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\h 1 Corinthians
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\mt 1 Corinthians
\c 1
कोरिन्थीनके पावलकी पहिली चिठ्ठी
आध्याय १
\v 1 परमेश्‍वरको इच्छासे ख्रीष्ट येशूको प्रेरित होनके बुलाए भए पावल और हमर भैया सोस्थेनेससे,
\v 2 कोरिन्थिमे भओ परमेश्‍वरको मण्डलीके*जो ख्रीष्ट येशूमे पवित्र भौ हए, और बिनके संगसंगै हरेक ठाउँमे बैठन बारे सन्त होनके बुलाई सबके, जौन-जौन प्रभु येशू ख्रीष्टको नाउँ पुकारत हँए, जो बिनको और हमर प्रभु हए:
\v 3 परमेश्‍वर हमर पिता और प्रभु येशू ख्रीष्टसे तुमके अनुग्रह और शान्ति।
\v 4 ख्रीष्ट येशूमे तुमके दओ परमेश्‍वरको अनुग्रहके कारन तुमरे ताँहि मए परमेश्‍वरमे सबदिन धन्यवाद चढ़ातहौँ।
\v 5 काहेकी हर प्रकारसे, अथवा सब बोलि और सबै ज्ञानमे तुम बोमे धनी भए हओ-।
\v 6 काहेकी ख्रीष्टके बारेमे हमर गवाही तुममे सुदृढ़ भओ हए-।
\v 7 ताकी तुम हमर प्रभु येशू ख्रीष्ट प्रकट होन बालो बातके प्रतिक्ष करत तुम्मे कोइ आत्मिक वरदानको कमी ना हुइहए।
\v 8 हमर प्रभु येशू ख्रीष्टके दिनमे तुमके दोषरहित बानान बा तुमके अन्त्यसम सुदृढ़ रखाबैगो।
\v 9 परमेश्‍वर विश्‍वास योग्य हए, जौनसे बाको पुत्र हमर प्रभु येशू ख्रीष्टको सङ्गतिमे तुम बुलाए गए हओ।
\v 10 अब भैया तुम, हमर प्रभु येशू ख्रीष्टको नाउँमे मए तुमके अनुरोध करत हौँ, कि तुम सब एक- दुसरेसंग सहमत होबओ और तुमरे बिचमे कुछ चिजको फुट ना होबए। पर तुम एक मन और एकै विचारके होबओ।
\v 11 काहेकी, मिर भैया रेओ, तुमरे बिचमे लडाई हए कही बात क्लोएका परिवारके मोके खबर दैहँए।
\v 12 "मिर कहाई जहेहए, तुम कोइ, “मए पावलके,” कोइ ""मए अपोल्लोसको,” कोइ ""मए कैफासको"" और कोइ ""मए ख्रीष्टको हौँ"" कहत हओ। "
\v 13 का ख्रीष्ट बाँट्टो हए? का पावल तुमके ताहिँ क्रूसमे टाँगो हए ? अथाव का पावलकीनाउँमे तए बाप्तिस्मा लौ हए ?
\v 14 मए परमेश्वरके धन्यवाद देतहओँ, कि मए तुमर मैसे क्रिस्पस और गायसके बाहेक औ कोइके फिर बाप्तिस्मा ना दओ हओँ।
\v 15 जहेमारे मेरो नाउँमे बाप्तिस्मा लओ कहिके तुम कोइ ना कहि पएहओ।
\v 16 (हँ, मए स्तिफनासको परिवारके फिर बाप्तिस्मा दओ और जासे और कोइके मए बाप्तिस्मा दओ कि ना दओ, बा मोके पता ना हए।)
\v 17 काहेकी येशू मोके बाप्तिस्मा देनके नाए, पर सुसमाचार प्रचार करन मोके ख्रीष्ट पठाई हए- संसारिक बुध्दीको बातमे नए, नत ख्रीष्टको क्रूसको शक्ति व्यर्थ हुइहए।
\v 18 काहेकी नष्ट होनबालेके ताहिँ क्रूसको सन्देश मूर्खता हए, पर हम उध्दार पानबालेके ताँहि परमेश्वरको शक्ति हए।
\v 19 काहेकी लिखो हए, “मए बुध्दीमानके बुध्दी नष्ट करंगो, और चतुराको चतुराइ विफल करहओँ।”
\v 20 बुध्दीमान कहाँ हएँ? शास्त्री कहाँ हएँ? जा संसारके तर्क करन बाले कहाँ हएँ? का परमेश्‍वर जा संसारको बुध्दीके मूर्ख ना बानाई हए ?
\v 21 संसार अपन बुध्दीसे परमेश्‍वरके ना चिनी ,जा को ज्ञानसे बा के ना चिन पाएके विश्‍वास करनबारेनके बचान परमेश्‍वरके ठिक लागो।
\v 22 यहूदी चिन्ह मगत हएँ और ग्रीक बुध्दीके खोजिमे हएँ।
\v 23 पर हम त क्रूसमे टाँगो भओ ख्रीष्टके प्रचार करत हएँ, जौ यहूदीनके ताँहि बाधा और अन्यजातिनके ताँहिँ मूर्खता हए।
\v 24 पर बोलाए भएनके ताँहि, चाहे यहूदी होए अथवा ग्रीक होए, ख्रीष्ट परमेश्‍वरको शक्ति और बुध्दीके रुपमे प्रचार करत हँए।
\v 25 काहेकी परमेश्‍वरको मूर्खता आदमीनको बुध्दीसे श्रेष्ट हए, और परमेश्वरको दुर्वलता आदमीको बलसे शक्तिशाली हए।
\v 26 भैया तुम, जब बुलाएगए रहौ,तवतुम कैसे रहौ? सो बिचार करओ संसारिक स्तर अनुसार तुम मैसे गजब जनै बुध्दिमान, गजब जनै शक्तिशाली और गजब जनै खानदानी ना रहएँ।
\v 27 तव बुध्दिमानके शर्ममे डारन् परमेश्‍वर संसारके मूर्ख चिज छानी , और शक्तिशालीनके शर्ममे पाड्नके परमेश्‍वर संसारके निर्बल बातके छानी हए।
\v 28 परमेश्‍वर संसारके निच और तुच्छ ठहारनबालो बातके चुनी | हियाँतक्कि ना गिनन् बाली बातके फिर चुनि हए ; जहेमारे कि जौन बात हए बे व्यर्थ ठहरंगे,
\v 29 और कोइ प्राणी परमेश्वरके समने घमण्ड ना करएँ।
\v 30 परमेश्‍वर त ख्रीष्ट येशूमे तुमर जीवनको स्रोत हए, ख्रीष्टके त हमर बुध्दि, हमर धार्मिकता और पवित्रता और हमर उध्दार बनाईहए।
\v 31 जहेमारे लिखो हए, “गर्व करनबाले प्रभुमे गर्व करएँ।
\c 2
आध्याय २
\v 1 भैया रेओ, गुप्तमे रहो भओ परमेश्‍वरको सत्यताको घोषणा करन मए तुमरठिन अच्छो प्रचारक और बुद्धिके साथ ना आओ।
\v 2 काहेकी तुमरसंग रहत येशू ख्रीष्ट क्रूसमे टाँगो भओ येशूसे बाहेक मए कोई बात ना जानन् निर्णय करो।
\v 3 मए तुमरठीन कमजोर और गजब डरमे और कपतमे र रहओं।
\v 4 मेरो उपदेश और सन्देश हृदय छुनबारो बुध्दिपूर्ण शब्दमे ना रहए, पर पवित्र आत्माको और शक्तिको प्रदर्शनमे रहए,
\v 5 ताकि तुमर विश्वास आदमीको बुध्दिमे ना, पर परमेश्‍वरको शक्तिमे आधारित होबए।
\v 6 तव फिर पक्को भए बारेनके बिचमे हम बुध्दिको प्रचार करत हँए, पर जा युगको बुध्दिमे नए, ना जा युगको शासकको बुध्दिमे, जो नेहत्व खतम हुइजए हए।
\v 7 पर हम परमेश्‍वरको गुप्त और लुको बुध्दिको प्रचार करत हँए, जो युग-युगसे अग्गु हमर महिमाके ताँहि परमेश्‍वर निंयुक्त करीरहए।
\v 8 जा युगको कोइ फिर शासक बा बात नबुझी। बे बुझे हुइते त महिमाको प्रभुके क्रूसमे ना टाँङते।
\v 9 पर अइसो लिखो हए, “आँखीसे ना देखो और कानसे ना सुनो और आदमीको मनमे ना सोचो, जेही बात परमेश्‍वर बिनके प्रेम करनबालेके ताँहि तयार करि रहए।”
\v 10 परमेश्‍वर हमर ताहिँ पवित्र आत्मासे बा चिज प्रकट करीरहए ,। काहेकी पवित्र आत्मा प्रत्येक बातके ढुड्त रहए, परमेश्‍वरको गहिरो-गहिरो बात फिर ढुड्त हए।
\v 11 काहेकी आदमी भितर रहो भओ आत्माबाहेक कौन आदमीको विचारके बुझ पात हए? अइसीयए परमेश्‍वरको विचार परमेश्‍वरको आत्माबाहेक कोइ ना बुझ्त हए।
\v 12 अब हम संसारको आत्मा ना पाए हँए, पर परमेश्‍वरको आत्मा पाए हँए, ताकि परमेश्‍वर हमके सेएँतएमे दईभई बात हम जान सकएँ।
\v 13 जौन बात प्रचार करत हँए, बे बात आदमीको बुध्दिसे सिखओ शब्दमे ना हए, पर पवित्र आत्मासे सिखो भओ अनुसार हम आत्मिक शब्दमे आत्मिक सत्यताको अर्थ खोलत हँए।
\v 14 जौन आदमी आत्मिक ना हए, बा परमेश्‍वरको आत्माको बात ग्रहण ना करत हए। काहेकी बे बात बाके ताहिँ मूर्खता होतहँए, और बा बिनके ना बुझ पात हए, काहेकी बे बात आत्मिक रितिसे मात्र चिनन् सकत् हएँ।
\v 15 आत्मिक आदमी सबए बातको जाँच करत हए, पर बा कोइ आदमीसे ना जाँचैगो।
\v 16 "काहेकी कौन परमेश्‍वरकी मनके जानत हए? और कौन बाके सिखा सकैगो?” पर हमरसंग त ख्रीष्टको मन हए। "
\c 3
आध्याय ३
\v 1 भैया रेओ, मए तुमरसँग आत्मिक आदमीनसंग बोलो जेैसो ना बोलपए हओँ, पर शारीरिक आदमी,ख्रीष्टमे दुधे बाच्चाकसंग मस्कोजैसो मए मस्क पऔ।
\v 2 मए तुमके दूध खबओ, कर्रो चिज ना, काहेकी तुम बाके ताहिँ तयार ना रहौँ, और हबए फिर ना हओ।
\v 3 तुम हबए फिर संसारिक हओ| काहेकी जब तुमर बिचमे गुस्सा और हल्ला गुल्ला हए, तव का तुम संसारिक चलमे चलनबारे साधारण आदमी जैसे ना भए का ?
\v 4 काहेकी मए एक "पावलको" और दुसरो "मए अपोल्लोसको" कहत हओ कहेसे, संसारिक आदमी जैसो ना भए का?
