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\v 20 तब वे उसे उसके पास ले आए। और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा, और वह भूमि पर गिरा, और मुँह से झाग बहाते हुए लोटने लगा। \v 21 उसने उसके पिता से पूछा, “इसकी यह दशा कब से है?” और उसने कहा, “बचपन से। \v 22 उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हम पर उपकार कर।”