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# Hindi OBS
STRs:
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# 1. उत्पत्ति
# 1. सृष्टि
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-01.jpg)
इस प्रकार संपूर्ण ब्रह्मांड की शुरुआत हुई। परमेश्वर ने छह दिनों में यह ब्रह्मांड और उसमें जो कुछ है उसकी सृष्टि की । परमेश्वर के पृथ्वी को बनाने के बाद पृथ्वी अंधेरे से भरी और सुनसान पड़ी थी, और उसमें कुछ भी बनाया नहीं गया था। लेकिन परमेश्वर की आत्मा वहाँ जल के ऊपर थी
इस प्रकार से आरम्भ में परमेश्वर ने सब चीजों की सृष्टि की। उसने छः दिनों में संसार की और जो कुछ उसमें है उन सब की सृष्टि की। परमेश्वर द्वारा पृथ्वी की रचना के बाद वह अंधकारमय और खाली थी, क्योंकि अभी तक परमेश्वर ने उसमें किसी भी चीज को नहीं बनाया था। परन्तु परमेश्वर का आत्मा पानी के ऊपर मंडराता था
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-02.jpg)
तब परमेश्वर ने कहा “उजियाला हो!”, तो उजियाला हो गया । परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को “दिन” कहा। परमेश्वर ने उजियाले को अंधकार से अलग किया, और अंधकार को परमेश्वर ने “रात” बुलाया। परमेश्वर ने सृष्टि के पहले दिन में उजियाले की सृष्टि की।
फिर परमेश्वर ने कहा, "उजियाला हो!" और उजियाला हो गया। परमेश्वर ने देखा कि उजियाला अच्छा है और उसे "दिन" कहा। और उसने उसे अंधकार से अलग किया जिसे उसने "रात" कहा। परमेश्वर ने सृष्टि करने के पहले दिन में उजियाले की रचना की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-03.jpg)
सृष्टि के दूसरे दिन पर, परमेश्वर ने कहा और पृथ्वी के ऊपर आकाश को बनाया।
सृष्टि करने के दूसरे दिन में परमेश्वर ने कहा, "पानी के ऊपर एक अंतर हो।" और एक अंतर हो गया। परमेश्वर ने उस अंतर को "आकाश" कहा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-04.jpg)
तीसरे दिन, परमेश्वर ने कहा और जल को सूखी भूमि से अलग कर दिया। परमेश्वर ने सूखी भूमि को “पृथ्वी” कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उस ने “समुद्र” कहा।
तीसरे दिन में परमेश्वर ने कहा, "पानी एक स्थान पर इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे।" उसने सूखी भूमि को "पृथ्वी" कहा और पानी को "समुद्र" कहा। परमेश्वर ने देखा कि जो उसने बनाया था वह अच्छा था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-05.jpg)
फिर परमेश्वर ने कहा “पृथ्वी पर हर प्रकार के पेड़ और पौधे उगे। “और वैसा ही हो गया। परमेश्वर ने देखा कि जो सृष्टि उसने की है वह अच्छी है
फिर परमेश्वर ने कहा, "पृथ्वी सब प्रकार के पेड़ और पौधे उगाए।" और ऐसा ही हुआ। परमेश्वर ने देखा कि जो उसने बनाया था वह अच्छा था
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-06.jpg)
सृष्टि के चौथे दिन, परमेश्वर ने कहा और सूर्य, चंद्रमा, और सितारों को बनाया। परमेश्वर ने पृथ्वी को प्रकाश देने के लिये और दिन और रात, मौसमों और सालों को चिह्नित करने के लिये उन्हें बनाया।
सृष्टि करने के चौथे दिन में परमेश्वर ने कहा, "आकाश में ज्योतियाँ हों।" और सूर्य, चंद्रमा और तारागण प्रकट हुए। परमेश्वर ने उनको पृथ्वी पर प्रकाश देने के लिए और दिन और रात, मौसमों और वर्षों में भेद करने के लिए बनाया। परमेश्वर ने देखा कि जो उसने बनाया था वह अच्छा था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-07.jpg)
पाँचवें दिन, परमेश्वर ने कहा और जल में तैरने वाले सभी को और सभी पक्षियों को बनाया। परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है, और उन्हें आशीष दिया
पाँचवें दिन परमेश्वर ने कहा, "जीवित प्राणी पानी को भर दें और आकाश में पक्षी उड़ें।" इस प्रकार से उसने पानी में तैरने वाले सब जन्तुओं को और सभी पक्षियों को बनाया। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था और उनको आशीष दी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-08.jpg)
सृष्टि के छठे दिन पर, परमेश्वर ने कहा “सभी प्रकार के भूमि के जानवर हो जाए!” और यह परमेश्वर ने जैसे कहा वैसे हो गया। कुछ जमीन पर रेंगने वाले , कुछ खेत वाले, और कुछ जंगली जानवर थे। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है
सृष्टि के छठवें दिन में परमेश्वर ने कहा, "भूमि पर रहने वाले सभी प्रकार के जानवर हों।" और परमेश्वर के कहे अनुसार ऐसा हो गया। कुछ जानवर पालतू थे, कुछ भूमि पर रेंगने वाले, और कुछ जंगली जानवर थे। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-09.jpg)
फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में हमारे जैसा बनायेंगे। उनके पास पृथ्वी और सभी जानवरों पर अधिकार होगा।”
फिर परमेश्वर ने कहा, "आओ हम मनुष्य को अपने स्वरूप में और अपनी समानता में बनाएँ। वे पृथ्वी पर और सब जानवरों पर प्रभुता करेंगे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-10.jpg)
फिर परमेश्वर ने कुछ मिट्टी ले लिया, और उससे एक आदमी बनाया, और उसमें जीवन का साँस फूँक दिया इस आदमी का नाम आदम था। परमेश्वर ने आदम के रहने के लिये एक वाटिका बनाया, और वाटिका की देखभाल करने के लिये उसे वहाँ रख दिया।
अतः परमेश्वर ने मिट्टी लेकर उससे मनुष्य को बनाया और उसमें जीवन के श्वांस को फूँक दिया। इस मनुष्य का नाम आदम था। परमेश्वर ने आदम के रहने के लिए एक बड़े बगीचे को बनाया और उसकी देखभाल करने के लिए आदम को वहाँ रख दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-11.jpg)
वाटिका के बीच में, परमेश्वर ने दो विशेष पेड़-जीवन का पेड़ और अच्छे और बुरे के ज्ञान का पेड़ लगाया। परमेश्वर ने आदम से कहा कि वह अच्छे और बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल को छोड़ वाटिका के किसी भी पेड़ से खा सकता है। अगर वह इस पेड़ के फल को खाए, तो वह मर जाएगा।
उस बगीचे के मध्य में परमेश्वर ने दो विशेष पेड़ लगाए जीवन का पेड़ और भले और बुरे के ज्ञान का पेड़। परमेश्वर ने आदम से कहा कि वह उस बगीचे के जीवन के पेड़ और भले और बुरे के ज्ञान के पेड़ को छोड़ कर अन्य किसी भी पेड़ के फल को खा सकता है। अगर उसने उस पेड़ का फल खाया तो वह मर जाएगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-12.jpg)
फिर परमेश्वर ने कहा “आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है।” परन्तु जानवरों में से कोई भी आदमी का सहायक नहीं बन सकता था |
फिर परमेश्वर ने कहा, "पुरुष के लिए अकेला रहना अच्छा नहीं है।" लेकिन कोई भी जानवर आदम का साथी न हो सका।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-13.jpg)
इसलिये परमेश्वर ने आदम को एक गहरी नींद में डाल दिया। तब परमेश्वर ने आदम की पसलियों में से एक से औरत को बनाया और उसे आदम के पास लाए
इसलिए परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया। फिर परमेश्वर ने आदम की एक पसली लेकर उससे एक स्त्री की रचना की और उसे आदम के पास लेकर आया
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-14.jpg)
जब आदम ने उसे देखा, वह बोला, “अंत में ! यह मेरे जैसी है! वह आदमी से बनाई गई है इसलिये उसे ‘औरत’ के नाम से जाना जाएगा।” यही कारण है कि एक आदमी अपने पिता और माँ को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ एक हो जाता है।
जब आदम ने उसे देखा तो उसने कहा, "कम से कम यह तो मेरे जैसी है! यह 'स्त्री' कहलाएगी, क्योंकि यह पुरुष में से बनाई गई है।" इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ देता है और अपनी पत्नी के साथ एक हो जाता है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-15.jpg)
परमेश्वर ने अपने स्वरूप में आदमी और औरत को बनाया। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है। उस ने उन्हें आशीष दिया और उन से कहा, “कई बच्चों और पोतो को पैदा करो और पृथ्वी में भर जाओ!” यह सारी रचना सृष्टि के छठे दिन में हुआ
परमेश्वर ने पुरुष और स्त्री को अपने स्वरूप में बनाया। उसने उनको आशीष दी और उनसे कहा, "बहुत सारी संतानें और पोते-परपोते उत्पन्न करो और पृथ्वी को भर दो!" और परमेश्वर ने देखा कि जो कुछ भी उसने बनाया था वह बहुत अच्छा था, और वह उन सब से बहुत प्रसन्न था। यह सब कुछ सृष्टि करने के छठवें दिन हुआ था
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-16.jpg)
जब सातवां दिन आया, परमेश्वर ने अपना काम पूरा कर लिया था। इसलिये परमेश्वर ने जो कुछ वह कर रहा था उन सब से विश्राम लिया। उस ने सातवें दिन को आशीष दिया और उसे पवित्र बनाया क्योंकि इस दिन परमेश्वर ने अपने काम से विश्राम लिया था। इस तरह परमेश्वर ने यह ब्रह्मांड और सब कुछ जो उसमें है बनाया
जब सातवाँ दिन आया तो जो कुछ परमेश्वर कर रहा था उसने उस सारे काम को समाप्त किया। उसने सातवें दिन को आशीष दी और उसे पवित्र ठहराया, क्योंकि उस दिन उसने सब चीजों की सृष्टि करने को समाप्त किया था। इस प्रकार से परमेश्वर ने संसार की और जो कुछ उसमें है उन सब की सृष्टि की
_बाइबिल की कहानी में :उत्पति 1-2_
_उत्पत्ति अध्याय 1-2 से बाइबल की एक कहानी_

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# 2. पाप दुनिया में प्रवेश करता है
# 2. पाप संसार में प्रवेश करता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-01.jpg)
आदम और उसकी पत्नी परमेश्वर द्वारा उनके लिये बनाये गए सुंदर बगीचे में बहुत खुश थे। उन दोनों में से किसी ने कपड़े नहीं पहने थे, लेकिन दुनिया में कोई पाप नहीं था, इसलिये उन्हें कोई शर्म महसूस नहीं हुआ था। वे अक्सर वाटिका में चला करते थे और परमेश्वर के साथ बात करते थे।
आदम और उसकी पत्नी परमेश्वर द्वारा उनके लिए बनाए गए उस सुंदर बगीचे में रहते हुए बहुत खुश थे। उनमें से कोई भी कपड़े नहीं पहनता था, फिर भी इस बात ने उनमें से किसी को शर्मिन्दा नहीं किया था, क्योंकि संसार में पाप नहीं था। वे अक्सर उस बगीचे में टहला करते थे और परमेश्वर से बात किया करते थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-02.jpg)
लेकिन वाटिका में एक चालाक साँप था। उसने औरत से पूछा, ” क्या परमेश्वर ने वास्तव में यह कहा है कि वाटिका के किसी भी पेड़ से फल न खाना?”
लेकिन उस बगीचे में एक साँप था। वह बहुत धूर्त था। उसने उस स्त्री से पूछा, "क्या सचमुच परमेश्वर ने तुमसे इस बगीचे के किसी भी पेड़ के फल को खाने से मना किया है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-03.jpg)
औरत ने उत्तर दिया, “परमेश्वर ने हमसे कहा है कि अच्छे और बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल के सिवाय हम किसी भी पेड़ के फल को खा सकते है। परमेश्वर ने कहा ‘अगर तुम वह फल खाओ या यहां तक कि स्पर्श करते हों, तो तुम मर जाओगे।’”
उस स्त्री ने उत्तर दिया, "परमेश्वर ने हम से कहा है कि हम उस भले और बुरे के ज्ञान के पेड़ के अलावा किसी भी पेड़ के फल को खा सकते हैं। परमेश्वर ने हम से कहा है कि अगर तुमने उस फल को खाया या उसे छुआ भी, तो तुम मर जाओगे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-04.jpg)
साँप ने औरत को जवाब दिया, “यह सच नहीं है ! तुम नहीं मरोगे। परमेश्वर यह जानता है कि जब तुम उस फल को खाओगे, तुम परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे और जैसे अच्छे और बुरे को वह समझता है तुम भी समझने लगोगे।”
उस साँप ने स्त्री को जवाब दिया, "यह सच नहीं है! तुम नहीं मरोगे। परमेश्वर जानता है कि जैसे ही तुम उस फल को खाओगे, तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे और उसके समान भले और बुरे को समझने लगोगे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-05.jpg)
औरत ने देखा कि फल सुन्दर है और देखने में स्वादिष्ट है। वह बुद्धिमान भी बनना चाहती थी, इसलिये उसने कुछ फल लिये और उसे खा लिया। फिर उसने कुछ अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी उसे खा लिया।
उस स्त्री ने देखा कि वह फल मनभावना था और स्वादिष्ट दिखाई देता था। वह भी समझदार बनना चाहती थी, इसलिए उसने फल को तोड़ कर खा लिया। फिर उसने अपने पति को जो उसके साथ था वह फल दिया और उसने भी खा लिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-06.jpg)
अचानक, उनकी आँखें खुल गई, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे है। और उन्होंने अपने शरीर को ढकने के लिये पत्तियों को जोड़ जोड़ कर उन्होंने कपड़े बनाने की कोशिश की।
अचानक ही, उनकी आँखें खुल गई, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे थे। उन्होंने पत्तों को एक साथ सिलकर उनके कपड़े बनाकर उनसे अपने शरीरों को ढाँकने की कोशिश की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-07.jpg)
फिर आदमी और उसकी पत्नी ने वाटिका से परमेश्वर के चलने की आवाज सुनी। वे दोनों परमेश्वर से छिप गए। तब परमेश्वर ने आदमी को पुकारा, “तुम कहाँ हो ?” आदम ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें बगीचे में से चलते सुना, और मैं डर गया था, क्योंकि मैं नंगा था। इसलिये मैं छिप गया।”
तब पुरुष और उसकी पत्नी ने उस बगीचे में टहलते हुए परमेश्वर की आवाज को सुना। वे दोनों परमेश्वर से छिप गए। तब परमेश्वर ने पुरुष को आवाज लगाई, "तू कहाँ है?" आदम ने जवाब दिया, "मैंने आपको बगीचे में टहलते हुए सुना, और मैं डर गया था, क्योंकि मैं नंगा था। इसलिए मैं छिप गया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-08.jpg)
तब परमेश्वर ने पूछा, ” किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस पेड़ का फल खाने को मै ने तुझे मना किया था, क्या तू ने उसका फल खाया है?“आदमी ने उत्तर दिया, “तुमने मुझे यह औरत दी, और उसने मुझे वह फल दिया।” तब परमेश्वर ने औरत से पूछा “तू ने यह क्या किया है?” औरत ने कहा, “साँप ने मुझे धोखा दिया।”
फिर परमेश्वर ने पूछा, "तुझे किसने बताया कि तू नंगा है? क्या तूने वह फल खाया है जिसे खाने के लिए मैंने तुझे मना किया था?" पुरुष ने जवाब दिया, "आपने मुझे जो यह स्त्री दी है इसने ही मुझे वह फल दिया।" तब परमेश्वर ने स्त्री से पूछा, "तूने यह क्या किया है?" वह स्त्री बोली, "साँप ने मुझे धोखा दिया है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-09.jpg)
परमेश्वर ने साँप से कहा, “तुम शापित हों।” तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा। तुम और औरत एक दूसरे से नफरत करोगे, और तुम्हारी संतान और उसकी संतान भी एक दूसरे से नफरत करेंगे। औरत का वंशज वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा । ”
परमेश्वर ने साँप से कहा, "तू श्रापित है! तू अपने पेट के बल चला करेगा और मिट्टी चाटेगा। तू और यह स्त्री एक दूसरे से घृणा करेंगे, और तेरी संतानें और उसकी संतानें भी एक दूसरे से घृणा करेंगी। इस स्त्री का वंशज तेरे सिर को कुचलेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-10.jpg)
फिर परमेश्वर ने औरत से कहा, “मैं तुम्हारे प्रसव की पीड़ा को बहुत बढ़ा दूँगा । तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा ।”
तब परमेश्वर ने स्त्री से कहा, "मैं तेरे संतान जन्माने को बहुत पीड़ादायक करूँगा। तू अपने पति से लालसा करेगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-11.jpg)
परमेश्वर ने आदमी से कहा, “तुमने अपनी पत्नी की बात सुनी और मेरी आज्ञा न मानी। अब भूमि शापित है, और तुम्हें उसकी उपज खाने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी। फिर तुम मर जाओगे, और तुम्हारा शरीर वापस मिट्टी में मिल जाएगा। मनुष्य ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा, जिसका मतलब होता है जगत जननी क्योंकि वह समस्त मानव-जाति की माँ कहलाएगी। और परमेश्वर ने जानवर की खाल से आदम और हव्वा को ढका
परमेश्वर ने पुरुष से कहा, "तूने अपनी पत्नी की सुनी है और मेरी आज्ञा नहीं मानी है। इसलिए भूमि श्रापित हुई है, और तुझे भोजन उगाने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होगी। अब तू मर जाएगा, और तेरा शरीर मिट्टी में मिल जाएगा।" उस पुरुष ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा, जिसका अर्थ है "जीवन देने वाली", क्योंकि वह सब जातियों की माता होगी। और परमेश्वर ने आदम और हव्वा को जानवर की खाल से बने कपड़े पहनाए
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-12.jpg)
तब परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य अच्छाई और बुराई जानने के कारण हम जैसे हो गए हैं कि अब उन्हें कभी भी जीवन के वृक्ष से खाने की अनुमति नहीं दी जायेगी। और परमेश्वर ने सुंदर बगीचे से आदम और हव्वा को बाहर भेज दिया । परमेश्वर जीवन के वृक्ष का फल खाने से किसी को रोकने के लिये उद्यान के द्वार पर शक्तिशाली स्वर्गदूतों को रखा।
फिर परमेश्वर ने कहा, "अब भले और बुरे को जानने से मनुष्य हमारे समान हो गया है, इसलिए उनको उस जीवन के पेड़ के फल को नहीं खाने देना चाहिए कि वे सदा के लिए जीवित रहें।" इसलिए परमेश्वर ने आदम और हव्वा को उस बगीचे से बाहर निकाल दिया। और परमेश्वर ने किसी को भी उस जीवन के पेड़ के फल को खाने से रोकने के लिए उस बगीचे के प्रवेशद्वार पर शक्तिशाली स्वर्गदूतों को रख दिया।
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 3_
_उत्पत्ति अध्याय 3 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-01.jpg)
एक लंबे समय के बाद, बहुत से लोग दुनिया में रह रहे थे | वे बहुत दुष्ट और हिंसक हो गया है | वह बहुत बुरा हो गया इसलिये परमेश्वर ने निर्णय लिया कि वह एक विशाल बाढ़ के द्वारा इस पूरी दुनिया को नष्ट कर देगा |
बहुत समय के बाद, संसार में बहुत से लोग रहते थे। वे बहुत दुष्ट और उपद्रवी हो गए थे। यह इतना बुरा था कि परमेश्वर ने एक बड़ी बाढ़ से इस पूरे संसार को नष्ट करने का निर्णय लिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-02.jpg)
परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह की दृष्टी नूह पर बनी रही | नूह धर्मी पुरुषों और अपने समय के लोगों में खरा था | तब परमेश्वर ने उस बाढ़ के विषय में नूह से कहा जिसके द्वारा वह पृथ्वी को नष्ट करने वाला था | इसलिये परमेश्वर ने नूह से एक बड़ी नाव बनाने के लिए कहा |
परन्तु परमेश्वर नूह से प्रसन्न था। वह दुष्ट मनुष्यों के बीच रहने वाला एक धर्मी व्यक्ति था। परमेश्वर ने नूह को बताया कि वह एक विशाल बाढ़ को लाने वाला है। इस कारण, उसने नूह से एक बड़ी नाव बनाने के लिए कहा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-03.jpg)
परमेश्वर ने उससे कहा कि तू इस ढंग से नाव बनाना :140 मीटर लम्बी, 23 मीटर चोडी, और 13.5 मीटर ऊँची बनाना | परमेश्वर ने नूह से कहा कि इस नाव को लकड़ी से बनाना, और जहाज में एक खिड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से इसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना; और जहाज में पहला, दूसरा और तीसरा खंड बनाना | परमेश्वर ने नूह से कहा कि तू अपने परिवार समेत नाव में प्रवेश करना,और सब जीवित प्राणियों में से तू एक एक जाति के पशु, पक्षियों और रेंगने वाले को अपने साथ जहाज में ले जाकर अपने साथ जीवित रखना |
परमेश्वर ने नूह को लगभग 140 मीटर लंबी, 23 मीटर चौड़ी और 13.5 मीटर ऊँची नाव बनाने के लिए कहा। नूह को उसे लकड़ी से बनाना था और उसमें तीन तल, बहुत से कमरे, एक छत और एक खिड़की बनानी थी। वह नाव नूह, उसके परिवार, और भूमि के हर प्रकार के जानवरों को उस बाढ़ से सुरक्षित रखेगी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-04.jpg)
परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया | नूह और उसके तीन बेटों ने नाव की रचना वैसे ही की जैसे परमेश्वर ने उनसे कहा था | उस नाव को बनाने के लिये कई वर्ष लग गए, क्योंकि वह नाव बहुत बड़ी थी | नूह ने लोगों को बाढ़ के विषय में चेतावनी दी , और कहा कि परमेश्वर की ओर मन फिराओ पर उन्होंने नूह पर विश्वास नहीं किया |
नूह ने परमेश्वर की बात मानी। उसने और उसके पुत्रों ने वैसी ही नाव बनाई जैसी परमेश्वर ने बताई थी। क्योंकि वह नाव बहुत बड़ी थी इसलिए उसे बनाने में कई वर्ष लगे। नूह ने लोगों को आने वाली बाड़ के विषय में चेतावनी दी और उनको परमेश्वर की ओर फिरने के लिए कहा, परन्तु उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-05.jpg)
नूह और उसके परिवार ने जानवरों के लिये पर्याप्त भोजन इकट्ठा करा | जब सब कुछ तैयार था, तब परमेश्वर ने नूह से कहा कि अब समय है कि वह अपनी पत्नी, तीन पुत्रों, और बहुओं समेत नाव में जाए | वे सब आठ लोग थे |
परमेश्वर ने नूह और उसके परिवार को अपने लिए और जानवरों के लिए पर्याप्त भोजन इकट्ठा करने का आदेश भी दिया। जब सब कुछ तैयार था, तो परमेश्वर ने नूह से कहा कि यह समय उसके, उसकी पत्नी के, उसके तीन पुत्रों के, और उनकी पत्नियों के कुल मिलाकर आठ जनों के नाव में जाने का था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-06.jpg)
परमेश्वर ने भूमि पर रेंगने वाले पशु और पक्षियों के सभी नर और मादा को नूह के पास जहाज में भेजा जिससे कि वह बाढ़ के दौरान सुरक्षित रह सके | परमेश्वर ने सभी तरह के पशुओं के सात नर और सात मादा को भेजा जिनका प्रयोग बलिदान के लिये किया जा सके | जब वे सब जहाज पर चढ़ गए तब परमेश्वर ने जहाज का द्वार बंद कर दिया |
परमेश्वर ने हर जानवर और पक्षी के नर और मादा को नूह के पास भेजा ताकि वे नाव में जा सकें और बाढ़ के दौरान सुरक्षित रह सकें। परमेश्वर ने ऐसे हर प्रकार के जानवरों के सात नर और सात मादाओं को भेजा जिनको बलि चढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सके। जब वे सब नाव में पहुँच गए तो स्वयं परमेश्वर ने नाव के द्वार को बंद कर दिया।
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फिर जल प्रलय का आरम्भ हुआ | जल प्रलय पृथ्वी पर बिना रुके चालीस दिन और चालीस रात तक होता रहा! पृथ्वी पर जल प्रलय होता रहा, और पानी बहुत बढ़ता ही गया | जल पृथ्वी पर अत्यंत बढ़ गया, और यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए |
तब बारिश होना आरम्भ हुआ, और बारिश होती गई, होती गई। बिना रुके चालीस दिन और चालीस रातों तक बारिश होती रही। सारे संसार की हर एक चीज, यहाँ तक कि ऊँचे से ऊँचे पर्वत भी पानी में डूब गए।
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और क्या पक्षी और क्या घरेलू पशु, और पृथ्वी पर सब चलने वाले प्राणी, और जितने जंतु पृथ्वी पर बहुतायत से भर गए थे, वे सब और सब मनुष्य मर गए , जो जहाज में थे केवल वही जीवित थे | जहाज पानी पर चलने लगा और वह सब जो जहाज में था वह डूबने से सुरक्षित रहा |
सूखी भूमि पर रहने वाली हर एक चीज मर गई, उन लोगों और जानवरों को छोड़ कर जो नाव में थे। वह नाव पानी पर तैरती रही और नाव के भीतर की हर एक चीज को डूबने से सुरक्षित रखा।
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वर्षा थमने के बाद, जहाज पानी पर पाँच महीने तक तैरता रहा, एक दिन जहाज पहाड़ पर टिक गया, लेकिन तब भी संसार जल से पर्याप्त था | तीन महीने के बाद पहाड़ों की चोटियाँ दिखाई दी |
बारिश के रुक जाने के बाद, पाँच महीने तक वह नाव पानी पर तैरती रही, और उस समय के दौरान पानी कम होने लगा था। तब एक दिन वह नाव एक पर्वत की चोटी पर जा टिकी, लेकिन संसार अभी भी पानी से ढका हुआ था। तीन महीने के बाद, पर्वतों की चोटियाँ दिखाई देने लगी थीं।
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चालीस दिन के पश्चात नूह ने अपने बनाए हुए जहाज की खिड़की को खोलकर, एक कौआ पक्षी उड़ा दिया यह देखने के लिये कि कई पृथ्वी पर जल सूख गया या नहीं | कौआ शुष्क भूमि की तलाश में इधर-उधर उड़ा, पर सूखी भूमि को न पाया |
फिर और चालीस दिनों के बाद, नूह ने एक कौवे को यह देखने के लिए बाहर भेजा कि क्या पानी सूख गया था। वह कौवा सूखी भूमि की खोज में इधर-उधर उड़ता रहा, परन्तु उसे ऐसा कोई स्थान न मिला।
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फिर नूह ने कबूतर पक्षी को भी उड़ा दिया | लेकिन जब कबूतर को अपने पैर टेकने के लिये कोई आधार न मिला तो वह जहाज में उसके पास लौट आया | तब सात दिन के बाद उसने उसी पक्षी को फिर उड़ा दिया,, और जब कबूतर साँझ के समय उसके पास आ गई, तो क्या देखा कि उसकी चोंच में जैतून का एक नया पत्ता है ! इससे नूह ने जान लिया कि जल पृथ्वी पर घटा है |
फिर बाद में नूह ने एक कबूतरी को बाहर भेजा। परन्तु उसे भी कोई सूखी भूमि न मिली, इसलिए वह नूह के पास वापिस आ गई। एक सप्ताह के बाद उसने उस कबूतरी को फिर से भेजा, और वह अपने चोंच में जैतून की एक शाखा लिए हुए वापिस आई। पानी घट रहा था, और पौधे फिर से उगने लगे थे।
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फिर उसने सात दिन और ठहरकर उसी कबूतर को उड़ा दिया | इस बार, वह लौटकर वापस नहीं आया | पानी सूख गया था!
नूह ने एक सप्ताह और प्रतीक्षा की और तीसरी बार उस कबूतरी को बाहर भेजा। इस बार, उसे ठहरने का स्थान मिल गया और वह वापिस नहीं आई। पानी सूख रहा था।
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दो महीने बाद परमेश्वर ने नूह से कहा कि तू अपने पुत्रों, पत्नी और बहुओ समेत जहाज में से निकल आ | परमेश्वर ने नूह को आशीष दी “फलों-फूलो, और बढ़ो, और पृथ्वी में भर जाओ | तब नूह और उसका परिवार जहाज में से निकल आए |
दो महीने बाद परमेश्वर ने नूह से कहा, "अब तू और तेरा परिवार और सारे जानवर नाव से निकल आओ। बहुत सारी संतानें और पोते-परपोते उत्पन्न करो और पृथ्वी को भर दो।" अतः नूह और उसका परिवार नाव से बाहर निकल आया।
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उसने एक वेदी बनाई, जिसे बलिदान के लिये इस्तमाल किया जा सके और सभी तरह के जन्तुओ का बलिदान दिया | परमेश्वर उस बलिदान से प्रसन्न हुआ और नूह और उसके परिवार को आशीष दी |
नूह के नाव से बाहर आने के बाद, उसने एक वेदी बनाई और बलि के लिए उपयोग किए जा सकने वाले हर प्रकार के जानवरों में से कुछ को लेकर बलि चढ़ाई। परमेश्वर उस बलि से प्रसन्न हुआ और नूह और उसके परिवार को आशीष दी
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फिर परमेश्वर ने कहा “कि मैं तुम से यह वाचा बाँधता हूँ कि सब प्राणी फिर जल प्रलय से नष्ट न होंगे और पृथ्वी का नाश करने के लिये फिर जल प्रलय न होंगा ; फिर भले ही लोग बचपन से ही पाप क्यों न कर रहे हो |“
परमेश्वर ने कहा, "मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले बुरे कामों के कारण मैं फिर कभी भूमि को श्राप नहीं दूँगा या बाढ़ द्वारा संसार को नष्ट नहीं करूँगा, हालाँकि मनुष्य अपने बचपन के समय से ही पापी हैं।
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परमेश्वर ने कहा कि मैं ने बादल में अपना धनुष रखा है, वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिह्न होगा | और जब मैं पृथ्वी पर बादल फैलाऊँ तब बादल में धनुष दिखाई देगा | तब मेरी जो वाचा तुम्हारे और सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के साथ बँधी है; उसको मैं स्मरण करूँगा, तब ऐसा जल-प्रलय फिर न होगा जिससे सब प्राणियों का विनाश हो |
फिर परमेश्वर ने अपनी वाचा के चिन्ह के रूप में प्रथम मेघधनुष को बनाया। जब कभी भी आकाश में मेघधनुष दिखाई देता है, तो परमेश्वर स्मरण करेगा कि उसने क्या प्रतिज्ञा की है और वैसे ही उसके लोग भी स्मरण करेंगे।
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 6-8_
_उत्पत्ति अध्याय 6-8 से एक बाइबल की कहानी_

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# 4.अब्राम के साथ परमेश्वर की वाचा
# 4. अब्राम के साथ परमेश्वर की वाचा
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बाढ़ के कई साल बाद, संसार में बहुत से लोग थे, और सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा और एक ही बोली थी | लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी | परमेश्वर ने पृथ्वी को लोगों से भरने की आज्ञा दी थी, -;वे एक साथ इकट्ठे हुए और एक शहर का निर्माण किया |
बाढ़ के कई वर्षों के बाद, संसार में बहुत से लोग रहा करते थे, और उन्होंने फिर से परमेश्वर के और एक दूसरे के विरुद्ध पाप किया। क्योंकि वे सब एक ही भाषा बोला करते थे, इसलिए वे एक साथ इकट्ठा हुए और संसार को भर देने के परमेश्वर के आदेश के बजाए एक नगर को बनाया।
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उन्हें बहुत गर्व था, परमेश्वर ने जो कहा था उन्होंने उसकी परवाह नहीं की | फिर उन्होंने स्वर्ग तक लंबी चोटी बनाने का निर्माण किया | परमेश्वर ने देखा कि” सब एक ही दल के है और भाषा भी उनकी एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम आरम्भ भी किया; और अब जो कुछ वो करने का यत्न करेंगे, उसमे से उनके लिये कुछ भी अनहोना न होगा |
वे बहुत घमंडी थे, और उनको कैसा जीवन जीना चाहिए इस बारे में वे परमेश्वर के आदेश का पालन करना नहीं चाहते थे। यहाँ तक कि उन्होंने एक ऐसी मीनार को बनाना आरम्भ किया जो स्वर्ग तक पहुँचेगी। परमेश्वर ने देखा कि अगर वे एक साथ मिल कर बुराई करते रहेंगे, तो वे बहुत से पापी कामों को कर सकते हैं।
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इसलिये परमेश्वर ने उनकी भाषा को विभिन्न भाषाओ में बदल दिया, और उन्हें वहाँ से सारी पृथ्वी पर फैला दिया | जिस शहर का वह निर्माण कर रहे थे उसका नाम बेबीलोन था, जिसका अर्थ है –“अस्पष्ट “
इसलिए परमेश्वर ने उनकी भाषा को बहुत सी विभिन्न भाषाओं में बदल दिया और उन लोगों को सारे संसार में फैला दिया। जिस नगर को उन्होंने बनाना आरम्भ किया था वह बाबेल कहलाया, जिसका अर्थ है "गड़बड़ी"।
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सैकड़ों वर्षों के बाद, परमेश्वर ने एक मनुष्य से बात की जिसका नाम अब्राम था | परमेश्वर ने अब्राम से कहा कि,” अपने देश और अपने परिवार और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा |
कई सौ वर्षों के बाद, परमेश्वर ने अब्राम नाम के एक मनुष्य से बात की। परमेश्वर ने उससे कहा, "अपने देश और परिवार को छोड़ कर उस देश को चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। मैं तुझे आशीष दूँगा और तुझसे एक बड़ी जाति बनाऊँगा। मैं तेरा नाम महान करूँगा। जो तुझे आशीष दे मैं उसे आशीष दूँगा, और जो तुझे श्राप दे मैं उसे श्राप दूँगा। तेरे कारण संसार के सारे कुल आशीष पाएँगे।"
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परमेश्वर के वचन के अनुसार अब्राम चला | इस प्रकार अब्राम अपनी पत्नी सारै, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किये थे, सब को लेकर कनान देश में जो परमेश्वर ने उसे दिखाया था जाने को निकल चला; अब्राम वहा बहुत वर्ष रहा | फिर परमेश्वर ने अब्राम के साथ वाचा बाँधी | वाचा एक सम्मति है दो साझी के बीच |
अतः अब्राम ने परमेश्वर की बात मानी। उसने अपने सारे सेवकों और अपनी सारी सम्पत्ति समेत अपनी पत्नी सारै को लिया और कनान देश को चला गया जो परमेश्वर ने उसे दिखाया था।
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परमेश्वर ने उसे कहा कि, अपने चारों ओर देख’’ क्योंकि जितनी भूमि तुझे दिखाई देती है, उस सब को मैं तुझे और तेरे वंश को दूँगा | मै तुझे आशीष दूँगा और तेरा नाम महान करूँगा |
जब अब्राम कनान पहुँचा तो परमेश्वर ने उससे कहा, "अपने चारों ओर देख। मैं तुझे यह सारा देश दूँगा और तेरे वंशज हमेशा के लिए इस पर अधिकार रखेंगे।" तब अब्राम उस देश में बस गया।
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ैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा और मैं तेरा परमेश्वर होऊँगा | जो तुझे आशीर्वाद दे उन्हें मैं आशीष दूँगा और तुझे जो कोसे, उसे मैं शाप दूँगा | और भूमंडल के सारे कुल तेरे कारण आशीष पाएँगे” | परमेश्वर ने अब्राम से कहा कि तुम मे से एक एक पुरुष का खतना हो | जो वाचा मेरे और तुम्हारे बीच में है, उसका यही चिन्ह होगा | और अब्राम ने आज्ञा मानी |
लिकिसिदक नाम का एक पुरुष था जो सर्वोच्च परमेश्वर का याजक था। एक दिन जब अब्राम युद्ध करने के बाद आ रहा था तो वह और अब्राम मिले। मलिकिसिदक ने अब्राम को आशीष दी और कहा "सर्वोच्च परमेश्वर जो स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी है वह तुझे आशीष दे।" फिर अब्राम ने युद्ध में जीती हुई सब चीजों का दशमांश मलिकिसिदक को दिया।
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अब्राम ने परमेश्वर की वाचा पर विशवास किया | परमेश्वर ने घोषित किया कि अब्राम धर्मी है, क्योंकि उसने परमेश्वर की वाचा पर विश्वास किया है | परन्तु एक समस्या थी | अब्राम और उसकी पत्नी को कोई संतान नहीं हो सकती थी | इसलिये यह असंभव था कि अब्राम बहुत जातियों का पिता बन पाता लेकिन उन्होने धीरज रखा और, उस वायदे पर जो परमेश्वर ने उनसे किया था विश्वास किया |
कई वर्ष बीत गए, परन्तु अभी भी अब्राम और सारै के कोई पुत्र नहीं था। परमेश्वर ने अब्राम से बात की और फिर से प्रतिज्ञा की कि उसका एक पुत्र उत्पन्न होगा और जैसे आकाश में तारे हैं वैसे ही उसके बहुत से वंशज होंगे। अब्राम ने परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास किया। परमेश्वर ने घोषणा की कि अब्राम एक धर्मी जन था क्योंकि उसने परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास किया था।
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एक दिन, अब्राम मलिकिसिदक, परमेश्वर के परमप्रधान याजक से मिला | मलिकिसिदक ने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया,” परमप्रधान ईशवर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो” | तब अब्राम ने उसको सब वस्तुओ का दशमांश दिया |
तब परमेश्वर ने अब्राम से एक वाचा बाँधी। सामान्य रूप से, एक वाचा दो दलों के बीच में एक दूसरे के लिए कामों को करने का एक समझौता होता है। परमेश्वर ने अब्राम से वह प्रतिज्ञा तब की थी जब अब्राम सो रहा था, परन्तु वह तब भी परमेश्वर को सुन सकता था। परमेश्वर ने कहा, "मैं तेरे शरीर से उत्पन्न करके तुझे तेरा एक निज पुत्र दूँगा। मैं तेरे वंशजों को यह कनान देश देता हूँ।" परन्तु अभी भी अब्राम को कोई पुत्र नहीं था।
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 11-15_
_उत्पत्ति अध्याय 11-15 से एक बाइबल की कहानी_

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अब्राम और सारै के कनान पहुँचने के बीस साल बाद तक भी उनकी कोई संतान न थी | परमेश्वर ने अब्राम से कहा और दुबारा वायदा किया कि उसे एक पुत्र होगा और उसके वंशज आकाश के तारागण के समान होंगे | अब्राम ने परमेश्वर के वायदे पर विश्वास किया |
अब्राम और सारै के कनान पहुँचने के दस वर्ष के बाद, अभी तक भी उनके कोई संतान नहीं थी। इसलिए, अब्राम की पत्नी सारै ने उससे कहा, "चूँकि परमेश्वर ने अभी तक मुझे संतान जन्माने में सक्षम नहीं किया है और अब मैं संतान जन्माने के लिए बहुत बूढ़ी हूँ, देख, मेरी दासी हाजिरा यहाँ है। उससे भी विवाह कर ले कि वह मेरे लिए एक संतान उत्पन्न कर सके।"
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तो अब्राम की पत्नी सारै ने उससे कहा, “देख परमेश्वर ने मेरी कोख बन्द कर रखी है, इसलिये मैं तुझ से विनती करती हूँ कि तू मेरी दासी हाजिरा के पास जा | तू उससे विवाह भी करना ताकि, उसके द्वारा मेरी कोख भर सके |
अतः अब्राम ने हाजिरा से विवाह कर लिया। हाजिरा का एक पुत्र जन्मा, और अब्राम ने उसका नाम इश्माएल रखा। परन्तु सारै हाजिरा से जलने लगी। जब इश्माएल तेरह वर्ष का था, परमेश्वर ने फिर से अब्राम से बात की।
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तो अब्राम ने हाजिरा से विवाह किया | हाजिरा को अब्राम के द्वारा एक पुत्र हुआ, अब्राम ने उसका नाम इश्माएल रखा | अब्राम चाहता था कि परमेश्वर इश्माएल को आशीष दे | परमेश्वर ने कहा, “मैं उसे आशीष दूँगा, परन्तु इश्माएल प्रतिज्ञा का पुत्र नहीं हैं | मैं अपनी वाचा उसके साथ नहीं बाँधूँगा |”
परमेश्वर ने कहा, "मैं सर्व-शक्तिमान परमेश्वर हूँ। मैं तेरे साथ एक वाचा बाँधूँगा।" तब अब्राम ने भूमि पर गिर कर दंडवत किया। परमेश्वर ने अब्राम से यह भी कहा, "तू बहुत सी जातियों का पिता होगा। मैं तुझे और तेरे वंशजों को उनकी निज भूमि होने के लिए कनान देश दूँगा और मैं सदा के लिए उनका परमेश्वर होऊंगा। तुझे अपने घराने के हर पुरुष का खतना करना है।"
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“तेरी पत्नी सारै के तुझ से एक पुत्र होंगा | और वह वायदे का पुत्र होंगा | और तू उसका नाम इसहाक रखना | मेरी वाचा उसके साथ होंगी, और वह एक बड़ी जाती होगा |” परमेश्वर ने कहा कि अब तेरा नाम अब्राम न होकर अब्राहम होगा, जिसका अर्थ है –“मूलपिता” परमेश्वर ने सारै का नाम बदलकर सारा रखा, जिसका अर्थ है , “मूलमाता “
"तेरी पत्नी सारै एक पुत्र जनेगी वह प्रतिज्ञा का पुत्र होगा। उसका नाम इसहाक रखना। मैं उसके साथ अपनी वाचा को बनाए रखूँगा और वह एक बड़ी जाति बन जाएगा। मैं इश्माएल को भी एक बड़ी जाति बनाऊँगा, परन्तु मेरी वाचा इसहाक के साथ रहेगी।" तब परमेश्वर ने अब्राम का नाम बदलकर अब्राहम कर दिया, जिसका अर्थ है "बहुतों का पिता"। परमेश्वर ने सारै का नाम भी बदलकर सारा कर दिया, जिसका अर्थ है "मूलमाता"।
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अंत में, जब अब्राहम सौ वर्ष का हुआ और सारा नब्बे वर्ष की तो, सारा ने अब्राहम के पुत्र को जन्म दिया | उन्होंने उसका नाम इसहाक रखा, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था |
उस दिन अब्राहम ने अपने घराने के सभी पुरुषों का खतना किया। लगभग एक वर्ष के बाद, जब अब्राहम 100 वर्ष की आयु का था और सारा 90 वर्ष की थी, तब सारा ने अब्राहम के पुत्र को जन्म दिया। जैसा परमेश्वर ने उनको कहा था उन्होंने उसका नाम इसहाक रखा।
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जब इसहाक जवान हुआ, परमेश्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा ली,”अपने एकलौते पुत्र इसहाक को होमबलि करके चढ़ा | फिर अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया, और अपने पुत्र का बलिदान देने के लिये तैयार हो गया |
जब इसहाक जवान हुआ तो परमेश्वर ने यह कह कर अब्राहम के विश्वास की परीक्षा की, "अपने एकलौते पुत्र को ले, और उसे मेरे लिए बलि के रूप में मार डाल।" फिर से अब्राहम ने परमेश्वर की बात मानी और अपने पुत्र को बलि करने के लिए तैयार किया।
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जब अब्राहम और इसहाक बलिदान की जगह की ओर जा रहे थे, इसहाक ने पूछा, " हे मेरे पिता, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिए भेड़ कहा है?" अब्राहम ने उत्तर दिया, “हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा |”
जब अब्राहम और इसहाक बलि चढ़ाने के स्थान की ओर जाने लगे तो इसहाक ने पूछा, "हे पिता, हमारे पास बलि के लिए लकड़ियाँ तो हैं, परन्तु बलि करने का मेमना कहाँ है?" अब्राहम ने जवाब दिया, "हे मेरे पुत्र, परमेश्वर बलि करने के लिए मेमने का प्रबंध करेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-08.jpg)
तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया | जैसे ही वह अपने पुत्र को मारने पर ही था, कि परमेश्वर ने कहा “ठहर”! उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उसे कुछ कर | क्योंकि तू ने मुझ से अपने एक पुत्र वरन एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे अब मैं जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है |
जब वे बलि चढ़ाने के स्थान पर पहुँच गए, तो अब्राहम ने इसहाक को बाँध कर वेदी पर लिटा दिया। वह अपने पुत्र को मारने ही वाला था कि परमेश्वर ने कहा, "रुक जा! लड़के को नुकसान न पहुँचा! अब मैं जान गया हूँ कि तू मेरा भय मानता है क्योंकि तूने अपने एकलौते पुत्र को भी मुझसे बचाकर नहीं रखा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-09.jpg)
तब अब्राहम ने अपनी आँखे उठाई और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा झाड़ी में फँसा पड़ा है | अत: अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया और अपने पुत्र इसहाक के स्थान पर उसको होमबलि करके चढ़ाया | अब्राहम ने प्रसन्नता के साथ उस मेढ़े को होमबलि करके चढ़ाया |
पास ही अब्राहम ने एक मेढ़े को देखा जो झाड़ियों में फँसा हुआ था। इसहाक के बदले बलि के लिए परमेश्वर ने मेढ़े का प्रबंध किया था। अब्राहम ने खुशी-खुशी मेढ़े की बलि चढ़ा दी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-10.jpg)
फिर परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि,” तू मुझे अपना सब कुछ देने के लिए तैयार हो गया, यहाँ तक कि अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा, इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूँगा |” और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण के समान अनगिनित करूँगा | और पृथ्वी की सारी जातियाँ तेरे कारण अपने को धन्य मानेंगी; क्योंकि तूने मेरी बात मानी है |
तब परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, "क्योंकि तू मेरे लिए सब कुछ देने को इच्छुक था, यहाँ तक कि अपने एकलौते पुत्र को भी, इसलिए मैं तुझे आशीष देने की प्रतिज्ञा करता हूँ। तेरे वंशज आकाश के तारों से भी अधिक होंगे। क्योंकि तूने मेरी आज्ञा को माना है इसलिए मैं तेरे परिवार के द्वारा संसार के सब कुलों को आशीष दूँगा।"
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 16-22_
_उत्पत्ति अध्याय 16-22 से एक बाइबल की कहानी_

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# 6. परमेश्वर ने इसहाक के लिये प्रबंध किया
# 6. परमेश्वर इसहाक के लिए प्रबंध करता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-01.jpg)
जब अब्राहम वृद्ध हो गया था, तो उसका पुत्र इसहाक व्यस्कता की ओर बढ़ता जा रहा था, अब्राहम ने अपने एक दास से कहा, कि तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा |
जब अब्राहम बहुत बूढ़ा हो गया था तब उसका पुत्र, इसहाक, एक पुरुष की आयु का हो गया था। इसलिए अब्राहम ने अपने एक सेवक को अपने पुत्र इसहाक के लिए उस देश से एक पत्नी लाने के लिए भेजा जहाँ उसके रिश्तेदार रहते थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-02.jpg)
एक लंबी यात्रा के बाद, जब वह दास उस नगर में गया जहाँ अब्राहम के कुटुम्बी रहते थे, तब परमेश्वर ने उस दास के सामने रिबका को भेजा | वह अब्राहम के भाई की पोती थी |
जहाँ अब्राहम के रिश्तेदार रहते थे उस देश को जाने की एक बड़ी लंबी यात्रा के बाद परमेश्वर उस सेवक को रिबका के पास ले गया। वह अब्राहम के भाई की पोती थी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-03.jpg)
रिबका अपने परिवार को छोड़, अब्राहम के दास के साथ इसहाक के घर जाने को सहमत हो गयी | रिबका के वहाँ पहुँँचते ही इसहाक ने उससे विवाह किया |
रिबका अपने परिवार को छोड़ कर उस सेवक के साथ वापिस जाने के लिए मान गई। जैसे ही वे पहुँचे इसहाक ने उससे विवाह कर लिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-04.jpg)
एक लंबे समय के बाद अब्राहम की मृत्यु हो गयी, परमेश्वर ने अब्राहम से जो वाचा बाँधी थी उसके अनुसार, परमेश्वर ने इसहाक को आशीष दी | परन्तु इसहाक की पत्नी रिबका को कोई सन्तान नहीं हो सकता था | इसहाक बहुत जातियों का पिता नहीं बन सकता था यदि उसके पास एक भी पुत्र नहीं होता |
एक लंबे समय के बाद, अब्राहम मर गया। तब परमेश्वर ने अब्राहम के पुत्र इसहाक को, अब्राहम के साथ बाँधी गई वाचा की वजह से आशीष दी। उस वाचा में परमेश्वर की एक प्रतिज्ञा थी कि अब्राहम के अनगिनत वंशज होंगे। परन्तु इसहाक की पत्नी रिबका के संतान उत्पन्न नहीं हुईं।
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इसहाक ने परमेश्वर से प्रार्थना की, और परमेश्वर ने उसकी विनती सुनी इस प्रकार रिबका जुड़वाँ पुत्रों के साथ गर्भवती हुई |
इसहाक ने रिबका के लिए प्रार्थना की, और परमेश्वर ने उसे जुड़वाँ बच्चों का गर्भ धारण करने में सक्षम किया। जिस समय वे बच्चे रिबका के गर्भ में ही थे वे आपस में लड़ने लगे, इसलिए जो कुछ हो रहा था रिबका ने वह परमेश्वर को बता दिया।
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उनके जन्म से पहले, परमेश्वर ने रिबका से कहा कि बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा |
परमेश्वर ने रिबका से कहा, "तू दो पुत्रों को जन्म देगी। उनके वंशज दो अलग-अलग जातियाँ बनेंगे। वे एक दूसरे से लड़ेंगे। परन्तु बड़े पुत्र से उत्पन्न होने वाली जाति को छोटे पुत्र से आने वाली जाति की आज्ञा माननी होगी।"
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जब रिबका के प्रसव का समय आया, पहला जो उत्पन्न हुआ वह लाल निकला, और उसका सारा शरीर कम्बल के समान रोममय था; इसलिये उसका नाम एसाव रखा गया | पीछे उसका भाई अपने हाथ से उसकी एड़ी पकड़े हुए उत्पन्न हुआ; और उसका नाम याकूब रखा गया |
जब रिबका के बच्चों का जन्म हुआ, तो बड़ा पुत्र लाल और रोएँदार था, और उन्होंने उसका नाम एसाव रखा। तब छोटा पुत्र एसाव की एड़ी को पकड़े हुए जन्मा, और उन्होंने उसका नाम याकूब रखा।
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 24:1-25:26_
_उत्पत्ति अध्याय 24:1-25:26 से एक बाइबल की कहानी_

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# 7. परमेश्वर ने याकूब को आशीष दी
# 7. परमेश्वर याकूब को आशीष देता है
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फिर वे लड़के बढ़ने लगे, रिबका याकूब से प्रीति रखती थी, लेकिन इसहाक एसाव से प्रीति रखता था | याकूब सीधा मनुष्य था और तम्बुओ में रहा करता था, परन्तु एसाव तो वनवासी होकर चतुर शिकार खेलनेवाला हो गया |
जब वे बच्चे बड़े हुए तो याकूब को घर पर रहना अच्छा लगा, परन्तु एसाव को जानवरों को शिकार करना भाया। रिबका ने याकूब से स्नेह किया, परन्तु इसहाक ने एसाव से प्रीति रखी
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एक दिन एसाव जंगल से थका हुआ आया, और उसे बहुत भूख लगी थी | एसाव ने याकूब से कहा, “जो भोजन तूने पकाया है उसी में से मुझे भी कुछ खिला दे” याकूब ने कहा, “पहले, अपने पहिलौठे का अधिकार आज मेरे हाथ बेच दे” तो एसाव ने अपने पहिलौठे का अधिकार याकूब के हाथ बेच दिया | तब याकूब ने एसाव को खाने के लिये कुछ भोजन दिया |
एक दिन, जब एसाव शिकार करके वापिस आया तो वह बहुत भूखा था। एसाव ने याकूब से कहा, "जो तूने पकाया है उसमें से थोड़ा भोजन मुझे दे।" याकूब ने जवाब दिया, "पहले मुझसे यह प्रतिज्ञा कर कि पहलौठा होने के कारण से हर एक चीज जो तुझे मिलनी चाहिए, वह सब तू मुझे देगा।" अतः एसाव ने उन सब चीजों को याकूब को देने की प्रतिज्ञा कर दी। तब याकूब ने उसे कुछ भोजन दिया।
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इसहाक बहुत बूढा हो गया था, वह अपना आशीर्वाद एसाव को देना चाहता था | पर इससे पहले वह ऐसा करता, रिबका ने याकूब को एसाव के स्थान पर इसहाक के पास भेज दिया | याकूब ने एसाव के सुन्दर वस्त्र पहन लिये और बकरियों के बच्चों की खालों को अपने हाथों और गले में लपेट लिया |
इसहाक एसाव को आशीष देना चाहता था। परन्तु इससे पहले कि उसने ऐसा किया, रिबका और याकूब ने याकूब के एसाव होने को ढोंग करके उसके साथ धोखा किया। इसहाक बूढ़ा था और अब देख नहीं पाता था। इसलिए याकूब ने एसाव के कपड़े पहने और बकरी की खाल को अपने गले और हाथों पर लपेट लिया।
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इसहाक अच्छी तरह से नहीं देख सकता था | याकूब इसहाक के पास गया और कहा कि “मैं एसाव हूँ”, मैं तेरे पास आया हूँ ताकि तू मुझे आशीर्वाद दे | जब इसहाक ने उसे टटोलकर देखा और उसके वस्त्रो की सुगन्ध पाकर समझा कि वह एसाव है, तो उसे जी से आशीर्वाद दिया |
याकूब इसहाक के पास आया और कहा, "मैं एसाव हूँ। मैं इसलिए आया हूँ कि तू मुझे आशीष दे।" जब इसहाक ने बकरी के बालों को महसूस किया और कपड़ों को सूँघा, तो उसने सोचा कि वह एसाव है और उसे आशीष दी।
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एसाव ने याकूब से बैर रखा क्योंकि उसने उसके पहिलौठे होने का अधिकार तो छीन ही लिया था साथ ही पिता के दिए हुए आशीर्वाद के कारण भी बैर रखा | फिर एसाव ने सोचा कि,“मेरे पिता के अन्तकाल का दिन निकट है, फिर मैं अपने भाई याकूब को घात करूँगा |”
एसाव ने याकूब से ईर्ष्या की क्योंकि याकूब ने उसके पहले पुत्र के अधिकार को और साथ ही उसकी आशीषों को भी चुरा लिया था। अतः उसने उनके पिता के मरने के बाद याकूब को मार डालने की योजना बनाई।
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जब रिबका को एसाव की योजना का पता चला | तो उसने याकूब को अपने कुटुम्बियों के पास भेज दिया |
परन्तु रिबका ने एसाव की योजना को सुन लिया। इसलिए उसने और इसहाक ने याकूब को उसके रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए बहुत दूर भेज दिया।
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जब याकूब वहा था ,उसी दौरान याकूब ने चार स्त्रियों से विवाह किया और उसके बारह पुत्र और एक पुत्री उत्पन्न हुई | परमेश्वर ने उसे बहुत धनवान बनाया |
याकूब कई वर्षों तक रिबका के रिश्तेदारों के साथ रहा। उस समय के दौरान उसने विवाह किया और उसके बारह पुत्र और एक पुत्री उत्पन्न हुई। परमेश्वर ने उसे बहुत धनी बना दिया।
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बीस वर्ष तक अपने भवन से, जो कनान में है, दूर रहने के बाद याकूब अपने परिवार, सेवकों, और अपने सारे जानवरों समेत वापस आगया |
बीस वर्षों तक कनान में अपने घर से दूर रहने के बाद, याकूब अपने परिवार, अपने सेवकों, और अपने जानवरों के सारे झुंडों के साथ वहाँ वापिस लौटा।
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याकूब बहुत भयभीत था कि, क्या एसाव अब भी उसे मारना चाहता है | इसलिये उसने उपहार के रुप में एसाव के पास जानवरों के कई झुण्ड भेजे | जो दास उन जानवरों को एसाव को उपहार स्वरूप देने आए थे उन्होंने एसाव से कहा “कि यह जानवर तेरे दास याकूब ने तेरे लिये भेजे है | वह जल्द ही आ रहा है |”
याकूब इसलिए बहुत भयभीत था क्योंकि उसने सोचा कि एसाव अब भी उसे मार डालना चाहता था। इसलिए उसने उपहार स्वरूप जानवरों के झुंडों को एसाव के पास भेजा। जो सेवक उन झुंडों को लेकर गए थे उन्होंने कहा, "तेरा दास याकूब, इन जानवरों को तुझे देता है। वह जल्दी ही आ रहा है।"
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परन्तु एसाव याकूब को फहले ही माफ़ कर चुका था, और वह एक दूसरे को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए | याकूब तब शांतिपूर्वक कनान में रहने लगा | इसहाक की मृत्यु हो गयी और उसके पुत्र एसाव और याकूब ने उसको मिट्टी दी | परमेश्वर ने अब्राहम की वंशावली के विषय में जो वाचा उससे बाँधी थी, वह अब्राहम से इसहाक और इसहाक से याकूब को दी |
परन्तु एसाव अब याकूब को नुकसान पहुँचाना नहीं चाहता था। इसके बजाए, वह उसे एक बार फिर से देख कर बहुत प्रसन्न था। उसके बाद याकूब कनान में शान्तिपूर्वक रहा। फिर इसहाक मर गया और याकूब और एसाव ने उसे दफनाया। वाचा की प्रतिज्ञाएँ जो परमेश्वर ने अब्राहम से की थीं वे अब इसहाक से याकूब पर आ गई थीं।
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 25:27-33:20_
_उत्पत्ति अध्याय 25:27-35:29 से एक बाइबल की कहानी_

