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\v 8 कौन बैयर हुई हए जौनके ठीन दश चांदीके सिक्का मैसे एक हराए गओ, तव दिया पजरके बा बाके ना पानतक घर बुढारके मेहंनतसे न ढुणहए तव ? \v 9 हराओ भव सिक्का पाएके पिच्छु बा अपन संगी और पडोसीनके बुलाएके कहत हए , मिरसंग रमाओ , कहेकी मए मेरो सिक्का पाएगओ हओ । \v 10 मए तुमसे कहत हौ , अइसी पश्चात्ताप करन बारे एक जनीके ताहि परमेश्वरके स्वर्गदुतके सामने आनन्द होत हए ।" |