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\v 38 तव बा बिनसे कहि, " तुम काहे बिचलित होत हौ,और तुमर ह्रदयमे काहे प्रश्‍न उठात हओ ? \v 39 मिर हत और मिर पाओं देखै, महि हौ, मोके छुएके देखै । काहेकि प्रेतनको मासु और हड्डी ना होत हए, तव तुम देखत हौ, मिर त हए । " \v 40 अइसी कहिके पिच्छु बा बिनके अपन हात और पाओ दिखाई ।