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# 8. परमेश्वर ने यूसुफ और उसके परिवार को बचाया
# 8. परमेश्वर यूसुफ और उसके परिवार को बचाता है
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कई साल बाद, जब याकूब वृद्ध हो गया, तो उसने अपने प्रिय पुत्र यूसुफ को भेजा कि वह जाकर अपने भाइयो को देखे जो भेड़ बकरियों के झुंड की देखभाल कर रहे थे |
कई वर्षों के बाद, जब याकूब बूढ़ा हो गया था, तो उसने अपने प्रिय पुत्र यूसुफ को उसके भाइयों की जाँच करने के लिए भेजा जो जानवरों के झुंडों की देखभाल कर रहे थे।
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यूसुफ के भाई उससे बैर रखते थे क्योंकि जब यूसुफ के भाइयो ने देखा कि हमारा पिता हम सबसे अधिक उसी से प्रीति रखता है, और यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि वह अपने भाइयो पर राज्य करेगा | जब यूसुफ अपने भाइयो के पास आया तो उन्होंने उसे अगवा करके उसे किसी व्यापारी को बेच दिया |
यूसुफ के भाइयों ने उससे ईर्ष्या करते थे क्योंकि उनका पिता उससे अधिक प्रेम करता था और इसलिए भी कि यूसुफ ने स्वप्न देखा था कि वह उनका शासक हो जाएगा। जब यूसुफ अपने भाइयो के पास आया तो उन्होंने उसे बंधक बना लिया और उसे दासों का व्यापार करने वालों को बेच दिया।
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जब उसके भाई घर वापस आए तो उन्होंने यूसुफ के कपड़े लिये, और एक बकरे को मार के उसके लहू में उसे डुबा दिया | और उन्होंने उस कपड़े को पिता को दिखाकर कह दिया कि किसी दुष्ट पशु ने यूसुफ को खा लिया है | याकूब बहुत उदास हुआ |
घर वापिस लौटने से पहले यूसुफ के भाइयों ने यूसुफ के वस्त्र को फाड़ कर बकरी के लहू में भिगो दिया। फिर उन्होंने वह वस्त्र अपने पिता को दिखाया ताकि वह यह सोचे कि किसी जंगली जानवर ने यूसुफ को मार डाला है। याकूब बहुत उदास था।
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और व्यापारी यूसुफ को मिस्र ले गए | मिस्र नील नदी के किनारे स्थित एक बड़ा , शक्तिशाली देश था | दास व्यापारियों ने यूसुफ को एक धनी सरकारी अधिकारी को गुलाम के रूप में बेच दिया | यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर रहता था, और परमेश्वर उसको आशीष देता था |
दासों का व्यापार करने वाले वे लोग यूसुफ को मिस्र ले गए। नील नदी के किनारे पर बसा हुआ मिस्र एक विशाल और शक्तिशाली देश था। उन दासों का व्यापार करने वालों ने यूसुफ को एक धनी सरकारी अधिकारी को दास के रूप में बेच दिया। यूसुफ ने अपने स्वामी की अच्छी तरह से सेवा की, और परमेश्वर ने यूसुफ को आशीष दी।
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उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ से कहा कि “मेरे साथ सो”, पर यूसुफ ने अस्वीकार किया और कहा कि “मैं ऐसी बड़ी दुष्टता कर के परमेश्वर का अपराधी क्यों बनूँ |” वह बहुत क्रोधित हुई और यूसुफ पर झूठा आरोप लगाया और उसे बंदीगृह में डलवा दिया | यहाँ तक की बंदीगृह में भी यूसुफ परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहा और परमेश्वर ने उसे आशीष दी |
उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ के साथ सोने की कोशिश की, परन्तु यूसुफ ने इस रीति से परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने से इंकार कर दिया। वह क्रोधित हो गई और यूसुफ पर झूठा आरोप लगा दिया, इसलिए उसे गिरफ्तार करके बन्दीगृह भेज दिया गया। यहाँ तक कि बन्दीगृह में भी, यूसुफ परमेश्वर के प्रति सच्चा रहा, और परमेश्वर ने उसे आशीष दी।
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दो साल बाद भी, निर्दोष होने के बावजूद यूसुफ बंदीगृह में था | एक रात को मिस्र के राजा ने, जिसे फ़िरौन कहते है उसने रात में दो स्वप्न देखे जो उसे निरंतर परेशान कर रहे थे | जो स्वप्न उसने देखा उसका फल बताने वाला कोई भी नहीं है |
दो वर्षों के बाद, यूसुफ अभी भी बन्दीगृह में था, भले ही वह निर्दोष था। एक रात, फिरौन, जैसा कि मिस्री लोग अपने राजाओं को पुकारते थे, ने दो स्वप्न देखे जिन्होंने उसे अत्यन्त विचलित कर दिया। उसका कोई भी सलाहकार उसे उन स्वप्नों का अर्थ नहीं बता पाया।
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परमेश्वर ने यूसुफ को यह योग्यता दी थी कि वह स्वप्न का अर्थ समझ सके, इसलिये फ़िरौन ने यूसुफ को बंदीगृह से बुलवा भेजा | यूसुफ ने उसके लिये स्वप्न की व्याख्या की और कहा कि” सारे मिस्र देश में सात वर्ष तो बहुतायत की उपज के होंगे, और उनके पश्चात् सात वर्ष अकाल के आयेंगे |”
परमेश्वर ने यूसुफ को स्वप्नों का अर्थ बताने की क्षमता प्रदान की थी, इसलिए फिरौन ने यूसुफ को बन्दीगृह से अपने पास बुलाया। यूसुफ ने उसे उन स्वप्नों का अर्थ बताया और कहा, "परमेश्वर भरपूरी की फसलों वाले सात वर्षों के बाद अकाल के सात वर्ष भेजने वाला है।"
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फ़िरौन यूसुफ से बहुत प्रभावित हुआ, और उसे मिस्र का दूसरा सबसे शक्तिशाली आदमी नियुक्त किया |
फिरौन यूसुफ से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसे मिस्र का दूसरा सबसे शक्तिशाली पुरुष नियुक्त कर दिया।
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यूसुफ ने सात वर्ष अच्छी उपज के दिनों में भोजनवस्तुएँ इकट्ठा करने के लिये लोगों से कहा | अकाल के साथ वर्षों में जब लोगों के पास खाने के लिये कुछ नहीं था और सारी पृथ्वी पर अकाल फैल गया तो यूसुफ मिस्रियो को अन्न बेचने लगा |
यूसुफ ने लोगों से अच्छी फसलों वाले सात वर्षों के दौरान बड़ी मात्रा में भोजन को जमा करने के लिए कहा। जब सात वर्षों का अकाल आया तब यूसुफ ने लोगों को वह भोजन बेचा ताकि उनके पास खाने के लिए पर्याप्त हो।
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अकाल न केवल मिस्र परन्तु कनान में भी पड़ा था, जहाँ यूसुफ का परिवार रहता था |
वह अकाल केवल मिस्र में ही नहीं, परन्तु कनान में भी भयंकर था जहाँ याकूब और उसका परिवार रहता था।
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याकूब ने अपने बेटों को मिस्र से अन्न लाने के लिये भेजा | यूसुफ के भाइयो ने उसे न पहिचाना जब वह अनाज मोल लेने के लिये उसके सामने खड़े थे | परन्तु यूसुफ ने उन्हें पहचान लिया |
इसलिए याकूब ने अपने सबसे बड़े पुत्रों को भोजन खरीदने के लिए मिस्र को भेजा। जब वे भोजन खरीदने के लिए यूसुफ के सामने खड़े हुए तो उन भाइयों ने यूसुफ को नहीं पहचाना। परन्तु यूसुफ ने उनको पहचान लिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-12.jpg)
क्या उसके भाई बदल गए है यह परखने के बाद, यूसुफ ने उन्हें कहा,” मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूँ ! डरो मत | “तुमने दुष्टता के लिये मिस्र आने वालों के हाथ मुझे बेच दिया था, परन्तु परमेश्वर ने अच्छे के लिये ही बुराई की !” आओ और मिस्र में रहो, ताकि मैं तुम्हे और तुम्हारे परिवार को जो कुछ मिस्र देश में है अच्छे से अच्छा तुम्हे दूँगा |”
यह मालूम करने के लिए कि क्या वे बदल गए हैं उनकी जाँच करने के बाद, यूसुफ ने उनसे कहा, "मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूँ! डरो मत। जब तुमने मुझे दास के रूप में बेचा था तो तुमने बुरा करने की ठानी थी, परन्तु परमेश्वर ने उस बुराई को भलाई के लिए उपयोग किया! आओ और मिस्र में रहो ताकि मैं तुम्हारे और तुम्हारे परिवारों के लिए भोजन का प्रबंध कर सकूँ।"
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जब यूसुफ के भाई अपने पिता याकूब के पास पहुँचे और उससे कहा, यूसुफ अब तक जीवित है, यह सुन वह बहुत प्रसन्न हुआ |
जब यूसुफ के भाई घर वापिस लौटे और अपने पिता याकूब को बताया कि यूसुफ अभी भी जीवित है तो वह बहुत प्रसन्न हुआ।
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याकूब वृद्ध हो गया था, वह अपने परिवार के साथ मिस्र देश गया और वह सब वहा रहने लगे | याकूब ने मृत्यु से पहले अपने सब पुत्रों को आशीर्वाद दिया |
हालाँकि याकूब एक बूढ़ा व्यक्ति था तौभी वह अपने पूरे परिवार के साथ मिस्र को चला गया, और वे वहाँ बस गए। याकूब के मरने से पहले, उसने अपने प्रत्येक पुत्र को आशीषित किया।
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परमेश्वर ने जो वाचा अब्राहम से बाँधी थी , अब्राहम के बाद इसहाक से, इसहाक के बाद याकूब और उसके बारह पुत्रों व उसके परिवार से | बारह पुत्रों की सन्तान से इस्राएल के बारह गोत्र बन गए |
वाचा की वह प्रतिज्ञाएँ जो परमेश्वर ने अब्राहम से की थीं वे इसहाक पर और उसके बाद याकूब, और उसके बाद उसके बारह पुत्रों और उनके परिवारों पर आ गई थीं। उन बारह पुत्रों के वंशज इस्राएल के बारह गोत्र बन गए।
_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 37-50_
_उत्पत्ति अध्याय 37-50 से एक बाइबल की कहानी_

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# 9. परमेश्वर ने मूसा को बुलाया
# 9.परमेश्वर मूसा को बुलाता है
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यूसुफ की मृत्यु के पश्चात्, उसके सभी कुटुम्बी ने मिस्र में ही वास किया | कई वर्षों तक वे और उनके वंशज वही रहे और उनकी बहुत सी संताने उत्पन्न हुई | वह इस्राएली कहलाएँ |
यूसुफ के मरने के बाद उसके सब रिश्तेदार मिस्र में बस गए। वे और उनके वंशज कई वर्षों तक मिस्र में ही रहे और उन्होंने बहुत संतानें उत्पन्न कीं। वे इस्राएली कहलाए।
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कई वर्षो बाद, मिस्र में एक नया राजा आया | मिस्र वासी अब यूसुफ को भूल गये थे और उन कार्यो को जो उसने उनकी सहायता करने के लिये किये थे | वे इस्राएलियों से डरते थे क्योंकि वे संख्या में बहुत अधिक थे | उस समय जो फ़िरौन मिस्र पर राज्य करता था, इस्राएलियों को मिस्रियो का गुलाम बनाया
कई सौ वर्षों के बाद, इस्राएलियों की संख्या बहुत बढ़ गई थी। और मिस्री लोग अब इस बात के लिए आभारी नहीं थे कि उनकी सहायता करने के लिए यूसुफ ने बहुत कुछ किया था। वे इस्राएलियों से डर गए क्योंकि वे संख्या में उनसे बहुत अधिक थे। इसलिए उस समय मिस्र पर शासन करने वाले फिरौन ने इस्राएलियों को मिस्रियों का दास बना दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-03.jpg)
मिस्रियो ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवा करवाई, और यहाँ तक कि कई इमारते व पूरे नगर का निर्माण करवाया | कठोर परिश्रम ने उनके जीवन को दयनीय बना दिया है, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया, और उनके और अधिक संतान उत्पन्न हुई |
मिस्रियों ने इस्राएलियों को बहुत सी इमारतें और यहाँ तक कि कई नगरों को बनाने के लिए मजबूर किया। उस कठिन परिश्रम ने उनके जीवनों को बड़ा दुःखदायी बना दिया, परन्तु परमेश्वर ने उनको आशीष दी और उनके और अधिक संतानें उत्पन्न हुईं।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-04.jpg)
जब फ़िरौन ने देखा कि इस्राएलियों की संताने बहुत अधिक बढ़ती जा रही है, तब फ़िरौन ने आपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हो उन सभी को तुम नील नदी में डाल देना |
फिरौन ने देखा कि इस्राएलियों के बहुत संतानें उत्पन्न हो रही थीं, इसलिए उसने अपने लोगों को इस्राएलियों के सभी नर बच्चों को नील नदी में फेंक कर मार डालने का आदेश दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-05.jpg)
एक इस्राएली महिला ने पुत्र को जन्म दिया | उसने और उसके पति ने बालक को छिपा दिया |
एक इस्राएली स्त्री ने एक नर बच्चे को जन्म दिया। उसने और उसके पति ने जितना उनसे हो सका उस बच्चे को छिपा कर रखा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-06.jpg)
उन्होने उसे एक टोकरी में रख कर नील नदी मे छोड़ दिया | उस बालक की बहिन दूर खड़ी रही कि देखे उस बालक का क्या होता है |
जब उस बालक के माता-पिता उसे और अधिक न छिपा सके, तो उन्होंने उसे मारे जाने से बचाने के लिए एक तैरने वाली टोकरी में नील नदी के किनारे पर सरकंडों के बीच रख दिया। उसकी बड़ी बहन ने यह देखने के लिए उसकी निगरानी की कि उसके साथ क्या होगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-07.jpg)
फ़िरौन की बेटी ने टोकरी को देखा और फिर उसके अंदर देखा | जब उसने बालक को देखा, तो उसे अपने पुत्र के रूप में अपने साथ रख लिया | उसने एक इस्राएली स्त्री को जो बालक की माँ थी दूध पिलाने के लिये रख लिया | जब वह बालक बड़ा हुआ, फ़िरौन की बेटी ने उसका नाम मूसा रखा |
फिरौन की पुत्री ने उस टोकरी को देख कर उसके भीतर झाँका। जब उसने एक बच्चे को देखा तो उसने उसे अपने बच्चे के रूप में ले लिया। उसने एक इस्राएली स्त्री को उसे दूध पिलाने के लिए काम पर रख लिया, बिना यह जाने कि वह उस बच्चे की वास्तविक माता थी। जब वह बच्चा इतना बड़ा हो गया कि अब उसे अपनी माता के दूध की आवश्यकता नहीं थी, तो उसने फिरौन की पुत्री के पास उसे लौटा दिया, उसका नाम मूसा था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-08.jpg)
एक दिन, जब मूसा जवान हुआ, तो उसने देखा कि एक मिस्री जन इस्राएली को मार रहा है | मूसा ने अपने साथी इस्राएली को बचाने का प्रयास किया |
एक दिन, जब मूसा बड़ा हो गया था, तो उसने देखा कि एक मिस्री एक इस्राएली को पिट रहा है। मूसा ने अपने साथी इस्राएली को बचाने का प्रयास किया
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-09.jpg)
मूसा ने सोचा कि उसे किसी ने नहीं देखा, और उसने मिस्री को मारा और उसे दफना दिया | परन्तु मूसा को यह करते हुए किसी ने देख लिया था |
जब मूसा ने सोचा कि उसे कोई नहीं देखेगा तो उसने उस मिस्री को मार डाला और उसके शव को दफन कर दिया। परन्तु मूसा ने जो किया था उसे किसी ने देख लिया था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-10.jpg)
जब फ़िरौन ने यह बात सुनी, तो मूसा को घात करने की युक्ति की क्योंकि उसने यह किया था | तब मूसा मिस्र से किसी सुनसान स्थान पर चला गया जहाँ वह सुरक्षित रह सके |
फिरौन को मालूम हो गया कि मूसा ने क्या किया है। उसने उसे मार डालने का प्रयास किया, परन्तु मूसा मिस्र से जंगल में भाग गया। फिरौन के सैनिक उसे वहाँ खोज न सके।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-11.jpg)
ूसा मिस्र से बहुत दूर एक जंगल में चरवाहा बन गया | उस स्थान पर उसने एक महिला से विवाह किया और उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए |
िस्र से दूर जंगल में मूसा एक चरवाहा बन गया था। उसने वहाँ एक स्त्री से विवाह कर लिया और दो पुत्र उत्पन्न किए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-12.jpg)
एक दिन, मूसा जब अपनी भेड़ो की देख रेख कर रहा था , तब उसने देखा कि किसी झाड़ी में आग लगी है | परन्तु झाड़ी जल तो रही है पर भस्म नहीं होती | तब मूसा उस स्थान पर यह देखने के लिये गया कि वह झाड़ी क्यों नहीं जल जाती | मूसा जब झाड़ी को देखने के लिये जाता है, तब परमेश्वर ने उसको पुकारा, हे मूसा अपने पाँवों से जूतियों को उतार दे | जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र भूमि है |”
मूसा अपने ससुर के भेड़ों के झुंड की देखभाल करता था। एक दिन, उसने एक जलती हुई झाड़ी को देखा जो भस्म हुए बिना जल रही थी। उसे देखने के लिए वह उस झाड़ी के समीप गया। जब वह उसके बहुत समीप था तो परमेश्वर ने उससे बात की। उसने कहा, "हे मूसा, अपने जूतों को उतार दे। तू एक पवित्र स्थान पर खड़ा है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-13.jpg)
परमेश्वर ने कहा, “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में है उनके दुःख को निश्चय देखा है |” इसलिये आ मैं तुझे फ़िरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र में से निकाल ले आए | मैं उन्हें कनान देश की वह भूमि दे दूँगा जिसकी वाचा मैंने अब्राहम, इसहाक, और याकूब से बाँधी थी |”
परमेश्वर ने कहा, "मैंने अपने लोगों के दुःखों को देखा है। मैं तुझे फिरौन के पास भेजूँगा ताकि तू इस्राएलियों को मिस्र के दासत्व से निकाल लाए। मैं उनको कनान देश दूँगा, वह देश जिसका मैंने अब्राहम, इसहाक और याकूब से प्रतिज्ञा की है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-14.jpg)
मूसा ने कहा, “ जब वह लोग मुझ से पूछेंगे कि मुझे किस ने भेजा है, तो मैं उन लोगों से क्या कहूँगा?” परमेश्वर ने मूसा से कहा मैं जो हूँ सो हूँ | उनसे कहना “जिसका नाम मैं हूँ है उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है |” “सदा तक मेरा नाम यही रहेगा |”
मूसा ने पूछा, "अगर लोगों ने जानना चाहा कि मुझे किसने भेजा है तो मैं क्या कहूँ?" परमेश्वर ने कहा, "जो मैं हूँ सो मैं हूँ। उनसे कहो, 'मैं हूँ ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।' उनसे यह भी कहो, 'मैं तुम्हारे पूर्वजों अब्राहम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर यहोवा हूँ।' मेरा यह नाम सदा का है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-15.jpg)
मूसा फ़िरौन के पास जाने में डर रहा था, इसलिये परमेश्वर ने उसकी सहायता के लिये उसके भाई हारून को उसके साथ भेजा | परमेश्वर ने मूसा और हारून को चेतावनी दी कि फ़िरौन कठोर मनुष्य है |
मूसा डरता था और फिरौन के पास जाना नहीं चाहता था क्योंकि उसने सोचा कि वह अच्छे से नहीं बोल पाएगा, इसलिए परमेश्वर ने मूसा के भाई, हारून, को उसकी सहायता करने के लिए भेजा।
_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 1-4_
_निर्गमन अध्याय 1-4 से एक बाइबल की कहानी_

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मूसा और हारून फ़िरौन के पास गये | उन्होंने कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यों कहता है,” मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे ! फ़िरौन उन पर हँसा | उसने कहा कि मैं इस्राएलियों को नहीं जाने दूँगा, उसने उन्हें और भी कठिन कार्य करने के लिये विवश किया !
परमेश्वर ने मूसा और हारून को चेतावनी दी कि फिरौन हठीला हो जाएगा। जब वे फिरौन के पास गए तो उन्होंने कहा, "इस्राएल का परमेश्वर यों कहता है, 'मेरे लोगों को जाने दे!'" परन्तु फिरौन ने उनकी नहीं सुनी और इस्राएलियों को जाने के लिए स्वतंत्र करने के बजाए उसने उनको और कठिन परिश्रम करने के लिए मजबूर किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-02.jpg)
फ़िरौन का मन कठोर हो गया और वह प्रजा को जाने नहीं दे रहा था, इसलिये परमेश्वर ने मिस्र देश पर दस भयानक विपत्तियाँ भेजी (विपत्ति एक भयानक आपदा है |) इन भयानक विपत्तियों के द्वारा परमेश्वर यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िरौन व मिस्र के देवताओ से कई अधिक शक्तिशाली है |
फिरौन उन लोगों को जाने देने से लगातार इंकार करता रहा, इसलिए परमेश्वर ने मिस्र पर दस भयंकर विपत्तियाँ भेजीं। इन विपत्तियों के द्वारा, परमेश्वर ने फिरौन को दिखाया कि वह फिरौन और मिस्र के देवताओं से अधिक शक्तिशाली है।
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परमेश्वर ने नील नदी को लहू से भर दिया, तब भी फ़िरौन का मन हठीला रहा और उसने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया |
परमेश्वर ने नील नदी को लहू में परिवर्तित कर दिया, परन्तु फिरौन ने अभी भी इस्राएलियों को जाने नहीं दिया।
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परमेश्वर ने सारे मिस्र देश में मेंढकों को भेज दिया | फ़िरौन ने मेंढकों को दूर ले जाने के लिये मूसा से विनती की | जब फ़िरौन ने देखा कि सब मेंढक मर गए है, तब फ़िरौन ने अपने मन को और कठोर कर लिया और इस्राएलियों को नहीं जाने दिया |
परमेश्वर ने सम्पूर्ण मिस्र में मेंढक भेजे। फिरौन ने मेढकों दूर करने के लिए मूसा से अनुरोध किया। परन्तु सब मेंढकों को मर जाने के बाद, फिरौन ने अपने मन को कठोर कर लिया और इस्राएलियों को मिस्र से निकल जाने नहीं दिया।
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अत: परमेश्वर ने डांसों के झुण्ड को भेजा और फिर मक्खियों की महामारी को भेजा | फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा कि यदि वह इस महामारी को समाप्त कर दे, तो फ़िरौन मिस्र से इस्राएलियों को मुक्त कर देंगा | तब मूसा ने परमेश्वर से विनती की, और परमेश्वर ने डांसों के झुण्ड को मिस्र से दूर कर दिया, तब फ़िरौन ने इस बार भी अपने मन को कठोर किया और उन लोगों को जाने न दिया |
इसलिए परमेश्वर ने कुटकियों की विपत्ति भेजी। उसके बाद उसने डांसों की विपत्ति भेजी। फिरौन ने मूसा और हारून के बुलाया और उनसे कहा कि यदि वे उस विपत्ति को रोक दें तो इस्राएली मिस्र को छोड़ कर जा सकते हैं। जब मूसा ने प्रार्थना की तो परमेश्वर ने मिस्र पर से डांसों को हटा दिया। परन्तु फिरौन ने अपने मन को कठोर कर लिया और उन लोगों को स्वतंत्र होकर जाने नहीं दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-06.jpg)
इसके बाद, परमेश्वर ने मिस्रियो के सभी पशुओ को रोगी किया व उन्हें मार दिया | तौभी फ़िरौन का मन कठोर हो गया और उसने इस्राएलियों को जाने न दिया |
इसके आगे, परमेश्वर ने मिस्रियों के सब पालतू जानवरों को बीमार होकर मर जाने दिया। परन्तु फिरौन का मन कठोर हो गया था और उसने इस्राएलियों को जाने नहीं दिया।
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तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि मुट्ठी में राख भर ले और उसे फ़िरौन के सामने आकाश में उड़ा दे | तब वह धूल होकर सारे मिस्र देश में मनुष्यों और पशुओ दोनों पर फफोले और फोड़े बन जाएगी परन्तु इस्रालियो पर नहीं | तब परमेश्वर ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, और फ़िरौन ने इस्राएलियों को न जाने दिया |
तब परमेश्वर ने मूसा से फिरौन के सामने हवा में राख फेंकने के लिए कहा। जब उसने ऐसा किया तो मिस्र के लोगों की त्वचा पर पीड़ादायक फोड़े निकल आए, परन्तु इस्राएलियों को कुछ नहीं हुआ। परमेश्वर ने फिरौन के मन को कठोर कर दिया, और फिरौन ने इस्राएलियों को स्वतंत्र होकर जाने नहीं दिया।
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इसके बाद, परमेश्वर ने मिस्र देश पर ओले बरसाए, और ओलों से खेत की सारी उपज नष्ट हो गयी, और मैदान में जो भी थे सब मारे गये | फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलवा भेजा और उनसे कहा, “मैंने पाप किया है तुम जा सकते हो।” मूसा ने प्रार्थना की और आकाश से ओलों का बरसना बन्द हुआ |
इसके बाद, परमेश्वर ने ओले गिराए और मिस्र की अधिकांश फसलों को नष्ट कर दिया और जो कोई भी बाहर निकला उसे मार डाला। फिरौन ने मूसा और हारून को बुलाया और उनसे कहा, "मैंने पाप किया है। तुम लोग जा सकते हो।" अतः मूसा ने प्रार्थना की, और आकाश से ओले गिरना रुक गया।
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लेकिन फ़िरौन ने फिर अपने मन को कठोर करके पाप किया और उसने इस्राएलियों को जाने न दिया |
परन्तु फिरौन ने फिर से पाप किया और अपने मन को कठोर कर लिया। उसने इस्राएलियों को स्वतंत्र होकर जाने नहीं दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-10.jpg)
परमेश्वर ने मिस्र को टिड्डियों से भर दिया | यह टिड्डियाँ तुम्हारें खेत की सारी उपज को खा जाएँगी |
अतः परमेश्वर ने मिस्र पर टिड्डियों के दलों को आने दिया। इन टिड्डियों ने उन सारी फसलों को खा लिया जिनको ओलों ने नाश नहीं किया था।
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परमेश्वर ने तीन दिन के लिये मिस्र में अंधकार कर दिया | मिस्र में इतना अंधकार कर दिया कि मिस्री अपने घरों से बाहर निकल न सकें | परन्तु सारे इस्राएलियों के घरों में उजियाला रहा |
फिर परमेश्वर ने अंधकार कर दिया जो तीन दिनों तक बना रहा। यह इतना घोर था कि मिस्री लोग अपने घरों से न निकल पाए। परन्तु जहाँ इस्राएली लोग रहते थे वहाँ उजियाला था।
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इन नौ महामारियों के बावजूद, फ़िरौन ने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया | फ़िरौन ने जब न सुना, तब परमेश्वर ने आखिरी महामारी भेजने की योजना बनाई | इससे फ़िरौन का मन बदल गया |
इन नौ विपत्तियों के बाद भी, फिरौन ने इस्राएलियों को स्वतंत्र होकर जाने देने से इंकार कर दिया। चूँकि फिरौन ने नहीं सुना था इसलिए परमेश्वर ने एक अन्तिम विपत्ति को भेजने की योजना बनाई। यह फिरौन के मन को बदल देगी।
_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 5-10_
_निर्गमन अध्याय 5-10 से एक बाइबल की कहानी_

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# 11. फसह का पर्व
# 11. फसह
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-01.jpg)
परमेश्वर ने फ़िरौन को चेतावनी दी, यदि उसने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया तो वह मनुष्य व पशु सबके पहिलौठो को मार देगा | जब फ़िरौन ने यह सुना तो भी उसने इस्राएलियों को जाने न दिया और परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने से इन्कार कर दिया |
परमेश्वर ने मूसा और हारून को फिरौन के पास यह कहने के लिए भेजा कि इस्राएलियों को जाने दे। उन्होंने उसे चेतावनी दी कि यदि वह उनको नहीं जाने देगा, तो परमेश्वर मिस्र के लोगों के और जानवरों के सब पहिलौठों को मार डालेगा। फिरौन ने यह सुनकर भी परमेश्वर पर विश्वास करने से और उसकी बात मानने से इंकार कर दिया।
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परमेश्वर ने कहा कि, वो मनुष्य जो उस पर विश्वास करेंगा वह उसके पहिलौठे पुत्र को बचाएगा | हर परिवार एक सिद्ध मेम्ने का बलिदान देंगा |
परमेश्वर ने उस पर विश्वास करने वाले किसी के भी पहिलौठे पुत्र को बचाने के लिए एक उपाय का प्रबंध किया। हर परिवार को एक निष्कलंक मेमने को लेकर उसका वध करना था।
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परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा कि वह मेम्ने के लहू को अपने द्वार के दोनों अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाएँ, और वह उसी रात उसे भूनकर अखमीरी रोटी से खाएँ | परमेश्वर ने यह भी कहा कि खाने के बाद मिस्र देश छोड़ने के लिये तैयार रहे |
परमेश्वर ने इस्राएलियों से उस मेमने के लहू को लेकर अपने घरों के द्वार पर लगाने के लिए कहा। उनको उसके माँस को भूनना था और फिर उनको अखमीरी रोटी के साथ उसे फुर्ती से खाना था। उसने उस भोजन को खाने के बाद उनको तत्काल मिस्र को छोड़ने को भी तैयार रहने के लिए कहा।
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इस्राएलियों ने वह सब कुछ किया जो करने की आज्ञा परमेश्वर ने उन्हें दी थी | परमेश्वर ने कहा कि, “उस रात को मैं मिस्र देश के बीच से होकर जाऊँगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य, क्या पशु सब के पहिलौठो को मारूँँगा |
जैसा करने के लिए परमेश्वर ने इस्राएलियों को आदेश दिया था उन्होंने उसके अनुसार सब कुछ किया। मध्यरात्रि में, परमेश्वर हर एक पहिलौठे पुत्र को घात करते हुए मिस्र के मध्य से होकर गुजरा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-05.jpg)
सभी इस्राएलियों के घरों के द्वार पर लहू था , परमेश्वर ने उन घरों को छोड़ दिया और वह सब अन्दर सुरक्षित थे | वे मेम्ने के लहू के द्वारा बच गए |
इस्राएलियों के हर एक घर के द्वारों पर लहू लगा हुआ था, इसलिए परमेश्वर ने उन घरों को छोड़ दिया। उनके भीतर के सब लोग सुरक्षित थे। वे मेमने के लहू के कारण बच गए थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-06.jpg)
परन्तु मिस्रियो ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया और उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया | परमेश्वर ने उनके घरों को नहीं छोड़ा | परमेश्वर ने मिस्रियो के सभी पहिलौठे पुत्रों को मार डाला |
लेकिन मिस्रियों ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया था और उसके आदेशों को नहीं माना था। इसलिए परमेश्वर ने उनके घरों को नहीं छोड़ा। परमेश्वर ने मिस्रियों के हर एक पहिलौठे पुत्रों को मार दिया।
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मिस्रयो के प्रत्येक परिवार के पहिलौठो को मार दिया, जेल के बंदियों से लेकर फ़िरौन तक सबके पहिलौठो को मार दिया | मिस्र में बहुत रोना था |
जेल के कैदियों के पहिलौठों से लेकर, फिरौन के पहिलौठे तक, हर एक पहिलौठा नर मर गए। अपनी गहरी वेदना के कारण मिस्र के बहुत से लोग रो रहे थे और विलाप कर रहे थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-08.jpg)
तब फ़िरौन ने उसी रात मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, “तुम इस्राएलियों समेत मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ तुरन्त ही!” मिस्रियो ने इस्राएलियों पर दबाव डालकर कहा” देश से झटपट निकल जाओ |
उसी रात, फिरौन ने मूसा और हारून के बुलाया और कहा, "इस्राएलियों को लेकर तुरन्त ही मिस्र से निकल जाओ!" मिस्र के लोगों ने भी इस्राएलियों से तुरन्त निकल जाने का आग्रह किया।
_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 11:1-12:32_
_निर्गमन अध्याय 11:1-12:32 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-01.jpg)
मिस्र से मुक्त होकर इस्राएली बहुत खुश हुए | अब वह दास नहीं रहे, और वह प्रतिज्ञा की भूमि पर जा रहे थे! मिस्रियो ने इस्राएलियों को सोना , चाँदी और सभी मूल्यवान वस्तुएँ भी दी |
इस्राएली लोग मिस्र से निकल कर बहुत प्रसन्न थे। वे अब दास नहीं थे, और वे प्रतिज्ञा के देश को जा रहे थे! जो कुछ भी इस्राएलियों ने माँगा, मिस्रियों ने उन्हें वह सब कुछ दिया, यहाँ तक कि सोना और चाँदी और अन्य मूल्यवान वस्तुएँ। दूसरे देशों के कुछ लोगों ने परमेश्वर पर विश्वास किया और जब इस्राएली लोग मिस्र से निकले तो वे भी उनके साथ हो लिए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-02.jpg)
परमेश्वर उन्हें दिन को मार्ग दिखाने के लिये मेघ के खम्भे में, और रात को उजियाला देने के लिये आग के खम्भे में होकर उनके आगे आगे चला करता था | परमेश्वर उनके आगे आगे चला करता था, जिससे वे रात और दिन दोनों में चल सके | उन लोगों को केवल परमेश्वर के पीछे चलना था |
दिन के दौरान बादल का एक विशाल खम्भा उनके आगे-आगे चला। और रात के समय यह आग का खम्भा बन गया। परमेश्वर जो कि उस बादल के खम्भे में और आग के खम्भे में था, हमेशा उनके साथ था और उसने यात्रा करते समय उनकी अगुवाई की। उनको केवल इतना करना था कि उसके पीछे चलें।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-03.jpg)
कुछ ही समय के बाद, फ़िरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और इस्राएलियों को फिर से अपना दास बनाना चाहा | परमेश्वर ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, ताकि लोग इस बात को समझे कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है और फ़िरौन और उसके देवताओ से कही अधिक शक्तिशाली है |
थोड़े समय के बाद, फिरौन और उसके लोगों ने अपने मन को बदल दिया। वे इस्राएलियों को फिर से अपना दास बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस्राएलियों का पीछा किया। यह परमेश्वर ही था जिसने उनके मनों को बदल दिया था। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह चाहता था कि हर कोई यह जान ले कि फिरौन से और मिस्रियों के सब देवताओं से वह, यहोवा, अधिक शक्तिशाली है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-04.jpg)
इस्राएलियों को फिर से दास बनाने के लिये फ़िरौन और उसकी सेना ने उनका पीछा किया | जब फ़िरौन उनके निकट आया, तब इस्राएलियों ने आँखे उठाकर क्या देखा कि फ़िरौन और उसकी सेना उनका पीछा किये आ रहे है, और वह फ़िरौन की सेना और लाल समुद्र के बीच फँस गए है | इस्राएली अत्यंत डर गए और रोने लगे, “ हमने मिस्र क्यों छोड़ा? हम मरने के लिये जा रहे हैं!”
जब इस्राएलियों ने मिस्र की सेना को आते देखा तो उनको मालूम हुआ कि वे फिरौन की सेना और लाल समुद्र के बीच में फँस गए। वे बहुत डर गए और रोने लगे, "हमने मिस्र को क्यों छोड़ा? हम मरने वाले हैं!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-05.jpg)
मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, परमेश्वर आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा और तुम्हे बचाएगा |” तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि,” लोगों को कह लाल समुद्र की ओर जाए |”
मूसा ने इस्राएलियों से कहा, "डरना बंद करो! परमेश्वर आज तुम्हारे लिए लड़ेगा और तुमको बचाएगा।" तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, "इन लोगों से लाल समुद्र की ओर आगे बढ़ने के लिए कह।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-06.jpg)
परमेश्वर ने बादल के खम्भे को उनके आगे से हटाकर उनके पीछे कर दिया, इस प्रकार वह मिस्रियो की सेना और इस्राएलियों की सेना के बीच में आ गया और तब मिस्र की सेना इस्राएल की सेना को देख न सकी |
तब परमेश्वर ने उस बादल के खम्भे को लेकर इस्राएलियों और मिस्रियों के बीच में रख दिया ताकि मिस्री लोग इस्राएलियों को देख न पाएँ।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-07.jpg)
परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा और वह दो भाग हो जाएगा | इस्राएली समुद्र के बीच होकर स्थल ही स्थल पर चले जाएँगे, और जल उनकी दाहिनी और बाई ओर दीवार का काम देता था |
परमेश्वर ने मूसा से समुद्र पर अपना हाथ बढ़ाने के लिए कहा। फिर परमेश्वर ने हवा से समुद्र के पानी को बाईं और दाईं ओर करवा दिया, जिससे कि समुद्र से होकर एक रास्ता बन गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-08.jpg)
इस्राएली समुद्र के किनारे सूखी भूमि पर चलने लगे और पानी दूसरे किनारे पर था |
इस्राएली लोग अपने दोनों तरफ पानी की दीवारों के साथ सूखी भूमि पर समुद्र से होकर बढ़ चले।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-09.jpg)
परमेश्वर ने बादल को ऊपर किया ताकि मिस्री इस्राएलियों को जाते हुए देख सके | मिस्रियो ने निर्णय लिया कि वह इस्राएलियों का पीछा करेंगे |
तब परमेश्वर ने उस रास्ते से बादल को उठा लिया ताकि मिस्री लोग इस्राएलियों को बच कर जाते हुए देखें। मिस्रियों ने उनको पकड़ने के लिए उनका पीछा करने का निर्णय लिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-10.jpg)
और रात के अंतिम पहर में परमेश्वर ने बादल और आग के खम्भे में से मिस्रियो की सेना पर दृष्टी करके उन्हें घबरा दिया, और उनके रथों के पहियों को निकाल डाला जिससे उनका चलाना कठिन हो गया | तब मिस्री कहने लगे, “ आओ हम इस्राएलियों के सामने से भागें; परमेश्वर इस्राएलियों की ओर से मिस्रियो से युद्ध कर रहा है |”
अतः उन्होंने समुद्र के माध्यम से उस रास्ते पर इस्राएलियों का पीछा किया, परन्तु परमेश्वर ने मिस्रियों को घबरा दिया और उनके रथों को अटका दिया। वे चिल्लाने लगे, "भागो! इस्राएलियों की ओर से परमेश्वर लड़ रहा है!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-11.jpg)
जब सभी इस्राएली समुद्र की दूसरी ओर सुरक्षित थे, तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा | तब मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया और भोर होते होते क्या हुआ कि समुद्र फिर ज्यो का त्यों हो गया | पूरी मिस्र की सेना डूब गई |
सारे इस्राएली समुद्र की दूसरी तरफ पहुँच गए। तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह फिर से पानी पर हाथ बढ़ाए। जब मूसा ने ऐसा किया, तो पानी मिस्री सेना पर आ पड़ा और अपनी सामान्य स्थिति में हो गया। सारी मिस्री सेना डूब गई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-12.jpg)
जब इस्राएलियों ने मिस्रियो को समुद्र के तट मरे पड़े हुए देखा, इस्राएलियों ने परमेश्वर का भय माना और परमेश्वर के दास मूसा पर भी विश्वास किया |
जब इस्राएलियों ने देखा कि मिस्री मर गए थे तो उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास किया। उन्होंने विश्वास किया कि मूसा परमेश्वर की ओर से भविष्यद्वक्ता था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-13.jpg)
इस्राएलियों ने बहुत उत्साहित होकर आनन्द मनाया क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु व गुलामी से बचाया! अब वह परमेश्वर की आराधना करने की लिये स्वतंत्र थे | इस्राएलियों ने अपनी स्वतंत्रता का उत्साह मनाने के लिये बहुत से गाने गाए, और परमेश्वर की आराधना की जिसने उन्हें मिस्रियो की सेना से बचाया |
इस्राएली लोग इसलिए भी बहुत आनन्दित थे क्योंकि परमेश्वर ने उनको मरने से और दास होने से बचा लिया था। अब वे परमेश्वर की आराधना करने और उसकी आज्ञा का पालन करने के लिए स्वतंत्र थे। इस्राएलियों ने अपनी स्वतंत्रता का उत्सव मनाने के लिए और परमेश्वर के प्रशंसा करने के लिए कई गीतों को गाया क्योंकि उसने उनको मिस्रियों की सेना से बचाया था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-14.jpg)
परमेश्वर ने इस्राएलियों को आज्ञा दी कि वह हर साल फसह का पर्व मनाया करे, इस बात को स्मरण करते हुए कि परमेश्वर ने उन्हें मिस्रियो की गुलामी से बचाया व उन्हें मिस्रियो पर विजयी किया | वह इस उत्सव को एक सिद्ध मेम्ने का बलिदान देकर मनाए और उसे अखमीरी रोटी के साथ खाएँ |
परमेश्वर ने इस्राएलियों को हर वर्ष एक पर्व मनाने का आदेश दिया यह स्मरण करने के लिए कि कैसे परमेश्वर ने मिस्रियों को पराजित किया और उनको दास होने से स्वतंत्र किया। यह फसह का पर्व कहलाया था। इसमें उनको इसका उत्सव मनाने के लिए एक स्वस्थ मेमने को बलि करना था, उसे भूनना था, और उसे बिना खमीर वाली रोटी के साथ खाना था।
_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 12:33-15:21_
_निर्गमन अध्याय 12:33-15:21 से एक बाइबल की कहानी_

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@ -2,62 +2,62 @@
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-01.jpg)
परमेश्वर ने इस्राएलियों को जब लाल समुद्र पार करवाया, तब जंगल में सीनै नामक पर्वत के आगे इस्राएलियों ने छावनी डाली | तब उन्होंने पर्वत के पास ही डेरे खड़े किए |
इस्राएलियों को लाल समुद्र से पार लेकर जाने के बाद, परमेश्वर उनको जंगल से होकर सीनै कहलाने वाले पर्वत की ओर लेकर चला। यह वही पर्वत था जहाँ पर मूसा ने जलती हुई झाड़ी को देखा था। उन लोगों ने उस पर्वत के नीचे अपने तम्बुओं को स्थापित किया।
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परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह इस्राएलियों से कहे ,”इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे, समस्त पृथ्वी तो मेरी है, और तुम मेरी दृष्टी में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे |”
परमेश्वर ने मूसा से और इस्राएल के सब लोगों से कहा, "तुमको हमेशा मेरी बातों को मानना है और जो वाचा मैं तुम्हारे साथ बाँधता हूँ उसे बनाए रखना है। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम मेरा पुरस्कार बहुमूल्य धन, याजकों का राज्य, और एक पवित्र जाति ठहरोगे।"
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तीसरे दिन तक, वह अपने आप को आत्मिक रूप से तैयार करे ,जब परमेश्वर सीनै पर्वत पर आया तो बादल गरजने और बिजली चमकने लगी और पर्वत पर काली घटा छा गई फिर नरसिंगे का बड़ा भारी शब्द हुआ | केवल मूसा को पर्वत के ऊपर जाने के लिये अनुमति दी गई थी
परमेश्वर द्वारा उनके पास आने के लिए लोगों ने तीन दिन तक स्वयं को तैयार किया। तब परमेश्वर सीनै पर्वत की चोटी पर नीचे उतरा। जब वह आया तो भूकम्प हुआ, बिजलियाँ चमकी, धूँआ उठा, और तुरहियों का जोरदार शब्द हुआ। तब मूसा स्वयं ऊपर पर्वत पर चढ़ गया
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परमेश्वर ने उन्हें वाचा दी और कहा, “मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुझे दासत्व के घर अथार्त् मिस्र देश से निकाल लाया है |”तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना |
तब परमेश्वर ने लोगों के साथ एक वाचा बाँधी। उसने कहा, "मैं तुम्हारा परमेश्वर, यहोवा हूँ। मैं ही हूँ जिसने तुमको मिस्र के दासत्व से छुड़ाया। किसी अन्य देवता की उपासना मत करना।"
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“तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना, तू उनकी उपासना न करना क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ |” तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना | तू सब्त के दिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना | छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम-काज करना, परन्तु सातवा दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है |"
"मूर्तियाँ न बनाना और उनकी उपासना मत करना, क्योंकि मैं, यहोवा, तुम्हारा एकमात्र परमेश्वर हूँ। अनुचित रीति से मेरे नाम का उपयोग मत करना। सब्त के दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना। दूसरे शब्दों में, छः दिनों में अपने सारे काम करना, सातवाँ दिन तुम्हारे लिए विश्राम करने और मुझे स्मरण करने का दिन है।"
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“तू अपने पिता और माता का आदर करना, तू खून न करना, तू व्यभिचार न करना, तू चोरी न करना, तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना, तू किसी के घर का लालच न करना, न तो किसी की स्त्री का लालच करना या जो कुछ भी उससे सम्बन्धित है |”
"अपने माता और पिता का आदर करना। हत्या न करना। व्यभिचार न करना। चोरी न करना। अपने पड़ोसी की पत्नी, उसके घर, या उसके किसी भी सामान को ले लेने की इच्छा न करना।"
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परमेश्वर ने यह दस आज्ञाएँ मूसा को दो पत्थर की तख्तियों पर लिख के दे दी | परमेश्वर ने और भी बहुत से नियमों व सिद्धन्तो का पालन करने के लिये कहा | यदि वह लोग इन नियमों का पालन करेंगे, तो परमेश्वर अपनी वाचा के अनुसार उन्हें आशीष देंगा | यदि वे इन नियमों का पालन नहीं करेंगे तो वह दण्ड के पात्र बनेंगे |
तब परमेश्वर ने इन दस आज्ञाओं को पत्थर की दो तख्तियों पर लिख कर मूसा को दे दिया। परमेश्वर ने पालन करने के लिए लोगों को अन्य बहुत सी व्यवस्थाएँ दीं। यदि उन्होंने इन व्यवस्थाओं का पालन किया तो परमेश्वर ने उन लोगों को आशीष देने और उनकी सुरक्षा करने की प्रतिज्ञा की। परन्तु उसने कहा कि यदि उन्होंने इनका पालन नहीं किया तो वह उनको दंडित करेगा।
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परमेश्वर ने इस्राएलियों को तम्बू बनाने का विस्तृत विवरण दिया | यह मिलापवाला तम्बू कहलाता था, और इसमें दो कमरे थे, जिन्हें एक बड़ा परदा पृथक कर रहा था | केवल उच्च परोहित को ही उन कमरों में जाने की अनुमति थी क्योंकि परमेश्वर उसमे वास करता था |
परमेश्वर ने इस्राएलियों से एक विशाल तंबू बनाने के लिए भी कहा मिलापवाला तंबू। उसने उनको ठीक ठीक बताया कि इस तंबू को कैसे बनाना है, और उसके भीतर किन चीजों को रखना है। उसने उनको उस तंबू को दो कमरों में विभाजित करने के लिए एक विशाल पर्दे को बनाने के लिए भी कहा। परमेश्वर उस पर्दे के पीछे वाले कमरे में आएगा और वहाँ रहेगा। जहाँ परमेश्वर था उस कमरे में जाने की अनुमति केवल महायाजक को थी।
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जो कोई भी परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन करता है, वह मिलापवाले तम्बू के सामने वेदी पर परमेश्वर के लिये पशु का बलिदान चढ़ाएगा | एक पुरोहित ने पशु को मारकर उसे वेदी पर जला दिया | उस पशु का लहू जिसका बलिदान चढ़ाया गया है, पापी मनुष्य के सभी अपराधों को धो देंगा परमेश्वर की दृष्टी में | परमेश्वर ने मूसा के भाई हारून और हारून के वंश को याजक पद के लिये चुना |
उन लोगों को उस मिलापवाले तंबू के सामने एक वेदी को बनाना होगा। कोई भी जो परमेश्वर की व्यवस्था की अवज्ञा करे वह उस वेदी पर एक जानवर को लेकर आए। तब याजक उसे बलि करेगा और वेदी पर परमेश्वर के लिए बलि के रूप में जलाएगा। परमेश्वर ने कहा कि उस जानवर का लहू उस व्यक्ति के पापों को ढाँप लेगा। इस रीति से, अब परमेश्वर उस पाप को नहीं देखेगा। वह व्यक्ति परमेश्वर की दृष्टि में "शुद्ध" ठहरेगा। परमेश्वर ने मूसा के भाई हारून को और हारून के वंशजों को अपने याजक होने के लिए चुना।
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सभी लोगों ने उन नियमों का पालन किया जो परमेश्वर ने उनके लिये दिए थे, कि केवल परमेश्वर की उपासना करना, और उसके सम्मुख विशेष मनुष्य बनना | परमेश्वर से वाचा बाँधने के कुछ ही समय बाद उन्होंने भयंकर अपराध किए |
परमेश्वर ने उन लोगों को जो नियम दिए थे वे उनका पालन करने के लिए सहमत हुए। वे केवल परमेश्वर के लोग होने को और केवल उसकी आराधना करने के लिए सहमत हुए।
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कई दिनों तक मूसा सीनै पर्वत के ऊपर परमेश्वर से बात करता रहा | लोग मूसा के वापस आने का इंतजार करते हुए थक गए | लोग हारून के पास सोना ले आए और बोले कि हमारे लिये देवता बना!"
कई दिनों तक, मूसा सीनै पर्वत की चोटी पर ही रहा। वह परमेश्वर से बात कर रहा था। परन्तु लोग मूसा के वापस आने का इंतजार करते हुए थक गए। इसलिए वे हारून के पास सोना लेकर आए और उससे एक मूर्ति बनाने के लिए कहा ताकि वे परमेश्वर के बजाए उसकी उपासना कर सकें। इस रीति से, उन्होंने भयंकर रूप से परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया।
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हारून ने सोने से एक बछड़े के आकार की मूर्ति बना दी | लोग उस मूर्ति की उपासना करने लगे और उसके लिये बलिदान चढ़ाने लगे! परमेश्वर उनसे बहुत क्रोधित हुआ और उनके पापों के कारण उन्हे भस्म करने की योजना बनाई | मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना को ग्रहण किया, और उन्हें नष्ट नहीं किया |
हारून ने बछड़े के आकार में सोने की एक मूर्ति बनाई। उन लोगों ने उस मूर्ति की उपासना करना आरम्भ कर दिया और उसे बलि चढ़ाई! उनके पाप की वजह से परमेश्वर उनसे बहुत क्रोधित हुआ था। वह उनको नष्ट कर देना चाहता था। परन्तु मूसा ने उनको नहीं मारने का परमेश्वर से अनुरोध किया। परमेश्वर ने उसके अनुरोध को सुना और उनको नष्ट नहीं किया।
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जब मूसा पहाड़ से नीचे उतर आया, और उसने उस देवता को देखा, तो उसका क्रोध भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला, क्योंकि वह परमेश्वर की दस आज्ञाओ के विरुद्ध था |
आखिरकार मूसा सीनै पर्वत से नीचे उतर आया। वह उन दो पत्थर की तख्तियों को लिए हुए था जिन पर परमेश्वर ने दस आज्ञाओं को लिखा था। फिर उसने उस मूर्ति को देखा। वह इतना क्रोधित हुआ कि उसने उन तख्तियों को चकनाचूर कर दिया।
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तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग में डाल के फूँक दिया | और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्राएलियों को उसे पिलवा दिया | परमेश्वर ने उन पर बड़ी विपत्ति डाली, जिनके कारण बहुत से लोग मर गए |
फिर मूसा ने उस मूर्ति को पीस कर उसका बुरादा बना दिया, और उस बुरादे को पानी में मिलाकर उन लोगों को वह पानी पिला दिया। परमेश्वर ने उन लोगों पर एक विपत्ति भेजी और उनमें से बहुत लोग मर गए।
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मूसा पर्वत पर फिर चढ़ गया और उसने प्रार्थना की कि परमेश्वर उन लोगों के पाप को क्षमा कर दे | परमेश्वर ने मूसा की प्रार्थना सुनी और उन्हें क्षमा किया | तब मूसा ने पहली तख्तियों के समान दो और तख्तियाँ गढ़ी; क्योंकि पहली उसने तोड़ डाली थी | तब परमेश्वर ने इस्राएलियों को सीनै पर्वत से वाचा की भूमि पर भेजा |
जिन तख्तियों को मूसा ने तोड़ दिया था उनका स्थान लेने के लिए मूसा ने उन दस आज्ञाओं की पत्थर की नई तख्तियों को बनाया। तब वह फिर से पर्वत पर चढ़ गया और प्रार्थना की कि परमेश्वर उन लोगों को क्षमा करे। परमेश्वर ने मूसा की सुनी और उनको क्षमा कर दिया। नई तख्तियों पर दस आज्ञाओं को लिए हुए मूसा पर्वत से नीचे उतर आया। तब परमेश्वर ने सीनै पर्वत से लेकर प्रतिज्ञा के देश तक इस्राएलियों की अगुवाई की।
_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 19-34_
_निर्गमन अध्याय 19-34 से एक बाइबल की कहानी_

