि कोई व्यक्ति एक जवान स्त्री को सके साथ सोने के लिए विवश करता है, जिसकी शादी करने के लिए मंगनी नहीं हुई है, और ऐसा करते समय यदि कोई उसे देखता है,
\v 29 तो उस पुरुष को जवान स्त्री के पिता को चांदी के पचास टुकड़े का भुगतान करना होगा, और उसे उस स्त्री से शादी करनी होगी, क्योंकि उसने उसके साथ सोने के लिए उस स्त्री को विवश करके उसे लज्जित किया। उसे अपने शेष जीवन के दौरान उस स्त्री को तलाक देने की अनुमति नहीं है।
\p
\s5
\v 30 एक व्यक्ति को अपने पिता की पत्नियों के साथ सोने से अपने पिता से संबंधित कोई चीज नहीं लेनी चाहिए।
\s5
\c 23
\p
\v 1 कोई भी व्यक्ति जिसके प्रजनन अंग नष्ट हो गए हैं, उसे यहोवा के लोगों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
\p
\v 2 दसवीं पीढ़ी तक कोई नाजायज़ व्यक्ति या नाजायज़ व्यक्ति के वंशज, को यहोवा के लोगों में नहीं गिना जाएगा।
\p
\s5
\v 3 अम्मोन या मोआब के लोगों के समूह में से कोई भी दसवीं पीढ़ी तक यहोवा के लोगों में शामिल नहीं किया जाएगा।
\v 4 इसका एक कारण यह है कि जब तुम्हारे पूर्वज मिस्र से कनान की ओर यात्रा कर रहे थे, तब उनके अगुवों ने तुम्हारे पूर्वजों को भोजन और पानी देने से मना कर दिया था। एक और कारण यह है कि उन्होंने मेसोपोटामिया में पतोर शहर से बोर के पुत्र बिलाम को इस्राएलियों को श्राप देने के लिए पैसे दिए थे।
\s5
\v 5 परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा ने बिलाम पर ध्यान नहीं दिया; इसकी अपेक्षा, उसने बिलाम को तुम्हारे पूर्वजों को आशीर्वाद देने का कारण बनाया, क्योंकि यहोवा ने उससे प्रेम किया था।
\v 6 जब तक इस्राएल एक राष्ट्र है, तब तक तुमको उन दो लोगों के समूहों के लिए कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे वे समृद्ध हो सकें।
\p
\s5
\v 7 परन्तु एदोम लोगों के समूह से किसी को भी तुच्छ मत मानो, क्योंकि वे तुम्हारे पूर्वज इसहाक के वंशज हैं, जैसे तुम हो। और मिस्र के लोगों को तुच्छ मत मानो, क्योंकि जब तुम्हारे पूर्वज पहली बार मिस्र में रहते थे तो उन्होंने उन से अच्छा व्यवहार किया था।
\v 8 एदोम और मिस्र के लोगों के वंशज जो अब तुम्हारे बीच रहते हैं, उन्हें यहोवा के लोगों में शामिल किया जा सकता है।
\p
\s5
\v 9 जब तुम्हारे सैनिक युद्ध के समय छावनी में रह रहे हैं, तो उन्हें उन कार्यों से बचना चाहिए जो उन्हें परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य बनाते हैं।
\v 10 यदि कोई सैनिक परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य हो जाता है क्योंकि रात के समय वीर्य उसके शरीर से निकलता है, तो अगली सुबह उसे छावनी के बाहर जाना चाहिए और उस दिन वहाँ रहना चाहिए।
\v 11 परन्तु उस दिन की शाम को, उसे स्नान करना चाहिए, और सूर्यास्त में उसे छावनी में वापस आने की अनुमति दी जाएगी।
\p
\s5
\v 12 तुम्हारे सैनिकों के लिए छावनी के बाहर एक शौचालय होना चाहिए जहाँ आवश्यकता हो तो वे जा सकते है।
\v 13 जब तुम अपने दुश्मनों के विरुद्ध लड़ने के लिए जाते हो, तो अपने हथियारों के साथ एक छड़ी ले जाओ, ताकि जब तुमको शौच करने की आवश्यकता हो, तो तुम छड़ी से गड्ढा खोद सकते हो, और फिर गड्ढे को ढंक सकते हो।
\v 14 तुम्हें छावनी को हमारे परमेश्वर यहोवा के लिए ग्रहण योग्य रखना चाहिए, क्योंकि वे तुम्हारी छावनी में तुम्हारे साथ है और तुमको अपने दुश्मनों को हराने में सक्षम बनाते हैं। कुछ भी अपमानजनक कार्य मत करो जो तुम्हें यहोवा के अपने लोग होने से रोके।
\p
\s5
\v 15 यदि स्वामी से बचकर भागने वाले दास तुम्हारे पास आते हैं और तुमसे अपनी रक्षा करने का अनुरोध करते हैं, तो उन्हें अपने स्वामी के पास वापस न भेजो।
\v 16 उन्हें तुम्हारे बीच रहने की अनुमति दो, जो शहर वे चुनते हैं, उस में और उन के साथ दुर्व्यवहार न करो।
\p
\s5
\v 17 किसी भी इस्राएली पुरुष या स्त्री को मंदिर में वेश्या बनने की अनुमति न दें।
\v 18 इसके अलावा, किसी भी ऐसे व्यक्ति को, जिसने वेश्या होने से पैसे कमाए, उस धन को हमारे परमेश्वर यहोवा के भवन में लाने की अनुमति न दो, भले ही उन्होंने गंभीरता से उस पैसे को देने का वादा किया हो। यहोवा वेश्यावृत्ति से घृणा करते हैं।
\p
\s5
\v 19 जब तुम एक साथी इस्राएली को पैसे या भोजन या कुछ और उधार देते हो, तो उन से ब्याज मत लो।
\v 20 जब तुम अपनी भूमि में रहने वाले विदेशी लोगों को धन उधार देते हो उन से ब्याज ले सकते हो, लेकिन जब तुम इस्राएलियों को पैसे उधार देते हो तो तुमको ब्याज लेने की अनुमति नहीं है। ऐसा इसलिए करो ताकि हमारे परमेश्वर उस देश में जिसमें तुम अब प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो, वहाँ जो कुछ तुम करो उस में यहोवा तुमको आशीर्वाद दें।
\p
\s5
\v 21 जब तुम गंभीरता से अपने परमेश्वर यहोवा को कुछ देने या उनके लिए कुछ करने का वादा करते हो, तो ऐसा करने में देर न करो। यहोवा तुम से उम्मीद करते हैं कि तुमने जो वचन दिया है वह तुम करोगे, और यदि तुम ऐसा नहीं करते हो, तो तुम पाप करते हो।
\v 22 लेकिन यदि तुम गंभीरता से कुछ करने का वचन नहीं देते हो, तो वह पाप नहीं है।
\v 23 लेकिन यदि तुम स्वेच्छा से कुछ करने का वादा करते हो, तो तुमको यह करना होगा।
\p
\s5
\v 24 जब तुम किसी और की दाख की बारी में घूमते हो, तो तुम्हें जितना चाहे उतने अंगूर लेने और खाने की अनुमति है, लेकिन किसी टोकरी में रखकर नहीं ले जाने चाहिए।
\v 25 जब तुम किसी के अनाज के मैदान में से चलते हो, तो तुमको कुछ अनाज तोड़ने और खाने की अनुमति दी जाती है, लेकिन तुम्हें अनाज को हँसुए से काटकर अपने साथ नहीं ले जाना चाहिए।
\s5
\c 24
\p
\v 1 मान लो कि एक पुरुष एक स्त्री से शादी करता है और बाद में वह निर्णय लेता है कि वह उसे नहीं चाहता क्योंकि कुछ अपमानजनक बातें है, और वह उसे अपने घर से दूर भेजता है। और मान लो कि वह एक पत्र लिखता है जिसमें वह कहता है कि वह उसे त्याग रहा है, और वह उसे त्यागपत्र दे कर उसे अपने घर से भेजता है
\v 2 मान लो कि वह चली जाती है। तब उसे किसी अन्य पुरुष से शादी करने की अनुमति है।
\s5
\v 3 मान लो कि उस पुरुष ने भी बाद में यह निर्णय किया कि वह उसे पसंद नहीं करता है, और वह एक त्यागपत्र लिखता है जिसमें वह कहता है कि वह उसे त्याग रहा है, और वह उसे अपने घर से दूर भेजता है। या मान लो कि दूसरा पति मर जाता है।
\v 4 यदि इनमें से कोई भी बातें होती है, तो उसके पहले पति को फिर से उससे शादी नहीं करनी चाहिए। उसे यह समझना चाहिए कि वह यहोवा के लिए अस्वीकार्य हो गई है। यदि वह उससे शादी कर लेता है तो यहोवा इसे घृणित बातें मानेंगे। उस देश में जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें दे रहे हैं, उसमें तुमको ऐसा करके पाप नहीं करना चाहिए।
\p
\s5
\v 5 जब कोई व्यक्ति शादी कर लेता है, तो उसे सेना में एक सैनिक बनने की या सरकार के लिए कोई अन्य काम करने की आवश्यकता नहीं है। विवाहित होने के एक साल तक उसे इस तरह के काम से छूट दी जानी चाहिए। उसे घर पर रहना चाहिए और उस साल अपनी पत्नी को खुश करना चाहिए।
\p
\s5
\v 6 कोई भी जो किसी और को धन उधार देता है उसे उस व्यक्ति से प्रत्याभूति के लिए कुछ देने की मांग करने की अनुमति है कि वह उस धन का भुगतान करेगा जो उसने उधार लिया है, लेकिन उसे उस व्यक्ति से उसकी चक्की का पत्थर नहीं लेना चाहिए क्योंकि चक्की का पत्थर लेना उस व्यक्ति से उसके जीवन लेने जैसा है, चक्की का पत्थर उसके परिवार को जीवित रखने के लिए रोटी पकाने के लिए आटा पीसने के लिए आवश्यक है।
\p
\s5
\v 7 यदि कोई व्यक्ति एक साथी इस्राएली को अपना दास बनाने या उसे किसी और का गुलाम बनाने के लिए बेचने के उद्देश्य से उसका अपहरण कर लेता है, तो तुमको उस व्यक्ति को जिसने ऐसा किया था, मार डालना चाहिए। ऐसा करने से तुम अपने बीच से इस बुराई से छुटकारा पाओगे।
\p
\s5
\v 8 यदि तुम कुष्ठ रोग से पीड़ित हो, लेवी के गोत्र के याजक जो कुछ भी करने के लिए तुमसे कहें, वह सब कुछ करना सुनिश्चित करो। उन निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करो जिन्हें मैंने उन्हें दिया है।
\v 9 यह मत भूलना कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने मिर्याम के साथ क्या किया, जब वह कुष्ठरोगी बन गई, जब तुम्हारे पूर्वज मिस्र से बाहर आ रहे थे।
\p
\s5
\v 10 जब तुम किसी को कुछ उधार देते हो, तो उसके घर में घूसकर उसका वस्त्र प्रत्याभूति के समान न लेना कि वह जो उसने उधार लिया है उसे वापस कर देगा।
\v 11 उसके घर के बाहर खड़े रहना, और जिस पुरुष को तुम कुछ उधार दे रहे हो वह तुमको अपना वस्त्र बाहर लाकर देगा।
\s5
\v 12 लेकिन यदि वह गरीब है, तो उसका वस्त्र रात में अपने पास न रखना।
\v 13 जब सूर्यास्त होता है, तब उसे वापस ले जाओ, ताकि वह सोते समय उसे पहन सके। यदि तुम ऐसा करते हो, तो वह तुमको आशीर्वाद देने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करेगा, और हमारे परमेश्वर यहोवा तुमसे प्रसन्न होंगे।
\p
\s5
\v 14 किसी भी नौकर के साथ दुर्व्यवहार न करो जिसे तुमने नौकरी दी है, जो गरीब और जरूरतमंद हैं, चाहे वह तुम्हारे शहर में रहने वाले इस्राएली हों या विदेशी हों।
\v 15 हर दिन, सूर्यास्त से पहले, तुमको उन्हें वह पैसा देना होगा जो उनका वेतन है। वे गरीब हैं और उन्हें अपना वेतन प्राप्त करने की आवश्यकता है। यदि तुम उन्हें तुरंत भुगतान नहीं करते हो, तो वे तुम्हारे विरुद्ध यहोवा के सामने रोएंगे, और परमेश्वर तुमको इस तरह पाप करने के लिए दंडित करेंगे।
\p
\s5
\v 16 माता-पिता को उनके बच्चों द्वारा किए गए अपराधों के लिए नहीं मार डाला जाना चाहिए, और बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा किए गए अपराधों के लिए नहीं मार डाला जाना चाहिए। लोगों को केवल उन अपराधों के लिए मार डाला जाना चाहिए जिन्हें उन्होंने स्वयं किया है।
