From c9cb80adf6a8176fcb0f6cc7d4dac29752dbdfde Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Ed Davis Date: Tue, 7 May 2024 16:00:51 +0000 Subject: [PATCH] Upload files to "/" --- 46-ROM.usfm | 472 ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 1 file changed, 472 insertions(+) create mode 100644 46-ROM.usfm diff --git a/46-ROM.usfm b/46-ROM.usfm new file mode 100644 index 0000000..b0a9860 --- /dev/null +++ b/46-ROM.usfm @@ -0,0 +1,472 @@ +\id rom Regular +\ide usfm +\h रोमीन्के पावलको चिट्ठी +\toc1 रोमीन्के पावलको चिट्ठी +\toc2 रोमीन्के पावलको चिट्ठी +\toc3 rom +\mt रोमीन्के पावलको चिट्ठी +\c 1 +\p +\v 1 प्रेरित होनके तँहि बुलाएभए और सुसमाचारको कामके तँहि अलग करोभौ ्येशू ख्रीष्टको दास पावल । +\v 2 बा अपन अगमवक्तानसे आग्गुयए धर्म- शास्त्रमे प्रतिज्ञा करी भइ सुसमाचर जहे हए | +\v 3 जा शरीरअनुसार दाऊदको वंशसे जलमो भौ बाको पुत्रके बारेमे हए । +\v 4 मरेनसे पुनरुत्थान हुइके और पवित्रताको आत्मासे शक्तिशाली परमेश्वरको पुत्र होन घोषण करो भौ बा हमर प्रभु येशू ख्रीष्ट हए । +\v 5 बाको नाँउके ताहिँ सबए जातिठिन विश्वासके आज्ञाकारिताके तँहि हम बासे अनुग्रह और आगुवको काम पाए हँए| +\v 6 जे जातिन मैसे तुम फिर येशू ख्रीष्टको होन बुलाए भए हौ। +\v 7 जा चिट्ठी रोममे भए सबएके तँहि हए, आथव परमेश्‍वर प्रिय, जो पवित्र जाति होन बोलाएभए हँए ।हमर परमेश्वर और प्रभु येशू ख्रीष्टको अनुग्रहऔर शान्ति तुममे रहबए। +\v 8 आग्गु तुम सबएनके तँहि येशु ख्रीष्टसे मए परमेश्‍वरके धन्यवाद चढातहौँ, काहेकि तुमर विश्‍वास सारा संसारभर घोषणा करो हए । +\v 9 काहेकि मए तुमर नाउँ कित्तो लएरहत हौ कहिके परमेश्वर मिर साँछी हए। बाको पुत्रको सुसमाचारमे मए मिर आत्मासे(जोसके साथ) बाको सेबा करत हौँ । +\v 10 परमेश्‍वरको इच्छासे जैसे फिर मए तुमरठिन आनके सफल होन सकौं कहिके मए साद मिर प्रार्थनामे अनुरोध करत हौँ । +\v 11 मए तुमके भेटन गजब इच्छा करत हौँ, ताकि तुमके तगडो बनानके ताँहि मए तुमके कुछ वरदान दै पामउँ । +\v 12 अइसी तुमर और मिर एक-दुस्रेको विश्‍वाससे मए आपसि रुपमे उत्साहित होन गजब इच्छा करत हौँ । +\v 13 मए बिषेस ः तुमर ठिन आन इच्छा करो कहि बातमे तुम अन्जन होबओ कहिके मए ना चाहँत हौँ, पर मोके अभेसम्म रोकोगव हए। मए बाँकी गैरयहूदीनके बिचमे जैसो तुमर बिचमे फिर कुछ फल पानके ताँहि जा चाहो हौँ। +\v 14 मए यहूदीन् और विदेशीन्, बुद्धिमनिन् और मूर्खन दुनैको ऋणी हौँ । +\v 15 जहेमारे मिर हकमे मए तुम रोममे होन बारेनके फिर सुसमाचार प्रचार करन तयार हौं। +\v 16 मए सुसमाचारके ताँहि ना शर्मात हौँ, काहेकि जा विश्‍वास करन बारे सबय के ताँहि परमेश्‍वारको मुक्तिको शक्ति हए, पहिले यहुदी और जकपिच्छु ग्रिकनके ताँहि । +\v 17 काहेकी जहेमे परमेश्‍वरको धार्मिकता विश्‍वाससे विश्‍वासमे करो गव हए, जैसो लिखो हए "धर्मी विश्‍वासैसे जिहए । +\v 18 काहेकि सबय भक्तिहीनता और आदमीनको पापके बिरुध्द परमेश्‍वरकी क्रोध स्वर्गसे प्रकट भौ हए जौन भक्तिहीनताद्वारा सत्यताके रोके हए। +\v 19 जा परमेश्वरके बारेमे अनजान भइ बात बिनके दृश्‍य होनके करनसे है काहेकि परमेश्‍वर बिनके प्रकाश दै हए । +\v 20 काहेकि संसारकी उत्पत्तिसे बाक अदृश्‍य पक्ष स्पष्ट रुपमे दृश्‍य भए हँए । बे सृजेभए चिजनके द्वारा बुझेगए हँए। जे पक्ष बाको अनन्त शक्ति और ईश्‍वरीय स्वभाव हँए। परिणामस्वरुप जे आदमीनके कोई बहाना ना हए। +\v 21 जा बे परमेश्‍वरके चिनके फिर बे बाके परमेश्‍वरके रुपमे महिमा नदेन के करनसे भौ हए । बरु बे अपनी बिचारमे मुर्ख भए, और बिनको अचेत हृदय अँध्यारो भव। +\v 22 बे बुद्धिमान भौ कहिके दाबि करीँ ताहुँ फिर बे मुर्खए भए, +\v 23 बे अबिनाशी परमेश्‍वरकी महिमाके नाश होन बारे आदमी, चिरैँ चुर्गुनी, चार टाङगके जनावर और घिष्टन बाले जीवजन्तुनके प्रतिमासे साटे | +\v 24 जहेमारे परमेश्‍वर बिनकी अशुध्दके तँहिं अथवा बिनके बिचमे बिनको शरीरकी अनादर होबए कहिके बिनको कामवासनामे छोड दै । +\v 25 परमेश्‍वरको सत्यताके झुठोसे बदलके सदा सर्वदा प्रशंसा करन बारो सृष्टिकर्ताके आराधना करनके बादला सृष्टि करोभौ चिजनके सेवा करन बारे बेहिँ हैँ । +\v 26 जहेमारे परमेश्वर बिनके शरम लागन बालो कामके ताहि छोड दै, काहेकि बिनकी बैयर अपन स्वाभाविक व्यवहारके अस्वाभाविक व्यवहारमे बदलीं, +\v 27 अइसी पुरुष फिर स्त्रीसंगको स्वभाविक कामके छोडीँ, और एक -दुस्रेघेन स्वभविक व्यवहार छोड के एक दुसरे घेन शरम लागन बारो कामके जलनमे लगो और लोग लोगसे निर्लज्ज काम करि, औ अपनी शरीरमे अपन कसुरके उचित दण्ड भोगी| +\v 28 बिनको सजगतामे बे परमेश्वरक हए कहिके सहमत ना होनके करनसे बा बिनके बिनको अनुचित काम करनके ताँहि भ्रष्ट मनमे छोड दै । +\v 29 बे अधार्मिकता, दुष्टता, लोभ, हिर्ससे भरे हँए | बे दिक्क, हत्या, लडाई झगडा, छल बिजरोसे भरे होत हँए, और बे औरेक बात काटनो, +\v 30 और बदनाम कारन बारो परमेश्वरके घृणा करन बारो, हेँकड, अहंकारी, अभिमानी, दुष्ट बात रचके नेगन बारो, अइया दौवाक आज्ञा पालन ना करन बालो +\v 31 मुर्ख, विश्वास घाती, निर्दयी, और झन्नी होत हए । +\v 32 अइसो करन बारे मरन योग्य होत हँए कहिके परमेश्वरको नियमके बे जानत हँए । पर बे जा थोक करन इकल्लो ना हए, बे आइसो करनबारेन संग सहमत फिर होतहँए । +\c 2 +\p +\v 1 जहेमारे तुमके कोइ बहाना नैयाँ । ए आदमी, ताय जौन न्याय करत हौ औ ताय दुस्रेके जोके ताँहि दोष लगात हौ तुम अपनै फिर बहेमे दोषी ठरैगे। काहेकी ताय न्याय करन बारो फिर बेही बात करतहौ। +\v 2 पर आइसो बात बारेनके उपर परमेश्वरको न्याय होत सत्यताके जैसो हुइ हए कहिके हम जानत हँए। +\v 3 पर ए आदमी, जाकेताए अइसो काम करन बालेके दोष लगात हए, और अपना फिर बहे काम करत हौ, का परमेश्वरको न्यायसे वाचङगे कहिके तए सोच हए? +\v 4 या परमेश्वरको कृपासे तोके पश्चताप घेन लैजात हए कहिके पत्ता नपाइके का तय बक दया, सहनशिलता और धैर्यको प्रशस्तताके खराब मानत हए? +\v 5 तव परमेश्वरको धार्मिकताको न्याय प्रकट होन बारो दिक्कके दिन ताहि अपनो कठोर और अपश्चात्तापी हृदय करके तुम अपने ताहि दिक्कको जमा लगात हौ। +\v 6 काहेकि बा हरेक आदमीको उनको काम अनुसार देमंगे। +\v 7 धैर्यसे अच्छो काम करके महिमा, इज्जत और अमरत्तो ढुड्नबारेनके चाँही बा अनन्त जीवन देबैगो। +\v 8 पर झगडालु, सत्यको पालन ना करनबारो, और दुष्टतामे नेगन बारेन के उपर ता क्रोध और दिक्क पडइगो| +\v 9 खराब काम करन बारे सबयआदमी के उपर सङ्कट और आफत आए पडइगो, पहिले यहूदी उपर और अन्यजातिके उपर फिर| +\v 10 और अच्छे काम करन बारे सबयके पहिले यहूदीनके उपर और अन्यजातिके फिर गौरव, इज्जत और शान्ति प्राप्त होबइगो +\v 11 काहेकी परमेश्वर पक्षपात ना करत हए| +\v 12 सबए जौन व्यवस्थाविना पाप करी हँए, बे व्यवस्था विनासे नष्ट फिर होमंगे, और व्यवस्थाके तरे रहीके फिर पाप करनबारेनके न्याय व्यवस्थाद्वारए सेहोबाइगो| +\v 13 काहेकी व्यवस्था सुनन बारे परमेश्वरके अग्गु धर्मी ना ठहरङगे, पर व्यवस्था पालन करन बारे धर्मी ठहरङगे| +\v 14 काहेकी व्यवस्था नहोनबारे अन्यजातीको स्वभावएसे व्यवस्था अनुसार काम करत हए, कहिकेबिनके व्यवस्था नहुइसे फिर बे अपन ताँहि अपनए व्यवस्था होमाङगे| +\v 15 व्यवस्थासेचाँहन बालि बात अपन हृदयमे लिखो भव बे दिखात हएँ, और बिनकी अपनी दिमाकसे फिर गवाही देत हए, और बिनको विचार कभी विनके दोष लागत हए, और कभी समर्थन करत हए| +\v 16 औ परमेश्‍वरप्रति फिर जहे बात लागु हुइहए । जा बा दिन हुइ हए जब परमेश्वर मोके प्रचार करो भव सुसमाचार-अनुसार येशू ख्रीष्टसे