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\v 19 19 तुमर मे रहोभौ मानवीय कमजोरीके कारण से मए तुमके समकनबारो भाषामे मसक रहों हओं| काहेकी जैसी तुम एक चोटी अपन अङगनके अशुद्धता और औरजाध्धा अपराधके ताहिं समर्पण करे| अब उइसिए पवित्रकरनके ताहिं अपन अङगनके धार्मिकताके ताहिं समर्पण करओ| \v 20 20 तुम पापके कमैया भए बेरामे धार्मिकताके ताहीं स्वतन्त्र रहऔ| \v 21 21 अब जौन बातमे तुम हबे शर्मात हओ, बो बातमैसे तुम का प्रतिफल पाए? बे बातनकि अन्त मृत्यु हए|