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\v 19 \v 20 \v 21 और इस प्रकार भविष्यद्वाणी का वचन और अधिक निश्चित हो गया है, जिस पर तुम ध्यान करके अच्छा करते हो, जैसे मानो वह एक दीपक है, जो अंधियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे और जब तक भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे। 20 पर पहले
\v 19 और इस प्रकार भविष्यद्वाणी का वचन और अधिक निश्चित हो गया है, जिस पर तुम ध्यान करके अच्छा करते हो, जैसे मानो वह एक दीपक है, जो अंधियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे और जब तक भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे। \v 20 पर पहले यह जान लो कि पवित्रशास्त्र की कोई भी भविष्यद्वाणी किसी की निजी विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती। \v 21 क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई परन्तु पवित्र जन पवित्र आत्मा की प्रेरणा से, परमेश्‍वर की ओर से बोलते थे।

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2 पतरस

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