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\v 45 “ब्यबस्थाको पण्डित मैसे एक आदमी बा से कहि, “ गुरु जी जा बात कहेके तुम ता हमर फिर बेज्जत करत हौ । \v 46 बा कहि, “तुम ब्यबस्थाके पण्डितनके फिर धिक्कार ! बोकन ना सीकन बारो बोझ आदमिक उपर लादत हौ ,पर तुम अपनै एक उङगरिसे फिर बा बोझ ना छुईतहौ ।