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\id NUM Unlocked Dynamic Bible
\ide UTF-8
\h गिनती
\toc1 गिनती
\toc2 गिनती
\toc3 num
\mt1 गिनती
\s5
\c 1
\p
\v 1 इस्राएली लोगों के मिस्र छोड़ने के बाद वर्ष के दूसरे महीने में, यहोवा ने मूसा से बात की, जब वह सीनै के जंगल में पवित्र तम्बू में था। यहोवा ने उससे कहा,
\v 2 “इस्राएल के प्रत्येक परिवार के इस्राएली पुरुषों को उनके नाम के अनुसार गिनो।
\v 3 तुम्हें और हारून को उन लोगों की गिनती करनी है, जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के हो, जो सेना में सैनिकों के रूप में सेवा कर सकते हैं। उनके कुलों और परिवारों के नाम के साथ उन पुरुषों की संख्या लिखो।
\s5
\v 4 मैंने तुम्हारी सहायता करने के लिए प्रत्येक गोत्र में से एक-एक व्यक्ति को चुना है। प्रत्येक व्यक्ति अपने कुल का प्रधान होना चाहिए।
\q
\v 5-6 उनके नाम हैं:
\q1 रूबेन के गोत्र में से शदेऊर का पुत्र एलीसूर;
\q शिमोन के गोत्र में से सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल;
\p
\s5
\v 7-9 यहूदा के गोत्र में से अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन;
\q1 इस्साकार के गोत्र में से, सूआर का पुत्र नतनेल;
\q1 जबूलून के गोत्र में से हेलोन का पुत्र एलीआब;
\p
\s5
\v 10-11 यूसुफ के पुत्र एप्रैम के गोत्र में से अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा;
\q1 यूसुफ के पुत्र मनश्शे के गोत्र में से पदासूर का पुत्र गम्लीएल;
\q1 बिन्यामीन के गोत्र में से गिदोनी का पुत्र अबीदान;
\p
\s5
\v 12-15 दान के गोत्र में से अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर;
\q आशेर के गोत्र में से ओक्रान का पुत्र पगीएल;
\q गाद के गोत्र में से दूएल का पुत्र एल्यासाप;
\q नप्ताली के गोत्र में से एनान का पुत्र अहीरा। “
\p
\s5
\v 16 ये वे पुरुष थे जिन्हें यहोवा ने लोगों में से चुना था। वे अपने-अपने गोत्र के प्रधान थे। वे इस्राएली लोगों के कुलों के मुख्य पुरुष थे।
\p
\s5
\v 17 हारून और मूसा ने इन सभी प्रधानों को बुलाया,
\v 18 और उन्होंने उसी दिन सभी लोगों को इकट्ठा किया। उन्होंने उन सभी पुरुषों के नाम सूचीबद्ध किए जो कम से कम 20 वर्ष के थे, और उनके नामों के साथ उन्होंने उनके कुलों और उनके परिवार के समूहों के नाम लिखे
\v 19 जैसे मूसा ने आज्ञा दी थी। उन्होंने इन नामों को लिखा, जब इस्राएली सीनै के जंगल में थे।
\p
\s5
\v 20-21 रूबेन ( याकूब का सबसे बड़ा पुत्र ) के गोत्र से 46,500 पुरुष थे, जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 22-23 शिमोन के गोत्र में से 59,300 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 24-25 गाद के गोत्र से 45,650 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 26-27 यहूदा के गोत्र में से 74,600 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 28-29 इस्साकार के गोत्र में से 54,400 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 30-31 जबूलून के गोत्र में से 57,400 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 32-33 एप्रैम के गोत्र में 40,500 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 34-35 मनश्शे के गोत्र में से 32,200 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 36-37 बिन्यामीन के गोत्र में से 35,400 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 38-39 दान के गोत्र में से 62,700 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 40-41 आशेर के गोत्र में 41,500 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 42-43 नप्ताली के गोत्र से 53,400 पुरुष थे जो कम से कम बीस वर्ष की आयु के थे और युद्ध में लड़ने के लिए सक्षम थे। वे उनके नाम, उनके कुलों और उनके परिवार समूहों द्वारा सूचीबद्ध थे।
\p
\s5
\v 44-45 यह प्रत्येक गोत्र के पुरुषों की संख्या थी, जो हारून और मूसा और इस्राएल के गोत्रों के बारह प्रधानों ने उनके कुलों के नामों के साथ सूचीबद्ध किया था।
\v 46 कुल 603,550 पुरुष थे।
\p
\s5
\v 47 लेकिन इस संख्या में लेवी के गोत्र के पुरुषों के नाम शामिल नहीं थे,
\v 48 क्योंकि यहोवा ने मूसा से कहा था,
\v 49 “जब तुम इस्राएल के गोत्रों के पुरुषों की गिनती करते हो, तो लेवी गोत्र के पुरुषों की गणना मत करना।
\s5
\v 50 पवित्र तम्बू और संदूक जिसमें वे पटियाएँ हैं जिन पर दस आज्ञाएं लिखी गई हैं, देखभाल करने के लिए लेवी के पुरुष वंशजों को नियुक्त कर। उन्हें तम्बू के अंदर की अन्य चीजों की भी देखभाल करनी है। जब तुम यात्रा करते हो, तो यही लोग पवित्र तम्बू और उसके अंदर की सभी चीजों को उठाएं, और इसकी देखभाल करें और इसके चारों ओर अपने तम्बू स्थापित करें।
\s5
\v 51 जब भी, तुम सभी के लिए, दूसरे स्थान पर जाने का समय होता है, लेवी के वंशज ही पवित्र तम्बू को गिरा दें। और जब यात्रा समाप्त करने का समय हो, तो उन्हें ही इसे फिर से स्थापित करना होगा। इस काम को करने के लिए पवित्र तम्बू के पास जाने वाले किसी अन्य व्यक्ति को मार डाला जाना चाहिए।
\v 52 प्रत्येक इस्राएली गोत्र के लोग अपने तम्बू को अपने क्षेत्र में स्थापित करें, और वे एक झंडा स्थापित करें जो उनके गोत्र का प्रतीक हो।
\s5
\v 53 परन्तु लेवी के पुरुष वंशजों को पवित्र तम्बू के चारों ओर अपने तम्बू स्थापित करना चाहिए ताकि अन्य इस्राएली लोगों को पवित्र तम्बू के निकट आने के कारण यहोवा के दण्ड से बचा सकें। लेवी के वंशजों को पवित्र तम्बू को संरक्षित करने के लिए उसके चारों ओर खड़े रहना चाहिए। “
\p
\v 54 तब इस्राएलियों ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
\s5
\c 2
\p
\v 1 तब यहोवा ने हारून और मूसा से यह कहा,
\v 2 “जब इस्राएली अपने तम्बू स्थापित करते हैं, तो उन्हें पवित्र तम्बू के चारों ओर के इलाकों में स्थापित करना है, लेकिन उसके समीप नहीं। प्रत्येक गोत्र के लोगों को अपने तम्बू को एक अलग क्षेत्र में स्थापित करना है। प्रत्येक गोत्र को अवश्य ही उस क्षेत्र में एक झंडा लगाना है, जो उनके गोत्र की पहचान कराता हो।
\s5
\v 3-4 यहूदा के गोत्र के लोगों को अपने तम्बू को पवित्र तम्बू के पूर्व की ओर, अपने गोत्र के झंडे के निकट स्थापित करना है। अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन यहूदा के गोत्र के 74,600 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 5-6 इस्साकार के गोत्र के लोग यहूदा के बगल में अपने तम्बू बनाएंगे। सूआर का पुत्र नतनेल इस्साकार के गोत्र के 54,400 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 7-8 जबूलून के गोत्र के लोग इस्साकार के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। हेलोन का पुत्र एलीआब, जबूलून के गोत्र के 57,400 पुरुषों पर प्रधान होगा।
\p
\s5
\v 9 इस प्रकार पवित्र तम्बू के पूर्व की ओर 1,86,400 सैनिक होंगे। जब भी इस्राएली एक नए स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं, तो इन तीन गोत्रों को दूसरों के आगे जाना चाहिए।
\li
\s5
\v 10-11 रूबेन के गोत्र को अपने तम्बू पवित्र तम्बू के दक्षिण की ओर अपने गोत्र के झंडे के निकट स्थापित करना है। शदेऊर के पुत्र एलीसूर रूबेन के गोत्र के 46,500 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 12-13 शिमोन के गोत्र के लोग रूबेन के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल शिमोन के गोत्र के 59,300 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 14-15 गाद के गोत्र के लोग शिमोन के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। रूएल का पुत्र एल्यासाप गाद के गोत्र के 45,650 पुरुषों का प्रधान होगा।
\p
\s5
\v 16 इस प्रकार पवित्र तम्बू के दक्षिण की ओर 1,51,450 सैनिक होंगे। जब इस्राएली यात्रा करते हैं तो यह तीन गोत्र पहले समूह का पीछा करेंगे।
\p
\s5
\v 17 उस समूह के पीछे लेवी के वंशज चलेंगे, जो पवित्र तम्बू ले जाएंगे। इस्राएली उसी क्रम में कूच करेंगे जैसे वे हमेशा अपने तम्बू स्थापित करते हैं। प्रत्येक गोत्र अपना झंडा उठाएगा।
\li
\s5
\v 18-19 एप्रैम के गोत्र को अपने तम्बू पवित्र तम्बू के पश्चिम की ओर अपने झंडे के निकट स्थापित करना है। अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा एप्रैम के गोत्र के 40,500 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 20-21 मनश्शे के गोत्र के लोग एप्रैम के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। पदासूर का पुत्र गम्लीएल मनश्शे के गोत्र के 32,200 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 22-23 बिन्यामीन के गोत्र के लोग मनश्शे के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। गिदोनी का पुत्र अबीदान, बिन्यामीन के गोत्र के 35,400 पुरुषों का प्रधान होगा।
\p
\s5
\v 24 इस प्रकार पवित्र तम्बू के पश्चिमी ओर 1,08,100 सैनिक होंगे। यह तीन गोत्रों को लेवी के वंशजों के पीछे दूसरे समूह का पीछा करेंगे।
\li
\s5
\v 25-26 दान के गोत्र को अपने तम्बू, पवित्र तम्बू के उत्तर की ओर अपने झंडे के निकट स्थापित करना है। अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर दान के गोत्र के 62,700 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 27-28 आशेर के गोत्र के लोग दान के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। ओक्रान के पुत्र पगीएल, आशेर के गोत्र के 41,500 पुरुषों का प्रधान होगा।
\li
\s5
\v 29-30 नप्ताली के गोत्र के लोग आशेर के बगल में अपने तम्बू लगाएंगे। एनान के पुत्र अहीरा, नप्ताली के गोत्र के 53,400 पुरुषों का प्रधान होगा।
\p
\s5
\v 31 इस प्रकार पवित्र तम्बू के उत्तर की ओर 1,57,600 सैनिक होंगे। यह तीन गोत्र आखिरी रहेंगे। जब इस्राएली यात्रा करते हैं तो उन्हें अपना झंडे उठाना होगा।
\p
\s5
\v 32 इस प्रकार 6,03,550 इस्राएली पुरुष थे, जो लड़ने के लिए सक्षम थे, जो अपने परिवार के पूर्वजों के अनुसार सूचीबद्ध किए गए थे।
\v 33 परन्तु जैसा यहोवा ने आज्ञा दी थी, लेवी के वंशजों के नाम शामिल नहीं किए गए थे।
\p
\s5
\v 34 इस्राएलियों ने वह सब कुछ किया जो यहोवा ने मूसा से कहा था। उन्होंने अपने तम्बू अपने गोत्र के झंडे के निकट स्थापित किए, और जब वे एक नए स्थान पर गए, तो वे अपने कुलों और परिवार समूहों के साथ ही चले।
\s5
\c 3
\p
\v 1 ये कुछ बातें हैं जो हारून और मूसा के साथ हुईं जब यहोवा ने सीनै पर्वत पर मूसा से बातें की।
\p
\v 2 हारून के चार बेटे थे। सबसे बड़ा नादाब, फिर अबीहू, फिर एलीआजार और छोटा ईतामार था।
\s5
\v 3 ये हारून के पुत्रों के नाम हैं जो अभिषिक्त याजक थे और याजक के रूप में अलग किए गए थे और जिन्हें उसने याजक के रूप में सेवा करने के लिए नियुक्त किया था।
\v 4 परन्तु जब यहोवा देख रहा था, तब नादाब और अबीहू की मृत्यु सीनै के जंगल में हुई क्योंकि उन्होंने धूप को जलाकर यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन किया। उनके पुत्र नहीं थे, इसलिए एलीआजार और ईतामार हारून के शेष पुत्र थे, जो अपने पिता हारून के साथ याजक बनने के लिए बच गए थे।
\p
\s5
\v 5 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 6 “लेवी के गोत्र के लोगों को लाओ और उन्हें हारून के पास प्रस्तुत करो, ताकि वे उसकी सहायता कर सकें।
\s5
\v 7 वे हारून और अन्य सभी इस्राएली लोगों की सेवा करेंगे, जब वे पवित्र तम्बू के अंदर और उसके बाहर अपना काम करेंगे।
\v 8 उन्हें पवित्र तम्बू के अंदर की सारी चीजों की देखभाल करके सभी इस्राएली लोगों की सेवा करनी चाहिए।
\s5
\v 9 उन्हें हारून और उसके दोनों बेटों की सहायता करने के लिए नियुक्त करो। मैंने उन्हें सभी इस्राएली लोगों में से ऐसा करने के लिए चुना है।
\v 10 हारून और उसके दोनों बेटों को याजक के काम करने के लिए नियुक्त करो। लेकिन अन्य कोई भी, जो इस काम को करने के लिए पवित्र तम्बू के निकट आता है उसे मार डाला जाए।
\p
\s5
\v 11 यहोवा ने मूसा को यह भी बताया,
\v 12 “ध्यान दें कि सभी इस्राएली लोगों में से मैंने लेवी के गोत्र के लोगों को इस्राएलियों के सभी पहिलौठे पुत्रों का स्थान लेने के लिए चुना है। लेवी के पुरुष वंशज मेरे हैं,
\v 13 क्योंकि वास्तव में सभी पहिलौठे पुरुष मेरे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस दिन मैंने मिस्र के लोगों के सभी पहिलौठे पुत्रों को मार डाला था, उसी दिन मैंने इस्राएलियों के सभी पहिलौठे पुत्रों को बचाया और उन्हें अपने लिए अलग कर दिया। मैंने तुम्हारे घरेलू नर पशुओं के पहिलौठों को भी अलग कर दिया। वे यहोवा के हैं।”
\p
\s5
\v 14 यहोवा ने सीनै के जंगल में फिर से मूसा से बातें की। उसने कहा,
\v 15 “लेवी के गोत्र के पुरुष सदस्यों की गणना करो। उनके नाम और उनके कुलों और परिवार समूहों के नाम लिखो। उन सभी पुरुषों की गणना करो जो कम से कम एक महीने के हैं।”
\v 16 इसलिए मूसा ने उन्हें गिना, जैसा यहोवा ने आज्ञा दी थी।
\p
\s5
\v 17 लेवी के तीन पुत्र थे, जिनके नाम गेर्शोन, कहात और मरारी थे।
\p
\v 18 गेर्शोन के दो बेटे, लिब्नी और शिमी थे। उन कुलों के नाम जो उनके वंशज थे, इन दो बेटों के नाम पर दिए गए थे।
\p
\v 19 कहात के चार बेटे, अम्राम, यिसहार, हेब्रोन, और उज्जीएल थे। उन कुलों के नाम जो उनके वंशज थे, इन चार बेटों के नाम पर दिए गए थे।
\p
\v 20 मरारी के दो बेटे, महली और मूशी थे। उन कुलों के नाम जो उनके वंशज थे, इन दो बेटों के नाम पर दिए गए थे।
\q यही कुल थे जो लेवी से निकले थे।
\p
\s5
\v 21 गेर्शोन से जो दो कुल निकले, वे उसके पुत्र लिब्नी और शिमी से निकले थे।
\v 22 उन दो कुलों में 7,500 पुरुष थे जो कम से कम एक महीने के थे।
\v 23 उन्हें पवित्र तम्बू के पश्चिमी किनारे पर अपने तम्बू स्थापित करने के लिए कहा गया था।
\s5
\v 24 उन दो कुलों का प्रधान लाएल का पुत्र एल्यासाप था।
\v 25 उनका काम पवित्र तम्बू की देखभाल करना था, जिसमें इसके पर्दे और उसका आवरण और प्रवेश द्वार के पर्दे,
\v 26 वे पर्दे जो तम्बू के चारों ओर और वेदी के चारों ओर के आंगन के चारों ओर दीवारों का निर्माण करते थे, वे पर्दे जो आंगन के प्रवेश द्वार पर थे, और तम्बू को खड़ा करने के लिए जो रस्सियां थीं शामिल थे। उन्होंने पवित्र तम्बू के बाहर की चीजों की देखभाल करने के सभी काम भी किए।
\p
\s5
\v 27 कहात से जो कुल निकले वे उसके पुत्र अम्राम, यिसहार, हेब्रोन, और उज्जीएल से निकले थे।
\v 28 उन चार कुलों में 8,600 पुरुष थे जो कम से कम एक महीने के थे। कुलों के पुरुषों का काम पवित्र तम्बू के अंदर की चीजों की देखभाल करना था।
\v 29 उन्होंने पवित्र तम्बू के दक्षिण की ओर अपने तम्बू लगाए।
\s5
\v 30 उन चार कुलों का प्रधान उज्जीएल के पुत्र एलीसापान था।
\v 31 उन कुलों के पुरुषों का काम पवित्र सन्दूक की देखभाल करना था, मेज जिस पर याजक पवित्र रोटी रखते हैं, दीवट, वेदियां, सभी वस्तुएं जो याजक पवित्र तम्बू में इस्तेमाल करते थे, और तम्बू के अंदर के पर्दे। उनका काम तम्बू के अंदर की चीजों की भी देखभाल करना था।
\p
\v 32 हारून का पुत्र एलीआजार लेवी के सभी पुरुष वंशजों का प्रधान था। वह पवित्र तम्बू में किए जाने वाले सभी कामों की देखरेख करता था।
\p
\s5
\v 33 मरारी से जो कुल निकले वे उसके पुत्र महली और मूशी से निकले थे।
\v 34 उन दो कुलों में 6,200 पुरुष थे जो कम से कम एक महीने के थे।
\v 35 उन्हें पवित्र तम्बू के उत्तर की ओर अपने तम्बू स्थापित करने के लिए कहा गया था। उन दो कुलों का प्रधान अबीहैल का पुत्र सूरीएल था।
\s5
\v 36 उन दो कुलों के पुरुषों का काम तम्बू को खड़ा करने वाले तख्ते, बेंड़े, खम्भे आदि की देखभाल करना था। उन्होंने उन सभी कार्यों को भी किया जो इन वस्तुओं से जुड़े थे।
\v 37 उनका काम उन खम्भों की जो आंगन में पर्दों से दीवारों का निर्माण करते थे, और उन सभी अड्डों, तम्बू के खूँटों और रस्सियों जिन से पर्दे बांधे जाते थे उनकी भी देखभाल करना था।
\p
\s5
\v 38 हारून और मूसा और हारून के पुत्रों को पूर्वी ओर पवित्र तम्बू के सामने के इलाके में अपने तम्बू लगाने के लिए कहा गया था। उनका काम इस्राएली लोगों के लाभ के लिए, पवित्र तम्बू के अन्दर-बाहर और आसपास किए जाने वाले कामों की निगरानी करना था। केवल याजकों को ऐसा करने की अनुमति थी। यहोवा ने घोषित किया कि यदि अन्य कोई भी याजक के काम करने के लिए तम्बू के पास जाता है, उसे मार डाला जाए।
\p
\v 39 जब हारून और मूसा ने उन सभी पुरुषों को गिना, जो कम से कम एक महीने की आयु के थे, जो लेवी कुलों से निकले थे, तो वे कुल बाईस हजार थे।
\p
\s5
\v 40 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “अब इस्राएल के सभी अन्य जवानों को गिनो जो कम से कम एक महीने की आयु के हैं, और उनके नाम लिखो।
\v 41 इसके अलावा, मेरे लिए लेवी के वंशजों को दूसरे इस्राएली लोगों के पहिलौठे पुरुषों के विकल्प बनने के लिए अलग करो। और मेरे लिए लेवी के वंशजों के पशुओं को अन्य इस्राएली लोगों के पहिलौठे पशुधन के विकल्प के लिए चुन लो। “
\p
\s5
\v 42 इस प्रकार मूसा ने ऐसा ही किया। उसने सभी इस्राएली लोगों के पहिलौठे पुरुषों की गिनती की, जैसा कि यहोवा ने आज्ञा दी थी।
\v 43 उनमें से जो कम से कम एक महीने की आयु के थे वे कुल 22,273 थे।
\p
\s5
\v 44 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 45 “लेवी के वंशजों को इस्राएली लोगों के पहिलौठे पुरुषों के लिए विकल्प बनने के लिए अलग करो। लेवी के वंशज यहोवा के हैं।
\s5
\v 46 लेवी के वंशजों की तुलना में अन्य इस्राएली लोगों के 273 पहिलौठे पुरुष अधिक थे।
\v 47-48 इन 273 पुरुषों के लिए भुगतान करने के लिए, उनमें से प्रत्येक के लिए चाँदी के पांच टुकड़े इकट्ठा करो। इन चाँदी के टुकड़ों में से प्रत्येक का वजन पवित्र तम्बू में रखे चाँदी के टुकड़ों के समान ही वजन होना चाहिए। इस चाँदी को हारून और उसके पुत्रों को दो। “
\p
\s5
\v 49 तब मूसा ने ऐसा ही किया। उन्होंने उन 273 पुरुषों से चाँदी एकत्र की।
\v 50 कुल चाँदी के 1,365 टुकड़े थे। प्रत्येक चाँदी के टुकड़े का वजन पवित्र तम्बू में रखे चाँदी के टुकड़े के समान था।
\v 51 मूसा ने इन चाँदी के टुकड़ों को हारून और उसके पुत्रों को दिया, जैसा कि यहोवा ने आज्ञा दी थी।
\s5
\c 4
\p
\v 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “उन लोगों के नाम लिखो जो कहात से निकलने वाले कुलों से संबंधित हैं।
\v 3 उन पुरुषों के नाम लिखो जो 30 से 50 वर्ष के बीच के हैं। ये ऐसे पुरुष होंगे जो पवित्र तम्बू में काम करेंगे।
\p
\v 4 कहात के इन वंशजों का काम उन पवित्र वस्तुओं की देखभाल करना होगा जिनका उपयोग तब किया जाता है, जब लोग पवित्र तम्बू में आराधना करते हैं।
\s5
\v 5 जब आप इस्राएली दूसरे स्थान पर जाते हैं, तो हारून और उसके पुत्रों को उस तम्बू में प्रवेश करके पर्दे को उतारना है जो पवित्र स्थान को अति पवित्र स्थान से अलग करता है। उन्हें उस पर्दे से पवित्र सन्दूक को ढांकना है।
\v 6 फिर उन्हें चमड़े की खाल से बने आवरण से उसे ढांकना है। उसके ऊपर वे एक नीला कपड़ा फैलाएं। फिर वे सन्दूक के छल्ले में से खम्भे डाल कर उसे उठाएं।
\p
\s5
\v 7 तब उन्हें उस मेज पर एक नीला कपड़ा डालना चाहिए जिस पर याजक रोटी को परमेश्वर के सामने प्रदर्शित करने के लिए रखते हैं। कपड़े के ऊपर उन्हें धूप के कटोरों, करछों, अन्य बर्तनों, दाखरस के लिए मर्तबान, जो बलिदान के रूप में चढ़ाया जाएगा, और पवित्र रोटी रखनी चाहिए।
\v 8 इन सब के ऊपर उन्हें एक लाल रंग का कपड़ा फैलाना चाहिए। अंत में, इनके ऊपर उन्हें चमड़े की खाल से बने आवरण डालना होगा। तब वे मेजों के कोनों के छल्ले में से खम्भे डाल कर उसे उठाएं।
\p
\s5
\v 9 फिर एक और नीले कपड़े से उन्हें दीवट, दीपकों, गुलतराशों और गुलदानों, और दीपक को जलाने के लिए जैतून के तेल के विशेष मर्तबानों को ढांकना चाहिए।
\v 10 उन्हें दीवट और अन्य सभी वस्तुओं को चमड़े की खाल से बने आवरण से ढांकना होगा। उन्हें इन सभी चीजों को ले जाने के लिए एक ढाँचे पर रखना होगा।
\p
\v 11 तब उन्हें सोने की वेदी पर जो धूप जलाने के लिए प्रयोग किया जाता है, एक और नीला कपड़ा फैलाना है। इसके ऊपर उन्हें चमड़े की खाल से बने एक आवरण को फैलाना है। तब उन्हें उस वेदी के छल्ले में से खम्भे को डालकर उठाना चाहिए।
\p
\s5
\v 12 उन्हें पवित्र तम्बू के अंदर की सभी अन्य वस्तुओं को लेना चाहिए और उन्हें नीले रंग के कपड़े में लपेटना चाहिए, फिर उसे चमड़े की खाल से बने आवरण से ढकें और इसे ले जाने के लिए ढाँचे पर रख दें।
\p
\v 13 तब उन्हें वेदी से जिस पर उन्होंने बलि चढ़ाया है राख को हटा देना चाहिए। तब फिर उन्हें वेदी को बैंगनी कपड़े से ढांकना चाहिए।
\v 14 तब उन्हें कपड़े के ऊपर सभी सामानों को जो वेदी पर इस्तेमाल किए जाते हैं फैलाना चाहिए-गर्म कोयले रखने वाले बर्तन, मांस उठाने वाले कांटे, फावड़े, कटोरे जिसमें लोगों के ऊपर छिड़कने के लिए लहू रखा जाता है, और सभी अन्य बर्तन। तब उन्हें उन सभी चीज़ों पर चमड़े की खाल से बने आवरण को फैलाना चाहिए। तब उन्हें वेदी के किनारों पर लगे छल्ले में से खम्भे डालकर उठाना चाहिए।
\p
\s5
\v 15 जब हारून और उसके पुत्र इन सभी पवित्र चीज़ों को ढकना पूरा कर लें, तो इस्राएली लोग एक नए स्थान पर जाने के लिए तैयार होंगे। कहात के वंशज आकर सभी पवित्र वस्तुओं को अगले स्थान पर ले जाए जहाँ इस्राएली अपने तम्बू स्थापित करेंगे। लेकिन कहात के वंशजों को इनमें से किसी भी पवित्र वस्तु को छूना नहीं चाहिए, क्योंकि अगर वे उन्हें छूते हैं तो वे तुरंत मर जाएंगे। वे ही इन चीजों को ले जाएंगे, लेकिन वे उन्हें न छूएँ।
\p
\v 16 हारून का पुत्र एलीआजार दीपक के लिए जैतून का तेल, सुगंधित धूप, आटा जो हर दिन वेदी पर जलाया जाएगा, और जैतून का तेल जो याजकों को अभिषेक करने के लिए है, उन सभी चीजों की देख-रेख करने का काम करेगा। एलीआजार ही है जो पवित्र तम्बू में किए जाने वाले काम और उसके सभी वस्तुओं की देख-रेख करने वाले लोगों की निगरानी करेगा।"
\p
\s5
\v 17 तब यहोवा ने हारून और मूसा से कहा,
\v 18-20 “जब कहात के वंशज पवित्र वस्तुओं को दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए पवित्र तम्बू में जाते हैं, तो हारून और उसके पुत्र हमेशा उनके साथ जाएँ और उनमें से प्रत्येक को दिखाएं कि क्या काम करना है और क्या चीजें लेना है। परन्तु कहात के वंशजों को किसी भी समय पवित्र तम्बू में प्रवेश नहीं करना है और उसमें की चीजों को नहीं देखना है। यदि वे ऐसा करते हैं, तो मैं कहात के सभी वंशजों को नष्ट कर दूँगा।"
\p
\s5
\v 21 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा,
\v 22 “गेर्शोन से निकलने वाले कुलों से संबंधित सभी पुरुषों के नाम लिखो।
\v 23 उन लोगों के नाम लिखो जो तीस से पचास वर्ष की आयु के बीच के हैं। वे पुरुष जो पवित्र तम्बू में भी काम करेंगे।
\p
\s5
\v 24 यह वह काम है जो उन्हें करना है और जब आप किसी नए स्थान पर जाते हैं तो उन्हें यह चीजें उठानी होंगी:
\v 25 उन्हें पवित्र तम्बू के पर्दे उठाना चाहिए। उन्हें पवित्र तम्बू और उन सभी चीजों को जो उसे ढाकती है ले जाना चाहिए, जिनमें चमड़े की खाल से बने बाहरी आवरण और पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार के पर्दे शामिल हैं।
\v 26 उन्हें उस पर्दे को भी ले जाना चाहिए जो पवित्र तम्बू और वेदी के चारों ओर के आंगन के चारों ओर दीवार बनाती है, आंगन के प्रवेश द्वार के पर्दे, और पर्दे को बांधने वाली रस्सियों को लेना चाहिए। उन्हें इन चीजों को बांधना और उठाना भी चाहिए।
\s5
\v 27 हारून और उसके पुत्र गेर्शोन के सभी वंशजों के काम की देखरेख करेंगे। उस काम में उन चीजों को ले जाना और अन्य काम भी शामिल है जो उन्हें ले जाने के लिए जरूरी है। उन्हें गेर्शोन के वंशजों में से प्रत्येक को बताना होगा कि उन्हें क्या सामान लेना चाहिए।
\v 28 यह कार्य आपको उन पुरुषों को देना चाहिए जो गेर्शोन से निकलने वाले कुलों से संबंधित हैं। हारून का पुत्र ईतामार वह है जो उनके काम की निगरानी करेगा।
\p
\s5
\v 29 मरारी से निकलने वाले कुलों से संबंधित पुरुषों को भी गिनो।
\v 30 उन लोगों के नाम लिखो जो तीस से पचास वर्ष की आयु के बीच के हैं। वे पुरुष पवित्र तम्बू में भी काम करेंगे।
\s5
\v 31 उनका काम उन तख्तों को ले जाना होगा जो पवित्र तम्बू, बेंड़े, खम्भे जिस पर पर्दे लगते है और आधारों को खड़ा करते हैं।
\v 32 उन्हें पर्दे के लिए खम्भों को भी ले जाना होगा जो आंगन की दीवारें बनाती हैं और खम्भों के लिए आधार, तम्बू के खूँटे, और रस्सियाँ जिनसे पर्दों को बांधते हैं। प्रत्येक आदमी को बताएं कि उसे क्या उठा कर ले जाना है।
\s5
\v 33 वे काम हैं जो मरारी के वंशजों को पवित्र तम्बू में करना हैं। हारून का पुत्र ईतामार उनकी निगरानी करेगा। “
\p
\s5
\v 34 तब हारून और मूसा और इस्राएलियों के प्रधानों ने कहात के वंशजों को गिना, और उनके कुलों और परिवार के समूहों के नाम भी लिखे।
\v 35 उन्होंने उन सभी पुरुषों की गिनती की जो तीस से पचास वर्ष की आयु के बीच के थे, जो पवित्र तम्बू में काम करने में सक्षम थे।
\v 36 वे कुल 2,750 पुरुष थे।
\s5
\v 37 वे कहात के वंशज थे जो पवित्र तम्बू में काम करने में सक्षम थे। हारून और मूसा ने उन्हें गिना जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
\p
\s5
\v 38 उन्होंने गेर्शोन के वंशजों को भी गिना, उनके कुलों और परिवार के समूहों के नाम भी लिखे।
\v 39 उन्होंने उन सभी पुरुषों की गिनती की जो तीस से पचास वर्ष की आयु के बीच के थे, जो पवित्र तम्बू में काम करने में सक्षम थे।
\v 40 वे कुल 2,630 पुरुष थे।
\s5
\v 41 वे गेर्शोन के वंशज थे जो पवित्र तम्बू में काम करने में सक्षम थे। हारून और मूसा ने उन्हें गिना जैसे यहोवा ने आज्ञा दी थी।
\p
\s5
\v 42 उन्होंने मरारी के वंशजों को भी गिना, उनके कुलों और परिवार के समूहों के नाम भी लिखे।
\v 43 उन्होंने उन सभी पुरुषों की गिनती की जो तीस से पचास वर्ष की आयु के बीच के थे, जो पवित्र तम्बू में काम करने में सक्षम थे।
\v 44 वे कुल 3,200 पुरुष थे।
\s5
\v 45 वे मरारी के वंशज थे जो काम करने में सक्षम थे। हारून और मूसा ने उन्हें गिना था जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
\p
\s5
\v 46 इस प्रकार हारून और मूसा और इस्राएली प्रधानों ने लेवी के सभी वंशजों को गिना, उनके कुलों और परिवार समूहों के नाम भी लिखे।
\v 47 उन्होंने उन सभी पुरुषों की गिनती की जो तीस से पचास वर्ष की आयु के बीच के थे। वे लोग थे जो पवित्र तम्बू में काम करने में सक्षम थे और जो तम्बू और उसके साथ जुड़े सब कुछ को उठाते थे।
