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\v 3 बहे शहरमे एक बिध्वा रहए। बा बिनके ठिन आत रहए,और कहत रहए, 'मेरो वादिके अग्गु मेरो न्याय करदेओ ।' \v 4 बा कुछ समय तक त ना मानी, और पिच्छुसे बा अपन मनसे कहि मए परमेश्‍वारको डर ना मानत हौ और आदमीको ख्याल फिर ना करत हौ । \v 5 पर जा बिध्वा मोके हैरान करडारिहए । जहेमारे, मए जाको न्याय करत हौ, नत जा ईकल्ली आएके मोके दिक्क बनाबैगी ।"