\v 5 अपोल्लोस कौन हए? पावल कौन हए? परमेश्‍वर सबके खटाए अनुसार सेवक इकल्लो हँए, बहेसे तुम विश्‍वास करे।
\v 6 मए लगओ, ओपोल्लोस पानी डारी, पर परमेश्‍वर बढाई रहए।
\v 7 जहेमारे लागन और पानी डारन बारे कुछ ना हँए। पर परमेश्‍वर जो बढाइ हए। बहे महान हए।
\v 8 अब बोन और पानी डरनबारो एकै हए, बे सब अपनो काम अनुसार देहरी पएँ हँएँ।
\v 9 काहेकि हम परमेश्‍वरके सहकर्मी हँएँ। तुम परमेश्‍वरकी बगिया और बाकी भवन हौ।
\v 10 मोके दइ भइ परमेश्‍वरको अनुग्रह अनुसार, घर बनान् बालो अच्छो मिस्तरीसे जैसी मए जग डारो, और दुसरे बाके उपर घर बनात हए , बाके उपर बनन् बाले सब आदमी कैसे बनात हँएँ, बो ध्यान देओं।
\v 11 काहेकी जौन जग डारो गाओ हए, जो येशू ख्रीष्ट हए, बक बाहेक कोई आदमी फिर औरो जग ना डार पएँ हँए।
\v 12 अब अगर कोई आदमी जा जग उपर सोनो, चाँदी, बहुमुल्य पत्थर, काठ, घाँस अथवा पैरासे घर बनए हए कहेसे,
\v 13 प्रत्येक आदमीको काम प्रकट होबैगो, काहेकी न्यायके दिनमे बो खुलस्त हुइजएहए। बा आगीसे प्रकट होबैगो, और सब कैसो काम करी हँए, बा आगीसे जाँच होबैगो।
\v 14 अगर कोई आदमी काम करत रहबैगो तव बा इनाम पाबैगो।
\v 15 अगर कोई आदमीको काम डुङ्गके खतम भओ कहेसे बाके नुक्सान बिहोरन पडैगो, पर बा अपनाके आगीसे उमक्के बचैगो।
\v 16 का तुमके पता ना हए, तुम परमेश्‍वरके मन्दिर हओ, और परमेश्‍वरको पवित्र आत्मा तुमरमे बास करत हए?
\v 17 अगर कोई परमेश्‍वरको मन्दिरके नष्ट करत हए कहेसे परमेश्‍वर बा के नष्ट करैगो। काहेकी परमेश्‍वरको मन्दिर पवित्र होतहए, और बा मन्दिर तुमही हओ।
\v 18 कोई अपनेके धोखा मतदेओं। तुमर मैसे कोई जा युगमे अपनेके वुध्दीमान सम्झत हए कहेसे बा मूर्ख साम्बाझए, तव बा वुध्दीमान बन हुईहए।
\v 19 काहेकी संसारको वुध्दि परमेश्‍वरके अग्गु मूर्ख हए। काहेकी लिखो हए, “ बा वुध्दिमानके बिनको चलाकीमे पकड्त हए।”
\v 20 धर्मशास्त्रमे एैसो फिर लिखो हए, और फिर वुध्दिमानके विचार व्यर्थ हए कहिके परमप्रभु जानत हए।”
\v 21 जहेमारे कोई आदमीके उपर गर्व ना करए। काहेकी सब चिज तुमरो हए,
\v 22 चहु पावल, कि अपोल्लोस, कि केफास, अथवा संसार, अथवा जीवन, अथवा मौत, अथवा वर्तमान, अथवा भविष्य सब तुमरो हए,
\v 23 और तुम ख्रीष्टके हओ, और ख्रीष्ट परमेश्‍वरको हए।
\c 4
आध्याय ४
\v 1 अइसी आदमी हमके ख्रीष्टके सेवक और परमेश्‍वरको रहस्यके मालिक ठाने पडे हँए।
\v 2 बा बाहेके जा आवश्यक हए, कि मालिक विश्‍वासयोग्य ठहरन पड्त हए।
\v 3 तव बिनसे अथवा आदमीके कोई अदालतसे मेरो इन्साफ होन, जा त मिर ताहिँ निक्कना छोटी बात हए, मए अपनए फिर अपनो इन्साफ ना करत हओँ।
\v 4 मिर अपनो विरुध्दमे कुछ हए कहेसे मोके पता ना हए, पर बा मोके निर्दोष साबित ना करेहए , मेरो न्याय करनबालो त प्रभुए हए।
\v 5 जहेमारे तोको समयसे अग्गु न्याय मतकरौ, प्रभु आन तक आसिया बौ। बो अँध्यारोमे लुकी बातके उजियारोमे लाबैगो, और आदमीको हृदय अभिप्राय प्रकट करदेत हए। तव सब आदमी परमेश्‍वरमे अपनो प्रशंसा पामंगे।
\v 6 भैया रे, मए अपन और अपल्लोसके उधारन दैके, तुमर भलाईके ताहिँ जे सब बात लिखो हौँ, ताकी हमसे पवित्र धर्मशास्त्र अनुसार तुम जिन सिकौ, और तुमर मैसे कोइ फिर एक दुसरेके विरुध्दमे घमण्डसे मत फुलौ।
\v 7 औरसे तुम कौन बातमे फरक हओ? तुमरसंग भओ कौन बात तुम सेतए मे ना पाएहौ? तुम बा सेतएमे पाए हओ कहेसे तुम एैसे ना पाए जैसो काहे घमण्डसे फुलत हौ?
\v 8 तुमके चाँहन बाली चिज तुम अग्गुसे पाएगए हओ। तुम धनी हुइगए। हमरबिना त तुम राजा भए हौ। तुम सितमाओक राज्य करेसे फिर त हुइतो, ताकी हम फिर तुमरसंग राज्य करन सकँए!
\v 9 काहेकी मोके अइसो लागत हए परमेश्वर हम प्रेरितके मृत्युदण्ड पाए भएके जैसो सबसे पच्छु प्रदर्शनमे धारेजैसो मोके लगत हए।काहेकी संसार, स्वर्गदूत और आदमीके ताहिँ हम तमाशा भए हँए।
\v 10 हम ख्रीष्टके ताँही मूर्ख हँए, पर तुम त ख्रीष्टमे बुध्दिमान हओ। हम कम्जोर हँए, पर तुम तगणे हओ। तुमर आदर हँए, पर हमर अनादर।
\v 11 जहे घरी हम भुखे और प्यासे हँए, हमर कपडा फटे हँए, पिटाई खातहँए और बिना घरदोवरके हँए।
\v 12 अपन हातसे काम करके हम मेहनत करत हँए।आदमी हमर बदनामी करत हम आशिर्वाद देत हँए। सतत्पेती हम सहत हँए।
\v 13 हमर बदनामी करत हम प्रेमपूर्वक जबाफ देत हँए। हबए तक हम संसारके फोहर और पृथ्वीको कसिङ्गर बने हँए।
\v 14 तुमके शरमबान् जा बात मए नलिखो रहओं, पर मिर प्यारे बालकाके जैसो अर्ती देन ताहिँ हए।
\v 15 काहेकी ख्रीष्टमे तुमर आसंख्याआभिभावक हँए पर तुमर बेढ़म पिता त ना हए। काहेकी सुसमाचारसे ख्रीष्ट येशूमे मए तुमर पिता बनो।
\v 16 जहेमारे तुम मेरो अनुसरण करनबाले होबओं कहिके मए तुमके अनुग्रह करतहओ।
\v 17 तबहिमारे तुमरठीन तिमोथीके पठात् हौँ। बे प्रभुमे मेरे प्यारे और विश्वासी लौडा हँए। मए सब ठाँउमे सारा मण्डलीमे सिखओ बमोजिम ख्रीष्टमे मेरो जीवन कैसो हए, सो बा तुमके सम्झना करबाबैगो।
\v 18 मए तुमरठीन ना आनबालो सोचके कित्तो जनै अहङकारी भए हँए।
\v 19 तव प्रभुको इच्छा भओ, काहेकी मए तुमरठीन जल्दी अएँ हौँ, और बे अहङकारी आदमीको बात ना हए, पर बिनको शक्ति तओ का हए बाको पात लगामंगो।
\v 20 काहेकी परमेश्वरको राज्य बातमे ना हए, पर शक्तिमे हए।
\v 21 तुम का इच्छा करतहँओ? मए तुमरेठीन छडीं लैके अमंओ, कि नम्रताके आत्मा मे प्रेम साथ ?
\c 5
आध्याय ५
\v 1 तुमर बीचमे व्यभिचार हए कहिके पक्की बात सुनोहओ, अइसो व्यभिचार त अन्यजातिमे फिर ना होत हए। तुमरो मैसे कोई एक जनै अपन दौवाके बैयर लै हए कहिके सुनो हओ।
\v 2 तुम त घमण्ड करतहओ। तुमके त शोक करन ना रहए? अइसो काम करन बालेक त तुमर बीच मैसे हटाबओ।
\v 3 मए शरीरमे उपस्थित ना हुईके फिर आत्मामे तुमरसंग हँओ। मए उपस्थित भओ हानी करके अइसो काम करनबालोके न्याय मए करडारो हँओ।
\v 4 जब तुम हमर प्रभु येशूको नाउँमे भेला होत हौ, और मए आत्मामे तुमरसँग उपस्थित होत हँओ, तव हमर प्रभु येशूक शक्ति हुँवई होत हए,बा आदमीके मए अग्गुसे न्याय कर डारो हओ।
\v 5 बा आदमीके शैतानके हाँत सौपदेओ, ताकी बाके पापमय स्वभाव नाश होबए, तव प्रभुके दिनमे बोको आत्मा त बचए।
\v 6 तुमर घमण्ड ठीक ना हए। थोरीकिना सोणा जम्मै ढुक्लाके सोणा बनाए देतहए कहिके का तुमके पता ना हए?
\v 7 नयाँ ढुक्ला बनन् ताहिँ पुरानो सोणाके निकार, काहेकी तुम वास्तवमे अखमिरी त हओ। हमर निस्तारके थुमा, ख्रीष्टको बलिदान हुइगओं हए।
\v 8 जहेमरे हम पुरानो सोणा के, अथवा कुकर्म और दुष्टताको सोणासे नाए पर निस्कपट और सत्यताको अखमिरी रोटीसे तिउहार मनामए।
\v 9 मए मिर पत्रमे तुमके ताहिँ व्यभिचारको संगत मतकरीओ कहिके लिखो रहओ।
\v 10 बाको अर्थ, जा संसारके व्यभिचारी, लोभी, अथवा लुटहा, और मूर्तिपूजक संग बीलकुल सङ्गत मतकरिओं कहिके न कहो हऔ, नत तुमके संसारसे निकरन पड्जएहय।
\v 11 पर आईसो सङ्गत मतकरीओ कहिके मए तुमके ताहिँ लिखो, जौन अपनयके विश्वासी भैया हौँ कहिके कहतहए, पर वास्तवमे बे व्यभिचारी, और लोभी, और मूर्तिपूजक, और निन्दा करनबारो, और मतवालो और लुटहा हएँ। बा अइसो आदमीकेसंग त खान फिर मत बैठओ।
\v 12 काहेकी बाहिर बालेके इन्साफ करन मोके का खाँचो? का तुमके मण्डली भितर होन बारेनको न्याय ना करन पड्त हए ?
