From adee7637b3de953f17a4df5db4148e8b1e0ecc77 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Ed Davis Date: Mon, 18 Dec 2023 10:04:50 -0500 Subject: [PATCH] usfm/cleanup --- 43-LUK.usfm | 2 +- 46-ROM.usfm | 2 +- 67-REV.usfm | 2 +- issues.txt | 14 +++++++------- 4 files changed, 10 insertions(+), 10 deletions(-) diff --git a/43-LUK.usfm b/43-LUK.usfm index 91f1f71..e851352 100644 --- a/43-LUK.usfm +++ b/43-LUK.usfm @@ -736,7 +736,7 @@ \p \v 14 बा एक भुत निकारत रहए, जो गुगो रहए, भुतात्मा निकरो तव बा गुगो आदमि मसकन लगो, जा देखकेआदमी अचम्मो मानगए । \v 15 पर बे मैसे कोई त, कहो, “भुतको मालिक बालजिबुल से भुतके निकारत हए ।" -\v 16 ६पर कितनो आदमी बाकी परिक्षा करन ताही स्वर्गसे एकम चिन्ह मागी। +\v 16 पर कितनो आदमी बाकी परिक्षा करन ताही स्वर्गसे एकम चिन्ह मागी। \p \v 17 पर येशू बिनको बिचार पता पाईके बा उनसे कहि, जौन राज्यमे फुट होत हए, बा उजाड होत हए । जौन घरमे फुट होत हए, बा नष्ट हुइ जात हए। \v 18 शैतान के फिर अपने मे बेमिलाप नाहुई हए कहेसे, उनको राज्य कैसे टिकैगो? काहेकी तुम कहात हौ, कि मए, बालजिबु (भुतनको मालीक) से भुत भजात हौ । diff --git a/46-ROM.usfm b/46-ROM.usfm index 9b4f8f4..ae53ab3 100644 --- a/46-ROM.usfm +++ b/46-ROM.usfm @@ -438,7 +438,7 @@ \c 13 \cl आध्याय १३ \p -\v 1 हर आदमी शासन करनबारो प्रशासकके अधीनमे बैठए,।परमेश्वरसे आओ भओ अधिकार बाहेक और कोइ अधिकार ना होत हए।जौन प्रशासक हए। बे परमेश्वरसे नियुक्त भए हँए। +\v 1 हर आदमी शासन करनबारो प्रशासकके अधीनमे बैठए। परमेश्वरसे आओ भओ अधिकार बाहेक और कोइ अधिकार ना होत हए।जौन प्रशासक हए। बे परमेश्वरसे नियुक्त भए हँए। \v 2 जहेमारे प्रशासकके विरुद्धमे खड़ो होन बारो परमेश्वरसे नियुक्त भएनके विरोध करत हए, और जौन-जौन विरोध करत हए, बे डण्डको आज्ञा पामङ्गे। \v 3 काहेकी सुकर्मके ताँहि नाए, पर कुकर्मके ताँहि शासकको डर मानत हए।का तुम प्रशासकको डरमे रहन ना चाहत हौ? अइसो हए, अच्छो काम करओ, और तुमके बिनसे प्रशंसा मिलैगो। \v 4 काहेकी तुमर भलाइके ताँहि बा परमेश्वरको सेवक हँए। पर अगर तुम खराबी करत हौ कहेसे डर मानओ, काहेकी बो तरवारके व्यर्थमे नालेत हए। खराब काम करनबारे के उपर परमेश्वरको डण्ड लानके बे परमेश्वरको सेवक हँए । diff --git a/67-REV.usfm b/67-REV.usfm index 43b1ac8..136773f 100644 --- a/67-REV.usfm +++ b/67-REV.usfm @@ -311,7 +311,7 @@ \p \v 1 और मए सियोन डाँगामे थुमा ठाणो रहो देखो। बाके संगमे एक लाख चवालीस हजार रहएं, जौनके माथेमे बाको नाउँ और बाको पिताको नाउँ लिखो रहए। \v 2 और बहुत पानीको आवाज जैसो, और बणो गर्जनको आवाज जैसो स्वर्गसे एक सोर सुनो। मिर सुनो भव बा आवाज बीणा बजानबारे अपन बीणानके बजाय रहे सोर जैसो रहए। -\v 3 सिंहासनके और बे चार जीवित प्राणीक और धर्म-गुरुके अग्गु बे एक नयाँ गित गात गाईं। पृथ्बीसे लाए भए एक लाख चवालीस हजार (१,४४,०००) बाहेक और कोइ भी बा गित न सिख पात रहएँ। +\v 