diff --git a/01/01.txt b/01/01.txt index d473981..ae79106 100644 --- a/01/01.txt +++ b/01/01.txt @@ -1 +1,2 @@ -\c 1 \v 1 पौलुस की ओर से जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, और हमारी आशा के आधार प्रभु मसीह यीशु की आज्ञा से मसीह यीशु का प्रेरित है, \v 2 तीमुथियुस के नाम जो विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र है: पिता परमेश्‍वर, और हमारे प्रभु मसीह यीशु की ओर से, तुझे अनुग्रह और दया, और शान्ति मिलती रहे। \ No newline at end of file +\c 1 \v 1 पौलुस की ओर से जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, और हमारी आशा के आधार प्रभु मसीह यीशु की आज्ञा से मसीह यीशु का प्रेरित है, \v 2 तीमुथियुस के नाम जो विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र है: पिता परमेश्‍वर, और हमारे प्रभु मसीह यीशु की ओर से, तुझे अनुग्रह और दया, और शान्ति मिलती रहे। +झूठी शिक्षाओं के विरुद्ध चेतावनी \ No newline at end of file diff --git a/01/09.txt b/01/09.txt index 1b107c4..073402c 100644 --- a/01/09.txt +++ b/01/09.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 9 यह जानकर कि व्यवस्था धर्मी जन के लिये नहीं पर अधर्मियों, निरंकुशों, भक्तिहीनों, पापियों, अपवित्रों और अशुद्धों, माँ-बाप के मारनेवाले, हत्यारों, \v 10 व्यभिचारियों, पुरुषगामियों, मनुष्य के बेचनेवालों, झूठ बोलनेवालों, और झूठी शपथ खानेवालों, और इनको छोड़ खरे उपदेश के सब विरोधियों के लिये ठहराई गई है, \v 11 यही परमधन्य परमेश्‍वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपा गया है। \ No newline at end of file +\v 9 यह जानकर कि व्यवस्था धर्मी जन के लिये नहीं पर अधर्मियों, निरंकुशों, भक्तिहीनों, पापियों, अपवित्रों और अशुद्धों, माँ-बाप के मारनेवाले, हत्यारों, \v 10 व्यभिचारियों, पुरुषगामियों, मनुष्य के बेचनेवालों, झूठ बोलनेवालों, और झूठी शपथ खानेवालों, और इनको छोड़ खरे उपदेश के सब विरोधियों के लिये ठहराई गई है, \v 11 यही परमधन्य परमेश्‍वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपा गया है। +पौलुस की गवाही \ No newline at end of file diff --git a/01/15.txt b/01/15.txt index 2a8f187..e70dce8 100644 --- a/01/15.txt +++ b/01/15.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिनमें सबसे बड़ा मैं हूँ। \v 16 पर मुझ पर इसलिए दया हुई कि मुझ सबसे बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उनके लिये मैं एक आदर्श बनूँ। \v 17 अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्‍वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। \ No newline at end of file +\v 15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिनमें सबसे बड़ा मैं हूँ। \v 16 पर मुझ पर इसलिए दया हुई कि मुझ सबसे बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उनके लिये मैं एक आदर्श बनूँ। \v 17 अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्‍वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। +तीमुथियुस का उत्तरदायित्व \ No newline at end of file diff --git a/02/05.txt b/02/05.txt index 862a764..944152b 100644 --- a/02/05.txt +++ b/02/05.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 5 क्योंकि परमेश्‍वर एक ही है, और परमेश्‍वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है, \v 6 जिसने अपने आप को सबके छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उसकी गवाही ठीक समयों पर दी जाए, \v 7 मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूठ नहीं बोलता, कि मैं इसी उद्देश्य से प्रचारक और प्रेरित और अन्यजातियों के लिये विश्वास और सत्य का उपदेशक ठहराया गया। \ No newline at end of file +\v 5 क्योंकि परमेश्‍वर एक ही है, और परमेश्‍वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है, \v 6 जिसने अपने आप को सबके छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उसकी गवाही ठीक समयों पर दी जाए, \v 7 मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूठ नहीं बोलता, कि मैं इसी उद्देश्य से प्रचारक और प्रेरित और अन्यजातियों के लिये विश्वास और सत्य का उपदेशक ठहराया गया। +तीमुथियुस का उत्तरदायित्व \ No newline at end of file diff --git a/03/06.txt b/03/06.txt index 1183e6f..50c413a 100644 --- a/03/06.txt +++ b/03/06.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 6 फिर यह कि नया चेला न हो, ऐसा न हो कि अभिमान करके शैतान के सामान दण्ड पाए। \v 7 और बाहरवालों में भी उसका सुनाम हो ऐसा न हो कि निन्दित होकर शैतान के फन्दे में फँस जाए। \ No newline at end of file +\v 6 फिर यह कि नया चेला न हो, ऐसा न हो कि अभिमान करके शैतान के सामान दण्ड पाए। \v 7 और बाहरवालों में भी उसका सुनाम हो ऐसा न हो कि निन्दित होकर शैतान के फन्दे में फँस जाए। +सेवकों की योग्यता \ No newline at end of file diff --git a/03/11.txt b/03/11.txt index 65c4083..3038f7e 100644 --- a/03/11.txt +++ b/03/11.