\v 13 बाहिरबालेके न्याय परमेश्‍वरय करत हए। “तुम अपन बीचसे दुष्ट आदमीके निकारदेओ।”
\c 6
अध्यया ६
\v 1 तुम मैसे एक आदमीक दुस्रो भैँयासे लडाई भैइहए कहेसे न्यायके ताहिँ न्यायाधीश ठिन ना जाएके अधर्मीठीन जान के बा आँट करैगो?
\v 2 न्यायाधीश संसारको न्याय करत हए कहनबालो बात का तुमके पता नैयाँ? अगर संसारको न्याय तुमही के करन पडैगो कहेसे, छोटेसे- छोटे मुद्दा छिनन् का तुम अयोग्य हओ?
\v 3 का तुमके पता ना हए, हम स्वर्गदूतको न्याय करत् हँए? जहेमारे जा जीवनसे होनबालो बात बडो हए का?
\v 4 अइसो लडाइ तुमरमे ना हए कहेसे, बे लडाइ काहे बे आदमीके अग्गु धरतहओ,जौन आदमी मण्डली के कोई मोलको ना मानत हएँ?
\v 5 तुमके शरमबान ताँही मए जा कहत हौँ। अपन ददाभैयनके बीचमे लडाइ मिलान सिकानबालो बुध्दीमान आदमी को नेहत्व तुममे कोईके ना पए हौ ?
\v 6 पर एक भैया दुसरो भैयाके विरुध्दमे अदालतमे जए हए , बा फिर अविश्वासीके सामने मुद्धा धरत हए।
\v 7 बास्तबमे ख्रीष्टीयान के बिचमे कोइ फिर लाडाई होनो तुमर हार हए। बरु अन्याय काहे ना सहमैँ? बरु काहे ठगके ना बैठएँ ?
\v 8 पर तुमही त अन्याय करतहओ और ठगतहओ, बे फिर अपनी भैया हएँ !
\v 9 अधर्मी परमेश्‍वरको राज्यको हकदार ना होतहँए कहिके का तुमके पता ना हए? धोखा मतखाओ- अनैतिक, मूर्तिपूजक, व्यभिचारी, समलिंगी, पुरुषगामी,
\v 10 चुट्टा, लोभी,मतवाला, निन्दा करनबालो, लुटेरा परमेश्‍वरको राज्यको हकदार ना हुइहए।
\v 11 तुम फिर अइसी रहओ, पर तुम धुइगए, पवित्र हुईगए, प्रभु येशू ख्रीष्टको नाउँमे हमर परमेश्‍वरको आत्मासे निर्दोष ठहरिगए हओ।
\v 12 " सब बात मेरे ताँही न्यायसंगत हँए,” पर सब बातफाइदाके ना हए। “सब बात मेरे ताँही न्यायसंगत हँए,” पर मए कुछ बातको कमैया ना हुइहौँ। "
\v 13 "भोजन पेटके ताँही, और पेट भोजनके ताँही हए।” पर परमेश्‍वर दुनेके नाशा करैगो। शरीर व्यभिचारके ताँही ना हए, पर प्रभुके ताँही हए, और प्रभु शरीरके ताँही हए।"
\v 14 परमेश्‍वर अपन शक्तिसे प्रभुके जीवित करी हए, और हमके फिर बाको शक्तिसे जीवित करैगो।
\v 15 तुमर शरीर ख्रीष्टको अङ्ग हए कहिके का तुमके पता ना हए? तव का मए ख्रीष्टके अङ्ग लैके बिनके वेश्याके अशुध्द अङ्ग तुल्यामंगो? जा कबहु ना होबए !
\v 16 वेश्यासंग जुडनबालो आदमी शरीरमे बाकेसंग एक होतहए कहीभइ बातका तुम के पताना हए ? काहेकी अइसो लिखो हए, “बे दुने एक शरीर होमंगे।”
\v 17 पर जो प्रभुसंग एक हए, बो बाकेसंग आत्मामे एक हुइहए।
\v 18 व्यभिचारसे अलग बैठऔ। और जौन फिर पाप बा आदमी कहतहए, बा शरीरसे बाहिर होतहए, पर व्यभिचार करनबाले आदमी अपन शरीरके विरुध्दमे पाप करतहँए।
\v 19 तुमर शरीर पवित्र आत्माको मन्दिर हए, जौन पवित्र आत्मा तुम परमेश्‍वरसे पाएहओ, और बा तुमरभितर वास करतहए कहिके का तुमके पता ना हए ? तुम स्वयम अपने ना हओ।
\v 20 तुम मोल तिरके किनेभए हओं ,। जहेमारे तुमर शरीरमे परमेश्‍वरको महिमा करौ। [ टिपोट: कोइ पुरानी प्रतिलिपिमे आइसो लिखो हए] जहेकरनसे तुम शरीर औ आत्मामे परमेश्‍वरको महिमा करऔ, जो परमेश्‍वरको हए।पर विशेष प्रतिलिपिमे जा ना हए।
\c 7
आध्याय ७
\v 1 अब तुमर लिखी बातके बिषयमे देखाओ पुरुषके ताँही स्त्रीके नछोन आसल हए।
\v 2 पर व्यभिचार के बारे मे परीक्षा गजब हँए कहेसे हर आदमीक अपनी बैयर होबए और हर स्त्रीको फिर अपनी लोगा होबए।
\v 3 पति अपनी बैयरके बैबाहिक हक देबए और आइसीय त बैयर फिर अपन लोगाके।
\v 4 बैयर अपनो शरीरउपर अधिकार ना धरहए, पर बाको लोगा धरहे। अइसी लोगा फिर अपन शरीरउपर अधिकार ना धरए, पर बाक बैयर धरहे।
\v 5 लोगा बैयर अपन पारस्परिक सम्बन्धमे एक दुसरेके इन्कार ना करएँ। इन्कार करहे कहेसे फिर आपसमे सल्लाह करके कुछ समयके ताँही मात्र, ताकि तुम प्रार्थनामे लगो रहन सिक तव फिर एकसंग बैठए,ताकि आत्मासंयमको अभावके कारण शौतान तुमके परीक्षामे ना पाडरए।
\v 6 जा मए तुमके आज्ञाके रुपमे ना , पर अनुमतिके रुपमे कहतहऔ।
\v 7 सब आदमी मिर जैसो देखन मए इच्छा करत हओ। पर सबके परमेश्‍वरसे विशेष वरदान मिलोहए,एकके एक किसिमको दुसरेके दुसरो किसिमको।
\v 8 पर आविवाहीत और विधावाके मए कहतहऔ, तुम मोए जैसो आविवाहीत रहिओ बिनके ताँहीं अच्छो हुइहए।
\v 9 पर बे अपनाके वशमे ना रखपत हएँ तव बे विहा करएँ। काहेकी अपन शरीरको अङ्गके जल्नसे विहा करन अच्छो हए।
\v 10 अब विवाहीतके मए कडा आज्ञा देङगो (मिर आज्ञा ना हए, पर प्रभूको आज्ञा हए)|
\v 11 पर छुटके बैठेसे फिर बा विहा ना करए, बरु अपनो लोगासे मिलाप करए। लोगा अपनी बैयरके ना छोडए।
\v 12 पर तुमसे मए कहतहऔ (जा मेरो कहाई ना हए, प्रभुकी हए), अगर कोई भैयाके सँग अविश्‍वासी बैयर हए, और बा बकसंग बैठन चाहतहए कहेसे, बा बाके ना छोडए।
\v 13 अगर कोई बैयरको अविश्‍वासी लोगा हए, कहेसे और बा बकसंग बैठन चाहँतहए कहेसे, बा बक सँग सम्बन्ध ना तोडए।
\v 14 काहेकी अविश्‍वासी लोगा अपनी बैयरसे पवित्र होत हए, और अविश्‍वासी बैयर अपनो लोगासे पवित्र होत हए, नत बाके लौडा- लौडीया अशुध्द होमंगे, पर वास्तवमे बे त पवित्र हइए हँए।
\v 15 पर अगर अविश्‍वासी जीवन संगिन छुटत हँए कहेसे बा के जान देओ। आइसो आवस्थामे बा ख्रीष्टियान पति अथव पत्नी कोइ फिर बान्धनमे ना रयहँए काहेकी परमेश्वर हमके शन्तिमे रहन बुलाइ हए।
\v 16 स्त्री ,तुमके का पता सयद तुम अपन पतिके बचानसकहौ की? अथाव लोग तुमके का पता सायद तुम अपनी पत्नीके बचान सक्हौ की ?