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सीनै पर्वत पर परमेश्वर के साथ वाचा बान्धने के बाद ,परमेश्वर ने इस्राएलियों का मार्ग दर्शन प्रतिज्ञा के देश, कनान तक किया | और बादल के खम्बे ने उन्हे मार्ग दिखाया |
परमेश्वर ने इस्राएलियों को उन नियमों को बताना समाप्त किया जिनका उनको बाँधी गई उसकी वाचा के कारण पालन करना है। फिर उसने सीनै पर्वत से आगे उनकी अगुवाई की। वह उनको प्रतिज्ञा के देश में ले जाना चाहता था। यह देश कनान भी कहलाता था। परमेश्वर बादल के खम्भे में उनके आगे-आगे चला, और वे उसके पीछे-पीछे चले।
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परमेश्वर ने जो वाचा अब्राहम, इसहाक और याकूब से बाँधी थी, कि वह वाचा की भूमि उनके वंशज को देंगा, परन्तु अब वहाँ बहुत से लोगों के समूह रहते हैं | और उन्हें कनानी कहा जाता है | कनानियो ने न तो परमेश्वर की आराधना की और न ही आज्ञा का पालन किया | उन्होंने झूठे देवताओं की उपासना की, और बहुत से दुष्ट कार्य किए |
परमेश्वर ने अब्राहम, इसहाक और याकूब से प्रतिज्ञा की थी कि वह प्रतिज्ञा का वह देश उनके वंशजों को देगा, परन्तु इस समय वहाँ पर बहुत सी जाति रह रही थीं। वे कनानी कहलाते थे। ये कनानी लोग परमेश्वर की आराधना नहीं करते थे और उसकी आज्ञा को नहीं मानते थे। वे झूठे देवताओं की उपासना किया करते थे और बहुत से बुरे काम करते थे।
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परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा, “ तुम वाचा की भूमि से सभी कनानियो को निकाल देना | उनके साथ मेल स्थापित न करना और न उनसे विवाह करना | तुम उनके देवताओं को पूरी तरह से नष्ट कर देना | यदि तुम मेरी आज्ञाओ का पालन न करो, और मेरे बदले उनके देवताओं की उपासना करों तो तुम दण्ड के पात्र बनोगे |"
परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा, "जब तुम उस वाचा के देश में जाओ तो वहाँ के सब कनानियों से छुटकारा पा लेना। उनके साथ संधि मत करना और उनसे विवाह मत करना। तुमको उनकी सभी मूर्तियों को पूरी तरह से नष्ट कर देना है। यदि तुम मेरी आज्ञा नहीं मानोगे, तो तुम मेरे बजाए उनके देवताओं की उपासना करने लगोगे।"
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जब इस्राएली कनान की सीमा पर पहुँँचे, तब मूसा ने बारह पुरषों को चुना इस्राएल के हर गोत्र में से उसने उन पुरषों को आदेश दिया कि जाओ और भूमि का पता लगाओ कि वह कैसी दिखती है | और उन्हें इसलिये भी भेजा गया कि वह पता लगाए कि कनानी तेजस्वी हैं या दुर्बल |
जब इस्राएली कनान की सीमा पर पहुँचे, मूसा ने इस्राएल के प्रत्येक गोत्र में से एक-एक करके बारह पुरुषों को चुना। उसने उनको जाकर उस देश का भेद लेने के निर्देश दिए कि देखें कि वह कैसा देश है। उनको उन कनानियों का भेद भी लेना था कि देखें कि वे बलशाली थे या निर्बल थे।
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उन बारह पुरुषों ने चालीस दिन कनान देश में यात्रा की, फिर वे वापस लौट आए। दस भेदियो ने एक बुरी खबर सुनाई और कहा, उन्होंने लोगों को बताया, कि वहाँँ की भूमि व खेत बहुत उपजाऊ है, परन्तु दस गुप्तचर कहने लगे, वह शहर बहुत तेजस्वी है और वहाँ के लोग असामान्य रूप से विशाल है ! यदि हम उन पर हमला करते है, तो निश्चित रूप से वह हमें पराजित कर देंगे व मार डालेंगे !”
उन बारह पुरुषों ने पूरे कनान से होते हुए चालीस दिन की यात्रा की और फिर वे वापिस लौट आए। उन्होंने लोगों को बताया, "वह देश बहुत उपजाऊ है और फसलें बहुतायत की हैं!" परन्तु दस भेदियों ने कहा, "उनके नगर बहुत दृढ़ हैं और वे लोग लंबे-चौड़े हैं! यदि हम उन पर हमला करते है, तो निश्चित रूप से वे हमें पराजित कर देंगे और हमें मार डालेंगे।"
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तुरन्त ही कालेब और यहोशू, अन्य दो जासूस कहने लगे, हाँ यह सही है कि कनान के लोग लम्बे और तेजस्वी है , पर हम निश्चित रूप से उन्हें पराजित कर देंगे ! परमेश्वर हमारे लिये उनसे युद्ध करेगा |”
तुरन्त ही कालेब और यहोशू और अन्य दो भेदियों ने कहा, "यह सच है कि कनान के लोग लंबे और बलशाली हैं, परन्तु निश्चित रूप से हम उनको पराजित कर सकते हैं! परमेश्वर हमारे लिए लड़ेगा!"
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वे लोग मूसा और हारून से क्रोधित होकर कहने लगे,” कि तुम हमे इतनी भीषण जगह क्यों लेकर आए ?” भला होता कि हम मिस्र देश में ही मर जाते; हमारी स्त्रिया और बालबच्चे तो लूट में चले जाएँगे |” फिर वे आपस में कहने लगे, “कि आओ हम किसी और को अपना प्रधान बना लें, और मिस्र को लौट जाएँ |”
परन्तु लोगों ने कालेब और यहोशू की नहीं सुनी। वे मूसा और हारून पर क्रोधित हो गए और कहा, "तुम हमें इस भयानक स्थान पर क्यों लेकर आए हो? हमें मिस्र में ही रहना चाहिए था। यदि हम उस देश में जाते हैं तो हम युद्ध में मारे जाएँगे, और कनान के लोग हमारी पत्नियों और बच्चों को दास बना लेंगे।" वे लोग उनको वापिस मिस्र में लेकर जाने के लिए एक अन्य अगुवे को चुनना चाहते थे।
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परमेश्वर बहुत क्रोधित थे, और परमेश्वर का तेज मिलापवाले तम्बू में सब इस्राएलियों पर प्रकाशमान हुआ | परमेश्वर ने कहा, “उनमे से कालिब और यहोशू को छोड़ जितने बीस वर्ष के या उससे अधिक आयु के जितने गिने गए थे ,और मुझ पर बुड़बुड़ाते थे, कोई भी उस देश में न जाने पाएगा, जिसके विषय मैं ने शपथ खाई है ,कि तुम को उसमें बसाऊँगा | परन्तु तुम्हारे शव जंगल में ही पड़े रहेंगे |”
जब उन लोगों ने ऐसा कहा तो परमेश्वर बहुत क्रोधित हो गया था। वह मिलापवाले तंबू में आया और कहा, "तुमने मेरे विरुद्ध बलवा किया है, इसलिए तुम सबको इस जंगल में भटकना होगा। हर एक जन जो बीस वर्ष या उससे अधिक आयु का है वहाँ मर जाएगा और कभी भी उस देश में प्रवेश नहीं कर पाएगा जो मैं तुमको देता हूँ। केवल कालेब और यहोशू उसमें प्रवेश करेंगे।"
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जब लोगों ने यह सुना तो वह अपने पापों के लिये विलाप करने लगे | उन्होंने अपने हथियार लिये और कनानियो पर हमला करने के लिये चल दिए | मूसा ने उन्हें सचेत किया कि यहोवा तुम्हारें मध्य में नहीं है, मत जाओ, नहीं तो शत्रुओं से हार जाओगे, परन्तु उन्होनें मूसा की बात नहीं सुनी |
जब लोगों ने परमेश्वर को ऐसा कहते सुना, तो वे दुखी हुए क्योंकि उन्होंने पाप किया था। इसलिए उन्होंने कनान के लोगों पर हमला करने का निर्णय किया। मूसा ने उनको नहीं जाने के लिए चेतावनी दी क्योंकि परमेश्वर उनके साथ नहीं जाएगा, परन्तु उन्होंने उसकी नहीं सुनी।
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परमेश्वर उनके साथ इस युद्ध में न था इसलिये वह पराजित हुए और उनमे से कुछ मारे भी गए | तब बचे हुए इस्त्राएली कनान से वापस आये और इस्राएली चालीस वर्षों तक जंगल में भटकते रहे |
परमेश्वर इस युद्ध में उनके साथ नहीं गया था, इसलिए कनानियों ने उनको पराजित कर दिया और उनमें से बहुतों को मार डाला। तब इस्राएली लोग कनान से वापिस मुड़ गए। अगले चालीस वर्षों तक, वे जंगल में इधर-उधर भटकते रहे।
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चालीस वर्षों के दौरान जब इस्राएली जंगल में भटकते रहे, तब परमेश्वर ने उनके लिये पहले से प्रबंध किया, उसने उन्हें स्वर्ग से रोटी दी, “जिसे मन्ना कहते थे |” परमेश्वर ने उन्हें उनके शिविर में खाने के लिये मांस भी दिया (जो मध्यम आकार के पक्षी हैं ) बटेर के झुंड भेजे | इन चालीस वर्षों में न तो उनके कपड़े पुराने हुए, और न उनके जूते घिसे |
इस्राएली लोगों द्वारा जंगल में भटकने के चालीस वर्षों के दौरान, परमेश्वर ने उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया। उसने उनको स्वर्ग से "मन्ना" कहलाने वाली रोटी दी। उसने बटेरों के झुंड भी (जो कि मध्यम आकार के पक्षी होते हैं) उनकी छावनी में भेजे ताकि उनके पास खाने के लिए माँस हो। उस पूरे समय, परमेश्वर ने उनके कपड़ों और जूतों को फटने से बचाए रखा।
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परमेश्वर ने चमत्कारपूण ढंग से एक चट्टान से उन्हें पानी दिया। परन्तु इन सब के बावजूद भी, इस्राएली परमेश्वर व मूसा के विरुद्ध बुड़बुड़ाते रहें | फिर भी, परमेश्वर अपनी वाचा पर निष्ठावान रहा जो उसने अब्राहम, इसहाक, व याकूब से बाँधी थी |
यहाँ तक कि परमेश्वर ने उनके पीने के लिए चमत्कारी रूप से चट्टान में से पानी निकाला। परन्तु इन सब के उपरान्त, इस्राएली लोगों ने परमेश्वर के विरुद्ध और मूसा के विरुद्ध शिकायत की और कुड़कुड़ाए। तौभी, परमेश्वर विश्वासयोग्य था। उसने जो प्रतिज्ञा की थी कि वह अब्राहम, इसहाक, और याकूब के वंशजों के लिए करेगा उसने वह किया।
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एक अन्य अवस्था में, जब लोगों को पीने का पानी न मिला, तो परमेश्वर ने मूसा से कहा, “तू उस चट्टान से बोलना, तब उसमे से पानी स्वयं निकलेगा |” लेकिन मूसा ने इस्राएलियों के सामने परमेश्वर की आज्ञा का पालन न करते हुए चट्टान से बोलने के स्थान पर दो बार लाठी से मारा | तब चट्टान से पानी निकलने लगा सबके पीने के लिये, परन्तु परमेश्वर मूसा से क्रोधित हुआ और कहा, “तू वाचा की भूमि में प्रवेश करने न पाएगा |”
एक और समय जब उन लोगों के पास पानी नहीं था, परमेश्वर ने मूसा से कहा, "चट्टान से बातें कर, और उससे पानी निकलेगा।" परन्तु मूसा ने चट्टान से बातें नहीं की। बजाए इसके, उसने छड़ी से चट्टान पर दो बार मारा। इस रीति से उसने परमेश्वर का निरादर किया। सबके पीने के लिए चट्टान में से पानी तो निकल आया, परन्तु परमेश्वर मूसा से क्रोधित हो गया। उसने कहा, "क्योंकि तूने ऐसा किया है, इसलिए तू प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश नहीं करने पाएगा।"
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इस्राएलियों के चालीस वर्ष तक जंगल में भटकने के बाद, वह सभी जो परमेश्वर के विरुद्ध बुड़ाबड़ाते थे मर गए | परमेश्वर ने फिर लोगों को वाचा की भूमि पर भेजा और उनका नेतृत्व किया | मूसा बहुत वृद्ध हो गया था, उसकी सहायता करने के लिए परमेश्वर ने यहोशू को चुना जिससे वे लोगों का मार्गदर्शन कर सके | परमेश्वर ने मूसा से वाचा बाँधी कि एक दिन वह, मूसा के जैसा ही दूसरा नबी भेजेंगे |
जब इस्राएली लोग चालीस वर्षों तक जंगल में भटक चुके थे, तब जिन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध बलवा किया था वे सब मर गए थे। तब परमेश्वर उन लोगों को फिर से उस प्रतिज्ञा के देश के सिवाने तक ले गया। अब मूसा बहुत बूढ़ा हो गया था, इसलिए परमेश्वर ने लोगों की अगुवाई करने में उसकी सहायता करने के लिए यहोशू को चुना। परमेश्वर ने मूसा से यह प्रतिज्ञा भी की थी कि एक दिन वह उन लोगों के पास मूसा के जैसा एक भविष्यद्वक्ता भेजेगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-15.jpg)
फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि तू पर्वत की ऊँची चट्टान पर चढ़ जा , ताकि वह वाचा की भूमि को देख सके | मूसा ने वाचा की भूमि देखी, परन्तु परमेश्वर ने उसे अनुमति न दी उसमे प्रवेश करने की | मूसा की मृत्यु के बाद, इस्राएली तीस दिन तक रोते व विलाप करते रहे | यहोशू उनका नया अगुआ था | यहोशू एक अच्छा अगुआ था क्योंकि वह परमेश्वर पर विश्वास करता था व उसकी आज्ञाओ का पालन करता था |
तब परमेश्वर ने मूसा को एक पर्वत की चोटी पर जाने के लिए कहा ताकि वह प्रतिज्ञा के देश को देख सके। मूसा ने उस प्रतिज्ञा के देश को देखा परन्तु परमेश्वर ने उसे उसमें प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। तब मूसा मर गया, और इस्राएलियों ने तीस दिन तक शोक मनाया। यहोशू उनका नया अगुवा बन गया। यहोशू एक अच्छा अगुवा था क्योंकि उसने परमेश्वर पर भरोसा किया और उसकी बातों को माना।
_बाइबिल की कहानी में : निर्गम 16-17; गिनती 10-14; 20; 27; व्यवस्थाविवरण 34_
_निर्गमन अध्याय 16-17; गिनती 10-14; 20; 27; व्यवस्थाविवरण 34 से एक बाइबल की कहानी_

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# 15. वाचा की भूमि
# 15. प्रतिज्ञा का देश
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-01.jpg)
ंत: इस्राएलियों के लिए वह समय आ गया था, कि वह कनान देश में वाचा की भूमि में प्रवेश करे | यहोशू ने दो भेदियों को कनानियो के शहर यरीहो में भेजा | जो मजबूत दीवारों से सुरक्षित था | उस शहर में राहाब नामक एक वेश्या रहती थी, उसने उन दोनों भेदियों को छिपा रखा और उन्हें भगाने में भी सहायता की क्योंकि वह परमेश्वर पर विश्वास करती थी | उन्होंने शपथ खाई कि इस्राएली जब यरीहो को नष्ट करेंगे तब राहाब और उसके परिवार की वे रक्षा करेंगे |
न्त में, अब वह समय आ गया था कि इस्राएली लोग प्रतिज्ञा के देश, कनान में प्रवेश करें। उस देश में यरीहो नाम का एक नगर था। उसकी सुरक्षा के लिए उसके चारों ओर मजबूत दीवारें थीं। यहोशू ने उस नगर में दो भेदियों को भेजा। उस नगर में राहाब नाम की एक वेश्या रहती थी। उसने इन भेदियों को छिपाया, और फिर बाद में उसने उनको नगर से बच कर निकलने में सहायता की। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह परमेश्वर में विश्वास करती थी। जिस समय इस्राएली लोग यरीहो को नाश करेंगे तब उन्होंने राहाब और उसके परिवार की रक्षा करने की प्रतिज्ञा की थी।
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इस्राएलियों को वाचा की भूमि में प्रवेश करने से पहले यरदन नदी को पार करना था | परमेश्वर ने यहोशू से कहा कि, “याजक पहले जाएँगे |” और जिस समय पृथ्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले याजको के पाँव यरदन के जल में पड़ेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल थम जाएगा और ढेर होकर ठहरा रहेगा |
इस्राएली लोगों को प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश करने के लिए यरदन नदी पार करनी थी। परमेश्वर ने यहोशू से कहा, "याजकों को पहले जाने दे।" जब याजकों ने यरदन नदी में अपने कदमों को रखा तो पानी की धारा का बहना थम गया, जिससे कि इस्राएली लोग नदी की दूसरी ओर सूखी भूमि पर पार जा सके।
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जब सब इस्राएलियों ने यरदन नदी को पार कर लिया, तब परमेश्वर ने यहोशू को बताया कि किस प्रकार से यरीहो के शक्तिशाली शहर पर आक्रमण करना है | लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा मानी | जैसा की परमेश्वर ने कहा था, “इसलिये तुम में से जितने योद्धा है नगर को घेर लें, और उस नगर के चारों ओर घूम आएँ, और छ: दिन तक ऐसा ही किया करना |
उन लोगों के यरदन नदी पार कर ली तो परमेश्वर ने यहोशू से कहा कि यरीहो पर हमला करने के लिए तैयार रहे, यद्यपि वह बहुत दृढ़ नगर था। परमेश्वर ने उन लोगों से कहा कि उनके याजकों और सैनिकों को छः दिनों तक उस नगर के चारों ओर चक्कर लगाना है। अतः याजकों और सैनिकों ने ऐसा ही किया।
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फिर सातवें दिन, इस्राएली नगर के चारों ओर सात बार घूमे | जब वह शहर में अंतिम बार घूम रहे थे, तब सैनिक चिल्ला रहे थे और याजक नरसिंगे फूँकते थे |
तब सातवें दिन, इस्राएलियों ने उस नगर के चारों ओर सात बार और चक्कर लगाए। उनके नगर के चारों ओर सातवीं बार चक्कर लगा लेने के बाद, याजकों ने अपनी तुरहियाँ फूँकी और सैनिकों ने जोरदार शब्द किया।
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यरीहो की शहरपनाह नींव से गिर पड़ी! तब इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार, जो कुछ उस शहर में था सब कुछ नष्ट कर दिया | उन्होंने केवल राहाब और उसके परिवार को छोड़ा, क्योंकि वे इस्राएलियों का ही भाग बन गए थे | वह अन्य लोग जो कनान देश में रहते थे, जब उन्होंने सुना की इस्राएलियों ने यरीहो नगर को नष्ट कर दिया है, तो वह बहुत भयभीत हुए |
तब यरीहो के चारों ओर की दीवारें गिर गईं! जैसी परमेश्वर ने आज्ञा दी थी इस्राएलियों ने नगर की हर एक चीज को नष्ट कर दिया। उन्होंने केवल राहाब और उसके परिवार को छोड़ दिया, जो इस्राएलियों का भाग बन गए थे। जब कनान में रहने वाले अन्य लोगों ने सुना कि इस्राएलियों ने यरीहो को नष्ट कर दिया है, तो वे डर गए कि इस्राएली लोग उन पर भी हमला करेंगे।
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परन्तु कनान निवासियों का एक समूह , जो की गिबोनियो कहलाता है, उन्होंने यहोशू के साथ छल किया और कहा, हम दूर देश से आए है | उन्होंने यहोशू से कहा कि तुम हमसे भी वाचा बाँधो | परमेश्वर ने इस्राएलियों को आज्ञा दी थी ,कि वह कनान में लोगों के किसी भी समूह के साथ समझौता संधि स्थापित न करे, परन्तु यहोशू और इस्राएलियों ने परमेश्वर से बिना पूछे हुए, कि वह गिबोनी कहा से है उनके साथ वाचा बाँधी | अत: यहोशू ने उनसे वाचा बाँधी |
परमेश्वर ने इस्राएलियों को आज्ञा दी थी कि कनान में रहने वाली किसी भी जाति के साथ शान्तिसंधि नहीं करनी है। परन्तु गिबोनियों नामक एक कनानी जाति ने यहोशू से झूठ बोला कि वे कनान से दूर एक स्थान के रहने वाले हैं। उन्होंने यहोशू से उनके साथ शान्तिसंधि करने का अनुरोध किया। यहोशू और अन्य इस्राएली अगुवों ने परमेश्वर से नहीं पूछा कि उनको क्या करना चाहिए। इसके बजाए, उन्होंने गिबोनियों के साथ शान्तिसंधि कर ली।
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कुछ समय बाद, कनान में एक अन्य समूह के राजा, एमोरियों ने जब यह सुना कि गिबोन के निवासियों ने इस्राएलियों से मेल किया और उनके बीच रहने लगे है, तब एमोरी के राजाओ ने अपनी अपनी सेना इकट्ठी करके चढ़ाई कर दी, और गिबोन के सामने डेरे डालकर उस से युद्ध छेड़ दिया | तब गिबोन के निवासियों ने यहोशू के पास यह कहला भेजा, हमारी सहायता कर |
तीन दिन बाद, इस्राएलियों को मालूम हुआ कि गिबोनी लोग कनान में ही रहते थे। वे क्रोधित हो गए क्योंकि गिबोनियों ने उनको धोखा दिया था। परन्तु उन्होंने उनके साथ की गई उस शान्तिसंधि को बनाए रखा क्योंकि वह परमेश्वर के सामने की गई थी। तब कुछ समय के बाद, कनान में रहने वाली एक अन्य जाति, एमोरियों के राजाओं ने सुना कि गिबोनियों ने इस्राएलियों के साथ शान्तिसंधि कर ली है, इसलिए उन्होंने अपनी-अपनी सेनाओं को एक कर के एक बड़ी सेना बनाई और गिबोन पर हमला कर दिया। गिबोनियों ने उनकी सहायता करने के लिए यहोशू के पास एक संदेश भेजा।
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यहोशू क्रोधित था क्योंकि उसके साथ धोखा हुआ था, तब यहोशू सारे योद्धाओं और शुरवीरों को संग लेकर रातोंरात गिबोनियों तक पहुँचने के लिए चल पड़े | प्रात:काल उन्होंने एमोरियों की सेना को चकित कर दिया व उन पर हमला कर दिया |
अतः यहोशू ने इस्राएलियों की सेना को इकट्ठा किया और गिबोनियों के पास पहुँचने के लिए वे पूरी रात चले। सुबह भोर में उन्होंने एमोरियों की सेना को चकित कर दिया और उन पर हमला कर दिया।
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परमेश्वर ने एमोरियों को उलझन में डाल दिया, और ओले भेजकर बहुत से एमोरियों को घात किया |
उस दिन परमेश्वर इस्राएलियों के लिए लड़ा। उसने एमोरियों को घबरा दिया और उसने बड़े-बड़े ओले गिरा कर बहुत से एमोरियों को मार डाला।
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उस दिन परमेश्वर ने सूर्य को आकाशमण्डल के बीचोंबीच ठहरा दिया, ताकि इस्राएलियों के पास एमोरियों को पराजित करने के लिए पर्याप्त समय हो | उस दिन परमेश्वर ने इस्राएलियों के लिए एक महान विजय प्राप्त की |
परमेश्वर ने सूर्य को भी आकाश में एक स्थान पर थमा दिया ताकि इस्राएलियों को पर्याप्त समय मिल जाए कि एमोरियों को पूरी तरह से हरा दें। उस दिन, परमेश्वर ने इस्राएलियों के लिए एक बड़ी विजय प्राप्त की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-11.jpg)
जब परमेश्वर ने एमोरियों को पराजित कर दिया, बहुत से कनानी लोगों के समूह एकत्रित हुए और इस्राएलियों पर आक्रमण कर दिया | तब यहोशू और इस्राएलियों ने उन पर हमला किया और उनको नष्ट कर दिया |
जब परमेश्वर ने उन सेनाओं को हराने के बाद, बहुत से कनानी जाति के लोग इस्राएल पर हमला करने के लिए इकट्ठा हुए। यहोशू और इस्राएलियों ने हमला करके उनका सर्वनाश कर दिया।
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युद्ध के बाद, परमेश्वर ने इस्राएलियों को वह सारा देश दिया, जिसे उसने उनको पूर्वजों से शपथ खाकर देने को कहा था; और वे उसके अधिकारी होकर उसमे बस गए | तब परमेश्वर ने इस्राएलियों को सारी सीमा के साथ शांति प्रदान की |
इन युद्धों के बाद, परमेश्वर ने इस्राएल के प्रत्येक गोत्र को प्रतिज्ञा के उस देश में उनका भाग दिया। तब परमेश्वर ने इस्राएल को उसकी सभी सीमाओं पर शान्ति प्रदान की।
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जब यहोशू वृद्ध हो गया, तब उसने सभी इस्राएलियों को एकत्रित किया | तब यहोशू ने इस्राएलियों को वह वाचा याद दिलाई जो उन्होंने परमेश्वर के साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी, कि वह उसका पालन करेंगे | इस्राएलियों ने वाचा बाँधी थी कि वे परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहेंगे व उसकी आज्ञाओ का पालन करेंगे |
जब यहोशू बूढ़ा हो गया तो उसने इस्राएल के सभी लोगों को एक साथ बुलाया। तब यहोशू ने उन लोगों को स्मरण कराया कि उन्होंने उस वाचा का पालन करने की प्रतिज्ञा की थी जो परमेश्वर ने उनके साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी। उन लोगों ने परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य रहने और उसकी व्यवस्थाओं का पालन करने का वादा किया।
_बाइबिल की कहानी में : यहोशू 1-24_
_यहोशू अध्याय 1-24 से एक बाइबल की कहानी_

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# 16. उद्धारकर्ता
# 16. छुड़ाने वाले
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यहोशू के मरने के बाद, इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया और न ही परमेश्वर के नियमों का पालन किया और न ही बचे हुए कनानियो को बाहर निकाला | इस्राएलियों ने यहोवा जो सच्चा परमश्वर है उसके स्थान पर, कनानियो के देवता की उपासना करना आरम्भ किया | इस्राएलियों का उस समय कोई राजा न था, इसलिये हर कोई वही करता था जो उन्हें ठीक लगता था |
यहोशू के मरने के बाद इस्राएलियों ने परमेश्वर की अवज्ञा की। उन्होंने परमेश्वर के नियमों का पालन नहीं किया, और उन्होंने उस वाचा के देश से बचे हुए कनानियों को बाहर नहीं निकाला। इस्राएलियों ने अपने सच्चे परमेश्वर, यहोवा को छोड़ कर कनानियों के देवताओं की उपासना करना आरम्भ कर दिया। इस्राएलियों के पास कोई राजा नहीं था, इसलिए जिसे जो सही लगा उसने वही किया।
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क्योंकि इस्राएली निरन्तर परमेश्वर की अवहेलना कर रहे थे, इसलिये परमेश्वर का कोप उन पर भड़क उठा, और उन्हें शत्रुओं के अधीन कर दिया; और वह फिर अपने शत्रुओ के आगे ठहर न सके | इन शत्रुओं ने इस्राएलियों की वस्तुओं को लूट लिया, उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया, और साथ ही उनमें से बहुतों को मार गिराया | कई वर्षों बाद, इस्राएलियों ने पश्चाताप किया और परमेश्वर से कहा कि वह उन्हें बचाए |
परमेश्वर की आज्ञा न मानने के द्वारा इस्राएलियों ने एक पद्धति को आरम्भ कर दिया जिसे कई बार दोहराया गया था। यह पद्धति इस प्रकार से चली: कुछ वर्षों तक इस्राएली परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानेंगे, तब वह उनको उनके शत्रुओं से पराजित करवाने के द्वारा दंडित करेगा। ये शत्रु इस्राएलियों से उनकी चीजों को लूट लेंगे, उनकी सम्पत्ति को नष्ट कर देंगे, और उनमें से बहुतों को मार डालेंगे। फिर जब इस्राएलियों के शत्रु उन पर कई वर्षों तक अत्याचार करेंगे, उसके बाद इस्राएली अपने पापों का पश्चाताप करेंगे और परमेश्वर से उनको बचाने के लिए प्रार्थना करेंगे।
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तौभी परमेश्वर उनके लिए न्यायी ठहराता था जो उन्हें लूटने वाले के हाथ से छुड़ाते थे | परन्तु लोग परमेश्वर को भूलने लगे और पराये देवताओं के पीछे चलकर उनकी उपासना करने लगे | तो परमेश्वर ने पास के ही एक शत्रुओं के समूह मिद्यानियों को अनुमति दी कि वह उन्हें पराजित करे |
हर बार जब इस्राएली पश्चाताप करेंगे तो परमेश्वर उनको बचाएगा। वह एक छुड़ाने वाले के द्वारा ऐसा करेगा एक ऐसा जन जो उनके शत्रुओं के विरुद्ध लड़ेगा और उनको पराजित करेगा। तब देश में शान्ति होगी और वह छुड़ाने वाला उन पर अच्छे से शासन करेगा। परमेश्वर ने उन लोगों को बचाने के लिए बहुत से छुड़ाने वालों को भेजा। परमेश्वर ने पास ही की एक शत्रु जाति, मिद्यानियों के द्वारा इस्राएलियों को पराजित करवाने के द्वारा फिर से ऐसा किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-04.jpg)
परमेश्वर ने उन्हें मिद्यानियों के वश में सात वर्ष तक रखा | मिद्यानियों के डर के मारे इस्राएलियों ने पहाड़ो के गहरे खड्डों, और गुफाओं, और किलों को अपने निवास बना लिया | अंत: वह परमेश्वर के सामने विलाप करने लगे कि वह उन्हें बचाए |
मिद्यानियों ने सात वर्षों तक इस्राएलियों की फसलों को लूटा। इस्राएली लोग बहुत डर गए थे, और वे गुफाओं में छिप गए ताकि मिद्यानी लोग उनको खोज न पाएँ। आखिरकार, उनको बचाने के लिए उन्होंने परमेश्वर को पुकारा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-05.jpg)
एक दिन, एक इस्राएली मनुष्य जिसका नाम गिदोन था, वह गेहूँ को मिद्यानियों से छिपा रहा था, जिससे वह उससे चुरा न सकें | यहोवा का दूत गिदोन के पास आया और कहा, “परमेश्वर तेरे संग है, शक्ति शाली योद्धा | इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ा |”
गिदोन नाम का एक इस्राएली पुरुष था। एक दिन, वह एक गुप्त स्थान में गेहूँ झाड़ रहा था ताकि मिद्यानी लोग उसे चुरा न पाएँ। यहोवा के स्वर्गदूत ने गिदोन के पास आकर उससे कहा, "हे शूरवीर सूरमा, परमेश्वर तेरे साथ है। जा और इस्राएलियों को मिद्यानियों से बचा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-06.jpg)
परमेश्वर ने गिदोन से उस वेदी को नीचे गिराने के लिए कहा | गिदोन लोगों से डर रहा था, इसलिये वह रात्रि के समय का इंतजार कर रह था | तब उसने उस वेदी को गिरा दिया और उसको चूर-चूर कर दिया | और उस दृढ़ स्थान की चोटी पर ठहराई हुई रीति से अपने परमेश्वर यहोवा की एक वेदी बनाकर तू वहाँ होमबली चढ़ा |
गिदोन के पिता के पास मूर्ति को समर्पित एक वेदी थी। सबसे पहली बात जो परमेश्वर ने गिदोन को करने के लिए कही वह उस वेदी को तोड़ना था। परन्तु गिदोन लोगों से डरता था, इसलिए उसने रात होने की प्रतीक्षा की। तब उसने उस वेदी को तोड़ कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसने परमेश्वर के लिए एक नई वेदी को बनाया और उस पर परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-07.jpg)
नगर के लोग सुबह उठकर क्या देखते है; कि बाल की वेदी गिरी पड़ी है, और वह बहुत क्रोधित थे | तब वह लोग गिदोन के घर उसे मारने के लिए गए, लेकिन गिदोन के पिता ने कहा | “क्या तुम बाल के लिए वाद विवाद करोगे क्या तुम उसको बचाओगे |” यदि वह परमेश्वर हो तो, स्वयं अपने को बचाए इसलिये उन लोगों ने गिदोन को नहीं मारा |
अगली सुबह लोगों ने देखा कि किसी ने वेदी को तोड़ कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया है, इसलिए वे बहुत क्रोधित हुए। वे गिदोन को मार डालने के लिए उसके घर गए, परन्तु गिदोन के पिता ने कहा, "तुम क्यों अपने देवता की सहायता करने का प्रयास कर रहे हो? यदि वह देवता है तो उसे अपनी सुरक्षा स्वयं करने दो!" क्योंकि उसने ऐसा कहा इसलिए लोगों ने गिदोन को नहीं मारा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-08.jpg)
तब मिद्यानी इस्राएलियों को लूटने के लिए फिर से आ गए | वहाँ पर वह बहुत थे, उन्हें गिना नहीं जा सकता था | गिदोन ने उन सब इस्राएलियों को एकत्र किया उनसे लड़ने के लिए | परमेश्वर इस्राएलियों को बचाने के लिए गिदोन का प्रयोग करना चाहता है, इसके लिए उसने परमेश्वर से दो चिह्न पूछे |
तब इस्राएलियों को लूटने के लिए मिद्यानी लोग फिर से आए। वे इतने सारे थे कि उनकी गिनती भी नहीं की जा सकती थी। गिदोन ने उनके विरुद्ध लड़ने के लिए इस्राएलियों को एक साथ बुलाया। गिदोन ने परमेश्वर से दो चिन्हों की माँग की ताकि उसे विश्वास हो जाए कि परमेश्वर सच में उसे इस्राएल को बचाने के लिए कह रहा है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-09.jpg)
पहले, गिदोन ने कहा कि मैं एक कपड़ा खलिहान में रखूँगा और यदि ओस केवल उस ऊँन पर पड़े और सारी भूमि सूखी रह जाए | परमेश्वर ने ऐसा ही किया | अगली रात को उसने कहा, केवल कपड़ा ही सूखा रहे, और सारी भूमि पर ओस पड़े | परमेश्वर ने यह भी किया |
पहले चिन्ह के लिए, गिदोन ने भेड़ की ऊन को भूमि पर रख कर परमेश्वर से कहा कि सुबह की ओस केवल भेड़ के उस ऊन पर पड़े और भूमि पर न पड़े। परमेश्वर ने ऐसा ही किया। अगली रात, उसने परमेश्वर से कहा कि भूमि गीली हो जाए परन्तु भेड़ की ऊन सूखी रहे। परमेश्वर ने ऐसा भी किया। इन दो चिन्हों के कारण, गिदोन ने विश्वास किया कि परमेश्वर सच में चाहता है कि वह इस्राएलियों को मिद्यानियों से बचाए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-10.jpg)
32,000 इस्राएली गिदोन के पास आए, परन्तु परमेश्वर ने कहा कि यह बहुत अधिक है | तब गिदोन ने बाइस हज़ार लोगों को लौटा दिया, जो लड़ने से डर रहे थे | परमेश्वर ने गिदोन से कहा, “अब भी लोग अधिक है |” अत: गिदोन ने तीन सौ सैनिकों को छोड़ बाकि सब को घर भेज दिया |
तब गिदोन ने सैनिकों को अपने पास बुलाया और 32,000 पुरुष आए। परन्तु परमेश्वर ने उससे कहा कि ये बहुत अधिक हैं। अतः गिदोन ने उन सब 22,000 को घर वापिस भेज दिया जो लड़ने से डरते थे। परमेश्वर ने गिदोन से कहा कि ये पुरुष अभी भी बहुत अधिक थे। इसलिए गिदोन ने 300 सैनिकों को छोड़ कर उन सब को घर भेज दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-11.jpg)
उस रात परमेश्वर ने गिदोन को कहा, ” कि तू नीचे मिद्यानियों के डेरे में जा और देख कि वह क्या कह रहे है, उसके बाद तुझे जाने में साहस होगा | उसी रात जब गिदोन मिद्यानियों के डेरे में आया तब एक मिद्यानी सैनिक अपने संगी से अपना स्वप्न कह रहा था | वह जन अपने संगी से कह रहा था, “ कि इस स्वप्न का अर्थ यह हुआ कि गिदोन की सेना हरा देंगी मिद्यानियों की सेना को | गिदोन ने परमेश्वर को दंडवत किया |
उस रात परमेश्वर ने गिदोन से कहा, "मिद्यानियों की छावनी में जा और उनको बातें करते हुए सुन। जब तू सुने कि वे क्या बातें करते हैं तो तू उन पर हमला करने से न डरेगा।" इसलिए उस रात, गिदोन नीचे उनकी छावनी में गया और उसने एक मिद्यानी सैनिक को अपने मित्र को वह बात बताते हुए सुना जो उसने स्वप्न में देखी थी। उस पुरुष के मित्र ने कहा, "इस स्वप्न का अर्थ है कि गिदोन की सेना हम मिद्यानी सेना को पराजित कर देगी!" जब गिदोन ने यह सुना तो उसने परमेश्वर की स्तुति की।
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और गिदोन ने इस्राएलियों की छावनी में लौटकर एक एक पुरुष के हाथ में एक नरसिंगा और खाली घड़ा दिया, और घड़ो के भीतर एक मशाल थी | जहाँ मिद्यानी सैनिक सो रहे थे, वहाँ जाकर डेरे को घेर लिया | गिदोन के तीन सौ सैनिकों के घड़ो के भीतर मशाल थी, जिसके कारण मिद्यानी मशाल की रोशिनी देख न सकें |
तब गिदोन अपने सैनिकों के पास लौटा और उनमें से प्रत्येक को एक-एक नरसिंगा, एक मिट्टी का पात्र, और एक मशाल दी। उन्होंने उस छावनी को घेर लिया जहाँ मिद्यानी सैनिक सो रहे थे। गिदोन के 300 सैनिकों ने अपनी मशालों को पात्रों से ढका हुआ था इसलिए मिद्यानी लोग उन मशालों के प्रकाश के नहीं देख पाए थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-13.jpg)
तब, गिदोन के सभी तीन सौ सैनिकों ने एक साथ अपने घड़ो को तोड़ डाला, अचानक ही मशालों से आग निकलने लगी | और अपने बाए हाथ में मशाल और दाहिने हाथ में फूँकने को नरसिंगा लिए हुए चिल्ला उठे, “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार |”
तब गिदोन के सब सैनिकों ने अपने पात्रों को एक ही समय पर तोड़ कर अचानक से मशालों के आग को प्रकट कर दिया। उन्होंने अपने नरसिंगे फूँके और चिल्लाए, "यहोवा की और गिदोन की तलवार!"
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परमेश्वर ने मिद्यानियों को हक्का-बक्का कर दिया, अत: उन्होंने एक दूसरे पर आक्रमण करना व मारना शुरू कर दिया | तुरन्त ही, बाकि इस्राएलियों को भी उनके घरों से बुला लिया गया ताकि मिद्यानियों का पीछा कर सके | उन्होंने बहुतों को मार गिराया, और बाकि बचे हुओ को इस्राएल से खदेड़ दिया | उस दिन बारह हज़ार मिद्यानियों को मार गिराया | परमेश्वर ने इस्राएल को बचा लिया |
परमेश्वर ने मिद्यानियों को घबरा दिया, इसलिए वे एक दूसरे को मारने-काटने लगे। तुरन्त ही, गिदोन वे संदेशवाहकों को बहुत से अन्य इस्राएलियों को मिद्यानियों का पीछा करने में उनकी सहायता करने को बुलाने के लिए भेजा। उन्होंने उनमें से बहुतों को मार डाला और बाकियों का पीछा करके उनको इस्राएल देश से बाहर निकाल दिया। उस दिन 1,20,000 मिद्यानी मारे गए। इस तरह परमेश्वर ने इस्राएल को बचाया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-15.jpg)
तब इस्राएल के पुरषों ने गिदोन से कहा कि तू हम पर प्रभुता कर | गिदोन ने उनसे कहा कि मैं तुम्हारे ऊपर प्रभुता न करूँगा, परन्तु मैं तुमसे कुछ माँगता हूँ, कि तुम मुझे अपनी सोने की बालियाँ दो, जो तुमने मिद्यानियों से ली है | लोगों ने गिदोन को भारी संख्या में सोना दे दिया |
वे लोग गिदोन को अपना राजा बनाना चाहते थे, परन्तु गिदोन ने उनको ऐसा नहीं करने दिया, लेकिन उसने उनसे वह सोने के आभूषण माँगे जो उनमें से प्रत्येक ने मिद्यानियों से लूट लिए थे। उन लोगों ने बड़ी मात्रा में गिदोन को सोना दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-16.jpg)
तब गिदोन ने उस सोने से एक विशेष वस्त्र बनवा लिए जो मिद्यानियों के राजा पहनते थे | परन्तु लोगों ने उसकी आराधना करना आरम्भ कर दिया, जैसे कि वह कोई मूर्ति है |
तब गिदोन ने उस सोने से एक विशेष वस्त्र बनाया जैसा कि महायाजक पहना करते थे। परन्तु लोगों ने उसकी उपासना करना आरम्भ कर दिया जैसे कि वह एक मूर्ति हो। तब परमेश्वर ने फिर से इस्राएल को दंडित किया क्योंकि उन्होंने मूर्ति की उपासना की थी। परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को उन्हें पराजित करने में सक्षम किया। आखिरकार उन्होंने फिर से परमेश्वर से सहायता करने के लिए प्रार्थना की, और परमेश्वर ने उनके पास उनको बचाने के लिए एक अन्य छुड़ाने वाले को भेजा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-17.jpg)
तो परमेश्वर ने इस्राएलियों को फिर से दंडित किया, क्योंकि उन्होंने मूर्ति की उपासना की थी | परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को अनुमति दी, कि वह उन्हें पराजित करें | उन्होंने परमेश्वर से एक बार फिर सहायता माँँगी और परमेश्वर ने एक अन्य उद्धारक को उनके लिए भेजा | यह पद्धति कई बार दोहराई गई, इस्राएली पाप करते थे , परमेश्वर उन्हें दंड देता था, और फिर वह पश्चाताप करते थे, और फिर परमेश्वर उन्हें बचाने के लिए एक उद्धारक भेजता था | कई वर्षों में परमेश्वर ने बहुत से उद्धारक को भेजा जिन्होंने इस्राएलियों को शत्रुओं से बचाया |
यही बात कई बार घटित हुई: इस्राएली लोग पाप करेंगे, परमेश्वर उनको दंडित करेगा, वे पश्चाताप करेंगे, और परमेश्वर उनको छुड़ाने के लिए किसी को भेजेगा। कई वर्षों तक, परमेश्वर ने बहुत से छुड़ाने वालों को भेजा जिन्होंने इस्राएलियों को उनके शत्रुओं को बचाया।
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अत: लोगों ने परमेश्वर से कहा कि उन्हें भी सभी राष्ट्रों के समान एक राजा चाहिए | उन्हें एक ऐसा प्रधान चाहिए था, जो कि लम्बा व मजबूत हो और युद्ध में उन्हें सही रास्ता दिखा सकें | परमेश्वर को उनकी यह प्रार्थना स्वीकार न थी, लेकिन फिर भी परमेश्वर ने उन्हें वैसा ही राजा दिया जैसा उन्होंने माँगा था |
आखिरकार, उन लोगों ने अन्य देशों की तरह परमेश्वर से अपने लिए एक राजा की माँग की। वे एक ऐसा राजा चाहते थे जो लंबा और शक्तिशाली हो, और जो युद्ध में उनकी अगुवाई कर सके। परमेश्वर को यह निवेदन पसंद नहीं आया, परन्तु उसने उनको वैसा राजा दिया जैसी उन्होंने माँग की थी।
_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: न्यायियों :- 1-3; 6-8_
_न्यायियों अध्याय 1-3; 6-8; 1 शमूएल 1-10 से एक बाइबल की कहानी_

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शाऊल इस्राएल का पहला राजा था | वह लम्बा व सुन्दर था, जैसा कि लोग चाहते थे | शाऊल ने पहले कुछ वर्षों तक इस्राएल पर अच्छा शासन किया परन्तु बाद में वह एक बुरा मनुष्य बन गया और उसने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन न किया, अत: परमेश्वर ने उसके स्थान पर एक दूसरा राजा चुना |
शाऊल इस्राएल का पहला राजा था। वह लंबा और सुंदर था, जैसा वे लोग चाहते थे एकदम वैसा। इस्राएल पर अपने शासन के पहले कुछ वर्षों में शाऊल एक अच्छा राजा था। परन्तु बाद में वह एक दुष्ट व्यक्ति बन गया जिसने परमेश्वर की बातों को नहीं माना, इसलिए परमेश्वर ने एक अन्य व्यक्ति को चुना जो कि एक दिन उसके स्थान पर राजा बनेगा।
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शाऊल के स्थान पर परमेश्वर ने एक जवान इस्राएली को चुना जिसका नाम दाऊद था | बैतलहम नगर में दाऊद एक चरवाहा था | वह अपने पिता की भेड़ो की रखवाली करता था, दाऊद ने अलग-अलग समय पर भालू व शेर दोनों को मार गिराया जिन्होंने भेड़ों पर आक्रमण किया था | दाऊद एक बहुत ही नम्र व धर्मी पुरुष था, जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करता था |
परमेश्वर ने दाऊद नाम के एक जवान इस्राएली पुरुष को चुन कर एक दिन शाऊल के स्थान पर राजा होने के लिए तैयार करना आरम्भ किया। दाऊद बैतलहम नगर का एक चरवाहा था। कई समयों पर, दाऊद ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला था क्योंकि दाऊद द्वारा रखवाली करते समय उसके पिता की भेड़ों पर उन्होंने हमला किया था। दाऊद एक नम्र और धर्मी व्यक्ति था। उसने परमेश्वर पर भरोसा किया और उसकी बातों को माना।
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दाऊद एक बहुत ही महान सैनिक और अगुआ था | जब दाऊद एक जवान युवक था, वह गोलियत नामक दानव के विरुद्ध भी लड़ा | गोलियत एक प्रशिक्षित सैनिक था, जो बहुत शक्तिशाली और लगभग तीन मीटर तक लम्बा था | परन्तु परमेश्वर ने दाऊद की सहायता की गोलियत को मारने और इस्राएल को बचाने में |
जब दाऊद अभी जवान पुरुष ही था, उसने लंबे-चौड़े गोलियत के विरुद्ध लड़ाई की। गोलियत एक बहुत अच्छा सैनिक था। वह बहुत मजबूत और लगभग तीन मीटर लंबा था! परन्तु परमेश्वर ने गोलियत को मारने और इस्राएल को बचाने में दाऊद की सहायता की। इसके बाद, दाऊद ने इस्राएल के शत्रुओं पर कई बार विजय प्राप्त की। दाऊद एक बड़ा सैनिक बन गया, और उसने बहुत से युद्धों में इस्राएली सेना की अगुवाई की। लोगों ने उसकी बहुत प्रशंसा की।
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इसके बाद भी, इस्राएली शत्रुओं पर दाऊद बहुत बार विजयी रहा, जिसके कारण लोग उसकी प्रशंसा करते थे | शाऊल यह देख कि लोग दाऊद को प्रेम करते है उससे ईर्ष्या रखने लगा | शाऊल ने दाऊद को मारने का कई बार प्रयास किया, इस कारण दाऊद शाऊल से छिप रहा था | एक बार शाऊल दाऊद को मारने की ताक में था | शाऊल उसी गुफा में चला गया जहाँ दाऊद उससे छिपा हुआ था, परन्तु शाऊल उसे देख न सका | दाऊद शाऊल के बहुत करीब था और उसे मार सकता था, परन्तु वह ऐसा कर न सका | बजाय इसके, दाऊद ने शाऊल के वस्त्र का एक टुकड़ा काट लिया जिससे वह शाऊल को साबित कर सकें कि वह राजा बनने के लिए उसे मारना नहीं चाहता |
लोगों ने दाऊद से इतना स्नेह किया कि शाऊल उससे जलने गया। आखिरकार शाऊल उसे मार डालना चाहता था, इसलिए दाऊद उससे और उसके सैनिकों से छिपने के लिए जंगल में भाग गया। एक दिन, जब शाऊल और उसके सैनिक दाऊद की खोज में थे तो शाऊल एक गुफा में गया। यह वही गुफा थी जिसमें दाऊद छिपा हुआ था, परन्तु शाऊल ने उसे नहीं देखा। दाऊद शाऊल के पीछे उसके बहुत समीप चला गया और उसके वस्त्र से एक टुकड़ा काट लिया। बाद में, जब शाऊल उस गुफा से निकला तो दाऊद ने उसे पुकार कर उस पकड़े हुए वस्त्र के टुकड़े को दिखाया। इस रीति से, शाऊल जान गया कि दाऊद ने राजा बनने के लिए उसे मार डालने से इंकार कर दिया है।
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अंततः शाऊल युद्ध में मारा गया, और दाऊद इस्राएल का राजा बन गया | वह एक अच्छा राजा था, और लोग उससे प्रेम करते थे | परमेश्वर ने दाऊद को आशीर्वाद दिया और उसे सफल बनाया। दाऊद ने बहुत से युद्ध लड़े और परमेश्वर ने उसकी सहायता की इस्राएल के शत्रुओं को पराजित करने में | दाऊद ने यरूशलेम पर विजय प्राप्त की और उसे अपनी राजधानी बनाया | दाऊद के शासन काल के दौरान, इस्राएल बहुत ही शक्तिशाली और समृद्ध बन गया |
कुछ समय के बाद, शाऊल युद्ध मैं मर गया, और दाऊद इस्राएल का राजा बन गया। वह एक अच्छा राजा था, और लोगों ने उससे प्रीति रखी। परमेश्वर ने दाऊद को आशीषित किया और उसे सफल बनाया। दाऊद ने कई युद्ध लड़े, और परमेश्वर ने इस्राएल के शत्रुओं को पराजित करने में उसकी सहायता की। दाऊद ने यरूशलेम नगर को जीत कर उसे अपनी राजधानी बनाया, जहाँ वह रहा और शासन किया। दाऊद चालीस वर्षों तक राजा रहा। इस समय के दौरान, इस्राएल सामर्थी और धनवान बन गया।
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दाऊद चाहता था कि वह एक मंदिर का निर्माण करें जिसमें सभी इस्राएली परमेश्वर की उपासना करें और बलिदान चढाएँ | चार सौ वर्षों तक, लोग मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर कि उपासना करते थे और बलिदान चढ़ाते थे जिसका निर्माण मूसा द्वारा किया गया था |
दाऊद एक मंदिर बनाना चाहता था जहाँ सारे इस्राएली परमेश्वर की आराधना कर सकें और उसके लिए बलिदान चढ़ा सकें। लगभग 400 वर्षों से, वे लोग मूसा के बनाए हुए मिलापवाले तंबू में परमेश्वर की आराधना कर रहे थे और उसके लिए बलिदान चढ़ा रहे थे।
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परन्तु परमेश्वर ने नातान भविष्यद्वक्ता के द्वारा दाऊद को संदेश भेजा, “क्योंकि तू एक योद्धा है, तू मेरे लिए वह भवन नहीं बनाएगा | तेरा पुत्र वह भवन बनाएगा | परन्तु, मैं तुझे बहुत आशीष दूँगा | तेरे ही वंश में से कोई एक राजा मेरे लोगों पर हमेशा के लिए शासन करेगा | और मसीह भी तुम्हारे वंश से होगा |” मसीह परमेश्वर का चुना हुआ है जो संसार को पाप से छुड़ाएगा |
परन्तु वहाँ नातान नाम का एक भविष्यद्वक्ता था। परमेश्वर ने उसे दाऊद से यह कहने के लिए भेजा: "तूने बहुत से युद्ध लड़े हैं, इसलिए तू मेरे लिए इस मंदिर को नहीं बनाएगा। तेरा पुत्र इसे बनाएगा। तौभी, मैं तुझे बहुतायत से आशीषित करूँगा। तेरा एक वंशज सदा के लिए मेरे लोगों पर राजा के रूप में शासन करेगा।" सदा के लिए शासन करने वाला वह दाऊद का एकमात्र वंशज मसीह था। मसीह परमेश्वर का चुना हुआ जन था जो संसार के लोगों को उनके पापों से बचाएगा।
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जब दाऊद ने यह शब्द सुने, उसने तुरन्त ही परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उसकी प्रशंसा की, क्योंकि परमेश्वर ने दाऊद से महान गौरव और बहुत सी आशीषों की वाचा बाँधी थी | लेकिन वास्तव में, मसीह के आने से पहले इस्राएलियों को एक लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ा, लगभग एक हज़ार वर्षों तक |
जब दाऊद ने नातान के संदेश को सुना तो उसने परमेश्वर का धन्यवाद किया और उसकी स्तुति की। परमेश्वर उसकी प्रतिष्ठा को बढ़ा रहा था और उसे बहुत सी आशीषें दे रहा था। बेशक, दाऊद नहीं जानता था कि परमेश्वर इन बातों को कब करेगा। इस समय हम जानते हैं कि इस्राएलियों को एक लंबे समय तक, लगभग 1,000 वर्ष तक मसीह के आने की प्रतीक्षा करनी होगी।
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दाऊद ने कई वर्षों तक न्याय व निष्ठा के साथ शासन किया, और परमेश्वर ने उसे आशीर्वाद दिया | हालांकि, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उसने परमेश्वर के विरुद्ध भयानक अपराध किया |
दाऊद ने कई वर्षों तक न्यायपूर्वक अपने लोगों पर शासन किया। उसने बड़ी निष्ठा से परमेश्वर की बातों को माना और परमेश्वर ने उसे आशीषित किया। हालाँकि, अपने जीवन के अंत में उसने परमेश्वर के विरुद्ध भयानक पाप किया था।
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एक दिन, जब दाऊद के सब सैनिक राज्य से दूर युद्ध करने के लिए गए हुए थे, उसने अपने महल से बाहर देखा, तो उसे एक स्त्री जो अति सुन्दर थी नहाती हुई दिखाई पड़ी | उसका नाम बतशेबा था |
एक दिन दाऊद ने अपने महल से बाहर झाँका और एक सुंदर स्त्री को नहाते हुए देखा। वह उसे नहीं जानता था, लेकिन उसने मालूम कर लिया कि उसका नाम बतशेबा था।
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दाऊद ने एक दूत भेजकर उसे बुलवा लिया | वह उसके साथ सोया, तब वह अपने घर लौट गई | कुछ समय बाद बतशेबा ने दाऊद के पास कहला भेजा कि वह गर्भवती है |
अपनी दृष्टि को फेर लेने के बजाए, दाऊद ने उसे अपने पास लाने के लिए किसी को भेजा। वह उसके साथ सोया और उसे वापिस घर भेज दिया। थोड़े समय के बाद बतशेबा ने यह कह कर दाऊद के पास संदेश भेजा कि वह गर्भवती है।
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बतशेबा का पति, जिसका नाम ऊरिय्याह था, वह दाऊद का एक वीर सैनिक था | दाऊद ने ऊरिय्याह को युद्ध से वापस बुला लिया और उससे कहा अपनी पत्नी के पास जा | परन्तु ऊरिय्याह अपने घर वापस न गया क्योंकि बाकी सैनिक युद्ध लड़ रहे थे | तब दाऊद ने ऊरिय्याह को वापस युद्ध में भेज दिया और योआब से कहा ‘सब से घोर युद्ध के सामने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोड़कर लौट आओ, कि वह घायल होकर मर जाए |
बतशेबा का पति ऊरिय्याह नाम का एक व्यक्ति था। वह दाऊद के उत्तम सैनिकों में से एक था। इस समय वह युद्ध करने के लिए बाहर गया हुआ था। दाऊद ने ऊरिय्याह को युद्ध से वापिस बुला कर उसे अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए कहा। परन्तु अन्य सैनिक युद्ध में थे इसलिए ऊरिय्याह ने घर जाने से मना कर दिया। अतः दाऊद ने ऊरिय्याह को वापिस युद्ध में भेज दिया और सेनापति से उसे युद्ध में ऐसे स्थान पर रखने के लिए कहा जहाँ शत्रु सबसे शक्तिशाली हो ताकि वह मारा जाए। तो ऐसा हुआ कि ऊरिय्याह युद्ध में मारा गया।
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ऊरिय्याह के मरने के बाद, दाऊद ने बतशेबा से विवाह कर लिया | बाद में, उसने दाऊद के पुत्र को जन्म दिया | दाऊद ने जो कुछ भी किया उसे लेकर परमेश्वर का क्रोध उस पर भड़का, परमेश्वर ने नातान भविष्यद्वक्ता द्वारा दाऊद को कहलवा भेजा कि उसके पाप कितने बुरे है | दाऊद को अपने किए हुए अपराधों पर पश्चाताप हुआ और परमेश्वर ने उसे क्षमा किया | अपने बाकी बचे हुए जीवन में, दाऊद ने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन किया, यहाँ तक कि कठिन समय में भी |
ऊरिय्याह के युद्ध में मर जाने के बाद दाऊद ने बतशेबा से विवाह कर लिया बाद में, उसने दाऊद के पुत्र को जन्म दिया। दाऊद ने जो किया उससे परमेश्वर बहुत क्रोधित था, इसलिए उसने नातान भविष्यद्वक्ता को दाऊद को यह बताने के लिए भेजा कि उसका पाप कितना बुरा था। दाऊद ने अपने पाप का पश्चाताप किया और परमेश्वर ने उसे क्षमा कर दिया। अपने शेष जीवन में, अपने कठिन समयों में भी दाऊद परमेश्वर के पीछे-पीछे चला और उसकी बातों को माना।
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परन्तु दाऊद के अपराधों के दंड के रूप में , उसके पुत्र की मृत्यु हुई | दाऊद के घराने में भी उसके बाकी जीवन काल तक एक युद्ध सा रहा था, और दाऊद का बल बहुत ही कमजोर पड़ गया था | यद्यपि दाऊद परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य न रहा, परन्तु परमेश्वर अपनी वाचा पर खरा था | उसके बाद, दाऊद और बतशेबा का एक और पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम उन्होंने सुलैमान रखा |
परन्तु दाऊद का बच्चा मर गया। इस रीति से परमेश्वर ने दाऊद को दंडित किया। इसके अलावा, दाऊद के मरने तक, उसके अपने परिवार के कुछ लोगों ने उसके विरुद्ध लड़ाई की, और दाऊद की अपनी शक्ति कम हो गई थी। परन्तु परमेश्वर विश्वासयोग्य था और अब भी उसने वह किया जो उसने दाऊद से करने का वादा किया था कि वह करेगा, भले ही दाऊद ने उसकी अवज्ञा की थी। बाद में, दाऊद और बतशेबा के दूसरी संतान उत्पन्न हुई, और उन्होंने उसका नाम सुलैमान रखा।
_बाइबिल की एक कहानी से : 1 शमूएल 10 ;15-19 ; 24;31 ; 2 शमूएल 5 , 7 ;11-12_
_1 शमूएल अध्याय 10; 15-19; 24; 31; 2 शमूएल 5; 7; 11-12 से एक बाइबल की कहानी_

