thr_luk_text_reg/18/06.txt

1 line
672 B
Plaintext

\v 6 प्रभु कहि, “सुन बा अधर्मी न्यायधिश का कहत हए । \v 7 का परमेश्‍वर बके जो रात दिन पुकारान बारे अपने चुने भएके न्याय ना करैगो का ? का बा बिनके ताहि देर करहै का ? \v 8 मए तुसे कहत हौ , बा जलदिए तुमरो न्याय करहै । तहु फिर आदमिक पुत्र आन पेती का बा पृथ्बिमे बिश्‍वास पएहै का ?"