diff --git a/.apps/ufw/app_words.json b/.apps/ufw/app_words.json new file mode 100644 index 0000000..c13c87d --- /dev/null +++ b/.apps/ufw/app_words.json @@ -0,0 +1,12 @@ +{ + "cancel": "Cancel", + "chapters": "Chapters", + "languages": "Languages", + "next_chapter": "Next Chapter", + "ok": "OK", + "remove_locally": "Remove Locally", + "remove_this_string": "Remove this language from offline storage. You will need an internet connection to view it in the future.", + "save_locally": "Save Locally", + "save_this_string": "Save this language locally for offline use.", + "select_a_language": "Select a Language" +} \ No newline at end of file diff --git a/LICENSE.md b/LICENSE.md new file mode 100644 index 0000000..0c5e239 --- /dev/null +++ b/LICENSE.md @@ -0,0 +1,30 @@ +# License +## Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International (CC BY-SA 4.0) + +This is a human-readable summary of (and not a substitute for) the [license](http://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0/). + +### You are free to: + + * **Share** — copy and redistribute the material in any medium or format + * **Adapt** — remix, transform, and build upon the material + +for any purpose, even commercially. + +The licensor cannot revoke these freedoms as long as you follow the license terms. + +### Under the following conditions: + + * **Attribution** — You must attribute the work as follows: "Original work available at https://door43.org/." Attribution statements in derivative works should not in any way suggest that we endorse you or your use of this work. + * **ShareAlike** — If you remix, transform, or build upon the material, you must distribute your contributions under the same license as the original. + +**No additional restrictions** — You may not apply legal terms or technological measures that legally restrict others from doing anything the license permits. + +### Notices: + +You do not have to comply with the license for elements of the material in the public domain or where your use is permitted by an applicable exception or limitation. + +No warranties are given. The license may not give you all of the permissions necessary for your intended use. For example, other rights such as publicity, privacy, or moral rights may limit how you use the material. + +Use of trademarks: unfoldingWord is a trademark of Distant Shores Media and may not be included on any derivative works created from this content. Unaltered content from http://unfoldingword.org must include the **unfoldingWord** logo when distributed to others. But if you alter the content in any way, you must remove the **unfoldingWord** logo before distributing your work. + +Attribution of artwork: All images used in these stories are © Sweet Publishing ([www.sweetpublishing.com](http://www.sweetpublishing.com)) and are made available under a Creative Commons Attribution-Share Alike License ([http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0](http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)). \ No newline at end of file diff --git a/content/01.md b/content/01.md index 5fb5d1d..8179c42 100644 --- a/content/01.md +++ b/content/01.md @@ -1,67 +1,67 @@ -# 1. उत्पत्ति # +# 1. उत्पत्ति -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-01.jpg) इस प्रकार संपूर्ण ब्रह्मांड की शुरुआत हुई। परमेश्वर ने छह दिनों में यह ब्रह्मांड और उसमें जो कुछ है उसकी सृष्टि की । परमेश्वर के पृथ्वी को बनाने के बाद पृथ्वी अंधेरे से भरी और सुनसान पड़ी थी, और उसमें कुछ भी बनाया नहीं गया था। लेकिन परमेश्वर की आत्मा वहाँ जल के ऊपर थी। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-02.jpg) तब परमेश्वर ने कहा “उजियाला हो!”, तो उजियाला हो गया । परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को “दिन” कहा। परमेश्वर ने उजियाले को अंधकार से अलग किया, और अंधकार को परमेश्वर ने “रात” बुलाया। परमेश्वर ने सृष्टि के पहले दिन में उजियाले की सृष्टि की। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-03.jpg) सृष्टि के दूसरे दिन पर, परमेश्वर ने कहा और पृथ्वी के ऊपर आकाश को बनाया। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-04.jpg) तीसरे दिन, परमेश्वर ने कहा और जल को सूखी भूमि से अलग कर दिया। परमेश्वर ने सूखी भूमि को “पृथ्वी” कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उस ने “समुद्र” कहा। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-05.jpg) फिर परमेश्वर ने कहा “पृथ्वी पर हर प्रकार के पेड़ और पौधे उगे। “और वैसा ही हो गया। परमेश्वर ने देखा कि जो सृष्टि उसने की है वह अच्छी है। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-06.jpg) सृष्टि के चौथे दिन, परमेश्वर ने कहा और सूर्य, चंद्रमा, और सितारों को बनाया। परमेश्वर ने पृथ्वी को प्रकाश देने के लिये और दिन और रात, मौसमों और सालों को चिह्नित करने के लिये उन्हें बनाया। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-07.jpg) पाँचवें दिन, परमेश्वर ने कहा और जल में तैरने वाले सभी को और सभी पक्षियों को बनाया। परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है, और उन्हें आशीष दिया। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-08.jpg) सृष्टि के छठे दिन पर, परमेश्वर ने कहा “सभी प्रकार के भूमि के जानवर हो जाए!” और यह परमेश्वर ने जैसे कहा वैसे हो गया। कुछ जमीन पर रेंगने वाले , कुछ खेत वाले, और कुछ जंगली जानवर थे। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-09.jpg) -फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में हमारे जैसा बनायेंगे। उनके पास पृथ्वी और सभी जानवरों पर अधिकार होगा। ” +फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में हमारे जैसा बनायेंगे। उनके पास पृथ्वी और सभी जानवरों पर अधिकार होगा।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-10.jpg) फिर परमेश्वर ने कुछ मिट्टी ले लिया, और उससे एक आदमी बनाया, और उसमें जीवन का साँस फूँक दिया इस आदमी का नाम आदम था। परमेश्वर ने आदम के रहने के लिये एक वाटिका बनाया, और वाटिका की देखभाल करने के लिये उसे वहाँ रख दिया। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-11.jpg) वाटिका के बीच में, परमेश्वर ने दो विशेष पेड़-जीवन का पेड़ और अच्छे और बुरे के ज्ञान का पेड़ लगाया। परमेश्वर ने आदम से कहा कि वह अच्छे और बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल को छोड़ वाटिका के किसी भी पेड़ से खा सकता है। अगर वह इस पेड़ के फल को खाए, तो वह मर जाएगा। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-12.jpg) फिर परमेश्वर ने कहा “आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है।” परन्तु जानवरों में से कोई भी आदमी का सहायक नहीं बन सकता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-13.jpg) इसलिये परमेश्वर ने आदम को एक गहरी नींद में डाल दिया। तब परमेश्वर ने आदम की पसलियों में से एक से औरत को बनाया और उसे आदम के पास लाए। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-14.jpg) -जब आदम ने उसे देखा, वह बोला, “अंत में ! यह मेरे जैसी है! वह आदमी से बनाई गई है इसलिये उसे 'औरत' के नाम से जाना जाएगा।” यही कारण है कि एक आदमी अपने पिता और माँ को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ एक हो जाता है। +जब आदम ने उसे देखा, वह बोला, “अंत में ! यह मेरे जैसी है! वह आदमी से बनाई गई है इसलिये उसे ‘औरत’ के नाम से जाना जाएगा।” यही कारण है कि एक आदमी अपने पिता और माँ को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ एक हो जाता है। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-15.jpg) परमेश्वर ने अपने स्वरूप में आदमी और औरत को बनाया। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है। उस ने उन्हें आशीष दिया और उन से कहा, “कई बच्चों और पोतो को पैदा करो और पृथ्वी में भर जाओ!” यह सारी रचना सृष्टि के छठे दिन में हुआ। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-16.jpg) जब सातवां दिन आया, परमेश्वर ने अपना काम पूरा कर लिया था। इसलिये परमेश्वर ने जो कुछ वह कर रहा था उन सब से विश्राम लिया। उस ने सातवें दिन को आशीष दिया और उसे पवित्र बनाया क्योंकि इस दिन परमेश्वर ने अपने काम से विश्राम लिया था। इस तरह परमेश्वर ने यह ब्रह्मांड और सब कुछ जो उसमें है बनाया। -_बाइबिल की कहानी में :उत्पति 1-2_ +_बाइबिल की कहानी में :उत्पति 1-2_ \ No newline at end of file diff --git a/content/02.md b/content/02.md index b0e1f8e..88ed3c7 100644 --- a/content/02.md +++ b/content/02.md @@ -1,51 +1,51 @@ -# 2. पाप दुनिया में प्रवेश करता है # +# 2. पाप दुनिया में प्रवेश करता है -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-01.jpg) आदम और उसकी पत्नी परमेश्वर द्वारा उनके लिये बनाये गए सुंदर बगीचे में बहुत खुश थे। उन दोनों में से किसी ने कपड़े नहीं पहने थे, लेकिन दुनिया में कोई पाप नहीं था, इसलिये उन्हें कोई शर्म महसूस नहीं हुआ था। वे अक्सर वाटिका में चला करते थे और परमेश्वर के साथ बात करते थे। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-02.jpg) लेकिन वाटिका में एक चालाक साँप था। उसने औरत से पूछा, ” क्या परमेश्वर ने वास्तव में यह कहा है कि वाटिका के किसी भी पेड़ से फल न खाना?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-03.jpg) औरत ने उत्तर दिया, “परमेश्वर ने हमसे कहा है कि अच्छे और बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल के सिवाय हम किसी भी पेड़ के फल को खा सकते है। परमेश्वर ने कहा ‘अगर तुम वह फल खाओ या यहां तक कि स्पर्श करते हों, तो तुम मर जाओगे।’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-04.jpg) -साँप ने औरत को जवाब दिया, “यह सच नहीं है ! तुम नहीं मरोगे। परमेश्वर यह जानता है कि जब तुम उस फल को खाओगे, तुम परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे और जैसे अच्छे और बुरे को वह समझता है तुम भी समझने लगोगे। ” +साँप ने औरत को जवाब दिया, “यह सच नहीं है ! तुम नहीं मरोगे। परमेश्वर यह जानता है कि जब तुम उस फल को खाओगे, तुम परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे और जैसे अच्छे और बुरे को वह समझता है तुम भी समझने लगोगे।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-05.jpg) औरत ने देखा कि फल सुन्दर है और देखने में स्वादिष्ट है। वह बुद्धिमान भी बनना चाहती थी, इसलिये उसने कुछ फल लिये और उसे खा लिया। फिर उसने कुछ अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी उसे खा लिया। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-06.jpg) अचानक, उनकी आँखें खुल गई, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे है। और उन्होंने अपने शरीर को ढकने के लिये पत्तियों को जोड़ जोड़ कर उन्होंने कपड़े बनाने की कोशिश की। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-07.jpg) -फिर आदमी और उसकी पत्नी ने वाटिका से परमेश्वर के चलने की आवाज सुनी। वे दोनों परमेश्वर से छिप गए। तब परमेश्वर ने आदमी को पुकारा, “तुम कहाँ हो ?” आदम ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें बगीचे में से चलते सुना, और मैं डर गया था, क्योंकि मैं नंगा था। इसलिये मैं छिप गया। ” +फिर आदमी और उसकी पत्नी ने वाटिका से परमेश्वर के चलने की आवाज सुनी। वे दोनों परमेश्वर से छिप गए। तब परमेश्वर ने आदमी को पुकारा, “तुम कहाँ हो ?” आदम ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें बगीचे में से चलते सुना, और मैं डर गया था, क्योंकि मैं नंगा था। इसलिये मैं छिप गया।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-08.jpg) तब परमेश्वर ने पूछा, ” किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस पेड़ का फल खाने को मै ने तुझे मना किया था, क्या तू ने उसका फल खाया है?“आदमी ने उत्तर दिया, “तुमने मुझे यह औरत दी, और उसने मुझे वह फल दिया।” तब परमेश्वर ने औरत से पूछा “तू ने यह क्या किया है?” औरत ने कहा, “साँप ने मुझे धोखा दिया।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-09.jpg) परमेश्वर ने साँप से कहा, “तुम शापित हों।” तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा। तुम और औरत एक दूसरे से नफरत करोगे, और तुम्हारी संतान और उसकी संतान भी एक दूसरे से नफरत करेंगे। औरत का वंशज वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा । ” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-10.jpg) -फिर परमेश्वर ने औरत से कहा, “मैं तुम्हारे प्रसव की पीड़ा को बहुत बढ़ा दूँगा । तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा । ” +फिर परमेश्वर ने औरत से कहा, “मैं तुम्हारे प्रसव की पीड़ा को बहुत बढ़ा दूँगा । तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा ।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-11.jpg) परमेश्वर ने आदमी से कहा, “तुमने अपनी पत्नी की बात सुनी और मेरी आज्ञा न मानी। अब भूमि शापित है, और तुम्हें उसकी उपज खाने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी। फिर तुम मर जाओगे, और तुम्हारा शरीर वापस मिट्टी में मिल जाएगा। मनुष्य ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा, जिसका मतलब होता है जगत जननी क्योंकि वह समस्त मानव-जाति की माँ कहलाएगी। और परमेश्वर ने जानवर की खाल से आदम और हव्वा को ढका। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-12.jpg) तब परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य अच्छाई और बुराई जानने के कारण हम जैसे हो गए हैं कि अब उन्हें कभी भी जीवन के वृक्ष से खाने की अनुमति नहीं दी जायेगी। और परमेश्वर ने सुंदर बगीचे से आदम और हव्वा को बाहर भेज दिया । परमेश्वर जीवन के वृक्ष का फल खाने से किसी को रोकने के लिये उद्यान के द्वार पर शक्तिशाली स्वर्गदूतों को रखा। -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 3_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 3_ \ No newline at end of file diff --git a/content/03.md b/content/03.md index 96e7427..4b76b95 100644 --- a/content/03.md +++ b/content/03.md @@ -1,67 +1,67 @@ -# 3. बाढ़ # +# 3. बाढ़ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-01.jpg) एक लंबे समय के बाद, बहुत से लोग दुनिया में रह रहे थे | वे बहुत दुष्ट और हिंसक हो गया है | वह बहुत बुरा हो गया इसलिये परमेश्वर ने निर्णय लिया कि वह एक विशाल बाढ़ के द्वारा इस पूरी दुनिया को नष्ट कर देगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-02.jpg) परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह की दृष्टी नूह पर बनी रही | नूह धर्मी पुरुषों और अपने समय के लोगों में खरा था | तब परमेश्वर ने उस बाढ़ के विषय में नूह से कहा जिसके द्वारा वह पृथ्वी को नष्ट करने वाला था | इसलिये परमेश्वर ने नूह से एक बड़ी नाव बनाने के लिए कहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-03.jpg) परमेश्वर ने उससे कहा कि तू इस ढंग से नाव बनाना :140 मीटर लम्बी, 23 मीटर चोडी, और 13.5 मीटर ऊँची बनाना | परमेश्वर ने नूह से कहा कि इस नाव को लकड़ी से बनाना, और जहाज में एक खिड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से इसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना; और जहाज में पहला, दूसरा और तीसरा खंड बनाना | परमेश्वर ने नूह से कहा कि तू अपने परिवार समेत नाव में प्रवेश करना,और सब जीवित प्राणियों में से तू एक एक जाति के पशु, पक्षियों और रेंगने वाले को अपने साथ जहाज में ले जाकर अपने साथ जीवित रखना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-04.jpg) परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया | नूह और उसके तीन बेटों ने नाव की रचना वैसे ही की जैसे परमेश्वर ने उनसे कहा था | उस नाव को बनाने के लिये कई वर्ष लग गए, क्योंकि वह नाव बहुत बड़ी थी | नूह ने लोगों को बाढ़ के विषय में चेतावनी दी , और कहा कि परमेश्वर की ओर मन फिराओ पर उन्होंने नूह पर विश्वास नहीं किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-05.jpg) नूह और उसके परिवार ने जानवरों के लिये पर्याप्त भोजन इकट्ठा करा | जब सब कुछ तैयार था, तब परमेश्वर ने नूह से कहा कि अब समय है कि वह अपनी पत्नी, तीन पुत्रों, और बहुओं समेत नाव में जाए | वे सब आठ लोग थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-06.jpg) परमेश्वर ने भूमि पर रेंगने वाले पशु और पक्षियों के सभी नर और मादा को नूह के पास जहाज में भेजा जिससे कि वह बाढ़ के दौरान सुरक्षित रह सके | परमेश्वर ने सभी तरह के पशुओं के सात नर और सात मादा को भेजा जिनका प्रयोग बलिदान के लिये किया जा सके | जब वे सब जहाज पर चढ़ गए तब परमेश्वर ने जहाज का द्वार बंद कर दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-07.jpg) फिर जल प्रलय का आरम्भ हुआ | जल प्रलय पृथ्वी पर बिना रुके चालीस दिन और चालीस रात तक होता रहा! पृथ्वी पर जल प्रलय होता रहा, और पानी बहुत बढ़ता ही गया | जल पृथ्वी पर अत्यंत बढ़ गया, और यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-08.jpg) और क्या पक्षी और क्या घरेलू पशु, और पृथ्वी पर सब चलने वाले प्राणी, और जितने जंतु पृथ्वी पर बहुतायत से भर गए थे, वे सब और सब मनुष्य मर गए , जो जहाज में थे केवल वही जीवित थे | जहाज पानी पर चलने लगा और वह सब जो जहाज में था वह डूबने से सुरक्षित रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-09.jpg) वर्षा थमने के बाद, जहाज पानी पर पाँच महीने तक तैरता रहा, एक दिन जहाज पहाड़ पर टिक गया, लेकिन तब भी संसार जल से पर्याप्त था | तीन महीने के बाद पहाड़ों की चोटियाँ दिखाई दी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-10.jpg) चालीस दिन के पश्चात नूह ने अपने बनाए हुए जहाज की खिड़की को खोलकर, एक कौआ पक्षी उड़ा दिया यह देखने के लिये कि कई पृथ्वी पर जल सूख गया या नहीं | कौआ शुष्क भूमि की तलाश में इधर-उधर उड़ा, पर सूखी भूमि को न पाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-11.jpg) फिर नूह ने कबूतर पक्षी को भी उड़ा दिया | लेकिन जब कबूतर को अपने पैर टेकने के लिये कोई आधार न मिला तो वह जहाज में उसके पास लौट आया | तब सात दिन के बाद उसने उसी पक्षी को फिर उड़ा दिया,, और जब कबूतर साँझ के समय उसके पास आ गई, तो क्या देखा कि उसकी चोंच में जैतून का एक नया पत्ता है ! इससे नूह ने जान लिया कि जल पृथ्वी पर घटा है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-12.jpg) फिर उसने सात दिन और ठहरकर उसी कबूतर को उड़ा दिया | इस बार, वह लौटकर वापस नहीं आया | पानी सूख गया था! -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-13.jpg) दो महीने बाद परमेश्वर ने नूह से कहा कि तू अपने पुत्रों, पत्नी और बहुओ समेत जहाज में से निकल आ | परमेश्वर ने नूह को आशीष दी “फलों-फूलो, और बढ़ो, और पृथ्वी में भर जाओ | तब नूह और उसका परिवार जहाज में से निकल आए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-14.jpg) उसने एक वेदी बनाई, जिसे बलिदान के लिये इस्तमाल किया जा सके और सभी तरह के जन्तुओ का बलिदान दिया | परमेश्वर उस बलिदान से प्रसन्न हुआ और नूह और उसके परिवार को आशीष दी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-15.jpg) फिर परमेश्वर ने कहा “कि मैं तुम से यह वाचा बाँधता हूँ कि सब प्राणी फिर जल प्रलय से नष्ट न होंगे और पृथ्वी का नाश करने के लिये फिर जल प्रलय न होंगा ; फिर भले ही लोग बचपन से ही पाप क्यों न कर रहे हो |“ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-16.jpg) परमेश्वर ने कहा कि मैं ने बादल में अपना धनुष रखा है, वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिह्न होगा | और जब मैं पृथ्वी पर बादल फैलाऊँ तब बादल में धनुष दिखाई देगा | तब मेरी जो वाचा तुम्हारे और सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के साथ बँधी है; उसको मैं स्मरण करूँगा, तब ऐसा जल-प्रलय फिर न होगा जिससे सब प्राणियों का विनाश हो | -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 6-8_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 6-8_ \ No newline at end of file diff --git a/content/04.md b/content/04.md index 81b712b..b9b2017 100644 --- a/content/04.md +++ b/content/04.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 4.अब्राम के साथ परमेश्वर की वाचा # +# 4.अब्राम के साथ परमेश्वर की वाचा -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-01.jpg) बाढ़ के कई साल बाद, संसार में बहुत से लोग थे, और सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा और एक ही बोली थी | लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी | परमेश्वर ने पृथ्वी को लोगों से भरने की आज्ञा दी थी, -;वे एक साथ इकट्ठे हुए और एक शहर का निर्माण किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-02.jpg) उन्हें बहुत गर्व था, परमेश्वर ने जो कहा था उन्होंने उसकी परवाह नहीं की | फिर उन्होंने स्वर्ग तक लंबी चोटी बनाने का निर्माण किया | परमेश्वर ने देखा कि” सब एक ही दल के है और भाषा भी उनकी एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम आरम्भ भी किया; और अब जो कुछ वो करने का यत्न करेंगे, उसमे से उनके लिये कुछ भी अनहोना न होगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-03.jpg) इसलिये परमेश्वर ने उनकी भाषा को विभिन्न भाषाओ में बदल दिया, और उन्हें वहाँ से सारी पृथ्वी पर फैला दिया | जिस शहर का वह निर्माण कर रहे थे उसका नाम बेबीलोन था, जिसका अर्थ है –“अस्पष्ट “ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-04.jpg) सैकड़ों वर्षों के बाद, परमेश्वर ने एक मनुष्य से बात की जिसका नाम अब्राम था | परमेश्वर ने अब्राम से कहा कि,” अपने देश और अपने परिवार और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-05.jpg) परमेश्वर के वचन के अनुसार अब्राम चला | इस प्रकार अब्राम अपनी पत्नी सारै, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किये थे, सब को लेकर कनान देश में जो परमेश्वर ने उसे दिखाया था जाने को निकल चला; अब्राम वहा बहुत वर्ष रहा | फिर परमेश्वर ने अब्राम के साथ वाचा बाँधी | वाचा एक सम्मति है दो साझी के बीच | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-06.jpg) परमेश्वर ने उसे कहा कि,’’ अपने चारों ओर देख’’ क्योंकि जितनी भूमि तुझे दिखाई देती है, उस सब को मैं तुझे और तेरे वंश को दूँगा | मै तुझे आशीष दूँगा और तेरा नाम महान करूँगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-07.jpg) मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा और मैं तेरा परमेश्वर होऊँगा | जो तुझे आशीर्वाद दे उन्हें मैं आशीष दूँगा और तुझे जो कोसे, उसे मैं शाप दूँगा | और भूमंडल के सारे कुल तेरे कारण आशीष पाएँगे” | परमेश्वर ने अब्राम से कहा कि तुम मे से एक एक पुरुष का खतना हो | जो वाचा मेरे और तुम्हारे बीच में है, उसका यही चिन्ह होगा | और अब्राम ने आज्ञा मानी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-08.jpg) अब्राम ने परमेश्वर की वाचा पर विशवास किया | परमेश्वर ने घोषित किया कि अब्राम धर्मी है, क्योंकि उसने परमेश्वर की वाचा पर विश्वास किया है | परन्तु एक समस्या थी | अब्राम और उसकी पत्नी को कोई संतान नहीं हो सकती थी | इसलिये यह असंभव था कि अब्राम बहुत जातियों का पिता बन पाता लेकिन उन्होने धीरज रखा और, उस वायदे पर जो परमेश्वर ने उनसे किया था विश्वास किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-09.jpg) एक दिन, अब्राम मलिकिसिदक, परमेश्वर के परमप्रधान याजक से मिला | मलिकिसिदक ने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया,” परमप्रधान ईशवर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो” | तब अब्राम ने उसको सब वस्तुओ का दशमांश दिया | -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 11-15_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 11-15_ \ No newline at end of file diff --git a/content/05.md b/content/05.md index 550de77..614b5ef 100644 --- a/content/05.md +++ b/content/05.md @@ -1,43 +1,43 @@ -# 5. प्रतिज्ञा का पुत्र # +# 5. प्रतिज्ञा का पुत्र -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-01.jpg) अब्राम और सारै के कनान पहुँचने के बीस साल बाद तक भी उनकी कोई संतान न थी | परमेश्वर ने अब्राम से कहा और दुबारा वायदा किया कि उसे एक पुत्र होगा और उसके वंशज आकाश के तारागण के समान होंगे | अब्राम ने परमेश्वर के वायदे पर विश्वास किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-02.jpg) तो अब्राम की पत्नी सारै ने उससे कहा, “देख परमेश्वर ने मेरी कोख बन्द कर रखी है, इसलिये मैं तुझ से विनती करती हूँ कि तू मेरी दासी हाजिरा के पास जा | तू उससे विवाह भी करना ताकि, उसके द्वारा मेरी कोख भर सके | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-03.jpg) -तो अब्राम ने हाजिरा से विवाह किया | हाजिरा को अब्राम के द्वारा एक पुत्र हुआ, अब्राम ने उसका नाम इश्माएल रखा | अब्राम चाहता था कि परमेश्वर इश्माएल को आशीष दे | परमेश्वर ने कहा, “मैं उसे आशीष दूँगा, परन्तु इश्माएल प्रतिज्ञा का पुत्र नहीं हैं | मैं अपनी वाचा उसके साथ नहीं बाँधूँगा | ” +तो अब्राम ने हाजिरा से विवाह किया | हाजिरा को अब्राम के द्वारा एक पुत्र हुआ, अब्राम ने उसका नाम इश्माएल रखा | अब्राम चाहता था कि परमेश्वर इश्माएल को आशीष दे | परमेश्वर ने कहा, “मैं उसे आशीष दूँगा, परन्तु इश्माएल प्रतिज्ञा का पुत्र नहीं हैं | मैं अपनी वाचा उसके साथ नहीं बाँधूँगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-04.jpg) “तेरी पत्नी सारै के तुझ से एक पुत्र होंगा | और वह वायदे का पुत्र होंगा | और तू उसका नाम इसहाक रखना | मेरी वाचा उसके साथ होंगी, और वह एक बड़ी जाती होगा |” परमेश्वर ने कहा कि अब तेरा नाम अब्राम न होकर अब्राहम होगा, जिसका अर्थ है –“मूलपिता” परमेश्वर ने सारै का नाम बदलकर सारा रखा, जिसका अर्थ है , “मूलमाता “ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-05.jpg) अंत में, जब अब्राहम सौ वर्ष का हुआ और सारा नब्बे वर्ष की तो, सारा ने अब्राहम के पुत्र को जन्म दिया | उन्होंने उसका नाम इसहाक रखा, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-06.jpg) जब इसहाक जवान हुआ, परमेश्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा ली,”अपने एकलौते पुत्र इसहाक को होमबलि करके चढ़ा | फिर अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया, और अपने पुत्र का बलिदान देने के लिये तैयार हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-07.jpg) -जब अब्राहम और इसहाक बलिदान की जगह की ओर जा रहे थे, इसहाक ने पूछा, " हे मेरे पिता, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिए भेड़ कहा है?" अब्राहम ने उत्तर दिया, "हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा |" +जब अब्राहम और इसहाक बलिदान की जगह की ओर जा रहे थे, इसहाक ने पूछा, " हे मेरे पिता, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिए भेड़ कहा है?" अब्राहम ने उत्तर दिया, “हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-08.jpg) तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया | जैसे ही वह अपने पुत्र को मारने पर ही था, कि परमेश्वर ने कहा “ठहर”! उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उसे कुछ कर | क्योंकि तू ने मुझ से अपने एक पुत्र वरन एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे अब मैं जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-09.jpg) तब अब्राहम ने अपनी आँखे उठाई और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा झाड़ी में फँसा पड़ा है | अत: अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया और अपने पुत्र इसहाक के स्थान पर उसको होमबलि करके चढ़ाया | अब्राहम ने प्रसन्नता के साथ उस मेढ़े को होमबलि करके चढ़ाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-10.jpg) फिर परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि,” तू मुझे अपना सब कुछ देने के लिए तैयार हो गया, यहाँ तक कि अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा, इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूँगा |” और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण के समान अनगिनित करूँगा | और पृथ्वी की सारी जातियाँ तेरे कारण अपने को धन्य मानेंगी; क्योंकि तूने मेरी बात मानी है | -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 16-22_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 16-22_ \ No newline at end of file diff --git a/content/06.md b/content/06.md index aaec078..ff1b70d 100644 --- a/content/06.md +++ b/content/06.md @@ -1,31 +1,31 @@ -# 6. परमेश्वर ने इसहाक के लिये प्रबंध किया # +# 6. परमेश्वर ने इसहाक के लिये प्रबंध किया -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-01.jpg) जब अब्राहम वृद्ध हो गया था, तो उसका पुत्र इसहाक व्यस्कता की ओर बढ़ता जा रहा था, अब्राहम ने अपने एक दास से कहा, कि तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-02.jpg) एक लंबी यात्रा के बाद, जब वह दास उस नगर में गया जहाँ अब्राहम के कुटुम्बी रहते थे, तब परमेश्वर ने उस दास के सामने रिबका को भेजा | वह अब्राहम के भाई की पोती थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-03.jpg) रिबका अपने परिवार को छोड़, अब्राहम के दास के साथ इसहाक के घर जाने को सहमत हो गयी | रिबका के वहाँ पहुँँचते ही इसहाक ने उससे विवाह किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-04.jpg) एक लंबे समय के बाद अब्राहम की मृत्यु हो गयी, परमेश्वर ने अब्राहम से जो वाचा बाँधी थी उसके अनुसार, परमेश्वर ने इसहाक को आशीष दी | परन्तु इसहाक की पत्नी रिबका को कोई सन्तान नहीं हो सकता था | इसहाक बहुत जातियों का पिता नहीं बन सकता था यदि उसके पास एक भी पुत्र नहीं होता | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-05.jpg) इसहाक ने परमेश्वर से प्रार्थना की, और परमेश्वर ने उसकी विनती सुनी इस प्रकार रिबका जुड़वाँ पुत्रों के साथ गर्भवती हुई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-06.jpg) उनके जन्म से पहले, परमेश्वर ने रिबका से कहा कि बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-07.jpg) जब रिबका के प्रसव का समय आया, पहला जो उत्पन्न हुआ वह लाल निकला, और उसका सारा शरीर कम्बल के समान रोममय था; इसलिये उसका नाम एसाव रखा गया | पीछे उसका भाई अपने हाथ से उसकी एड़ी पकड़े हुए उत्पन्न हुआ; और उसका नाम याकूब रखा गया | -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 24:1-25:26_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 24:1-25:26_ \ No newline at end of file diff --git a/content/07.md b/content/07.md index be563a3..036db06 100644 --- a/content/07.md +++ b/content/07.md @@ -1,45 +1,43 @@ -# 7. परमेश्वर ने याकूब को आशीष दी # +# 7. परमेश्वर ने याकूब को आशीष दी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-01.jpg) फिर वे लड़के बढ़ने लगे, रिबका याकूब से प्रीति रखती थी, लेकिन इसहाक एसाव से प्रीति रखता था | याकूब सीधा मनुष्य था और तम्बुओ में