From d5237008d318e3491b138013ff67b195aed0b5fa Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 19 Nov 2024 13:01:35 +0530 Subject: [PATCH] Tue Nov 19 2024 13:01:34 GMT+0530 (India Standard Time) --- 10/17.txt | 2 +- 10/20.txt | 1 + manifest.json | 3 ++- 3 files changed, 4 insertions(+), 2 deletions(-) create mode 100644 10/20.txt diff --git a/10/17.txt b/10/17.txt index 3db0039..2e1e454 100644 --- a/10/17.txt +++ b/10/17.txt @@ -1 +1 @@ -\v 17 \v 18 \v 19 17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?” 18 यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात् परमेश्‍वर। 19 तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना*, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।’ (निर्ग. 20:12-16, रोम. 13:9) \ No newline at end of file +\v 17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?” \v 18 यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात् परमेश्‍वर। \v 19 तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना*, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।’ (निर्ग. 20:12-16, रोम. 13:9) \ No newline at end of file diff --git a/10/20.txt b/10/20.txt new file mode 100644 index 0000000..eeabfc5 --- /dev/null +++ b/10/20.txt @@ -0,0 +1 @@ +20 उसने उससे कहा, “हे गुरु, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूँ।” 21 यीशु ने उस पर दृष्टि करके उससे प्रेम किया, और उससे कहा, “तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेचकर गरीबों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।” 22 इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index cbc9d89..e2953b1 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -205,6 +205,7 @@ "10-07", "10-10", "10-13", - "10-15" + "10-15", + "10-17" ] } \ No newline at end of file