thr_rom_text_reg/14/14.txt

1 line
714 B
Plaintext

\v 14 \v 15 14 मए जानत हओ, और प्रभु येशूमे मोके निश्चय हए, कि कोइ बात फिर अपनमे अशुद्ध ना होत हँए, पर जौन अशुद्ध मानत हए, बक ताँहि बो अशुद्ध होत हए| 15 अगर तुम जो खात हओ, बो बातसे तुमर भैयाक चोट लागत हए कहेसे, तुम प्रेममे ना चले हओ| जौन भैयक ताँहि ख्रीष्ट मरो हए, तुम खाओभव बातसे बाक नाश ना होबए|