आदमीको गोप्य बातके न्याय करइगो। +\v 17 और अगर तुम यहूदी हौ कहेसे व्यवस्थामे भरोसा पडके परमेश्वरसँगको सम्बन्धमे घमण्ड करत हौ, +\v 18 और बाकी इच्छा जानत हौ, और व्यवस्थासे सिकाइ भइ अच्छी बातके मानत हौ, +\v 19 और तुमके जा पक्का हए कि तुम अन्धाको अगुवा हौ, और अन्धकारमे होनबारेके ताहिं ज्योति हौ, +\v 20 मुर्खके सुधारत हौ, अपरिपक्कके शिक्षा देत हौ, काहेकी व्यवस्थामे सबै बुध्दि और सत्यता प्राप्त करे हौ +\v 21 जब तुम दुसरेन्के सिखात हओ, तव का आपनएके ना सिखात हओ? जब तुम चोरिके विरुद्धमे प्रचार करत हओ, का तुम अपनाए चोरी करत हओ? +\v 22 तुम, जौन व्यभिचार ना करौ कहिके कहत हओ, का तुम अपनाए व्यभिचार करत हौ? तुम जौन मुर्तिके घृणा करत हौ, का तुम अपनाए मन्दिरके लुटत हौ? +\v 23 तुम जौन परमेश्‍वरको व्यवस्थामे गर्वके साथ रमात हौ, का तुम व्यवस्था भङग करके परमेश्वरको अनादर करत हौ? +\v 24 काहेकी, लिखो हए, “अन्यजातिके विचमे परमेश्वरको नाउँ तुमहीँ से निन्दित भओ हए।” +\v 25 यदि तुम व्यवस्था पालन करत हौ कहेसे वास्तवमे खतनासे निहत्तै तुमके फाइदा हए, पर व्यवस्था भङग करनबारे हौ कहेसे तुमर खतना बेखतना होत हए| +\v 26 अगर शरीरमे बेखतना भव व्यवस्थाके धार्मिक-विधान पालन करत हौ कहेसे, का बिनको बेखतना खतनामे ना गिनैगो का? +\v 27 तव शरीरमे खतना ना भव फिर व्यवस्था चाँही पालन करन बाले लिखित व्यवस्था भए और खतना फिर भए तुम व्यवस्था भङग करन बारेके दोषी ठहरात हौ| +\v 28 काहेकि बा यहूदी ना हए जो बाहिरी रुपसे इकल्लो यहूदी हए, उइसीयए निहत्तै खतना फिर बाहिरी और शारीरिक बात नैयाँ| +\v 29 यहूदी बो हए, जो भित्री रुपसे यहूदी हए, और निहत्तै खतना त हृदयकि बात हए, जा आत्मिक बात हए, लिखित व्यवस्थाकि बात नैयाँ ।अइसो आदमी को प्रशंसा आदमी से नाए, पर परमेश्वरसे होत हए। +\c 3 +\p +\v 1 अब यहूदीके का फाइदा हए त? अथाव खतनाको का मोल? +\v 2 हरतरहासे जा मे गजब फाइदा हए| सबसे अग्गु त परमेश्वरको वाणी यहूदीके सौँपदै हए| +\v 3 अगर बिनमैसे कोइ कोइ विश्वास नाकरी कहेसे, का हुइहए ता? का बिनकी अविश्वास परमेश्वरको विश्वासयोग्यताके रद्ध करत हए का? +\v 4 उइसो ना होबाए, परमेश्वर सत्य और सब आदमी झुठे ठहरे। जैसो लिखो हए, “तुम अपन वचनमे ठिक ठहरओ, और न्याय होतए तुमविजय होबाओ|” +\v 5 और हमर अधार्मिकतामे परमेश्वरको धार्मिकताके प्रकाशमे लातहए, तव हम का कहँए? का परमेश्वरको दिक्क हमरउपर आएपाडो तव बो अन्याय करत हए? (मए मानवीय जैसितर्क करतहौ|) +\v 6 काद्पी ना होबए! उइसो हए, कहेसे परमेश्‍वर संसारको इन्साफ कैसे करइगो? +\v 7 पर अगर मिर झुटसे परमेश्वरको सत्यता बक महिमाके ताहिँ प्रशस्त प्रशंसा प्रदान करत हए कहेसे मोके अभेफिर काहे पापीके रुपमे न्याय करत हँए? +\v 8 काहे नकाहँएं, जइसी हमके झुठे रुपमे आरोप लागत हएँ, और कोइ ता पुष्टि करत हँएँ, कि हम काहत हँए, "दुष्ट काम कारएँ, ताकि असल आबए।'' बिनको न्याय उचित हए। +\v 9 अइसो हए तौ का? का हम अपनए आपनो सफाइ देत हँए? आइसो नाहोबए! काहेकी यहूदीन् और ग्रिक सबए पापके अधीनमे रहँए कहिके हम पहिलियए दोष लगाएडरे हँए । +\v 10 जइसो लिखो हए, “धर्मी कोइ नैयाँ, एक जनै फिर नैयाँ, । +\v 11 बुझन बारो कोइ नाहए । परमेश्वरके ढुड्न बारे कोइ नाहँए । +\v 12 बे सब बराने हँए, बे एक सँग बेक्ममा भए हँए । असल करन बारे कोइ फिर नाहँए, अँहँ एक जनै फिर नाहँएँ । +\v 13 "बिनको मुहू खुलो चिहान हानि हए, बे अपन जिभसे छलकि बात करत हँए ।” “साँपको विष बिनकी ओठमे हए|”" +\v 14 "बिनकी मुहू सराप और खराब बातसे भरो हए|”" +\v 15 "बिनकी टाङग रक्तपात करन ताँहि तयार हएँ । +\v 16 बिनास और कष्ट बिनकी डगरमे हए, +\v 17 जे आदमी शान्तिकि डगर बे चीनत ना हँए|” +\v 18 "बिनकी आँखीके सामने परमेश्वरको डर ना हए । +\v 19 अब हम जानत हएँ, जो-जित्तो व्यवस्था कहत हए, व्यवस्थाके तरे होन बारेसे कहत हए, कि हरेक मुहू चूप लागौ, और सारा संसार परमेश्वरके अग्गु जवाफ देन बारो होबए| +\v 20 बाक नजरमे जहेमारे व्यवस्थाको कामसे कोइ प्राणी बोकी दृष्टिमे धर्मी ना ठहरैगो, काहेकी व्यवस्थाद्वारए पापको चेतना भौ हए । +\v 21 पर अब त व्यवस्था बिना परमेश्वरके आन बारो धार्मिकता प्रकट भौ हए । बहेकि गवाही व्यवस्था और अगमवक्ता दै हए । +\v 22 येशू ख्रीष्टमे विश्वास करन बारे सबएके उपर परमेश्वरको धार्मिकता विश्वाससे प्रकट भौ हए । +\v 23 काहेकी सबए पाप करीँ हएँ, और परमेश्वरको महिमासम्म पुगनके चुके हएँ । +\v 24 परमेश्ववरको अनुग्रह को वारदानसे ख्रीष्ट येशूमे भए उद्धारसे बेए सेँतमे धर्मी ठहरेहएँ। +\v 25 काहेकि परमेश्वर ख्रीष्ट बोके रगतसे प्रायश्‍चित बलिदान स्वरूप त्याग करी रहएँ, जौन प्रायश्‍चित विश्‍वास ग्रहण करन पड्त हए| जा काम परमेश्वर अपन धर्मिकता दिखन ताहि करी रहए, काहेकी बो इश्वरीय धैर्यमे अग्गुके पापनके बो वस्ता ना करी रहए| +\v 26 परमेश्वर अपनै धर्मी हए और येशूमे विश्वास करन बारे बो धर्मी ठहराबैइगो कहन बारी बात प्रमाण करन ताँहि बो वर्तमान समयमे जा करी रहए| +\v 27 घमण्ड कहाँ करएँ? जा त हटाव गौ हए। काके आधारमे? कामके आधारमे? नाए, पर विश्‍वासके आधारमे हए। +\v 28 तव हम निचोडमे आमंगे, कि कोइ फिर आदमी व्यवस्थाके कामकेबिना विश्वासद्वारए धर्मी ठहारत हए| +\v 29 का परमेश्वर केवल यहूदीनको इकल्लो परमेश्वर हुइहए का? का बो अन्यजातिनके फिर परमेश्वर ना हए का? हाँ बो अन्यजातिनको फिर परमेश्‍वर हए। +\v 30 अगर गौसएके एक परमेश्‍वर हए तौ बो खतना भएनके विश्‍वासद्वरा धर्मी ठहारत हए, और खतना नाभएनके फिर विश्‍वासकेद्वरा धर्मी ठहारत हए। +\v 31 का हम विश्‍वाससे व्यवस्थाके रद्द करत हँएं? कबहु एैसो ना होबए! बरु हम त व्यवस्थाके कायम करत हएँ। +\c 4 +\p +\v 1 अब, शरीर अनुसार हमर पुर्खा अब्राहामके बारेमे हम का कहँए त? +\v 2 अगर अब्राहम कामसे धर्मी ठ्हिरतो तौ उनके घमण्ड करनको कारण हुइतो, पर परमेश्वरके अग्गु त नाए । +\v 3 काहेकी पवित्र-शास्त्रमे का कहत हए? “अब्राहाम परमेश्वरउपर विश्वास करी, और बो उनके ताँहि धार्मिकतामे गिनीगौ ।” +\v 4 |” अब जौन काम करत हए, बाक ज्यालाके अनुग्रहके रुपमे ना गिनोजात हए, पर पानबारो चिजको रुपमे गिनो जात हए। +\v 5 पर बाक ताँहि जौन काम ना करत हए, पर बोकि साट्टा अधर्मीके धर्मी ठहरानबारोमे विश्‍वास करत हए, बोकी विश्‍वसकी धार्मीकताके रुपमे गिनहए। +\v 6 दाऊद फिर काम बिना परमेश्‍वर धार्मीकतामे गिनो भौ आदमीके आशिष घोषणा करत हए । +\v 7 "बा कहि बे धन्यके हएँ, जोकी अपराध क्षमा हुइगओ हए, और बक पाप तोप दाईहए।" +\v 8 बो आदमी धन्यको हए, जौनको विरुद्धमे परमेश्‍वर पापको लेखा नएलेतहए ।” +\v 9 तव का जा आशिर्वाद खतनाबालेनके ताँहि मात्र हए? कि बेखतनाबालेनके ताँहि फिर हए? काहेकी हम कहत हँएं, अब्राहामके ताँहि त उनको विश्वाससे धार्मिकताके रुपमे गिनो। +\v 10 अैसो हए कहेसे, जा कैसे गिनीगौ तौ? अब्राहाम को खतना होनसे अग्गु अथाव पच्छु? जा खतनामे होत ना भौ रहए, पर बेखतनामे भौ रहए। +\v 11 अब्राहाम खतनाको चिनहा पाइ।जा विश्वासको धार्मीकताकी छाप रहए, जो बा खतना होनसे पहिले पाइ गौ रहए । जा चिनहाको फल ता बे खतना होनसे पहिलियए बा विश्‍वास करन बारे सबएक पिता बनो । जक मतलब जा हएकी बो धार्मीकता बिनके ताँहि धार्मीकतामे गिनैगो । +\v 12 जक मतलब जा हएकी अब्राहाम खतनासे आए भए बालेक ताँही इकल्लो नाए, पर हमर पिता अब्राहामके पिछुवान बालेनके ताँहि फिर पिता बनो । और बो खतना होनसे पहिलियए बक संग विश्बा‍स रहए । +\v 13 काहेकी संसारके उत्तरधिकारी होनके ताँहि अब्राहाम और उनको वंशके दओ प्रतिज्ञा व्यवस्थासे ना दैरहए, पर जा विश्वासके धार्मिकतासे रहए। +\v 14 काहेकि अगर बो व्यवस्था पालन करनबारे मात्र उत्तराधिकारि हँंएं कहेसे विश्वासके त खाली बानइ और प्रतिज्ञाके रद्द करीँ । +\v 15 काहेकी व्यवस्था दिक्क लतहए, पर जहाँ व्यवस्था नैयाँ बोहुअँ अपराध फिर ना हुइहए । +\v 16 जहेमारे जा विश्वासकेउपर होत हए, काहेकि बो अनुग्रहउपर हुइ पाबए ।