\v 17 प्रभु सबके जैसो जीवन दै हए, और जैसो स्थितिमे बुलाई हए, बहेहानी बा नेगए। सब मण्डलीके ताँही मेरो नियम जहे हए।
\v 18 का कोई आदमीके बोलावट होनसे अग्गुसे बा खतना भओ रहए ? अइसी हए कहेसे बा बेखतना होन ना खोजए। का कोई खतना नहोत बोलावट भओ हए ? अइसो हए कहेसे बा खतना ना करए।
\v 19 खतना कुछु ना हए , बेखतना फिर कुछु ना हए , पर परमेश्‍वरको आज्ञापालन मुख्य बात हए।
\v 20 जौन अवस्थामे आदमीके बोलावट भव हए, बहेमे सब आदमी रहो रहबए।
\v 21 तुमर बोलावट होतपेती तुम कमैया रहौ? अगर रहौ कहेसे बाको वास्ता मतकरौ, पर स्वतन्त्र होन सिकैगे कहेसे बाको फाईदा उठाबौ।
\v 22 काहिके प्रभुमे बोलावट होतपेती जौन आदमी कमैया रहए, अब बा प्रभुके स्वतन्त्र आदमी भओ हए। अइसी करके बोलावट भओ समयमे जो आदमी स्वतन्त्र रहए, बा ख्रीष्टको कमैया भओ हए।
\v 23 तुम मोल तिरके किनेभए हऔ, आदमीको कमैया मत बनौ।
\v 24 जहेमारे भैया हो, जौनके जैसो अवस्थामे बोलावट भओ हए, प्रत्येक बहे अस्थामे परमेश्‍वरसंग रहबै।
\v 25 अब कन्याके बारेमे प्रभुको आज्ञा मिरसंग कुछु ना हए। पर प्रभुको कृपासे एक विश्‍वासयोग्य आदमीके हैसियतसे मए तुमके अपन सल्लाह देतहऔ।
\v 26 वर्तमान सङ्कष्टमे देखत, जौन आदमी जैसो अवस्थामे हए बहेमे रहन अच्छो हुइहए।
\v 27 का तुम विहा करे हऔ? अइसो हए कहेसे अपन बैयरसे अलग मतहोबओ। का तए बिनाविहा करो हए? अइसो हए कहेसे विहा ना कर।
\v 28 पर तए विहा करेहए कहेसे बा पाप नकरो हए। कोइ कन्यलौणीया विहा करत हए कहेसे बा पाप ना करत् हए। तव फिर विहा करन बारे जा जीवनमे कष्टको सामना करन पणैगो, और मए तुमके जासे बचान चाहतहऔ।
\v 29 भैया हो, मेरो कहाईको बात जहे हए, कि समय थोरी हए, और अब उप्रन्त बैयर होनबारी बैयर नभौजैसो रहए।
\v 30 शोक करनबारो शोक नकरोजैसो और हर्ष मनान् बारो हर्ष ना मनान् जैसो हुइके रहबए। किनमोल करनबारो अपनसंग कुछु चीज नभओजैसो रहबए।
\v 31 और बे जौन संसारके चीज उपभोग करतहएँ, बिनमे अपनो कोई चासो ना भओ जैसो करएँ, काहेकी संसार वर्तमानको रुप बितके जात हए।
\v 32 तुम सब चिन्ता मत करओ कहिके मए चहत हौ। विहा नभौ आदमी प्रभुके कैसे खुशी बनैहएँ कहिके प्रभुके बातके बारेमे चिन्ता करत हए,
\v 33 पर विहा भओ आदमी बैयरके कैसे खुशी करऔ कहिके संसारकी बातमे चिन्ता करत हए।
\v 34 बा दुइ मनको होत हए। विहा नभई बैयर औ कन्या शरीरमे और आत्मा दुनेमे कैसे पवित्र रहऔ कहिके प्रभुके बातके बारेमे चिन्ता करत हए। पर विहा भई बैयर कैसे अपन लोगाके खुशी रखामऔ कहिके संसारके बातके चिन्ता करत हए।
\v 35 जा बात तुमरउपर प्रतिबन्ध लागनके ताँहीं ना पर तुमर भलाईके ताँहीं कहत हऔँ, जहेमारे कि तुम एक मनके हुइके प्रभुप्रति भक्तिसाथ ठीक किसिमको जीवन यापन करन सिकौ।
\v 36 अगर कोई आदमी अपनसंग मगनी भैई कन्यासंग अनुचित व्यवहार करो ठानतहए, और अगर बा कन्याके उमेर फिर खसक्गई हए कहेसे, बा विहा करन चाहए कहेसे विहा करन पएहए। जामे पाप ना हए। बिनको विहा होनए पड्त हए।
\v 37 पर जौन आदमी अपन मन पक्को करडारी हए, जो कोई करकापमे पणो ना हए, पर अपन इच्छाके वशमे करन पए, और जो कन्याके विहा ना करन निर्णय करडारिहए, कहेसे- अइसो आदमी फिर ठीक करतहए।
\v 38 अइसो जौन कन्याके विहा करतहए, बा ठीक करतहए, पर जौन विहा ना करतहए, बा और अच्छो करतहए।
\v 39 लोगा बाँचनतक लोगाके बन्धनमे बैयर रहतहए। पर बक लोगा मरिगओ कहेसे जौन सँग बिहा करन चाहँत हए बा के सँग बिहा करन स्वतन्त्र होतहए, पर बा आदमी प्रभुमे होन पड्तहए।
\v 40 पर बा अइसी बैठैगित और खुशी होतहए, जा मेरो विचार हए, तव मए सम्झात हऔ कि मिरमे फिर परमेश्‍वरको आत्मा हए।
\c 8
आध्याय ८
\v 1 अब मूर्तिके चढ़ो भओ खानबारो चिजके बारेमे: हम जानतहएँ , कि हमर सबएसंग ज्ञान हए। ज्ञान घमण्ड लात हए, पर प्रेम उन्नती करत हए।
\v 2 "अगर कोई ""कछु जानत हौँ"" कहिके सोचत हए कहेसे, जितका जानत रहै उतनो ना जानत हए। "
\v 3 अगर कोई परमेश्‍वरके प्रेम करत हए बाके परमेश्‍वर चीनत हए।
\v 4 जहेमारे मूर्तिके चढ़ो भओ खानबारो चिज खानके बारेमे मए जानत हौँ, काहिके मूर्तिको कोई अस्थितत्व ना हए, और एकपरमेश्‍वरबाहेक और कोई ना हए।
\v 5 "बादरमे अथवा पृथ्वीमे नाउँ इकल्लोके देवीदेवता इकल्लो हुइ हएँ, (नेहत्व अइसी गजब ""देवता"" और ""प्रभु"" हएँ|)"
\v 6 पर हमर ताहिं ता एक परमेश्‍वर पिता हए,जोसे सब थोक होन आए, और बहेके ताँही हम जित हएँ- हमर ताहीँ एक प्रभु, येशू ख्रीष्ट हए, जोसे सब चिज होन आए, और जोसे हम जित् हँए।
\v 7 तहु फिर सब आदमीमे त जा ज्ञान ना होत हए। पर गजब आदमी पहिले मूर्तिपूजा करत रहएँ और बे जा खानबारो चिज मूर्तिको चढोहए कहिके खातरहएँ। और बिनको विवेक दुर्वल भओ हए जहेमारे अशुध्द होत हँए।
\v 8 पर खान बारी चिज हमके परमेश्वरकी नजरमे जद्धा ग्रहण योग्य ना बनत हए। कुछ खएहँए तौ खराबी ना हुइहए और खएहँएं त कुछ फाइदा ना हुइहए।
\v 9 पर होशियार होबओ, तुमर जा स्वतन्त्रता दुर्वलके ताहिँ ठोकरको कारन ना बनए।
\v 10 काहेकी कोई दुर्वल दिमाक भओ आदमी तए ज्ञान भओआदमीके मूर्तिके मन्दिरमे खान बैठो देखि कहेसे, मूर्तिके चढओ खानबारी चिज खानके का बा हिम्मत ना करहए ?
\v 11 और तिर ज्ञानके मारे बा दुर्वल हुइके नष्ट हुइजए हए,जौनके ताहिँ ख्रीष्ट मरो हए।
\v 12 अब अइसो अपन भैयाके विरुध्दमे पाप करत और बिनको दुर्वल दिमाकके चोट लगात तुम ख्रीष्टके विरूध्दमे पाप करत हऔ।
\v 13 जहेमारे खानबारी चिजसे मेरो भैयाके बाधा होत हए कहेसे मए अपन भैयाके बाधा ना होबए कहिके कबहु बुट्टी ना खए हँऔ।
\c 9
आध्याय ९
\v 1 का मए स्वतन्त्र ना हौँ ? का मए प्रेरित ना हौं ? का मए येशू, हमर प्रभूकेना देखो ना हौं ? का तुम परमप्रभुमे मिर हाँतके सिप ना हओ ?
\v 2 मए और के ताँहिँ प्रेरित ना होएसे फिर कम-से-कम तुमर ताँही ता हँओ, काहेकि प्रभुमे मिर प्रेरितको कामको छाप तुमही हओ।
\v 3 मिर विरुध्दमे मस्कनबारेनके मिर् जहे जबाफ हए :
\v 4 का हमके खानपिनके अधिकार ना हए ?
\v 5 का और प्रेरितहानी, प्रभुके भैया और केफासके जैसो हमके विश्‍वासी बैयर लैके नेगन अधिकार का ना हए ?
\v 6 अथवा का बारनबास और मोके इकल्लो काम करन पड्त हए ?
\v 7 अपन खर्चमे कौन पुलिसको काम करैगो? दाखबारी लगाएके कौन बाको फल ना खएहए ? अथवा भेडा बकरिया पालके कौन बाको दूध ना पीहए ?
\v 8 का आदमीको दृष्टिकोणसे इकल्लो मए जा कहत हौ ?अथवा का व्यवस्था फिर जहे बात ना कएहए ?
\v 9 मोशाकी व्यवस्थामे एैसो लिखो हए , "दाँहँ करत ब्राधके मोखरी मतलगओ का परमेश्‍वर गौसए ब्राधको मात्र वास्ता करत हए ?"
\v 10 का बा हमर ताँहिँ जा ना कही हए ? हमर ताँहिं जा लिखो हए। काहिके जोतन बारो और पैरी गाँहनबारो अन्नको थोरी हिस्सा पान आशामे जोतत् और गाँहत हए।
\v 11 अगर हम तुमर बिचमे आत्मीक बिउ बोएहंएँ कहेसे, और तुमर भौतिक सम्पत्तिको कटानी करेहँए कहेसे, का बो जद्धा हुहए र ?
\v 12 अगर और आदमी तुमर उपर एकलौटो हकको दाबी करैगो कहेसे का हमर और जद्धा हक ना हए ? तहुफिर हम त जा हकको प्रयोग ना करे हएँ। पर ख्रीष्टको सुसमाचारमे बाधा मत करौ बरु हम सब बात सही लेमंगे।
\v 13 का तुमके पता ना हए, कि मन्दिरमे सेवा करन बाले मन्दिरसे खात हएँ, और वेदीके सेवा करन बाले वेदीमे चढाओभओ चिजको हिस्सा पात हैँ कहिके तुमके पाता ना हए ?