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कई वर्षों बाद, जब दाऊद की मृत्यु हो गई, तब उसके पुत्र सुलैमान ने इस्राएल पर शासन करना आरंभ किया | परमेश्वर ने सुलैमान से बात की और उससे कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूँ, वह माँग |” जब सुलैमान ने बुद्धि माँगी, परमेश्वर उससे प्रसन्न हुआ और उसे संसार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बना दिया | परमेश्वर ने उसे बहुत धनवान मनुष्य बनाया |
दाऊद राजा ने चालीस वर्षों तक शासन किया। तब वह मर गया, और उसके पुत्र सुलैमान ने इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। परमेश्वर ने सुलैमान से बात की और उससे पूछा कि वह सबसे अधिक क्या चाहता है कि परमेश्वर उसके लिए करे। सुलैमान ने परमेश्वर से माँगा कि वह उसे बहुत बुद्धिमान बना दे। इस बात ने परमेश्वर को प्रसन्न किया, इसलिए परमेश्वर ने सुलैमान को संसार का सबसे बुद्धिमान पुरुष बना दिया। सुलैमान ने बहुत सी बातों को सीखा और वह एक बुद्धिमान शासक था। परमेश्वर ने उसे बहुत धनवान भी बना दिया था।
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यरुशेलम में, सुलैमान ने अपने पिता की योजना के अनुसार एक भवन बनाने का निर्णय किया और उसके लिए समान एकत्र किया | अब लोग मिलापवाले तम्बू के स्थान पर उस भवन में परमेश्वर की उपासना करते और बलिदान चढ़ाते थे | परमेश्वर भवन में उपस्थित था, और वह अपने लोगों के साथ रहता था |
यरूशलेम में सुलैमान ने उस मंदिर को बनाया जिसके लिए उसके पिता ने योजना बनाई थी और सामान को इकट्ठा किया था। अब लोग मिलापवाले तंबू के बजाए मंदिर में परमेश्वर की आराधना करते थे और उसके लिए बलि चढ़ाते थे। परमेश्वर आकर मंदिर में उपस्थित रहा करता था, और वहाँ वह अपने लोगों के साथ वास करता था।
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परन्तु सुलैमान अन्य देशों की महिलाओं से प्रेम करता था | उसने परमेश्वर की आज्ञा का पालन न किया, और बहुत सी महिलाओं से विवाह किया, लगभग एक हज़ार से | बहुत सी महिलाएं उनमें से विदेशी थी, जो अपने देवताओं को अपने साथ लाई और निरन्तर उनकी उपासना करती थी | अत: जब सुलैमान बूढ़ा हुआ तब उसकी स्त्रियों ने उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया |
परन्तु सुलैमान ने दूसरे देशों की स्त्रियों से प्रेम किया। उसने बहुत सी, लगभग 1,000 स्त्रियों से विवाह करके परमेश्वर की अवज्ञा की! इनमें से बहुत सी स्त्रियाँ पराए देशों से आईं और अपने साथ अपने देवताओं को लाईं और उनकी उपासना करना जारी रखा। जब सुलैमान बूढ़ा हो गया तो उसने भी उनके देवताओं की उपासना की।
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तब परमेश्वर ने सुलैमान पर क्रोध किया, और उसकी अधार्मिकता के कारण उसे दंड दिया, और वाचा बाँधी कि सुलैमान की मृत्यु के बाद वह इस्राएल के राज्य को दो भागों में विभाजित कर देंगा |
इस वजह से परमेश्वर सुलैमान से क्रोधित था। उसने कहा कि वह इस्राएल देश को दो राज्यों में विभाजित करने के द्वारा उसे दंड देगा। वह सुलैमान के मरने के बाद ऐसा करेगा।
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सुलैमान की मृत्यु के बाद उसका पुत्र रहूबियाम उसके स्थान पर राजा हुआ | रहूबियाम एक नासमझ मनुष्य था | सभी इस्राएली लोग एक साथ एकत्रित हुए यह निश्चित करने के लिए कि वहीं राजा है | वह लोग रहूबियाम से सुलैमान की शिकयत करते हुए कहने लगे, “तेरे पिता ने हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था इसलिये अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को, और उस भारी जूए को, जो उसने हम डाल रखा है कुछ हलका कर |”
सुलैमान के मरने के बाद, रहबाम राजा बना। इस्राएल देश के सब लोग उसे अपने राजा के रूप में स्वीकार करने के लिए एक साथ इकट्ठा हुए। उन्होंने रहबाम से शिकायत की कि सुलैमान ने उनसे बहुत कठिन परिश्रम करवाया था और बहुत से कर वसूले थे। उन्होंने रहबाम से अनुरोध किया कि उनसे कम काम करवाए।
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रहूबियाम ने उन्हें नासमझता के साथ उत्तर देते हुए कहा, “मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था उसे मैं और भी भारी करूँगा; और मैं तुम्हें और भी कठोरता से दण्डित करूँगा |”
परन्तु रहबाम ने उनको बड़ी ही मूर्खता से जवाब दिया, "तुम कहते हो कि मेरे पिता सुलैमान ने तुमसे कठिन परिश्रम करवाया। परन्तु मैं तुमसे उससे भी अधिक कठिन परिश्रम करवाऊँगा, और मैं तुमको उससे भी अधिक पीड़ित करूँगा।"
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दस इस्राएली गोत्र रहूबियाम के विरुद्ध हो गए | केवल दो गोत्र उसके प्रति निष्ठावान रहे | यह दो गोत्र यहूदा का राज्य बन गए |
जब लोगों ने उसे ऐसा कहते सुना तो उनमें से कइयों ने उसके विरुद्ध बलवा किया। दस गोत्रों ने उसे छोड़ दिया; उसके साथ अब केवल दो गोत्र ही बचे। इन दो गोत्रों ने स्वयं को यहूदा का राज्य कहा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-08.jpg)
अन्य दस इस्राएली गोत्र जो रहूबियाम के विरुद्ध में थे, उन्होंने अपने लिए यारोबाम नामक एक राजा को नियुक्त किया | उसने देश के उत्तरी भाग में अपने राज्य की स्थापना की और उसे इस्राएल का राज्य कहा गया |
बाकी के दस गोत्रों ने यारोबाम नाम के एक पुरुष को अपना राजा बना लिया। ये गोत्र देश के उत्तर-पूर्वी भाग में थे। उन्होंने स्वयं को इस्राएल का राज्य कहा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-09.jpg)
यारोबाम ने परमेश्वर का विद्रोह किया और लोगों को पाप में धकेल दिया | उसने परमेश्वर की उपासना करने के स्थान पर लोगों के लिए दो बछड़े यहूदा के राज्य भवन में उपासना करने के लिए बनवाए |
परन्तु यारोबाम ने परमेश्वर के विरुद्ध बलवा किया और लोगों से पाप करवाया। उसने अपने लोगों के द्वारा उपासना करने के लिए दो मूर्तियों को बनाया। वे अब यहूदा के राज्य में यरूशलेम में परमेश्वर के मंदिर में उसकी आराधना करने के लिए नहीं गए।
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यहूदा और इस्राएल राज्य शत्रु बन गए और अक्सर एक दूसरे के विरुद्ध लड़े।
यहूदा और इस्राएल के राज्य शत्रु बन गए और अक्सर एक दूसरे के विरुद्ध लड़ने लगे।
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नए इस्राएली राज्य में, जितने भी राजा हुए वह सब दुष्ट थे | बहुत से राजा उन अन्य इस्राएलियों के द्वारा मारे गए जो स्वयं राजा बनना चाहते थे |
इस्राएल के नए राज्य में, सारे ही राजा दुष्ट थे। इनमें से कई राजा उनके स्थान पर राजा बनने की चाह रखने वाले अन्य इस्राएलियों के द्वारा मारे गए थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-12.jpg)
इस्राएली राज्य के सभी राजा और बहुत से लोग मूर्तियों की उपासना करते थे | उनकी मूर्ति पुजाओ में कई बार अनैतिकता और कभी- कभी बच्चों का बलिदान भी शामिल होता था |
इस्राएल राज्य के सारे ही राजाओं ने और अधिकतर लोगों ने मूर्तियों की उपासना की। जब उन्होंने ऐसा किया, तो वे अक्सर वेश्याओं के साथ सोए और यहाँ तक कि कई बार मूर्तियों के आगे बच्चों को बलि भी किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-13.jpg)
यहूदा के राजा दाऊद के वंशज के थे | कुछ राजा अच्छे मनुष्य भी थे, जिन्होंने उचित रूप से शासन किया और परमेश्वर की उपासना की | परन्तु बहुत से यहूदा के राजा दुष्ट, विकृत और मूर्तियों की उपासना करने वाले थे | कुछ राजा झूठे देवताओं के लिए अपने बच्चों का भी बलिदान चढ़ाने लगे | यहूदा के बहुत से लोग परमेश्वर के विरुद्ध हो गए और अन्य देवताओं की उपासना करने लगे |
यहूदा राज्य के राजा, दाऊद के वंशज थे। इन राजाओं में से कई भले व्यक्ति थे जिन्होंने न्यायपूर्वक शासन किया और परमेश्वर की आराधना की। परन्तु यहूदा के अधिकांश राजा दुष्ट थे। उन्होंने दुष्टता से शासन किया, और मूर्तियों की उपासना की। यहाँ तक कि इनमें से कुछ राजाओं ने झूठे देवताओं के आगे अपने बच्चों को भी बलि कर दिया। यहूदा के अधिकतर लोगों ने भी परमेश्वर के विरुद्ध बलवा किया और अन्य देवताओं की उपासना की।
_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: 1 राजाओं 1-6 ;11-12_
_1 राजा अध्याय 1-6; 11-12 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-01.jpg)
इस्राएलियों के इतिहास भर में, परमेश्वर ने बहुत से भविष्यद्वक्ता भेजे | भविष्यद्वक्ता ने परमेश्वर के संदेशों को सुना और फिर लोगों को परमेश्वर का संदेश बताया |
परमेश्वर हमेशा इस्राएलियों के पास भविष्यद्वक्ताओं को भेजता रहता था। भविष्यद्वक्ता परमेश्वर से संदेशों को सुनते थे और फिर उसे लोगों को बताते थे।
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एलिय्याह भविष्यद्वक्ता था, जब अहाब इस्राएली राज्य का राजा था | अहाब एक दुष्ट व्यक्ति था जो लोगों को झूठे, बाल नामक देवता की उपासना करने के लिए प्रोत्साहित करता था | एलिय्याह ने अहाब से कहा, “इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी |”
जब अहाब इस्राएल राज्य पर राजा था तो उस समय एलिय्याह भविष्यद्वक्ता था। अहाब एक बुरा व्यक्ति था। उसने झूठे बाल देवता की उपासना करवाने के लिए लोगों को विवश किया था। इसलिए एलिय्याह ने अहाब से कहा कि परमेश्वर उन लोगों को दंडित करने जा रहा था। उसने उससे कहा, "जब तक मैं फिर से बारिश होने के लिए न कहूँ तब तक इस्राएल के राज्य में न बारिश होगी और न ही ओस गिरेगी।" इस बात ने अहाब को इतना क्रोधित कर दिया कि उसने एलिय्याह को मार डालने का निर्णय किया।
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यह सुन अहाब बहुत क्रोधित हुआ | परमेश्वर ने एलिय्याह से कहा कि वह जंगल में जाकर छिप जाए, क्योंकि अहाब उसे मारने की ताक में है | और सबेरे और साँझ को कौवे उसके पास रोटी और मांस लाया करते थे | अहाब और उसके सैनिक एलिय्याह की ताक में थे, परन्तु वह उसे खोज न सकें | कुछ दिनों के बाद उस देश में वर्षों न होने के कारण नाला सूख गया |
इसलिए परमेश्वर ने एलिय्याह से कहा कि वह जंगल में जाकर अहाब से छिप जाए। एलिय्याह जंगल में उस सोते के पास गया जहाँ जाने के लिए परमेश्वर ने उसे बताया था। हर सुबह और हर शाम, पक्षी एलिय्याह के लिए रोटी और माँस लेकर आते थे। इस सम्पूर्ण समय, अहाब और उसकी सेना एलिय्याह की खोज करते रहे, परन्तु वे उसे खोज न पाए।
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तब एलिय्याह पड़ोसी देश को चला गया | उस शहर में एक विधवा और उसके साथ उसका पुत्र रहता था, अकाल के कारण उनके पास जो भोजन बचा था वह लगभग समाप्ति पर था | परन्तु तब उन्होंने एलिय्याह का ख्याल रखा, और परमेश्वर ने उनके घड़े का मैदा समाप्त न होने दिया, और न उनके कुप्पी का तेल घटने दिया | पूरे अकाल के दौरान उनके पास खाने को पर्याप्त भोजन था | एलिय्याह वहाँ कई वर्षों तक रहता रहा |
बारिश न होने से कुछ समय के बाद वह सोता सूख गया। इसलिए एलिय्याह पास ही के एक देश में चला गया। उस देश में एक गरीब विधवा थी जिसके एक पुत्र था। उनके पास भोजन लगभग समाप्त हो चुका था क्योंकि वहाँ कोई फसल न हुई थी। परन्तु फिर भी, उस स्त्री ने एलिय्याह की देखभाल की, इसलिए परमेश्वर ने उसकी और उसके पुत्र की आवश्यकताओं को पूरा किया, इस कारण से उसके आटे का पात्र और उसके तेल की कुप्पी कभी खाली न हुई। उस पूरे अकाल के दौरान उनके पास भोजन था। एलिय्याह कुछ वर्षों तक वहाँ रहा।
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साढ़े तीन वर्ष के बाद, परमेश्वर का यह वचन एलिय्याह के पास पहुँचा , “जाकर अपने आप को अहाब को दिखा, और मैं भूमि पर मेंह बरसा दूँगा |” एलिय्याह को देखते ही अहाब ने कहा, “हे इस्राएल को सतानेवाले क्या तू ही है |” तब एलिय्याह ने उससे कहा, “मैंने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तूने ही दिया है | क्योंकि तुम परमेश्वर की उपासना को टालकर बाल देवता की उपासना करने लगे |” तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और भविष्यवक्ताओं को कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया |
साढ़े तीन वर्षों के बाद, परमेश्वर ने एलिय्याह से कहा कि वह फिर से बारिश करेगा। उसने एलिय्याह से वापिस इस्राएल के राज्य में जाकर अहाब से बातें करने के लिए कहा। इसलिए एलिय्याह अहाब के पास गया। जब अहाब ने उसे देखा तो उसने कहा, "अच्छा तू है, मुसीबत पैदा करने वाला!" एलिय्याह ने जवाब दिया, "मुसीबत पैदा करने वाला तो तू है! तूने यहोवा को त्याग दिया है। वही सच्चा परमेश्वर है, लेकिन तू बाल की उपासना कर रहा है। अब तुझे इस्राएल राज्य के सब लोगों को कर्मेल पर्वत पर लेकर आना है।"
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इस्राएली राज्य के सभी लोगों सहित और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुष्य कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा हुए | एलिय्याह ने लोगों से कहा, “कब तक तुम दो विचारो में लटके रहोगे ? यदि यहोवा परमेश्वर हो , ‘तो उसके पीछे हो लो | यदि बाल परमेश्वर हो , ‘तो उसके पीछे हो लो |’”
अतः सब लोग कर्मेल पर्वत को गए। वे पुरुष भी आए जो कहते थे कि वे बाल के संदेशों को बोलते हैं। ये बाल के भविष्यद्वक्ता थे। वे सब 450 थे। एलिय्याह ने लोगों से कहा, "कब तक तुम अपने मनों को फिराए रखोगे? यदि यहोवा परमेश्वर है तो उसकी आराधना करो! यदि बाल परमेश्वर है तो उसकी उपासना करो!"
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और एलिय्याह ने बाल के भविष्यवक्ताओं से कहा, “पहले तुम एक बछड़ा चुन के तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना | मैं भी ऐसा ही करूँगा | और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे |” तब बाल के भविष्यवक्ताओं ने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था, लेकर बलिदान के लिए तैयार किया, परन्तु उमसे आग न लगाई |
तब एलिय्याह ने बाल के भविष्यद्वक्ताओं से कहा, "एक बैल को बलि करके उसके माँस को बलिदान होने को एक वेदी पर रखो, परन्तु आग मत लगाना। उसके बाद मैं भी वैसा ही करूँगा, और एक अलग वेदी पर मैं उस माँस को रखूँगा। तब यदि परमेश्वर वेदी पर आग गिराता है तो तुम जान लोगे कि वह सच्चा परमेश्वर है।" तब बाल के भविष्यद्वक्ताओं ने एक बलि को तैयार किया परन्तु आग नहीं लगाई।
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तब बाल के भविष्यवक्ता यह कहकर बाल से प्रार्थना करते रहे, “हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन |” बाल के भविष्यवक्ताओं ने दिन भर प्रार्थना की, और बड़े शब्द से पुकार पुकार के अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बर्छियों से अपने अपने को यहाँ तक घायल किया कि लहू लुहान हो गए | परन्तु बाल ने उत्तर न दिया |
तब बाल के भविष्यद्वक्ताओं ने बाल से प्रार्थना की, "हे बाल, हमारी सुन!" पूरे दिन उन्होंने प्रार्थना की और चिल्लाए और यहाँ तक कि स्वयं को चाकुओं से काट लिया, परन्तु बाल ने जवाब नहीं दिया, और उसने कोई आग नहीं गिराई।
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दिन के अंत में, एलिय्याह ने परमेश्वर के लिए बलिदान तैयार किया | तब उसने लोगों से कहा कि बारह घड़ों को ऊपर तक पानी से भर दो और बलिदान की वेदी के ऊपर डाल दो | लोगों ने वैसा ही किया और होमबली-पशु, लकड़ी और यहाँ तक कि वेदी के चारों ओर मैदान भी पूरी तरह से गीला हो गया |
बाल के भविष्यद्वक्ताओं ने बाल से प्रार्थना करने में लगभग पूरा दिन बिता दिया। अंततः उन्होंने प्रार्थना करना बंद कर दिया। तब एलिय्याह ने दूसरे बैल के माँस को परमेश्वर की वेदी पर रख दिया। उसके बाद, उसने लोगों से पानी के विशाल बरतनों को उस बलिदान पर तब तक उंडेलने के लिए कहा जब तक कि माँस, लकड़ियाँ, और यहाँ तक कि वेदी के आसपास की भूमि पूरी तरह से गीली न हो गई।
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फिर एलिय्याह ने प्रार्थना की, “हे अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूँ | हे यहोवा मेरी सुन, मेरी सुन कि लोग जान लें कि हे यहोवा तू ही परमेश्वर है |”
तब एलिय्याह ने प्रार्थना की, "हे यहोवा, अब्राहम, इसहाक, और याकूब के परमेश्वर, हमें दिखाओ कि आप इस्राएल के परमेश्वर हैं और यह कि मैं आपका दास हूँ। मुझे जवाब दीजिए जिससे कि ये लोग जान लेंगे कि आप ही सच्चे परमेश्वर हैं।"
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ब यहोवा की आग आकाश से प्रगट हुई, और होमबली को लकड़ी और पत्थरों और धूलि समेत भस्म कर दिया और गड़हे में का जल भी सुखा दिया | यह देख सब मूंह के बल गिरकर बोल उठे, “यहोवा ही परमेश्वर है! यहोवा ही परमेश्वर है |”
ुरन्त ही, आकाश से आग गिरी और उसने माँस, लकड़ियाँ, चट्टानें, मिट्टी, और यहाँ तक कि वेदी के आसपास के पानी को भी जला दिया। जब लोगों ने यह देखा, वे भूमि पर गिर पड़े और बोले, "यहोवा ही परमेश्वर है! यहोवा ही परमेश्वर है!"
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तब एलिय्याह ने कहा, “बाल के भविष्यवक्ताओं को पकड़ लो, उनमें से एक भी छूटने ने न पाए; तब उन्होंने उनको पकड़ लिया, और एलिय्याह ने उन्हें नीचे ले जाकर मार डाला |
तब एलिय्याह ने कहा, "बाल का एक भी भविष्यद्वक्ता बच कर न जाने पाए!" इसलिए लोगों ने बाल के भविष्यद्वक्ताओं को पकड़ लिया और उनको वहाँ से अलग ले गए और उनको मार डाला।
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फिर एलिय्याह ने अहाब से कहा, “तुरंत ही शहर की और लौट जा क्योंकि भारी वर्षा की सनसनाहट सुन पड़ती है |” थोड़ी ही देर में आकाश वायु से उड़ाई हुए घटाओ और आँधी से काला हो गया और भारी वर्षा होने लगी | यहोवा ने अकाल को समाप्त कर दिया और यह सिद्ध कर दिया कि वही सच्चा परमेश्वर है |
तब एलिय्याह ने अहाब राजा से कहा, "जल्दी से अपने घर को भाग जा, क्योंकि बारिश होने वाली है।" जल्दी ही बादल घने हो गए, और भारी बारिश आरम्भ हो गई। यहोवा उस सूखे को समाप्त कर रहा था। इससे प्रकट हुआ कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है।
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एलिय्याह के समय के बाद, परमेश्वर ने एलीशा नामक भविष्यद्वक्ता को चुना | परमेश्वर ने एलीशा के द्वारा बहुत से चमत्कार किए | जिनमे से एक चमत्कार नामान नामक व्यक्ति के जीवन में हुआ, वह शत्रुओं का सेनापति था और कोढ़ी था | उसने एलीशा के बारे में सुना था तो वह एलीशा के पास गया कि वह उसे चंगा करे | एलीशा ने उसे कहा, “तू जाकर यरदन नदी में साथ बार डुबकी मार |”
जब एलिय्याह ने अपने काम को समाप्त कर दिया, तो परमेश्वर ने एलीशा नाम के एक पुरुष को अपना भविष्यद्वक्ता होने के लिए चुना। परमेश्वर ने एलीशा के माध्यम से बहुत से चमत्कार किए। एक चमत्कार नामान के साथ हुआ। वह एक शत्रु की सेना का सरदार था, परन्तु उसे त्वचा का एक बुरा रोग हो गया था। नामान ने एलीशा के बारे में सुना था, इसलिए वह एलीशा के पास आया और उससे उसे ठीक करने के लिए अनुरोध किया। एलीशा ने नामान से कहा कि जाकर यरदन नदी के पानी में सात बार डुबकी लगा ले।
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पहले तो नामान क्रोधित हुआ, और वह ऐसा नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसे यह मूर्खता पूर्ण कार्य लग रहा था | परन्तु शीघ्र ही उसने अपना विचार बदल लिया और यरदन को जाकर उसमे सात बार डुबकी मारी | जब वह आखिरी बार ऊपर आया तो उसका कोढ़ पुरी तरह से ठीक हो गया था | परमेश्वर ने उसे चंगा किया |
नामान क्रोधित हो गया। उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया, क्योंकि यह उसे मुर्खता का काम लगता था। परन्तु बाद में उसने अपना मन बदल लिया और जाकर यरदन नदी के पानी में सात बार डुबकी लगाई। जब अंतिम बार वह पानी से बाहर निकला तो परमेश्वर ने उसे ठीक कर दिया।
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परमेश्वर ने कई अन्य भविष्यवक्ताओं को भेजा | उन्होंने लोगों से कहा कि वह अन्य देवताओं की उपासना करना बंद कर दे, और दूसरों के लिए न्याय और उन पर दया करना आरंभ करें | उन भविष्यवक्ताओं ने लोगों को चेतावनी देना आरंभ किया कि, यदि उन्होंने दुष्ट कार्य करना बंद न किया, और परमेश्वर कि आज्ञा का पालन करना आरंभ न किया, तब परमेश्वर उन्हें दोषी ठहराएगा और उन्हें दण्डित करेंगा |
परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों के पास अन्य बहुत से भविष्यद्वक्ताओं को भेजा। उन सब ने लोगों से मूर्तियों की उपासना करना बंद कर देने के लिए कहा। इसके बजाए, उनको एक दूसरे के साथ न्यायपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और एक दूसरे पर दया करनी चाहिए। उन भविष्यद्वक्ताओं ने लोगों को चेतावनी दी कि उनको बुरे कामों को करना बंद कर देना है और इसके बजाए परमेश्वर की बातों का पालन करना है। यदि उन लोगों ने ऐसा नहीं किया तो परमेश्वर उनको दोषी मान कर उनका न्याय करेगा, और उनको दंडित करेगा।
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बहुत सी बार लोग परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते थे | वह अकसर भविष्यवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करते थे और कभी कभी तो उन्हें मार भी देते थे | एक बार यिर्मयाह भविष्यवक्ता को सूखे कुएँ में डाल दिया और उसे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया | कुएँ में पानी नहीं केवल दलदल थी, और यिर्मयाह कीचड़ में धंस गया, परन्तु तब राजा ने उस पर दया की और उसने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि मरने से पहले उसे कुएँ में से निकाल लाए |
अधिकांश समय, उन लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया। अक्सर उन्होंने भविष्यद्वक्ताओं के साथ बुरा व्यवहार किया और यहाँ तक कि कभी कभी उनको मार डाला। एक बार, उन्होंने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को सूखे कुएँ में डाल दिया और उसे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया। वह कुएँ के तल में कीचड़ में धँस गया। लेकिन तब राजा को उस पर दया आई और उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि यिर्मयाह के मरने से पहले उसे कुएँ से बाहर खींच ले।
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भविष्यवक्ताओं ने परमेश्वर के बारे में लोगों को बताना निरंतर जारी रखा भले ही लोग उनसे बैर रखते थे | उन्होंने लोगों को चेतावनी दी, कि यदि वह पश्चाताप नहीं करेंगे तो परमेश्वर उन्हें नष्ट कर देगा | उन्होंने लोगों को परमेश्वर की वह वाचा भी स्मरण कराई कि मसीह शीघ्र ही आने वाला है |
भविष्यद्वक्ताओं ने परमेश्वर की ओर से बोलना जारी रखा भले ही लोगों ने उनसे नफरत की। उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने पश्चाताप नहीं किया तो परमेश्वर उनको नाश कर देगा। उन्होंने लोगों को यह भी स्मरण कराया कि परमेश्वर ने उनके पास मसीह को भेजने की प्रतिज्ञा की है।
_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : 1 राजाओं 16-18 ; 2 राजाओं 5; यिर्मयाह 38_
_1 राजा अध्याय 16-18; 2 राजा 5; यिर्मयाह 38 से एक बाइबल की कहानी_

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# 20. निर्वासन और वापसी
# 20. बंधुआई और लौटना
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इस्राएल के राज्य और यहूदा के राज्य दोनों ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया | उन्होंने उस वाचा को तोड़ दिया जो परमेश्वर ने उनके साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी | परमेश्वर ने बहुत से भविष्यद्वक्ताओं को भेजा कि वह उन्हें चेतावनी दे और वे लोग पश्चाताप करे और परमेश्वर की आराधना दोबारा आरंभ करें, परन्तु उन्होंने आज्ञा मानने से इनकार कर दिया|
इस्राएल के राज्य और यहूदा के राज्य दोनों ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया। उन्होंने उस वाचा को तोड़ दिया जो परमेश्वर ने उनके साथ सीनै पर बाँधी थी। परमेश्वर ने उनको पश्चाताप करने और फिर से उसकी आराधना करने के लिए चेतावनी देने को अपने भविष्यद्वक्ताओं को भेजा, परन्तु उन्होंने उनकी बातों को मानने से इंकार कर दिया।
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तब परमेश्वर ने दोनों राज्यों को दण्डित किया और उनके शत्रुओं को यह अनुमति दी कि वह उन राज्यों को नष्ट कर दे | अश्शूर का राज्य एक शक्तिशाली, क्रूर राज्य था, जिसने इस्राएल के राज्य को नष्ट कर दिया | अश्शूरियों ने इस्राएल के बहुत से लोगों को मार गिराया, उनकी मूल्यवान वस्तुओं को छीन लिया और देश का बहुत सा हिस्सा जला दिया |
अतः परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को उन्हें नाश करने में सक्षम करने के द्वारा दोनों राज्यों को दंडित किया। अश्शूर एक अन्य देश था जो बहुत शक्तिशाली हो गया था। वे दूसरे देशों के प्रति बहुत निर्दयी भी थे। उन्होंने आकर इस्राएल के राज्य को नाश कर दिया। अश्शूरियों ने आकर इस्राएल के राज्य में बहुतों को मार डाला, जो चाहा उसे लूट लिया, और देश के कई हिस्सों को जला दिया।
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अश्शूरियों ने सभी नेताओं को एकत्र किया, धनवान मनुष्य और योग्य मनुष्य को और वह उन्हें अपने साथ अश्शूर ले आए | केवल वह इस्राएली जो बहुत कंगाल और जिन्हें मारा न गया था वहीं इस्राएल में शेष रह गए |
अश्शूरियों ने सब अगुवों, धनवान लोगों, और ऐसे लोगों को जो कीमती वस्तुएँ बना सकते थे एक साथ इकट्ठा किया और वे उनको अश्शूर देश ले गए। इस्राएल में केवल कुछ गरीब इस्राएली ही बचे।
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तब अश्शूरियों ने अन्यजातियों को उस भूमि पर रहने को कहा जहाँ पर इस्राएली राज्य था | अन्यजातियों ने उस विनष्ट शहर का पुनर्निर्माण किया, और वहाँ शेष बचे इस्राएलियों से विवाह किया | इस्राएलियों के वह वंशज जिन्होंने अन्यजातियों से विवाह किया वह सामारी कहलाए |
फिर अश्शूरी लोग उस देश में रहने के लिए विदेशियों को लेकर आए। उन विदेशियों ने उन नगरों को फिर से बनाया। जो इस्राएली वहाँ बचे थे उनसे उन्होंने विवाह किया। इन लोगों के वंशज सामरी कहलाए।
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यहूदा राज्य के लोगों ने देखा कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन न करने और उस पर विश्वास न रखने के कारण इस्राएलियों को उसने कैसे दण्डित किया | फिर भी उन्होंने कनानियों के देवताओं सहित मूर्तियों की उपासना करनी न छोड़ी | परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी देने के लिए भविष्यवक्ताओं को भेजा परन्तु उन्होंने उनकी न सुनी |
यहूदा के राज्य के लोगों ने देखा कि कैसे परमेश्वर ने उस पर विश्वास न करने और उसकी बातों को न मानने के कारण इस्राएल के राज्य के लोगों को दंडित किया था। परन्तु तब पर भी उन्होंने कनानियों के देवताओं की मूर्तियों की उपासना की। परमेश्वर ने उनको चेतावनी देने के लिए भविष्यद्वक्ताओं को भेजा, परन्तु उन्होंने सुनने से इंकार कर दिया।
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अश्शूरियों द्वारा इस्राएली शासन को नष्ट करने के लगभग सौ वर्षों बाद, परमेश्वर ने बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर को भेजा, यहूदी शासन को नष्ट करने के लिए | बेबीलोन एक शक्तिशाली साम्राज्य था। यहूदा का राजा, नबूकदनेस्सर का सेवक बनकर उन्हें हर वर्ष बहुत सा धन देने के लिए राज़ी हो गया |
लगभग 100 वर्षों के बाद अश्शूरियों ने इस्राएल के राज्य को नाश कर दिया। परमेश्वर ने बेबीलोन के राजा, नबूकदनेस्सर को यहूदा के राज्य पर हमला करने के लिए भेजा। बेबीलोन एक शक्तिशाली देश था। यहूदा का राजा नबूकदनेस्सर का दास बनने और प्रति वर्ष उसे बहुत सारे धन का भुगतान करने के लिए सहमत हो गया।
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परन्तु कुछ वर्षों के बाद, यहूदा के राजा ने बेबीलोन के विरुद्ध विद्रोह किया | अत: तब बेबीलोनियों ने वापस आकर यहूदा के राज्य पर आक्रमण किया | उन्होंने यरूशलेम को जित लिया, मंदिर का विनाश कर दिया, और शहर व मंदिर की सभी बहुमूल्य वस्तुओं को उनसे छीन कर ले गए |
परन्तु कुछ वर्षों के बाद, यहूदा के राजा ने बेबीलोन के विरुद्ध बलवा किया। अतः बेबीलोनियों ने वापिस आकर यहूदा के राज्य पर हमला कर दिया। उन्होंने यरूशलेम नगर पर कब्जा कर लिया, मंदिर को नष्ट कर दिया, और नगर और मंदिर के खजाने को लूट ले गए।
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विद्रोह करने के लिए यहूदा के राजा को दंडित किया गया और नबूकदनेस्सर के सैनिकों ने उसके पुत्र को उसी के सामने मार डाला और उसके बाद उसे नेत्रहीन बना दिया | इसके बाद, वह राजा को अपने साथ बेबीलोन के बंदीगृह में मरने के लिए ले गए |
बलवा करने के कारण यहूदा के राजा को दंडित करने के लिए, नबूकदनेस्सर के सैनिकों ने राजा के पुत्र को उसके सामने मार डाला और फिर उसे अंधा कर दिया। इसके बाद, वे राजा को ले गए ताकि वह बेबीलोन के बंदीगृह में मर जाए।
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नबूकदनेस्सर और उसके सैनिक लगभग सभी यहूदियों को बंदी बनाकर बेबीलोन ले गए, वहाँ पर केवल कंगालों को छोड़ दिया गया ताकि वह वहा खेती कर सके | यह वह समय था जब परमेश्वर के लोगों को वाचा की भूमि को छोड़ने के लिए विवश किया गया, यह अवधि निर्वासन कहलाई |
नबूकदनेस्सर और उसकी सेना यहूदा के राज्य के लगभग सारे ही लोगों को बेबीलोन ले गई, केवल सबसे गरीब लोगों को पीछे छोड़ कर ताकि वे खेतों में फसल उगाएँ। समय के इस काल को बंधुआई कहा गया है जिसमें परमेश्वर के लोगों को प्रतिज्ञा के देश से निकल जाने के लिए विवश किया गया था।
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परमेश्वर ने अपने लोगों को उनके पापों के लिए दण्डित किया उन्हें निर्वासन में ले जाने के द्वारा, यद्यपि वह उन्हें व अपनी वाचा को भूला न था | परमेश्वर निरन्तर अपने लोगों को देखता रहा और अपने भविष्यवक्ताओं के द्वारा उनसे बात करता रहा | उसने वाचा बाँधी थी कि, सत्तर वर्षों के बाद वह वापस वाचा की भूमि पर लौट आएँगे |
भले ही परमेश्वर ने अपने लोगों को उनके पाप के लिए बंधुआई में ले जाने के द्वारा दंडित किया, तौभी वह उनको या अपनी प्रतिज्ञाओं को नहीं भूला था। परमेश्वर ने अपने लोगों की निगरानी करना जारी रखा और अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा उनसे बातें करता रहा। उसने प्रतिज्ञा की कि सत्तर वर्षों के बाद, वे फिर से प्रतिज्ञा के देश में लौटेंगे।
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लगभग सत्तर वर्ष के बाद, कुस्त्रू जो फारस का राजा बना, उसने बेबीलोन को पराजित किया, अत: तब फारस साम्राज्य ने बेबीलोन साम्राज्य का स्थान लिया | इस्राएलियों को अब यहूदी कहा जाता था और उनमें से अधिकतर लोगों ने अपना पूरा जीवन बेबीलोन में व्यतीत किया | केवल कुछ पुराने यहूदियों को यहूदा नगर याद रहा |
लगभग सत्तर वर्षों के बाद, फारस के राजा कुस्रू ने बेबीलोन को पराजित किया, इसलिए बेबीलोन के साम्राज्य के बजाए फारस के साम्राज्य ने कई देशों पर शासन किया। इस्राएली लोग अब यहूदी कहलाते थे। उनमें से बहुतों ने अपना पूरा जीवन बेबीलोन में बिता दिया था। केवल बहुत थोड़े बूढ़े यहूदियों को ही यहूदा का देश स्मरण था।
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फारस का साम्राज्य बहुत ही सशक्त था परन्तु पराजित लोगों के प्रति दयावान था | शीघ्र ही जब फारस का राजा कुस्त्रू बना, उसने यह आज्ञा दी यदि कोई भी यहूदी वापस यहूदा जाना चाहता है तो वह फारस को छोड़कर यहूदा को वापस जा सकता है | उसने मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पैसे भी दिए | अत: सत्तर वर्ष तक निर्वासन के बाद, यहूदियों का एक छोटा समूह यरूशलेम को वापस लौट आया |
फारसी लोग बहुत सामर्थी थे, परन्तु उन्होंने अपने जीते हुए लोगों पर दया की थी। फारसी लोगों का राजा बनने के थोड़े समय के बाद, कुस्रू ने एक आदेश दिया कि कोई भी यहूदी जो यहूदा को लौटना चाहता था, वह फारस से निकल कर वापिस यहूदा को जा सकता है। यहाँ तक कि उसने उनको मंदिर को फिर से बनाने के लिए धन भी दिया। अतः बंधुआई के सत्तर वर्षों के बाद, यहूदियों का एक छोटा समूह यहूदा में यरूशलेम नगर को लौट आए।
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जब वह लोग वापस यरूशलेम लौटे, उन्होंने मंदिर और साथ ही शहर की आस पास की दीवारों का भी पुनर्निर्माण किया | हालांकि वहाँ अभी भी अन्य लोगों का शासन था, एक बार फिर वह वाचा की भूमि पर रहने लगे और मंदिर में आराधना करने लगे |
जब वे लोग यरूशलेम पहुँचे तो उन्होंने मंदिर को और नगर के चारों ओर की दीवार को फिर से बनाया। फारसी लोग अब भी उन पर शासन करते थे लेकिन एक बार फिर से वे प्रतिज्ञा के देश में रह रहे थे और मंदिर में आराधना कर रहे थे।
_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : 2 राजाओं 17 , 24-25 ; 2 इतिहास 36; एज्रा 1-10 ; नहेम्याह 1-13_
_2 राजा अध्याय 17; 24-25; 2 इतिहास 36; एज़्रा 1-10; नहेम्याह 1-13 से एक बाइबल की कहानी_

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# 21. परमेश्वर मसीहा का वादा करता है
# 21. परमेश्वर मसीह का प्रतिज्ञा करता है
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आरम्भ से ही, परमेश्वर ने मसीह को भेजने की योजना बनाई थी | मसीह की पहली प्रतिज्ञा आदम और हव्वा को मिली थी | परमेश्वर ने यह प्रतिज्ञा करी कि हव्वा के वंश में एक व्यक्ति जन्म लेगा जो साँप के सिर को कुचल डालेगा | जिस साँप ने हव्वा को धोखे से फल खिलाया था वह शैतान था | प्रतिज्ञा का अर्थ यह था कि मसीह शैतान को पूरी तरह से नष्ट कर देंगा |
जब परमेश्वर ने संसार की सृष्टि की थी, वह जानता था कि उसे बाद में किसी दिन मसीह को भेजना होगा। उसने आदम और हव्वा से प्रतिज्ञा की कि वह ऐसा करेगा। उसने कहा कि हव्वा से एक वंशज जन्म लेगा जो साँप के सिर को कुचलेगा। जिस साँप ने हव्वा को धोखा दिया वह निःसन्देह शैतान था। परमेश्वर का अर्थ था कि मसीह पूरी तरह से शैतान को पराजित कर देगा।
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परमेश्वर ने अब्राहम से वाचा बाँधी कि भूमंडल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे | यह आशीष तब पूरी होगी जब मसीह भविष्य में आयेगा | यह अनुग्रह आने वाला मसीह है जो एक दिन हर समूह के लोगों के लिए उद्धार का मार्ग प्रदान करेगा |
परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की थी कि उसके द्वारा संसार की सारी जातियाँ आशीष पाएँगी। परमेश्वर बाद में किसी समय पर मसीह को भेजने के द्वारा इस प्रतिज्ञा को पूरा करेगा। वह मसीह संसार के हर एक जाति में से लोगों को उनके पाप से छुड़ाएगा।
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परमेश्वर ने मूसा से यह वादा किया कि वह भविष्य में उसके जैसा ही एक और भविष्यद्वक्ता भेजेगा | यह मसीह से सम्बन्धित एक अन्य वाचा थी जो कि कुछ समय बाद पूरा होने वाला था |
परमेश्वर ने मूसा से प्रतिज्ञा की थी कि भविष्य में वह मूसा के समान एक अन्य भविष्यद्वक्ता को भेजेगा। यह भविष्यद्वक्ता मसीह होगा। इस रीति से, परमेश्वर ने फिर से प्रतिज्ञा की कि वह मसीह को भेजेगा।
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परमेश्वर ने दाऊद से यह वादा किया कि उसके वंश से एक राजा होगा जो परमेश्वर के लोगों पर हमेशा राज करेगा इसका अर्थ यह है कि मसीह उसके वंश से ही होगा |
परमेश्वर ने राजा दाऊद से प्रतिज्ञा की थी कि उसका एक वंशज मसीह होगा। वह राजा होगा और परमेश्वर के लोगों पर सदा के लिए शासन करेगा।
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यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा, परमेश्वर ने वादा किया कि वह एक नई वाचा बनाएगा परन्तु वह उस वाचा के समान न होंगी जो परमेश्वर ने इस्राएलियों के साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी | परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके ह्रदय पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वह मेरी प्रजा ठहरेंगे, लोग परमेश्वर को जानेंगे कि वह परमेश्वर के लोग है, और परमेश्वर उनका अधर्म क्षमा करेगा | मसीह नई वाचा का आरम्भ करेगा |
परमेश्वर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से बात की और कहा कि एक दिन वह एक नई वाचा बाँधेगा। वह नई वाचा इस्राएल के साथ सीनै पर बाँधी गई पुरानी वाचा के जैसी नहीं होगी। जब लोगों के साथ वह अपनी नई वाचा को बाँधेगा, तो वह उन पर स्वयं को व्यक्तिगत रूप से प्रकट करेगा। हर एक जन उससे प्रीति रखेगा और उसकी व्यवस्था का पालन करने की इच्छा रखेगा। परमेश्वर ने कहा कि यह उसकी व्यवस्था का उनके हृदयों पर लिख देने के जैसा होगा। वे उसके लोगों होंगे, और परमेश्वर उनके पापों को क्षमा करेगा। वह मसीह होगा जो उनके साथ उस नई वाचा को बाँधेगा।
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परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओ ने यह भी कहा कि, मसीह एक भविष्यद्वक्ता भी होगा, एक पुरोहित भी और एक राजा भी होगा | भविष्यद्वक्ता वह व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचन को सुनता है और फिर परमेश्वर के लोगों को बताता है | जिस मसीह को भेजने की परमेश्वर ने वाचा बाँधी है वह एक सिद्ध भविष्यद्वक्ता होगा |
परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओ ने यह भी कहा कि मसीह एक भविष्यद्वक्ता होगा। एक भविष्यद्वक्ता वह व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचनों को सुनता है और फिर लोगों पर परमेश्वर के संदेशों की घोषणा करता है। जिसे भेजने का परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी वह मसीह एक सिद्ध भविष्यद्वक्ता होगा। अर्थात् वह मसीह परमेश्वर के संदेशों को अच्छी तरह से सुनेगा, और वह लोगों को उन संदेशों को अच्छी तरह से सिखाएगा।
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पुरोहित वो है जो लोगों के स्थान पर परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाता है, जिससे कि परमेश्वर उनके पापों के कारण उन्हें दण्डित न करें | पुरोहित परमेश्वर से लोगों के लिए प्रार्थना भी करते थे | मसीह एक सिद्ध उच्च पुरोहित होगा जो परमेश्वर के लिए स्वयं का बलिदान देगा |
इस्राएली याजकों ने लोगों के लिए परमेश्वर के आगे बलिदान चढ़ाना जारी रखा। यह बलिदान लोगों के पापों के लिए उनको परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाने के स्थान पर चढ़ाए गए थे। याजकों ने लोगों के लिए प्रार्थना भी की। परन्तु, वह मसीह सिद्ध महायाजक होगा जो परमेश्वर को देने के लिए एक सिद्ध बलि के रूप में स्वयं को चढ़ा देगा। अर्थात्, वह कभी पाप नहीं करेगा, और जब वह स्वयं को बलि होने के लिए देगा, तो संसार का कोई भी अन्य बलि आवश्यक नहीं होगा।
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राजा वह होता है जो राज्य पर शासन करता है और लोगों का न्याय करता है | मसीह एक सिद्ध राजा होगा जो की दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होगा | वह हमेशा के लिए संसार पर राज्य करेगा, और सदैव सच्चाई से न्याय करेगा और उचित निर्णय लेगा |
लोगों के समूहों पर राजा और प्रधान शासन करते हैं, और कभी-कभी वे गलतियाँ करते हैं। राजा दाऊद ने केवल इस्राएलियों पर शासन किया, परन्तु राजा दाऊद का वंशज मसीह पूरे संसार पर शासन करेगा, और वह सदा के लिए शासन करेगा। इसके अलावा, वह हमेशा न्यायपूर्ण रीति से शासन करेगा, और सही निर्णयों को लेगा।
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परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं ने मसीह के बारे में पहले से ही अनेक भविष्यवाणियाँ की थी | मलाकी भविष्यद्वक्ता ने पहले से ही भविष्यवाणी की थी , कि मसीह के आने से पहले ही एक महान भविष्यद्वक्ता आ जाएगा | यशायाह भविष्यद्वक्ता ने भविष्यवाणी की थी , कि एक कुँवारी से मसीह का जन्म होगा | मीका भविष्यवक्ता ने कहा कि उसका जन्म बैतलहम के नगर में होगा |
परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं ने मसीह के बारे में बहुत सी बातों को कहा। उदाहरण के लिए, मलाकी ने कहा कि मसीह के आने से पहले एक अन्य भविष्यद्वक्ता आएगा। वह भविष्यद्वक्ता बहुत महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, यशायाह भविष्यद्वक्ता ने लिखा कि मसीह एक कुँआरी से जन्म लेगा। और मीका भविष्यद्वक्ता ने कहा कि मसीह बैतलहम नगर में जन्म लेगा।
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यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा कि मसीह गलील में रहेगा, वह खेदित मन के लोगों को शान्ति देगा और बंदियों के लिए स्वतंत्रता का और कैदियों को छुटकारा देगा | उसने यह भी भविष्यवाणी की थी , कि मसीह बीमारों को चंगा करेगा, तब अन्धे की आँखें खोली जाएगी, बहिरों के कान भी खोले जाएँगे, लंगड़े चलने लगेंगे, गूँगे बोल उठेंगे |
यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा कि मसीह गलील के क्षेत्र में वास करेगा। जो लोग बहुत दुःखी हैं मसीह उनको शान्ति देगा। वह कैदियों को भी स्वतंत्र करेगा। मसीह बीमारों को और जो सुन नहीं सकते, देख नहीं सकते, बोल नहीं सकते, या चल नहीं सकते उनको भी चंगा करेगा।
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यशायाह भविष्यद्वक्ता ने यह भी भविष्यवाणी की कि मसीह से लोग बिना कारण के बैर करेंगे और उसे अस्वीकार करेंगे | अन्य भविष्यद्वक्ताओं ने पहले से भविष्यवाणी की थी, कि जो लोग मसीह को मारने वाले होंगे वह उसके कपड़ों के लिए जुआ खेलेंगे और उसका परम मित्र उसे धोखा देगा | जकर्याह भविष्यवक्ता ने पहले से ही भविष्यवाणी की थी, कि मसीह का ही एक चेला उसे तीस चाँदी के सिक्कों के लिए धोखा देगा |
यशायाह भविष्यद्वक्ता ने यह भी कहा कि लोग मसीह से नफरत करेंगे और उसे स्वीकार करने से इंकार कर देंगे। अन्य भविष्यद्वक्ताओं ने कहा कि मसीह का एक साथी उसके विरुद्ध उठेगा। जकर्याह भविष्यद्वक्ता ने कहा कि उसका यह साथी ऐसा करने के लिए दूसरे लोगों से चाँदी के तीस सिक्के लेगा। इसके अलावा, कुछ भविष्यद्वक्ताओं ने कहा कि लोग मसीह को मार डालेंगे, और यह कि वे उसके वस्त्रों के लिए जुआ खेलेंगे।
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भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी बताया कि मसीह की मृत्यु कैसे होगी | यशायाह ने भविष्यवाणी की थी, कि लोग मसीह के ऊपर थूकेंगे, उसको ठट्ठों में उड़ाएँगे, और उसे मारेंगे | वे उसमें छेद करेंगे और वह गंभीर पीड़ा व कष्टों के द्वारा मारा जाएगा | परन्तु उसने कुछ भी गलत नहीं किया था |
भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी बताया कि मसीह कैसे मरेगा। यशायाह ने भविष्यद्वाणी की कि लोग मसीह पर थूकेंगे, उसका मजाक उड़ाएँगे, और उसे पीटेंगे। वे उसे छेद देंगे और वह बड़ी पीड़ा और यातना में मर जाएगा, जबकि उसने कुछ भी गलत नहीं किया होगा।
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भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी कहा कि मसीह निपुण होगा जिसने कोई पाप न किया होगा | वह अन्य लोगों के पापों के कारण मारा जाएगा | उसके दण्डित होने से परमेश्वर और लोगों के बीच में शान्ति स्थापित होगी | इस कारण से, यह परमेश्वर की इच्छा थी कि मसीह को दण्डित किया गया |
भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी बताया कि मसीह पाप नहीं करेगा। वह सिद्ध होगा। परन्तु वह इसलिए मरेगा परमेश्वर उसे अन्य लोगों के पापों के कारण दंडित करेगा। उसके मरने से लोग परमेश्वर के साथ मेल करने में सक्षम होंगे। इसीलिए परमेश्वर चाहता है कि मसीह मरे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-14.jpg)
भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी भविष्यवाणी की कि मसीह मारा जाएगा और परमेश्वर उसे मुर्दों में से जी उठाएगा | मसीह की मृत्यु और उसके जी उठने के माध्यम से, परमेश्वर अपनी योजना सिद्ध करेंगे और पापियों को बचाने के लिए नई वाचा का आरम्भ करेंगे |
भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी बताया कि परमेश्वर मसीह को मरे हुओं में से जीवित करेगा। यह दर्शाता है कि यह सब नई वाचा को बाँधने की परमेश्वर की योजना थी, ताकि वह उन लोगों को बचा सके जिन्होंने उसके विरुद्ध पाप किया है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-15.jpg)
परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं को मसीह के बारे में पहले से ही बहुत सी बाते बता दी थी, परन्तु मसीह इन में से किसी भी भविष्यद्वक्ता के समय के दौरान न आया | अंतिम भविष्यवाणी होने के लगभग चार सौ वर्षों के बाद, जब सही समय था, परमेश्वर ने मसीह को संसार में भेजा |
परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं पर मसीह के बारे में बहुत सी बातों को प्रकट किया, परन्तु मसीह उन भविष्यद्वक्ताओं में से किसी के भी जीवनकाल में नहीं आया था। इन भविष्यद्वाणियों के दिए जाने के 400 से अधिक वर्षों के बाद, सही समय पर, परमेश्वर मसीह को इस संसार में भेजेगा।
_बाइबिल की कहानी ली गई है : उत्पत्ति 3;15 ; 12 : 1-3 ; व्यवस्थाविवरण 18 ; 15 ; 2 शमूएल 7; यिर्मयाह 31; यिर्मयाह 31; यशायाह 59:16; 59:16; दानिय्येल 7; मालकी 4 : 5 ; 2 ; यशायाह 9 : 1-7 ; 35 : 3-5 ; 61 ; 53 भजन संहिता 22 ; 18 ; 35 ; 19 ; 69 : 4 ; 41 ; 19 ; जकर्याह 11 ; 12-13 ; यशायाह 50 : 6 ; भजन संहिता 16 : 10-11_
_उत्पत्ति 3:15; 12:1-3; व्यवस्थाविवरण 18:15; 2 शमूएल 7; यिर्मयाह 31; यशायाह 59:16; दानिय्येल 7; मलाकी 4:5; यशायाह 7:14; मीका 5:2; यशायाह 9:1-7; 35:3-5; 61; 53; भजन संहिता 22:18; 35:19; 69:4; 41:9; जकर्याह 11:12-13; यशायाह 50:6; भजन संहिता 16:10-11 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-01.jpg)
पहले के समय में परमेश्वर अपने लोगों से स्वर्गदूतों और भविष्यवक्ताओं के द्वारा बात करता था | परन्तु फिर चार सौ वर्ष बीत गए, जब तक उसने उनसे बात न की | अचानक एक स्वर्गदूत जकरयाह नामक वृद्ध याजक के पास परमेश्वर का संदेश लेकर आया | जकरयाह और उसकी पत्नी इलीशिबा वे दोनों परमेश्वर के सामने धर्मी थे, और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलने वाले थे | परन्तु इलीशिबा के कोई सन्तान नहीं हो सकती थी |
अतीत में, परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ताओं से बात की थी इसलिए वे लोगों से बात कर सके थे। परन्तु उस समय से लेकर फिर 400 वर्षों के बीतने तक उसने उनसे बात नहीं की। तब परमेश्वर ने जकर्याह नाम के याजक के पास एक स्वर्गदूत को भेजा। जकर्याह और उसकी पत्नी एलीशिबा परमेश्वर का आदर करते थे। वे बहुत बूढ़े हो गए थे, और उसके कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई थी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-02.jpg)
स्वर्गदूत ने जकरयाह से कहा, “तेरी पत्नी इलीशिबा तेरे लिए एक पुत्र जनमेगी | और तू उसका नाम यूहन्ना रखना | वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होगा, और लोगों का मन मसीह की ओर फेरेगा | जकरयाह ने स्वर्गदूत से कहा कि यह कैसे होगा, “क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ और मेरी पत्नी भी बूढी हो गई है | यह मैं कैसे जानूँ ?”
उस स्वर्गदूत ने जकर्याह से कहा, "तेरी पत्नी के एक पुत्र उत्पन्न होगा। तू उसका नाम यूहन्ना रखना। परमेश्वर उसे पवित्र आत्मा से परिपूर्ण करेगा, और यूहन्ना लोगों को मसीह को ग्रहण करने के लिए तैयार करेगा।" जकर्याह ने जवाब दिया, "मैं और मेरी पत्नी संतान उत्पन्न करने के लिए बहुत बूढ़े हैं! मैं कैसे जानूँ कि आप मुझसे सच कह रहे हैं?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-03.jpg)
स्वर्गदूत ने जकरयाह से कहा, “मैं परमेश्वर द्वारा तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूँ | तू मौन रहेगा और बोल न सकेगा, इसलिये क्योंकि तूने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी प्रतीति न की |” तुरन्त ही, जकरयाह गूंगा हो गया | तब स्वर्गदूत जकरयाह के पास से चला गया | इसके बाद, जकरयाह घर चला गया और उसकी पत्नी गर्भवती हुई |
उस स्वर्गदूत ने जकर्याह को जवाब दिया, "तेरे पास इस शुभ संदेश को लाने के लिए मैं परमेश्वर के द्वारा भेजा गया हूँ। क्योंकि तूने मुझ पर विश्वास नहीं किया, इसलिए बच्चे के जन्म लेने तक तू बोलने में सक्षम नहीं होगा।" तुरन्त ही, जकर्याह बोलने में असमर्थ था। तब वह स्वर्गदूत जकर्याह के पास से चला गया। इसके बाद, जकर्याह घर लौट आया और उसकी पत्नी गर्भवती हुई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-04.jpg)
जब इलीशिबा छ: माह गर्भवती थी, वहीं स्वर्गदूत इलीशिबा की कुटुम्बी मरियम के पास गया | वह एक कुँवारी थी जिसकी मंगनी यूसुफ नामक पुरुष के साथ हुई थी | स्वर्गदूत ने उससे कहा, “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा |” “तू उसका नाम यीशु रखना | वह महान होगा और परम प्रधान का पुत्र कहलाएगा और हमेशा के लिए राज्य करेगा |”
जब एलीशिबा छः महीने की गर्भवती थी, तो वही स्वर्गदूत अचानक से एलीशिबा की रिश्तेदार पर प्रकट हुआ, जिसका नाम मरियम था। मरियम कुँवारी थी और विवाह होने के लिए यूसुफ नाम के पुरुष के साथ उसकी मंगनी हो चुकी थी। स्वर्गदूत ने कहा, "तू गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी। तुझे उसका नाम यीशु रखना है। वह सर्व-शक्तिमान परमेश्वर का पुत्र होगा और सदा के लिए शासन करेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-05.jpg)
मरियम ने स्वर्गदूत से कहा कि, “यह कैसे होगा, मैं तो एक कुँवारी हूँ?” स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी | इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा |” जो कुछ स्वर्गदूत ने मरियम से कहा, उसने उस पर विश्वास किया |
मरियम ने जवाब दिया, "यह कैसे होगा, क्योंकि मैं तो कुँवारी हूँ?" उस स्वर्गदूत ने समझाया, "पवित्र आत्मा तुझ पर आएगा, और परमेश्वर की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी। इसलिए वह शिशु पवित्र होगा, और वह परमेश्वर का पुत्र होगा।" जो उस स्वर्गदूत ने कहा उस पर मरियम ने विश्वास किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-06.jpg)
स्वर्गदूत ने मरियम से बात की, उसके कुछ समय बाद वह इलीशिबा से भेंट करने को गई | ज्योंही इलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, त्योंही बच्चा उसके पेट में उछला | वह स्त्रियाँ आनन्दित होने लगी, उस अनुग्रह के लिए जो परमेश्वर ने उनके ऊपर किया | तीन महीने तक इलीशिबा से भेंट करने के बाद, मरियम घर लौट आई |
यह होने के तुरन्त बाद, मरियम ने जाकर एलीशिबा से भेंट की। जैसे ही मरियम ने उसे नमस्कार किया, एलीशिबा का शिशु उसके भीतर उछला। उनके लिए परमेश्वर ने जो किया था उसके बारे में वे स्त्रियाँ एक साथ आनन्दित हुईं। एलीशिबा के साथ तीन महीने रहने के बाद, मरियम घर लौट गई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-07.jpg)
तब इलीशिबा के प्रसव का समय पूरा हुआ, और उसने पुत्र को जन्म दिया, जकरयाह और इलीशिबा ने उस पुत्र का नाम यूहन्ना रखा, जैसा कि स्वर्गदूत ने उनसे कहा था | तब परमेश्वर ने जकरयाह को अनुमति दी और वह फिर से बोलने लगा | तब जकरयाह ने कहा कि, “प्रभु परमेश्वर धन्य हो, क्योंकि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की और उनका छुटकारा किया है | और तू हे बालक, परमप्रधान का भविष्यद्वक्ता कहलाएगा क्योंकि तू प्रभु का मार्ग तैयार करने के लिए उसके आगे आगे चलेगा, कि उसके लोगों को उद्धार का ज्ञान दे, जो उनकी पापों की क्षमा से प्राप्त होता है |
इसके बाद, एलीशिबा ने अपने बालक को जन्म दिया। जकर्याह और एलीशिबा ने उस बालक का नाम यूहन्ना रखा, जैसा कि उस स्वर्गदूत ने आदेश दिया था। तब परमेश्वर ने जकर्याह को बोलने में सक्षम किया। जकर्याह ने कहा, "परमेश्वर की स्तुति हो, क्योंकि उसने अपने लोगों की सहायता करने को स्मरण रखा है! हे मेरे पुत्र, तू सर्व-शक्तिमान परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता होगा। तू लोगों को बताएगा कि वे कैसे अपने पापों के लिए क्षमा प्राप्त कर सकते हैं! "
_बाइबिल की कहानी में: लूका 1_
_लूका अध्याय 1 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-01.jpg)
मरियम की मंगनी एक यूसुफ नामक एक धर्मी पुरुष से हुई | जब यूसुफ को यह पता चला कि मरियम गर्भवती है, और जो उसके गर्भ में है वह उसका बालक नहीं है, अत: यूसुफ ने जो धर्मी था और उसको बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया | जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई दिया |
यूसुफ नाम के एक धर्मी व्यक्ति के साथ मरियम की मंगनी हो चुकी थी। जब उसने सुना कि मरियम गर्भवती है तो वह जानता था कि वह उसका बच्चा नहीं है। परन्तु, वह मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था, इसलिए उसने उस पर कृपा करने की और उसे चुपचाप तलाक देने की सोची। परन्तु इससे पहले कि वह ऐसा करता, एक स्वर्गदूत ने उसके स्वप्न में आकर उससे बात की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-02.jpg)
स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे यूसुफ ! तू अपनी पत्नी मरियम को यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है | वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना (जिसका अर्थ है, ‘यहोवा बचाता है’ )क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा |”
उस स्वर्गदूत ने कहा, "हे यूसुफ, मरियम को अपनी पत्नी के रूप में लेकर आने से मत डर। उसके भीतर जो बच्चा है वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह एक पुत्र को जन्म देगी। उसका नाम यीशु रखना (जिसका अर्थ है, 'यहोवा बचाता है'), क्योंकि वह लोगों को उनके पापों से बचाएगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-03.jpg)
यूसुफ ने मरियम से विवाह किया और अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया, और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया |
अतः यूसुफ ने मरियम से विवाह किया और उसे अपनी पत्नी के रूप में घर ले आया, परन्तु उसके बच्चे को जन्म देने तक वह उसके साथ नहीं सोया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-04.jpg)
जब मरियम के जनने के दिन पूरे हुए, रोमन साम्राज्य ने कहा कि सब लोग नाम लिखवाने के लिए अपने अपने नगर को जाए | अत: यूसुफ और मरियम भी एक लम्बी यात्रा तय करके नासरत को गए, क्योंकि यूसुफ दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया |
जब मरियम के जन्म देने का समय निकट था, तो उसने और यूसुफ ने बैतलहम जाने की एक लंबी यात्रा की। उनको वहाँ जाना ही था क्योंकि रोमी अधिकारी इस्राएल में रहने वाले सभी लोगों की गिनती करना चाहते थे। वे चाहते थे कि सभी लोग वहाँ जाएँ जहाँ उनके पूर्वज रहते थे। राजा दाऊद का जन्म बैतलहम में हुआ था, और वह मरियम और यूसुफ दोनों का पूर्वज था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-05.jpg)
जब वह बैतलहम में पहुँचे, तो उनके वहाँ रहने के लिए जगह न थी | उन्हें केवल वह जगह मिली जहाँ पशु रहते थे | उस बालक का जन्म वहाँ हुआ, जहाँँ पशुओं को चराया जाता था, और उसकी माता के लिए वहाँ कोई पलंग न था | उन्होंने उसका नाम यीशु रखा |
मरियम और यूसुफ बैतलहम गए, परन्तु वहाँ जानवरों को रखने वाले स्थान के अलावा उनके ठहरने के लिए कोई स्थान नहीं था। वही स्थान था जहाँ मरियम ने अपने बच्चे को जन्म दिया। उसने उसे चरनी में लिटाया क्योंकि वहाँ उसके लिए कोई बिस्तर नहीं था। उन्होंने उसका नाम यीशु रखा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-06.jpg)
और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे | अचानक, एक चमकता स्वर्ग दूत उन्हें दिखाई दिया , और वह बहुत डर गए | तब स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूँ, कि आज बैतलहम नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है |”
उस रात, वहाँ पास ही के खेत में कुछ चरवाहे अपने भेड़ों के झुंड की रखवाली कर रहे थे। अचानक से, एक चमकदार स्वर्गदूत उन पर प्रकट हुआ, और वे डर गए। उस स्वर्गदूत ने कहा, "मत डरो, क्योंकि मेरे पास तुम्हारे लिए शुभ संदेश है। बैतलहम में मसीह, प्रभु का जन्म हुआ है!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-07.jpg)
“और इसका तुम्हारे लिये यह पता होगा कि तुम एक बालक को कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे |” तब एकाएक स्वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो |”
जाकर उस बालक की खोज करो, और तुम उसे कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में लेटा हुआ पाओगे।" अचानक से, आकाश स्वर्गदूतों से भर गया। वे परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे। उन्होंने कहा, "सारी महिमा स्वर्ग में विराजमान परमेश्वर को मिले। पृथ्वी पर उन लोगों में शान्ति हो जिनकी वह चिन्ता करता है!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-08.jpg)
तब गड़ेरियेे बैतलहम को गए जहाँ यीशु का जन्म हुआ था, और उन्होंने तुरन्त जाकर मरियम और यूसुफ को, और चरनी में उस बालक को पड़ा देखा, उन्होंने वैसा ही पाया जैसा स्वर्गदूतों ने उनसे कहा था | वे बहुत उत्साहित थे | और मरियम भी बहुत आनन्दित थी | और गड़ेरिये जैसा उनसे कहा गया था, वैसा ही सब सुनकर और देखकर परमेश्वर की महिमा और स्तुति करते हुए लौट गए |
तब स्वर्गदूत चले गए। वे चरवाहे भी अपनी भेड़ों को छोड़ कर बालक को देखने गए। शीघ्र ही वे उस स्थान पर पहुँचे जहाँ यीशु था और उन्होंने उसे चरनी में लेटा हुआ पाया, जैसा कि उस स्वर्गदूत ने कहा था। वे बहुत उत्साहित थे। तब वे चरवाहे वापिस वहाँ लौट गए जहाँ उनकी भेड़ें थीं। उन्होंने जो कुछ भी सुना और देखा उस सब के लिए वे परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-09.jpg)
कुछ समय बाद ज्योतिषियों ने पूर्व में एक तारा देखा | इससे उन्होंने जाना कि, यहूदियों का नया राजा उत्पन्न हुआ है | और वे एक लम्बी दूरी तय करके उस राजा को देखने गए | वह बैतलहम को गए, और उस घर में पहुँचे जहाँ यीशु और उसके माता पिता रह रहे थे |
पूर्व में दूर एक देश में कुछ पुरुष थे। उन्होंने सितारों का अध्ययन किया था और वे बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने एक असामान्य सितारे को आकाश में देखा। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि यहूदियों के एक नए राजा का जन्म हुआ है। इसलिए उन्होंने उस बालक को देखने के लिए अपने देश से यात्रा करने का निर्णय किया। एक लंबी यात्रा के बाद, वे बैतलहम आए और उस घर को पाया जहाँ यीशु और उसके माता-पिता ठहरे हुए थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-10.jpg)
उन्होंने उस घर में पहुँचकर उस बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा, और उन्होंने मुँँह के बल गिरकर बालक को प्रणाम किया | उन्होंने यीशु को बहुमूल्य उपहार दिए | तब वह घर लौट गए |
जब इन पुरुषों ने यीशु को अपनी माँ के साथ देखा तो उन्होंने घुटने टेक कर उसकी आराधना की। उन्होंने यीशु को कीमती उपहार दिए। फिर वे घर वापिस लौट गए।
_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 1; लूका 2_
_मत्ती अध्याय 1; लूका 2 से एक बाइबल की कहानी_

