thr_rom_text_reg/14/03.txt

1 line
676 B
Plaintext

\v 3 खानबारो ना खानबरो आदमीके तुच्छ नसम्झए, और ना खानबारो खानबारोक दोष ना लगाबए । काहेकी परमेश्‍वर बाके ग्रहण करी हए । \v 4 दुसरेक टाहलुवाके इन्साफ करनबारो तए कौन हए ? बा त अपनो मालिकके अग्गु ठडोहए वा पतित्त होतहए , बा ठाडबओ जाएगो,काहेकी, बक मालिक बोके ठाड़बएसकत हए ।