\v 29 का खैहौं का पिहौं कहिके तुम ढुढत मत बैठो और चिन्तित फिर मतहोबौ । \v 30 कहेकी संसारके सब आदमी जाबातके ढुणत रहतहए । तुमर पिता जानत हए कि तुमके जे बातके जरुरत हए ।