\v 48 वे कुल 8,580 पुरुष थे।
\s5
\v 49 उन्होंने लेवी के सभी वंशजों की गिनती पूरी की, जैसे कि यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। और उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को बताया कि उसे क्या काम करना था और जब वे एक नए स्थान पर जाएँ तो उन्हें क्या उठाना होगा।
\s5
\c 5
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएली लोगों को यह बता: ‘तुम्हें अपने शिविर से जहाँ तुम्हारे तम्बू हैं, किसी भी पुरुष या स्त्री को जिसे कुष्ठ रोग है और जिसके शरीर से कुछ तरल पदार्थ निकलता हो, और कोई भी जो शव को छूने के कारण परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य हो गया उसे दूर भेजना होगा।
\v 3 उन्हें इसलिए दूर भेज दो ताकि वे शिविर क्षेत्र में जहाँ मैं तुम्हारे बीच रहता हूँ, लोगों को छूकर उन्हें मेरे लिए अस्वीकार्य बनने का कारण न बने। ‘”
\v 4 तब इस्राएली लोगों ने आज्ञा को माना जो यहोवा ने मूसा को दी थी।
\p
\s5
\v 5 यहोवा ने मूसा को यह भी बताया,
\v 6 “इस्राएली लोगों को यह बताओ: ‘अगर कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विरुद्ध अपराध करता है, तो मैं यह मानता हूँ कि उस व्यक्ति ने मेरे साथ गलत किया है।
\v 7 उस व्यक्ति को स्वीकार करना चाहिए कि वह दोषी है, और उसे उस व्यक्ति को भुगतान करना होगा जिस के साथ गलत किया गया था, जो दूसरों के अनुसार उपयुक्त भुगतान माना जाता है, और उसे अतिरिक्त 20 प्रतिशत अधिक का भुगतान करना होगा।
\s5
\v 8 यदि जिस व्यक्ति के विरुद्ध गलत किया गया था, उसकी मृत्यु हो गई हो और उसका कोई रिश्तेदार नहीं हो जिस को धन का भुगतान किया जा सके, तो वो पैसा मेरा है, और उसे याजक को भुगतान किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जिसने गलत किया है उसे याजक को नर भेड़ देना चाहिए ताकि उस व्यक्ति के पाप की क्षमा के लिए उसे बलिदान किया जा सके।
\v 9 सभी पवित्र भेंट जो इस्राएली याजक के पास लाकर मुझे चढ़ाते हैं, वे याजक की होंगी।
\v 10 याजक उन उपहारों को रख सकता है। ‘”
\p
\s5
\v 11 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा:
\v 12 “इस्राएलियों को यह बता: ‘मान लो कि एक व्यक्ति सोचता है कि उसकी पत्नी हमेशा उसके साथ विश्वासपूर्वक नहीं रही है।
\s5
\v 13 मान लो कि वह सोचता है कि वह किसी और आदमी के साथ सोई है, लेकिन वह नहीं जानता कि यह सच है या नहीं, क्योंकि उसने उसे ऐसा करते नहीं देखा। वह इस कार्य में पकड़ी नहीं गई थी और यह बात कि उसने अपने पति के साथ अपनी शपथ को तोड़ा है साबित नहीं किया जा सके क्योंकि किसी ने उसे ऐसा करते नहीं देखा।
\v 14 लेकिन यदि उस स्त्री का पति ईर्ष्यावान है, और यदि उसे संदेह है कि उसने व्यभिचार किया है, और वह जानना चाहेगा कि यह सच है या नहीं, तो इसके लिए एक जांच है कि वह अशुद्ध है या नहीं।
\s5
\v 15 यह जांचने के लिए कि उसने व्यभिचार किया है, उसे अपनी पत्नी को याजक के पास ले जाना चाहिए। उसे दो लीटर जौ के आटे को भेंट के रूप में ले जाना चाहिए। याजक को जैतून का तेल या धूप उस पर नहीं डालना चाहिए, क्योंकि यह एक भेंट मनुष्य इसलिए लाया है क्योंकि वह ईर्ष्यावान है। यह भेंट यह पता लगाने के लिए है कि वह दोषी है या नहीं।
\p
\s5
\v 16 याजक को स्त्री को मेरी उपस्थिति में वेदी के सामने खड़े होने के लिए कहना चाहिए।
\v 17 उसे मिट्टी के मर्तबान में कुछ पवित्र पानी डालना चाहिए, और फिर उसे पवित्र तम्बू के भूमि से पानी में कुछ मिट्टी डालनी चाहिए।
\s5
\v 18 उसे स्त्री के बालों को खोलना चाहिए। तब उसे उस स्त्री के हाथों में आटा डालना चाहिए जो उसके ईर्ष्यावान पति ने यह निर्धारित करने के लिए भेंट किया है कि उसने व्यभिचार किया है या नहीं। याजक को उस कटोरे को पकड़ना चाहिए जिसमें वो कड़वा पानी है जो स्त्री को श्रापित होने का कारण बनती है, अगर वह दोषी ठहरती है।
\v 19 याजक उसे गंभीरता से घोषित करने के लिए कहेगा कि वह सच्चाई ही बताए। उसे उससे कहना चाहिए, “क्या कोई और आदमी तेरे साथ सोया है? क्या तू विश्वासयोग्यता से केवल अपने पति के साथ सोई है या नहीं? अगर तू किसी और आदमी के साथ नहीं सोई है, तो पानी पीने से तेरे साथ कुछ भी बुरा नहीं होगा।
\s5
\v 20 परन्तु यदि तू किसी और मनुष्य के साथ सोई है, तो यहोवा तुझे श्राप देंगे।
\v 21-22 तेरा गर्भ सूख जाएगा और तेरा पेट फूल जाएगा। तू कभी भी बच्चों को जन्म नहीं दे पाएगी, और जिसके परिणामस्वरूप, हर कोई तुझे श्राप देगा और तुझको धिक्कारेगा। यदि तूने व्यभिचार किया है, तो जब तू यह पानी पीती है, तो यही तेरे साथ होगा। तब स्त्री को उत्तर देना चाहिए, “यदि मैं दोषी हूँ, तो ऐसा होने पर मैं विरोध नहीं करूंगी।”
\p
\s5
\v 23 तब याजक इन श्रापों को एक छोटी सी पत्री पर स्याही से लिखे और फिर स्याही को कड़वे पानी में धोए।
\s5
\v 24-25 याजक उससे जौ के आटे की भेंट लेना चाहिए जो वह पकड़े हुए है; याजक को उसे उठाकर समर्पित करना होगा। तब उसे वेदी पर रखना होगा
\v 26 और बलिदान के रूप में उसका एक हिस्सा जलाएं। तब स्त्री को कड़वा पानी पीना चाहिए।
\s5
\v 27 यदि स्त्री ने अपने पति के साथ विश्वासपूर्वक सोने के बजाय व्यभिचार किया है, तो पानी उसे बहुत पीड़ा देगा। उसका गर्भ सूख जाएगा और उसका पेट फूल जाएगा, और वह बच्चों को जन्म देने में असमर्थ रहेगी। और फिर उसके रिश्तेदार उसे श्राप देंगे।
\v 28 लेकिन यदि वह निर्दोष है, तो उसके शरीर को नुकसान नहीं पहुंचेगा, और वह अभी भी बच्चों को जन्म दे पाएगी।
\p
\s5
\v 29 वह अनुष्ठान है जो किया जाना चाहिए जब विवाहित स्त्री ने व्यभिचार करने से पाप किया हो,
\v 30 या जब कोई आदमी ईर्ष्यावान होता है और संदेह करता है कि उसकी पत्नी दूसरे आदमी के साथ सोई है। याजक को उस स्त्री को मेरी उपस्थिति में वेदी पर खड़े होने और इन निर्देशों का पालन करने के लिए कहना चाहिए।
\s5
\v 31 अगर स्त्री ने पति के संदेह के अनुसार नहीं किया है, तो भी उसे अपनी पत्नी को याजक के पास गलत करने पर लेकर आने के लिए दंडित नहीं किया जाएगा। लेकिन अगर उसकी पत्नी दोषी है, तो वह परिणामस्वरूप पीड़ित होगी। ‘”
\s5
\c 6
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा:
\v 2 “इस्राएलियों को यह बताओ: यदि तुम में से कोई भी विशेष रूप से स्वयं को मेरे लिए समर्पित करने का एक गंभीर वादा करना चाहता है, तो तुम्हारे द्वारा दिए गए इन निर्देशों का पालन करने के बाद, उसे नाज़ीर कहा जाएगा, जिसका अर्थ है ‘एक समर्पित व्यक्ति।’
\v 3 तुम्हें कोई शराब या अन्य दाखमधु नहीं पीना चाहिए। तुम्हें अंगूर का रस नहीं पीना चाहिए या अंगूर या किशमिश नहीं खाना चाहिए।
\v 4 जब तुम नाज़ीर होते हो, तब तुम्हें अंगूर से बनी हुई कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए, अंगूर का छिलका या बीज भी नहीं।
\p
\s5
\v 5 यहाँ तक कि जब तुम नाज़ीर हो, तब तुम्हारे बाल भी मेरे लिए समर्पित होंगे, इसलिए तुम्हें कभी भी किसी को अपने बालों को काटने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। जब तक तुम्हारे लिए स्वयं को समर्पित करने के तुम्हारे गंभीर वादे का समय समाप्त नहीं हो जाता है, तब तक तुम्हें अपने बालों को लंबे बढ़ने देना चाहिए।
\s5
\v 6 और जब तुम नाज़ीर हो, तब तुम्हें किसी शव के पास नहीं जाना चाहिए।
\v 7 भले ही जो व्यक्ति मर गया हो, वह तुम्हारा पिता या तुम्हारी माता या भाई या बहन हो, उसके शव के निकट जाकर स्वयं को मेरे लिए अस्वीकार्य होने नहीं देना चाहिए। तुम्हारे लम्बे बाल दिखाते हैं कि तुम विशेष रूप से मेरे हो, इसलिए तुमको वह करना चाहिए जिसकी गंभीर शपथ खाई है और अपने बालों को काटना नहीं है।
\v 8 तुम्हे ऐसा उस समय तक करना होगा जब तक कि तुम इस विशेष रूप से मेरे लिए समर्पित रहते हो।
\p
\s5
\v 9 यदि कोई संपर्क में रहते हुए अकस्मात ही मर जाता है, तो तुम्हारे बाल जो मुझे समर्पित किए गए हैं वे पवित्र नहीं हैं। इसलिए तुमको सात दिनों तक प्रतीक्षा करके अपना सिर मुण्डवाना होगा। फिर मेरे द्वारा स्वीकार्य होने के लिए एक विशेष अनुष्ठान करना होगा।
\s5
\v 10 अगले दिन तुम्हें पवित्र तम्बू के द्वार पर याजक के पास दो पंडुक या दो कबूतर लाने होंगे।
\v 11 याजक उन पक्षियों को मारे और उनकी बलि चढ़ाएं। उनमें से एक तुम्हारे पाप के दोष को दूर करने के लिए भेंट होगी, और दूसरी मुझे प्रसन्न करने के लिए पूरी तरह जलाने वाली भेंट होगी। याजक उन्हें वेदी पर पूरी तरह जला देगा तब, मैं तुम्हे शव के निकट आने के लिए क्षमा कर दूँगा, और जब तुम्हारे बाल फिर से बढ़ जाएँ तब वे मेरे लिए फिर से समर्पित किए जाएँ।
\s5
\v 12 पिछली बार मेरे लिए अलग किए गए समय को नहीं माना जाएगा, क्योंकि नाज़ीर होने के समय के शव के निकट आ जाने से तुम मेरे लिए अस्वीकार्य हो गए थे। इसलिए पिछली बार जितने समय के लिए समर्पण की गंभीर शपथ खाई उसकी दूसरी बार फिर से शपथ खाना होगी। अपने अपराध को दूर करने के लिए एक वर्ष के भेड़ के बच्चे को भी बलि भी चढ़ाना होगा।
\p
\s5
\v 13 जब समर्पण की शपथ का समय पूरा हो जाए तब पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर जाना
\v 14 और तीन ऐसे पशु को मेरे लिए बलिदान चढ़ाना जिनमें कोई दोष न हो। एक मेढ़ा एक वर्षीय हो जिसे पूरी तरह से जला दिया एक वर्षीय मादा भेड़ पाप के दोष को दूर करने के लिए बलि की जाए, और मेरे साथ फिर से मेल करने के लिए एक जवान मेढ़े की बलि चढ़ाई जाए।
\p
\v 15 इन पशुओं के साथ चढ़ाने के लिए दाखरस भी लाना होगा मैदे और जैतून के तेल से बनी रोटियों को टोकरी में रखकर लाना होगा परन्तु रोटियाँ ख़मीर किए हुए आटे से बनी न हों रोटियाँ भी बनाकर उन पर जैतून का तेल लगाकर याजक को देना।
\p
\s5
\v 16 याजक उस जवान मेमने और जवान मेढ़े के बच्चे को वेदी पर रखेगा और उन्हें पूरी तरह से उन्हें जला देगा, ताकि मैं प्रसन्न हो जाऊँ और तुम्हे क्षमा कर दूँ।
\v 17 तब वह मेरे साथ तुम्हारा फिर से मेल कराने के लिए उस पूर्ण विकसित मेढ़े को मारे और बलि करे और वह वेदी पर कुछ रोटी और आटा और दाखरस भी जलाएगा।
\p
\s5
\v 18 उसके बाद, तुम पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर खड़े होकर अपने बालों को मुण्डवा देना और उन बालों को उस आग में डाल देना जो पशु की बलि के नीचे है जिसे वेदी पर चढ़ाया गया है मेरे साथ पुनः मेल हो सके।
\p
\s5
\v 19 मेढ़े के कंधे का मांस उबाला जाए और जब वह पक जाए तब याजक एक रोटी और जैतून का तेल लगाई हुई एक रुमाली रोटी के साथ उस मांस को नाज़ीर के हाथों में रखे।
\v 20 तब याजक उन्हें उससे वापस लेकर और उन्हें मेरे लिए समर्पित करने को ऊँचा उठाएगा। वे अब याजक के हैं, और वह उस मेढ़े के कंधे से और पसलियों से और जांघों में से मांस खा सकता है, क्योंकि वह मांस बलि में से उसका भाग है। उसके बाद, अब तुम नाज़ीर नहीं रहे, और तुम फिर से दाखरस पी सकते हो।
\p
\s5
\v 21 ये उन भेंटों के विषय में नियम हैं जिनकी शपथ नाज़ीर ने खाई थी कि जब मेरे लिए समर्पित होने का उसका समय समाप्त हो जाए तब वह उन्हें मेरे लिए चढ़ाएगा। इन भेंटों को लेना तो उसके लिए अनिवार्य है परन्तु यदि वह चाहते हैं, तो वे इनके अलावा और भेंट ला सकते हैं। और उन्हें वह सब कुछ करना होगा जिसकी उसने मेरे निमित्त समर्पण के समय शपथ खाई थी। “
\p
\s5
\v 22 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा,
\v 23 “हारून और उसके पुत्रों से कह कि जब वे इस्राएलियों को आशीर्वाद देने के लिए मुझ से विनती करते हैं, तब उन्हें यह कहना होगा,
\q1
\v 24 ‘यहोवा तुम्हे आशीर्वाद देते है
\q2 और तुम्हारी रक्षा करे।
\q1
\s5
\v 25 ऐसा हो कि वह तुमसे प्रसन्न हो
\q2 और तुम पर दया करें।
\q1
\v 26 ऐसा हो कि वह तुम्हारे प्रति भले हो
\q2 और तुम्हारे लिए सब बातें भली होने दें। ‘”
\p
\v 27 फिर यहोवा ने कहा, “यदि हारून और उसके पुत्र मुझे इस्राएलियों को आशीर्वाद देने के लिए कहते हैं, तो मैं उन्हें सचमुच आशीर्वाद दूंगा।”
\s5
\c 7
\p
\v 1 जब मूसा ने पवित्र तम्बू की स्थापना पूरी कर ली, तो उसने उस पर तेल डाला, और उसे यहोवा के प्रतिष्ठा के लिए अलग कर दिया। उसने पवित्र तम्बू के भीतर की सब वस्तुओं को और बलि चढ़ाने की वेदी और वेदी पर काम में आनेवाली सभी वस्तुओं को भी समर्पित किया।
\v 2 तब इस्राएल के बारह गोत्रों के प्रधानों ने, जिन्होंने युद्ध के योग्य पुरुषों की गिनती करने में हारून और मूसा की सहायता की थी,
\v 3 पवित्र तम्बू में यहोवा के लिए भेंट लेकर आए। वे छः मजबूत बैल गाड़ियाँ और बारह बैल लेकर आए, प्रत्येक प्रधान की ओर से एक बैल और दो प्रधानों की ओर से एक बैल गाड़ी लाए।
\p
\s5
\v 4 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 5 “इन भेंटों को स्वीकार करले जिससे कि, लेवी के वंशज पवित्र तम्बू की पवित्र वस्तुओं को ले जाने के लिए उनका उपयोग कर सकें।”
\p
\s5
\v 6 तब मूसा ने गाड़ियां और बैल लेकर उन्हें लेवी के वंशजों को दे दिया।
\v 7 उसने गेर्शोन के वंशजों को उनके काम के लिए दो गाड़ियां और चार बैल दिए,
\v 8 और उसने मरारी के वंशजों को उनके काम के लिए चार गाड़ियां और आठ बैल दिए। हारून का बेटा ईतामार उनके सभी कामों पर अधिकारी था।
\s5
\v 9 परन्तु उसने कहात के वंशजों को कोई गाड़ी या बैल नहीं दिया, क्योंकि उन्हें पवित्र वस्तुओं की देखभाल करनी थी और उन्हें अपने कंधों पर ले जाना था, न कि गाड़ियों में।
\p
\s5
\v 10 जिस दिन वेदी समर्पित की गई थी, बारह प्रधानों ने समर्पित करने के लिए अन्य भेंटों को लाकर उन्हें वेदी के सामने रखा।
\v 11 यहोवा ने मूसा से कहा, “अगले बारह दिनों में प्रत्येक प्रधान को वेदी के समर्पण के लिए एक-एक दिन अपना भेंट लेकर आना होगा।”
\s5
\v 12-13 पहले दिन, यहूदा के गोत्र से अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था , दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल से सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन्होंने उन दोनों का वज़न मानक पैमाने का उपयोग करके वजन किया गया था,
\v 14 और 113 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 15-17 वह एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ के बच्चे को भी भेंट के लिए लाया, कि उनको वेदी पर पूरी तरह जला दिया जा सके,
\li और लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पाँच मेम्ने, भी यहोवा के साथ लोगों का मेल करने के लिए बलि हेतु ले या।
\s5
\v 18-19 दूसरे दिन, इस्साकार का प्रधान सूआर का पुत्र नतनेल अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी का एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों को वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 20-23 नतनेल वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ का भेंट भी लाया, लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पाँच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल बहाल करने के लिए बलि ले आया।
\s5
\v 24-26 तीसरे दिन, हेलोन का पुत्र एलीआब, जो जबूलून के गोत्र का प्रधान है, अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी का एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 27-29 एलीआब वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ का भेंट भी लाया, लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पाँच मेम्ने, भी यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 30-32 चौथे दिन, रूबेन के गोत्र का प्रधान शदेऊर के पुत्र एलीसूर अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 33-35 एलीसूर वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li एक बकरी जिसको लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु लाया गया,
\li और दो बैल, पाँच मेढ़े, पाँच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल को बहाल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 36-38 पाँचवें दिन, शिमोन के गोत्र का प्रधान सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 39-41 शलूमीएल वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ का भेंट भी लाया,
\li एक बकरी जिसको लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु लाए,
\li और दो बैल, पाँच मेढ़े, पाँच बकरे, और एक वर्ष के पाँच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 42-44 छठवें दिन, गाद के गोत्र का प्रधान दूएल का पुत्र एल्यासाप अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 45-47 एल्यासाप वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li एक बकरी जिसको लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु लाया,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 48-50 सातवें दिन, अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा, जो एप्रैम के गोत्र का प्रधान है अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 51-53 एलीशामा वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु लाया,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेमने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 54-56 आठवें दिन, मनश्शे के गोत्र के प्रधान पदासूर का पुत्र गम्लीएल अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 57-59 गम्लीएल वेदी पर जलाने हेतु एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li लोगों के पापों के अपराध को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेमने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 60-62 नौवें दिन, बिन्यामीन के गोत्र के प्रधान गिदोनी का पुत्र अबीदान अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 63-65 अबीदान वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li एक बकरी जिसको लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु लाया,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ।
\s5
\v 66-68 दसवें दिन, दान के गोत्र के प्रधान अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर अपनीं भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन डेढ़ किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 69-71 अहीएजेर वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li एक बकरी जिसको लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी,
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 72-74 ग्यारहवें दिन, आशेर के गोत्र के प्रधान ओक्रान का पुत्र पगीएल अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन ढाई किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 75-77 पगीएल वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी।
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेम्ने, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि हेतु ले आया।
\s5
\v 78-80 बारहवें दिन, नप्ताली के गोत्र के प्रधान एनान का पुत्र अहीरा अपनी भेंट लाया:
\li चाँदी की एक परात जिसका वजन ढाई किलोग्राम था और चाँदी का एक कटोरा जिसका वजन आठ सौ ग्राम था, दोनों अन्नबलि के लिए जैतून के तेल में सने हुए मैदे से भरे हुए थे। उन दोनों का वजन मानक पैमाने से किया गया था,
\li और 110 ग्राम वजन वाला एक छोटा सा सोने का बर्तन जो धूप से भरा हुआ था।
\li
\s5
\v 81-83 अहीरा वेदी पर जलाने के लिए एक जवान बैल, एक मेढ़ा, और एक वर्षीय नर भेड़ की भेंट भी लाया,
\li लोगों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि हेतु एक बकरी भी
\li और दो बैल, पांच मेढ़े, पांच बकरे, और एक वर्ष के पांच मेमने, यहोवा के साथ लोगों पुनः मेल करने के लिए बलिदान हेतु ले आया।
\p
\s5
\v 84-86 जब वेदी यहोवा के लिए समर्पित की गई, तो वे बारह प्रधान इन भेंटों को लेकर आए:
\li बारह चाँदी की परात और बारह चाँदी के कटोरे, जिसका कुल वजन अट्ठाइस किलोग्राम का था, उनमें से प्रत्येक पवित्र तम्बू में रखे तराजू पर तौला गया था,
\li और धूप से भरे बारह सोने के कटोरे, जिसका कुल वजन सवा किलोग्राम था, प्रत्येक उसी तराजू पर तौला गया था।
\li
\s5
\v 87-88 बारह प्रधानों ने बारह बैल, बारह मेढ़े, और बारह एक वर्षीय नर भेड़ के बच्चे की भेंट भी लाए, जिसे वेदी पर अन्नबलि के साथ पूरी तरह से जलाना था,
\li बारह बकरियों को लोगों के पापों का दोष को दूर करने के लिए बलि किया जाना था,
\li और चौबीस बैल, साठ भेड़ें, साठ बकरे, और साठ मेम्ने, जो एक वर्ष के थे, यहोवा के साथ लोगों का पुनः मेल करने के लिए बलि करने के लिए दिया।
\p
\s5
\v 89 मूसा ने, जब भी यहोवा के साथ बात करने के लिए पवित्र तम्बू में प्रवेश किया, तो उसने पवित्र सन्दूक के ढक्कन के ऊपर के पंखों वाले प्राणियों की दो प्रतिमाओं के बीच से यहोवा की आवाज़ सुनी।
\s5
\c 8
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “हारून से कह कि वह दीवट पर सात दीपकों को इस प्रकार रखे कि वे दीवट के सामने की ओर चमकें।”
\p
\s5
\v 3 तब मूसा ने उसे वह सब सुना जो यहोवा ने कहा था, और उसने ऐसा किया।
\v 4 दीवट को नीचे आधार से लेकर शीर्ष की सजावट तक, जो फूलों के समान थी, सोने के एक बड़े टुकड़े को हथौड़े से पीटकर बनाया गया था। दीवट को ठीक वैसा ही बनाया गया था जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था कि वह बनाया जाए।
\p
\s5
\v 5 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा,
\v 6 “तू लेवी के वंशजों को अन्य इस्राएली लोगों में से अलग कर कि मेरे लिए स्वीकार्य हों।
\s5
\v 7 उन पर पानी छिड़ककर ऐसा करना; यह उनके पापों के दोष से मुक्त होने का प्रतीक होगा। तब उन्हें अपने शरीर के सब बालों का मुण्डन करना चाहिए और अपने कपड़े धोना आवश्यक है।
\v 8 तब उन्हें एक बैल और जैतून के तेल में सना हुआ कुछ आटा लाना होगा जिन्हें बलिदान के रूप में जला दिया जाएगा। उन्हें एक और बैल भी लाना होगा जिसे उनके पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि किया जाएगा।
\s5
\v 9 तब लेवी के वंशजों के चारों ओर इकट्ठा होने के लिए, तू सब इस्राएलियों को पवित्र तम्बू के सामने एकत्र होने के लिए बुलाना।
\v 10 तब इस्राएली लोगों को लेवी के वंशजों पर अपने हाथ रखें।
\v 11 तब हारून उन्हें इस्राएली लोगों से प्राप्त सामान उन्हें मेरे लिए लाए जैसे कि उसने उन्हें मेरे सामने ऊपर उठाया कि वे पवित्र तम्बू में मेरे लिए काम कर सकें।
\p
\s5
\v 12 उसके बाद, लेवी के वंश अपने हाथ दो बैलों के सिर पर रखें। तब बैलों को मार डाला जाएगा और वेदी पर जला दिया। एक अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि किया जाए, और दूसरा मुझे प्रसन्न करने के लिए पूरी तरह जला दिया जाएगा।
\v 13 लेवी के वंशजों को हारून और उसके पुत्रों के सामने वेदी के सामने खड़ा होना है, और तब तू उन्हें मेरे लिए समर्पित करना, जैसे कि तुमने उन्हें मेरे लिए ऊपर उठाया हो।
\s5
\v 14 यह अनुष्ठान दिखाएगा कि लेवी के वंशज अन्य इस्राएली लोगों से अलग हैं और वे मेरे हैं।
\p
\v 15 लेवी के वंशज जब मेरे लिए स्वीकार्य किए जा चुकें और मेरे लिए एक विशेष भेंट के रूप में प्रस्तुत करने के बाद, जैसे कि वे मेरे लिए ऊपर उठाए गए हों, वे पवित्र तम्बू में काम करना शुरू कर सकते हैं।
\s5
\v 16 वे मेरे होंगे। वे मेरे लिए सभी इस्राएली लोगों के पहिलौठे पुरुषों के बदले में काम करेंगे, क्योंकि वे भी मेरे हैं।
\v 17 इस्राएल में सभी पहिलौठे मनुष्य और पशु, दोनों मेरे हैं। जब मैंने मिस्रियों के सभी पहिलौठों पुत्रों को मारा था, तब मैंने उन्हें अपने लिए अलग कर लिया था। परन्तु मैंने इस्राएलियों के सभी पहिलौठे, पुरुषों और पशुओं, दोनों को बचाया, क्योंकि वे मेरे हैं।
\s5
\v 18 परन्तु अब मैंने लेवी के वंशजों को अन्य इस्राएली लोगों के पहिलौठे पुत्रों की जगह लेने के लिए चुना है।
\v 19 मैंने लेवी के वंशजों को पवित्र तम्बू में हारून और उसके पुत्रों की सहायता करने के लिए नियुक्त किया है, जब हारून और उसके पुत्र इस्राएलियों के पापों के दोष को दूर करने के लिए बलि चढ़ाते हैं, और इस्राएलियों को तम्बू के निकट आने से रोकते हैं, ताकि महामारी उनके रोगी होकर मरने का कारण न बन जाए। “
\p
\s5
\v 20 हारून और मूसा और अन्य इस्राएलियों ने लेवी के वंशजों को यहोवा की आज्ञा के अनुसार सब कुछ करने में सहायता की।
\v 21 लेवी के वंशजों ने स्वयं पर पानी छिड़का ताकि वे यह दर्शा सकें कि उन्हें उनके पापों के अपराध से मुक्त कर दिया गया है, और उन्होंने अपने कपड़े धोए। तब हारून ने उन्हें वेदी के पास यहोवा के सामने उपस्थित किया, जैसे कि उसने उन्हें उसके लिए ऊपर उठाया हो, और उसने उनके पापों के दोष को दूर करने और उन्हें यहोवा के निमित्त स्वीकार्य होने के लिए बलि चढ़ाई।
\s5
\v 22 उसके बाद, लेवी के वंशजों ने हारून और उसके पुत्रों की सहायता के लिए, पवित्र तम्बू में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने वैसा ही किया जैसी यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
\p
\s5
\v 23 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा:
\v 24 “लेवी के वंशज जो पच्चीस वर्ष और पचास वर्ष की आयु के बीच हैं, वे पवित्र तम्बू में काम करेंगे।
\s5
\v 25 परन्तु पचास वर्ष की उम्र के बाद, उन्हें सेवा से मुक्त होना चाहिए।
\v 26 वे पवित्र तम्बू में अपने साथी लेवियों के काम में हाथ बँटा सकते हैं जो पवित्र तम्बू में उनका काम होगा परन्तु उन्हें स्वयं काम नहीं करना है। उनकी सेवा के विषय तू उन्हें यह समझा देना।"
\s5
\c 9
\p
\v 1 इस्राएलियों के मिस्र से निकल आने के एक वर्ष बाद, दूसरे वर्ष के पहले महीने में, जब वे सीनै के मरुस्थल में थे, तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएलियों से कह कि उन्हें फिर से फसह का त्यौहार मनाना चाहिए।
\v 3 उन्हें यह इस महीने के चौदहवें दिन शाम को फसह मनाना होगा, और उन्हें उन सब निर्देशों का पालन करना होगा जो मैं तुझे पहले दे चूका हूँ। “
\p
\s5
\v 4 अत: मूसा ने लोगों को यहोवा के फसह मनाने के विषय में जो आज्ञा थी, सुना दी।
\v 5 लोगों ने उस महीने के चौदहवें दिन की शाम को सीनै के मरुस्थल में फसह मनाया, जैसी आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी।
\p
\s5
\v 6 परन्तु कुछ इस्राएली लोगों ने एक शव को छुआ था, और जिसके कारण वे फसह मनाने के लिए अयोग्य हो गए थे। अत: उन्होंने हारून और मूसा से पूछा,
\v 7 “यह सच है कि हमने एक शव को छुआ है। लेकिन हमें फसह के पर्व मनाने और हर किसी के समान यहोवा के लिए बलि चढ़ाने से क्यों रोकते हो?”