फलके रुपमे, प्रतिज्ञा सबए सन्तानके ताँहि पाक्को हए। और जे सन्तान व्यवस्था इकल्लो जानन बरेनके ताँहि ना हए, पर बे अब्राहामकी विश्‍वाससे आएभएनके फिर समेटत हए ।काहेकी बो हम सबकी पिता हए। +\v 17 जैसो लिखो हए, “मए तोके तमान जातिके पिता बनाओ हौं ।” अब्राहाम अपन भरोसा करो भौ परमेश्‍वरकी उपस्थितिमे रहए, जौन मरेनके जीवन देतहए और अस्तित्वमे नाभए चिजके अस्तित्वमे लाए सक्त हए । +\v 18 जे सबए बाहिरी परिस्थिती होतसोत फिर भविष्याके ताँहि अब्राहाम परमेश्‍वरमे दृढ भरोसा करी। तहिकमारे बा "तिर बाच्चा आइसी होमंगे" कहोजैसो गजब जातिनकि पिता बनो । +\v 19 बो विश्‍वासमे कमजोर ना रहए। अब्राहाम जानिगौ की बक शरीरमे बाच्चा जलमन तागत ना रहए ।(काहेकी बो करिब सौ वर्ष घेन पुगिगौ रहए) । साराकी कोख फिर बाच्चा जलमान ताँहि तागत ना रहए फिर बि बा स्वीकार करी । +\v 20 पर परमेश्वरकी प्रतिज्ञाके कारण, अब्राहामके कुछु शङ्का (अविश्‍वास) ना रोकी । बरु, बाके विश्‍वासमे पाक्को बनाइ और बा परमेश्‍वरकी प्रशंसा करी । +\v 21 परमेश्‍वर जो बात प्रतिज्ञा करी रहए, बो बा बात पुरा करन ताँहि होन्‍नरी रहए बा पूर्ण रुपमे विश्‍वस्त रहए। +\v 22 "जहेमारे फिर बा को विश्वास" "बाके ताँहि धार्मिकता गिनी ।” +\v 23 अब जा केवल बाको भलाईके ताँहि ना गिनो रहए । +\v 24 जा हमर ताँहि फिर लिखो गौ रहए, जौनके ताँहि गिनन बारो हए, हम जौन हमर येशू प्रभुके मरके जिन्दा करन बारोमे विश्‍वास करत हँए । +\v 25 बो बाही हए जौनके हमर अपराधके ताँहि सौँपो गौ रहए, और हमके धर्मी ठहरान ताँहि जिन्दा भौ हए । +\c 5 +\p +\v 1 हम विश्‍वाससे धर्मी ठहारानके करणसे हमर येशू ख्रीष्टसे हम परमेश्‍वरसंग शान्‍तिमे हँएं । +\v 2 हम बोक उपरको विश्ब‍वाससे जा अनुग्रहमे घूसन् पाए हँए । जा अनुग्रहमे हम ठडे हँए । हमर परमेश्‍वर हमके भविष्यके ताँहि मजबुती देन बारो मतलब परमेश्वरके महिमामे सहभागी हुइके हमर आशामे हम रमातहए । +\v 3 यितकै इकल्लो नैयाँ, पर हम अपनो संकष्टमे फिर रमातहँए ।, हम जानत हँए कि संकष्ट सहनशीलता उत्पन्न करतहए, +\v 4 सहनशीलता मिलाप उत्पन्‍न करात हए और सहमति भविष्यके ताँहि भरोसा उत्पन्न करात हए । +\v 5 आशा हमर निराशा ना करत हए, काहेकी हमके दौ भौ पवित्र आत्मासे परमेश्वरको प्रेम हमर हृदयमे अखानए दैहए । +\v 6 काहेकी हम दुर्वल रहएँ ख्रीष्ट अधर्मीके ताँहि ठीक समयमे मरीगौ । +\v 7 कोई मुस्किलसे मरैगौ एक जानै धर्मी आदमीके ताँहि, आथव एक जानै असल आदमीके ताँहि सायद कोई मारनको साहस करतो । +\v 8 पर परमेश्वर हमर ताँहि बाको प्रेम जहेमे दिखातहए, कि हम पापी होतए ख्रीष्ट हमर ताँहि मरो हए । +\v 9 जहेमारे बाको रगतसे औ जद्धा धर्मी ठहारे हँएं, पर हम बा को क्रोधसे बच्‍ङगे। +\v 10 काहेकी हम शत्रु होतए बाको लौडाके मृत्युसे परमेश्वरसँग हमर मिलाप भव रहए, ताबहि झन् जाद्धा अब उनहिसँग मिलाप हुइके ख्रीष्टको जीवनसे हम बचामङगे । +\v 11 यितकै इकल्लो नए, पर हमर प्रभु येशू ख्रीष्टसे परमेश्वरमे हम रमात फिर हँंए, बासे अब हमके परमेश्वरसँग मिलाप प्राप्त भौ हए । +\v 12 एक जनै आदमीसे संसारमे पाप आओ, और पापसे मृत्यु आओ । आइसी सब आदमीमे मृत्यु फैलिगौ, काहेकी सब पाप करीं । +\v 13 व्यवस्थासे अग्गु फिर संसारमे पाप रहए, पर जहाँ व्यवस्था नैयाँ, बोहुना पापको लेखा फिर नाहोतहए । +\v 14 आदमसे लैके मोशा तक और आदमीकी जैसो पाप नकरन बारेके उपर फिर मृत्यु राज्य करी, जो आनबारो रहए बक प्रतिरुप रहए । +\v 15 सेँतको वरदान और बो अपराधमे कोइ समानता नैयाँ । काहेकी एक जनै आदमीको, अपराधसे तामान आदमी मरे और एक जनै आदमी आथब येशू ख्रीष्टको अनुग्रहसे अनबारो वरदन गजबके ताँहि प्रशस्त होबए । +\v 16 सेँतको वरदान त एक जनै आदमीको पापको नतिजाजैसो ना हए । एकघेन, एक जनै आदमीको अपराधसे दण्डको न्‍यो आओ ।दुस्रो घेन सेँतको वरदान गजब अपराध पिच्छु निर्दोषीकरणको नतिजामे आओ । +\v 17 अगर एक आदमीको अपराधसे बा आदमीसे मृत्यु राज्य करी, कहेसे झन जाधा प्रशस्त अनुग्रह और धार्मिकताके सेँतको वरदान पनबारो एक आदमी येशू ख्रीष्टसे जीवनमे राज्य करैगो । +\v 18 आइसी जा एक आदमी अपराधसे सब आदमी दण्डको भागीदार बने, आइसीयए एक आदमीकी धार्मिकताको कामसे सब आदमीके ताँहि धर्मीकरण आओ । +\v 19 जैसी एकआदमीके अनाज्ञाकारितासे गजब जनैके पापी बनाई, आइसी करके एक जनै आज्ञाकारीसे गजब जनै धर्मी बनङ्गे । +\v 20 पर व्यवस्था आओ काहेकी अपराध बढए । पर जहाँ पाप बढेहए अनुग्रह झन जाद्धा बढेहए, +\v 21 जहेमारे कि जैसी पाप मृत्युमे राज्य करी, आइसी करके येशू ख्रीष्ट हमर प्रभुद्वारा अनुग्रहसे धर्मी ठहरएके अनन्त जीवनतक राज्य करए । +\c 6 +\p +\v 1 अब हम का कहँए? का अनुग्रह प्रशस्त होबाए कहिके हम पापमे लगेरहमए? +\v 2 आइसो कबहु नहोबाए! हम जो पापके ताहिं मरे, तव हम कैसे बा पापमे जिमएँ? +\v 3 जितनोके ख्रीष्ट येशूमे बप्तिस्मा दैहए, उनके बाको मृत्यूमे बप्‍तिस्मा दैहए का तुम नजानत हौ? +\v 4 जहेमारे बप्तिस्मामे हम मृत्युमे बाकेसँग गाडे गए, ताकि जैसी पिताके महिमामे ख्रीष्ट मरेभएसे जिन्दा भौ, अइसी हम फिर नयाँ जीवनको डगरमे नेगैं ।| +\v 5 अगर बाको मृत्युमे हम बाकेसँग एक भए हएँ कहेसे, बाके पुनरुत्थानमे फिर पक्कए हम बाकेसँग एक होमंगे । +\v 6 हम जानत हएँ, कि हमर पूरानो मनुष्यत्व बाकेसँग क्रुसमे टाँगिगओ, ताकि हमर पापमय शरीर नाश होबए, और अब उइसो हम पापको कमैया नहोमएँ । +\v 7 काहेकी जो मरो हए बो पापसे मुक्त भौ हए । +\v 8 पर हम ख्रीष्टसँग मरे हएँ कहेसे बाकेसँग जिमङ्गे काहिके विश्वास करत हएँ । +\v 9 हम जानत हएँ कि ख्रीष्ट मरेभए मैसे जिन्दा हुइके फिर न मरैगो । अब बाकेउपर मृत्युको राज्य नाहुइहए । +\v 10 जौन मृत्युमे बो मरो बो पाप के ताँहीं सदिमान के ताहिं एक दौँ मरो । पर जौन जीवनमे बो जितहए, बो परमेश्वरके ताहिं जितहए । +\v 11 अइसी करके तुम फिर अपन- अपन पापके ताहीं मरे, पर ख्रीष्ट येशूमे परमेश्वरके ताहिं जिन्दा भौ मानन पड्त हए । +\v 12 जहेमारे शरीरको अभिलाषा अनुसार चलन नपडै कहिके तुमके मरणशील शरीरमे पापके राज्य करन मत देव । +\v 13 अपन शरीरके अङ्गके दुष्टताके साधनके रुपमे पाप करन समर्पण मतकरौ । पर मृत्युसे जीवनमे लाए भए आदमी जैसो अपनैके परमेश्वरठीन दैदेओ, और शरीरके अङ्गनके धार्मिकताके साधन जैसो परमेश्वरठीन समर्पण करौ । +\v 14 काहेकी पापके तुमरउपर राज्य करन नदेव, काहेकितुम व्यवस्थाके अधिनमे नाहौ, पर अनुग्रहके अधिनमे हौ । +\v 15 अब का तौ? का हम व्यवस्थाके अधिनमे नैयाँ, पर अनुग्रहके अधिनमे हएँ कहिके पाप करैं का? कबहु अईसो ना होबए । +\v 16 का तुम नजानत हौ, आज्ञाकारी कमैयाको रुपमे अपनएके जौन ठिन समर्पण करत हौ, बक उपर तुमके आज्ञाकरीहोन पड्हए? जा सत्य हए की तुम मृत्युघेन जानबारो पापको कमैया हौ या धार्मिकताघेन लैजानबारो आज्ञाकारीके सेबक हौ। +\v 17 पर परमेश्वरके धन्यवाद होबए, कि तुम जो एक बार पापकी कमैया रहौ, पर तुमअपनएके दौ भौ शिक्षाको ढाँचाके अपन हृदयसे पालन करौ। +\v 18 तुमके पापसे मुक्त करि हए और तुमके धार्मिकताको कमैया बनाओ गौ हए । +\v 19 तुमर मे रहोभौ मानवीय कमजोरीके कारण से मए तुमके समकनबारो भाषामे मसकत हौ । काहेकी जैसी तुम एक चोटी अपन अङगनके अशुद्धता और औरजाध्धा अपराधके ताहिं समर्पण करे । अब उइसिए पवित्रकरनके ताहिं अपन अङगनके धार्मिकताके ताहिं समर्पण करौ । +\v 20 तुम पापके कमैया भए बेरामे धार्मिकताके ताहीं स्वतन्त्र रहौ । +\v 21 अब जौन बातमे तुम हबे शर्मात हओ, बो बातमैसे तुमसंग प्रतिफल रहएँ? बे बातनकि अन्त मृत्यु हए । +\v 22 पर अब तुम पापसे मुक्त हुइके परमेश्वरके कमैया भए हओ, तव तुमर पानबारो प्रतिफल पवित्रकरण हए, और बाको अन्तमे, अनन्त जीवन । +\v 23 काहेकी पापको ज्याला मृत्यु हए, पर परमेश्वरको सेंतको वरदान ख्रीष्ट येशू हमर प्रभुमे अनन्त जीवन हए । +\c 7 +\p +\v 1 भइया रेओ, का तुम ना जनत हओ-मए व्यवस्था जानन बालेनसे मसक रहो हौं कि आदमीनको जीवनकाल तक इकल्लो रहन तक नियन्त्रण करतहए । +\v 2 उदाहरणके ताहिं, एक व्यहा भइ बैयर बाको लोगा जिन्दाहोन तक अपन लोगा सँग कानुनि रुपमे बँधी रहत हए, अगर बक लोगा मरिगव तव लोगाको नाता कानुनसे बो मुक्त हुइ जात हए । +\v 3 अगर लोगा जिन्दा होतमे फिर बो दुस्रो लोगा करके बक सँग रहएगी तओ बो व्यभिचारी कहिलाइगी। पर लोगा मरजए हए तौ बो जा कानुनसे मुक्त हुइ जए है, और दुसरो लोगासे व्यहा करे से फिर बो व्यभिचारी ना हुइ हए । +\v 4 अइसी मिर भइया रेओ, तुम फिर ख्रीष्टको शरीरसे व्यवस्थक ताहिं मरे हौ, काहेकी तुम औरोआदमी, अर्थात् मौतसे जिन्दा भओ ख्रीष्टसँग एक होबौ, और हम परमेश्वरके ताहिं फल फलामै। +\v 5 जब हम पापी स्वभावमे अपन जीवन बितात रहएँ, तव मृत्युको फल फलान ताहिं व्यवस्थासे उत्तोजित करो भव हमर पापमय खराब अभिलाषा हमर अंगमे काम करत रहए । +\v 6 पर अब हमके वन्धनमे करन व्यवस्थाके ताहिं मरके हम अब बोसे मुक्त भए हैं, और हम पुरानो लिखो विधानके अधिनमे ना पर पवित्र आत्माके नयाँ जीवनमे सेवा करएँ कहिके अैसो भौ हए । +\v 7 अैसो हए कहेसे"हम का कहैँ तौ? का व्यवस्था पाप हए? आईसो कबहु ना होबए । अगर व्यवस्था नाहुइतोत मै पाप पता नाए पैतो, काहेकी अगर व्यवस्था "तए लोभ मत कर" कहिके व्यवस्था ना कहितो त लोभ करन का हए बो पता ना पैतो ।" +\v 8 पर पाप आज्ञामे मौका पाईके मिरमे सबए मेलको लोभ उत्पन्न कराई । व्यवस्था बिना त पाप मुर्दा जैसो हए । +\v 9 व्यवस्था बिना रहत एक दओंमए जिन्दा भौ, पर आज्ञा आओ तव पाप जाग उठो, और मै मरी गौ । +\v 10 जीवनको प्रतिज्ञा देनबालो बहे आज्ञा मिर ताहिं मौत लाई । +\v 11 काहेकी पाप जा आज्ञासे मौका पाएके मोके ठगी, और बहेसे मोके मारी । +\v 12 व्यवस्था पवित्र है, और आज्ञा पवित्र, न्याय सङ्गत और अच्छो हए । +\v 13 तव का जा अच्छो हए, बहे मिर ताहिं मौत बनो? अईसो कबहु ना होबए! पर पाप पापैको रुपमे दिखाबै कहिके अच्छी बातसे पाप मिरमे मृत्यु उत्पन्नकरि रहो हए, काहेकी आज्ञासे पाप सब घेनसे पापमय बनए । +\v 14 काहेकी हम जानत हैं कि व्यवस्था आत्मिक हए, पर मए शारीरिक हौ, और पापैमे बिचो हौ । +\v 15 काहेकी जो मए करत हौं, बो ना समखत हौ । काहेकी मए जो करन चाहत हौं बो मए ना करत हौ । पर बहे करत हौं, जो मए घृणा करत हौं । +\v 16 पर मए जो करन न चाहो भौ मए करत हौं कहेसे व्यवस्था अच्छो हए कहिके मए सहमत हौं । +\v 17 जहेमारे अब बो करन बालो मए ना हौ, पर मिर भितर बास करन बारो पाप हए । +\v 18 काहेकी मोए पता हए, कि मिरमे, या मिर पापमय स्वभावमे कछु अच्छी बात ना हए । जो अच्छो हए, बो करन इच्छा मिरमे हय, पर मए बो पुरा ना कर पात हौं । +\v 19 काहेकी अच्छो काम जो मए करन चाहत हौं, बो मए ना करत हौं, पर दुष्ट काम जो मए करन ना चाहत हौं, बहे मए करे करत हौं । +\v 20 अब मए जो इच्छा ना करत हौ, बहे करतहौं कहेसे बो मए ना हौं, पर मिर भितर रहनबारो पाप हए । +\v 21 अइसी एक नियमसे काम करो मए पात हौ । जब मए भलो करन चाहत हौं, तव दुष्टताके मिर जौने ठाडो देखत हौं । +\v 22 काहेकी मै मिर पुरो हृदय से परमेश्वरको व्यवस्थामे आनन्दित होत हौं । +\v 23 पर मिर अंगनमे दुसरो नियमसे मिर मनमे रहो नियम सँग युध्द करत हौं । और मिर अंगनमे बास करन बारो पापको नियमसे मोके वन्धनमे करलेत हए । +\v 24 हाए, मएकित्तो दु: खी आदमी हौ! जा मौतकि शरीरमे मोके कौन छुटाय हए? +\v 25 येशू ख्रीष्ट हमर प्रभुद्वारासे परमेश्वरके धन्यवाद होबए । तभैमारे मए स्वयम अपने मनसे परमेश्वरको व्यवस्थाको सेवा करत हौं, पर मिर पापमय स्वभावसे मए पापको व्यवस्थाको सेवा करत हौं । +\c 8 +\p +\v 1 जहेकमारे अब ख्रीष्ट येशूमे होनबारेनके डण्डको कोई आज्ञा ना हए । +\v 2 पाप और मृत्युको व्यवस्ठासे मोके जीवनको आत्मक व्यवस्था त ख्रीष्ट येशूमे मुक्त करी हए । +\v 3 पापी स्वभावसे कमजोर हुइके व्यवस्था जो न कर पाई बो परमेश्वर करी, अर्थात् बो अपन पुत्रके पापी शरीरके स्वरूपमे पापबली जैसो पठाई । अइसिए वह पापके शरिरैमे दण्ड दै, +\v 4 जहेमारे व्यवस्थाके उचित जरुरत हममे पुरो होबै, हम जो पापमय स्वभाव अनुसार नाए, पर पवित्र आत्माअनुसार चल सकएँ । +\v 5 काहेकी पाप स्वभाव अनुसार चलन बारे शरीरक बातमे मन लगात हएँ, पर आत्मा अनुसार चलन बारे आत्माकी बातमे मन लगात हएँ । +\v 6 काहेकी पापमय स्वभावमे मन लगान त मृत्यु हए, पर पवित्र आत्मामे मन लगान जीवन और शान्ति हए । +\v 7 काहेकी पाप स्वभावके शरीर घेन लागो मन त परमेश्वरके ताहीं शत्रु है । बो परमेश्वरको व्यवस्थक अधिनमे ना होत हए । न बा कबहु हुइ पै है । +\v 8 पाप स्वभावके बशमे होनबारे परमेश्वरके खुसी ना कर पएँ हएँ । +\v 9 अगर सचमे परमेश्वरको आत्मा तुमरमे वास करत हए तौ, तुम पाप स्वभावमे नाय, पर पवित्र आत्मामे हुइ हौ। पर कोइ आदमीमे ख्रीष्टको आत्मा ना हए कहेसे बो परमेश्वरको ना हए । +\v 10 अगर ख्रीष्ट तुमरमे हए कहेसे, पापके कारणसे तुमर शरीर मरके फिर तुमर आत्मा धार्मिकताके कारनसे जिन्दा हुइ हए। +\v 11 पर यदि येशूके मरो मैसे जिन्दा करन बारेक आत्मा तुमरमे बास करत हए कहेसे ख्रीष्ट येशूके मरोभौ मैसे जिन्दा करन बारो तुमरमे बास करन बालो बाको आत्मासे तुमर मरनबारी शरीरके फिर जीवन देबइगो । +\v 12 जहेमारे भैया रेओ, पापी स्वभाव अनुसार जियन ताहिं हम पापी स्वभाव कता मजबुर ना हएँ । +\v 13 काहेकी पापी स्वभाव जैसो जिथओ कहेसे, तुम मरैगे, पर पवित्र आत्मासे शरीरके कामनके तुम निर्मुल बनाए हौ तौतुम जिबैगे । +\v 14 काहेकी, बे सब जो परमेश्वरको आत्मा से चलत हैं, बेही परमेश्वरके सन्तानहएँ । +\v 15 "काहेकी फिर डरमे पडन ताहिं दासत्वको आत्मा तुम ना पाए हौ। पर तुम धर्मपुत्र होनको आत्मा पाए हौ। जहेकमारे हम परमेश्वरके "अब्बा, पिता"" कहिके बुलात हएँ," +\v 16 ब त हम परमेश्वरके सन्तान हएँ, कहिके पवित्र आत्मा हमर आत्मासँग गवाही दै है । +\v 17 और सन्तान हएँ कहेसे त उत्तराधिकारी फिर हएँ, परमेश्वरको उत्तराधिकारी और ख्रीष्टसँग साझे-उत्तराधिकारी बाके सँग् दु:ख भोगत हएँ कहे से ता हम बहेक सँग महिमित फिर होमङ्गे । +\v 18 मै विचार करत हौं, कि हममे जो महिमा प्रकट होबैगो, बाके सँग वर्तमान समयके कष्टन के तुलना करन योग्य ना हए । +\v 19 सृष्टि बड़ो आशा से परमेश्वरको पुत्रके प्रकट होन बातके प्रतिक्षा करत है । +\v 20 सृष्टि व्यर्थताके बशमे होई गौ, बक अपन इच्छासे नाए पर बाके इच्छासे जौन बाके बशमे करी रहय, जहे आशामे, +\v 21 कि सृष्टि बाको अपनो विनाशके वन्धनसे मुक्त कराबइगो, और बक फिर परमेश्वरके सन्तानके महिमित स्वतन्त्रता पाबइगो । +\v 22 हम जानत हँए, सारा सृष्टि अभेतक एक सँग प्रसववेदनामे तणप रही हए । +\v 23 सृष्टि इकल्लो नाए, पर हम अपना फिर, जामे पवित्र आत्माको पहिलो फल है, सन्तान को रुपमे ग्रहण करन ताहिं, या हमर देहको उद्धारके ताहिं प्रतिक्षा करके हम अपनैफिर भितरै-भितर तड्पत हएँ । +\v 24 काहेकी जहे आशामे हम मुक्ति पाए रहएँ । अब देखानबारो आशा त आशा ना हए । काहेकी देखि भइ बातको आशा कौन करत हए? +\v 25 पर यदि हम अपनै नादेखी भइ बातकि आशा करत हैं कहेसे धीरज साथ हम