रहा करता था, परन्तु एसाव तो वनवासी होकर चतुर शिकार खेलनेवाला हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-02.jpg) एक दिन एसाव जंगल से थका हुआ आया, और उसे बहुत भूख लगी थी | एसाव ने याकूब से कहा, “जो भोजन तूने पकाया है उसी में से मुझे भी कुछ खिला दे” याकूब ने कहा, “पहले, अपने पहिलौठे का अधिकार आज मेरे हाथ बेच दे” तो एसाव ने अपने पहिलौठे का अधिकार याकूब के हाथ बेच दिया | तब याकूब ने एसाव को खाने के लिये कुछ भोजन दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-03.jpg) इसहाक बहुत बूढा हो गया था, वह अपना आशीर्वाद एसाव को देना चाहता था | पर इससे पहले वह ऐसा करता, रिबका ने याकूब को एसाव के स्थान पर इसहाक के पास भेज दिया | याकूब ने एसाव के सुन्दर वस्त्र पहन लिये और बकरियों के बच्चों की खालों को अपने हाथों और गले में लपेट लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-04.jpg) इसहाक अच्छी तरह से नहीं देख सकता था | याकूब इसहाक के पास गया और कहा कि “मैं एसाव हूँ”, मैं तेरे पास आया हूँ ताकि तू मुझे आशीर्वाद दे | जब इसहाक ने उसे टटोलकर देखा और उसके वस्त्रो की सुगन्ध पाकर समझा कि वह एसाव है, तो उसे जी से आशीर्वाद दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-05.jpg) एसाव ने याकूब से बैर रखा क्योंकि उसने उसके पहिलौठे होने का अधिकार तो छीन ही लिया था साथ ही पिता के दिए हुए आशीर्वाद के कारण भी बैर रखा | फिर एसाव ने सोचा कि,“मेरे पिता के अन्तकाल का दिन निकट है, फिर मैं अपने भाई याकूब को घात करूँगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-06.jpg) जब रिबका को एसाव की योजना का पता चला | तो उसने याकूब को अपने कुटुम्बियों के पास भेज दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-07.jpg) जब याकूब वहा था ,उसी दौरान याकूब ने चार स्त्रियों से विवाह किया और उसके बारह पुत्र और एक पुत्री उत्पन्न हुई | परमेश्वर ने उसे बहुत धनवान बनाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-08.jpg) -बीस वर्ष तक अपने भवन से, जो कनान में है, दूर रहने के बाद याकूब अपने परिवार, सेवकों, और अपने सारे जानवरों समेत वापस आ +बीस वर्ष तक अपने भवन से, जो कनान में है, दूर रहने के बाद याकूब अपने परिवार, सेवकों, और अपने सारे जानवरों समेत वापस आगया | -गया | - -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-09.jpg) याकूब बहुत भयभीत था कि, क्या एसाव अब भी उसे मारना चाहता है | इसलिये उसने उपहार के रुप में एसाव के पास जानवरों के कई झुण्ड भेजे | जो दास उन जानवरों को एसाव को उपहार स्वरूप देने आए थे उन्होंने एसाव से कहा “कि यह जानवर तेरे दास याकूब ने तेरे लिये भेजे है | वह जल्द ही आ रहा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-10.jpg) परन्तु एसाव याकूब को फहले ही माफ़ कर चुका था, और वह एक दूसरे को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए | याकूब तब शांतिपूर्वक कनान में रहने लगा | इसहाक की मृत्यु हो गयी और उसके पुत्र एसाव और याकूब ने उसको मिट्टी दी | परमेश्वर ने अब्राहम की वंशावली के विषय में जो वाचा उससे बाँधी थी, वह अब्राहम से इसहाक और इसहाक से याकूब को दी | -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 25:27-33:20_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 25:27-33:20_ \ No newline at end of file diff --git a/content/08.md b/content/08.md index 96e7747..4a34039 100644 --- a/content/08.md +++ b/content/08.md @@ -1,63 +1,63 @@ -# 8. परमेश्वर ने यूसुफ और उसके परिवार को बचाया # +# 8. परमेश्वर ने यूसुफ और उसके परिवार को बचाया -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-01.jpg) कई साल बाद, जब याकूब वृद्ध हो गया, तो उसने अपने प्रिय पुत्र यूसुफ को भेजा कि वह जाकर अपने भाइयो को देखे जो भेड़ बकरियों के झुंड की देखभाल कर रहे थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-02.jpg) यूसुफ के भाई उससे बैर रखते थे क्योंकि जब यूसुफ के भाइयो ने देखा कि हमारा पिता हम सबसे अधिक उसी से प्रीति रखता है, और यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि वह अपने भाइयो पर राज्य करेगा | जब यूसुफ अपने भाइयो के पास आया तो उन्होंने उसे अगवा करके उसे किसी व्यापारी को बेच दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-03.jpg) जब उसके भाई घर वापस आए तो उन्होंने यूसुफ के कपड़े लिये, और एक बकरे को मार के उसके लहू में उसे डुबा दिया | और उन्होंने उस कपड़े को पिता को दिखाकर कह दिया कि किसी दुष्ट पशु ने यूसुफ को खा लिया है | याकूब बहुत उदास हुआ | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-04.jpg) और व्यापारी यूसुफ को मिस्र ले गए | मिस्र नील नदी के किनारे स्थित एक बड़ा , शक्तिशाली देश था | दास व्यापारियों ने यूसुफ को एक धनी सरकारी अधिकारी को गुलाम के रूप में बेच दिया | यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर रहता था, और परमेश्वर उसको आशीष देता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-05.jpg) उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ से कहा कि “मेरे साथ सो”, पर यूसुफ ने अस्वीकार किया और कहा कि “मैं ऐसी बड़ी दुष्टता कर के परमेश्वर का अपराधी क्यों बनूँ |” वह बहुत क्रोधित हुई और यूसुफ पर झूठा आरोप लगाया और उसे बंदीगृह में डलवा दिया | यहाँ तक की बंदीगृह में भी यूसुफ परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहा और परमेश्वर ने उसे आशीष दी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-06.jpg) दो साल बाद भी, निर्दोष होने के बावजूद यूसुफ बंदीगृह में था | एक रात को मिस्र के राजा ने, जिसे फ़िरौन कहते है उसने रात में दो स्वप्न देखे जो उसे निरंतर परेशान कर रहे थे | जो स्वप्न उसने देखा उसका फल बताने वाला कोई भी नहीं है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-07.jpg) परमेश्वर ने यूसुफ को यह योग्यता दी थी कि वह स्वप्न का अर्थ समझ सके, इसलिये फ़िरौन ने यूसुफ को बंदीगृह से बुलवा भेजा | यूसुफ ने उसके लिये स्वप्न की व्याख्या की और कहा कि” सारे मिस्र देश में सात वर्ष तो बहुतायत की उपज के होंगे, और उनके पश्चात् सात वर्ष अकाल के आयेंगे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-08.jpg) फ़िरौन यूसुफ से बहुत प्रभावित हुआ, और उसे मिस्र का दूसरा सबसे शक्तिशाली आदमी नियुक्त किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-09.jpg) यूसुफ ने सात वर्ष अच्छी उपज के दिनों में भोजनवस्तुएँ इकट्ठा करने के लिये लोगों से कहा | अकाल के साथ वर्षों में जब लोगों के पास खाने के लिये कुछ नहीं था और सारी पृथ्वी पर अकाल फैल गया तो यूसुफ मिस्रियो को अन्न बेचने लगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-10.jpg) अकाल न केवल मिस्र परन्तु कनान में भी पड़ा था, जहाँ यूसुफ का परिवार रहता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-11.jpg) याकूब ने अपने बेटों को मिस्र से अन्न लाने के लिये भेजा | यूसुफ के भाइयो ने उसे न पहिचाना जब वह अनाज मोल लेने के लिये उसके सामने खड़े थे | परन्तु यूसुफ ने उन्हें पहचान लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-12.jpg) क्या उसके भाई बदल गए है यह परखने के बाद, यूसुफ ने उन्हें कहा,” मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूँ ! डरो मत | “तुमने दुष्टता के लिये मिस्र आने वालों के हाथ मुझे बेच दिया था, परन्तु परमेश्वर ने अच्छे के लिये ही बुराई की !” आओ और मिस्र में रहो, ताकि मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जो कुछ मिस्र देश में है अच्छे से अच्छा तुम्हे दूँगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-13.jpg) जब यूसुफ के भाई अपने पिता याकूब के पास पहुँचे और उससे कहा, यूसुफ अब तक जीवित है, यह सुन वह बहुत प्रसन्न हुआ | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-14.jpg) याकूब वृद्ध हो गया था, वह अपने परिवार के साथ मिस्र देश गया और वह सब वहा रहने लगे | याकूब ने मृत्यु से पहले अपने सब पुत्रों को आशीर्वाद दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-15.jpg) परमेश्वर ने जो वाचा अब्राहम से बाँधी थी , अब्राहम के बाद इसहाक से, इसहाक के बाद याकूब और उसके बारह पुत्रों व उसके परिवार से | बारह पुत्रों की सन्तान से इस्राएल के बारह गोत्र बन गए | -_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 37-50_ +_बाइबिल की कहानी में : उत्पति 37-50_ \ No newline at end of file diff --git a/content/09.md b/content/09.md index b4ad75f..2570369 100644 --- a/content/09.md +++ b/content/09.md @@ -1,63 +1,63 @@ -# 9. परमेश्वर ने मूसा को बुलाया # +# 9. परमेश्वर ने मूसा को बुलाया -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-01.jpg) यूसुफ की मृत्यु के पश्चात्, उसके सभी कुटुम्बी ने मिस्र में ही वास किया | कई वर्षों तक वे और उनके वंशज वही रहे और उनकी बहुत सी संताने उत्पन्न हुई | वह इस्राएली कहलाएँ | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-02.jpg) कई वर्षो बाद, मिस्र में एक नया राजा आया | मिस्र वासी अब यूसुफ को भूल गये थे और उन कार्यो को जो उसने उनकी सहायता करने के लिये किये थे | वे इस्राएलियों से डरते थे क्योंकि वे संख्या में बहुत अधिक थे | उस समय जो फ़िरौन मिस्र पर राज्य करता था, इस्राएलियों को मिस्रियो का गुलाम बनाया -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-03.jpg) मिस्रियो ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवा करवाई, और यहाँ तक कि कई इमारते व पूरे नगर का निर्माण करवाया | कठोर परिश्रम ने उनके जीवन को दयनीय बना दिया है, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया, और उनके और अधिक संतान उत्पन्न हुई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-04.jpg) जब फ़िरौन ने देखा कि इस्राएलियों की संताने बहुत अधिक बढ़ती जा रही है, तब फ़िरौन ने आपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हो उन सभी को तुम नील नदी में डाल देना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-05.jpg) एक इस्राएली महिला ने पुत्र को जन्म दिया | उसने और उसके पति ने बालक को छिपा दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-06.jpg) उन्होने उसे एक टोकरी में रख कर नील नदी मे छोड़ दिया | उस बालक की बहिन दूर खड़ी रही कि देखे उस बालक का क्या होता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-07.jpg) फ़िरौन की बेटी ने टोकरी को देखा और फिर उसके अंदर देखा | जब उसने बालक को देखा, तो उसे अपने पुत्र के रूप में अपने साथ रख लिया | उसने एक इस्राएली स्त्री को जो बालक की माँ थी दूध पिलाने के लिये रख लिया | जब वह बालक बड़ा हुआ, फ़िरौन की बेटी ने उसका नाम मूसा रखा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-08.jpg) एक दिन, जब मूसा जवान हुआ, तो उसने देखा कि एक मिस्री जन इस्राएली को मार रहा है | मूसा ने अपने साथी इस्राएली को बचाने का प्रयास किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-09.jpg) मूसा ने सोचा कि उसे किसी ने नहीं देखा, और उसने मिस्री को मारा और उसे दफना दिया | परन्तु मूसा को यह करते हुए किसी ने देख लिया था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-10.jpg) जब फ़िरौन ने यह बात सुनी, तो मूसा को घात करने की युक्ति की क्योंकि उसने यह किया था | तब मूसा मिस्र से किसी सुनसान स्थान पर चला गया जहाँ वह सुरक्षित रह सके | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-11.jpg?nolink&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-11.jpg) मूसा मिस्र से बहुत दूर एक जंगल में चरवाहा बन गया | उस स्थान पर उसने एक महिला से विवाह किया और उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-12.jpg?nolink&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-12.jpg) एक दिन, मूसा जब अपनी भेड़ो की देख रेख कर रहा था , तब उसने देखा कि किसी झाड़ी में आग लगी है | परन्तु झाड़ी जल तो रही है पर भस्म नहीं होती | तब मूसा उस स्थान पर यह देखने के लिये गया कि वह झाड़ी क्यों नहीं जल जाती | मूसा जब झाड़ी को देखने के लिये जाता है, तब परमेश्वर ने उसको पुकारा, हे मूसा अपने पाँवों से जूतियों को उतार दे | जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र भूमि है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-13.jpg?nolink&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-13.jpg) परमेश्वर ने कहा, “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में है उनके दुःख को निश्चय देखा है |” इसलिये आ मैं तुझे फ़िरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र में से निकाल ले आए | मैं उन्हें कनान देश की वह भूमि दे दूँगा जिसकी वाचा मैंने अब्राहम, इसहाक, और याकूब से बाँधी थी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-14.jpg?nolink&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-14.jpg) मूसा ने कहा, “ जब वह लोग मुझ से पूछेंगे कि मुझे किस ने भेजा है, तो मैं उन लोगों से क्या कहूँगा?” परमेश्वर ने मूसा से कहा मैं जो हूँ सो हूँ | उनसे कहना “जिसका नाम मैं हूँ है उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है |” “सदा तक मेरा नाम यही रहेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-15.jpg?nolink&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-09-15.jpg) मूसा फ़िरौन के पास जाने में डर रहा था, इसलिये परमेश्वर ने उसकी सहायता के लिये उसके भाई हारून को उसके साथ भेजा | परमेश्वर ने मूसा और हारून को चेतावनी दी कि फ़िरौन कठोर मनुष्य है | -_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 1-4_ +_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 1-4_ \ No newline at end of file diff --git a/content/10.md b/content/10.md index bb2ca02..3f76904 100644 --- a/content/10.md +++ b/content/10.md @@ -1,51 +1,51 @@ -# 10. दस विपत्तियाँ # +# 10. दस विपत्तियाँ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-01.jpg) मूसा और हारून फ़िरौन के पास गये | उन्होंने कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यों कहता है,” मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे !’ फ़िरौन उन पर हँसा | उसने कहा कि मैं इस्राएलियों को नहीं जाने दूँगा, उसने उन्हें और भी कठिन कार्य करने के लिये विवश किया ! -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-02.jpg) फ़िरौन का मन कठोर हो गया और वह प्रजा को जाने नहीं दे रहा था, इसलिये परमेश्वर ने मिस्र देश पर दस भयानक विपत्तियाँ भेजी (विपत्ति एक भयानक आपदा है |) इन भयानक विपत्तियों के द्वारा परमेश्वर यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िरौन व मिस्र के देवताओ से कई अधिक शक्तिशाली है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-03.jpg) परमेश्वर ने नील नदी को लहू से भर दिया, तब भी फ़िरौन का मन हठीला रहा और उसने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-04.jpg) परमेश्वर ने सारे मिस्र देश में मेंढकों को भेज दिया | फ़िरौन ने मेंढकों को दूर ले जाने के लिये मूसा से विनती की | जब फ़िरौन ने देखा कि सब मेंढक मर गए है, तब फ़िरौन ने अपने मन को और कठोर कर लिया और इस्राएलियों को नहीं जाने दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-05.jpg) अत: परमेश्वर ने डांसों के झुण्ड को भेजा और फिर मक्खियों की महामारी को भेजा | फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा कि यदि वह इस महामारी को समाप्त कर दे, तो फ़िरौन मिस्र से इस्राएलियों को मुक्त कर देंगा | तब मूसा ने परमेश्वर से विनती की, और परमेश्वर ने डांसों के झुण्ड को मिस्र से दूर कर दिया, तब फ़िरौन ने इस बार भी अपने मन को कठोर किया और उन लोगों को जाने न दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-06.jpg) इसके बाद, परमेश्वर ने मिस्रियो के सभी पशुओ को रोगी किया व उन्हें मार दिया | तौभी फ़िरौन का मन कठोर हो गया और उसने इस्राएलियों को जाने न दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-07.jpg) तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि मुट्ठी में राख भर ले और उसे फ़िरौन के सामने आकाश में उड़ा दे | तब वह धूल होकर सारे मिस्र देश में मनुष्यों और पशुओ दोनों पर फफोले और फोड़े बन जाएगी परन्तु इस्रालियो पर नहीं | तब परमेश्वर ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, और फ़िरौन ने इस्राएलियों को न जाने दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-08.jpg) इसके बाद, परमेश्वर ने मिस्र देश पर ओले बरसाए, और ओलों से खेत की सारी उपज नष्ट हो गयी, और मैदान में जो भी थे सब मारे गये | फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलवा भेजा और उनसे कहा, “मैंने पाप किया है तुम जा सकते हो।” मूसा ने प्रार्थना की और आकाश से ओलों का बरसना बन्द हुआ | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-09.jpg) लेकिन फ़िरौन ने फिर अपने मन को कठोर करके पाप किया और उसने इस्राएलियों को जाने न दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-10.jpg) परमेश्वर ने मिस्र को टिड्डियों से भर दिया | यह टिड्डियाँ तुम्हारें खेत की सारी उपज को खा जाएँगी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-11.jpg) परमेश्वर ने तीन दिन के लिये मिस्र में अंधकार कर दिया | मिस्र में इतना अंधकार कर दिया कि मिस्री अपने घरों से बाहर निकल न सकें | परन्तु सारे इस्राएलियों के घरों में उजियाला रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-12.jpg) इन नौ महामारियों के बावजूद, फ़िरौन ने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया | फ़िरौन ने जब न सुना, तब परमेश्वर ने आखिरी महामारी भेजने की योजना बनाई | इससे फ़िरौन का मन बदल गया | -_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 5-10_ +_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 5-10_ \ No newline at end of file diff --git a/content/11.md b/content/11.md index 1912e05..8d810ed 100644 --- a/content/11.md +++ b/content/11.md @@ -1,35 +1,35 @@ -# 11. फसह का पर्व # +# 11. फसह का पर्व -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-01.jpg) परमेश्वर ने फ़िरौन को चेतावनी दी, यदि उसने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया तो वह मनुष्य व पशु सबके पहिलौठो को मार देगा | जब फ़िरौन ने यह सुना तो भी उसने इस्राएलियों को जाने न दिया और परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने से इन्कार कर दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-02.jpg) परमेश्वर ने कहा कि, वो मनुष्य जो उस पर विश्वास करेंगा वह उसके पहिलौठे पुत्र को बचाएगा | हर परिवार एक सिद्ध मेम्ने का बलिदान देंगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-03.jpg) परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा कि वह मेम्ने के लहू को अपने द्वार के दोनों अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाएँ, और वह उसी रात उसे भूनकर अखमीरी रोटी से खाएँ | परमेश्वर ने यह भी कहा कि खाने के बाद मिस्र देश छोड़ने के लिये तैयार रहे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-04.jpg) इस्राएलियों ने वह सब कुछ किया जो करने की आज्ञा परमेश्वर ने उन्हें दी थी | परमेश्वर ने कहा कि, “उस रात को मैं मिस्र देश के बीच से होकर जाऊँगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य, क्या पशु सब के पहिलौठो को मारूँँगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-05.jpg) सभी इस्राएलियों के घरों के द्वार पर लहू था , परमेश्वर ने उन घरों को छोड़ दिया और वह सब अन्दर सुरक्षित थे | वे मेम्ने के लहू के द्वारा बच गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-06.jpg) परन्तु मिस्रियो ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया और उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया | परमेश्वर ने उनके घरों को नहीं छोड़ा | परमेश्वर ने मिस्रियो के सभी पहिलौठे पुत्रों को मार डाला | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-07.jpg) मिस्रयो के प्रत्येक परिवार के पहिलौठो को मार दिया, जेल के बंदियों से लेकर फ़िरौन तक सबके पहिलौठो को मार दिया | मिस्र में बहुत रोना था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-08.jpg) तब फ़िरौन ने उसी रात मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, “तुम इस्राएलियों समेत मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ तुरन्त ही!” मिस्रियो ने इस्राएलियों पर दबाव डालकर कहा” देश से झटपट निकल जाओ | -_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 11:1-12:32_ +_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 11:1-12:32_ \ No newline at end of file diff --git a/content/12.md b/content/12.md index 3c2f08d..1ea04b2 100644 --- a/content/12.md +++ b/content/12.md @@ -1,59 +1,59 @@ -# 12. निर्गमन # +# 12. निर्गमन -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-01.jpg) मिस्र से मुक्त होकर इस्राएली बहुत खुश हुए | अब वह दास नहीं रहे, और वह प्रतिज्ञा की भूमि पर जा रहे थे! मिस्रियो ने इस्राएलियों को सोना , चाँदी और सभी मूल्यवान वस्तुएँ भी दी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-02.jpg) परमेश्वर उन्हें दिन को मार्ग दिखाने के लिये मेघ के खम्भे में, और रात को उजियाला देने के लिये आग के खम्भे में होकर उनके आगे आगे चला करता था | परमेश्वर उनके आगे आगे चला करता था, जिससे वे रात और दिन दोनों में चल सके | उन लोगों को केवल परमेश्वर के पीछे चलना था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-03.jpg) कुछ ही समय के बाद, फ़िरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और इस्राएलियों को फिर से अपना दास बनाना चाहा | परमेश्वर ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, ताकि लोग इस बात को समझे कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है और फ़िरौन और उसके देवताओ से कही अधिक शक्तिशाली है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-04.jpg) इस्राएलियों को फिर से दास बनाने के लिये फ़िरौन और उसकी सेना ने उनका पीछा किया | जब फ़िरौन उनके निकट आया, तब इस्राएलियों ने आँखे उठाकर क्या देखा कि फ़िरौन और उसकी सेना उनका पीछा किये आ रहे है, और वह फ़िरौन की सेना और लाल समुद्र के बीच फँस गए है | इस्राएली अत्यंत डर गए और रोने लगे, “ हमने मिस्र क्यों छोड़ा? हम मरने के लिये जा रहे हैं!” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-05.jpg) मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, परमेश्वर आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा और तुम्हे बचाएगा |” तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि,” लोगों को कह लाल समुद्र की ओर जाए |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-06.jpg) परमेश्वर ने बादल के खम्भे को उनके आगे से हटाकर उनके पीछे कर दिया, इस प्रकार वह मिस्रियो की सेना और इस्राएलियों की सेना के बीच में आ गया और तब मिस्र की सेना इस्राएल की सेना को देख न सकी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-07.jpg) परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा और वह दो भाग हो जाएगा | इस्राएली समुद्र के बीच होकर स्थल ही स्थल पर चले जाएँगे, और जल उनकी दाहिनी और बाई ओर दीवार का काम देता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-08.jpg) इस्राएली समुद्र के किनारे सूखी भूमि पर चलने लगे और पानी दूसरे किनारे पर था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-09.jpg) परमेश्वर ने बादल को ऊपर किया ताकि मिस्री इस्राएलियों को जाते हुए देख सके | मिस्रियो ने निर्णय लिया कि वह इस्राएलियों का पीछा करेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-10.jpg) और रात के अंतिम पहर में परमेश्वर ने बादल और आग के खम्भे में से मिस्रियो की सेना पर दृष्टी करके उन्हें घबरा दिया, और उनके रथों के पहियों को निकाल डाला जिससे उनका चलाना कठिन हो गया | तब मिस्री कहने लगे, “ आओ हम इस्राएलियों के सामने से भागें; परमेश्वर इस्राएलियों की ओर से मिस्रियो से युद्ध कर रहा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-11.jpg) जब सभी इस्राएली समुद्र की दूसरी ओर सुरक्षित थे, तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा | तब मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया और भोर होते होते क्या हुआ कि समुद्र फिर ज्यो का त्यों हो गया | पूरी मिस्र की सेना डूब गई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-12.jpg) जब इस्राएलियों ने मिस्रियो को समुद्र के तट मरे पड़े हुए देखा, इस्राएलियों ने परमेश्वर का भय माना और परमेश्वर के दास मूसा पर भी विश्वास किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-13.jpg) इस्राएलियों ने बहुत उत्साहित होकर आनन्द मनाया क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु व गुलामी से बचाया! अब वह परमेश्वर की आराधना करने की लिये स्वतंत्र थे | इस्राएलियों ने अपनी स्वतंत्रता का उत्साह मनाने के लिये बहुत से गाने गाए, और परमेश्वर की आराधना की जिसने उन्हें मिस्रियो की सेना से बचाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-14.jpg) परमेश्वर ने इस्राएलियों को आज्ञा दी कि वह हर साल फसह का पर्व मनाया करे, इस बात को स्मरण करते हुए कि परमेश्वर ने उन्हें मिस्रियो की गुलामी से बचाया व उन्हें मिस्रियो पर विजयी किया | वह इस उत्सव को एक सिद्ध मेम्ने का बलिदान देकर मनाए और उसे अखमीरी रोटी के साथ खाएँ | -_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 12:33-15:21_ +_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 12:33-15:21_ \ No newline at end of file diff --git a/content/13.md b/content/13.md index 7d49c5a..3a3589a 100644 --- a/content/13.md +++ b/content/13.md @@ -1,63 +1,63 @@ -# 13. इस्राएल के साथ परमेश्वर की वाचा # +# 13. इस्राएल के साथ परमेश्वर की वाचा -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-01.jpg) परमेश्वर ने इस्राएलियों को जब लाल समुद्र पार करवाया, तब जंगल में सीनै नामक पर्वत के आगे इस्राएलियों ने छावनी डाली | तब उन्होंने पर्वत के पास ही डेरे खड़े किए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-02.jpg) परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह इस्राएलियों से कहे ,”इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे, समस्त पृथ्वी तो मेरी है, और तुम मेरी दृष्टी में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-03.jpg) तीसरे दिन तक, वह अपने आप को आत्मिक रूप से तैयार करे ,जब परमेश्वर सीनै पर्वत पर आया तो बादल गरजने और बिजली चमकने लगी और पर्वत पर काली घटा छा गई फिर नरसिंगे का बड़ा भारी शब्द हुआ | केवल मूसा को पर्वत के ऊपर जाने के लिये अनुमति दी गई थी। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-04.jpg) -परमेश्वर ने उन्हें वाचा दी और कहा, "मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुझे दासत्व के घर अथार्त् मिस्र देश से निकाल लाया है | "तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना | +परमेश्वर ने उन्हें वाचा दी और कहा, “मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुझे दासत्व के घर अथार्त् मिस्र देश से निकाल लाया है |”तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-05.jpg) -“तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना, तू उनकी उपासना न करना क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ |" तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना | तू सब्त के दिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना | छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम-काज करना, परन्तु सातवा दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है |" +“तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना, तू उनकी उपासना न करना क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ |” तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना | तू सब्त के दिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना | छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम-काज करना, परन्तु सातवा दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है |" -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-06.jpg) “तू अपने पिता और माता का आदर करना, तू खून न करना, तू व्यभिचार न करना, तू चोरी न करना, तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना, तू किसी के घर का लालच न करना, न तो किसी की स्त्री का लालच करना या जो कुछ भी उससे सम्बन्धित है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-07.jpg) परमेश्वर ने यह दस आज्ञाएँ मूसा को दो पत्थर की तख्तियों पर लिख के दे दी | परमेश्वर ने और भी बहुत से नियमों व सिद्धन्तो का पालन करने के लिये कहा | यदि वह लोग इन नियमों का पालन करेंगे, तो परमेश्वर अपनी वाचा के अनुसार उन्हें आशीष देंगा | यदि वे इन नियमों का पालन नहीं करेंगे तो वह दण्ड के पात्र बनेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-08.jpg) परमेश्वर ने इस्राएलियों को तम्बू बनाने का विस्तृत विवरण दिया | यह मिलापवाला तम्बू कहलाता था, और इसमें दो कमरे थे, जिन्हें एक बड़ा परदा पृथक कर रहा था | केवल उच्च परोहित को ही उन कमरों में जाने की अनुमति थी क्योंकि परमेश्वर उसमे वास करता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-09.jpg) जो कोई भी परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन करता है, वह मिलापवाले तम्बू के सामने वेदी पर परमेश्वर के लिये पशु का बलिदान चढ़ाएगा | एक पुरोहित ने पशु को मारकर उसे वेदी पर जला दिया | उस पशु का लहू जिसका बलिदान चढ़ाया गया है, पापी मनुष्य के सभी अपराधों को धो देंगा परमेश्वर की दृष्टी में | परमेश्वर ने मूसा के भाई हारून और हारून के वंश को याजक पद के लिये चुना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-10.jpg) सभी लोगों ने उन नियमों का पालन किया जो परमेश्वर ने उनके लिये दिए थे, कि केवल परमेश्वर की उपासना करना, और उसके सम्मुख विशेष मनुष्य बनना | परमेश्वर से वाचा बाँधने के कुछ ही समय बाद उन्होंने भयंकर अपराध किए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-11.jpg) कई दिनों तक मूसा सीनै पर्वत के ऊपर परमेश्वर से बात करता रहा | लोग मूसा के वापस आने का इंतजार करते हुए थक गए | लोग हारून के पास सोना ले आए और बोले कि हमारे लिये देवता बना!" -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-12.jpg) हारून ने सोने से एक बछड़े के आकार की मूर्ति बना दी | लोग उस मूर्ति की उपासना करने लगे और उसके लिये बलिदान चढ़ाने लगे! परमेश्वर उनसे बहुत क्रोधित हुआ और उनके पापों के कारण उन्हे भस्म करने की योजना बनाई | मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना को ग्रहण किया, और उन्हें नष्ट नहीं किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-13.jpg) जब मूसा पहाड़ से नीचे उतर आया, और उसने उस देवता को देखा, तो उसका क्रोध भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला, क्योंकि वह परमेश्वर की दस आज्ञाओ के विरुद्ध था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-14.jpg) तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग में डाल के फूँक दिया | और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्राएलियों को उसे पिलवा दिया | परमेश्वर ने उन पर बड़ी विपत्ति डाली, जिनके कारण बहुत से लोग मर गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-15.jpg) मूसा पर्वत पर फिर चढ़ गया और उसने प्रार्थना की कि परमेश्वर उन लोगों के पाप को क्षमा कर दे | परमेश्वर ने मूसा की प्रार्थना सुनी और उन्हें क्षमा किया | तब मूसा ने पहली तख्तियों के समान दो और तख्तियाँ गढ़ी; क्योंकि पहली उसने तोड़ डाली थी | तब परमेश्वर ने इस्राएलियों को सीनै पर्वत से वाचा की भूमि पर भेजा | -_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 19-34_ +_बाइबिल की कहानी में : निर्गमन 19-34_ \ No newline at end of file diff --git a/content/14.md b/content/14.md index 9e084fc..78bb5b7 100644 --- a/content/14.md +++ b/content/14.md @@ -1,63 +1,63 @@ -# 14. जंगल में भटकना # +# 14. जंगल में भटकना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-01.jpg) सीनै पर्वत पर परमेश्वर के साथ वाचा बान्धने के बाद ,परमेश्वर ने इस्राएलियों का मार्ग दर्शन प्रतिज्ञा के देश, कनान तक किया | और बादल के खम्बे ने उन्हे मार्ग दिखाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-02.jpg) परमेश्वर ने जो वाचा अब्राहम, इसहाक और याकूब से बाँधी थी, कि वह वाचा की भूमि उनके वंशज को देंगा, परन्तु अब वहाँ बहुत से लोगों के समूह रहते हैं | और उन्हें कनानी कहा जाता है | कनानियो ने न तो परमेश्वर की आराधना की और न ही आज्ञा का पालन किया | उन्होंने झूठे देवताओं की उपासना की, और बहुत से दुष्ट कार्य किए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-03.jpg) परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा, “ तुम वाचा की भूमि से सभी कनानियो को निकाल देना | उनके साथ मेल स्थापित न करना और न उनसे विवाह करना | तुम उनके देवताओं को पूरी तरह से नष्ट कर देना | यदि तुम मेरी आज्ञाओ का पालन न करो, और मेरे बदले उनके देवताओं की उपासना करों तो तुम दण्ड के पात्र बनोगे |" -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-04.jpg) जब इस्राएली कनान की सीमा पर पहुँँचे, तब मूसा ने बारह पुरषों को चुना इस्राएल के हर गोत्र में से उसने उन पुरषों को आदेश दिया कि जाओ और भूमि का पता लगाओ कि वह कैसी दिखती है | और उन्हें इसलिये भी भेजा गया कि वह पता लगाए कि कनानी तेजस्वी हैं या दुर्बल | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-05.jpg) उन बारह पुरुषों ने चालीस दिन कनान देश में यात्रा की, फिर वे वापस लौट आए। दस भेदियो ने एक बुरी खबर सुनाई और कहा, उन्होंने लोगों को बताया, कि वहाँँ की भूमि व खेत बहुत उपजाऊ है, परन्तु दस गुप्तचर कहने लगे, वह शहर बहुत तेजस्वी है और वहाँ के लोग असामान्य रूप से विशाल है ! यदि हम उन पर हमला करते है, तो निश्चित रूप से वह हमें पराजित कर देंगे व मार डालेंगे !” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-06.jpg) तुरन्त ही कालेब और यहोशू, अन्य दो जासूस कहने लगे, हाँ यह सही है कि कनान के लोग लम्बे और तेजस्वी है , पर हम निश्चित रूप से उन्हें पराजित कर देंगे ! परमेश्वर हमारे लिये उनसे युद्ध करेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-07.jpg) वे लोग मूसा और हारून से क्रोधित होकर कहने लगे,” कि तुम हमे इतनी भीषण जगह क्यों लेकर आए ?” भला होता कि हम मिस्र देश में ही मर जाते; हमारी स्त्रिया और बालबच्चे तो लूट में चले जाएँगे |” फिर वे आपस में कहने लगे, “कि आओ हम किसी और को अपना प्रधान बना लें, और मिस्र को लौट जाएँ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-08.jpg) परमेश्वर बहुत क्रोधित थे, और परमेश्वर का तेज मिलापवाले तम्बू में सब इस्राएलियों पर प्रकाशमान हुआ | परमेश्वर ने कहा, “उनमे से कालिब और यहोशू को छोड़ जितने बीस वर्ष के या उससे अधिक आयु के जितने गिने गए थे ,और मुझ पर बुड़बुड़ाते थे, कोई भी उस देश में न जाने पाएगा, जिसके विषय मैं ने शपथ खाई है ,कि तुम को उसमें बसाऊँगा | परन्तु तुम्हारे शव जंगल में ही पड़े रहेंगे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-09.jpg) जब लोगों ने यह सुना तो वह अपने पापों के लिये विलाप करने लगे | उन्होंने अपने हथियार लिये और कनानियो पर हमला करने के लिये चल दिए | मूसा ने उन्हें सचेत किया कि यहोवा तुम्हारें मध्य में नहीं है, मत जाओ, नहीं तो शत्रुओं से हार जाओगे, परन्तु उन्होनें मूसा की बात नहीं सुनी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-10.jpg) परमेश्वर उनके साथ इस युद्ध में न था इसलिये वह पराजित हुए और उनमे से कुछ मारे भी गए | तब बचे हुए इस्त्राएली कनान से वापस आये और इस्राएली चालीस वर्षों तक जंगल में भटकते रहे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-11.jpg) चालीस वर्षों के दौरान जब इस्राएली जंगल में भटकते रहे, तब परमेश्वर ने उनके लिये पहले से प्रबंध किया, उसने उन्हें स्वर्ग से रोटी दी, “जिसे मन्ना कहते थे |” परमेश्वर ने उन्हें उनके शिविर में खाने के लिये मांस भी दिया (जो मध्यम आकार के पक्षी हैं ) बटेर के झुंड भेजे | इन चालीस वर्षों में न तो उनके कपड़े पुराने हुए, और न उनके जूते घिसे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-12.jpg) परमेश्वर ने चमत्कारपूण ढंग से एक चट्टान से उन्हें पानी दिया। परन्तु इन सब के बावजूद भी, इस्राएली परमेश्वर व मूसा के विरुद्ध बुड़बुड़ाते रहें | फिर भी, परमेश्वर अपनी वाचा पर निष्ठावान रहा जो उसने अब्राहम, इसहाक, व याकूब से बाँधी थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-13.jpg) एक अन्य अवस्था में, जब लोगों को पीने का पानी न मिला, तो परमेश्वर ने मूसा से कहा, “तू उस चट्टान से बोलना, तब उसमे से पानी स्वयं निकलेगा |” लेकिन मूसा ने इस्राएलियों के सामने परमेश्वर की आज्ञा का पालन न करते हुए चट्टान से बोलने के स्थान पर दो बार लाठी से मारा | तब चट्टान से पानी निकलने लगा सबके पीने के लिये, परन्तु परमेश्वर मूसा से क्रोधित हुआ और कहा, “तू वाचा की भूमि में प्रवेश करने न पाएगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-14.jpg) इस्राएलियों के चालीस वर्ष तक जंगल में भटकने के बाद, वह सभी जो परमेश्वर के विरुद्ध बुड़ाबड़ाते थे मर गए | परमेश्वर ने फिर लोगों को वाचा की भूमि पर भेजा और उनका नेतृत्व किया | मूसा बहुत वृद्ध हो गया था, उसकी सहायता करने के लिए परमेश्वर ने यहोशू को चुना जिससे वे लोगों का मार्गदर्शन कर सके | परमेश्वर ने मूसा से वाचा बाँधी कि एक दिन वह, मूसा के जैसा ही दूसरा नबी भेजेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-15.jpg) फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि तू पर्वत की ऊँची चट्टान पर चढ़ जा , ताकि वह वाचा की भूमि को देख सके | मूसा ने वाचा की भूमि देखी, परन्तु परमेश्वर ने उसे अनुमति न दी उसमे प्रवेश करने की | मूसा की मृत्यु के बाद, इस्राएली तीस दिन तक रोते व विलाप करते रहे | यहोशू उनका नया अगुआ था | यहोशू एक अच्छा अगुआ था क्योंकि वह परमेश्वर पर विश्वास करता था व उसकी आज्ञाओ का पालन करता था | -_बाइबिल की कहानी में : निर्गम 16-17; गिनती 10-14; 20; 27; व्यवस्थाविवरण 34_ +_बाइबिल की कहानी में : निर्गम 16-17; गिनती 10-14; 20; 27; व्यवस्थाविवरण 34_ \ No newline at end of file diff --git a/content/15.md b/content/15.md index b2bd0c6..d512d3d 100644 --- a/content/15.md +++ b/content/15.md @@ -1,55 +1,55 @@ -# 15. वाचा की भूमि # +# 15. वाचा की भूमि -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-01.jpg) अंत: इस्राएलियों के लिए वह समय आ गया था, कि वह कनान देश में वाचा की भूमि में प्रवेश करे | यहोशू ने दो भेदियों को कनानियो के शहर यरीहो में भेजा | जो मजबूत दीवारों से सुरक्षित था | उस शहर में राहाब नामक एक वेश्या रहती थी, उसने उन दोनों भेदियों को छिपा रखा और उन्हें भगाने में भी सहायता की क्योंकि वह परमेश्वर पर विश्वास करती थी | उन्होंने शपथ खाई कि इस्राएली जब यरीहो को नष्ट करेंगे तब राहाब और उसके परिवार की वे रक्षा करेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-02.jpg) इस्राएलियों को वाचा की भूमि में प्रवेश करने से पहले यरदन नदी को पार करना था | परमेश्वर ने यहोशू से कहा कि, “याजक पहले जाएँगे |” और जिस समय पृथ्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले याजको के पाँव यरदन के जल में पड़ेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल थम जाएगा और ढेर होकर ठहरा रहेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-03.jpg) जब सब इस्राएलियों ने यरदन नदी को पार कर लिया, तब परमेश्वर ने यहोशू को बताया कि किस प्रकार से यरीहो के शक्तिशाली शहर पर आक्रमण करना है | लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा मानी | जैसा की परमेश्वर ने कहा था, “इसलिये तुम में से जितने योद्धा है नगर को घेर लें, और उस नगर के चारों ओर घूम आएँ, और छ: दिन तक ऐसा ही किया करना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-04.jpg) फिर सातवें दिन, इस्राएली नगर के चारों ओर सात बार घूमे | जब वह शहर में अंतिम बार घूम रहे थे, तब सैनिक चिल्ला रहे थे और याजक नरसिंगे फूँकते थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-05.jpg) यरीहो की शहरपनाह नींव से गिर पड़ी! तब इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार, जो कुछ उस शहर में था सब कुछ नष्ट कर दिया | उन्होंने केवल राहाब और उसके परिवार को छोड़ा, क्योंकि वे इस्राएलियों का ही भाग बन गए थे | वह अन्य लोग जो कनान देश में रहते थे, जब उन्होंने सुना की इस्राएलियों ने यरीहो नगर को नष्ट कर दिया है, तो वह बहुत भयभीत हुए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-06.jpg) परन्तु कनान निवासियों का एक समूह , जो की गिबोनियो कहलाता है, उन्होंने यहोशू के साथ छल किया और कहा, हम दूर देश से आए है | उन्होंने यहोशू से कहा कि तुम हमसे भी वाचा बाँधो | परमेश्वर ने इस्राएलियों को आज्ञा दी थी ,कि वह कनान में लोगों के किसी भी समूह के साथ समझौता संधि स्थापित न करे, परन्तु यहोशू और इस्राएलियों ने परमेश्वर से बिना पूछे हुए, कि वह गिबोनी कहा से है उनके साथ वाचा बाँधी | अत: यहोशू ने उनसे वाचा बाँधी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-07.jpg) कुछ समय बाद, कनान में एक अन्य समूह के राजा, एमोरियों ने जब यह सुना कि गिबोन के निवासियों ने इस्राएलियों से मेल किया और उनके बीच रहने लगे है, तब एमोरी के राजाओ ने अपनी अपनी सेना इकट्ठी करके चढ़ाई कर दी, और गिबोन के सामने डेरे डालकर उस से युद्ध छेड़ दिया | तब गिबोन के निवासियों ने यहोशू के पास यह कहला भेजा, हमारी सहायता कर | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-08.jpg) यहोशू क्रोधित था क्योंकि उसके साथ धोखा हुआ था, तब यहोशू सारे योद्धाओं और शुरवीरों को संग लेकर रातोंरात गिबोनियों तक पहुँचने के लिए चल पड़े | प्रात:काल उन्होंने एमोरियों की सेना को चकित कर दिया व उन पर हमला कर दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-09.jpg) परमेश्वर ने एमोरियों को उलझन में डाल दिया, और ओले भेजकर बहुत से एमोरियों को घात किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-10.jpg) उस दिन परमेश्वर ने सूर्य को आकाशमण्डल के बीचोंबीच ठहरा दिया, ताकि इस्राएलियों के पास एमोरियों को पराजित करने के लिए पर्याप्त समय हो | उस दिन परमेश्वर ने इस्राएलियों के लिए एक महान विजय प्राप्त की | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-11.jpg) जब परमेश्वर ने एमोरियों को पराजित कर दिया, बहुत से कनानी लोगों के समूह एकत्रित हुए और इस्राएलियों पर आक्रमण कर दिया | तब यहोशू और इस्राएलियों ने उन पर हमला किया और उनको नष्ट कर दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-12.jpg) युद्ध के बाद, परमेश्वर ने इस्राएलियों को वह सारा देश दिया, जिसे उसने उनको पूर्वजों से शपथ खाकर देने को कहा था; और वे उसके अधिकारी होकर उसमे बस गए | तब परमेश्वर ने इस्राएलियों को सारी सीमा के साथ शांति प्रदान की | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-13.jpg) जब यहोशू वृद्ध हो गया, तब उसने सभी इस्राएलियों को एकत्रित किया | तब यहोशू ने इस्राएलियों को वह वाचा याद दिलाई जो उन्होंने परमेश्वर के साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी, कि वह उसका पालन करेंगे | इस्राएलियों ने वाचा बाँधी थी कि वे परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहेंगे व उसकी आज्ञाओ का पालन करेंगे | -_बाइबिल की कहानी में : यहोशू 1-24_ +_बाइबिल की कहानी में : यहोशू 1-24_ \ No newline at end of file diff --git a/content/16.md b/content/16.md index d9286dc..97a3cb5 100644 --- a/content/16.md +++ b/content/16.md @@ -1,75 +1,75 @@ -# 16. उद्धारकर्ता # +# 16. उद्धारकर्ता -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-01.jpg) यहोशू के मरने के बाद, इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया और न ही परमेश्वर के नियमों का पालन किया और न ही बचे हुए कनानियो को बाहर निकाला | इस्राएलियों ने यहोवा जो सच्चा परमश्वर है उसके स्थान पर, कनानियो के देवता की उपासना करना आरम्भ किया | इस्राएलियों का उस समय कोई राजा न था, इसलिये हर कोई वही करता था जो उन्हें ठीक लगता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-02.jpg) क्योंकि इस्राएली निरन्तर परमेश्वर की अवहेलना कर रहे थे, इसलिये परमेश्वर का कोप उन पर भड़क उठा, और उन्हें शत्रुओं के अधीन कर दिया; और वह फिर अपने शत्रुओ के आगे ठहर न सके | इन शत्रुओं ने इस्राएलियों की वस्तुओं को लूट लिया, उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया, और साथ ही उनमें से बहुतों को मार गिराया | कई वर्षों बाद, इस्राएलियों ने पश्चाताप किया और परमेश्वर से कहा कि वह उन्हें बचाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-03.jpg) तौभी परमेश्वर उनके लिए न्यायी ठहराता था जो उन्हें लूटने वाले के हाथ से छुड़ाते थे | परन्तु लोग परमेश्वर को भूलने लगे और पराये देवताओं के पीछे चलकर उनकी उपासना करने लगे | तो परमेश्वर ने पास के ही एक शत्रुओं के समूह मिद्यानियों को अनुमति दी कि वह उन्हें पराजित करे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-04.jpg) परमेश्वर ने उन्हें मिद्यानियों के वश में सात वर्ष तक रखा | मिद्यानियों के डर के मारे इस्राएलियों ने पहाड़ो के गहरे खड्डों, और गुफाओं, और किलों को अपने निवास बना लिया | अंत: वह परमेश्वर के सामने विलाप करने लगे कि वह उन्हें बचाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-05.jpg) एक दिन, एक इस्राएली मनुष्य जिसका नाम गिदोन था, वह गेहूँ को मिद्यानियों से छिपा रहा था, जिससे वह उससे चुरा न सकें | यहोवा का दूत गिदोन के पास आया और कहा, “परमेश्वर तेरे संग है, शक्ति शाली योद्धा | इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-06.jpg) परमेश्वर ने गिदोन से उस वेदी को नीचे गिराने के लिए कहा | गिदोन लोगों से डर रहा था, इसलिये वह रात्रि के समय का इंतजार कर रह था | तब उसने उस वेदी को गिरा दिया और उसको चूर-चूर कर दिया | और उस दृढ़ स्थान की चोटी पर ठहराई हुई रीति से अपने परमेश्वर यहोवा की एक वेदी बनाकर तू वहाँ होमबली चढ़ा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-07.jpg) नगर के लोग सुबह उठकर क्या देखते है; कि बाल की वेदी गिरी पड़ी है, और वह बहुत क्रोधित थे | तब वह लोग गिदोन के घर उसे मारने के लिए गए, लेकिन गिदोन के पिता ने कहा | “क्या तुम बाल के लिए वाद विवाद करोगे क्या तुम उसको बचाओगे |” यदि वह परमेश्वर हो तो, स्वयं अपने को बचाए इसलिये उन लोगों ने गिदोन को नहीं मारा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-08.jpg) तब मिद्यानी इस्राएलियों को लूटने के लिए फिर से आ गए | वहाँ पर वह बहुत थे, उन्हें गिना नहीं जा सकता था | गिदोन ने उन सब इस्राएलियों को एकत्र किया उनसे लड़ने के लिए | परमेश्वर इस्राएलियों को बचाने के लिए गिदोन का प्रयोग करना चाहता है, इसके लिए उसने परमेश्वर से दो चिह्न पूछे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-09.jpg) पहले, गिदोन ने कहा कि मैं एक कपड़ा खलिहान में रखूँगा और यदि ओस केवल उस ऊँन पर पड़े और सारी भूमि सूखी रह जाए | परमेश्वर ने ऐसा ही किया | अगली रात को उसने कहा, केवल कपड़ा ही सूखा रहे, और सारी भूमि पर ओस पड़े | परमेश्वर ने यह भी किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-10.jpg) 32,000 इस्राएली गिदोन के पास आए, परन्तु परमेश्वर ने कहा कि यह बहुत अधिक है | तब गिदोन ने बाइस हज़ार लोगों को लौटा दिया, जो लड़ने से डर रहे थे | परमेश्वर ने गिदोन से कहा, “अब भी लोग अधिक है |” अत: गिदोन ने तीन सौ सैनिकों को छोड़ बाकि सब को घर भेज दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-11.jpg) उसी रात परमेश्वर ने गिदोन को कहा, ” कि तू नीचे मिद्यानियों के डेरे में जा और देख कि वह क्या कह रहे है, उसके बाद तुझे जाने में साहस होगा | उसी रात जब गिदोन मिद्यानियों के डेरे में आया तब एक मिद्यानी सैनिक अपने संगी से अपना स्वप्न कह रहा था | वह जन अपने संगी से कह रहा था, “ कि इस स्वप्न का अर्थ यह हुआ कि गिदोन की सेना हरा देंगी मिद्यानियों की सेना को | गिदोन ने परमेश्वर को दंडवत किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-12.jpg) और गिदोन ने इस्राएलियों की छावनी में लौटकर एक एक पुरुष के हाथ में एक नरसिंगा और खाली घड़ा दिया, और घड़ो के भीतर एक मशाल थी | जहाँ मिद्यानी सैनिक सो रहे थे, वहाँ जाकर डेरे को घेर लिया | गिदोन के तीन सौ सैनिकों के घड़ो के भीतर मशाल थी, जिसके कारण मिद्यानी मशाल की रोशिनी देख न सकें | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-13.jpg) तब, गिदोन के सभी तीन सौ सैनिकों ने एक साथ अपने घड़ो को तोड़ डाला, अचानक ही मशालों से आग निकलने लगी | और अपने बाए हाथ में मशाल और दाहिने हाथ में फूँकने को नरसिंगा लिए हुए चिल्ला उठे, “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-14.jpg) परमेश्वर ने मिद्यानियों को हक्का-बक्का कर दिया, अत: उन्होंने एक दूसरे पर आक्रमण करना व मारना शुरू कर दिया | तुरन्त ही, बाकि इस्राएलियों को भी उनके घरों से बुला लिया गया ताकि मिद्यानियों का पीछा कर सके | उन्होंने बहुतों को मार गिराया, और बाकि बचे हुओ को इस्राएल से खदेड़ दिया | उस दिन बारह हज़ार मिद्यानियों को मार गिराया | परमेश्वर ने इस्राएल को बचा लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-15.jpg) तब इस्राएल के पुरषों ने गिदोन से कहा कि तू हम पर प्रभुता कर | गिदोन ने उनसे कहा कि मैं तुम्हारे ऊपर प्रभुता न करूँगा, परन्तु मैं तुमसे कुछ माँगता हूँ, कि तुम मुझे अपनी सोने की बालियाँ दो, जो तुमने मिद्यानियों से ली है | लोगों ने गिदोन को भारी संख्या में सोना दे दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-16.jpg) तब गिदोन ने उस सोने से एक विशेष वस्त्र बनवा लिए जो मिद्यानियों के राजा पहनते थे | परन्तु लोगों ने उसकी आराधना करना आरम्भ कर दिया, जैसे कि वह कोई मूर्ति है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-17.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-17.jpg) तो परमेश्वर ने इस्राएलियों को फिर से दंडित किया, क्योंकि उन्होंने मूर्ति की उपासना की थी | परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को अनुमति दी, कि वह उन्हें पराजित करें | उन्होंने परमेश्वर से एक बार फिर सहायता माँँगी और परमेश्वर ने एक अन्य उद्धारक को उनके लिए भेजा | यह पद्धति कई बार दोहराई गई, इस्राएली पाप करते थे , परमेश्वर उन्हें दंड देता था, और फिर वह पश्चाताप करते थे, और फिर परमेश्वर उन्हें बचाने के लिए एक उद्धारक भेजता था | कई वर्षों में परमेश्वर ने बहुत से उद्धारक को भेजा जिन्होंने इस्राएलियों को शत्रुओं से बचाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-18.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-18.jpg) अत: लोगों ने परमेश्वर से कहा कि उन्हें भी सभी राष्ट्रों के समान एक राजा चाहिए | उन्हें एक ऐसा प्रधान चाहिए था, जो कि लम्बा व मजबूत हो और युद्ध में उन्हें सही रास्ता दिखा सकें | परमेश्वर को उनकी यह प्रार्थना स्वीकार न थी, लेकिन फिर भी परमेश्वर ने उन्हें वैसा ही राजा दिया जैसा उन्होंने माँगा था | -_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: न्यायियों :- 1-3; 6-8_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: न्यायियों :- 1-3; 6-8_ \ No newline at end of file diff --git a/content/17.md b/content/17.md index bdd95c9..a9e0c60 100644 --- a/content/17.md +++ b/content/17.md @@ -1,59 +1,59 @@ -# 17. दाऊद के साथ परमेश्वर की वाचा # +# 17. दाऊद के साथ परमेश्वर की वाचा -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-01.jpg) शाऊल इस्राएल का पहला राजा था | वह लम्बा व सुन्दर था, जैसा कि लोग चाहते थे | शाऊल ने पहले कुछ वर्षों तक इस्राएल पर अच्छा शासन किया परन्तु बाद में वह एक बुरा मनुष्य बन गया और उसने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन न किया, अत: परमेश्वर ने उसके स्थान पर एक दूसरा राजा चुना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-02.jpg) शाऊल के स्थान पर परमेश्वर ने एक जवान इस्राएली को चुना जिसका नाम दाऊद था | बैतलहम नगर में दाऊद एक चरवाहा था | वह अपने पिता की भेड़ो की रखवाली करता था, दाऊद ने अलग-अलग समय पर भालू व शेर दोनों को मार गिराया जिन्होंने भेड़ों पर आक्रमण किया था | दाऊद एक बहुत ही नम्र व धर्मी पुरुष था, जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-03.jpg) दाऊद एक बहुत ही महान सैनिक और अगुआ था | जब दाऊद एक जवान युवक था, वह गोलियत नामक दानव के विरुद्ध भी लड़ा | गोलियत एक प्रशिक्षित सैनिक था, जो बहुत शक्तिशाली और लगभग तीन मीटर तक लम्बा था | परन्तु परमेश्वर ने दाऊद की सहायता की गोलियत को मारने और इस्राएल को बचाने में | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-04.jpg) इसके बाद भी, इस्राएली शत्रुओं पर दाऊद बहुत बार विजयी रहा, जिसके कारण लोग उसकी प्रशंसा करते थे | शाऊल यह देख कि लोग दाऊद को प्रेम करते है उससे ईर्ष्या रखने लगा | शाऊल ने दाऊद को मारने का कई बार प्रयास किया, इस कारण दाऊद शाऊल से छिप रहा था | एक बार शाऊल दाऊद को मारने की ताक में था | शाऊल उसी गुफा में चला गया जहाँ दाऊद उससे छिपा हुआ था, परन्तु शाऊल उसे देख न सका | दाऊद शाऊल के बहुत करीब था और उसे मार सकता था, परन्तु वह ऐसा कर न सका | बजाय इसके, दाऊद ने शाऊल के वस्त्र का एक टुकड़ा काट लिया जिससे वह शाऊल को साबित कर सकें कि वह राजा बनने के लिए उसे मारना नहीं चाहता | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-05.jpg) अंततः शाऊल युद्ध में मारा गया, और दाऊद इस्राएल का राजा बन गया | वह एक अच्छा राजा था, और लोग उससे प्रेम करते थे | परमेश्वर ने दाऊद को आशीर्वाद दिया और उसे सफल बनाया। दाऊद ने बहुत से युद्ध लड़े और परमेश्वर ने उसकी सहायता की इस्राएल के शत्रुओं को पराजित करने में | दाऊद ने यरूशलेम पर विजय प्राप्त की और उसे अपनी राजधानी बनाया | दाऊद के शासन काल के दौरान, इस्राएल बहुत ही शक्तिशाली और समृद्ध बन गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-06.jpg) दाऊद चाहता था कि वह एक मंदिर का निर्माण करें जिसमें सभी इस्राएली परमेश्वर की उपासना करें और बलिदान चढाएँ | चार सौ वर्षों तक, लोग मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर कि उपासना करते थे और बलिदान चढ़ाते थे जिसका निर्माण मूसा द्वारा किया गया था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-07.jpg) परन्तु परमेश्वर ने नातान भविष्यद्वक्ता के द्वारा दाऊद को संदेश भेजा, “क्योंकि तू एक योद्धा है, तू मेरे लिए वह भवन नहीं बनाएगा | तेरा पुत्र वह भवन बनाएगा | परन्तु, मैं तुझे बहुत आशीष दूँगा | तेरे ही वंश में से कोई एक राजा मेरे लोगों पर हमेशा के लिए शासन करेगा | और मसीह भी तुम्हारे वंश से होगा |” मसीह परमेश्वर का चुना हुआ है जो संसार को पाप से छुड़ाएगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-08.jpg) जब दाऊद ने यह शब्द सुने, उसने तुरन्त ही परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उसकी प्रशंसा की, क्योंकि परमेश्वर ने दाऊद से महान गौरव और बहुत सी आशीषों की वाचा बाँधी थी | लेकिन वास्तव में, मसीह के आने से पहले इस्राएलियों को एक लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ा, लगभग एक हज़ार वर्षों तक | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-09.jpg) दाऊद ने कई वर्षों तक न्याय व निष्ठा के साथ शासन किया, और परमेश्वर ने उसे आशीर्वाद दिया | हालांकि, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उसने परमेश्वर के विरुद्ध भयानक अपराध किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-10.jpg) एक दिन, जब दाऊद के सब सैनिक राज्य से दूर युद्ध करने के लिए गए हुए थे, उसने अपने महल से बाहर देखा, तो उसे एक स्त्री जो अति सुन्दर थी नहाती हुई दिखाई पड़ी | उसका नाम बतशेबा था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-11.jpg) दाऊद ने एक दूत भेजकर उसे बुलवा लिया | वह उसके साथ सोया, तब वह अपने घर लौट गई | कुछ समय बाद बतशेबा ने दाऊद के पास कहला भेजा कि वह गर्भवती है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-12.jpg) बतशेबा का पति, जिसका नाम ऊरिय्याह था, वह दाऊद का एक वीर सैनिक था | दाऊद ने ऊरिय्याह को युद्ध से वापस बुला लिया और उससे कहा अपनी पत्नी के पास जा | परन्तु ऊरिय्याह अपने घर वापस न गया क्योंकि बाकी सैनिक युद्ध लड़ रहे थे | तब दाऊद ने ऊरिय्याह को वापस युद्ध में भेज दिया और योआब से कहा ‘सब से घोर युद्ध के सामने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोड़कर लौट आओ, कि वह घायल होकर मर जाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-13.jpg) ऊरिय्याह के मरने के बाद, दाऊद ने बतशेबा से विवाह कर लिया | बाद में, उसने दाऊद के पुत्र को जन्म दिया | दाऊद ने जो कुछ भी किया उसे लेकर परमेश्वर का क्रोध उस पर भड़का, परमेश्वर ने नातान भविष्यद्वक्ता द्वारा दाऊद को कहलवा भेजा कि उसके पाप कितने बुरे है | दाऊद को अपने किए हुए अपराधों पर पश्चाताप हुआ और परमेश्वर ने उसे क्षमा किया | अपने बाकी बचे हुए जीवन में, दाऊद ने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन किया, यहाँ तक कि कठिन समय में भी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-14.jpg) परन्तु दाऊद के अपराधों के दंड के रूप में , उसके पुत्र की मृत्यु हुई | दाऊद के घराने में भी उसके बाकी जीवन काल तक एक युद्ध सा रहा था, और दाऊद का बल बहुत ही कमजोर पड़ गया था | यद्यपि दाऊद परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य न रहा, परन्तु परमेश्वर अपनी वाचा पर खरा था | उसके बाद, दाऊद और बतशेबा का एक और पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम उन्होंने सुलैमान रखा | -_बाइबिल की एक कहानी से : 1 शमूएल 10 ;15-19 ; 24;31 ; 2 शमूएल 5 , 7 ;11-12_ +_बाइबिल की एक कहानी से : 1 शमूएल 10 ;15-19 ; 24;31 ; 2 शमूएल 5 , 7 ;11-12_ \ No newline at end of file diff --git a/content/18.md b/content/18.md index 50fbb26..06f2857 100644 --- a/content/18.md +++ b/content/18.md @@ -1,53 +1,55 @@ -# 18. विभाजित राज्य # +# 18. विभाजित राज्य -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-01.jpg) कई वर्षों बाद, जब दाऊद की मृत्यु हो गई, तब उसके पुत्र सुलैमान ने इस्राएल पर शासन करना आरंभ किया | परमेश्वर ने सुलैमान से बात की और उससे कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूँ, वह माँग |” जब सुलैमान ने बुद्धि माँगी, परमेश्वर उससे प्रसन्न हुआ और उसे संसार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बना दिया | परमेश्वर ने उसे बहुत धनवान मनुष्य बनाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-02.jpg) -यरुशेलम में, सुलैमान ने अपने पिता की योजना के अनुसार एक भवन बनाने का निर्णय किया और उसके लिए समान एकत्र किया | अब लोग मिलापवाले तम्बू के स्थान पर उस भवन में परमेश्वर की उपासना करते और बलिदान चढ़ाते थे | परमेश्वर भवन में उपस्थित था, और वह अपने लोगों के साथ रहता था |![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-03.jpg?direct&) +यरुशेलम में, सुलैमान ने अपने पिता की योजना के अनुसार एक भवन बनाने का निर्णय किया और उसके लिए समान एकत्र किया | अब लोग मिलापवाले तम्बू के स्थान पर उस भवन में परमेश्वर की उपासना करते और बलिदान चढ़ाते थे | परमेश्वर भवन में उपस्थित था, और वह अपने लोगों के साथ रहता था | + +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-03.jpg) परन्तु सुलैमान अन्य देशों की महिलाओं से प्रेम करता था | उसने परमेश्वर की आज्ञा का पालन न किया, और बहुत सी महिलाओं से विवाह किया, लगभग एक हज़ार से | बहुत सी महिलाएं उनमें से विदेशी थी, जो अपने देवताओं को अपने साथ लाई और निरन्तर उनकी उपासना करती थी | अत: जब सुलैमान बूढ़ा हुआ तब उसकी स्त्रियों ने उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-04.jpg) तब परमेश्वर ने सुलैमान पर क्रोध किया, और उसकी अधार्मिकता के कारण उसे दंड दिया, और वाचा बाँधी कि सुलैमान की मृत्यु के बाद वह इस्राएल के राज्य को दो भागों में विभाजित कर देंगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-05.jpg) सुलैमान की मृत्यु के बाद उसका पुत्र रहूबियाम उसके स्थान पर राजा हुआ | रहूबियाम एक नासमझ मनुष्य था | सभी इस्राएली लोग एक साथ एकत्रित हुए यह निश्चित करने के लिए कि वहीं राजा है | वह लोग रहूबियाम से सुलैमान की शिकयत करते हुए कहने लगे, “तेरे पिता ने हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था इसलिये अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को, और उस भारी जूए को, जो उसने हम डाल रखा है कुछ हलका कर |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-06.jpg) रहूबियाम ने उन्हें नासमझता के साथ उत्तर देते हुए कहा, “मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था उसे मैं और भी भारी करूँगा; और मैं तुम्हें और भी कठोरता से दण्डित करूँगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-07.jpg) दस इस्राएली गोत्र रहूबियाम के विरुद्ध हो गए | केवल दो गोत्र उसके प्रति निष्ठावान रहे | यह दो गोत्र यहूदा का राज्य बन गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-08.jpg) अन्य दस इस्राएली गोत्र जो रहूबियाम के विरुद्ध में थे, उन्होंने अपने लिए यारोबाम नामक एक राजा को नियुक्त किया | उसने देश के उत्तरी भाग में अपने राज्य की स्थापना की और उसे इस्राएल का राज्य कहा गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-09.jpg) यारोबाम ने परमेश्वर का विद्रोह किया और लोगों को पाप में धकेल दिया | उसने परमेश्वर की उपासना करने के स्थान पर लोगों के लिए दो बछड़े यहूदा के राज्य भवन में उपासना करने के लिए बनवाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-10.jpg) यहूदा और इस्राएली राज्य शत्रु बन गए और अक्सर एक दूसरे के विरुद्ध लड़े। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-11.jpg) नए इस्राएली राज्य में, जितने भी राजा हुए वह सब दुष्ट थे | बहुत से राजा उन अन्य इस्राएलियों के द्वारा मारे गए जो स्वयं राजा बनना चाहते थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-12.jpg) इस्राएली राज्य के सभी राजा और बहुत से लोग मूर्तियों की उपासना करते थे | उनकी मूर्ति पुजाओ में कई बार अनैतिकता और कभी- कभी बच्चों का बलिदान भी शामिल होता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-13.jpg) यहूदा के राजा दाऊद के वंशज के थे | कुछ राजा अच्छे मनुष्य भी थे, जिन्होंने उचित रूप से शासन किया और परमेश्वर की उपासना की | परन्तु बहुत से यहूदा के राजा दुष्ट, विकृत और मूर्तियों की उपासना करने वाले थे | कुछ राजा झूठे देवताओं के लिए अपने बच्चों का भी बलिदान चढ़ाने लगे | यहूदा के बहुत से लोग परमेश्वर के विरुद्ध हो गए और अन्य देवताओं की उपासना करने लगे | -_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: 1 राजाओं 1-6 ;11-12_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: 1 राजाओं 1-6 ;11-12_ \ No newline at end of file diff --git a/content/19.md b/content/19.md index b4fe6da..ac1b603 100644 --- a/content/19.md +++ b/content/19.md @@ -1,73 +1,75 @@ -# 19. भविष्यद्वक्ता # +# 19. भविष्यद्वक्ता -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-01.jpg) इस्राएलियों के इतिहास भर में, परमेश्वर ने बहुत से भविष्यद्वक्ता भेजे | भविष्यद्वक्ता ने परमेश्वर के संदेशों को सुना और फिर लोगों को परमेश्वर का संदेश बताया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-02.jpg) एलिय्याह भविष्यद्वक्ता था, जब अहाब इस्राएली राज्य का राजा था | अहाब एक दुष्ट व्यक्ति था जो लोगों को झूठे, बाल नामक देवता की उपासना करने के लिए प्रोत्साहित करता था | एलिय्याह ने अहाब से कहा, “इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-03.jpg) यह सुन अहाब बहुत क्रोधित हुआ | परमेश्वर ने एलिय्याह से कहा कि वह जंगल में जाकर छिप जाए, क्योंकि अहाब उसे मारने की ताक में है | और सबेरे और साँझ को कौवे उसके पास रोटी और मांस लाया करते थे | अहाब और उसके सैनिक एलिय्याह की ताक में थे, परन्तु वह उसे खोज न सकें | कुछ दिनों के बाद उस देश में वर्षों न होने के कारण नाला सूख गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-04.jpg) तब एलिय्याह पड़ोसी देश को चला गया | उस शहर में एक विधवा और उसके साथ उसका पुत्र रहता था, अकाल के कारण उनके पास जो भोजन बचा था वह लगभग समाप्ति पर था | परन्तु तब उन्होंने एलिय्याह का ख्याल रखा, और परमेश्वर ने उनके घड़े का मैदा समाप्त न होने दिया, और न उनके कुप्पी का तेल घटने दिया | पूरे अकाल के दौरान उनके पास खाने को पर्याप्त भोजन था | एलिय्याह वहाँ कई वर्षों तक रहता रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-05.jpg) -साढ़े तीन वर्ष के बाद, परमेश्वर का यह वचन एलिय्याह के पास पहुँचा , “जाकर अपने आप को अहाब को दिखा, और मैं भूमि पर मेंह बरसा दूँगा |” एलिय्याह को देखते ही अहाब ने कहा, “हे इस्राएल को सतानेवाले क्या तू ही है |” तब एलिय्याह ने उससे कहा, “मैंने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तूने ही दिया है | क्योंकि तुम परमेश्वर की उपासना को टालकर बाल देवता की उपासना करने लगे |” तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और भविष्यवक्ताओं को कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया |![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-06.jpg?direct&) +साढ़े तीन वर्ष के बाद, परमेश्वर का यह वचन एलिय्याह के पास पहुँचा , “जाकर अपने आप को अहाब को दिखा, और मैं भूमि पर मेंह बरसा दूँगा |” एलिय्याह को देखते ही अहाब ने कहा, “हे इस्राएल को सतानेवाले क्या तू ही है |” तब एलिय्याह ने उससे कहा, “मैंने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तूने ही दिया है | क्योंकि तुम परमेश्वर की उपासना को टालकर बाल देवता की उपासना करने लगे |” तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और भविष्यवक्ताओं को कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया | + +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-06.jpg) इस्राएली राज्य के सभी लोगों सहित और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुष्य कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा हुए | एलिय्याह ने लोगों से कहा, “कब तक तुम दो विचारो में लटके रहोगे ? यदि यहोवा परमेश्वर हो , ‘तो उसके पीछे हो लो |’ यदि बाल परमेश्वर हो , ‘तो उसके पीछे हो लो |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-07.jpg) और एलिय्याह ने बाल के भविष्यवक्ताओं से कहा, “पहले तुम एक बछड़ा चुन के तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना | मैं भी ऐसा ही करूँगा | और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे |” तब बाल के भविष्यवक्ताओं ने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था, लेकर बलिदान के लिए तैयार किया, परन्तु उमसे आग न लगाई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-08.jpg) तब बाल के भविष्यवक्ता यह कहकर बाल से प्रार्थना करते रहे, “हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन |” बाल के भविष्यवक्ताओं ने दिन भर प्रार्थना की, और बड़े शब्द से पुकार पुकार के अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बर्छियों से अपने अपने को यहाँ तक घायल किया कि लहू लुहान हो गए | परन्तु बाल ने उत्तर न दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-09.jpg) दिन के अंत में, एलिय्याह ने परमेश्वर के लिए बलिदान तैयार किया | तब उसने लोगों से कहा कि बारह घड़ों को ऊपर तक पानी से भर दो और बलिदान की वेदी के ऊपर डाल दो | लोगों ने वैसा ही किया और होमबली-पशु, लकड़ी और यहाँ तक कि वेदी के चारों ओर मैदान भी पूरी तरह से गीला हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-10.jpg) फिर एलिय्याह ने प्रार्थना की, “हे अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूँ | हे यहोवा मेरी सुन, मेरी सुन कि लोग जान लें कि हे यहोवा तू ही परमेश्वर है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-11.jpg) तब यहोवा की आग आकाश से प्रगट हुई, और होमबली को लकड़ी और पत्थरों और धूलि समेत भस्म कर दिया और गड़हे में का जल भी सुखा दिया | यह देख सब मूंह के बल गिरकर बोल उठे, “यहोवा ही परमेश्वर है! यहोवा ही परमेश्वर है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-12.jpg) तब एलिय्याह ने कहा, “बाल के भविष्यवक्ताओं को पकड़ लो, उनमें से एक भी छूटने ने न पाए; तब उन्होंने उनको पकड़ लिया, और एलिय्याह ने उन्हें नीचे ले जाकर मार डाला | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-13.jpg) फिर एलिय्याह ने अहाब से कहा, “तुरंत ही शहर की और लौट जा क्योंकि भारी वर्षा की सनसनाहट सुन पड़ती है |” थोड़ी ही देर में आकाश वायु से उड़ाई हुए घटाओ और आँधी से काला हो गया और भारी वर्षा होने लगी | यहोवा ने अकाल को समाप्त कर दिया और यह सिद्ध कर दिया कि वही सच्चा परमेश्वर है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-14.jpg) एलिय्याह के समय के बाद, परमेश्वर ने एलीशा नामक भविष्यद्वक्ता को चुना | परमेश्वर ने एलीशा के द्वारा बहुत से चमत्कार किए | जिनमे से एक चमत्कार नामान नामक व्यक्ति के जीवन में हुआ, वह शत्रुओं का सेनापति था और कोढ़ी था | उसने एलीशा के बारे में सुना था तो वह एलीशा के पास गया कि वह उसे चंगा करे | एलीशा ने उसे कहा, “तू जाकर यरदन नदी में साथ बार डुबकी मार |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-15.jpg) पहले तो नामान क्रोधित हुआ, और वह ऐसा नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसे यह मूर्खता पूर्ण कार्य लग रहा था | परन्तु शीघ्र ही उसने अपना विचार बदल लिया और यरदन को जाकर उसमे सात बार डुबकी मारी | जब वह आखिरी बार ऊपर आया तो उसका कोढ़ पुरी तरह से ठीक हो गया था | परमेश्वर ने उसे चंगा किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-16.jpg) परमेश्वर ने कई अन्य भविष्यवक्ताओं को भेजा | उन्होंने लोगों से कहा कि वह अन्य देवताओं की उपासना करना बंद कर दे, और दूसरों के लिए न्याय और उन पर दया करना आरंभ करें | उन भविष्यवक्ताओं ने लोगों को चेतावनी देना आरंभ किया कि, यदि उन्होंने दुष्ट कार्य करना बंद न किया, और परमेश्वर कि आज्ञा का पालन करना आरंभ न किया, तब परमेश्वर उन्हें दोषी ठहराएगा और उन्हें दण्डित करेंगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-17.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-17.jpg) बहुत सी बार लोग परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते थे | वह अकसर भविष्यवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करते थे और कभी कभी तो उन्हें मार भी देते थे | एक बार यिर्मयाह भविष्यवक्ता को सूखे कुएँ में डाल दिया और उसे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया | कुएँ में पानी नहीं केवल दलदल थी, और यिर्मयाह कीचड़ में धंस गया, परन्तु तब राजा ने उस पर दया की और उसने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि मरने से पहले उसे कुएँ में से निकाल लाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-18.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-18.jpg) भविष्यवक्ताओं ने परमेश्वर के बारे में लोगों को बताना निरंतर जारी रखा भले ही लोग उनसे बैर रखते थे | उन्होंने लोगों को चेतावनी दी, कि यदि वह पश्चाताप नहीं करेंगे तो परमेश्वर उन्हें नष्ट कर देगा | उन्होंने लोगों को परमेश्वर की वह वाचा भी स्मरण कराई कि मसीह शीघ्र ही आने वाला है | -_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : 1 राजाओं 16-18 ; 2 राजाओं 5; यिर्मयाह 38_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : 1 राजाओं 16-18 ; 2 राजाओं 5; यिर्मयाह 38_ \ No newline at end of file diff --git a/content/20.md b/content/20.md index 9b29014..0e8d4a8 100644 --- a/content/20.md +++ b/content/20.md @@ -1,55 +1,55 @@ -# 20. निर्वासन और वापसी # +# 20. निर्वासन और वापसी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-01.jpg) इस्राएल के राज्य और यहूदा के राज्य दोनों ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया | उन्होंने उस वाचा को तोड़ दिया जो परमेश्वर ने उनके साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी | परमेश्वर ने बहुत से भविष्यद्वक्ताओं को भेजा कि वह उन्हें चेतावनी दे और वे लोग पश्चाताप करे और परमेश्वर की आराधना दोबारा आरंभ करें, परन्तु उन्होंने आज्ञा मानने से इनकार कर दिया| -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-02.jpg) तब परमेश्वर ने दोनों राज्यों को दण्डित किया और उनके शत्रुओं को यह अनुमति दी कि वह उन राज्यों को नष्ट कर दे | अश्शूर का राज्य एक शक्तिशाली, क्रूर राज्य था, जिसने इस्राएल के राज्य को नष्ट कर दिया | अश्शूरियों ने इस्राएल के बहुत से लोगों को मार गिराया, उनकी मूल्यवान वस्तुओं को छीन लिया और देश का बहुत सा हिस्सा जला दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-03.jpg) अश्शूरियों ने सभी नेताओं को एकत्र किया, धनवान मनुष्य और योग्य मनुष्य को और वह उन्हें अपने साथ अश्शूर ले आए | केवल वह इस्राएली जो बहुत कंगाल और जिन्हें मारा न गया था वहीं इस्राएल में शेष रह गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-04.jpg) तब अश्शूरियों ने अन्यजातियों को उस भूमि पर रहने को कहा जहाँ पर इस्राएली राज्य था | अन्यजातियों ने उस विनष्ट शहर का पुनर्निर्माण किया, और वहाँ शेष बचे इस्राएलियों से विवाह किया | इस्राएलियों के वह वंशज जिन्होंने अन्यजातियों से विवाह किया वह सामारी कहलाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-05.jpg) यहूदा राज्य के लोगों ने देखा कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन न करने और उस पर विश्वास न रखने के कारण इस्राएलियों को उसने कैसे दण्डित किया | फिर भी उन्होंने कनानियों के देवताओं सहित मूर्तियों की उपासना करनी न छोड़ी | परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी देने के लिए भविष्यवक्ताओं को भेजा परन्तु उन्होंने उनकी न सुनी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-06.jpg) अश्शूरियों द्वारा इस्राएली शासन को नष्ट करने के लगभग सौ वर्षों बाद, परमेश्वर ने बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर को भेजा, यहूदी शासन को नष्ट करने के लिए | बेबीलोन एक शक्तिशाली साम्राज्य था। यहूदा का राजा, नबूकदनेस्सर का सेवक बनकर उन्हें हर वर्ष बहुत सा धन देने के लिए राज़ी हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-07.jpg) परन्तु कुछ वर्षों के बाद, यहूदा के राजा ने बेबीलोन के विरुद्ध विद्रोह किया | अत: तब बेबीलोनियों ने वापस आकर यहूदा के राज्य पर आक्रमण किया | उन्होंने यरूशलेम को जित लिया, मंदिर का विनाश कर दिया, और शहर व मंदिर की सभी बहुमूल्य वस्तुओं को उनसे छीन कर ले गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-08.jpg) विद्रोह करने के लिए यहूदा के राजा को दंडित किया गया और नबूकदनेस्सर के सैनिकों ने उसके पुत्र को उसी के सामने मार डाला और उसके बाद उसे नेत्रहीन बना दिया | इसके बाद, वह राजा को अपने साथ बेबीलोन के बंदीगृह में मरने के लिए ले गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-09.jpg) नबूकदनेस्सर और उसके सैनिक लगभग सभी यहूदियों को बंदी बनाकर बेबीलोन ले गए, वहाँ पर केवल कंगालों को छोड़ दिया गया ताकि वह वहा खेती कर सके | यह वह समय था जब परमेश्वर के लोगों को वाचा की भूमि को छोड़ने के लिए विवश किया गया, यह अवधि निर्वासन कहलाई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-10.jpg) परमेश्वर ने अपने लोगों को उनके पापों के लिए दण्डित किया उन्हें निर्वासन में ले जाने के द्वारा, यद्यपि वह उन्हें व अपनी वाचा को भूला न था | परमेश्वर निरन्तर अपने लोगों को देखता रहा और अपने भविष्यवक्ताओं के द्वारा उनसे बात करता रहा | उसने वाचा बाँधी थी कि, सत्तर वर्षों के बाद वह वापस वाचा की भूमि पर लौट आएँगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-11.jpg) लगभग सत्तर वर्ष के बाद, कुस्त्रू जो फारस का राजा बना, उसने बेबीलोन को पराजित किया, अत: तब फारस साम्राज्य ने बेबीलोन साम्राज्य का स्थान लिया | इस्राएलियों को अब यहूदी कहा जाता था और उनमें से अधिकतर लोगों ने अपना पूरा जीवन बेबीलोन में व्यतीत किया | केवल कुछ पुराने यहूदियों को यहूदा नगर याद रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-12.jpg) फारस का साम्राज्य बहुत ही सशक्त था परन्तु पराजित लोगों के प्रति दयावान था | शीघ्र ही जब फारस का राजा कुस्त्रू बना, उसने यह आज्ञा दी यदि कोई भी यहूदी वापस यहूदा जाना चाहता है तो वह फारस को छोड़कर यहूदा को वापस जा सकता है | उसने मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पैसे भी दिए | अत: सत्तर वर्ष तक निर्वासन के बाद, यहूदियों का एक छोटा समूह यरूशलेम को वापस लौट आया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-13.jpg) जब वह लोग वापस यरूशलेम लौटे, उन्होंने मंदिर और साथ ही शहर की आस पास की दीवारों का भी पुनर्निर्माण किया | हालांकि वहाँ अभी भी अन्य लोगों का शासन था, एक बार फिर वह वाचा की भूमि पर रहने लगे और मंदिर में आराधना करने लगे | -_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : 2 राजाओं 17 , 24-25 ; 2 इतिहास 36; एज्रा 1-10 ; नहेम्याह 1-13_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : 2 राजाओं 17 , 24-25 ; 2 इतिहास 36; एज्रा 1-10 ; नहेम्याह 1-13_ \ No newline at end of file diff --git a/content/21.md b/content/21.md index 09077b5..b1cbe27 100644 --- a/content/21.md +++ b/content/21.md @@ -1,63 +1,63 @@ -# 21. परमेश्वर मसीहा का वादा करता है # +# 21. परमेश्वर मसीहा का वादा करता है -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-01.jpg) आरम्भ से ही, परमेश्वर ने मसीह को भेजने की योजना बनाई थी | मसीह की पहली प्रतिज्ञा आदम और हव्वा को मिली थी | परमेश्वर ने यह प्रतिज्ञा करी कि हव्वा के वंश में एक व्यक्ति जन्म लेगा जो साँप के सिर को कुचल डालेगा | जिस साँप ने हव्वा को धोखे से फल खिलाया था वह शैतान था | प्रतिज्ञा का अर्थ यह था कि मसीह शैतान को पूरी तरह से नष्ट कर देंगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-02.jpg) परमेश्वर ने अब्राहम से वाचा बाँधी कि भूमंडल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे | यह आशीष तब पूरी होगी जब मसीह भविष्य में आयेगा | यह अनुग्रह आने वाला मसीह है जो एक दिन हर समूह के लोगों के लिए उद्धार का मार्ग प्रदान करेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-03.jpg) परमेश्वर ने मूसा से यह वादा किया कि वह भविष्य में उसके जैसा ही एक और भविष्यद्वक्ता भेजेगा | यह मसीह से सम्बन्धित एक अन्य वाचा थी जो कि कुछ समय बाद पूरा होने वाला था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-04.jpg) परमेश्वर ने दाऊद से यह वादा किया कि उसके वंश से एक राजा होगा जो परमेश्वर के लोगों पर हमेशा राज करेगा इसका अर्थ यह है कि मसीह उसके वंश से ही होगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-05.jpg) यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा, परमेश्वर ने वादा किया कि वह एक नई वाचा बनाएगा परन्तु वह उस वाचा के समान न होंगी जो परमेश्वर ने इस्राएलियों के साथ सीनै पर्वत पर बाँधी थी | परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके ह्रदय पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वह मेरी प्रजा ठहरेंगे, लोग परमेश्वर को जानेंगे कि वह परमेश्वर के लोग है, और परमेश्वर उनका अधर्म क्षमा करेगा | मसीह नई वाचा का आरम्भ करेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-06.jpg) परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओ ने यह भी कहा कि, मसीह एक भविष्यद्वक्ता भी होगा, एक पुरोहित भी और एक राजा भी होगा | भविष्यद्वक्ता वह व्यक्ति है जो परमेश्वर के वचन को सुनता है और फिर परमेश्वर के लोगों को बताता है | जिस मसीह को भेजने की परमेश्वर ने वाचा बाँधी है वह एक सिद्ध भविष्यद्वक्ता होगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-07.jpg) पुरोहित वो है जो लोगों के स्थान पर परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाता है, जिससे कि परमेश्वर उनके पापों के कारण उन्हें दण्डित न करें | पुरोहित परमेश्वर से लोगों के लिए प्रार्थना भी करते थे | मसीह एक सिद्ध उच्च पुरोहित होगा जो परमेश्वर के लिए स्वयं का बलिदान देगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-08.jpg) राजा वह होता है जो राज्य पर शासन करता है और लोगों का न्याय करता है | मसीह एक सिद्ध राजा होगा जो की दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होगा | वह हमेशा के लिए संसार पर राज्य करेगा, और सदैव सच्चाई से न्याय करेगा और उचित निर्णय लेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-09.jpg) परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं ने मसीह के बारे में पहले से ही अनेक भविष्यवाणियाँ की थी | मलाकी भविष्यद्वक्ता ने पहले से ही भविष्यवाणी की थी , कि मसीह के आने से पहले ही एक महान भविष्यद्वक्ता आ जाएगा | यशायाह भविष्यद्वक्ता ने भविष्यवाणी की थी , कि एक कुँवारी से मसीह का जन्म होगा | मीका भविष्यवक्ता ने कहा कि उसका जन्म बैतलहम के नगर में होगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-10.jpg) यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा कि मसीह गलील में रहेगा, वह खेदित मन के लोगों को शान्ति देगा और बंदियों के लिए स्वतंत्रता का और कैदियों को छुटकारा देगा | उसने यह भी भविष्यवाणी की थी , कि मसीह बीमारों को चंगा करेगा, तब अन्धे की आँखें खोली जाएगी, बहिरों के कान भी खोले जाएँगे, लंगड़े चलने लगेंगे, गूँगे बोल उठेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-11.jpg) यशायाह भविष्यद्वक्ता ने यह भी भविष्यवाणी की कि मसीह से लोग बिना कारण के बैर करेंगे और उसे अस्वीकार करेंगे | अन्य भविष्यद्वक्ताओं ने पहले से भविष्यवाणी की थी, कि जो लोग मसीह को मारने वाले होंगे वह उसके कपड़ों के लिए जुआ खेलेंगे और उसका परम मित्र उसे धोखा देगा | जकर्याह भविष्यवक्ता ने पहले से ही भविष्यवाणी की थी, कि मसीह का ही एक चेला उसे तीस चाँदी के सिक्कों के लिए धोखा देगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-12.jpg) भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी बताया कि मसीह की मृत्यु कैसे होगी | यशायाह ने भविष्यवाणी की थी, कि लोग मसीह के ऊपर थूकेंगे, उसको ठट्ठों में उड़ाएँगे, और उसे मारेंगे | वे उसमें छेद करेंगे और वह गंभीर पीड़ा व कष्टों के द्वारा मारा जाएगा | परन्तु उसने कुछ भी गलत नहीं किया था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-13.jpg) भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी कहा कि मसीह निपुण होगा जिसने कोई पाप न किया होगा | वह अन्य लोगों के पापों के कारण मारा जाएगा | उसके दण्डित होने से परमेश्वर और लोगों के बीच में शान्ति स्थापित होगी | इस कारण से, यह परमेश्वर की इच्छा थी कि मसीह को दण्डित किया गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-14.jpg) भविष्यद्वक्ताओं ने यह भी भविष्यवाणी की कि मसीह मारा जाएगा और परमेश्वर उसे मुर्दों में से जी उठाएगा | मसीह की मृत्यु और उसके जी उठने के माध्यम से, परमेश्वर अपनी योजना सिद्ध करेंगे और पापियों को बचाने के लिए नई वाचा का आरम्भ करेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-15.jpg) परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं को मसीह के बारे में पहले से ही बहुत सी बाते बता दी थी, परन्तु मसीह इन में से किसी भी भविष्यद्वक्ता के समय के दौरान न आया | अंतिम भविष्यवाणी होने के लगभग चार सौ वर्षों के बाद, जब सही समय था, परमेश्वर ने मसीह को संसार में भेजा | -_बाइबिल की कहानी ली गई है : उत्पत्ति 3;15 ; 12 : 1-3 ; व्यवस्थाविवरण 18 ; 15 ; 2 शमूएल 7; यिर्मयाह 31; यिर्मयाह 31; यशायाह 59:16; 59:16; दानिय्येल 7; मालकी 4 : 5 ; 2 ; यशायाह 9 : 1-7 ; 35 : 3-5 ; 61 ; 53 भजन संहिता 22 ; 18 ; 35 ; 19 ; 69 : 4 ; 41 ; 19 ; जकर्याह 11 ; 12-13 ; यशायाह 50 : 6 ; भजन संहिता 16 : 10-11_ +_बाइबिल की कहानी ली गई है : उत्पत्ति 3;15 ; 12 : 1-3 ; व्यवस्थाविवरण 18 ; 15 ; 2 शमूएल 7; यिर्मयाह 31; यिर्मयाह 31; यशायाह 59:16; 59:16; दानिय्येल 7; मालकी 4 : 5 ; 2 ; यशायाह 9 : 1-7 ; 35 : 3-5 ; 61 ; 53 भजन संहिता 22 ; 18 ; 35 ; 19 ; 69 : 4 ; 41 ; 19 ; जकर्याह 11 ; 12-13 ; यशायाह 50 : 6 ; भजन संहिता 16 : 10-11_ \ No newline at end of file diff --git a/content/22.md b/content/22.md index 19da4b9..d825ffb 100644 --- a/content/22.md +++ b/content/22.md @@ -1,31 +1,31 @@ -# 22. यूहन्ना का जन्म # +# 22. यूहन्ना का जन्म -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-01.jpg) पहले के समय में परमेश्वर अपने लोगों से स्वर्गदूतों और भविष्यवक्ताओं के द्वारा बात करता था | परन्तु फिर चार सौ वर्ष बीत गए, जब तक उसने उनसे बात न की | अचानक एक स्वर्गदूत जकरयाह नामक वृद्ध याजक के पास परमेश्वर का संदेश लेकर आया | जकरयाह और उसकी पत्नी इलीशिबा वे दोनों परमेश्वर के सामने धर्मी थे, और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलने वाले थे | परन्तु इलीशिबा के कोई सन्तान नहीं हो सकती थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-02.jpg) स्वर्गदूत ने जकरयाह से कहा, “तेरी पत्नी इलीशिबा तेरे लिए एक पुत्र जनमेगी | और तू उसका नाम यूहन्ना रखना | वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होगा, और लोगों का मन मसीह की ओर फेरेगा | जकरयाह ने स्वर्गदूत से कहा कि यह कैसे होगा, “क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ और मेरी पत्नी भी बूढी हो गई है | यह मैं कैसे जानूँ ?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-03.jpg) स्वर्गदूत ने जकरयाह से कहा, “मैं परमेश्वर द्वारा तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूँ | तू मौन रहेगा और बोल न सकेगा, इसलिये क्योंकि तूने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी प्रतीति न की |” तुरन्त ही, जकरयाह गूंगा हो गया | तब स्वर्गदूत जकरयाह के पास से चला गया | इसके बाद, जकरयाह घर चला गया और उसकी पत्नी गर्भवती हुई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-04.jpg) जब इलीशिबा छ: माह गर्भवती थी, वहीं स्वर्गदूत इलीशिबा की कुटुम्बी मरियम के पास गया | वह एक कुँवारी थी जिसकी मंगनी यूसुफ नामक पुरुष के साथ हुई थी | स्वर्गदूत ने उससे कहा, “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा |” “तू उसका नाम यीशु रखना | वह महान होगा और परम प्रधान का पुत्र कहलाएगा और हमेशा के लिए राज्य करेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-05.jpg) मरियम ने स्वर्गदूत से कहा कि, “यह कैसे होगा, मैं तो एक कुँवारी हूँ?” स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी | इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा |” जो कुछ स्वर्गदूत ने मरियम से कहा, उसने उस पर विश्वास किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-06.jpg) स्वर्गदूत ने मरियम से बात की, उसके कुछ समय बाद वह इलीशिबा से भेंट करने को गई | ज्योंही इलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, त्योंही बच्चा उसके पेट में उछला | वह स्त्रियाँ आनन्दित होने लगी, उस अनुग्रह के लिए जो परमेश्वर ने उनके ऊपर किया | तीन महीने तक इलीशिबा से भेंट करने के बाद, मरियम घर लौट आई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-07.jpg) तब इलीशिबा के प्रसव का समय पूरा हुआ, और उसने पुत्र को जन्म दिया, जकरयाह और इलीशिबा ने उस पुत्र का नाम यूहन्ना रखा, जैसा कि स्वर्गदूत ने उनसे कहा था | तब परमेश्वर ने जकरयाह को अनुमति दी और वह फिर से बोलने लगा | तब जकरयाह ने कहा कि, “प्रभु परमेश्वर धन्य हो, क्योंकि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की और उनका छुटकारा किया है | और तू हे बालक, परमप्रधान का भविष्यद्वक्ता कहलाएगा क्योंकि तू प्रभु का मार्ग तैयार करने के लिए उसके आगे आगे चलेगा, कि उसके लोगों को उद्धार का ज्ञान दे, जो उनकी पापों की क्षमा से प्राप्त होता है | -_बाइबिल की कहानी में: लूका 1_ +_बाइबिल की कहानी में: लूका 1_ \ No newline at end of file diff --git a/content/23.md b/content/23.md index 9165e77..e4deec8 100644 --- a/content/23.md +++ b/content/23.md @@ -1,43 +1,43 @@ -# 23. यीशु का जन्म # +# 23. यीशु का जन्म -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-01.jpg) मरियम की मंगनी एक यूसुफ नामक एक धर्मी पुरुष से हुई | जब यूसुफ को यह पता चला कि मरियम गर्भवती है, और जो उसके गर्भ में है वह उसका बालक नहीं है, अत: यूसुफ ने जो धर्मी था और उसको बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया | जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-02.jpg) -स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे यूसुफ ! तू अपनी पत्नी मरियम को यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है | वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना (जिसका अर्थ है, 'यहोवा बचाता है' )क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा |” +स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे यूसुफ ! तू अपनी पत्नी मरियम को यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है | वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना (जिसका अर्थ है, ‘यहोवा बचाता है’ )क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-03.jpg) यूसुफ ने मरियम से विवाह किया और अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया, और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-04.jpg) जब मरियम के जनने के दिन पूरे हुए, रोमन साम्राज्य ने कहा कि सब लोग नाम लिखवाने के लिए अपने अपने नगर को जाए | अत: यूसुफ और मरियम भी एक लम्बी यात्रा तय करके नासरत को गए, क्योंकि यूसुफ दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-05.jpg) जब वह बैतलहम में पहुँचे, तो उनके वहाँ रहने के लिए जगह न थी | उन्हें केवल वह जगह मिली जहाँ पशु रहते थे | उस बालक का जन्म वहाँ हुआ, जहाँँ पशुओं को चराया जाता था, और उसकी माता के लिए वहाँ कोई पलंग न था | उन्होंने उसका नाम यीशु रखा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-06.jpg) और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे | अचानक, एक चमकता स्वर्ग दूत उन्हें दिखाई दिया , और वह बहुत डर गए | तब स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूँ, कि आज बैतलहम नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-07.jpg) “और इसका तुम्हारे लिये यह पता होगा कि तुम एक बालक को कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे |” तब एकाएक स्वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-08.jpg) तब गड़ेरियेे बैतलहम को गए जहाँ यीशु का जन्म हुआ था, और उन्होंने तुरन्त जाकर मरियम और यूसुफ को, और चरनी में उस बालक को पड़ा देखा, उन्होंने वैसा ही पाया जैसा स्वर्गदूतों ने उनसे कहा था | वे बहुत उत्साहित थे | और मरियम भी बहुत आनन्दित थी | और गड़ेरिये जैसा उनसे कहा गया था, वैसा ही सब सुनकर और देखकर परमेश्वर की महिमा और स्तुति करते हुए लौट गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-09.jpg) कुछ समय बाद ज्योतिषियों ने पूर्व में एक तारा देखा | इससे उन्होंने जाना कि, यहूदियों का नया राजा उत्पन्न हुआ है | और वे एक लम्बी दूरी तय करके उस राजा को देखने गए | वह बैतलहम को गए, और उस घर में पहुँचे जहाँ यीशु और उसके माता पिता रह रहे थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-23-10.jpg) उन्होंने उस घर में पहुँचकर उस बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा, और उन्होंने मुँँह के बल गिरकर बालक को प्रणाम किया | उन्होंने यीशु को बहुमूल्य उपहार दिए | तब वह घर लौट गए | -_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 1; लूका 2_ +_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 1; लूका 2_ \ No newline at end of file diff --git a/content/24.md b/content/24.md index 3db0367..13c1c21 100644 --- a/content/24.md +++ b/content/24.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 24. यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया # +# 24. यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-01.jpg) यूहन्ना, जो जकरयाह और इलीशिबा का पुत्र था, वह बड़ा होकर एक नबी बन गया | वह जंगल में रहता था, और ऊँट के रोम का वस्त्र पहिने हुए था और अपनी कमर में चमड़े का कटिबन्द बाँधे रहता था तथा टिड्डिया और वनमधु खाया करता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-02.jpg) बहुत से आस पास के लोग यूहन्ना को सुनने के लिए बाहर निकल आए | यूहन्ना ने उनसे कहा, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है !” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-03.jpg) जब उन लोगों ने यूहन्ना का संदेश सुना, उन्होंने अपने-अपने पापों को मानकर, बपतिस्मा लिया, बहुत से धर्मी याजक यूहन्ना से बपतिस्मा लेने को आए, परन्तु उन्होंने अपने पापों का अंगीकार न किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-04.jpg) यूहन्ना ने उन धार्मिक याजकों से कहा, “हे जहरीले साँपो ! मन फिराओं और व्यवहार बदलो, जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है |” यूहन्ना न वह पूरा किया जो यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक में लिखा था, “देख मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ, जो तेरे लिए मार्ग सुधारेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-05.jpg) कुछ यहूदियों ने यूहन्ना से पूछा कि क्या वह मसीह है | यूहन्ना ने कहा, “मैं मसीह नहीं हूँ, वह मेरे बाद आने वाला है, और जो मेरे बाद आने वाला है वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-06.jpg) अगले दिन, यीशु यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने को आया | जब यूहन्ना ने उसे देखा, तो कहा, “देख ! यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो संसार के पापों को दूर ले जाएगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-07.jpg) यूहन्ना ने यीशु से कहा, “मैं इस योग्य नहीं कि तुझे बपतिस्मा दूँँ | मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्कता है |” यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “तुझे मुझको बपतिस्मा देना चाहिए क्योंकि यह उचित बात है |” तो यहून्ना ने उनको बपतिस्मा दिया, यीशु ने कभी पाप नहीं किया था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-08.jpg) और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और उसने परमेश्वर की आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा | उसी समय, यह आकाशवाणी हुई : “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से अत्यन्त प्रसन्न हूँ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-24-09.jpg) परमेश्वर ने यूहन्ना से कहा था कि, “पवित्र आत्मा नीचे किसी एक पर उतरेगा जिसे तू बपतिस्मा देगा | वह परमेश्वर का पुत्र है |” केवल एक ही परमेश्वर है | परन्तु जब यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया, उसने पिता परमेश्वर को कहते सुना, पुत्र परमेश्वर को देखा, और पवित्र आत्मा को भी देखा | -_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 3; मरकुस 1:9-11; लूका 3:1-23_ +_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 3; मरकुस 1:9-11; लूका 3:1-23_ \ No newline at end of file diff --git a/content/25.md b/content/25.md index 4da04e4..23a14dc 100644 --- a/content/25.md +++ b/content/25.md @@ -1,35 +1,35 @@ -# 25. शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा # +# 25. शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-01.jpg) तुरन्त ही यीशु के बपतिस्मा लेने के बाद, आत्मा ने यीशु को जंगल की ओर भेजा जहाँ उन्होंने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया तब शैतान यीशु से पाप कराने के लिये उनकी परीक्षा करने आया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-02.jpg) शैतान ने यीशु की परीक्षा यह कहते हुए करी, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो कह दे, कि यह पत्थर रोटियाँ बन जाएँ तब तुम इसे खा सकते हो !” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-03.jpg) यीशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर के वचन में लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा !’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-04.jpg) -तब शैतान यीशु को मंदिर के ऊचे स्थान पर ले गया और उससे कहा, “ यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है: ‘वह तेरे लिये अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे | कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे |'" +तब शैतान यीशु को मंदिर के ऊचे स्थान पर ले गया और उससे कहा, “ यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है: ‘वह तेरे लिये अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे | कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे |’" -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-05.jpg) यीशु ने उसे पवित्रशास्त्र से उत्तर दिया, उसने कहा, “परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-06.jpg) फिर शैतान ने यीशु को जगत के सारे राज्य और उसका वैभव दिखाकर उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-07.jpg) -तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा ! परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि 'तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर |’” +तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा ! परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-08.jpg) यीशु शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया, तब स्वर्गदूत आए और यीशु की सेवा करने लगे | -_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 4:1-11; मरकुस 1:12-13; लूका 4:1-13_ +_बाइबिल की कहानी में : मत्ती 4:1-11; मरकुस 1:12-13; लूका 4:1-13_ \ No newline at end of file diff --git a/content/26.md b/content/26.md index a058111..abb7c01 100644 --- a/content/26.md +++ b/content/26.md @@ -1,43 +1,43 @@ -# 26. यीशु ने अपनी सेवकाई शुरू की # +# 26. यीशु ने अपनी सेवकाई शुरू की -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-01.jpg) शैतान की परीक्षा पर जय पाने के बाद, यीशु जहाँ वह रहते थे गलील के क्षेत्र के लिए पवित्र आत्मा की शक्ति में लौट आए। यीशु शिक्षण के लिए जगह -जगह गया। सबने उसके बारे में अच्छी तरह से बात की | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-02.jpg) यीशु नासरत शहर के पास गया, जहाँँ उसने अपना बचपन बिताया था | सब्त के दिन वह आराधना करने के स्थान पर गया | उसे यशायाह नबी की पुस्तक दी गयी कि वह उसमे से पढ़े | यीशु ने पुस्तक खोल दी और लोगों को इसके बारे में पढ़कर सुनाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-03.jpg) यीशु ने पढ़ा, “ प्रभु की आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिए अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टी पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओ को मुक्त करूँ | यह प्रभु के कृपा का वर्ष है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-04.jpg) तब यीशु बैठ गया | हर कोई उसे ध्यान से देख रहा था | वे जानते थे कि वह लेख मसीहा के बारे में था | यीशु ने उनसे कहा, “ आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है” | सभी लोग चकित थे। और कहने लगे कि “ क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-05.jpg) तब यीशु ने कहा, कि यह सच है कि कोई भविष्यद्वक्ता अपने देश में मान-सम्मान नहीं पाता | एलिय्याह नबी के समय , इस्राएल में कई विधवाए थी। परन्तु जब साढ़े तीन वर्ष तक आकाश बन्द रहा, परमेश्वर ने एलिय्याह को इस्राएल की विधवा के बजाये एक अन्य देश की विधवा की सहायता करने के लिए भेजा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-06.jpg) यीशु ने कहना जारी रखा,“और एलीशा भविष्यद्वक्ता के समय इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे, और ऐसे भी थे जिन्हें त्वचा रोग था | लेकिन एलीशा ने उनमें से किसी को भी ठीक नहीं किया, उसने केवल इस्राएल के दुश्मनों के एक सेनापति, नामान के त्वचा रोग को चंगा किया।” जब उन्होंने उसे यह कहते सुना, तो वह उस पर क्रोधित हुए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-07.jpg) नासरत के लोगों ने आराधना के स्थान से यीशु को बाहर घसीटा और उसे मारने की मनसा से चट्टान के किनारे ले आए, कि उसे वहाँ से नीचे गिरा दें | पर वह उन के बीच में से निकलकर चला गया और उसने नासरत शहर छोड़ दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-08.jpg) फिर यीशु गलील के पूरे क्षेत्र में होकर फिरने लगा, और बड़ी भीड़ उसके पास आई। वह यीशु के पास बहुत से लोगों को लाए जो अनेक बीमारियों से पीड़ित थे, उनमें विकलांग थे, और वे लोग थे, जो बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे और इन सभी को यीशु ने चंगा किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-09.jpg) बहुत से लोग जिनमें दुष्ट-आत्मा थी, उन्हें यीशु के पास लाया गया | यीशु की आज्ञा पर अक्सर दुष्ट-आत्माएँ यह चिल्लाते हुए बाहर निकलती थी कि, “तुम परमेश्वर के पुत्र हों!” भीड़ चकित थी, और परमेश्वर की आराधना करने लगी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-10.jpg) फिर यीशु ने बारह लोगों को चुना, जो कि प्रेरित कहलाए | प्रेरित यीशु के साथ-साथ चलते थे और वह यीशु से सीखते थे | -_यह कहानी ली गयी है : मती 4 : 12-25 , _//मरकुस 1 : 14-15 , 35-39 , 3 : 13-21 , __लुका 4 : 14-30 , 38-44// +_यह कहानी ली गयी है : मती 4 : 12-25 , मरकुस 1 : 14-15 , 35-39 , 3 : 13-21 , लुका 4 : 14-30 , 38-44_ \ No newline at end of file diff --git a/content/27.md b/content/27.md index e68023f..0214dc0 100644 --- a/content/27.md +++ b/content/27.md @@ -1,47 +1,47 @@ -# 27. दयालु सामरी की कहानी # +# 27. दयालु सामरी की कहानी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-01.jpg) एक दिन, यहूदी धर्म में निपुण एक व्यवस्थापक यीशु के पास उसकी परीक्षा लेने के लिए आया, और कहने लगा, “हे गुरु अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं?” यीशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर की व्यवस्था में क्या लिखा है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-02.jpg) -व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, “तू अपने परमेश्वर से अपने सारे ह्रदय, आत्मा, शक्ति और ,मन से प्रेम रखना | और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना |” यीशु ने उत्तर दिया, “तुम सही हो"| “यह करो तो, तुम जीवित रहोगे” +व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, “तू अपने परमेश्वर से अपने सारे ह्रदय, आत्मा, शक्ति और ,मन से प्रेम रखना | और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना |” यीशु ने उत्तर दिया, “तुम सही हो”| “यह करो तो, तुम जीवित रहोगे” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-03.jpg) परन्तु व्यवस्थापक ने अपने आप को धर्मी ठहराने की इच्छा से यीशु से पूछा, “तो मेरा पड़ोसी कौन है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-04.jpg) -यीशु ने उत्तर दिया एक कहानी बताते हुए | “एक यहूदी मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था |" +यीशु ने उत्तर दिया एक कहानी बताते हुए | “एक यहूदी मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-05.jpg) “जब वह यहूदी मनुष्य यात्रा कर रहा था, तो डाकूओ के एक समूह ने उस पर हमला कर दिया | उन्होंने उसके पास जो कुछ भी था, सब कुछ छीन लिया, और उसे तब तक मारा जब तक कि वह लगभग मर न गया | फिर वह दूर चले गए |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-06.jpg) -"जल्द ही उसके बाद, ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक यहूदी याजक जा रहा था | जैसे ही उस धार्मिक अगुवे ने देखा कि सड़क पर एक मनुष्य को लूटा और मारा गया है, वह सड़क की दूसरी ओर चला गया | यह जानते हुए भी कि उस मनुष्य को मदद की जरुरत है, उसे अनदेखा कर दिया, और आगे बढ़ गया |” +“जल्द ही उसके बाद, ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक यहूदी याजक जा रहा था | जैसे ही उस धार्मिक अगुवे ने देखा कि सड़क पर एक मनुष्य को लूटा और मारा गया है, वह सड़क की दूसरी ओर चला गया | यह जानते हुए भी कि उस मनुष्य को मदद की जरुरत है, उसे अनदेखा कर दिया, और आगे बढ़ गया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-07.jpg) “उसके बाद जल्द ही, एक लेवी उस जगह पर आया. (लेवी यहूदियों का एक गोत्र है जो मंदिर में पुरोहितों की मदद करते थे।) लेवी ने भी उस व्यक्ति को जिसे मारा और लूटा गया था, उसे देख कर अनदेखा कर दिया और सड़क की दूसरी ओर चला गया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-08.jpg) “अगला मनुष्य जो वहाँ से जा रहा था वह एक सामरी था | (सामरी यहूदियों के वंश के थे, जिन्होंने अन्य राष्ट्र के लोगों से विवाह करा था | सामरी और यहूदियों को एक दूसरे से नफरत थी।) सामरी व्यक्ति ने जब यहूदी व्यक्ति को देखा तो उसे देखकर तरस खाया | अत: उसने उसके पास जाकर उसके घावों पर पट्टी बाँँधी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-09.jpg) “सामरी व्यक्ति ने उस घायल व्यक्ति को अपने गधे पर लाध लिया और उसे सड़क के पार एक सराय में ले गया जहाँ उसकी देख-भाल की |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-10.jpg) “अगले दिन सामरी व्यक्ति को अपनी यात्रा जारी रखनी थी | सामरी व्यक्ति ने सराय के मालिक को कुछ पैसे दिए और कहा कि वह इस घायल व्यक्ति का ख्याल रखे, और यदि देख-रेख में इससे ज्यादा खर्चा हुआ तो वह वापस आते समय वह पैसे भी चुका देगा |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-11.jpg) तब यीशु ने व्यवस्थापक से पूछा, “ तुम्हें क्या लगता है कि जो डाकुओं में घेरा गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?” उसने उत्तर दिया, “ वही जिसने उस पर दया की |” यीशु ने उससे कहा, “जा तू भी ऐसा ही कर |” -_बाइबिल की कहानी में : लूका 10:25-37_ +_बाइबिल की कहानी में : लूका 10:25-37_ \ No newline at end of file diff --git a/content/28.md b/content/28.md index 771cd4e..a62f000 100644 --- a/content/28.md +++ b/content/28.md @@ -1,43 +1,43 @@ -# 28. अमीर युवा शासक # +# 28. अमीर युवा शासक -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-01.jpg) एक दिन, एक आमिर युवा शासक यीशु के पास आया और उनसे पूछा कि “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मै क्या करूँ?” यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे ‘उत्तम’ क्यों कहता है? जो उत्तम है वह केवल एक ही है, और वह परमेश्वर है | लेकिन यदि तू अनन्त जीवन का वारिस बनना चाहता है, तो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-02.jpg) उसने पूछा कि, कौन सी आज्ञा का पालन करने की आवश्यकता है?" यीशु ने उत्तर दिया कि “हत्या न करना, व्यभिचार मत करना, चोरी मत करना, झूठ मत बोलना, अपने पिता और माता का आदर करना, अपने समान अपने पड़ोसी से प्रेम रखना |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-03.jpg) -उस युवा व्यक्ति ने कहा कि, "जब मैं एक लड़का था तब से ही मैंने इन सब आज्ञाओं का पालन किया है | अनन्त जीवन पाने के लिये अब मैं और क्या करु ?” यीशु ने उसे देखा और उससे प्यार किया | +उस युवा व्यक्ति ने कहा कि, “जब मैं एक लड़का था तब से ही मैंने इन सब आज्ञाओं का पालन किया है | अनन्त जीवन पाने के लिये अब मैं और क्या करु ?” यीशु ने उसे देखा और उससे प्यार किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-04.jpg) यीशु ने उससे कहा, “यदि तू सिद्ध होना चाहता है तो जा, अपना सब कुछ बेचकर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा | और तब आकर मेरे पीछे हो ले |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-05.jpg) परन्तु उस जवान ने जब यह बात सुनी जो यीशु ने कही तो वह उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था और वह अपनी संपति को नहीं त्यागना चाहता था | इसलिये वह मुड़कर यीशु के पास से चला गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-06.jpg) -तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, "मैं तुम से सच सच कहता हुँ कि धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है | तुमसे, फिर कहता हूँ कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है |” +तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हुँ कि धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है | तुमसे, फिर कहता हूँ कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-07.jpg) यीशु की बात सुनकर चेले बहुत चकित हुए और कहा, “फिर किसका उद्धार हो सकता है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-08.jpg) यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “ मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-09.jpg) इस पर पतरस ने उससे कहा, “देख हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिए हैं | तो हमें इसका क्या प्रतिफल मिलेगा ?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-10.jpg) तब यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुमसे सच कहता हूँ, जिस किसी ने घरों, या भाइयों या बहिनों, या पिता, या माता, या बाल-बच्चों, या खेतों को मेरे नाम के लिए छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा | परन्तु बहुत से जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, पहले होंगे |” -_बाइबिल की एक कहानी: मती 19 : 16-30 , मरकुस 10 : 17 -31 ; लूका 18 : 18-30_ +_बाइबिल की एक कहानी: मती 19 : 16-30 , मरकुस 10 : 17 -31 ; लूका 18 : 18-30_ \ No newline at end of file diff --git a/content/29.md b/content/29.md index 56db12d..3d99026 100644 --- a/content/29.md +++ b/content/29.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 29. निर्दय सेवक की कहानी # +# 29. निर्दय सेवक की कहानी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-01.jpg) एक दिन पतरस ने पास आकर यीशु से पूछा , “हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं उसे कितनी बार क्षमा करूँ? क्या सात बार तक?” यीशु ने उससे कहा, मैं तुझ से यह नहीं कहता कि सात बार तक वरन सात बार के सत्तर गुने तक |” इसके द्वारा यीशु ने कहा हमें हमेशा क्षमा करना चाहिए | फिर यीशु ने यह कहानी सुनाई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-02.jpg) यीशु ने कहा “ इसलिये स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा | जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके सामने लाया गया जो दस हजार तोड़े का कर्ज़दार था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-03.jpg) “जबकि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तब राजा ने कहा कि, ‘यह और इसकी पत्नी और बाल बच्चे और जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और कर्ज़ चुका दिया जाए |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-04.jpg) “इस पर उस दास ने राजा के घुटनों पर गिरकर उससे कहा, ‘कृपया मेरे साथ धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूँगा |’ तब उस दास के स्वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका कर्ज़ भी क्षमा कर दिया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-05.jpg) “परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उसको मिला जो उसके सौ दीनार का कर्ज़दार था; दास ने अपने संगी दास को पकड़ा और कहा, जो कुछ तुझ पर कर्ज़ है भर दे |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-06.jpg) “इस पर उसका संगी दास उसके घुटनों पर गिरकर उससे विनती करने लगा, कृपया मेरे साथ धीरज धर मैं सब भर दूँगा |’ उसने न माना, परन्तु जाकर उसे बंदीगृह में डाल दिया कि जब तक कर्ज़ भर न दे, तब तक वही रहे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-07.jpg) उसके कुछ दूसरे संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए | वे राजा के पास गए और यह सब उसे बता दिया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-08.jpg) “तब राजा ने उसे बुलाकर उस से कहा, ‘हे दुष्ट दास, तू ने जो मुझ से विनती की, तो मैं ने तेरा वह पूरा कर्ज़ क्षमा कर दिया | जैसे मैंने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था?’ राजा बहुत क्रोध में था कि उसे बंदीगृह में डलवा दिया, कि जब तक वह सब कर्ज़ भर न दे, तब तक वही रहे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-09.jpg) तब यीशु ने कहा, “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है , तुम से भी वैसा ही करेगा |” -_यह बाइबिल की कहानी ली गयी है: मती 18 : 21-35_ +_यह बाइबिल की कहानी ली गयी है: मती 18 : 21-35_ \ No newline at end of file diff --git a/content/30.md b/content/30.md index 916ee4a..3834f84 100644 --- a/content/30.md +++ b/content/30.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 30. पाँच हजार पुरुषों को खिलाना # +# 30. पाँच हजार पुरुषों को खिलाना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-01.jpg) यीशु ने प्रचार करने के लिए और कई अलग- अलग नगरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने शिष्यों को भेजा। फिर शिष्यों ने लौटकर जो कुछ उन्होंने किया था, वह यीशु को बता दिया | यीशु ने नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में जाने के लिए उन्हें निमंत्रित किया | तो वह एक नाव में बैठे और झील की दूसरी ओर चले गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-02.jpg) बहुत से लोगों ने यीशु और उसके चेलों को नाव में देखा और सब नगरों से इखट्ठे होकर वहाँ पैदल भागे और उनसे पहले जा पहुँचे | जब यीशु और उसके चेले वहाँँ पहुँँचे तो लोगों का एक बड़ा समूह पहले से ही उनके लिए वहाँँ प्रतीक्षा कर रहा था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-03.jpg) भीड़ में पाँच हजार पुरुष थे, जिनमें महिलाओं और बच्चों की गिनती नहीं थी | यीशु ने लोगों की बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया | क्योंकि वह उन भेड़ो के समान थे जिनका कोई रखवाला न हो | और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा, और जो लोग चंगे होना चाहते थे उन्हें चंगा किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-04.jpg) जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे, “यहा देर हो चुकी है और कोई नगर पास में भी नहीं है | उन्हें विदा कर कि वे अपने लिए कुछ खाने को मोल लें |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-05.jpg) परन्तु यीशु ने चेलों से कहा, ”तुम ही उन्हें खाने को दो |” उन्होंने उससे कहा क्या “हम ऐसा कैसे कर सकते हैं”? हमारे पास केवल पाँच रोटी और दो छोटी मछली है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-06.jpg) तब यीशु ने अपने चेलो से कहा कि सब लोगों को हरी घास पर पचास के समूह में बैठा दो | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-07.jpg) यीशु ने उन पाँँच रोटियों और दो मछलियों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखा, और भोजन के लिये परमेश्वर का धन्यवाद किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-08.jpg) यीशु ने रोटियाँँ और मछलियाँ तोड़-तोड़ कर चेलों को दी कि वे लोगों को परोसे | चेलों ने रोटियाँ और मछलियाँ सब में बाँट दी, और रोटियाँ और मछलियाँ कम नहीं पड़ी | सब खाकर तृप्त हो गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-09.jpg) जो भोजन नहीं खाया गया था उसमे से चेलों ने टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भर कर उठाई, और कुछ मछलियों से भी | सारा भोजन केवल पाँँच रोटियों और दो मछलियों से आया था | -_यह बाइबिल की कहानी ली गयी है: मती 14 : 13-21 , मरकुस 6 : 31-41 , लूका 9 : 10-17 , यूहन्ना 6 : 5-15_ +_यह बाइबिल की कहानी ली गयी है: मती 14 : 13-21 , मरकुस 6 : 31-41 , लूका 9 : 10-17 , यूहन्ना 6 : 5-15_ \ No newline at end of file diff --git a/content/31.md b/content/31.md index d8158a7..4639931 100644 --- a/content/31.md +++ b/content/31.md @@ -1,35 +1,35 @@ -# 31. यीशु का पानी पर चलना # +# 31. यीशु का पानी पर चलना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-01.jpg) तब यीशु ने तुरन्त अपने चेलों को नाव पर चढ़ने के लिए विवश किया कि वह उससे पहले उस पार चले जाए, जब तक कि वह लोगों को विदा करें | यीशु भीड़ को विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया | यीशु अकेला वहाँ रात तक प्रार्थना करता रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-02.jpg) इस बीच, चेले नाव पर थे, परन्तु आधी रात होने पर भी नाव झील के बीच में ही पहुँच पाई थी | वह बहुत कठनाई से नाव चला रहे थे, क्योंकि हवा उनके विरुद्ध थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-03.jpg) यीशु ने अपनी प्रार्थना समाप्त की और वह चेलों के पास चला गया | वह रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उनकी नाव की ओर आया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-04.jpg) चेलों ने जब यीशु को झील पर चलते देखा तो वह डर गए, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह भूत है, और चिल्ला उठे | यीशु को पता था कि वे डर रहे थे, इसलिये उसने तुरन्त उनसे बातें की और कहा,” ढाढ़स बाँँधो: मैं हूँ डरो मत |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-05.jpg) फिर पतरस ने यीशु से कहा ‘हे गुरु’ यदि तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे” यीशु ने पतरस से कहा, “ आ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-06.jpg) तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा | पर जैसे ही वह थोड़ा आगे बढ़ा तो तेज़ हवा का अनुभव किया और अपनी आँखें यीशु पर से हटा लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-07.jpg) -पतरस हवा को देखकर डर गया और डूबने लगा तब चिल्लाकर कहा “हे प्रभु, मुझे बचा |” यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया और पतरस से कहा, ‘ हे अल्प विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?’’ +पतरस हवा को देखकर डर गया और डूबने लगा तब चिल्लाकर कहा “हे प्रभु, मुझे बचा |” यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया और पतरस से कहा, ‘हे अल्प विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?’’ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-08.jpg) जब पतरस और यीशु नाव पर चढ़ गए तो हवा थम गई और पानी की लहरें शान्त हो गई | चेले चकित थे | उन्होंने यीशु की आराधना करी, और उसे कहा, सचमुच, तू परमेश्वर का पुत्र है |” -_बाइबिल की कहानी ली गई है: मती 14 : 22-33 ; मरकुस 6 : 45-52 ; यूहन्ना 6 : 16-21_ +_बाइबिल की कहानी ली गई है: मती 14 : 22-33 ; मरकुस 6 : 45-52 ; यूहन्ना 6 : 16-21_ \ No newline at end of file diff --git a/content/32.md b/content/32.md index 740782f..6e6741f 100644 --- a/content/32.md +++ b/content/32.md @@ -1,67 +1,67 @@ -# 32. यीशु का दुष्टात्मा ग्रस्त मनुष्य और एक बीमार महिला को चंगा करना # +# 32. यीशु का दुष्टात्मा ग्रस्त मनुष्य और एक बीमार महिला को चंगा करना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-01.jpg) एक दिन यीशु और उसके चेले नाव से झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुँँचे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-02.jpg) जब वह झील की दूसरी तरफ पहुँचे तो तुरन्त एक व्यक्ति जिसमे अशुद्ध आत्मा थी, यीशु के पास दौड़कर आया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-03.jpg) इस व्यक्ति को कोई भी नियंत्रण में नहीं कर सकता था क्योंकि वह बहुत बलवान था | वह बार बार बेड़ियों से बाँधा गया था, पर वह बेड़ियों को तोड़ देता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-04.jpg) वह कब्रों में रहा करता था। वह रात दिन चिल्लाता रहता था | वह कपड़े नहीं पहनता था और अपने आप को पत्थरों से घायल करता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-05.jpg) -जब वह आदमी यीशु के पास आया तो वह उसके घुटनों पर गिर गया | यीशु ने उस दुष्टात्मा को कहा कि, "इस व्यक्ति में से निकल आ |" +जब वह आदमी यीशु के पास आया तो वह उसके घुटनों पर गिर गया | यीशु ने उस दुष्टात्मा को कहा कि, “इस व्यक्ति में से निकल आ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-06.jpg) दुष्टात्मा ग्रस्त व्यक्ति ने ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा “हे यीशु परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम है? कृपया मुझे पीड़ा न दे!” तब यीशु ने उस दुष्टात्मा से पूछा “तेरा क्या नाम है?” उसने उसे कहा “मेरा नाम सेना है: क्योंकि हम बहुत है |” (सेना 6000 सैनिकों का दल होता है |) -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-07.jpg) दुष्टात्मा ने यीशु से बहुत विनती की, “हमें इस देश से बाहर न भेज |” वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था | दुष्टात्मा ने उससे विनती करके कहा “ कृपया हमें उन सूअरों में भेज दे कि हम उनके भीतर जाए!” यीशु ने कहा, “जाओ !“ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-08.jpg) दुष्टात्मा आत्मा उस आदमी में से निकलकर सूअरों के अन्दर गई | सुअरों का झुण्ड पहाड़ पर से झपटकर झील में जा पड़ा और डूब मरा | उस झुण्ड में लगभग 2,000 सूअर थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-09.jpg) सुअरों के चरवाहों ने यह देखा और भागकर नगर और गाँवों में हर एक को यह समाचार सुनाया जो यीशु ने किया था, और जो हुआ था लोग उसे देखने आए | लोगों ने आकर उसको जिसमें दुष्टात्माएँ थीं, कपड़े पहने और सचेत बैठे देखा और एक सामान्य व्यक्ति की तरह बर्ताव करते पाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-10.jpg) लोग बहुत घबरा गए और यीशु से विनती कर के कहने लगे कि हमारी सीमा से चला जा | जैसे ही यीशु नाव में बैठने और जाने लगा, तो वह आदमी जिसमें पहले दुष्टात्मा थी, “उससे विनती करने लगा मुझे अपने साथ आने दे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-11.jpg) -परन्तु यीशु ने उससे कहा, "नही, मैं चाहता हूँ कि तुम घर लौट जाओ और जाकर अपने मित्रों और परिवार के लोगों को वह सब बता जो परमेश्वर ने तुझ पर दया करके तेरे लिए कैसे बड़े बड़े काम किए हैं | +परन्तु यीशु ने उससे कहा, “नही, मैं चाहता हूँ कि तुम घर लौट जाओ और जाकर अपने मित्रों और परिवार के लोगों को वह सब बता जो परमेश्वर ने तुझ पर दया करके तेरे लिए कैसे बड़े बड़े काम किए हैं | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-12.jpg) तब वह गया और जाकर सबको बताया कि यीशु ने उसके लिए कैसे बड़े काम किए हैं | और जिस किसी ने भी यह कहानी सुनी वह आश्चर्य और हैरान हो गए थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-13.jpg) जब यीशु फिर नाव से झील के पार गया तो वहा पहुँचने के बाद, एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई और उसे दबाने लगी | इस भीड़ में एक स्त्री थी जिसको बारह साल से लहू बहने का रोग था | उसने बहुत वैद्यों पर अपना सब धन व्यर्थ करने पर भी उसे कुछ लाभ न हुआ था, परन्तु और भी रोगी हो गयी थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-14.jpg) उसने यीशु की चर्चा सुनी थी कि वह बिमारो को चंगा करता है | और उसने सोचा कि यदि मैं यीशु के वस्त्रो को ही छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी , तब वह भीड़ में उसके पीछे से आई और उसके वस्त्र को छू लिया |” जैसे ही उसने उसके वस्त्रो को छुआ और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-15.jpg) यीशु ने तुरन्त जान लिया कि मुझ में से सामर्थ्य निकली है | और भीड़ में पीछे फिरकर पूछा मेरे वस्त्र को किसने छुआ?’’ उसके चेलों ने उससे कहा कि, “तू देखता है कि भीड़ तुझ पर गिरी पड़ती है, फिर तू क्यों पूछता है कि किसने मुझे छुआ?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-16.jpg) तब वह स्त्री घुटनों के बल यीशु के पास डरती और काँँपती हुई आई, और उससे सब हाल सच -सच कह दिया | यीशु ने उससे कहा, “पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है | शान्ति से जा |” -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 8; 28-34 ; 9; 20-22 , मरकुस 5; 1-20 ; 5; 24-34 ; लूका 8; 26-39 ; 8; 42-48_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 8; 28-34 ; 9; 20-22 , मरकुस 5; 1-20 ; 5; 24-34 ; लूका 8; 26-39 ; 8; 42-48_ \ No newline at end of file diff --git a/content/33.md b/content/33.md index d502bd8..781d60a 100644 --- a/content/33.md +++ b/content/33.