\p
\v 8 मूसा ने उत्तर दिया, “यहाँ रुको, मैं पवित्र तम्बू में जाकर इसके विषय में यहोवा से पूछता हूँ कि वह क्या कहते है।”
\p
\s5
\v 9 तब मूसा तम्बू में गया और यहोवा से पूछा कि वह उन लोगों से क्या कहे, और यहोवा ने यह कहा:
\v 10 “ इस्राएलियों से कह ‘यदि तुम में से या तुम्हारे वंशजों में से कोई शव को छूता हैं जिसके कारण वह मेरे लिए अस्वीकार्य हो जाता है, या यदि फसह मनाने के लिए तुम घर से दूर एक लम्बी यात्रा पर, तब भी तुम्हे फसह मनाने की अनुमति मिलेगी।
\s5
\v 11 परन्तु ठीक एक महीने के बाद, उस महीने के चौदहवें दिन की शाम को तुम्हे फसह मनाना होगा। फसह के त्यौहार के भेड़ के मांस को खमीर के बिना पकाई गई रोटी और कड़वी साग-पात के साथ खाया जाए।
\v 12 अगली सुबह तक उसमें से कुछ न छोड़ना। और भेड़ के बच्चे की किसी भी हड्डी को न तोड़ना। फसह मनाने के विषय में सभी नियमों का पालन करना आवश्यक है।
\s5
\v 13 परन्तु यदि तुमने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे फसह का त्यौहार मनाने के लिए अयोग्य ठहरे, और घर से दूर लम्बी यात्रा पर भी नहीं हो फिर भी उचित समय पर मेरे लिए बलि नहीं चढ़ाते, तो तुम अब मेरे लोगों में नहीं गिने जाओगे। तुम्हे दण्ड दिया जाएगा।
\p
\v 14 आपके बीच रहने वाले विदेशी लोगों को भी फसह का त्यौहार मनाना चाहिए और इसके विषय में मेरे सभी आदेशों का पालन करना चाहिए। ‘”
\p
\s5
\v 15-16 जिस दिन पवित्र तम्बू स्थापित किया गया था, उस दिन एक बादल ने उसे ढाँप लिया था। लेकिन सूर्यास्त से लेकर अगले दिन सूरज उगने तक वह बादल एक विशाल आग के जैसा दिखता था। और जब तक इस्राएली मरुस्थल में थे, तब तक ऐसा प्रतिदिन होता था।
\v 17 जब बादल उठ जाता था और एक नए स्थान को जाने लगता, तो इस्राएली उसके पीछे चलने लगते। जब बादल रुक जाता, तब इस्राएली भी वहाँ रुक जाते और अपने तम्बू खड़े करते।
\s5
\v 18 जब यहोवा इस्राएलियों से चलने को कहते तब हो वे चलते थे और जब यहोवा उनसे रुकने को कहते तब वे रुक जाते थे जो बादल के चलने या रुकने पर निर्भर था। जब बादल, पवित्र तम्बू के ऊपर रहता, तब इस्राएली उस स्थान पर रहते ।
\v 19 कभी-कभी बादल लंबे समय तक पवित्र तम्बू पर रहता था, जब ऐसा होता था, तब इस्राएली नहीं चलते थे।
\s5
\v 20 कभी-कभी बादल केवल कई दिनों तक पवित्र तम्बू पर छाया रहता था। ऐसे में, इस्राएली यहोवा के आदेश के अनुसार अपने तम्बू खड़े कर देते, और जब यहोवा ने एक नए स्थान पर जाने का आदेश देते तब वे नए स्थान की ओर चल पड़ते।
\v 21 कभी बादल एक ही स्थान में एक ही दिन ठहरता था। जब ऐसा होता था, जब बादल अगली सुबह आसमान में उठ जाता था, तो लोग आगे बढ़ते थे। जब भी बादल चलता था, दिन के समय या रात के समय तब लोग भी चलते थे।
\s5
\v 22 यदि बादल दो दिन तक, या एक महीने तक, या एक वर्ष तक पवित्र तम्बू पर रुका रहता तो उस पूरे समय लोग वहीँ रहते थे। लेकिन जब बादल आकाश में उठ जाता था, तो वे आगे बढ़ने लगते थे।
\v 23 जब यहोवा ने उन्हें ठहरने और उनके तम्बू खड़े करने का आदेश दिया, तो उन्होंने ऐसा ही किया। जब उसने उन्हें चलने लिए कहा, तो वे चल पड़े। यहोवा ने मूसा को उनके लिए जो निर्देश दिए थे, उन्होंने वैसा किया।
\s5
\c 10
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा,
\v 2 “किसी को आज्ञा दे कि वह चाँदी के दो टुकड़ों को हथोड़े से पीट-पीटकर दो तुरहियाँ बनाए । तुरही फूंककर लोगों को एक स्थान में आने के लिए बुलाना और उन्हें अपने शिविर को एक नए स्थान पर ले जाने के लिए भी उससे संकेत देना।
\s5
\v 3 यदि दोनों तुरही फूंकी जाएं, तो इसका अर्थ है कि हर एक जन पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर आ जाए।
\v 4 यदि केवल एक तुरही फूंकी जाए, तो इसका अर्थ है कि केवल गोत्रों के बारह प्रधानों को इकट्ठा होना है।
\v 5 यदि तुरही ऊँचे शब्द में फूंकी जाए है, तो पवित्र तम्बू के पूर्व में रहने वाले गोत्रों को चलना आरंभ करना होगा।
\s5
\v 6 जब दूसरी बार तुरही ऊँचे शब्द में फूंकी जाती है, तो दक्षिण में रहने वाले गोत्रों को आगे बढ़ना होगा। तुरही का ऊँचे शब्द यह संकेत देती है कि उन्हें आगे बढ़ना आरंभ करना है।
\v 7 जब केवल लोगों को इकट्ठा करना हो, तो तुरही फूंको, लेकिन ऊँचे शब्द में नहीं फूँकना।
\p
\v 8 याजक जो हारून से वंशज हैं वे तुरही फूँकेंगे। यह एक विधि है जो कभी नहीं बदली जाएगी।
\s5
\v 9 जब तुम शत्रुओं के विरुद्ध लड़ने के लिए निकलो तो यदि वे तुम पर आक्रमण करते हैं, तो याजकों से कहना की ऊँचे शब्द में ज़ोर से तुरही फूंकें। मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर सुनूंगा, और मैं तुम्हे तुम्हारे शत्रुओं से बचाऊंगा।
\s5
\v 10 जब लोग आनन्दित हों और प्रति वर्ष त्योहारों के समय और प्रत्येक महीने नए चाँद का पर्व मनाते समय भी याजकों को तुरही फूँकने के लिए कहना। उनसे कहना कि जब लोग जलानेवाली भेंट लाए, और जब वे मेरे साथ मेल करने की भेंट लाए, उस समय भी वे तुरही फूंकें ऐसे करने पर तुम मेरे विषय में सोचोगे। तुमको ऐसा इसलिए करना चाहिए, कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। “
\p
\s5
\v 11 इस्राएलियों के मिस्र छोड़ने के दूसरे वर्ष के दूसरे महीने के बीसवें दिन, बादल पवित्र तम्बू के ऊपर से उठ गया।
\v 12 तब इस्राएली सीनै के मरुस्थल से चले, और जब तक पारान के मरुस्थल में बादल नहीं रुका तब तक वे उत्तर दिशा में बढ़ते रहे।
\v 13 यह पहली बार था कि वे यहोवा द्वारा मूसा को दिए गए निर्देशों पर, प्रस्थान किए।
\p
\s5
\v 14 जो दल अपने झंडे को लेकर पहले चला वह यहूदा का गोत्र था। अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन उनका प्रधान था।
\v 15 इस्साकार के गोत्र के दल उनके पीछे चले। सूआर का पुत्र नतनेल उनका प्रधान था।
\v 16 जबूलून के गोत्र का दल उनके पीछे चला। हेलोन का पुत्र एलीआब, उनका प्रधान था।
\s5
\v 17 तब उन्होंने पवित्र तम्बू को उतार दिया, और गेर्शोन और मरारी के वंशज उसे लेकर, उन दलों के पीछे चले।
\p
\v 18 अगला दल रूबेन के गोत्र का था, जो अपना ध्वज लेकर आगे चले। शदेऊर का पुत्र एलीसूर उनका प्रधान था।
\v 19 उसके बाद शिमोन के गोत्र का दल अगला था। सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल उनका प्रधान था।
\v 20 उसके पीछे गाद के गोत्र का दल था। दूएल का पुत्र एल्यासाप उनका प्रधान था।
\s5
\v 21 फिर कहात के वंशजों का दल अगला था। वे पवित्र तम्बू की पवित्र वस्तुओं को उठाकर चले। उनके पहुंचने से पहले पवित्र तम्बू नए स्थान पर स्थापित किया गया।
\p
\v 22 अपना ध्वज लेकर एप्रैम के गोत्र का दल अगला था। अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा उनका प्रधान था।
\v 23 मनश्शे के गोत्र का दल उनके पीछे चला। पदासूर का पुत्र गम्लीएल उनका प्रधान था।
\v 24 उनके पीछे बिन्यामीन के गोत्र का दल था। गिदोनी का पुत्र अबीदान, उनका प्रधान था।
\p
\s5
\v 25 जो लोग अन्त में चलने वाले थे निम्न प्रकार से हैं अर्थात्, दान के गोत्र का दल था, जो अपना ध्वज लेकर चला। अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर उनका प्रधान था।
\v 26 आशेर के गोत्र का दल उनके पीछे चला। ओक्रान का पुत्र पगीएल, उनका प्रधान था।
\v 27 नप्ताली के गोत्र का दल अन्तिम था। एनान का पुत्र अहीरा उनका प्रधान था।
\v 28 इस्राएल के गोत्रों के दल इसी क्रम में यात्रा करते थे।
\p
\s5
\v 29 एक दिन मूसा ने मिद्यानियों के समुदाय के रूएल के पुत्र होबाब से जो उसका दामाद था कहा, “हम उस स्थान की ओर जा रहे हैं जिसे यहोवा ने हमें देने की प्रतिज्ञा की है। हमारे साथ आ और हम तेरी अच्छी सेवा करेंगे, क्योंकि यहोवा ने हम इस्राएलियों को भली वस्तुएँ देने की प्रतिज्ञा ली है।"
\p
\v 30 परन्तु होबाब ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा। मैं अपने देश और अपने परिवार में लौटना चाहता हूँ।”
\p
\s5
\v 31 परन्तु मूसा ने कहा, “कृपया हमें मत छोड़। तू उन स्थानों को जानता है जहाँ हम इस मरुस्थल में अपने तम्बू खड़े कर सकते हैं, और तू हमारा मार्गदर्शन भी कर सकता है।
\v 32 हमारे साथ आ। हम उन सभी अच्छी चीजों को जो यहोवा हमें देते हैं, तेरे साथ बाँट लेंगे।"
\p
\s5
\v 33 इसलिए होबाब उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गया। इस्राएलियों ने सीनै पर्वत छोड़ा, जिसे उन्होंने यहोवा का पर्वत कहा, और वे तीन दिन तक चले। उन तीन दिनों के लिए, पवित्र सन्दूक को उठाकर चलने वाले लोग, दूसरे लोगों के आगे चले, और वे अपने तम्बू खड़े करने के लिए जगह की तलाश करते रहे।
\v 34 यहोवा द्वारा भेजा गया बादल प्रति दिन उनके ऊपर रहता था।
\p
\s5
\v 35 हर सुबह जब पवित्र सन्दूक को लेकर चलने वाले पुरुष चलने लगते तब मूसा ने कहता था,
\q1 “हे यहोवा, उठो!
\q2 अपने शत्रुओं को तितर-बितर करो!
\q2 उन लोगों को जो आपसे घृणा करते हैं उन्हें अपने से दूर भागा दो!"
\p
\v 36 और हर बार जब पुरुष पवित्र सन्दूक को रखने के लिए रुकते थे, तब मूसा कहता था,
\q1 “हे यहोवा, हम असंख्य इस्राएलियों के निकट ही रहना!”
\s5
\c 11
\p
\v 1 एक दिन लोगों ने अपनी परेशानियों के विषय में यहोवा से शिकायत की। जब यहोवा ने सुना कि वे क्या कह रहे थे, तो वे क्रोधित हो गये। इसलिए उन्होंने एक आग भेजी जो लोगों के बीच उनकी छावनी को किनारे से जला रही थी।
\v 2 तब लोगों ने मूसा को रोते हुए पुकारा, और उसने यहोवा से प्रार्थना की। तब आग जलनी बंद हो गई।
\v 3 इसलिए उन्होंने उस स्थान को तबेरा कहा, जिसका अर्थ है ‘जल रहा है, क्योंकि यहोवा की ओर से भेजी गई आग उनके बीच में जल गई थी।
\p
\s5
\v 4 तब इस्राएलियों के साथ यात्रा करने वाले अन्य लोगों में कुछ परेशानी उत्पन्न करने वाले लोग अच्छे भोजन की लालसा करने लगे। और जब उन्होंने शिकायत की तो इस्राएलियों ने भी शिकायत करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि खाने के लिए हमारे पास कुछ मांस हो!
\v 5 हमें वह मछली याद है जो हमने मिस्र में खाई थी, मछली जो बिना किसी दाम के दी गई थी। और हमारे पास खाने के लिए खीरे, खरबूजे, गन्दने, प्याज और लहसुन थे।
\v 6 लेकिन अब हमारी खाने की इच्छा समाप्त हो गई है, क्योंकि हमारे पास खाने के लिए केवल मन्ना है! "
\p
\s5
\v 7 मन्ना छोटे-छोटे सफेद बीजों जैसा दिखता है।
\v 8 हर सुबह लोग बाहर निकलते थे और भूमि पर से उसे इकट्ठा करते थे। तब वे इसे पीसकर या पत्थरों से कूटकर आटा बनाते थे। फिर वे पानी मिलाकर इसे एक बर्तन में उबालते थे, या वे इस से फुलके बनाते थे। फुलकों का स्वाद जैतून के तेल से पकाई हुए रोटी के जैसा था।
\s5
\v 9 हर रात आकाश से ओस के समान मन्ना भूमि पर गिरता था जहाँ उनके तम्बू थे।
\p
\v 10 मूसा ने सभी इस्राएलियों की शिकायत को सुना जो वे अपने तम्बूओं के प्रवेश द्वार पर खड़े होकर कर रहे थे। यहोवा बहुत क्रोधित हो गये, और मूसा भी बहुत परेशान था।
\s5
\v 11 वह पवित्र तम्बू में गया और यहोवा से पूछा, “आपने अपने दास, पर यह परेशानी क्यों डाली है? मुझ पर दया करो! मैंने क्या गलत किया है, जिसके कारण आपने मुझे इन लोगों को संभालने के लिए नियुक्त किया है?
\v 12 मैं उनका पिता नहीं हूँ। आपने मुझे उनको संभालने के लिए क्यों कहा है जैसे एक स्त्री अपने बच्चे को लिए फिरती है और उसे दूध पिलाती है? मैं उन्हें उस देश में कैसे ले जा सकता हूँ जिसे आपने हमारे पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की है?
\s5
\v 13 इन सब लोगों को खिलाने के लिए मुझे मांस कहां से मिलेगा? वे मुझसे शिकायत करते रहते हैं, ‘हमें खाने के लिए मांस दे!
\v 14 मैं इन लोगों का बोझ अकेले नहीं उठा सकता हूँ! वे मेरे लिए भारी बोझ के समान हैं, और मैं अब यह भारी बोझ नहीं उठा सकता।
\v 15 यदि आप मेरे प्रति इस तरह कार्य करना चाहते हैं, तो मुझे अभी मार दो। यदि आप वास्तव में मेरे विषय में चिंतित हैं, तो मेरे प्रति दयालु रहें और उनकी देखभाल करने की मेरे कष्ट को समाप्त करने के लिए मुझे मार डाल!"
\p
\s5
\v 16 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “सत्तर लोगों को बुलाओ जिन्हें तू जानता है कि इस्राएलियों के प्रधान हैं। और उन्हें पवित्र तम्बू के सामने खड़े होने के लिए कह।
\v 17 मैं नीचे आकर वहाँ तेरे साथ बात करूँगा। और मेरी आत्मा की शक्ति जो तुम में है, उसमें से कुछ शक्ति लेकर उनमें डालूँगा। वे इन लोगों के विवाद के विषयों को निपटाने में तेरी सहायता करेंगे इस प्रकार तुझे अकेले काम करने की आवश्यक्ता नहीं होगी।
\p
\s5
\v 18 इस के अतिरिक्त, लोगों से कह, ‘स्वयं को मेरे लिए स्वीकार करने योग्य बनाओ, और कल तुम्हारे पास खाने के लिए मांस होगा। तुम शिकायत कर रहे थे, और कह रहे थे, कि हम खाने के लिए मांस चाहते हैं। मिस्र में हमारे पास बेहतर भोजन था!” यहोवा ने तुम्हारी सुनी अब यहोवा तुम्हें कुछ मांस देंगे, और तुम इसे खाओगे।
\v 19 तुम एक या दो दिनों, या केवल पांच या दस या बीस दिनों के लिए ही नहीं मांस खाओगे।
\v 20 तुम एक महीने तक प्रति दिन मांस खाओगे, और फिर तुम इससे घृणा करने लगोगे, और इससे तुम्हें उल्टी होगी। ऐसा इसलिए होगा कि तुमने यहोवा का तिरस्कार किया है, जो तुम्हारे मध्य में है और तुम ने उसकी उपस्थिति में रोना-पीटना मचाया और कहा, “अगर हम मिस्र नहीं छोड़ते तो हमारे पास खाने के लिए उत्तम भोजन होता।”
\p
\s5
\v 21 परन्तु मूसा ने यहोवा से कहा, “यहाँ मेरे साथ छः सौ हजार पुरुष और स्त्रियां हैं, आप कैसे कह सकते हो ‘मैं उन्हें प्रति दिन एक महीने तक मांस दूंगा!
\v 22 हम सभी भेड़ों और मवेशियों को मार डालें, तौभी उन सब के लिए मांस उपलब्ध कराने में कभी होगी! यहाँ तक कि हम समुद्र की मछलियों को पककर उन्हें दे, तौभी वह पर्याप्त नहीं होंगी! “
\v 23 परन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “क्या तुझे मेरी शक्ति पर सन्देह है? अब तू देखोगा कि जो कहता हूँ वह कर सकता हूँ या नहीं।”
\p
\s5
\v 24 तब मूसा पवित्र तम्बू से निकल गया और लोगों को बताया जो यहोवा ने कहा था। फिर उसने सत्तर प्रधानों को इकट्ठा किया और उन्हें पवित्र तम्बू के चारों ओर खड़े होने के लिए कहा।
\p
\v 25 तब यहोवा उस बादल में होकर नीचे उतर आये जो तम्बू के ऊपर थे और मूसा से बात की। उन्होंने मूसा को दी गई आत्मा की शक्ति को लिया और इसे सत्तर प्रधानों को भी दिया। उनके अन्दर आत्मा की इस शक्ति के कारण, उन्होंने भविष्यद्वाणी की, परन्तु एक ही बार।
\p
\s5
\v 26 जब मूसा द्वारा नियुक्त किए गए प्रधान वहाँ एकत्र हुए तब दो प्रधान, एलदाद और मेदाद वहां नहीं थे। वे अपने तम्बू को छोड़कर, पवित्र तम्बू के सामने नहीं गए। परन्तु यहोवा के आत्मा उन पर अभी आए, और उन्होंने भविष्यद्वाणी करना शुरू कर दिया।
\v 27 तब एक जवान व्यक्ति भागा और मूसा से कहा, “एलदाद और मेदाद छावनी में जहाँ सभी तम्बू हैं भविष्यद्वाणी कर रहे हैं!”
\p
\s5
\v 28 यहोशू, जो मूसा की सहायता करता था, जब वह जवान व्यक्ति था, कहा, “महोदय, उन्हें ऐसा करने से रुकने के लिए कहो!”
\p
\v 29 परन्तु मूसा ने उत्तर दिया, “क्या तुम चिंतित हो कि वे मेरी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाएँगे ? मैं चाहता हूँ कि यहोवा के सभी लोग भविष्यद्वाणी करे। मेरी इच्छा है कि यहोवा उन सब को अपनी आत्मा की शक्ति दे!”
\v 30 तब मूसा और सब प्रधान अपने अपने तम्बू को वापस चले गए।
\p
\s5
\v 31 तब यहोवा ने समुद्र से एक तेज हवा भेजी। हवा से छावनी के चारों ओर के क्षेत्र में बटेर उड़ कर आई, और भूमि पर गिरने लगी। और भूमि पर एक मीटर का ऊंचा ढेर लग गया!
\v 32 तब लोग बाहर निकले और पूरा दिन और पूरी रात, वरन् अगले दिन तक बटेर उठाई। ऐसा लगता है जैसे प्रत्येक व्यक्ति ने दो घन मीटर इकट्ठा तक बटेरे लीं ! उन्होंने छावनी के चारों ओर भूमि पर बटेरें फैला दीं कि, ताकि वे बटेरें सूख जाएँ।
\s5
\v 33 फिर उन्होंने उन्हें पकाया और उन्हें खाना शुरू कर दिया। लेकिन जब वे मांस खा ही रहे थे, तब यहोवा ने उन पर अपना क्रोध प्रकट किया। उन्होंने उन पर एक गंभीर मरी भेजी, और कई लोग मारे गए।
\v 34 जो लोग मारे गए और जिन्हें दफनाया गया, वे वही लोग थे जिन्होंने कहा था कि वे मांस खाना चाहते थे जैसे मिस्र में उन्हें खाने को मिलता था। इसलिए उन्होंने उस जगह को किब्रोतहत्तावा कहा, जिसका अर्थ है ‘उन लोगों की कब्रें जो लालसा करते थे।’
\p
\v 35 वहां से इस्राएली पूर्व की ओर हसेरोत पहुंचने तक चलते रहे और वहां वे रुक गए और लंबे समय तक रहे।
\s5
\c 12
\p
\v 1-2 मूसा की बड़ी बहन मिर्याम और उसका बड़ा भाई हारून मूसा से ईर्ष्या रखते थे और कहा, “क्या केवल मूसा ही है जिसे यहोवा हमें सुनाने के लिए संदेश देते हैं? क्या यहोवा हम दोनों के द्वारा भी संदेश नहीं दे सकते?” उन्होंने मूसा की भी आलोचना की क्योंकि उसने एक ऐसी स्त्री से विवाह किया था जो कूशी लोगों के वंश की थी। और यहोवा ने मूसा के विषय में मिर्याम और हारून की शिकायत सुनी।
\p
\v 3 सच यह था कि मूसा एक बहुत विनम्र व्यक्ति था। वह पृथ्वी पर सबसे अधिक विनम्र था।
\p
\s5
\v 4 तब यहोवा ने तुरन्त ही मूसा और हारून और मिर्याम से बात की। उन्होंने कहा, “तुम तीनों को जाकर पवित्र तम्बू के सामने खड़ा होना चाहिए।” उन्होंने ऐसा किया।
\v 5 तब यहोवा एक बादल में जो एक विशाल सफेद खंभे जैसा था, तम्बू के द्वार पर उतर गये। उन्होंने हारून और मिर्याम को आगे बढ़ने के लिए कहा, तो उन्होंने वैसा किया।
\s5
\v 6 तब यहोवा ने उनसे कहा,
\q1 “मेरी बात सुनो!
\q1 जब एक भविष्यद्वक्ता तुम्हारे बीच होता है,
\q1 तब मैं उसे दर्शन में स्वयं को प्रकट करता हूँ,
\q1 और मैं स्वप्न में उससे बात करता हूँ।
\q1
\v 7 परन्तु मैं अपने दास मूसा से इस तरह से बात नहीं करता हूँ।
\q2 मुझे विश्वास है कि वह मेरे लोगों का अच्छी अगुवाई करेगा।
\q1
\v 8 इसलिए मैं उससे आमने-सामने बात करता हूँ।
\q2 मैं दृष्टांतों द्वारा नहीं लेकिन आमने-सामने से उससे बात करता हूँ।
\q2 उसने यह भी देखा है कि मैं कैसा दिखता हूँ।
\q2 अत: तुम्हें मेरे दास मूसा की आलोचना करने से डरना चाहिए! “
\p
\s5
\v 9 यहोवा मिर्याम और हारून से बहुत क्रोधित था, और वह चला गया।
\p
\v 10 जब बादल पवित्र तम्बू से उठ गया, तो हारून ने मिर्याम को देखा, और उसने देखा कि उसकी त्वचा हिम के समान श्वेत थी, क्योंकि अब उसे कुष्ठ रोग था।
\s5
\v 11 हारून ने मूसा से कहा, “हे स्वामी, कृपया हमें हमारी मुर्खता के पाप का दण्ड न दे और दंडित न करें जिसे हमने मूर्खता से किया है।
\v 12 मिर्याम को एक ऐसे बच्चे के समान रहने न दें जो मरा हुआ जन्मा है, जिसका मांस पहले से ही आधा सड़ गया है! “
\p
\s5
\v 13 तब मूसा ने यहोवा से पुकारकर कहा, “हे परमेश्वर, मैं आपसे विनती करता हूँ कि उसे चंगा कर दो!”
\p
\v 14 परन्तु यहोवा ने उत्तर दिया, “यदि उसके पिता ने कुछ गलत करने के लिए उसके चेहरे पर थूककर उसे दण्ड दिया होता, तो वह सात दिनों तक लज्जा में रहती। उसने जो किया है उसके कारण उसे लज्जित होना चाहिए। उसे सात दिन के लिए छावनी के बाहर भेज दे तब उसका कुष्ठ रोग समाप्त हो जाएगा और वह छावनी में वापस आ सकती है। “
\v 15 इसलिए उन्होंने उसे सात दिनों तक छावनी के बाहर रखा। जब तक वह वापस नहीं आई तब तक लोग दूसरे स्थान पर नहीं गए।
\p
\s5
\v 16 परन्तु उसके लौटने के बाद, उन्होंने हसेरोत छोड़ दिया और पारान मरुस्थल के उत्तर की ओर चले गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\c 13
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “कुछ लोगों को कनान में छान-बीन करने के लिए भेज। यही वह भूमि है जिसे मैं तुम इस्राएलियों को दूंगा। उन लोगों को भेज जो अपने गोत्र में प्रधान हैं।”
\p
\s5
\v 3 तब मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया। उसने बारह इस्राएली पुरुषों को भेजा जो अपने-अपने गोत्र के प्रधान थे। उसने उन्हें पारान मरुस्थल में डाली गई अपनी छावनी से भेजा।
\v 4 ये उन पुरुषों और उनके गोत्रों के नाम हैं:
\q रूबेन के गोत्र से जक्कूर का पुत्र शम्मू;
\p
\s5
\v 5 शिमोन के गोत्र से होरी का पुत्र शापात;
\p
\v 6 यहूदा के गोत्र से यपुन्ने का पुत्र कालेब;
\p
\v 7 इस्साकार के गोत्र से यूसुफ का पुत्र यिगाल;
\p
\v 8 एप्रैम के गोत्र से नून का पुत्र होशे;
\p
\s5
\v 9 बिन्यामीन के गोत्र से रापू का पुत्र पलती;
\p
\v 10 जबूलून के गोत्र से सोदी का पुत्र गद्दीएल;
\p
\v 11 यूसुफ के वंशज मनश्शे के गोत्र से सूसी का पुत्र गद्दी;
\p
\v 12 दान के गोत्र से गमल्ली के पुत्र अम्मीएल;
\p
\s5
\v 13 आशेर के गोत्र से मीकाएल का पुत्र सतूर;
\p
\v 14 नप्ताली के गोत्र से वोप्सी का पुत्र नहूबी;
\p
\v 15 और गाद के गोत्र से माकी के पुत्र गूएल।
\m
\v 16 ये उन लोगों के नाम हैं जिन्हें मूसा ने कनान की छान-बीन करने के लिए भेजा था। उनके जाने से पहले, मूसा ने होशे को एक नया नाम दिया, यहोशू, जिसका अर्थ है ‘यहोवा ही बचाने वाला है।’
\p
\s5
\v 17 मूसा ने उन्हें कनान की छान-बीन करने के लिए भेजने से पहले उनसे कहा, “दक्षिणी यहूदिया के मरुस्थल से होकर जाओ, और फिर उत्तर में पहाड़ी देश की ओर जाओ।
\v 18 देखो कि भूमि कैसी है। देखो कि वहां रहने वाले लोग मजबूत हैं या कमजोर हैं। देखो कि वे बहुत से लोग हैं या केवल कुछ लोग हैं।
\v 19 पता लगाओ कि वे किस तरह की भूमि में रहते हैं। क्या वह अच्छा है या बुरा है? उन शहरों के विषय में जानो जहाँ वे रहते हैं। क्या उनके पास दीवारें हैं या नहीं?
\v 20 मिट्टी के विषय में पता लगाओ। क्या यह उपजाऊ है या नहीं? पता लगाओ कि वहां पेड़ हैं या नहीं। यदि वहाँ पर पेड़ हैं तो उस भूमि में उगने वाले कुछ फल वापस लाने की कोशिश करना।" उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यह अंगूर की कटनी के समय की शुरुआत थी।
\p
\s5
\v 21 तो वे लोग कनान को गए। वे पूरे देश में गए, दक्षिण में सीन के मरुस्थल से होते हुए, उत्तर में लेबो हमात के पास के रहोब शहर के सभी मार्गों से गए।
\v 22 दक्षिणी यहूदिया के मरुस्थल में, वे हेब्रोन में गए, जहाँ अहीमन, शेशै, और तल्मै नामक, विशाल लोग रहते थे, जो अनाक के वंशज थे। हेब्रोन एक ऐसा शहर था जो मिस्र के सोअन शहर के निर्माण से सात साल पहले बनाया गया था।
\s5
\v 23 एक घाटी में, उन्होंने अंगूर के एक गुच्छे को काटा। क्योंकि यह बहुत बड़ा था इसलिए उन्हें उसे एक लाठी पर ले जाने के लिए दो पुरुषों की आवश्यकता थी। उन्होंने कुछ अनार और कुछ अंजीर भी अपनी छावनी में ले जाने के लिए उठाए।
\v 24 उन्होंने उस स्थान को एशकोल कहा जिसका अर्थ ‘गुच्छा’ है क्योंकि उन्होंने वहां अंगूर के उस विशाल गुच्छे को काट दिया था।
\s5
\v 25 चालीस दिनों तक भूमि की छान-बीन करने के बाद, वे अपनी छावनी में लौट आए।
\p
\v 26 वे पारान के मरुस्थल में हारून और मूसा और बाकी इस्राएली लोगों के पास आए। उन्होंने जो कुछ देखा वह सबको बताया। उन्होंने उन्हें वह फल भी दिए जो वे साथ लाए थे।
\s5
\v 27 परन्तु उन्होंने मूसा को यह बताया: “हम उस देश में पहुंचे जहाँ आपने हमें छान-बीन करने के लिए भेजा था। यह वास्तव में एक सुंदर देश है। यह एक बहुत ही उपजाऊ भूमि है। वहाँ के यह कुछ फल हैं।
\v 28 लेकिन वहां रहने वाले लोग बहुत ताकतवर हैं। उनके शहर बड़े हैं और दीवारों से घिरे हुए हैं। हमने वहां अनाक के कुछ विशाल वंशज भी देखे।
\v 29 अमालेक के वंशज देश के दक्षिणी भाग में रहते हैं, और हित्ती, यबूस और एमोर के वंशज उत्तर में पहाड़ी देश में रहते हैं। कनान के वंशज भूमध्य सागर के तट पर और यरदन नदी के किनारे रहते हैं।"
\p
\s5
\v 30 कालेब ने उन लोगों से जो मूसा के पास खड़े थे चुप रहने के लिए कहा। फिर उसने कहा, “हमें वहां जाना चाहिए और उस देश पर अधिकार कर लेना चाहिए, क्योंकि हम निश्चित रूप से इसे जीतने में सक्षम हैं!”
\p
\v 31 परन्तु जो लोग उसके साथ गए थे, उन्होंने कहा, “नहीं, हम उन लोगों पर आक्रमण करके उन्हें हरा नहीं सकते। वे हमारी तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली हैं!”
\s5
\v 32 इस प्रकार उन लोगों ने इस्राएलियों को उस देश के विषय में जिसकी उन्होंने छान-बीन की थी, बुरा समाचार सुनाया। उन्होंने कहा, “जिस देश की हमने छान-बीन की है वह उन लोगों को नष्ट कर देते हैं जो उन पर आक्रमण करने का प्रयास करते हैं। और वहां रहने वाले लोग बहुत लंबे हैं।
\v 33 हमने वहां विशालकाय लोगों को भी देखा। वे अनाक के वंशज हैं (जो नेफिलिम से आए हैं।) जब हमने इन विशालकाय लोगों को देखा तो हमें ऐसा लगा कि हम तो उनके सामने टिड्डियों जैसे हैं और उन्होंने सोचा कि हम भी टिड्डियों जैसे हैं।"
\s5
\c 14
\p
\v 1 उस रात, सब इस्राएलियों ने ऊँची आवाज़ में विलाप किया।
\v 2 अगले दिन उन ने हारून और मूसा के विरुद्ध शिकायत की। सभी पुरुषों ने कहा, “हम मिस्र में ही मर गए होते तो अच्छा था या इस मरुस्थल में मर जातें!
\v 3 यहोवा हमें इस देश में क्यों ला रहा है, जहाँ हम तलवारों से मारे जाएंगे? और वे हमारी पत्नियों और बच्चों को अपने गुलाम बनाने के लिए ले जाएंगे। कनान जाने के बजाय, मिस्र को लौटना ही उचित होगा! “
\s5
\v 4 तब उनमें से कुछ ने एक दूसरे से कहा, “हमें एक प्रधान चुनना चाहिए जो हमें मिस्र वापस ले जाएगा!”
