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\v 5 \v 6 5  यद्यपि तुम सब बात एक बार जान चुके हो, तो भी मैं तुम्हें इस बात की सुधि दिलाना चाहता हूँ, कि प्रभु ने अपने लोगों को मिस्र देश से छुड़ाने के बाद, विश्वास न करनेवालों को नाश कर दिया। (इब्रा. 3:16-19, गिन. 14:22-23,30) 6  और जिन स्वर्गदूतों ने अपने अधिकार के पद को स्थिर न रखा वरन् अपने उचित निवासस्थान को छोड़ दिया, उसने उनको भी न्याय के उस बड़े दिन के लिये अंधकार में अनन्त जंजीरों में रखा है ।
\v 5 यद्यपि तुम सब बात एक बार जान चुके हो, तो भी मैं तुम्हें इस बात की सुधि दिलाना चाहता हूँ, कि प्रभु ने अपने लोगों को मिस्र देश से छुड़ाने के बाद, विश्वास न करनेवालों को नाश कर दिया। (इब्रा. 3:16-19, गिन. 14:22-23,30) \v 6 और जिन स्वर्गदूतों ने अपने अधिकार के पद को स्थिर न रखा वरन् अपने उचित निवासस्थान को छोड़ दिया, उसने उनको भी न्याय के उस बड़े दिन के लिये अंधकार में अनन्त जंजीरों में रखा है ।

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\v 7 \v 8 7  जिस रीति से सदोम और अमोरा और उनके आस-पास के नगर, जो इनके समान व्यभिचारी हो गए थे और पराये शरीर के पीछे लग गए थे आग के अनन्त दण्ड में पड़कर दूसरों के लिए उदाहरण/ दृष्टान्त ठहरे हैं। (उत्प. 19:4-25, व्य. 29:23, 2 पत. 2:6) 8  उसी रीति से ये
स्वप्न देखने वाले भी अपने-अपने शरीर को अशुद्ध करते*, और अधिकार को तुच्छ जानते हैं; और ऊँचे पदवालों को बुरा-भला कहते हैं।

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