\v 14 अइसी सुसमाचार प्रचार करन बाले सुसमाचारसे जीवन चलएँ कहिके प्रभु आज्ञा दै हए।
\v 15 पर जे हकमैसे मए कछु प्रयोग ना करोहौँ, और मिर ताँहीं अइसी प्रबन्ध होए कहिके मए जे बात ना लिखो। काहेकी मिर गर्व करन बातसे कोई मोके दुर करनसे बरु मोके मारन अच्छो हए।
\v 16 काहेकी मए सुसमाचार प्रचार करो कहेसे बो मे मोके घमण्ड करन कोई कारण ना हए। काहेकि अइसो करन मए मजबुर हँओ। अगर सुसमाचार प्रचार ना करो कहेसे मोके धिक्कार हए।
\v 17 काहेकी अपन इच्छासे मए जा काम करतहओ कहेसे मए इनाम पात हओ, पर मए अपन इच्छासे जा ना करो हओ कहेसे फिर मोके एक भण्डारेको जिम्मा सौपदै हए।
\v 18 तव मिर इनाम का हए? केवल ईतका हए, कि सेतएमेत सुसमाचार प्रचार करन पामौं, और सुसमाचार प्रचार करन पान पूरा हकको दाबी मोके ना करन पाड्ए।
\v 19 काहेकी मए आदमीनसे स्वतन्त्र हौ तौ फिरऔर जाद्धके जितन पामौं कहिके मए अपनएके सबैको दास बनओ।
\v 20 यहूदीके जितओ कहिके यहूदीके ताँहीं मए यहूदी जैसो बनो। व्यवस्थाके अधिनमे रहनबारेसेजितओ कहीके मए अपनै व्यवस्थाके अधिनमे ना भओ तहुफिर व्यवस्थाकी अधिनमे रहो जैसो करो।
\v 21 व्यवस्थाके बाहिर होन बारेनके जित पामौं कहिके मए अपनै परमेश्वरको व्यवस्थासे बाहिर ना हूइके पर ख्रीष्टको व्यवस्थाको अधिनमे रहिके व्यवस्थासे बाहिर होन बारे कता बनो। व्यवस्थासे बाहिर बालेनके जित पामौ कहिके मए एैसो करो।
\v 22 कमजोरके जितौ कहिके कमजोरके ताँहिं मए कमजोर बनो। सबै प्रकारको उपायसे कोई न कोईके मए बचा सकओ कहिके सबके ताँहिं मए सब चिज बनो।
\v 23 सुसमाचारको आशिषको सहभागी हुइ पामौ कहिके सुसमाचारके ताँहिं मए जा सब चिज करत हौ।
\v 24 का तुमके पता ना हए दौड्मे दौरन बारो सबए आदमी दौरत हएँ: पर इनाम त एकइ इकल्लो पए हए? तुम इनाम पान हानी दौरौ।
\v 25 खेलमे भाग लेन बारो खिलाडी सबमे अनुसासित होन पड्त हए। बे नष्ट हुइके जान बारो मुकुट पान ताँहिँ अइसो करत हएँ, पर हम त अविनाशी मुकुट पान ताँहिँ अइसो कर हँए।
\v 26 तबहीमारे लक्ष्य बिना मए ना दौरंगो। हावामे मुक्का मारन जैसो मए ना मारत हौँ।
\v 27 पर मए अपन शरिरके कठोरतासंग रखात हौं, और जाके वशमे करत हँओ, नत मए औरके प्रचार करके मए अपनए अयोग्य ठहरंगो।
\c 10
आध्याय १०
\v 1 भैया रेओ, तुम जा बात लेओ कहिके मए चाहत हँओ, कि हमर पुर्खा सब बादर तरे रहै, और समुन्दरके बिचसे हुइके गए।
\v 2 और मोशामे बे सबै बादर और समुन्दरमे बाप्तिस्मा पाई रहँए।
\v 3 सबए एकए आत्मिक भोजन खाँई।
\v 4 सबै आत्मिक पानी पिई, काहेकी बिनके संगैसंग नेगत बे आत्मिक चट्टानको पानी पिईँ और बा चट्टा त ख्रीष्ट रहए।
\v 5 तहुफिर बिनके मैसे तमानसे परमेश्‍वर प्रसन्न ना भओ, और बे मरभूमिमे नष्ट हुइगए।
\v 6 बिनके हानी हम खराबीको इच्छा ना करएँ कहिके जे बात हमर चेताउनीके ताँहीं हँए।
\v 7 बे मैसे तमानसे तुम मूर्तिपूजक मत होबौ। अइसो लिखो हए, आदमी खान और पिन ताँहीं बैठ गए, और खेलन ताँहीं उठे।”
\v 8 हमके व्यभिचारमे फसन ना हए, जैसी तुम मैसे कित्तो जनै फसे, और एकै दिनमे तेइस हजार मरिगए।
\v 9 9 हमके प्रभुको परीक्षा ना करन पडो, जैसी बे मैसे कित्तो करीँ, और साँप से नष्ट भए रहँए।
\v 10 हमके किचकिचान ना हए, जे मैसै कित्तो करी हँए, और विनाशसे नष्ट भए रहँए।
\v 11 जे बात तुमके उदहारणके रूपमे भओ रहए और हमर शिक्षाके ताँहिँ लिखो हए। जक उपर युग-युगको अन्त आइ गौ हए।
\v 12 ज़हेमारे जौन ठाडो हौ कहिके सोचे हए। बा होसियार रहए नत बा गिरैगो।
\v 13 आदमीके आन बारो परिक्षाके अलावा तुम और परिक्षामे ना पडे् हओ। पर परमेश्वर विश्वास योग्य हए, जौन तुमके तुमर शक्तिसे बाहीरको परिक्षामे ना पड्न देबैगो, पर तुम सहन सिकैगे कहिके परिक्षाके संगसंग उम्कन डगर फिर देहए। अइसी तुम बाके सहे डारैगे।
\v 14 जहेमारे मिर प्रिय हो, मूर्तिपूजासे अलग रहौ।
\v 15 समझदार आदमीसे मए कहत हौ, मिर कही बात तुम अपनै विचार करौ।
\v 16 बा आशिषको कटोरा जो के ताँहिँ हम आशिष मागत हएंँ, का बा ख्रीष्टको रगतमे होन बारो सहभागिता ना हए ? बा रोटी, जो हम तोरत हएंँ, का बा ख्रीष्टको शरीरमे सामिल ना हए ?
\v 17 काहेकी रोटी एकै हए, हम गज़ब हएँ त का शरीर त एकए हए, काहेकी हम सब एकै रोटीसे खातहँए।
\v 18 इस्राएल जातिके देखौ, वलिदानको चिज खान बारो, का वेदीको सहभागि ना भए ?
\v 19 मए का कहैया हौ त ? का मूर्तिके चढओ भओ चिज कछु हए ? तौ मूर्ति कछु चिज हए ?
\v 20 अइसो ना हए, पर मए जहे कहैया हौ, कि मूर्ति पूजन बारे जो वली चढात हँएँ, बा परमेश्‍वरके ताँहिँ ना हए, पर भूतप्रेतके ताँहिँ चढात हएँ, और तुम भूतप्रेत संग मिलौ जा मए ना चाहत हौँ।
\v 21 तुम प्रभुको कटोरा और भूतप्रेतको कटोरा दुनौ से ना पिन पए हओ। तुम प्रभुको टेबुल और भूतप्रेतको दुनौ से ना खाए पए हओ।
\v 22 का हम प्रभुके दिक्कबैय हएँ ? का हम बासे शक्तिशाली हएँ?
\v 23 "सबए बात न्यायसंगत हए,” पर सबए बात फाइदके ना हएँ। “सबए बात न्यायसंगत हएंँ" पर सबए बात आदमीके ना बनए हए।
\v 24 कोइ फिर अपन भलाई ना ढुणै, पर अपन परोसीके भलाई ढुणए।
\v 25 बजारमे जो बिचत हए, ज्ञान के ताँहिँ कछु बिना पुछके बा खाए।
\v 26 काहेकी पृथ्वी और बामे भओ सब चिज प्रभुको हए।
\v 27 कोई अविश्वासी बाके पाटी खान खबर दैई तौ जान इच्छ हए कहेसे तिर अग्गु जो धरदेहए: ज्ञान के ताँहिँ कछु ना पुछके खाबओ।
\v 28 "पर कोइ आदमी तोके ""जा त बलिमे चढओ भओ हए"" कही त बतान बारेके ताहिँ और ज्ञानके ताहिँ, मत खाओ। "
\v 29 मए तुमर आपनो ज्ञानके ताहिँ ना कहो पर और आदमीको ज्ञानकी बारेमे कहो हँओ काहेकी औरेको ज्ञानके मिर स्वतन्त्रताको न्याय होन काहे देओँ ?
\v 30 अगर धन्यवाद दैके मए खात हँँओ, कहिके धन्यवाद दैके खओ भओ पाटीके ताँहिँ काहे मिर निन्दा होए ?
\v 31 जाहेमारे चहू तुम खाओ, अथवा पियौ, अथवा चहु तुम जो करौ, सबए परमेश्वरके महिमाके ताहिँ करओ।
\v 32 कोई के ठेस लागन वारो काम मत करओ, चाहे यहूदिके होए, अथवा ग्रीकके होबए अथवा परमेश्वरके मण्डलीके होए।
\v 33 जैसी मए फिर अपन करन बारो सवए काममे सव आदमीके प्रशन्न करन कोसिस करंगो, मए अपनए ना, पर बहुतको हित करंगो, काहेकी बिनको उध्दर होबए।
\c 11
आध्याय ११
\v 1 मेरो अनुसरण करनबारे होबओ, जैसी मए ख्रीष्टको अनुसरण करत हँओ।
\v 2 मए बाढई करत हँओ, काहेकी सबएके बारेमे तुम मोके सम्झत हओ, और मए तुमके दओ भओ शिक्षा कायम करत हँओ।
\v 3 पर तुम जा बुझओ कहिके मए चाहत हँओ, कि सबए आदमीको शिर ख्रीष्ट हए, बैयरको शिर बिनको लोगा हए, और ख्रीष्टको शिर परमेश्‍वर हए।
\v 4 प्रार्थना करत अथवा अगमवाणी बोलत अपनो मुण तोपन बारो लोगअपनो परमेश्‍वरको अपमान करत हए।
\v 5 पर मुण खुल्ला छोणके प्रार्थना करन बारी, अथवा अगमवाणी बोलन बारी बैयर अपनो मुणको अपमान करत हए, काहेकी जा बा अपनो बार काटे जैसो हए।
\v 6 काहेकी कोइ बैयर मुण ना तोपत हए कहेसे बरु बा बार काटए। पर बार कटनो कि छोलनो बैयरके ताहिँ शर्मकि बात हए कहेसे बा मुणमे घुँघाट डारए।
\v 7 काहेकी लोग अपनो मुण ना तोपन पड्तहए, काहेकी बा परमेश्‍वरको प्रतिरुप और गौरब हए, पर बैयर लोगा को गौरब हए।
\v 8 काहेकी लोगा बैयरसे ना बनोहए, पर बैयर लोगासे बनी हए।
\v 9 बैयरके ताहिँ लोगा सृष्टि ना भओ हए, पर बैयर लोगाके ताहिँ हए।
\v 10 जहेमारे और स्वर्गदूतके खातिर फिर बैयर अपनो मुण घुँघाटसे तुपे होन पड्त हए।
\v 11 तव फिर प्रभुमे लोगासे बैयर स्वतन्त्र ना होत हए, नत बैयरसे लोगा ना होत हए।
\v 12 काहेकी जैसी लोगासे बैयर बनि, उइसी लोगा बैयरसे जन्मत हए। पर सब चिज परमेश्‍वरसे आत हए।
\v 13 तुम अपनए विचार करौ, मुण ना तोपके परमेश्‍वरके प्रार्थना करत बैयरके सोहातहए का?
\v 14 लोग लम्बो बार पलहे कहेसे बो बाके ताहिँ शर्मकी बात हए कहिके प्रकृतिक फिर तुमके सिखात ना हए का?