3 सिंहासनके और बे चार जीवित प्राणीक और धर्म-गुरुके अग्गु बे एक नयाँ गित गात गाईं। पृथ्बीसे लाए भए एक लाख चवालीस हजार (१,४४, ०००) बाहेक और कोइ भी बा गित न सिख पात रहएँ। \v 4 बे बैयरनसंग लसपस न करीं रहएँ, और अपनयके चोखो रखे रहएँ। थुमा जितए जात रहए बाके पिछुपिछु लागन बारे जेहिँ हँए। परमेश्‍वर और थुमाके ताहिँ पहिलो फलको रुपमे आदमीनके बीचसे लाई रहँए। \v 5 बिनके मुँहुमे कोइ झुट न पाव गव, बे निष्खोट रहँए। \p diff --git a/issues.txt b/issues.txt index 0fbf022..42e04f4 100644 --- a/issues.txt +++ b/issues.txt @@ -1,9 +1,8 @@ -Issues generated 2023-12-17 from C:\wacs\Tharu\Thr_reg +Issues generated 2023-12-18 from C:\wacs\Tharu\Thr_reg ------------ Inconsistent chapter titling: ['अध्याय', 'आध्याय'] in MAT Bracket or parens found in MRK 9:44, a verse that is often footnoted Bracket or parens found in MRK 9:46, a verse that is often footnoted -Invalid number suffix: ६प at LUK 11:16 Bracket or parens found in LUK 17:36, a verse that is often footnoted Inconsistent chapter titling: ['अध्याय', 'अध्धाय'] in LUK Bracket or parens found in JHN 5:3, a verse that is often footnoted @@ -13,24 +12,25 @@ Invalid number suffix: ११ल at JHN 7:53 Invalid number prefix: -८ at JHN 7:53 Inconsistent chapter titling: ['अध्याय', 'अध्\u200dयाय'] in JHN Optional text or untagged footnote at ACT 27:37 -Check the punctuation at ROM 13:1: ,। Inconsistent chapter titling: ['Chapter', 'आध्याय', 'आध्यया', 'अध्याय'] in ROM Inconsistent chapter titling: ['आध्याय', 'अध्यया'] in 1CO Inconsistent chapter titling: ['आध्याय', 'अध्याय'] in 2TI Inconsistent chapter titling: ['याकुब', 'अध्याय'] in JAS Check the punctuation at REV 14:3: ,४ -Word medial punctuation in REV 14:3: (१,४४,०००) +Word medial punctuation in REV 14:3: (१,४४, +Space in number ४४, ००० at REV 14:3 Check the punctuation at REV 14:20: ,६ Word medial punctuation in REV 14:20: (१,६००) SUMMARY: Inconsistent chapter titling: [' --- 7 occurrence(s). Bracket or parens found in --- 4 occurrence(s). -Check the punctuation at R --- 3 occurrence(s). -Invalid number suffix: --- 2 occurrence(s). Optional text or untagged footnote at --- 2 occurrence(s). +Check the punctuation at REV 14: --- 2 occurrence(s). Word medial punctuation in REV 14: --- 2 occurrence(s). Probable chapter:verse reference (७: ५३) at JHN 7:53 belongs in a footnote --- 1 occurrence(s). +Invalid number suffix: ११ल at JHN 7:53 --- 1 occurrence(s). Invalid number prefix: -८ at JHN 7:53 --- 1 occurrence(s). +Space in number ४४, ००० at REV 14:3 --- 1 occurrence(s). -22 issues found. \ No newline at end of file +21 issues found. \ No newline at end of file