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\v 9 \v 10 थोड़ा सा ख़मीर सारे गुँधे हुए आटे को ख़मीर कर डालता है। मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूँ, कि तुम्हारा कोई दूसरा विचार न होगा; परन्तु जो तुम्हें परेशान करता देता है, वह कोई क्यों न हो दण्ड पाएगा।
\v 9 थोड़ा सा ख़मीर सारे गुँधे हुए आटे को ख़मीर कर डालता है। \v 10 मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूँ, कि तुम्हारा कोई दूसरा विचार न होगा; परन्तु जो तुम्हें परेशान करता देता है, वह कोई क्यों न हो दण्ड पाएगा।

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05/11.txt Normal file
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\v 11 हे भाइयों, यदि मैं अब तक खतना का प्रचार करता हूँ, तो क्यों अब तक सताया जाता हूँ? फिर तो क्रूस की ठोकर जाती रही। \v 12 भला होता, कि जो तुम्हें डाँवाडोल करते हैं, वे अपना अंग ही काट डालते!

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05/13.txt Normal file
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\v 13 हे भाइयों, तुम स्वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो; परन्तु ऐसा न हो, कि यह स्वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन् प्रेम से एक दूसरे के दास बनो। \v 14 क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” \v 15 पर यदि तुम एक दूसरे को दाँत से काटते और फाड़ खाते हो, तो चौकस रहो, कि एक दूसरे का सत्यानाश न कर दो।

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05/16.txt Normal file
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\v 16 पर मैं कहता हूँ: आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। \v 17 क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है; और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिए कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। \v 18 और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के अधीन न रहे।

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