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 33. किसान की कहानी # +# 33. किसान की कहानी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-01.jpg) एक दिन, यीशु झील के तट पर लोगों की एक बड़ी भीड़ को सिखा रहा था | बहुत लोग उसे सुनने के लिये आए वह फिर झील के किनारे नाव पर चड़ गया ताकि उसे पर्याप्त स्थान मिले उपदेश देने के लिये, तब वह झील में एक नाव पर चढ़कर उन्हे उपदेश देने लगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-02.jpg) यीशु ने इस कहानी को बताया , “एक बोने वाला बीज बोने निकला | बोते समय कुछ मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-03.jpg) “कुछ पथरीली भूमि पर गिरा, जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली | पथरीली भूमि पर गिरे बीज जल्द उग आए लेकिन उनकी जड़े गहरी मिट्टी में नहीं जा पाई थी | इसलिये जब सूर्य निकला तो वे जल गए, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गए |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-04.jpg) “कुछ बीज काँटेदार झाड़ियों में गिरे, बीज उगने लगे पर काँटेदार झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया | इसलिये जो पौधे काँटेदार झाड़ियों में गिरे बीजो से उगे थे उन में से कोई भी फल नहीं ला पाए |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-05.jpg) “परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरे और वह उगा और वह बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ और कोई सौ गुणा फल लाया | तब उसने कहा जिसके पास सुनने के लिये कान हों, वह सुन ले |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-06.jpg) इस कहानी ने चेलों को उलझन में डाल दिया | तब यीशु ने उन्हें समझाया कि, “बीज परमेश्वर का वचन है | मार्ग के किनारे वाले उस व्यक्ति को दर्शाते है जिन्होंने वचन तो सुना परन्तु समझा नहीं, जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था उठा ले जाता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-07.jpg) “वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते है, ये वह है जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते है | इसके बाद जब वचन के कारण उन पर उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-08.jpg) “जो झाड़ियों में बोए गए यह वे है जिन्होंने वचन सुना, और संसार की चिन्ता और धन का धोखा, और अन्य वस्तुओं का लोभ उनमें समाकर वचन को दबा देता है और वह निष्फल रह जाता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-09.jpg) “परन्तु जो अच्छी भूमि वाले है यह उन व्यक्तियों को दर्शाते है जो वचन सुनकर विश्वास करते और फल लाते हैं | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी हैं: मरकुस 4; 1-8 13-20 ; लूका 8; 4-15 ; मती 13 ; 1-8 , 18-23 ; मरकुस 4; 1-8 13-20 ; लूका 8; 4-15_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी हैं: मरकुस 4; 1-8 13-20 ; लूका 8; 4-15 ; मती 13 ; 1-8 , 18-23 ; मरकुस 4; 1-8 13-20 ; लूका 8; 4-15_ \ No newline at end of file diff --git a/content/34.md b/content/34.md index 56a045f..9a4c830 100644 --- a/content/34.md +++ b/content/34.md @@ -1,43 +1,43 @@ -# 34. यीशु ने अन्य कहानियाँ सिखाई # +# 34. यीशु ने अन्य कहानियाँ सिखाई -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-01.jpg) यीशु ने उन्हें स्वर्ग के राज्य के बारे में और कहानियाँ बताई | उदहारण के लिये, उसने कहा, “स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी व्यक्ति ने लेकर अपने खेत में बो दिया | आपको पाता है कि राई का बीज सब बीजों से छोटा तो होता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-02.jpg) “पर जब बढ़ जाता है तब सब सागपात से बड़ा हो जाता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-03.jpg) यीशु ने एक और कहानी उन्हें बताई, “स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते-होते वह सारा आटा खमीरा हो गया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-04.jpg) “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी व्यक्ति ने छिपाया | एक दुसरे व्यक्ति को वो धन मिला और उसने भी उसे वापस छिपा दिया | वह बहुत आनन्द से भर गया और जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-05.jpg) “फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था | जब उसे बहुमूल्य मोती मिला, तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-06.jpg) उसने उनसे जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे और खुद को धर्मी, और दूसरों को तुच्छ जानते थे उनके बारे में यह कहानी कही | उसने कहा, “दो व्यक्ति मंदिर में प्रार्थना करने के लिए गए | एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेने वाला |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-07.jpg) “फरीसी ने अपने मन में इस तरह प्रार्थना की, ‘हे परमेश्वर मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं दूसरे मनुष्यों के समान अन्धेर करनेवाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूँ |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-08.jpg) उदाहरण के लिये, मैं सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-09.jpg) पर चुंगी लेने वाला फरीसी दूर खड़े होकर, स्वर्ग की ओर आँखें उठाना भी न चाहा, वरन अपनी छाती पीट-पीटकर कहा, ‘हे परमेश्वर मुझ पर दया कर क्योंकि मैं पापी हूँ |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-10.jpg) यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि, परमेश्वर ने चुंगी लेनेवाले की प्रार्थना सुनी और धर्मी होने के लिए उसे घोषित कर दिया | उसकी प्रार्थना धार्मिक नेता की तरह नहीं थी | क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा |” -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी हैं: मती 13: 31-33, 44-46 ; मरकुस 4; 30-32 ; लूका 13; 18-21; 18 ; 9-14_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी हैं: मती 13: 31-33, 44-46 ; मरकुस 4; 30-32 ; लूका 13; 18-21; 18 ; 9-14_ \ No newline at end of file diff --git a/content/35.md b/content/35.md index 027fe79..7584d4d 100644 --- a/content/35.md +++ b/content/35.md @@ -1,55 +1,55 @@ -# 35. दयालु पिता की कहानी # +# 35. दयालु पिता की कहानी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-01.jpg) एक दिन यीशु बहुत से चुंगी लेने वालों और पापियों को सिखा रहा था, जो उसे सुनने के लिए वहाँ इकट्ठा हुए थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-02.jpg) वहाँ बहुत से धार्मिक अगुवे भी बैठे थे, यीशु इन पापियों के साथ अपने दोस्तों के समान ही व्यवहार करता था, और वे एक दुसरे के साथ मिलकर उसकी आलोचना करने लगे | फिर यीशु ने उन्हें यह कहानी सुनाई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-03.jpg) “किसी व्यक्ति के दो पुत्र थे | उनमें से छोटे पुत्र ने पिता से कहा, ‘हे पिता, सम्पत्ति में से जो भाग मेरा है वह मुझे दे दीजिये |’ तो पिता ने अपने दोनों बेटो में अपनी सम्पत्ति बाँट दी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-04.jpg) “बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके दूर देश को चला गया, और वहाँ पापमय जीवन में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-05.jpg) “जब वह वहा था तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा,और वह कंगाल हो गया और भोजन के लिए भी उसके पास धन नहीं था | उसे वहा सिर्फ सुअरों को चराने का काम ही मिल सका | वह बहुत दुखी और भूखा था और वह चाहता था कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे ,अपना पेट भरे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-06.jpg) “अंत में छोटे बेटे ने खुद से कहा, ‘मैं क्या कर रहा हूँ? मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ | मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-07.jpg) “तब वह उठकर अपने पिता के घर की ओर वापस चला | वह अभी दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया और दौड़कर उसे गले लगाया और बहुत चूमा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-08.jpg) -“पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी मैं ने परमेश्वर के विरुद्ध में और तेरे विरुद्ध में भी पाप किया है ;और अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ |'" +“पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी मैं ने परमेश्वर के विरुद्ध में और तेरे विरुद्ध में भी पाप किया है ;और अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-09.jpg) “परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, और उसकी उंगली में अँगूठी, और पाँँवों में जूतियाँ पहनाओ, और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ, क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, परन्तु अब फिर जी गया है | खो गया था अब मिल गया है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-10.jpg) “और वह आनन्द करने लगे | परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था, जब वह आते हुए घर के निकट पहुँँचा, तो उसने गाने- बजाने और नाचने का शब्द सुना तो उसे आश्चर्य हुआ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-11.jpg) “बड़े बेटे को पता चला कि उसका भाई आया है क्योंकि वे जश्न मना रहे थे, वह बहुत गुस्से में था और घर के अन्दर नहीं गया | परन्तु उसका पिता बाहर आया और उसे सबके साथ जश्न मनाने के लिये उससे विनती करने लगा परन्तु उसने मना कर दिया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-12.jpg) “उसने पिता को उत्तर दिया कि, ‘देख, मैं इतने वर्ष आप के लिये ईमानदारी से काम रहा हूँ, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तूने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता | परन्तु तेरा यह पुत्र जिसने तेरी सारी सम्पत्ति पापमय जीवन में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तूने पला हुआ बछड़ा कटवाया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-13.jpg) “पिता ने उत्तर दिया, ‘मेरे पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है | परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था, फिर जी गया है | खो गया था, अब मिल गया है |’” -_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: लूका 15: 11-32_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गई है: लूका 15: 11-32_ \ No newline at end of file diff --git a/content/36.md b/content/36.md index c6608bb..e902ac3 100644 --- a/content/36.md +++ b/content/36.md @@ -1,31 +1,31 @@ -# 36. रूपान्तर # +# 36. रूपान्तर -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-01.jpg) एक दिन यीशु ने अपने तीन चेलों, पतरस, याकूब और यूहन्ना को अपने साथ लिया | (यीशु का चेला यूहन्ना वह यूहन्ना नहीं था, जिसने यीशु को बपतिस्मा दिया था |) और उन्हें एकान्त में प्रार्थना करने के लिए ऊँँचे पहाड़ पर ले गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-02.jpg) यीशु प्रार्थना कर ही रहा था कि उसका मुँँह सूर्य के समान चमका और उसका वस्त्र ज्योति के समान उजला हो गया, कि कोई भी पृथ्वी पर उतना उजला नहीं बना सकता | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-03.jpg) तब मूसा और एलिय्याह नबी दिखाई दिए | इससे पहले यह दोनों पुरुष कई सो साल पहले पृथ्वी पर जीवित थे | वे यीशु से उसकी मृत्यु के बारे में बात कर रहे थे, जो यरूशलेम में होने वाली थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-04.jpg) मूसा और एलिय्याह यह दो पुरुष यीशु के साथ बातें कर रहे थे, तब पतरस ने यीशु से कहा, “हे स्वामी, हमारा यहाँ रहना भला है | यदि तेरी इच्छा है तो, मैं यहाँ तीन मण्डप बनाऊँँ; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये और एक एलिय्याह के लिये |” पतरस नहीं जनता था, कि वह क्या कह रहा है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-05.jpg) पतरस बोल ही रहा था कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला : “ यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूँ, इस की सुनो |” तीनो चेले यह सुनकर मुँँह के बल गिर गए और अत्यन्त डर गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-06.jpg) यीशु ने पास आकर उन्हें छुआ, और कहा, “डरो मत | उठो |” तब उन्होंने अपनी आँँखें उठाई और यीशु को छोड़ और किसी को न देखा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-07.jpg) यीशु और तीनो चेले जब पहाड़ से उतर रहे थे, तब यीशु ने उनसे कहा, “जो कुछ यहाँ हुआ इसके बारे में किसी से न कहना जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे |” उसके बाद तुम लोगों को बता सकते हो | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 17 : 1-19 ; मरकुस 9: 2-8 ; लूका 9: 28-36_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 17 : 1-19 ; मरकुस 9: 2-8 ; लूका 9: 28-36_ \ No newline at end of file diff --git a/content/37.md b/content/37.md index efd7e48..c55118a 100644 --- a/content/37.md +++ b/content/37.md @@ -1,47 +1,47 @@ -# 37. लाजर का यीशु द्वारा जिलाया जाना # +# 37. लाजर का यीशु द्वारा जिलाया जाना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-01.jpg) -एक दिन, यीशु को संदेश मिला कि लाजर बहुत बीमार है | लाजर और उसकी दो बहिन, मार्था और मरियम, यीशु के बहुत प्रिय थे | यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है |" यीशु अपने मित्र, मार्था और उसकी बहिन और लाजर से प्रेम रखता था | फिर भी जब उसने सुना कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया | +एक दिन, यीशु को संदेश मिला कि लाजर बहुत बीमार है | लाजर और उसकी दो बहिन, मार्था और मरियम, यीशु के बहुत प्रिय थे | यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है |” यीशु अपने मित्र, मार्था और उसकी बहिन और लाजर से प्रेम रखता था | फिर भी जब उसने सुना कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-02.jpg) दो दिन बीतने के बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा, “आओ हम फिर यहूदिया को चलें |” चेलों ने उससे कहा “हे रब्बी, कुछ समय पहले तो लोग तुझे मरना चाहते थे |” यीशु ने कहा, “हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-03.jpg) यीशु के चेलो ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो स्वस्थ हो जाएगा |” तब यीशु ने उनसे साफ साफ कह दिया, “ लाजर मर गया है और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँँ न था जिससे तुम मुझ पर विश्वास करो |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-04.jpg) जब यीशु लाज़र के गृहनगर पहुँचा, तो लाजर को कब्र में रखे चार दिन हो चुके थे | मार्था यीशु से मिलने बाहर आई और कहा, “ हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई कदापि न मरता | परन्तु मैं विश्वास करती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-05.jpg) यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ | जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा | और हर कोई जो मुझ पर विश्वास करता है वह कभी न मरेंगा | क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” उसने उससे कहा, “हाँ प्रभु! मैं विश्वास करती हूँ कि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-06.jpg) -तब मरियम वहाँँ पहुँची | वह यीशु के पाँवों पर गिर पड़ी और कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता |” यीशु ने उनसे पूछा “तुमने लाज़र को कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, "कब्र में, आओ और देख लो |” तब यीशु रोया | +तब मरियम वहाँँ पहुँची | वह यीशु के पाँवों पर गिर पड़ी और कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता |” यीशु ने उनसे पूछा “तुमने लाज़र को कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “कब्र में, आओ और देख लो |” तब यीशु रोया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-07.jpg) वो कब्र एक गुफा थी जिसके द्वार पर एक बड़ा पत्थर लगा हुआ था | जब यीशु कब्र पर पहुँचे, तो यीशु ने उन्हें कहा कि, “पत्थर हटाओ |” परन्तु मार्था ने उससे कहा, “हे प्रभु उसे मरे हुए तो चार दिन हो गए है | अब तो उसमें से दुर्गन्ध आती होगी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-08.jpg) यीशु ने जवाब दिया , “क्या मैं ने तुझ से नहीं कहा था कि यदि तू मुझ पर विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी?” तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-09.jpg) तब यीशु ने स्वर्ग की ओर देखा और कहा, “हे पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि अापने मेरी सुन ली है | मैं जानता था कि आप सदा मेरी सुनते है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उनके कारण मैंने यह कहा, जिससे कि वे विश्वास करें कि अापने मुझे भेजा है |” यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाजर निकल आ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-10.jpg) लाजर बाहर निकल आया | वह अभी भी कपड़ो में लिपटा हुआ था | यीशु ने उनसे कहा, “कपड़ो को खोलने में उसकी मदद करो और जाने दो |” तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-11.jpg) परन्तु यहूदियों के धार्मिक गुरु यीशु से ईर्षा रखते थे, इसलिये उन्होंने आपस में मिलकर योजना बनाना चाहा कि कैसे वह यीशु और लाजर को मरवा सके | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: यूहन्ना 11: 1-46_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: यूहन्ना 11: 1-46_ \ No newline at end of file diff --git a/content/38.md b/content/38.md index c4bfa07..ea6c43c 100644 --- a/content/38.md +++ b/content/38.md @@ -1,63 +1,63 @@ -# 38. यीशु के साथ विश्वासघात # +# 38. यीशु के साथ विश्वासघात -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-01.jpg) हर साल, यहूदी फसह का पर्व मनाते थे | यह एक उत्सव था, जब वह याद करते थे कि परमेश्वर ने कई सदियों पहले मिस्र की गुलामी से उनके पूर्वजों को बचाया था | यीशु मसीह के सार्वजनिक उपदेशों के तीन साल बाद अपना पहला उपदेश शुरू किया |यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वह यरूशलेम में उनके साथ फसह का जश्न मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-02.jpg) -'यीशु के शिष्यों में से एक यहूदा नाम का एक आदमी था । वह चेलों के धन की देखभाल करता था, वह पैसों से प्रेम करता था और अकसर उसमें से चुराता था | यीशु और चेलों के यरूशलेम में पहुँचने के बाद यहूदा यहूदी गुरुओ के पास गया और पैसों के बदले यीशु के साथ विश्वास घात करने का प्रस्ताव रखा | वह जानता था कि यहूदी गुरुओं ने यीशु को मसीहा के रूप में अस्वीकार कर दिया था और वे उसे मरवा डालने की योजना बना रहे थे | +’यीशु के शिष्यों में से एक यहूदा नाम का एक आदमी था । वह चेलों के धन की देखभाल करता था, वह पैसों से प्रेम करता था और अकसर उसमें से चुराता था | यीशु और चेलों के यरूशलेम में पहुँचने के बाद यहूदा यहूदी गुरुओ के पास गया और पैसों के बदले यीशु के साथ विश्वास घात करने का प्रस्ताव रखा | वह जानता था कि यहूदी गुरुओं ने यीशु को मसीहा के रूप में अस्वीकार कर दिया था और वे उसे मरवा डालने की योजना बना रहे थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-03.jpg) यहूदी गुरुओं ने प्रधान याजक के नेतृत्व में यीशु को धोखा देने के लिये उसे तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए | इस बात की भविष्यवाणी नबियों ने पहले ही कर दी थी | यहूदा ने पैसे लिए और वह वहाँ से चला गया | और वह अवसर ढूंढने लगा कि यीशु को किसी तरह पकड़वा दे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-04.jpg) यीशु यरूशलेम में अपने चेलों के साथ फसह का दिन मना रहा था | फसह के भोजन के दौरान यीशु ने रोटी ली और आशीष माँँगकर तोड़ा और उन्हें दी और कहा, “लो और इसे खाओं | यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है | मेरी याद में यही किया करो |” इस प्रकार, यीशु ने उनसे कहा कि उसका शरीर उनके लिए बलिदान किया जाएगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-05.jpg) फिर उसने दाखरस का कटोरा लिया और कहा, “इसे पीओं | यह वाचा का मेरा लहू है, जो बहुतों के पापों की क्षमा के लिये बहाया जाता है | मेरी याद में तुम यही किया करो |” इस प्रकार, यीशु ने उनसे कहा कि उसका लहू उनके पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-06.jpg) फिर यीशु ने अपने चेलों से कहा, “तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा |” सब चेले चकित रह गए और कहने लगे कि हम में से ऐसा कौन कर सकता है | यीशु ने कहा कि, “जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा दूँगा वही मेरा पकड़वाने वाला होगा |” फिर उसने रोटी का टुकड़ा यहूदा को दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-07.jpg) यहूदा के रोटी लेने के बाद, शैतान उसमें प्रवेश करता है | यहूदा वहाँ से चला गया ताकि यीशु को पकड़वाने के लिए यहूदी गुरुओं की सहायता कर सके | तब रात्रि का समय था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-08.jpg) भोजन के बाद , यीशु और उसके चेले जैतून के पहाड़ पर चले गए। तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब मुझे छोड़ दोगे, क्योंकि लिखा है: मैं रखवाले को मारूँँगा, और भेड़े तितर-बितर हो जाएँगी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-09.jpg) पतरस ने कहा, “यदि सब तुझे छोड़ दे तोभी, मैं नहीं छोडूँगा | यीशु ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी परीक्षा लेना चाहता है, परन्तु मैंने तुम्हारे लिये प्रार्थना की है, पतरस, तेरा विश्वास कमज़ोर नहीं होगा | फिर भी आज की रात, मुर्ग़ के दो बार बाँँग देने से पहले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-10.jpg) पतरस ने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तौभी मैं तेरा इन्कार नहीं करूँगा |” इसी प्रकार बाकी चेलो ने भी कहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-11.jpg) फिर वह गतसमनी नामक एक जगह में अपने चेलों के साथ आया | यीशु ने अपने चेलों से कहा कि प्रार्थना करते रहो कि परीक्षा में न पड़ो | फिर यीशु प्रार्थना करने चला गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-12.jpg) यीशु ने तीन बार प्रार्थना की कहा, “हे मेरे पिता, यदि हो सके तो इस दुःख के कटोरे में से मुझे पीने मत देना | परन्तु यदि मनुष्यों के पापों की क्षमा के लिये और कोई मार्ग नहीं है, तो फिर मेरी नहीं तेरी इच्छा पूरी हो |” यीशु बहुत व्याकुल था और उसका पसीना खून की बूँदो के समान था | परमेश्वर ने अपना एक स्वर्ग दूत भेजा उसे बलवन्त करने के लिए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-13.jpg) प्रार्थना के कुछ समय बाद, यीशु अपने चेलो के पास वापस आया परन्तु वे सब सो रहे थे | जब यीशु तीसरी बार प्रार्थना करके आया तो उसने अपने चेलों से कहा कि, “उठो, मेरे पकड़ने वाले आ गए है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-14.jpg) यहूदा प्रधान याजकों, सैनिकों और एक बड़ी भीड़ को तलवार और लाठियों के साथ लाया | यहूदा यीशु के पास आया और कहा, “ नमस्कार, गुरु,” और उसे चूमा | यहूदा ने उन्हें यह बता दिया था कि जिसे मैं चूम कर नमस्कार करूँ वही यीशु है | यीशु ने यहूदा से कहा कि, “तूने मुझे इसलिये नहीं चूमा है कि तू मुझ से प्रेम करता है बल्कि तूने मुझे पकड़वाने के लिए चूमा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-15.jpg) जैसे ही सैनिकों ने यीशु को पकड़ लिया, पतरस ने अपनी तलवार निकाल ली और महा याजक के एक दास पर चलाकर उसका कान काट दिया | तब यीशु ने कहा कि, “अपनी तलवार म्यान में रख ले | क्या तू नहीं जनता कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्ग दूतों की पलटन अभी मेरे पास भेज देगा | पर मुझे मेरे पिता की आज्ञाओं को पूरा करना है |” यीशु ने उस व्यक्ति को जिसका कान कटा था उसे चंगा किया | तब सब चेले उसे छोड़कर भाग गए | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 26 : 14-56 ; मरकुस 14 : 10 -50 ; लूका 22 : 1-53 ; यहुन्ना 12 : 6 ; 18 : 1-11_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 26 : 14-56 ; मरकुस 14 : 10 -50 ; लूका 22 : 1-53 ; यहुन्ना 12 : 6 ; 18 : 1-11_ \ No newline at end of file diff --git a/content/39.md b/content/39.md index 244de68..e290dd5 100644 --- a/content/39.md +++ b/content/39.md @@ -1,51 +1,51 @@ -# 39. महासभा के सामने यीशु # +# 39. महासभा के सामने यीशु -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-01.jpg) रात्रि के बीच का समय था | तब यीशु के पकड़ने वाले उसको महा याजक के पास ले गए, कि वह यीशु से प्रश्न करें | पतरस दूर ही दूर यीशु के पीछे महा याजक के आँगन तक गया | यीशु को जब महा याजक के सामने ले जाया गया तो पतरस बाहर खड़ा आग ताप रहा था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-02.jpg) घर के अन्दर प्रधान याजकों ने यीशु की जाँच शुरू की | वे कई झूठे गवाह लाए जो यीशु के बारे में झूठ बोल रहे थे | हालांकि, उनके बयान एक दूसरे से नहीं मिल रहे थे, इसलिये यहूदी नेता यीशु को दोषी साबित नहीं कर सके | परन्तु यीशु ने कुछ नहीं कहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-03.jpg) अंत में, महा याजक ने यीशु की ओर देखकर उससे कहा कि, “हमें बता कि क्या तू मसीह है, जीवते परमेश्वर का पुत्र?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-04.jpg) यीशु ने कहा, “मैं हूँ, और तुम मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठे और आकाश के बदलो पर स्वर्ग से आते देखोगे |” इस पर महा याजक ने क्रोध में अपने वस्त्र फाड़े और अन्य धार्मिक नेताओं से कहा कि, “अब हमें गवाहों की क्या जरुरत | तुमने अभी सुना है कि इसने अपने को परमेश्वर का पुत्र कहा है | तुम्हारा क्या न्याय है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-05.jpg) यहूदी नेताओं ने महा याजक को उत्तर दिया, “यह मरने के योग्य है |” तब उन्होंने यीशु की आँँखें ढक दी, उसके मुँह पर थूका और उसे मारा, और उसका मजाक उड़ाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-06.jpg) पतरस बाहर आँगन में बैठा हुआ था कि एक दासी ने उसे देखा और कहा, “ तू भी यीशु के साथ था |” पतरस ने इन्कार कर दिया | जब वह बाहर डेवढ़ी में गया, तो दूसरी दासी ने उसे देखकर उनसे जो वहाँ थे कहा, “यह भी तो यीशु के साथ था |” पतरस ने फिर इन्कार कर दिया | अंत में लोगों ने जो वहाँ खड़े थे, पतरस के पास आकर उससे कहा, “हम जानते है कि तू भी यीशु के साथ था क्योंकि तुम दोनों गलील से हो |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-07.jpg) तब पतरस शपथ खाने लगा, “यदि मैं उस व्यक्ति को जानता हूँ तो परमेश्वर मुझे श्राप दे |” और तुरन्त मुर्ग़ ने बाँँग दी, और तब यीशु ने मुड़कर पतरस को देखा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-08.jpg) पतरस वहाँ से चला गया और बाहर आकर फूट फूट कर रोया | इसी दौरान जब यहूदा, विश्वासघाती, ने देखा कि यहूदी याजक यीशु को अपराधी घोषित कर उसे मारना चाहते है | यह देख यहूदा शोक से भर गया और खुद को मार डाला | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-09.jpg) अगली सुबह यहूदी नेताओ ने यीशु को ले जाकर पिलातुस को सौंप दिया जो एक रोमन राज्यपाल था | वे इस आशा में थे कि पिलातुस उसे दोषी ठहरा कर उससे मरवा डाले | पिलातुस ने यीशु से पूछा, “ क्या तू यहूदियों का राजा है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-10.jpg) यीशु ने उत्तर दिया, “तू आप ही कह रहा है, परन्तु मेरा राज्य सांसारिक राज्य नहीं है | यदि ऐसा होता तो मेरे सेवक मेरे लिए लड़ते | मैं परमेश्वर के बारे में सच बताने के लिये पृथ्वी पर आया हूँ | हर वह व्यक्ति जिसे सच्चाई से प्रेम है, मुझे सुनेगा |” पिलातुस ने कहा, “सच क्या है?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-11.jpg) यीशु से बात करने के बाद पिलातुस भीड़ में आया, और कहा, “मैं तो इस व्यक्ति में कोई दोष नहीं पाता |” परन्तु यहूदी गुरुओं ने चिल्लाकर कहा कि, “इसे क्रूस में चढ़ा दो |” पिलातुस ने कहा कि, “मैं इसमें कोई दोष नहीं पाता |” वह और जोर से चिल्लाने लगे | पिलातुस ने तीसरी बार कहा कि “मैं इसमें कोई दोष नहीं पाता |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-12.jpg) परन्तु पिलातुस डर गया कि कही कोलाहल न मच जाए, इसलिये उसने यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सैनिको को सौंप दिया | रोमन सैनिकों ने यीशु को कोड़े मारे, और शाही बागा पहनाकर काँटों का मुकुट उसके सिर पर रखा | तब उन्होंने यह कहकर यीशु का मज़ाक उड़ाया “यहूदियों का राजा” देखो | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 26 : 57, 27 :26 ; मरकुस 14: 53, 15:1 लूका 22 : 54-23 : 25 ; यहून्ना 18 : 12-19 : 16_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 26 : 57, 27 :26 ; मरकुस 14: 53, 15:1 लूका 22 : 54-23 : 25 ; यहून्ना 18 : 12-19 : 16_ \ No newline at end of file diff --git a/content/40.md b/content/40.md index 76f1a04..6efd6ee 100644 --- a/content/40.md +++ b/content/40.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 40. यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना # +# 40. यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-01.jpg) सैनिको द्वारा यीशु का मजाक उड़ाने के बाद, वह यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले गए | उन्होंने यीशु से वो क्रूस उठवाया जिस पर उसे मरना था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-02.jpg) सैनिक यीशु को उस स्थान पर ले गए जो गुलगुता या खोपड़ी का स्थान कहलाता है, वहाँ पहुँचकर क्रूस पर उसके हाथों और पाँँवों को कीलो से ठोक दिया | यीशु ने कहा कि , “हे पिता इन्हें क्षमा कर क्योकि यह नहीं जानते कि क्या करते है |” पिलातुस ने आज्ञा दी कि यीशु के सिर के ऊपर क्रूस पर यह लिख कर लगा दिया जाए कि, “यह यहूदियों का राजा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-03.jpg) सैनिकों ने यीशु के कपड़ों के लिये जुआ खेला। उन्होंने यीशु के कपड़ों को अपने बीच बाँट लिया | जब उन्होंने ये किया तो उन्होंने यह भविष्यवाणी को पूरा किया कि, “वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं, और मेरे पहिरावे के लिए जुआ खेलते हैं।