thr_rom_text_reg/08/06.txt

1 line
732 B
Plaintext

\v 6 काहेकी पापमय स्वभावमे मन लगान त मृत्यु हए, पर पवित्र आत्मामे मन लगान जीवन और शान्ति हए । \v 7 काहेकी पाप स्वभावके शरीर घेन लागो मन त परमेश्वरके ताहीं शत्रु है । बो परमेश्वरको व्यवस्थक अधिनमे ना होत हए । न बा कबहु हुइ पै है । \v 8 पाप स्वभावके बशमे होनबारे परमेश्वरके खुसी ना कर पएँ हएँ ।