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\v 25 एक बार घरको मालिक उठके फाटक बन्द करके पिच्छु ,तुम बाहिर ठाणके अईसी कहात फाटक ढक ढकाबईगे , प्रभु हमर ताहि फाटक खोलदेओ , ताकि हम भितर अए सकै। , और बा जवाफ दैके तुम कहाबैगो “मए तुमके ना चिनत हौ औ तुम काहासे आए हओ ? \v 26 तव तुम कहाबैगे हम तुमर सामने खाए और पिए ,और हमर गल्लीमे तुम शिक्षा दए रहौ ।' \v 27 बा कही , 'मए तुमसे कहत हौ ,तुम कहाँसे आए हौ, मए तुमके ना जानत हौ । दुष्ट काम करनबारे, मोसे दुर होबौ ।'