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\c 4 \v 1 जहेमारे मिर भैया, मए तुमके माया करत हौँ, और तुमर चँहत हौ, तुम मिर् आनन्द और मुकुट हौ| मिर् प्रिय, अइसी प्रभुमे स्थिर रहौ| \v 2 मए इयोदिया और सुन्तुखे के प्रभुमे एक मनको होमए कहिके आग्रहपुर्वक बिन्ती करत हौ| \v 3 विश्वासी सहकर्मी, मए तुमके फिर अनुरोध करत हौ, कि जे बैयरनके मदत करओ, काहेकी जे संगएसंग सुसमाचारको काममे क्लेमेससंग और मिर और बाँकी सहकर्मीनके संग परिश्रम करी हँए, जौनक् नाउँ जीवनको पुस्तकमे हए