\p
\s5
\v 17 तुमको उन विदेशी लोगों के लिए और अनाथों के लिए जो तुम्हारे बीच रहते हैं, वे सभी काम करने चाहिए जो व्यवस्था बताती है कि उन्हें करने हैं। और यदि तुम विधवा को कुछ उधार देते हो, तो उससे प्रत्याभूति के लिए उसका वस्त्र न लेना कि वह उसे वापस कर देगी।
\v 18 यह मत भूलना कि जब तुम मिस्र में दास थे, तब तुम बड़ी परेशानियों में थे, और हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें वहाँ से बचा लिया था। यही कारण है कि मैं तुमको आदेश दे रहा हूँ कि अन्य लोगों की सहायता करना जो परेशानी में हैं।
\p
\s5
\v 19 जब तुम अपनी फसल की कटनी करते हो, यदि तुम भूल गए हो कि तुमने मैदान में एक पूला छोड़ दिया है, तो उसे लेने के लिए वापस मत जाओ। उसे विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिए छोड़ दो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो यहोवा तुमको जो कुछ भी तुम करते हो, उसमें आशीर्वाद देंगे।
\v 20 और जब तुमने अपने सभी जैतून के पेड़ों से एक बार फलों की कटाई की है, तब शेष जैतून लेने के लिए वापस मत जाओ।
\s5
\v 21 इसी प्रकार, जब तुम अपने दाख की बारी से अंगूर उठाते हो, तो अधिक पाने का प्रयास करने के लिए दूसरी बार वहाँ मत जाओ। उन्हें तुम्हारे बीच के विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिए छोड़ दो।
\v 22 यह मत भूलना कि जब तुम मिस्र में दास थे, तब यहोवा ने तुम पर दया की थी। यही कारण है कि मैं तुमको उन लोगों के प्रति दयालु होने का आदेश दे रहा हूँ जो जरूरतमंद हैं।"
\s5
\c 25
\p
\v 1 “यदि दो इस्राएलियों के बीच विवाद हो और वे अदालत जाते हैं, तो न्यायाधीश यह तय करेगा कि एक निर्दोष है और दूसरा दोषी है।
\v 2 यदि न्यायाधीश कहता है कि दोषी व्यक्ति को दंडित किया जाना चाहिए, तो वह उसे भूमि पर मुंह के बल लिटाकर और उसे चाबुक मारने का आदेश देगा। वह चाबुक से कितनी बार मारा जाता है यह उसके अपराध पर निर्भर करेगा।
\s5
\v 3 उसे चालीस बार तक मारने की अनुमति है, लेकिन उससे अधिक नहीं। यदि वह चालीस बार से अधिक बार मारा जाता है, तो वह सार्वजनिक रूप से अपमानित हो जाएगा।
\p
\s5
\v 4 जब तुम्हारा बैल अनाज को भूसे से अलग करने के लिए चल रहा हो, तो उसे अनाज खाने से न रोको।
\p
\s5
\v 5 यदि दो भाई एक ही संपत्ति पर रहते हैं, और उनमें से एक जिसके पास कोई बेटा नहीं है मर जाता है, तो उस मनुष्य की विधवा को किसी ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करनी चाहिए जो उसके परिवार का सदस्य न हो। मृत व्यक्ति के भाई को उससे शादी करनी चाहिए और उसके साथ सोना चाहिए। ऐसा करना उसका कर्तव्य है।
\v 6 यदि वह बाद में किसी पुत्र को जन्म देती है, तो उस पुत्र को उस व्यक्ति का पुत्र माना जाता है, जिसकी मृत्यु हो गई, ताकि मृत व्यक्ति का नाम इस्राएल से गायब न हो जाए।
\p
\s5
\v 7 लेकिन यदि मृत व्यक्ति का भाई उस स्त्री से शादी करना नहीं चाहता हो, तो उस स्त्री को शहर के द्वार पर खड़ा होना चाहिए। उसे शहर के अगुवों से कहना चाहिए, ‘मेरे पति के भाई ने मुझसे शादी करने से मना कर दिया ताकि मैं एक बेटे को जन्म दे सकूं जो मृत व्यक्ति के नाम को इस्राएल में गायब होने से रोक सके।’
\v 8 तब बुजुर्गों को उस व्यक्ति को बुलाकर उससे बातें करनी चाहिए। शायद वह अब भी उस विधवा से शादी करने से मना कर देगा।
\s5
\v 9 ऐसी हालत में, उसे उस व्यक्ति के पास जाना चाहिए जब बुजुर्ग लोग देख रहे होंगे, और उनकी जूती में से एक को यह मानने के लिए ले जाना चाहिए कि उसे उस स्त्री की कोई संपत्ति नहीं मिलेगी और उसके चेहरे पर थूककर उससे कहना चाहिए, ‘उस व्यक्ति के साथ यही होता है जो अपने मृत भाई के बेटा होने के लिए, जो आवश्यक है वह करने से मना करता है, ताकि हमारे परिवार का नाम गायब न हो।'
\v 10 ऐसा होने के बाद, उस पुरुष के परिवार को इस नाम से जाना जाएगा- उस पुरुष का परिवार जिसकी जूती उतारी गई थी।
\p
\s5
\v 11 जब दो व्यक्ति एक दूसरे के साथ लड़ रहे हों, और एक व्यक्ति की पत्नी अपने पति की सहायता करने के लिए दूसरे व्यक्ति के निजी हिस्सों को पकड़ती है,
\v 12 उसके प्रति दया मत दिखाओ; उसका हाथ काट दो।
\p
\s5
\v 13-14 जब तुम चीजें खरीदते या बेचते हो, तो दो प्रकार के बटखरे रखने से लोगों को धोखा देने का प्रयास न करो, एक का उपयोग तब करते हो जब तुम कुछ खरीदते हो और दूसरे का उपयोग तब करते हो जब तुम कुछ बेचते हो, या दो प्रकार की मापने वाली टोकरी, एक का उपयोग तब करते हो जब तुम कुछ खरीदते हो और दूसरे का उपयोग तब करते हो जब तुम कुछ बेचते हो।
\s5
\v 15 हमेशा सही बटखरे और सही मापने वाली टोकरी का उपयोग करो, ताकि हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको उस देश में लंबे समय तक जीवित रहने की अनुमति दें जो वे तुमको दे रहे हैं।
\v 16 यहोवा उन सभी से घृणा करते हैं जो बेईमानी से काम करते हैं, और वे उन्हें दंडित करेंगे।
\p
\s5
\v 17 याद रखो कि अमालेक लोगों के समूह ने तुम्हारे पूर्वजों के साथ क्या किया था, जब वे मिस्र से बाहर आ रहे थे।
\v 18 उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों पर हमला किया क्योंकि वे यात्रा कर रहे थे, जब वे कमजोर और थके हुए थे। वे लोग परमेश्वर से बिलकुल नहीं डरते थे, इसलिए उन्होंने पीछे से तुम्हारे पूर्वजों पर हमला किया और उन सभी को मार डाला जो दूसरों के समान तेज़ चलने में असमर्थ थे।
\v 19 इसलिए, जब हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें वह भूमि दें जिसे उन्होंने तुमको देने का वादा किया था, और जब उन्होंने तुमको अपने आस-पास के सभी दुश्मनों से लड़ने में विश्राम दिया, तो सभी अमालेक लोगों के समूह को मार डालना, जिस से कोई भी अब उन्हें याद नहीं रखेंगे। ऐसा करना मत भूलना!
\s5
\c 26
\p
\v 1 उस देश पर कब्जा करने के बाद जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहे हैं, और जब तुम वहाँ बस गए हो,
\v 2 तुम में से प्रत्येक को अपने फसल की पहली उपज को एक टोकरी में रखना चाहिए, और उसे उस स्थान पर ले जाना चाहिए जिसे यहोवा ने आराधना करने के लिए तुम्हारे लिए चुना होगा।
\s5
\v 3 उस महायाजक के पास जाओ जो उस समय सेवा कर रहा है और उससे कहो, ‘आज तुमको मेरी फसल का यह पहला भाग देकर, मैं अपने परमेश्वर यहोवा के समक्ष यह घोषणा कर रहा हूँ कि मैंने इसे उस देश से प्राप्त किया है जिसे हमें देने का उन्होंने हमारे पूर्वजों के साथ गंभीरता से प्रतिज्ञा की थी।'
\v 4 तब याजक को तुम्हारे हाथ से भोजन की टोकरी लेकर उस वेदी पर रखनी चाहिए जहाँ हमारे परमेश्वर यहोवा को बलि चढ़ायी जाती है।
\s5
\v 5 तब यहोवा की उपस्थिति में तुमको यह कहना चाहिए: ‘मेरा पूर्वज याकूब शक्तिशाली राष्ट्र आराम का एक व्यक्ति था। वह अपने परिवार को मिस्र ले गया। जब वे वहाँ गए तो वे छोटा सा समूह था, लेकिन वे वहाँ रहे और उनके वंशज बहुत बड़े और शक्तिशाली राष्ट्र बन गए थे।
\s5
\v 6 मिस्र के लोगों ने उनके प्रति बहुत कठोर व्यवहार किया, और उन्होंने उन्हें अपने दास बनने और बहुत परिश्रम करने के लिए विवश किया।
\v 7 तब हमारे पूर्वजों ने हमारे परमेश्वर यहोवा की दुहाई दी, और आपने उन्हें सुना। आपने देखा कि वे पीड़ित थे, और उन्हें बहुत परिश्रम करने के लिए विवश किया जा रहा था, उनका दमन किया जा रहा था।
\s5
\v 8 तब अपनी महान शक्ति से और कई प्रकार के चमत्कार करके, और अन्य भयानक कार्य करके, आप उन्हें मिस्र से बाहर लाए।
\v 9 आप हमें इस देश में लाए और हमें यह दिया, एक ऐसी भूमि जो बहुत उपजाऊ है।
\s5
\v 10 तो अब, हे यहोवा, मुझे जो भूमि मिली है, मैं उस की फसल का पहला भाग लाया हूँ। तब तुम्हें टोकरी को यहोवा की उपस्थिति में नीचे रखना होगा और वहाँ यहोवा की आराधना करनी होगी।
\v 11 और तुम्हें हमारे परमेश्वर यहोवा का उन सभी अच्छी चीजों के लिए धन्यवाद करना चाहिए जो उन्होंने तुम्हें और तुम्हारे परिवार को दी है। और तुम्हें लेवी के वंशजों और उन विदेशियों को आमंत्रित करना चाहिए जो तुम्हारे बीच रह रहे हैं कि वे भी तुम्हारे साथ आनंद मनाएं और भोजन कर सकें।
\p
\s5
\v 12 हर तीसरे वर्ष, तुमको अपनी फसलों का दसवां भाग लेवी के वंशजों और अनाथों और विधवाओं के लिए लेना चाहिए, जो तुम्हारे बीच रहते हैं, ताकि प्रत्येक नगर में उनके पास खाने के लिए पर्याप्त हो।
\v 13 तब तुमको यहोवा से यह कहना है, कि मैं अपने घर से, इस वर्ष की मेरी फसल का दसवां भाग आपके पास लेकर आया हूँ, जो मैंने आपके लिए अलग किया है। मैं इसे लेवी के वंशजों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को दे रहा हूँ, जैसा कि आपने हमें करने का आदेश दिया था। मैंने दसवें हिस्से के विषय में आपके किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं किया है, और मैं इसके विषय में आपके किसी भी आदेश को नहीं भूला हूँ।
\s5
\v 14 मैं घोषणा करता हूँ कि मैंने दसवें हिस्से में से कुछ भी नहीं खाया है, जब मैं किसी मृत व्यक्ति के लिए शोक कर रहा था। मैं इसे अपने घर से बाहर नहीं ले गया, जबकि मैं ऐसी अवस्था में था, जिसमें मैं आपके लिए अस्वीकार्य था; मैंने मृत लोगों की आत्माओं के लिए उसका कोई भाग भेंट नहीं किया है। हे यहोवा, मैंने आपकी आज्ञा मानी है और दसवें हिस्से के विषय में आपने जो कुछ भी कहा, वह सब किया है।
\v 15 अतः कृपया स्वर्ग में अपने पवित्र स्थान से नीचे देखें, और अपने इस्राएली लोगों को आशीर्वाद दें। और इस उपजाऊ भूमि को भी आशीर्वाद दें जो आपने हमें दी है, जैसा आपने हमारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी कि आप करेंगे।'
\p
\s5