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# 24. यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया
# 24. यूहन्ना यीशु को बपतिस्मा देता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-01.jpg)
यूहन्ना, जो जकरयाह और इलीशिबा का पुत्र था, वह बड़ा होकर एक नबी बन गया | वह जंगल में रहता था, और ऊँट के रोम का वस्त्र पहिने हुए था और अपनी कमर में चमड़े का कटिबन्द बाँधे रहता था तथा टिड्डिया और वनमधु खाया करता था |
एलीशिबा और जकर्याह का पुत्र यूहन्ना, बड़ा होकर एक भविष्यद्वक्ता बन गया। वह जंगल में रहा करता था, और जंगली शहद और टिड्डियाँ खाया करता था, और ऊँट के रोम से बने कपड़े पहना करता था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-02.jpg)
बहुत से आस पास के लोग यूहन्ना को सुनने के लिए बाहर निकल आए | यूहन्ना ने उनसे कहा, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है !”
बहुत से लोग यूहन्ना की बातें सुनने के लिए जंगल में निकल आए। उसने यह कह कर उनको प्रचार किया, "पश्चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-03.jpg)
जब उन लोगों ने यूहन्ना का संदेश सुना, उन्होंने अपने-अपने पापों को मानकर, बपतिस्मा लिया, बहुत से धर्मी याजक यूहन्ना से बपतिस्मा लेने को आए, परन्तु उन्होंने अपने पापों का अंगीकार न किया |
जब लोगों ने यूहन्ना के संदेश को सुना, तो उनमें से बहुतों ने अपने पापों से पश्चाताप किया, और यूहन्ना ने उनको बपतिस्मा दिया। यूहन्ना को देखने लिए बहुत से धार्मिक अगुवे भी आए, परन्तु उन्होंने अपने पापों का पश्चाताप या अंगीकार नहीं किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-04.jpg)
यूहन्ना ने उन धार्मिक याजकों से कहा, “हे जहरीले साँपो ! मन फिराओं और व्यवहार बदलो, जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है |” यूहन्ना न वह पूरा किया जो यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक में लिखा था, “देख मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ, जो तेरे लिए मार्ग सुधारेगा |”
यूहन्ना ने धार्मिक अगुवों से कहा, "हे जहरीले साँपों! पश्चाताप करो और अपने व्यवहार को बदलो। परमेश्वर हर उस पेड़ को काट डालेगा जो अच्छा फल नहीं लाता, और वह उनको आग में झोंक देगा।" जो भविष्यद्वक्ताओं ने कहा था यूहन्ना ने उसे पूरा किया, "देख, शीघ्र ही मैं तेरे आगे अपने संदेशवाहक को भेजूँगा जो तेरे लिए मार्ग को तैयार करेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-05.jpg)
कुछ यहूदियों ने यूहन्ना से पूछा कि क्या वह मसीह है | यूहन्ना ने कहा, “मैं मसीह नहीं हूँ, वह मेरे बाद आने वाला है, और जो मेरे बाद आने वाला है वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं |”
कुछ धार्मिक अगुवों ने यूहन्ना से पूछा कि क्या वह मसीह है। यूहन्ना ने जवाब दिया, "मैं मसीह नहीं हूँ, परन्तु वह मेरे बाद आ रहा है। वह इतना महान है कि मैं उसके जूतों के फीते खोलने के भी योग्य नहीं हूँ।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-06.jpg)
अगले दिन, यीशु यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने को आया | जब यूहन्ना ने उसे देखा, तो कहा, “देख ! यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो संसार के पापों को दूर ले जाएगा |”
अगले दिन, यीशु बपतिस्मा लेने के लिए यूहन्ना के पास आया। जब यूहन्ना ने उसे देखा, तो उसने कहा, "देखो! परमेश्वर का मेमना जो संसार के पापों को उठा कर ले जाएगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-07.jpg)
यूहन्ना ने यीशु से कहा, “मैं इस योग्य नहीं कि तुझे बपतिस्मा दूँँ | मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्कता है |” यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “तुझे मुझको बपतिस्मा देना चाहिए क्योंकि यह उचित बात है |” तो यहून्ना ने उनको बपतिस्मा दिया, यीशु ने कभी पाप नहीं किया था |
यूहन्ना ने यीशु से कहा, "मैं तुझे बपतिस्मा देने के योग्य नहीं हूँ। बजाए इसके आवश्यक है कि तू मुझे बपतिस्मा दे।" परन्तु यीशु ने कहा, "तुझे मुझे बपतिस्मा देना चाहिए, क्योंकि करने के लिए सही काम यही है।" अतः यूहन्ना ने उसे बपतिस्मा दिया, जबकि यीशु ने कभी पाप नहीं किया था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-08.jpg)
और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और उसने परमेश्वर की आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा | उसी समय, यह आकाशवाणी हुई : “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से अत्यन्त प्रसन्न हूँ |”
बपतिस्मा दिए जाने के बाद जब यीशु पानी से निकल कर बाहर आया, तो परमेश्वर का आत्मा कबूतर के रूप में प्रकट हुआ और नीचे आकर उस पर ठहर गया। उसी समय, परमेश्वर ने स्वर्ग से बात की। उसने कहा, "तू मेरा पुत्र है। मैं तुझसे प्रेम करता हूँ, और मैं तुझसे बहुत प्रसन्न हूँ।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-09.jpg)
परमेश्वर ने यूहन्ना से कहा था कि, “पवित्र आत्मा नीचे किसी एक पर उतरेगा जिसे तू बपतिस्मा देगा | वह परमेश्वर का पुत्र है |” केवल एक ही परमेश्वर है | परन्तु जब यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया, उसने पिता परमेश्वर को कहते सुना, पुत्र परमेश्वर को देखा, और पवित्र आत्मा को भी देखा |
परमेश्वर ने यूहन्ना से कहा था, "पवित्र आत्मा नीचे आकर किसी पर ठहर जाएगा जिसे तू बपतिस्मा देगा।" वही परमेश्वर का पुत्र है परमेश्वर एक ही है। परन्तु जब यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया, तो उसने परमेश्वर पिता को बातें करते सुना, पुत्र परमेश्वर को देखा, जो कि यीशु है, और उसने पवित्र आत्मा को देखा।
_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 3; मरकुस 1:9-11; लूका 3:1-23_
_मत्ती अध्याय 3; मरकुस 1:9-11; लूका 3:1 से एक बाइबल की कहानी_

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# 25. शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा
# 25. शैतान यीशु की परीक्षा करता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-01.jpg)
तुरन्त ही यीशु के बपतिस्मा लेने के बाद, आत्मा ने यीशु को जंगल की ओर भेजा जहाँ उन्होंने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया तब शैतान यीशु से पाप कराने के लिये उनकी परीक्षा करने आया |
यीशु का बपतिस्मा होने के तुरन्त बाद ही, पवित्र आत्मा उसे जंगल में ले गया। यीशु वहाँ चालीस दिन और चालीस रात था। उस समय उसने उपवास किया, और शैतान ने यीशु के पास आकर पाप करवाने के लिए उसकी परीक्षा की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-02.jpg)
शैतान ने यीशु की परीक्षा यह कहते हुए करी, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो कह दे, कि यह पत्थर रोटियाँ बन जाएँ तब तुम इसे खा सकते हो !”
पहले, शैतान ने यीशु से कहा, "यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो इन पत्थरों को रोटी बना दे ताकि तू खा सके!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-03.jpg)
यीशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर के वचन में लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा !’”
परन्तु यीशु ने शैतान से कहा, "परमेश्वर के वचन में यह लिखा है, 'जीवित रहने के लिए मनुष्य को केवल रोटी की आवश्यकता नहीं है, परन्तु उनको हर उस बात की आवश्यकता है जो परमेश्वर उनसे कहता है!'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-04.jpg)
तब शैतान यीशु को मंदिर के ऊचे स्थान पर ले गया और उससे कहा, “ यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है: ‘वह तेरे लिये अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे | कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे |"
तब शैतान यीशु के मंदिर के सबसे ऊँचे सिरे पर ले गया। उसने उससे कहा, "यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो यहाँ से नीचे कूद जा, क्योंकि लिखा है, 'परमेश्वर तुझे उठाने के लिए अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा कि तेरे पाँवों पर पत्थर से ठेस न लगे।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-05.jpg)
यीशु ने उसे पवित्रशास्त्र से उत्तर दिया, उसने कहा, “परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना |’”
परन्तु यीशु ने वह नहीं किया जो शैतान ने उससे करने के लिए कहा था। इसके बजाए, उसने कहा, "परमेश्वर हर एक से कहता है, 'तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-06.jpg)
फिर शैतान ने यीशु को जगत के सारे राज्य और उसका वैभव दिखाकर उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा |”
फिर शैतान ने उसे संसार के सारे राज्य दिखाए। उसने उसे दिखाया कि वे कितने शक्तिशाली थे, और वे कितने सम्पन्न थे। उसने यीशु से कहा, "मैं तुझे यह सब दूँगा यदि तू घुटने टेक कर मेरी उपासना करे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-07.jpg)
तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा ! परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर |’”
यीशु ने जवाब दिया, "हे शैतान, मेरे पास से चला जा! परमेश्वर के वचन में वह लोगों को आदेश देता है, 'केवल अपने प्रभु परमेश्वर की आराधना करो। परमेश्वर के रूप में केवल उसी का आदर करो।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-08.jpg)
यीशु शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया, तब स्वर्गदूत आए और यीशु की सेवा करने लगे |
यीशु ने शैतान की परीक्षा से हार नहीं मानी, इसलिए शैतान उसके पास से चला गया। तब स्वर्गदूत आकर यीशु की सेवाटहल करने लगे।
_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 4:1-11; मरकुस 1:12-13; लूका 4:1-13_
_मत्ती अध्याय 4:1-11; मरकुस 1:12-13; लूका 4:1-13 से एक बाइबल की कहानी_

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@ -1,43 +1,43 @@
# 26. यीशु ने अपनी सेवकाई शुरू की
# 26. यीशु अपनी सेवा आरम्भ करता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-01.jpg)
शैतान की परीक्षा पर जय पाने के बाद, यीशु जहाँ वह रहते थे गलील के क्षेत्र के लिए पवित्र आत्मा की शक्ति में लौट आए। यीशु शिक्षण के लिए जगह -जगह गया। सबने उसके बारे में अच्छी तरह से बात की |
शैतान की परीक्षाओं का इंकार करने के बाद, यीशु वापिस गलील के क्षेत्र में आया। यही वह स्थान है जहाँ वह रहता था। पवित्र आत्मा उसे बहुत सामर्थ दे रहा था, और यीशु एक स्थान से दूसरे स्थान को गया और लोगों को शिक्षा दी। सभी ने उसके बारे में अच्छी बातें कहीं।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-02.jpg)
यीशु नासरत शहर के पास गया, जहाँँ उसने अपना बचपन बिताया था | सब्त के दिन वह आराधना करने के स्थान पर गया | उसे यशायाह नबी की पुस्तक दी गयी कि वह उसमे से पढ़े | यीशु ने पुस्तक खोल दी और लोगों को इसके बारे में पढ़कर सुनाया |
यीशु नासरत नगर में गया। यह वह गाँव है जहाँ वह अपने बचपन में रहा करता था। सब्त के दिन, वह आराधना करने के स्थान पर गया। अगुवों ने उसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के संदेशों की एक पुस्तक दी। वे चाहते थे कि वह उसमें से पढ़े। अतः यीशु ने उस पुस्तक को खोल कर उसके एक भाग को लोगों के लिए पढ़ा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-03.jpg)
यीशु ने पढ़ा, “ प्रभु की आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिए अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टी पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओ को मुक्त करूँ | यह प्रभु के कृपा का वर्ष है |”
यीशु ने पढ़ा, "परमेश्वर ने मुझे अपना आत्मा दिया है ताकि मैं कंगालों में सुसमाचार प्रचार कर सकूँ। उसने मुझे इसलिए भेजा है कि कैदियों को स्वतंत्र करूँ, अंधों को फिर से दृष्टि प्रदान करूँ, और उनको छुटकारा दूँ जिनको दूसरे लोग कुचल रहे हैं। यह वह समय है जब परमेश्वर हम पर कृपालु होगा और हमारी सहायता करेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-04.jpg)
तब यीशु बैठ गया | हर कोई उसे ध्यान से देख रहा था | वे जानते थे कि वह लेख मसीहा के बारे में था | यीशु ने उनसे कहा, “ आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है” | सभी लोग चकित थे। और कहने लगे कि “ क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं है?”
फिर यीशु बैठ गया। सब लोग उसे बड़े ध्यान से देख रहे थे। वे जानते थे कि पवित्रशास्त्र का जो भाग उसने अभी पढ़ा था वह मसीह के बारे में था। यीशु ने कहा, "जो बातें मैंने अभी तुम्हारे लिए पढ़ी हैं, वे इस समय घटित हो रही हैं।" सब लोग चकित थे। उन्होंने कहा, "क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-05.jpg)
तब यीशु ने कहा, कि यह सच है कि कोई भविष्यद्वक्ता अपने देश में मान-सम्मान नहीं पाता | एलिय्याह नबी के समय , इस्राएल में कई विधवाए थी। परन्तु जब साढ़े तीन वर्ष तक आकाश बन्द रहा, परमेश्वर ने एलिय्याह को इस्राएल की विधवा के बजाये एक अन्य देश की विधवा की सहायता करने के लिए भेजा |”
तब यीशु ने कहा, "यह सच है कि लोग किसी ऐसे भविष्यद्वक्ता को कभी स्वीकार नहीं करते जो उनके नगर में पला-बढ़ा हो। एलिय्याह भविष्यद्वक्ता के समय में, इस्राएल में बहुत सी विधवाएँ थीं। परन्तु जब साढ़े तीन वर्ष तक बारिश नहीं हुई तो परमेश्वर ने एलिय्याह को इस्राएल में किसी विधवा की सहायता करने के लिए नहीं भेजा। इसके बजाए, उसने एलिय्याह को किसी अन्य देश की विधवा के पास भेजा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-06.jpg)
यीशु ने कहना जारी रखा,और एलीशा भविष्यद्वक्ता के समय इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे, और ऐसे भी थे जिन्हें त्वचा रोग था | लेकिन एलीशा ने उनमें से किसी को भी ठीक नहीं किया, उसने केवल इस्राएल के दुश्मनों के एक सेनापति, नामान के त्वचा रोग को चंगा किया।” जब उन्होंने उसे यह कहते सुना, तो वह उस पर क्रोधित हुए |
यीशु ने कहना जारी रखा, "और एलीशा भविष्यद्वक्ता के समय में, इस्राएल में बहुत से लोग चर्म रोग से पीड़ित थे। परन्तु एलीशा ने उनमें से किसी को भी चंगा नहीं किया। उसने केवल इस्राएल के शत्रुओं के सेनापति नामान को चंगा किया।" परन्तु जो लोग यीशु को सुन रहे थे वे यहूदी थे। इसलिए जब उन्होंने उसे यह कहते हुए सुना तो वे उस पर क्रोधित हुए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-07.jpg)
नासरत के लोगों ने आराधना के स्थान से यीशु को बाहर घसीटा और उसे मारने की मनसा से चट्टान के किनारे ले आए, कि उसे वहाँ से नीचे गिरा दें | पर वह उन के बीच में से निकलकर चला गया और उसने नासरत शहर छोड़ दिया |
नासरत के लोगों ने यीशु को पकड़ लिया और उसे आराधना के स्थान से घसीट कर बाहर ले गए। वे उसे मार डालने के लिए नीचे फेंकने को एक चट्टान के सिरे पर ले गए। परन्तु यीशु भीड़ में से निकल गया और नासरत नगर को छोड़ कर चला गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-08.jpg)
फिर यीशु गलील के पूरे क्षेत्र में होकर फिरने लगा, और बड़ी भीड़ उसके पास आई। वह यीशु के पास बहुत से लोगों को लाए जो अनेक बीमारियों से पीड़ित थे, उनमें विकलांग थे, और वे लोग थे, जो बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे और इन सभी को यीशु ने चंगा किया |
फिर यीशु सारे गलील के क्षेत्र में गा, और बड़ी भीड़ उसके पास आई। वे ऐसे बहुत से लोगों को लेकर आए जो बीमार और विकलांग थे। उनमें से कुछ देख, चल, सुन या बोल नहीं सकते थे, और यीशु ने उनको चंगा किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-09.jpg)
बहुत से लोग जिनमें दुष्ट-आत्मा थी, उन्हें यीशु के पास लाया गया | यीशु की आज्ञा पर अक्सर दुष्ट-आत्माएँ यह चिल्लाते हुए बाहर निकलती थी कि, “तुम परमेश्वर के पुत्र हों!” भीड़ चकित थी, और परमेश्वर की आराधना करने लगी |
इसके अलावा, बहुत से ऐसे लोग यीशु के पास लाए गए जिनमें दुष्टात्माएँ थीं। यीशु ने दुष्टात्माओं को उनमें से निकल जाने का आदेश दिया। वे दुष्टात्माएँ अक्सर चिल्लाईं, "तू परमेश्वर का पुत्र है!" भीड़ के लोग चकित थे, और उन्होंने परमेश्वर की स्तुति की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-10.jpg)
फिर यीशु ने बारह लोगों को चुना, जो कि प्रेरित कहलाए | प्रेरित यीशु के साथ-साथ चलते थे और वह यीशु से सीखते थे |
फिर यीशु ने बारह पुरुषों को चुना जिनको उसने अपने प्रेरित कहा। उन प्रेरितों ने उसके साथ यात्राएँ की और उससे शिक्षा प्राप्त की।
_यह कहानी ली गयी है : मती 4 : 12-25 , मरकुस 1 : 14-15 , 35-39 , 3 : 13-21 , लुका 4 : 14-30 , 38-44_
_मत्ती अध्याय 4:12-25; मरकुस 1:14-15, 35-39; 3:13-21; लूका 4:14-30, 38-44 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-01.jpg)
एक दिन, यहूदी धर्म में निपुण एक व्यवस्थापक यीशु के पास उसकी परीक्षा लेने के लिए आया, और कहने लगा, “हे गुरु अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं?” यीशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर की व्यवस्था में क्या लिखा है?
एक दिन, यहूदी व्यवस्था का एक विशेषज्ञ यीशु के पास आया। वह सब को यह दिखाना चाहता था कि यीशु गलत रीति से शिक्षा दे रहा था। इसलिए उसने कहा, "हे गुरु, अनन्त जीवन पाने के लिए मैं क्या करूँ?" यीशु ने जवाब दिया, "परमेश्वर की व्यवस्था में क्या लिखा है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-02.jpg)
व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, “तू अपने परमेश्वर से अपने सारे ह्रदय, आत्मा, शक्ति और ,मन से प्रेम रखना | और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना |” यीशु ने उत्तर दिया, “तुम सही हो”| “यह करो तो, तुम जीवित रहोगे”
उस व्यक्ति ने कहा, "वह कहती है कि अपने परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण, सामर्थ, और बुद्धि से प्रेम रख। और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।" यीशु ने जवाब दिया, "तू एकदम सही है! यदि तू ऐसा करे, तो तुझे अनन्त जीवन प्राप्त होगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-03.jpg)
परन्तु व्यवस्थापक ने अपने आप को धर्मी ठहराने की इच्छा से यीशु से पूछा, “तो मेरा पड़ोसी कौन है?”
परन्तु वह व्यवस्था का विशेषज्ञ लोगों को दिखाना चाहता था कि उसका जीवन जीने का तरीका सही था। इसलिए उसने यीशु से पूछा, "ठीक है, तो मेरा पड़ोसी कौन है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-04.jpg)
यीशु ने उत्तर दिया एक कहानी बताते हुए | “एक यहूदी मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था |”
यीशु ने उस व्यवस्था के विशेषज्ञ को एक कहानी बताने के द्वारा जवाब दिया। "एक यहूदी व्यक्ति था जो एक सड़क से होकर यरूशलेम से यरीहो की यात्रा कर रहा था।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-05.jpg)
“जब वह यहूदी मनुष्य यात्रा कर रहा था, तो डाकूओ के एक समूह ने उस पर हमला कर दिया | उन्होंने उसके पास जो कुछ भी था, सब कुछ छीन लिया, और उसे तब तक मारा जब तक कि वह लगभग मर न गया | फिर वह दूर चले गए |”
"परन्तु कुछ डाकुओं ने उसे देखा और उस पर हमला कर दिया। उन्होंने उसका सब कुछ ले लिया और उसे लगभग मरने तक मारा-पीटा। तब वे चले गए।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-06.jpg)
“जल्द ही उसके बाद, ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक यहूदी याजक जा रहा था | जैसे ही उस धार्मिक अगुवे ने देखा कि सड़क पर एक मनुष्य को लूटा और मारा गया है, वह सड़क की दूसरी ओर चला गया | यह जानते हुए भी कि उस मनुष्य को मदद की जरुरत है, उसे अनदेखा कर दिया, और आगे बढ़ गया |”
"उसके तुरन्त बाद, एक यहूदी याजक उसी सड़क से होकर गुजरा। उस याजक ने उस व्यक्ति को सड़क पर पड़ा हुआ देखा। जब उसने उसे देखा तो वह सड़क की दूसरी ओर जाकर आगे बढ़ गया। उसने उस व्यक्ति को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-07.jpg)
“उसके बाद जल्द ही, एक लेवी उस जगह पर आया. (लेवी यहूदियों का एक गोत्र है जो मंदिर में पुरोहितों की मदद करते थे।) लेवी ने भी उस व्यक्ति को जिसे मारा और लूटा गया था, उसे देख कर अनदेखा कर दिया और सड़क की दूसरी ओर चला गया |”
"इसके बाद कुछ ही समय बीतने पर, एक लेवी उस सड़क पर आया। (लेवी यहूदियों का एक गोत्र था जिन्होंने मंदिर में याजकों की सहायता की थी।) वह लेवी भी सड़क की दूसरी ओर से निकल गया। उसने भी उस व्यक्ति को अनदेखा कर दिया।"
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“अगला मनुष्य जो वहाँ से जा रहा था वह एक सामरी था | (सामरी यहूदियों के वंश के थे, जिन्होंने अन्य राष्ट्र के लोगों से विवाह करा था | सामरी और यहूदियों को एक दूसरे से नफरत थी।) सामरी व्यक्ति ने जब यहूदी व्यक्ति को देखा तो उसे देखकर तरस खाया | अत: उसने उसके पास जाकर उसके घावों पर पट्टी बाँँधी |”
"अगला जन जो उस सड़क पर आया वह सामरिया का एक पुरुष था। (सामरी और यहूदी एक दूसरे से नफरत करते थे।) उस सामरी ने सड़क पर उस व्यक्ति को देखा। उसने देखा कि वह यहूदी था, परन्तु फिर भी उसने उस पर बड़ा तरस खाया। अतः वह उसके पास गया और उसके घावों पर पट्टियाँ बाँधीं।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-09.jpg)
“सामरी व्यक्ति ने उस घायल व्यक्ति को अपने गधे पर लाध लिया और उसे सड़क के पार एक सराय में ले गया जहाँ उसकी देख-भाल की |”
"फिर उस सामरी ने उस व्यक्ति को अपने गधे पर डाला और उसे उस सड़क से एक सराय में ले गया। जहाँ पर उसने उसकी देखभाल करना जारी रखा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-10.jpg)
“अगले दिन सामरी व्यक्ति को अपनी यात्रा जारी रखनी थी | सामरी व्यक्ति ने सराय के मालिक को कुछ पैसे दिए और कहा कि वह इस घायल व्यक्ति का ख्याल रखे, और यदि देख-रेख में इससे ज्यादा खर्चा हुआ तो वह वापस आते समय वह पैसे भी चुका देगा |’”
अगले दिन, उस सामरी को अपनी यात्रा को जारी रखने की आवश्यकता थी। उसने उस सराय के प्रभारी व्यक्ति को कुछ धन दिया। उसने उससे कहा, "इस व्यक्ति की देखभाल करना। यदि इस धन के अलावा तेरा कुछ और धन खर्च हो तो वापिस आने पर मैं तेरे उन खर्चो का भुगतान कर दूँगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-11.jpg)
तब यीशु ने व्यवस्थापक से पूछा, “ तुम्हें क्या लगता है कि जो डाकुओं में घेरा गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?” उसने उत्तर दिया, “ वही जिसने उस पर दया की |” यीशु ने उससे कहा, “जा तू भी ऐसा ही कर |”
फिर यीशु ने उस व्यवस्था के विशेषज्ञ से पूछा, "तुम क्या सोचते हो? इन तीन लोगों में से कौन उस व्यक्ति का पड़ोसी है जिसे लूटा और पीटा गया था?" उसने जवाब दिया, "वही जो उस पर कृपालु था।" यीशु ने उससे कहा, "तू जा और ऐसा ही कर।"
_बाइबिल की कहानी में : लूका 10:25-37_
_लूका अध्याय 10:25-37 से एक बाइबल की कहानी_

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# 28. अमीर युवा शासक
# 28. धनी जवान शासक
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-01.jpg)
एक दिन, एक आमिर युवा शासक यीशु के पास आया और उनसे पूछा कि “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मै क्या करूँ?” यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे ‘उत्तम’ क्यों कहता है? जो उत्तम है वह केवल एक ही है, और वह परमेश्वर है | लेकिन यदि तू अनन्त जीवन का वारिस बनना चाहता है, तो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना |”
एक दिन, एक धनी जवान शासक ने यीशु के पास आकर उससे पूछा, "हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?" यीशु ने उससे कहा, "तू मुझे 'उत्तम' क्यों कहता है? केवल एक ही उत्तम है और वह परमेश्वर है। परन्तु यदि तू अनन्त जीवन पाना चाहता है तो परमेश्वर की व्यवस्था का पालन कर।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-02.jpg)
उसने पूछा कि, कौन सी आज्ञा का पालन करने की आवश्यकता है?" यीशु ने उत्तर दिया कि “हत्या न करना, व्यभिचार मत करना, चोरी मत करना, झूठ मत बोलना, अपने पिता और माता का आदर करना, अपने समान अपने पड़ोसी से प्रेम रखना |”
"मुझे कौन कौन सी आज्ञाओं का पालन करने की आवश्यकता है?" उसने पूछा। यीशु ने जवाब दिया, "हत्या न करना। व्यभिचार न करना। चोरी न करना। झूठ मत बोलना। अपने पिता और माता का आदर करना, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना।"
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उस युवा व्यक्ति ने कहा कि, “जब मैं एक लड़का था तब से ही मैंने इन सब आज्ञाओं का पालन किया है | अनन्त जीवन पाने के लिये अब मैं और क्या करु ?” यीशु ने उसे देखा और उससे प्यार किया |
परन्तु उस जवान पुरुष ने कहा, "मैं अपने बालकपन से ही इन सब आज्ञाओं का पालन करता आया हूँ। मुझे सदा के लिए जीवित रहने को अब भी क्या करने की आवश्यकता है?" यीशु ने उस पर दृष्टि की और उससे प्रेम किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-04.jpg)
यीशु ने उससे कहा, “यदि तू सिद्ध होना चाहता है तो जा, अपना सब कुछ बेचकर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा | और तब आकर मेरे पीछे हो ले |”
यीशु ने जवाब दिया, "यदि तू सिद्ध होना चाहता है तो जाकर अपना सब कुछ बेच दे और वह धन गरीबों में बाँट दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा। तब आकर मेरे पीछे हो ले।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-05.jpg)
परन्तु उस जवान ने जब यह बात सुनी जो यीशु ने कही तो वह उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था और वह अपनी संपति को नहीं त्यागना चाहता था | इसलिये वह मुड़कर यीशु के पास से चला गया |
जो यीशु ने कहा जब उस जवान पुरुष ने सुना तो वह बहुत उदास हो गया, क्योंकि वह बहुत धनी था और उसने अपनी सारी सम्पत्ति को देना नहीं चाहा था। वह मुड़ कर यीशु के पास से चला गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-06.jpg)
तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हुँ कि धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है | तुमसे, फिर कहता हूँ कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है |”
तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, "परमेश्वर के राज्य में धनी लोगों का प्रवेश करना अत्यन्त कठिन है! हाँ, एक धनी पुरुष के परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने की तुलना में किसी ऊँट का सूई के नाके में से होकर निकल जाना आसान है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-07.jpg)
यीशु की बात सुनकर चेले बहुत चकित हुए और कहा, “फिर किसका उद्धार हो सकता है?”
जो यीशु ने कहा जब चेलों ने सुना तो वे चकित थे। उन्होंने कहा, "यदि यह ऐसा है तो परमेश्वर किसे बचाएगा?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-08.jpg)
यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “ मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है |”
यीशु ने चेलों पर दृष्टि की और कहा, "लोगों के लिए स्वयं का उद्धार करना असम्भव है। परन्तु परमेश्वर के लिए कुछ भी करना असम्भव नहीं है।"
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इस पर पतरस ने उससे कहा, “देख हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिए हैं | तो हमें इसका क्या प्रतिफल मिलेगा ?”
पतरस ने यीशु से कहा, "हम चेले अपना सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे हो लिए हैं। तो हमारा प्रतिफल क्या होगा?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-10.jpg)
तब यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुमसे सच कहता हूँ, जिस किसी ने घरों, या भाइयों या बहिनों, या पिता, या माता, या बाल-बच्चों, या खेतों को मेरे नाम के लिए छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा | परन्तु बहुत से जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, पहले होंगे |”
यीशु ने जवाब दिया, "हर एक जन जिसने मेरे कारण घर, भाई, बहन, पिता, माता, बच्चे, या सम्पत्ति को छोड़ा है, वह उससे 100 गुना अधिक प्राप्त करेगा और अनन्त जीवन को भी पाएगा। परन्तु बहुत से जो पहले हैं वे पिछले होंगे, और बहुत से जो पिछले हैं वे पहले होंगे।"
_बाइबिल की एक कहानी: मती 19 : 16-30 , मरकुस 10 : 17 -31 ; लूका 18 : 18-30_
_मत्ती अध्याय 19:16-30; मरकुस 10:17-31; लूका 18:18-30 से एक बाइबल की कहानी_

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# 29. निर्दय सेवक की कहानी
# 29. निर्दय दास की कहानी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-01.jpg)
एक दिन पतरस ने पास आकर यीशु से पूछा , “हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं उसे कितनी बार क्षमा करूँ? क्या सात बार तक?” यीशु ने उससे कहा, मैं तुझ से यह नहीं कहता कि सात बार तक वरन सात बार के सत्तर गुने तक |” इसके द्वारा यीशु ने कहा हमें हमेशा क्षमा करना चाहिए | फिर यीशु ने यह कहानी सुनाई |
एक दिन, पतरस ने यीशु से पूछा, "हे स्वामी, मुझे अपने भाई को कितनी बार क्षमा करना चाहिए जब वह मेरे विरुद्ध पाप करता है? क्या सात बार तक?" यीशु ने कहा, "सात बार नहीं, परन्तु सात के सत्तर बार!" इसके द्वारा, यीशु का मतलब है कि हमें हमेशा क्षमा करना चाहिए। तब यीशु ने यह कहानी बताई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-02.jpg)
यीशु ने कहा “ इसलिये स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा | जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके सामने लाया गया जो दस हजार तोड़े का कर्ज़दार था |
यीशु ने कहा, "परमेश्वर का राज्य एक राजा के समान है जो अपने दास से लेखा लेना चाहता था। उसका एक दास 2,00,000 वर्षों की मजदूरी के एक बड़े कर्ज का कर्जदार था।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-03.jpg)
“जबकि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तब राजा ने कहा कि, ‘यह और इसकी पत्नी और बाल बच्चे और जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और कर्ज़ चुका दिया जाए |’”
परन्तु वह दास अपने कर्ज को चुका नहीं पाया, इसलिए राजा ने कहा, "इसका कर्ज चुकाने के लिए इस पुरुष को और इसके परिवार को दासों के रूप में बेच दो।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-04.jpg)
“इस पर उस दास ने राजा के घुटनों पर गिरकर उससे कहा, ‘कृपया मेरे साथ धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूँगा | तब उस दास के स्वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका कर्ज़ भी क्षमा कर दिया |”
"उस दास ने राजा के सामने अपने घुटनों पर गिर कर कहा, 'कृपया मेरे साथ धीरज धर, और मैं अपने कर्ज की पूरी रकम का भुगतान कर दूँगा।' राजा ने दास पर दया की, इसलिए उसने उसके सारे कर्ज को क्षमा कर दिया और उसे जाने दिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-05.jpg)
“परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उसको मिला जो उसके सौ दीनार का कर्ज़दार था; दास ने अपने संगी दास को पकड़ा और कहा, जो कुछ तुझ पर कर्ज़ है भर दे |’”
"परन्तु जब वह दास राजा के पास से बाहर गया, तो उसे उसका एक साथी दास मिला जो उसके चार महीनों की मजदूरी का कर्जदार था। उस दास ने अपने साथी दास को पकड़ लिया और कहा, 'जो तेरे ऊपर मेरा कर्ज है मुझे उसका भुगतान कर!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-06.jpg)
“इस पर उसका संगी दास उसके घुटनों पर गिरकर उससे विनती करने लगा, कृपया मेरे साथ धीरज धर मैं सब भर दूँगा | उसने न माना, परन्तु जाकर उसे बंदीगृह में डाल दिया कि जब तक कर्ज़ भर न दे, तब तक वही रहे |”
"उस साथी दास ने घुटनों पर गिर कर कहा, 'कृपया मेरे साथ धीरज धर, और मैं अपने कर्ज की पूरी रकम का भुगतान कर दूँगा।' परन्तु इसके बजाए, उस दास ने अपने साथी दास को बंदीगृह में डाल दिया जब तक कि वह उस कर्ज का भुगतान न कर दे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-07.jpg)
उसके कुछ दूसरे संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए | वे राजा के पास गए और यह सब उसे बता दिया |”
"जो कुछ हुआ था उसे कुछ अन्य दासों ने देखा और वे बहुत परेशान हुए। वे राजा के पास गए और उसे सब कुछ बताया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-08.jpg)
“तब राजा ने उसे बुलाकर उस से कहा, ‘हे दुष्ट दास, तू ने जो मुझ से विनती की, तो मैं ने तेरा वह पूरा कर्ज़ क्षमा कर दिया | जैसे मैंने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था? राजा बहुत क्रोध में था कि उसे बंदीगृह में डलवा दिया, कि जब तक वह सब कर्ज़ भर न दे, तब तक वही रहे |”
"राजा ने उस दास को बुला कर कहा, 'हे दुष्ट दास! मैंने तेरे कर्ज को इसलिए क्षमा किया था क्योंकि तूने मुझसे विनती की थी। तुझे भी वैसा ही करना चाहिए था।' राजा इतना क्रोधित था कि उसने उस दुष्ट दास को बंदीगृह में डाल दिया जब तक कि वह अपने सारे कर्ज का वापिस भुगतान न कर दे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-09.jpg)
तब यीशु ने कहा, “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है , तुम से भी वैसा ही करेगा |”
तब यीशु ने कहा, "मेरा स्वर्ग में विराजमान पिता तुम में से हर एक के साथ यही करेगा यदि तुम अपने भाई को अपने हृदय से क्षमा नहीं करते।"
_यह बाइबिल की कहानी ली गयी है: मती 18 : 21-35_
_मत्ती अध्याय 18:21-35 से एक बाइबल की कहानी_

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# 30. पाँच हजार पुरुषों को खिलाना
# 30. यीशु का पाँच हजार लोगों को भोजन करवाना
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-01.jpg)
यीशु ने प्रचार करने के लिए और कई अलग- अलग नगरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने शिष्यों को भेजा। फिर शिष्यों ने लौटकर जो कुछ उन्होंने किया था, वह यीशु को बता दिया | यीशु ने नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में जाने के लिए उन्हें निमंत्रित किया | तो वह एक नाव में बैठे और झील की दूसरी ओर चले गए |
यीशु ने अपने प्रेरितों को प्रचार करने और लोगों को शिक्षा देने के लिए बहुत से अलग-अलग गाँवों में भेजा। जब वे वहाँ लौटे जहाँ यीशु था तो उन्होंने उसे बताया कि उन्होंने क्या किया था। तब यीशु ने उनको झील के दूसरी तरफ उसके साथ एक शान्त स्थान पर जाकर कुछ समय आराम करने के लिए आमंत्रित किया। अतः वे एक नाव पर चढ़ गए और झील के दूसरी तरफ चले गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-02.jpg)
बहुत से लोगों ने यीशु और उसके चेलों को नाव में देखा और सब नगरों से इखट्ठे होकर वहाँ पैदल भागे और उनसे पहले जा पहुँचे | जब यीशु और उसके चेले वहाँँ पहुँँचे तो लोगों का एक बड़ा समूह पहले से ही उनके लिए वहाँँ प्रतीक्षा कर रहा था |
परन्तु वहाँ बहुत से ऐसे लोग थे जिन्होंने यीशु और चेलों को नाव में जाते हुए देखा था। ये लोग उनसे आगे झील के दूसरी तरफ जाने के लिए झील के किनारे-किनारे पर भागे। अतः जब यीशु और चेले पहुँचे तो लोगों का एक बड़ा समूह उनकी प्रतीक्षा करता हुआ वहाँ पहले से था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-03.jpg)
भीड़ में पाँच हजार पुरुष थे, जिनमें महिलाओं और बच्चों की गिनती नहीं थी | यीशु ने लोगों की बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया | क्योंकि वह उन भेड़ो के समान थे जिनका कोई रखवाला न हो | और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा, और जो लोग चंगे होना चाहते थे उन्हें चंगा किया |
उस भीड़ में स्त्रियों और बच्चों की गिनती के बिना 5,000 से अधिक पुरुष थे। यीशु ने उन लोगों पर बड़ा तरस खाया। यीशु के लिए वे लोग बिना चरवाहे की भेड़ों के समान थे। इसलिए उसने उनको शिक्षा दी और उनके बीच में जो लोग बीमार थे उनको चंगा किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-04.jpg)
जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे, “यहा देर हो चुकी है और कोई नगर पास में भी नहीं है | उन्हें विदा कर कि वे अपने लिए कुछ खाने को मोल लें |”
दिन के अंत में, चेलों ने यीशु से कहा, "अब देर हो गई है और आसपास में कोई नगर नहीं है। इन लोगों को विदा कर ताकि वे जाकर खाने के लिए कुछ लें।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-05.jpg)
परन्तु यीशु ने चेलों से कहा, ”तुम ही उन्हें खाने को दो |” उन्होंने उससे कहा क्या “हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? हमारे पास केवल पाँच रोटी और दो छोटी मछली है |”
परन्तु यीशु ने चेलों से कहा, "तुम उनको खाने के लिए कुछ दो!" उन्होंने जवाब दिया, "हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? हमारे पास केवल पाँच रोटी और दो छोटी मछलियाँ हैं।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-06.jpg)
तब यीशु ने अपने चेलो से कहा कि सब लोगों को हरी घास पर पचास के समूह में बैठा दो |
यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे भीड़ के लोगों को घास पर पचास-पचास के समूहों में बैठने के लिए कहें।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-07.jpg)
यीशु ने उन पाँँच रोटियों और दो मछलियों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखा, और भोजन के लिये परमेश्वर का धन्यवाद किया |
तब यीशु ने पाँच रोटी और दो मछलियों को लेकर स्वर्ग की ओर देखा, और उस भोजन के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-08.jpg)
यीशु ने रोटियाँँ और मछलियाँ तोड़-तोड़ कर चेलों को दी कि वे लोगों को परोसे | चेलों ने रोटियाँ और मछलियाँ सब में बाँट दी, और रोटियाँ और मछलियाँ कम नहीं पड़ी | सब खाकर तृप्त हो गए |
फिर यीशु ने रोटी और मछलियों को टुकड़ों में तोड़ा। उसने लोगों को देने के लिए अपने चेलों को वे टुकड़े दे दिए। चेले उस भोजन को बाँटते रहे, और वह कभी समाप्त नहीं हुआ! वे सब लोग खाकर तृप्त हो गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-09.jpg)
जो भोजन नहीं खाया गया था उसमे से चेलों ने टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भर कर उठाई, और कुछ मछलियों से भी | सारा भोजन केवल पाँँच रोटियों और दो मछलियों से आया था |
उसके बाद, चेलों ने उस भोजन को इकट्ठा किया जिसे खाया नहीं गया था और वह बारह टोकरियों को भरने के लिए पर्याप्त था! वह सारा भोजन उन पाँच रोटी और दो मछलियों से आया था।
_यह बाइबिल की कहानी ली गयी है: मती 14 : 13-21 , मरकुस 6 : 31-41 , लूका 9 : 10-17 , यूहन्ना 6 : 5-15_
_मत्ती अध्याय 14:13-21; मरकुस 6:31-44; लूका 9:10-17; यूहन्ना 6:5-15 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-01.jpg)
तब यीशु ने तुरन्त अपने चेलों को नाव पर चढ़ने के लिए विवश किया कि वह उससे पहले उस पार चले जाए, जब तक कि वह लोगों को विदा करें | यीशु भीड़ को विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया | यीशु अकेला वहाँ रात तक प्रार्थना करता रहा |
पाँच हजार लोगों को भोजन करवाने के बाद, यीशु ने अपने चेलों से नाव में जाने के लिए कहा। उसने उनको झील के दूसरी तरफ चले जाने के लिए कहा जबकि वह थोड़े समय के लिए वहीं ठहर गया। अतः चेले चले गए और यीशु ने भीड़ को विदा किया कि वे अपने घर जाएँ। इसके बाद, यीशु प्रार्थना करने के लिए एक पर्वत पर चला गया। वहाँ वह अकेला था, और उसने देर रात तक प्रार्थना की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-02.jpg)
इस बीच, चेले नाव पर थे, परन्तु आधी रात होने पर भी नाव झील के बीच में ही पहुँच पाई थी | वह बहुत कठनाई से नाव चला रहे थे, क्योंकि हवा उनके विरुद्ध थी |
उस समय, चेले अपनी नाव को खेते हुए जा रहे थे, परन्तु हवा उनके विरुद्ध बड़ी जोर से बह रही थी। बहुत रात हो जाने पर भी वे केवल झील के बीच में ही पहुँचे थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-03.jpg)
यीशु ने अपनी प्रार्थना समाप्त की और वह चेलों के पास चला गया | वह रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उनकी नाव की ओर आया |
उस समय यीशु ने प्रार्थना करना समाप्त किया और अपने चेलों के पास वापिस जाना आरम्भ किया। वह नाव की तरफ जाने के लिए पानी के ऊपर चलने लगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-04.jpg)
चेलों ने जब यीशु को झील पर चलते देखा तो वह डर गए, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह भूत है, और चिल्ला उठे | यीशु को पता था कि वे डर रहे थे, इसलिये उसने तुरन्त उनसे बातें की और कहा,” ढाढ़स बाँँधो: मैं हूँ डरो मत |”
तब चेलों ने उसे देखा। वे बहुत डर गए क्योंकि उन्होंने सोचा था कि वह कोई भूत है। यीशु जानता था कि वे डर गए थे, इसलिए उसने उनको आवाज देकर कहा, "डरो मत, यह मैं हूँ!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-05.jpg)
फिर पतरस ने यीशु से कहा ‘हे गुरु’ यदि तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे” यीशु ने पतरस से कहा, “ आ |”
तब पतरस ने यीशु से कहा, "हे प्रभु, यदि यह तू है तो मुझे पानी पर चल कर तेरे पास आने का आदेश दे।" यीशु ने पतरस से कहा, "आ!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-06.jpg)
तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा | पर जैसे ही वह थोड़ा आगे बढ़ा तो तेज़ हवा का अनुभव किया और अपनी आँखें यीशु पर से हटा लिया |
अतः पतरस नाव से उतर गया और यीशु के पास जाने के लिए पानी की सतह पर चलना आरम्भ किया। परन्तु थोड़ी दूर जाकर, उसने अपनी आँखों को यीशु से फेर लिया और लहरों को देखना और तेज हवा को महसूस करना आरम्भ कर दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-07.jpg)
पतरस हवा को देखकर डर गया और डूबने लगा तब चिल्लाकर कहा “हे प्रभु, मुझे बचा |” यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया और पतरस से कहा, ‘हे अल्प विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?
तब पतरस डर गया और पानी में डूबने लगा। वह चिल्लाया, "हे प्रभु, मुझे बचा!" यीशु ने उसी समय हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ लिया। तब उसने पतरस से कहा, "तेरा विश्वास बहुत कम है! तुझे सुरक्षित रखने के लिए तूने मुझ पर भरोसा क्यों नहीं किया?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-08.jpg)
जब पतरस और यीशु नाव पर चढ़ गए तो हवा थम गई और पानी की लहरें शान्त हो गई | चेले चकित थे | उन्होंने यीशु की आराधना करी, और उसे कहा, सचमुच, तू परमेश्वर का पुत्र है |”
तब यीशु और पतरस नाव पर चढ़ गए, और तुरन्त हवा का बहना बंद हो गया। पानी शान्त हो गया। चेलों ने चकित होकर यीशु के आगे घुटने टेक दिए। उन्होंने उसकी आराधना की और उससे कहा, "सचमुच तू परमेश्वर का पुत्र है।"
_बाइबिल की कहानी ली गई है: मती 14 : 22-33 ; मरकुस 6 : 45-52 ; यूहन्ना 6 : 16-21_
_मत्ती अध्याय 14:22-33; मरकुस 6:45-52; यूहन्ना 6:16-21 से एक बाइबल की कहानी_

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# 32. यीशु का दुष्टात्मा ग्रस्त मनुष्य और एक बीमार महिला को चंगा करना
# 32. यीशु का दुष्टात्मा ग्रस्त व्यक्ति और एक बीमार स्त्री को चंगा करना
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-01.jpg)
एक दिन यीशु और उसके चेले नाव से झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुँँचे |
यीशु और उसके चेले अपनी नाव में उस क्षेत्र को गए जहाँ गिरासेनी लोग रहते थे। वे उस क्षेत्र में पहुँच कर नाव से उतर गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-02.jpg)
जब वह झील की दूसरी तरफ पहुँचे तो तुरन्त एक व्यक्ति जिसमे अशुद्ध आत्मा थी, यीशु के पास दौड़कर आया |
वहाँ एक व्यक्ति था जो दुष्टात्मा से ग्रस्त था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-03.jpg)
इस व्यक्ति को कोई भी नियंत्रण में नहीं कर सकता था क्योंकि वह बहुत बलवान था | वह बार बार बेड़ियों से बाँधा गया था, पर वह बेड़ियों को तोड़ देता था |
यह व्यक्ति इतना बलशाली था कि कोई भी उसको नियंत्रित नहीं कर सका था। कई बार लोगों ने उसके हाथों और पैरों को जंजीरों से भी बाँधा, परन्तु वह उनको तोड़ देता था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-04.jpg)
वह कब्रों में रहा करता था। वह रात दिन चिल्लाता रहता था | वह कपड़े नहीं पहनता था और अपने आप को पत्थरों से घायल करता था |
वह व्यक्ति उस क्षेत्र में कब्रों में रहा करता था। यह व्यक्ति पूरे दिन और पूरी रात चिल्लाया करता था। वह कपड़े नहीं पहनता था और अक्सर स्वयं को पत्थरों से घायल किया करता था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-05.jpg)
जब वह आदमी यीशु के पास आया तो वह उसके घुटनों पर गिर गया | यीशु ने उस दुष्टात्मा को कहा कि, “इस व्यक्ति में से निकल आ |”
वह व्यक्ति दौड़ कर यीशु के पास आया और उसके सामने घुटने टेक दिए। तब यीशु ने उस व्यक्ति के अंदर की दुष्टात्मा से बात की और कहा, "इस व्यक्ति में से बाहर निकल आ!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-06.jpg)
दुष्टात्मा ग्रस्त व्यक्ति ने ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा “हे यीशु परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम है? कृपया मुझे पीड़ा न दे!” तब यीशु ने उस दुष्टात्मा से पूछा “तेरा क्या नाम है?” उसने उसे कहा “मेरा नाम सेना है: क्योंकि हम बहुत है |” (सेना 6000 सैनिकों का दल होता है |)
वह दुष्टात्मा ऊँची आवाज में चिल्लाई, "हे यीशु, परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र, तेरा मुझसे क्या काम? कृपा करके मुझे मत सता!" तब यीशु ने उस दुष्टात्मा से पूछा, "तेरा नाम क्या है?" उसने जवाब दिया, "मेरा नाम सेना है, क्योंकि हम बहुत हैं।" (रोमी सेना में कई हजार सैनिकों का एक समूह एक "सेना" होती थी।)
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-07.jpg)
दुष्टात्मा ने यीशु से बहुत विनती की, “हमें इस देश से बाहर न भेज |” वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था | दुष्टात्मा ने उससे विनती करके कहा “ कृपया हमें उन सूअरों में भेज दे कि हम उनके भीतर जाए!” यीशु ने कहा, “जाओ !“
उन दुष्टात्माओं ने यीशु से विनती की, "कृपा करके हमें इस क्षेत्र से बाहर मत भेज!" वहीं पास के पहाड़ पर सूअरों का एक झुंड चर रहा था। इसलिए उन दुष्टात्माओं ने यीशु से विनती की, "कृपा करके हमें उन सूअरों में भेज दे!" यीशु ने कहा, "ठीक है, उनमें चले जाओ!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-08.jpg)
दुष्टात्मा आत्मा उस आदमी में से निकलकर सूअरों के अन्दर गई | सुअरों का झुण्ड पहाड़ पर से झपटकर झील में जा पड़ा और डूब मरा | उस झुण्ड में लगभग 2,000 सूअर थे |
अतः वे दुष्टात्माएँ उस व्यक्ति में से निकल कर उन सूअरों में प्रवेश कर गईं। वे सूअर दौड़ कर एक खड़े टीले पर से झील में कूद गए और डूब मरे। उस झुंड में लगभग 2,000 सूअर थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-09.jpg)
सुअरों के चरवाहों ने यह देखा और भागकर नगर और गाँवों में हर एक को यह समाचार सुनाया जो यीशु ने किया था, और जो हुआ था लोग उसे देखने आए | लोगों ने आकर उसको जिसमें दुष्टात्माएँ थीं, कपड़े पहने और सचेत बैठे देखा और एक सामान्य व्यक्ति की तरह बर्ताव करते पाया |
वहाँ पर उन सूअरों की देखभाल करने वाले लोग थे। जो कुछ हुआ था जब उन्होंने देखा तो वे नगर में भाग गए। यीशु ने जो किया था वहाँ उन्होंने सब को बताया। उस नगर के लोग निकल आए और उस व्यक्ति को देखा जिसमें दुष्टात्माएँ थीं। वह शान्ति से, कपड़े पहने हुए, और एक सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करते हुए बैठा था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-10.jpg)
लोग बहुत घबरा गए और यीशु से विनती कर के कहने लगे कि हमारी सीमा से चला जा | जैसे ही यीशु नाव में बैठने और जाने लगा, तो वह आदमी जिसमें पहले दुष्टात्मा थी, “उससे विनती करने लगा मुझे अपने साथ आने दे |”
वे लोग बहुत डरे हुए थे और उन्होंने यीशु से चले जाने के लिए कहा। अतः यीशु नाव पर चढ़ गया। वह व्यक्ति जिसमें दुष्टात्माएँ थीं उसने यीशु के साथ जाने की विनती की।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-11.jpg)
परन्तु यीशु ने उससे कहा, “नही, मैं चाहता हूँ कि तुम घर लौट जाओ और जाकर अपने मित्रों और परिवार के लोगों को वह सब बता जो परमेश्वर ने तुझ पर दया करके तेरे लिए कैसे बड़े बड़े काम किए हैं |
परन्तु यीशु ने उससे कहा, "नहीं। मैं चाहता हूँ कि तू घर जाकर सब को बताए कि परमेश्वर ने तेरे लिए क्या किया है। उनको बता कि कैसे परमेश्वर ने तुझ पर दया की थी।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-12.jpg)
तब वह गया और जाकर सबको बताया कि यीशु ने उसके लिए कैसे बड़े काम किए हैं | और जिस किसी ने भी यह कहानी सुनी वह आश्चर्य और हैरान हो गए थे |
इसलिए वह व्यक्ति चला गया और सब को इस बारे में बताया जो यीशु ने उसके लिए किया था। उसकी कहानी को सुनने वाला हर एक जन चकित हुआ था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-13.jpg)
जब यीशु फिर नाव से झील के पार गया तो वहा पहुँचने के बाद, एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई और उसे दबाने लगी | इस भीड़ में एक स्त्री थी जिसको बारह साल से लहू बहने का रोग था | उसने बहुत वैद्यों पर अपना सब धन व्यर्थ करने पर भी उसे कुछ लाभ न हुआ था, परन्तु और भी रोगी हो गयी थी |
यीशु झील की दूसरी तरफ लौट आया। उसके वहाँ पहुँचने के बाद, एक बड़ी भीड़ उसके आस पास इकट्ठा हुई और उसे दबाने लगी। उस भीड़ में एक स्त्री थी जो बारह वर्षों से लहू बहने की समस्या से पीड़ित थी। उसने अपना सारा धन चिकित्सकों को दे दिया था ताकि वे उसे ठीक कर सकें, परन्तु उसका रोग और भी बिगड़ गया था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-14.jpg)
उसने यीशु की चर्चा सुनी थी कि वह बिमारो को चंगा करता है | और उसने सोचा कि यदि मैं यीशु के वस्त्रो को ही छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी , तब वह भीड़ में उसके पीछे से आई और उसके वस्त्र को छू लिया |” जैसे ही उसने उसके वस्त्रो को छुआ और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया |
उसने सुना था कि यीशु ने कई बीमार लोगों को ठीक किया था और उसने सोचा, "मैं निश्चित हूँ कि यदि मैं केवल यीशु के वस्त्र ही को छू लूँ, तो मैं भी ठीक हो जाऊँगी!" इसलिए वह यीशु के पीछे से आई और उसके वस्त्र को छू लिया। जैसे ही उसने उनको छुआ, लहू का बहना बंद हो गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-15.jpg)
यीशु ने तुरन्त जान लिया कि मुझ में से सामर्थ्य निकली है | और भीड़ में पीछे फिरकर पूछा मेरे वस्त्र को किसने छुआ? उसके चेलों ने उससे कहा कि, “तू देखता है कि भीड़ तुझ पर गिरी पड़ती है, फिर तू क्यों पूछता है कि किसने मुझे छुआ?”
तुरन्त ही, यीशु ने जान लिया कि उसमें से सामर्थ निकला है। इसलिए उसने पीछे मुड़ कर पूछा, "मुझे किसने छुआ?" चेलों ने जवाब दिया, "यहाँ इतने सारे लोगों ने तेरे चारों ओर भीड़ लगाई हुई है, और तुझे ठेल रहे हैं। तो तूने क्यों पूछा कि मुझे किसने छुआ है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-16.jpg)
तब वह स्त्री घुटनों के बल यीशु के पास डरती और काँँपती हुई आई, और उससे सब हाल सच -सच कह दिया | यीशु ने उससे कहा, “पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है | शान्ति से जा |”
वह स्त्री यीशु के सामने काँपती हुई और बहुत डरी हुई अपने घुटनों पर बैठ गई। तब उसने उसे बता दिया कि उसने क्या किया है, और यह भी कि वह ठीक हो गई है। यीशु ने उससे कहा, "तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है। शान्ति से जा।"
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 8; 28-34 ; 9; 20-22 , मरकुस 5; 1-20 ; 5; 24-34 ; लूका 8; 26-39 ; 8; 42-48_
_मत्ती अध्याय 8:28-34; 9:20-22; मरकुस 5:1-20; 5:24b-34; लूका 8:26-39; 8:42b-48 से एक बाइबल की कहानी_

