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\v 5 कोइ आदमी एक दिनके दुसरे दिनसे जाधा जारुरी मानत हए, दुसरो आदमी सबदिन बराबर मानत हए । सबय आदमी अपनो मनमे पूर्ण रुपसे निश्चित होन पड्त हए । \v 6 जौन आदमी कोइ दिनके विशेष रुपसे पालन करत हए, बो प्रभुको आदरके ताँही पालन करत हए । जौन आदमी खात हए बा, प्रभुके ताँहि खात हए, काहेकी बा परमेश्‍वरके धन्यवाद देत हए । जौन आदमी ना खात हए, बा परमेश्‍वरकि आदरके ताँहि ना खत हए और परमेश्वरके धन्यवाद देतहए ।