\v 16 आज यहोवा हमारे परमेश्वर तुमको इन सभी नियमों और विधियों का पालन करने का आदेश दे रहे हैं। तो अपने पूरे मन से, ईमानदारी से उनका पालन करो।
\v 17 आज तुमने घोषित किया है कि वे तुम्हारे परमेश्वर हैं, और तुम अपने जीवन का संचालन उनकी इच्छा के अनुसार करोगे, और तुम उनके सभी आदेशों और नियमों और विधियों का पालन करोगे, और जो कुछ भी वे तुम्हें करने को कहते हैं वह करोगे।
\s5
\v 18 और आज यहोवा ने घोषणा की है कि तुम उसके लोग हो, जैसा उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि तुम होगे, और वे तुमको अपने सभी आज्ञाओं का पालन करने का आदेश देते हैं।
\v 19 यदि तुम ऐसा करते हो, तो वे तुमको किसी भी अन्य राष्ट्र से अधिक महान बनाएंगे, और वे तुमको उनकी प्रशंसा करने और उनका सम्मान करने में सक्षम बनाएंगे। तुम यहोवा के लिए विशेष लोग हो, उनके लिए अलग किए गए और पवित्र, जैसा कि उन्होंने वादा किया था।"
\s5
\c 27
\p
\v 1 मूसा ने अन्य इस्राएली अगुओं के साथ लोगों से यह कहा: “आज जो आज्ञाएं मैं तुम्हें दे रहा हूँ, उनका पालन करो।
\v 2 जल्द ही तुम यरदन नदी पार करोगे और उस देश में प्रवेश करोगे जो यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें देने का वादा किया था। वहां, कुछ बड़े पत्थरों को स्थापित करो और उन पर चूना पोतो।
\v 3 उन सभी नियमों और शिक्षाओं को उन पत्थरों पर लिखो, जब तुम उस उपजाऊ भूमि में प्रवेश करते हो, यहोवा, जिनकी हमारे पूर्वजों ने आराधना की थी, तुमको देने का वादा किया था।
\s5
\v 4 जब तुम यरदन नदी को पार कर लो, तो एबल पर्वत पर कुछ बड़े पत्थरों को स्थापित करो, जैसा कि मैंने तुमको बताया था, और उन को चूने से पोत भी दिया था।
\v 5 यहोवा को बलि चढ़ाने के लिए वहाँ एक पत्थर की वेदी का निर्माण करो, परन्तु लोहे के औजारों से उन पत्थरों पर कोई काम न करो।
\s5
\v 6 जो वेदी तुम हमारे परमेश्वर यहोवा के लिए बलि चढ़ाने के लिए बनाते हो, उसे अनगढ़े पत्थरों से बनाया जाना चाहिए।
\v 7 और वहाँ यहोवा के साथ संगति बहाल करने के लिए तुमको बलिदान चढ़ाना चाहिए, और उन्हीं भेंटों से अपना भाग लेकर खाना चाहिए और यहोवा की उपस्थिति में आनन्दित होना चाहिए।
\v 8 जब तुम इन कानूनों को उन पत्थरों पर लिखते हो, तो उन्हें बहुत स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए। “
\p
\s5
\v 9 तब मूसा ने याजकों के साथ सभी इस्राएलियों से कहा, “तुम इस्राएली लोग चुप रहो, और यह सुनो जो मैं कह रहा हूँ। आज तुम लोग हमारे परमेश्वर यहोवा के हो।
\v 10 इसलिए तुमको वह करना चाहिए जो वे तुमको बताते हैं, और आज के इन सभी नियमों और विनियमों का पालन करो जो मैं तुमको दे रहा हूँ। “
\p
\s5
\v 11 उसी दिन मूसा ने इस्राएलियों से कहा,
\v 12 “यरदन नदी पार करने के बाद, शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, यूसुफ और बिन्यामीन के गोत्रों को गरिज़िम पर्वत पर खड़े रहना चाहिए और यहोवा से लोगों को आशीर्वाद देने का अनुरोध करना चाहिए।
\s5
\v 13 रूबेन, गाद, आशेर, जबुलून, दान और नप्ताली के गोत्रों को एबल पर्वत पर खड़े रहना चाहिए और उन बातों को सुनना चाहिए जिनमें यहोवा लोगों को श्राप देते हैं।
\p
\v 14 लेवी के वंशजों को इन शब्दों को जोर से कहना चाहिए:
\q1
\s5
\v 15 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो लकड़ी या पत्थर से एक आकृति बनाते हैं या धातु से एक आकृति बनाते हैं, और गुप्त रूप से इन्हें स्थापित करते हैं और पूजा करते हैं ।
\q2 यहोवा मानते हैं कि वे काम घृणास्पद हैं।
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\s5
\v 16 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो अपने पिता या मां का अपमान करता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\v 17 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो संपत्ति की सीमाओं से किसी और के चिन्हों को हटा देते हैं।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\s5
\v 18 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो अंधे व्यक्ति को गलत दिशा में जाने के लिए प्रेरित करता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\v 19 ‘यहोवा उन सभी को श्राप देंगे जो विदेशियों या अनाथों या उन विधवाओं को उन चीजों से वंचित रखेंगे जो कानून के द्वारा राज्य उनके लिए करता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\s5
\v 20 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो अपने पिता के लिए कोई सम्मान नहीं दिखाता है
\q2 अपने पिता की पत्नियों में से किसी के साथ सोकर।
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\v 21 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो किसी जानवर के साथ सोता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\s5
\v 22 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो अपनी बहन के साथ या अपनी रिश्ते की आधी बहन के साथ सोता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\v 23 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो अपनी सास के साथ सोता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\s5
\v 24 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो गुप्त रूप से किसी और की हत्या करता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\v 25 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे , क्योंकि किसी और ने उसे रिश्वत दी है, जो निर्दोष है, और उनकी हत्या करता है।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’
\q1
\s5
\v 26 ‘यहोवा उनको भी श्राप देंगे जो इन नियमों का उल्लंघन करते हुए यह घोषणा करने से मना कर देता है कि वे कानून अच्छे हैं।’
\q2 और सभी लोगों को उत्तर देना चाहिए, ‘आमीन।’ “
\s5
\c 28
\p
\v 1 “यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार करते हो और ईमानदारी से सब कुछ मानते हो जो आज मैं तुम्हें करने की आज्ञा देता हूँ, तो वह तुमको पृथ्वी पर किसी अन्य देश से महान बनाएंगे।
\v 2 यदि तुम यहोवा की आज्ञा मानोगे, तो ये सभी आशीर्वाद तुम्हारे पास आएंगे।
\s5
\v 3 तुम शहरों में जो कुछ करते हो उस पर वे आशीर्वाद देंगे और तुम खेतों में जो काम करते हो वे हर उस चीज को आशीर्वाद देंगे ।
\v 4 वे तुमको बहुत से बच्चे देकर और तुमको भरपूर फसल देकर और बहुत सारे मवेशी और भेड़ देकर आशीर्वाद देंगे।
\s5
\v 5 वे रोटी बनाने के लिए तुमको बहुत अनाज देकर आशीर्वाद देंगे ।
\v 6 वे तुमको हर जगह आशीर्वाद देंगे -जब तुम अपने घरों से बाहर जाते हो और जब तुम अपने घरों में वापस आते हो।
\s5
\v 7 यहोवा तुमको तुम्हारे शत्रुओं की सेनाओं को हराने में सक्षम करेंगे; वे तुम पर एक दिशा से हमला करेंगे, लेकिन वे सात दिशाओं में भाग जाएंगे।
\v 8 यहोवा तुम्हारे खत्तों को अनाज से भरकर आशीर्वाद देंगे, और वे तुम्हारे सभी कामों पर आशीर्वाद देंगे; वे तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देंगे जो वे तुमको दे रहे हैं।
\p
\s5
\v 9 यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा के सभी आदेशों का पालन करो और यदि तुम उनकी आज्ञाओं का पालन करके अपना जीवन जीते हो, तो वे तुमको अपना निज भाग और पवित्र प्रजा बनाएंगे, जैसा उन्होंने वादा किया था।
\p
\v 10 तब पृथ्वी के सभी लोगों के समूह यह अनुभव करेंगे कि तुम यहोवा के हो, और वे तुम से डरेंगे।
\p
\s5
\v 11 और यहोवा तुम्हें बहुत समृद्ध करेंगे। उस देश में जिसे देने का परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों से ईमानदारी से वादा किया था, वे तुमको कई बच्चे, कई मवेशी और बड़ी मात्रा में फसल देंगे।
\p
\v 12 जिस समय बारिश की आवश्यकता होती है, यहोवा उसे उस स्थान से भेजेंगे जहाँ उन्होंने उसे आकाश में रखा है, और वे तुम्हारे सारे कामों पर आशीर्वाद देंगे, जिसके परिणामस्वरूप तुम कई अन्य राष्ट्रों को धन उधार देने में सक्षम होगे, लेकिन तुमको उनसे पैसे उधार लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
\p
\s5
\v 13 यदि तुम परमेश्वर के उन सभी आदेशों का ईमानदारी से पालन करो, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ, तो यहोवा तुम्हारे देश को अन्य राष्ट्रों से उत्तम बनाएंगे, न कि उनसे कम; तुम हमेशा समृद्ध होगे और तुम्हें कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होगी।
\p
\v 14 यहोवा यह सब तुम्हारे साथ करेंगे यदि तुम उन आज्ञाओं को जो आज मैं दे रहा हूँ, उनका पालन करना बंद न करो, और यदि तुम कभी भी अन्य देवताओं की पूजा न करो।
\p
\s5
\v 15 परन्तु यदि जो हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें करने के लिए कह रहे हैं, तुम वह नहीं करते हो, और यदि तुम आज उनके सभी नियमों और विधियों का ईमानदारी से पालन नहीं करते हो, तो वे तुम पर ये श्राप लाएंगे और वे अपना पूरा बल तुम्हारे विरुद्ध लगाएँगे।
\s5
\v 16 जब तुम शहर में हो तब वे तुमको श्राप देंगे और जब तुम खेत में काम कर रहे हो तो वे तुमको श्राप देंगे।
\v 17 वे रोटी बनाने के लिए अधिक अनाज नहीं देकर तुमको श्राप देंगे।
\s5
\v 18 वे तुम्हें केवल कुछ बच्चे देकर, खराब फसल देकर, और कम मवेशी और भेड़ देकर श्राप देंगे।
\v 19 वे तुमको हर जगह श्राप देंगे - जब तुम अपने घरों से बाहर जाते हो और जब तुम अपने घरों में वापस आते हो।
\p
\s5
\v 20 यदि तुम बुरे काम करते हो और यहोवा का तिरस्कार करते हो, वे तुमको भ्रमित होने का श्राप देंगे, और जो कुछ तुम करते हो उसमें तुम्हें निराश होना पड़ेगा, जब तक तुम्हारे दुश्मन जल्दी और पूरी तरह से तुमको नष्ट नहीं करते हैं।
\v 21 यहोवा तुम पर भयानक बीमारियां भेजेंगे, जब तक तुम में से कोई भी उस देश में जीवित नहीं रहेगा, जिसमें तुम प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो।