बाको प्रतिक्षा करत हएँ । +\v 26 अइसीय करके पवित्र आत्मा फिर हमर कमजोरीमे सहायता करत हए । कैसे प्रार्थना करन पणैगो हम ना जानत हँए, पर शब्दमे ना कहन सकन बारी बातमे पवित्र आत्मा हमर ताहिँ मध्यस्थता करत हए। +\v 27 और आदमीनको हृदयके ढुँणन बारो पवित्र आत्माक विचार का हए सो जानत हय, काहेके परमेश्वरके इच्छा अनुसार पवित्र आत्मा त सन्तनके ताहिं मध्यस्थता करत हए। +\v 28 हम जानत है, बोके प्रेम करन बारे और बक अभिप्राय अनुसार बुलाएभएक ताहिं सब बातमे परमेश्वर भलाइ करत हए । +\v 29 जौन जौनके बो अग्गुसे चिन लै हए, बो उनके अपन पुत्र को रुप जैसो बनान ताहिं, तमान भइया मैसे बो बडो होए कहिके, अग्गुसे नियुक्त करडारि रहए । +\v 30 जौन जौनके बो अग्गुसे नियुक्त करी रहए, उनके बो बुलाई फिर रहए, और जौन जौनके बो बुलाई रहए, उनके बो धर्मी फिर ठहराइ रहए, और जौन जौनके धर्मी ठहराई रहए उनके बो महिमित फिर कर दै । +\v 31 हम जामे का कहए त? अगर परमेश्वर हमर घेन हए त, हमर विरुद्ध कौन हुइ हए? +\v 32 जौन अपन सघो लौंड़ाके बाँकी ना रखाइ, पर हम सबकेताँहिं बोके दएदै, का बो हमके सबए चीज फिर बहेक सँग ना देहए का? +\v 33 परमेश्वरको चुने भएन के विरुद्धमे कौन अभियोग लगए है? धर्मी ठहरान बालो त परमेश्वर हए । +\v 34 दण्डको आज्ञा देन बालो कौन हए? मरन बालो त ख्रीष्ट येशू है, जो मरके फिर जिन्दा हुइ गओ, और परमेश्वरको दहिना हात घेन है, और हमर ताँहिं मध्यस्त फिर हए । +\v 35 कौन हमके ख्रीष्टको प्रेमसे अलग करैगो? का संकष्टसे या दु:खसे, या उपद्रब, या अनिकालसे, या गरीबीसे, या फिर खतरासे या तलवारसे? +\v 36 अइसो लिखो हए, “तुमर ताँहिं हम दिन भर मरत हैं, कटन बारो भेडा हानि हम गिन गए हएँ । +\v 37 , जे सब बातमे हमके प्रेम करन बारेक द्वारा हम जितन बारेनसे फिर औरजाधा हँए । +\v 38 काहेकी मए जा अच्छेसे जानत हओ, कि मौतसे या जिन्दगीसे स्वर्गदुत और प्रधानतासे, वर्तमानको बातसे या पच्छुक बातसे या शक्तिसे, +\v 39 उचाईसे या गहिराइसे, या सारा सृष्टिमे भए कोइ फिर बातसे, ख्रीष्ट येशू हमर प्रभुमे भव परमेश्वरको प्रेमसे हमके अलग ना कर पाबैगो । +\c 9 +\p +\v 1 मए येशू ख्रीष्टमे सत्यबोलत हौं, मै ना ठगो हौं ।मिर बिवेक पवित्र आत्मामे मोके गवाही देत हए। +\v 2 मिर हृदयमे गजब शोक और मनमे अटुट वेदना हए। +\v 3 मए त हियाँ तक फिर चाँहत हौं कि मिर भैया और मिर जातिको नातासे मिर कुटुम्बनके ताँहीं मएता श्रापित होमओ और ख्रीष्टसे अलग होमओ! +\v 4 बे इस्राएली है, औ पुत्र होनबारो अधिकार, महिमाक दर्शन, करार, व्यवस्थाको बर्दान, परमेश्‍वरको आराधना और प्रतिज्ञा उनको अपनो हए। +\v 5 पूर्खा जिन्हिक त हए, और ख्रीष्टको शरीर अनुसार बिनहिक वंशको त हए, सबसे उचो परमेश्‍वर, जौनके युगौंयुग स्तुति होबै । आमेन। +\v 6 पर परमेश्वरको वचन बिफल ना भौ हए । काहेकी इस्राएलसे जन्मे सबए इस्राएल ना हँए, +\v 7 ना त अब्रहामको सन्तान हए कहेस का सब बक लौड़ा-लौड़िया हएँ ।पर धर्म शास्त्रमे कहो अनुसार इसाहकै से उनको सन्तान गिनैगो । +\v 8 जाको अर्थ, शरीरसे जन्मे भए परमेश्वरको सन्तान ना हँए, पर करारसे उत्पन्न भए सबै अब्रहामके सन्तान हैं । +\v 9 बो प्रतिज्ञा अइसो कहत हए, “कहो समयमे मए फिरके आमङगो, और साराको एक लौड़ा होबैगो ।” +\v 10 उइसो इकल्लो ना हए, जब रिबेका एकै पुरुष हमर पूर्खा इसहाकसे गर्भधारण करी, +\v 11 और जुडिया बालक जल्मानसे अग्गुसे, बे कोइ अच्छो या खराब करनसे अग्गु कर्मसे ना पर बाको बुलावट अनुसार परमेश्वरको चुनाउको उदेश्य ठहरए कहिके +\v 12 रिबेकासे अइसीए कहो गओ रहै, “बडो छोटेको सेवा करैगो ।” +\v 13 जैसी लिखो हए, याकूबके मै प्रेम करो, पर एसावके तुच्छ मानो ।' +\v 14 अब हम का कहैं? का परमेश्वरमे अन्याय है त?कतै नाए! +\v 15 बो मोशाके कहत हए, “जौनके उपर मए कृपा करन चाहत हौ, बाके मए कृपा करङ्गो, और जौनके मए दया चाहत हौ, बाके मए दया करङ्गो|” +\v 16 जहेमारे आदमीको इच्छा वा प्रयास उपर जा निर्भर ना रहत हए पर परमेश्वरके कृपा उपर निर्भर रहत हए । +\v 17 काहेकि धर्मशास्त्र फारोसे कहात हए, “मै मिर शक्ति तिर उपर दिखामौ, और सारा पृथ्वीमे मिर नाउँक घोषणा करैं जहे आसरासे मै तोके खडो करो ।” +\v 18 जहेमारे बो इच्छा करनबारेके बो कृपा करत हए, और बो इच्छा करन बारेके हृदयके बो कठोर बनात हए । +\v 19 तव तुम मोसे कहबैगे, “बा काहे अभेतक फिर दोष लगात हए?” +\v 20 पर तए आदमी हुइके परमेश्वरको मुहुँ लागन बालो तए कौन हए? का बनाइ भइ चीज अपने के बनान बारे से ”मोके काहे अइसो बानओ?“ कहात हए का ? +\v 21 का एकै मट्टीको ढिकासे एकै आदरको बरतन, और दुसरो तुच्छकामके ताहिं बनानके मट्टीके उपर कुमराको अधिकार ना हए का? +\v 22 अगर परमेश्वर अपन क्रोध दिखान और अपन शक्ति प्रदर्शन करन ताहिं विनाशके ताँहिं तयार करो भव क्रोधको पात्रनके अत्यन्त धीरजसे सहिहए कहेसे, का भौ त? +\v 23 अगर महिमाके ताँहिं अग्गुसे तयार करोभौ बाको कृपा-पात्रनके अपन महिमा प्रकट करन ताँहिं अइसो करी हए कहेसे का तओ? +\v 24 या हम, जौनके यहूदीसे इकल्लो ना, पर अन्यजातिनके फिर बो बुलाई हए कहेसे का भौ त? +\v 25 जैसी होशे के किताबमे बो कहत हए, “जौन मिर आदमीना रहएँ, उनके मए, मिर प्रजा बनएँ हौं । और जौनके मए प्रेम ना करो रहौं, बाके मए 'मिर प्रिय' कहङ्गो ।” +\v 26 और जहाँ तुम मिर प्रजा ना हओ । कहिके उनके कहि रहै, हुवाँ बो 'जीवित परमेश्वरको सन्तान कहिलामङ्गे ।” +\v 27 इस्राएलके बारेमे यशैया कहत हए, “इस्राएलकेसन्तानको संख्या समुन्द्रको रेता बराबर है फिर बचे भएनके इकल्लो उद्धार होबैगो । +\v 28 काहेकी प्रभु-पृथ्वीमे बाको डण्डको आज्ञा दृढता और शीघ्रता से पुरा करैगो|” +\v 29 यशैया जा भविष्यवाणी करी हए, “सेनन्को परमप्रभु हमर ताँहिं सन्तान ना छोड़तो तौ हम सदोम जैसी हुइते और गमोरासमान बनजैते ।” +\v 30 अब हम का कहैं? धार्मिक्ताकेपिच्छु नलागनबारे अन्यजाती धर्मिकता पाईं हएँ, या विश्‍वास पान बारो धार्मिकता । +\v 31 पर व्यवस्थाके उपर आधारित भव धार्मिकताको पच्छु लागनबारे बे इस्राएल बो व्यवस्था पुरा ना कर पाईं । +\v 32 काहे ना कर पाई? काहेकी धार्मिकता कर्मके उपर आधारित हए। सोचके बो विश्वाससे धार्मिकता ना ढुड्त हए| बे ठेस लागन बारे पत्थरमे ठक्कर खाइके गिरे हएँ । +\v 33 अइसो लिखो हए, “देखौ, मै सियोनमे एक पत्थर धरङ्गो, जा मे आदमीके ठेस लागत हए, एक चट्टान, जो तोके गिरात हए, पर बोके उपर भरोसा करन बाले कोइ शर्ममे ना पड़ैगो । +\c 10 +\p +\v 1 भैया रेओ, मिर अपनी हृदयको इच्छा और बिनके ताँहि परमेश्‍वर मिर प्रार्थना जहे हए, कि बे उद्धार पामएँ । +\v 2 मए जा गवाही देत हौं कि परमेश्‍वर प्रति बिनको जोश त हए, पर जा जोश ज्ञान अनुसार नैयाँ । +\v 3 काहेकी परमेश्‍वर आनबारो धार्मिकतक बारेमे ना जानके बिनको अपनो धार्मिकता स्थापित करन ढुड्त बे परमेश्‍वरको धार्मिकताके अधिनमे ना हएँ । +\v 4 काहेकी विश्‍वास करन बारे धर्मी ठहरए कहिके ख्रीष्ट व्यवस्थाको समाप्‍ति हए । +\v 5 मोशा लिखत हए, “व्यवस्थामे आधारित भव धार्मिकता पालन करन बारे आदमीबहेसे जीहँए”। +\v 6 तव विश्‍वास उपर आधारित भौ धार्मिकता आइसो कहत हए, “मनए मनमे अइसो मत कहओ, 'स्वर्गमे कौन चढपए है?' (अर्थात् ख्रीष्टके तरे लान ताँही), +\v 7 वा अपने मनमे अइसो फिर मत कहओ, 'पातालमे कौन उतरैगो?” (अर्थात् मरे भएसे ख्रीष्टके उपर लानके ताहीं)”| +\v 8 "पर जा का कहात् हए? “वचन तुमर जौने हए, तुमर मुहुमे और तुमर हृदयमे" अर्थात् विश्‍वासको वचन, जो हम प्रचार करत हएँ।" +\v 9 काहेकी अगर तुम येशूके प्रभु हए कहिके अपन मुहुसे स्वीकार करे हौ, और परमेश्‍वर बाके मरेसे जिन्दा करी कहिके अपन हृदयसे