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# 33. किसान की कहानी
# 33. एक किसान की कहानी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-01.jpg)
एक दिन, यीशु झील के तट पर लोगों की एक बड़ी भीड़ को सिखा रहा था | बहुत लोग उसे सुनने के लिये आए वह फिर झील के किनारे नाव पर चड़ गया ताकि उसे पर्याप्त स्थान मिले उपदेश देने के लिये, तब वह झील में एक नाव पर चढ़कर उन्हे उपदेश देने लगा |
एक दिन, यीशु झील के किनारे के निकट था। वह लोगों की एक बहुत बड़ी भीड़ को शिक्षा दे रहा था। उसे सुनने के लिए इतने सारे लोग आए कि यीशु के पास उन सब से बात करने के लिए स्थान न बचा। इसलिए वह पानी में खड़ी नाव पर चढ़ गया। वहाँ वह बैठ गया और लोगों को शिक्षा दी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-02.jpg)
यीशु ने इस कहानी को बताया , “एक बोने वाला बीज बोने निकला | बोते समय कुछ मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया |”
यीशु ने उन्हें यह कहानी सुनाई, "एक किसान बीज बोने के लिए बाहर निकला। जब वह हाथों से बीजों को बिखेर रहा था तो कुछ बीज मार्ग पर गिरे। परन्तु पक्षियों ने आकर उन सब बीजों को खा लिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-03.jpg)
“कुछ पथरीली भूमि पर गिरा, जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली | पथरीली भूमि पर गिरे बीज जल्द उग आए लेकिन उनकी जड़े गहरी मिट्टी में नहीं जा पाई थी | इसलिये जब सूर्य निकला तो वे जल गए, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गए |”
"दूसरे बीज पथरीली भूमि पर गिरे जहाँ बहुत कम मिट्टी थी। पथरीली भूमि पर गिरे बीज बहुत जल्दी अंकुरित हुए, परन्तु उनकी जड़ें भूमि में गहराई में जाने में सक्षम नहीं थीं। जब सूर्य निकला और गर्मी हुई तो वे पौधे मुरझा गए और मर गए।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-04.jpg)
“कुछ बीज काँटेदार झाड़ियों में गिरे, बीज उगने लगे पर काँटेदार झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया | इसलिये जो पौधे काँटेदार झाड़ियों में गिरे बीजो से उगे थे उन में से कोई भी फल नहीं ला पाए |”
"तौभी दूसरे बीज झाड़ियों के बीच में गिरे। उन बीजों ने बढ़ना आरम्भ किया, परन्तु काँटों ने उनको दबा दिया। इसलिए काँटेदार भूमि पर गिरे बीजों में से निकले पौधों में से कोई भी अनाज उत्पन्न नहीं कर पाया।"
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“परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरे और वह उगा और वह बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ और कोई सौ गुणा फल लाया | तब उसने कहा जिसके पास सुनने के लिये कान हों, वह सुन ले |”
"दूसरे बीज अच्छी भूमि पर गिरे। वे बीज बढ़े और जितने बीज बोए गए थे उनसे 30, 60, और यहाँ तक कि 100 गुणा अनाज उत्पन्न किया। जो कोई भी परमेश्वर के पीछे चलना चाहता है, वह उस बात पर ध्यान दे जो मैं कह रहा हूँ!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-06.jpg)
इस कहानी ने चेलों को उलझन में डाल दिया | तब यीशु ने उन्हें समझाया कि, “बीज परमेश्वर का वचन है | मार्ग के किनारे वाले उस व्यक्ति को दर्शाते है जिन्होंने वचन तो सुना परन्तु समझा नहीं, जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था उठा ले जाता है |”
इस कहानी ने चेलों को उलझन में डाल दिया। इसलिए यीशु ने व्याख्या की, "वह बीज परमेश्वर का वचन है। वह मार्ग एक ऐसा व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचन को सुनता है, परन्तु उसे समझता नहीं है। तब शैतान उसके पास से वचन को चुरा ले जाता है। अर्थात शैतान उसे वचन को समझने से दूर रखता है।"
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“वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते है, ये वह है जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते है | इसके बाद जब वचन के कारण उन पर उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते है |”
"वह पथरीली भूमि ऐसा व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचन को सुनता है और आनन्द के साथ उसे स्वीकार कर लेता है। परन्तु जब मुश्किल समय आता है, या जब अन्य लोग उसे सताते हैं, तो वह परमेश्वर से दूर चला जाता है। अर्थात वह परमेश्वर पर भरोसा करना बंद कर देता है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-08.jpg)
“जो झाड़ियों में बोए गए यह वे है जिन्होंने वचन सुना, और संसार की चिन्ता और धन का धोखा, और अन्य वस्तुओं का लोभ उनमें समाकर वचन को दबा देता है और वह निष्फल रह जाता है |”
"वह काँटेदार भूमि ऐसा व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचन को सुनता है। परन्तु वह बहुत सारी बातों के बारे में चिन्ता करना आरम्भ कर देता है, और वह बहुत सा धन कमाने का प्रयास करता है, और वह बहुत सी चीजों को पाने का प्रयास करता है। कुछ समय के बाद, अब वह परमेश्वर को प्रेम करने में सक्षम नहीं है। इसलिए जो उसने परमेश्वर के वचन से सीखा था वह उसे परमेश्वर को प्रसन्न करने में सक्षम नहीं करता है। वह गेहूँ की डंठलों के समान है जो कोई अनाज उत्पन्न नहीं करती हैं।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-09.jpg)
“परन्तु जो अच्छी भूमि वाले है यह उन व्यक्तियों को दर्शाते है जो वचन सुनकर विश्वास करते और फल लाते हैं |
"परन्तु अच्छी भूमि वह व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचन को सुनता है, उस पर विश्वास करता है, और फल उत्पन्न करता है।"
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी हैं: मरकुस 4; 1-8 13-20 ; लूका 8; 4-15 ; मती 13 ; 1-8 , 18-23 ; मरकुस 4; 1-8 13-20 ; लूका 8; 4-15_
_मत्ती अध्याय 13:1-8, 18-23; मरकुस 4:1-8, 13-20; लूका 8:4-15 से एक बाइबल की कहानी_

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# 34. यीशु ने अन्य कहानियाँ सिखाई
# 34.यीशु दूसरी कहानियों की शिक्षा देता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-01.jpg)
यीशु ने उन्हें स्वर्ग के राज्य के बारे में और कहानियाँ बताई | उदहारण के लिये, उसने कहा, “स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी व्यक्ति ने लेकर अपने खेत में बो दिया | आपको पाता है कि राई का बीज सब बीजों से छोटा तो होता है |”
यीशु ने परमेश्वर के राज्य के बारे में अन्य बहुत सी कहानियाँ सुनाई। उदाहरण के लिए, उसने कहा, "परमेश्वर का राज्य एक राई के बीज के समान है जिसे किसी ने अपने खेत में बो दिया। तुम जानते हो कि राई का बीज सारे बीजों में सबसे छोटा होता है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-02.jpg)
“पर जब बढ़ जाता है तब सब सागपात से बड़ा हो जाता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं |”
"परन्तु जब राई का बीज बढ़ जाता है तो वह बगीचे के सारे पेड़ों में सबसे बड़ा हो जाता है, इतना बड़ा कि पक्षी आकर उसकी शाखाओं पर आराम करते हैं।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-03.jpg)
यीशु ने एक और कहानी उन्हें बताई, “स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते-होते वह सारा आटा खमीरा हो गया |”
यीशु ने एक अन्य कहानी बताई, "परमेश्वर का राज्य खमीर के समान है जिसे लेकर एक स्त्री आटे के पिंड में मिला देती है तब वह सारे पिंड में फैल जाता है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-04.jpg)
“स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी व्यक्ति ने छिपाया | एक दुसरे व्यक्ति को वो धन मिला और उसने भी उसे वापस छिपा दिया | वह बहुत आनन्द से भर गया और जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया |”
"स्वर्ग का राज्य उस खजाने के समान है जिसे किसी ने खेत में छिपा दिया। किसी अन्य व्यक्ति को वह खजाना मिल गया और उसने उसे पाने की बहुत चाह की। इसलिए उसने उसे फिर से गाड़ दिया। वह आनन्द से इतना भरा हुआ था कि उसने जाकर अपना सब कुछ बेच दिया ताकि वह उस खेत को खरीद सके जहाँ वह खजाना था।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-05.jpg)
“फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था | जब उसे बहुमूल्य मोती मिला, तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया |”
"स्वर्ग का राज्य एक बहुत कीमती शुद्ध मोती के समान भी है। जब कोई मोतियों का व्यापारी उसे पा लेता है तो वह उसे खरीदने के लिए अपना सब कुछ बेच देता है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-06.jpg)
उसने उनसे जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे और खुद को धर्मी, और दूसरों को तुच्छ जानते थे उनके बारे में यह कहानी कही | उसने कहा, “दो व्यक्ति मंदिर में प्रार्थना करने के लिए गए | एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेने वाला |”
वहाँ कुछ लोग थे जो सोचते थे कि परमेश्वर उनको इसलिए स्वीकार करेगा क्योंकि वे भले काम कर रहे हैं। ये लोग ऐसे लोगों को तुच्छ मानते थे जो उन भले कामों को नहीं करते थे। इसलिए यीशु ने उनको यह कहानी बताईः "दो पुरुष थे और दोनों ही प्रार्थना करने के लिए मंदिर में गए। उनमें से एक चुंगी लेने वाला था, और दूसरा एक धार्मिक अगुवा था।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-07.jpg)
“फरीसी ने अपने मन में इस तरह प्रार्थना की, ‘हे परमेश्वर मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं दूसरे मनुष्यों के समान अन्धेर करनेवाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूँ |’”
"उस धार्मिक अगुवे ने इस प्रकार से प्रार्थना की, 'हे परमेश्वर, तेरा धन्यवाद हो कि मैं अन्य लोगों के समान जैसे कि डाकू, अन्यायी मनुष्य, व्यभिचारी, या यहाँ तक कि यहाँ पर उपस्थित उस चुंगी लेने वाले के समान एक पापी नहीं हूँ।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-08.jpg)
उदाहरण के लिये, मैं सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ |”
"उदाहरण के लिए, मैं हर सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ, और मैं मुझे मिलने वाले धन और सामान का दसवाँ हिस्सा तुझे देता हूँ।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-09.jpg)
पर चुंगी लेने वाला फरीसी दूर खड़े होकर, स्वर्ग की ओर आँखें उठाना भी न चाहा, वरन अपनी छाती पीट-पीटकर कहा, ‘हे परमेश्वर मुझ पर दया कर क्योंकि मैं पापी हूँ |’”
"परन्तु वह चुंगी लेने वाला उस धार्मिक अगुवे से बहुत दूर खड़ा हो गया। उसने ऊपर स्वर्ग की ओर आँखें भी नहीं उठाईं। इसके बजाए, उसने अपनी मुट्ठी से अपनी छाती को पीटा और प्रार्थना की, 'हे परमेश्वर, कृपा करके मुझ पर दया कर क्योंकि मैं एक पापी हूँ।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-10.jpg)
यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि, परमेश्वर ने चुंगी लेनेवाले की प्रार्थना सुनी और धर्मी होने के लिए उसे घोषित कर दिया | उसकी प्रार्थना धार्मिक नेता की तरह नहीं थी | क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा |”
फिर यीशु ने कहा, "मैं तुमसे सच कहता हूँ, परमेश्वर ने उस चुंगी लेने वाले की प्रार्थना को सुना और उसे धर्मी घोषित किया। परन्तु उसने उस धार्मिक अगुवे की प्रार्थना को पसंद नहीं किया। परमेश्वर हर एक घमंडी के सिर को नीचा करेगा, परन्तु वह हर उस जन को आदर देगा जो स्वयं को नम्र करता है।"
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी हैं: मती 13: 31-33, 44-46 ; मरकुस 4; 30-32 ; लूका 13; 18-21; 18 ; 9-14_
_मत्ती अध्याय 13:31-33, 44-46; मरकुस 4:30-32; लूका 13:18-21; 18:9-14 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-01.jpg)
एक दिन यीशु बहुत से चुंगी लेने वालों और पापियों को सिखा रहा था, जो उसे सुनने के लिए वहाँ इकट्ठा हुए थे |
एक दिन, यीशु उन बहुत से लोगों को शिक्षा दे रहा था जो उसकी सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे। ये लोग चुंगी लेने वाले और साथ ही अन्य लोग भी थे जिन्होंने मूसा की व्यवस्था का पालन करने का प्रयास नहीं किया था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-02.jpg)
वहाँ बहुत से धार्मिक अगुवे भी बैठे थे, यीशु इन पापियों के साथ अपने दोस्तों के समान ही व्यवहार करता था, और वे एक दुसरे के साथ मिलकर उसकी आलोचना करने लगे | फिर यीशु ने उन्हें यह कहानी सुनाई |
कुछ धार्मिक अगुवों ने देखा कि यीशु इन लोगों से एक मित्र के समान बात कर रहा था। इसलिए उन्होंने एक दूसरे से यह कहना आरम्भ कर दिया कि वह गलत कर रहा था। यीशु ने उनको बातें करते सुना, इसलिए उसने उनको यह कहानी बताई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-03.jpg)
“किसी व्यक्ति के दो पुत्र थे | उनमें से छोटे पुत्र ने पिता से कहा, ‘हे पिता, सम्पत्ति में से जो भाग मेरा है वह मुझे दे दीजिये | तो पिता ने अपने दोनों बेटो में अपनी सम्पत्ति बाँट दी |”
"एक व्यक्ति था जिसके दो पुत्र थे। छोटे पुत्र ने अपने पिता से कहा, 'हे पिता, मुझे अभी मेरा हिस्सा चाहिए!' अतः पिता ने अपने दोनों पुत्रों के बीच में अपनी सम्पत्ति का बँटवारा कर दिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-04.jpg)
“बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके दूर देश को चला गया, और वहाँ पापमय जीवन में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी |”
"शीघ्र ही छोटा पुत्र अपना सब कुछ इकट्ठा करके दूर देश को चला गया और पापी जीवन जीने में अपने सारे धन को बर्बाद कर दिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-05.jpg)
“जब वह वहा था तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा,और वह कंगाल हो गया और भोजन के लिए भी उसके पास धन नहीं था | उसे वहा सिर्फ सुअरों को चराने का काम ही मिल सका | वह बहुत दुखी और भूखा था और वह चाहता था कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे ,अपना पेट भरे |”
"इसके बाद, जहाँ छोटा पुत्र था उस देश में एक भयंकर अकाल पड़ा, और उसके पास भोजन खरीदने के लिए धन नहीं था। इसलिए उसे जो काम मिला वह सूअरों को चराने का था। वह इतना दुःखी और भूखा था कि वह सूअरों का भोजन खाना चाहता था।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-06.jpg)
“अंत में छोटे बेटे ने खुद से कहा, ‘मैं क्या कर रहा हूँ? मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ | मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले |’”
"आखिरकार, उस छोटे पुत्र ने स्वयं से कहा, 'मैं क्या कर रहा हूँ? मेरे पिता के सब सेवकों के पास खाने के लिए बहुतायत से है, फिर भी मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। मैं अपने पिता के पास वापिस जाऊँगा और अपने पिता का एक सेवक बनने के लिए उससे विनती करूँगा।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-07.jpg)
“तब वह उठकर अपने पिता के घर की ओर वापस चला | वह अभी दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया और दौड़कर उसे गले लगाया और बहुत चूमा |”
"अतः उस छोटे पुत्र ने वापिस अपने पिता के घर की ओर जाना आरम्भ किया। जबकि वह अभी दूर ही था, उसके पिता ने उसे देखा और उस पर तरस खाया। वह दौड़ कर अपने पुत्र के पास गया और उसे गले लगा कर चूमा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-08.jpg)
“पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी मैं ने परमेश्वर के विरुद्ध में और तेरे विरुद्ध में भी पाप किया है ;और अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ |’”
"उस पुत्र ने कहा, 'हे पिता, मैंने परमेश्वर के और तेरे विरुद्ध पाप किया है। मैं तेरा पुत्र कहलाने के लायक भी नहीं हूँ।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-09.jpg)
“परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, और उसकी उंगली में अँगूठी, और पाँँवों में जूतियाँ पहनाओ, और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ, क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, परन्तु अब फिर जी गया है | खो गया था अब मिल गया है |”
"परन्तु पिता ने अपने एक सेवक से कहा, 'शीघ्र जाकर सबसे अच्छा वस्त्र लेकर आओ और मेरे पुत्र को पहनाओ! उसकी उंगली में अंगूठी और उसके पैरों में जूते पहनाओ। फिर सबसे अच्छा बछड़ा मारो ताकि हम खाएँ और उत्सव मनाएँ, क्योंकि मेरा पुत्र मर गया था, परन्तु अब वह जीवित है! वह खो गया था, परन्तु अब हम ने उसे पा लिया है!'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-10.jpg)
“और वह आनन्द करने लगे | परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था, जब वह आते हुए घर के निकट पहुँँचा, तो उसने गाने- बजाने और नाचने का शब्द सुना तो उसे आश्चर्य हुआ |”
"इसलिए लोगों ने उत्सव मनाना आरम्भ किया। कुछ समय बीतने पर, बड़ा पुत्र खेत में काम करके घर आया। उसने संगीत और नाच की आवाज को सुना और अचम्भित हुआ कि यह क्या हो रहा था।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-11.jpg)
“बड़े बेटे को पता चला कि उसका भाई आया है क्योंकि वे जश्न मना रहे थे, वह बहुत गुस्से में था और घर के अन्दर नहीं गया | परन्तु उसका पिता बाहर आया और उसे सबके साथ जश्न मनाने के लिये उससे विनती करने लगा परन्तु उसने मना कर दिया |”
"जब बड़े पुत्र को मालूम हुआ कि वे इसलिए उत्सव मना रहे थे क्योंकि उसका भाई घर आ गया था, तो वह बहुत क्रोधित हुआ और घर में दाखिल नहीं हुआ। उसके पिता ने बाहर आकर उससे उनके साथ उत्सव मनाने का निवेदन किया, परन्तु उसने मना कर दिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-12.jpg)
“उसने पिता को उत्तर दिया कि, ‘देख, मैं इतने वर्ष आप के लिये ईमानदारी से काम रहा हूँ, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तूने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता | परन्तु तेरा यह पुत्र जिसने तेरी सारी सम्पत्ति पापमय जीवन में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तूने पला हुआ बछड़ा कटवाया |”
"उस बड़े पुत्र ने अपने पिता से कहा, 'इन सारे वर्षों में मैंने तेरे लिए निष्ठापूर्वक काम किया! कभी भी तेरी बात को नहीं टाला, परन्तु तूने कभी मुझे एक छोटी बकरी भी नहीं दी ताकि मैं अपने मित्रों के साथ दावत कर सकूँ। परन्तु तेरे इस पुत्र ने तेरे धन को पापी काम करने में बर्बाद कर दिया है। और अब जब वह आया है तो उसके लिए उत्सव मनाने को तूने सबसे अच्छे बछड़े को मार डाला!'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-13.jpg)
“पिता ने उत्तर दिया, ‘मेरे पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है | परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था, फिर जी गया है | खो गया था, अब मिल गया है |’”
"पिता ने जवाब दिया, 'हे मेरे पुत्र, तू हमेशा मेरे साथ है, और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है। परन्तु हमारे लिए उत्सव मनाना सही है क्योंकि तेरा भाई मर गया था, परन्तु अब वह जीवित है। वह खो गया था, परन्तु अब हम ने उसे पा लिया है!'"
_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: लूका 15: 11-32_
_लूका अध्याय 15:11-32 से एक बाइबल की कहानी_

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# 36. रूपान्तर
# 36. रूपान्तर
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-01.jpg)
एक दिन यीशु ने अपने तीन चेलों, पतरस, याकूब और यूहन्ना को अपने साथ लिया | (यीशु का चेला यूहन्ना वह यूहन्ना नहीं था, जिसने यीशु को बपतिस्मा दिया था |) और उन्हें एकान्त में प्रार्थना करने के लिए ऊँँचे पहाड़ पर ले गया |
एक दिन, यीशु ने अपने तीन चेलों, पतरस, याकूब, और यूहन्ना को अपने साथ में लिया। (यह यूहन्ना नाम का चेला वही व्यक्ति नहीं है जिसने यीशु को बपतिस्मा दिया था।) वे प्रार्थना करने के लिए एक ऊँचे पहाड़ पर गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-02.jpg)
यीशु प्रार्थना कर ही रहा था कि उसका मुँँह सूर्य के समान चमका और उसका वस्त्र ज्योति के समान उजला हो गया, कि कोई भी पृथ्वी पर उतना उजला नहीं बना सकता |
जब यीशु प्रार्थना कर रहा था तो उसका चेहरा सूर्य के समान उज्जवल हो गया। उसके वस्त्र उजियाले के समान सफेद हो गए, जैसा पृथ्वी पर कोई कर सके उससे भी बढ़ कर सफेद।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-03.jpg)
तब मूसा और एलिय्याह नबी दिखाई दिए | इससे पहले यह दोनों पुरुष कई सो साल पहले पृथ्वी पर जीवित थे | वे यीशु से उसकी मृत्यु के बारे में बात कर रहे थे, जो यरूशलेम में होने वाली थी |
तब मूसा और एलिय्याह भविष्यद्वक्ता प्रकट हुए। ये पुरुष इस पृथ्वी पर इस समय से सैकड़ों वर्ष पहले रहा करते थे। उन्होंने यीशु से उसकी मृत्यु के विषय में बात की, क्योंकि वह शीघ्र ही यरूशलेम में मर जाएगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-04.jpg)
मूसा और एलिय्याह यह दो पुरुष यीशु के साथ बातें कर रहे थे, तब पतरस ने यीशु से कहा, “हे स्वामी, हमारा यहाँ रहना भला है | यदि तेरी इच्छा है तो, मैं यहाँ तीन मण्डप बनाऊँँ; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये और एक एलिय्याह के लिये |” पतरस नहीं जनता था, कि वह क्या कह रहा है |
जब मूसा और एलिय्याह यीशु से बातें कर रहे थे तब पतरस ने यीशु से कहा, "हमारे लिए यहाँ होना भला है। हम तीन मंडपों को बनाएँ, एक तेरे लिए, एक मूसा के लिए, और एक एलिय्याह के लिए।" परन्तु पतरस नहीं जानता था कि वह क्या कह रहा है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-05.jpg)
पतरस बोल ही रहा था कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला : “ यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूँ, इस की सुनो |” तीनो चेले यह सुनकर मुँँह के बल गिर गए और अत्यन्त डर गए |
जब पतरस बात कर रहा था, तो एक उजले बादल नीचे आकर उन पर छा गया। फिर उन्होंने बादल में से एक आवाज को आते हुए सुना। उसने कहा, "यह मेरा पुत्र है जिससे मैं प्रेम करता हूँ। मैं उससे प्रसन्न हूँ। उसकी सुनो।" वे तीनों चेले डर गए और भूमि पर लेट गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-06.jpg)
यीशु ने पास आकर उन्हें छुआ, और कहा, “डरो मत | उठो |” तब उन्होंने अपनी आँँखें उठाई और यीशु को छोड़ और किसी को न देखा |
तब यीशु ने उनको छुआ और कहा, "डरो मत। उठ जाओ।" जब उन्होंने चारों ओर देखा, तो जो एक जन अभी भी वहाँ था वह यीशु था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-07.jpg)
यीशु और तीनो चेले जब पहाड़ से उतर रहे थे, तब यीशु ने उनसे कहा, “जो कुछ यहाँ हुआ इसके बारे में किसी से न कहना जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे |” उसके बाद तुम लोगों को बता सकते हो |
यीशु और वे तीनों चेले उस पहाड़ से वापिस नीचे उतर आए। तब यीशु ने उनसे कहा, "अभी जो यहाँ हुआ उसकी चर्चा किसी से न करना। मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा और फिर जीवित हो जाऊँगा। उसके बाद, तुम लोगों को बता सकते हो।"
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 17 : 1-19 ; मरकुस 9: 2-8 ; लूका 9: 28-36_
_मत्ती अध्याय 17:1-9; मरकुस 9:2-8; लूका 9:28-36 से एक बाइबल की कहानी_

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# 37. लाजर का यीशु द्वारा जिलाया जाना
# 37. यीशु द्वारा लाज़र को मृतकों में से जिलाया जाना
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-01.jpg)
एक दिन, यीशु को संदेश मिला कि लाजर बहुत बीमार है | लाजर और उसकी दो बहिन, मार्था और मरियम, यीशु के बहुत प्रिय थे | यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है |” यीशु अपने मित्र, मार्था और उसकी बहिन और लाजर से प्रेम रखता था | फिर भी जब उसने सुना कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया |
लाज़र नाम का एक व्यक्ति था। उसकी दो बहनें थीं जिनके नाम मरियम और मार्था थे। वे सब यीशु के घनिष्ठ मित्र थे। एक दिन, किसी ने यीशु को बताया कि लाज़र बहुत बीमार था। जब यीशु ने यह सुना तो उसने कहा, "यह बीमारी लाज़र के मरने के साथ समाप्त नहीं होगी। इसके बजाए, यह लोगों को परमेश्वर का आदर करने के लिए प्रेरित करेगी।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-02.jpg)
दो दिन बीतने के बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा, “आओ हम फिर यहूदिया को चलें |” चेलों ने उससे कहा “हे रब्बी, कुछ समय पहले तो लोग तुझे मरना चाहते थे |” यीशु ने कहा, “हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ |”
यीशु अपने मित्रों से प्रेम करता था, परन्तु जहाँ वह था वहाँ उसने दो दिनों तक प्रतीक्षा की। उन दो दिनों के बाद, उसने अपने चेलों से कहा, "आओ, वापिस यहूदिया को चलें।" चेलों ने जवाब दिया, "परन्तु हे गुरु, अभी कुछ ही समय पहले वहाँ के लोग तुझे मार डालना चाहते थे!" यीशु ने कहा, "हमारा मित्र लाज़र सो गया है, और मुझे उसे जगाना है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-03.jpg)
यीशु के चेलो ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो स्वस्थ हो जाएगा |” तब यीशु ने उनसे साफ साफ कह दिया, “ लाजर मर गया है और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँँ न था जिससे तुम मुझ पर विश्वास करो |”
यीशु के चेलों ने जवाब दिया, "हे प्रभु, यदि लाज़र सो रहा है, तो वह ठीक हो जाएगा।" तब यीशु ने उनसे स्पष्ट रूप से कह दिया, "लाज़र मर गया है। मैं आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ नहीं था, ताकि तुम मुझ पर विश्वास कर सको।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-04.jpg)
जब यीशु लाज़र के गृहनगर पहुँचा, तो लाजर को कब्र में रखे चार दिन हो चुके थे | मार्था यीशु से मिलने बाहर आई और कहा, “ हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई कदापि न मरता | परन्तु मैं विश्वास करती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा |”
जब यीशु लाज़र के गाँव पहुँचा तो लाज़र को मरे हुए पहले से ही चार दिन हो चुके थे। मार्था यीशु से मिलने के लिए बाहर आई और कहा, "हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता। परन्तु मैं विश्वास करती हूँ कि जो कुछ भी तू परमेश्वर से माँगे वह तुझे देगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-05.jpg)
यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ | जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा | और हर कोई जो मुझ पर विश्वास करता है वह कभी न मरेंगा | क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” उसने उससे कहा, “हाँ प्रभु! मैं विश्वास करती हूँ कि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है |”
यीशु ने जवाब दिया, "पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो कोई मुझ पर विश्वास करता है यदि वह मर भी जाए तौभी जीएगा। जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह कभी नहीं मरेगा। क्या तू इस पर विश्वास करती है?" मार्था ने जवाब दिया, "हे प्रभु, मैं विश्वास करती हूँ कि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-06.jpg)
तब मरियम वहाँँ पहुँची | वह यीशु के पाँवों पर गिर पड़ी और कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता |” यीशु ने उनसे पूछा “तुमने लाज़र को कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “कब्र में, आओ और देख लो |” तब यीशु रोया |
तब मरियम आई। उसने यीशु के चरणों में गिर कर कहा, "हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।" यीशु ने उससे पूछा, "तुमने लाज़र को कहाँ रखा है?" उन्होंने उसे बताया, "कब्र में। आ और देख ले।" तब यीशु रोने लगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-07.jpg)
ो कब्र एक गुफा थी जिसके द्वार पर एक बड़ा पत्थर लगा हुआ था | जब यीशु कब्र पर पहुँचे, तो यीशु ने उन्हें कहा कि, “पत्थर हटाओ |” परन्तु मार्था ने उससे कहा, “हे प्रभु उसे मरे हुए तो चार दिन हो गए है | अब तो उसमें से दुर्गन्ध आती होगी |”
ह कब्र एक गुफा थी जिसके द्वारा पर एक पत्थर को लुढ़काया गया था। जब यीशु कब्र पर पहुँचा तो उसने उनसे कहा, "पत्थर को हटा दो।" परन्तु मार्था ने कहा, "उसे मरे हुए चार दिन हो चुके हैं। उसमें से दुर्गंध आती होगी।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-08.jpg)
यीशु ने जवाब दिया , “क्या मैं ने तुझ से नहीं कहा था कि यदि तू मुझ पर विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी?” तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया |
यीशु ने जवाब दिया, "क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि यदि तुम मुझ पर विश्वास करो तो परमेश्वर के सामर्थ को देखोगे?" इसलिए उन्होंने पत्थर को हटा दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-09.jpg)
तब यीशु ने स्वर्ग की ओर देखा और कहा, “हे पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि अापने मेरी सुन ली है | मैं जानता था कि आप सदा मेरी सुनते है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उनके कारण मैंने यह कहा, जिससे कि वे विश्वास करें कि अापने मुझे भेजा है |” यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाजर निकल आ |”
तब यीशु ने ऊपर स्वर्ग की ओर देख कर कहा, "हे पिता, मेरी सुन लेने के लिए मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ। मैं जानता हूँ कि तू हमेशा मेरी सुनता है, परन्तु मैंने यह यहाँ पर खड़े इन सब लोगों की सहायता करने के लिए कहा ताकि ये विश्वास करें कि तूने मुझे भेजा है।" तब यीशु ने आवाज लगाई, "हे लाज़र, बाहर निकल आ!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-10.jpg)
लाजर बाहर निकल आया | वह अभी भी कपड़ो में लिपटा हुआ था | यीशु ने उनसे कहा, “कपड़ो को खोलने में उसकी मदद करो और जाने दो |” तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया |
अतः लाज़र बाहर निकल आया! वह अभी भी कफन में लिपटा हुआ था। यीशु ने उससे कहा, "इस कफन को निकालने में उसकी सहायता करो और उसे स्वतंत्र करो।" इस चमत्कार के कारण बहुत से यहूदियों ने यीशु पर विश्वास किया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-11.jpg)
परन्तु यहूदियों के धार्मिक गुरु यीशु से ईर्षा रखते थे, इसलिये उन्होंने आपस में मिलकर योजना बनाना चाहा कि कैसे वह यीशु और लाजर को मरवा सके |
परन्तु यहूदियों के धार्मिक अगुवे यीशु से जलने लगे, इसलिए वे योजना बनाने के लिए एक साथ इकट्ठा हुए कि कैसे यीशु और लाज़र को मार डाला जाए।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: यूहन्ना 11: 1-46_
_यूहन्ना 11:1-46 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-01.jpg)
हर साल, यहूदी फसह का पर्व मनाते थे | यह एक उत्सव था, जब वह याद करते थे कि परमेश्वर ने कई सदियों पहले मिस्र की गुलामी से उनके पूर्वजों को बचाया था | यीशु मसीह के सार्वजनिक उपदेशों के तीन साल बाद अपना पहला उपदेश शुरू किया |यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वह यरूशलेम में उनके साथ फसह का जश्न मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा |
हर वर्ष, यहूदी लोग फसह का पर्व मनाते थे। यह इस बारे में एक उत्सव था कि कई शताब्दियों पहले परमेश्वर ने उनके पूर्वजों को मिस्र के दासत्व से छुड़ाया था। लगभग तीन वर्ष के बाद यीशु ने सार्वजनिक रूप से प्रचार करना और शिक्षा देना आरम्भ किया। यीशु ने अपने चेलों को बताया कि वह उनके साथ यरूशलेम में फसह के पर्व को मनाना चाहता है, और यह भी कि वह वहाँ मार डाला जाएगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-02.jpg)
’यीशु के शिष्यों में से एक यहूदा नाम का एक आदमी था । वह चेलों के धन की देखभाल करता था, वह पैसों से प्रेम करता था और अकसर उसमें से चुराता था | यीशु और चेलों के यरूशलेम में पहुँचने के बाद यहूदा यहूदी गुरुओ के पास गया और पैसों के बदले यीशु के साथ विश्वास घात करने का प्रस्ताव रखा | वह जानता था कि यहूदी गुरुओं ने यीशु को मसीहा के रूप में अस्वीकार कर दिया था और वे उसे मरवा डालने की योजना बना रहे थे |
यीशु के चेलों में एक यहूदा नाम का व्यक्ति था। यहूदा प्रेरितों के धन की थैली रखने का प्रभारी था, परन्तु अक्सर वह उस थैली में से पैसे निकाल लिया करता था। यीशु और चेलों के यरूशलेम में पहुँचने के बाद यहूदा यहूदी अगुवों के पास गया। उसने धन के बदले में यीशु को उनके हाथ पकड़वाने का प्रस्ताव रखा। वह जानता था कि यहूदी अगुवे स्वीकार नहीं करते थे कि यीशु ही मसीह था। वह जानता था कि वे उसे मार डालना चाहते थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-03.jpg)
यहूदी गुरुओं ने प्रधान याजक के नेतृत्व में यीशु को धोखा देने के लिये उसे तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए | इस बात की भविष्यवाणी नबियों ने पहले ही कर दी थी | यहूदा ने पैसे लिए और वह वहाँ से चला गया | और वह अवसर ढूंढने लगा कि यीशु को किसी तरह पकड़वा दे |
महायाजक के कहने पर यहूदी अगुवों ने यीशु को उनके हाथों में पकड़वाने के लिए यहूदा को तीस चाँदी के सिक्के दिए। यह उसी प्रकार से हुआ जैसा कि भविष्यद्वक्ता ने कहा था कि होगा। यहूदा मान गया और धन लेकर चला गया। वह यीशु को गिरफ्तार करने में उनकी सहायता करने के लिए किसी अवसर की खोज करने लगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-04.jpg)
यीशु यरूशलेम में अपने चेलों के साथ फसह का दिन मना रहा था | फसह के भोजन के दौरान यीशु ने रोटी ली और आशीष माँँगकर तोड़ा और उन्हें दी और कहा, “लो और इसे खाओं | यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है | मेरी याद में यही किया करो |” इस प्रकार, यीशु ने उनसे कहा कि उसका शरीर उनके लिए बलिदान किया जाएगा |
यरूशलेम में, यीशु ने अपने चेलों के साथ फसह का पर्व मनाया। फसह के भोज के दौरान, यीशु ने रोटी लेकर तोड़ी। उसने कहा, "इसे लो और खाओ। यह मेरा शरीर है जो मैं तुम्हारे लिए देता हूँ। इसे मेरी याद में करना।" इस प्रकार से, यीशु ने कहा कि वह उनके लिए मर जाएगा, अर्थात उनके लिए वह अपने शरीर को बलि चढ़ा देगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-05.jpg)
फिर उसने दाखरस का कटोरा लिया और कहा, “इसे पीओं | यह वाचा का मेरा लहू है, जो बहुतों के पापों की क्षमा के लिये बहाया जाता है | मेरी याद में तुम यही किया करो |” इस प्रकार, यीशु ने उनसे कहा कि उसका लहू उनके पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा |
फिर यीशु ने एक दाखरस का प्याला लिया और कहा, "इसे पी लो। यह नई वाचा का मेरा लहू है जो कि मैं उंडेलूँगा ताकि परमेश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करे। हर बार इसे पीते समय मेरी याद में इसे करो जो मैं अभी कर रहा हूँ।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-06.jpg)
फिर यीशु ने अपने चेलों से कहा, “तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा |” सब चेले चकित रह गए और कहने लगे कि हम में से ऐसा कौन कर सकता है | यीशु ने कहा कि, “जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा दूँगा वही मेरा पकड़वाने वाला होगा |” फिर उसने रोटी का टुकड़ा यहूदा को दिया |
तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, "तुम में से एक जन मुझे पकड़वाएगा।" चेले चौंक गए, और पूछने लगे कि कौन ऐसा काम करेगा। यीशु ने कहा, "मेरा पकड़वाने वाला व्यक्ति वह है जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा देता हूँ।" तब उसने वह रोटी यहूदा को दी।
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यहूदा के रोटी लेने के बाद, शैतान उसमें प्रवेश करता है | यहूदा वहाँ से चला गया ताकि यीशु को पकड़वाने के लिए यहूदी गुरुओं की सहायता कर सके | तब रात्रि का समय था |
उस रोटी को लेने के बाद, यहूदा में शैतान समा गया। यहूदा निकल कर यीशु को गिरफ्तार करने के लिए यहूदी अगुवों की सहायता करने को चला गया। यह रात का समय था।
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भोजन के बाद , यीशु और उसके चेले जैतून के पहाड़ पर चले गए। तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब मुझे छोड़ दोगे, क्योंकि लिखा है: मैं रखवाले को मारूँँगा, और भेड़े तितर-बितर हो जाएँगी |”
भोजन के बाद, यीशु और उसके चेले जैतून पर्वत को चले गए। यीशु ने कहा, "तुम सब आज रात मुझे छोड़ दोगे। यह लिखा हुआ है, 'मैं चरवाहे को मारूँगा और सारी भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी।'"
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पतरस ने कहा, “यदि सब तुझे छोड़ दे तोभी, मैं नहीं छोडूँगा | यीशु ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी परीक्षा लेना चाहता है, परन्तु मैंने तुम्हारे लिये प्रार्थना की है, पतरस, तेरा विश्वास कमज़ोर नहीं होगा | फिर भी आज की रात, मुर्ग़ के दो बार बाँँग देने से पहले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा |”
पतरस ने जवाब दिया, "भले ही बाकी के सब तुझे छोड़ दें, मैं नहीं छोड़ूँगा!" तब यीशु ने पतरस से कहा, "शैतान तुम सब को ले लेना चाहता है, परन्तु हे पतरस, मैंने तेरे लिए प्रार्थना की है कि तू विश्वास से चुक न जाए। फिर भी, आज की रात, मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार इंकार करेगा कि तू मुझे जानता भी नहीं है।"
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पतरस ने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तौभी मैं तेरा इन्कार नहीं करूँगा |” इसी प्रकार बाकी चेलो ने भी कहा |
पतरस ने तब यीशु से कहा, "भले ही मैं मर भी जाऊँ, मैं कभी भी तेरा इंकार नहीं करूँगा!" बाकी के सब चेलों ने भी यही कहा।
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फिर वह गतसमनी नामक एक जगह में अपने चेलों के साथ आया | यीशु ने अपने चेलों से कहा कि प्रार्थना करते रहो कि परीक्षा में न पड़ो | फिर यीशु प्रार्थना करने चला गया |
तब यीशु अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम के स्थान पर गया। यीशु ने अपने चेलों से प्रार्थना करने के लिए कहा ताकि शैतान उनकी परीक्षा न करे। तब यीशु स्वयं प्रार्थना करने के लिए चला गया।
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यीशु ने तीन बार प्रार्थना की कहा, “हे मेरे पिता, यदि हो सके तो इस दुःख के कटोरे में से मुझे पीने मत देना | परन्तु यदि मनुष्यों के पापों की क्षमा के लिये और कोई मार्ग नहीं है, तो फिर मेरी नहीं तेरी इच्छा पूरी हो |” यीशु बहुत व्याकुल था और उसका पसीना खून की बूँदो के समान था | परमेश्वर ने अपना एक स्वर्ग दूत भेजा उसे बलवन्त करने के लिए |
यीशु ने तीन बार प्रार्थना की, "हे मेरे पिता, यदि सम्भव हो तो कृपा करके यह दुःख का प्याला पीने के लिए मुझे मत दो। परन्तु यदि लोगों के पाप क्षमा किए जाने के लिए कोई और मार्ग नहीं है, तो तेरी ही इच्छा पूरी हो।" यीशु बहुत व्याकुल था और उसका पसीना लहू की बूँदों के समान था। उसे सामर्थ देने के लिए परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को भेजा।
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प्रार्थना के कुछ समय बाद, यीशु अपने चेलो के पास वापस आया परन्तु वे सब सो रहे थे | जब यीशु तीसरी बार प्रार्थना करके आया तो उसने अपने चेलों से कहा कि, “उठो, मेरे पकड़ने वाले आ गए है |”
हर बार प्रार्थना के बाद, यीशु अपने चेलों के पास वापिस आया, परन्तु वे सो गए थे। जब यीशु तीसरी बार लौटा तो यीशु ने कहा, "जाग जाओ! मेरा पकड़वाने वाला यहाँ है।"
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यहूदा प्रधान याजकों, सैनिकों और एक बड़ी भीड़ को तलवार और लाठियों के साथ लाया | यहूदा यीशु के पास आया और कहा, “ नमस्कार, गुरु,” और उसे चूमा | यहूदा ने उन्हें यह बता दिया था कि जिसे मैं चूम कर नमस्कार करूँ वही यीशु है | यीशु ने यहूदा से कहा कि, “तूने मुझे इसलिये नहीं चूमा है कि तू मुझ से प्रेम करता है बल्कि तूने मुझे पकड़वाने के लिए चूमा है |”
यहूदी अगुवों, सैनिकों, और एक बड़ी भीड़ के साथ यहूदा आया। उन्होंने तलवारें और लाठियाँ ली हुई थीं। यहूदा ने यीशु के पास आकर उससे कहा, "हे गुरु, नमस्कार," और उसे चूम लिया। उसने गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को यहूदी अगुवों पर प्रकट करने के लिए ऐसा किया था। तब यीशु ने कहा, "हे यहूदा, क्या तू एक चुम्बन से मुझे पकड़वा रहा है?"
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ैसे ही सैनिकों ने यीशु को पकड़ लिया, पतरस ने अपनी तलवार निकाल ली और महा याजक के एक दास पर चलाकर उसका कान काट दिया | तब यीशु ने कहा कि, “अपनी तलवार म्यान में रख ले | क्या तू नहीं जनता कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्ग दूतों की पलटन अभी मेरे पास भेज देगा | पर मुझे मेरे पिता की आज्ञाओं को पूरा करना है |” यीशु ने उस व्यक्ति को जिसका कान कटा था उसे चंगा किया | तब सब चेले उसे छोड़कर भाग गए |
ब वे सैनिक यीशु को पकड़ रहे थे, तो पतरस ने अपनी तलवार निकाली और महायाजक के एक सेवक का कान काट दिया। यीशु ने कहा, "तलवार को दूर कर! मैं अपने पिता से मेरा बचाव करने के लिए स्वर्गदूतों की एक सेना के लिए विनती कर सकता हूँ। परन्तु मुझे मेरे पिता की बात माननी है।" तब यीशु ने उस व्यक्ति के कान को ठीक कर दिया। तब सारे चेले भाग गए।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 26 : 14-56 ; मरकुस 14 : 10 -50 ; लूका 22 : 1-53 ; यहन्ना 12 : 6 ; 18 : 1-11_
_मत्ती 26:14-56; मरकुस 14:10-50; लूका 22:1-53; यहन्ना 12:6; 18:1-11 से एक बाइबल की कहानी_

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# 39. महासभा के सामने यीशु
# 39. यीशु पर मुकद्दमा चलता है
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रात्रि के बीच का समय था | तब यीशु के पकड़ने वाले उसको महा याजक के पास ले गए, कि वह यीशु से प्रश्न करें | पतरस दूर ही दूर यीशु के पीछे महा याजक के आँगन तक गया | यीशु को जब महा याजक के सामने ले जाया गया तो पतरस बाहर खड़ा आग ताप रहा था |
अब यह आधी रात का समय था। वे सैनिक यीशु को महायाजक के घर ले आए, क्योंकि वह यीशु से सवाल करना चाहता था। पतरस दूर से उनका पीछा कर रहा था। जब सैनिक यीशु को घर में ले गए, तो पतरस बाहर रुक कर स्वयं को आग से गर्म करने लगा।
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घर के अन्दर प्रधान याजकों ने यीशु की जाँच शुरू की | वे कई झूठे गवाह लाए जो यीशु के बारे में झूठ बोल रहे थे | हालांकि, उनके बयान एक दूसरे से नहीं मिल रहे थे, इसलिये यहूदी नेता यीशु को दोषी साबित नहीं कर सके | परन्तु यीशु ने कुछ नहीं कहा |
घर के भीतर, यहूदी अगुवों ने यीशु पर मुकद्दमा चलाया। वे उसके विरुद्ध झूठी बातों को बोलने के लिए बहुत से झूठे गवाहों को लेकर आए। हालाँकि, उनकी बातें एक दूसरे से सहमत नहीं थीं, इसलिए यहूदी अगुवे यह साबित नहीं कर पाए कि वह किसी बात का दोषी था। यीशु ने कुछ नहीं कहा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-03.jpg)
अंत में, महा याजक ने यीशु की ओर देखकर उससे कहा कि, “हमें बता कि क्या तू मसीह है, जीवते परमेश्वर का पुत्र?”
अंत में, महायाजक ने सीधे यीशु की ओर देख कर कहा, "हमें बता कि क्या तू ही जीवित परमेश्वर का पुत्र मसीह है?"
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यीशु ने कहा, “मैं हूँ, और तुम मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठे और आकाश के बदलो पर स्वर्ग से आते देखोगे |” इस पर महा याजक ने क्रोध में अपने वस्त्र फाड़े और अन्य धार्मिक नेताओं से कहा कि, “अब हमें गवाहों की क्या जरुरत | तुमने अभी सुना है कि इसने अपने को परमेश्वर का पुत्र कहा है | तुम्हारा क्या न्याय है?”
यीशु ने कहा, "मैं हूँ, और तुम मुझे परमेश्वर के साथ बैठा हुआ और स्वर्ग से आता हुआ भी देखोगे।" महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़ लिए क्योंकि जो यीशु ने कहा वह उस बात पर बहुत क्रोधित था। वह अन्य अगुवों पर चिल्लाया, "हमें यह बताने के लिए किसी और गवाह की आवश्यकता नहीं है कि इस मनुष्य ने क्या किया है! तुमने स्वयं ही उसे यह कहते हुए सुन लिया है कि वह परमेश्वर का पुत्र है। उसके बारे में तुम्हारा क्या निर्णय है?"
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यहूदी नेताओं ने महा याजक को उत्तर दिया, “यह मरने के योग्य है |” तब उन्होंने यीशु की आँँखें ढक दी, उसके मुँह पर थूका और उसे मारा, और उसका मजाक उड़ाया |
सब यहूदी अगुवों ने महायाजक को जवाब दिया, "वह मरने के योग्य है!" तब उन्होंने यीशु की आँखों पर पट्टी बाँध दी, उस पर थूका, उसे मारा, और उसका मजाक उड़ाया।
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पतरस बाहर आँगन में बैठा हुआ था कि एक दासी ने उसे देखा और कहा, “ तू भी यीशु के साथ था |” पतरस ने इन्कार कर दिया | जब वह बाहर डेवढ़ी में गया, तो दूसरी दासी ने उसे देखकर उनसे जो वहाँ थे कहा, “यह भी तो यीशु के साथ था |” पतरस ने फिर इन्कार कर दिया | अंत में लोगों ने जो वहाँ खड़े थे, पतरस के पास आकर उससे कहा, “हम जानते है कि तू भी यीशु के साथ था क्योंकि तुम दोनों गलील से हो |”
और पतरस, जब वह घर के बाहर प्रतीक्षा कर रहा था। तब एक दासी लड़की ने उसे देखा। उसने उससे कहा, "तू भी यीशु के साथ था!" पतरस ने मना कर दिया। बाद में, किसी अन्य लड़की ने इसी बात को कहा, और पतरस ने फिर से मना कर दिया। अंत में, कुछ लोगों ने कहा, "हम जानते हैं कि तू यीशु के साथ था क्योंकि तुम दोनों गलील से हो।"
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तब पतरस शपथ खाने लगा, “यदि मैं उस व्यक्ति को जानता हूँ तो परमेश्वर मुझे श्राप दे |” और तुरन्त मुर्ग़ ने बाँँग दी, और तब यीशु ने मुड़कर पतरस को देखा |
तब पतरस ने कहा, "यदि मैं इस मनुष्य को जानता हूँ तो परमेश्वर मुझे श्राप दे!" तुरन्त ही पतरस के इस तरह शपथ खाने के बाद, एक मुर्गे ने बाँग दी। यीशु ने पीछे मुड़ कर पतरस को देखा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-08.jpg)
पतरस वहाँ से चला गया और बाहर आकर फूट फूट कर रोया | इसी दौरान जब यहूदा, विश्वासघाती, ने देखा कि यहूदी याजक यीशु को अपराधी घोषित कर उसे मारना चाहते है | यह देख यहूदा शोक से भर गया और खुद को मार डाला |
पतरस वहाँ से चला गया और फूट-फूट कर रोया। उसी समय, यीशु को पकड़वाने वाले यहूदा ने देखा कि यहूदी अगुवों ने यीशु को मृत्युदंड दिया है। यहूदा बहुत दुःखी हो गया और जाकर स्वयं को मार डाला।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-09.jpg)
गली सुबह यहूदी नेताओ ने यीशु को ले जाकर पिलातुस को सौंप दिया जो एक रोमन राज्यपाल था | वे इस आशा में थे कि पिलातुस उसे दोषी ठहरा कर उससे मरवा डाले | पिलातुस ने यीशु से पूछा, “ क्या तू यहूदियों का राजा है?”
ब उस देश का राज्यपाल पिलातुस था। वह रोम के लिए काम किया करता था। यहूदी अगुवे यीशु को उसके पास लेकर आए। वे चाहते थे कि पिलातुस उसे मृत्युदंड दे और उसे मार डाले। तब पिलातुस ने यीशु से पूछा, "क्या तू यहूदियों का राजा है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-10.jpg)
यीशु ने उत्तर दिया, “तू आप ही कह रहा है, परन्तु मेरा राज्य सांसारिक राज्य नहीं है | यदि ऐसा होता तो मेरे सेवक मेरे लिए लड़ते | मैं परमेश्वर के बारे में सच बताने के लिये पृथ्वी पर आया हूँ | हर वह व्यक्ति जिसे सच्चाई से प्रेम है, मुझे सुनेगा |” पिलातुस ने कहा, “सच क्या है?”
यीशु ने जवाब दिया, "तूने सच ही कहा है। परन्तु मेरा राज्य यहाँ पृथ्वी का नहीं है। यदि होता तो मेरे दास मेरे लिए युद्ध करते। मैं पृथ्वी पर परमेश्वर के बारे में सच बताने के लिए आया हूँ। हर एक जन जो सच से प्रेम करता है वह मेरी सुनता है।" पिलातुस ने कहा, "तो सच क्या है?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-11.jpg)
यीशु से बात करने के बाद पिलातुस भीड़ में आया, और कहा, “मैं तो इस व्यक्ति में कोई दोष नहीं पाता |” परन्तु यहूदी गुरुओं ने चिल्लाकर कहा कि, “इसे क्रूस में चढ़ा दो |” पिलातुस ने कहा कि, “मैं इसमें कोई दोष नहीं पाता |” वह और जोर से चिल्लाने लगे | पिलातुस ने तीसरी बार कहा कि “मैं इसमें कोई दोष नहीं पाता |”
यीशु के साथ बात करने के बाद, पिलातुस ने बाहर भीड़ के पास जाकर कहा, "मैं ऐसा कोई कारण नहीं पाता कि यह मनुष्य मार डाले जाने के योग्य हो।" परन्तु यहूदी अगुवों और भीड़ ने चिल्ला कर कहा, "उसे क्रूस पर चढ़ा दो!" पिलातुस ने जवाब दिया, "वह कुछ भी गलत करने का दोषी नहीं है।" परन्तु वे और भी ऊँची आवाज में चिल्लाने लगे। तब पिलातुस ने तीसरी बार कहा, "वह दोषी नहीं है!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-12.jpg)
रन्तु पिलातुस डर गया कि कही कोलाहल न मच जाए, इसलिये उसने यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सैनिको को सौंप दिया | रोमन सैनिकों ने यीशु को कोड़े मारे, और शाही बागा पहनाकर काँटों का मुकुट उसके सिर पर रखा | तब उन्होंने यह कहकर यीशु का मज़ाक उड़ाया “यहूदियों का राजा” देखो |
िलातुस डर गया कि वह भीड़ दंगे आरम्भ कर देगी, इसलिए वह अपने सैनिकों द्वारा यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए मान गया। रोमी सैनिकों ने यीशु को कोड़े लगाए, और उसको राजसी वस्त्र पहनाया, और उसके सिर पर काँटों से बना मुकुट रखा। तब वे यह कह कर उसका मजाक उड़ाने लगे, "देखो, यहूदियों का राजा!"
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 26 : 57, 27 :26 ; मरकुस 14: 53, 15:1 लूका 22 : 54-23 : 25 ; यहून्ना 18 : 12-19 : 16_
_मत्ती 26:57-27:26; मरकुस 14:53-15:15; लूका 22:54-23:25; यूहन्ना 18:12-19:16 से एक बाइबल की कहानी_