\s5
\v 22 यहोवा तुम्हें बीमारियों से पीड़ा देंगे जो सूजन के साथ बुखार से तुम्हारे शरीर को कमजोर करेगा। वहाँ अधिक गर्मी होगी, और बारिश नहीं होगी। गर्म हवाएं चलेंगी, और वह तुम्हारे फसलों को सड़ा देंगे। जब तक तुम सब मर न जाओगे तब तक ये सभी चीजें तुम्हारे साथ होती रहेंगी।
\s5
\v 23 आकाश से बारिश नहीं होगी, परिणामस्वरूप भूमि लोहे के समान कठोर हो जाएगी।
\v 24 बारिश भेजने की अपेक्षा, यहोवा तुम्हारे देश में तेज हवाएं भेजेंगे और धूल उडाएँगे जब तक तुम्हारी भूमि नाश न हो जाए।
\s5
\v 25 यहोवा तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हें पराजित करने में सक्षम बनाएँगे; तुम्हारे सैनिक उन पर एक दिशा से हमला करेंगे, लेकिन सात दिशाओं में भाग जाएंगे, और जब अन्य राष्ट्रों के लोग देखेंगे कि तुम्हारे साथ क्या हो रहा है, तो वे कहेंगे कि यह भयानक है।
\v 26 तुम मरोगे, और पक्षी और जंगली जानवर आएंगे और तुम्हारी लाश खाएंगे, और उन्हें भगाने के लिए कोई भी नहीं होगा।
\s5
\v 27 यहोवा तुम्हारी त्वचा पर फोड़े उगाएंगे, जैसे उन्होंने मिस्र के लोगों पर कई साल पहले किया था। फोड़ों और खुले घावों के कारण तुम्हारी त्वचा में खुजली होगी, लेकिन उन बीमारियों को ठीक करने की कोई दवा नहीं होगी।
\v 28 यहोवा तुम में से कुछ को पागल करेंगे; वे तुम में से कुछ को अंधा बनाएंगे, और वे तुम्हारे कुछ लोगों के दिमाग को भ्रमित कर देंगे।
\v 29 क्योंकि तुम यह देखने में सक्षम नहीं होगे कि तुम कहाँ जा रहे हैं, इसलिए दोपहर में तुम अपने हाथों से टटोलते फिरोगे, जैसे लोग अंधेरे में करते हैं। जो कुछ भी तुम करते हो उसमें तुम समृद्ध नहीं होगे। तुम लगातार पीड़ित होगे और लूटे जाओगे, और तुम्हारी सहायता करने के लिए कोई भी नहीं होगा।
\s5
\v 30 तुम में से कुछ पुरुष एक जवान स्त्री से शादी करना चाहेंगे, लेकिन कोई और जबरन उसके साथ सोएगा। तुम घरों का निर्माण करोगे, लेकिन तुम उनमें कभी नहीं रहोगे। तुम अंगूर लगाओगे, लेकिन तुम उन अंगूरों को नहीं खा सकोगे; कोई और उन्हें खाएगा।
\v 31 तुम्हारी आँखों के सामने तुम्हारे दुश्मन तुम्हारे मवेशियों को मार देंगे, और तुमको खाने के लिए कुछ भी मांस नहीं मिलेगा। तुम्हारी आँखों के सामने वे तुम्हारे गधे को खींच कर ले जाएँगे, और वे वापस नहीं देंगे। वे तुम्हारी भेड़ें ले लेंगे; और उन्हें बचाने में तुम्हरी सहायता करने के लिए कोई भी नहीं होगा।
\s5
\v 32 तुम्हारी आँखों के सामने तुम्हारे बेटों और बेटियों को विदेशी अपने दास दासी बनने के लिए ले जाएँगे। हर दिन तुम अपने बच्चों के वापस लौटने की राह देखोगे, लेकिन तुम व्यर्थ में प्रतीक्षा करोगे।
\s5
\v 33 एक विदेशी राष्ट्र के लोग उन सभी फसलों को ले लेंगे जिनका उत्पादन करने के लिए तुमने बहुत परिश्रम किया था, और वे लगातार तुम्हारे साथ कठोर और क्रूर तरीके से व्यवहार करेंगे।
\v 34 परिणाम यह होगा कि तुम जो भयानक चीजें देखते हो, वे तुमको पागल बना देंगी।
\v 35 यहोवा तुम्हारे पैरों को दर्दनाक फोड़े से ढकेंगे जो ठीक नहीं हो सकता है, और तुम्हारे पैरों के तल से लेकर सिर के शीर्ष तक फोड़े होंगे।
\s5
\v 36 यहोवा तुम्हारे राजा और बाकी सभी लोगों को दूसरे देश में ले जाएंगे, जहाँ तुम और तुम्हारे पूर्वज कभी नहीं रहें है, और वहाँ तुम लकड़ी या पत्थर से बने देवताओं की पूजा करोगे और उनकी सेवा करोगे।
\v 37 जब आस-पास के देशों के लोग देखेंगे कि तुम्हारे साथ क्या हुआ है, तो वे चौंक जाएंगे; जहाँ कहीं यहोवा तुम्हें पहुँचाएंगे वहाँ वे तुम्हें ताना मारेंगे और हर जगह तुम्हारा मजाक उड़ाएंगे।
\s5
\v 38 तुम अपने खेतों में बहुत सारे बीज लगाओगे, लेकिन तुम केवल एक छोटी फसल काटोगे, क्योंकि टिड्डियां फसल खा जाएंगी।
\v 39 तुम अंगूर लगाओगे और उनका ख्याल रखोगे, लेकिन तुम्हें दाखमधू बनाने के लिए कोई अंगूर नहीं मिलेगा, क्योंकि कीड़े दाखलताओं को खा जाएंगे।
\s5
\v 40 जैतून के पेड़ तुम्हारी भूमि में हर जगह उगेंगे, लेकिन तुमको अपनी त्वचा पर लगाने के लिए जैतून का तेल नहीं मिलेगा क्योंकि जैतून पकने से पहले भूमि पर गिर जाएंगे।
\v 41 तुम्हारे पुत्र और पुत्रियां होंगे, परन्तु वे तुम्हारे साथ नहीं रहेंगे, क्योंकि वे उन्हें पकड़कर ले जाए जाएंगे।
\s5
\v 42 टिड्डियों के झुंड तुम्हारी फसलें और सभी पेड़ों की पत्तियों को खाएंगे।
\v 43 जो तुम्हारी भूमि में रहते हैं वे अधिक शक्तिशाली बनते जाएंगे, और तुम कम शक्तिशाली होते जाओगे।
\v 44 उनके पास तुमको उधार देने के लिए धन होगा, लेकिन तुम्हारे पास उनको उधार देने के लिए कोई पैसे नहीं होंगे। वे तुम से श्रेष्ठ होंगे, और तुम उन से हीन होंगे।
\p
\s5
\v 45 यदि तुम ऐसा नहीं करते हो जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुमको करने के लिए कहा था, और उनके द्वारा दिए गए सभी नियमों और विधियों का पालन नहीं करते हो, तो ये सभी आपदाएं तुम्हारे साथ होंगी और जब तक तुम नष्ट नहीं हो जाते, तब तक तुम्हारे साथ रहेंगी।
\p
\v 46 ये आपदाएं तुमको और तुम्हारे वंशजों को हमेशा यह चेतावनी देंगी कि उन लोगों के साथ क्या होता है जो यहोवा की आज्ञा को नहीं मानते हैं।
\p
\s5
\v 47 क्योंकि यहोवा ने तुमको अनेक रीति से भरपूर आशीर्वाद दिया है, इसलिए तुमको बहुत खुशी से उनकी सेवा करनी चाहिए, लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया।
\p
\v 48 इसलिए, तुम उन शत्रुओं के लिए काम करोगे जिन्हें यहोवा तुम पर हमला करने के लिए भेजेंगे। तुम भूखे और प्यासे होगे; तुम्हारे पास पहनने के लिए कपड़े नहीं होंगे; और आवश्यकता की चीजों की कमी होगी। और यहोवा तुम्हारे दास बनने और कठोर परिश्रम करने का कारण बनेंगे, जब तक कि वे तुम्हें नष्ट न कर दें।
\p
\s5
\v 49 यहोवा तुम्हारे विरुद्ध दूर देश से सेना लाएँगे, जिसके सैनिक ऐसी भाषा बोलते हैं जिसे तुम समझते नहीं हो। वे शीघ्र ही उकाब के समान तुम पर झपट्टा मारेंगे।
\v 50 वे देखने में भयानक होंगे। वे किसी के प्रति दया से काम नहीं करेंगे, यहां तक कि छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों से भी नहीं।
\v 51 वे तुम्हारे पशुओं को मार डालेंगे और खाएंगे, और वे तुम्हारी फसल खाएंगे, और तुम भूखे रहोगे। वे तुम्हारे लिए कोई अनाज या दाखमधु या जैतून का तेल या मवेशी या भेड़ नहीं छोड़ेंगे; और तुम सभी भूख से मर जाओगे।
\s5
\v 52 इस देश के नगरों को, जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें देने वाले हैं, उन्हें तुम्हारे शत्रु घेर लेंगे, और वे तुम्हारे नगरों के चारों ओर की ऊँची और मजबूत दीवारों को तोड़ देंगे, जिन दीवारों पर तुम अपनी रक्षा के लिए भरोसा करते हो।
\p
\v 53 जब तुम्हारे दुश्मन तुम्हारे नगरों को घेर लेंगे, तो तुम बहुत भूखे होंगे, जिसके परिणामस्वरूप तुम यहोवा के द्वारा दिए अपने बेटों और बेटियों का मांस खाओगे।
\s5
\v 54-55 जब तुम्हारे दुश्मन तुम्हारे नगरों को घेर लेंगे, तो तुम में से सबसे नम्र और संवेदनशील व्यक्ति भी भोजन को बड़ी उग्रता से चाहेगा, जिसके परिणाम यह होगा की वे अपने बच्चों को मार देंगे और उनका मांस खाएंगे, क्योंकि उनके पास खाने के लिए और कुछ नहीं होगा। वे इसे अपने भाई या पत्नी जिन्हें वे बहुत प्रेम करते हैं या उनके किसी भी अन्य बच्चे के साथ जो अभी भी जीवित हैं, उनके साथ भी साझा नहीं करेंगे।
\s5
\v 56-57 यहां तक कि तुम में से सबसे अधिक सभ्य और दयालु स्त्रियाँ, जो बहुत समृद्ध हैं जिसके कारण उन्हें कभी भी कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी, वे भी यही काम करेंगी। जब तुम्हारे दुश्मनों ने तुम्हारे नगरों को घेर लिया होगा, तो वे स्त्रियाँ बहुत भूखी होंगी, जिसके परिणामस्वरूप वे बच्चे को जन्म देने के बाद, चुपके से बच्चे को मार डालेंगी और उसका मांस खाएंगी और गर्भनाल भी खाएंगी। और वे इसे अपने पति जिनसे वे बहुत प्रेम करती हैं या अपने किसी अन्य बच्चे के साथ इसे साझा नहीं करेंगी।
\p
\s5
\v 58 यदि तुम उन सभी कानूनों का ईमानदारी से पालन नहीं करते हो जिन्हें मैं लिख रहा हूँ, और यदि तुम में हमारे गौरवशाली परमेश्वर के लिए अत्यधिक सम्मान नहीं है,
\v 59 तो वह तुम पर और तुम्हारे वंशजों पर अत्यधिक दुःख और पीड़ा भेजकर दंडित करेंगे जो कई सालों तक रहेंगे।
\s5
\v 60 वह तुम पर वैसी पीड़ा लाएंगे जिन्हें उन्होंने मिस्र के लोगों पर भेजा था, और तुम कभी भी चंगे नहीं होगे।
\v 61 वह तुम पर अन्य व्याघियाँ और बीमारियों को भी भेजेंगे जिन के विषय में मैंने इन नियमों में बातें नहीं की है, जब तक तुम सभी मर न जाओ।
\v 62 तुम आकाश के तारों के समान असंख्य हो गए हो, परन्तु यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा न मानोगे, तो तुम में से केवल कुछ ही जीवित रहेंगे।
\s5
\v 63 यहोवा तुम्हारा भला करने और तुमको असंख्य बनाने में बहुत प्रसन्न थे, लेकिन अब वे तुमको नाश करने और तुम से छुटकारा पाने में भी प्रसन्न होंगे। जो इन विपत्तियों से नहीं मरते हैं वे इस भूमि से जिस पर तुम शीघ्र ही अधिकार करने के लिए प्रवेश करने जा रहे हो, हटाए जाएंगे ।
\p
\v 64 यहोवा तुम्हें धरती पर कई लोगों के समूह में तितर-बितर करेंगे, और उन जगहों पर तुम लकड़ी या पत्थर से बने अन्य देवताओं की पूजा करोगे, जिन देवताओं को तुम और तुम्हारे पूर्वज कभी नहीं जानते थे।
\s5
\v 65 उन क्षेत्रों में तुमको कोई शान्ति नहीं मिलेगी। तुम निराश होगे और हतोत्साहित होगे।
\v 66 तुम हमेशा डरोगे कि तुम्हारे दुश्मन तुमको मार देंगे। तुम्हें पूरे दिन और पूरी रात बहुत भय होगा।
\s5
\v 67 क्योंकि तुम बहुत डरोगे और तुम भयानक चीजों को देखकर बहुत परेशान होगे, तुम हर सुबह कहोगे ‘काश शाम हो जाए! और हर शाम तुम कहोगे ‘काश सुबह ही हो जाए!
