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\v 34 यरुशलेम ए यरुशलेम तए अगमबक्ताके मारत हए,और तिर ठिन पठाए भएके उपर पत्थर बर्सात हए ! जैसे मुर्गिया अपन बच्चनके पखमा तरे लुकात हए, उइसिए मए कित्तो चोटी तिर बालकके लेन इच्छा करो, पर तए ना मानो । \v 35 देख , तेरो घर उजणो हए । मए तोसे कहत हौ,जब तक तए, "धन्य हओ प्रमप्रभुको नाउँमे आनबारो " ना कैहओ , तब तक मोके न देखैगे ।"