From abcd9f5fdc6b674f6a66d1a1fb9d02756ac49703 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Tue, 23 May 2023 21:52:25 +0545 Subject: [PATCH] Tue May 23 2023 21:52:24 GMT+0545 (Nepal Time) --- 03/15.txt | 2 +- 03/19.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/03/15.txt b/03/15.txt index 656c09a..a99b7bd 100644 --- a/03/15.txt +++ b/03/15.txt @@ -1 +1 @@ -\v 15 "बिनकी टाङग रक्तपात करन ताँहि तयार हएँ । \v 16 बिनास और कष्ट बिनकी डगरमे हए, \v 17 और शान्तिकि डगर बे चीन ना हँए|” \v 18 "बिनकी आँखीके सामने परमेश्वरको भए नैया । \ No newline at end of file +\v 15 "बिनकी टाङग रक्तपात करन ताँहि तयार हएँ । \v 16 बिनास और कष्ट बिनकी डगरमे हए, \v 17 जे आदमी शान्तिकि डगर बे चीनत ना हँए|” \v 18 "बिनकी आँखीके सामने परमेश्वरको डर ना हए । \ No newline at end of file diff --git a/03/19.txt b/03/19.txt index 15cef23..705ed4b 100644 --- a/03/19.txt +++ b/03/19.txt @@ -1 +1 @@ -\v 19 अब हम जानत हए, जो-जित्तो व्यवस्था कहत हए, व्यवस्थाके तरे होन बारेसे कहत हए, कि हरेक मुहू चूप लागौ, और सारा संसार परमेश्वरके अग्गु जवाफ देन बारो होबए| \v 20 जहेमारे व्यवस्थाको कर्मसे कोइ प्राणी बोकी दृष्टिमे धर्मी नाए ठहरैगो, काहेकी व्यवस्थाद्वारए पापको चेतना भव हए \ No newline at end of file +\v 19 अब हम जानत हएँ, जो-जित्तो व्यवस्था कहत हए, व्यवस्थाके तरे होन बारेसे कहत हए, कि हरेक मुहू चूप लागौ, और सारा संसार परमेश्वरके अग्गु जवाफ देन बारो होबए| \v 20 जहेमारे व्यवस्थाको कर्मसे कोइ प्राणी बोकी दृष्टिमे धर्मी नाए ठहरैगो, काहेकी व्यवस्थाद्वारए पापको चेतना भव हए \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 97c0c2c..789efb7 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -74,6 +74,7 @@ "03-09", "03-11", "03-13", + "03-15", "13-08", "13-11", "13-13",