\v 68 यहोवा तुम में से कुछ को जहाजों में वापस मिस्र में भेज देंगे, भले ही उन्होंने वादा किया था कि तुमको वहाँ पुनः जाने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा। मिस्र में तुम भोजन के लिए अपने दुश्मनों के दास बनने के लिए स्वयं को बेचने का प्रयास करोगे, लेकिन कोई भी तुमको नहीं खरीदेगा।"
\s5
\c 29
\p
\v 1 ये यहोवा के प्रतिज्ञात्मक आदेश हैं जिन्हें इस्राएलियों को मानना था। जब वे यरदन नदी के पूर्व की ओर मोआब के क्षेत्र में थे, तब मूसा ने उन्हें इन नियमों को मानने का आदेश दिया। ये नियम सीनै पर्वत पर यहोवा की उनके साथ की गयी प्रतिज्ञा का भाग बन गए।
\p
\s5
\v 2 मूसा ने सभी इस्राएली लोगों को बुलाया और उनसे कहा, “तुमने स्वयं देखा कि यहोवा ने मिस्र के राजा और उसके अधिकारियों और उसके पूरे देश के साथ क्या किया।
\v 3 तुमने उन सभी विपत्तियों को देखा जो यहोवा ने उन पर भेजी थी, और उनके सभी चमत्कारों को देखा।
\v 4 परन्तु आज तक, यहोवा ने जो कुछ तुमने देखा और सुना है, उसका अर्थ समझने में तुम्हें सक्षम नहीं किया है।
\s5
\v 5 चालीस वर्षों तक यहोवा ने तुम्हारा नेतृत्व किया जब तुम रेगिस्तान से होकर यात्रा करते थे। उस समय, तुम्हारे कपड़े और तुम्हारे जूते पुराने नहीं हुए।
\v 6 तुम्हारे पास खाने के लिए रोटी या पीने के लिए दाखमधु या अन्य मदिरा नहीं थी, परन्तु यहोवा ने तुम्हारा ख्याल रखा, ताकि तुम जान सको कि वे तुम्हारे परमेश्वर हैं।
\p
\s5
\v 7 और जब हम इस स्थान पर आए, तो सीहोन राजा, जो हेशबोन में शासन करता था, और ओग राजा जो बाशान पर शासन करता था, अपनी सेनाओं के साथ हम पर हमला करने के लिए बाहर आए, लेकिन हमने उन्हें पराजित किया।
\v 8 हमने उनकी भूमि ली और इसे रूबेन और गाद के गोत्रों और मनश्शे के गोत्रों में आधे हिस्से में बांटा।
\p
\v 9 इसलिये इस पुरी प्रतिज्ञा को विश्वासयोग्यता से पालन करो, ताकि तुम जो कुछ भी करते हो उसमें समृद्ध हों।
\s5
\v 10 आज हम सभी मैं, तुम्हारे सभी गोत्रों का अगुवा, तुम्हारे बुजुर्ग, तुम्हारे अधिकारी, तुम सभी इस्राएली पुरुष,
\v 11 तुम्हारी पत्नियां, तुम्हारे बच्चे, और विदेशी जो हमारे बीच रहते हैं और हमारे लिए लकड़ी काटते हैं और हमारे लिए पानी लाते हैं, हम सभी हमारे परमेश्वर यहोवा की उपस्थिति में खड़े हैं।
\s5
\v 12 आज तुम सब यहाँ यहोवा के साथ इस प्रतिज्ञा को स्वीकार करने के लिए सहमत होने और स्वयं को इस प्रतिज्ञा के साथ बांधने आए हो।
\v 13 वे यह सुनिश्चित करने के लिए तुम्हारे साथ यह समझौता कर रहे हैं कि तुम उनके लोग हो, और वे तुम्हारे परमेश्वर हैं। यही उन्होंने तुम्हारे लिए करने का वादा किया था, और जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों अब्राहम, इसहाक और याकूब से करने का वादा किया था, वे ऐसा ही करेंगे।
\s5
\v 14 यह प्रतिज्ञा न केवल तुम्हारे साथ है।
\v 15 परमेश्वर इस समझौते को जो हमारे साथ कर रहे हैं वह आज यहां जो है और हमारे वंशजों के साथ भी कर रहे हैं जो अभी तक पैदा नहीं हुए हैं।
\p
\v 16 तुम्हें वे बातें याद हैं जो हमारे पूर्वजों को मिस्र में भुगतना पड़ा था, और मिस्र से निकलने के बाद वे अन्य राष्ट्रों के देश से कैसे यात्रा करते थे।
\s5
\v 17 उन देशों में उन्होंने लकड़ी और पत्थर से बने और चांदी और सोने से सजायी उन घृणित मूर्तियों को देखा।
\v 18 इसलिए सुनिश्चित करो कि आज यहां जो पुरुष या स्त्री या परिवार या गोत्र, उन लोगों के देवताओं की पूजा करने के लिए हमारे परमेश्वर यहोवा से दूर न हो जाएँ। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम स्वयं पर आपदा लाओगे।
\p
\v 19 यह सुनिश्चित करो कि आज जो कोई भी इस प्रतिज्ञा के शब्दों को सुनता है, वह स्वयं से न कहे, ‘मेरे साथ सबकुछ अच्छा होगा, भले ही मैं हठ करके जो कुछ मैं करना चाहता हूँ, वही करूं।’ यदि तुम ऐसा करते हो, तो परिणाम यह होगा कि यहोवा अंततः तुम सभी को, अच्छे और बुरे सभी लोगों को नष्ट कर देंगे।
\s5
\v 20 यहोवा ऐसे किसी को भी क्षमा नहीं करेंगे जो उस प्रकार हठीला है। इसकी अपेक्षा, वे उस व्यक्ति से बहुत क्रोधित होंगे, और जिन श्रापों के विषय में मैंने बताया है, वह उस व्यक्ति पर पड़ेंगे, जब तक कि यहोवा उस व्यक्ति और उसके परिवार को हमेशा के लिए नष्ट नहीं कर देते।
\v 21 इस्राएल के सभी गोत्रों में से, यहोवा उस व्यक्ति को चुनेंगे कि उनके द्वारा प्रतिज्ञा में सूचीबद्ध सभी आपदाओं को भुगते- वे सभी बुरी बातें, जो किसी भी व्यक्ति के साथ होती हैं जिन्हें यहोवा ने इस पुस्तक में लिखे नियमों का उल्लंघन करने के लिए श्राप दिया है।
\p
\s5
\v 22 भविष्य में, तुम्हारे वंशज और अन्य देशों के लोग इन आपदाओं और बीमारियों के विषय जानेंगे जिन्हें यहोवा ने तुम पर डाला था।
\v 23 वे देखेंगे कि तुम्हारी सारी भूमि गन्धक और नमक जलाने से नष्ट हो गई। कुछ भी नहीं उगेगा। यहां तक कि जंगली घास भी नहीं। तुम्हारी भूमि सदोम और गमोरा के नगरों और अदमा और सबोयीम के नगरों के समान होगी, जिन्हें यहोवा ने उन लोगों पर बहुत क्रोधित होने कर कारण नष्ट कर दिया था।
\v 24 अन्य राष्ट्रों के लोग पूछेंगे, ‘यहोवा ने इस देश के साथ ऐसा क्यों किया? वह यहां रहने वाले लोगों पर इतने क्रोधित क्यों थे?'
\p
\s5
\v 25 तब अन्य लोग उत्तर देंगे, ‘ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने यहोवा के साथ की गयी प्रतिज्ञा का पालन करने से मना कर दिया, जिन परमेश्वर की तुम्हारे पूर्वजों ने आराधना की थी, जब वे उन्हें मिस्र से बाहर लाये थे।
\v 26 इसकी अपेक्षा, उन्होंने अन्य देवताओं की पूजा की, जिसकी उन्होंने पहले कभी पूजा नहीं की थी, उन देवताओं की पूजा करने के लिए यहोवा ने उन्हें नहीं कहा था।
\s5
\v 27 इसलिए यहोवा इस देश के लोगों से बहुत क्रोधित हो गये, और उन्होंने उन सभी विपत्तियों को उन पर डाला जिनके विषय में उनके अगुवों ने उन्हें चेतावनी दी थी।
\v 28 यहोवा उन से बहुत क्रोधित हो गये और उन्हें अपनी भूमि से बाहर निकाल दिया, और उन्हें दुसरे देश में फेंक दिया, और वे अभी भी वहाँ हैं।
\p
\s5
\v 29 ये कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें हमारे परमेश्वर यहोवा ने गुप्त रखा है, परन्तु उन्होंने अपने नियम को हमारे सामने प्रकट किया, और वे उम्मीद करते हैं कि हम और हमारे वंशज हमेशा इसका पालन करें।
\s5
\c 30
\p
\v 1 मैंने अब तुम्हें बताया है कि यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हें किस-किस रीति से आशीर्वाद देंगे यदि तुम उनकी आज्ञा मानते हो और किस-किस रीति वे तुम्हें श्राप देंगे यदि तुम उनकी अवज्ञा करते हो। लेकिन यदि तुम उनके नियमों का पालन न करने का चुनाव करते हो, तो किसी दिन तुम उन देशों में रहो जहाँ उन्होंने तुम्हें तितर-बितर किया है, तब तुम याद करोगे कि मैंने तुमको क्या बताया था।
\v 2 यदि तुम और तुम्हारे बच्चे हमारे परमेश्वर यहोवा की उपासना करना शुरू करते हैं और उन सभी नियमों का ईमानदारी से पालन करते हो जिन्हें मैंने आज तुमको करने का आदेश दिया है,
\v 3 तब वे पुनः तुम्हारे प्रति दया के कार्य करेंगे। वे तुमको उन राष्ट्रों से वापस लाएंगे जहाँ उन्होंने तुमको तितर-बितर किया था, और वे तुमको फिर से समृद्ध बनाएंगे।
\s5
\v 4 भले ही तुम धरती के सबसे दूरस्थ स्थानों पर बिखरे हुए हो, फिर भी हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें वहाँ से एकत्र करेंगे और तुमको अपनी भूमि पर वापस लाएंगे।
\v 5 वे तुम्हें उस देश को फिर से प्राप्त करने में सक्षम करेंगे जहाँ तुम्हारे पूर्वज रहते थे और वे तुमको अभी से अधिक समृद्ध करेंगे और संख्या में बढाएंगे।
\s5
\v 6 यहोवा हमारे परमेश्वर तुम्हारे भीतर के प्राण को बदल देंगे, परिणामस्वरुप तुम उन्हें अपनी सारी इच्छा से और अपनी सभी भावनाओं के साथ प्रेम करोगे। और फिर तुम उस देश में हमेशा रहोगे।
\v 7 हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे दुश्मनों और उन लोगों पर जो तुमको दंडित करते हैं उन सभी विपत्तियों को जिन्हें मैंने तुम्हें बताया है भेजेंगे।
\v 8 जैसा तुमने पहले किया था, तुम वही करोगे जो यहोवा चाहते हैं कि तुम करो, और तुम उन सभी आदेशों का पालन करोगे जो मैंने तुमको आज दिये हैं।
\s5
\v 9 हमारे परमेश्वर यहोवा तुमको तुम्हारे हर काम में बहुत समृद्ध बनाएँगे। तुम्हारे पास कई बच्चे और कई मवेशी होंगे, और तुम बहुत मात्रा में फसलों का उत्पादन करोगे। वे तुमको फिर से समृद्ध होने में सक्षम करके प्रसन्न होंगे, जैसा वे तुम्हारे पूर्वजों को समृद्ध होने में सक्षम करके प्रसन्न थे।
\v 10 परन्तु वे यह काम केवल तब ही करेंगे जब तुमको जो करने के लिए कहा गया है वैसा करोगे, और केवल तब ही जब तुम इस पुस्तक में मेरे लिखे सभी नियमों और विधियों का पालन करोगे, और केवल तब ही जब तुम अपनी सारी इच्छा से और अपनी सभी भावनाओं के साथ यहोवा की ओर फिरोगे।
\p
\s5
\v 11 जो आदेश मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, उन्हें मानना तुम्हारे लिए बहुत कठिन नहीं हैं, और उन्हें जानना भी कठिन नहीं है।
\v 12 वे स्वर्ग में छिपे नहीं हैं। तुमको यह कहने की आवश्यकता नहीं है, ‘हमारे लिए उन्हें नीचे लाने के लिए स्वर्ग तक कौन जा सकता है ताकि हम उनसे सीख सकें?
\s5
\v 13 और वे समुद्र की दूसरी ओर नहीं हैं। तुमको यह कहने की आवश्यकता नहीं है, ‘हमारे लिए उन्हें वापस लाने के लिए कौन समुद्र पार करेगा और ताकि हम उन्हें सीख सकें?