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# 40. यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना
# 40. यीशु को क्रूस पर चढ़ाया जाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-01.jpg)
सैनिको द्वारा यीशु का मजाक उड़ाने के बाद, वह यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले गए | उन्होंने यीशु से वो क्रूस उठवाया जिस पर उसे मरना था |
यीशु का ठट्ठा करने के बाद, सैनिक उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए ले गए। उन्होंने उस क्रूस को उसी से उठवाया जिस पर वह मरेगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-02.jpg)
सैनिक यीशु को उस स्थान पर ले गए जो गुलगुता या खोपड़ी का स्थान कहलाता है, वहाँ पहुँचकर क्रूस पर उसके हाथों और पाँँवों को कीलो से ठोक दिया | यीशु ने कहा कि , “हे पिता इन्हें क्षमा कर क्योकि यह नहीं जानते कि क्या करते है |” पिलातुस ने आज्ञा दी कि यीशु के सिर के ऊपर क्रूस पर यह लिख कर लगा दिया जाए कि, “यह यहूदियों का राजा है |”
वे सैनिक यीशु को उस स्थान पर लेकर आए जो "खोपड़ी" कहलाता है और उसके हाथों और पैरों को क्रूस पर ठोक दिया। परन्तु यीशु ने कहा, "हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।" उन्होंने एक तख्ती को भी उसके सिर के ऊपर टांग दिया। उस पर लिखा था, "यहूदियों का राजा।" पिलातुस ने उनसे यही लिखने के लिए कहा था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-03.jpg)
सैनिकों ने यीशु के कपड़ों के लिये जुआ खेला। उन्होंने यीशु के कपड़ों को अपने बीच बाँट लिया | जब उन्होंने ये किया तो उन्होंने यह भविष्यवाणी को पूरा किया कि, “वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं, और मेरे पहिरावे के लिए जुआ खेलते हैं।”
तब सैनिकों ने यीशु के कपड़ों के लिए चिट्ठियाँ डालीं। जब उन्होंने ऐसा किया तो उन्होंने उस भविष्यद्वाणी को पूरा किया जो कहती थी, "उन्होंने मेरे वस्त्रों को आपस में बाँट लिया, और मेरे कपड़ों के लिए चिट्ठियाँ डालीं।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-04.jpg)
यीशु को दो डाकुओ के बीच क्रूस पर चढ़ाया गया | उनमें से एक जब यीशु का ठट्ठा उड़ा रहा था तो ,दूसरे ने कहा कि, “क्या तू परमेश्वर से नहीं डरता? हम अपराधी है पर ,यह तो बेगुनाह है |” यीशु से उसने कहा कि, “अपने राज्य में मुझे भी याद रखना |” यीशु ने उसे कहा कि, “तू आज ही मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा |”
वहाँ पर दो डाकू भी थे, जिनको सैनिकों ने उसी समय पर क्रूस पर चढ़ाया था। उन्होंने उनको यीशु की दोनों तरफ रखा था। उनमें से एक डाकू ने यीशु का मजाक उड़ाया, परन्तु दूसरे ने कहा, "क्या तू नहीं डरता कि परमेश्वर तुझे दंड देगा? हम बहुत से बुरे कामों को करने के दोषी हैं, परन्तु यह मनुष्य निर्दोष है।" फिर उसने यीशु से कहा, "जब तू अपने राज्य में आए तो कृपया मुझे याद रखना।" यीशु ने जवाब दिया, "आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-05.jpg)
यहूदी और अन्य लोग जो भीड़ में थे वह यीशु का मज़ाक उड़ा रहे थे यह कहकर कि, “अगर तू परमेश्वर का पुत्र है तो क्रूस पर से उतर जा, और अपने आप को बचा | तब हम तुझ पर विश्वास करेंगे |”
यहूदी अगुवों और भीड़ के अन्य लोगों ने यीशु का मजाक उड़ाया। उन्होंने उससे कहा, "यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस से नीचे उतर आ और स्वयं को बचा ले! तब हम तुझ पर विश्वास करेंगे।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-06.jpg)
तब आकाश में दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक पूरे देश में अँधेरा छाया रहा | भले ही ये दिन का समय था | दोपहर के 3:00 बजे तक सारे देश में अँँधेरा छाया रहा |
तब उस सम्पूर्ण देश का आकाश पूरी तरह से काला हो गया, भले ही वह दिन के मध्य का समय था। यह दोपहर के समय काला हुआ था और तीन घंटे तक ऐसा ही रहा था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-07.jpg)
तब यीशु ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ |” तब यीशु का सिर झुक गया, और उसने अपनी आत्मा को परमेश्वर के हाथ में सौंप दिया | जैसे ही यीशु की मृत्यु हुई, वहा भूकंप आया और मंदिर का बड़ा परदा जो मनुष्यों को परमेश्वर की उपस्तिथि से दूर रखता था ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया |
तब यीशु ने पुकार कर कहा, "पूरा हुआ! हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।" तब उसने अपने सिर को झुकाया और अपने प्राण को त्याग दिया। जब वह मरा तो एक भूकम्प आया। वह बड़ा पर्दा जो परमेश्वर की उपस्थिति से लोगों को अलग करता था ऊपर से नीचे की ओर फट कर दो भाग हो गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-08.jpg)
अपनी मृत्यु के जरिये यीशु ने लोगों के लिये परमेश्वर के पास आने का रास्ता खोल दिया | तब सूबेदार जो यीशु का पहरा दे रहे थे, वो सब कुछ जो हुआ था उसे देखकर कहा कि, “यह मनुष्य धर्मी था | सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था |”
अपनी मृत्यु के द्वारा, यीशु ने लोगों के लिए परमेश्वर के पास आने का मार्ग खोल दिया। जब यीशु की निगरानी करने वाले एक सैनिक ने जो कुछ हुआ था यह सब देखा तो उसने कहा, "निश्चित रूप से, यह मनुष्य निर्दोष था। यह परमेश्वर का पुत्र है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-09.jpg)
तब यूसुफ और नीकुदेमुस, दो यहूदी याजक जिन्हें विश्वास था कि यीशु ही मसीह है, पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा | उन्होंने उसके शव को उज्ज्वल चादर में लपेटा, और चट्टान में खुदवाई गई कब्र में रख दिया | तब उन्होंने द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़काकर उसे बन्द कर दिया |
तब यूसुफ और नीकुदेमुस नाम के दो यहूदी अगुवे आए। वे विश्वास करते थे कि यीशु ही मसीह था। उन्होंने पिलातुस से यीशु के शरीर को माँगा। उन्होंने उसके शरीर को कपड़े में लपेटा। तब वे उसे एक चट्टान में से काट कर बनाई गई कब्र में ले गए और उसके भीतर रख दिया। तब उन्होंने उस कब्र के द्वार को बंद करने के लिए एक बड़े पत्थर को लुढ़का दिया।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 27 : 27-61 ,मरकुस 15 : 16-47 ;लूका 23 : 26-56 ;यहून्ना 19 :17,42_
_मत्ती 27:27-61; मरकुस 15:16-47; लूका 23:26-56; यूहन्ना 19:17-42 से एक बाइबल की कहानी_

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# 41. यीशु का पुनरुत्थान
# 41. परमेश्वर यीशु को मरे हुओं में से जिलाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-01.jpg)
सैनिकों के यीशु को क्रूस पर चड़ाने के बाद अविश्वासी यहूदी नेताओं ने पिलातुस के पास आकर कहा | “उस भरमाने वाले यीशु ने जब वह जीवित था कहा था कि , “मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा |”किसी को उस कब्र की रखवाली करनी चाहिए ताकि उसके चेले आकर उसके शरीर को चुरा न ले जाए और उसके बाद कह दे कि वह मुर्दों में से जी उठा है |”
सैनिकों द्वारा यीशु को क्रूस पर चढ़ा देने के बाद, यहूदी अगुवों ने पिलातुस से कहा, "उस झूठे, यीशु ने कहा था कि वह तीन दिनों के बाद मरे हुओं में से जी उठेगा। किसी को यह निश्चित करने के लिए कब्र की निगरानी करनी होगी कि उसके चेले उसके शरीर को चुरा कर न ले जाएँ। यदि वे ऐसा करते हैं तो वे कहेंगे कि वह मरे हुओं में से जी उठा है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-02.jpg)
पिलातुस ने कहा, “कुछ सैनिक लो और जाओ अपनी समझ के अनुसार रखवाली करो |” अत: उन्होंने, कब्र के द्वार के पत्थर पर मोहर लगाकर और सैनिको का पहरा लगाया जिससे कोई शरीर को न चुरा सके |
पिलातुस ने कहा, "कुछ सैनिकों को ले जाओ, और जैसे तुम कर सको वैसे कब्र की निगरानी करो।" इसलिए उन्होंने उस कब्र के प्रवेशद्वार के पत्थर पर एक मोहर लगा दी। उन्होंने यह निश्चित करने के लिए वहाँ सैनिकों को भी बैठा दिया कि कोई भी उसके शरीर को चुरा न सके।
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यीशु को दफ़नाने के दिन के बाद सब्त का दिन था, यहूदी याजको ने यीशु की कब्र पर जाने की अनुमति किसी को भी नहीं दी | सब्त के दिन के बाद अगले दिन सुबह कई महिलाए यीशु के शरीर पर सुगन्दित द्रव्य डालने के लिए उसकी कब्र पर जाने के लिए तेयार हुई |
यीशु के मरने के बाद का दिन सब्त का दिन था। कोई भी सब्त के दिन काम नहीं कर सकता था, इसलिए यीशु का कोई भी मित्र कब्र पर नहीं आया था। परन्तु सब्त के बाद के दिन, सुबह बहुत भोर को, कुछ स्त्रियाँ यीशु की कब्र पर जाने के लिए तैयार हुईं। वे उसके शरीर पर और भी मसालों को लगाना चाहती थीं।
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अचानक एक बड़ा भूकम्प हुआ | क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्त्र पाले के समान उज्ज्वल था | उसने कब्र के पत्थर को जो कब्र के द्वार पर लगा था हटा दिया और उस पर बैठ गया, कब्र की रखवाली करने वाले पहरुए काँँप उठे और मृतक समान हो गए |
उन स्त्रियों के पहुँचने से पहले, कब्र पर एक बड़ा भूकम्प हुआ। स्वर्ग से एक स्वर्गदूत ने आकर उस पत्थर को लुढ़का दिया जो कब्र के प्रवेशद्वार को ढाँके हुए था और उस पर बैठ गया। यह स्वर्गदूत उजियाले के समान चमक रहा था। कब्र पर जो सैनिक थे उन्होंने उसे देखा। वे इतना डर गए थे कि मृतकों के समान भूमि पर गिर गए।
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जब महिलाएँ कब्र पर पहुँची, स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “मत डरो | यीशु यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है |” आओ, यह स्थान देखो |” तब सस्त्रियों ने कब्र में और जहा यीशु का शरीर रखा गया था देखा | उसका शरीर वहा नहीं था |
जब वे स्त्रियाँ कब्र पर पहुँचीं तो उस स्वर्गदूत ने उनसे कहा, "मत डरो। यीशु यहाँ नहीं है। वह मरे हुओं में से जी उठा है, जैसा कि उसने कहा था कि वह जी उठेगा! कब्र में खोजो और देखो।" उन स्त्रियों ने कब्र के भीतर और जहाँ यीशु का शरीर रखा हुआ था वहाँ खोज की और देखा कि उसका शरीर वहाँ नहीं था!
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तब स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों से कहा , “जाओ और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो कि यीशु मृतकों में से जी उठा है और वह तुमसे पहले गलील को जाता है |”
तब उस स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों से कहा, "जाकर उसके चेलों को बताओ, 'यीशु मरे हुओं में से जी उठा है और वह तुम्हारे आगे-आगे गलील को जाएगा।'"
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वे स्त्रिया भय और बड़े आनन्द से भर गई | वे चेलो को यह आनन्द का समाचार देने के लिये दौड़ गई |
वे स्त्रियाँ अचम्भित हुईं और बहुत आनन्दित हुईं। वे चेलों को यह शुभ संदेश सुनाने के लिए दौड़ीं।
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जब वह स्त्रियाँ चेलों को यह आनन्द का समाचार सुनाने के लिए जा रही थी तो मार्ग में उन्हें यीशु दिखाई दिया, उन्होंने उसकी आराधना की | तब यीशु ने उनसे कहा, “मत डरो | मेरे चेलों से जाकर कहो कि गलील को चले जाएँ, वहाँ मुझे देखेंगे |”
जब वे स्त्रियाँ चेलों को यह शुभ संदेश बताने के लिए अपने मार्ग पर थीं, तो यीशु उन पर प्रकट हुआ। वे उसके पैरों पर गिर पड़ीं। तब यीशु ने कहा, "मत डरो। जाकर मेरे चेलों से गलील जाने को कहो। वे वहाँ मुझे देखेंगे।"
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 27 : 62-28 : 15 ; मरकुस 16 : 1-11 ;लूका 24 : 1-12 ; यून्ना 20 : 1-18_
_मत्ती 27:62-28:15; मरकुस 16:1-11; लूका 24:1-12; यून्ना 20:1-18 से एक बाइबल की कहानी_

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# 42. यीशु का स्वर्ग रोहण
# 42. यीशु स्वर्ग को लौट जाता है
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उसी दिन, जिस दिन यीशु मरे हुओं में से जी उठा था उसके चेलो में से दो पास के शहर में जा रहे थे | जब वे चल रहे थे तो वे यीशु के बारे में जो हुआ था, आपस में बातचीत करते जा रहे थे | वह कह रहे थे कि वह मसीह था फिर भी वह मार डाला गया | स्त्रियों ने आकर चेलों से कहा कि यीशु मरे हुओ में से जी उठा है | वे नहीं जानते थे कि क्या विश्वास करे |
जिस दिन परमेश्वर ने यीशु को मृतकों में से जीवित किया था, उसके दो चेले पास के गाँव में जा रहे थे। चलते हुए वे यीशु के साथ जो हुआ था। उसके बारे में बातें कर रहे थे, उनको आशा थी कि वह मसीह था, परन्तु तब भी वह मार डाला गया था। अब वे स्त्रियाँ कहती हैं कि वह फिर से जीवित हो गया है। वे नहीं जानते थे कि किस बात पर विश्वास करना है।
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यीशु ने उन से संपर्क किया और उनके साथ चलना शुरू कर दिया | परन्तु वह उसे पहचान न सके | उसने उनसे पूछा कि, “ये तुम किस बारे में बातें करते हो |” और उन्होंने उसे यीशु के बारे में जो बाते पिछले कुछ दिन पहले हुई थी बताया | उन्हे लगा कि वह किसी यात्री से बात कर रहे है जो नहीं जनता था कि यरूशलेम में क्या हुआ था |
यीशु ने उनके पास आकर उनके साथ चलना आरम्भ किया, परन्तु वे उसे पहचान नहीं पाए। उसने पूछा कि वे किस बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने उसे पिछले दिनों में यीशु के साथ हुई सारी घटना के बारे में बताया। उन्होंने सोचा कि वे किसी परदेशी से बातें कर रहे थे जो नहीं जानता था कि यरूशलेम में क्या हुआ था।
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यीशु ने उनसे कहा क्या तुम परमेश्वर के वचन नहीं जानते जो उसने मसीह के विषय में कहे है | उसने उन्हें नबियों ने जो कहा था याद दिलाया कि मसीह दुःख उठाएगा और मारा जाएगा और फिर तीसरे दिन जी उठेगा | जब वे उस गाँव के पास पहुँचे जहाँँ वह दोनों व्यक्ति रहने के लिए जा रहे थे तो शाम हो गई थी |
तब यीशु ने उनको समझाया कि परमेश्वर का वचन मसीह के बारे में क्या कहता है। बहुत पहले, भविष्यद्वक्ताओं ने कहा था कि बुरे लोग मसीह को पीड़ित करेंगे और मार डालेंगे। परन्तु भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी कहा था कि वह तीसरे दिन जी उठेगा।
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उन दो चेलो ने यीशु से कहा कि, “ हमारे साथ रहे |” जब वे शाम का भोजन खाने को तैयार थे, यीशु ने रोटी लेकर परमेश्वर का धन्यवाद किया और उसे तोड़कर उन्हें देने लगा | तब अचानक उन्हें पता चला कि वह यीशु है और उन्होंने उसे पहचान लिया | तब वह उनकी आँखों के सामने से गायब हो गया |
जब वे उस नगर में पहुँचे जहाँ वे दो जन ठहरना चाहते थे, तब तक लगभग शाम हो गई थी। उन्होंने यीशु को उनके साथ ठहरने के लिए आमंत्रित किया, अतः वह उनके साथ एक घर में गया। अपने शाम के भोजन को खाने के लिए वे बैठ गए। यीशु ने एक रोटी को लेकर उसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद दिया, और फिर उसे तोड़ा। अचानक से, उन्होंने जान लिया कि वह यीशु था। परन्तु उसी समय, वह उनकी आँखों से ओझल हो गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-05.jpg)
वह दोनों व्यक्ति एक दूसरे से कहने लगे कि, वह यीशु था! जब वह परमेश्वर के वचन से हमें समझा रहा था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई ? वे तुरन्त वापस यरूशलेम को लौट गए | जब वे आये तब उन्होंने चेलों को बताया कि, “यीशु सचमुच जी उठा है | हमने उसे देखा है |”
उन दो जनों ने एक दूसरे से कहा, "वह यीशु था! इसीलिए जब उसने हमें परमेश्वर के वचन को समझाया था तो हम बहुत उत्साहित थे!" तुरन्त ही, वे निकल कर वापिस यरूशलेम को गए। जब वे पहुँचे तो उन्होंने चेलों को बताया, "यीशु जीवित है! हमने उसे देखा है!"
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चेले आपस में यह बातें कर ही रहे थे कि यीशु उनके बीच में आ खड़ा हुआ और कहा, “तुम्हें शान्ति मिले |” परन्तु चेलों ने सोचा कि वह कोई भूत है | परन्तु यीशु ने कहा, “तुम क्यों डर और शक कर रहे हो ?” मेरे हाथ और मेरे पाँँव को देखो क्योंकि आत्मा के हड्डी और माँँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो | तो उसने उनसे पूछा कि क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है ?" उन्होंने उसे भुनी हुई मछली का टुकड़ा दिया, उसने लेकर उनके सामने खाया |
जब चेले बात कर रहे थे, यीशु अचानक से उस कमरे में उनके साथ प्रकट हुआ। उसने कहा, "तुम्हें शान्ति मिले!" चेलों ने सोचा कि वह कोई भूत था, परन्तु यीशु ने कहा, "तुम क्यों डरते हो? तुम यह क्यों नहीं सोचते हो कि यह सचमुच में मैं, यीशु हूँ? मेरे हाथों और पैरों को देखो। भूतों के पास ऐसा शरीर नहीं होता जैसा मेरे पास है।" यह दिखाने के लिए कि वह कोई भूत नहीं था, उसने खाने के लिए कुछ माँगा। उन्होंने उसे मछली का एक टुकड़ा दिया, और उसने उसे खा लिया।
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यीशु ने कहा, जो बाते मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम्हे बताई थी कि परमेश्वर के वचन में जो कुछ भी मेरे बारे में लिखा है वह सब पूरा होगा | तब उसने पवित्र शास्त्र बूझने के लिये उनकी समझ खोल दी | उसने कहा कि, “लिखा है कि मसीह दुःख उठाएग, मारा जायेगा और तीसरे दिन मरे हुओ में से जी उठेगा |”
यीशु ने कहा, "मेरे बारे में परमेश्वर का वचन जो कुछ भी कहता है वह घटित होगा। मैंने तुमको बता दिया था कि इसका होना अवश्य है।" तब यीशु ने उनको परमेश्वर का वचन अच्छे से समझाया। उसने कहा, "बहुत पहले भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा था कि मुझ, मसीह को दुःख उठाना होगा, मरना होगा और फिर तीसरे दिन मृतकों में से जी उठना होगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-08.jpg)
“पवित्रशास्त्र में यह भी लिखा था कि मेरे चेले प्रचार करेंगे कि हर एक को पापों की क्षमा प्राप्त करने के लिये पश्चाताप करना चाहिए | वे यरूशलेम से इसकी शुरुआत करेंगे और हर जगह सब जातियों में जायेंगे, तुम इन सब बातों के गवाह हो |”
"उन भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी लिखा था कि मेरे चेले परमेश्वर के वचन की घोषणा करेंगे। वे हर एक को पश्चाताप करने के लिए बताएँगे। यदि वे ऐसा करते हैं तो परमेश्वर उनके पापों को क्षमा करेगा। मेरे चेले इस सन्देश का प्रचार करना यरूशलेम से आरम्भ करेंगे। तब वे सब जगह सब जातियों में जाएँगे। तुम लोग मेरी हर एक बात और काम के गवाह हो जो मैंने कहा और किया था, और उस सब के भी जो मेरे साथ हुआ।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-09.jpg)
और अगले चालीस दिनों तक, यीशु अपने चेलों को कई बार दिखाई देता रहा | और उसी समय एक साथ लगभग 500 लोगों को दिखाई दिया | उसने ऐसे कई तरीको से अपने चेलों को साबित किया कि वह जीवित है और उन्हें परमेश्वर के राज्य की शिक्षा देता रहा |
अगले चालीस दिनों के दौरान, यीशु अपने चेलों पर कई बार प्रकट हुआ। एक बार तो वह एक ही समय पर 500 से अधिक लोगों पर प्रकट हुआ! उसने अपने चेलों पर कई तरीकों से साबित किया कि वह जीवित था, और उसने उनको परमेश्वर के राज्य के बारे में शिक्षा दी।
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यीशु ने अपने चेलों से कहा, “ स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है | इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो | और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ |” याद रखो मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ |
यीशु ने अपने चेलों से कहा, "परमेश्वर ने मुझे स्वर्ग और पृथ्वी के हर एक जन पर शासन करने का अधिकार दिया है। इसलिए अब मैं तुम से कहता हूँ: जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ। ऐसा करने के लिए, तुमको उन्हें पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देना है। जो कुछ भी मैंने तुमको आज्ञा दी है उन सब बातों को मानना भी तुम्हे उनको सिखाना है। याद रखो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-11.jpg)
यीशु के मरे हुओ में से जी उठने के चालीस दिनों के बाद, उसने अपने चेलों से कहा कि तुम यरूशलेम में ही रहना जब तक कि मेरे पिता तुम्हे पवित्र आत्मा का सामर्थ्य तुम्हे न दे |” प्रभु यीशु उनसे बातें करने के बाद स्वर्ग पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया | यीशु सब बातो पर शासन करने के लिए परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया |
यीशु के मरे हुओ में से जी उठने के चालीस दिनों के बाद, उसने अपने चेलों से कहा, "जब तक कि मेरा पिता तुम्हें सामर्थ नहीं देता है तब तक यरूशलेम में ठहरे रहो। वह तुम पर पवित्र आत्मा भेजने के द्वारा ऐसा करेगा।" तब यीशु स्वर्ग में चला गया, और एक बादल ने उसे उनकी दृष्टि से छिपा लिया। स्वर्ग में यीशु सब चीजों पर शासन करने परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 28 : 16-20 ;मरकुस 16 : 12-20 ;लूका 24 : 13-53 ; यहून्ना 20 : 19-23 ; प्ररितो के काम 1 : 1-11_
_मत्ती 28:16-20; मरकुस 16:12-20; लूका 24:13-53; यूहन्ना 20:19-23; Acts 1:1-11 से एक बाइबल की कहानी_

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# 43. कलीसिया का आर
# 43. कलीसिया का आरम्
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यीशु के स्वर्ग में वापस जाने के बाद, चेले यीशु की आज्ञा के अनुसार यरूशलेम में ही ठहरे हुए थे | विश्वासी वहाँ लगातार प्रार्थना करने के लिये एक साथ एकत्र हुए
यीशु के स्वर्ग लौट जाने के बाद, चेले यरूशलेम में ही रुके जैसा कि यीशु ने उनको करने का आदेश दिया था। वहाँ के विश्वासी लोग लगातार एक साथ प्रार्थना करने के लिए इकट्ठे हुआ करते थे
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-02.jpg)
हर साल फसह के पचास दिन बाद, यहूदी एक खास दिन मनाते थे जिसे पिन्‍तेकुस्त का दिन कहा जाता है | पिन्तेकुस्त के दिन यहूदी लोग फसल(गेहूँ) की कटनी की खुसी मनाते थे | इस साल पिन्तेकुस्त का दिन यीशु के स्वर्ग रोहण के एक हफ्ते बाद आया सभी यहूदी दुनिया भर से एकत्र होकर यरूशलेम में पिन्‍तेकुस्त का दिन मनाते थे |
प्रति वर्ष, फसह के पर्व के 50 दिनों के बाद, यहूदी लोग पिन्तेकुस्त नाम के एक महत्वपूर्ण दिन को मनाया करते थे। पिन्तेकुस्त वह समय था जब यहूदी लोग गेहूँ की कटाई को मनाया करते थे। सारे संसार से यहूदी लोग पिन्तेकुस्त के दिन को एक साथ मनाने के लिए यरूशलेम में आए थे। इस वर्ष, पिन्तेकुस्त मनाने का समय यीशु के स्वर्ग को चले जाने के लगभग एक सप्ताह के बाद आया था।
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ब सब विश्वासी एक जगह एकत्र हुए, अचानक वो घर जहा वे थे आकाश से बड़ी हवा की आवाज़ से भर गया | और उन्हें आग की लपटे सी कुछ दिखाई दीं और उनमें से हर एक के सिर पर आ ठहरीं | वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और उन्होंने अन्य अन्य भाषओं में बोलना शुरू किया |
िस समय सारे विश्वासी लोग एक साथ इकट्ठा थे, तो जिस घर में वे थे अचानक से वह तेज हवा की आवाज से भर गया। तब आग की लपटों के जैसा दिखने वाला कुछ सब विश्वासियों के सिरों के ऊपर प्रकट हुआ। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए और उन्होंने अन्य भाषाओं में परमेश्वर की स्तुति की। ये वह भाषाएँ थीं जिनको बोलने के लिए उनको पवित्र आत्मा ने सक्षम किया था।
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जब लोगों ने यरूशलेम में यह आवाज़ सुनी, तो भीड़ बाहर आ गई यह देखने के लिये कि क्या हो रहा है | क्योंकि हर एक को यही प्रचार सुनाई देता था, कि ये मेरी ही भाषा में परमेश्वर के बड़े बड़े कामों की चर्चा कर रहे है |
जब यरूशलेम में रहने वाले लोगों ने उस शोर को सुना, तो वे भीड़ के रूप में यह देखने के लिए एक साथ आए कि क्या हो रहा था। उन्होंने विश्वासियों को परमेश्वर द्वारा किए गए बड़े-बड़े कामों की घोषणा करते हुए सुना। वे विस्मित थे क्योंकि वे उन कामों को अपनी ही भाषाओं में सुन रहे थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-05.jpg)
लोगों ने चेलों का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि, “वे तो नशे में चूर है |” तब पतरस खड़ा होकर बोला, “मेरी बात सुनो | जैसा तुम समझ रहे हो, यह लोग नशे में नहीं है | परन्तु यह वह बात है जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई थी | परमेश्वर कहता है कि, “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उँडेलूँगा |”
इनमें से कुछ लोगों ने कहा कि वे चेले नशे में थे। परन्तु पतरस खड़ा हुआ और उनसे बोला, "मेरी बात सुनो! ये लोग नशे में नहीं हैं! इसके बजाए, जो तुम देखते हो वह वही है जो योएल भविष्यद्वक्ता ने कहा था कि होगा: परमेश्वर ने कहा, 'अंत के दिनों में, मैं अपना आत्मा उंडेलूँगा।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-06.jpg)
“हे इस्राएलियो ये बातें सुनो: यीशु नासरी एक मनुष्य था, जिसने परमेश्वर की सामर्थ्य से कई आश्चर्य के कामों और चिन्हों को प्रगट किया, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखाए जिसे तुम आप ही जानते हो | तुम ने अधर्मियों के हाथ उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला |”
"हे इस्राएली पुरुषों, यीशु एक ऐसा मनुष्य था जिसने यह दिखाने के लिए कि वह कौन था बहुत से अनोखे काम किए थे। उसने परमेश्वर के सामर्थ से बहुत से अद्भुत कामों को किया था। तुम यह जानते हो, क्योंकि तुमने इन कामों को देखा है। परन्तु तुम ने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-07.jpg)
“यीशु की मृत्यु हुई परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया, और यह भविष्यद्वाणी की गई थी कि, ‘न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया और न उसकी देह सड़ने पाई | इसी यीशु को परमेश्वर ने फिर से जिलाया, जिसके हम सब गवाह है |”
"यीशु मर गया परन्तु परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जीवित कर दिया। इसने उस बात को पूरा कर दिया जिसे एक भविष्यद्वक्ता ने लिखा था: 'तू अपने पवित्र जन को कब्र में सड़ने नहीं देगा।' हम गवाह है कि परमेश्वर ने यीशु को फिर से जीवित कर दिया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-08.jpg)
“यीशु अब महिमा में पिता परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है | और यीशु ने पवित्र आत्मा को भेजा जैसा उसने वादा किया था | और जो तुम देखते और सुनते हो वह पवित्र आत्मा द्वारा हो रहा है |”
"परमेश्वर पिता ने अब यीशु को अपनी दाहिनी ओर बैठा कर उसे आदर दिया है। और यीशु ने हमारे लिए पवित्र आत्मा भेजा है जैसी कि उसने प्रतिज्ञा की थी कि वह भेजेगा। पवित्र आत्मा ही उन कामों को होने दे रहा है जिनको तुम देख रहे और सुन रहे हो।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-09.jpg)
“उसी यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ाया, परन्तु परमेश्वर ने उसे प्रभु भी ठहराया और मसीह भी |”
"तुम ने उस मनुष्य, यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया। परन्तु निश्चित रूप से जान लो कि परमेश्वर ने यीशु को सब चीज़ों पर प्रभु और मसीह दोनों ठहराया है!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-10.jpg)
तब जो लोग पतरस की सुन रहे थे उन सब सुनने वालों के ह्रदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, “हे भाइयों हम क्या करें ?”
पतरस की सुनने वाले लोग उसके द्वारा कही गई बातों से अंदर तक हिल गए थे। इसलिए उन्होंने पतरस और चेलों से पूछा, "हे भाइयों, हमें क्या करना चाहिए?"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-11.jpg)
पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो परमेश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करेगा; तब वह तुम्हें पवित्र आत्मा का दान देगा |”
पतरस ने उनको जवाब दिया, "तुम में से हर एक अपने पापों के लिए पश्चाताप करे ताकि परमेश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करे, और यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले। तब वह तुमको वरदान स्वरूप पवित्र आत्मा भी देगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-12.jpg)
लगभग 3000 लोगों ने पतरस कि बात पर विश्वास किया और यीशु के चेले बन गए | और उन्हें बप्तिस्मा दिया गया और वे यरूशलेम की कलीसिया का हिस्सा बन गए |
पतरस ने जो कहा उस पर लगभग 3,000 लोगों ने विश्वास किया और यीशु के चेले बन गए। उन्होंने बपतिस्मा लिया और यरूशलेम की कलीसिया का हिस्सा बन गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-13.jpg)
चेले लगातार प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोड़ने, और प्रार्थना करने में लौलीन रहे | और प्रतिदिन एक मन होकर मंदिर में मिलते थे | और परमेश्वर की स्तुति करते हुए आनन्द करते थे और वे हर वस्तुए एक दुसरे से बाटते थे | हर कोई उनके बारे में अच्छा सोचता था | हर दिन बहुत से लोग विश्वासी बन रहे थे |
जब प्रेरितों ने उनको शिक्षाएँ दीं तो विश्वासियों ने लगातार सुना। वे अक्सर मिला करते थे और एक साथ भोजन किया करते थे, और उन्होंने अक्सर एक दूसरे के लिए प्रार्थना की। उन्होंने मिल कर परमेश्वर की स्तुति की और जो कुछ भी उनके पास था उन्होंने एक दूसरे के साथ साझा किया। नगर का हर एक व्यक्ति उनके लिए अच्छा विचार रखता था। प्रतिदिन, अधिक से अधिक लोग विश्वासी बनते गए।
_बाइबल की यह कहानी ली गई है : प्रेरितों के काम : 2:1-42_
_प्रेरितों के काम 2 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-01.jpg)
एक दिन पतरस और यूहन्ना प्रार्थना करने के लिये मन्दिर में जा रहे थे | तब उन्होंने एक लंगड़े भिखारी को देखा जो पैसों के लिए भीख माँग रहा था |
एक दिन, पतरस और यूहन्ना मंदिर में गए। एक अपंग व्यक्ति भीख माँगने के लिए फाटक पर बैठा हुआ था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-02.jpg)
पतरस ने उस लँगड़े भिखारी को देखा और कहा, “तुझे देने के लिये मेरे पास कोई पैसा नहीं है | परन्तु जो मेरे पास है वो मैं तुझे देता हूँ | यीशु मसीह के नाम से उठ और चल |”
पतरस ने उस लंगड़े व्यक्ति की ओर देखा और कहा, "मेरे पास तुझे देने के लिए पैसा तो नहीं है। परन्तु जो मेरे पास है वह मैं तुझे देता हूँ। यीशु के नाम से, उठ और चल-फिर!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-03.jpg)
तुरन्त, परमेश्वर ने उस लँगड़े व्यक्ति को चंगा किया, तब उसने चलना और चारों ओर कूदना शुरू किया और परमेश्वर की स्तुति करने लगा | मन्दिर में लोग उसे देखकर बहुत चकित हुए |
तुरन्त ही, परमेश्वर ने उस लंगड़े व्यक्ति को चंगा कर दिया। उसने इधर-उधर चलना और कूदना, और परमेश्वर की स्तुति करना आरम्भ कर दिया। मंदिर के आँगन में उपस्थित लोग अचम्भित थे।
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लोगों की भीड़ उस चंगे हुए भिखारी को देखने के लिये आई | पतरस ने उन्हें कहा कि, “तुम इसे चंगा देख कर इतना चकित क्यों होते हो? हमने इसे अपनी सामर्थ्य या भक्ति से चलने-फिरने योग्य नहीं बनाया है | बल्कि, यह यीशु के सामर्थ्य से और विश्वास उस विश्वास से जो यीशु देता है यह व्यक्ति चंगा हुआ है |”
शीघ्र ही लोगों की एक भीड़ उस व्यक्ति को देखने के लिए आई जो चंगा हो गया था। पतरस ने उनसे कहा, "यह मनुष्य ठीक है, परन्तु इस बात पर अचम्भित मत होना। हम ने इसे अपनी शक्ति से चंगा नहीं किया है, या इसलिए नहीं कि हम परमेश्वर का आदर करते हैं। बल्कि, वह यीशु है जिसने इस व्यक्ति को अपनी शक्ति से चंगा किया है, क्योंकि हम यीशु पर भरोसा करते हैं।"
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“तुम वही हो जिसने रोमी साम्राज्य से कहा कि यीशु को मार दिया जाए | और तुम ने जीवन के कर्ता को मार डाला, जिसे परमेश्वर ने मरे हुओ में से जिलाया | यधपि तुम्हे नहीं पता था कि क्या करते हो, परन्तु परमेश्वर ने तुम्हारे कामो का इस्तेमाल किया भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा, और मारा जाएँगा | तो अब इसलिये मन फिराओ और परमेश्वर की ओर लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ |”
"वह तुम ही हो जिन्होंने उस रोमी राज्यपाल को यीशु को मार डालने के लिए कहा था। तुमने उसे मार डाला जो सब को जीवन देता है। परन्तु परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जीवित किया। तुमने नहीं समझा कि तुम क्या कर रहे थे, परन्तु जब तुम उन कामों को कर रहे थे, तो जो भविष्यद्वक्ताओं ने कहा था वह पूरा हुआ। उन्होंने कहा था कि मसीह दुःख उठाएगा और मर जाएगा। परमेश्वर ने इसे इस तरीके से होने दिया। इसलिए अब, पश्चाताप करो और परमेश्वर की ओर फिरो, ताकि वह तुम्हारे पापों को धोकर साफ कर दे।"
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पतरस और यूहन्ना लोगों से जो कह रहे थे, उससे मन्दिर के सरदार उनसे बहुत परेशान थे | तो उन्होंने उन्हें पकड़कर बंदीगृह में डाल दिया | परन्तु बहुत से लोगों ने पतरस के सन्देश पर विश्वास किया, और जिन्होंने विश्वास किया उनकी गिनती पाँच हजार पुरुषों के लगभग हो गई |
जब मंदिर के अगुवों ने पतरस और यूहन्ना को सुना, तो वे बहुत घबरा गए। इसलिए उन्होंने उनको गिरफ्तार करके बंदीगृह में डाल दिया। परन्तु जो पतरस ने कहा था उस पर बहुत से लोगों ने विश्वास किया। यीशु पर विश्वास करने वालों की संख्या बढ़ कर लगभग 5,000 हो गई।
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दूसरे दिन ऐसा हुआ कि यहूदी याजक पतरस और यूहन्ना को लेकर महायाजक के पास गए | उन्होंने पतरस और यूहन्ना से पूछा कि, “तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है ?”
अगले दिन, वे यहूदी अगुवे पतरस और यूहन्ना को महायाजक और अन्य धार्मिक अगुवों के सामने लेकर आए। वे उस व्यक्ति को भी लेकर आए जो अपंग था। उन्होंने पतरस और यूहन्ना से पूछा, "किस अधिकार से तुमने उस अपंग व्यक्ति को चंगा किया?"
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तब पतरस ने उन्हें उत्तर दिया, “यीशु मसीह की सामर्थ्य से यह व्यक्ति तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है | तुमने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया, परन्तु परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया | तुमने उसे अस्वीकार किया, पर कोई दूसरा मार्ग नहीं है केवल यीशु के सामर्थ्य के द्वारा ही उद्धार मिल सकता है |”
पतरस ने जवाब दिया, "यह व्यक्ति जो तुम्हारे सामने खड़ा है उसे यीशु मसीह की सामर्थ के द्वारा चंगा किया गया है। तुमने यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया, परन्तु परमेश्वर ने उसे फिर से जीवित कर दिया! तुमने उसे अस्वीकार कर दिया, परन्तु यीशु के सामर्थ के माध्यम के अलावा उद्धार पाने का कोई दूसरा मार्ग नहीं है!"
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जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का साहस देखा, और यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य है , तो आश्चर्य किया | फिर उनको पहचाना कि ये यीशु के साथ रहे है | तब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना को धमकाकर छोड़ दिया |
वे अगुवे हैरान थे कि पतरस और यूहन्ना ने बहुत साहसी रूप से बात की थी। उन्होंने देखा कि ये साधारण पुरुष थे जो कि अनपढ़ थे। परन्तु फिर उनको याद आया कि ये पुरुष यीशु के साथ रहे थे। इसलिए उन्होंने उनसे कहा, "हम तुमको बहुत अधिक दंड देंगे यदि तुम इस मनुष्य यीशु के बारे में लोगों को कोई और संदेश देते हो।" ऐसी बहुत सी बातें कहने के बाद, उन्होंने पतरस और यूहन्ना को जाने दिया।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 3:1-19 ; 4:1-13_
_प्रेरितों के काम 3:1-4:22 से एक बाइबल की कहानी_

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# 45. फिलिप्पुस और कूश देश का अधिकारी
# 45.स्तिफनुस और फिलिप्पुस
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आरम्भिक कलीसिया के नेताओं में एक का नाम स्तिफनुस था | वह एक अच्छा प्रतिष्ठित मनुष्य था और पवित्र आत्मा और ज्ञान से भरा था। स्तिफनुस ने बहुत से आश्चर्य कर्म किए थे, और यीशु पर विश्वास करने के विषय पर लोगों को समझाया करता था |
प्रथम मसीही अगुवों के बीच में स्तिफनुस नाम का एक पुरुष था। सब लोग उसका आदर करते थे। पवित्र आत्मा ने उसे बहुत सामर्थ और बुद्धि प्रदान की थी। स्तिफनुस ने बहुत से चमत्कार किए थे। जब उसने यीशु पर भरोसा करने के बारे में उनको शिक्षा दी तो बहुत से लोगों ने उस पर विश्वास किया।
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एक दिन जब स्तिफनुस यीशु के बारे में उपदेश दे रहा था, बहुत से यहूदी जो यीशु पर विश्वास नहीं करते थे, उससे वाद - विवाद करने लगे | इस पर वह बहुत क्रोधित हुए , और स्तिफनुस के बारे में धार्मिक याजकों को झूठ बोला | उन्होंने कहा, “हम ने इसको मूसा और परमेश्वर के विरोध में निन्दा की बातें कहते सुना है |” तब स्तिफनुस को पकड़कर महासभा में ले गए और उसे महायाजक और अन्य यहूदी नेताओं के सामने खड़ा किया गया जहा कई ओर झूठे गवाहों ने स्तिफनुस के बारे में झूठ बोला|
एक दिन, स्तिफनुस यीशु के बारे में शिक्षा दे रहा था, और कुछ ऐसे यहूदी आए जिन्होंने यीशु पर विश्वास नहीं किया था और उसके साथ वाद-विवाद करना आरम्भ कर दिया। वे बहुत क्रोधित हो गए, इसलिए वे धार्मिक अगुवों के पास गए और उसके बारे में झूठ बोला। उन्होंने कहा, "हमने स्तिफनुस को मूसा और परमेश्वर के बारे में बुरी बातें बोलते सुना है!" इसलिए धार्मिक अगुवों ने स्तिफनुस को गिरफ्तार कर लिया और उसे महायाजक और यहूदियों के अन्य अगुवों के सामने लेकर आए। और भी झूठे गवाह आए और उन्होंने स्तिफनुस के बारे में झूठ बोला।
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तब महायाजक ने स्तिफनुस से पूछा, “क्या यह सब बातें सच है ?” तब स्तिफनुस ने उन्हें परमेश्वर के कई अद्भुत कामों के बारे में जो उसने अब्राहम के समय से लेकर यीशु के समय तक किया था, और कैसे परमेश्वर कि प्रजा निरंतर उसकी आज्ञा का उल्लंघन करती रही, इन सब घटनाओं के विषय में स्मरण दिलाते हुए उत्तर दिया| फिर उसने कहा, “हे हठीले और परमेश्वर से बलवा करने वालों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो, जैसा तुम्हारे पूर्वजों ने सदैव परमेश्वर का विरोध किया और उसके भविष्यवक्ताओं को मार डाला | परन्तु तुमने उनसे भी अधित कुछ किया है! तुमने मसीह को मार डाला |”
महायाजक ने स्तिफनुस से पूछा, "क्या यह लोग तेरे बारे में सच कह रहे हैं?" स्तिफनुस ने महायाजक को जवाब देने के लिए बहुत सी बातों को बोलना आरम्भ कर दिया। उसने कहा कि अब्राहम के समय से यीशु के समय तक परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों के लिए बहुत से अनोखे काम किए हैं। परन्तु लोगों ने हमेशा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता की थी। स्तिफनुस ने कहा, "तुम लोग परमेश्वर के विरुद्ध हठीले और बलवा करने वाले हो। तुमने हमेशा पवित्र आत्मा को अस्वीकार किया, जैसे कि हमारे पूर्वजों ने हमेशा पवित्र आत्मा को अस्वीकार किया था और हमेशा उसके भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला था। परन्तु जो उन्होंने किया था उसकी तुलना में तुमने और भी बुरा किया है! तुमने मसीह को मार डाला!"
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जब धार्मिक नेताओं ने यह सब सुना, तब उन्होंने बड़े शब्द से चिल्लाकर अपने अपने कान बन्द कर लिये| उन्होंने स्तिफनुस को नगर से बाहर निकालकर उसे मार डालने कि इच्छा से उस पर पथराव किया |
जब उन धार्मिक अगुवों ने यह सुना, तो वे इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने अपने कानों को बंद कर लिया और ऊँची आवाज में चिल्लाए। वे स्तिफनुस को घसीट कर नगर से बाहर ले गए और उसे मार डालने के लिए उसे पत्थर मारे।
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जब स्तिफनुस मरने पर था, वह प्रार्थना करने लगा कि, “हे प्रभु यीशु मेरी आत्मा को ग्रहण कर |” फिर घुटने टेककर ऊँचे शब्द से पुकारा, “ हे प्रभु यह पाप उन पर मत लगा |” और यह कहकर वह मर गया |
जब स्तिफनुस मर रहा था, वह पुकार उठा, "हे यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर!" तब वह अपने घुटनों पर गिर पड़ा और फिर से पुकार उठा, "हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगाना।" तब वह मर गया।
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एक शाऊल नामक जवान, स्तिफनुस के वध में शामिल लोगो से सहमत था और वह उन सब के कपड़ों कि रखवाली कर रहा था जब वे स्तिफनुस पर पथराव कर रहे थे| उसी दिन,कई लोग यरूशलेम में यीशु मसीह पर विश्वास करने वालो पर बड़ा उपद्रव करने लगे, इसलिए विश्वासी अन्य स्थानों में भाग गए | तथापि, जहा कही भी वह गए, हर जगह यीशु मसीह का प्रचार करते रहे|
उस दिन, यरूशलेम में रहने वाले बहुत से लोगों ने यीशु के अनुयायियों को सताना आरम्भ कर दिया, इसलिए विश्वासी लोग अन्य स्थानों को भाग गए। परन्तु इसके बावजूद भी, जहाँ कहीं भी वे गए उन्होंने यीशु के बारे में प्रचार किया।
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यीशु का एक चेला जिसका नाम फिलिप्पुस था, वो उन विश्वासियों में से एक था जो सताव के दिनों में यरूशलेम से भागे गए थे | वह सामरिया नगर में गया और वहा लोगों को यीशु के बारे में बताया और बहुत से लोगों बचाए गए | फिर एक दिन, प्रभु के एक स्वर्ग दूत ने फिलिप्पुस से कहा, “उठ रेगिस्तानी मार्ग पर जा |” जब वह मार्ग में चल रहा था, फिलिप्पुस ने कूश देश के एक प्रमुख अधिकारी को देखा जो अपने रथ में था | तब पवित्र आत्मा ने फिलिप्पुस से कहा कि जाकर इस व्यक्ति से बात करे|
फिलिप्पुस नाम का यीशु का एक विश्वासी था। जैसा कि अन्य बहुत से विश्वासियों ने किया था वह भी यरूशलेम से भाग गया। वह सामरिया के क्षेत्र में चला गया। वहाँ उसने लोगों में यीशु के बारे में प्रचार किया। बहुत से लोगों ने उस पर विश्वास किया और उद्धार पाया। एक दिन, फिलिप्पुस के पास परमेश्वर की ओर से एक स्वर्गदूत आया और उससे जंगल में जाने के लिए, और एक सड़क पर चलने के लिए कहा। फिलिप्पुस वहाँ चला गया। जब वह उस सड़क पर चल रहा था, तो उसने एक व्यक्ति को अपने रथ में जाते हुए देखा। यह व्यक्ति कूश देश का एक महत्वपूर्ण अधिकारी था। पवित्र आत्मा ने फिलिप्पुस से कहा कि जाकर उस व्यक्ति के साथ-साथ चले।
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जब फिलिप्पुस रथ के पास पंहुचा, उसने कुश देश के अधिकारी को यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक से पढ़ते हुए सुना | वो पढ़ रहा था, “वह भेड़ के समान वध होने को पहुँँचाया गया, और जैसा मेमना अपने ऊन कतरने वालों के सामने चुपचाप रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुँँह न खोला | उसकी दीनता में उसका न्याय नहीं होने पाया | क्योंकि पृथ्वी से उसका प्राण उठा लिया जाता है |”
इसलिए फिलिप्पुस रथ के पास गया। उसने सुना कि वह कूशी परमेश्वर के वचन को पढ़ रहा था। जो यशायाह भविष्यद्वक्ता ने लिखा था वह उसे पढ़ रहा था। वह पढ़ रहा था, "वे उसे वध की जाने वाली भेड़ के समान ले गए, और जैसे एक मेमना शान्त होता है, उसने भी एक शब्द नहीं कहा। उन्होंने उसके साथ अनुचित व्यवहार किया और उसका आदर नहीं किया। उन्होंने उसका प्राण ले लिया।"
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फिलिप्पुस ने उससे पूछा, “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है |” उसने उत्तर दिया, “नहीं | जब तक मुझे कोई न समझाए तो में कैसे समझूँ| कृपया मेरे साथ बैठे| क्या यशायाह यह अपने विषय में कहता है या किसी दूसरे के ?”
फिलिप्पुस ने उस कूशी से पूछा, "जो तू पढ़ रहा है क्या तू उसे समझता भी है?" उस कूशी ने जवाब दिया, "नहीं। जब तक कोई इसे मुझे न समझाए, तब तक मैं इसे नहीं समझ सकता। कृपा करके मेरे पास आकर बैठ। यशायाह यह अपने बारे में लिख रहा था या किसी और के?"
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फिर फिलिप्पुस ने उसे समझाया कि यशायाह यह यीशु मसीह के बारे में बता रहा है | तब फिलिप्पुस ने अन्य शास्त्रों का भी इस्तेमाल करके उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया |
फिलिप्पुस रथ पर चढ़ कर बैठ गया। तब उसने उस कूशी व्यक्ति को वह बताया जो यशायाह ने यीशु के बारे में लिखा था। फिलिप्पुस ने परमेश्वर के वचन के बहुत से अन्य भागों की भी चर्चा की। इस तरह से, उसने उस व्यक्ति को यीशु के बारे में शुभ संदेश सुनाया।
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मार्ग में चलते-चलते वे किसी जल की जगह पहुँचे | तब कुश देख के अधिकारी ने कहा कि, “देख ! यहाँ जल है! क्या में बपतिस्मा ले सकता हु?” तब उसने रथ खड़ा करने की आज्ञा दी |
फिलिप्पुस और वह कूशी चलते हुए पानी के पास आए। उस कूशी ने कहा, "देख! यहाँ पानी है! क्या मैं बपतिस्मा ले सकता हूँ?" और उसने सारथी से रथ को रोकने के लिए कहा।
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और फिलिप्पुस और खोजा दोनों जल में उत्तर पड़े और फिलिप्पुस ने कुश देश के अधिकारी को बपतिस्मा दिया | जब वे जल में से निकलकर ऊपर आए, तो पवित्र आत्मा फिलिप्पुस को दूसरी जगह उठा ले गया जहा वह लोगो को यीशु के बारे में बताता रहा|
अतः वे पानी में चले गए, और फिलिप्पुस ने उस कूशी को बपतिस्मा दिया। जब वे पानी से बाहर आए, तो पवित्र आत्मा अचानक ही फिलिप्पुस को उठा कर किसी अन्य स्थान को ले गया। वहाँ फिलिप्पुस ने लोगों को यीशु के बारे में बताना जारी रखा।
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और कुश देश का अधिकारी अपने घर कि ओर आनन्द करता हुआ गया क्यूंकि वह यीशु को जान गया था|
वह कूशी अपने घर की यात्रा पर आगे बढ़ गया। वह प्रसन्न था कि वह अब यीशु को जानता था।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 6:8-8:5; 8: 26 -40_
_प्रेरितों के काम 6:8-8:5; 8:26-40 से एक बाइबल की कहानी_