\p
\v 5 तब हारून और मूसा इकट्ठे हुए सभी इस्राएली लोगों के सामने प्रार्थना करने के लिए झुक गए।
\s5
\v 6 भूमि की छान-बीन करनेवालों में से दो पुरुष- यहोशू और कालेब ने अपने कपड़े फाड़े क्योंकि वे बहुत निराश थे।
\v 7 उन्होंने इस्राएलियों से कहा, “जिस देश की हमने छान-बीन की, वह बहुत अच्छा है।
\v 8 यदि यहोवा हमसे प्रसन्न होता है, तो वह हमें उस उपजाऊ भूमि में ले जाएगा, और उसे हमें दे देगा।
\s5
\v 9 इसलिए यहोवा के विरूद्ध विद्रोह मत करो! और उस देश के लोगों से मत डरो! हम उन्हें निगल जाएँगे! उनके पास कोई भी नहीं है जो उनकी रक्षा करेगा, परन्तु यहोवा हमारे साथ हैं और हमारी सहायता करेंगे। इसलिए उनसे मत डरो! “
\p
\v 10 तब सभी इस्राएली कालेब और यहोशू को पत्थरों से मारने के बातें करने लगे। परन्तु अचानक पवित्र तम्बू पर यहोवा की महिमा दिखाई दी।
\s5
\v 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “यह लोग कब तक मेरा तिरस्कार करेंगे? मैंने उनके बीच कितने अद्भुत काम किए उसके उपरान्त भी, वे मेरे कामों पर विश्वास नहीं करते हैं, मैं इनसे थक चुका हूँ।
\v 12 इसलिए मैं उनके बीच एक मरी भेजूंगा और उनसे छुटकारा पाऊंगा। परन्तु तुम्हारे वंशजों को मैं एक महान देश बनाऊंगा। वे एक ऐसा देश होगा जो अन्य जातियों की तुलना में बहुत अधिक महान और शक्तिशाली होगा।"
\p
\s5
\v 13 परन्तु मूसा ने यहोवा से कहा, “कृपया ऐसा मत करो, क्योंकि मिस्र के लोग इसके विषय में सुनेंगे! आपने इन इस्राएली लोगों को अपनी महान शक्ति से मिस्र से निकल लाये,
\v 14 और मिस्र के लोग इस देश में रहने वाले कनान के वंशजों को यह बताएंगे। हे यहोवा, उन्होंने आपके विषय में पहले ही सुना है। वे जानते हैं कि आप इन लोगों के साथ रहते हैं और उन्होंने आपको आमने-सामने देखा है। उन्होंने सुना है कि आपका बादल एक विशाल खंभे के समान है जो उनके ऊपर रहता है, और उस बादल से आप उन्हें दिन में ले चलते हैं, वह और बादल रात में आग होकर उन्हें प्रकाश देता है।
\s5
\v 15 यदि आप इन लोगों को एक ही बार में मार देते हैं, तो जिन लोगों ने आपकी शक्ति के विषय में सुना है, वे कहेंगे,
\v 16 ‘यहोवा उन्हें उस देश में लाने में समर्थ नहीं है जिसे देने की उसने इनसे प्रतिज्ञा की थी, इसलिए उसने उन्हें जंगल में मारा डाला।’
\p
\s5
\v 17 इसलिए यहोवा, अब आप दिखाओ कि आप बहुत शक्तिशाली हैं। आपने कहा था,
\v 18 ‘मैं शीघ्र क्रोध नहीं करता हूँ। और, मैं लोगों से बहुत प्रेम करता हूँ, और मैं लोगों को पाप करने और मेरे नियमों को तोड़ने पर क्षमा भी कर देता हूँ। परन्तु मैं उन लोगों को सदा दण्ड दूंगा जो गलत काम करने के दोषी हैं। जब माता-पिता पाप करते हैं, तो मैं उन्हें दण्ड दूंगा, यही नहीं मैं उनके बच्चों और उनके पोतों और परपोतों को भी दण्ड दूंगा।
\v 19 अब क्योंकि आप अपनी महा प्रतिज्ञा के निमित्त अपने लोगों से प्रेम करते हैं , इसलिए इन्हें इनके पापों के लिए क्षमा करें, जिस प्रकार आपने उनके मिस्र छोड़ने के बाद से आज तक क्षमा किया है।
\p
\s5
\v 20 तब यहोवा ने उत्तर दिया, “तू विनती करता है तो, मैंने उन्हें क्षमा कर दिया है।
\v 21 परन्तु मुझे यहोवा के जीवन की शपत; संपूर्ण विश्व में लोग मेरी महिमा देख सकते हैं; मैं गंभीरता से यह घोषणा करता हूँ कि
\v 22 इन सभी लोगों ने मेरी महिमा और मिस्र में और मरुस्थल में मेरे किए गए सभी अद्भुत कामों को देखा है, लेकिन उन्होंने मेरी आज्ञा नहीं मानी, और कई बार उन्होंने मुझे परख कर देखना चाहा कि वे बुराई करके कब तक मेरे दण्ड से बचे रहेंगे हैं।
\s5
\v 23 इसलिए, उनमें से कोई भी उस देश को नहीं देख पाएगा जिसे उन्हें देने के लिए मैंने उनके पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी। जिससे लोग मेरा तिरस्कार करनेवाले थे उनमें से एक भी जन उस देश को देखने नहीं पाएगा।
\v 24 लेकिन कालेब, जो मेरी अच्छी सेवा करता है, दूसरों से अलग है। वह मेरी आज्ञा का पालन करने में चूकता नहीं है। इसलिए मैं उसे उस देश में लाऊंगा जिसे उसने देख लिया है, और उसके वंशज उस देश के मागों के वारिस होंगे।
\v 25 इसलिए कि, कनान की घाटियों में रहने वाले अमालेक और कनान के वंशज बहुत ताकतवर हैं, जब तुम कल यहाँ से जाते हो, तब कनान की ओर यात्रा करने की अपेक्षा मरुस्थल से होकर सड़क के किनारे सरकंडे के सागर की ओर वापस जाना।"
\p
\s5
\v 26 तब यहोवा ने हारून और मूसा से कहा,
\v 27 “इस जाति के दुष्ट लोग कब तक मेरे विषय में शिकायत करते रहेंगे? जो कुछ भी उन्होंने मेरे विरुद्ध बोला है, मैंने सब सुना है।
\s5
\v 28 तो अब उनसे कह ‘यहोवा के जीवन की शपत वैसा ही करूंगा जैसा तूने कहा था कि होगा।
\v 29 इस मरुस्थल में मैं तुम्हारे लिए मरने का कारण उत्पन्न करूँगा! क्योंकि तुमने मेरे विरूद्ध शिकायत की इसलिए, तुम में से कोई भी जो मूसा द्वारा गिनती करने के समय बीस वर्ष से अधिक गिने गए थे,
\v 30 उस देश में प्रवेश नहीं करेगा जिसे मैंने तुम्हें देने की प्रतिज्ञा की थी। केवल कालेब और यहोशू उस देश में प्रवेश करेंगे।
\s5
\v 31 तुमने कहा था कि तुम्हारे बच्चों को दास बनने के लिए ले लिए जाएँगे परन्तु मैं उन्हें उस देश में ले जाऊंगा, और वे उस देश में रहने का आनंद लेंगे जिसका तुमने तिरस्कार कर दिया है।
\v 32 परन्तु तुम लोग यहाँ इस मरुस्थल में मर जाओगे।
\v 33 तुम्हारे बच्चे चालीस वर्ष तक चरवाहों के समान इस मरुस्थल में भटकते रहेंगे। क्योंकि तुम जो बड़े हो मेरे वफादार नहीं रहे इसलिए इस मरुस्थल में, तुम्हारे मरने तक तुम्हारे बच्चे पीड़ित होते रहेंगे।
\s5
\v 34 चालीस वर्ष तक तुम अपने पापों के लिए पीड़ित होगे। कनान देश की छान-बीन करने वाले बारह लोगों के चालीस दिनों के प्रत्येक दिन के बदले एक वर्ष होगा। और मैं तुम्हारे लिए एक शत्रु के समान रहूँगा।
\v 35 यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा कह रहा हूँ! मैं इस समूह में हर एक के साथ ऐसा ही करूँगा जिसने मुझ से विद्रोह किया है। वे सब इस जंगल में मर जाएंगे! ‘”
\p
\s5
\v 36-37 तब यहोवा ने उन दस लोगों पर वार किया जिन्होंने लोगों को निराश किया, और वे मर गए। ये वे पुरुष थे जिन्होंने कनान की छान-बीन की थी और फिर लोगों से कहा कि वे उस देश पर अधिकार नहीं कर पाएंगे। यह उन पुरुषों के कारण था जिन्होंने मूसा के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी।
\v 38 बारह पुरुषों में से जिन्होंने कनान की छान-बीन की थी, केवल यहोशू और कालेब जीवित रहे।
\p
\s5
\v 39 जब मूसा ने इस्राएलियों को सुनाया कि यहोवा ने क्या कहा था, तो उनमें से कई बहुत दुखी हुए।
\v 40 इसलिए लोग अगली सुबह उठ गए और कनान के पहाड़ी देश की ओर जाने लगे। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि हमने पाप किया है, लेकिन अब हम उस देश में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं जिसे यहोवा ने हमें देने की प्रतिज्ञा की है।”
\p
\s5
\v 41 परन्तु मूसा ने कहा, “यहोवा ने तुम्हें मरुस्थल में लौटने का आदेश दिया है, तो अब तुम उसकी आज्ञा क्यों नहीं मान रहे हो? तुम सफल नहीं होगे।
\v 42 अब उस देश में प्रवेश करने का प्रयास मत करो! यदि तुम प्रयास करते हो, तो तुम्हारे शत्रु तुम्हें पराजित कर देंगे, क्योंकि यहोवा तुम्हारे साथ नहीं होंगे।
\v 43 जब तुम अमालेक और कनान के वंशजों से युद्ध शुरू करते हो, तो वे तुम्हें मार डालेंगे! यहोवा तुम्हें त्याग देंगे, क्योंकि तुमने उन्हें त्याग दिया है।"
\p
\s5
\v 44 परन्तु यद्यपि मूसा ने छावनी नहीं छोडी, और पवित्र सन्दूक जिसमें दस आज्ञाएं रखीं थीं, छावनी से नहीं ले जाई गईं, लोग कनान के पहाड़ी देश की ओर जाने लगे।
\v 45 तब उन पहाड़ियों में रहने वाले अमालेक और कनान के वंशजों ने नीचे आकर उन पर आक्रमण किया; उन्होंने दक्षिण में होर्मा तक उनका पीछा किया।
\s5
\c 15
\p
\v 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएलियों से कह, ‘जब तुम उस देश में पहुंचो जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ,
\v 3 तुम्हें मेरे लिए विशेष बलि चढ़ानी होगी; जब याजक उन्हें वेदी पर जला देगा। तब वह मुझे प्रसन्न करेगी उनमें से कुछ भेंट पूरी तरह से वेदी पर जलाने के लिए होगी। उनमें से कुछ इस बात का संकेत होगी कि तुमने गंभीर वचन दिया है। उनमें से कुछ भेंट ऐसी होंगी जिन्हें तुमने स्वयं मेरे लिए चढाने का निर्णय लिया है। उनमें से कुछ प्रति वर्ष मनाए जाने वाले त्योहारों में से किसी एक के लिए भेंट हो सकती हैं। ये भेंटें तुम्हारे मवेशियों के झुंडों से या भेड़ों और बकरियों के झुंडों से होंगी।
\s5
\v 4 जब तुम इन भेंटों को देते हो, तो तुम्हें मेरे लिए लगभग दो किलो अच्छे आटे की भेंट भी लानी होगी जो लगभग एक किलो जैतून का तेल में मिली हुई हो।
\v 5 जब तुम जलानेवाली बलि के लिए एक जवान मेढ़ा या बकरी चढ़ाते हो, या जब तुम हर जवान भेड़ की बलि चढ़ाते हो, तो तुम्हें एक लीटर दाखमधु भी अर्घ बलि के लिए तैयार करना होगा।
\p
\s5
\v 6 जब तुम बलि चढ़ाने के लिए एक मेढे को भेंट करते हो, तो तुम्हें लगभग एक-चौथाई लीटर जैतून का तेल मिलाकर तीन किलो मैदे को भी भेंट करना होगा।
\v 7 और वेदी पर पाँच लीटर दाखमधु भी डालना। जब उन्हें जला दिया जाएगा, तब उसकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\p
\s5
\v 8 कभी-कभी तुम वेदी पर जलाए जाने के लिए एक जवान बैल चढ़ाओगे। कभी-कभी तुम यह दिखाने के लिए बलि चढ़ाओगे कि तुम मुझे गंभीर वचन देते हो। कभी-कभी तुम मेरे साथ मेल करने के लिए बलि चढ़ाओगे।
\v 9 जब तुम इन बलियों को चढ़ाते हो, तो तुम्हें लगभग दो किलो जैतून का तेल मिलाकर लगभग आधा किलो मैदा भी भेंट करना होगा
\v 10 और भेंट होने के लिए वेदी पर दो लगभग दो लीटर दाखमधु डालना। जब उन विशेष भेंटों को जलाया जाएगा, तब उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\s5
\v 11 हर बार जब कोई बैल या मेढ़ा या नर भेड़ के बच्चे को बलि चढ़ाता हो, तो उसे ऐसा ही करना होगा।
\v 12 तुम्हें प्रत्येक पशु के लिए, जिसे तुम मुझे भेंट करने के लिए लाते हो, इन निर्देशों का पालन करना होगा।
\p
\v 13 तुम सब लोगों को जो अपने पूरे जीवन में इस्राएली रहे हो, जब इन बलियों को चढ़ाओ जो वेदी पर जलाए जाने पर मुझे प्रसन्न करेंगी तो इन नियमों का पालन करना आवश्यक है।
\s5
\v 14 यदि कोई विदेशी तुमसे मिलने या तुम्हारे बीच रहने के लिए आएँ, और यदि वे बलि चढ़ाना चाहते हों जो वेदी पर जलाए जाने पर मुझे प्रसन्न करे, तो उन्हें भी इन निर्देशों का पालन करना होगा।
\v 15 जो लोग हमेशा इस्राएली रहे हैं और जो विदेशी हैं मैं दोनों को बराबर मानता हूँ, और इसलिए सब को इन निर्देशों का पालन करना होगा। तुम्हारे वंशजों को भी मेरे इन निर्देशों का पालन करते रहना होगा।
\v 16 तुम इस्राएलियों और तुम्हारे बीच रहनेवाले विदेशी सब को इन ही निर्देशों का पालन करना होगा।"
\p
\s5
\v 17 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 18 “इन निर्देशों को इस्राएलियों को ये सब निर्देश सुना ‘जब तुम उस देश में पहुंच जाओ, जहाँ मैं तुम्हें ले जा रहा हूँ,
\v 19 और तुम वहां तैयार हो रही फसलों को खाओ, तब तुम्हें उनमें से कुछ को एक पवित्र भेंट के रूप में अलग करना होगा, और उन्हें मेरे सामने लाना होगा।
\s5
\v 20 प्रत्येक वर्ष तुम्हरे द्वारा काटी गई फसल के पहला अनाज को अलग कर देना। पहले आटे से जिसे तुम पीसोगे, एक रोटी बनाकर मेरे लिए पवित्र भेंट के रूप ले आना।
\v 21 हर साल, तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को मेरे लिए फसल के अनाज के पहले भाग के मैदे से पकाई रोटी मेरे लिए भेंट करना होगी।
\p
\s5
\v 22 ऐसे समय हो सकते है जब तुम इस्राएली उन निर्देशों का पालन नहीं कर पाओगे जो मैंने मूसा को तुम्हारे पालन करने हेतु दिए हैं, तो वह इसलिए नहीं कि तुम उनका उल्लंघन करना चाहते हो।
\v 23 ऐसे समय हो सकते है जब तुम्हारे कुछ वंशज तुम्हारे लिए मूसा को दिए गए सब निर्देशों का पालन नहीं कर पाएँगे।
\v 24 यदि तुम या तुम्हारे वंशज इन निर्देशों का पालन करने में भूल करके पाप करते हैं और उन इस्राएलियों को यह अनुभव नहीं हुआ कि वे ऐसा कर रहे हैं, तो सभी लोगों के लिए एक जवान बैल को याजक के पास भेंट के लिए लाया जाए। जब वह वेदी पर जला दिया जाएगा तो मैं प्रसन्न हो जाऊँगा। उन्हें अपने पाप के दोष को दूर करने के लिए अन्नबलि और दाखमधु की भेंट और एक बकरी को भी चढ़ानी होगी।
\s5
\v 25 इन बलियों को चढ़ाने के द्वारा, याजक तुम सब इस्राएलियों के लिए प्रायश्चित करेगा। वेदी पर जलाए जाने के लिए मेरे पास भेंट लाने से, तुम्हें क्षमा कर दिया जाएगा, क्योंकि तुमने जो पाप किया वह अनजाने में किया था।
\v 26 तुम इस्राएलियों और तुम्हारे बीच रहने वाले विदेशी, सब को क्षमा किया जाएगा।
\p
\s5
\v 27 यदि कोई व्यक्ति अनजाने में पाप करता है, तो उस व्यक्ति को उस पाप के दोष को दूर करने के लिए एक मादा बकरी की बलि चढ़ानी होगी।
\v 28 याजक उस व्यक्ति के पाप के दोष को दूर करने के लिए बलि चढ़ाएगा, और उस व्यक्ति को क्षमा किया जाएगा।
\v 29 तुम इस्राएलियों को और तुम्हारे बीच रहने वाले सभी विदेशियों को भी इन निर्देशों का पालन करना होगा।
\p
\s5
\v 30 परन्तु इस्राएली और तुम्हारे बीच रहनेवाले विदेशी दोनों जानबूझकर मेरे आदेशों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्होंने ऐसा करके मेरे विरुद्ध पाप किया है। इसलिए उन्हें तुम्हारी छावनी से निकाल दिया जाएगा।
\v 31 उन्होंने मेरे आदेशों को तुच्छ जाना है और जानबूझकर उनकी अवज्ञा की है, इसलिए उनके पाप का दण्ड मिलना चाहिए; उन्हें फिर कभी तुम्हारे बीच में रहने न दिया जाए।”
\p
\s5
\v 32 एक दिन, जब इस्राएली मरुस्थल में थे, तब उनमें से कुछ ने एक ऐसे व्यक्ति को देखा जो सब्त के दिन आग के लिए लकड़ी इकट्ठा कर रहा था।
\v 33 जिन्होंने उसे देखा, वह उसे हारून और मूसा और अन्य इस्राएलियों के पास लाये।
\v 34 उन्होंने सुरक्षित निगरानी में रखा, क्योंकि उन्हें नहीं जानते थे कि उसे कैसा दण्ड दें।
\s5
\v 35 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उस मनुष्य को मार डाला जाना चाहिए। तुम सब छावनी के बाहर पत्थरों से मार कर उसकी हत्या कर दो।”
\v 36 तब वे उस व्यक्ति को छावनी से पकड़कर के बाहर ले गये और उस पर पत्थर फेंककर उसे मार डाला, जैसी कि यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
\p
\s5
\v 37 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 38 “इस्राएलियों से कह ‘तुम और तुम्हारे सभी वंशजों को झालर बनाने के लिए धागे को बुनना है, और फिर उन्हें अपने कपड़ों के निचले किनारों पर नीले रंग के धागों से जोड़ना है।
\v 39 जब तुम उस झालर को देखोगे, तो तुम्हें मेरे द्वारा दिए गए निर्देश याद आएंगे, और तुम उनका पालन करोगे। इस तरह, तुम मेरे साथ विश्वासघात नहीं करोगे। तुम एक विश्वासघाती वेश्या के समान नहीं होगे जो उन लज्जा के कामों को करती है जिन्हें वह देखती है और ललचाती।
\s5
\v 40 उन झालरों को देखकर तुम्हें मेरे सब निर्देशों का पालन करने और मेरे पवित्र लोगों को स्मरण करने में सहायता मिलेगी।
\v 41 मत भूलो कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं वही हूँ जो तुम्हें मिस्र से बाहर निकल लाया ताकि तुम मेरा भाग बनो। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
\s5
\c 16
\p
\v 1 एक दिन लेवी के पुत्र कहात के वंशज, यिसहार का पुत्र कोरह ने, दातान और अबीराम जो एलीआब के पुत्र थे और ओन जो पेलेत का पुत्र था, उनके साथ मिलकर षड्यंत्र रचा। ये तीन जन रूबेन के गोत्र से थे।
\v 2 उन चार लोगों ने 250 अन्य लोगों को जो इस्राएली लोगों के बीच प्रधान थे, मूसा से विद्रोह करने के लिए अपने साथ शामिल होने के लिए उकसाया ।
\v 3 वे हारून और मूसा की आलोचना करने के लिए एक साथ आए। उन्होंने उनसे कहा, “तुम दोनों जितना आवश्यक है उस से अधिक अधिकार का उपयोग कर रहे हो! यहोवा ने हम इस्राएलियों को अलग कर लिया है, और वह हम सब के साथ हैं। तो तुम ऐसा व्यवहार क्यों करते हो जैसे कि तुम हम सब से, जो यहोवा के हैं अधिक महत्वपूर्ण हो?"
\p
\s5
\v 4 जब मूसा ने सुना कि वे क्या कह रहे थे, तो वह भूमि पर मुँह के बल गिरा।
\v 5 तब उसने कोरह और उसके साथियों से कहा, “कल सुबह यहोवा हमें दिखाएंगे कि उन्होंने किसको अपना याजक बनने के लिए चुना है, और कौन पवित्र है और किसे उसके पास आने की अनुमति है। यहोवा केवल उन लोगों को अपनी उपस्थिति में आने की अनुमति देंगे जिन्हें यहोवा चुनते हैं।
\s5
\v 6 इसलिए कोरह, कल तुम और तुम्हारे साथियों को धूप जलाने के लिए अपने धूपदान तैयार करना होगा।
\v 7 तब तुम्हें उसमें आग लगाना है और यहोवा की उपस्थिति में धूप जलाना है। तब हम देखेंगे कि हम में से किसको यहोवा ने अपने पवित्र सेवक बनने के लिए चुना है। तुम लोग जो लेवी के वंशज हो, तुम्हें जितना आवश्यक है उससे अधिक अधिकार का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हो!"
\p
\s5
\v 8 तब मूसा ने कोरह से फिर से बात की। उसने कहा, “तुम लोग जो लेवी के वंशज हो, मेरी बात सुनो!
\v 9 तुम जानते हो कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने इस्राएल की मण्डली में से लेवियों को चुना है ताकि तुम उनके पवित्र तम्बू में उनके लिए काम करों और लोगों की सेवा करों। क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारे लिए यह एक छोटी बात है?
\v 10 कोरह, तुम्हें और तुम्हारे साथी लेवी के वंशजों को यहोवा अपने पास लायें हैं। अब क्या तुम याजक बनने की भी मांग कर रहे हो?
\v 11 वास्तव में तुम और तुम्हारे वंशज यहोवा से विद्रोह कर रहे हैं। सही में हारून वह नहीं है जिसके विषय में तुम शिकायत कर रहे हो। “
\p
\s5
\v 12 तब मूसा ने दातान और अबीराम को बुलाया, लेकिन उन्होंने आने से इन्कार कर दिया। उन्होंने एक संदेश भेजा, “हम तुम्हारे पास नहीं आएंगे!
\v 13 तुम हमें मिस्र से बाहर लाए, जो कि एक बहुत ही उपजाऊ भूमि थी, ताकि हम यहाँ इस मरुस्थल में मर जाएँ। वह बुरी बात है। लेकिन अब तुम हम पर मालिक बनने की भी कोशिश कर रहे हो, और यह और भी बुरा है।
\v 14 तुमने हमें रहने के लिए एक नई भूमि नहीं दी है, एक ऐसी भूमि जिसमें अच्छे खेतों की और दाख की बारियां हैं। तुम केवल इन लोगों को अंधा करने का प्रयास कर रहे हो। इसलिए हम तुम्हारे पास नहीं आएंगे। “
\p
\s5
\v 15 तब मूसा बहुत क्रोधित हो गया। उसने यहोवा से कहा, “उन्होंने जो अन्नबलि चढ़ाई है, उसे स्वीकार न करना। मैंने उनसे कुछ भी नहीं लिया है, यहाँ तक कि एक गधा भी नहीं, और मैंने कभी उनके लिए कुछ भी गलत नहीं किया है, इसलिए उनके पास शिकायत करने का कोई कारण नहीं है।"
\p
\v 16 तब मूसा ने कोरह से कहा, “तुम और तुम्हारे सब साथी कल यहाँ आकर यहोवा के सामने खड़े होंगे। हारून भी यहाँ आएगा।
\v 17 तुम और तुम्हारे 250 साथियों में से प्रत्येक को धूप जलाने के लिए एक-एक धूपदान लेना है और उसमें धूप डालना है, कि वह यहोवा को चढ़ाई जाए। हारून भी ऐसा ही करेगा। “
\p
\s5
\v 18 इसलिए उन लोगों में से प्रत्येक ने धूप जलाने के लिए एक धूपदान लिया। उन्होंने उसमें धूप डाली और धूप जलाने के लिए गर्म कोयले डाले, और फिर वे सब पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर हारून और मूसा के साथ खड़े हो गए।
\v 19 तब कोरह ने उन सब लोगों को बुलाया जिन्होंने उसे समर्थन दिया था और जो मूसा के विरुद्ध थे, और वे तम्बू के प्रवेश द्वार पर इकट्ठे हुए। तब यहोवा की महिमा उन सभी को दिखाई दी।
\s5
\v 20 यहोवा ने हारून और मूसा से कहा,
\v 21 “इन सब लोगों से दूर हो जाओ, जिससे कि मैं तुरंत उनका अंत कर सकूँ!”
\p
\v 22 परन्तु हारून और मूसा धरती पर मुँह के बल गिर गए। उन्होंने यहोवा से विनती की, “हे परमेश्वर, आप ही हैं जिन्होंने इन सभी लोगों को जीवन दिया। इन मनुष्यों में से केवल एक ने पाप किया है। तो, क्या आपका सब लोगों पर क्रोधित होना सही है?”
\p
\s5
\v 23 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 24 “ठीक है, परन्तु अन्य सब लोगों को कोरह, दातान और अबीराम के तम्बुओं से दूर जाने के लिए कह दे।”
\p
\s5
\v 25 तब मूसा खड़ा हुआ और दातान और अबीराम के तम्बुओं के पास गया। इस्राएली प्रधान उसके पीछे गए।
\v 26 उसने लोगों से कहा, “इन दुष्टों के तम्बुओं से दूर हो जाओ, और उनसे संबंधित कुछ भी न छूओ! अगर तुम कुछ छूते हो, तो तुम उनके पापों के कारण मर जाओगे!”
\v 27 तब सब लोग कोरह, दातान और अबीराम के तम्बुओं से दूर चले गए। दातान और अबीराम अपनी पत्नियों और बच्चों और शिशुओं के साथ अपने तम्बुओं से बाहर आए, और अपने अपने तम्बू के प्रवेश द्वार पर खड़े हो गए।
\p
\s5
\v 28 तब मूसा ने कहा, “मैंने इन सब कामों को करने का फैसला स्वयं नहीं किया था। यहोवा ने मुझे चुना और मुझे इन कामों के लिए भेजा। और अब वह यह तुम्हारे सामने इसे सिद्ध करेंगे।
\v 29 यदि ये लोग साधारण रूप से मर जाते हैं, तो यह स्पष्ट होगा कि यहोवा ने मुझे नहीं चुना है।
\v 30 परन्तु यदि यहोवा ऐसा कुछ करते हैं जो पहले कभी नहीं हुआ है, यदि वह उनके पैरों के नीचे की भूमि को खोले और इन मनुष्यों और वह उनके परिवारों और उनकी सारी सम्पत्ति को निगल ले, और यदि वे गड्ढे में गिर जाएँ और उन्हें जीवित ही दफनाया जाए, तो तुम जान लोगे कि इन मनुष्यों ने यहोवा का अपमान किया है।"
\p
\s5
\v 31 जैसे ही मूसा ने यह कहा, भूमि उन लोगों के नीचे खुल गई।
\v 32 उसने उन सब मनुष्यों को और उनके परिवारों की और उन सब को जो कोरह के साथ खड़े थे और उनकी सारी सम्पत्ति को निगल लिया।
\s5
\v 33 जब वे जीवित थे, तब ही भूमि खुल गई, और उनकी सारी सम्पत्ति भी गड्ढे में गिर गई। वे गायब हो गए, और भूमि फिर से बंद हो गई।
\v 34 जब वे गिर गए, तो वे चिल्लाने लगे, और आस-पास खड़े सभी लोग भी चिल्लाए। लोग डर गए और वे भागते हुए चिल्लाए, “हम नहीं चाहते कि भूमि हमें भी निगल जाए!”
\p
\v 35 और फिर यहोवा की ओर से आग आकाश से नीचे आई और 250 लोगों को जला दिया जो धूप जला रहे थे!
\p
\s5
\v 36 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 37 “हारून के पुत्र एलीआजार से कहो कि धूपदान जिसमें धूप थी, उन्हें आग से दूर करे और जलते हुए कोयलों को तितर-बितर करे। उन लोगों ने जो धूपदान लिए थे, वे पवित्र हैं क्योंकि उन्होंने उसमें मेरे लिए धूप जलाया है।
\v 38 वे लोग अब अपने पाप के कारण मर गए हैं। इसलिए अब एलीआजार को उनके धूपदान लेकर धातु को हथौडे से पीटकर बहुत पतला करे। उस धातु से वह वेदी के लिए एक आवरण बनाए। वे धूपदान मेरे लिए धूप जलाने के लिए काम में लिए गए हैं, इसलिए वे पवित्र हैं। उन धूपदानों के साथ जो हुआ वह अब इस्राएल के लोगों को चेतावनी देगा।"
\p
\s5
\v 39-40 इसलिए, एलीआजार याजक ने अग्नि में मरने वाले पुरुषों द्वारा उपयोग किये गए धूप जलाने वाले 250 धूपदानों को एकत्र किए। और वेदी को ढाँकने के लिए उसने धूपदानों को बहुत पतला कर दिया, जैसी यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। उसने इस्राएलियों को चेतावनी दी कि केवल उन लोगों को जो हारून के वंशज थे, यहोवा के लिए धूप जलाने की अनुमति है। अगर किसी और ने ऐसा किया, तो कोरह और उसके साथियों के साथ जैसा हुआ, वैसा ही उनके साथ भी होगा।
\p
\s5
\v 41 परन्तु अगली सुबह, सभी इस्राएली लोगों ने हारून और मूसा के विरुद्ध शिकायत करना आरंभ कर दिया, “तुमने बहुत से लोगों को मार डाला है जो यहोवा के थे!”
\p
\v 42 जब सभी लोग हारून और मूसा ने जो किया था, उसके विरोध में इकट्ठे हुए, तो उन्होंने पवित्र तम्बू को देखा और देखा कि पवित्र बादल ने उसे ढाँक लिया है, और यहोवा की महिमा प्रकट हुई।
\v 43 हारून और मूसा जाकर पवित्र तम्बू के सामने खड़े हो गए।
\s5
\v 44 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 45 “इन लोगों से दूर हो जाओ, ताकि मैं तुम दोनों को घायल किए बिना तुरंत इनका अंत कर दूँ!” लेकिन हारून और मूसा भूमि पर मुँह के बल गिरे और प्रार्थना की।
\p
\v 46 मूसा ने हारून से कहा, “जल्दी से एक और धूपदान ले और उसमें वेदी से कुछ जलते हुए कोयले डाल। धूपदान में धूप डाल, और लोगों के पापों के प्रायश्चित के लिए उसे लोगों के बीच में ले जा। यहोवा उनसे बहुत क्रोधित है, और मुझे पता है कि उनके बीच एक गंभीर मरी शुरू हो गई है। “
\s5
\v 47 तब हारून ने वही किया जो मूसा ने कहा था। वह लोगों के बीच में जलती हुई धूप ले गया। मरी पहले से ही लोगों पर फैलना शुरू हो गई थी, लेकिन हारून ने लोगों के पापों के लिए प्रायश्चित करने के लिए धूप जला दी।
\v 48 वह उन लोगों के बीच खड़ा हो गया जो मर चुके थे और जो अब भी जीवित थे, और तब मरी थम गई।
\s5
\v 49 परन्तु मरी से 14,700 लोग मर चुके थे ये लोग कोरह के साथ मरने वाले लोगों से अलग थे ।
\v 50 मरी समाप्त हो जाने के बाद, हारून और मूसा पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर लौट आए।
\s5
\c 17
\p
\v 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएलियों से कह कि वे तेरे पास बारह छड़ियाँ ले लाएँ जिनके सहारे वे चलते हैं। बारह गोत्रों के प्रधानों में से प्रत्येक को एक छड़ी लानी है। प्रत्येक छड़ी पर तू उसके प्रधान का नाम खोदकर लिखना।
\s5
\v 3 प्रत्येक गोत्र के प्रधान की एक छड़ी होगी, इसलिए तू लेवी के गोत्र की छड़ी पर हारून का नाम लिखना है।
\v 4 उन छड़ियों को पवित्र तम्बू के भीतर पवित्र सन्दूक के सामने, जिसमें दस आज्ञाएं लिखी हुई पटियाँ रखी हैं, रखना। यही वह स्थान है जहाँ मैं हमेशा तुझसे बात करता हूँ।
\v 5 जिस व्यक्ति को मैंने याजक होने के लिए चुना है उसकी छड़ी पर कलियाँ उगेंगी। जब लोग उसे देखेंगे, तो वे तुम्हारे विषय में लगातार शिकायत करना बंद कर देंगे क्योंकि उन्हें समझ में आ जाएंगा कि जिसे मैंने चुना है वह यही है। "
\p
\s5
\v 6 तब मूसा ने उन लोगों को यहोवा के निर्देश सुना दिए। तब हारून समेत बारह इस्राएली प्रधानों में से प्रत्येक ने अपनी अपनी छड़ी लाकर मूसा को दी।
\v 7 मूसा ने पवित्र तम्बू के भीतर पवित्र सन्दूक के सामने वे छड़ियां रख दीं।
\p
\s5
\v 8 अगली सुबह, जब वह तम्बू में गया, तो उसने देखा कि लेवी के गोत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले हारून की छड़ी में कलियाँ उग आई है। उसमें पत्तियां और फूल और पके हुए बादाम भी लगे हैं!
\v 9 मूसा ने वे सब छड़ियां पवित्र तम्बू के बाहर लाकर सब लोगों को दिखाई और बारह प्रधानों में से प्रत्येक ने अपनी-अपनी छड़ी वापस ले ली।
\p
\s5
\v 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून की छड़ी को पवित्र सन्दूक के सामने रख दे, और उसे सदैव से वहां रहने दे। यह उन लोगों के लिए चेतावनी होगी जो मुझ से विद्रोह करना चाहते हैं। इस प्रकार मेरे विरुद्ध शिकायत करने के कारण और कोई नहीं मरेगा ।”
\v 11 यहोवा ने जैसी आज्ञा दी थी मूसा ने वैसा ही किया।
\p
\s5
\v 12 तब इस्राएली लोगों ने मूसा से कहा, “हम मरने जा रहे हैं! हम सभी निश्चय मरने जा रहे हैं!
\v 13 जो कोई यहोवा के पवित्र तम्बू के निकट आता है, वह मर जाता है। क्या हम में से बचे हुए भी मर जाएँगे?"
\s5
\c 18
\p
\v 1 यहोवा ने हारून से कहा, “तुम और तुम्हारे पुत्र और तुम्हारे पिता के परिवार के अन्य सदस्य वे हैं जिन्हें दण्ड मिलेगा यदि पवित्र तम्बू के भीतर की वस्तुओं के साथ कुछ भी बुरा हुआ तो तू और तेरे पुत्र और तेरे पिता के परिवार के सदस्य दण्ड पाएँगे और यदि किसी याजक ने कोई भी बुरा काम किया तो तू और तेरे पुत्रों को दण्ड दिया जाएगा।
\v 2 जो लोग तेरे गोत्र अर्थात् लेवी के गोत्र के हैं, उन्हें कह कि वे पवित्र तम्बू में तेरी और तेरे पुत्रों की सेवा में सहायता करें।
\s5
\v 3 परन्तु जब वे काम करते हैं, तो उन्हें तम्बू के भीतर पवित्र वस्तुओं के या वेदी के पास नहीं जाना है। यदि वे ऐसा करते हैं, तो वे मर जाएंगे, और तुम भी मर जाओगे!