\v 14 नहीं, उनके आदेश यहां तुम्हारे साथ हैं। तुम उन्हें जानते हो, और तुम उन्हें बार-बार दोहरा सकते हो। कि तुम आसानी से उनका पालन कर सकते हो।
\p
\s5
\v 15 तो सुनो! आज मैं तुमको बुरा करने और अच्छा करने के बीच, तथा जो तुमको लंबे समय तक जीने में सक्षम बनाता है और जो तुम्हारी जवानी में ही मृत्यु का कारण बनाता है, उनके बीच चुनने की अनुमति देता हूं।
\v 16 मैं फिर से कहता हूँ, यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा के नियमों का पालन करते हो, जो मैं तुमको आज दे रहा हूँ, और यदि तुम उससे प्रेम करते हो और अपने जीवन का संचालन उनकी इच्छा के अनुसार करते हो, और यदि तुम उनके सभी नियमों और विधियों का पालन करते हो, तो तुम समृद्ध होगे और असंख्य हो जाओगे, और हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देंगे जिसमें तुम प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो।
\p
\s5
\v 17 परन्तु यदि तुम यहोवा की उपासना करना बंद कर देते हो, और यदि तुम उनकी आज्ञाओं का पालन करने से मना करते हो, और यदि तुम अन्य देवताओं की पूजा करने के लिए स्वयं को दूसरों को फुसलाने की अनुमति देते हो,
\v 18 तो मैं आज तुमको चेतावनी दे रहा हूँ कि तुम जल्द ही मर जाओगे। तुम्हारे लोग उस देश में बहुत लंबे समय तक नहीं रहेंगे जिसमें तुम यरदन नदी को पार करके प्रवेश करने और कब्जा करने वाले हो।
\p
\s5
\v 19 मैं स्वर्ग में और पृथ्वी के सभी से यह साक्षी देने का अनुरोध कर रहा हूँ कि आज मैं तुमको यह चुनने की अनुमति दे रहा हूँ कि तुम लंबे समय तक जीना चाहते हो या जल्द ही मरना चाहते हो, क्या तुम चाहते हो कि यहोवा तुमको आशीर्वाद दें या तुमको श्राप दें। तब जीवित रहने का चयन करो।
\v 20 हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रेम करने और उनकी आज्ञा मानने का निर्णय करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम और तुम्हारे वंशज देश में लंबे समय तक जीते रहेंगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों अब्राहम, इसहाक और याकूब को देने का ईमानदारी से वादा किया था।"
\s5
\c 31
\p
\v 1 जब मूसा ने इस्राएलियों को यह कहा,
\v 2 “मैं एक सौ बीस वर्ष का हूँ। अब मैं हर जगह जाने में सक्षम नहीं हूँ, जहाँ तुम्हें जाने की आवश्यकता है, इसलिए मैं अब तुम्हारा अगुवा नहीं बन सकता। इसके अतिरिक्त, यहोवा ने मुझे बताया है कि मैं यरदन नदी को पार नहीं करूँगा।
\v 3 परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे आगे आगे जाएंगे। वे तुमको वहाँ रहने वाले राष्ट्रों को नष्ट करने में सक्षम बनाएंगे, ताकि तुम उनकी भूमि पर कब्जा कर सको। यहोशू तुम्हारा अगुवा होगा, यहोवा ने यह मुझे पहले ही बताया है।
\s5
\v 4 यहोवा उन जातियों के साथ वैसा ही करेंगे जैसा उन्होंने अमोर लोगों के समूह के दो राजा सीहोन और ओग के साथ किया था, जब उन्होंने उसकी सेनाओं और उनके लोगों के समूह को नष्ट कर दिया था।
\v 5 यहोवा तुमको उन लोगों के समूह को जीतने में सक्षम बनाएंगे, लेकिन तुमको उन सभी लोगों को मारना होगा, जैसा मैंने तुमको करने का आदेश दिया है।
\v 6 बहादुर और दृढ़ बनो। उन लोगों से मत डरो। यह मत भूलना कि हमारे परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ जाएंगे। वे हमेशा तुम्हारी सहायता करेंगे और तुमको कभी नहीं त्यागेंगे।"
\p
\s5
\v 7 तब मूसा ने यहोशू को उसके पास बुलाया और कहा, “बहादुर और दृढ़ बनो। तुम ही इन लोगों को उस देश में ले जाओगे जिसे यहोवा ने हमारे पूर्वजों को देने का वादा किया था, और तुम उन्हें उस पर कब्जा करने में सक्षम बनाओगे।
\v 8 यहोवा ही तुम्हारे आगे आगे जाएंगे। वे तुम्हारे साथ रहेंगे। वे हमेशा तुम्हारी सहायता करेंगे। वे तुमको कभी नहीं छोड़ेंगे। इसलिए मत डरो और निराश न हो।"
\p
\s5
\v 9 मूसा ने इन सभी नियमों को लिखा और पवित्र सन्दूक को उठाने वाले याजकों को वे चर्मपत्रियों सौंप दीं। उसने सभी इस्राएली बुजुर्गों को भी वे चर्मपत्रियों दीं।
\v 10 मूसा ने उनसे कहा, “प्रत्येक सात सालों के अंत में, जब सभी ऋण रद्द किए जाते हैं, तब झोपड़ियों के त्यौहार के दौरान लोगों के सामने इसे पढ़ो।
\v 11 सभी इस्राएली लोगों के सामने इसे पढ़ो जब वे उस स्थान पर एकत्र होते हैं जिसे यहोवा अपनी आराधना के लिए चुनते हैं।
\s5
\v 12 प्रत्येक को एकत्र करो-पुरुष, स्त्री, बच्चे, यहां तक कि उन विदेशियों को भी जो तुम्हारे नगरों में रह रहे हैं-ताकि वे इन नियमों को सुन सकें और हमारे परमेश्वर यहोवा का आदर करना सीख सकें और विश्वासयोग्यता से इन नियमों में लिखी सभी बातों को मानें।
\v 13 यदि वे ऐसा करते हैं, तो तुम्हारे वंशज, जिन्होंने कभी इन नियमों को नहीं जाना, वे उन्हें सुनेंगे और वे भी हमारे परमेश्वर यहोवा का आदर करना सीखेंगे, जितने दिन वे उस देश में रहेंगे जिसे तुम यरदन नदी को पार करके कब्जा करनेवाले हो।"
\p
\s5
\v 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “ध्यान से सुनो। तुम जल्द ही मर जाओगे। यहोशू को बुलाओ, और तुम उसके साथ पवित्र तम्बू में जाओ, ताकि मैं उसे नया अगुवा बना सकूं।” इसलिए यहोशू और मूसा पवित्र तम्बू में गए।
\p
\v 15 वहाँ यहोवा बादल के खम्भे के माध्यम से उनके सामने प्रकट हुए, और वह बादल तम्बू के द्वार पर था।
\s5
\v 16 यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम जल्द ही मर जाओगे। तब ये लोग मेरे साथ विश्वासघात करेंगे। वे उनके साथ की गयी मेरी प्रतिज्ञा का पालन करना बंद कर देंगे। वे उन विदेशी देवताओं की पूजा करना शुरू कर देंगे जिनकी पूजा उस देश के लोग करते हैं जिसमें वे प्रवेश करेंगे।
\s5
\v 17 जब ऐसा होगा, तब मैं उनसे बहुत क्रोधित हो जाऊंगा। मैं उन्हें त्याग दूँगा और उनकी सहायता करने से मना कर दूँगा। उनके साथ कई बुरी बातें होंगी, और वे नष्ट हो जाएंगे। तब वे आपस में कहेंगे, ‘ये चीजें हमारे साथ इसलिए हो रही हैं क्योंकि हमारे परमेश्वर अब हमारे साथ नहीं है।’
\v 18 और उन सभी बुरी बातों के कारण जो उन्होंने किया होगा, और विशेष रूप से जब वे अन्य देवताओं की पूजा करना शुरू कर देंगे, मैं उनकी सहायता करने से मना कर दूँगा।
\p
\s5
\v 19 इसलिए मूसा मैं तुम्हें, एक गीत देने जा रहा हूँ। इसे एक चर्मपत्री पर लिखो और इसे इस्राएली लोगों को सिखाओ और उन्हें याद करा दो। यह उस गवाह के समान होगा जो उन पर आरोप लगाता है।
\v 20 मैं उन्हें एक बहुत ही उपजाऊ भूमि पर ले जाने वाला हूँ, एक ऐसी भूमि जिसे मैंने उनके पूर्वजों को देने का ईमानदारी से वादा किया था। वहाँ उनके पास खाने के लिए बहुत कुछ होगा, जिसके परिणामस्वरूप उनके पेट हमेशा भरे रहेंगे और वे मोटे हो जाएंगे। लेकिन फिर वे अन्य देवताओं के पास चले जाएंगे और उनकी पूजा करना शुरू कर देंगे, और वे मुझे तुच्छ मानेंगे और उनके साथ की गयी मेरी प्रतिज्ञा को तोड़ देंगे।
\s5
\v 21 और उनके पास कई भयानक आपदाएं आएँगी। उसके बाद, उनके वंशज इस गीत को याद करेंगे, और यह गवाह के समान होगा जो कहता है, ‘अब तुम जानते हो कि यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को क्यों दंडित किया।’ मैं जल्द ही उन्हें उस देश में ले जाऊंगा जिसे मैंने उन्हें देने का गंभीरता से वादा किया था; लेकिन अब भी, ऐसा करने से पहले, मुझे पता है कि वे क्या सोच रहे हैं कि वे क्या करेंगे जब वे वहाँ रहेंगे।"
\s5
\v 22 उस दिन जब यहोवा ने मूसा को वह गीत दिया, मूसा ने इसे इस्राएलियों को भी सिखाया।
\p
\v 23 तब यहोवा ने यहोशू को अगुवे के रूप में नियुक्त किया और उससे कहा, “बहादुर और दृढ़ बनो, क्योंकि तुम इन इस्राएली लोगों को उस देश में ले जाओगे जिसे मैंने उन्हें देने का ईमानदारी से वादा किया था और मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।”
\p
\s5
\v 24 मूसा ने पूरी व्यवस्था को चर्मपत्रियों पर लिख लिया।
\v 25 तब उसने लेवी के वंशजों को बताया, जो पवित्र सन्दूक को उठाते थे जिसमें दस आज्ञाएं थीं,
\v 26 “इन चर्मपत्रियों को ले लो, जिस पर ये नियम लिखे गए हैं, और इसे पवित्र संदूक के पास में रखो, जिसमें हमारे परमेश्वर यहोवा द्वारा तुम्हारे साथ की गयी प्रतिज्ञा को रखा गया है ताकि यह इस बातें की साक्षी दे सके कि यहोवा लोगों के साथ क्या करेंगे यदि वे उनकी अवज्ञा करते हैं।
\s5
\v 27 मैं यह इसलिए कहता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि ये लोग बहुत हठीला हैं। जितने दिन मैं उनके साथ रहा हूँ, उन्होंने यहोवा के विरूद्ध कई बार विद्रोह किया है, और मेरे मरने के बाद वे और भी अधिक विद्रोह करेंगे!
\v 28 इसलिए गोत्रों के अगुवों और उनके अधिकारियों को एकत्र करो, ताकि मैं उन्हें इस गीत के वचन सिखा सकूं, और मैं उन सभी से गवाही देने का अनुरोध कर सकूं जो स्वर्ग और पृथ्वी पर हैं।
\v 29 मैं यह इसलिए कहता हूँ, क्योंकि मुझे पता है कि मेरे मरने के बाद, लोग बहुत दुष्ट हो जाएंगे। वे उन सभी बातों को करना बंद कर देंगे जिन्हें मैंने उन्हें करने का आदेश दिया है। और भविष्य में, उनके सभी बुरे कामों के कारण वे यहोवा को क्रोधित करेंगे। फिर वे उन्हें विपतियों का अनुभव कराएंगे।"
\p
\s5
\v 30 जब सभी इस्राएली सुन रहे थे, तब मूसा ने उन्हें यह पूरा गीत गाकर सुनाया:
\s5
\c 32
\p
\v 1 “हे आकाश के सभी लोगों, तुम सब सुनो,
\q और तुम सभी जो पृथ्वी पर हो, मेरी बातों को सुनो।
\v 2 मैं चाहता हूँ कि मेरा गीत तुम्हारी सहायता कर सके जैसे बारिश तुम्हारी सहायता करती है,
\q या सुबह में भूमि पर ओस के समान,
\q या छोटे पौधों पर एक धीमी बारिश के समान,
\q घास पर बारिश की बौछार के समान।
\s5
\v 3 मैं यहोवा की स्तुति करूंगा।
\q और तुम सभी लोगों को भी प्रशंसा करनी चाहिए कि हमारे परमेश्वर कितने महान है।
\v 4 वे एक चट्टान के समान है जिस पर हम संरक्षित हैं;
\q जो कुछ वे करते हैं वह बिल्कुल सही और पूरी तरह से न्यायसंगत है।
\q वे हमेशा वही करते हैं जो करने के लिए कहते हैं ;
\q वे कभी भी गलत नहीं करते हैं।
\s5
\v 5 परन्तु तुम इस्राएली लोग उनके प्रति बहुत विश्वासघाती रहे हो;
\q तुम्हारे पापों के कारण, अब तुम उनकी संतान होने के योग्य नहीं रहे।
\q तुम बहुत दुष्ट और धोखेबाज हो।
\q1
\v 6 हे मूर्ख और निर्बुधि लोगों,
\q किस तरीके से यहोवा ने तुम्हारे लिए जो कुछ किया है, उसका भुगतान करोगे?