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 11 इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगानेवाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वासयोग्य हों। \v 12 सेवक एक ही पत्‍नी के पति हों और बाल-बच्चों और अपने घरों का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों। \v 13 क्योंकि जो सेवक का काम अच्छी तरह से कर सकते हैं, वे अपने लिये अच्छा पद और उस विश्वास में, जो मसीह यीशु पर है, बड़ा साहस प्राप्त करते हैं। \ No newline at end of file +\v 11 इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगानेवाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वासयोग्य हों। \v 12 सेवक एक ही पत्‍नी के पति हों और बाल-बच्चों और अपने घरों का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों। \v 13 क्योंकि जो सेवक का काम अच्छी तरह से कर सकते हैं, वे अपने लिये अच्छा पद और उस विश्वास में, जो मसीह यीशु पर है, बड़ा साहस प्राप्त करते हैं। +महान रहस्य \ No newline at end of file diff --git a/04/03.txt b/04/03.txt index 20ec9b4..2ab8da1 100644 --- a/04/03.txt +++ b/04/03.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 3 जो विवाह करने से रोकेंगे, और भोजन की कुछ वस्तुओं से परे रहने की आज्ञा देंगे; जिन्हें परमेश्‍वर ने इसलिए सृजा कि विश्वासी और सत्य के पहचाननेवाले उन्हें धन्यवाद के साथ खाएँ। (उत्प. 9:3) \v 4 क्योंकि परमेश्‍वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है, और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए; (उत्प. 1:31) \v 5 क्योंकि परमेश्‍वर के वचन और प्रार्थना के द्वारा शुद्ध हो जाती है। \ No newline at end of file +\v 3 जो विवाह करने से रोकेंगे, और भोजन की कुछ वस्तुओं से परे रहने की आज्ञा देंगे; जिन्हें परमेश्‍वर ने इसलिए सृजा कि विश्वासी और सत्य के पहचाननेवाले उन्हें धन्यवाद के साथ खाएँ। (उत्प. 9:3) \v 4 क्योंकि परमेश्‍वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है, और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए; (उत्प. 1:31) \v 5 क्योंकि परमेश्‍वर के वचन और प्रार्थना के द्वारा शुद्ध हो जाती है। +मसीह के उत्तम सेवक \ No newline at end of file diff --git a/05/01.txt b/05/01.txt index aa236b8..d96886a 100644 --- a/05/01.txt +++ b/05/01.txt @@ -1 +1,2 @@ -\c 5 \v 1 किसी बूढ़े को न डाँट; पर उसे पिता जानकर समझा दे, और जवानों को भाई जानकर; (लैव्य. 19:32) \v 2 बूढ़ी स्त्रियों को माता जानकर; और जवान स्त्रियों को पूरी पवित्रता से बहन जानकर, समझा दे। \ No newline at end of file +\c 5 \v 1 किसी बूढ़े को न डाँट; पर उसे पिता जानकर समझा दे, और जवानों को भाई जानकर; (लैव्य. 19:32) \v 2 बूढ़ी स्त्रियों को माता जानकर; और जवान स्त्रियों को पूरी पवित्रता से बहन जानकर, समझा दे। +विधवाओं की सहायता \ No newline at end of file diff --git a/05/14.txt b/05/14.txt index a3b95b5..ac59b38 100644 --- a/05/14.txt +++ b/05/14.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 14 इसलिए मैं यह चाहता हूँ, कि जवान विधवाएँ विवाह करें; और बच्चे जनें और घरबार संभालें, और किसी विरोधी को बदनाम करने का अवसर न दें। \v 15 क्योंकि कई एक तो बहक कर शैतान के पीछे हो चुकी हैं। \v 16 यदि किसी विश्वासी के यहाँ विधवाएँ हों, तो वही उनकी सहायता करे कि कलीसिया पर भार न हो ताकि वह उनकी सहायता कर सके, जो सचमुच में विधवाएँ हैं। \ No newline at end of file +\v 14 इसलिए मैं यह चाहता हूँ, कि जवान विधवाएँ विवाह करें; और बच्चे जनें और घरबार संभालें, और किसी विरोधी को बदनाम करने का अवसर न दें। \v 15 क्योंकि कई एक तो बहक कर शैतान के पीछे हो चुकी हैं। \v 16 यदि किसी विश्वासी के यहाँ विधवाएँ हों, तो वही उनकी सहायता करे कि कलीसिया पर भार न हो ताकि वह उनकी सहायता कर सके, जो सचमुच में विधवाएँ हैं। +प्राचीनों का सम्मान \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index f8ecdae..1283377 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -27,7 +27,7 @@ "language_id": "hi", "resource_id": "ulb", "checking_level": "3", - "date_modified": "2023-11-21T17:19:17.1081981+00:00", + "date_modified": "2024-02-07T22:46:34.9637167+00:00", "version": "5" } ], @@ -38,42 +38,33 @@ "finished_chunks": [ "front-title", "01-title", - "01-01", "01-03", "01-05", - "01-09", "01-12", - "01-15", "01-18", "02-title", "02-01", - "02-05", "02-08", "02-11", "02-13", "03-title", "03-01", "03-04", - "03-06", "03-08", - "03-11", "03-14", "03-16", "04-title", "04-01", - "04-03", "04-06", "04-09", "04-11", "04-14", "05-title", - "05-01", "05-03", "05-05", "05-07", "05-09", "05-11", - "05-14", "05-17", "05-19", "05-21",