\v 4 वे पवित्र तम्बू की देखभाल करने और सभी काम करने में तुम्हारी सहायता कर सकते हैं, लेकिन जहाँ तुम काम कर रहे हो, वहां किसी और को आने की अनुमति नहीं है।
\p
\v 5 केवल तुम पवित्र तम्बू में और वेदी पर पवित्र काम करोगे। यदि तुम इन निर्देशों का पालन करते हो, तो मैं फिर कभी इस्राएलियों से क्रोधित नहीं होऊँगा।
\s5
\v 6 मैंने स्वयं अन्य इस्राएली लोगों में से लेवी के वंशजों को चुना है कि वे तुम्हारे विशेष सहायक होंगे। वे एक प्रकार का उपहार हैं जो मैंने तुम्हें पवित्र तम्बू में काम करने के लिए दिया है।
\v 7 परन्तु तू और तेरे पुत्र ही याजक हैं, जिन्हें वेदी परम पवित्र स्थान के भीतर जो भी होना है उसके विषय मैंने जो निर्देश दिए हैं, उन्हें पूरा करना। मैं तुम्हें सेवा करने का यह काम दे रहा हूँ। अत: तो कोई और यह याजकीय काम करने का प्रयास करे तो वह मार डाला जाए।"
\p
\s5
\v 8 यहोवा ने हारून से यह भी कहा, “मैंने स्वयं तुझे उन सभी पवित्र भेंटों का ख्याल रखने के लिए नियुक्त किया है जो इस्राएली लोग मेरे लिए लाते हैं। मैंने इन सभी पवित्र भेंटों को तुझे और तेरे पुत्रों को दिया है। तुम और तुम्हारे वंशज इन भेंटों का हमेशा एक भाग प्राप्त करोगे।
\v 9 भेंट के वे भाग जो वेदी पर पूरी तरह से जलाए नहीं गए हैं, वे तुम्हारे हैं। पवित्र भेंटों के उन भागों को, जिनमें आटे की भेंट, पापों का प्रायश्चित करने और पापों के दोष को दूर के लिए चढ़ाई गई भेंट हैं, अलग की जाएँ, और तुझे और तेरे पुत्रों को दी जाएँ।
\s5
\v 10 तुम्हें इन्हें अति पवित्र भेंट के रूप में खाना है। तुम्हारे कुल में हर पुरुष इसे खा सकता है। लेकिन तुम्हें उन भेंटों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वे तुम्हारे लिए पवित्र है।
\p
\v 11 याजक वेदी के सामने खड़े होकर पवित्र भेंट को ऊँचा उठाते। वे सब भेंटें जो इस्राएली मेरे पास लाते हैं, वे तेरे और तेरे पुत्रों और पुत्रियों की हैं। वे सदैव तुम्हारा भाग होंगे। तुम्हारे परिवार के सभी सदस्य जिन्होंने अनुष्ठान करके अपने आपको मेरे के लिए स्वीकार्य किया है, उन सब को इन भेंटों को खाने की अनुमति है।
\p
\s5
\v 12 मैं तुम्हें वह पहला भोजन भी दे रहा हूँ जो लोग हर साल फसल काटकर मेरे लिए लाते हैं और सबसे अच्छा जैतून का तेल और नया दाखरस और अनाज।
\v 13 पहली फसल जिसे काटकर लोग मेरे पास लाते हैं, वह तुम्हारी है। तुम्हारे परिवार में से जिन्होंने अनुष्ठान किया है कि मैं उन्हें स्वीकार करूं उन्हें उसमें से खाने की अनुमति है।
\p
\s5
\v 14 इस्राएल में जो कुछ भी मेरे लिए समर्पित है, वह तुम्हारा होगा।
\v 15 मनुष्यों और घरेलू जानवरों दोनों के पहिलौठे, जो मेरे लिए लाए जाते हैं, तुम्हारे होंगे। परन्तु लोगों को अपने पहिलौठे पुत्रों और पहिलौठे पशुओं को जो बलि के लिए नहीं है वापस खरीदना होगा।
\v 16 वे उन्हें एक महीने के होने पर वापस खरीदें। प्रत्येक पुत्र के लिए उन्हें जो कीमत चुकानी पड़ेगी वह चाँदी के पाँच टुकड़े हैं। उन्हें पवित्र तम्बू में रखे तराजू पर चाँदी का वजन तोलना होगा।
\p
\s5
\v 17 लेकिन उन्हें पशुओं या भेड़ों या बकरियों पहिलौठे को वापस खरीदने की अनुमति नहीं है। वे पवित्र हैं और मेरे लिए अलग किए गए हैं। उन्हें मार डालो और वेदी पर उनका लहू छिड़को। फिर उन पशुओं की चरबी को वेदी पर पूरी तरह से जलाओ। उनके जलने की सुगंध से में बहुत प्रसन्न हो जाऊँगा।
\v 18 जिस प्रकार उन पशुओं की छातियाँ और दाहिने जाँघें जो मेरे साथ मेल करने के लिए चढ़ाई जाती हैं जब याजक उन्हें वेदी के सामने ऊँचा उठाता है, तुम्हारा है वैसे ही ये भेंट भी तुम्हारी होगी ।
\s5
\v 19 जो कुछ इस्राएली पवित्र भेंट के रूप में मेरे पास लाते हैं, मैं वह सब तुम्हें दे रहा हूँ। वे तुम्हारे और तुम्हारे पुत्रों और पुत्रियों के खाने के लिए है। वे हमेशा तुम्हारा भाग होंगे। यह एक समझौता मैं तुम्हारे साथ कर रहा हूँ, एक सदा का समझौता। मैं तुम्हारे वंशजों के साथ भी कर रहा हूँ।"
\p
\v 20 यहोवा ने हारून से यह भी कहा, “तुम याजकों को अन्य इस्राएलियों के समान कोई भूमि या संपत्ति नहीं प्राप्त होगी। तुम्हारा भाग मैं हूँ।
\p
\s5
\v 21 जब इस्राएली मेरे लिए अपनी फसलों और नवजात पशुओं का दसवां अंश लाएंगे, तो मैं तुम्हें अर्थात् लेवी के वंशजों को वह दे दूँगा। पवित्र तम्बू में जो काम तुम करते हो उसके लिए वह तुम्हारी मजदूरी होगी।
\v 22 अन्य इस्राएलियों को उस तम्बू के पास नहीं जाना है। यदि वे उसके पास जाते हैं, तो उनका ऐसा करना मेरे समक्ष पाप है, और वे इस पाप के लिए मर जाएंगे।
\s5
\v 23 केवल लेवी के वंशजों को पवित्र तम्बू में काम करने की अनुमति है, और यदि उसमें कुछ भी बुरा होता है तो उन्हें दण्ड दिया जाएगा। यह एक नियम है जो कभी नहीं बदला जाएगा। लेवी के वंशजों को अन्य इस्राएलियों के बीच कोई भूमि प्राप्त नहीं होगी।
\v 24 इस्राएली अपनी फसलों और पशुओं में से दसवां अंश मेरे लिए चढ़ाएंगे, और यही मैं लेवी के वंशजों को देता हूँ कि वे अपनी आवश्यक्ताओं को पूरा करें। यही कारण है मैंने कहा कि मैं लेवी के वंशजों को कोई भी भूमि नहीं दूंगा।
\p
\s5
\v 25 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 26 “लेवी के वंशजों से यह कह ‘जब तुम इस्राएली लोगों से फसलों और पशुओं का दसवां हिस्सा प्राप्त करते हो, तो तुम्हें उसमें से दसवां अंश पवित्र भेंट करके मेरे लिए चढ़ाना होगा,
\v 27 जैसे अन्य इस्राएली लोग अनाज और दाखमधु का दसवां हिस्सा चढ़ाते हैं।
\s5
\v 28 तुम्हें इस्राएली लोगों से जो कुछ मिलता है, उसका दसवां अंश मेरे लिए लाना होगा। तुम्हारी ओर से यह मेरे निमित्त पवित्र भेंट होगी। तुम्हें इसे हारून को देना होगा।
\v 29 जो तुम्हें दिया गया है उनमें से सबसे उत्तम भाग का चयन करके मेरे लिए लाओ।'
\p
\s5
\v 30 इसके अतिरिक्त, लेवी के वंशजों से कह ‘जब तुम अपनी भेंट के रूप में अनाज और दाखमधु के उन सबसे उत्तम अंशों को मेरे लिए लाते हो, तो मैं यह मानूंगा कि वे भेंटें तुम्हारे अनाज और दाखमधु से आई है।
\v 31 तुम लेवी के वंशजों और तुम्हारे परिवारों को शेष भोजन खाने की अनुमति है, और तुम जहाँ चाहो वहाँ उसे खा सकते हो, क्योंकि यह पवित्र तम्बू में तुम्हारे द्वारा किए गए काम के लिए तुम्हारी मजदूरी है।
\v 32 जो कुछ भी तुम प्राप्त करते हो, उसका सबसे उत्तम भाग यदि तुम याजकों को देते हो, तो तुम लोगों के द्वारा लाई गई अंश भेंटों में से दसवें अंश को स्वीकार करने के लिए दण्ड नहीं पाओगे परन्तु तुम्हें उन भेंटों को पवित्र मानना है। यदि तुम उन चीजों को इन निर्देशों के विपरीत जो मैंने तुम्हें दिए हैं, उन वस्तुओं को खाकर पाप करते हो, तो तुम्हें मार डाला जाएगा।”
\s5
\c 19
\p
\v 1 यहोवा ने हारून और मूसा से कहा,
\v 2 “अब मैं तुम्हें एक और नियम दे रहा हूँ। इस्राएली लोगों को एक लाल-भूरे रंग की गाय लाने के लिए कहो जिसमें कोई दोष न हो। यह एक ऐसा पशु होना है जिसका उपयोग कभी भी खेती के लिए नहीं किया गया हो।
\s5
\v 3 उसे एलीआजार याजक को दो। वह उसे छावनी के बाहर ले जाए है और कोई इसे मार डाले।
\v 4 एलीआजार अपनी एक अंगुली उसके खून में डुबाकर पवित्र तम्बू के पास भूमि पर सात बार छिड़के।
\v 5 एलीआजार के देखते हुए उस, गाय को पूरी तरह जला दिया जाए उसकी खाल, उसका मांस, उसका बाकी का खून, और यहाँ तक कि उसके गोबर को भी।
\v 6 तब एलीआजार देवदार की एक छड़ी, जूफा नामक पौधे का एक डंठल और लाल रंग का धागा लेकर उन्हें उस आग में फेंक दे जिसमें गाय जल रही है।
\p
\s5
\v 7 तब याजक अपने कपड़े धोए और स्नान करे। ऐसा करने के बाद, वह छावनी में लौट सकता है। लेकिन वह उस शाम तक कोई पवित्र काम करने के लिए योग्य न होगा।
\v 8 वह व्यक्ति जो गाय को ला है, उसे भी अपने कपड़े धोने हैं और स्नान करना है, और वह भी उस शाम तक मेरे लिए अस्वीकार्य होगा।
\p
\s5
\v 9 तब कोई जो मेरे लिए अस्वीकार्य नहीं हुआ है, उस गाय की राख इकट्ठा करे और उसे छावनी के बाहर एक पवित्र स्थान में रखे। पापों के दोष को दूर करने के अनुष्ठान के लिए इस राख को पानी के साथ मिलाकर इस्राएल के लोगों के लिए वहां रखा जाना चाहिए।
\v 10 वह व्यक्ति जो गाय की राख को इकट्ठा करता है, उसे भी अपने कपड़े धोने हैं, और वह भी उस शाम तक और कोई पवित्र काम करने के योग्य नहीं होगा। यह एक नियम है जो कभी नहीं बदल जाएगा। तुम इस्राएली लोगों और तुम्हारे बीच रहने वाले पर विदेशी इस नियम का पालन करने से चुकें।
\p
\s5
\v 11 जो लोग शव को छूते हैं वे सात दिनों तक मेरे लिए अस्वीकार्य होंगे।
\v 12 शव को छूने के बाद तीसरे दिन और सातवें दिन, मेरे निमित्त फिर से स्वीकार्य होने के लिए, उन्हें अपने पाप के दोष को दूर करने हटाने के लिए उस पानी में से कुछ अपने ऊपर छिड़कना होगा। अगर वे इन निश्चित दिनों में ऐसा नहीं करते हैं, तो वे मेरे लिए अस्वीकार्य रहेंगे।
\v 13 जो लोग शव को छूते हैं, और मेरे निमित्त स्वीकार्य होने के लिए अनुष्ठान को उचित विधि से नहीं करते हैं, वे यहोवा के पवित्र तम्बू को अशुद्ध करते हैं। उन्हें इस्राएली अपने बीच न रहने दें। पाप के दोष को दूर करने के लिए उन पर वह पानी छिड़का नहीं गया था, इसलिए वे मेरे लिए अस्वीकार्य ही हैं।
\p
\s5
\v 14 एक और कार्य है जिसे करना आवश्यक है, जब कोई तम्बू के भीतर मरता है तो वे सब लोग जो उसकी मृत्यु के समय उस तम्बू के भीतर थे या जो उस समय तम्बू में प्रवेश करेगा, वे सब सात दिनों तक मेरे लिए अस्वीकार्य होंगे।
\v 15 जो पात्र तम्बू के भीतर हैं और बन्द करके नहीं रखे गए हैं उन्हें काम में लेने की अनुमति नहीं है।
\v 16 यदि कोई व्यक्ति जो मैदान में ऐसे शव को छूता है, जिसकी हत्या कर दी गई थी, या अपने आप मरने वाले व्यक्ति के शव को छूता है, या अगर कोई व्यक्ति की हड्डी को छूता है या कब्र को छूता है, तो वह व्यक्ति सात दिन तक मेरे लिए अस्वीकार्य होगा।
\p
\s5
\v 17 इसी स्थिति में फिर से मेरे स्वीकार्य होने के लिए, जलाई गई उस गाय की कुछ राख को लेकर एक पात्र में रखा जाए। फिर राख पर थोड़ा ताजा पानी डाला जाए।
\v 18 तब कोई ऐसा व्यक्ति जो मेरे लिए अस्वीकार्य है जूफा नामक पौधे का डंठल लेकर उस पानी में डुबाए और तम्बू पर और उस मरने वाले के स्थान में तम्बू की वस्तुओं पर और उस समय तम्बू में उपस्थित लोगों पर उस को पानी छिड़के। और वह पानी हर एक व्यक्ति पर छिड़कना होगा जिसने इंसान की हड्डी को छुआ है या जिसने हत्या किए गए व्यक्ति के शव को छुआ है, या जिसने अपने आप मरने वाले व्यक्ति के शव को छुआ है, या जिसने कब्र को छुआ है।
\v 19 तीसरे दिन और उसके बाद सातवें दिन, जो व्यक्ति मेरे लिए स्वीकार्य है, उसे उसमें से कुछ पानी उन लोगों पर छिड़कना होगा जो मेरे लिए अस्वीकार्य हो गए हैं। जो लोग इस अनुष्ठान को मेरे निमित्त स्वीकार्य होने के लिए कर रहे हैं, उन्हें अपने कपड़े धोने होंगे और स्नान करना होगा। अगर वे ऐसा करते हैं, तो उस शाम को वे मेरे लिए फिर से स्वीकार्य हो जाएंगे।
\p
\s5
\v 20 यदि वे ऐसा करके फिर से मेरे लिए स्वीकार्य नहीं होते तो, इस्राएली लोग उन्हें अपने बीच रहने न दें क्योंकि उन्होंने मेरे पवित्र तम्बू को अशुद्ध कर दिया है। उन्होंने अपने ऊपर इस पानी को नहीं छिड़का जो उनके पापों के दोष को दूर कर देता है, इसलिए वे मेरे लिए अस्वीकार्य हैं।
\v 21 यह इस्राएलियों के लिए एक नियम है जो कभी नहीं बदला जाएगा। वे लोग जो उस पानी को अपने ऊपर छिड़कते हैं उन्हें भी अपने कपड़े धोने चाहिए। और जो भी उस पानी को छूता है जो पापों के दोष को दूर करता है, वह शाम तक परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य रहेगा।
\p
\v 22 यदि किसी अस्वीकार्य व्यक्ति ने किसी वस्तु और किसी व्यक्ति को छुआ है, तो वह वस्तु या व्यक्ति उस शाम तक मेरे लिए अस्वीकार्य रहेगा। “
\s5
\c 20
\p
\v 1 अगले वर्ष के पहले महीने में, इस्राएली लोग सीन के मरुस्थल में पहुंचे और कादेश के पास छावनी डाली। वहां, मूसा की बहन मिर्याम की मृत्यु हो गई और वह वहां दफनाई गई।
\p
\s5
\v 2 लोगों को वहां पीने के लिए पानी नहीं मिला, इसलिए वे हारून और मूसा के पास आए।
\v 3 उन्होंने शिकायत की और कहा, “हम चाहते हैं कि हम भी हमारे साथी इस्राएलियों के समान जिनकी मृत्यु हो गई, यहोवा के पवित्र तम्बू के सामने मर जाएँ!
\s5
\v 4 क्या तू हमें जो यहोवा के लोग हैं इस मरुस्थल में इसलिए ले आया है कि हम हमारे पशुओं के साथ मर जाएँ?
\v 5 तुम हमें मिस्र से इस बुरी जगह पर क्यों लाए? यहाँ कोई अनाज, कोई अंजीर, कोई अंगूर और कोई अनार नहीं है। और हमारे लिए पीने के लिए पानी भी नहीं है!"
\p
\s5
\v 6 मूसा और हारून लोगों से दूर होकर पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर गए और भूमि पर मुँह के बल गिर गए। तब यहोवा उन्हें अपनी उज्ज्वल महिमा के साथ दिखाई दिया।
\s5
\v 7 यहोवा ने अपनी महिमा में प्रकट होकर उसने कहा,
\v 8 “तू हारून को और हारून की छड़ी ले आ और सब लोगों को इकट्ठा कर। लोग देख रहे हों, तब उस बड़ी चट्टान को आदेश दो कि वह पानी दे। लोगों के लिए पानी उसमें से बह निकलेगा जो उन सब के लिए और उनके सब पशुओं के लिए पर्याप्त पीने का पानी होगा।"
\p
\v 9 अत: मूसा ने वही किया जिसकी आज्ञा यहोवा ने दी थी। उसने पवित्र तम्बू में से हारून की छड़ी को उसके स्थान से उठा लिया।
\s5
\v 10 तब मूसा और हारून ने सब लोगों को उस चट्टान के पास इकट्ठा होने के लिए कहा । वहाँ मूसा उन पर चिल्लाया, “तुम सब विद्रोही लोग, सुनो! क्या हमें तुम्हारे लिए इस चट्टान से पानी लाना जरूरी है?”
\v 11 तब मूसा ने अपना हाथ उठाया और चट्टान से बात करने की अपेक्षा छड़ी से दो बार चट्टान को मारा। और पानी बह निकला। सब लोगों ने और उनके पशुओं ने जितना चाहते थे उतना पानी पी लिया।
\p
\s5
\v 12 परन्तु यहोवा ने हारून और मूसा से कहा, “तुमने मुझ पर भरोसा नहीं किया ना ही इस्राएल के लोगों के सामने मेरा सम्मान किया, इसलिए तुम उन्हें उस देश में नहीं ले जाओगे जो मैंने उन्हें दिया है!”
\p
\v 13 बाद में उस जगह को मरीबा कहा गया, जिसका अर्थ है ‘विवाद करना’, क्योंकि वहां इस्राएली लोगों ने यहोवा के विरूद्ध विवाद किया था, और वहां उसने उन्हें पानी देकर अपने सम्मान और पवित्रता को दिखाया था।
\p
\s5
\v 14 जब इस्राएली कादेश में थे, तब मूसा ने एदोम के राजा के पास, सन्देश लेकर दूत भेजे, “तुम्हारे भाई-बन्धु, इस्राएली, तुम्हें यह संदेश भेज रहे हैं। तुम हम पर आई परेशानियों को जानते हो।
\v 15 तुम जानते हो कि हमारे पूर्वज मिस्र को गए थे। तुम जानते हो कि वे कई वर्ष तक वहां रहे। उन्हें कष्ट भोगना पड़ा क्योंकि मिस्र के शासकों ने उन्हें अपना दास बनाकर बहुत परिश्रम करवाया।
\v 16 परन्तु जब उन्होंने यहोवा को पुकारा, तो यहोवा ने सुना और एक स्वर्गदूत भेजा जो उन्हें मिस्र से बाहर निकाल लाया। अब हमने तुम्हारे देश की सीमा के पास के एक शहर कादेश में अपने तम्बू खड़े किए हैं।
\s5
\v 17 कृपया हमें अपने देश से यात्रा करने की अनुमति दें। हम सावधान रहेंगे कि तुम्हारे' खेतों और दाख की बारियों में से होकर नहीं चलें। हम तुम्हारे कुओं से पानी भी नहीं पीएंगे। हम यात्रा करेंगे तो हम राजमार्ग पर जो मुख्य सड़क दक्षिण से उत्तर में जाती है, उसी पर, चलेंगे और हम उस सड़क को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक हम उत्तर में तुम्हारे देश की सीमा पार नहीं कर लेते।"
\p
\s5
\v 18 परन्तु एदोम के राजा ने इन्कार कर दिया। उसने उत्तर दिया, “मेरे देश से बाहर रहो! अगर तुम इसमें प्रवेश करने का प्रयास करते हो, तो मैं अपनी सेना भेज कर तुम पर आक्रमण कर दूँगा!”
\p
\v 19 इस्राएली दूतों ने उत्तर दिया, “यदि हम तुम्हारे देश से यात्रा करते हैं, तो हम मुख्य सड़क पर रहेंगे। अगर हम और हमारे पशु में से कोई भी पानी पीता है, तो हम इसके लिए पैसा देंगे। हम केवल तुम्हारे देश से होकर यात्रा करना चाहते हैं। हम कुछ और नहीं चाहते हैं।"
\p
\s5
\v 20 परन्तु राजा ने उत्तर दिया, “नहीं! हमारे देश से बाहर रहो! हम तुम्हें हमारी भूमि से होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं देंगे!” तब उसने इस्राएलियों को अपने देश में प्रवेश करने से रोकने के लिए अपनी सेना के बलवन्त सैनिकों को भेजा।
\p
\v 21 क्योंकि एदोम के राजा ने इस्राएलियों को अपने देश में से होकर यात्रा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया, इसलिए इस्राएली मुड़ गए और दुसरे मार्ग से यात्रा की।
\p
\s5
\v 22 इस्राएली लोगों ने कादेश छोड़ा। वे होर पर्वत पर गए,
\v 23 जो एदोम की सीमा पर है। जब वे वहां थे, तब यहोवा ने हारून और मूसा से कहा,
\v 24 “हारून के मरने का समय आ गया है। वह उस देश में प्रवेश नहीं करेगा जो मैं तुम इस्राएलियों को दे रहा हूँ, क्योंकि तुम दोनों ने मेरी अवज्ञा की थी, जब मैंने आज्ञा दी थी कि मरीबा में तुम्हें चट्टान से बात करके पानी लेना ।
\s5
\v 25 अब हे मूसा, हारून और उसके पुत्र एलीआजार को होर पर्वत पर ले जा।
\v 26 वहां तुम्हें हारून के उन कपड़ों को उतारना जिन्हें वह याजक का काम करते समय पहनता है, और उन्हें उसके पुत्र एलीआजार पर डालना है। हारून वहां मर जाएगा। "
\p
\s5
\v 27 तब मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया। वे तीनों इस्राएलियों के देखते- देखते होर पर्वत पर चढ़ गए।
\v 28 पर्वत के चोटी पर, मूसा ने हारून के याजकीय वस्त्रों को उतार लिया और उन्हें एलीआजार पर डाला। तब हारून पर्वत की चोटी पर मर गया, और एलीआजार और मूसा लौट आए।
\v 29 जब इस्राएली लोगों को पता चला कि हारून की मृत्यु हो गई है, तो उन्होंने तीस दिन तक उसके लिए शोक किया।
\s5
\c 21
\p
\v 1 अराद शहर का राजा दक्षिणी यहूदिया के मरुस्थल में रहता था जहाँ कनानी रहते थे। उसने समाचार सुना कि इस्राएली अतारीम गांव के मार्ग से आ रहे हैं। तो उसकी सेना ने इस्राएलियों पर आक्रमण किया और उनमें से कुछ लोगों को पकड़ लिया।
\v 2 तब इस्राएलियों ने यह मन्नत मानी, “हे यहोवा, यदि आप इन लोगों को हराने में हमारी सहायता करेंगे, तो हम उनके सभी नगरों को पूरी तरह नष्ट कर देंगे।”
\v 3 यहोवा ने उनकी विनती को सुना और उन्हें कनानियों की सेना को पराजित करने योग्य कर दिया। इस्राएली सैनिकों ने सभी लोगों को मार डाला और उनके नगरों को नष्ट कर दिया। उस समय से, उस जगह को होर्मा कहा जाता है जिसका अर्थ है “विनाश।”
\p
\s5
\v 4 तब इस्राएलियों ने होर पर्वत को छोड़ दिया और एदोम देश के बाहर की ओर से जाने के लिए, सरकंडे के सागर की ओर के मार्ग पर यात्रा की। लेकिन लोग रास्ते में अधीर हो गए,
\v 5 और उन्होंने परमेश्वर के और मूसा के विरुद्ध बुड़बुड़ाना आरंभ कर दिया। उन्होंने कहा, “तुम हमें इस मरुस्थल में मरने के लिए मिस्र से क्यों निकाल लाए? यहाँ खाने के लिए कुछ भी नहीं है, और पीने के लिए कुछ भी नहीं है। और हम इस निकम्मे मन्ना से घृणा करते हैं!”
\p
\s5
\v 6 तब यहोवा ने उनके बीच जहरीले सांप भेजे। बहुत से लोगों को सांपों ने काटा और वे मर गए।
\v 7 तब लोग मूसा के पास आए और कहा, “अब हम जानते हैं कि हमने यहोवा के विरुद्ध और तेरे विरूद्ध पाप किया है। यहोवा से प्रार्थना कर, कि वह सांपों को हटा दे!” इसलिए मूसा ने लोगों के लिए प्रार्थना की।
\p
\s5
\v 8 तब यहोवा ने उससे कहा, “इस जहरीले सांप की एक प्रतिमा बना, और उसे खम्भे के ऊपर लटका दे। यदि सांपों के द्वारा काटे गए लोग उस प्रतिमा को देखेंगे तो बच हो जाएंगे।”
\v 9 तब मूसा ने पीतल का एक सांप बनाया और उसे खम्भे के ऊपर लटका दिया। फिर, जब सांप लोगों को काटते थे और वे उस पीतल के सांप को देखते थे, तो वे बच जाते थे!
\p
\s5
\v 10 तब इस्राएली यात्रा करके ओबोत गए और वहां पर छावनी डाली।
\v 11 फिर उन्होंने ओबोत छोड़ा और मोआब की पूर्वी सीमा पर मरुस्थल में इए अबारीम के पास गए।
\s5
\v 12 वहां से उन्होंने उस घाटी की ओर यात्रा की जहाँ जेरेद नदी है, और वहां छावनी डाली।
\v 13 फिर वे अर्नोन नदी के उत्तर की ओर गए। वह क्षेत्र मरुस्थल में उस भूमि के बगल में है जहाँ अमोरी लोग रहते हैं। अर्नोन नदी मोआबियों और एमोरियों के बीच की सीमा है।
\s5
\v 14 यही कारण है कि यह यहोवा के युद्धों की पुस्तक में लिखा गया है,
\q1 “सूपा में वाहेब, और वहां की घाटी,
\q2 और अर्नोन नदी
\q1
\v 15 और वहाँ की घाटी
\q2 जो मोआब की सीमा पर आर गांव तक फैला है। “
\m
\s5
\v 16 वहां से इस्राएलियों ने बेर की ओर यात्रा की। वहां एक कुआं था जहाँ यहोवा ने पहले मूसा से कहा था, “लोगों को इकट्ठा करो, और मैं उन्हें पानी दूँगा।”
\s5
\v 17 वहां इस्राएलियों ने यह गीत गाया:
\q1 “हे कुएँ, हमें पानी दे!
\q1 इस कुएँ के विषय में गाओ!
\q1
\v 18 इस कुएँ के विषय में गाओ
\q2 जो हमारे प्रधानों ने खोदा;
\q2 उन्होंने अपने शाही राजदंड और उनकी लाठियों से इसे खोदा।"
\m तब इस्राएली उस मरुस्थल को छोड़कर मत्ताना गए।
\s5
\v 19 इस्राएली नहलीएल और बामोत गाँव से भी निकल गए।
\v 20 तब वे मोआब की घाटी में गए, जहाँ पिसगा पर्वत जंगल से ऊपर उठता है।
\p
\s5
\v 21 तब इस्राएलियों ने एमोरी लोगों के राजा सीहोन के पास दूत भेजे। उन्होंने उसे यह सन्देश दिया था,
\v 22 “हमें अपने देश से यात्रा करने की अनुमति दीजिए। हम राजमार्ग पर ही रहेंगे, वह मुख्य मार्ग जो दक्षिण से उत्तर तक जाता है, जब तक कि हम तुम्हारी भूमि से यात्रा नहीं कर लेते। हम किसी भी खेत या दाख की बारी से होकर नहीं चलेंगे नही तुम्हारे कुओं से पानी पीएंगे।"
\p
\v 23 लेकिन राजा सीहोन ने इन्कार कर दिया। उसने उन्हें अपने देश में से होकर जाने की अनुमति नहीं दी। इसकी अपेक्षा उसने अपनी पूरी सेना को मरुस्थल में इस्राएलियों पर हमला करने के लिए भेजा। उन्होंने यहस गाँव में इस्राएलियों पर हमला किया।
\s5
\v 24 परन्तु इस्राएलियों ने उन्हें पूरी तरह से पराजित कर दिया और दक्षिण में अर्नोन नदी से उत्तर में यब्बोक नदी तक उनकी भूमि पर कब्जा कर लिया। वे उस देश की सीमा पर रुक गए जहाँ अम्मोनी लोगों रहते थे, क्योंकि अम्मोन की सेना सीमा की रक्षा कर रही थी।
\v 25 इसलिए इस्राएलियों ने उन सभी शहरों और नगरों पर कब्जा कर लिया जहाँ अमोरी रहते थे, और कुछ इस्राएली वहाँ रहने लगे। उन्होंने हेशबोन और आसपास के गांवों पर कब्जा कर लिया।
\v 26 हेशबोन उस देश की राजधानी थी। यह वह शहर था जहाँ से राजा सीहोन शासन करता था। उसकी सेना ने पहले मोआब के राजा की सेना को पराजित कर दिया था, और उसके बाद उसके लोग मोआब के सारे देश में, दक्षिण में अर्नोन नदी तक रहने लगे थे।
\p
\s5
\v 27 इसी कारण से, कवियों में से एक ने बहुत पहले लिखा था,
\q1 “हेशबोन में आओ, वह शहर जहाँ सीहोन राजा शासन करता था।
\q2 हम चाहते हैं कि वह शहर फिर से बसे।
\q1
\v 28 हेशबोन से आग निकली।
\q2 उसने मोआब में आर के शहर को जला दिया।
\q1 उसने अर्नोन नदी के किनारे की पहाड़ियों पर सबकुछ नष्ट कर दिया।
\q1
\s5
\v 29 हे मोआब के लोगों, तुम्हारे साथ भयानक बातें हुई हैं!
\q2 तुम लोग जो अपने देवता कमोश की पूजा करते हो, नष्ट हो गए हो!
\q1 जो लोग कमोश की पूजा करते हैं वे भाग गए हैं और अब शरणार्थी बन गए हैं,
\q2 और जो महिलाएं उसकी पूजा करती थीं, उन्हें एमोरी लोगों के राजा सीहोन की सेना ने बन्दी बना लिया।
\q1
\v 30 परन्तु हमने एमोर के उन वंशजों को पराजित किया है,
\q2 उत्तर में हेशबोन से लेकर दक्षिण में दीबोन शहर तक सभी स्थानों में।
\q1 हमने उन्हें नोपह और मेदबा के नगरों तक पूरी तरह से मिटा दिया है। “
\p
\s5
\v 31 तब इस्राएली लोग उस देश में रहने लगे जहाँ एमोरी रहते थे।
\p
\v 32 जब मूसा ने याजेर शहर के पास के क्षेत्र की छान-बीन करने के लिए कुछ लोगों को भेजा, तब इस्राएली लोग उस क्षेत्र के सभी नगरों में रहने लगे और वहां रहने वाले एमोरी लोगों को निकाल कर बाहर कर दिया।
\s5
\v 33 तब वे उत्तर की ओर बाशान के क्षेत्र की ओर गए, परन्तु बाशान के राजा ओग और उसकी सारी सेना ने उन पर एद्रेई शहर में आक्रमण किया।
\p
\v 34 यहोवा ने मूसा से कहा, “ओग से मत डरो, क्योंकि मैं तेरे लोगों को उसे और उसकी सेना को हराने और उनकी सारी भूमि पर अधिकार करने में सक्षम करूँगा। तुम उसके साथ वैसा ही करोगे जैसा तुमने हेशबोन में रह कर शासन करनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन के साथ किया था।"
\p
\v 35 और ऐसा ही हुआ। इस्राएलियों ने ओग की सेना को हरा दिया, और राजा ओग और उसके पुत्रों और उसके सभी लोगों को मार डाला। एक भी व्यक्ति बच नहीं पाया! और फिर इस्राएली उनके देश में रहने लगे।
\s5
\c 22
\p
\v 1 तब इस्राएली मोआब के मैदान में पश्चिम की ओर गए जो यरीहो से नदी के पार, यरदन नदी की घाटी में था।
\p
\s5
\v 2 परन्तु मोआब पर शासन करने वाले सिप्पोर के पुत्र बालाक को पता चला कि इस्राएलियों ने एमोरी लोगों के साथ क्या किया था।
\v 3 जब उसने देखा कि इस्राएली बहुत हैं, तो वह और उसके लोग बहुत डर गए।
\p
\v 4 तब मोआब का राजा मिद्यानी लोगों के प्रधानों के पास गया और उनसे कहा, “इस्राएलियों का यह बड़ा समूह उनके चारों ओर सब कुछ मिटा देगा, जैसे एक बैल घास को खा जाता है!”
\p बालाक मोआब का राजा था।
\s5
\v 5 उसने बिलाम नामक एक भविष्यद्वक्ता के पास दूत भेजे, जो परात नदी के पास पतोर में अपने नगर में रह रहा था। उसने उससे अनुरोध करने के लिए सन्देश भेजा कि बिलाम उनकी सहायता करने आए, “मिस्र से लोगों का एक बड़ा समूह यहाँ पहुंचा है। ऐसा लगता है कि वे पूरी भूमि को ढाँक रहे हैं! और वे हमारे निकट रहने लगे हैं।
\v 6 क्योंकि वे बहुत शक्तिशाली हैं, हम उनसे डरते हैं। इसलिए कृपया आओ और उन्हें मेरे लिए श्राप दो। तब मेरी सेना उन्हें हराने में सक्षम हो सकती है और उन्हें उस भूमि से निकाल सकती है जहाँ वे अब रह रहे हैं। मुझे पता है कि जिन लोगों को आप आशीर्वाद देते हैं, उनका भला होता है, और जिन लोगों को आप श्राप देते हैं, उन पर आपदाएं आती हैं। “
\p
\s5
\v 7 बालाक के दूतों ने, जो मोआब और मिद्यानी लोगों के प्रधान थे, बिलाम को देने के लिए अपने साथ पैसा लिया जिससे कि वह आए और इस्राएलियों को श्राप दे। वे बिलाम के पास गए और बालाक ने जो कहा था उसे सुनाया ।
\p
\v 8 बिलाम ने कहा, “आज रात यहाँ रहो। यहोवा तुम्हारे लिए मुझे जो सन्देश देंगे मैं तुम्हे कल सुबह सुना दूँगा।”
\p अतः मोआब के प्रधान उस रात वहां रहे।
\s5
\v 9 रात में, परमेश्वर बिलाम के सामने प्रकट हुआ और उससे पूछा, “ये लोग कौन हैं जो तेरे साथ रह रहे हैं?”
\p
\v 10 बिलाम ने उत्तर दिया, “मोआब के राजा बालाक ने मुझे यहाँ इन मनुष्यों को भेजा, कि मुझे यह सन्देश सुनाएँ
\v 11 ‘मिस्र से लोगों का एक बड़ा समूह आया है, और वे इस क्षेत्र में फैले हुए हैं। कृपया उन्हें श्राप देने के लिए तुरन्त आ। तब मैं उन्हें पराजित करने और उन्हें इस क्षेत्र से निकाल बाहर करने में सक्षम हो सकता हूँ।”
\p
\s5
\v 12 परमेश्वर ने बिलाम से कहा, “उनके साथ मत जाना! मैंने उन लोगों को आशीर्वाद दिया है, इसलिए तू उन्हें श्राप नहीं देगा!”
\p
\v 13 अगली सुबह, बिलाम ने उठकर बालाक के लोगों से कहा, “घर लौट जाओ, परन्तु अकेले ही जाओ, क्योंकि यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।”
\p
\v 14 तब मोआब के लोग राजा बालाक के पास लौट आए और बताया, “बिलाम ने हमारे साथ आने से इंकार कर दिया।”
\p
\s5
\v 15 लेकिन बालाक ने बिलाम के पास प्रधानों के एक और समूह को भेजा। यह समूह बड़ा था और वे पहले समूह के पुरुषों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण थे।
\v 16 वे बिलाम के पास गए और उसे कहा, “राजा बालाक कहता है, ‘कृपया यहाँ आने में किसी भी प्रकार की बाधा को न आने दे।
\v 17 यदि तू आएगा हैं तो मैं तुझे बहुत पैसा दूंगा, और जो तू कहेगा, मैं करूँगा । बस आ और इन इस्राएलियों को मेरे लिए श्राप दे! ‘”
\p
\s5
\v 18 परन्तु बिलाम ने उनको उत्तर दिया, “यदि बालाक मुझे चाँदी और सोने से भरा महल भी दे, तो भी मैं अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन करने के लिए कुछ भी नहीं करूंगा।
\v 19 परन्तु एक और रात यहाँ रहो, जैसे कि दूसरे दूतों ने किया, और मैं बताऊंगा कि यहोवा मुझसे क्या कहते हैं। “
\p
\v 20 उस रात परमेश्वर ने फिर से बिलाम को दर्शन दिया और उससे कहा, “ये लोग अनुरोध करने आए हैं कि तू उनके साथ जाए, इसलिए तू उनके साथ जा, परन्तु केवल वही करना जो मैं तुझे कहता हूँ!”