\q वे तुम्हारे पिता हैं; उन्होंने तुम्हें बनाया;
\q उन्होंने तुम्हें एक राष्ट्र बना दिया।
\s5
\v 7 पूर्व काल के विषय में सोचो;
\q विचार करो कि तुम्हारे पूर्वजों के साथ क्या हुआ था।
\q अपने माता-पिता से पूछो, और वे तुमको सूचित करेंगे;
\q बुजुर्ग लोगों से पूछो, और वे तुमको बताएंगे।
\v 8 परमेश्वर ने, जो किसी अन्य देवता से बड़े हैं, बहुत पहले लोगों को समूहों में बांटा,
\q उन्होंने जातियों को अपनी भूमि सौंपी।
\q उन्होंने निर्धारित किया कि प्रत्येक समूह को कहाँ रहना चाहिए
\q और उन्होंने प्रत्येक समूह के लिए उनके ही अगुवे दिए।
\s5
\v 9 परन्तु यहोवा ने निर्णय किया कि हम उनके लोग होंगे;
\q उन्होंने हम याकूब के वंशियों को चुना कि हम उनके भाग हों।
\v 10 उन्होंने हमारे पूर्वजों को देखा जब वे मरुस्थल में थे,
\q उस भूमि पर भटक रहे थे जो सुनसान थी।
\q उन्होंने उनकी सुरक्षा की और उनका ख्याल रखा,
\q जैसे प्रत्येक व्यक्ति अपनी आंखों की अच्छी देखभाल करता है।
\s5
\v 11 यहोवा ने अपने लोगों की रक्षा की जैसे उकाब अपने बच्चों को उड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है
\q और उनके ऊपर मण्डराता है,
\q अपने पंख फैलाकर उन्हें उठा लेता है जब वे गिरने लगते हैं।
\v 12 केवल यहोवा ही ने उनका नेतृत्व किया;
\q किसी अन्य विदेशी देवता ने उनकी सहायता नहीं की।
\s5
\v 13 उस देश में प्रवेश करने के बाद जो यहोवा ने उन्हें देने का वादा किया था,
\q यहोवा ने उन्हें पहाड़ी देश पर शासन करने में सक्षम बनाया;
\q उन्होंने खेतों में उगाई हूई फसलों को खाया।
\q उन्हें चट्टानों में शहद मिला,
\q और उनके जैतून के पेड़ पथरीली मैदान में भी बढ़े।
\s5
\v 14 गायों ने उन्हें बहुत सारा दही दिया; बकरियों ने उन्हें बहुत दूध दिया,
\q उनके भेड़ और मवेशी हृष्ट-पुष्ट थे,
\q उनके पास गेहूं की बहुत अच्छी फसल थी,
\q और उन्होंने अपने अंगूरों से स्वादिष्ट दाखमधु बनाया।
\s5
\v 15 इस्राएली लोग धनवान और समृद्ध हो गए,
\q फिर उन्होंने परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह किया;
\q उन्होंने उन्हें त्याग दिया, जिन्होंने उन्हें बनाया था,
\q जो शक्तिशाली रूप से उन्हें बचाते हैं।
\v 16 यहोवा ने उन्हें त्याग दिया क्योंकि उन्होंने अन्य देवताओं की पूजा करनी शुरू कर दी।
\q घृणित मूर्तियों की पूजा करने के कारण,
\q वह क्रोधित हो गये।
\s5
\v 17 उन्होंने उन देवताओं को बलि चढ़ायी जो वास्तव में दुष्ट-आत्मा थे,
\q ऐसे देवता जिन्हें उनके पूर्वज कभी नहीं जानते थे;
\q उन्होंने उन देवताओं को बलि चढ़ाया जिन्हें उन्होंने हाल ही में पाया था,
\q ऐसे देवता जिनका तुम्हारे पूर्वजों ने कभी सम्मान नहीं किया था।
\v 18 वे सच्चे परमेश्वर को भूल गए, जो उनकी रक्षा करते हैं,
\q जिन्होंने उन्हें बनाया और उन्हें जीवन दिया।
\s5
\v 19 जब यहोवा ने देखा कि उन्होंने उन्हें त्याग दिया है, तो वे क्रोधित हो गये,
\q इसलिए उन्होंने इस्राएली लोगों का तिरस्कार कर दिया जो उसके बेटों और बेटियों के समान थे।
\v 20 उन्होंने कहा, ‘वे बहुत दुष्ट और बहुत अविश्वासी हैं,
\q इसलिए मैं अब उनकी सहायता नहीं करूंगा,
\q और फिर मैं देखता हूँ कि उनके साथ क्या होता है।
\s5
\v 21 क्योंकि वे अब मूर्तियों की पूजा करते हैं, जो वास्तव में देवता नहीं हैं,
\q उन्होंने मुझे ईर्ष्यालु पति के समान बनने के लिए प्रेरित किया है क्योंकि मैं चाहता हूँ कि वे केवल मेरी ही आराधना करें।
\q तो अब, उन्हें क्रोधित करने के लिए,
\q मैं बेकार और मूर्ख लोगों के देश की सेना को उन पर हमला करने के लिए भेजूंगा।
\s5
\v 22 मैं बहुत क्रोधित हो जाऊंगा, और मैं उन्हें नष्ट कर दूँगा
\q एक आग के समान जो सभी जगहों को जला देती है, यहां तक कि मृतक लोक को भी;
\q वह आग पृथ्वी और पृथ्वी पर जो कुछ भी उगता है उसे नष्ट कर देगी,
\q और यह पहाड़ों के नीचे की सभी चीजों को जला देगी।
\s5
\v 23 मैं उन पर विपत्तियों का ढेर डालूंगा;
\q वे ऐसा अनुभव करेंगे जैसे कि मैं उन पर अपने सभी तीर चला रहा हूँ।
\v 24 वे भूखे होने और तेज बुखार होने के कारण
\q और अन्य भयानक बीमारियों के कारण मर जाएंगे;
\q मैं उन पर हमला करने के लिए जंगली जानवरों को भेजूंगा,
\q और उन्हें काटने के लिए जहरीले सांप भेजूंगा।
\s5
\v 25 उनके घरों के बाहर, उनके दुश्मन उन्हें तलवार से मार देंगे,
\q और उनके घरों में, उनके दुश्मन उनके डर का कारण बनेंगे।
\q उनके दुश्मन युवकों और युवतियों को मार देंगे,
\q और वे शिशुओं और भूरे बाल वाले बूढ़े लोगों को मार देंगे।
\v 26 मैं केवल उन्हें दूर देशों में तितर-बितर करना चाहता था
\q कि कोई भी उन्हें कभी याद न करे।
\s5
\v 27 लेकिन यदि मैंने ऐसा किया, तो उनके दुश्मन गलत तरीके से घमंड करेंगे
\q कि उन्होंने ही मेरे लोगों से छुटकारा पा लिया था;
\q वे कहेंगे, “हम ही ने उन्हें हराया है;
\q यहोवा ने यह सब नहीं किया है।"
\s5
\v 28 तुम इस्राएली ऐसे लोगों के राष्ट्र हो जिनके पास कुछ ज्ञान नहीं है।
\q तुम में से कोई भी बुद्धिमान नहीं है।
\v 29 यदि तुम बुद्धिमान होते, तो तुम समझ जाते कि तुमको दंडित क्यों किया जाएगा;
\q तुमको पता चलता कि तुम्हारे साथ क्या होने जा रहा था।
\s5
\v 30 तुमको पता चलता कि क्यों तुम्हारे हजारों सैनिक केवल एक दुश्मन सैनिक से पराजित होंगे,
\q और क्यों तुम्हारे दो दुश्मन दस हजार इस्राएली सैनिकों का पीछा करकर उन्हें भगा देंगे।
\q तुमको एहसास होगा कि यह तभी होगा जब परमेश्वर ने, जिन्होंने हमेशा तुमको बचाया था, तुमको तुम्हारे दुश्मनों के हाथों में डाल दिया है,
\q तुमको एहसास होगा कि यहोवा ने तुम्हें त्याग दिया है।
\v 31 तुम्हारे शत्रु जानते हैं कि उनके देवता यहोवा, हमारे परमेश्वर के समान शक्तिशाली नहीं हैं,
\q उनके देवताओं ने हम इस्राएलियों को पराजित नहीं किया है।
\s5
\v 32 तुम्हारे शत्रु सदोम और गमोरा के नगरों के खंडहर के पास लगाई गई दाखलता के समान हैं;
\q उन दाखलताओं के अंगूर कड़वे और जहरीले होते हैं।
\s5
\v 33 उन अंगूरों से बना दाखमधु सांप के जहर के समान है।
\v 34 यहोवा कहते हैं, ‘मैं जानता हूँ कि मैंने इस्राएलियों और उनके दुश्मनों के साथ क्या करने की योजना बनाई है,
\q और मैंने उन योजनाओं को सुरक्षित रखा है जैसे कोई अपनी मूल्यवान संपत्ति को सुरक्षित रखता है।
\s5
\v 35 जो उन्होंने मेरे लोगों के साथ किया है, उसके लिए उन दुश्मनों मैं बदला लूँगा,
\q उन्हें दंडित करने के सही समय पर मैं ही बदला लूँगा;
\q वे जल्द ही आपदाओं का अनुभव करेंगे,
\q और मैं उन्हें जल्दी दण्ड दूँगा।'
\s5
\v 36 जब वे देखेंगे कि तुम असहाय हो,
\q और तुम्हारे यहां दास या स्वतंत्र दोनों में बहुत कम लोग ही जीवित बचे हैं,
\q तब यहोवा कहेंगे कि तुम जो उनके लोग हो वास्तव में निर्दोष हो,
\q और वे उनके प्रति दया के कार्य करेंगे जो उनकी सेवा करेंगे।
\s5
\v 37 तब यहोवा तुमसे पूछेंगे , ‘वे देवता कहाँ हैं
\q2 जिनके विषय में तुम ने सोचा था कि वे तुम्हारी रक्षा करेंगे?
\v 38 तुम ने उन देवताओं को अपने बलिदान के जानवरों के सर्वोत्तम हिस्से दिए थे,
\q और तुम ने उनके पीने के लिए दाखमधु डाला।
\q ताकि वे उठें और तुम्हारी सहायता करें;
\q उन्हें ही तुम्हारी रक्षा करनी चाहिए!
\s5
\v 39 परन्तु अब तुम जान लोगे कि मैं, केवल मैं ही परमेश्वर हूँ;
\q कोई अन्य देवता नहीं है जो असली परमेश्वर है।
\q मैं वह हूँ जो लोगों को मार सकता है और जो लोगों को जीवन भी दे सकता है;
\q मैं लोगों को घायल कर सकता हूँ, और मैं लोगों को चंगा कर सकता हूँ,
\q और कोई ऐसा नहीं है जो मुझे उन चीजों को करने से रोक सकता है।
\v 40 मैं स्वर्ग की ओर अपना हाथ उठाकर गंभीरता से घोषणा करता हूँ
\q कि जैसे यह निश्चित है कि मैं हमेशा जीवित हूँ, वैसे ही यह निश्चित है कि मैं कार्य करूंगा।
\s5
\v 41 जब मैं अपनी तलवार को तेज करता हूँ
\q और लोगों को दंडित करने के लिए तैयार होता हूँ,
\q मैं अपने दुश्मनों से बदला ले लूंगा,
\q और मैं उन लोगों से बदला लूंगा जो मुझसे घृणा करते हैं।
\s5
\v 42 मैं अपने सभी शत्रुओं को तलवार से मार डालूंगा;
\q ऐसा होगा जैसे मेरे तीर उनके खून से सने हुए हैं।
\q मैं उन सभी को मार दूँगा जिन्हें मैं पकड़ता हूँ
\q और उनके सिर काट डालूंगा।'
\s5
\v 43 हे सभी जातियों के लोगों, तुम्हें यहोवा के लोगों की प्रशंसा करनी चाहिए,
\q क्योंकि यहोवा उन लोगों से बदला लेते हैं जो उनकी सेवा करने वाले लोगों को मार देते हैं,
\q और वह अपने लोगों की भूमि को शुद्ध करते हैं
\q जो उनके पापों के कारण अशुद्ध हो गई है।"
\p
\s5
\v 44 यहोशू और मूसा ने यह गीत गाया, जबकि इस्राएली लोग सुन रहे थे।
\v 45 तब उन्होंने उनके लिए इस गीत को गाना समाप्त किया।
\s5
\v 46 मूसा ने कहा, “इन सभी आज्ञाओं को कभी न भूलें जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। इन नियमों को अपने बच्चों को सिखाओ, ताकि वे उन का ईमानदारी से पालन करें।
\v 47 ये निर्देश बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि तुम उनका पालन करते हो, तो तुम उस देश में लंबे समय तक जीवित रहोगे जिसे तुम यरदन नदी को पार करके कब्जा करने वाले हो।"
\p
\s5
\v 48 उसी दिन, यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 49 “यरीहो के पार मोआब के क्षेत्र में अबारीम पर्वत पर जाओ। नबो पहाड़ी पर चढ़ो और कनान को देखने के लिए पश्चिम की ओर देखो, जो देश मैं इस्राएलियों को देने जा रहा हूँ।
\s5
\v 50 तुम उस पहाड़ पर मर जाओगे, जैसे तुम्हारा बड़ा भाई हारून होर पर्वत पर मर गया था।
\v 51 तुम इसलिए मरोगे क्योंकि तुम दोनों ने इस्राएलियों की उपस्थिति में मेरी आज्ञा को नही माना, जब तुम सब सीन के जंगल में कादेश के पास मरीबा के झरनों के पास थे। इस्राएली लोगों की उपस्थिति में तुमने मेरा आदर और सम्मान नहीं किया जिसके मैं योग्य हूँ क्योंकि मैं परमेश्वर हूं।
\v 52 जब तुम उस पहाड़ पर होगे जहाँ मैंने तुम्हें जाने के लिए कहा था, तब तुम उस देश को अपने सामने दूर से देखोगे जिसे मैं इस्राएली लोगों को देने जा रहा हूँ, लेकिन तुम उसमें प्रवेश नहीं करोगे।"
\s5
\c 33
\p