विश्‍वास करत हौ तौ तुमर उद्धार हुइ हए । +\v 10 काहेकी आदमी अपनो हृदयमे विश्‍वास करत हए और बा निर्दोष ठहरत हए, फिर बो अपन मुहुसे स्वीकार करत हए और उद्धार पात हए । +\v 11 धर्मशास्त्र कहत हए, “बोके उपर भरोसा करन बारे कोइ लाजमे ना पणङ्गे ।” +\v 12 काहेकी यहूदी और अन्यजातीमे कोइ भेद नैयाँ । बो एकै प्रभु सबैको प्रभु हए, और बोके पुकारन बारे सबके अपनो गजबै आशिष देत हए । +\v 13 "काहेकी" "प्रभुको नाँउ पुकारन बारेसबए उद्धार पामङ्गे" । +\v 14 जौन विश्वास करत नैयाँ बोके आदमी कैसे पुकारैं? जौनके बारेमे सुनी नैयाँ बा के उपर बे कैसे विश्‍वास करैं? और प्रचारक विना बे कैसे सुनै? +\v 15 और कोइ ना पठाए हएँ तव आदमी कैसे प्रचार करङ्गे? जैसो लिखो हए, “सुसमाचार प्रचार करन बारेनके पाँउ कित्तो सुन्दर!” +\v 16 तव बे सब सुसमाचार पालन ना करी हएँ, काहेकी यशैया कहत हए, “हे प्रभु, हमसे सुनी बात कौन विश्‍वास करी हए?” +\v 17 जो सुनो गव हए, बा से विश्‍वास आत हए और जो सुन्त हए बा ख्रीष्टको बचनसे आत हए । +\v 18 पर मए पुछ्त हौं, “का बे सुनी हैं? नेहत्तय बे सुनिहए, काहेकी विनको आवाज सारा पृथ्वी भर पुगो हए, और विनको वचन संसारको दुसरो छोर तक पुगो हए ।” +\v 19 मए फिर पुछङ्गो, “का इस्राएल ना सम्झी?” सबसे पहिले मोशा कहात हए, “जो एक जाती ना है, मए तुमके बिनके प्रति दुश्मनाई करबाएदेहौं, एक मुर्ख जातिसे मए तुमके गुस्सा करबाएदेहौं ।” +\v 20 तव यशैया सहास से कहत हए, “मोके ना ढुड्नबाले मोके पाई हएँ, जौन मोके नाए ढुडीरहए बिनहिके विचमे मए अपनेके प्रकट करो हौं ।” +\v 21 पर इस्राएलके बारेमे बे कहत हएँ, “दिन भर त अटेरी और विरोधी आदमी घेन मए मिर हाँथ पसारे हौं ।” +\c 11 +\p +\v 1 जहेमारे मए पुछत हौं, “का परमेश्‍वर अपन आदमीनके त्याग दै हए?” कदापि नैया! काहेकी मए फिर त अब्रहामको सन्तान, बैन्यामिनको कुलको एक इस्राएली हौं । +\v 2 परमेश्‍वर पहिलीय से चुनेभए अपन आदमीनके बहिष्कार ना करी । का-एलियाके बारेमे पवित्र-शास्त्र कहि बात तुम ना जानत हौ? बा इस्राएलके विरुद्धमे परमेश्‍वरसे कैसे विन्ती करत हए, +\v 3 "हे प्रभु बे तुमर अगमवक्तनके मारी हएँ, तुमर वेदी उजाड दै हएँ, और मए इकल्लो छुटो हौं, और बे मिर प्राणके खोजीमे हएँ ।” +\v 4 तव उनके परमेश्‍वरको उत्तर का कहत हए? “बालके सामने घुटो ना टेकनबारे सात हजार आदमीनके मए अपन ताहिं धरे हौं” +\v 5 अइसी करके जा वर्तमान समयमे फिर अनुग्रहसे चुनेभएनके करणसे बाँकी रहे हँए । +\v 6 पर अनुग्रहसे हए कहेसे वह कर्मको आधरमे नैया, नत अनुग्रह और अनुग्रह ना रहतो । +\v 7 आईसो हए तौ का? इस्राएल जो ढुँडी रहए बा पानके असफल भौ पर चुने भए बा प्राप्त करी । और सबए कठोर बने, +\v 8 "अइसो लिखो हए: “परमेश्‍वर विनके चेतनाहीन आत्मा दै हए । अइसोआँखी दै हए जौन नदेखए और अइसो कान जौन ना सुनए, और आजको दिन तक फिर बे अइसी हएँ" +\v 9 और दाऊद कहात हए, “बिनको भोजनको टेबुल बिनके ताँही फन्दा और धराप बनए, एक गड्ढा और बिनके ताहिं बदला देन बारी बात होबए । +\v 10 बिनकी आँखी ना देखन बारेनके धुम्ली होमए, और बिनको पिठ सबदिन कुबरी भइ रहबै ।” +\v 11 जहेमारे मए कहत हौं, “का बे नष्ट होन ताहिं हुणकत हँएं?” कदापी ना होबए! पर इस्राएलको अपराधसे अन्यजातीनमे मुक्ति आओ हए, तव इस्राएल फिर मुक्तिक ताहिं जलन होबै । +\v 12 अब अगर बिनको अपराध संसारके ताँहिं सम्पति और बिनको असफलता त अन्यजातीनके ताँहिं सम्पति हुइहए कहेसे त बिनको पुरा समावेश त औ कित्तो अर्थपूर्ण हुइहए? +\v 13 अब तुम अन्यजातीनके कहात हौंअन्यजातिनके प्रेरित भएके कारण मए मिर सेवाके महत्व देत हौं, +\v 14 जा आशामे कि मिर अपनो यहूदी जातीके जलन करबाएकेऔर बिन मैसे कोइ-कोइके बचामंगो। +\v 15 काहेकी अगर बिनको बहिस्कार संसारको मिलाप हए कहेसे, बिनकोअपन्‍नबालो मौतसे जीन्दा करत का हुई तो? +\v 16 अगर मणो भौ चुन एक अंशको पहिलो- भेटीके रुपमे अर्पण करो हए तव, जम्मए ढुक्ला पवित्र होत हए ।अगर जर पवित्र हए तव हाँगा फिर पवित्र हुइ हए । +\v 17 अगर कोइ हाँगा कटके और असल जैतुनको जराको रस-भण्डारमे सहभागी होनके तुम एक जङगली जैतुन हुइके फिर बिनके ठाउँमे कलमी बँधे हौ तौ, +\v 18 बे हँगनके जौने घमण्ड मत करओ ।अगर घमण्ड करन हए तौ, जा याद करओ कि जरके थामन बारे तुम नैया, पर जर तुमके थामे हए । +\v 19 तुम कहत हौ, “मए कलमी बाँधपामऔ कहिके त हाँगा कटे रहएँ । +\v 20 ठिकै हए, बिनको अविश्वास के कारणहाँगा कटे हएँ । तुम त तुमर विश्वाससे इकल्लो ठाडे हौ ।घमण्ड मत करओ, पर श्रद्धापूर्णभय करओ । +\v 21 काहेकी अगर परमेश्वर स्वाभाविक हाँगाके बाँकी नाए राखी तुमके फिर बाँकी ना रखाबैगो । +\v 22 जहेकमारे परमेश्वरको दया और कठोरताके ध्यानमे धरौ- पतन भएनके उपर कडा व्यवहार, पर बाके दया तरे रहबाइगे कहिके तुमके परमेश्वरको दया देखाबौगो,नत तुम फिर कटि जए हौ । +\v 23 बे फिर अविश्वाससे ढिट हुइके ना बैठङ्गे कहे से त कलमी बँधङ्गे।काहेकी परमेश्वर बिनके फिर से कलमी बाँध सक्त है। +\v 24 काहेकी अगर तुम प्रकृतिक जङगली जैतुन हुइके फिर कटिगए और प्रकृतिके विरुद्ध एक अच्छो जैतुनको पेंडमे कलमी बाँधैगे कहे से त जे प्रकृतिक हाँगा आपनए निज जैतुनके रुखामे और कित्तो जाधा कलमी बँधङ्गे । +\v 25 भैया रेओ, अपन घमण्डमे तुम बुद्धिमान होन ढुड्त हओ काहेकी तुम जा रहस्य सम्झौ करके मए चाहत हौं, कि अन्यजातीको संख्या पूरो ना भव तक इस्राएलीनको एक अंशमे कठोरता आओ हए । +\v 26 अइसिए सारा इस्राएलको उद्धार हुइहए, जैसे लिखो हए, “उद्धारक सियोनसे आबैगो बहे याकूबसे अधर्म हटाबैगो ।” +\v 27 औ बिनके सँग मेरो करार जहे हुइहए, जब मै बिनके पाप हरण करङ्गो ।” +\v 28 एकघेनबे सुसमाचारके हिसाबसे त बे तुमर ताहीं परमेश्‍वरके शत्रु हएँ, पर चुनेनके हिसाबसे त पुर्खनके ताहीं बे प्रिय हएँ । +\v 29 काहेकी परमेश्‍वरको वरदान और बोलावट अटल हए । +\v 30 काहेकी जैसी तुम फिर एक चोटी परमेश्‍वरको आज्ञा पालन ना करन बारे रहौ, पर अब तुमर अनाज्ञाकारीताके कारण तुम कृपा पाए हौ । +\v 31 31 तुमके कृपा दिखानके कारण बे फिर कृपा पामए करके बे हबए अनाज्ञाकारी भए हएँ । +\v 32 काहेकी परमेश्‍वरको कृपा सब आदमीनके उपर होबए कहिके बा सबके अनाज्ञाकारितामे त सौंप दइहए । +\v 33 ओहो परमेश्‍वरको वैभव और बुद्धि और ज्ञान कित्तो गहिरो! बाको इन्साफ कित्तो अगम और बाको मार्ग बुझ ना पान बारो ! +\v 34 "काहेकी प्रभुको मनके कौन जानत है? अर्थात् बाको सल्लाहाकार कौन भओ हए?”" +\v 35 " ""अर्थात्, कौन बाके कोइ उपहार दै हए और परमेश्वर बाके लौटाए हए?”" +\v 36 काहेकी सब चिज बासे, बहेक द्वारा और बहेक ताँहिं हए बहे के त सदासर्वदा महिमा होबै ।आमेन । +\c 12 +\p +\v 1 जहेकमारे भैया रेऔ, परमेश्‍वरको कृपाके ध्यानमे धरके मए तुमसे अनुरोध करत हौं, कि तुमर आत्मिकी उपासनाको रुपमे अपन-अपन शरीरके पवित्र और परमेश्‍वरके ग्रहण योग्य होनके जिन्दा बलिके रुपमे अर्पण करओ ।जहे त तुमर उचित सेवा हए । +\v 2 जा संसारके ढाँचामे मत चलओ पर अपन मनमे नयाँ हुइके पुरा रुपसे परिवर्तन होबओ, और परमेश्वरको अच्छो ग्रहण योग्य और सिद्ध इच्छा का हए, तुम जान सकौ । +\v 3 काहेकी मोके दओ अनुग्रहसे तुमर मैसे सबैके मए विन्ती करत हौं, जौन अपनोके जैसो सम्झन पडत हए बोसे जाधा मत सम्झओ पर परमेश्वर सबैके दओ भव विश्वासको नापबमोजिम सन्तुलित विचारसे सोचए । +\v 4 काहेकी जैसी हमर एक शरीरमे गजब अङग होतहए, पर सब अङगको एकै काम ना होत हए । +\v 5 जैसी हम जो गजब हएँ, हम फिर ख्रीष्टमे एकै शरीर हएँ, और सब एक-दुसरेको अङ्ग हएँ । +\v 6 हमके दओ अनुग्रह अनुसार अलग अलग वरदान हम प्रयोग करएँ । अगमवाणीको हए तौ, विश्वासको परिमाण अनुसार, +\v 7 सेवा को हए तौ, सेवाको काममे, शिक्षा देनबारो शिक्षा देनबारोको काममे, +\v 8 अर्ती देनबारो अर्ती देबए , दान देनबारो उदारचित्त्से, शासन करनबारो उत्साह से, कृपाको काम करनबारो खुसीसाथ । +\v 9 प्रेम निष्कपट होबए। जौन बात खराब हए, बाके घृणा करौ ।