\p
\s5
\v 21 तब अगली सुबह, बिलाम ने अपने गधे पर गद्दी लगाई और वह अपने दो कर्मचारियों के साथ मोआब के लोगों के साथ चला गया।
\v 22 परमेश्वर ने बिलाम को जाने की अनुमति तो दे दी थी, परन्तु वह क्रोधित था। इसलिए उसने अपने एक स्वर्गदूत को बिलाम के पास भेजा। स्वर्गदूत बिलाम का रास्ता रोकने के लिए सड़क के बीच खड़ा था। बिलाम और उसके दो सेवक अपने अपने गधे पर सवारी कर रहे थे,
\v 23 बिलाम के गधे ने स्वर्गदूत को देखा। स्वर्गदूत सड़क पर खड़ा था और अपने हाथ में तलवार पकड़े हुए था, लेकिन बिलाम ने उसे नहीं देखा।
\p बिलाम का गधा सड़क को छोड़ एक मैदान में चला गया। अत: बिलाम ने गधे को मार कर मार्ग में ले आया।
\s5
\v 24 तब स्वर्गदूत एक ऐसे स्थान पर खड़ा था जो दो अंगूर के बागों के बीच में था मार्ग के दोनों किनारों पर दीवारें होने के कारण सड़क बहुत संकरी थी।
\v 25 जब गधे ने वहां खड़े स्वर्गदूत को देखा, तो वह स्वर्गदूत से दूर होने के प्रयास में दीवार के बहुत निकट चलने लगा। जिसके कारण बिलाम का पाँव दीवार से दब गया। इसलिए बिलाम ने गधे को फिर मारा।
\p
\s5
\v 26 तब स्वर्गदूत सड़क में थोड़ा आगे चला गया और एक ऐसी जगह पर खड़ा था जो बहुत संकरी थी, जिसके कारण गधा बिल्कुल पीछे नहीं जा सका।
\v 27 इस बार, जब गधे ने स्वर्गदूत को देखा, तो वह भूमि पर बैठ गया जबकि बिलाम उसके ऊपर बैठा था। बिलाम बहुत क्रोधित हो गया, और उसने गधे को फिर अपनी लाठी से मारा।
\s5
\v 28 तब यहोवा ने गधे को बोलने में सक्षम किया! उसने बिलाम से कहा, “मैंने आपके साथ क्या बुराई की है जिसके कारण आपने तीन बार मुझे मारा?”
\p
\v 29 बिलाम चिल्लाया, “मैंने तुझे इसलिए मारा कि तू ने मुझे मूर्ख बना दिया है! अगर मेरे पास तलवार होती, तो मैं तुझे मार डालता!”
\p
\v 30 गधे ने उत्तर दिया, “मैं आपका गधा हूँ, जिस पर आपने हमेशा सवारी की है! क्या मैंने इससे पहले कभी ऐसा कुछ किया है?”
\p बिलाम ने कहा, “नहीं।”
\p
\s5
\v 31 तब यहोवा ने सड़क पर खड़े स्वर्गदूत को देखने के लिए बिलाम की आँखें दीं उसके हाथ में तलवार थी। बिलाम ने देखा कि वह एक स्वर्गदूत है और उसने भूमि पर मुँह के बल गिरकर स्वर्गदूत को दण्डवत् किया।
\p
\v 32 स्वर्गदूत ने उससे पूछा, “तू ने अपने गधे को तीन बार क्यों मारा? मैं तेरा रास्ता रोकने के लिए आया हूँ क्योंकि जो योजना तू बना रहा है, वह गलत है।
\v 33 तीन बार तेरे गधे ने मुझे देखा और मुझसे दूर हो गया। यदि उसने ऐसा नहीं किया होता, तो मैं निश्चय ही पहली बार में तुझे मार डालता, लेकिन मैं गधे को जीवित रहने देना चाहता हूँ।"
\p
\s5
\v 34 तब बिलाम ने स्वर्गदूत से कहा, “मैंने पाप किया है, लेकिन मुझे नहीं पता था कि तुम मेरा रास्ता रोक रहे थे। इसलिए यदि तुम नहीं चाहते कि मैं आगे जाऊँ, तो मैं घर लौट जाता हूँ।”
\p
\v 35 परन्तु स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, “मैं तुझे इन मनुष्यों के साथ जाने की अनुमति देता हूँ परन्तु तुझे वही कहना होगा जो मैं कहता हूँ!”
\p इसलिए बिलाम उन प्रधानों के साथ चला गया जिन्हें बालाक ने भेजा था।
\p
\s5
\v 36 जब राजा बालाक ने सुना कि बिलाम आ रहा था, तो वह मोआब के एक नगर में उससे मिलने गया, जो अर्नोन नदी के किनारे स्थित है, और उसके देश की सीमा के पास है।
\v 37 जब वह वहाँ पहुंचा जहाँ बिलाम था, तो उसने उससे कहा, “मैंने तुझे संदेश भेजा था कि तुरन्त आ! तू क्यों नहीं आया तू ने क्या यह सोचा था कि मैं तुझे बहुत पैसा नहीं दे सकता?”
\p
\s5
\v 38 बिलाम ने उत्तर दिया, “मैं अभी यहाँ आया तो हूँ, लेकिन जो मैं चाहता हूँ वह कह नहीं सकता। मैं केवल उन शब्दों को ही कहूंगा जो परमेश्वर मुझे कहने के लिए देगा।”
\p
\v 39 तब बिलाम बालाक के साथ किर्यथूसोत को गया।
\v 40 वहां बालाक ने कुछ मवेशियों और भेड़ों को बलि हेतु मार डाला, और मांस के कुछ हिस्सों को बिलाम और उसके साथ रहने वाले प्रधानों को दिया।
\s5
\v 41 वे वहां सो गए, और अगली सुबह बालाक ने बिलाम को बामोथ बाल नामक गांव में पहाड़ पर चढ़ाया। वहां से उन्होंने नीचे कुछ इस्राएली लोगों को देख सकते थे।
\s5
\c 23
\p
\v 1 बिलाम ने राजा बालाक से कहा, “मेरे लिए यहाँ सात वेदियां बना दे। फिर बलि के लिए सात जवान बैल और सात मेढ़े मार।”
\v 2 बालाक ने वैसा ही किया। और फिर उसने और बिलाम ने प्रत्येक वेदी पर बलि हेतु एक जवान बैल और एक मेढ़ा जला दिया।
\p
\v 3 तब बिलाम ने बालाक से कहा, “तुम यहाँ अपनी होमबलि के समीप यहाँ खड़े हो जाओ, और मैं जाऊंगा और यहोवा से पूछूंगा कि वह क्या कहता हैं। तब मैं आपको बताऊंगा कि वह मुझसे क्या कहता है।”
\p तब बिलाम स्वयं पहाड़ी के चोटी पर चढ़ गया।
\s5
\v 4 पहाड़ी की चोटी पर परमेश्वर उनके सामने प्रकट हुआ। बिलाम ने उससे कहा, “हमने सात वेदियां बनाई हैं, और मैंने एक जवान बैल और एक मेढ़े को हर वेदी पर बलि किया है।”
\p
\v 5 तब यहोवा ने को राजा बालाक के लिए बिलाम को संदेश दिया, और कहा, “लौटकर जा और उसे मेरा सन्देश सुना।”
\p
\v 6 बिलाम जब बालाक के पास लौट आया, तब बालाक जलाई गई बलि की वेदी के निकट मोआब के प्रधानों के साथ खड़ा था।
\s5
\v 7 बिलाम ने उसे यह सन्देश सुनाया,
\q1 “बालाक ने मुझे अराम से यहाँ बुलाया;
\q2 मोआब का राजा मुझे अराम के पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों से यहाँ लाया।
\q1 उसने कहा, ‘आ और मेरे लिए याकूब के वंशजों को श्राप दो!
\q2 आ और कह कि इन इस्राएलियों के साथ बुरा होगा!
\q1
\v 8 परन्तु मैं उन लोगों को कैसे श्राप दे सकता हूँ जिन्हें परमेश्वर ने श्राप नहीं दिया है?
\q2 मैं उन लोगों के विरुद्ध कैसे लड़ सकता हूँ जिनके खिलाफ यहोवा नहीं लड़ते हैं?
\q1
\s5
\v 9 मैंने उन्हें चट्टानों के ऊपर से देखा है,
\q2 मैंने उन्हें पहाड़ियों पर से देखा है।
\q1 मैं देखता हूँ कि वे अकेले रहने वाले लोगों का समूह है।
\q2 उन्होंने स्वयं को अन्यजातियों से अलग कर दिया है।
\q1
\s5
\v 10 याकूब के वंशजों को कौन गिन सकता है, जो धूल के कणों के समान अनगिनत है!
\q2 इस्राएली लोगों की संख्या के चौथाई को भी कौन गिन सकता है?
\q1 मेरी इच्छा है कि मैं धर्मी लोगों के समान मर जाऊं।
\q2 मुझे आशा है कि मैं उनके समान शान्ति से मरूंगा।"
\p
\s5
\v 11 तब बालाक ने कहा, “तू ने मेरे साथ यह क्या किया है? मैं तुझे अपने शत्रुओं को श्राप देने के लिए यहाँ लाया, परन्तु तू ने उन्हें आशीर्वाद दिया है!”
\p
\v 12 परन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मैं केवल वही कह सकता हूँ जो यहोवा मुझसे कहलवाते हैं। मैं और कुछ नहीं कह सकता।”
\p
\s5
\v 13 तब राजा बालाक ने बिलाम से कहा, “मेरे साथ दूसरे स्थान पर आ। वहां तू इस्राएलियों का केवल एक भाग ही देखेगा, और उन लोगों को मेरे लिए श्राप देने में सक्षम होगा।”
\v 14 तब बालाक बिलाम को पिसगा पर्वत की चोटी पर एक मैदान में ले गया। वहाँ, फिर उसने सात वेदियाँ बनाई और प्रत्येक वेदी पर एक जवान बैल और एक मेढ़ा बलि किया।
\p
\v 15 तब बिलाम ने राजा से कहा, “यहाँ अपनी होमबलियों के निकट खड़े रहो, और मैं यहोवा से बात करने जाता हूँ।”
\p
\s5
\v 16 तब बिलाम गया, और यहोवा ने बिलाम को फिर से दर्शन दिया और उसे एक और संदेश दिया। फिर उसने कहा, “बालाक के पास लौट जा और उसे यह संदेश सुना।”
\p
\v 17 तब बिलाम जलाई गई वेदी के पास लौट आया जहाँ राजा और मोआब के प्रधान खड़े थे। बालाक ने उससे पूछा, “यहोवा ने क्या कहा?”
\p
\v 18 तब बिलाम ने उसे यह संदेश सुनाया,
\q1 “बालाक, ध्यान से सुनो,
\q2 हे सिप्पोर के पुत्र, सुनो कि मुझे क्या कहना है!
\q1
\s5
\v 19 परमेश्वर मनुष्य नहीं हैं।
\q2 मनुष्य झूठ बोलते हैं, परन्तु परमेश्वर कभी झूठ नहीं बोलते हैं।
\q1 वह मनुष्य के समान अपना मन कभी नहीं बदलते हैं।
\q2 जो भी उन्होंने कहा है, वह किया हैं।
\q2 उन्होंने जो प्रतिज्ञा की है, उन्होंने उसे पूरा किया है।
\q1
\v 20 उन्होंने मुझे आज्ञा दी कि मैं इस्राएलियों को आशीर्वाद देने के लिए उससे विनती करूं,
\q2 उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया है, और मैं इसे बदल नहीं सकता।
\q1
\s5
\v 21 उनके परमेश्वर यहोवा उनके साथ हैं;
\q2 वे लोग नारा लगाते हैं कि वह उनके सच्चे राजा हैं।
\q1 इसलिए याकूब के वंशजों को हानि नहीं पहुचाएंगे,
\q2 वे परमेश्वर के बिना विपत्ति का सामना नहीं करेंगे?
\q1
\v 22 परमेश्वर ने उन्हें मिस्र के दासत्व से बाहर निकाला
\q2 और जंगली बैल की सी शक्ति से वह उन्हें मरुस्थल के बीच में से लेकर चला है।
\q1
\s5
\v 23 याकूब के वंशजों को श्राप दिया जाए तौभी उनकी हानि नहीं होगी,
\q2 उन पर तंत्र-मन्त्र की शक्ति भी प्रभाव नहीं डालेगी।
\q1 इसलिए अब लोग याकूब के वंशजों के विषय में कहेंगे,
\q2 ‘परमेश्वर ने इस्राएलियों के लिए अद्भुत काम किया है!
\q1
\s5
\v 24 वे एक हमलावार शेरनी की सी शक्ति रखते हैं।
\q2 वे शेरों के समान दृढ़ खड़े हैं।
\q1 शेर तब तक आराम नहीं करते जब तक कि वे शिकार को मारकर खा नहीं लेते
\q2 और पशुओं का खून भी पीते हैं, जिन्हें उन्होंने मार डाला है।"
\p
\s5
\v 25 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “यदि तू उन्हें श्राप नहीं देता है, तो मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तू उन्हें आशीर्वाद दें!”
\p
\v 26 परन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मैंने तुमसे से कहा था कि मुझे केवल वही करना होगा जो यहोवा मुझे करने के लिए कहते हैं!”
\p
\v 27 तब राजा बालाक ने बिलाम से कहा, “मेरे साथ आ मैं तुझे एक और स्थान पर ले जाऊंगा। शायद यह परमेश्वर को स्वीकार्य हो कि तू उन्हें उस स्थान से श्राप दे।”
\s5
\v 28 तब बालाक बिलाम को पोर पर्वत की चोटी पर ले गया जहाँ से वे नीचे मरुस्थल में इस्राएलियों को देख सकते थे।
\p
\v 29 बिलाम ने फिर बालाक से कहा, “मेरे लिए सात वेदियां फिर से बना और बलिदान के लिए सात जवान बैल और सात मेढ़े मार।”
\v 30 बालाक ने वह किया जो बिलाम ने उसे करने के लिए कहा था। उसने प्रत्येक वेदी पर एक जवान बैल और एक मेढ़ा जला दिया।
\s5
\c 24
\p
\v 1 बिलाम को अब यह समझ में आ गया था कि यहोवा इस्राएलियों को श्राप नहीं आशीर्वाद देना चाहते थे। इसलिए उसने यहोवा की इच्छा जानने के लिए एक ओझा के समान जादू का उपयोग नहीं किया, जिसका उसे अभ्यास था। इसकी अपेक्षा, वह मरुस्थल की ओर चला गया।
\s5
\v 2 उसने देखा कि इस्राएली लोग वहां डेरा डाले हुए हैं, प्रत्येक गोत्र एक समूह में इकट्ठा है। तब परमेश्वर के आत्मा उसके ऊपर आया
\v 3 और उसने बालाक को जो भविष्यद्वाणी का संदेश सुनाया वह है:
\q1 “मैं, बोर का पुत्र बिलाम, भविष्यद्वाणी कर रहा हूँ।
\q2 मेरी भविष्यद्वाणी एक ऐसे व्यक्ति के समान है जो देखता है कि भविष्य में क्या होगा और स्पष्ट रूप से बोलता है।
\q1
\s5
\v 4 मैं यह संदेश परमेश्वर से सुनता हूँ।
\q2 मैं उनका दर्शन देखता हूँ जो सर्वशक्तिमान हैं।
\q2 उनके सामने मुंह के बल गिर कर दण्डवत् करते समय मेरी आँखे खुली हैं।
\q1
\v 5 हे याकूब के वंशजों, तुम्हारे तम्बू बहुत सुंदर हैं!
\q2 जहाँ तुम रहते हैं वह स्थान सुंदर है!
\q1
\s5
\v 6 तुम्हारे तम्बू मेरे सामने फैले हुए हैं जैसे घाटियों में खजूर के पेड़,
\q2 जैसे एक नदी के किनारे का बगीचा।
\q1 वे दृढ़ अगर के पेड़ों के समान हैं जिन्हें यहोवा ने लगाया है,
\q2 जैसे नदियों के साथ बढ़ने वाले दृढ़ देवदार के पेड़।
\q1
\s5
\v 7 तुम्हारी पानी की बाल्टी हमेशा भरी रहेगी।
\q2 तुम्हारे द्वारा लगाए जाने वाले बीज के लिए हमेशा पर्याप्त पानी होगा कि वे बढ़ सकें।
\q1 इस्राएलियों का राजा अगाग राजा से अधिक महान होगा।
\q2 उसका प्रशस्ति राज्य सम्मान पाएगा।
\q1
\s5
\v 8 परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर निकाल लाए,
\q2 वह एक जंगली बैल की सी अपनी महान शक्ति से उनकी अगुवाई करते हैं।
\q1 परमेश्वर उन सब जातियों को नष्ट करते हैं जो उनका विरोध करती हैं।
\q2 वह उन सब लोगों की हड्डियों को तोड़ कर टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं,
\q2 और उन्हें अपने तीरों से मारते हैं।
\q1
\s5
\v 9 इस्राएली शेरों के समान हैं जो घात लगाए तैयार बैठे हैं, कि अपने शिकार पर झपटें,
\q1 शेरनियों के समान जो विश्राम कर रही हैं।
\q2 कोई भी उन्हें जगाने का साहस नहीं करेगा!
\p परमेश्वर उन सब को आशीर्वाद देंगे जो इस्राएलियों को आशीर्वाद देते हैं,
\q1 और वह तुमको श्राप देने वाले हर एक जन को श्राप देंगे।"
\p
\s5
\v 10 तब राजा बालाक बिलाम से बहुत क्रोधित हुआ। उसने अपने हाथों के संकेत से दिखाया कि वह बहुत क्रोधित है, और उसने चिल्लाकर कहा, “मैंने तुझे अपने शत्रुओं को श्राप देने के लिए बुलाया! इसकी अपेक्षा तू ने उन्हें तीन बार आशीर्वाद दिया है!
\v 11 इसलिए अब, यहाँ से निकल जा! वापस घर जा! मैंने कहा कि यदि तू उन्हें श्राप देगा तो मैं तुझे बहुत पैसा दूंगा, लेकिन यहोवा ने तुझे यह सब पाने से रोका है! “
\p
\s5
\v 12 बिलाम ने बालाक से कहा, “क्या तुम्हे याद नहीं है कि मैंने उन दूतों को क्या कहा था जिन्हें तूने मेरे पास भेजा था? मैंने कहा था,
\v 13 ‘बालाक मुझे चाँदी और सोने से भरा महल भी दे, तौभी मैं यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करूंगा। जो वह स्वीकार नहीं करते हैं उसे मैं नहीं कर सकता चाहे वह भला हो या बुरा। और मैंने तुमसे कहा था कि मैं केवल वही कह सकता हूँ जो यहोवा मुझ पर प्रकट करेंगे।
\v 14 इसलिए हाँ, मैं अपने लोगों में लौट जाऊंगा, परन्तु पहले, मुझे अनुमति दे कि मोआबी लोगों का भविष्य बताऊँ कि उनके साथ क्या होगा।"
\p
\s5
\v 15 तब बिलाम ने बालाक से कहा:
\q1 “मैं, बोर का पुत्र बिलाम, फिर से भविष्यद्वाणी कर रहा हूँ।
\q2 यह भविष्यद्वाणी फिर एक ऐसे व्यक्ति की है जो देखता है कि भविष्य में क्या होगा और स्पष्ट बोलता है।
\q1
\v 16 मैं परमेश्वर का एक संदेश सुनता हूँ;
\q2 मैं उन बातों को जानता हूँ जिनको परमेश्वर ने, जो स्वर्ग में रहते हैं, मुझ पर प्रकट की हैं।
\q1 मैं सर्वशक्तिमान से दर्शन पाता हूँ।
\q2 जब मैं उनके सामने मुंह के बल गिर कर दण्डवत् करता हूँ तब मेरी आँखें खुली रहती हैं।
\q1
\s5
\v 17 जो बातें मैं दर्शन में देखता हूँ वह अभी नहीं होने वाली हैं।
\q2 मैं उन बातों को देखता हूँ जिनको परमेश्वर भविष्य में करेंगे।
\q1 वह मनुष्य जो याकूब का वंशज है, एक तारे के समान दिखाई देगा;
\q2 एक राजा जो राजदंड धारण करता है वह इस्राएली लोगों में से ही होगा।
\q1 वह मोआब के लोगों के सिर को कुचल देगा;
\q2 वह शेत के वंशजों को मिटा देगा।
\q1
\s5
\v 18 इस्राएली एदोम पर कब्जा करेंगे,
\q2 और वे अपने शत्रुओं को हरा देंगे जो सेईर पर्वत के पास रहते हैं।
\q2 इस्राएली लोग विजयी होंगे।
\q1
\v 19 एक शासक आएगा जो याकूब का वंशज है।
\q2 वह उन लोगों को नष्ट करेगा जो उस शहर में रहते हैं जहाँ बिलाम पहली बार बालाक से मिला था।
\p
\s5
\v 20 तब बिलाम ने अमालेकी लोगों के रहने के स्थान को देखा और उसने यह भविष्यद्वाणी की,
\q1 “अमालेकी लोगों का समूह सबसे बड़ी जाति थी,
\q2 लेकिन वे मिटा दिए जाएंगे। “
\p
\s5
\v 21 फिर उसने उस क्षेत्र को देखा जहाँ केनी लोग रहते थे, और उसने यह भविष्यद्वाणी की,
\q1 “तुम सोचते हो कि जिस स्थान में तुम रहते हो वह सुरक्षित है
\q2 चट्टानों में बने घोंसले के समान,
\q1
\v 22 लेकिन तुम मिटा दिए जाओगे
\q2 जब अश्शूर की सेना तुम्हे पराजित कर देगी।"
\p
\s5
\v 23 बिलाम ने अपनी भविष्यद्वाणियों को यह कहते हुए समाप्त कर दिया,
\q1 “जब परमेश्वर इन सब कामों को करते हैं तो कौन जीवित रह सकता है?
\q1
\v 24 कुप्रुस द्वीप से जहाज आएंगे,
\q2 और उन जहाजों के पुरुष अश्शूर और एबेर की सेनाओं को पराजित करेंगे।
\q2 लेकिन परमेश्वर उन पुरुषों को भी नष्ट करेंगे।"
\p
\s5
\v 25 तब बिलाम और बालाक अपने-अपने घर लौट गए।
\s5
\c 25
\p
\v 1 जबकि इस्राएली बबूल का उपवन नामक एक जगह पर शिविर में रहते थे, तब कुछ लोग उस क्षेत्र में रहने वाले मोआबी लोगों की कुछ स्त्रीयों के साथ सोकर परमेश्वर के साथ विश्वासघाती हुए।
\v 2 तब उन स्त्रीयों ने अपने देवताओं को बलि चढ़ाए जाने के समय उन पुरुषों को आमंत्रित किया। इन इस्राएली पुरुषों ने स्वीकार किय कि वे स्त्रीयों के साथ उत्सव में गए और मोआबी लोगों के देवताओं की आराधना की।
\v 3 इस प्रकार इस्राएली लोग बाल देवता की पूजा करने में स्त्रीयों के साथ जुड़ गए, बाल जो मोआबी लोगों के विचार से पोर पहाड़ी पर रहता था। इससे यहोवा अपने लोगों से बहुत क्रोधित हो गये, और उन्होंने कई इस्राएली लोगों पर एक गंभीर मरी भेजी।
\p
\s5
\v 4 यहोवा ने मूसा से यह कहा: “उन लोगों के सभी प्रधानों को पकड़ो जो ऐसा कर रहे हैं और मेरे देखते देखते उन्हें मार डाल। दिन के समय ऐसा कर। ऐसा करने के बाद, मैं इस्राएली लोगों से क्रोधित नहीं रहूंगा। “
\p
\v 5 इसलिए मूसा ने अन्य इस्राएली प्रधानों से कहा, “तुम में से प्रत्येक को अपने उन लोगों को मार डालना होगा जो बाल की पूजा करने में दूसरों के साथ जुड़ गए हैं।”
\p
\s5
\v 6 लेकिन बाद में, जब बहुत से लोग पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर रो रहे थे, तब इस्राएली पुरुषों में से एक मिद्यानी लोगों के समूह से एक स्त्री को अपने तम्बू में ले आया और उसके साथ सो रहा था। मूसा और सभी लोगों ने इसके विषय में सुना।
\v 7 जब हारून के पोते पीनहास ने यह सुना, तो उसने भाला उठा लिया।
\s5
\v 8 तब वह उस मनुष्य के तम्बू में पहुंचा। उसने भाले को पूरी तरह से व्यक्ति के शरीर से पार करके स्त्री के पेट में बेध दिया और दोनों को मार डाला। उसने ऐसा किया, तो मरी जो इस्राएलियों में फैल रही थी, थम गई।
\v 9 लेकिन उस मरी से चौबीस हजार लोग पहले ही मर चुके थे।
\p
\s5
\v 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 11 “इस पापी व्यवहार को रोकने के लिए मेरे जैसी अधीरता रखने के कारण, पीनहास ने इस्राएली लोगों पर मेरे क्रोध को शान्त कर दिया है। मैं सभी इस्राएली लोगों से छुटकारा पाने के लिए तैयार था क्योंकि मैं बहुत क्रोधित था, लेकिन पीनहास ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया।
\s5
\v 12 अब उसे बताओ कि मैं उसके साथ एक विशेष समझौता कर रहा हूँ।
\v 13 इस समझौते में, मैं उसे और उसके वंशजों को याजक होने का अधिकार देने की प्रतिज्ञा कर रहा हूँ। मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ कि उसने दिखा दिया है कि इस पापी व्यवहार को रोककर वह मेरा अर्थात् परमेश्वर का सम्मान करने के लिए अत्याधिक अधीर था। उसने इस्राएल के पापी व्यवहार के विरुद्ध मेरी पवित्र धार्मिकता को संतुष्ट किया है कि मैं उनके पाप के लिए उन्हें क्षमा करूं।"
\p
\s5
\v 14 मोआबी लोगों की स्त्री के साथ मार डाले गए इस्राएली व्यक्ति का नाम जिम्री था, जो सालू का पुत्र था जो शिमोन के गोत्र से एक परिवार का प्रधान था।
\v 15 स्त्री का नाम कोजबी था। वह सूर की बेटी थी, जो मिद्यानी लोगों के कुलों में से एक का प्रधान था।
\p
\s5
\v 16 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 17 “अपने लोगों को ले और मिद्यानी लोगों पर आक्रमण कर और उन्हें मार डाल।
\v 18 वे तेरे शत्रु बन गए हैं, क्योंकि उन्होंने इस्राएलियों को धोखा दिया है और बहुतों को बाल की पूजा करने के लिए प्रेरित किया है, और तुम्हारा एक पुरुष मिद्यानियों के एक प्रधान की पुत्री कोजबी के साथ सोया था। पोर पहाड़ में पाप करने वाले लोगों के कारण जो मरी आई थी उस समय वह मारी गई थी।"
\s5
\c 26
\p
\v 1 महामारी के समाप्त होने के बाद, यहोवा ने एलीआजार और मूसा से कहा,
\v 2 “एक बार और सब इस्राएलियों की गिनती कर। उन सब बीस वर्ष की आयु के पुरुष जो युद्ध करने योग्य हैं उन के नाम उनके परिवारों के अनुसार लिख।”
\s5
\v 3 जब इस्राएली यरदन के किनारे यरीहो के पास मोआब के मैदानों पर थे, तब एलीआजार और मूसा ने इस्राएलियों के प्रधानों से यह कहा,
\v 4 “उन सब इस्राएली पुरुषों के नाम लिखो जो कम से कम 20 वर्ष की आयु के हैं, यहोवा ने हमें यह आज्ञा दी है।”
\p अत: उन्होंने ऐसा ही किया; याकूब के वंशज जो मिस्र से बाहर निकल आए थे और अभी जीवित थे यह उनकी सूची है।
\s5
\v 5-7 याकूब के पहिलौठें रूबेन के वंशज:
\li हनोक, जिससे हनोकियों का कुल निकला,
\li पल्लू, जिससे पल्लूइयों का कुल निकला,
\li हेस्रोन, जिससे हेस्रोनियों का कुल निकला,
\li कर्मी, जिससे कर्मियों का कुल निकला। इस्राएली प्रधानों ने रूबेन के गोत्र से 43,730 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 8 पल्लू का पुत्र एलीआब था
\v 9 और उसके पोते नमूएल, दातान, और अबीराम थे। दातान और अबीराम वे प्रधान थे जो कोरह के साथ हारून और मूसा के विरूद्ध षड्यंत्र रचने में सहभागी हुए थे और यहोवा से विद्रोह किया।
\p
\s5
\v 10 लेकिन धरती खुल गई और उन्हें और कोरह को निगल लिया। यहोवा ने एक आग भी भेजी जिसने, उन तीन पुरुषों का समर्थन करने वाले 250 लोगों को जला दिया। यह सभी इस्राएली लोगों को चेतावनी थी कि उन्हें उन प्रधानों का सम्मान और आज्ञा पालन करना चाहिए जिन्हें यहोवा ने नियुक्त किया था।
\v 11 परन्तु कोरह के वंशज उस दिन मर नहीं गए थे।
\s5
\v 12-14 ये शिमोन के वंशज हैं:
\li नमूएल, जिससे नमूएलियों का कुल निकला,
\li यामीन, जिससे यामीनियों का कुल निकला,
\li याकीन, जिससे याकीनियों का कुल निकला,
\li जेरह, जिससे जेरहियों का कुल निकला,
\li शाऊल, जिससे शाऊलियों का कुल निकला। इस्राएली प्रधानों ने शिमोन के गोत्र से 22,200 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 15-18 ये गाद के वंशज हैं:
\li सपोन, जिससे सपोनियों का कुल निकला,
\li हाग्गी, जिससे हाग्गियों का कुल निकला,
\li शूनी, जिससे शूनियों का कुल निकला,
\li ओजनी, जिससे ओजनियों का कुल निकला,
\li एरी, जिससे एरियों का कुल निकला,
\li अरोद, जिससे अरोदियों का कुल निकला,
\li अरेली, जिससे अरेलियों का कुल निकला। इस्राएली प्रधानों ने गाद के गोत्र से 40,500 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 19-22 यहूदा के पुत्र, एर और ओनान, कनान में उनके बच्चे होने से पहले मर गए। ये यहूदा के वंशज हैं:
\li शेला, जिससे शेलियों का कुल निकला,
\li पेरेस, जिससे पेरेसियों का कुल निकला,
\li जेरह, जिससे जेरहियों का कुल निकला। पेरेस, हेस्रोन और हामूल का पिता था।
\li हेस्रोन, जिससे हेस्रोनियों का कुल निकला,
\li हामूल, जिससे हामूलियों का कुल निकला। इस्राएली प्रधानों ने यहूदा के गोत्र से 76,500 पुरुषों की गणना की।
\s5
\v 23-25 ये इस्साकार के वंशज हैं:
\li तोला, जिससे तोलियों का कुल निकला,
\li पुव्वा, जिससे पुव्वियों का कुल निकला,
\li याशूब, जिससे याशूबियों का कुल निकला,
\li शिम्रोन, जिससे शिम्रोनियों का कुल निकला, इस्राएली प्रधानों ने इस्साकार के गोत्र से 64,300 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 26-27 ये जबूलून के वंशज हैं:
\li सेरेद, जिससे सेरेदियों का कुल निकला,
\li एलोन, जिनसे एलोनियों का कुल निकला,
\li यहलेल, जिससे यहलेलियों का कुल निकला, इस्राएली प्रधानों ने जबूलून के गोत्र से 60,500 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 28-29 यूसुफ के पुत्र मनश्शे और एप्रैम हैं। ये मनश्शे के वंशज हैं:
\li माकीर, जिससे माकीरियों का कुल निकला। माकिर गिलाद का पिता था।
\li गिलाद से गिलादियों का कुल निकला।
\s5
\v 30-32 ये गिलाद के वंशज हैं:
\li ईएजेर, जिससे ईएजेरियों का कुल निकला,
\li हेलेक, जिससे हेलेकियों का कुल निकला,
\li अस्रीएल, जिससे अस्रीएलियों का कुल निकला,
\li शेकेम, जिससे शेकेमियों का कुल निकला,
\li शमीदा, जिससे शमीदियों का कुल निकला,
\li हेपेर, जिससे हेपेरियों का कुल निकला।
\s5
\v 33-34 हेपेर के पुत्र सलोफाद के पास कोई पुत्र नहीं था, परन्तु उसकी पांच पुत्रियाँ थी-महला, नोवा, होग्ला, मिल्का और तिर्सा। इस्राएली प्रधानों ने मनश्शे जो यूसुफ का पुत्र था, उसके गोत्र से 52,700 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 35-37 ये एप्रैम के वंशज हैं:
\li शूतेलह, जिससे शूतेलहियों का कुल निकला,
\li बेकेर, जिससे बेकेरियों का कुल निकला,
\li तहन, जिससे तहनियों का कुल निकला, ये शूतेलह के वंशज हैं:
\li एरान, जिससे एरानियों का कुल निकला, इस्राएली प्रधानों ने एप्रैम जो यूसुफ का दूसरा पुत्र था, उसके गोत्र से 32,500 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 38-41 ये बिन्यामीन के वंशज हैं:
\li बेला, जिससे बेलियों का कुल निकला,
\li अश्बेल, जिससे अश्बेललियों का कुल निकला,
\li अहीराम, जिससे अहीरामियों का कुल निकला,
\li शपूपाम, जिससे शपूपामियों का कुल निकला,
\li हूपाम, जिससे हूपामियों का कुल निकला, बेला अर्द और नामान का पिता था।
\li अर्द से अर्दियों का कुल निकला,
\li नामान से नामानियों का कुल निकला। इस्राएली प्रधानों ने बिन्यामीन के गोत्र से 45,600 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 42-43 ये दान के वंशज हैं:
\li शूहाम, जिससे शूहामियों का कुल निकला, इस्राएली प्रधानों ने दान के गोत्र से 64,400 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 44-47 ये आशेर के वंशज हैं:
\li यिम्ना, जिससे यिम्नियों का कुल निकला,
\li यिश्वी, जिससे यिश्वीयों का कुल निकला,
\li बरीआ, जिससे बैरियों का कुल निकला, बरीआ के दो बेटे थे- हेबेर और मल्कीएल।
\li हेबेर, जिससे हेबेरियों का कुल निकला,
\li मल्कीएल, जिससे मल्कीएलियों का कुल निकला।
\li आशेर की एक बेटी साराह भी थी। इस्राएली प्रधानों ने आशेर के गोत्र से 53,400 पुरुषों की गिनती की।
\s5
\v 48-50 ये नप्ताली के वंशज हैं:
\li यहसेल, जिससे यहसेलियों का कुल निकला,
\li गूनी, जिससे गूनियों का कुल निकला,
\li येसेर, जिससे येसेरियों का कुल निकला,
\li शिल्लेम, जिससे शिल्लेमियों का कुल निकला, इस्राएली प्रधानों ने नप्ताली के गोत्र से 45,400 पुरुषों की गिनती की।
\m
\s5
\v 51 इस्राएली पुरुष जिन्हें प्रधानों ने गिना वे कुल 6,01,730 थे।
\p
\s5
\v 52 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 53 “गोत्रों के बीच में कनान देश को बाँट दे। अपनी सूची लिखे गए प्रत्येक गोत्र में लोगों की संख्या के अनुसार भूमि बाँट दे।
\s5
\v 54-56 चिट्ठी डालकर यह निर्धारित कर कि कौन से समूह को कौन सा क्षेत्र प्राप्त होगा, परन्तु जिनकी संख्या अधिक है उनको सबसे बड़ा क्षेत्र प्रदान करना। “
\p
\s5
\v 57 प्रधानों ने लेवी के वंशजों के पुरुषों को भी गिना। वे गेर्शोन, कहात और मरारी से निकले कुलों में थे।
\v 58 इन लोगों में लिब्नी, हेब्रोनी, महली, मूशी और कोरह के कुल भी थे। वे सभी लेवी के वंशज थे। कहात अम्राम का पूर्वज था,
\v 59 जिसकी पत्नी योकेबेद थी। वह भी लेवी की वंशज थी, लेकिन उसका जन्म मिस्र में हुआ था। उसके और अम्राम के दो पुत्र थे, हारून और मूसा, और उनकी बड़ी बहन मिर्याम थी।
\s5
\v 60 हारून के पुत्र नादाब, अबीहू, एलीआजार और ईतामार थे।
\v 61 परन्तु नादाब और अबीहू की मृत्यु हो गई जब उन्होंने यहोवा की दी हुई विधि का उल्लंघन करके यहोवा को भेंट चढ़ाने के लिए धूप जलाई।
\p
\v 62 प्रधानों ने लेवी के वंशजों से तेईस हजार लोगों की गिनती की जो कम से कम एक महीने की आयु के थे। लेकिन इन लोगों को जब शेष इस्राएलियों की गिनती के समय नहीं गिना गया था, क्योंकि उन्हें उस समय कोई भूमि नहीं दी गई थी।
\p
\s5
\v 63 इन लोगों को गिनने के लिए एलीआजार और मूसा ने कहा। जब इस्राएलियों की गिनती की गई थी तब वे यरदन नदी के पूर्व की ओर यरीहो के पास मोआब के मैदानी क्षेत्रों में थे।
\v 64 जिन लोगों को उन्होंने गिना था, उनमें से कोई भी हारून और मूसा द्वारा बनाई गई उस सूची में नहीं थे जो सीनै में तैयार की गई थी।
\s5
\v 65 उन्हें यहोवा का वचन स्मरण कराया गया, यहोवा ने कहा था “वे सब इस मरुस्थल में मर जाएंगे,” और यही हुआ। दो लोग जो जीवित थे, वे यपुन्ने का पुत्र कालेब और नून का पुत्र यहोशू थे।
\s5
\c 27
\p
\v 1 एक दिन सलोफाद की पाँचों पुत्रियाँ मूसा के पास आईं। वे महला, नोवा, होग्ला, मिल्का और तिर्सा थीं।
\s5
\v 2 वे पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर आईं और एलीआजार, मूसा, प्रधानों और अन्य इस्राएलियों के सामने खड़ी हो गईं।
\v 3 उन्होंने कहा, “हमारा पिता उस समय मर गया जब हम मरुस्थल में थे, और उनके पास कोई पुत्र नहीं था। परन्तु वह उन लोगों में से नहीं था जिन्होंने कोरह का समर्थन किया, जिन्होंने यहोवा से विद्रोह किया था और वह अपने ही पाप के कारण मर गया। उसके पास कोई पुत्र नहीं था।
\s5
\v 4 हमारे पिता के पुत्र न होने के कारण उनका वंश क्यो लोप हो जाए? इसलिए हमें भी भूमि दो, जैसे हमारे पिता के भाई-बन्धुओं को मिली है!"
