thr_luk_text_reg/11/05.txt

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\v 5 और बा उनसे कहि,मानौ ;तुम मैसे कोइक एक सङ्गि हए बे आधि रातके बाके ठिन जाइके कहत हए। सङ्गि मोके तिन रोटी बैना सापट देओ । \v 6 काहेकी मिर एक जनि सङ्गि यात्रासे मिर ठिन आव हए, और बाके खान देन मिर ठिन कछु ना हए ।' \v 7 बा भितर से जवाफ देत हए,मोके मत झोझियाए । फाटक हब बन्द हुईगओ हए,और मिर लौडा लौडिया मिर सँग सितरीमे हए । मए उठके तोके कछु ना दए पए हौ ।“ \v 8 मए तुमसे कहत हौ, बा उठके उनके बा कछु ना दे हए ,तुम बा के सँगी होनके कारणसे फिर लगातार मागएगे बा ऊठके और तुमके जितनो जरुर हए उतनो जरुर रोटी देहए ।