Fri Aug 04 2023 08:40:55 GMT+0800 (Australian Western Standard Time)
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\c 4 \v 1 \v 2 \v 3 1 जहेमारे मिर भैया, मए तुमके माया करत हौ, और तुमर चहाना करत हौ, तुम मिर् आनन्द और मुकुट हौ| मिर् प्रिय, अइसी प्रभुमे स्थिर रहौ| 2 मए इयोदिया और सुन्तुखे के प्रभुमे एक मनको होमए कहिके आग्रहपुर्वक बिन्ती करत हौ| 3 विश्वासी सहकर्मी, मए तुमके फिर अनुरोध करत हौ, कि जे बैयरनके मदत करओ, काहेकी जे संगएसंग सुसमाचारको काममे क्लेमेससंग और मिर और बाँकी सहकर्मीनके संग परिश्रम करी हँए, जौनक् नाउँ जीवनको पुस्तकमे हए
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\v 4 \v 5 \v 6 \v 7 4 प्रभुमे रोज आनन्द करओ मए फिर कहात हौ, आनन्द करओ| 5 तुमर सहनशीलता सब आदमीके पता होबए| प्रभु ढिंगै हए| 6 कोइ बात मे चिन्तित मत होबओ, पर सब बातमे प्रार्थना और निवेदनसे धन्यवाद सहित तुमर बिन्ती जाहेर होबए, 7 और समझ भ्यान नाए सिकनबालो परमेश्वरको शान्ति तुमर हृदय और तुमर मनके येशूमे रक्षा करैगो|
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\v 8 \v 9 8 अन्तिममे भैया हो, जौन् बात सत्य हए, जौन् बात आदरणीय हए, जौन् बात न्यायसङ्गत हए, जौन् बात शुध्द हए, जौन् बात प्रेम-योग्य हए, जौन बात कृपामय हए, अगर कोइ श्रेष्ठता, प्रसंशाको योग्य कोइ हए कहेसे जे बातके विचार करओ| 9 तुम जौन बात मोसे सिखे, और ग्रहण करे और सुने और मोके देखे, बहे करओ, और शान्तिको परमेश्वर तुमरसंग होबैगो|
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अध्याय ४
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