\p
\v 5 तब मूसा ने यहोवा से पूछा कि उनके विषय में क्या करना है।
\s5
\v 6 और यहोवा ने उत्तर दिया,
\v 7 “सलोफाद की पुत्रियाँ जो मांग कर रही हैं, वह सही है। उन्हें कुछ भूमि मिलनी चाहिए, जैसे कि उनके पिता के भाई-बन्धुओं को मिली हैं। उनमें से प्रत्येक को उनके भाइयों के स्थान पर भूमि दे।
\p
\v 8 इस्राएलियों से यह भी कह: ‘यदि कोई मनुष्य जिसके पुत्र नहीं हैं और वह मर जाता है, तो वह सब जो उसके पुत्रों को उत्तराधिकार मिलता, उसकी पुत्रियों को दो।
\s5
\v 9 यदि उस व्यक्ति के पुत्र या पुत्रियां नहीं हैं, तो उसके भाइयों में उसके पुत्र-पुत्री के स्थान में उत्तराधिकार बाँट दो।
\v 10 यदि उस व्यक्ति के भाई नहीं हैं तो उसके पिता के भाइयों में उसकी सम्पदा बाँट दो जो उसके पुत्र, पुत्रियों या भाइयों को मिलती ।
\v 11 यदि उस व्यक्ति के पिता का कोई भाई नहीं है, तो उसके निकटतम सम्बन्धियों में उसकी वह सम्पदा बाँट दो। ‘यह इस्राएलियों के लिए एक नियम होगा, क्योंकि मैं मूसा, तुझे यह आज्ञा देता हूँ कि लोगों को यह नियम सुना दे। “
\p
\s5
\v 12 एक दिन, यहोवा ने मूसा से कहा, “यरदन नदी के पूर्व में अबारीम पहाड़ों की चोटी पर चढ़ जा। और उस देश को देखो जो मैं इस्राएलियों को दे रहा हूँ।
\v 13 उसे देखने के बाद, तेरे बड़े भाई हारून के समान तू भी मर जाएगा।
\v 14 इस देश में जाने से पूर्व तू मर जाएगा क्योंकि सीन के मरुस्थल में जब इस्राएली मुझ से विद्रोह कर रहे थे तब मैं ने तुमसे कहा था कि मरीबा की चट्टान से बात करो और वह पानी देगी परन्तु तुम ने मेरी आज्ञा नहीं मानी और चट्टान पर लाठी मारी थी इससे तुमने लोगों में मेरी शक्ति नहीं दिखाई थी।"
\p
\s5
\v 15 तब मूसा ने यहोवा से यह कहा,
\v 16 “हे यहोवा, आप ही परमेश्वर हैं जो सब लोगों की आत्माओं को निर्देशित करते हैं । इसलिए कृपया इस्राएलियों के लिए एक नया प्रधान नियुक्त करें।
\v 17 किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करें जो युद्ध लड़ने में तुम्हारे लोगों का नेतृत्व करे, जिससे की वे बिना चरवाहे के समान भटक न जाएँ।"
\p
\s5
\v 18 यहोवा ने उत्तर दिया, “नून के पुत्र यहोशू को ले, जिसमें मेरी आत्मा है। उसे नियुक्त करने के लिए उसके ऊपर अपना हाथ रखो।
\v 19 उसे एलीआजार याजक के सामने खड़ा कर, सब लोगों के देखते देखते उसे इस्राएलियों का नया प्रधान बनने की आज्ञा दो।
\s5
\v 20 उसे अपने अधिकार में से कुछ अधिकार दे जिससे कि इस्राएलियों को समझ में आ जाए कि उन्हें उसकी आज्ञा का पालन करना होगा"।
\v 21 जब तुम लोगों को मेरे मार्गदर्शन की आवश्यक्ता होगी, तो यहोशू एलीआजार के सामने खड़ा होगा। फिर चिठ्ठी डालकर एलीआजार पता लगाएँगा कि उन्हें क्या करना चाहिए। यहोशू के आदेश पर सब इस्राएलियों युद्ध के लिए तैयार होंगे।"
\p
\s5
\v 22 अत: मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया। उसने यहोशू को एलीआजार और सब इस्राएलियों लोगों के सामने खड़ा किया।
\v 23 मूसा ने उस पर अपना हाथ रखा और उसे नियुक्त कर दिया कि यहोवा ने मूसा को उसके लिए जो काम बताया था उसे करे।
\s5
\c 28
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से यह कहा,
\v 2 “इस्राएलियों से कह, ‘मेरे लिए वेदी पर जलाने वाली भेंटें ले आओ। जब वे जलाई जाएँगी, तो उनकी सुगंध से में बहुत प्रसन्न हो जाऊँगा। और उन्हें समझा दे कि उन्हें उचित समय पर भेंटें लाना होगा।
\s5
\v 3 उनसे कह दे कि उन्हें प्रति दिन एक वर्ष के दो मेम्ने मेरे लिए लाना हैं । उन मेम्नों में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन्हें वेदी पर पूरी तरह जला दिया जाना चाहिए।
\v 4 एक मेम्ना सुबह और एक मेम्ना शाम को लाना होगा।
\v 5 उन्हें एक लीटर जैतून के तेल में सना हुआ दो किलो मैदा भी भेंट के लिए लाना चाहिए।
\s5
\v 6 यह उनकी दैनिक भेंटें होंगी। जब तुम लोग सीनै पर्वत पर थे, तब उन्होंने उन भेंटों को लाना आरंभ कर दिया था। जब उन भेंटों को वेदी पर जला दिया जाता है, तो उसकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करती है।
\v 7 जब वे मेम्ने को जलाते हैं, तो उन्हें पवित्र स्थान की पवित्र वेदी उस पर एक लीटर दाखरस भी डालना होगा।
\v 8 शाम को, जब वे दूसरे मेम्ने को चढ़ाते हैं, तो उन्हें सुबह के समान मैदा और दाखरस भी चढ़ाना चाहिए। जब वे जलाए जाते हैं, तो उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करती है।
\p
\s5
\v 9 प्रत्येक सब्त के दिन, तुमको दो मेम्ने लाने हैं जिनमें कोई दोष नहीं हो। इसके अतिरिक्त जैतून के तेल में सना हुआ साढ़े चार लीटर मैदा अन्नबलि के लिए और साढ़े चार लीटर दाखरस भी भेंट के लिए लेकर आना है।
\v 10 ये भेंटें हैं प्रत्येक सब्त को वेदी पर जलाई जाना चाहिए। ये उन दो मेम्नों और दाखरस से अलग हैं जिन्हें हर दिन लाना है।
\p
\s5
\v 11 प्रत्येक महीने के पहले दिन तुम्हे मेरे लिए दो जवान बैल, एक नर भेड़ और एक वर्ष के सात मेम्ने भेंट करने होंगे। इन सब को दोष रहित होना चाहिए। इन सब को वेदी पर जला दिया जाना चाहिए।
\v 12 प्रत्येक बैल के साथ जैतून के तेल में सने हुए छः लीटर मैदा की भेंट लेकर आओ। प्रत्येक नर भेड़ के साथ जैतून के तेल में सना हुआ 3.640 किलो मैदा चढ़ाए।
\v 13 और प्रत्येक मेम्ने के साथ जैतून के तेल में सना हुए 1.820 किलो मैदा भी भेंट लाना। जब इन को वेदी पर जलाया जाता है, तो उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करती है।
\s5
\v 14 प्रत्येक बैल के साथ दो लीटर दाखरस भी लाना। प्रत्येक नर भेड़ के साथ, सवा लीटर। प्रत्येक मेम्ने के साथ एक लीटर दाखरस लाना। इन भेंटों को हर महीने के पहले दिन लाना होगा और वेदी पर जलाना होगा।
\v 15 इन जलानेवाली भेंटों के अतिरिक्त पापों के दोष को दूर करने के लिए मेरे पास एक बकरी भी लाना होगी।
\p
\s5
\v 16 मुझे सम्मानित करने के लिए फसह का त्यौहार हर वर्ष पहले महीने के चौदहवें दिन मनाया जाना चाहिए।
\v 17 अखमीरी रोटी का त्यौहार अगले दिन शुरू होगा। अगले सात दिनों के लिए, जो रोटी तुम खाओगे उसे खमीर के बिना बनाया जाना चाहिए।
\v 18 उस त्यौहार के पहले दिन, तुम्हे मेरी आराधना करने के लिए एक साथ इकट्ठा होना है, और तुम्हे कोई काम नहीं करना है जिसे, तुम सामान्य रूप से करते हो।
\s5
\v 19 उस दिन, तुम्हे वेदी पर जलाने के लिए दो जवान बैल, एक नर भेड़ और एक वर्ष के सात मेम्ने भेंट करने होंगे। वे सब दोष रहित हों।
\v 20 इन बैलों में से प्रत्येक के साथ जैतून के तेल में सना हुआ साढ़े पाँच किलो मैदा अन्नबलि के लिए लाना। नर भेड़ के साथ, जैतून के तेल में सना हुआ 3.640 किलो मैदा अन्नबलि के लिए लाना।
\v 21 सात मेम्नों के साथ, जैतून के तेल में सना हुआ 1.820 किलो मैदा अन्नबलि के लिए लाओ।
\v 22 अपने पाप के प्रायश्चित्त की बलि के लिए एक बकरी भी लाना।
\s5
\v 23 इन भेंटों के साथ सुबह की भेंटें प्रतिदिन के अनुसार लाई जाएँ।
\v 24 सात दिन तक वेदी पर जलाए गए अनाज की सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी। पशु और दाखरस जिनको आप वेदी पर जलाते हैं, अनाज उनसे अलग हो।
\v 25 उस त्यौहार के सातवें दिन, तुम सब फिर से आराधना करने के लिए इकट्ठा होना तुम्हे कोई दैनिक काम नहीं करना है।
\p
\s5
\v 26 फसल के त्यौहार के दिन, जब तुम मेरे लिए पहला अनाज लाओ, तो तुम्हे मेरी आराधना करने के लिए इकट्ठे होना चाहिए। उस दिन कोई दैनिक काम नहीं करना।
\v 27 मेरे लिए दो जवान बैल, एक नर भेड़ और एक वर्ष के सात मेम्ने लाना। जब वे पूरी तरह से वेदी पर जलाए जाते हैं, तो उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करती है।
\v 28 जैतून के तेल में सना हुआ मैदा अन्नबलि के लिए लाना। प्रत्येक बैल के साथ 5.127 किलो और प्रत्येक नर भेड़ के साथ 3.375 किलो लाना।
\s5
\v 29 प्रत्येक मेम्ने के साथ 1.820 किलो मैदा लाना।
\v 30 अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए एक बकरे की भी बलि करना।
\v 31 दाखरस और ये सब भेंटें प्रतिदिन जलानेवाली पशुओं और मैदे की भेंटों के अतिरिक्त हैं, स्मरण रखो कि जिन पशुओं की तुम बलि चढ़ाते हो उनमें कोई दोष नहीं होना चाहिए।”
\s5
\c 29
\p
\v 1 “हर वर्ष, अपने सातवें महीने के पहले दिन में मेरी आराधना करने के लिए इकट्ठे होना, और उस दिन कोई दैनिक काम नहीं करना। उस दिन याजकों को अपनी तुरहियाँ फूँकनी होंगी।
\p
\s5
\v 2 उस दिन जब भेंटों को वेदी पर जलाया जा रहा होगा, तो उसकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी। जो पशु तुम्हे लाना हैं, वे एक जवान बैल, एक नर भेड़ और एक वर्ष के सात मेम्ने हैं। उनमें कोई दोष नहीं होना चाहिए।
\s5
\v 3 इन पशुओं के साथ जैतून के तेल में सना हुआ मैदा अन्नबलि के लिए लाओ। बैल के साथ, 682 ग्राम मैदा लाना। नर भेड़ के साथ, 3.376 किलो मैदा लाना,
\v 4 और सात मेम्नों में से प्रत्येक के साथ 1किलो 820 ग्राम मैदा लाना।
\v 5 अपने पापों के प्रायश्चित के लिए एक नर बकरा भी चढ़ाओ।
\s5
\v 6 ये सभी पशु उन पशुओं के अतिरिक्त होंगे जिन्हें प्रतिदिन सुबह और प्रत्येक महीने के पहले दिन वेदी पर जलाया जाता है। मैदा और दाखरस की भेंट ठीक उसी तरह चढ़ाई जानी चाहिए जैसी मैंने राजाज्ञा दी है। जब ये भेंटें जलाई जाती हैं, तो उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करती है।
\p
\s5
\v 7 “प्रति वर्ष, सातवें महीने के दसवें दिन, तुम्हे मेरी आराधना करने के लिए इकट्ठे होना है। उस दिन भोजन न खाना या कोई काम न करना।
\v 8 जब तुम उस दिन वेदी पर भेंट चढ़ाओगे, तो उसकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी तुम्हारे भेंट के पशुओं में होंगे, एक जवान बैल, एक नर भेड़ और एक वर्ष के सात मेम्ने। उनमें कोई दोष नहीं होना चाहिए।
\s5
\v 9 बैल के साथ, जैतून के तेल में सना हुआ 5 किलो 127 ग्राम मैदा अन्नबलि के लिए लाना। नर भेड़ के साथ, 3 किलो 375 ग्राम मैदा लाना।
\v 10 मेम्ने में से प्रत्येक के साथ, 1किलो 820 ग्राम मैदा लाना।
\v 11 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरा और पापों के प्रायश्चित के लिए पशुओं और मैदे और दाखरस की दैनिक भेंट जलाना । वे भेंट उन पशुओं और मैदा और दाखरस के अतिरिक्त होंगी जो प्रतिदिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\p
\s5
\v 12 सातवें महीने के पंद्रहवें दिन, तुम सब को मेरी आराधना करने के लिए इकट्ठा होना है। तुमको उस दिन कोई साधारण काम नहीं करना है। तुम सात दिनों के लिए उत्सव मनाओगे।
\v 13 जब वेदी पर भेंट को चढ़ाया जाता है, तो उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करती है। तुम्हे तेरह जवान बैल, दो नर भेड़ें, और एक वर्ष के चौदह मेम्ने लाना हैं। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए।
\s5
\v 14 तेरह बैलों में से प्रत्येक के साथ, जैतून के तेल में सना हुआ 5 किलो 1 27 ग्राम मैदा भेंट के लिए लाना। नर भेड़ में से प्रत्येक के साथ, 3 किलो 375 ग्राम मैदा लाना।
\v 15 चौदह मेम्नों में से प्रत्येक के साथ, 1किलो 820 ग्राम आटा लाना।
\v 16 अपने पापों के अपराध को दूर करने के लिए एक बकरे को बलि चढ़ाना यह भेंट वेदी पर प्रतिदिन जलाए जाने वाले पशुओं और मैदे और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होगी।
\p
\s5
\v 17 त्यौहार के दूसरे दिन, तुम बारह जवान बैल, दो मेढ़े और एक वर्ष के चौदह मेम्नों को वेदी पर लाना होगा। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए।
\v 18 पशुओं के साथ मैदा और दाखरस की भेंट भी आवश्यक है।
\v 19 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरा भी बलि करना। ये पशु, उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रतिदिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\p
\s5
\v 20 त्यौहार के तीसरे दिन, तुम्हे वेदी पर ग्यारह जवान बैल, दो मेढ़े और एक वर्ष के चौदह मेम्नों को लाना है। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन सभी को वेदी पर जलाया जाना है, और उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\v 21 पशुओं के साथ मैदा और दाखरस की भेंट भी आवश्यक है।
\v 22 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरे की भी बलि चढ़ाना । ये पशु उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रतिदिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\p
\s5
\v 23 त्यौहार के चौथे दिन, तुम वेदी पर दस जवान बैल, दो मेढ़े और एक वर्ष के चौदह मेम्नों को लाना। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन सब को वेदी पर जलाया जाना चाहिए, और उनकी सुगंध मुझे प्रसन्न करेगी।
\v 24 इन पशुओं के साथ भी मैदा और दाखरस की भेंट आवश्यक है।
\v 25 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरे की भी बलि चढ़ाना। ये पशु उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रतिदिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\p
\s5
\v 26 त्यौहार के पांचवें दिन, तुम वेदी पर नौ जवान बैल, दो मेढ़े और एक वर्ष के चौदह मेम्नों को लाना। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन सब को वेदी पर जलाया जाना है, उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\v 27 पशुओं के साथ मैदा और दाखरस की भेंट भी आवश्यक है।
\v 28 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरे को भी बलि चढ़ाना। ये पशु उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रति दिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\p
\s5
\v 29 त्यौहार के छठे दिन, तुम वेदी पर आठ जवान बैल, दो मेढ़े और एक वर्ष के चौदह मेम्नों को लाना। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन सब को वेदी पर जलाया जाना है, उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\v 30 पशुओं के साथ मैदा और दाखरस की भेंट भी आवश्यक है।
\v 31 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरे को भी बलि चढ़ाना। ये पशु उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रति दिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\s5
\v 32 त्यौहार के सातवें दिन, तुम वेदी पर सात जवान बैल, दो मेढ़े और एक वर्ष के चौदह मेम्नों को लाना। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन सब को वेदी पर जलाया जाना है, उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\v 33 पशुओं के साथ मैदा और दाखरस की भेंट भी आवश्यक है।
\v 34 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरे को भी बलि चढ़ाना। ये पशु उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रति दिन वेदी पर पूरी तरह जलाए जाते हैं।
\s5
\v 35 उस त्यौहार के आरंभ के आठ दिन बाद, तुमको फिर से आराधना के लिए इकट्ठा होना हैं; उस दिन कोई दैनिक काम नहीं करना।
\v 36 उस दिन, तुमको वेदी पर एक बैल, एक जवान मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेम्नों को लाना है। इन पशुओं में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उन सब को वेदी पर जलाया जाना चाहिए उनकी सुगंध मुझे बहुत प्रसन्न करेगी।
\p
\s5
\v 37 बैल और नर भेड़ और प्रत्येक मेम्ने के साथ मैदा और दाखरस की भेंट भी आवश्यक है।
\v 38 अपने पापों के दोष को दूर करने के लिए एक बकरे की भी बलि चढ़ाना। ये पशु उन पशुओं और मैदा और दाखरस की भेंट के अतिरिक्त होंगे जो प्रतिदिन वेदी पर जलाए जाते हैं।
\p
\s5
\v 39 अपने त्योहारों में, तुम्हे मेरे लिए ये भेंटें लानी होंगी: जो वेदी पर जलाई जाएंगी, अन्नबलि, दाखमधु और मेरे साथ मेल करने के लिए चढ़ाई जाने वाली भेंट। ये भेंट जो आप मुझे चढ़ाते हैं, वे उनके अतिरिक्त हैं जो तुम मुझे अपनी मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हो, या अन्य विशेष भेंट जो तुम मुझे देना चाहते हो।"
\p
\v 40 तब मूसा ने इस्राएलियों को वह सब बातें बता दी जिनकी आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी।
\s5
\c 30
\p
\v 1 मूसा ने इस्राएली गोत्रों के प्रधानों से बात की और उन्हें ये सब आज्ञाएँ सुना दीं जो यहोवा ने उसे दी थीं।
\p
\v 2 “यदि कोई मनुष्य सच्चे मन से यहोवा के सामने मन्नत मानता है कि वह कुछ करेगा, तो उसने जो भी प्रतिज्ञा की है उसे वह पूरा करे।
\p
\s5
\v 3 अगर एक जवान स्त्री जो अभी भी अपने माता-पिता के साथ रहती है, सच्चे मन से यहोवा से कोई प्रतिज्ञा करती है,
\v 4 और यदि उसका पिता उसकी प्रतिज्ञा के विषय में सुनकर कुछ नहीं कहता है, तो उसने जो प्रतिज्ञा की है उसे वह पूरा करे।
\s5
\v 5 और यदि उसका पिता उसकी प्रतिज्ञाओं के विषय में सुनकर उससे कुछ नहीं कहता है, तो उसे अपनी प्रतिज्ञाओं को अवश्य पूरा करना होगा।
\p
\s5
\v 6 यदि उसका पिता उसी दिन, जिस दिन उसने प्रतिज्ञाओं और मन्नतों में स्वयं को बाँध लिया है सुनकर मना कर देता है तो यहोवा उसे क्षमा कर देगा क्योंकि उसके पिता ने उसे मना कर दिया था।
\v 7 यदि वह शपथ के समय विवाह करती है, या बिना सोचे विचारे शब्दों से स्वयं को बाँध लेती है तो उसकी प्रतिज्ञा स्थिर रहेगी।
\s5
\v 8 परन्तु यदि उसका पति उस दिन उसे रोकता है जिस दिन वह उसके विषय में सुनता है, और उसे मना कर देता है तो उसकी प्रतिज्ञा और शपथ के बन्धक शब्द रद्ध हो गए। यहोवा उसे क्षमा कर देगा।
\p
\s5
\v 9 यदि एक विधवा या एक स्त्री जो विवाह विच्छेदित तलाकशुदा है, वह प्रतिज्ञा करती है, तो उसे प्रतिज्ञा पूरी करना चाहिए।
\p
\v 10 अगर विवाहित स्त्री कुछ करने की प्रतिज्ञा करती है,
\v 11 और यदि उसका पति इसके विषय में सुनता है लेकिन वह कुछ नहीं करता है, तो जो भी प्रतिज्ञा की है उसे वह पूरी करे।
\s5
\v 12 परन्तु यदि वह इसके विषय में सुनता है और उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं देता है, तो उसे वह करने की प्रतिज्ञा पूरी करने की आवश्यक्ता नहीं हैं। यहोवा उसे ऐसा न करने के लिए क्षमा करेगा।
\s5
\v 13 एक स्त्री का पति उसकी प्रतिज्ञा को पूरी करने की माँग कर सकता है या उसे मना कर सकता है।
\v 14 यदि उसका पति इसके विषय में सुनता है और वह कई दिनों तक विरोध नहीं करता है, तो उसने जो भी प्रतिज्ञा की है उसे वह पूरा करे।
\s5
\v 15 परन्तु यदि उसका पति उसकी प्रतिज्ञा के बाद लम्बे समय तक चुप रहता है और फिर उसे मना करता है तो यहोवा उस स्त्री को नहीं उसके पति को दण्ड देगा। “
\p
\v 16 यहोवा ने मूसा को पतियों और पत्नियों और माता पिता के साथ रहनेवाली युवा स्त्रियों के लिए ये नियम दिए।
\s5
\c 31
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएलियों कि उन्हें मिद्यानियों अपना से बदला लें उसके बाद तू मर जाएगा।”
\p
\s5
\v 3 तब मूसा ने लोगों से कहा, “युद्ध के लिए कुछ लोगों को तैयार करो। जो मिद्यानियों ने हमारे साथ किया था उसका बदला लेने के लिए यहोवा हमें शक्ति देगा।
\v 4 प्रत्येक गोत्र से युद्ध के लिए हजार-हजार पुरुषों का चयन करो। “
\v 5 अत: प्रत्येक गोत्र से एक हजार इस प्रकार बारह हजार पुरुष युद्ध में जाने के लिए तैयार हो गए।
\s5
\v 6 जब मूसा ने उन्हें युद्ध में भेजा, तो एलीआजर याजक का पुत्र पीनहास उनके साथ गया। उसने पवित्र तम्बू से कुछ चीजें और तुरही लीं, जो युद्ध आरंभ करने के लिए फूँकी जाएंगी।
\p
\v 7 इस्राएलियों ने मिद्यानियों के सैनिकों से युद्ध किया, जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था और उन्होंने मिद्यानियों के हर एक व्यक्ति को मार डाला।
\v 8 जिन लोगों को उन्होंने मार डाला उनमें से मिद्यानियों के पाँच राजा थे- एवी, रेकेम, सूर, हूर और रेबा। उन्होंने बोर के पुत्र बिलाम को भी तलवार से मार डाला।
\s5
\v 9 उन्होंने मिद्यानियों की सब स्त्रीयों और बच्चों को पकड़ लिया और उनके मवेशियों, भेड़ और बकरियों के झुंड और सारी सम्पत्ति समेत बन्दी बना लिया।
\v 10 तब उन्होंने उन नगरों और गाँवों के सभी घरों को जला दिया जहाँ मिद्यानी रहते थे।
\s5
\v 11 परन्तु वे उन सभी स्त्रीयों और बच्चों और जानवरों और सम्पत्तियों को अपने साथ ले आऐ।
\v 12 वे ये सब एलीआजर और मूसा और अन्य इस्राएलियों लोगों के पास ले आए जो यरदन नदी के तट पर यरीहो के पास मोआब के मैदानों पर अपने डेरे में थे।
\s5
\v 13 एलीआजार और लोगों के सब प्रधान और मूसा उन्हें बधाई देने के लिए डेरे के बाहर गए।
\p
\v 14 परन्तु मूसा उनमें से कुछ लोगों से नाराज था जो युद्ध से लौट आए थे। वह सेना के अधिकारियों से नाराज था, जो हजार पुरुषों और सौ पुरुषों के अधिकारी थे।
\v 15 उसने उनसे पूछा, “तुमने स्त्रीयों को जीवित क्यों रखा?
\s5
\v 16 इन स्त्रीयों ने बिलाम के सुझाव के अनुसार किया था और हमारे लोगों से यहोवा के स्थान में बाल की आराधना करने को प्रेरित किया था जिसके कारण यहोवा ने पोर में रहते हुए अपने लोगों पर मरी भेजी थी।
\v 17 इसलिए, अब तुम्हें मिद्यानियों के सभी लड़कों को मारना होगा, और उन सब स्त्रीयों को जो कुवारी नहीं उन्हें भी मार डालना होगा।
\s5
\v 18 केवल उन लड़कियों को जीवित रख छोड़ना जो कुंवारी हैं। तुम उन्हें अपनी पत्नी या दासी बनाने के लिए रख सकते हो।
\p
\v 19 तुम सभी ने जिसने किसी को मारा है या युद्ध में मारे गए किसी व्यक्ति के शव को छुआ है, तो उन्हें शिविर के बाहर सात दिन तक रहना होगा। तीसरे दिन और सातवें दिन, तुम्हें अनुष्ठान करना होगा ताकि तुम फिर से परमेश्वर के लिए स्वीकार्य हो जाओ।
\v 20 तुम्हें अपने कपड़े और युद्ध में लेकर गए कोई भी वस्तु जो चमड़े या बकरी के बाल या लकड़ी से बनी है, धोना है ।"
\p
\s5
\v 21 तब एलीआजार ने उन सैनिकों को जो युद्ध से लौट आए थे, कहा “यहोवा ने मूसा को यह निर्देश दिया है।
\v 22 तुम जो भी सोने या चाँदी या कांस्य या लोहे या टिन या सीसा से बनी वस्तुओं को तुम युद्ध से लाए हो, उसे आग में डालना होगा।
\v 23 जो कुछ भी आग में नहीं जलेगा, उसे रखो, और फिर वे तुम्हारे उपयोग हेतु स्वीकार्य होगी। परन्तु उन वस्तुओं पर भी वह पानी छिड़कना जो वस्तुओं और मनुष्यों को परमेश्वर के लिए स्वीकार्य बनाती है। जो वस्तुएँ आग में डालने से जल जाएं, उन पर भी पानी छिड़क देना।
\v 24 सातवें दिन, अपने कपड़े धोना, और फिर तुम परमेश्वर के लिए स्वीकार्य हो जाओगे। ऐसा करने के बाद, तुम शिविर में वापस आ सकते हो।"
\p
\s5
\v 25 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा,
\v 26 “युद्ध में पकड़े गए सब सामान, स्त्रीयों और जानवरों की एक सूची बनाओ।
\v 27 फिर एलीआजार और परिवारों के प्रधानों से कहो कि वे उन सब वस्तुओं को उन लोगों के बीच जो युद्ध में गए थे और बाकी इस्राएलियों के बीच बाँट दें।
\s5
\v 28 जो लोग युद्ध में लड़ने गए थे उनमें से पाँच सौ पर एक पुरुष और प्रत्येक पाँच सौ मवेशी, गधे और भेड़ों में से एक-एक, मेरे लिए कर स्वरूप ले लो।
\v 29 इन सब को मेरा भाग होने के लिए भेंट स्वरूप एलीआजार को दे।
\s5
\v 30 और सब वस्तुओं में से प्रत्येक पचास में से एक वस्तु लें। इसमें लोग, मवेशी, गधे, भेड़, बकरियां, और अन्य पशु हैं। उन सब को लेवी के वंशजों को दें जो मेरे पवित्र तम्बू की सेवा करते हैं। “
\v 31 तब एलीआजर और मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया।
\p
\s5
\v 32-35 675,000 भेड़ें, सत्तर हजार मवेशी, इकसठ हजार गधे, और बतीस हजार कुंवारियां थीं जिन्हें उन्होंने मिद्यानियों से पकड़ा था।
\p
\s5
\v 36 जो लोग युद्ध में गए थे, उन्होंने 337,000 भेड़े पकड़ी थी
\v 37 और उन्होंने उनमें से 675 यहोवा को दिया।
\v 38 उन्होंने छत्तीस हजार मवेशियों को लिया और उनमें से 72 को यहोवा को दीं।
\s5
\v 39 उन्होंने 30,500 गधे ले लिए, जिनमें से 61 यहोवा को दिए ।
\v 40 उन्होंने सोलह हजार कुंवारियां लीं, और उनमें से 32 को यहोवा को दी।
\p
\v 41 मूसा ने यहोवा आज्ञा के अनुसार उन सब पशुओं को जो यहोवा को दिए गए थे, एलीआजार को दे दिया।
\p
\s5
\v 42-46 मूसा ने उन वस्तुओं को अलग किया जो अन्य लोगों ने युद्ध में जाने वालों को अपने भाग में सेवी थीं। लोगों को 337,500 भेड़, छत्तीस हजार मवेशी, 30,500 गधे, और सोलह हजार कुंवारियां मिलीं।
\s5
\v 47 लोगों को जो मिला उसमें से मूसा ने प्रत्येक पचास वस्तुओं में से एक लिया और उन्हें यहोवा को दिया। इसमें पशु और मनुष्य दोनों थे। यहोवा ने यही आज्ञा दी थी। मूसा ने उन्हें लेवी के वंशजों को दिया जो पवित्र तम्बू की सेवा करते थे।
\p
\s5
\v 48 तब सेना के अधिकारी, जो हजार पुरुषों के ऊपर और सौ पुरुषों के ऊपर अधिकारी थे, वे मूसा के पास आए।
\v 49 उन्होंने कहा, “हम, जो तुम्हारे दास हैं, हमने अपने अधीन सैनिकों की गिनती की और हमने पाया कि उनमें से एक भी कम नहीं है।
\s5
\v 50 इसलिए यहोवा का धन्यवाद करने के लिए, हम युद्ध में प्राप्त सोने के गहनों की भेंट लाए हैं: सोने के कड़े और कंगन और अंगूठियां, बालियां और हार। हमें आशा है कि यह हमारे पापों के लिए प्रायश्चित होगा।"
\p
\v 51 इसलिए एलीआजार और मूसा ने उनके द्वारा लाया गया सोना स्वीकार कर लिया।
\s5
\v 52 उनकी भेंट का वजन लगभग एक सौ इक्यानबे किलोग्राम था।
\v 53 प्रत्येक सैनिक ने इन वस्तुओं को अपने लिए लिया था।
\v 54 एलीआजार और मूसा ने सोने की वे वस्तुएँ सेना के अधिकारियों से स्वीकार करके पवित्र तम्बू में रख दीं ताकि इस्राएलियों को स्मरण कराएँ कि यहोवा ने मिद्यानियों को पराजित करने में उनकी कैसे सहायता की थी।
\s5
\c 32
\p
\v 1 रूबेन और गाद के गोत्रों के लोगों के पास बहुत पशु थे। उन्होंने देखा कि याजेर शहर के पास की भूमि और यरदन नदी के पूर्व में गिलाद के क्षेत्र में पशुओं की चराई के लिए अच्छी घास है।
\v 2 इसलिए उनके प्रधान एलीआजार और लोगों के प्रधानों और मूसा के पास आए। उन्होंने कहा,
\v 3 “हमारे पास पशु बहुत हैं।
\s5
\v 4 यहोवा ने हम इस्राएलियों को ऐसी कुछ भूमि पर अधिकार करने में सक्षम बनाया है जो पशुओं को चराने के लिए बहुत अच्छी है- भूमि जो अतारोत, दीबोन, याजेर, निम्रा, हेशबोन, एलाले, सबाम, नबो, और बोन के नगरों के पास हैं।
\v 5 यदि यह तुम लोग प्रसन्न हो, तो हम चाहते हैं कि यरदन नदी के दूसरी ओर की भूमि की अपेक्षा यह भूमि हमारी हो।"
\p
\s5
\v 6 मूसा ने गाद और रूबेन के गोत्रों के प्रधानों से कहा, “यह सही नहीं है कि तुम यहाँ रहो और तुम्हारे साथी इस्राएलियों को युद्ध के लिए जाना पड़े!