जौन बात अच्छो हए, बोमे लागे रहबौ । +\v 10 भातृ-प्रेमसे एक-दुसरेके प्रेम करौ । अपनेसे जाधा औरेनके आदर करौ । +\v 11 जोशमे पच्छु मत हटओ । पवित्र आत्मामे प्रज्वलित होबओ, प्रभुको सेवा करत रहबओ । +\v 12 अपनो आशामे आनन्द करओ, संकटमे धिरज करओ प्रार्थनामे निरन्तर लागे रहबओ । +\v 13 सन्तके घटीकमिमे सहायता देओ, अतिथिसत्कार कायम करओ । +\v 14 तुमके सतान बारेन के आशिर्वाद देओ, मत सरापौ +\v 15 आनन्द करन बारेन सँग आनन्द करओ । रोन बारेन सँग रोबओ । +\v 16 एक-दुसरे सँग मिलके बैठओ, घमण्डी मत होबओ, पर नम्रसँग सङ्गत करीओ । कबहु अहंकारी मत हुइओ। +\v 17 कोइके खराबीको सट्टा खराब मत करीओ। जौन बात सब आदमीनके दृष्टिमे ठिक हए, बिनमे ध्यान दियौ । +\v 18 हुइ सक्त हए तौ, सकेसम्म सबके सँग शान्तिमे बैठीओ । +\v 19 "प्रिय हो, अपनएके कबहु बदला मतलिओ, पर परमेश्‍वरको क्रोधमे छोड देओ । काहेकी, लिखोहए, “बदला लेनको काम मेरो हए, मए बदल लेहओं"", परमप्रभु कहातहए ।" +\v 20 बरु, “तुमर दुस्मन भुखानो हए तौ बोके खबाओ, बो पियासो हए तौ बोके पानी देओ । अइसे करनसे तुम बोके मुणमे आगीको भमरा धरैगे ।” +\v 21 खराबीसे पराजित मतहोबओ, पर खराबीके भलाईसे जितओ । +\c 13 +आध्याय १३ +\v 1 हर आदमी शासन करनबारो प्रशासकके अधीनमे बैठए,।परमेश्वरसे आओ भओ अधिकार बाहेक और कोइ अधिकार ना होत हए।जौन प्रशासक हए। बे परमेश्वरसे नियुक्त भए हँए। +\v 2 जहेमारे प्रशासकके विरुद्धमे खड़ो होन बारो परमेश्वरसे नियुक्त भएनके विरोध करत हए, और जौन-जौन विरोध करत हए, बे डण्डको आज्ञा पामङ्गे। +\v 3 काहेकी सुकर्मके ताँहि नाए, पर कुकर्मके ताँहि शासकको डर मानत हए।का तुम प्रशासकको डरमे रहन ना चाहत हौ? अइसो हए, अच्छो काम करओ, और तुमके बिनसे प्रशंसा मिलैगो। +\v 4 काहेकी तुमर भलाइके ताँहि बा परमेश्वरको सेवक हँए। पर अगर तुम खराबी करत हौ कहेसे डर मानओ, काहेकी बो तरवारके व्यर्थमे नालेत हए। खराब काम करनबारे के उपर परमेश्‍वरको डण्ड लानके बे परमेश्‍वरको सेवक हँए । +\v 5 जहेमारे परमेश्‍वरको डण्डसे बचन इकल्लो नाए, पर विवेकके ताँहि फिर तुम बाके अधीनमे रहन पड़ेगो। +\v 6 जहेकारन से फिर तुम कर तिरत हौ। काहेकी प्रशासक जहे कामके ताँहि हर समय लगे भए परमेश्‍वरके सेवक हँए। +\v 7 तिरन बारी बात सबएके तिरओ-कर तिरनबारोके कर तिरओ, महसुल तिरनबारेनके महसुल, आदर करनबारेनके आदर, इज्जत करनबारेनके इज्जत करओ। +\v 8 आपसमे प्रेम करन से अलावा कोइको कछु बातमे ऋणी मत होबओ।काहेकी अपन परोसीके प्रेम करनबारो व्यवस्था पुरो करत हए। +\v 9 "तय व्यभिचार मत करए, तय हत्य मत करए, तय चोरी मत करए, तय लोभ मत करए,”जे आज्ञा सेअलाबा, और कोइ जित्तो आज्ञा हए, बे सबको सारांश जहे आज्ञामे पात हए, अथवा ""तए अपन परोसीके अपनी जैसी प्रेम करीए।" +\v 10 प्रेम परोसीके खराब ना करहे । जहेकारन प्रेम करनो त व्यवस्था पूरा करन हए। +\v 11 जाके अलावा जा वर्तमान समय कैसो हए, सो तुमके पता हए। अब निधसे उठन ठिक समय आइ गओ हए, काहेकी हम पहिले विश्‍वास करनसे अग्गु अभए हमर मुक्ति औ झौने हए । +\v 12 रात कटगै, और दिन जौने आए गओ हए जाहे करनसेअन्धकारको काम छोड्के हम ज्योतिको हातहतियार धारण करएँ । +\v 13 दिनजैसो हम ठिकसे चलएँ| मोजमजामे, मतवालिपनमे, व्यभिचारमे, भ्रष्टाचारमे, झगडामे और दिक्कमे नाए| +\v 14 पर प्रभु येशू ख्रीष्टके धारण करओ, और पाप-स्वभावको अभिलाषा पुरा करनबारी बातमे ध्यान मत देबओ । +\c 14 +\p +\v 1 विश्वासमे कमजोर होन बारे आदमीनके ग्रहण कर, पर बक मतकी बारि बातमे वाद-विवाद करन ताँहि ना । +\v 2 कोइ सब चिज खात हँए कहिकेविश्‍वास करतहँए, पर विश्‍वासमे कमजोर होनबारो सागसब्जी इकल्लो खात हए । +\v 3 खानबारो ना खानबरो आदमीके तुच्छ नसम्झए, और ना खानबारो खानबारोक दोष ना लगाबए । काहेकी परमेश्‍वर बाके ग्रहण करी हए । +\v 4 दुसरेक टाहलुवाके इन्साफ करनबारो तए कौन हए ? बा त अपनो मालिकके अग्गु ठडोहए वा पतित्त होतहए , बा ठाडबओ जाएगो,काहेकी, बक मालिक बोके ठाड़बएसकत हए । +\v 5 कोइ आदमी एक दिनके दुसरे दिनसे जाधा जारुरी मानत हए, दुसरो आदमी सबदिन बराबर मानत हए । सबय आदमी अपनो मनमे पूर्ण रुपसे निश्चित होन पड्त हए । +\v 6 जौन आदमी कोइ दिनके विशेष रुपसे पालन करत हए, बो प्रभुको आदरके ताँही पालन करत हए । जौन आदमी खात हए बा, प्रभुके ताँहि खात हए, काहेकी बा परमेश्‍वरके धन्यवाद देत हए । जौन आदमी ना खात हए, बा परमेश्‍वरकि आदरके ताँहि ना खत हए और परमेश्वरके धन्यवाद देतहए । +\v 7 काहेकि हम कोइ फिर अपन ताँहि ना जितहएँ और कोइ फिर अपन ताँहि ना मरत हँए| +\v 8 अगर हम बचङगे कहेसे प्रभुके ताँही बचङगे, और मरङगे कहेसे प्रभुक ताँहि मरङगे । +\v 9 चाहे हम बचएँ, चाहे मरएँ, हम प्रभुके हँए । जहेक ताँहि ख्रीष्ट मरो हए और फिर जिन्दा भओ, कि बे मरे भएके और जिन्दानके दुनेको प्रभु होबए । +\v 10 पर तुम काहे अपन भैयाको इन्साफ करत हओ ? औ तुम अपनो भैयाके काहे तुच्छ ठहेरत हओ ? काहेकी हम सबए परमेश्‍वरके न्याय-आसनके अग्गु ठाड़ङगे । +\v 11 काहेकी लिखो हए, “प्रभु काहत हए, 'जैसो मए जीन्दा हओं, हरेक घुटो मिर अग्गु टिकइगो, और सब जिभ परमेश्‍वरको प्रशंसा करङ्गे ।” +\v 12 अइसीय हम सबय परमेश्‍वर के अपनो लेखा देमङ्गे । +\v 13 जाहेकमारे हम एक दुसरेके अब आइसो इन्साफ ना करएँ । बरु अपन भैयाके डगरमे ठेस लागनबारे बात औ बाधा करनबारो बात कबहु ना करन बाचा करएँ । +\v 14 मए जानत हओं, और प्रभु येशूमे मोके विश्‍वास हए, कि कोइ बात फिर अपनए अशुद्ध ना होत हँए, पर जौन अशुद्ध मानत हए, बक ताँही बे अशुद्ध होत हए| +\v 15 अगर तुम जो खात हओ, बा बातसे तुमर भैयाक् चोट लागत हए कहेसे, तुम प्रेममे ना चले हओ| जौन भैयाक् ताँहि ख्रीष्ट मरो हए, तुम खाईभइ बातसे बाक नाश ना होबए| +\v 16 जहेकमारे तुमके जो अच्छो लागत हए बासे दुसरोके खराब कहेन मत देबओ । +\v 17 काहेकी परमेश्‍वरको राज्य खान और पिन इकल्लो ना हए, पर पवित्र आत्मामे धार्मिकता, शान्ति और आनन्द हए । +\v 18 जौन जा किसिमसे ख्रीष्टको सेवा करत हए, बा परमेश्‍वरके ताँही ग्रहणयोग्य और आदमीनसे समर्थन कारोहोत । +\v 19 तबहि हम बे बातके अनुसरण करे जो शान्तिमे लातहए, औ एक दुसरेके आत्मिक उन्नति करत हए । +\v 20 खानबारि चिजके ताँहि परमेश्वरके कामके नाश मतकरओ| वास्तवमे सबय बात शुद्ध हँए , पर अपन खाओ भओ चिजसे दुसरेकेबाधा करन अनुचित हए । +\v 21 उचित त जा हए, कि बुट्टी ना खान, दारु ना पिन, औ कोइ अइसो काम ना करन, जौनसे तुमर भैयाके बाधा होत हए । +\v 22 तुमरसँग जा विशेष विश्‍वास हए , बिनके अपन औ परमेश्‍वरके बिचमे धरओ| धन्या हए बा आदमी, जौन अपनी मञ्‍जुरी भई बातमे अपनेके दोषी ना ठहरात हए । +\v 23 पर कोइ शङका करके कुछ खात हए कहेसे बा दोषी ठहारो जात हए, | औ जो विश्‍वाससे ना आओ हए , बा पाप हए। +\c 15 +\p +\v 1 अब हम जित्तो मजबुत हएँ, हम विश्‍वासमे कमजोर होन बारेनको कमजोरीके सहन पड्त हए| +\v 2 हम प्रत्येक अपन परोसिको आत्मिक सुधार होबए कहिके बिनको भलाईके ताँहि बिनके खुसी रखामए । +\v 3 काहेकी ख्रीष्ट फिर अपनएके खुसी ना करि । अइसो लिखो हए, तुमके निन्दा करनबारेनके निन्दा मिर उपर परो हए।” +\v 4 अग्गु-अग्गु लिखी भई बात हमर शिक्षाके ताँहि लिखी रहएँ , कि धर्मशास्त्र धिरज और उत्साहसे हमरसँग भरोसा राहबए। +\v 5 स्थिरता और उत्साहको परमेश्‍वर तुमके ख्रीष्ट येशूसँग एक हुइके एक दुसरेके सँग एक मनके हुइके जिन देबए, +\v 6 कि एकए मनके हुइके एकए सोरसे हमर प्रभु येशू ख्रीष्टको परमेश्‍वर और पिताको महिमा तुम कर पाबओ। +\v 7 जहेमारे परमेश्‍वरको महिमाके ताँहि ख्रीष्ट तुमके ग्रहण करी बमोजिम तुम फिर एक दुसरेके ग्रहण करओ। +\v 8 मए तुमसे कहत हओ, हमर पुर्खनके दै भइ प्रतिज्ञानके खुलस्त करन ताँहि परमेश्‍वरको सत्यताके प्रकट करन ख्रीष्ट खतना भएनके दास बनो रहए। +\v 9 जाहे कारन से कि अन्यजातीन से बाको कृपाके ताहि परमेश्‍वरको महिमा करए।