\v 15 पर अगर बैयरको लम्बो बार हए कहेसे बाके ताहिँ गौरव हए। काहेकी बैयरको बार बाके तोपनके ताहिँ दै हए।
\v 16 पर कोइ जाके बारेमे वाद-विवाद करन चाहँत हए कहेसे, हमर अइसो कोइ रिति ना हए, ना परमेश्‍वरको मण्डलीके सँग हए।
\v 17 पर जे आदेश देत मए तुमर तारिफ ना करंगो, काहेकी तुम भेला बा अच्छोके ताहिँ ना होत हए, पर बा और खराबीके ताहिँ हए।
\v 18 काहेकी पहिले त, मण्डलीमे एकसंग भेला होत तुमरमे फाटो हए कहिके मए सुनत हँओ। तव कुछ मात्रमे मए बा विश्वास फिर करत हँओ।
\v 19 तुमर मैसे ग्रहणयोग्य ठहरे भए चिनन् ताहिँ तुमरमे मतभेद होन फिर आवश्यक हए।
\v 20 जब तुम एकसंग भेला भए खानपिन करत हौ बो चाहिँ प्रभु-भोज ना हए।
\v 21 काहेकी खान बैठत सबए अपनो भोजन खात हएँ, और कोइ भुखो रहत हए, तव कोइचाहिँ मद्धसे मातो होतहए।
\v 22 का खान और पिनके ताहिँ तुमर अपन- अपन घर ना हए ? अथवा का तुम परमेश्वरको मण्डलीके तुच्छ ठाहरत हओ और कछु ना होनबारोके अपमान करत हओ? मए तुमसे का कहँओ? का जाके ताहिँ मए तुमर तारिफ* करौ? मए कदापि ना करेहँओ।
\v 23 काहेकी प्रभुसे मए जो पाओ,सो तुमके सौप दओ, अर्थात् जौन रात बा पकणओ भओ, बा रात प्रभु येशू रोटी लै,
\v 24 और धन्यवाद दैके पिच्छु बा रोटी तोणी, और कही, “जा तुमर ताहिँ मेरो शरीर हए। जा मेरो सम्झनाके ताहिँ करौ।”
\v 25 अइसी करके खाएके पिच्छु बो कटोरा लैके कही, “जा कटोरा मेरो रगतमे भओ नयाँ करार हए। जब- जब तुम जा पिबैगे, मेरो सम्झनामे जा अक्सर करौ।”
\v 26 काहेकी जब-जब तुम जा रोटी खाबैगे और जा कटोरामैसे पिबैगे, बाके ना आनतक तुम प्रभुको मृत्युको घोषणा करत हौ।
\v 27 जहेमारे जौन अयोग्य रितिसे प्रभुको रोटी खाए हए, कि प्रभुको कटोरामैसे पिहए, बो आदमी प्रभुको शरीर और रगतके अपवित्र तुल्याहे कहेसे दोषी ठहरैगो।
\v 28 हरेक आदमी अपनके जाँचए, तव मात्र बो रोटी खाबै, और कटोरासे पिबै।
\v 29 काहेकी प्रभुको शरीरके नचिनके जौन खाएहे और पिहए बो खाओ और पिओ अपनउपर दण्ड लाबैगो।
\v 30 जहेमारे तुमरमैसे गजब कमजोर और रुगहा हँए, और कित्तो जनै मरीगए हँए।
\v 31 पर हम नेहत्व अपना अपनएके जाँच हए कहेसे हम न्यायमे ना पणंगे।
\v 32 पर जब प्रभु हमरो न्याय करहे, तव हमके अनुशासन करैगो, ताकि संसारसंग दोषी ना ठहरैगे।
\v 33 जहेमारे मेरे भैया तुम, खानके एकसंग भेला होत एक दुसरेके असियाबौ।
\v 34 अगर कोइ भुखो हए कहेसे बो घरमे खाबए नत एकसंग भेला होत तुम दण्डको भागी हुइहौ। और बातके बारेमे मए आएके निर्देशन देमंगो।
\c 12
आध्याय १२
\v 1 भैया तुम, अब आत्मिक वरदानको बारेमे तुम अनजान होबाओ करके मेरो इच्छा ना हए।
\v 2 तुमके पता हए, कि जब तुम कोइ समयमे मुर्तिके सेवक रहओ, तव कोइ न कोइ प्रकारसे प्रभावित हुइके तुम नमस्कन बारी मूर्तिघेन बहाके रहौ।
\v 3 "जहेमारे तुमके जा बात बुझौ मए चाहत हौँ, कि परमेश्वरको आत्मासे मस्कन बारो कोइ "येशू श्रापित होबए ना कहत हँए। " तव पवित्र आत्मा बाहेक कोई फिर "येशू प्रभु हए" ना कहि पएहए।
\v 4 वरदान बेढमकिसिमके हए, पर प्रभु त एकए हए।
\v 5 सेवाके काम गजब हएंँ, पर प्रभु त एकए हए।
\v 6 काम बेढम किसिमके हएँ, पर बहे परमेश्वर सबके बे काम करन प्रेरण देतहए।
\v 7 सबयके हितके ताँहि नै पवित्र आत्माको काम प्रकट होन सबके एक चिन्ह दै हए।
\v 8 कोइके पवित्र आत्मासे बुध्दिको बात मस्कन, कोइके बहे पवित्र आत्माअनुसार ज्ञानको बात मस्कन वरदान दै हए।
\v 9 कोइके बहे पवित्र आत्मासे विश्वास करनबारो, कोइके बहे पवित्र आत्मासे रोग अच्छो करनबारो वरदान दै हए,
\v 10 कोइके अचम्मोको काम करन, कोइके अगमवाणी बोल्न, कोइके आत्मा छुट्टयान सिकनबारो, कोइके बेढम किसिमको भाषा मस्कनबारो, कोइके त बहे भाषाको अर्थ खोलदेन बारो वरदान दैए।
\v 11 पर जे सबयमे एकए पवित्र आत्माको काम करतहए। प्रभु सबयके बाको इच्छा अनुसार व्यक्तिगत रुपमे वरदान देतहए।
\v 12 काहेकी जैसी शरीर एक हए, और बाके बेढम अङग हँए, और शरीरको सम्पूर्ण अङग बेढम भएसे फिर शरीर त एकै हए, ख्रीष्ट फिर अइसी हए।
\v 13 काहेकी एकए पवित्र आत्मासे हम सब एकए शरीरमे बप्तिस्मा पाए हँए- यहूदी अथवा ग्रीक, कमैया अथवा फुक्का, हम सबैके एकए पवित्र आत्मासे पिन दै हए।
\v 14 काहेकी शरीर एकै अङगसे मात्र ना पर बेढम अङगसे बनो होतहए।
\v 15 "अगर टाङग "मए हात न हँओ, जहेमारे मए शरीरको अङग ना हँओ" कैहए कहेसे, का बा शरीरको अङग ना हुईहे ?"
\v 16 "और कान ""मए आँखी नैयाँ, जहेमारे मए शरीरको अङग नैयाँ "" कैहए कहेसे, बा शरीरको अङग ना हए ? "
\v 17 अगर जम्मै शरीर आँखी हुइ तौ त सुनहँएँ कहाँसे? अगर जम्मै शरीर कान हुइहए त सुँघंगे कहाँसे ?
\v 18 पर परमेश्वर अपनो इच्छाबमोजिम शरीरमे हरेक अङग मिलाएके धरदै हए।
\v 19 अगर बे जम्मै एकै अङग हुइते त शरीर कहाँ हुइतो ?
\v 20 पर अङग बेढम हएँ, तहु फिर शरीर त एकए हए।
\v 21 "आँखी हातके "मोके तेरो जरुरत ना हए" कहन ना पएहए, और मुण फिर टाङगके "मोके तिर जरुरत ना हए " कहन ना पएहए।"
\v 22 बरु कमजोर मनेभए शरीरके अंग और जरुरतके होतहँएं।
\v 23 शरीरके बे अङग जौनके हम कम महत्त्वको मनत हँए, बिनके हम जद्धा आदर देतहँए। खुला रुपमे ना दिखन सिकन बारो अङगके हम एकदम अच्छोसे धरतहँए,
\v 24 खुला रुपमे दिखानबारो हमर अङगके अइसो हिफाजत ना चाहतहए काहेकी बे अग्गुसे इज्जत पएहोत हएँ। पर परमेश्‍वर हमर शरीरके अइसो मिलाईहए कि छोटे अङगके जद्धा आदर प्रदान करीहए,।
\v 25 ताकि शरीरमे बेमेल ना होबए, पर अङग एक दुसरेके ताँहिँ समान वास्ता करँएँ कहिके बा एैसो करी हए।
\v 26 अगर एक अङगके कष्ट भओ कहेसे सब अङगसंगए कष्ट भोगत हँए, अथवा एक अङगको आदर भओ कहेसे सब अङगसंगए आनन्द मनात हँएं।
\v 27 तुम ख्रीष्टको शरीर हौ, और सब बाके अङग हँएँ।
\v 28 परमेश्वर मण्डलीमेपहीली प्रेरित, दुसरो अगमवक्ता, तिसरो शिक्षक, तव अचम्मो काम करनबारो, और अच्छो करनबारो वरदान पाए भए, सहायता करनबारे, प्रशासन चलानबारे, बेढम भाषा मस्कनबारे,नियुक्त करीहए।
\v 29 का सब प्रेरित हँए? का सब अगमवक्ता हँए? का सब शिक्षक हँए? का हम सब अच्म्मो काम करनबारे हँए?
\v 30 का सबके संग अच्छो करन बारो वरदान होतहए ? का सब बेढम भाषा मस्कत हँए? का बे सब औरे भाषाक मतलब बतात हँए ?
\v 31 पर और उचो वरदानको उत्कट इच्छा करौ। तव मए तुमके और अच्छो डगर दिखामंगो।
\c 13
आध्याय १३
\v 1 मानौ मए आदमी और स्वर्गदूतको भाषामे मस्केसे फिर मोएमे प्रेम ना हए तौ मए हल्ला करनबारो घण्टा और चिन्झा इकल्लो हुइहौँ।
\v 2 मानौ मिरसंग भाविष्यबणी करन बरो बरदान हँए, और मय लुके भय गुप्त बात बुझ्न सकत हौ, और पाहड हटानबारो सबए विश्वास मिरसंग हुइहए, पर मोएमे प्रेम ना हए तौ मए कछु ना हौँ।
\v 3 अगर सारा सम्पत्ति वाँटदेओ और मिर शरीर जलानके दै देहओ, पर मोएमे प्रेम ना हए तौ मोके कुछ लाभ ना हुइहए।
\v 4 प्रेम सहनशीलता और दयालु हए। प्रेम हिर्स ना करत हए, ना शेखी करत हए।
\v 5 प्रेम हठी ना होतहए, ना ढीट होतहए, प्रेम अपनो बातमे जिद्दी ना करत हए, बबाल ना मनत हए, खराबीको हिसाब ना धरत हए।
\v 6 प्रेम खराबीमे खुशी ना होत हए, पर ठीक बातमे रमातहए।
\v 7 प्रेम सब बात सहत हए, सब बातको पतियात हए, सब बातमे आशा धरत हए, सब बातमे स्थिर रहत हए।
\v 8 प्रेमको कभु अन्त ना होत हए।अगमवणी खतम हुइ जए हए, भाषा बन्द हुइजए हए, ज्ञान टल जए हए।
\v 9 काहेकी हम थोरी जानत हँएँ औ थोरी भविष्यबाणी करत हँएँ।
\v 10 तौ जब सिद्धता अए हए, अधुरोपन खतम हुइ जए हए।
\v 11 जब मए बालक रहौँ तव बालक जैसो मस्कत रहौँ, बालक जैसो सोचत रहौँ, बालक कता पुछत रहौँ, पर जब मए जवान भओ तौ बालकको चाल छोड दओ।
\v 12 अब हम दरपनमे जैसो गुधलो देखत हएँ, पर बा बेरा त छर्लङ देखंगे। अभे मए थोरी जानत हौँ, बा बेरा त पुरा बुझंगो, जैसी मए फिर पुरा रुपसे चिनो हौ।
\v 13 पर अब जे तीन बात रहत हँएँ विश्वास, आशा, प्रेम, जे तिन रहमंगे, पर जे मैसे सबसे अच्छो प्रेम हए।
\c 14
आध्याय १४
\v 1 प्रेममे लगे रहबओ और आत्मिक वरदानके ताहि जाँगरबारे होबओ , विशेष करके अगमवाणी बोलनके ताँहि इच्छा करओ।
\v 2 काहेकी अन्य भाषामे मस्कनबारे आदमीसंग ना पर परमेश्वरसंग मस्कत हए। बा गुप्त बातकेआत्मामे मस्कत हए और बा बात कोइ ना बुझ पतहए।
\v 3 पर अगमवाणी करन बारो आदमीसंग मस्कत हए बिनके आत्मिक वृध्दि, उत्साह और सान्तवनाके ताहि बो मसकत हय।
\v 4 अन्य भाषामे मस्कन बारो अपन आत्मिक वृध्दि करत हए पर भबिष्यबाणी करन बारो मण्डलीक आत्मिक वृध्दि करत हए।
\v 5 तुम सब अन्य भाषामे मस्कौ कहिके मए चाँहत हौँ, पर बोसे ज़द्धा तुम अगमवाणी करौ कहिके मए चाँहत हौँ।मण्डलीको आत्मिक वृध्दिके ताहिँ कोइ अर्थ ना खुलन तक अन्य भाषामे मस्कन बारोसे भबिष्बायबाणी करन बारो अच्छो हए।
\v 6 भैया अगर मए तुमरठीन अन्य भाषामे बोलत आओ, पर तुमरेठीन कोइ प्रकाशको ज्ञान और अगमवाणी अथवा शिक्षाके ताँही मए तुमसे ना मस्कहौँ तबसम मोके कोइ फाइदा ना हुइहए।
\v 7 अगर बासुरी अथवा तन्दुरा जैसो निर्जीव बाजासे स्पस्ट आवाज नाए निकरहै कहेसे, कौन कौनछो बाजा बाज रहो हए कहिके कैसे जान पएहए ?
\v 8 अगर तुरहीके ना चिन्होँ आवाजमे बजए हय कहेसे कैसे कोइ लडाइके ताँही तयार हुइहए ?
\v 9 तुमर ताँही फिर अइसी हए। अगर ना बुझन जैसो मस्केहौ तौ तुमर बतकाव भौ बात कैसे जान पएहँएं ? तुम मस्कत रए हौ और कोई फिर तुमर बात ना बुझे हए।
\v 10 संसारमे बहुत किसिमके भाषा हँए।कहि बातमे कुछ शङ्का ना हए और कोई फिर बिना अर्थके ना हँए।
\v 11 अगर बोलो भाषाको अर्थ मए बुझो ना तौ मए बा आदमीके ताँही और बा आदमी मिर ताँही विदेशी हुइहए।
\v 12 तुमर ताँहि फिरअइसी हए। तुम फिर पवित्र आत्माको वरदानके ताँहिँ उत्सुक भौ जैसो मण्डलीके बनानको काममे जाँगर बारे बानौ।
\v 13 जहेमारे अन्य भाषामे मस्कनबारो आदमी बाको अर्थ बातए पाबए कहिके प्रार्थना करए।
\v 14 काहेकी अगर मए अन्य भाषामे प्राथना करत हौँ कहेसे मिरआत्मा प्रार्थना करत हए, पर मिर दिमाक त सफल ना होत हए।
\v 15 अब मए का कारौँ ? मए आत्मामे प्रार्थना कराङ्गो, पर मए मिर दिमाकसे फिर प्रार्थना करङ्गो। आत्मासे गामंगो और मए मिर दिमाकसे फिर गामंगो।
\v 16 अगर तुम आत्मामे परमेश्वरको प्रशंसा करत तुमर कहिभई बात बाहिरके ना बुझीँ तौ कैसे बे आमेन कएहँएँ ?
\v 17 तुम त आच्छेसे धन्यवाद देतहौ, पर बो दुसरे आदमीके कोइ आत्मिक वृध्दि ना करत हए।
\v 18 मए परमेश्वरके धन्यवाद चढ़ात हौ, काहेकी तुम सब से जद्धा मए अन्य भाषामे मस्कत हौँ।
\v 19 पर मए मण्डलीमे दुस्रो भाषामे दश हजार बोली बोलनसेेे त अपन दिमाकसे पाँच बोली बोलन चाँहत हौँ।
\v 20 भैया तुम, सोच- विचारमे बालक मत बनओ। खराबीके ताँहिँ बालक बनओ।, पर सोच- विचारमे परिपक्का होबओ।
\v 21 व्यवस्थामे अईसो लिखो हए, "अपठ्यरो भाषामे मस्कनबारे आदमीसे और विदेशीनके ओठसे मए जा आदमीसंग मस्केहौँ , तहुँ फिर बे मोके ना सुनेहँएँ" परमप्रभु कहत हए।
\v 22 जहेमारे अन्य भाषा विश्वासीके ताँहि ना हए, पर अनविश्वासीके ताँहि चिन्हा हए। पर अगमवाणी त अनविश्वासीके ताँहि ना हए पर विश्वासीके ताँहि चिन्हा हए।
\v 23 अगर जम्मए मण्डली इकठ्ठा हुइके सबए अन्य भाषामे मस्कत बाहिरके औ विश्‍वास ना करनबारे बा हुना आत बे तुम पागल हौ ना कएहँएँ का?
\v 24 तव सब अगमवाणी कहत बेरा कोइ अनविश्वासी अथवा बाहिरको आदमी हुवाँ घुसी गओ तव सब से अग्गु अपनो पापको बोध हुइहए, और सबसे बो जँचैगो।
\v 25 "बाकि हृदयकि लुकी बात प्रकट हुइहए, और घुप्टाएके बो परमेश्वरके आराधना करहए, और बो ""परमेश्वर तुमके विचमे हए"" कहिके कएहए।"
\v 26 भैया तुमसे, अब हम का कहँएँ? तुम एक ठिन इकठ्ठा होत सबएसंग भजन और शिक्षा, प्रकाश, दुस्रो भाषा और अर्थ बातनको काम होत हए। जा सब बात आत्मिक वृध्दिके ताँहि हए।
\v 27 कोइ अन्य भाषा बोलत हए तव दुई जनै इकल्लो ज़द्धामे तिन जनै पालो पालोसंग बोलए और एक जनै बाको अर्थ खोलाए।
\v 28 अर्थ खोलनबारो हुवाँ कोइ नैयाँ तव बोलनबारो मण्डलीके सभामे चूप रहए, और बो अपनएसंग और परमेश्वरसंग बोलए।
\v 29 अगमवाणी बोलनचाहिँ दुई या तिन अदमी होमए और बिनको बोलि भई बातके अच्छेसे जाँच करए।
\v 30 पर हुवाँ बैठनबारे कोइ एक अदमी के प्रकाश आओ तौ पहिले बालो वक्ताचाहिँ चूप रहबए।
\v 31 तुम सब पालो पालोसे अगमवाणी बोल सकत हौ, और अइसी सबैसे सिख सकएँ और सबैके उत्साह पाए सकएँ।
\v 32 अगमवक्ताकी आत्मा अगमवक्ताके अधीनमे होत हए।
\v 33 काहेकी परमेश्वर गोलमालको परमेश्वर ना हए पर शन्तिको परमेश्वर हए। सन्त सबै मण्डलीमे भौ अनुसार
\v 34 बैयर मण्डलीको सभामे चूपचाप रहमै। कहेकी बिनके मस्कनकी अनुमति ना हए, पर व्यवस्था कही अनुसार बे अधिनमे रहमए।
\v 35 कोइ चिजके बारेमे सीखन चाहत हए तव घरमे अपन-अपन लोगाके पुछएँ| काहेकी मण्डलीमे बैयरके बोलानो शर्मकी बात हए।
\v 36 का परमेश्वरको वचन तुमसे आओ हए ? अथवा का तुमरेठीन इकल्लो आओ हए ?
\v 37 कोइ अपनेके अगमवक्ता अथवा आत्मिकी आदमी सम्झत हए, तौ मए लिखो बात फिर परमेश्वरको आज्ञा हए कहिके बोके स्वीकार करन पडहए।
\v 38 पर कोइ जाको वास्ता ना करतहए, तौ बाको फिर वास्ता ना होबए।
\v 39 जहेमारे भैया रेओ, अगमवाणी बोलन उत्कट इच्छा करओ, और अन्य भाषा बोलन मनाही मतकरओ,
\v 40 पर सब काम शिष्टतापूर्वक और सुव्यवस्थित ढङसे करन पणत हए।
\c 15
आध्याय १५
\v 1 भैया रेओ, मए तुमके प्रचार करो सुसमाचार मए तुमके याद दिलान चाहत हौ, जौन सुसमाचार तुम ग्रहण करे, और जोमे तुम स्तिर रहतहौ।
\v 2 जा सुसमाचारसे तुमर उध्दार भौ हए, अगर जामे तुम अटल रहबैगे कहेसे, नत तुम व्यर्थैमे विश्वास करहौ।
\v 3 काहेकी मए जो पाओ बो सबसे मुख्य विषयके रुपमे तुमके सौपदाओः ,अथवा पवित्र धर्मशास्त्र अनुसार ख्रीष्ट हमरो पापके ताँहि मरो रहए।
\v 4 बो गणो रहए, और पवित्र धर्मशास्त्र अनुसार तिसरो दिनमे बो फिर जिन्दा भव रहए।
\v 5 बो केफासठीन, और बाह्र जनै चेलाठीन दिखानो रहए।
\v 6 पिच्छु बो एकै समयमे पाँच सयसे जद्धा भैयाठीन एकसंग दिखानो रहए, जे मैसे बेढम अभेसम्म हँएँ। पर कोइ-कोइ मरिगए हँएँ।
\v 7 फिर पच्छु याकूब और सब प्रेरितठीन बो दिखानो रहए।
\v 8 सबसे पिच्छु असमयमे जन्मो आदमीठीन जैसो मिरठीन फिर बो दिखानो रहए।
\v 9 काहेकी प्रेरितमैसे मए सबसे तुच्छ हौ। मए प्रेरित कहनको योग्य ना हौ। काहेकी मए परमेश्वरको मण्डलीके सताओ।
\v 10 पर मए जो हौँ परमेश्‍वरको अनुग्रहमे हौँ और मोएमे भौ बाको अनुग्रह बिना कामको ना रहए।बरु मए बे सबसे जाधा काम करो।तहु फिर मए ना पर मोएमे काम करनबारो परमेश्‍वरको अनुग्रह रहए।
\v 11 जहेमारे मए भव फिर अथवा बे भए फिर, हम जो प्रचार करत हँए, सो तुम विश्वास करे हौ।
\v 12 मरो भएनसे ख्रीष्ट पुनरुत्थान भौ कहिके प्रचार करीहए कहेसे कैसे तुमरमैसे कोइ-कोइ मरके पुनरुत्थान ना हुइहए कहिके कहन सिकैगे?
