From 6ddc4136f8e06cd9c381740bf3943d2a9d137c0c Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Wed, 13 Nov 2024 15:56:25 +0530 Subject: [PATCH] Wed Nov 13 2024 15:56:25 GMT+0530 (India Standard Time) --- 01/32.txt | 2 +- 01/35.txt | 1 + manifest.json | 3 ++- 3 files changed, 4 insertions(+), 2 deletions(-) create mode 100644 01/35.txt diff --git a/01/32.txt b/01/32.txt index 7e14e60..a598f44 100644 --- a/01/32.txt +++ b/01/32.txt @@ -1 +1 @@ -\v 32 \v 33 \v 34 32 संध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें, जिनमें दुष्टात्माएँ थीं, उसके पास लाए। 33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। 34 और उसने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुःखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला; और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं। \ No newline at end of file +\v 32 संध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें, जिनमें दुष्टात्माएँ थीं, उसके पास लाए। \v 33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। \v 34 और उसने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुःखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला; और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं। \ No newline at end of file diff --git a/01/35.txt b/01/35.txt new file mode 100644 index 0000000..41dd8c6 --- /dev/null +++ b/01/35.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 35 \v 36 \v 37 35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा। 36 तब शमौन और उसके साथी उसकी खोज में गए। \v 37 जब वह मिला, तो उससे कहा; “सब लोग तुझे ढूँढ़ रहे हैं।” \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 5120128..db2a1ae 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -49,6 +49,7 @@ "01-21", "01-23", "01-27", - "01-29" + "01-29", + "01-32" ] } \ No newline at end of file