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\v 28 लोतके दिनमे फिर उईसी भव रहए, आदमी खातरहए ,पित रहए , किनमोल करत रहए, लगात रहए ,तमान बातके बनात रहए । \v 29 तव जौन दिन लोत सदोमसे निकरो, आकाशसे आगी और गन्धन बर्सो और सबके खतम करदै ।