\v 4 क्या तुम ने इतना दुःख व्यर्थ उठाया- यदि वास्तव में वह सचमे व्यर्थ था? \v 5 इसलिए जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ्य के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?