\v 7 यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम अन्य इस्राएलियों को निराश कर दोगे, और वे यरदन नदी को पार करके उस देश में नहीं जाएंगे जो यहोवा उन्हें दे रहा है।
\s5
\v 8 हमारे पूर्वजों ने भी ऐसा ही किया था। मैंने उन्हें कादेशबर्ने से यह देखने के लिए भेजा कि कनान देश कैसा था।
\v 9 वे एशकोल घाटी तक चले गए, परन्तु जब उन्होंने देश में विशालकाय लोगों को देखा, तो वे लौटे और यह बोलकर इस्राएलियों को निराश किया कि, ‘हमें उस देश में प्रवेश करने का प्रयास नहीं करना चाहिए जिसे यहोवा ने हमें देने की प्रतिज्ञा की है।’
\s5
\v 10 तब यहोवा उनसे बहुत क्रोधित हो गया था और उसने शपथ खाकर घोषणा की,
\v 11-12 ‘मिस्र से निकले सभी लोगों में से बीस साल से अधिक आयु के लोग जो उस देश में जाएँगे जिसे मैंने अब्राहम, इसहाक, और याकूब को देने का वादा किया था, वे केवल यपुन्ने का पुत्र कालेब और नून का पुत्र यहोशू हैं, क्योंकि उन्होंने मुझ पर पूरी तरह से भरोसा किया। मिस्र से निकले अन्य लोगों में से कोई भी उस भूमि को देख भी नहीं पाएगा, क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से मेरी शक्ति में विश्वास नहीं किया है।'
\s5
\v 13 इसलिए यहोवा इस्राएलियों से क्रोधित था, और परिणाम यह हुआ कि उसने हमें इस मरुस्थल में चालीस वर्षों तक भटकाया। अन्त में वे सब जिन्होंने यहोवा पर भरोसा नहीं करके पाप किया था, वे एक-एक करके मर गए।
\v 14 और तुम अपने पूर्वजों के समान कार्य कर रहे हो! तुम पापी इस्राएली लोग हमारे पूर्वजों की तुलना में यहोवा को ज्यादा क्रोधित करने जा रहे हो!
\v 15 यदि तुम उस पर भरोसा नहीं करोगे, तो वह तुम्हें और तुम्हारे सभी साथी इस्राएलियों को रेगिस्तान में लंबे समय तक रहने का कारण बनेगा, और वह तुम सभी को नष्ट कर देगा! “
\p
\s5
\v 16 तब रूबेन और गाद के गोत्रों के प्रधानों ने मूसा से कहा, “हम अपने पशुओं के लिए भेड़शाला बनाएँगे और यहाँ हमारे परिवारों के लिए शहरों का निर्माण करेंगे।
\v 17 तब हमारे परिवार मजबूत शहरों में रहेंगे दीवारों से घिरे दृढ़ और वे इस देश में रहने वाले लोगों से सुरक्षित रहेंगे। फिर हम लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो जाएंगे। हम अन्य इस्राएलियों को नदी के दूसरी ओर भूमि पाने में इस्राएलियों का साथ देंगे।
\s5
\v 18 जब तक हर एक इस्राएली को भूमि नहीं मिल जाती तब तक हम अपने घर लौटकर नहीं आएंगे।
\v 19 हम यरदन नदी के पश्चिमी किनारे पर भूमि नहीं लेंगे, क्योंकि हमारी भूमि यहाँ पूर्व की ओर होगी।"
\p
\s5
\v 20 इसलिए मूसा ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम्हें क्या करना होगा। तुम्हें यहोवा के लिए युद्ध करने के लिए तैयार होना है।
\v 21 तुम्हें अपने हथियारों को लेकर यरदन नदी को पार करना होगा।
\v 22 यहोवा वहां रहने वाले लोगों से उस देश को जीतने में हमारी सहायता करे उसके बाद तुम्हें अपने घर लौटने की अनुमति दी जाएगी। तुमने यहोवा और इस्राएलियों से जो प्रतिज्ञा की है, उसे पूरी करो तो तुम इस देश को जो यहोवा द्वारा दिया गया मानकर रख सकते हो।
\p
\s5
\v 23 परन्तु यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो तुम यहोवा के विरूद्ध पाप करोगे, और वह तुम्हें पाप का दण्ड देगा।
\v 24 अब तुम अपने पशुओं के लिए पशु शाला और अपने परिवारों के लिए शहरों का निर्माण कर सकते हो, लेकिन ऐसा करने के बाद, तुमने जो प्रतिज्ञा ली है उसे पूरी करना।"
\p
\v 25 गाद और रूबेन के गोत्रों के प्रधानों ने उत्तर दिया, “तुम जो चाहते हो हम वही करेंगे, क्योंकि तुम हमारे प्रधान हो।
\s5
\v 26 हमारी पत्नियां और बच्चे और हमारे मवेशी और भेड़ और बकरियां गिलाद क्षेत्र के शहरों में रहेंगी,
\v 27 लेकिन हम युद्ध में जाने के लिए तैयार होंगे। हम अपने हथियारों को ले लेंगे और यरदन नदी पार करेंगे और यहोवा के लिए युद्ध करेंगे, जैसा तुमने, कहा है।"
\p
\s5
\v 28 तब मूसा ने उनके विषय में एलीआजार, यहोशू और इस्राएलियों के गोत्रों के प्रधानों को निर्देश दिए।
\v 29 मूसा ने उन से कहा, “यदि गाद और रूबेन के गोत्रों के लोग युद्ध के लिए तैयार होकर तुम्हारे साथ यरदन नदी पार करते हैं, कि यहोवा की इच्छाओं को पूरा करें और उस देश को लेने में तुम्हारी सहायता करें, तो उन्हें गिलाद क्षेत्र उनका हिस्सा होने के लिए दें।
\v 30 परन्तु यदि वे अपने हथियारों को नहीं लेते हैं और युद्ध करने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो वे इस भूमि को प्राप्त नहीं करेंगे। उन्हें कनान ही में भूमि स्वीकार करनी होगी। “
\p
\s5
\v 31 गाद और रूबेन के गोत्रों के प्रधानों ने उत्तर दिया, “जो कुछ तुमने कहा है और जो यहोवा ने कहा है, हम करेंगे।
\v 32 हम नदी पार करके कनान देश में जाएंगे, और जो कुछ भी यहोवा चाहते हैं हम वही करेंगे और युद्ध के लिए तैयार रहेंगे। लेकिन हमारी भूमि यहाँ यरदन नदी के पूर्व में होगी।"
\p
\s5
\v 33 इसलिए मूसा उस देश को गाद और रूबेन के गोत्रों और यूसुफ के पुत्र मनश्शे के गोत्र के आधे भाग को देने के लिए तैयार हो गया। उस भूमि पर पहले एमोरियों का राजा सीहोन शासन करता था, और वहां राजा ओग बाशान क्षेत्र के शहरों और आसपास के भूमि पर शासन करता था।
\p
\s5
\v 34 गाद के गोत्र के लोग दीबोन, अतारोत, अरोएर,
\v 35 अत्रौत, शोपान, याजेर, योगबहा,
\v 36 बेतनिम्रा, और बेत-हारन नामक शहरों का पुननिर्माण किया। इन शहरों के चारों ओर मजबूत दीवारें थीं। और उन्होंने अपनी भेड़ों के लिए भेड़शालाएँ भी बनाई।
\p
\s5
\v 37 रूबेन के गोत्र के लोगों ने हेशबोन, एलाले, और किर्यातैम,
\v 38 नबो और बालमोन, और सिबमा शहरों का पुन: निर्माण किया। जब उन्होंने नबो और बालमोन का पुन: निर्माण किया, तो उन्होंने उन शहरों को नए नाम दिए।
\p
\v 39 मनश्शे के पुत्र माकिर के वंशज गिलाद के क्षेत्र में गए और उन्हें एमोरियों से ले लिया।
\s5
\v 40 इसलिए मूसा ने गिलाद को माकीर के परिवार को दिया, और वे वहां रहने लगे।
\v 41 याईर ने, जो मनश्शे का वंशज था, जाकर उस क्षेत्र के छोटे नगरों पर अधिकार कर लिया, और उसने उनका नाम "ह्व्वो त्याईर" रखा।
\v 42 नोबह नामक एक व्यक्ति ने जाकर कनात और पास के नगरों पर अधिकार कर लिया, और फिर उसने अपने नाम से उस क्षेत्र का नया नाम रखा।
\s5
\c 33
\p
\v 1 यह उन स्थानों की सूची है जहाँ इस्राएली लोगों ने मिस्र छोड़ने के बाद यात्रा की जब हारून और मूसा ने उनका नेतृत्व किया।
\v 2 यहोवा ने मूसा को उन स्थानों के नाम लिखने का आदेश दिया जहाँ वे गए थे।
\s5
\v 3 वर्ष के पहले महीने के पंद्रहवें दिन, फसह मनाने के एक दिन बाद, उन्होंने मिस्र में रामसेस शहर छोड़ दिया और साहसपूर्वक आगे बढ़े जबकि मिस्र की सेना उनके पीछे थी।
\v 4 जब वे जा रहे थे तब मिस्र के लोग अपने पहिलौठे पुत्रों के शवों को दफन कर रहे थे। उन्हें मारकर, यहोवा ने दिखा दिया था कि मिस्र के लोग जिन देवताओं की पूजा करते थे वे झूठे थे।
\s5
\v 5 रामसेस छोड़ने के बाद, वे पहले सुक्कोत गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 6 फिर उन्होंने सुक्कोत छोड़ा और मरुस्थल के छोर पर एताम को गए, और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 7 फिर उन्होंने एताम छोड़ा और पीहहीरोत को मुड़ गए, जो बाल-सपोन के पूर्व में है, और मिग्दोल के पास अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 8 फिर उन्होंने पीहहीरोत छोड़ा और सरकंडे के सागर के बीच से चले गए और तीन दिनों तक एताम मरुस्थल की ओर चले, और मारा में अपने तम्बू खड़े किए।
\v 9 फिर उन्होंने मारा को छोड़ दिया और एलीम को गए। वहां जल के बारह सोते और सत्तर खजूर के वृक्ष थे। उन्होंने वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 10 फिर उन्होंने एलीम को छोड़ दिया और सरकंडे के सागर के पास के क्षेत्र में गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 11 फिर उन्होंने सरकंडे के सागर को छोड़ दिया और सीन के मरुस्थल के पास गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 12 फिर उन्होंने सीन के जंगल को छोड़ दिया और दोपका गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 13 फिर उन्होंने दोपका छोड़ा और आलूश के पास गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 14 फिर उन्होंने आलूश को छोड़कर रपीदीम में अपने तम्बू खड़े किए हाँ उनके पास पीने के लिए पानी नहीं था।
\s5
\v 15 फिर उन्होंने रपीदीम छोड़ा और सीनै के मरुस्थल में गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 16 फिर उन्होंने सीनै के जंगल को छोड़ दिया और किब्रोतहत्तावा के पास गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 17 फिर उन्होंने किब्रोतहत्तावा छोड़ा और हसेरोत के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 18 फिर उन्होंने हसेरोत छोड़ा और रित्मा के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 19 फिर उन्होंने रित्मा को छोड़ दिया और रिम्मोनपेरेस गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 20 फिर उन्होंने रिम्मोनपेरेस छोड़ा और लिब्ना के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 21 फिर उन्होंने लिब्ना छोड़ा और रिस्सा के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 22 फिर उन्होंने रिस्सा को छोड़ दिया और कहेलाता में अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 23 फिर उन्होंने कहेलाता छोड़ा; वे शेपेर पर्वत गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 24 फिर उन्होंने शेपेर पर्वत छोड़ा और हरादा के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 25 फिर उन्होंने हरादा को छोड़कर मखेलोत गए और वहां उनके तम्बू खड़े किए।
\v 26 तब उन्होंने मखेलोत छोड़ा और तहत गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 27 फिर उन्होंने तहत छोड़ा और तेरह के पास गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 28 फिर उन्होंने तेरह छोड़ा और मित्का के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 29 फिर उन्होंने मित्का को छोड़ दिया और हशमोना के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 30 फिर उन्होंने हशमोना छोड़ा और मोसेरोत गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 31 फिर उन्होंने मोसेरोत छोड़ा और बेने याकान के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 32 फिर उन्होंने बेने याकान को छोड़ दिया और होर्हग्गिदगाद गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 33 फिर उन्होंने होर्हग्गिदगाद छोड़ दिया और योतबाता गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 34 फिर उन्होंने योतबाता छोड़ा और अब्रोना के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 35 फिर उन्होंने अब्रोना छोड़ा और एस्योनगेबेर के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 36 फिर उन्होंने एस्योनगेबेर को छोड़ दिया और सीन के मरुस्थल में गए और वहां कादेश में अपने तम्बू खड़े किए।
\v 37 फिर उन्होंने कादेश छोड़ा और एदोम की सीमा पर होर पर्वत पर गए, और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 38 हारून याजक यहोवा की आज्ञा का पालन करके पहाड़ पर चढ़ गया। और इस्राएलियों के मिस्र छोड़ने के 40 साल बाद, पांचवें महीने के पहले दिन वहां हारून की मृत्यु हो गई।
\v 39 हारून की मृत्यु होने पर उसकी आयु 123 वर्ष थी।
\s5
\v 40 तब अराद के राजा ने सुना कि इस्राएली आ रहे हैं। अराद कनान देश में दक्षिणी मरुस्थल में था, जहाँ कनानी रहते थे।
\s5
\v 41 इस्राएली होर पर्वत से निकलकर सलमोना को गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 42 फिर उन्होंने सलमोना को छोड़ दिया और पूनोन गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 43 फिर उन्होंने पूनोन छोड़ा और ओबोत के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 44 फिर उन्होंने ओबोत छोड़ा और मोआब के क्षेत्र की सीमा पर इए अबारीम के पास गए, और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 45 फिर उन्होंने इए अबारीम छोड़ा और दीबोन गाद के निकट गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 46 फिर उन्होंने दीबोन गाद को छोड़ दिया और अल्मोनदिबलातैम में अपने तम्बू खड़े किए।
\s5
\v 47 फिर उन्होंने अल्मोनदिबलातैम को छोड़ दिया और नबो के पास अबारीम पहाड़ों पर गए और वहां अपने तम्बू खड़े किए।
\v 48 फिर उन्होंने अबारीम पहाड़ों को छोड़ दिया और यरदन नदी के पार यरीहो के पास मोआब के मैदानों में गए।
\v 49 उन्होंने मोआब के मैदानी क्षेत्र में अपने तम्बू खड़े किए। उनके तम्बू बेत्यशीमोत से आबेलशित्तीम तक कई किलोमीटर तक फैले हुए थे।
\p
\s5
\v 50 जब हम यरदन नदी के पार यरीहो के पास मोआब के मैदानों पर थे, तब यहोवा ने मूसा से बातें की। उसने कहा,
\v 51 “इस्राएलियों से कह दे ‘जब तुम यरदन नदी को पार करके कनान के क्षेत्र में प्रवेश करते हो,
\v 52 तो तुम्हें उन सब लोगों को बाहर निकलना होगा जो वहां रहते हैं। उनकी सब तराई हुई पत्थरों की मूर्तियों को और धातु की सब ढली हुई मूर्तियों को नष्ट कर देना। उन जगहों को ढा देना जहाँ वे अपनी मूर्तियों की पूजा करते हैं।
\s5
\v 53 उनकी भूमि उनसे ले लो और वहां रहना शुरू करो, क्योंकि मैंने उनकी भूमि तुम्हें अधिकार करने के लिए दी है।
\p
\v 54 यह निर्णय लेने के लिए कि कौन सा समूह कौन सी भूमि को प्राप्त करेगा, तुम्हें चिट्ठी डालकर भूमि को विभाजित करना है। उन समूहों को बड़े क्षेत्र दें जिनके पास अधिक लोग हैं, और छोटे क्षेत्रों को उन समूहों को दें जिनके पास कम लोग हैं। प्रत्येक गोत्र को अपनी भूमि मिल जाएगी।
\s5
\v 55 यदि तुम वहां रहने वाले लोगों को बाहर नहीं निकालते हो, तो वे तुम्हारे लिए परेशानी का कारण बनेंगे। वे तुम्हारी आंखों में तेज काँटों के समान होंगे, और तुम्हारे पंजरों में कील के समान होंगे। और जिस देश में तुम रहोगे वे तुम्हें परेशान करेंगे।
\v 56 और फिर मैं तुम्हें दण्ड दूंगा, जैसे मैंने उन्हें दण्ड देने की योजना बनाई थी।”
\s5
\c 34
\p
\v 1 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएली लोगों से कह, ‘तुम शीघ्र ही कनान देश में प्रवेश करोगे, और वह तुम्हारा हो जाएगा। भूमि की सीमाएं ऐसी होंगी जैसी नीचे व्यक्त की गई हैं।
\v 3 दक्षिण में तुम्हें एदोम के क्षेत्र की सीमा के निकट, सीन के मरुस्थल का हिस्सा प्राप्त होगा। पूर्व की ओर तुम्हारी सीमा मृत सागर के दक्षिणी छोर से शुरू होगी।
\p
\s5
\v 4 यह अक्रब्बीम के दक्षिण तक होगी, और पश्चिम की ओर सीन के मरुस्थल और कादेशबर्ने तक जाएगी। वहां से यह हसरद्दार तक और वहां से अस्मोन तक जाएगी।
\v 5 अस्मोन से पश्चिम में इसकी सीमा मिस्र की सूखी नदी के तट तक होगी और फिर भूमध्य सागर तक पहुँचेगी।
\p
\s5
\v 6 पश्चिम की सीमा भूमध्य सागर होगी।
\p
\s5
\v 7 उत्तर की सीमा भूमध्य सागर से शुरू होगी और पश्चिम में होर पर्वत तक पहुंच जाएगी।
\v 8 वहां से यह लेबो हमात और फिर सदाद तक पहुँचेगी।
\v 9 वहां से सीमा जिप्रोन तक जाएगी, और यह हसरेनान में समाप्त हो जाएगी।
\p
\s5
\v 10 पूर्व की सीमा हसरेनान में शुरू होगी और दक्षिण में शपाम तक जाएगी।
\v 11 वहां से पूर्व की ओर ऐन से रिबला तक और फिर पहाड़ी प्रदेशों से होती गलील की झील तक जाएगी।
\v 12 फिर सीमा यरदन नदी से दक्षिण की ओर बढ़ेगी और मृत सागर में खत्म हो जाएगी।
\p वे तुम्हारे देश के चारों ओर की सीमाएं होंगी।”
\p
\s5
\v 13 तब मूसा ने इस्राएलियों को यह सब समझा दिया। तब उसने उन से कहा, “यही वह देश है जिस पर तुम अधिकार करोगे। तुम्हें यह तय करने के लिए चिट्ठी डालनी होगी कि साढ़े नौ गोत्रों को कौन कौन सा क्षेत्र मिलेगा, क्योंकि यहोवा ने आज्ञा दी है कि देश को उनके बीच विभाजित किया जाना चाहिए।
\v 14 रूबेन, गाद और मनश्शे के आधे गोत्र को पहले से ही वह भूमि मिल गई है, जिसमें वे रहेंगे।
\v 15 यरीहो से यरदन नदी के पूर्व की ओर उन्हें भूमि मिली है। “
\p
\s5
\v 16 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\q1
\v 17 “ जो लोग भूमि को विभाजित करेंगे।वे हैं: सबसे पहले, एलीआजार और यहोशू,
\v 18 परन्तु बारह गोत्रों में से प्रत्येक के प्रधान उन्हें भूमि को विभाजित करने में सहायता करेंगे।
\li
\s5
\v 19 यहूदा के गोत्र से, यपुन्ने के पुत्र कालेब को नियुक्त करो।
\p
\v 20 शिमोन के गोत्र से अम्मीहूद के पुत्र शमूएल को नियुक्त करो।
\p
\s5
\v 21 बिन्यामीन के गोत्र से किसलोन के पुत्र एलीदाद को नियुक्त करो।
\p
\v 22 दान के गोत्र से योग्ली के पुत्र बुक्की को नियुक्त करो।
\p
\v 23 मनश्शे के गोत्र से एपोद के पुत्र हन्नीएल को नियुक्त करो।
\p
\s5
\v 24 एप्रैम के गोत्र से शिप्तान के पुत्र कमूएल को नियुक्त करो।
\p
\v 25 जबूलून के गोत्र में पर्नाक के पुत्र एलीसापान को नियुक्त करो।
\p
\v 26 इस्साकार के गोत्र से अज्जान के पुत्र पलतीएल को नियुक्त करो।
\p
\s5
\v 27 आशेर के गोत्र से शलोमी के पुत्र अहीहूद को नियुक्त करो।
\p
\v 28 नप्ताली के गोत्र से अम्मीहूद के पुत्र पदहेल को नियुक्त करो। “
\p
\v 29 यहोवा ने आज्ञा दी कि ये लोग कनान के क्षेत्र को इस्राएलियों में बांटेंगे।
\s5
\c 35
\p
\v 1 जब इस्राएली यरदन नदी के निकट यरीहो के दूसरी ओर मोआब के मैदान में थे तब यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 2 “इस्राएलियों से कह कि जो भूमि उनको दी जाएगी उसमें से, उन्हें लेवी के वंशजों को कुछ शहर देने है, जिनमें वे रह सकें। उन्हें इन शहरों के चारों ओर कुछ भूमि भी देना होगी।
\s5
\v 3 ये नगर लेवी के वंशजों के रहने के लिए होंगे, और उन शहरों के चारों ओर भेड़ों और बकरियों और अन्य पशुओं के लिए भूमि भी होना है।
\p
\v 4 जिस भूमि को तुम उन्हें उनके पशुओं के लिए देते हो, वह शहरों की दीवारों से 457 मीटर तक फैली होना चाहिए।
\s5
\v 5 प्रत्येक शहर की दीवारों से प्रत्येक दिशा में 920 मीटर नापना। शहरों के दीवारों के बाहर की वह अतिरिक्त भूमि उनके पशुओं के लिए होगी।
\p
\s5
\v 6 लेवी के वंशजों को दिए गए छ: शहर, ऐसे शहर होंगे जहाँ लोग सुरक्षा के लिए भाग कर पहुंच सकते हैं। अगर कोई गलती से किसी को मारता है, तो वह व्यक्ति जिसने उस व्यक्ति को मार डाला है, वह उन शहरों में से एक में सुरक्षित होने के लिए भाग कर जा सकता है।
\v 7 तुम्हें लेवी के वंशजों को अन्य बयालीस शहर और उनके पशुओं के लिए उन शहरों के आस-पास की भूमि भी देनी होगी।
\s5
\v 8 इस्राएली गोत्र जिनके पास सबसे अधिक लोग हैं, उन्हें उन गोत्रों की तुलना में जिनके पास कम लोग हैं, अधिक शहर देना होंगे। प्रत्येक गोत्र अपने कुछ शहर लेवी के वंशजों को देना चाहिए, लेकिन जिन गोत्रों के पास अधिक भूमि है, उन्हें अधिक शहर होंगे, और जिन गोत्रों के पास कम शहर हैं, वे कम देंगे।"
\p
\s5
\v 9 यहोवा ने मूसा से कहा,
\v 10 “इस्राएलियों से कह ‘जब तुम यरदन नदी पार करके कनान के क्षेत्र में प्रवेश करते हो,
\v 11 तब तुम्हें कुछ शहरों को चुनना होगा जिनमें लोग सुरक्षित होने के लिए भाग सकते हैं। अगर कोई किसी व्यक्ति को मारता है, तो मारनेवाला व्यक्ति उन शहरों में से एक शहर में जा सकता है और वह वहाँ सुरक्षित हो सकता है।
\s5
\v 12 मारे गए व्यक्ति के भाई-बन्धुओं में से कोई सोच सकता है कि उसे हत्यारे की हत्या करके अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहिए। लेकिन उस शहर में, हत्यारा सुरक्षित रहेगा क्योंकि यदि बदला लेनेवाला उसकी हत्या का प्रयास करेगा तो उस शहर के लोग बदला लेनेवाले को मार देंगे। जिस व्यक्ति ने गलती से किसी को मार डाला उसके लिए अदालत में मुकदमा चलाया जाए।
\v 13 तुम्हें छः शहरों को अलग करना होगा, जिनमें वह व्यक्ति जिसने गलती से किसी व्यक्ति को मार डाला है, वह भाग कर सुरक्षित हो सकता है।
\s5
\v 14 कनान के क्षेत्र में, यरदन नदी के पूर्व की ओर तीन शहर और पश्चिम की ओर तीन शहर होने चाहिए।
\v 15 वे छः शहर ऐसे शहर होंगे जहाँ इस्राएली अपराधी भाग कर जा सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं, और हाँ तुम्हारे बीच रहने वाले परदेशी और अन्य लोग भी भाग कर जा सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं। उन लोगों में से कोई भी जो गलती से किसी को मारता है, इन शहरों में से किसी एक में जा सकता है और वहां सुरक्षित रह सकता है।
\p
\s5
\v 16-18 परन्तु तुम्हें यह समझ लेना चाहिये कि कोई भी जो लोहे के हथियार या लकड़ी के टुकड़े से किसी व्यक्ति को मारता है, वह एक हत्यारा है, और जिसने दूसरे व्यक्ति को मार डाला है उसे मार डाला जाना चाहिए।
\s5
\v 19 जिस व्यक्ति की हत्या की गई थी उसका रिश्तेदार उस हत्यारे को मार सकता है।
\v 20 अगर कोई चट्टान पर से किसी अन्य व्यक्ति को ढकेल देता है या किसी अन्य व्यक्ति पर कुछ फेंकता है
\v 21 या उस व्यक्ति को हाथ से मारता है और उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, यदि उसने ऐसा इसलिए किया वह उस व्यक्ति से घृणा करता है, तो समझ लेना है कि वह हत्यारा है, और उसे मार डाला जाना चाहिए। जिस व्यक्ति को मार डाला गया था उसका कोई भाई-बन्धु उसके मिलते ही उसे मार डाले।
\p
\s5
\v 22 लेकिन अगर कोई गलती से किसी को ढकेल दे, या किसी पर गलती से कुछ फेंक कर मारे लेकिन इसलिए नहीं कि वह उस व्यक्ति से घृणा करता है।
\v 23 या वह पत्थर गिराए और किसी को चोट लगे जिसे उसने नहीं देख अर्थात् जिसने किसी को चोट पहुंचाने की योजना नहीं बनाई और मारे गए व्यक्ति से घृणा नहीं की तो उस व्यक्ति के लिए एक कानून है।
\s5
\v 24 वह कानून यह है कि उस शहर के लोगों को यह निर्णय लेना होगा कि मृत व्यक्ति के भाई-बन्धु को बदला लेने का अधिकार है या जिसके हाथों वह व्यक्ति मरा उससे वास्तव में गलती हुई है।
\v 25 यदि वे निर्णय लेते हैं कि हत्यारे ने दूसरे व्यक्ति को मारने की योजना बनाई है, तो उन्हें उसे अपने शहर में रहने की अनुमति नहीं देना है। परन्तु यदि वे निर्णय लेते हैं कि उसकी मृत्यु गलती से हुई है, तो उन्हें मृत व्यक्ति के भाई-बन्धु से हत्यारे को बचाना होगा। उन्हें हत्यारे को उन शहरों में से एक में भेजना होगा जहाँ वह सुरक्षित रहेगा, और उसे तब तक वहां रहने की अनुमति दें जब तक महायाजक मर न जाए। उसके बाद, हत्यारा अपने घर वापस जा सकता है, क्योंकि मृत व्यक्ति के भाई-बन्धु को अब बदला लेने का अधिकार नहीं है।
\p
\s5
\v 26 परन्तु जब तक महायाजक जीवित है, तब तक उस व्यक्ति को सुरक्षित शहर को नहीं छोड़ना चाहिए।
\v 27 यदि वह शहर के बाहर जाता है, और यदि मृत व्यक्ति का भाई-बन्धु उसे देख लेता हैं, तो उसे उस व्यक्ति की हत्या करने की अनुमति है, और उस भाई-बन्धु को हत्या का दोषी नहीं माना जाए।
\v 28 जब तक महायाजक मर न जाए हत्यारे को उसी शहर में रहना होगा जहाँ वह सुरक्षित रहेगा । उसके बाद वह बदला लेने से सुरक्षित रहेगा, क्योंकि महायाजक की मृत्यु को उस हत्या का प्रायश्चित माना जाएगा। उसके बाद, हत्यारा अपने घर लौट सकता है।
\p
\s5
\v 29 तुम जहाँ भी रहो, तुम्हें इन कानूनी कार्यवाहियों का सदैव पालन करना होगा।
\p
\v 30 अगर किसी पर किसी व्यक्ति की हत्या का आरोप है, तो आरोपी व्यक्ति को केवल तभी मार डाला जा सकता है अगर वहां ऐसे लोग हैं जिन्होंने उसे हत्या करते देखा है परन्तु गवाह एक से अधिक हों। यदि गवाह एक ही है तो उसे मार डालने की अनुमति नहीं है।
\p
\s5
\v 31 यदि कोई हत्यारा है जिसे वास्तव में मार डाला जाना चाहिए, तो छुड़ौती स्वीकार करके उसका जीवन न छोड़ना। निश्चय ही मार डाला जाए।
\p
\v 32 यदि कोई ऐसे शहर में चला जाए जहाँ वह सुरक्षित रहेगा, तो उसे महायाजक की मृत्यु से पहले पैसे देकर अपने घर लौटने की अनुमति नहीं देना।
\p
\s5
\v 33 तुम्हें उन लोगों को मार डालना होगा जो वास्तव में दूसरों की हत्या करते हैं। यदि तुमने ऐसा नहीं किया है, तो तुम लोगों को अपने देश में मेरे लिए अस्वीकार्य होने का कारण बनते हो। कोई भी जो जानबूझकर एक निर्दोष व्यक्ति को मारता है वह अवश्य मार डाला जाए।
\v 34 मैं यहोवा हूँ, और मैं तुम इस्राएलियों के बीच में रहता हूँ, अत: हत्यारों को दण्ड दिए बिना छोड़ कर तुम देश को भ्रष्ट मत करो। "
\s5
\c 36
\p
\v 1 मनश्शे गोत्र के गिलाद के कुल के परिवार के प्रधान मूसा और इस्राएलियों के अन्य परिवारों के प्रधानों के पास गए।
\v 2 उन्होंने मूसा से कहा, “यहोवा ने तुम्हें, हमारे प्रधान, को आज्ञा दी है कि इस्राएल के गोत्रों के लिए चिट्ठी डालकर भूमि का विभाजन करे कि कौन से समूह को कौन सी भूमि मिलेगी। यहोवा ने तुमको हमारे साथी इस्राएली सलोफाद के भाग की भूमि उसकी पुत्रियों को देने का भी आदेश दिया था।
\s5
\v 3 लेकिन यदि उसकी बेटियां अन्य इस्राएली गोत्रों के पुरुषों से विवाह करती हैं, तो वह भूमि तब हमारे गोत्र की नहीं होगी। वह अन्य गोत्रों की हो जाएगी और वह भूमि हमारी नहीं होगी।
\v 4 जब जुबली के पर्व का वर्ष आता है, जब किसी व्यक्ति के द्वारा खरीदी गई सारी भूमि उसके मूल मालिकों के पास वापस आती है, तो सलोफाद की भूमि उन लोगों के गोत्रों की होगी जिनसे उनकी पुत्रियाँ विवाह करती हैं। तो हमारी, जो भूमि हमें हमारे पूर्वजों से मिली है, वह हमसे ले ली जाएगी, और हम इसे फिर प्राप्त नहीं कर पाएंगे। “
\p
\s5
\v 5 यहोवा ने मूसा से कहा कि उन्हें क्या उत्तर दे, अत: मूसा ने उन से कहा, “मनश्शे के गोत्र के ये लोग सही कहते हैं।
\v 6 यहोवा सलोफाद की पुत्रियों से यह कहता है, ‘तुम में से जो भी किसी से विवाह करना चाहती है कर सकती है, तुम्हे विवाह केवल अपने ही गोत्र में करना होगा।’
\s5
\v 7 इस प्रकार इस्राएलियों की भूमि एक गोत्र से दूसरे गोत्र में नहीं जाएगी। प्रत्येक इस्राएली अपनी भूमि को अपने पूर्वजों के गोत्र में ही रखेगा।
\s5
\v 8 कोई स्त्री जो अपने पिता की भूमि को उत्तराधिकार में पाती है, वह विवाह कर सकती है, परन्तु उसे अपने ही गोत्र के किसी पुरुष से विवाह करना होगा। इस प्रकार इस्राएली भूमि को अपने पूर्वजों के गोत्र में ही रखेंगे।
\v 9 भूमि को एक गोत्र से दूसरे गोत्र में जाने नहीं देना है। प्रत्येक इस्राएली गोत्र अपने पूर्वजों से प्राप्त भूमि को अपने ही पास रखे। ”
\p
\s5
\v 10 सलोफाद की पुत्रियों ने मूसा को दी गई यहोवा आज्ञा को माना।
\v 11 पाँच पुत्रियाँ - महला, तिर्सा, होग्ला, मिल्का और नोवा ने अपने पिता के भाई-बन्धुओं में से चचेरे भाइयों से विवाह किया।
\v 12 जिन पुरुषों से उन्होंने विवाह किया वे मनश्शे के गोत्र के थे, इसलिए उनकी भूमि उनके पिता के परिवार और गोत्र में ही रही।
\p
\s5
\v 13 यही आज्ञाएं और नियम यहोवा ने मूसा को इस्राएलियों को सुनाने के लिए दिए थे, जब वे यरीहो के सामने यरदन नदी के पास मोआब के मैदान में थे।