From 22cb7e90536d7598c6bc8e776b9687153d54bad3 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Mon, 21 Oct 2024 17:35:06 +0530 Subject: [PATCH] Mon Oct 21 2024 17:35:06 GMT+0530 (India Standard Time) --- 02/15.txt | 1 + 02/18.txt | 1 + 02/20.txt | 1 + 02/22.txt | 1 + 02/24.txt | 2 ++ manifest.json | 6 +++++- 6 files changed, 11 insertions(+), 1 deletion(-) create mode 100644 02/15.txt create mode 100644 02/18.txt create mode 100644 02/20.txt create mode 100644 02/22.txt create mode 100644 02/24.txt diff --git a/02/15.txt b/02/15.txt new file mode 100644 index 0000000..78158e9 --- /dev/null +++ b/02/15.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 15 तुम न तो संसार से और न संसार की वस्तुओं से प्रेम रखो यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उसमें पिता का प्रेम नहीं है। \p \v 16 क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, और आँखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। (रोम. 13:14, नीति. 27:20) \v 17 संसार और उसकी अभिलाषाएँ दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा। \ No newline at end of file diff --git a/02/18.txt b/02/18.txt new file mode 100644 index 0000000..435972a --- /dev/null +++ b/02/18.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 18 हे लड़कों, यह अन्तिम समय है, और जैसा तुम ने सुना है, कि मसीह का विरोधी आनेवाला है, उसके अनुसार अब भी बहुत से मसीह के विरोधी उठे हैं; इससे हम जानते हैं, कि यह अन्तिम समय है। \p \v 19 वे निकले तो हम में से ही, परन्तु हम में से न थे; क्योंकि यदि वे हम में से होते, तो हमारे साथ रहते, पर निकल इसलिए गए ताकि यह प्रगट हो कि वे सब हम में से नहीं हैं। \ No newline at end of file diff --git a/02/20.txt b/02/20.txt new file mode 100644 index 0000000..37c5e68 --- /dev/null +++ b/02/20.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 20 और तुम्हारा तो उस पवित्र से अभिषेक हुआ है, और तुम सब जानते हो। \p \v 21 मैंने तुम्हें इसलिए नहीं लिखा, कि तुम सत्य को नहीं जानते, पर इसलिए, कि तुम उसे जानते हो, और इसलिए कि कोई झूठ, सत्य की ओर से नहीं। \ No newline at end of file diff --git a/02/22.txt b/02/22.txt new file mode 100644 index 0000000..d120d30 --- /dev/null +++ b/02/22.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 22 झूठा कौन है? वह, जो यीशु के मसीह होने का इन्कार करता है; और मसीह का विरोधी वही है, जो पिता का और पुत्र का इन्कार करता है। \p \v 23 जो कोई पुत्र का इन्कार करता है उसके पास पिता भी नहीं जो पुत्र को मान लेता है, उसके पास पिता भी है। \ No newline at end of file diff --git a/02/24.txt b/02/24.txt new file mode 100644 index 0000000..de3dc9a --- /dev/null +++ b/02/24.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +24 जो कुछ तुम ने आरम्भ से सुना है वही तुम में बना रहे; जो तुम ने आरम्भ से सुना है, यदि वह तुम में बना रहे, तो तुम भी पुत्र में, और पिता में बने रहोगे। +25 और जिसकी उसने हम से प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है। 26 मैंने ये बातें तुम्हें उनके विषय में लिखी हैं, जो तुम्हें भरमाते हैं। diff --git a/manifest.json b/manifest.json index f3e10aa..b20cc95 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -43,6 +43,10 @@ "02-04", "02-07", "02-09", - "02-12" + "02-12", + "02-15", + "02-18", + "02-20", + "02-22" ] } \ No newline at end of file