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\v 28 28 और विरोधीनसे कोइ बातमे डरत् नैयाँ| बिनके ताहिँ जा विनाशको लक्षण हए, जौन मुक्ति परमेश्वर घेनको हए| \v 29 29 काहेकी ख्रीष्टके ताहिँ तुमके जा दओ हए, कि तुम बोके उपर विश्वास कर्न इकल्लो नैयाँ, पर बाके खातिर दु:ख फिर भोग्न पणैगो, \v 30 30 और बहे संघर्ष जो तुम मोएमे देखे और मिर संग हए करके हबए सुन्तहौ, बहेमे तुम लागे हौ|

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\c 2 \v 1 1 अगर ख्रीष्टमे कोइ प्रोत्साहन हए तव, प्रेमको कोइ प्रेरणा, पवित्र आत्माको कोइ संगति,कोइ स्नेह और सहानुभुति हए तव, \v 2 2 तुम एकए मनके हुइके, एकए प्रेम धरके, पूर्ण सम्मतिसाथ एकए चित्तके हुइके मिर आनन्द पुरा करओ|

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\v 3 3 स्वार्थ और अहंकारमे कुछु मत करओ, पर नम्रतामे एक दुसरेके अपनसे श्रेष्ट मानओ| \v 4 4 तुम हरेक अपन हित इकल्लो मत ढुणओ, पर और के हितके फिर देखओ|

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\v 5 \v 6 \v 7 \v 8 5 तुमरे मे अइसो मन होबए जो ख्रीष्ट येशूमे फिर रहए| 6 परमेश्वरके स्वरूपमे हुइके फिर बो परमेश्वरके बराबार होनबारी बातके एकए पकणि रहन बारो चीज जैसो मानीनाए| 7 पर अपनाएके रित्त्याके कमैयाको रुप धारण करके तथा मनुष्य हुइके जन्मो| 8 स्वरूपमे आदमी जैसो हुइके अपनएके होचई, और मृत्यु तक आज्ञाकारी रहो|

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अध्याय २

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