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-04.jpg) यीशु को दो डाकुओ के बीच क्रूस पर चढ़ाया गया | उनमें से एक जब यीशु का ठट्ठा उड़ा रहा था तो ,दूसरे ने कहा कि, “क्या तू परमेश्वर से नहीं डरता? हम अपराधी है पर ,यह तो बेगुनाह है |” यीशु से उसने कहा कि, “अपने राज्य में मुझे भी याद रखना |” यीशु ने उसे कहा कि, “तू आज ही मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-05.jpg) यहूदी और अन्य लोग जो भीड़ में थे वह यीशु का मज़ाक उड़ा रहे थे यह कहकर कि, “अगर तू परमेश्वर का पुत्र है तो क्रूस पर से उतर जा, और अपने आप को बचा | तब हम तुझ पर विश्वास करेंगे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-06.jpg) तब आकाश में दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक पूरे देश में अँधेरा छाया रहा | भले ही ये दिन का समय था | दोपहर के 3:00 बजे तक सारे देश में अँँधेरा छाया रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-07.jpg) तब यीशु ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ |” तब यीशु का सिर झुक गया, और उसने अपनी आत्मा को परमेश्वर के हाथ में सौंप दिया | जैसे ही यीशु की मृत्यु हुई, वहा भूकंप आया और मंदिर का बड़ा परदा जो मनुष्यों को परमेश्वर की उपस्तिथि से दूर रखता था ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-08.jpg) अपनी मृत्यु के जरिये यीशु ने लोगों के लिये परमेश्वर के पास आने का रास्ता खोल दिया | तब सूबेदार जो यीशु का पहरा दे रहे थे, वो सब कुछ जो हुआ था उसे देखकर कहा कि, “यह मनुष्य धर्मी था | सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-09.jpg) तब यूसुफ और नीकुदेमुस, दो यहूदी याजक जिन्हें विश्वास था कि यीशु ही मसीह है, पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा | उन्होंने उसके शव को उज्ज्वल चादर में लपेटा, और चट्टान में खुदवाई गई कब्र में रख दिया | तब उन्होंने द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़काकर उसे बन्द कर दिया | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 27 : 27-61 ,मरकुस 15 : 16-47 ;लूका 23 : 26-56 ;यहून्ना 19 :17,42_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है: मती 27 : 27-61 ,मरकुस 15 : 16-47 ;लूका 23 : 26-56 ;यहून्ना 19 :17,42_ \ No newline at end of file diff --git a/content/41.md b/content/41.md index 6b20cec..b343e33 100644 --- a/content/41.md +++ b/content/41.md @@ -1,35 +1,35 @@ -# 41. यीशु का पुनरुत्थान # +# 41. यीशु का पुनरुत्थान -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-01.jpg) -सैनिकों के यीशु को क्रूस पर चड़ाने के बाद अविश्वासी यहूदी नेताओं ने पिलातुस के पास आकर कहा | “उस भरमाने वाले यीशु ने जब वह जीवित था कहा था कि , “मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा | ”किसी को उस कब्र की रखवाली करनी चाहिए ताकि उसके चेले आकर उसके शरीर को चुरा न ले जाए और उसके बाद कह दे कि वह मुर्दों में से जी उठा है |" +सैनिकों के यीशु को क्रूस पर चड़ाने के बाद अविश्वासी यहूदी नेताओं ने पिलातुस के पास आकर कहा | “उस भरमाने वाले यीशु ने जब वह जीवित था कहा था कि , “मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा |”किसी को उस कब्र की रखवाली करनी चाहिए ताकि उसके चेले आकर उसके शरीर को चुरा न ले जाए और उसके बाद कह दे कि वह मुर्दों में से जी उठा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-02.jpg) पिलातुस ने कहा, “कुछ सैनिक लो और जाओ अपनी समझ के अनुसार रखवाली करो |” अत: उन्होंने, कब्र के द्वार के पत्थर पर मोहर लगाकर और सैनिको का पहरा लगाया जिससे कोई शरीर को न चुरा सके | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-03.jpg) यीशु को दफ़नाने के दिन के बाद सब्त का दिन था, यहूदी याजको ने यीशु की कब्र पर जाने की अनुमति किसी को भी नहीं दी | सब्त के दिन के बाद अगले दिन सुबह कई महिलाए यीशु के शरीर पर सुगन्दित द्रव्य डालने के लिए उसकी कब्र पर जाने के लिए तेयार हुई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-04.jpg) अचानक एक बड़ा भूकम्प हुआ | क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्त्र पाले के समान उज्ज्वल था | उसने कब्र के पत्थर को जो कब्र के द्वार पर लगा था हटा दिया और उस पर बैठ गया, कब्र की रखवाली करने वाले पहरुए काँँप उठे और मृतक समान हो गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-05.jpg) -जब महिलाएँ कब्र पर पहुँची, स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “मत डरो | यीशु यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है |" आओ, यह स्थान देखो |” तब सस्त्रियों ने कब्र में और जहा यीशु का शरीर रखा गया था देखा | उसका शरीर वहा नहीं था | +जब महिलाएँ कब्र पर पहुँची, स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “मत डरो | यीशु यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है |” आओ, यह स्थान देखो |” तब सस्त्रियों ने कब्र में और जहा यीशु का शरीर रखा गया था देखा | उसका शरीर वहा नहीं था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-06.jpg) तब स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों से कहा , “जाओ और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो कि यीशु मृतकों में से जी उठा है और वह तुमसे पहले गलील को जाता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-07.jpg) वे स्त्रिया भय और बड़े आनन्द से भर गई | वे चेलो को यह आनन्द का समाचार देने के लिये दौड़ गई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-08.jpg) जब वह स्त्रियाँ चेलों को यह आनन्द का समाचार सुनाने के लिए जा रही थी तो मार्ग में उन्हें यीशु दिखाई दिया, उन्होंने उसकी आराधना की | तब यीशु ने उनसे कहा, “मत डरो | मेरे चेलों से जाकर कहो कि गलील को चले जाएँ, वहाँ मुझे देखेंगे |” -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 27 : 62-28 : 15 ; मरकुस 16 : 1-11 ;लूका 24 : 1-12 ; यहून्ना 20 : 1-18_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 27 : 62-28 : 15 ; मरकुस 16 : 1-11 ;लूका 24 : 1-12 ; यहून्ना 20 : 1-18_ \ No newline at end of file diff --git a/content/42.md b/content/42.md index cb5e381..f31b3b5 100644 --- a/content/42.md +++ b/content/42.md @@ -1,47 +1,47 @@ -# 42. यीशु का स्वर्ग रोहण # +# 42. यीशु का स्वर्ग रोहण -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-01.jpg) उसी दिन, जिस दिन यीशु मरे हुओं में से जी उठा था उसके चेलो में से दो पास के शहर में जा रहे थे | जब वे चल रहे थे तो वे यीशु के बारे में जो हुआ था, आपस में बातचीत करते जा रहे थे | वह कह रहे थे कि वह मसीह था फिर भी वह मार डाला गया | स्त्रियों ने आकर चेलों से कहा कि यीशु मरे हुओ में से जी उठा है | वे नहीं जानते थे कि क्या विश्वास करे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-02.jpg) यीशु ने उन से संपर्क किया और उनके साथ चलना शुरू कर दिया | परन्तु वह उसे पहचान न सके | उसने उनसे पूछा कि, “ये तुम किस बारे में बातें करते हो |” और उन्होंने उसे यीशु के बारे में जो बाते पिछले कुछ दिन पहले हुई थी बताया | उन्हे लगा कि वह किसी यात्री से बात कर रहे है जो नहीं जनता था कि यरूशलेम में क्या हुआ था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-03.jpg) यीशु ने उनसे कहा क्या तुम परमेश्वर के वचन नहीं जानते जो उसने मसीह के विषय में कहे है | उसने उन्हें नबियों ने जो कहा था याद दिलाया कि मसीह दुःख उठाएगा और मारा जाएगा और फिर तीसरे दिन जी उठेगा | जब वे उस गाँव के पास पहुँचे जहाँँ वह दोनों व्यक्ति रहने के लिए जा रहे थे तो शाम हो गई थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-04.jpg) उन दो चेलो ने यीशु से कहा कि, “ हमारे साथ रहे |” जब वे शाम का भोजन खाने को तैयार थे, यीशु ने रोटी लेकर परमेश्वर का धन्यवाद किया और उसे तोड़कर उन्हें देने लगा | तब अचानक उन्हें पता चला कि वह यीशु है और उन्होंने उसे पहचान लिया | तब वह उनकी आँखों के सामने से गायब हो गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-05.jpg) वह दोनों व्यक्ति एक दूसरे से कहने लगे कि, वह यीशु था! जब वह परमेश्वर के वचन से हमें समझा रहा था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई ? वे तुरन्त वापस यरूशलेम को लौट गए | जब वे आये तब उन्होंने चेलों को बताया कि, “यीशु सचमुच जी उठा है | हमने उसे देखा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-06.jpg) -चेले आपस में यह बातें कर ही रहे थे कि यीशु उनके बीच में आ खड़ा हुआ और कहा, “तुम्हें शान्ति मिले |” परन्तु चेलों ने सोचा कि वह कोई भूत है | परन्तु यीशु ने कहा, “तुम क्यों डर और शक कर रहे हो ? ” मेरे हाथ और मेरे पाँँव को देखो क्योंकि आत्मा के हड्डी और माँँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो | तो उसने उनसे पूछा कि क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है ?" उन्होंने उसे भुनी हुई मछली का टुकड़ा दिया, उसने लेकर उनके सामने खाया | +चेले आपस में यह बातें कर ही रहे थे कि यीशु उनके बीच में आ खड़ा हुआ और कहा, “तुम्हें शान्ति मिले |” परन्तु चेलों ने सोचा कि वह कोई भूत है | परन्तु यीशु ने कहा, “तुम क्यों डर और शक कर रहे हो ?” मेरे हाथ और मेरे पाँँव को देखो क्योंकि आत्मा के हड्डी और माँँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो | तो उसने उनसे पूछा कि क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है ?" उन्होंने उसे भुनी हुई मछली का टुकड़ा दिया, उसने लेकर उनके सामने खाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-07.jpg) यीशु ने कहा, जो बाते मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम्हे बताई थी कि परमेश्वर के वचन में जो कुछ भी मेरे बारे में लिखा है वह सब पूरा होगा | तब उसने पवित्र शास्त्र बूझने के लिये उनकी समझ खोल दी | उसने कहा कि, “लिखा है कि मसीह दुःख उठाएग, मारा जायेगा और तीसरे दिन मरे हुओ में से जी उठेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-08.jpg) “पवित्रशास्त्र में यह भी लिखा था कि मेरे चेले प्रचार करेंगे कि हर एक को पापों की क्षमा प्राप्त करने के लिये पश्चाताप करना चाहिए | वे यरूशलेम से इसकी शुरुआत करेंगे और हर जगह सब जातियों में जायेंगे, तुम इन सब बातों के गवाह हो |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-09.jpg) और अगले चालीस दिनों तक, यीशु अपने चेलों को कई बार दिखाई देता रहा | और उसी समय एक साथ लगभग 500 लोगों को दिखाई दिया | उसने ऐसे कई तरीको से अपने चेलों को साबित किया कि वह जीवित है और उन्हें परमेश्वर के राज्य की शिक्षा देता रहा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-10.jpg) यीशु ने अपने चेलों से कहा, “ स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है | इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो | और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ |” याद रखो मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-11.jpg) यीशु के मरे हुओ में से जी उठने के चालीस दिनों के बाद, उसने अपने चेलों से कहा कि तुम यरूशलेम में ही रहना जब तक कि मेरे पिता तुम्हे पवित्र आत्मा का सामर्थ्य तुम्हे न दे |” प्रभु यीशु उनसे बातें करने के बाद स्वर्ग पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया | यीशु सब बातो पर शासन करने के लिए परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 28 : 16-20 ;मरकुस 16 : 12-20 ;लूका 24 : 13-53 ; यहून्ना 20 : 19-23 ; प्ररितो के काम 1 : 1-11_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 28 : 16-20 ;मरकुस 16 : 12-20 ;लूका 24 : 13-53 ; यहून्ना 20 : 19-23 ; प्ररितो के काम 1 : 1-11_ \ No newline at end of file diff --git a/content/43.md b/content/43.md index 0ef2d82..a8b8cbf 100644 --- a/content/43.md +++ b/content/43.md @@ -1,55 +1,55 @@ -# 43. कलीसिया का आरंभ # +# 43. कलीसिया का आरंभ -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-01.jpg) यीशु के स्वर्ग में वापस जाने के बाद, चेले यीशु की आज्ञा के अनुसार यरूशलेम में ही ठहरे हुए थे | विश्वासी वहाँ लगातार प्रार्थना करने के लिये एक साथ एकत्र हुए। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-02.jpg) हर साल फसह के पचास दिन बाद, यहूदी एक खास दिन मनाते थे जिसे पिन्‍तेकुस्त का दिन कहा जाता है | पिन्तेकुस्त के दिन यहूदी लोग फसल(गेहूँ) की कटनी की खुसी मनाते थे | इस साल पिन्तेकुस्त का दिन यीशु के स्वर्ग रोहण के एक हफ्ते बाद आया सभी यहूदी दुनिया भर से एकत्र होकर यरूशलेम में पिन्‍तेकुस्त का दिन मनाते थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-03.jpg) जब सब विश्वासी एक जगह एकत्र हुए, अचानक वो घर जहा वे थे आकाश से बड़ी हवा की आवाज़ से भर गया | और उन्हें आग की लपटे सी कुछ दिखाई दीं और उनमें से हर एक के सिर पर आ ठहरीं | वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और उन्होंने अन्य अन्य भाषओं में बोलना शुरू किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-04.jpg) जब लोगों ने यरूशलेम में यह आवाज़ सुनी, तो भीड़ बाहर आ गई यह देखने के लिये कि क्या हो रहा है | क्योंकि हर एक को यही प्रचार सुनाई देता था, कि ये मेरी ही भाषा में परमेश्वर के बड़े बड़े कामों की चर्चा कर रहे है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-05.jpg) लोगों ने चेलों का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि, “वे तो नशे में चूर है |” तब पतरस खड़ा होकर बोला, “मेरी बात सुनो | जैसा तुम समझ रहे हो, यह लोग नशे में नहीं है | परन्तु यह वह बात है जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई थी | परमेश्वर कहता है कि, “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उँडेलूँगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-06.jpg) “हे इस्राएलियो ये बातें सुनो: यीशु नासरी एक मनुष्य था, जिसने परमेश्वर की सामर्थ्य से कई आश्चर्य के कामों और चिन्हों को प्रगट किया, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखाए जिसे तुम आप ही जानते हो | तुम ने अधर्मियों के हाथ उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-07.jpg) “यीशु की मृत्यु हुई परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया, और यह भविष्यद्वाणी की गई थी कि, ‘न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया और न उसकी देह सड़ने पाई |’ इसी यीशु को परमेश्वर ने फिर से जिलाया, जिसके हम सब गवाह है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-08.jpg) “यीशु अब महिमा में पिता परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है | और यीशु ने पवित्र आत्मा को भेजा जैसा उसने वादा किया था | और जो तुम देखते और सुनते हो वह पवित्र आत्मा द्वारा हो रहा है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-09.jpg) “उसी यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ाया, परन्तु परमेश्वर ने उसे प्रभु भी ठहराया और मसीह भी |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-10.jpg) तब जो लोग पतरस की सुन रहे थे उन सब सुनने वालों के ह्रदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, “हे भाइयों हम क्या करें ?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-11.jpg) पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो परमेश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करेगा; तब वह तुम्हें पवित्र आत्मा का दान देगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-12.jpg) लगभग 3000 लोगों ने पतरस कि बात पर विश्वास किया और यीशु के चेले बन गए | और उन्हें बप्तिस्मा दिया गया और वे यरूशलेम की कलीसिया का हिस्सा बन गए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-13.jpg) चेले लगातार प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोड़ने, और प्रार्थना करने में लौलीन रहे | और प्रतिदिन एक मन होकर मंदिर में मिलते थे | और परमेश्वर की स्तुति करते हुए आनन्द करते थे और वे हर वस्तुए एक दुसरे से बाटते थे | हर कोई उनके बारे में अच्छा सोचता था | हर दिन बहुत से लोग विश्वासी बन रहे थे | -_बाइबल की यह कहानी ली गई है : प्रेरितों के काम : 2:1-42_ +_बाइबल की यह कहानी ली गई है : प्रेरितों के काम : 2:1-42_ \ No newline at end of file diff --git a/content/44.md b/content/44.md index 8f119da..21c12c5 100644 --- a/content/44.md +++ b/content/44.md @@ -1,39 +1,39 @@ -# 44. पतरस और यूहन्ना द्वारा एक भिखारी को चंगा करना # +# 44. पतरस और यूहन्ना द्वारा एक भिखारी को चंगा करना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-01.jpg) एक दिन पतरस और यूहन्ना प्रार्थना करने के लिये मन्दिर में जा रहे थे | तब उन्होंने एक लंगड़े भिखारी को देखा जो पैसों के लिए भीख माँग रहा था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-02.jpg) पतरस ने उस लँगड़े भिखारी को देखा और कहा, “तुझे देने के लिये मेरे पास कोई पैसा नहीं है | परन्तु जो मेरे पास है वो मैं तुझे देता हूँ | यीशु मसीह के नाम से उठ और चल |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-03.jpg) तुरन्त, परमेश्वर ने उस लँगड़े व्यक्ति को चंगा किया, तब उसने चलना और चारों ओर कूदना शुरू किया और परमेश्वर की स्तुति करने लगा | मन्दिर में लोग उसे देखकर बहुत चकित हुए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-04.jpg) लोगों की भीड़ उस चंगे हुए भिखारी को देखने के लिये आई | पतरस ने उन्हें कहा कि, “तुम इसे चंगा देख कर इतना चकित क्यों होते हो? हमने इसे अपनी सामर्थ्य या भक्ति से चलने-फिरने योग्य नहीं बनाया है | बल्कि, यह यीशु के सामर्थ्य से और विश्वास उस विश्वास से जो यीशु देता है यह व्यक्ति चंगा हुआ है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-05.jpg) “तुम वही हो जिसने रोमी साम्राज्य से कहा कि यीशु को मार दिया जाए | और तुम ने जीवन के कर्ता को मार डाला, जिसे परमेश्वर ने मरे हुओ में से जिलाया | यधपि तुम्हे नहीं पता था कि क्या करते हो, परन्तु परमेश्वर ने तुम्हारे कामो का इस्तेमाल किया भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा, और मारा जाएँगा | तो अब इसलिये मन फिराओ और परमेश्वर की ओर लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-06.jpg) पतरस और यूहन्ना लोगों से जो कह रहे थे, उससे मन्दिर के सरदार उनसे बहुत परेशान थे | तो उन्होंने उन्हें पकड़कर बंदीगृह में डाल दिया | परन्तु बहुत से लोगों ने पतरस के सन्देश पर विश्वास किया, और जिन्होंने विश्वास किया उनकी गिनती पाँच हजार पुरुषों के लगभग हो गई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-07.jpg) दूसरे दिन ऐसा हुआ कि यहूदी याजक पतरस और यूहन्ना को लेकर महायाजक के पास गए | उन्होंने पतरस और यूहन्ना से पूछा कि, “तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है ?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-08.jpg) तब पतरस ने उन्हें उत्तर दिया, “यीशु मसीह की सामर्थ्य से यह व्यक्ति तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है | तुमने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया, परन्तु परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया | तुमने उसे अस्वीकार किया, पर कोई दूसरा मार्ग नहीं है केवल यीशु के सामर्थ्य के द्वारा ही उद्धार मिल सकता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-09.jpg) जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का साहस देखा, और यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य है , तो आश्चर्य किया | फिर उनको पहचाना कि ये यीशु के साथ रहे है | तब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना को धमकाकर छोड़ दिया | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 3:1-19 ; 4:1-13_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 3:1-19 ; 4:1-13_ \ No newline at end of file diff --git a/content/45.md b/content/45.md index f4553b9..08b9661 100644 --- a/content/45.md +++ b/content/45.md @@ -1,55 +1,55 @@ -# 45. फिलिप्पुस और कूश देश का अधिकारी # +# 45. फिलिप्पुस और कूश देश का अधिकारी -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-01.jpg) आरम्भिक कलीसिया के नेताओं में एक का नाम स्तिफनुस था | वह एक अच्छा प्रतिष्ठित मनुष्य था और पवित्र आत्मा और ज्ञान से भरा था। स्तिफनुस ने बहुत से आश्चर्य कर्म किए थे, और यीशु पर विश्वास करने के विषय पर लोगों को समझाया करता था | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-02.jpg) एक दिन जब स्तिफनुस यीशु के बारे में उपदेश दे रहा था, बहुत से यहूदी जो यीशु पर विश्वास नहीं करते थे, उससे वाद - विवाद करने लगे | इस पर वह बहुत क्रोधित हुए , और स्तिफनुस के बारे में धार्मिक याजकों को झूठ बोला | उन्होंने कहा, “हम ने इसको मूसा और परमेश्वर के विरोध में निन्दा की बातें कहते सुना है |” तब स्तिफनुस को पकड़कर महासभा में ले गए और उसे महायाजक और अन्य यहूदी नेताओं के सामने खड़ा किया गया जहा कई ओर झूठे गवाहों ने स्तिफनुस के बारे में झूठ बोला| -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-03.jpg) -तब महायाजक ने स्तिफनुस से पूछा, “क्या यह सब बातें सच है ?” तब स्तिफनुस ने उन्हें परमेश्वर के कई अद्भुत कामों के बारे में जो उसने अब्राहम के समय से लेकर यीशु के समय तक किया था, और कैसे परमेश्वर कि प्रजा निरंतर उसकी आज्ञा का उल्लंघन करती रही, इन सब घटनाओं के विषय में स्मरण दिलाते हुए उत्तर दिया| फिर उसने कहा, “हे हठीले और परमेश्वर से बलवा करने वालों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो, जैसा तुम्हारे पूर्वजों ने सदैव परमेश्वर का विरोध किया और उसके भविष्यवक्ताओं को मार डाला | परन्तु तुमने उनसे भी अधित कुछ किया है! तुमने मसीह को मार डाला |” +तब महायाजक ने स्तिफनुस से पूछा, “क्या यह सब बातें सच है ?” तब स्तिफनुस ने उन्हें परमेश्वर के कई अद्भुत कामों के बारे में जो उसने अब्राहम के समय से लेकर यीशु के समय तक किया था, और कैसे परमेश्वर कि प्रजा निरंतर उसकी आज्ञा का उल्लंघन करती रही, इन सब घटनाओं के विषय में स्मरण दिलाते हुए उत्तर दिया| फिर उसने कहा, “हे हठीले और परमेश्वर से बलवा करने वालों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो, जैसा तुम्हारे पूर्वजों ने सदैव परमेश्वर का विरोध किया और उसके भविष्यवक्ताओं को मार डाला | परन्तु तुमने उनसे भी अधित कुछ किया है! तुमने मसीह को मार डाला |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-04.jpg) जब धार्मिक नेताओं ने यह सब सुना, तब उन्होंने बड़े शब्द से चिल्लाकर अपने अपने कान बन्द कर लिये| उन्होंने स्तिफनुस को नगर से बाहर निकालकर उसे मार डालने कि इच्छा से उस पर पथराव किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-05.jpg) जब स्तिफनुस मरने पर था, वह प्रार्थना करने लगा कि, “हे प्रभु यीशु मेरी आत्मा को ग्रहण कर |” फिर घुटने टेककर ऊँचे शब्द से पुकारा, “ हे प्रभु यह पाप उन पर मत लगा |” और यह कहकर वह मर गया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-06.jpg) -एक शाऊल नामक जवान, स्तिफनुस के वध में शामिल लोगो से सहमत था और वह उन सब के कपड़ों कि रखवाली कर रहा था जब वे स्तिफनुस पर पथराव कर रहे थे| उसी दिन,कई लोग यरूशलेम में यीशु मसीह पर विश्वास करने वालो पर बड़ा उपद्रव करने लगे, इसलिए विश्वासी अन्य स्थानों में भाग गए | तथापि, जहा कही भी वह गए, हर जगह यीशु मसीह का प्रचार करते रहे| +एक शाऊल नामक जवान, स्तिफनुस के वध में शामिल लोगो से सहमत था और वह उन सब के कपड़ों कि रखवाली कर रहा था जब वे स्तिफनुस पर पथराव कर रहे थे| उसी दिन,कई लोग यरूशलेम में यीशु मसीह पर विश्वास करने वालो पर बड़ा उपद्रव करने लगे, इसलिए विश्वासी अन्य स्थानों में भाग गए | तथापि, जहा कही भी वह गए, हर जगह यीशु मसीह का प्रचार करते रहे| -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-07.jpg) -यीशु का एक चेला जिसका नाम फिलिप्पुस था, वो उन विश्वासियों में से एक था जो सताव के दिनों में यरूशलेम से भागे गए थे | वह सामरिया नगर में गया और वहा लोगों को यीशु के बारे में बताया और बहुत से लोगों बचाए गए | फिर एक दिन, प्रभु के एक स्वर्ग दूत ने फिलिप्पुस से कहा, “उठ रेगिस्तानी मार्ग पर जा |" जब वह मार्ग में चल रहा था, फिलिप्पुस ने कूश देश के एक प्रमुख अधिकारी को देखा जो अपने रथ में था | तब पवित्र आत्मा ने फिलिप्पुस से कहा कि जाकर इस व्यक्ति से बात करे| +यीशु का एक चेला जिसका नाम फिलिप्पुस था, वो उन विश्वासियों में से एक था जो सताव के दिनों में यरूशलेम से भागे गए थे | वह सामरिया नगर में गया और वहा लोगों को यीशु के बारे में बताया और बहुत से लोगों बचाए गए | फिर एक दिन, प्रभु के एक स्वर्ग दूत ने फिलिप्पुस से कहा, “उठ रेगिस्तानी मार्ग पर जा |” जब वह मार्ग में चल रहा था, फिलिप्पुस ने कूश देश के एक प्रमुख अधिकारी को देखा जो अपने रथ में था | तब पवित्र आत्मा ने फिलिप्पुस से कहा कि जाकर इस व्यक्ति से बात करे| -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-08.jpg) जब फिलिप्पुस रथ के पास पंहुचा, उसने कुश देश के अधिकारी को यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक से पढ़ते हुए सुना | वो पढ़ रहा था, “वह भेड़ के समान वध होने को पहुँँचाया गया, और जैसा मेमना अपने ऊन कतरने वालों के सामने चुपचाप रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुँँह न खोला | उसकी दीनता में उसका न्याय नहीं होने पाया | क्योंकि पृथ्वी से उसका प्राण उठा लिया जाता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-09.jpg) फिलिप्पुस ने उससे पूछा, “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है |” उसने उत्तर दिया, “नहीं | जब तक मुझे कोई न समझाए तो में कैसे समझूँ| कृपया मेरे साथ बैठे| क्या यशायाह यह अपने विषय में कहता है या किसी दूसरे के ?” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-10.jpg) फिर फिलिप्पुस ने उसे समझाया कि यशायाह यह यीशु मसीह के बारे में बता रहा है | तब फिलिप्पुस ने अन्य शास्त्रों का भी इस्तेमाल करके उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-11.jpg) -मार्ग में चलते-चलते वे किसी जल की जगह पहुँचे | तब कुश देख के अधिकारी ने कहा कि, “देख ! यहाँ जल है! क्या में बपतिस्मा ले सकता हु?" तब उसने रथ खड़ा करने की आज्ञा दी | +मार्ग में चलते-चलते वे किसी जल की जगह पहुँचे | तब कुश देख के अधिकारी ने कहा कि, “देख ! यहाँ जल है! क्या में बपतिस्मा ले सकता हु?” तब उसने रथ खड़ा करने की आज्ञा दी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-12.jpg) और फिलिप्पुस और खोजा दोनों जल में उत्तर पड़े और फिलिप्पुस ने कुश देश के अधिकारी को बपतिस्मा दिया | जब वे जल में से निकलकर ऊपर आए, तो पवित्र आत्मा फिलिप्पुस को दूसरी जगह उठा ले गया जहा वह लोगो को यीशु के बारे में बताता रहा| -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-13.jpg) और कुश देश का अधिकारी अपने घर कि ओर आनन्द करता हुआ गया क्यूंकि वह यीशु को जान गया था| -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 6:8-8:5; 8: 26 -40_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 6:8-8:5; 8: 26 -40_ \ No newline at end of file diff --git a/content/46.md b/content/46.md index e375f74..82659c2 100644 --- a/content/46.md +++ b/content/46.md @@ -1,43 +1,43 @@ -# 46. पौलुस का विश्वासी बनना # +# 46. पौलुस का विश्वासी बनना -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-01.jpg) शाऊल वह जवान था जिसने स्तिफनुस के वध में शामिल लोगों के कपड़ों कि रखवाली कि थी| वह यीशु पर विश्वासी नही करता था, इसलिए वह विश्वासियों को सताता था | यरूशलेम में वह घर घर जाकर क्या स्त्री, क्या पुरुष वह सबको पकड़कर बंदीगृह में डालता था | महायाजक ने शाउल को यह अनुमति दी की वह दमिश्क शहर में जाकर वहा के मसीहियों को पकड़कर वापस यरूशलेम ले आए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-02.jpg) परन्तु जब वह दमिश्क के निकट पहुँचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी, और वह धरती पर गिर गया| शाउल ने यह शब्द सुना, “हे शाऊल! हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?” उसने पूछा, “हे प्रभु तू कौन है?” यीशु ने उसे उत्तर दिया कि, “मैं यीशु हूँ जिसे तू सताता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-03.jpg) तब शाऊल उठा, परन्तु जब आँखें खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया,और उसके मित्र उसका हाथ पकड़ के दमिश्क में ले गए | शाऊल तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-04.jpg) -दमिश्क में हनन्याह नामक एक चेला था | प्रभु ने उसे कहा कि, “उस घर में जा जहाँ शाऊल नामक व्यक्ति रहता है | अपना हाथ उस पर रखना ताकि वह फिर से दृष्टी पाए |" परन्तु हनन्याह ने कहा, "हे प्रभु मैनें इस मनुष्य के विषय में सुना है कि इसने तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी बुराइयाँ की है |" परन्तु प्रभु ने कहा, "तू चला जा क्योंकि वह तो अन्यजातियों और राजाओं के सामने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है | और मैं उसे बताऊँगा कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुःख उठाना पड़ेगा |” +दमिश्क में हनन्याह नामक एक चेला था | प्रभु ने उसे कहा कि, “उस घर में जा जहाँ शाऊल नामक व्यक्ति रहता है | अपना हाथ उस पर रखना ताकि वह फिर से दृष्टी पाए |” परन्तु हनन्याह ने कहा, “हे प्रभु मैनें इस मनुष्य के विषय में सुना है कि इसने तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी बुराइयाँ की है |” परन्तु प्रभु ने कहा, “तू चला जा क्योंकि वह तो अन्यजातियों और राजाओं के सामने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है | और मैं उसे बताऊँगा कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुःख उठाना पड़ेगा |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-05.jpg) -तब हनन्याह उठकर शाउल के पास गया, अौर उस पर अपना हाथ रखकर कहा, "यीशु, जो उस रास्ते में, तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है कि तू फिर दृृष्टि पाए अौर पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए |" शाउल तुरन्त देखने लगा, और हनन्याह ने उसे बपतिस्मा दिया| फिर शाउल ने भोजन किया और बल पाया | +तब हनन्याह उठकर शाउल के पास गया, अौर उस पर अपना हाथ रखकर कहा, “यीशु, जो उस रास्ते में, तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है कि तू फिर दृृष्टि पाए अौर पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए |” शाउल तुरन्त देखने लगा, और हनन्याह ने उसे बपतिस्मा दिया| फिर शाउल ने भोजन किया और बल पाया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-06.jpg) -तुरन्त ही, शाऊल दमिश्क के यहूदियों से प्रचार करने लगा कि, "यीशु परमेश्वर का पुत्र है!" सब सुनने वाले चकित थे क्यूंकि जो व्यक्ति पहले विश्वासियों को नष्ट करता था वह खुद अब यीशु पर विश्वास करता है! शाउल यहूदियों से तर्क करता था, और इस बात का प्रमाण देता था कि यीशु ही मसीह है | +तुरन्त ही, शाऊल दमिश्क के यहूदियों से प्रचार करने लगा कि, “यीशु परमेश्वर का पुत्र है!” सब सुनने वाले चकित थे क्यूंकि जो व्यक्ति पहले विश्वासियों को नष्ट करता था वह खुद अब यीशु पर विश्वास करता है! शाउल यहूदियों से तर्क करता था, और इस बात का प्रमाण देता था कि यीशु ही मसीह है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-07.jpg) जब बहुत दिन हो गए तो यहूदियों ने मिलकर शाउल को मार डालने का षड्यंंत्र रचा | उन्होंने उसे मारने के लिये रात दिन फाटकों पर लोगो को पहरे पर रखा | परन्तु उनका षड्यंत्र शाऊल को पता चल गया था और रात को उसके मित्रो ने उसे टोकरे में बैठाया, और शहरपनाह पर से लटकाकर उतार दिया | शाउल दमिश्क से बच कर निकल गया और यीशु का प्रचार करना जारी रखा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-08.jpg) यरूशलेम में पहुँचकर शाउल चेलों के साथ मिल जाने का प्रयत्न किया परन्तु सब उससे डरते थे| तब बरनबास ने उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले जाकर उनको बताया कि दमिश्क में इसने कैसे हियाव से यीशु के नाम से प्रचार किया | उसके बाद चेलों ने शाऊल को स्वीकार कर लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-09.jpg) -कुछ लोग जो येरूशलेम में सताव के मारे तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते अन्ताकिया पहुँचे और प्रभु यीशु के सुसमाचार की बातें सुनाने लगे | परन्तु अन्ताकिया में अधिकतर लोग यहूदी नहीं थे, और पहली बार, उनमें से बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे | बरनबास और शाऊल इन नए विश्वासियों को पढ़ाने, यीशु के बारे में बताने और कलीसिया को मजबूत करने के लिये अन्ताकिया आए | और चेलें सब से पहले अन्ताकिया ही में "मसीही" कहलाए | +कुछ लोग जो येरूशलेम में सताव के मारे तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते अन्ताकिया पहुँचे और प्रभु यीशु के सुसमाचार की बातें सुनाने लगे | परन्तु अन्ताकिया में अधिकतर लोग यहूदी नहीं थे, और पहली बार, उनमें से बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे | बरनबास और शाऊल इन नए विश्वासियों को पढ़ाने, यीशु के बारे में बताने और कलीसिया को मजबूत करने के लिये अन्ताकिया आए | और चेलें सब से पहले अन्ताकिया ही में “मसीही” कहलाए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-10.jpg) -एक दिन जब अन्ताकिया की कलीसिया के मसीही उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, "मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैं ने उन्हें बुलाया