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# 46. पौलुस का विश्वासी बनना
# 46. पौलुस मसीही विश्वासी बन जाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-01.jpg)
शाऊल वह जवान था जिसने स्तिफनुस के वध में शामिल लोगों के कपड़ों कि रखवाली कि थी| वह यीशु पर विश्वासी नही करता था, इसलिए वह विश्वासियों को सताता था | यरूशलेम में वह घर घर जाकर क्या स्त्री, क्या पुरुष वह सबको पकड़कर बंदीगृह में डालता था | महायाजक ने शाउल को यह अनुमति दी की वह दमिश्क शहर में जाकर वहा के मसीहियों को पकड़कर वापस यरूशलेम ले आए |
शाऊल नाम का एक व्यक्ति था जिसने यीशु पर विश्वास नहीं किया था। जब वह जवान था, तब उसने स्तिफनुस को मारने वाले लोगों के कपड़ों की निगरानी की थी। बाद में, उसने विश्वासियों को सताया था। उसने यरूशलेम में घर-घर जाकर पुरुष व स्त्री दोनों को गिरफ्तार करके बंदीगृह में डाल दिया था। तब महायाजक ने शाऊल को दमिश्क नगर में जाने की अनुमति दी। उसने वहाँ के मसीहियों को गिरफ्तार करने और उनको वापिस यरूशलेम लेकर आने के लिए शाऊल से कहा।
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परन्तु जब वह दमिश्क के निकट पहुँचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी, और वह धरती पर गिर गया| शाउल ने यह शब्द सुना, “हे शाऊल! हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?” उसने पूछा, “हे प्रभु तू कौन है?” यीशु ने उसे उत्तर दिया कि, “मैं यीशु हूँ जिसे तू सताता है |”
अतः शाऊल ने दमिश्क जाने की यात्रा आरम्भ की। उस नगर को पहुँचने से थोड़ा ही पहले, उसके चारों ओर आकाश से एक उज्जवल प्रकाश चमका, और वह भूमि पर गिर पड़ा। शाऊल ने किसी को कहते हुए सुना, "हे शाऊल! हे शाऊल! तू मुझे क्यों सता रहा है?" शाऊल ने पूछा, "हे प्रभु, तू कौन है?" यीशु ने उसे जवाब दिया, "मैं यीशु हूँ। तू मुझे सता रहा है!"
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तब शाऊल उठा, परन्तु जब आँखें खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया,और उसके मित्र उसका हाथ पकड़ के दमिश्क में ले गए | शाऊल तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया |
जब शाऊल उठा तो वह देख नहीं सकता था। उसके मित्र उसको दमिश्क में लेकर गए थे। शाऊल ने तीन दिन तक कुछ भी खाया या पिया नहीं था।
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दमिश्क में हनन्याह नामक एक चेला था | प्रभु ने उसे कहा कि, “उस घर में जा जहाँ शाऊल नामक व्यक्ति रहता है | अपना हाथ उस पर रखना ताकि वह फिर से दृष्टी पाए |” परन्तु हनन्याह ने कहा, “हे प्रभु मैनें इस मनुष्य के विषय में सुना है कि इसने तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी बुराइयाँ की है |” परन्तु प्रभु ने कहा, “तू चला जा क्योंकि वह तो अन्यजातियों और राजाओं के सामने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है | और मैं उसे बताऊँगा कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुःख उठाना पड़ेगा |”
दमिश्क में हनन्याह नाम का एक चेला था। परमेश्वर ने उससे कहा, "उस घर को जा जहाँ शाऊल ठहरा हुआ है। अपने हाथों को उस पर रख ताकि वह फिर से देखने लगे।" परन्तु हनन्याह ने कहा, "हे प्रभु, मैंने सुना है कि इस व्यक्ति ने विश्वासियों को कैसे सताया है।" परमेश्वर ने उसे जवाब दिया, "जा! मैंने उसे यहूदियों में और दूसरी जातियों के लोगों में मेरे नाम की घोषणा करने के लिए चुन लिया है। वह मेरे नाम के लिए बहुत कष्ट सहेगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-05.jpg)
तब हनन्याह उठकर शाउल के पास गया, अौर उस पर अपना हाथ रखकर कहा, “यीशु, जो उस रास्ते में, तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है कि तू फिर दृृष्टि पाए अौर पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए |” शाउल तुरन्त देखने लगा, और हनन्याह ने उसे बपतिस्मा दिया| फिर शाउल ने भोजन किया और बल पाया |
अतः हनन्याह शाऊल के पास गया, अपने हाथों को उस पर रखा, और कहा, "यीशु ने, जो यहाँ आने के तेरे मार्ग में तुझ पर प्रकट हुआ था, मुझे तेरे पास भेजा है ताकि तू फिर से देखने लगे, और पवित्र आत्मा तुझे भर दे।" तुरन्त ही शाऊल फिर से देखने में सक्षम हो गया, और हनन्याह ने उसे बपतिस्मा दिया। तब शाऊल ने भोजन किया और फिर से बलवंत हो गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-06.jpg)
ुरन्त ही, शाऊल दमिश्क के यहूदियों से प्रचार करने लगा कि, “यीशु परमेश्वर का पुत्र है!” सब सुनने वाले चकित थे क्यूंकि जो व्यक्ति पहले विश्वासियों को नष्ट करता था वह खुद अब यीशु पर विश्वास करता है! शाउल यहूदियों से तर्क करता था, और इस बात का प्रमाण देता था कि यीशु ही मसीह है |
भी से, शाऊल ने दमिश्क में रहने वाले यहूदियों में प्रचार करना आरम्भ कर दिया। उसने कहा, "यीशु ही परमेश्वर का पुत्र है!" यहूदी लोग अचम्भित थे, क्योंकि शाऊल ने तो विश्वासियों को मार डालने का प्रयास किया था, परन्तु अब उसने यीशु में विश्वास किया था। शाऊल ने यहूदियों के साथ वाद-विवाद किया। उसने दिखाया कि यीशु ही मसीह था।
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जब बहुत दिन हो गए तो यहूदियों ने मिलकर शाउल को मार डालने का षड्यंंत्र रचा | उन्होंने उसे मारने के लिये रात दिन फाटकों पर लोगो को पहरे पर रखा | परन्तु उनका षड्यंत्र शाऊल को पता चल गया था और रात को उसके मित्रो ने उसे टोकरे में बैठाया, और शहरपनाह पर से लटकाकर उतार दिया | शाउल दमिश्क से बच कर निकल गया और यीशु का प्रचार करना जारी रखा |
बहुत दिनों के बाद, यहूदियों ने शाऊल को मार डालने की योजना बनाई। उन्होंने उसे मार डालने के लिए नगर के फाटक पर लोगों को भेजा। कि उसकी निगरानी करें परन्तु शाऊल ने उस योजना के बारे में सुन लिया, और उसके मित्रों ने बच कर निकलने में उसकी सहायता की। एक रात को उन्होंने उसे टोकरी में बैठा कर नगर की दीवार से उसे नीचे उतार दिया। दमिश्क से बच कर निकलने के बाद शाऊल ने यीशु के बारे में प्रचार करना जारी रखा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-08.jpg)
यरूशलेम में पहुँचकर शाउल चेलों के साथ मिल जाने का प्रयत्न किया परन्तु सब उससे डरते थे| तब बरनबास ने उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले जाकर उनको बताया कि दमिश्क में इसने कैसे हियाव से यीशु के नाम से प्रचार किया | उसके बाद चेलों ने शाऊल को स्वीकार कर लिया |
शाऊल प्रेरितों से मिलने के लिए यरूशलेम गया, परन्तु वे उससे डरते थे। तब बरनबास नाम का एक विश्वासी शाऊल को प्रेरितों के पास लेकर गया। उसने उनको बताया कि शाऊल ने कैसे साहसी होकर दमिश्क में प्रचार किया था। उसके बाद, प्रेरितों ने शाऊल को स्वीकार कर लिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-09.jpg)
कुछ लोग जो येरूशलेम में सताव के मारे तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते अन्ताकिया पहुँचे और प्रभु यीशु के सुसमाचार की बातें सुनाने लगे | परन्तु अन्ताकिया में अधिकतर लोग यहूदी नहीं थे, और पहली बार, उनमें से बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे | बरनबास और शाऊल इन नए विश्वासियों को पढ़ाने, यीशु के बारे में बताने और कलीसिया को मजबूत करने के लिये अन्ताकिया आए | और चेलें सब से पहले अन्ताकिया ही में “मसीही” कहलाए |
कुछ विश्वासी जो यरूशलेम के सताव से भाग गए थे वे दूर अंताकिया नगर में चले गए थे और यीशु के बारे में प्रचार करते थे। अंताकिया में रहने वाले लोग अधिकतर यहूदी नहीं थे, परन्तु पहली बार, उनमें से बहुत से लोग विश्वासी बन गए। बरनबास और शाऊल इन नए विश्वासियों को यीशु के बारे में और अधिक सिखाने के लिए वहाँ गए और कलीसिया को मजबूत किया। यीशु पर विश्वास करने वाले पहली बार अंताकिया में ही "मसीही" कहलाए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-10.jpg)
एक दिन जब अन्ताकिया की कलीसिया के मसीही उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैं ने उन्हें बुलाया है |” तब अन्ताकिया की कलीसिया ने शाउल और बरनबास के लिए प्रार्थना करी और उन पर हाथ रखा | फिर कलीसिया ने उन्हें कई अन्य स्थानों में यीशु के बारे में प्रचार करने के लिये भेज दिया | बरनबास और शाउल ने अलग अलग समूह और जाती के लोगों को सिखाया, और कई लोग यीशु पर विश्वास करने लगे|
एक दिन, अंताकिया के मसीही लोग उपवास के साथ प्रार्थना कर रहे थे। पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, "मेरे लिए बरनबास और शाऊल को उस काम को करने के लिए अलग कर दो जिसे करने के लिए मैंने उनको बुलाया है।" इसलिए अंताकिया की कलीसिया ने बरनबास और शाऊल के लिए प्रार्थना की और उन पर अपने हाथों को रखा। तब उन्होंने उनको अन्य बहुत से स्थानों पर यीशु के बारे में शुभ संदेश का प्रचार करने के लिए भेज दिया। बरनबास और शाऊल ने अलग-अलग जातियों के लोगों को शिक्षा दी, और बहुत से लोगों ने यीशु में विश्वास किया।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 8:3; 9:1-31; 11:19-26; 13:1-3_
_प्रेरितों के काम 8:3; 9:1-31; 11:19-26; 13:1-3 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-01.jpg)
ैसे शाउल पुरे रोमी साम्राज्य में यात्रा करने लगा, उसने अपने रोमी नाम, “पौलुस” का इस्तेमाल करना शुरू किया| एक दिन पौलुस और उसका मित्र सीलास फिलिप्पी में यीशु का प्रचार करने को गए | वह वहाँँ एक नदी के किनारे गए जहा लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते थे| वहा पर वह लुदिया नामक भक्त स्त्री से मिले जो कि व्यापारी थी | वह बहुत प्रेम के साथ प्रभु की आराधना करती थी |
ब शाऊल ने सम्पूर्ण रोमी साम्राज्य में यात्राएँ कीं तो उसने अपने रोमी नाम "पौलुस" का उपयोग करना आरम्भ कर दिया। एक दिन, पौलुस और उसका मित्र सीलास फिलिप्पी नगर में यीशु के बारे में शुभ संदेश सुनाने के लिए गए। वे नगर के बाहर नदी के किनारे एक स्थान पर गए जहाँ लोग प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा थे। वहाँ वे लुदिया नाम की एक स्त्री से मिले जो एक व्यापारी थी। वह परमेश्वर से प्रेम करती थी और उसकी आराधना करती थी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-02.jpg)
्रभु ने लुदिया के मन को खोला ताकि वह यीशु के सुसमाचार पर विश्वास करे | उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया | उसने पौलुस और सीलास को अपने घर आने का न्योता दिया, इसलिए वह उसके और उसके परिवार के साथ रहे |
रमेश्वर ने लुदिया को यीशु के बारे में संदेश पर विश्वास करने के लिए सक्षम किया। पौलुस और सीलास ने उसे और उसके परिवार को बपतिस्मा दिया। उसने पौलुस और सीलास को अपने घर ठहरने के लिए आमंत्रित किया, इसलिए वे वहाँ ठहर गए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-03.jpg)
पौलुस और सीलास प्रार्थना के स्थान पर लोगों से अक्सर मिला करते थे | हर दिन जब वह प्रार्थना करने की जगह जाते थे, तो एक दासी उनका पीछा करती थी जिसमें भावी कहने वाली दुष्ट आत्मा थी| इस दुष्ट आत्मा के द्वारा वह दूसरों का भावी बताती थी, जिससे अपने स्वामियों के लिये ज्योतिषी के रूप में बहुत धन कमा लाती थी |
पौलुस और सीलास लोगों से अक्सर उस स्थान पर मिलते थे जहाँ यहूदी लोग प्रार्थना किया करते थे। प्रतिदिन जब वे वहाँ जाते थे तो एक दासी लड़की जो दुष्टात्मा द्वारा नियंत्रित थी उनका पीछा किया करती थी। इस दुष्टात्मा के माध्यम से वह लोगों का भविष्य बताया करती थी, इसलिए वह भविष्य बताने वाली के रूप में अपने स्वामियों के लिए बहुत धन कमाया करती थी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-04.jpg)
वह पौलुस और सीलास के पीछे आकर चिल्लाने लगी, “ ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्वर के दास है | जो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते है |” वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रही जिससे पौलुस परेशान हुआ |
उनके जाते समय यह दासी लड़की चिल्लाया करती थी, "ये पुरुष परम प्रधान परमेश्वर के सेवक हैं। ये तुमको उद्धार पाने का मार्ग बता रहे हैं!" वह प्रतिदिन ऐसा किया करती थी जिससे कि पौलुस नाराज़ हो गया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-05.jpg)
त: एक दिन जब वह दासी चिल्लाने लगी, पौलुस ने मुड़कर उस आत्मा से जो उसमे थी कहा, “मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँ कि उसमें से निकल जा |” उसी घड़ी वह दुष्ट आत्मा उसमें से निकल गई |
ंत में, एक दिन जब उस दासी लड़की ने चिल्लाना आरम्भ किया, तो पौलुस ने उसकी ओर मुड़ कर उसके अंदर की दुष्टात्मा से कहा, "यीशु के नाम से इसमें से निकल जा।" उसी समय उस दुष्टात्मा ने उसे छोड़ दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-06.jpg)
वह लोग जो उस दासी के स्वामी थे बहुत क्रोधित हुए | उन्हें अनुभव हुआ कि, बिना भावी कहने वाली दुष्ट आत्मा के दासी लोगों को उनका भविष्य नही बता पाएगी | इसका अर्थ अब लोग दासी से अपने भविष्य में होने वाली घटनाओं को जानने के लिए उसके स्वामियों को पैसे नहीं देंगे |
उस दासी लड़की के स्वामी बहुत क्रोधित हो गए। उनको मालूम हो गया कि बिना उस दुष्टात्मा के वह दासी लड़की लोगों को भविष्य नहीं बता सकती थी। इसका अर्थ था कि लोग अब उसके स्वामियों को पैसा नहीं देंगे कि वह उनको भविष्य बताए कि उनके साथ क्या होगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-07.jpg)
तो उस दासी के स्वामियों ने पौलुस और सीलास को रोमी अधिकारीयों के सामने ले जाकर खड़ा किया, जिन्होंने उसे मारा और बन्दीगृह में डाल दिया |
इसलिए उस दासी लड़की के स्वामी पौलुस और सीलास को रोमी अधिकारियों के पास ले गए। उन्होंने पौलुस और सीलास को पीटा, और फिर उनको बन्दीगृह में डाल दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-08.jpg)
उन्होंने पौलुस और सीलास को बंदीगृह के सबसे सुरक्षित क्षेत्र में रखा था और यहां तक कि उनके पैरों को भी बांध रखा था| फिर भी आधी रात को पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे |
उन्होंने पौलुस और सीलास को बन्दीगृह के ऐसे हिस्से में रखा जहाँ पर सबसे अधिक सिपाही थे। यहाँ तक कि उन्होंने उनके पैरों को लकड़ी के बड़े टुकड़ों में जोड़ दिया। परन्तु पौलुस और सीलास आधी रात के समय, परमेश्वर की स्तुति के गीत गा रहे थे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-09.jpg)
इतने में एकाएक बड़ा भूकम्प आया! यहाँ तक कि बन्दीगृह की नींव हिल गई, और तुरन्त सब द्वार खुल गए, और सब कैदियों के बन्धन खुल पड़े |
अचानक से, एक भयानक भूकम्प हुआ! बन्दीगृह के सारे द्वार खुल गए, और सारे कैदियों की जंजीरें खुल कर गिर गईं।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-10.jpg)
दारोगा जाग उठा, और बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर बहुत डर गया! उसने समझा कि कैदी भाग गए है और उसने तलवार निकालकर अपने आप को मार डालना चाहा | (क्योंकि वह जानता था कि अगर कैदी भाग गए तो रोमी साम्राज्य के अधिकारी उसे मार देंगे |) परन्तु पौलुस ने उसे रोका और कहा कि, “अपने आप को कुछ हानि न पहुँचा | क्योंकि हम सब यहीं हैं |”
तब दरोगा जाग गया। उसने देखा कि बन्दीगृह के द्वार खुले हुए थे। उसने सोचा कि सारे कैदी बच कर भाग गए थे। वह डर गया कि उनके भाग जाने के कारण रोमी अधिकारी उसे मार डालेंगे, इसलिए वह स्वयं को मार डालने के लिए तैयार हो गया! परन्तु पौलुस उसे देख कर चिल्लाया, "रुक जा! स्वयं को नुकसान न पहुँचा। हम सब यहीं हैं।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-11.jpg)
दारोगा घबरा गया और पौलुस और सीलास के पास आकर पूछा, “हे सज्जनों उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूँ ?” पौलुस ने उत्तर दिया, “यीशु, जो मालिक है, उसपर विश्वास करो तो तुम और तुमारा परिवार उद्धार पाएगा|” फिर दारोगा पौलुस और सीलास को अपने घर ले गया जहा उसने उनके घावों को धोया|
उस दरोगा ने काँपते हुए पौलुस और सीलास के पास आकर पूछा, "उद्धार पाने के लिए मैं क्या करूँ?" पौलुस ने जवाब दिया, "प्रभु यीशु पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।" तब वह दरोगा पौलुस और सीलास को अपने घर ले गया और उनके घावों को धोया। पौलुस ने उसके घर के सब लोगों को यीशु के बारे में शुभ संदेश सुनाया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-12.jpg)
पौलुस ने उत्तर दिया कि, “प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर तो तू और तेरा घराना भी उद्धार पाएगा |” तब पौलुस ने उसे और उसके घराने के सब लोगों को बपतिस्मा दिया | और सबने परमेश्वर पर विश्वास करके आनन्द किया |
दरोगा और उसके पूरे परिवार ने यीशु पर विश्वास किया, इसलिए पौलुस और सीलास ने उनको बपतिस्मा दिया। तब दरोगा ने पौलुस और सीलास को भोजन करवाया, और वे एक साथ आनन्दित हुए।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-13.jpg)
जब दिन हुआ तो सिपाहियों ने पौलुस और सीलास को छोड़ दिया और उन्हें आज्ञा दी कि फिलिप्पी छोड़ दे | पौलुस और सीलास निकलकर लुदिया के यहाँ गए और फिर शहर छोड़ दिया | यीशु के सुसमाचार को वह प्रचार करते गए और कलीसिया विकास करती गई |
अगले दिन नगर के अगुवों ने पौलुस और सीलास को बन्दीगृह से स्वतंत्र कर दिया और फिलिप्पी से चले जाने के लिए कहा। पौलुस और सीलास लुदिया और कुछ अन्य मित्रों से मिले और उसके बाद नगर से निकल गए। यीशु के बारे में शुभ संदेश फैलता गया, और कलीसिया बढ़ती गई।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-14.jpg)
पौलुस और अन्य मसीही अगुवों ने अनेक शहरों में यीशु का प्रचार किया और लोगों को परमेश्वर के वचन की शिक्षा दी | उन्होंने खतो के द्वारा भी यीशु का प्रचार किया और लोगों को उत्साहित किया | और उन खतों को नया नियम कहा जाता है |
पौलुस और अन्य मसीही अगुवों ने बहुत से नगरों की यात्रा की। उन्होंने लोगों को यीशु के बारे में शुभ संदेश सुनाया। उन्होंने कलीसियाओं के विश्वासियों को उत्साहित करने और शिक्षा देने के लिए कई पत्र भी लिखे। इनमें से कुछ पत्र बाइबल की पुस्तकें बन गए।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 16 : 11-40_
_प्रेरितों के काम 16:11-40 से एक बाइबल की कहानी_

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# 48. यीशु ही सच्चा मसीहा है
# 48.यीशु ही प्रतिज्ञा किया हुआ मसीह है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-01.jpg)
परमेश्वर ने जब संसार की सृष्टि की , तो सब कुछ एकदम सही था। संसार में कोई पाप नहीं था | आदम और हव्वा एक-दूसरे से वा परमेश्वर से प्रेम करते थे | पृथ्वी पर कोई बीमारी व मृत्यु नहीं थी | एक ऐसी सृष्टि का निर्माण जैसी परमेश्वर चाहता है |
जब परमेश्वर ने संसार को बनाया तो सब कुछ अच्छा था। कोई पाप नहीं था। आदम और हव्वा एक दूसरे को प्रेम करते थे, और वे परमेश्वर से प्रेम करते थे। कोई बीमारी या मृत्यु नहीं थी। परमेश्वर ऐसे ही संसार को चाहता था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-02.jpg)
शैतान ने हव्वा को धोखा देने के लिए वाटिका में साँप के माध्यम से बात की | फिर आदम और हव्वा ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया। क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया, इसलिये पृथ्वी पर लोग बीमारी से पीड़ित हुए व मृत्यु हुई |
शैतान ने साँप के माध्यम से बगीचे में हव्वा से बात की, क्योंकि वह उसे धोखा देना चाहता था। तब हव्वा और आदम ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया। क्योंकि उन्होंने पाप किया था इसीलिए पृथ्वी पर रहने वाले सब जन मरते हैं।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-03.jpg)
क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया, और इससे भी ज्यादा भयानक हुआ कि वे परमेश्वर के शत्रु बन गए इसका परिणाम यह हुआ कि, अब हर व्यक्ति एक पापी स्वभाव के साथ पैदा होता है और वह परमेश्वर का विरोधी बन जाता है | परमेश्वर और लोगों के बीच का रिश्ता पाप के कारण टूट गया था | परन्तु परमेश्वर के पास इस रिश्ते को वापस बनाने के लिए एक योजना थी |
क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया था, इसलिए कुछ और भी बुरा हुआ। वे परमेश्वर के शत्रु बन गए। जिसके परिणाम-स्वरूप, तब से हर एक जन ने पाप किया है। हर एक जन जन्म से ही परमेश्वर का शत्रु है। परमेश्वर और लोगों के बीच में शान्ति नहीं थी। परन्तु परमेश्वर शान्ति स्थापित करना चाहता था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-04.jpg)
परमेश्वर ने वादा किया कि हव्वा का ही एक वंशज शैतान का सिर कुचलेगा, और शैतान उसकी एड़ी को डसेगा | इसका अर्थ यह हुआ कि, शैतान मसीह को मार देगा, पर परमेश्वर उसे तीसरे दिन फिर जीवित कर देगा | यीशु शैतान की शक्ति को हमेशा के लिए नाश कर देगा | कई साल बाद, परमेश्वर ने यह प्रकट किया कि यीशु ही मसीह है |
परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि हव्वा का एक वंशज शैतान के सिर को कुचलेगा। उसने यह भी कहा कि शैतान उसकी एड़ी को डसेगा। दूसरे शब्दों में, शैतान मसीह को मार डालेगा, परन्तु परमेश्वर उसे फिर से जीवित कर देगा। इसके बाद, मसीह शैतान की शक्ति को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा। कई वर्षों के बाद, परमेश्वर ने प्रकट किया कि वह मसीह यीशु है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-05.jpg)
जब परमेश्वर ने बाढ़ के द्वारा सारी पृथ्वी को नष्ट कर दिया , नाव द्वारा उन लोगों को बचाया जो परमेश्वर पर विश्वास करते है | इसी तरह, हर कोई पाप के कारण नष्ट होने योग्य है, परन्तु परमेश्वर ने यीशु पर विश्वास करने वालों के लिए उद्धार का एक मार्ग रखा है |
परमेश्वर ने उस बाढ़ से अपने परिवार को बचाया जिसे वह लानेवाला था। नूह से एक नाव बनाने के लिए कहा कि वह इस प्रकार परमेश्वर ने उन लोगों को बचाया जो उस पर विश्वास करते थे। इसी प्रकार, वे सब के सब परमेश्वर के द्वारा मार डाले जाने के योग्य थे क्योंकि उन्होंने पाप किया था। परन्तु परमेश्वर ने उन सब को बचाने के लिए यीशु को भेजा जो उस पर विश्वास करते हैं।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-06.jpg)
कई सौ सालों तक, याजको ने लोगों के लिए निरंतर परमेश्वर को बलिदान चढ़ाये; उन्हें उनके पापों के कारण मिलने वाले दण्ड को दर्शाने के लिए | परन्तु वह बलिदान उनके नहीं हटा सके | यीशु सबसे महान पुरोहित है | दूसरे याजकों से भिन्न, उसने अपने आप को उस एकलौते बलिदान के रूप में अर्पण किया जो संसार के सभी मनुष्य के पाप को हटा सकती है | यीशु सबसे उत्तम महान पुरोहित है क्योंकि उसने सभी मनुष्यों के सभी पापों का दण्ड, जो उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी किया हो, अपने ऊपर ले लिया |
सैकड़ों वर्षों तक, याजक परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाते रहे। यह दर्शाता है कि लोगों ने पाप किया, और यह कि वे परमेश्वर के द्वारा उनको दंडित किए जाने के योग्य थे। परन्तु वे बलिदान उनके पापों को क्षमा नहीं कर सके थे। यीशु सबसे बड़ा महायाजक है। उसने वह किया जो कोई याजक नहीं कर सकता था। उसने वह एकमात्र बलिदान होने के लिए स्वयं को दे दिया जो हर किसी के पापों को मिटा सकता था। उसने स्वीकार किया कि परमेश्वर उन सब के पापों के लिए उसे दंडित करे। इस कारण, यीशु सिद्ध महायाजक था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-07.jpg)
परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, “पृथ्वी के सभी लोगों का समूह तेरे कारण आशीष पाएगा |” यीशु अब्राहम के वंश का था | सभी लोगों का समूह यीशु के कारण आशीषित हुआ, क्योंकि हर कोई जिसने यीशु पर विश्वास किया अपने पापों से छुटकारा पाया, और अब्राहम का एक आत्मिक वंशज बना |
परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, "मैं तेरे द्वारा संसार के सब कुलों को आशीष दूँगा।" यीशु इसी अब्राहम का वंशज था। परमेश्वर अब्राहम के माध्यम से सब कुलों को आशीष देता है, क्योंकि जो यीशु पर विश्वास करते हैं परमेश्वर उन सब को पाप से बचाता है। जब ये लोग यीशु पर विश्वास करते हैं, तो परमेश्वर उनको अब्राहम के वंशज मानता है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-08.jpg)
जब परमेश्वर ने अब्राहम से उसके पुत्र इसहाक को बलिदान करने को कहा, तब परमेश्वर ने इसहाक के जगह पर अब्राहम को बलिदान चढ़ाने के लिए एक भेड़ का बच्चा प्रदान किया | हम सब मनुष्य अपने पापों के कारण मृत्यु के योग्य है | परन्तु परमेश्वर ने यीशु को भेजा, परमेश्वर का मेम्ना, कि वह हमारे स्थान पर अपने आप को बलिदान करे |
परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि वह अपना निज पुत्र, उसके लिए बलिदान कर दे। परन्तु फिर परमेश्वर ने इसहाक के बदले में बलि करने के लिए एक मेमना दिया। हम सब अपने पापों के लिए मार डाले जाने के योग्य थे! परन्तु परमेश्वर ने हमारे स्थान पर मरने के लिए यीशु को बलिदान के रूप में दिया। इसी कारण से हम यीशु को परमेश्वर का मेमना कहते हैं।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-09.jpg)
जब परमेश्वर ने मिस्र पर अंतिम महामारी भेजी, उसने हर इस्राएली परिवार से कहा कि वह एक सिद्ध मेम्ने का बलिदान दे और उसका लहू अपने द्वार के ऊपर व चारों ओर उंडेले | जब परमेश्वर ने लहू को देखा तो वह उनके घरों के पास से गुजर गया और उसने उनके जेठे पुत्रों का वध नहीं किया | इस घटना को फसह कहा जाता है |
जब परमेश्वर ने मिस्र पर अंतिम विपत्ति भेजी तो उसने हर एक इस्राएली परिवार से कहा कि वे एक मेमने की बलि करें। उस मेमने में कोई दोष नहीं होना चाहिए। तब अपने दरवाजे की चौखट के ऊपर और बगलों में उन्हें उसके लहू को लगाना था। जब परमेश्वर ने उस लहू को देखा तो वह उनके घरों से आगे बढ़ गया और उनके पहलौठे पुत्रों को नहीं मारा। जब यह हुआ तो परमेश्वर ने इसे फसह का पर्व कहा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-10.jpg)
यीशु हमारा फसह का मेम्ना है | वह सिद्ध और निष्पाप था, और फसह के उत्सव के दिन मारा गया था | जब कोई यीशु पर विश्वास करता है, यीशु का लहू उस व्यक्ति के सब पापों की कीमत चुका देता है, और परमेश्वर का दण्ड उस व्यक्ति के ऊपर से हट जाता है |
यीशु फसह के पर्व के एक मेमने की तरह है। उसने कभी पाप नहीं किया, इसलिए उसमें कुछ भी गलत नहीं था। वह फसह के पर्व के समय पर मरा। जब कोई यीशु पर विश्वास करता है, तब यीशु का लहू उस व्यक्ति के पापों की कीमत चुकाता है। यह ऐसा है जैसे कि परमेश्वर उस व्यक्ति के पास से आगे बढ़ गया, क्योंकि वह उसे दण्ड नहीं देता है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-11.jpg)
परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों के साथ, जो इस्राएली थे, एक वाचा बाँँधी। परन्तु परमेश्वर ने एक नई वाचा बनाई जो हर एक के लिए उपलब्ध है | क्योंकि इस नई वाचा के जरिये किसी भी जाती का कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के चुने हुए लोगों में यीशु पर विश्वास करने के द्वारा शामिल हो सकता है।
परमेश्वर ने इस्राएली लोगों के साथ एक वाचा बाँधी, क्योंकि वे ऐसे लोग थे जिनको परमेश्वर ने अपना होने के लिए चुना था। परन्तु अब परमेश्वर ने एक ऐसी वाचा बाँधी है जो कि सब के लिए है। यदि किसी भी जाति का कोई भी जन इस नई वाचा को स्वीकार करता है, तो वह परमेश्वर के लोगों में शामिल हो जाता है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह यीशु पर विश्वास करता है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-12.jpg)
मूसा एक बहुत बड़ा भविष्यद्वक्ता था जिसने परमेश्वर के वचन की घोषणा की थी | परन्तु यीशु मसीह सभी भविष्यद्वक्तों में सबसे बड़ा है | वह परमेश्वर है, तो जो कुछ भी उसने कहा और किया वे परमेश्वर के कार्य और शब्द थे | इसलिये यीशु को परमेश्वर का वचन कहा गया है |
मूसा एक ऐसा भविष्यद्वक्ता था जिसने परमेश्वर के वचन को बड़ी सामर्थ के साथ प्रचार किया था। परन्तु यीशु सब भविष्यद्वक्ताओं में सबसे बड़ा है। वह परमेश्वर है, इसलिए जो कुछ भी उसने किया और कहा वह परमेश्वर के कार्य और वचन थे। इसीलिए पवित्र-शास्त्र यीशु को परमेश्वर का वचन कहता है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-13.jpg)
परमेश्वर ने राजा दाऊद को वायदा किया था कि उसका एक वंशज परमेश्वर के लोगों पर सदा राज्य करता रहेगा | क्योंकि यीशु परमेश्वर का पुत्र है और मसीह है, वह दाऊद का वह विशेष वंशज है जो हमेशा राज्य कर सकता है |
परमेश्वर ने राजा दाऊद से प्रतिज्ञा की थी कि राजा के रूप में उसका एक वंशज परमेश्वर के लोगों पर सदा के लिए शासन करेगा। यीशु परमेश्वर का पुत्र और मसीह है, इसलिए वह राजा दाऊद का वंशज है जो सदा के लिए राज्य कर सकता है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-14.jpg)
दाऊद इस्राएल का राजा था, लेकिन यीशु पूरे ब्रह्मांड का राजा है! वह फिर से आएगा, और अपने राज्य पर न्याय और शांति के साथ हमेशा राज्य करेगा |
दाऊद तो इस्राएल का राजा था, परन्तु यीशु सारे जगत का राजा है! वह फिर से आएगा और सदा के लिए न्याय और शान्ति के साथ अपने राज्य पर शासन करेगा।
_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : उत्पति 1-3, 6 , 14, 22 ; निर्गमन 12 , 20 ; 2 शमूएल 7; इब्रानियों 3: 1-6, 4: 14 - 5 :10 , 7 :1-8 :13, 9 :11- 10 :18, प्रकाशितवाक्य 21_
_उत्पत्ति 1-3, 6, 14, 22; निर्गमन 12, 20; 2 शमूएल 7; इब्रानियों 3:1-6, 4:14-5:10, 7:1-8:13, 9:11-10:18; प्रकाशितवाक्य 21 से एक बाइबल की कहानी_

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![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-01.jpg)
एक दूत ने मरियम नाम की एक कुंवारी से कहा कि वह परमेश्वर के पुत्र को जन्म देगी | अतः जबकि वह एक कुँवारी ही थी, तो उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम यीशु रखा | इसलिये यीशु मनुष्य और परमेश्वर दोनों है |
एक स्वर्गदूत ने एक जवान स्त्री मरियम से कहा कि वह परमेश्वर के पुत्र को जन्म देगी। वह अभी कुँआरी थी, परन्तु पवित्र आत्मा उसके पास आया और वह गर्भवती हुई। उसने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम उसने यीशु रखा। इसीलिए, यीशु परमेश्वर और मनुष्य दोनों है।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-02.jpg)
यीशु बहुत से आश्चर्यकर्म किये जो यह सिद्ध करते हैं कि वह परमेश्वर है | वह पानी पर चला, तूफान को शांत किया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, दुष्टात्माओं को निकाला, मुर्दों को जीवित किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने भोजन में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए काफी हो |
यीशु ने बहुत से चमत्कार किए जो दिखाते हैं कि वह परमेश्वर है। वह पानी पर चला और आँधी को शान्त किया। उसने बहुत से बीमार लोगों को चंगा किया और बहुत से लोगों में से दुष्टात्माओं को निकाला। उसने मरे हुए लोगों को जीवित कर दिया, और उसने पाँच रोटी और दो मछलियों को 5,000 लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन में परिवर्तित कर दिया।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-03.jpg)
यीशु एक महान शिक्षक भी था, और वह अधिकार के साथ बोलता था क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र है | उसने सिखाया कि तुम्हें दूसरे लोगों को उसी तरह प्रेम करना है जैसे कि आप स्वयं से प्रेम करते हैं |
यीशु एक महान शिक्षक भी था। जो कुछ भी उसने सिखाया, वह उसने सिद्धता के साथ सिखाया। जो वह लोगों से करने के लिए कहता है वह उन्हें करना चाहिए क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र है। उदाहरण के लिए, उसने सिखाया कि तुमको अन्य लोगों को उसी रीति से प्रेम करने की आवश्यकता है जैसे तुम स्वयं को प्रेम करते हो।
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उसने यह भी सिखाया कि तुम्हें किसी भी चीज़, अपनी सम्पत्ति से भी ज्यादा परमेश्वर को प्रेम करना चाहिए |
उसने यह भी सिखाया कि तुमको सब वस्तुओं से अधिक और अपनी संपत्ति से भी अधिक परमेश्वर को प्रेम करना चाहिए।
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यीशु ने कहा कि परमेश्वर का राज्य इस संसार की सारी वस्तुओं से कहीं अधिक मूल्यवान है | परमेश्वर के राज्य से सम्बन्ध रखना किसी व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है | परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए, आपको अपने पापों से उद्धार पाया हुआ होना चाहिए |
यीशु ने कहा कि संसार में किसी भी चीज को प्राप्त करने से अधिक अच्छा है परमेश्वर के राज्य में होना। उसके राज्य में तुम्हारे प्रवेश करने के लिए आवश्यक है कि परमेश्वर तुमको तुम्हारे पापों से बचाए।
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यीशु ने कहा कि कुछ लोग उसे ग्रहण करेंगे और उद्धार पाएँगे, लेकिन बहुत से लोग ऐसा नहीं करेंगे | उसने कहा कि कुछ लोग अच्छी मिट्टी की तरह होते हैं | वे यीशु का सुसमाचार ग्रहण करते हैं और उद्धार पाते हैं | अन्य लोग मार्ग की कठोर मिट्टी की तरह हैं, जहाँ परमेश्वर के वचन का बीज प्रवेश नहीं करता है और कुछ फसल भी उत्पन्न नहीं करता है | ऐसे लोग यीशु के सन्देश का तिरस्कार करते हैं और वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे |
यीशु ने कहा कि कुछ लोग उसे ग्रहण करेंगे। परमेश्वर उन लोगों को बचाएगा। परन्तु दूसरे लोग उसे ग्रहण नहीं करेंगे। उसने यह भी कहा कि कुछ लोग अच्छी भूमि के समान हैं, क्योंकि वे यीशु के बारे में शुभ संदेश को स्वीकार कर लेते हैं, और परमेश्वर उनको बचाता है। परन्तु कुछ लोग मार्ग की कठोर भूमि के समान हैं। परमेश्वर का वचन बीज के समान मार्ग पर गिरता है, परन्तु वहाँ कुछ भी नहीं उगता है। ये लोग यीशु के बारे में संदेश को अस्वीकार कर देते हैं। वे उसके राज्य में प्रवेश करने से इंकार कर देते हैं।
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यीशु ने सिखाया कि परमेश्वर पापियों को बहुत प्रेम करता है | वह उन्हें माफ़ करना चाहता है और उन्हें अपनी संतान बनाना चाहता है |
यीशु ने सिखाया कि परमेश्वर पापियों से बहुत प्रेम करता है। वह उनको क्षमा करना चाहता है और उनको अपनी संतान बनाना चाहता है।
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यीशु ने हमसे यह भी कहा कि परमेश्वर पाप से नफरत करता है | जब आदम और हव्वा ने पाप किया तो इसने उनकी सारी संतानों को प्रभावित किया | इसका नतीजा यह है, कि संसार का हर मनुष्य पाप करता है और परमेश्वर से दूर है | इसलिये, हर कोई परमेश्वर का शत्रु बन गया है |
यीशु ने यह भी बताया कि परमेश्वर पाप से घृणा करता है। क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया, इसलिए उनके सारे वंशजों ने भी पाप किया। इस संसार में रहने वाला हर एक जन पाप करता है और परमेश्वर से दूर है। हर एक जन परमेश्वर का शत्रु है।
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लेकिन परमेश्वर ने जगत के हर मनुष्य से इतना अधिक प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे उसे उसके पापों का दण्ड नहीं मिलेगा, परन्तु हमेशा परमेश्वर के साथ रहेगा |
परन्तु परमेश्वर ने इस संसार में रहने वाले हर एक जन से इस रीति से प्रेम किया: उसने अपने एकलौते पुत्र को दे दिया ताकि परमेश्वर उनको दण्ड न दे जो उस पर विश्वास करते हैं। इसके बजाए, वे उसके साथ हमेशा के लिए रहेंगे।
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अपने ही पापों के कारण, तुम अपराधी हो और मृत्यु के योग्य हो | परमेश्वर को तुमसे क्रोधित होना चाहिए, लेकिन उसने अपना क्रोध आपकी बजाय यीशु पर उंडेल दिया | जब यीशु क्रूस पर मरे, उन्होंने तुम्हारा दण्ड अपने ऊपर ले लिया |
तुम मरने के योग्य हो, क्योंकि तुमने पाप किया है। तुम से परमेश्वर का क्रोधित होना उचित ही है, इसकी अपेक्षा, वह यीशु पर क्रोधित हुआ। उसने यीशु को क्रूस की मृत्यु देकर दण्ड दिया।
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यीशु ने कभी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन फिर भी उसने सजा उठाने और मारे जाने को चुना ताकि एक सिद्ध बलिदान के रूप में आपके तथा संसार के हर मनुष्य के पापों को उठा ले जा सके | क्योंकि यीशु ने स्वयं का बलिदान दिया, इसलिये परमेश्वर किसी भी पाप को क्षमा कर सकता है, यहाँ तक कि भयानक पापों को भी |
यीशु ने कभी पाप नहीं किया, परन्तु उसने परमेश्वर को उसे दण्ड देने दिया। उसने मर जाना स्वीकार किया। इस रीति से, तुम्हारे पापों को और इस संसार में रहने वाले हर एक जन के पापों को उठा ले जाने के लिए वह एक सिद्ध बलिदान था। यीशु ने स्वयं को परमेश्वर के लिए बलिदान कर दिया, इसलिए परमेश्वर किसी भी पाप को, यहाँ तक कि भयंकर पापों को भी क्षमा करता है।
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अच्छे कार्य तुम्हें बचा नहीं सकते | कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे आप परमेश्वर के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए कर सकें | सिर्फ यीशु ही तुम्हारे अपराधों को धो सकता है | तुम्हें विश्वास करना होगा कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, कि वह तुम्हारी जगह क्रूस पर बलिदान हुआ, और यह कि परमेश्वर ने उसे फिर मुर्दों में से जीवित कर दिया |
भले ही यदि तुम बहुत से अच्छे कामों को करते हो, तो इसके द्वारा परमेश्वर तुमको नहीं बचाएगा। उसका मित्र बनने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो तुम कर सकते हो। इसकी अपेक्षा, तुमको विश्वास करना है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, और वह तुम्हारे बदले में क्रूस पर मर गया, और यह भी कि परमेश्वर ने उसे फिर से जीवित कर दिया। यदि तुम इस पर विश्वास करो, तो परमेश्वर तुम्हारे पापों की क्षमा देगा।
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जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता और उसे प्रभु के रूप में स्वीकार करता है परमेश्वर उसे बचाएगा | परन्तु जो उसमें विश्वास नहीं करता है ऐसे किसी व्यक्ति को वह नहीं बचाएगा | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अमीर हो या गरीब, आदमी या औरत, बूढ़े या जवान, या तुम कहाँ के रहने वाले हो | परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है और चाहता है कि तुम यीशु पर विश्वास करो ताकि वह तुमसे एक निकट सम्बन्ध स्थापित रख सके |
परमेश्वर उस हर एक जन को बचाएगा जो यीशु पर विश्वास करता है और उसे अपना प्रभु स्वीकार करता है। परन्तु वह उनको नहीं बचाएगा जो उस पर विश्वास नहीं करते हैं। यह कोई मायने नहीं रखता कि तुम धनी हो या गरीब हो, पुरुष हो या स्त्री हो, बूढ़े हो या जवान हो, या तुम कहाँ रहते हो। परमेश्वर तुम से प्रेम करता है और चाहता है कि तुम यीशु पर विश्वास करो कि वह तुम्हारा मित्र बन सके।
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यीशु तुम्हें उस पर विश्वास करने और बपतिस्मा लेने के लिए आमंत्रित करता है | क्या तुम यह विश्वास करते हो कि यीशु ही मसीह है, और परमेश्वर का एकलौता पुत्र है? क्या तुम यह विश्वास करते हो कि तुम एक पापी हो, और परमेश्वर की सजा के पात्र हो? क्या तुम यह विश्वास करते हो कि यीशु तुम्हारे पापों को उठा ले जाने के लिए क्रूस पर मारा गया?
यीशु तुमको बुला रहा है कि उस पर विश्वास करो और बपतिस्मा लो। क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर का एकलौता पुत्र, यीशु ही मसीह है? क्या तुम विश्वास करते हो कि तुम एक पापी हो और यह कि तुम परमेश्वर द्वारा तुमको दंडित किए जाने के योग्य हो? क्या तुम विश्वास करते हो कि तुम्हारे पापों को मिटाने के लिए यीशु क्रूस पर मरा?
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यदि तुम यीशु पर और जो कुछ उसने आपके लिए किया उस पर विश्वास करते हो, तो आप एक मसीही हो! परमेश्वर ने तुम्हें शैतान के राज्य के अंधकार से बाहर निकला और तुम्हें परमेश्वर के ज्योतिमय राज्य में रखा है | परमेश्वर ने तुम्हारे काम करने के पुराने तरीके को लय और तुम्हें काम करने का नया और धार्मिक तरीका प्रदान किया है |
यदि तुम यीशु पर और जो उसने तुम्हारे लिए किया है उस पर विश्वास करते हो, तो तुम एक मसीही हो! शैतान अपने अंधकार के राज्य में अब तुम पर शासन नहीं करता है। अब परमेश्वर अपने प्रकाश के राज्य में तुम पर शासन करता है। उसने तुमको पाप करने से रोक दिया है, जिसे तुम किया करते थे। उसने तुमको एक नया, उचित जीवन दिया है।
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यदि तुम एक मसीही हो, तो जो कुछ यीशु ने किया उसके कारण परमेश्वर ने तुम्हारे पाप माफ़ कर दिए हैं | अब, परमेश्वर तुम्हें शत्रु नहीं बल्कि अपना एक गहरा मित्र समझता है |
यदि तुम एक मसीही हो तो जो यीशु ने किया है उसके कारण परमेश्वर ने तुम्हारे पापों को क्षमा कर दिया है। अब, परमेश्वर एक शत्रु की अपेक्षा तुम्हें एक घनिष्ठ मित्र मानता है।
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यदि तुम परमेश्वर के मित्र हो और स्वामी यीशु के सेवक हो, तो यीशु जो कुछ सिखाएगा तुम उसका पालन करना चाहोगे | यद्यपि आप एक मसीही हैं, फिर भी आप पाप करने की परीक्षा में पड़ोगे | परन्तु परमेश्वर विश्वासयोग्य है और यह कहता है कि यदि तुम अपने पापों को मान लो, तो वह तुम्हें क्षमा करेगा | वह पाप के विरुद्ध युद्ध करने के लिए तुम्हें सामर्थ देगा |
यदि तुम परमेश्वर के मित्र हो और प्रभु यीशु के सेवक हो तो तुम उन बातों का पालन करने की इच्छा करोगे जो यीशु तुमको सिखाता है। भले ही तुम एक मसीही हो, शैतान अभी भी पाप करने के लिए तुम्हारी परीक्षा करेगा। परन्तु परमेश्वर हमेशा वह करता है जो वह कहता है कि वह करेगा। वह कहता है कि यदि तुम अपने पापों को मान लो, तो वह तुमको क्षमा कर देगा। वह तुमको पाप के विरुद्ध लड़ने का सामर्थ देगा।
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परमेश्वर कहता है कि हम प्रार्थना करें, उसका वचन पढ़ें, अन्य मसीही लोगों के साथ उसकी आराधना करें, और जो उसने हमारे लिए किया है वह दूसरों को बताएँ | ये सब बातें परमेश्वर के साथ एक गहरा रिश्ता रखने में आपकी मदद करते हैं |
परमेश्वर तुमको प्रार्थना करने और उसके वचन को पढ़ने के लिए कहता है। वह तुमको अन्य विश्वासियों के साथ मिल कर उसकी आराधना करने के लिए भी कहता है। तुमको अन्य लोगों को भी बताना है कि उसने तुम्हारे लिए क्या किया है। यदि तुम इन सब कामों को करो, तो तुम उसके एक पक्के मित्र बन जाओगे।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : रोमियों 3 : 21-26 , 5 : 1-11 , यूहन्ना 3; 16 , मरकुस 16 ; 16 ,कुलुस्सियों 1 : 13-14 ;2 कुरिन्थियों 5 : 17-21 ; यूहन्ना 1 : 5-10_
_रोमियों 3:21-26, 5:1-11; यूहन्ना 3:16; मरकुस 16:16; कुलुस्सियों 1:13-14; 2 कुरिन्थियों 5:17-21; 1 यूहन्ना 1:5-10 से एक बाइबल की कहानी_

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# 50. यीशु का पुनरागमन
# 50. यीशु वापिस लौटता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-01.jpg)
लगभग 2,000 से अधिक वर्षों से, संसार भर में अधिक से अधिक लोग यीशु मसीह के सुसमाचार को सुन रहे हैं | कलीसिया बढ़ रही है | यीशु ने वादा किया कि संसार के अंत में वह वापस आएगा | यद्यपि वह अभी तक वापस नहीं आया है, लेकिन वह अपना वादा पूरा करेगा |
लगभग 2,000 वर्षों से, संसार में सब स्थानों पर अधिक से अधिक लोग मसीह यीशु के बारे में शुभ संदेश को सुन रहे हैं। कलीसिया उन्नति कर रही है। यीशु ने वादा किया कि वह संसार के अंत में वापिस लौटेगा। यद्यपि वह अभी वापिस नहीं आया है, तौभी वह अपने वादे को पूरा करेगा।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-02.jpg)
जबकि हम यीशु के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, तो परमेश्वर चाहता है कि हम ऐसा जीवन जियें जो पवित्र हो तथा उसे आदर देता हो | वह यह भी चाहता है कि हम दूसरों को भी उसके राज्य के बारे में बताएँ | जब यीशु पृथ्वी पर रहता था तो उसने कहा, “मेरे चेले दुनिया में हर जगह लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में शुभ समाचार का प्रचार करेंगे, और फिर अन्त आ जाएगा।”
जब कि हम यीशु के वापिस लौटने की प्रतीक्षा करते हैं, परमेश्वर हमसे ऐसी रीति से जीवन जीने की इच्छा करता है जो पवित्र है और जो उसका आदर करता है। जब यीशु पृथ्वी पर रह रहा था तब उसने कहा, "मेरे चेले संसार भर में सब जगहों के लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में शुभ संदेश प्रचार करेंगे, और तब अंत आ जाएगा।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-03.jpg)
बहुत से जनसमूहों ने अभी तक यीशु के बारे में नहीं सुना है | स्वर्ग में वापस जाने से पहले, यीशु ने मसीहों से कहा कि वे उन लोगों को शुभ समाचार सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना | उसने कहा, “जाओ और सारे जनसमूह के लोगों को चेला बनाओ!” और, “खेत कटनी के लिए पके खड़े हैं!”
बहुत सी जातियों ने अभी तक यीशु के बारे में नहीं सुना है। स्वर्ग को लौट जाने से पहले, यीशु ने मसीहियों से उन लोगों को शुभ संदेश सुनाने को कहा जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना है। उसने कहा, "जाओ और सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ!" और "कटाई करने के लिए खेत पक चुके हैं!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-04.jpg)
यीशु ने यह भी कहा, “एक सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता | ठीक जैसे इस संसार के लोगों ने मुझ से बैर किया, इसी तरह वे तुम्हें भी मेरे कारण सताएँगे और मार डालेंगे | यद्यपि इस संसार में तुम्हें दुःख भोगना पड़ेगा, लेकिन हिम्मत रखो मैंने शैतान को जो इस संसार पर शासन करता है उसे पराजित कर दिया है | यदि तुम अन्त तक मेरे प्रति वफादार रहोगे, तो परमेश्वर तुम्हें बचाएगा!”
यीशु ने यह भी कहा, "किसी व्यक्ति का सेवक अपने स्वामी के बड़ा नहीं होता। इस संसार के महत्वपूर्ण लोगों ने मुझसे नफरत की, और मेरे कारण वे तुमको भी सताएँगे और मार डालेंगे। इस संसार में तुम पीड़ित होओगे, परन्तु मज़बूत बनो, क्योंकि मैंने शैतान को हरा दिया है जो इस संसार पर शासन करता है। यदि तुम अंत तक मेरे विश्वासयोग्य बने रहो, तो परमेश्वर तुमको बचाएगा!"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-05.jpg)
जब जगत का अंत होगा तो लोगों के साथ क्या होगा उसके बारे में यीशु ने अपने चेलों को एक कहानी सुनाई | उसने कहा, “एक मनुष्य ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया | पर जब वह सो रहा था, तो उसका शत्रु आकर गेहूँँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया |”
यीशु ने अपने चेलों को यह समझाने के लिए एक कहानी सुनाई कि जब संसार का अंत होता है तो लोगों के साथ क्या होगा। उसने कहा, "किसी व्यक्ति ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया। जब वह सो रहा था तो उसका शत्रु आया और गेहूँ के बीजों के बीच में जंगली पौधे के बीजों को बो दिया, और फिर वह चला गया।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-06.jpg)
“जब अंकुर निकले, तो उस मनुष्य के सेवकों ने कहा, ‘स्वामी, आपने उस खेत में अच्छे बीज बोये थे | तो फिर इसमें जंगली दाने कहाँ से आ गये? स्वामी ने उत्तर दिया, ‘किसी शत्रु ने इन्हें बोया होगा |’”
"जब पौधे अंकुरित हुए तो सेवकों ने उस व्यक्ति से कहा, 'हे स्वामी, तूने तो अपने खेत में अच्छा बीज बोया था। तो फिर इसमें जंगली पौधे क्यों हैं?' उस व्यक्ति ने जवाब दिया, 'केवल मेरे शत्रु ही उनको बोना चाहेंगे। यह मेरा कोई शत्रु है जिसने ऐसा किया है।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-07.jpg)
“दासों ने स्वामी को उत्तर दिया, ‘क्या हम जाकर जंगली पौधे उखाड़ दें? स्वामी ने कहा, ‘नहीं’ | अगर तुम ऐसा करोगे, तो तुम कुछ गेहूँ को भी उखाड़ दोगे | कटनी तक इन्तजार करो और फिर जंगली पौधों को इकठ्ठा कर जलाने के लिए एक ढेर लगा देना, लेकिन गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करना |’”
"उन सेवकों ने अपने स्वामी को जवाब दिया, 'क्या हमें जंगली पौधों को उखाड़ देना चाहिए?' उस स्वामी ने कहा, 'नहीं। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम कुछ गेहूँ को भी उखाड़ दोगे। कटाई के समय तक प्रतीक्षा करो। तब जंगली पौधों को गट्ठों में इकट्ठा कर लो ताकि तुम उनको जला सको। परन्तु गेहूँ को मेरे खत्ते में लेकर आओ।'"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-08.jpg)
चेले कहानी का अर्थ नहीं समझ पाए , इसलिए उन्होंने यीशु से इसे समझाने की विनती की |” यीशु ने कहा कि, “जिस व्यक्ति ने अच्छा बीज बोया वो मसीह का प्रतिनिधित्व करता है | खेत संसार का प्रतिनिधित्व करता है | और अच्छा बीज परमेश्वर के राज्य के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है |”
चेलों ने इस कहानी के मतलब को नहीं समझा, इसलिए उन्होंने यीशु से उनको समझाने का निवेदन क्या। यीशु ने कहा, "अच्छा बीज बोने वाला व्यक्ति मसीह का प्रतिनिधित्व करता है। खेत संसार का प्रतिनिधित्व करता है। अच्छा बीज परमेश्वर के राज्य के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।"
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-09.jpg)
“जंगली दाने उन मनुष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो दुष्ट से सम्बंधित हैं | जिस शत्रु ने जंगली बीज बोये वह शैतान का प्रतिनिधित्व करता है | कटनी संसार के अंत का प्रतिनिधित्व करती है, और फसल काटने वाले परमेश्वर के दूतों का प्रतिनिधित्व करते हैं |”
"जंगली पौधे उस दुष्ट जन, शैतान के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उस मनुष्य का शत्रु शैतान का प्रतिनिधित्व करता है, जिसने जंगली पौधों को बो दिया था। कटाई इस संसार के अंत का प्रतिनिधित्व करती है, और कटाई करने वाले परमेश्वर के स्वर्गदूतों का प्रतिनिधित्व करते हैं।"
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“जब संसार का अंत होगा, तो जो लोग शैतान के हैं उन सभी लोगों को स्वर्गदूत एक साथ इकठ्ठा करेंगे और उन्हें एक धधकती आग में डाल देंगे, जहाँ वे भयंकर पीड़ा के कारण रोएँगे और अपने दाँँत पीसेंगे | तब धर्मी लोग अपने पिता परमेश्वर के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे |”
"जब संसार का अंत होगा तब स्वर्गदूत उन सब लोगों को एक साथ इकट्ठा करेंगे जो शैतान के हैं। वे स्वर्गदूत उनको एक बहुत ही गर्म आग में फेंक देंगे। वहाँ वे लोग भयंकर सताव में रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे। परन्तु जो लोग धर्मी हैं, जिन्होंने यीशु का अनुसरण किया है, वे उनके परमेश्वर पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे।"
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यीशु ने यह भी कहा कि वह संसार के अन्त से ठीक पहले पृथ्वी पर वापस आएगा | वह उसी तरह वापस आएगा जिस तरह वह यहाँ से गया था, अर्थात, उसका एक भौतिक शरीर होगा और वह आकाश में बादलों पर वापस आएगा | जब यीशु वापस आएगा, तो हर मसीही जो मरा है वह मृतकों में से जी उठेगा और उससे आकाश में मिलेगा |
यीशु ने यह भी कहा कि वह संसार का अंत होने से पहले पृथ्वी पर लौटेगा। वह उसी तरीके से वापिस आएगा जैसे वह गया था। अर्थात, उसके पास वास्तविक शरीर होगा, और वह आकाश में बादलों पर सवार होकर आएगा। जब यीशु लौटता है, तो हर एक मसीही जो मर चुके हैं मरे हुओं में से जी उठेंगे और उससे आकाश में मिलेंगे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-12.jpg)
तब जो मसीही उस समय जीवित होंगे वे आकाश में ऊपर उठेंगे और जो मृतकों में से जी उठे हैं उन मसीही लोगों के साथ ये भी मिल जाएँगे | वे सब वहाँ यीशु के साथ होंगे | उसके बाद, यीशु पूर्ण शान्ति और एकता में अपने लोगों के साथ हमेशा रहेगा
तब जो मसीही अभी भी जीवित हैं वे आकाश में उठा लिए जाएँगे और उन दूसरे मसीहियों के साथ शामिल हो जाएँगे जो मरे हुओं में से जी उठते हैं। वे सब वहाँ यीशु के साथ होंगे। उसके बाद, यीशु अपने लोगों के साथ रहेगा। जब वे एक साथ रहते हैं तो उनके पास सदा के लिए पूरी शान्ति होगी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-13.jpg)
यीशु ने वादा किया है कि हर वह व्यक्ति जिसने उस पर विश्वास किया है, उसे जीवन का मुकुट मिलेगा | वे हमेशा पूर्ण शान्ति में परमेश्वर के साथ रहेंगे और राज्य करेंगे |
यीशु ने उस पर विश्वास करने वाले हर एक जन को एक मुकुट देने की प्रतिज्ञा की है। वे सदा के लिए परमेश्वर के साथ हर एक चीज पर शासन करेंगे। उनके पास सिद्ध शान्ति होगी।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-14.jpg)
परन्तु जो यीशु पर विश्वास नहीं करेंगे परमेश्वर उनमें से हर एक का न्याय करेंगे | वह उन्हें नरक में फेंक देगा, जहाँ वे वेदना में सदा रोएँगे और दाँँत पीसेंगे | वह आग जो कभी नही बुझती उन्हें हमेशा जलाती रहेगी और कीड़े उन्हें हमेशा खाते रहेंगे |
परन्तु परमेश्वर उन सब का न्याय करेगा जो यीशु पर विश्वास नहीं करते हैं। वह उनको नरक में डाल देगा। वहाँ वे रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे, और वे हमेशा पीड़ित होते रहेंगे। कभी न बुझने वाली आग उनको लगातार जलाती रहेगी, और कीड़े उनको खाने से कभी नहीं रुकेंगे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-15.jpg)
जब यीशु वापस आएगा तो वह शैतान और उसके राज्य को सर्वदा के लिये नष्ट कर देगा | वह शैतान को नरक में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानने की बजाय उसकी बात मानने का चुनाव किया |
जब यीशु लौटता है, तो वह पूरी रीति से शैतान को और उसके राज्य को नष्ट कर देगा। वह शैतान को नरक में डाल देगा। वहाँ शैतान हमेशा के लिए जलता रहेगा, उन सब के साथ जिन्होंने परमेश्वर की बातों को मानने के बजाए शैतान के पीछे चलने का चुनाव किया था।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-16.jpg)
क्योंकि आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा का उलंघन किया और इस दुनिया में पाप को लाए, इसलिये परमेश्वर ने इसे श्राप दिया और इसे नष्ट करने का निर्णय किया | लेकिन एक दिन परमेश्वर एक नया आकाश और एक नई पृथ्वी की रचना करेगा जो सिद्ध होगी |
क्योंकि आदम और हव्वा ने परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता की थी और पाप को इस संसार में लेकर आए थे, परमेश्वर ने उसे श्राप दिया और उसे नष्ट करने का निर्णय किया। परन्तु किसी दिन परमेश्वर एक नए स्वर्ग और एक नई पृथ्वी की रचना करेगा जो सिद्ध होंगे।
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-17.jpg)
यीशु और उसके लोग नई पृथ्वी पर रहेंगे, और यहाँ जो कुछ भी पाया जाता है उसपर हमेशा राज्य करेंगे | वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई दुख, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मृत्यु नहीं होगी | यीशु अपने राज्य पर शान्ति व न्याय के साथ शासन करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा |
यीशु और उसके लोग उस नई पृथ्वी पर रहेंगे, और वह सदा के लिए सब चीजों पर शासन करेगा। वह लोगों की आँखों से हर एक आँसू को पोंछ देगा। अब कोई भी पीड़ित या दुःखी नहीं होगा। वे रोएँगे नहीं। वे बीमार नहीं होंगे या मरेंगे नहीं। और वहाँ कुछ भी बुराई नहीं होगी। यीशु अपने राज्य पर न्यायपूर्वक, और शान्ति के साथ शासन करेगा। वह हमेशा के लिए अपने लोगों के साथ रहेगा।
_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 24: 14 ; 28: 18 ; यूहन्ना 15:20, 16: 33 ; प्रकाशितवाक्य 2: 10 ; मती 13 : 24-30 ; 36-42, थिस्सलुनीकियो 4 : 13-5 : 11; याकूब 1: 12 ; मती 22: 13 प्रकाशितवाक्य 20: 10 , 21 : 1-22 ; 21_
_मत्ती 24:14; 28:18; यूहन्ना 15:20, 16:33; प्रकाशितवाक्य 2:10; मत्ती 13:24-30, 36-42; 1 थिस्सलुनीकियों 4:13-5:11; याकूब 1:12; मत्ती 22:13; प्रकाशितवाक्य 20:10, 21:1-22:21 से एक बाइबल की कहानी_

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To our brothers and sisters in Christ all over the world—the global church. It is our prayer that God would use this visual overview of His Word to bless, strengthen, and encourage you.
आर्टवर्क का आरोपण: इन कहानियों में उपयोग की गई सब तस्वीरें © Sweet Publishing ([www.sweetpublishing.com](http://www.sweetpublishing.com)) से हैं और a Creative Commons Attribution-Share Alike License ([http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0](http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)) के अधीन उपलब्ध करवाई गई हैं।
*सम्पूर्ण संसार वैश्विक कलीसिया में मसीह में हमारे भाइयों और बहनों के लिए। हमारी यह प्रार्थना है कि परमेश्वर उसके वचन के इस विजूअल अवलोकन का उपयोग आपको आशीषित, मजबूत, और उत्साहित करने के लिए करेगा।*

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OPEN BIBLE STORIES
unfoldingWord® Open Bible Stories

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