\v 13 पर अगर मरके पुनरुत्थान ना हुइहए कहेसे ख्रीष्ट फिर मरके पुनर्जीविन ना भौ हए।
\v 14 अगर ख्रीष्ट मरके पुनर्जीवित ना भौ हए कहेसे हमर प्रचार व्यर्थ हए, और तुमर विश्वास फिर व्यर्थ हए।
\v 15 बासे जद्धा हम परमेश्वरके बारेमे झूठो साक्षी ठहरत हँएँ, काहेकी ख्रीष्टके मरके पुनर्जीवित करीहए कहिके हम परमेश्वरको बारेमे गवाही देत हँए। पर नेहत्व मरके पुनरुत्थान ना हुइहए कहेसे बो ख्रीष्टके पुनर्जीवित ना करी हए।
\v 16 काहेकी अगर मरो भव पुनरुत्थान नाए हुइहए त ख्रीष्ट फिर मरके जिन्दा नाए भव हए।
\v 17 ख्रीष्ट पुनर्जीवित ना भौ हए कहेसे तुमर विश्वास व्यर्थ हए, और तुम अभेसम्म अपन पापमे हौ।
\v 18 तभि त ख्रीष्टमे मरनबारे फिर नष्ट भए हँए।
\v 19 अगर जा जीवनके ताँहि इकल्लो ख्रीष्टमे हम आशा करेहँए कहेसे हम सबए आदमीसे जद्धा दयनीय हँएँ।
\v 20 वास्तवमे ख्रीष्ट मरके जिन्दा भौ हए। मरोमैसे बो तपहीली फल बानो हए।
\v 21 काहेकी जैसी एक जनै आदमीसे मृत्यु आओ, अइसी मरनके पुनरुत्थान फिर एक जनै आदमीसे आओ।
\v 22 काहेकी जैसी आदममे सब मर हँएँ, अइसी करके ख्रीष्टमे सब जिन्दा हुइहँएँ।
\v 23 पर सबए बात अपनो-अपनो क्रमअनुसार हुईहएः ख्रीष्ट त अगौटे फरा हए, और पिच्छु ख्रीष्टमे भौ बाको आन बालो समयमे जिन्दा करो जए हए।
\v 24 तव अन्तमे आए हए, जब बाको हरेक शासन, हरेक अख्तियार और शक्ति नष्ट करके परमेश्वर, पिताको हातमे सौंपदेहए।
\v 25 काहेकी बो अपन सारा शत्रुके अपन पाओँ तरे ना करनतक बा राज्य करैगो।
\v 26 नष्ट करनबारो अन्तिम शत्रु मृत्यु हए।
\v 27 "काहेकी परमेश्वर सबै बात बाके पाउतरे अधिनमे धरी हए।" पर जा त स्पष्ट हए, कि "सबै बात बाके अधिनमे धरीहए" जहेमारे परमेश्वर अपनए जा अधिनमे ना हए, जो सब बात ख्रीष्टको अधिनमे धरदै हए। "
\v 28 जब सब बात बाके अधिनमे लातहँए, तव स्वयम पुत्र बाको अधिनमे होतहए, जो सब चिज बाके अधिनमे धरत हए, ताकि परमेश्वर सब चिज सर्वेसर्वा होबए।
\v 29 नत मरेभएके ताहि बप्तिस्मा लेनको अर्थ का भौ ? मरेभए जिन्दा नाए हुईके फिर त बिनके ताहि आदमी काहे बप्तिस्मा लेतहए ?
\v 30 मए काहे हरघड़ी जोखिममे पणतहौँ।
\v 31 भैया तुम, हमर प्रभु येशूमे तुमर कारन मए गर्व करत हौ, और मए कहन सिक्त हौ, कि प्रत्येक दिन मए मरत हौ।
\v 32 आदमीको बात करन हए कहेसे, एफिससमे जङ्गली जनावरसंग मिर लड़ाईमे मोके का फाइदा भौ? मरोभव जिन्दा ना हुईतो तव, “हम खामै और पिमएव, काहेकी कल त हम मरजए हँए।”
\v 33 भ्रममे मत पणओ। खराब सङ्गत अच्छो चरित्रके नष्ट करत हए।
\v 34 होशमे होबौ, अब पाप मत करौ। काहेकी कित्तोके त परमेश्वरको ज्ञान ना हए। तुमके सरमबान ताँहि मए जा कहो हौ।
\v 35 "पर कोइ पुछैगो ""मरो भव कैसे जिन्दा हुई हए? और बे कैसो प्रकारको शरीर लैके आतहँए?”
\v 36 तुम कित्तो अन्जान हौ! जो लगात हौ बा नमरन तक ना जमत हए।
\v 37 जो तुम लगात हौ बा त पिच्छु होनबारी शरीर ना हए , पर बीज इकल्लो हए।, चाहे बो गेहूँ, अथवा और कोइ किसिमको अन्न होबए।
\v 38 पर अपनाके खुशी लागोजैसो परमेश्वर बोके एक शरीर देतहए, और सबए किसिमको बीजके बा अपन शरीर देबैगो।
\v 39 सबए शरीर एक किसिमको ना होत हए। आदमीको शरीर एक किसिमको, और पशुको दुसरो किसिमको, चिरैंयाँको औरे किसिमको, और मछ्रीको औरे किसिमको शरीर होतहए।
\v 40 तौ शरीर फिर स्वर्गीय और मट्टीको होत हए। स्वर्गीय शरीरको तेज एक किसिमको हए, और मट्टीको शरीरको तेज औरे किसिमको होतहए।
\v 41 दिनको तेज एक किसिमको, जोनीको तेज दुसरे किसिमको, और ताराको तेज औरे किसिमको होत हए। काहेकी एक तारा औरो तारा से फरक तेजको होत हए।
\v 42 मरनके पुनरुत्थान फिर अइसी हए। जौन शरीर विनाशमे गणत हए। बो विनाशीमे जिन्दा होत हए।
\v 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए। दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए।
\v 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए। प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए।
\v 45 जहेमारे अइसो लिखो हए, “पहिलो आदमी आदम जीवित प्राणी भौ।” अन्तिमे आदम जीवन देनबारो आत्मा भौ।
\v 46पहीली आत्मिक नैयाँ, पर प्राकृतिक हए, और पिच्छुबारो आत्मिक रहए।
\v 47पहीली आदमी मट्टीसे बानो रहए, पृथ्वीसे हए। दुसरो आदमी स्वर्गको हए।
\v 48 मट्टीसे बानो आदमीजैसो रहए, मट्टीसे बने फिर अइसी होतहँए, और स्वर्गीय आदमी जैसी हए, स्वर्गके फिर अइसी होतहँए।
\v 49 जैसी हम मट्टीको आदमीको रूप धारन करेहँए। अइसी स्वर्गके आदमीके रुप धारण कर हँए।
\v 50 अब भैया , मए तुमके जा कहत हौ, कि मासु और रगत स्वर्गको राज्यको हकदार ना होत हए, नत विनाश अविनाशको हकदार हुइपए हए।
\v 51 देखओ, मए तुमसे एक रहस्य कहत हौँ हम सबय ना मरङगे , पर हम सबको परिवर्तन होबैगो।
\v 52 एकछिनमे, आँखीको एक टिमकनमे, तुरहीको आवाजमे काहेकी, तुरही बजहए, और मरेभए अविनाशी हुइके जिन्दा हुइहए। और हमर परिवर्तन हुइहए।
\v 53 काहेकी जा विनाशी स्वभाव अविनाशी, और जा मरनबारो शरीर अमरत्व धारन करन पणैगो।
\v 54 जब विनाशी अविनाशी और मरणशील अमरत्व धारण करहए, तव लिखो भौ बा वचन पूरा होबैगो, “मृत्यु विजयमे निलगओ हए।”
\v 55 "ए मृत्यु, तेरो विजय कहाँ? ए मृत्यु, तेरो खिला कहाँ ?”"
\v 56 मृत्युको खिला पाप हए, और पापको शक्ति व्यवस्था हए।
\v 57 पर परमेश्वरके धन्यवाद होबए, जो हमके हमर प्रभु येशू ख्रीष्टसे विजय देतहए।
\v 58 जहेमारे प्यारे भैया तुम, स्थिर और अटल होबओ। प्रभुको काममे सबदिन व्यस्त रहौ। काहेकी तुम जानतहौ, कि प्रभुमे तुमर परिश्रम व्यर्थ ना होतहए।
\c 16
आध्याय १६
\v 1 अब सन्तके ताँहिं भेटीके बारेमे गलातियाक मण्डलीनके मए दओ आदेश अनुसार तुम करीओ:
\v 2 हर हप्ताकोपहीली दिन तुम सबए अपन- अपन कमाइ अनुसार कुछु धन छुट्याएके जम्मा करत रहीओ, ताकि मए आमौ तौ भेटी उठान ना पड्ए।
\v 3 और मए आएके पिच्छु तुम चहे मए आदमीनके परिचाय पत्र दैके तुमके भेटी लेन यरुशलेम पढओ हौ।
\v 4 पर मए फिर जानके ठीक देखेहौ तव बिनकेसंग जएहौ।
\v 5 माकेडोनियाको यात्रा करके पिच्छु तुमरसंग भेटघट करनके आएहौ, काहेकी मए माकेड़ोनिया हुइके जाए रहो हौ।
\v 6 शायद मए तुमरे ठीन कुछ दिन बैठंगो, अथवा हिउँद फिर बितामंगो। तौ पिच्छु मए जहाँ जाओ ताहु फिर तुम मेरो यात्राको बन्दोबस्त मिलाए दियो।
\v 7 जा पाली तुमरे संग एक चोटिको यात्रा भेटघाट ना करके, प्रभुको इच्छा हुइहए तौ कुछ समय बितानके आशरा करेहौ।
\v 8 पर पेन्तिकोसको तेवहार तक मए एफिससमे बैठंगो।
\v 9 काहेकी मिर ताँही एक बणो फाटक खुलो हए ,पर विरोध करनबारे फिर बहुत हँए।
\v 10 तिमोथी तुमरेठीन आन बिनके तुमरसंग बिना चिन्तासे बैठन देओ काहेकी बो फिर मेरो जैसो प्रभुको काम करत हए।
\v 11 जहेमारे कोइ बाके मत हेला करीओ। पर शन्तिसंग बिनको अपन यात्रामे पठाए दिओ, और बाके मिर ठीन आनके सकए | काहेकी भैयनसंग आत हुइहए कहिके मए बिनको प्रतिक्षा करत हौ।
\v 12 अब भैया अपोल्लोसके बारेमे मए जा कहत हौ, कि मए बिनके और भैयानकेसंग मिलके तुमरसंग भेटघाट करन बहुत बिन्ती करो, पर हबए आनके बिनके बिलकुल इच्छा ना भौ पर मौका मिलैगो तौ बे तुमरठिन अमंगे।
\v 13 तयार रहओ, विश्वासमे पक्के बने रहओ साहसी और सामर्थी बनओ।
\v 14 तुम जो करत हौ बे सब प्रेममे करीओ।
\v 15 स्तिफनासको घरानाके अखैयाके पहिले विश्वासी हँए। बे विश्‍वासीनको सेवामे अपनएके अर्पण करीहँए। भाईया रेओ ,मए तुमके जा कहत हौ की
\v 16 अइसी परिश्रम करनबारेनके सबए सहकर्मीको अधिनमे रहबौ।
\v 17 स्तिफनास, फोर्टनाटस और अखाइकसको आगमनमे मए आनन्दित भौ हौँ , काहेकी बे तुमर अनुपस्थिति पूरा करदैँ।
\v 18 काहेकी बे मेरो और तुमरे आत्माके फिर उत्साहित बनाई अइसो आदमीको आदर करओ।
\v 19 एशियाके मण्डली तुमके अभिवादन पठाई हँए। अकिलास और प्रिस्काके और बिनके घरमे भए मण्डली प्रभुमे तुमके हार्दिक अभिवादन पठाई हँए।
\v 20 सबय भैया तुमके अभिवादन पठाई हँए। एक दुसरेके पवित्र चुम्बनसे अभिवादन करीओ।
\v 21 मए पावल, अपनए हातसे जा चिठ्ठी लिखत हौ।
\v 22 अगर कोइ प्रभुके प्रेम ना करत हए तौ बा श्रपित होबए। हमर प्रभु आबओ!
\v 23 प्रभु येशू ख्रीष्टको अनुग्रह तुमरसँग रहाबए।
\v 24 ख्रीष्ट येशूमे तुम सबके मिर प्रेम हए।