अइसो लिखो हए, “जहेकमारे अन्यजातीनके बीचमे मए तुमर प्रशंसा करत हओ, और तुमर नाँउको स्तुति गामङ्गो।” +\v 10 और फिर अइसो कहि हए, “ए अन्यजाती, बाको प्रजासँग आनन्द मनाओ।” +\v 11 और फिर, “ए साबए अन्यजातीओ, प्रभुको प्रशंसा करओ, और सबए आदमी बाको प्रशंसा करएँ ।” +\v 12 और फिर यशैया काहात हए, “यिशैको वंशसे एक जनी आबैगो , बा अन्यजातीन के उपर शासन करैगो, बाके उपर अन्यजाती भरोसा करङ्गे ।” +\v 13 अब भरोसाको परमेश्‍वरसे तुमर विश्‍वास से सबए आनन्द और शान्तिसे भरीपूर्ण होमएँ , जहे कारन से की पवित्र आत्माको शक्तिसे तुम भरोसामे प्रशस्त होबओ। +\v 14 भैया रेओ, मए अपनए फिर तुमर बारेमे विश्‍वस्त हओं । मोके निश्चय हए, कि तुम अपनए फिर भलाईसे भरगए हओ, और सारा ज्ञानमे पूरो हुइके एक-दुसरेके शिक्षा देन योग्या हौ । +\v 15 पर परमेश्‍वर मोके दओ भव अनुग्रहके कारन से तुमके फिर सम्झना कारन मए बड़ो साहस करके कित्तोनके बारेमे लिखो हओ । +\v 16 जा अनुग्रह अन्यजातीनके ताहि परमेश्‍वरको सुसमाचारके पुजाहारीको कर्तव्य पालन करन मोके दई हए, ताकी अन्यजाती पवित्र आत्मासे शुद्धहुइके ग्रहणयोग्य बलि बन सकए। +\v 17 जहेक मारे परमेश्वरके ताहि मेरो सेवामे मोके ख्रीष्ट येशूमे गर्व करनको कारण हए। +\v 18 काहेकी, वचन और कामसे अन्यजातीक ताँहि आज्ञाकारी बनानके ख्रीष्ट मेरे द्वारा जो करी हए, बा बाहेक कोइ बिषयमे बोलनको आँट मए ना करत हौँ । +\v 19 जा काम चिन्ह और आश्चर्यकर्मके शक्तिसे और पवित्र आत्माके शक्तिसे मए करो हौँ । अइसीयमए यरुशलेमसे लैके इल्लुरिकन ताक चारौ तरफ ख्रीष्टको सुसमाचार पूर्णरुपसे प्रचार करो हौँ । +\v 20 और आदमीसे बनाओ भौ जगके उपर घर ना बनामौ कहिके ख्रीष्टकोनाँउ नालेनबारो ठाँउमे सुसमाचार प्रचार करन उत्कट इच्छा मए धरो हौँ । +\v 21 जइसी अइसो लिखो हए, “बक बारेमे जोनके कभु ना कहि हए, बे बाके देखङगे, और बक बारेमे जौन कभु ना सुनी रहँए बे सम्झङगे। +\v 22 जहेमारेत, मए तुमर ठिन आन ताँहि बाहुत चोटी रुको हौँ । +\v 23 तव अब जा क्षत्रमे मिर ताँहि काम करन और ठाँउ ना हुइके , और बाहुत वर्षसे तुमर ठिन आन ताँहि पाय्सो हौँ । +\v 24 मए स्पेन जात तुमके भेटन आसा करत हौ, और तुमर सँग कुछ समय ताक सङगतिको आनन्द लैके पिच्छु तुम मोके मेरो बाँकी यात्रामे मद्दत देबैगे कहिके आशा करत हौँ । +\v 25 पर अब सन्तनके सहायता देनताँहि मए यरुशलेम घेन जात हौँ । +\v 26 काहेकी यरुशलेममे होनबारे सन्तनमे जो गरिब हए बिनके ताँहि माकेडोनिय और अखैयाके मण्डलीसे कुछ भेटी दै हँए । +\v 27 जा भेटीबे खुसिसाथ जम्म करी रहँए, और नेहत्य त बे बिनके ऋणी फिर बानइँ| काहेकी अगर अन्यजाती बिनकी आत्मिक आशिषमे सहभागी भए हँए कहेस, बे फिर संसारिक आशिषसे बिनकी सेवा करन पड्त हए । +\v 28 जहेमारे जा काम निभटाईके बिनके ताँहि उठो जा चन्दा सौपके पिच्छु मए तुमर ठिनसे हुइके स्पेन जामङगो । +\v 29 और मए जानत हौँ , मए तुमर ठिन आत ख्रीष्टको आशिषसे परिपूर्णतामे आमङगो । +\v 30 भैया रे, हमर प्रभु येशू ख्रीष्ट और पवित्र आत्माके प्रेमसे मेरे ताँहि परमेश्वर सँग प्रार्थना करन मिर संग गजब प्रयत्न करी कहिके मए तुमके आग्रहपूर्वक बिन्ती करत हौँ, +\v 31 कि मए यहूदीयके अविश्‍वासीसे मुक्त होबओ, और यरुशलेमके ताँहि मिर सेवा सन्तनके ताँहि ग्रहण योग्य होबए, +\v 32 और परमेश्वरको इच्छासे आनन्दसँग तुमर ठिन आएके तुमर सँगमे सङगतिसे मए फिर ताजा हुइ सकौ| +\v 33 शान्तिक परमेश्‍वर तुम सबएसँग रहबए| आमेन| +\c 16 +\p +\v 1 किंक्रियामे भइ मण्डलीकि धर्म-सेविका हमर बहिनिया फिबिकको प्रशंसा तुमर झौने करत हौँ| +\v 2 मए तुमके निवेदन करत हौँ कि सन्तनके सोहान बारो किसिमसे बिनके प्रभुमे ग्रहण करओ, और बिनके चाहनबारो कोइ फिर सहयता बिनके देओ, काहेकी बे अपनए बाहुतनको और मिर फिर सहयता करी हए| +\v 3 प्रिस्का और अकिलास, ख्रीष्ट येशूमे मिर सहकर्मीके अभिवादन । +\v 4 बे मिर ताँहि अपनो जीवन संकष्टमे डारीँ । बिनके मए इकल्लो नाए, पर अन्यजातीनके मण्डली जम्मए फिर धन्यवाद देत हँए । +\v 5 बिनके घरमे भइ मण्डलीनके आभिवादन देओ । मिर प्रिय इपेनितसके, जो ख्रीष्टके ताँहि एशियाको पहिलो विश्वासी हए, अभिवादन देओ । +\v 6 मरियमके, जौन तुमरे बिचमे बाहुत परिश्रम करी, बाके अभिवादन देओ । +\v 7 एन्ड्रोनिकस और युनियस, मिर आफन्त और मिर संगी-कैदीके, अभिवादन कहिदेओ । बे प्रेरित मैसे प्रख्यात हँए, और मोसे अग्गु ख्रीष्टमे भए रहँए +\v 8 एम्प्लीआतस, प्रभुमे मिर प्रियनके अभिवादन कहिदेओ । +\v 9 उर्बानस, ख्रीष्टमे हमर सहकर्मी, और मिर प्रिय मित्र स्ताखुसके अभिवादन कहिदेओ । +\v 10 ख्रीष्टको योग्य ठहरेभए अपेल्लेसके अभिवादन कहिदेओ ।अरिस्तोबुलसको घरबारेन्के अभिवादन कहिदेओ । +\v 11 मिर आफन्त हेरोदियनके अभिवादन कहिदेओ । प्रभुमे भए नर्किससको घरानाके अभिवादन कहिदेओ । +\v 12 प्रभुमे परिश्रम करन बारो त्रुफेना और त्रोफोसाके अभिवादन कहिदेओ । प्रभुमे बहुत परिश्रमी करनबारो प्रिय परसीसके अभिवादन कहिदेओ । +\v 13 प्रभुमे चुनेभए रुफस और बोकी अइया, जो मिर फिर अइयारहए, बिनके अभिवादन कहिदेओ । +\v 14 असिंक्रितस, फ्लेगन, हर्मेस, पत्रोबास, हर्मास, और बिनके सँग भए भैयानके अभिवादन कहिदेओ । +\v 15 फिलोलोगास, युलिया, नेरियस और बोकी बहिनिया, और ओलिम्पास और बिनकीसँग भए सब सन्तनके अभिवादन कहिदेओ । +\v 16 एक दुसरेके पवित्र चुम्बनसे अभिवादन कराओ । ख्रीष्टके सबय मण्डलीनसे तुमके अभिवादन पाठइँ हँए । +\v 17 भैया रेओ , मए तुमके आग्रहपूर्वक बिन्ती करत हौँ, कि तुमके सिखाओ भव धर्म- सिध्दान्तके विरुध्दमे फुट और बाधा- विध्न सिर्जनबारो के नजर कारिओ, और बिनसे अलग बैठओ| +\v 18 काहेकी अइसे आदमी हमर ख्रीष्ट प्रभुके सेबा नाकरत हएँ , पर अपन पेटके ताँहि सेवा करत हँए, और बिनको मिठो मिठो बोली और बात सीधासाधेनके हृदयके धोखा देत हँएं । +\v 19 काहेकि तुमर आज्ञाकारिता सब आदमीमे जाहेर हए, और तुमरे करन मए आनन्द करत हौँ| पर मए चहत हौ, कि जो असल हए बोके ताँहि तुम बुध्दिमान होबाओ, और जो खराब हए बोमे दोषरहित रहबाओ । +\v 20 शन्तिको परमेश्वार जाल्दीय शैतानके तुमर टाँङ्ग तरे कुचल्दे हए। हमर प्रभु येशू ख्रीष्टको अनुग्रह तुमरसँग रहबाए । +\v 21 तिमोथी मिर सहयोगी, और मिर नतेदार लुकियस, यासोन और सोसिपात्रोससे तुमके अभिवादन पठाई हए| +\v 22 जा चिठ्ठी लिखनबारो मए, तर्तियस प्रभुमे तुमके अभिवादन पठात हौँ| +\v 23 मिर पहुना और सारा मण्डलीनके सत्कार करनके गायससे अभिवादन पठाई हए । तुमके अभिवादन हए । सहरको कोषाध्यक्ष इरास्तस और भैया क्वार्टस तुमके अभिवादन पठाई हँए| +\v 24 हमर प्रभु येशू ख्रीष्टको अनुग्रह तुम सबएसँग रहबए। +\v 25 अब बाके, जौन तुमके मिर सुसमाचार और येशू ख्रीष्टके बारेमे सन्देशअनुसार जो गजब अग्गुसे लुकाओ भौ रहस्यको प्रकाश बमोजिम, जो तुमके खडा करन सक्षम हए , +\v 26 पर अब अनन्तको परमेश्‍वरको आज्ञा अनुसार अगमवक्तक लिखाईसे प्रकट करि और जनाई हए, जाहेकारनसे कि सबय जातिके विश्‍वास करएँ और आज्ञापालन करएँ- +\v 27 एक मात्रा बुध्दिमान परमेश्‍वरके येशू ख्रीष्टसे सदासर्वदा महिमा होबए| (अमेन)|