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\v 4 प्रभुमे रोज आनन्द कर मए फिर कहात हौ आनन्द कर । \v 5 तुमर सहनशीलता सब आदमीके पता होबए । प्रभु ढिंगैँ हए । \v 6 कोइ बात मे चिन्तित मत होबओ, पर सबए बातमे प्रार्थना और निवेदनसे धन्यवाद सहित तुमके बिन्ती परमेश्वरमे जाहेर होबए, \v 7 और समझ ना पानबे परमेश्वरको शान्ति तुमर हृदयमे और तुमर मनके येशूमे रक्षा हुइहए। |