\v 1 परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता मूसा की मृत्यु से पहले, उसने परमेश्वर से इस्राएली लोगों को आशीर्वाद देने के लिए कहा।
\v 2 उसने यह कहा:
\q “यहोवा आए और सीनै पर्वत पर हमसे बातें की;
\q वे ऐसे आए जैसे एदोम के क्षेत्र में सूर्य उगता है
\q और जैसे उनकी रोशनी हमारे ऊपर चमकी, जब हम सीनै पर्वत छोड़ने के बाद पारान पर्वत के पास रेगिस्तान में थे।
\q वह दस हजार स्वर्गदूतों के साथ आए,
\q और उनकी दाहिनी ओर ज्वलंत आग थी।
\s5
\v 3 यहोवा सचमुच अपने लोगों से प्रेम करते हैं
\q और उन सभी की रक्षा करते हैं जो उनके हैं।
\q इसलिए वे उनके सामने दण्डवत करते है,
\q और वे उनके निर्देशों को सुनते हैं।
\v 4 मैंने उन्हें मानने के लिए नियम दिए,
\q नियम जो हमेशा के लिए याकूब के वंशजों के लिए हैं।
\s5
\v 5 जब सभी गोत्र और उनके अगुवे एक साथ एकत्र हुए थे
\q तब यहोवा अपने इस्राएली लोगों के राजा बन गये।
\p
\v 6 मैं रूबेन के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q मैं चाहता हूँ कि उनका गोत्र कभी खत्म न हो,
\q लेकिन वे कभी भी गिनती में अधिक नहीं बनेंगे।
\p
\s5
\v 7 मैं यहूदा के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q हे यहोवा, जब वे सहायता के लिए पुकारते हैं तब उनकी सुनें;
\q और अन्य गोत्रों से अलग होने के बाद, उन्हें फिर से अन्य गोत्रों के साथ एकजुट करें।
\q उनके लिए लड़ें,
\q और उन्हें उनके दुश्मनों के विरुद्ध लड़ने में सहायता करें।
\p
\s5
\v 8 मैं लेवी के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q हे यहोवा, उन लोगों को जो आपको समर्पित हैं, उन्हें वे पवित्र पत्थर दें जिनका वे आपकी इच्छा जानने के लिए उपयोग करेंगे;
\q आपने रेगिस्तान में उस सोते के पास जिसे उन्होंने मस्सा और मरीबा नाम दिया, उनका परीक्षण किया
\q यह जानने के लिए कि क्या वे आपके प्रति वफादार रहेंगे या नहीं।
\s5
\v 9 लेवी के गोत्र ने जो आपने करने को कहा, वह किया है
\q और इस्राएल के लोगों के साथ की गयी आपकी प्रतिज्ञा का पालन किया;
\q भाई-बहनों और माता-पिता और बच्चों की तुलना में
\q वे नियम उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण थे।
\s5
\v 10 लेवी के गोत्र के लोग इस्राएलियों को आपके नियमों और विधियों को सिखाएंगे,
\q और वही लोग धूप जलाएंगे और वेदी पर बलिदानों को पूरी तरह जलाएंगे, जिन्हें लोग लाते है।
\s5
\v 11 यहोवा, उनके काम को आशीर्वाद दें
\q और वे जो भी करते हैं उसे स्वीकार करें।
\q अपने सभी दुश्मनों का नाश करें;
\q उनके दुश्मनों को फिर से उनके विरुद्ध लड़ने में सक्षम होने की अनुमति न दें।
\p
\s5
\v 12 मैं बिन्यामीन के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q इस गोत्र से यहोवा प्रेम करते हैं;
\q वे उन्हें सुरक्षित रखते हैं।
\q वे लगातार उनकी रक्षा करते हैं,
\q और वे उनकी पहाड़ियों के बीच रहते हैं।
\p
\s5
\v 13 मैं यूसुफ के गोत्रों के विषय में यह कहता हूं:
\q मैं चाहता हूँ कि यहोवा आकाश से बारिश और भूमि के नीचे से गहरा जल देकर
\q उनकी भूमि को आशीर्वाद दें।
\s5
\v 14 मैं चाहता हूँ कि यहोवा सूर्य से पके हुए अच्छे फल देकर
\q और सही महीनों में अच्छी फसल देकर उनकी भूमि को आशीर्वाद दें।
\v 15 मैं चाहता हूँ कि यहोवा उन्हें वे बहुत अच्छे फल दें जो उनके प्राचीन पहाड़ों के वृक्षों पर उगेंगे।
\s5
\v 16 मैं चाहता हूँ कि यहोवा उनकी भूमि को आशीर्वाद दें और वे भूमि को बहुत अच्छी फसलों से भर दे।
\q मैं चाहता हूँ कि यहोवा उन सभी तरीकों से यूसुफ के गोत्रों को आशीर्वाद दें,
\q क्योंकि वह मिस्र में अपने बड़े भाइयों पर शासक था।
\s5
\v 17 यूसुफ के वंशज बैल के समान मजबूत होंगे;
\q अपने हथियारों से वे अपने दुश्मनों को घायल कर देंगे जैसे जंगली बैल अन्य जानवरों को अपने सींगों से घायल करता है।
\q वे सभी अन्य समूहों को,
\q पृथ्वी के सबसे दूरस्थ स्थानों पर ढकेलेंगे।
\q यूसुफ के दो पुत्रों के वंशज,
\q एप्रैम के गोत्र के दस हजार और मनश्शे के गोत्र के हजारों यही करेंगे।
\p
\s5
\v 18 मैं जुबुलून और इस्साकार के गोत्रों के विषय में यह कहता हूं:
\q मेरी इच्छा है कि जबूलून के लोग समुद्र यात्रा में समृद्ध हों,
\q और इस्साकार के लोग घर पर रहते हैं और अपने मवेशियों और फसलों का ख्याल रखते हैं, समृद्ध हों।
\v 19 वे अन्य इस्राएली गोत्रों के लोगों को पहाड़ पर आमंत्रित करेंगे जहाँ वे यहोवा की आराधना करेंगे,
\q और वे उसे सही बलिदान चढ़ाएगे।
\q वे समुद्र से किए गए व्यापार से
\q और समुद्र तट की रेत के उपयोग से चीजें बनाकर समृद्ध हो जाएंगे।
\p
\s5
\v 20 मैं गाद के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q यहोवा की स्तुति करो, जिन्होंने उनके क्षेत्र को बड़ा बनाया है।
\q उनके गोत्र के लोग अपने दुश्मनों पर शेर के समान हमला करेंगे,
\q जो किसी जानवरों के हाथ या खोपड़ी को फाड़ने की प्रतीक्षा कर रहा है।
\s5
\v 21 उन्होंने अपने लिए भूमि का सबसे अच्छा भाग चुना;
\q भूमि का बड़ा हिस्सा, ऐसा भाग जो एक अगुवे को दिया जाना चाहिए, उन्हें बांट कर दिया गया था।
\q जब इस्राएल के गोत्रों के अगुवे एक साथ एकत्र हुए,
\q तब उन्होंने निर्णय किया कि गाद के गोत्र को भूमि का एक बड़ा भाग मिलना चाहिए।
\q गाद के गोत्र ने यहोवा के आदेशों और उन बातों का पालन किया जिन्हें यहोवा ने तय किया कि उन्हें करना चाहिए।
\p
\s5
\v 22 मैं दान के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q दान के गोत्र के लोग जवान शेर के समान हैं;
\q वे अपने दुश्मनों पर हमला करने के लिए बाशान के क्षेत्र में अपनी गुफाओं से बाहर निकलते हैं।
\p
\s5
\v 23 मैं नप्ताली के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q नप्ताली के गोत्र के लोगों को यहोवा ने आशीर्वाद दिया है, जो उनके प्रति बहुत दयालु हैं;
\q उनकी भूमि गलील झील से दूर दक्षिण तक फैली हुई है।
\p
\s5
\v 24 मैं आशेर के गोत्र के विषय में यह कहता हूं:
\q यहोवा आशेर के वंशजों को अन्य गोत्रों से अधिक आशीर्वाद देंगे।
\q यहोवा अन्य गोत्रों से अधिक उनका पक्ष लेगे।
\q मेरी इच्छा है कि उनकी भूमि जैतून के पेड़ों से भर जाए जिनसे जैतून का तेल बनाने के लिए बहुत जैतून का उत्पादन होगा।
\v 25 उनके नगर ऊँची दीवारों से और द्वारों से संरक्षित किए जाएंगे जो कांस्य और लौह के बने हैं;
\q मैं चाहता हूँ जब तक वे जीवित रहते हैं तब तक कोई उनको हानि न पहुंचाए।
\s5
\v 26 हे इस्राएल के लोग, तुम्हारे परमेश्वर के समान कोई ईश्वर नहीं है,
\q जो तुम्हारी सहायता करने के लिए आकाश में शानदार रूप से सवारी करते हैं।
\s5
\v 27 परमेश्वर, जो सर्वदा रहते हैं, वही तुमको शरण देते हैं;
\q ऐसा लगता है कि वे तुम्हें सहारा देने के लिए अपनी सनातन भुजाएँ तुम्हारे नीचे रखते हैं।
\q जब तुम आगे बड़ते हो तब वह तुम्हारे दुश्मनों को बाहर निकाल देगे;
\q उन्होंने तुमको उन सभी को नष्ट करने के लिए कहा है।
\s5
\v 28 तब तुम इस्राएली लोग सुरक्षित रहोगे;
\q याकूब के वंशज दूसरों के द्वारा परेशान नहीं किए जाएंगे;
\q उस देश में जहाँ तुम रहोगे, वहाँ बहुत सारा अनाज और दाखमधु होगा,
\q और आकाश से बहुत बारिश होगी।
\s5
\v 29 हे इस्राएल के लोग, तुम कितने भाग्यशाली हो।
\q निश्चित रूप से तुम्हारी जाति के समान कोई जाति नहीं है,
\q जिन्हें यहोवा ने मिस्र में दास होने से बचाया है।
\q वह तुम्हारी रक्षा के लिए ढाल के समान होगा
\q और तुम्हें अपने दुश्मनों को हराने में सक्षम बनाने के लिए, वे तलवार के समान होंगे।
\q तुम्हारे दुश्मन तुम्हारे पास आकर उनके प्रति दया से कार्य करने के लिए तुमसे भीख मांगेंगे,
\q लेकिन तुम उनकी पीठ को रौंदोगे।"
\s5
\c 34
\p
\v 1 तब मूसा मोआब के मैदान से नबो पर्वत पर चढ़ गया, जो पिसगा पर्वत का सबसे ऊंचा शिखर था, जो यरीहो के सामने यरदन नदी के पार है। वहाँ यहोवा ने उसे वह सारी भूमि दिखाई जिस पर इस्राएली कब्जा करेंगे। उन्होंने उसे उत्तर में दान के शहर तक का गिलाद का सारा क्षेत्र दिखाया;
\v 2 सारी भूमि जिस पर नप्ताली का गोत्र कब्जा करेगा; सारी भूमि जिस पर एप्रैम और मनश्शे के गोत्रों ने कब्जा कर लिया था; वह सारी भूमि जिस पर यहूदा का गोत्र कब्जा कर लेगा जो पश्चिम में भूमध्य सागर तक;
\v 3 यहूदा के दक्षिण भाग का रेगिस्तानी क्षेत्र; और यरदन की घाटी जो उत्तर में यरीहो से दक्षिण में सोअर शहर तक फैली हुई है।
\s5
\v 4 तब यहोवा ने उस से कहा, “अब तुमने इस देश को देखा है जिसके विषय में मैंने अब्राहम, इसहाक और याकूब से ईमानदारी से वादा किया था, कि ‘मैं इसे तुम्हारे वंशजों को दूँगा।’ मैंने तुमको इसे दूर से देखने की अनुमति दी है, लेकिन तुम वहाँ नहीं जाओगे।"
\p
\v 5 इसलिए मूसा, जिसने हमेशा ईमानदारी से यहोवा की सेवा की थी, वहाँ मोआब देश में मर गया, जैसा यहोवा ने कहा था।
\v 6 यहोवा ने मोआब देश की घाटी में, बेतपोर शहर के सामने मूसा के शरीर को दफनाया, परन्तु आज तक कोई नहीं जानता कि उसे कहाँ दफनाया गया है।
\s5
\v 7 मूसा की जब मृत्यु हुई उसकी आयु 120 वर्ष थी, लेकिन वह अभी भी बहुत मजबूत था, और वह अब भी बहुत अच्छी तरह से देख सकता था।
\v 8 इस्राएलियों ने मोआब के मैदानों में तीस दिनों तक उसके लिए शोक किया।
\p
\s5
\v 9 परमेश्वर ने यहोशू को बहुत बुद्धिमान बना दिया, क्योंकि मूसा ने यहोशू पर अपना हाथ रखकर उसे उनका नया अगुवा होने के लिए नियुक्त किया था। इस्राएली लोगों ने यहोशू की आज्ञा का पालन किया, और उन्होंने उन सभी आज्ञाओं का पालन किया जिन्हें यहोवा ने मूसा को इस्राएलियों को बताने के लिए दिए थे।
\p
\s5
\v 10 मूसा के जीवन काल के समय तक, इस्राएल में उसके जैसा कोई भविष्यद्वक्ता नहीं था, क्योंकि यहोवा ने उसके साथ आमने-सामने बातें की थी।
\v 11 किसी अन्य भविष्यद्वक्ता ने वैसे सभी प्रकार के शक्तिशाली चमत्कार नहीं किए जिन्हें यहोवा ने मिस्र के राजा फ़िरौन के विरुद्ध, उसके सभी कर्मचारियों के विरुद्ध और मिस्र के लोगों के विरुद्ध मूसा द्वारा किये थे।
\v 12 कोई अन्य भविष्यद्वक्ता मूसा के किए गए सभी महान और भयानक कर्मों को करने में सक्षम नहीं हुआ, जो उसने सभी इस्राएलियों की आँखों के सामने किए थे।