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\v 12 जहेमारे शरीरको अभिलाषा अनुसार चलन नपडै कहिके तुमके मरणशील शरीरमे पापके राज्य करन मत देव । \v 13 अपन शरीरके अङ्गके दुष्टताके साधनके रुपमे पाप करन समर्पण मतकरौ । पर मृत्युसे जीवनमे लाए भए आदमी जैसो अपनैके परमेश्वरठीन दैदेओ, और शरीरके अङ्गनके धार्मिकताके साधन जैसो परमेश्वरठीन समर्पण करौ । \v 14 काहेकी पापके तुमरउपर राज्य करन नदेव, काहेकितुम व्यवस्थाके अधिनमे नाहौ, पर अनुग्रहके अधिनमे हौ ।