thr_luk_text_reg/11/33.txt

1 line
1.1 KiB
Plaintext

\v 33 “कोई दिया पजारके गुप्त टाउँमे या ब्रतन तरे ना धरगें, पर भितार जानबारे सबैके उजियारो देवए करके आरोमे धरत हए । \v 34 तुमर शरिरको दिया तमुर आँखी हए, तुमर आँखी ठिक हए त तुमर सारा शरिर उजियारो हुईहए, पर खराब हए कहेसे ,तुमर शरिर फिर अध्यारो हुई हए । \v 35 तहि मारे साबधान रहौं, तुमरमे भव उजियारो अँध्यारो ना होबए। \v 36 अगर तुमर शरिर उजियारोसे पुरा हए कहेसे ,औ कोई भाग अध्यारो नाहए कहेसे ,बा सब उजारो हुई हए ,अइसिए दियाके जैसो तुमर पुरी शरीर उजियारो हुइहए ।