diff --git a/05/08.txt b/05/08.txt index 1f12fba..6831305 100644 --- a/05/08.txt +++ b/05/08.txt @@ -1 +1 @@ -\v 8 \v 9 \v 10 \v 11 \v 12 8 क्योंकि तुम तो पहले अंधकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो। अतः ज्योति की सन्तान के समान चलो। 9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है), \v 10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है। \v 11 और अंधकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन् उन पर उलाहना दो। \v 12 क्योंकि उनके गुप्त कामों की चर्चा भी लज्जा की बात है। \ No newline at end of file +\v 8 क्योंकि तुम तो पहले अंधकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो। अतः ज्योति की सन्तान के समान चलो। \v 9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है), \v 10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है। \v 11 और अंधकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन् उन पर उलाहना दो। \v 12 क्योंकि उनके गुप्त कामों की चर्चा भी लज्जा की बात है। \ No newline at end of file diff --git a/05/13.txt b/05/13.txt new file mode 100644 index 0000000..3668431 --- /dev/null +++ b/05/13.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +13 पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है, वह ज्योति है। 14 इस कारण वह कहता है, +“हे सोनेवाले जाग +और मुर्दों में से जी उठ; +तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी।” diff --git a/manifest.json b/manifest.json index abd228d..219c5c3 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -76,6 +76,7 @@ "04-31", "05-01", "05-03", - "05-05" + "05-05", + "05-08" ] } \ No newline at end of file