है |" तब अन्ताकिया की कलीसिया ने शाउल और बरनबास के लिए प्रार्थना करी और उन पर हाथ रखा | फिर कलीसिया ने उन्हें कई अन्य स्थानों में यीशु के बारे में प्रचार करने के लिये भेज दिया | बरनबास और शाउल ने अलग अलग समूह और जाती के लोगों को सिखाया, और कई लोग यीशु पर विश्वास करने लगे| +एक दिन जब अन्ताकिया की कलीसिया के मसीही उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैं ने उन्हें बुलाया है |” तब अन्ताकिया की कलीसिया ने शाउल और बरनबास के लिए प्रार्थना करी और उन पर हाथ रखा | फिर कलीसिया ने उन्हें कई अन्य स्थानों में यीशु के बारे में प्रचार करने के लिये भेज दिया | बरनबास और शाउल ने अलग अलग समूह और जाती के लोगों को सिखाया, और कई लोग यीशु पर विश्वास करने लगे| -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 8:3; 9:1-31; 11:19-26; 13:1-3_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 8:3; 9:1-31; 11:19-26; 13:1-3_ \ No newline at end of file diff --git a/content/47.md b/content/47.md index df3db5f..6389b67 100644 --- a/content/47.md +++ b/content/47.md @@ -1,59 +1,59 @@ -# 47. फिलिप्पी में पौलुस और सीलास # +# 47. फिलिप्पी में पौलुस और सीलास -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-01.jpg) -जैसे शाउल पुरे रोमी साम्राज्य में यात्रा करने लगा, उसने अपने रोमी नाम, "पौलुस" का इस्तेमाल करना शुरू किया| एक दिन पौलुस और उसका मित्र सीलास फिलिप्पी में यीशु का प्रचार करने को गए | वह वहाँँ एक नदी के किनारे गए जहा लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते थे| वहा पर वह लुदिया नामक भक्त स्त्री से मिले जो कि व्यापारी थी | वह बहुत प्रेम के साथ प्रभु की आराधना करती थी | +जैसे शाउल पुरे रोमी साम्राज्य में यात्रा करने लगा, उसने अपने रोमी नाम, “पौलुस” का इस्तेमाल करना शुरू किया| एक दिन पौलुस और उसका मित्र सीलास फिलिप्पी में यीशु का प्रचार करने को गए | वह वहाँँ एक नदी के किनारे गए जहा लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते थे| वहा पर वह लुदिया नामक भक्त स्त्री से मिले जो कि व्यापारी थी | वह बहुत प्रेम के साथ प्रभु की आराधना करती थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-02.jpg) प्रभु ने लुदिया के मन को खोला ताकि वह यीशु के सुसमाचार पर विश्वास करे | उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया | उसने पौलुस और सीलास को अपने घर आने का न्योता दिया, इसलिए वह उसके और उसके परिवार के साथ रहे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-03.jpg) पौलुस और सीलास प्रार्थना के स्थान पर लोगों से अक्सर मिला करते थे | हर दिन जब वह प्रार्थना करने की जगह जाते थे, तो एक दासी उनका पीछा करती थी जिसमें भावी कहने वाली दुष्ट आत्मा थी| इस दुष्ट आत्मा के द्वारा वह दूसरों का भावी बताती थी, जिससे अपने स्वामियों के लिये ज्योतिषी के रूप में बहुत धन कमा लाती थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-04.jpg) वह पौलुस और सीलास के पीछे आकर चिल्लाने लगी, “ ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्वर के दास है | जो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते है |” वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रही जिससे पौलुस परेशान हुआ | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-05.jpg) अत: एक दिन जब वह दासी चिल्लाने लगी, पौलुस ने मुड़कर उस आत्मा से जो उसमे थी कहा, “मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँ कि उसमें से निकल जा |” उसी घड़ी वह दुष्ट आत्मा उसमें से निकल गई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-06.jpg) वह लोग जो उस दासी के स्वामी थे बहुत क्रोधित हुए | उन्हें अनुभव हुआ कि, बिना भावी कहने वाली दुष्ट आत्मा के दासी लोगों को उनका भविष्य नही बता पाएगी | इसका अर्थ अब लोग दासी से अपने भविष्य में होने वाली घटनाओं को जानने के लिए उसके स्वामियों को पैसे नहीं देंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-07.jpg) तो उस दासी के स्वामियों ने पौलुस और सीलास को रोमी अधिकारीयों के सामने ले जाकर खड़ा किया, जिन्होंने उसे मारा और बन्दीगृह में डाल दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-08.jpg) उन्होंने पौलुस और सीलास को बंदीगृह के सबसे सुरक्षित क्षेत्र में रखा था और यहां तक कि उनके पैरों को भी बांध रखा था| फिर भी आधी रात को पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-09.jpg) इतने में एकाएक बड़ा भूकम्प आया! यहाँ तक कि बन्दीगृह की नींव हिल गई, और तुरन्त सब द्वार खुल गए, और सब कैदियों के बन्धन खुल पड़े | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-10.jpg) दारोगा जाग उठा, और बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर बहुत डर गया! उसने समझा कि कैदी भाग गए है और उसने तलवार निकालकर अपने आप को मार डालना चाहा | (क्योंकि वह जानता था कि अगर कैदी भाग गए तो रोमी साम्राज्य के अधिकारी उसे मार देंगे |) परन्तु पौलुस ने उसे रोका और कहा कि, “अपने आप को कुछ हानि न पहुँचा | क्योंकि हम सब यहीं हैं |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-11.jpg) -दारोगा घबरा गया और पौलुस और सीलास के पास आकर पूछा, “हे सज्जनों उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूँ ?” पौलुस ने उत्तर दिया, "यीशु, जो मालिक है, उसपर विश्वास करो तो तुम और तुमारा परिवार उद्धार पाएगा|" फिर दारोगा पौलुस और सीलास को अपने घर ले गया जहा उसने उनके घावों को धोया| +दारोगा घबरा गया और पौलुस और सीलास के पास आकर पूछा, “हे सज्जनों उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूँ ?” पौलुस ने उत्तर दिया, “यीशु, जो मालिक है, उसपर विश्वास करो तो तुम और तुमारा परिवार उद्धार पाएगा|” फिर दारोगा पौलुस और सीलास को अपने घर ले गया जहा उसने उनके घावों को धोया| -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-12.jpg) पौलुस ने उत्तर दिया कि, “प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर तो तू और तेरा घराना भी उद्धार पाएगा |” तब पौलुस ने उसे और उसके घराने के सब लोगों को बपतिस्मा दिया | और सबने परमेश्वर पर विश्वास करके आनन्द किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-13.jpg) जब दिन हुआ तो सिपाहियों ने पौलुस और सीलास को छोड़ दिया और उन्हें आज्ञा दी कि फिलिप्पी छोड़ दे | पौलुस और सीलास निकलकर लुदिया के यहाँ गए और फिर शहर छोड़ दिया | यीशु के सुसमाचार को वह प्रचार करते गए और कलीसिया विकास करती गई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-14.jpg) पौलुस और अन्य मसीही अगुवों ने अनेक शहरों में यीशु का प्रचार किया और लोगों को परमेश्वर के वचन की शिक्षा दी | उन्होंने खतो के द्वारा भी यीशु का प्रचार किया और लोगों को उत्साहित किया | और उन खतों को नया नियम कहा जाता है | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 16 : 11-40_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : प्रेरितों के काम 16 : 11-40_ \ No newline at end of file diff --git a/content/48.md b/content/48.md index 70ff40d..4169866 100644 --- a/content/48.md +++ b/content/48.md @@ -1,59 +1,59 @@ -# 48. यीशु ही सच्चा मसीहा है # +# 48. यीशु ही सच्चा मसीहा है -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-01.jpg) परमेश्वर ने जब संसार की सृष्टि की , तो सब कुछ एकदम सही था। संसार में कोई पाप नहीं था | आदम और हव्वा एक-दूसरे से वा परमेश्वर से प्रेम करते थे | पृथ्वी पर कोई बीमारी व मृत्यु नहीं थी | एक ऐसी सृष्टि का निर्माण जैसी परमेश्वर चाहता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-02.jpg) शैतान ने हव्वा को धोखा देने के लिए वाटिका में साँप के माध्यम से बात की | फिर आदम और हव्वा ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया। क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया, इसलिये पृथ्वी पर लोग बीमारी से पीड़ित हुए व मृत्यु हुई | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-03.jpg) क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया, और इससे भी ज्यादा भयानक हुआ कि वे परमेश्वर के शत्रु बन गए इसका परिणाम यह हुआ कि, अब हर व्यक्ति एक पापी स्वभाव के साथ पैदा होता है और वह परमेश्वर का विरोधी बन जाता है | परमेश्वर और लोगों के बीच का रिश्ता पाप के कारण टूट गया था | परन्तु परमेश्वर के पास इस रिश्ते को वापस बनाने के लिए एक योजना थी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-04.jpg) परमेश्वर ने वादा किया कि हव्वा का ही एक वंशज शैतान का सिर कुचलेगा, और शैतान उसकी एड़ी को डसेगा | इसका अर्थ यह हुआ कि, शैतान मसीह को मार देगा, पर परमेश्वर उसे तीसरे दिन फिर जीवित कर देगा | यीशु शैतान की शक्ति को हमेशा के लिए नाश कर देगा | कई साल बाद, परमेश्वर ने यह प्रकट किया कि यीशु ही मसीह है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-05.jpg) जब परमेश्वर ने बाढ़ के द्वारा सारी पृथ्वी को नष्ट कर दिया , नाव द्वारा उन लोगों को बचाया जो परमेश्वर पर विश्वास करते है | इसी तरह, हर कोई पाप के कारण नष्ट होने योग्य है, परन्तु परमेश्वर ने यीशु पर विश्वास करने वालों के लिए उद्धार का एक मार्ग रखा है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-06.jpg) कई सौ सालों तक, याजको ने लोगों के लिए निरंतर परमेश्वर को बलिदान चढ़ाये; उन्हें उनके पापों के कारण मिलने वाले दण्ड को दर्शाने के लिए | परन्तु वह बलिदान उनके नहीं हटा सके | यीशु सबसे महान पुरोहित है | दूसरे याजकों से भिन्न, उसने अपने आप को उस एकलौते बलिदान के रूप में अर्पण किया जो संसार के सभी मनुष्य के पाप को हटा सकती है | यीशु सबसे उत्तम महान पुरोहित है क्योंकि उसने सभी मनुष्यों के सभी पापों का दण्ड, जो उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी किया हो, अपने ऊपर ले लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-07.jpg) परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, “पृथ्वी के सभी लोगों का समूह तेरे कारण आशीष पाएगा |” यीशु अब्राहम के वंश का था | सभी लोगों का समूह यीशु के कारण आशीषित हुआ, क्योंकि हर कोई जिसने यीशु पर विश्वास किया अपने पापों से छुटकारा पाया, और अब्राहम का एक आत्मिक वंशज बना | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-08.jpg) जब परमेश्वर ने अब्राहम से उसके पुत्र इसहाक को बलिदान करने को कहा, तब परमेश्वर ने इसहाक के जगह पर अब्राहम को बलिदान चढ़ाने के लिए एक भेड़ का बच्चा प्रदान किया | हम सब मनुष्य अपने पापों के कारण मृत्यु के योग्य है | परन्तु परमेश्वर ने यीशु को भेजा, परमेश्वर का मेम्ना, कि वह हमारे स्थान पर अपने आप को बलिदान करे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-09.jpg) जब परमेश्वर ने मिस्र पर अंतिम महामारी भेजी, उसने हर इस्राएली परिवार से कहा कि वह एक सिद्ध मेम्ने का बलिदान दे और उसका लहू अपने द्वार के ऊपर व चारों ओर उंडेले | जब परमेश्वर ने लहू को देखा तो वह उनके घरों के पास से गुजर गया और उसने उनके जेठे पुत्रों का वध नहीं किया | इस घटना को फसह कहा जाता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-10.jpg) यीशु हमारा फसह का मेम्ना है | वह सिद्ध और निष्पाप था, और फसह के उत्सव के दिन मारा गया था | जब कोई यीशु पर विश्वास करता है, यीशु का लहू उस व्यक्ति के सब पापों की कीमत चुका देता है, और परमेश्वर का दण्ड उस व्यक्ति के ऊपर से हट जाता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-11.jpg) परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों के साथ, जो इस्राएली थे, एक वाचा बाँँधी। परन्तु परमेश्वर ने एक नई वाचा बनाई जो हर एक के लिए उपलब्ध है | क्योंकि इस नई वाचा के जरिये किसी भी जाती का कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के चुने हुए लोगों में यीशु पर विश्वास करने के द्वारा शामिल हो सकता है। -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-12.jpg) मूसा एक बहुत बड़ा भविष्यद्वक्ता था जिसने परमेश्वर के वचन की घोषणा की थी | परन्तु यीशु मसीह सभी भविष्यद्वक्तों में सबसे बड़ा है | वह परमेश्वर है, तो जो कुछ भी उसने कहा और किया वे परमेश्वर के कार्य और शब्द थे | इसलिये यीशु को परमेश्वर का वचन कहा गया है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-13.jpg) परमेश्वर ने राजा दाऊद को वायदा किया था कि उसका एक वंशज परमेश्वर के लोगों पर सदा राज्य करता रहेगा | क्योंकि यीशु परमेश्वर का पुत्र है और मसीह है, वह दाऊद का वह विशेष वंशज है जो हमेशा राज्य कर सकता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-14.jpg) दाऊद इस्राएल का राजा था, लेकिन यीशु पूरे ब्रह्मांड का राजा है! वह फिर से आएगा, और अपने राज्य पर न्याय और शांति के साथ हमेशा राज्य करेगा | -_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : उत्पति 1-3, 6 , 14, 22 ; निर्गमन 12 , 20 ; 2 शमूएल 7; इब्रानियों 3: 1-6, 4: 14 - 5 :10 , 7 :1-8 :13, 9 :11- 10 :18, प्रकाशितवाक्य 21_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गई है : उत्पति 1-3, 6 , 14, 22 ; निर्गमन 12 , 20 ; 2 शमूएल 7; इब्रानियों 3: 1-6, 4: 14 - 5 :10 , 7 :1-8 :13, 9 :11- 10 :18, प्रकाशितवाक्य 21_ \ No newline at end of file diff --git a/content/49.md b/content/49.md index e60095e..ba17db6 100644 --- a/content/49.md +++ b/content/49.md @@ -1,75 +1,75 @@ -# 49. परमेश्वर की नई वाचा # +# 49. परमेश्वर की नई वाचा -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-01.jpg) एक दूत ने मरियम नाम की एक कुंवारी से कहा कि वह परमेश्वर के पुत्र को जन्म देगी | अतः जबकि वह एक कुँवारी ही थी, तो उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम यीशु रखा | इसलिये यीशु मनुष्य और परमेश्वर दोनों है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-02.jpg) यीशु बहुत से आश्चर्यकर्म किये जो यह सिद्ध करते हैं कि वह परमेश्वर है | वह पानी पर चला, तूफान को शांत किया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, दुष्टात्माओं को निकाला, मुर्दों को जीवित किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने भोजन में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए काफी हो | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-03.jpg) यीशु एक महान शिक्षक भी था, और वह अधिकार के साथ बोलता था क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र है | उसने सिखाया कि तुम्हें दूसरे लोगों को उसी तरह प्रेम करना है जैसे कि आप स्वयं से प्रेम करते हैं | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-04.jpg) उसने यह भी सिखाया कि तुम्हें किसी भी चीज़, अपनी सम्पत्ति से भी ज्यादा परमेश्वर को प्रेम करना चाहिए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-05.jpg) यीशु ने कहा कि परमेश्वर का राज्य इस संसार की सारी वस्तुओं से कहीं अधिक मूल्यवान है | परमेश्वर के राज्य से सम्बन्ध रखना किसी व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है | परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए, आपको अपने पापों से उद्धार पाया हुआ होना चाहिए | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-06.jpg) यीशु ने कहा कि कुछ लोग उसे ग्रहण करेंगे और उद्धार पाएँगे, लेकिन बहुत से लोग ऐसा नहीं करेंगे | उसने कहा कि कुछ लोग अच्छी मिट्टी की तरह होते हैं | वे यीशु का सुसमाचार ग्रहण करते हैं और उद्धार पाते हैं | अन्य लोग मार्ग की कठोर मिट्टी की तरह हैं, जहाँ परमेश्वर के वचन का बीज प्रवेश नहीं करता है और कुछ फसल भी उत्पन्न नहीं करता है | ऐसे लोग यीशु के सन्देश का तिरस्कार करते हैं और वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-07.jpg) यीशु ने सिखाया कि परमेश्वर पापियों को बहुत प्रेम करता है | वह उन्हें माफ़ करना चाहता है और उन्हें अपनी संतान बनाना चाहता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-08.jpg) यीशु ने हमसे यह भी कहा कि परमेश्वर पाप से नफरत करता है | जब आदम और हव्वा ने पाप किया तो इसने उनकी सारी संतानों को प्रभावित किया | इसका नतीजा यह है, कि संसार का हर मनुष्य पाप करता है और परमेश्वर से दूर है | इसलिये, हर कोई परमेश्वर का शत्रु बन गया है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-09.jpg) लेकिन परमेश्वर ने जगत के हर मनुष्य से इतना अधिक प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे उसे उसके पापों का दण्ड नहीं मिलेगा, परन्तु हमेशा परमेश्वर के साथ रहेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-10.jpg) अपने ही पापों के कारण, तुम अपराधी हो और मृत्यु के योग्य हो | परमेश्वर को तुमसे क्रोधित होना चाहिए, लेकिन उसने अपना क्रोध आपकी बजाय यीशु पर उंडेल दिया | जब यीशु क्रूस पर मरे, उन्होंने तुम्हारा दण्ड अपने ऊपर ले लिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-11.jpg) यीशु ने कभी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन फिर भी उसने सजा उठाने और मारे जाने को चुना ताकि एक सिद्ध बलिदान के रूप में आपके तथा संसार के हर मनुष्य के पापों को उठा ले जा सके | क्योंकि यीशु ने स्वयं का बलिदान दिया, इसलिये परमेश्वर किसी भी पाप को क्षमा कर सकता है, यहाँ तक कि भयानक पापों को भी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-12.jpg) अच्छे कार्य तुम्हें बचा नहीं सकते | कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे आप परमेश्वर के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए कर सकें | सिर्फ यीशु ही तुम्हारे अपराधों को धो सकता है | तुम्हें विश्वास करना होगा कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, कि वह तुम्हारी जगह क्रूस पर बलिदान हुआ, और यह कि परमेश्वर ने उसे फिर मुर्दों में से जीवित कर दिया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-13.jpg) जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता और उसे प्रभु के रूप में स्वीकार करता है परमेश्वर उसे बचाएगा | परन्तु जो उसमें विश्वास नहीं करता है ऐसे किसी व्यक्ति को वह नहीं बचाएगा | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अमीर हो या गरीब, आदमी या औरत, बूढ़े या जवान, या तुम कहाँ के रहने वाले हो | परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है और चाहता है कि तुम यीशु पर विश्वास करो ताकि वह तुमसे एक निकट सम्बन्ध स्थापित रख सके | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-14.jpg) यीशु तुम्हें उस पर विश्वास करने और बपतिस्मा लेने के लिए आमंत्रित करता है | क्या तुम यह विश्वास करते हो कि यीशु ही मसीह है, और परमेश्वर का एकलौता पुत्र है? क्या तुम यह विश्वास करते हो कि तुम एक पापी हो, और परमेश्वर की सजा के पात्र हो? क्या तुम यह विश्वास करते हो कि यीशु तुम्हारे पापों को उठा ले जाने के लिए क्रूस पर मारा गया? -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-15.jpg) यदि तुम यीशु पर और जो कुछ उसने आपके लिए किया उस पर विश्वास करते हो, तो आप एक मसीही हो! परमेश्वर ने तुम्हें शैतान के राज्य के अंधकार से बाहर निकला और तुम्हें परमेश्वर के ज्योतिमय राज्य में रखा है | परमेश्वर ने तुम्हारे काम करने के पुराने तरीके को लय और तुम्हें काम करने का नया और धार्मिक तरीका प्रदान किया है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-16.jpg) यदि तुम एक मसीही हो, तो जो कुछ यीशु ने किया उसके कारण परमेश्वर ने तुम्हारे पाप माफ़ कर दिए हैं | अब, परमेश्वर तुम्हें शत्रु नहीं बल्कि अपना एक गहरा मित्र समझता है | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-17.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-17.jpg) यदि तुम परमेश्वर के मित्र हो और स्वामी यीशु के सेवक हो, तो यीशु जो कुछ सिखाएगा तुम उसका पालन करना चाहोगे | यद्यपि आप एक मसीही हैं, फिर भी आप पाप करने की परीक्षा में पड़ोगे | परन्तु परमेश्वर विश्वासयोग्य है और यह कहता है कि यदि तुम अपने पापों को मान लो, तो वह तुम्हें क्षमा करेगा | वह पाप के विरुद्ध युद्ध करने के लिए तुम्हें सामर्थ देगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-18.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-18.jpg) परमेश्वर कहता है कि हम प्रार्थना करें, उसका वचन पढ़ें, अन्य मसीही लोगों के साथ उसकी आराधना करें, और जो उसने हमारे लिए किया है वह दूसरों को बताएँ | ये सब बातें परमेश्वर के साथ एक गहरा रिश्ता रखने में आपकी मदद करते हैं | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : रोमियों 3 : 21-26 , 5 : 1-11 , यूहन्ना 3; 16 , मरकुस 16 ; 16 ,कुलुस्सियों 1 : 13-14 ;2 कुरिन्थियों 5 : 17-21 ; यूहन्ना 1 : 5-10_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : रोमियों 3 : 21-26 , 5 : 1-11 , यूहन्ना 3; 16 , मरकुस 16 ; 16 ,कुलुस्सियों 1 : 13-14 ;2 कुरिन्थियों 5 : 17-21 ; यूहन्ना 1 : 5-10_ \ No newline at end of file diff --git a/content/50.md b/content/50.md index f3a0e15..41c3d51 100644 --- a/content/50.md +++ b/content/50.md @@ -1,71 +1,71 @@ -# 50. यीशु का पुनरागमन # +# 50. यीशु का पुनरागमन -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-01.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-01.jpg) लगभग 2,000 से अधिक वर्षों से, संसार भर में अधिक से अधिक लोग यीशु मसीह के सुसमाचार को सुन रहे हैं | कलीसिया बढ़ रही है | यीशु ने वादा किया कि संसार के अंत में वह वापस आएगा | यद्यपि वह अभी तक वापस नहीं आया है, लेकिन वह अपना वादा पूरा करेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-02.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-02.jpg) -जबकि हम यीशु के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, तो परमेश्वर चाहता है कि हम ऐसा जीवन जियें जो पवित्र हो तथा उसे आदर देता हो | वह यह भी चाहता है कि हम दूसरों को भी उसके राज्य के बारे में बताएँ | जब यीशु पृथ्वी पर रहता था तो उसने कहा, "मेरे चेले दुनिया में हर जगह लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में शुभ समाचार का प्रचार करेंगे, और फिर अन्त आ जाएगा।" +जबकि हम यीशु के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, तो परमेश्वर चाहता है कि हम ऐसा जीवन जियें जो पवित्र हो तथा उसे आदर देता हो | वह यह भी चाहता है कि हम दूसरों को भी उसके राज्य के बारे में बताएँ | जब यीशु पृथ्वी पर रहता था तो उसने कहा, “मेरे चेले दुनिया में हर जगह लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में शुभ समाचार का प्रचार करेंगे, और फिर अन्त आ जाएगा।” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-03.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-03.jpg) -बहुत से जनसमूहों ने अभी तक यीशु के बारे में नहीं सुना है | स्वर्ग में वापस जाने से पहले, यीशु ने मसीहों से कहा कि वे उन लोगों को शुभ समाचार सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना | उसने कहा, “जाओ और सारे जनसमूह के लोगों को चेला बनाओ!” और, "खेत कटनी के लिए पके खड़े हैं!" +बहुत से जनसमूहों ने अभी तक यीशु के बारे में नहीं सुना है | स्वर्ग में वापस जाने से पहले, यीशु ने मसीहों से कहा कि वे उन लोगों को शुभ समाचार सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना | उसने कहा, “जाओ और सारे जनसमूह के लोगों को चेला बनाओ!” और, “खेत कटनी के लिए पके खड़े हैं!” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-04.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-04.jpg) यीशु ने यह भी कहा, “एक सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता | ठीक जैसे इस संसार के लोगों ने मुझ से बैर किया, इसी तरह वे तुम्हें भी मेरे कारण सताएँगे और मार डालेंगे | यद्यपि इस संसार में तुम्हें दुःख भोगना पड़ेगा, लेकिन हिम्मत रखो मैंने शैतान को जो इस संसार पर शासन करता है उसे पराजित कर दिया है | यदि तुम अन्त तक मेरे प्रति वफादार रहोगे, तो परमेश्वर तुम्हें बचाएगा!” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-05.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-05.jpg) जब जगत का अंत होगा तो लोगों के साथ क्या होगा उसके बारे में यीशु ने अपने चेलों को एक कहानी सुनाई | उसने कहा, “एक मनुष्य ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया | पर जब वह सो रहा था, तो उसका शत्रु आकर गेहूँँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-06.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-06.jpg) “जब अंकुर निकले, तो उस मनुष्य के सेवकों ने कहा, ‘स्वामी, आपने उस खेत में अच्छे बीज बोये थे | तो फिर इसमें जंगली दाने कहाँ से आ गये?’ स्वामी ने उत्तर दिया, ‘किसी शत्रु ने इन्हें बोया होगा |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-07.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-07.jpg) -“दासों ने स्वामी को उत्तर दिया, ‘क्या हम जाकर जंगली पौधे उखाड़ दें?’ स्वामी ने कहा, ‘नहीं' | अगर तुम ऐसा करोगे, तो तुम कुछ गेहूँ को भी उखाड़ दोगे | कटनी तक इन्तजार करो और फिर जंगली पौधों को इकठ्ठा कर जलाने के लिए एक ढेर लगा देना, लेकिन गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करना |’” +“दासों ने स्वामी को उत्तर दिया, ‘क्या हम जाकर जंगली पौधे उखाड़ दें?’ स्वामी ने कहा, ‘नहीं’ | अगर तुम ऐसा करोगे, तो तुम कुछ गेहूँ को भी उखाड़ दोगे | कटनी तक इन्तजार करो और फिर जंगली पौधों को इकठ्ठा कर जलाने के लिए एक ढेर लगा देना, लेकिन गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करना |’” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-08.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-08.jpg) चेले कहानी का अर्थ नहीं समझ पाए , इसलिए उन्होंने यीशु से इसे समझाने की विनती की |” यीशु ने कहा कि, “जिस व्यक्ति ने अच्छा बीज बोया वो मसीह का प्रतिनिधित्व करता है | खेत संसार का प्रतिनिधित्व करता है | और अच्छा बीज परमेश्वर के राज्य के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-09.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-09.jpg) “जंगली दाने उन मनुष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो दुष्ट से सम्बंधित हैं | जिस शत्रु ने जंगली बीज बोये वह शैतान का प्रतिनिधित्व करता है | कटनी संसार के अंत का प्रतिनिधित्व करती है, और फसल काटने वाले परमेश्वर के दूतों का प्रतिनिधित्व करते हैं |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-10.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-10.jpg) “जब संसार का अंत होगा, तो जो लोग शैतान के हैं उन सभी लोगों को स्वर्गदूत एक साथ इकठ्ठा करेंगे और उन्हें एक धधकती आग में डाल देंगे, जहाँ वे भयंकर पीड़ा के कारण रोएँगे और अपने दाँँत पीसेंगे | तब धर्मी लोग अपने पिता परमेश्वर के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे |” -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-11.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-11.jpg) यीशु ने यह भी कहा कि वह संसार के अन्त से ठीक पहले पृथ्वी पर वापस आएगा | वह उसी तरह वापस आएगा जिस तरह वह यहाँ से गया था, अर्थात, उसका एक भौतिक शरीर होगा और वह आकाश में बादलों पर वापस आएगा | जब यीशु वापस आएगा, तो हर मसीही जो मरा है वह मृतकों में से जी उठेगा और उससे आकाश में मिलेगा | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-12.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-12.jpg) तब जो मसीही उस समय जीवित होंगे वे आकाश में ऊपर उठेंगे और जो मृतकों में से जी उठे हैं उन मसीही लोगों के साथ ये भी मिल जाएँगे | वे सब वहाँ यीशु के साथ होंगे | उसके बाद, यीशु पूर्ण शान्ति और एकता में अपने लोगों के साथ हमेशा रहेगा । -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-13.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-13.jpg) यीशु ने वादा किया है कि हर वह व्यक्ति जिसने उस पर विश्वास किया है, उसे जीवन का मुकुट मिलेगा | वे हमेशा पूर्ण शान्ति में परमेश्वर के साथ रहेंगे और राज्य करेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-14.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-14.jpg) परन्तु जो यीशु पर विश्वास नहीं करेंगे परमेश्वर उनमें से हर एक का न्याय करेंगे | वह उन्हें नरक में फेंक देगा, जहाँ वे वेदना में सदा रोएँगे और दाँँत पीसेंगे | वह आग जो कभी नही बुझती उन्हें हमेशा जलाती रहेगी और कीड़े उन्हें हमेशा खाते रहेंगे | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-15.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-15.jpg) जब यीशु वापस आएगा तो वह शैतान और उसके राज्य को सर्वदा के लिये नष्ट कर देगा | वह शैतान को नरक में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानने की बजाय उसकी बात मानने का चुनाव किया | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-16.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-16.jpg) क्योंकि आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा का उलंघन किया और इस दुनिया में पाप को लाए, इसलिये परमेश्वर ने इसे श्राप दिया और इसे नष्ट करने का निर्णय किया | लेकिन एक दिन परमेश्वर एक नया आकाश और एक नई पृथ्वी की रचना करेगा जो सिद्ध होगी | -![Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-17.jpg?direct&) +![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-17.jpg) यीशु और उसके लोग नई पृथ्वी पर रहेंगे, और यहाँ जो कुछ भी पाया जाता है उसपर हमेशा राज्य करेंगे | वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई दुख, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मृत्यु नहीं होगी | यीशु अपने राज्य पर शान्ति व न्याय के साथ शासन करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा | -_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 24: 14 ; 28: 18 ; यूहन्ना 15:20, 16: 33 ; प्रकाशितवाक्य 2: 10 ; मती 13 : 24-30 ; 36-42, थिस्सलुनीकियो 4 : 13-5 : 11; याकूब 1: 12 ; मती 22: 13 ’ प्रकाशितवाक्य 20: 10 , 21 : 1-22 ; 21_ +_बाइबिल की यह कहानी ली गयी है : मती 24: 14 ; 28: 18 ; यूहन्ना 15:20, 16: 33 ; प्रकाशितवाक्य 2: 10 ; मती 13 : 24-30 ; 36-42, थिस्सलुनीकियो 4 : 13-5 : 11; याकूब 1: 12 ; मती 22: 13 ’ प्रकाशितवाक्य 20: 10 , 21 : 1-22 ; 21_ \ No newline at end of file diff --git a/content/_back/back-matter.md b/content/back/intro.md similarity index 100% rename from content/_back/back-matter.md rename to content/back/intro.md diff --git a/content/_front/front-matter.md b/content/front/intro.md similarity index 100% rename from content/_front/front-matter.md rename to content/front/intro.md diff --git a/content/front/title.md b/content/front/title.md new file mode 100644 index 0000000..82e2d31 --- /dev/null +++ b/content/front/title.md @@ -0,0 +1 @@ +OPEN BIBLE STORIES \ No newline at end of file diff --git a/manifest.yaml b/manifest.yaml new file mode 100644 index 0000000..51f254b --- /dev/null +++ b/manifest.yaml @@ -0,0 +1,42 @@ +dublin_core: + type: book + conformsto: rc0.2 + format: text/markdown + identifier: obs + title: 'OPEN BIBLE STORIES' + subject: 'Bible stories' + description: 'unfoldingWord | OPEN BIBLE STORIES' + language: + identifier: hi + title: 'हिन्दी, हिंदी' + direction: ltr + source: + - + identifier: obs + language: en + version: 3.2.1 + rights: 'CC BY-SA 4.0' + creator: 'Distant Shores 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