Wed Nov 06 2024 21:51:44 GMT+0530 (India Standard Time)
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28 इसी प्रकार उचित है, कि पति अपनी-अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे, जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है। 29 क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन् उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है। 30 इसलिए कि हम उसके शरीर, उसके मांस और उसकी हड्डियों के अंग हैं।
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\v 28 \v 29 \v 30 28 इसी प्रकार उचित है, कि पति अपनी-अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे, जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है। 29 क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन् उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है। 30 इसलिए कि हम उसके शरीर, उसके मांस और उसकी हड्डियों के अंग हैं।
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